1 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
शब्द सत्ता: ह दं ी कविताओं की अर्दध् िावषक् ई-पत्रिका
अकं : 1 (प्रथम) – पदापण्
प्रकाशन: 25.10.2020 (विजयादशमी)
अभिकल्पन समीक्षा
पषृ ्ठ-सज्जा टंकण
संपादन मदु ्रण
विषय सचू ी आमखु
सपं क् : व् ाट्सएप – 9422004678
प्रकाशन स्थल: पणु े – 411021
पिू ् प्रकाभशत कविताओं को पत्रिका में स्थान न ीं भमला ै|
पत्रिका मंे छपे विचार लखे कों की ननजी स्ितिं सोच ै|
सम्पादक इनसे स मनत का अधधकार सरु क्षक्षत रखतें |ंै
एक कवि, एक कविता का पालन ककया गया ै|
2 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
आमुख
आज हुआ वििाद कह ीं, और हुआ सीिं ाद कह ीं,
शब्दकोश के द्िार खोल, है शब्दों का जजहाद कह ंी,
नश्िर होते शब्द मगर, ये होते ना बरबाद कह ंी,
मन मजददर में इसे सहेजे, इसकी करते याद कह ीं।
पजू ा मंे, सगंी ीत में, इससे, होते जो नननाद कह ंी,
ददल में इसकी छाप रहे, ददल मंे इसको ले लाद कह ंी।
क्रोध, प्रेम, संीप्रेषण ह , शब्दों की बनु नयाद कह ीं,
मुख से होता प्रकट, ददलों में बन बसता है याद कह ी।ं
शब्द सकू ्ष्म अदृश्य मगर, ना इसकी है ममयाद कह ीं,
इनसे झींकृ त धरा गगन, इससे ह सब आबाद कह ।ंी
शब्दों का फै ला शासन है, ये सत्ता है, जजहाद नह ीं,
शब्द, सत्ता मंे कायम है, ना इसपर है वििाद कह ।ंी
डॉ दहमाींशु शखे र
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 3
स्िरचित कविता सगीं ्रह “तथ्य तरींग” के मलए सन 2003 में सादहत्यकार सींसद द्िारा आिायय रामिदीं ्र शुक्ल
सम्मान से सम्माननत
तकनीकी पसु ्तक “राके ट रहस्य” के मलए रक्षा अनसु ीधं ान एिीं विकास सगीं ठन द्िारा सन 2010 मंे राजभाषा
पसु ्तक परु स्कार
4 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
सीपं ादकीय
परंीपरा का पालन करते हुए, मंै सीपं ादकीय के माध्यम
से, सभी कवियों का इस ई-पत्रिका मंे भरोसा जताने के
मलए, शकु ्रक्रया अदा करता हूँ| सभी कवियों एिीं समीक्षक
के सजम्ममलत प्रयास से ये पिू य घोवषत समय पर,
विजयादशमी (25.10.2020) को, इींटरनेट पर उपलब्ध
है| कागजी पत्रिकाओंी से अलग इसका प्रारूप मोबाइल
पर पठनीय बनाया गया है| जललपबुक की तरह प्रस्तनु त
क्रकसी भी ई-पत्रिका में सभंी ित: पहल बार प्रयोग मंे
लाई गई है| एक कवि – एक कविता, अप्रकामशत कविता,
निोददत कवियों को तरजीह, तथा समीक्षक की अनशु सीं ा
को ध्यान मंे रखते हुए कविताएीं इस अंीक मंे प्रस्तुत हंै|
इस अकंी मंे जजदीं गी का दशनय है, विस्मतृ पलों की
झलक्रकयाूँ है, स्िी विमशय है, देशभजक्त है, दहदंी और
कविता पर कु छ सोि है| सभी कवितायेँ कवि की
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 5
कल्पनाएँू हैं, जजनमंे से कु छ को व्याकरण, अथ,य भाि,
शब्द और िाक्य विदयास के आधार पर थोडा पररष्कृ त
करने की कोमशश की गई है| पर जजन कवियों को
आपवत्त थी, उनकी कविताओीं को कवि द्िारा अग्रसाररत
मूल रूप मंे ह रहने ददया गया है|
यह ई-पत्रिका के िल कवियों ह नह ंी अवपतु पाठकों की
सक्रक्रय भागीदार िाहती है| सभी पाठकों से ननिेदन है
क्रक एक सबसे अच्छी और एक सबसे बुर कविता के
ननधायरण में सींपादक की मदद करें, जजससे अगले अंीक
में पाठकों की पसीदं का ध्यान रखा जा सके | अकीं पर
प्रनतक्रक्रया व्यक्त कर इसे सशक्त बनाएंी| धदयिाद|
विजयादशमी डॉ दहमाीशं ु शेखर, पणु े
25.10.2020
6 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
कविता क्रम
1. *माीं करुणा कल्याणी* ............................................................................. 15
2. *जैसे तमु यह ंी हो*.................................................................................. 17
3. *अरसा बीत गया*................................................................................... 18
4. *बदलाि* ................................................................................................. 20
5. *दहदद है यह*......................................................................................... 21
6. *मरे मा*ँू ................................................................................................. 23
7. *कहो वप्रय,े कौन राग मंै गाऊूँ ?* ............................................................ 24
8. *अफसाने जजदीं गी के *.............................................................................. 27
9. *मंै भी रािण, तू भी रािण*................................................................... 28
10. *हुींकार* ................................................................................................ 30
11. *ओ पाक्रकस्तानी तमु कब उठोग?े *................................................... 32
12. *कशमकश* ......................................................................................... 33
13. *जजदंी गी*.............................................................................................. 35
14. *शोहरत*.............................................................................................. 37
15. *इतनी तो दशु ्मन भी खरै कर देतें हैं* ............................................... 38
16. *कविता मझु े तरे तलाश है*............................................................... 39
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 7
17. *पजू ा*.................................................................................................. 42
18. *पौरूष के अचधकार *........................................................................... 43
19. *गांधी ार का ददय* ................................................................................. 45
20. *वप्रयतम*............................................................................................. 48
21. *वप्रय दहदद * ....................................................................................... 51
22. *हम एक हंै*........................................................................................ 53
23. *आपसे क्या कहूीं* ............................................................................... 55
24. *भारत की एकता का मधुर गान है दहदंी * ......................................... 56
25. *मजु श्कल है* ........................................................................................ 59
