The words you are searching are inside this book. To get more targeted content, please make full-text search by clicking here.
Discover the best professional documents and content resources in AnyFlip Document Base.
Search
Published by gharichshika, 2021-11-12 04:43:57

अभिहस्तांतरण

अभिहस्तांतरण

अ ब क लिलिटेड रजिस्ट्रीकृ त ककये गये कायाािय को नोटटस

हमारे कम्पनी में प्रबन्धक (विक्रयो) के रूप मंे कायय करने िाले श्री .......को......... से प्रभाि साथ कम्पनी की
सिे ा में चँूकक हटा दिया गया है इसललए सेिा की समाप्ति के आिेश आिेशों की उस पर सम्यक रूप से िामील करायी
जा चुकी है और उसने िारीख ................ उसको प्राति कर चकु ा है।

इस नोदटस के जररये सभी समतु ्थानों को सचचि ककया जािा है कक कचथि श्री.. ................ ने ............... से
प्रभाि के साथ ............. कम्पनी का एक कमचय ारी नहीीं रह गया और इसललए कम्पनी की ओर से उसके साथ सवीं ्यिहार
कराने िाला कोई व्यप्ति उसके स्ियीं के जोखखमों एिम ् िाययत्ि पर इस प्रकार का रहा है और कम्पनी इसमें इसके
पश्चाि ्उसके लोपो या आयोगों के कायों में से ककसी के ललए उत्तरिायी नहीीं होगा।

प्राधिकृ त ककया गया
प्रतततनधि

उख.

अधिि रसीद सटित विक्रय करने का करार

1. इस करार का यनष्पािन िसरे भाग के िसरे पक्षकार इसमें इसके पश्चाि ् कहे गये .................... के पक्ष मंे एक
भाग के प्रथम पक्षकार इसमंे इसके पश्चाि ् कहे गये .................... द्िारा िारीख ............................. को
नयी दिल्ली में ककया जािा है प्रथम पक्ष / द्वििीय पक्ष यनबन्धन का पि जहाँू कही िे इस करार के यनकाय में
आिे हैं उनके क्रलमक िाररसान, प्रशासकगण एिम ् समनिु ेलशिीगण से अलभप्रेि और उसके अन्िगिय आयगे ंे।
जब िक यह उसके सिीं भय या अथय के विरुद्ध न हो।

2. यिः प्रथम पक्षकार ......................... मंे प्स्थि खसरा स.ीं ............. मंे से ली गयी ...................... मापमान
की होने िाली सपंी वत्त स.ीं ......................... का स्िामी एिम ् कब्जाधारी है।

3. और यिः प्रथम पक्षकार अपनी विचधक आिश्यकिाओीं एिीं अपेक्षाओीं के कारण ........................... रुपये के
एक सपंी णय प्रयिफल के ललए िसरे पक्षकार िक उपयतुय ि कचथि सम्पवत्त के प्रयोग मंे अचधकारों, दहिों,
धारणाचधकार एिम ् हको का विक्रय करने एिम ् हस्िाींिररि करने के ललए करार ककया है।

4. और अिः द्वििीय पक्षकार इस करार के यनम्नललखखि करार पायी गयी यनबन्धनों एिम शिों पर प्रथम पक्षकार
से उसको क्रय करन,े अप्जिय करने िथा काबबज रहने के ललए करार ककया है।

5. अब यह करार यनम्नललखखि रूप मंे साक्ष्य िेिा है - यह कक कचथि सम्पवत्त मंे प्रथम पक्षकार के अचधकारों दहिों,
धारणाचधकारों एिम ् हकों और उसके नीचे भलम की सपंी णय प्रयिफल मात्रा ........................ रुपये पर पक्षकारों
के बीच जो यनयि ककया जािा है, उसका सिंी ाय इस करार की िारीख से ...................... को या उसके पिय ककया
जायगे ा।

6. यह कक प्रथम पक्षकार ने िसरे पक्षकार का यह बीमा ककया है कक कचथि सम्पवत्त सभी प्रकार के विल्लगमों यह
कक बन्धकों, न्यायालय व्यािेशों, कु की, वििािों, िोनों, विलो, वियनयमनों इत्यादि से स्िितंी ्र है और यदि यह
सिा अन्यथा साबबि ककया जािा है िो प्रथम पक्षकार उसके ललए िायी एिम ् उत्तरिायी होगी।

7. यह कक प्रथम पक्षकार के पास इसी समय से कचथि सम्पवत्त का कोई अचधकार दहि या धारणाचधकार नहींी होगा
और िसरा पक्षकार सभी आशयों एिम ् प्रयोजनों के ललए इसका आज से ही एकमात्र स्िामी होगा। ककसी प्रकार

यदि कचथि सम्पवत्त की बाबि कोई भी िेय इस करार के यनष्पािन के पिय परािेय पाया जािा है िो उसका िहन
एिम ्सिंी ाय प्रथम पक्षकार द्िारा ककया जायगे ा। यह कक प्रथम पक्षकार कचथि पक्षकार या उसके नाम यनिेलशिी
के पक्ष मंे उसके अधीन कचथि सम्पवत्त के विक्रय / अिीं रण के ललए आििे न करेगा
और अनजु ्ञा प्रिान करेगा और िसरे पक्षकार या उसकी / उसके नाम यनिेलशिों के पक्ष में उसका हस्िािंी ररि
करने के ललए उचचि विलखे ों का यनष्पािन करेगा और विक्रय अनजु ्ञा को मजीं री की िारीख से अचिम िौर पर
एक सतिाह की सचना िेगा और भारि िर्य उसको उपरप्जस्टार / या ककसी राज्य के कायालय य में रप्जस्रीकृ ि
करिायगे ा।
8. प्रथम पक्षकार उसके स्वयं की जोखिम एवम ्िर्च पर दसू रे पक्षकार के पक्ष मंे सम्बन्धित ववभाग के सभी प्रकार
के आयकर समाशोिन के लिए आवदे न करेगा और प्राप्त करेगा।
9. यह कक कथथत सम्पवि के अतं रण पर सभी िर्े यह कक नगरपालिका / ननगम कर, स््ापं ड्य्ू ी, धयायािय
फीस, रन्जस्रीकरण फीस इत्यादद तथा भलू म के मलू ्य में अनान्जतच वदृ ्थि के भाग का सदं ाय दसू रे पक्षकार द्वारा
ककया जायेगा। यदद दसू रा पक्षकार सम्पवि पर पणू च स्वालमत्व प्राप्त कर िेता है तो सरकार को अदा की गयी
सभी िर्े/रकम वहन की जायेगी।
10. यह कक यदद प्रथम पक्षकार इस करार के ननबधिनों एवम ्शतों का उल्िघं न करता हंै तो द्ववतीय पक्षकार प्रथम
पक्षकार के िर्च एवम जोखिम पर तत्समय प्रविृ ककसी अधय ववथि या इस करार के ववननददचष्् अनपु ािन द्वारा
ववथि की धयायािय के माध्यम से उसके कियाधवयन को प्रभाववत करवाने का हकदार होगा या इस करार को
वविन्डित कर सके गा, और उस आकन्स्मकता मंे प्रथम पक्षकार उस हानन को परू ा करने के लिए स्वयं उिरदायी
होगा जो उसके पररणाम स्वरुप द्ववतीय पक्षकार द्वारा उठायी, उपगत की गयी, भोगी गयी और/या उठायी जा
सके गी। इस व्यवहार को ........................ के प्रयासों के माध्यम से अनं तमता प्रदान की जाती है जो दोनों पक्षों
से कमीशन प्राप्त करने का हकदार है।

जिसके साक्ष्य मंे इसके पक्षकारों ने ननम्नलिखित साक्षक्षयों की उपजथिनत मंे इन वििेिों पर अपना हथताक्षर ककये हंै।

स्थान प्रथम पक्षकार
ददनाकं कत द्ववतीय पक्षाकार

साक्षीगण

10. आडिान का वििेख

कम्पनी अचधयनयम, 1956 (1956 का 1) के अथय के अन्िर एक कम्पनी द्िारा .................. को ..................
मंे यनष्पादिि ककया गया और ......................... में अपना रप्जस्रीकृ ि कायालय य रखने िाला आडमान का विलखे (इसमें
इसके पश्चाि ्“उधार िहीिा के रूप में यनिेलशि ककया गया प्जस पि के , जब िक यह उसके सिीं भय के विर्य के विरुद्ध
न हो, अन्िगिय उत्तरििीगण एिम ् समनिु ेलशिीगण आयेगंे सप्म्मललि होंग)े भारिीय कम्पनी अचधयनयम, 1956 के
अधीन एक यनगलमि लोक कम्पनी .................. .................. के पक्ष में (इसमें इसके पश्चाि ्"उधारिािा' के रूप में
यनदियष्ट ककया गया) यिः उधार िहीिा एिम उधारिािा (इसमें इसके पश्चाि 'ऋण करार' के रूप मंे यनदियष्ट ककया
गया) के बीच ककया गया करार दिनाकीं कि .................. द्िारा उधार िािा ने उधार िहीिा को ऋण िेने एिम ्एडिासीं
िेने के ललए करार ककया है और उधारिहीिा ..................... रुपये की अचधकिम विस्िार की एक रकम ऋण करार मंे
अन्िविषय ्ट की गयी शिों एिम यनबन्धनों में पर ऋणिािा से उधार लेने का करार ककया है (इसमंे इसके पश्चाि ्ऋण
के रूप में कहा गया)"

ऋण करार की एक शिय पर है कक सभी ब्याज पररयनधारय रि नकु सानी, प्रयिबद्धिा प्रभार, पिय सिंी ाय पर या
मोचन पर प्रीलमयम, लागि,े खचय एिम ् अन्य धन चाहे जो कु छ भी ऋण करार मंे अनबु प्न्धि हो, सपृ ्जि ककये गये
और/था सपृ ्जि ककया जाने िाले पिय प्रभार के अध्यधीन रहिे हुए ििमय ान एिम ् भविष्य मशीनरी, मशीनरी स्पेटसय
यतंी ्रों िथा उपसाधनों को सप्म्मललि कर (ऋण बही को छोड़कर या उनके लसिाय) सभी उधार िहीिा के जगंी मों के
अण्डमान के रूप मंे प्रथम प्रभार द्िारा अन्य बािों के साथ-साथ प्राति ककया जायगे ा।

(i) कच्ची सामिी, अधय ियै ार ककये गये िथा ियै ार ककये गये माल, उपभोग करने योग्य स्टोसय एिम ऐसे अन्य
जंगी मों के उधार िहीिा के स्टाक पर उधार िहीिा के बकैं कारों के पक्ष में प्जन पर कारबार के सामान्य अनकु ्रम मंे
कायरय ि पजीं ी अपके ्षा के ललए उधार प्राति करने हेिु उधार िािा (इसमें इसके पश्चाि ्बकैं कार का माल के रूप में यनदियष्ट
ककया गया) द्िारा करार ककया गया है।

उधार िािा ने इन सभी विलखे ों को यनष्पादिि करने के ललए उधार िहीिा से अपके ्षा की है प्जन पर उधार
िहीिा ने इसमंे इसके पश्चाि ्अलभव्यति की गयी रीयि से करार ककया है।

अब इसलिए ये सभी वििखे यि साक्षित करता िै।

1. ऋण करार के अनसु रण मंे और ऋण करार में उपिखणिय यनबन्धनों एिम ्शिों के अध्यधीन रहिे हुए िथा प्रयोजनाथय
उधार गहृ ीिा उधार िे चकु ने एिम ् अचिम िौर पर िे चकु ने और / या ऋण उधार िेने और अचिम िौर पर ऋण िेने
चकु ने के ललए करार कर चकु ने पर उधारिािा के प्रयिफल मंे िथा पररसरों के प्रयिफल मंे, उधार िहीिा, उधार िािा के
साथ एिद्द्िारा प्रसवंी ििा करिा है कक िह उधारिािा को ऋण का प्रयिसिीं ाय कर िेगा और ऋण करार में यथा
अनबु प्न्धि एिम ् उपिखणिय रीयि से ब्याज प्रयिबद्धिा प्रभार पररयनधारय रि नकु सानी, पिय भगु िान या मोचन पर
प्रीलमयम खच,े प्रभारों एिम खचे एिम ् अन्य सभी धनरालशयों का सिीं ाय करेगा और ऋण करार के सभी यनबन्धनों
एिम शिों का प्रेक्षण एिम ्अनपु ालन करेगा।

2. ऋण करार के अनसु रण में और उपयुकच ्त प्रनतफि के लिए वतचमान एवम ् भववष्य दोनों इसकी जगं म सयं तं ्र और मशीनरी के
पजू े एवम उपसािनों तथा अधय जगं म वस्तुओं को सन्म्मलितकर उिार ग्रहीता की सपं ूणच जंगम सम्पवियाँा (ऋण बही के लसवाय)