26. *ऐ जजदीं गी*.......................................................................................... 60
27. *दहदद अपनी मातभृ ाषा* .................................................................... 61
28. *सॉर हनी*.......................................................................................... 63
29. *गजल मौसम तार है* ....................................................................... 65
30. *सोिा है तमु ्हारे जदमददन पर एक कविता मलखींू* ............................ 66
31. *गजल समझाने लगी * ...................................................................... 69
32. *इत्तफाक* ............................................................................................ 70
33. *लक्ष्य* ................................................................................................ 72
34. *उड़ान* ................................................................................................ 73
35. *झील का पानी*.................................................................................. 74
8 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
36. *सम्मान दहदद का*............................................................................ 75
37. *सकीं ल्प*.............................................................................................. 76
38. * स्ितिीं ता सेनाननयों की गाथा* ......................................................... 78
39. *गरु ु को सलाम करता हूीं*................................................................... 80
40. *स्िी िाता*य .......................................................................................... 83
41. *व्यथय नह ंी जाती प्राथनय ा* ................................................................... 84
42. *विरहाजनन*.......................................................................................... 86
43. *सनु हर यादें*...................................................................................... 87
44. *ममिों को साथ रखता हूँ * ................................................................. 88
45. *नयनों मंे बस जाओ*......................................................................... 90
46. *तमु आओ* ........................................................................................ 90
47. *मगरुर सी गजल राजसी*................................................................. 92
48. *इंीसान होना बाकी है*......................................................................... 94
49. *कविता की हत्या* .............................................................................. 94
50. *पररणनत*............................................................................................ 98
51. *कविता*.............................................................................................. 99
52. *एक नया गीत गाता हूँ* .................................................................. 102
53. *मैं समय हूंी*..................................................................................... 104
54. *अजीब है ये जजदंी गानी के ये पल* .................................................. 106
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 9
55. *माततृ ्ि*............................................................................................ 107
56. *सपनों से आगे* ............................................................................... 109
57. *एक कदया*...................................................................................... 110
58. *सपनों की उड़ान*............................................................................. 113
59. *आत्म मथीं न 2020*........................................................................ 114
60. *बेदटयों की पकु ार* ............................................................................ 116
61. *िोले पहने हजार* ............................................................................ 119
62. *बहती हुई धारा* ............................................................................... 120
63. *नौकर *............................................................................................. 122
64. *मेरा छठ*......................................................................................... 124
65. *एक पररिार* .................................................................................... 126
66. *मरे अपनी कहानी के िल कु छ ददन परु ानी* ................................... 128
67. *बहुत याद आती है पापा* ................................................................ 131
10 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
कवि क्रम
डॉ शारदा िरण, मजु लफरपरु ............................................................................. 16
डॉ क्रकरण शकंी र प्रसाद, दरभगंी ा......................................................................... 18
राके श िमा,य पणु े................................................................................................ 20
पीयषू प्रतीक, ममु ्बई ......................................................................................... 21
आशीष द क्षक्षत, कानपरु ..................................................................................... 23
नतदनी श्रीिास्ति, बगंै लोर ................................................................................. 24
मदृ ु कादत पाठक, पणु े ...................................................................................... 26
डॉ कृ ष्णा प्रसाद, दरभगीं ा................................................................................... 28
सरु ेश पररहार, पाल ........................................................................................... 29