र्ाहे िगाये गये हो या न हो और र्ाहे इस समय िुिे पडे हो या मामिों मंे हो या न हो या जो इस समय पडे हुए है या भडिारण

ककया गया हो या इन सभी ववििे ो की ननरंतरता के दौरान सयम-समय पर इसके पश्र्ात ् सभी न्स्थत उिार ग्रहीता के कारिानो

पररसरों एवम ्गोदामों में भडिारण ककया जायेगा या उनमें होगा या उनके बारे मंे या जहााँ कहीं अधय हो वही आदेश या उिारदाता
के व्ययन के ककसी पक्षकार द्वारा हो सके गा या अलभननिारच रत ककया जा सके गा या अलभवहन के अनिु म में या ऊँा र्े समदु ्र पर या

आदेश या पररदान पर (इसमंे इसके पश्र्ात ् "कथथत माि" के रूप मंे सामूदहक तौर पर ननददचष्् ककया गया) न्जसकी सकं ्षक्षप्त
ववलशन्ष््यााँ इसकी अनुसरू ्ी में दी जाती है, प्रनतभूनत के रूप मंे उिारदाता के प्रथम प्रभार के रूप मंे एतद् द्वारा आिमान ककया
जाता है और ऋण करार एवम इस वविेि के अिीन उिारदाता की पररसमावपत नकु साननयाँा, पूवच संदाय पर प्राइमा या मोर्न

िर्ों, प्रभारों, एवम ् िर्े तथा देय अधय सभी िनों में सभी दहत, प्रनतबद्िता प्रभारों को सन्म्मलित कर ऋण के पनु ःसंदाय तथा

अधय िनों के संदाय के लिए प्रनतभूनत के लिए उिारदाता के प्रथम प्रभार के रूप मंे तथा प्रभाररत ककया जाय परंतु यह तब जबकक
बकंै ार के मािपर इसके बकैं ार के पक्ष मंे उिार ग्रहीता द्वारा सनृ ्जत ककये गये प्रभारों और। या सनृ ्जत ककया जाने वािे प्रभारों को
इसकी कायरच त पूजं ी अपेक्षाओं के लिए उिार ग्रहीता के कारबार के सािारण अनिु म मंे उिार प्राप्त करना।

3. ऋण करार के अथग्रम अनुसरण में तथा उपयुकच ्त प्रनतफि के लिए, उिार ग्रहीता ननम्नलिखित रूप मंे उिारदाता के साथ
एतद्वारा अथग्रम करार करता है, घोषणा करता है और प्रसंववदा करता है।

(i) उिार ग्रहीता इसके िर्च पर कथथत माि को ववपडय एवम ् अच्छी दशा में रिता है और र्ोरी. आग,
प्रकाश, भकू म्प, ववस्फो्, दंगा, हडताि लसववि अशान्धत. तफान आिाँ ी. बाढ, नौं सने ा जोखिम
पररननिाचरण जोखिम, यदु ्ि जोखिम, और इस प्रकार अधय जोखिम द्वारा ककसी हानन या नकु सानी के
ववरुद्ि ऋण करार में यथा उपबन्धित उिार ग्रहीता उिारदाता तथा ...................... के सयं कु ्त नामों
से उसका बीमा करवायेगा। जैसे उिारदाता बीमा कम्पनी या कम्पननयों के रूप में समय-समय पर
अपेक्षा करे। उिार ग्रहीता उिार दाता को सम्यकरूप से समधदेलशत की गयी बीमा की ससु गं त
पालिलसयााँ उिारदाता को पररदान करेगा और इस ववििे की प्रनतभनू त की सपं णू च ननरंतरता को बनाये
रिेगा और उसके लिए उिार दाता को नवीनीकरण रसीदों का पररदान करेगा और सम्यक रूप से एवम
ननयलमत तौर पर सपं णू च प्रीलमयम का सदं ाय करेगा और कोई भी कायच नहीं करेगा या ककया जाने से
ग्रस्त नहीं होगा या करने या करवाने का िोप नहीं करेगा जो ऐसी बीमा को अविै ाननक बना दे या उसकी
उपेक्षा करें। व्यनतिम मंे, उिारदाता (िेककन वसै ा करने के लिए आबद्ि नहीं होगा) कथथत माि को
अच्छी दशा में रि सके गा और ववपडय बना सके गा और ऐसी बीमा को/का ग्रहण कर
सके गा/नवीनीकरण करवा सके गा। उिारदाता द्वारा सदं ाय ककया गया कोई प्रीलमयम तथा उिारदाता
द्वारा उपगत ककया गया ककसी भी िर्,च प्रभार एवम ्व्यय उिारदाता से मााँग की एक नोद्स की प्रान्प्त
पर सदं ाय की तारीि से ऋण करार की तारीि पर ऋण हेतु िागू दर पर उस पर ब्याज के साथ में