सरु ेश िीदं ्रा, कानपरु ............................................................................................ 31
रजश्म रंीजन, बगंी लरु ु........................................................................................... 33
सपंी दा मममलदंी बोकाड,े पणु े ................................................................................ 34
पकीं ज िमा,य पणु े ................................................................................................ 36
विशाल सरपादटल, पणु े...................................................................................... 38
वपकीं ी मसिंी र "मासमू ", श्रीगगीं ानगर.................................................................... 39
विजयतंी कु मार, जमशदे परु ................................................................................ 42
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 11
विनीता शमा,य बगंी लोर........................................................................................ 43
आनदंी प्रकाश पांडी ये , पणु े .................................................................................. 44
भरत मसहीं राित, भोपाल................................................................................... 48
हेमदत लोदहया, बदू द ........................................................................................ 51
द पक िौरमसया, बस्ती...................................................................................... 53
नमै मष त्रििदे , लखीमपरु खीर .......................................................................... 55
आशा शमा,य नोयडा ............................................................................................ 56
सधु ा जयप्रकाश िमा,य पणु े................................................................................. 58
अरूण कु मार दबु ,े पटना.................................................................................... 60
ननिेददता, पटना................................................................................................. 61
सशु ीला मसहीं , पणु े.............................................................................................. 63
जस्मता कु मार, दबु ई........................................................................................... 65
माधिी मध,ु गाजजयाबाद ................................................................................... 66
डॉ रेखा मसहीं , पणु े ............................................................................................. 69
पनू म मसदहा श्रेयसी, पटना ............................................................................... 70
सरु ेश िमा,य सीतामढ ......................................................................................... 71
डॉ सतीश िदद्र भगत, दरभगंी ा ......................................................................... 73
आिँू ल दबु ,े फै जाबाद ......................................................................................... 74
व्यग्र पाण्ड,े गगीं ापरु मसट ................................................................................. 75
12 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
स्नहे कु मार, पणु े............................................................................................... 76
आशतु ोष कु मार, नोयडा..................................................................................... 78
हररराम मीणा, बदू द ......................................................................................... 80
सजु ीत उके , पणु े................................................................................................ 83
डॉ र ता मसहीं , दरभगीं ा........................................................................................ 84
श्यामल श्रीिास्ति, मजु लफरपरु ......................................................................... 86
िदद्र मोहन पोद्दार, दरभगंी ा............................................................................. 87
शरद कु मार समु न ज्ञानशे ्िर िदे पाठक मदीं ्रपु कर, सोलापरु ................................. 88
उदय नारायण मसहीं , मजु लफरपरु ....................................................................... 89
अममताभ कु मार मसदहा, दरभगंी ा ....................................................................... 90
सधीं ्या शाह , मोकामा......................................................................................... 92
ऋषभ तोमर, मरु ैना........................................................................................... 93
प्रेरणा पाररश, ददल्ल ......................................................................................... 94
राम प्रताप िौब,े पणु े ........................................................................................ 98
जयप्रकाश, मजु लफरपरु .................................................................................... 99
महेश बजाज, पणु े ........................................................................................... 102
ए•के • कश्यप, दरभगंी ा..................................................................................... 104
डॉ पषु ्पा पषु ्पध, पणु े....................................................................................... 106
डॉ स्िानत कपरू िढ्ढा, पणु े ............................................................................ 107
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 13
प्रीनत, बगंी लोर .................................................................................................. 108
रत्नेश सहाय, राूिँ ी.......................................................................................... 110
आकाश सेठी, मबींु ई ........................................................................................ 113
मीनू िमाय, नोयडा ............................................................................................ 114
सौम्या श्रीिास्ति, पणु े .................................................................................... 116
रूसो सेन गपु ्ता, के िट ................................................................................... 118
सवु प्रया पाण्ड,े ददल्ल ....................................................................................... 120
प्रभाकर जोशी, पणु े.......................................................................................... 122
डॉ अजश्िनी कु मार ममश्र, पणु े.......................................................................... 124
सगंी ीता प्रसाद, पणु े .......................................................................................... 126
कु मदु मसदहा, पटना ....................................................................................... 128
दयानदीं कु मार, पणु े ......................................................................................... 131
कु मार सौरभ, नोयडा ....................................................................................... 132
14 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
1. *मांी करुणा कल्याणी*
जय हो, जय हो, जय हो, माीं करुणा कल्याणी ।
धरती से अंबी र तक गजूीं े, जय जय भव्य भिानी ।
धरा-गगन सब जीि व्यग्र हैं, रक्तबीज के भय से,
गूींज रहा है िादहमाम स्िर, शंीुभ ननशीुंभ अजय से,
दयाय नीनत से भ्रष्ट आिरण, कु दटल हंीसी है हंीसता,
सरू ज अपमाननत सा लगता, अधंी कार अविनय से ।
देिोपम आिाहन क्रफर से, प्रकटो प्राज्ञ भिानी,
धरती से अबंी र तक गजंीू े, जय जय भव्य भिानी ।
ददशा ददशा में धुंधी नघरा है, िक्रकत भ्रममत मानिता,
मातशृ जक्त की मयादय ा को, ल ल रह दानिता,
सींसनृ त की सींस्कृ नत सकंी ट मंे, नैनतकता अनजानी,
पािन गीगं ा भी मलै हो, खोज रह पािनता ।
यशजस्िनी ! आिाहन क्रफर से, प्रकटो हे ब्रह्माणी,
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 15
धरती से अंबी र तक गीजंू े, जय जय भव्य भिानी ।
अींतर द प्त करो प्रज्ञा से, जग मग जग हो जाए,
खलु े खखले शतदल सा शोमभत, गगन मगन हो जाए,
मलय पिन सरगम सरु साधे, मंीगल धनु आराधे,
अमस तमस पर सांीध्यद प की, ज्योनत मशखा मुस्काए
।
नि दगु े आिाहन क्रफर से, प्रकटो विभु िरदानी,
धरती से अंबी र तक गंूीजे, जय जय भव्य भिानी ।
जय हो, जय हो, जय हो, मांी करुणा कल्याणी ।
डॉ शारदा िरण, मुजलफरपरु
16 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
2. *जैसे तुम यह ीं हो*
शीत के आतकीं का अब, हो रहा अिसान,
गनु गनु ी ऊष्मा का है एहसास,
जसै े तमु यह ंी हो ।
पास आती जा रह मधुमास की पदिाप ,
हो रह ताजा तमु ्हार याद,
जसै े तुम यह ीं हो ।
आम पर मंीजर खखले हंै मेरे हमदम हर तरफ,
छा रह मधगु ंधी िारों ओर,
जैसे तुम यह ंी हो।
कू कती कोयल तरदनमु की लहर मंे डू बकर ,
गंजीू ती ददल में मधरु आिाज,
जसै े तुम यह ंी हो।
िमन के साथ कै सी गुलतगू करती हिा है ,
झूमने लगती है तन की शाख,
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 17
जसै े तुम यह ीं हो।
िुभ गए सपने मंे कनतपय खार मझु को,
छू रहा मझु को कोई गलु ाब,
जसै े तुम यह ंी हो।
हमको अब तदहाइयों से है नह ीं मशकिा कोई,
खदु से कहता हूीं तुम्हार बात,
जसै े तुम यह ंी हो।
डॉ क्रकरण शंीकर प्रसाद, दरभंीगा
3. *अरसा बीत गया*
अरसा बीत गया।
दोस्तों के साथ बठै कर, एक दसू रे से बनतयाये हुए,
पी कर मय, एक दसू रे को बेमतलब समझाये हुए।
बदस्तरू जजन अपशब्दों का जमकर प्रयोग करते थे,
18 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
अरसा बीत गया, उदह अपशब्दों को जबान पर
लाये हुए।
एक धूम्रपान दजण्डका पर िार पांिी ननभरय हुआ
करते थे, अरसा बीत गया, ऐसी क्रकसी दजण्डका को
आजमाए हुए।
छािािास की अधपकी दाल मे भी आठ दस रोदटयाीं
खाए हुए, अरसा बीत गया, शुद्ध घी के साथ दो
रोट खाये हुए।
साईकल में तीन तीन, एक साथ बैठ कर धपू मंे
घमू ाए हुए, अरसा बीत गया, िार िक्री िाहन मंे भी
कह ंी जाए हुए।
एक चगलास िाय भी जहांी पाीिं लोग ममलकर पीते
थे, अरसा बीत गया, जठू ी िाय होंठो से लगाये हुए।
क्रकसी को भी भाभी बनाने िाले दोस्तों की कसम,
अरसा बीत गया, क्रकसी के घर के िक्कर लगाए
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 19
हुए।
बार बार ददल सोिता है कु छ उदास होकर,
क्या क्या पा मलया है दोस्तों से जुदा होकर।
काशक्रफर क्रकसी नुक्कड़ पर !, मेरे िो सारे दोस्त
ममल जाये,
उम्र का तकाजा न करते हुए, करें िो मस्ती क्रक
धरती दहल जाए।
राके श िमाय, पुणे
4. *बदलाि*
बहते पानी मंे ठहराि होने को है,
जैसे भी हो अब बदलाि होने को है।
हिाओीं मंे घुल रह महक, बारूद की सी,
सरहदों पर क्या टकराि होने को है।
उमर भर दहल जो तक मसकु ड़ते हम सभी,
20 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
अबकी तूफान में क्या त्रबखराि होने को है।
मयस्सर नह ंी जजन घरों में दिा तक भी,
उदह ंी गमलयों में दिा का नछड़काि होने को है।
इस मजय से अब आर पार की दरकार होने को
है,
है संभी ल रहा देश या भटकाि होने को है।
कई बीदं दशे टू ट और कई टू टने को है,
एक एक कर ह सह पर बदलाि होने को है।
पीयषू प्रतीक, मुम्बई
5. *दहदद है यह*
भारत की पहिान है दहदीं 21
भारत का अमभमान है दहदंी
सारे जग में खास है दहदीं
दनु नया का विश्िास है दहदंी
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
खदु मे ह इनतहास है दहदंी
देश की िलती साींस है दहदीं
सीसं ्कृ नतयों की खान है दहदीं
भूगोल और विज्ञान है दहदंी
खदु में ह कई रूप है दहदीं
घोर नतममर मंे धपू है दहदंी
अिधी और बदंुी ेल है यह
उदयू की एक सहेल है यह
कई रूपों मंे खखलती है यह
िारों ओर ह ममलती है यह
सब को मागय मसखाती है यह
बढना सदा बताती है यह
दहदीं का ििसय ्ि बड़ा है
दनु नया पर यह और िढा है
दहदंी के िीर मसपाह सारे
दहदंी के विस्तार के नारे
22 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
दहदीं अब स्तब्ध नह ंी है
दहदीं अब प्रारब्ध सह है
खदु में खुद की गाथा है यह
भारत भानय विधाता है यह
अपनी मातभृ ाषा है यह
जय दहदंी अमभलाषा है यह
आशीष द क्षक्षत, कानपरु
6. *मेर माूँ*
तुम्हारे साजदनध्य को तरसती, त्रबलखती, 23
तमु ्हार ममता की छाँूि में,
प्रेम से मसचंी ित पुष्प सी म,ंै
आज अपनी क्याररयों में उलझी सी
पर जानती हूँ.......