प्रनतपनू तच की जायगे ी और जब तक उसकी उिार ग्रहीता उसी उिार ग्रहीता द्वारा ऐसी प्रनतपनतच का
ववकिन उिारग्रहीता के ऋण िाते मंे नहीं कर ददया जायगे ा और कथथत माि पर एक प्रभार नहीं
होगा।
(ii) उिारदाता के नाम ननदेलशतीगण ककसी नोद्स के बबना तथा उिारग्रहीता के जोखिम एवम ् िर्च पर
वहाँा हर समय ककसी भी स्थान पर प्रवेश करने जहाँा कथथत माि हो और सपं णू च कथथत माि या उसके
ककसी भाग के व्ययन का ननरीक्षण करन,े मलू ्याकं न करने, बीमा करन,े अिीक्षण करने तथा उसकी
ववलशन्ष््याँा िने े तथा ककसी कथन, ििे ा, ररपो्च एवम ् सरू ्ना का ननरीक्षण करने का हकदार होगा।
(iii) इसके अिीन इसकी बाध्यताओं या ऋण करार में अनबु न्धित ननबधिनो, प्रसवं वदाओ,ं बाध्यताओं
एवम शतों या सम्बन्धित प्रनतभनू त दस्तावजे ों या ननष्पाददत ककये गये वविेिों के या उसके न्जनका
इसके पश्र्ात ् उिारदाता के पक्ष मंे उिार ग्रहण कताच द्वारा ननष्पादन ककया जा सके गा, के अनपु ािन
में उिार ग्रहणकताच द्वारा ककसी भगं या व्यनतिम की दशा मंे या ऋण के या तो ब्याज या ककसी ककस्त
का सदं ाय करने में असफि होने वािे उिार ग्रहणकताच की दशा मंे या र्ाहे जो कु छ भी हो ककसी भी
कारण वश उिारदाता के पक्ष मंे सनृ ्जत ककये गये प्रभार या प्रनतभनू त के प्रवतनच ीय हो जाने की दशा मंे
या इसके नाम ननदेलशतीगण ऐसे भगं या व्यनतिम की दशा मंे, ऐसे भगं या व्यनतिम या ऐसे ववस्ताररत
ककये गये समय की उिारदाता द्वारा सरू ्ना की तारीि से पधद्रह ददनों की एक कािावथि के अधदर
उिारदाता द्वारा नहीं उपर्ार ददया जाता है न्जसको लिखित तौर पर ककसी नोद्स के बबना और ककसी
कारण को समनदु ेलशत ककये बबना और उिार ग्रहणकताच की जोखिम और िर्च पर मजं ूर ककया जा
सके गा यदद आवश्यक हो तो जैसे उिार ग्रहणकताच के लिए और उसके नाम से उनका अलभग्रहण ग्रहण
वसिू ी करेगा, उनको ह्ायेगा और / या, िोक नीिामी या प्राइवे् सवं वदा से वविय करेगा। वसिू ी के
लिए प्रेवषत करेगा या सपु दु च करेगा या, अधयथा कथथत सपं णू च माि या उसके ककसी भाग का अधयथा
व्ययन करेगा या ननप्ारा करेगा और इन सभी शन्क्तयों में से ककसी का भी प्रयोग करने के लिए
आबद्ि ककये बबना उससे सम्बन्धित दावों के ककधहीं भी अथिकारों को प्रविृ करने के लिए वसिू ने के
लिए ननयत करने के लिए, उन पर समझौता करने के लिए या उनके साथ सवं ्यवहार करने के लिए या

उसके प्रयोग या अनपु ्रयोग में ककसी भी हानन के लिए और उिारदाता के अथिकारों वाद के उपर्ारों पर
प्रनतकू ि प्रभाव िािे बबना या अधयथा उिरदायी होगा। ककसी िन्म्बत वाद या अधय कायवच ाही के होते
हुए, उिारदाता कथथत माि को मागँा पर उिारदाता के नाम ननदेलशनतयों का तत्काि कब्जा देने एवम
अतं ररत करने के लिए तथा सम्बन्धित वविों, सवं वदाओं, प्रनतभनू तयों तथा दस्तावजे ों का उिार दाता
को पररदान का वर्नबद्ि देता है और उिारग्रहणकताच वसिू ी गयी िन रालशयाँा एवम सापेक्ष िर्ों के
पयापच ्त सबतु के रूप में वविय एवम ् वसलू ियों के उिारदाता के द्वारा मागं तदद्वारा प्रदलशतच ककसी
भी कमी या अपयाचप्तता की उिार दाता द्वारा मागं पर सदं ाय करने के लिए एतदद्वारा करार ककया।
परंतु ककसी प्रकार की उिारदाता ककसी हानन. नकसानी या अवक्षयण के लिए ककसी भी रूप मंे दायी या
उिरदायी नहीं होगा कक कथथत माि इस प्रकार र्ाहे जो कु छ भी हो, ककसी भी िेिे पर का नकु सान हो
जबकक उसी पर उिार दाता का कब्जा है या यथापरोक्त उिार द्वारा को उपिब्ि अथिकारों एवम ्
उपर्ारों के प्रयोग या उन प्रयोग के आिार पर और ऐसी सपं णू च हानन नकु सानी या अवक्षयण कै से भी
वह काररत ककया गया हो, उिार ग्रहणकताच के िाते में पणू तच या ववकिन कर ददया जायगे ा।
(iv) उिारदाता, एतद्वारा सनृ ्जत की गयी, प्रनतभनू त के पश्र्ात ् ककसी भी समय पर प्रवतनच ीय हो गया है
और र्ाहे हो या न हो उिारदाता का तब कब्जा हो जायेगा या उसका कब्जा ग्रहण करेगा और इसके
अिावा, ऐसी प्रववष्् या कब्जा ग्रहण करने के पश्र्ात ्उिारदाता को इसमें इसके पवू च प्रदि की शन्क्तयों
से कथथत माि का या उसके भाग का एक प्रापक या प्रापको को ननयकु ्त करवा सके गा।

ननम्नलिखित उपबन्ध ऐसे प्रापक पर िागू होंगे :

(क) जब तक उिारदाता द्वारा अधयथा ननदेश नहीं ददया जाता तब तक ऐसा प्रापक उिारदाता मंे ननदहत
की गयी सभी शन्क्तयों एवम ् प्राथिकारों को रिगे ा और उनका प्रयोग करेगा:

(ि) ऐसा प्रापक उसकी शन्क्तयों, प्राथिकारों एवम ् ननदेशों के प्रयोग में उिारदाता द्वारा समय समय पर
ककये गये और ददये गये ववननयमनों तथा ननदेशों का आदेश मानगे ा।

(ग) उिारदाता, समय-समय पर ऐसे प्रापक की पाररश्रलमक ननयत कर सके गा और कथथत माि मंे से उसका
सदं ाय करने का ननदेश दे सके गा िके कन उिार ग्रहणकताच एकमात्र ऐसी पाररश्रलमक के सदं ाय के लिए
उिरदायी होगा।

(घ) उिारदाता समय-समय पर और ककसी भी समय ऐसे रूप में उसके कतबच ्यों के सम्यक् अनपु ािन के
लिए प्रनतभनू त देने की इस प्रकार के प्रापक से अपेक्षा कर सके गा और उिारदाता को दी जाने वािी
प्रनतभनू त की रकम प्रकृ नत एवम ्मात्रा को ननयत कर सके गा और िके कन उिारदाता को ककसी भी मामिे
में ऐसी प्रनतभनू त की अपके ्षा करने के लिए आबद्ि नहीं ककया जायेगा।

(ङ) उिारदाता इस आशय की प्रनतभनू तयों का गठन करने वािी ककसी भी िन को ऐसे प्रापक को र्ुकता
करेगा न्जसका ऐसे प्रापक द्वारा उसके प्रयोजनाथच उपयोजन ककया जा सके गा और उिारदाता समय-
समय पर यह अविाररत कर सके गा कक प्रापक को ककस ननथि प्रापक ऐसे रूप में उसके कतवच ्यों के
अनपु ािन को ध्यान मंे रिते हुए स्वततं ्रता होगी।