तुम हो तो मंै हूँ
तुमसे ह अजस्तत्ि है मेरा।।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
गहन अंीचधयार रात मंे,
नतममर के सिंी ास से व्यचथत.....
दरू से दटमदटमाते तारे की रोशनी सी --
सींबल देती मेर माँू ।।
मजु श्कलों के िक्रव्यूह में,
सीसं ार के कु िक्र से व्यचथत....
मीठी लोररयों की स्िरलहर सी
शजक्त देती मेर माूँ ।।
मेरे कण-कण में समाई
मेरे हर कमय मंे पररलक्षक्षत सी
थपक्रकयों और दहदायतों के पमु लदीं ों के साथ...
हर कदम प्रज्ज्िमलत करती मेर माँू ।।
नतदनी श्रीिास्ति, बगंै लोर
7. *कहो वप्रये, कौन राग मंै गाऊँू ?*
कोरोना के आतकीं से, लॉकडॉन मंे सारा देश,
24 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
ना वपक्िर, ना माल, न डयूट , घर घर में है बढता
क्लेश,
माँू के घुटने की मामलश या बेटे के गखणत का पेंि
सुलझाऊँू !
इस बदधन मंे बंीधकर,
कहो वप्रये, कौन राग मंै गाऊँू ?
सात ददनों का भूखा प्यासा, श्रममक िले पथ पे
ननराश,
सत्ता के मद में जुल्मी ने, जम के क्रकया उनका
उपहास,
रेल की पटर पर कटे या टंैकर में ठूँ सकर मरे,
बाट जोहती माता को कै से, हृदयविदारक दृश्य ददखाऊूँ !
मजबूरों से मींहु मोड़ कर,
कहो वप्रये, कौन राग मैं गाऊूँ ?
रोगी सब भगिान भरोसे, हॉजस्पटल के ऊूँ िे दाम,
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 25
आइसोलेशन, भंेदटलेटर के नाम पर िलता इनका
काम,
पीपीई क्रकट में मसमटे डॉक्टर, नसय बेिार डर लािार,
अपनों की सुचध लेने आये, पररजन को कै से समझाऊँू ,
मरते मानिता के मसान पर,
कहो वप्रये, कौन राग मैं गाऊँू ?
रोजगार, व्यिसाय हंै िौपट, क्या उत्पादन मशक्षा,
दजू े को धन देने िाले, माींग रहे अब मभक्षा,
जी डी पी तबाह हो गई, बेिूँ एल. आई. सी. या रेल,
ननजीकरण के इस बयार में,
आत्मननभरय ता का पाठ पढाऊँू ?
देश कतवय ्य से विमखु होकर,
कहो वप्रये, कौन राग मैं गाऊँू ?
मदृ ु कादत पाठक, पणु े
26 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
8. *अफसाने जजंीदगी के * 27
क्या बताऊंी आपको
नाम क्या है जजदंी गी ।
गर है खमु शयों का समंदी र
तो मशकायत जजंदी गी ।
गम अगर है जजींदगी तो,
दिा भी है जजंीदगी |
भजक्त का आनदीं है तो
दआु भी है जजंदी गी |
कोई जीता अश्क पीकर
मय को पीता है कोई।
जी तो सब लेते हंै पर ,
राहंे जुदा है जजीदं गी।
िि,य मंदी दर, मजस्जदों मंे,
सब का मामलक एक है,
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
ददल के अींदर झाकीं लो
कै से अलग है जजंीदगी ?
एक सूरत, एक मूरत
एक ह है जजंदी गी ।
मौत ह है जजसके डर से,
कांपी ती है जजंीदगी ।
जदम से अब मौत तक
जाती रह ये जजदीं गी |
जदनतें मुकाम है,
आखखर सफ़र हंै जजीदं गी ।
डॉ कृ ष्णा प्रसाद, दरभींगा
9. *मैं भी रािण, तू भी रािण*
मैं भी रािण, तू भी रािण,
जदमे देखो, हर घर रािण ।
काम, क्रोध, मद, मासंी मददरा,
28 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
िाि से सेिे तजकर सीरा,
बढ िासना, ददया अभागन,
कौन है सीता, कौन सहु ागन,
मैं भी रािण, तू भी रािण ।
िाल िल , जतन है नाना,
लूट कपट का पहना बाना,
दस शीश मलए, हैं बने दसानन,
दस दोषों से युक्त, हर आगीं न,
मैं भी रािण, तू भी रािण ।
छल से लाया, सीता लींका,
कायरता ! रणिीर पे शींका,
यदु ्ध मंे ऐसा, होता कारण,
सत्य अजेय, कपट ननस्तारण,
मैं भी रािण, तू भी रािण ।
सरु ेश पररहार, पाल
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 29
10. *हुंीकार*
बज उठी रणभेररयाीं जब युद्ध की तो,
शाीनं त का सदीं ेश देकर क्या करोगे ?
है वपपाशा रक्त की इस धरा को,
तो सधु ा की धार दे कर क्या करोगे ?
हुंीकार िीरों की गगनभेद जहांी हो,
रण थामते आदेश दे कर क्या करोगे ?
अब विजय आह्िान करने दो हमंे,
तमु हमार लाश लेकर क्या करोगे ?
छू गया आिंी ल हमार धरती का,
परतींिता की बेड़ड़याीं ले क्या करोगे ?
डकीं ा विजय का विश्ि में है अब बजाना,
भडंी ार अस्िों का बना कर क्या करोगे ?
30 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
सम्मान के आद ननरथकय हम नह ीं,
राष्र धुन बजिा के ह तमु क्या करोगे ?
लालसा िीरों की अब तक है रह ,
सज सीिं र कर राष्र दलु ्हन की तरह,
श्रीगंृ ार शाश्ित िरन करती ह रहे,
मन को आखखर दबा कर तुम क्या करोगे ?
कह रह िीरांीगनाएंी अब यहाीं,
खून से कतरों में ह मसदंी रू है,
तुम ननरथकय ह मुझे श्रगंीृ ार दे,
नया कु छ हुंीकार करके क्या करोगे ?
बज उठी रणभेररयांी जब यदु ्ध की तो,
शांीनत का सदीं ेश देकर क्या करोगे ?
सरु ेश िंदी ्रा, कानपुर 31
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
11. *ओ पाक्रकस्तानी तुम कब उठोगे? *
समग्रता जो राष्र में झलक रह है,
प्राणपन आत्मननिेदन कर रह है,
पुण्य जजस संसी ार का संीसार है,
सौहादय जजस प्रकृ नत का आधार है,
उस आधार को तुम ना पहिान सकोगे;
ओ पाक्रकस्तानी ! तुम विभ्रशंी -पथ से कब हटोगे?
एकता जो रग रग मंे घुल रह है,
जन गण मन को सूत्रित कर रह है,
सद्भािना जजस संीस्कृ नत की सींद्कृ नत है,
क्षमाशीलता जजस शूरता की प्रनतकृ नत है,
उस प्रकृ नत को तुम न कभी माप सकोगे;
ओ पाक्रकस्तानी ! इस सार तत्ि को तमु क्या जान
सकोगे?
32 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
प्रणयता जो नयनों से टपक रह है,
सद-सम-् सुहृदयों को सीपं ोवषत कर रह है,
प्रीनत जजस र नत का मलू तत्ि है,
नीनत जजस विचध का यज्ञ तत्ि है,
उस यज्ञ तत्ि की ज्िाला को तमु न कभी सह सकोगे
ओ पाक्रकस्तानी ! अपनी विकृ नत को समझ, तुम कब
उठोगे? तुम कब उठोगे? तमु कब उठोगे?
रजश्म रंीजन, बीगं लुरु
12. *कशमकश*
पहाड़ उधर भी हंै इधर भी.....
पर दरू से देखने से अच्छा है क्रक पास जाते रहे ।
पेड़ उधर भी हैं इधर भी.....
पर दरू से नजारा करने से अच्छा है क्रक उदहें छू ते
रहे।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 33
ममट्ट उधर भी है इधर भी.....
पर गींदगी मानने से अच्छा है क्रक नंीगे परै िलते रहे।
रास्ते उधर भी हंै इधर भी.....
पर बेमतलब शोर मिाने से अच्छा है क्रक खामोश रहे।
घर उधर भी है और इधर भी.....
पर द िारें बनाने से अच्छा है क्रक त्रबन द िारों के रहे।
लोग उधर भी हैं और इधर भी.....
पर बातें न कर पाने से अच्छा है क्रक अके ले ह रहे।
सकु ू न उधर भी है और इधर भी.....
मगर खशु हाल आज के साथ, कल की यादंे भी रहे।
सपंी दा मममलदंी बोकाडे, पणु े
34 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
13. *जजींदगी*
यह जजदीं गी क्या है, एक हसीन सजा है,
माीं से ममल दआु है, तो क्रकसी की दिा है।
ख्िाबों का हसीन मौसम है जजदंी गी,
ररश्तों का नाजकु बींधन है जजंदी गी।
अनसुलझे राजों का खजाना है जजदंी गी,
मौत तक जाने का बहाना है जजींदगी।
िाहत का ख्िाब मंीजर है जजदंी गी,
ईष्याय-विद्िेष का खंजी र है जजीदं गी।
ददय की कामलख पुती रात है जजदंी गी,
खुमशयों की कभी बारात है जजींदगी।
मोहब्बत मंे ममल सौगात है जजींदगी,
प्यार की महकती बरसात है जजंीदगी।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 35
धड़कनों का बेपनाह सलै ाब है जजंदी गी,
खूबसरू त लम्हों की एक क्रकताब है जजदंी गी।
कसक और कमशश का अजीब दररया है जजदीं गी
कमय के मीदं दर में जलता आशा का ददया है जजदीं गी।
लालि का भयानक दलदल है जजदंी गी,
कु छ कर गुजरने की हलिल है जजदीं गी।
जज्बातों से भरा समदंी र है जजंदी गी,
ददलों मंे प्यार का बिडीं र है जजींदगी।
सभी मुजश्कलों का हल है जजीदं गी,
खमु शयों का दो पल है जजींदगी।
पंकी ज िमाय, पुणे
36 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
14. *शोहरत*
शोहरत देने से पहले,
िह इजम्तहान लेता है ।
पहिान ददलाने से पहले,
कात्रबमलयत पहिान लेता है ।।
उसको रहम आया तो,
त्रबना मांगी े देता है।
इंीतजार करने से पहले,