(र्) प्रत्येक ऐसा प्रापक सभी प्रयोजनाथच उिार ग्रहीता का अलभकताच होगा और एकमात्र उिारदाता उसके
कायों एवम ् व्यनतिम, हानन या अवर्ार के लिए उिरदायी तथा उसके द्वारा प्रववष्् की गयी ककसी
सवं वदा पर तथा उसकी पारश्रलमक के लिए उिरदायी होगा और उिारदाता ऐसे रूप उसकी ननयनु ्क्त की
सहमनत देने को इसके आिार पर उसके लिए ककसी दानयत्व या उिरदानयत्व को उपगत नहीं करेगा।

(v) सपं णू च कथथत माि और सपं णू च वविय वसलू ियााँ तथा उसकी बीमा आगमों एवम ्इस प्रनतभनू त के अधदर
सभी दस्तावजे सदैव ववभदे कारी रिा जायगे ा और इस प्रनतभनू त को ववलशष्् तौर पर ववननयोन्जत ककये
गये उिारदाता की अनधय सम्पवि के रूप मंे अलभननिाचररत ककया जायेगा। और उिारदाता के ननदेशों
के अिीन मात्र व्यवहृत ककया जायेगा और उिारग्रहणकताच उिारदाता के पक्ष के लसवाय उसको ही या
उसके ककसी भाग पर ककसी प्रभार, बधिक, या अधय ववल्िगम का सजृ न नहीं करेगा और न ही उसका
या उसके ककसी भाग को प्रभाववत करने के लिए ककसी ऐसे प्रभार, बधिक, िारणाथिकार या अधय
ववल्िगम का सजृ न नहीं करेगा और न ही उसको या उसके ककसी भाग को प्रभाववत करने के

लिए ककसी ऐसे प्रभार, बिं क, िारणाथिकार या अधय ववल्िगम या ककसी कु की या आपवि से
ग्रस्त नहीं होगा और न ही उस ककसी बात को करेगा या अनजु ्ञात करेगा जो इस बात पर प्रनतकू ि प्रभाव
िाि सके गा और उिार दाता सभी िागतो एवम ् िर्ों को उपगत करने की स्वततं ्रता होगी जो इस
प्रनतभनू त का सरं क्षण करने के लिए एवम न कम ककये हुए बबना उसको बनाये रिने के लिए तथा उसके
उपिि (i) में यथावखणतच प्रनतपनू तच का दावा करने के लिए आवश्यक हो; परंतु यह तब जबकक उिारदाता
ववननददचष्् तौर पर अनजु ्ञात ककये गये ववस्तार तक के लसवाय, कथथत सपं णू च माि या उसके ककसी भाग
का वविय नहीं करेगा। उिार ग्रहीता उिारदाता को ककसी एवम ् प्रत्यके ऐसे वविय पर सदं ाय नहीं
करेगा, यदद इसके द्वारा वसै ी अपके ्षा की जाय तो उसके ही जहाँा तक समािान मंे वविय या व्ययन का
न्े आगम उिारदाता को उिार ग्रहीता द्वारा देय एवम ् सदं ेय िनों को ववस्ताररत करेगा परंतु यह तब
जबकक उिारग्रहीता, उिारदाता को सदं ाय के बबना यदद उिारदाता वसै े करार करता है, तो समतलु ्य
बडे मलू ्य के द्वारा अप्रर्लित यतं ्र को प्रनतस्थावपत कर सके गा।
(vi) उिार ग्रहीता जब कभी भी उिारदाता द्वारा अपके ्षा की जाय तब उिार ग्रहीता की सभी आन्स्तयों की
तथा कथथत माि की उिारदाता को सपं णू च ववलशन्ष््यााँ देगा और समय-समय पर सभी कथनों, ररपो्ों,
वववरणों, प्रमाणपत्रों एवम ् सरू ्ना देगा और उधहंे सत्यावपत करेगा और वसै े जैसे उिारदाता द्वारा
अपके ्षा की जाय तथा इस प्रनतभनू त को प्रभाव प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावजे ों को दे
सके गा और उनका ननष्पादन कर सके गा।
(vii) यह प्रनतभनू त ऋण करार तथा इन सभी वविेिों के अिीन उिारदाता को सभी अधय िनों के मोर्न,
एवम ् प्रनतसदं ाय या सदं ाय पर सभी दहत, प्रनतबद्िता प्रभारों, पररसमावपत नकु साननयों, प्राइमा के
साथ में ऋण के प्रनतसदं ाय के लिए एक र्ाि रहने वािी प्रनतभनू त होगी और (स्वेच्छया या अधयथा)
पररसमापन करके या ककसी अधय कम्पनी के साथ उिार ग्रहीता के ककसी ववियन, प्राख्यापन, पनु ः
अथाधच वयन या अधयथा द्वारा उिार ग्रहीता के दानयत्व को प्रभाववत नहीं करेगा, क्षीण नहीं करेगा या
उससे उधमोथर्त नहीं करेगा या उिार ग्रहीता के वर्नबधि के राष्रीयकरण या प्रबधि को कायभच ार
नहीं सभं ािगे ा।

(viii) उिार ग्रहीता एतदद्वारा यह घोषणा करता है कक कथथत माि उिारग्रहीता के एकमात्र व्ययन पर
उिारग्रहीता की हर समय पणू च सम्पवि हंै और होगी तथा उिारदाता की ववननददचष्् अनजु ्ञा से सनृ ्जत
ककये गये / और / या सनृ ्जत ककये जाने वािे प्रभारों के अध्यिीन रहते हए ककसी भी प्रभार, धयास,
थगरवी, िारणाथिकार, दावा या ववल्िगम से स्वततं ्र होगा और भववष्यगामी माि के बारे मंे एतादृश्य
उसी पर ननप्ारा करने की सपं णू च शन्क्त के सदहत उिार-ग्रहीता की आत्यनं तक एवम व्ययन करने
योग्य सम्पवि एतादृश्य नहीं ववल्िगं म ककया जायगे ा। परधतु यह तब जबकक उिार ग्रहीता कारबार के
सािारण अनिु म मंे बकैं ार के माि का वविय करने या व्ययन करने के लिए सदैव हकदार होगा और
एतद् द्वारा सनृ ्जत ककये गये प्रभार पर पववच वकच ता में रंैक के बकैं कारों के पक्ष मंे प्रथम भार के रूप में
के पक्ष में ऐसे प्रभार (प्रभारों) इसके बकैं कारों के पक्ष मंे प्रथम प्रभार के रूप मंे बकंै कारों के माि का
आिमान करने का भी।