झोल मंे डाल देता है ।।
कु दरत देने से पहले,
यह सब को आजमाती है ।
खुद को ननखारने से पहले,
भरोसे की सजा दोहराती है ।।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 37
िररि के साथ िले हो,
तो क्रफजूल थोड़े ह जाओगे ।
उम्मीदों के बोझ तले दबे हो,
तो ममट थोड़े ह जाओगे ।।
दआु एंी बिा के रखना,
िो मीजं र भी एक ददन आएगा ।
उसलू ों को संभी ाल के रखना,
शोहरत का पगै ाम भी आएगा ।।
विशाल सरपादटल, पणु े
15. *इतनी तो दशु ्मन भी खरै कर देतें हंै*
पल दो पल अपनापन ददखा कर, गरै कर देते हंै,
जाने क्यूँ लोग मोहब्बत की ममनारंे ढेर कर देते हंै,
38 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
तुमने खींजर िलाया तो, आखखर पीठ पर ह ना,
अरे! दोस्त, इतनी तो दशु ्मन भी खैर कर देते हंै,
सारे इंीसान बुरे नह ंी होत,े हालातों से हार जाते हैं,
बस कई बार हम समझने में थोड़ी देर कर देते हैं,
कु छ मालमू ह नह ंी क्रक, ये नफरतंे क्यूँ हंै इतनी,
आजकल तो िो सदायें भी, मुंही फे र कर देतंे हैं,
कौन कजश्तयों का एहसान, करिायें ऐ "मासूम",
हम तो मीजं जल को क्रकनारे समदंी र तैर कर देतें हैं॥
वपकंी ी मसिंी र "मासमू ", श्रीगंीगानगर
16. *कविता मुझे तरे तलाश है* 39
नछपी हो कहाीं तुम,
मुझे तरे तलाश है,
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
शब्द सत्ता मंे जगह ममले,
मलखने की अपनी आस है।
नछपी कहांी हो ए कविता,
मुझे तरे तलाश है।
ढूंीढ रहा हूीं डगर डगर ,
गमलयों मंे गमलयारों में,
नददयों में, हिाओीं मंे,
या हसीन क्रफजाओंी में,
मनोरम दृश्य है घटा ननराल ,
पीजं क्त बद्ध करने का प्रयास है,
मझु े तरे तलाश है।
विषय अनेक है कोश है खाल ,
परू ा करने की कयास है,
लकु ा नछपी बहुत हो गई,
40 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
हे कविता, मुझे तरे तलाश है। 41
ढाल द जब काक्रफ़ए मंे,
वििारों मंे उलझ गए,
जब संीजोया वििारों को,
शब्द कोष में भटक गए,
पर तमु ्हे मलखने की आश है,
तुमसे ममलने की तलाश है।
बैठ जाता हूंी जब जोड़ने,
पड़ती है कागज पर कलम,
जुबान ख्याल सब ममल जाते हैं,
साींिे मंे ढल ते जज़्बात,
शब्दों का ताना बाना जोड़ जोड़कर,
कु छ पजंी क्तयाीं मसमट गई,
बहुत जदटल है शेखर सत्या ,
िणों में कविता उलझ गई।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
हे कविता मझु े तरे तलाश है,
तुझसे ममलने की आश है।
विजयतीं कु मार, जमशेदपरु
17. *पजू ा*
पजू ा है मनन,
यह चितंी न,
यह स्मरण ।
ईश्िर का ईश्िरत्ि
मसफय पूजा से नह ंी ममलेगा।
हमें रोते को हींसाना है,
कमजोर को मजबूत बनाना है,
42 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
भेदभाि हटाना है ,
शाीनं त लाना है,
सत्कम,य सद्भाि मंे ध्यान लगाना है,
आलोिना से दरू हो जाना है,
कला, साधना, योग के पास आना है,
प्रकृ नत को थोड़ा सजाना है,
हाथ से हाथ ममलाना है,
हर कण-कण मंे खुमशयाीं लाना है।
विनीता शमाय, बीगं लोर
18. *पौरूष के अचधकार *
तुम अपने पौरुष के सच्िे अचधकार हो ।
परदहत को जीने िाले सत्य पजु ार हो ।।
है पणु ्य धरा ये जजससे, तुम पोवषत होते 43
विश्ि शाींनत के भाि मंे, खुद शोवषत होते ।
सबके दहत तुम खुद, स्ितंीि सीिं ार हो
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
तमु अपने पौरुष के सच्िे अचधकार हो ।
परदहत को जीने िाले सत्य पजु ार हो ।।
बमलदान माींगती है धरती अधीं ेरे तम का
आहुनत देनी है तुझको अपने िरम अहंी का ।
इस धरती पर तुम पले स्ियंी सत्कार हो
तमु अपने पौरूष के सच्िे अचधकार हो ।
परदहत को जीने िाले सत्य पजु ार हो ।।
पर ननदंी ा तो है ददन कमय, यह माना है
अपयश तो बस है झठू , सत्य पहिाना है ।
इस जननी के तुम सच्िे सींत सींस्कार हो
तमु अपने पौरुष के सच्िे अचधकार हो ।
परदहत को जीने िाले सत्य पुजार हो ।।
आनंीद प्रकाश पांडी ये , पणु े
44 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