(ix) उिार ग्रहीता एतदद्वारा इसके ए्ानी के रूप मंे उिारदाता की ननयक्त करता है और उसको करने के
लिए उिारदाता के लिए एवम उसके नाम से कायच करने के लिए उिारदाता को प्राथिकृ त करता है जो
कु छ भी उिारदाता से इन सभी ववििे ों के अिीन कायच करने की अपेक्षा की जा सके गी और सािारण
तौर पर उिारदाता को सौंपी गयी इन सभी ववििे ों द्वारा सपं णू च शन्क्तयों या उनमंे से ककसी के भी
प्रयोग मंे उिार ग्रहण कताच के नाम का प्रयोग करने के लिए तथा उिार ग्रहीता उस िर्े को वहन करेगा
जो इस ननलमि उपगत ककया जा सके गा।

(x) इसमंे कोई भी बात उिारदाता को उिार ग्रहीता की ककसी भी ऋखणता या दानयत्व के लिए ककसी वतमच ान
या भववष्यगामी प्रनतभनू त गारंद्यां, बाध्यता या डििी की बाबत उिारदाता के अथिकार या उपर्ारों
पर कोई भी प्रनतकू ि नहीं िािगे ी।

(xi) इसमंे अधतववषच ््. उपबधि समय-समय पर यथा सशं ोथित ऋण के करार के उपबिं ों के सगं त पढंे
जायेगें और ककसी असगं नत या ववरोि के ववस्तार तक पश्र्ात ् कथथत सभी आशयों एवम ् प्रयोजनों पर
अलभभावी होगा।

अनसु चू ी

(िंगम सम्पवियों की सकं ्षक्षप्त विलिजटियाँा)

जिसके साक्ष्य मंे उधार ग्रहीता ने प्रिम ऊपर लिखित दिन, महीना एिम ् िर्ष पर इसकी सामान्यता इस पर िगायी है।

साक्षीगण उिार ग्रहीता
उिारदाता
1. ..................
2. ..................

1. उसकी पत्नी की सिितत से पुत्र का टिन्दू परु ुष द्िारा दत्तक ििण।

यह सभी लोगों को ज्ञाि हो कक मंै ...................... उम्र लगभग ....................... िर्य पतु ्र .......................
यनिासी ..................... ने श्री ...................... ....................... पतु ्र .......................उम्र लगभग....................... िर्य
प्जसका नसै चगकय वपिा ....................... पतु ्र ....................... यनिासी ....................... है।

यह आगे एििद्िारा घोर्णा की जािी है कक इस ित्तक िहण के ललए मझु े मरे ी पत्नी ......................
.................... की सहमयि प्राति हुई है। श्री .................... .................... कचथि .................... का नसै चगकय वपिा श्री
....................... .................... ने ित्तक िहण में उनको िेने के ललये अपनी पत्नी ...................... .................... की
सहमयि भी प्राति की है।

यह कक इस घोर्णा पर हस्िाक्षर करने के पश्चाि ् कचथि .................... .................... ित्तक पतु ्र के सभी
अचधकारों के साथ ित्तक पतु ्र हो जायेगा।

साक्षीगण हस्िाक्षर
1. .......................
2. .......................

4. एक भिन को पट्टे पर देने का करार

यह करार एक भाग के ................ ................ पतु ्र .......... .......... (इसमें इसके पश्चाि ्पट्टाकिाय कहा गया
जो पि उसके िाररसानों यनष्पािकों, विचधक प्रयियनचधयों एिम ्समनिु ेलशयियों से अलभप्रेि होगा या िे इसके अन्िगिय
आयगे ें) और िसरे भाग के .............. .............. पतु ्र ......... .............. .............. (इसमंे इसके पश्चाि ् पट्टेिार कहा
गया जो पि उसके दहिबद्ध उत्तरियियय ों एिम ्समनिु ेलशयियों से अलभप्रेि होगा और िे इसके अन्िगिय आयेगंे) के बीच
िारीख .............. .............. को ककया गया।

यिः पट्टाकिाय .............. ... में प्स्थि पररसरों का पणय स्िामी है (इसमंे इसके पश्चाि ् कचथि भिन कहा
गया)

यिः जहाूँ पट्टाकिाय इसमें इसके पश्चाि ्उपिखणिय कालािचध िथा यनबन्धनों एिम ्शिों के ललए िो कमरों,
एक स्नान घर, एक रसोई घर एिम ्एक डब्ल / सी (इसमें इसके पश्चाि ्पट्टान्िररि पररसर कहा गया।

A. अतः अब यि करार तनम्नलिखखत रूप िें साक्ष्य प्रस्ट्ततु करता िै
एिद्द्िारा आरक्षक्षि ककये गये ककराये की िथा इसमें इसके पश्चाि ्अन्िविषय ्ट प्रसवीं ििाओंी की शिे एिम ्करार के

प्रयिफल में िथा पट्टेिार की ओर से उन सभी पट्टान्िररि पररसरों िक एिद्द्िारा पट्टाकिाय को सिीं ाय ककया जाना,
उसका अनपु ालन ककया जाना िथा उसका प्रेक्षण ककया जाना - प्रत्यके महीने के साििींी िारीख को या उसके पिय अचिम
िौर पर सिंी ेय ............... .............. (.........................रुपये मात्र) की मालसक ककराया पट्टाकिाय को कचथि यनबन्धन
के िौरान िेना और सिंी ाय करना इसमंे इसके नीचे यनबन्धनों एिम ्शिों पर .............. .......... की कालािचध के ललए
पट्टेिार को अलभयनधारय रि करने के ललए कफतसर एिम ्कफदटगंी के साथ मंे प्जसके ललए ककराया सिीं ेय है।

पटटेिार पटटान्िररि पररसरों पर कब्जा लने े के पिय िीन महीने के ककराये के समिलु ्य प्रयिभयि धन पट्टाकिाय
को भी सिंी ाय करेगा।