19. *गाींधार का ददय*
गाधीं ार करती थी विलाप, जब पिु सभी रण में सोए।
एक व्याकु ल मांी, अपने पिु ों की, अथी पर बठै ी रोए।।
कहती सौ पुि आज मेरे, हो गये रण भमू म धरासाई।
पर दोष कह ीं मेरा भी है, उनको मंै ह ना समझा
पाई।।
दृग बंीद कभी अमभभािक के , कु ल का उत्थान नह
करत।े
अदयाई, दरु ािार , पापी, अपनों का मान नह ंी करते।।
आरंीभ हुआ था छल का जब, खोले होते यदद नयन
तभी।
तो आज न रोती व्याकु ल हो, होते समंी ुख सतु आज
सभी।।
पनत पुि मोह ना त्याग सके , तब सोि मेर भी गदंी
थी।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 45
धतृ राष्र भले तुम अंीधे थे, मैं नेििान पर अीधं ी थी।।
मैने कु छ पल आींखंे खोल ीं, दयु ोधन को फौलाद क्रकया।
एक शजक्तिान माता हूँ म,ैं पहले क्यों ना ये याद
क्रकया।।
सनु ले भारत की हर नार , गांधी ार यह बतलाती है।
मांी प्रथम पाठशाला कु ल की, होती है ज्ञान मसखाती
है।।
सुत मोह कभी मत पालो तमु , जो िक्षु ज्ञान के हैं
खोलो।
अदयाय तमु ्हे ददखलाई दे, मत शातंी रखो खुल कर
बोलो।।
बठै ी ना होती नयन मूींद, मांी का दानयत्ि ननभाती म।ंै
यदद ज्ञान िक्षु खोले होते, तो नीनतिान सुत पाती म।ंै ।
ननज भ्राता को अपने घर मंे, मनैं े अनत से रोका होता।
अपने पुिों को द्यूत हेतु, आजाद नह ंी झोंका होता।।
हाीं दोष मेरा ह है सारा, मैं शातीं रह बन कर ज्ञाता।
46 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
मंै पनत भक्ता तो बनी क्रकीं तु, बन पाई कहांी सच्िी
माता।।
कंीु ती तो विधिा होकर भी, पिु ों का साया बनी रह ।
मंै ज्ञान िक्षु को बदीं क्रकए, के िल एक काया बनी
रह ।।
माता अपनी सतीं ानों को, यदद नयन बींद कर नेह करे।
गाधीं ार बन कर के दखु झले े, बबायद हमेशा गेह करे।।
मौके पर मौके ममले मझु े, लेक्रकन मैं जड़त़ ा ना भलू ।
ये कहो मखू तय ा थी मेर , या कह लो मद में थी फू ल ।।
मैं के िल जननी बनी रह , कतवय ्य भुलाया माता का।
धतृ राष्र आप भी मौन रहे, क्यों दोष बताओ विधाता
का।।
जब द्रपु द सुता अपमाननत थी, तब मैं बठै ी थी आसन
पर।
मंै लगा नह ीं पाई अकंी ु श, अपने बेटे दशु ्शासन पर।।
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020 47
लाक्षागहृ का षडयींि क्रकया, मेरे ह अपने भ्राता ने।
तब मौन क्रकया धारण था क्यों, शत पिु िान एक माता
ने।।
माीं कंीु ती थी जो सींग रह , विपदा मंे भी सतीं ानों के ।
अनशु ामसत उसको पुि ममले, मुझे अक्स शतै ानों के ।।
सुन ले भारत की हर माता, जननी ह बन कर मत
रहना।
राित सींतानों को अपनी, सार बातंे खलु कर कहना।।
भरत मसहंी राित, भोपाल
20. *वप्रयतम*
जीिन बिा लें प्रीत मेरे।
आ गले लगा लंे प्रीत मेरे।
तरे े त्रबन जीिन है ह क्या?
जल त्रबन जैसे घन है ह क्या?
48 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
यादों का कोहरा है मन पर। 49
ख़्िाबों का बसेरा नयन पर।
तरे सूरत को तरसे है।
त्रबन मौसम आखूँ ें बरसे है।
अधरों पर हरदम नाम तरे ा।
तड़प रहा घनश्याम तरे ा।
सरू ज की पहल क्रकरण है त।ू
मेरे जीिन का प्रण है त।ू
मैं कहूँ तू पारस पत्थर।
छु कर मुझको तू स्िणय कर।
तरे बोल में शहद भरा।
मंै हूँ मानो कोई भूँिरा।
पद्मीनी की परछाई है तू।
पररयों के घर से आई है तू।
मैं क्रकतनी भी तार फ़ करूंी ,
शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020
जजतनी हो उतनी ह कम है।
इस जग मंे तो सबसे सदु दर,
सुशील मेर वप्रयतम है।।
तू मेर है अरूणा वप्रया।
तू मेर है रोशन द या।
तमु मेरे गीतों की लय हो।
पर त्रबना तरे े जीिन क्षय हो।
तुझको खोने मंे ह भय है।
तुझको पाना है, ये तय है।
मेरे ददल में खखलता बाग हो तुम।
मेरे जीिन का अनुराग हो तमु ।
तुझ सींग जी लँू, तो अमर होऊँू ।
जो बात ना हो, कातर होऊूँ ।
मेरे िेहरे की मुस्कान हो तुम।
मेरे कंी ठ से ननकला गान हो तुम।
50 शब्द सत्ता, प्रथम अकं , 2020