B. पट्टेदार तनम्नलिखखत रुप िें पट्टाकताा के साथ एतद्द्िारा प्रसवं िदा करता िै :

1. समय पर एििद्िारा आरक्षक्षि ककये गये ककराये का और विदहि रीयि से सिीं ाय करने के ललए :
2. अच्छा ककरायिे ार की िशा मंे िथा पट्टान्िररि पररसरों पर अचधकाररिा रखने िाले सरकारी िथा नगर

पाललका प्राचधकरणों के यनयमों, वियनयमनो एिम ्उप-विचधयों के अनसु ार अनसु ची । में यथािखणिय उस पर
कफदटगंी एिम ् कफतसरों के साथ मंे पट्टान्िररि पररसरों का अनरु क्षण करने िथा प्रयोग करने के ललए।
3. पटाकिाय के ललखखि सहमयि के बगरै पट्टाीिं ररि पररसर के कब्जे का अन्य भाग या कोई भाग या समनिु ेश
उपपट्टा हेिु नहींी।
4. पट्टाकिाय की ललखखि सहमयि के बबना उस पर पट्टान्िररि ककये गये पररसरों या उसके ककसी भाग को
उपपटे पर न िेना, न समनिु ेलशि करना या अन्यथा उसको कब्जे उसको न अलग करना। पटटेिार ककसी
प्रकार का एअर कन्डीसयनगंी , एअर कललगीं इप्तिपमेण्ट्स के स्थापन के लिए कोई भी आवश्यक पररवतनच
कर सके गा, पट््ेदार ऐसे सभी कफक्सरों, उपकरणों एवम ् स्थापनों को ह्ायेगा।
5. इस पट््े के अविारण से पहिे तथा उसकी समान्प्त पर उधहीं शतों पर पट््ाधतरण पररसरों को शान्धत
पवू कच देने के लिए तथा प््ाधतररत पररसरों के ररक्त कब्जे का अभ्यपणच करने एवम ्पररदान करने के लिए
जसै े यह पररसरों के अथिभोग के प्रारम्भ होने के समय पर अन्स्तत्व रिता था।
6. पट््ेदार के स्वयम के िर्च पर सामाधयतया कायच करने से यतं ्रों के नघस जाने के कारण काररत ककये गये
ववद्यतु ीकरण, जि-बम्बों के ररसाव के प्रनतस्थापन के रूप में इस प्रकार की मरम्मतों एवम ् िघु मरम्मतों
को सभी ददन-प्रनतददन करना। स्वच्छता पाइपों का ्ू ्-फू ् जाना दीवारों में इस प्रकार जसै े बडी दरारों के
पडने की मरम्मत।े
7. प्राथिकाररयों को प्रत्यक्षतः ववद्यतु एवम ् जि प्रभारों का सदं ाय करने के लिए;

C. पट्िाकताष ननम्नलिखित रूप में पट्िेिार के साि एतद्दद्दिारा प्रसवं ििा करता है :
1. पट््ाकताच के पास पट््ेदार को इस पट््े को मजं ूर करने तथा इसमें अधतववषच ्् प्रसवं वदाओं, शतों एवम ्
करारों में भाग िेने का अच्छा अथिकार एवम ् सपं णू च शन्क्त होती है।

2. पट््ाकताच पट््ाधतररत पररसरों की बावत सपं णू च करों एवम ् सावजच ननक देयों का सदं ाय करेगा।
3. पट््ाधतररत पररसरों का प्रयोग ....................... . ...................... (इसमंे इसके पश्र्ात ् पट््ेदार

कहा गया) / पट््ेदार के कथथत अथिभोगी के अतं रण के मामिे में, या यदद वह पट््ेदार के ननयोजन
मंे होने से ववरत हो जाता है तो पट््ेदार पररसरों को प्रनतिाररत करने के अपने अथिकार का त्यजन कर
देता है और वह उसी शतच पर पट््ाकताच को पररसरों का ररक्त कब्जा सौंप देगा जसै े वह अथिभोग के
समय पर अन्स्तत्व रिता था।
4. पवू च सरू ्ना सदहत ....................... ....................... पट््ाधतररत पररसरों का अथिभोगी अथिकारी
त्यों ही या तो पररसरों का ननरीक्षण या मरम्मत के लिए यनु ्क्तयकु ्त समयों पर एकदम पररसरों मंे
प्रवशे करने के लिए प््ाकताच या उसके प्रनतननथि में से ककसी को भी अनजु ्ञा प्रदान करेगा ज्यों ही
आवश्यक हो।
5. पट््ाधतररत पररसरों का आधतररक / बाहरी पेंद्गं डिस्ेम्पर करना तथा पालिस करना अथिभोगी
अथिकारी द्वारा पदाधतररत पररसरों के अथिभोग के पवू च ककया जायेगा। ......... .......................
इसका प्रत्येक तीन वषों मंे एक बार दोहराया जायेगा।
6. पट््ेदार से ककराये को प्राप्त करने पर उथर्त ककराया रसीद जारी करना।

D. यह ननम्नलिखित रूप में इस विििे के पक्षकारों के द्दिारा और के बीच करार एिम ् घोर्णा की िाती है -

1. पट््ा ककसी प्रकार का उन ननबधिनों एवम ् शतों पर ........... प्रनतशत द्वारा वदृ ्थि करके
....................... वषों की एक अथग्रम कािावथि के लिए ववस्ताररत कर ददया न्जधहें पट््ाकताच एवम
प््ेदार के बीर् करार पाया जाय।

2. इस पट््े की कािावथि के दौरान और / या इसमंे कन्ल्पत नवीनीकृ त कािावथि के दौरान ककसी भी
समय पर या तो पक्षकार दसू रे पक्षकार को लिखित एक महीने की नोद्स देने पर इस पट््े को समाप्त
कर सके गा।

जिसके साक्ष्य में इसके पक्षकारों ने ऊपर लिखित दिन एिम ् िर्ष को इस वििेि पर हथताक्षर ककया है।

साक्षीगण

1. ...................... की उपन्स्थनत में पट््ाकताच द्वारा हस्ताक्षर ककया गया और पररदान ककया गया।
2. ...................... की उपन्स्थनत मंे पट््ेदार द्वारा हस्ताक्षर ककया गया और पररदान ककया गया।

एक भागीदार के तनष्कासन को नोटटस

रजिस्ट्रीकृ त अलभस्ट्िीकृ तत देय

दिनाकीं कि...........

सेिा में

...................
....................

श्रीमान ्

कृ पया यह सचना प्राति करे कक आपने फमय के कारिार के सचीं ालन के अनकु ्रम मंे भागीिार की हैलसयि से
अिचार के यनम्नललखखि कायों को ककया है।

(इसमंे अिचार के कायों का उल्लेख करे)कृ पया इस बाि पर ध्यान िे कक अिचार के ऊपर नालमि विलखे ों के
लखे े पर भाचगिा विलखे दिनाकीं कि.............. के खण्ड संी .............. के अधीन यनदहि की गयी शप्ति के प्रयोग मंे
उपयतुय ि फमय के हम भागीिार एिद्द्िारा................से प्रभाि के साथ आपके िथा हमारे स्ियमेि के बीच एििद्िारा
भाचगिा फमय का अब धारण करिा हूँ।

भागीदारों के िस्ट्तािर

27. एक स्ट्कू ि या कािेि को स्ट्थावपत करने एिि ्चिाने के लिए न्यास वििेख -

यह विलेख एक भाग के श्री ................. ..................... पतु ्र श्री ....... ..................... उम्र लगभग
..................... िर्य यनिासी..................... (इसमंे इसके पश्चाि ्न्यास के ससंी ्थापक" कहे गय)े िथा िसरे भाग के

(1) श्री .................... ..................... पतु ्र .................... ..................... उम्र लगभग ..................... िर्य
यनिासी.................................

(2) श्री ..................... ..................... पतु ्र श्री .................... ..................... उम्र लगभग ....................
िर्य यनिासी ..................... और

(3) श्री ................. ..................... पतु ्र श्री ...... ..................... उम्र लगभग .................... िर्य यनिासी
..................... (इसमंे इसके पश्चाि न्यासधारी कहे गय)े

के बीच
िारीख ..................... .......... को ककया गया –

; यिः
(1) ससंी ्थापक इसके साथ उपाबद्ध की गयी अनसु ची में पणिय या िखणिय सम्पवत्तयों का पणय स्िामी है;
(2) न्यास का ससीं ्थापक भारि के शकै ्षखणक एिम ् सांसी ्कृ यिक काम-काज में िेश के नगर एिम उसके बाहरी स्थानों

के बाललकाओीं की लशक्षा के ललए ..................... .......... के नगर मंे स्कल / कालेज ..................

..................... .......... नाम के अधीन एक स्कल / कालजे को ससंी ्थावपि करने के प्रयोजनाथय कचथि सम्पवत्त
का विन्यास करने का इच्छु क है;
(3) न्यास िाररयों ने सजृ ित की गयी इसिंे न्यास को चिाने का करार ककया िै। अब यि तनम्नलिखखत रूप िें
एतद्द्िारा करार ककया िाता िै;
1. न्यास के उद्िेश्य है:

(क) आयय विचध के कला, विज्ञान, एिम ्दहन्ि धमय एिम ्साीसं ्कृ यिक मंे बाललकाओंी की लशक्षा
के ललए एक स्कल / कालेज को स्थावपि करना, चलाना एिम ् जारी रखना और उनके
चररत्र का विकास करने के साथ भौयिक सासीं ्कृ यिक मंे उन्हंे लशक्षक्षि करना,

(ि) ऐसे विद्याचथयय ों के ललए एक बाललका बोर्डगिं हाउस को स्थावपि करना एिम ् कायम
रखना जो कचथि स्कल / कालजे में लशक्षा प्राति करने के ललए बाहर से आिे हैं और ऐसे
रूप मंे लशक्षा प्राति करिे हंै।

2. न्यास को इसको समवपिय की गयी सम्पवत्तयों का पणय स्िामी होने िाला न्यास का ससीं ्थापक इसके साथ
उपाबद्ध की गयी अनसु ची मंे पणिय या िखणिय सपीं णय सम्पवत्त के साथ-साथ इसमंे अन्िविषय ्ट ककये गये
उपबधीं ों एिम ् शप्तियों के विर्य के साथ, उनके अधीन िथा न्यास पर उसको धारण के ललए न्यासधाररयों
की अनसु ची में पणिय या िखणिय स्टेट बकंै आफ इप्ण्डया में सरकारी िचन पत्र िथा यनयि यनक्षपे
.................. रुपये की नकि रकम से पररपणय चल आप्स्ियाूँ को हस्िािंी ररि करिा हँू।

3.
i. न्यासधारी स्कल / कालजे के ललए उपयतु ि एक भिन सयीं तीं ्र को प्रस्ििु करिा है और विदहि
प्राचधकारी से भिन सयीं तंी ्र की मजीं री पर स्कल / कालजे और इसकी बोर्डगंि हाऊस के ललए ऐसे भिन
का पररयनधारय ण करेगा। न्यासधारी के पास कचथि भलम पर ककसी भी परु ाने भिन का भजीं न करने
की शप्ति होगी यदि िे उपयतुय ि प्रयोजनाथय आिश्यक समझिे हो।
ii. न्यासधारी प्रयोजनाथय लशक्षा िेने, पि को बनाये रखन,े पररसरों को स्िच्छ रखने िथा अन्य कायों
के ललए ऐसे लशक्षण ललवपकीय एिम चिथु य िगय के कमचय ारी िनृ ्ि को यनयोप्जि एिम ् यनयतु ि

करेगंे। ऐसे कमचय ारी वनृ ्ि को ऐसे िेिनों को सिंी ाय ककया जायगे ा प्जन्हें न्यासधारी उस बोडय आफ
सके े ण्डरी इजके शन या विश्िविद्यालय द्िारा विदहि यनयम के अनसु ार वियनश्चय कर सके गे
प्जसको स्कल/कालजे को सम्बद्ध ककया जाना है।
iii. न्यासधारी न्यास यनचध एिम सम्पवत्तयों की आय मंे से न्यास के प्रयोजनाथय उपगि ककये गये खचे
को चकु िा कर िंेग।े यदि ककसी प्रकार समवपिय यनचध एिम सम्पवत्तयों से सामान्य अनकु ्रम में होने
िाली आय न्यास के उद्िेश्य को परा करने के ललए अपयातय ि पाया जािा है।
iv. न्यासधारी स्कल / कालजे की लशक्षण सभा के साधारण यनकाय की अनजु ्ञा के बबना आिश्यक
आिश्यकिाओंी के ललए भी न्यास सम्पवत्तयों का अन्य सकीं ्रामण करने या उन्हंे विल्लगम करने की
कोई शप्ति नहींी होगी प्जसके सिस्यगण स्कल / कालजे के सभी अध्यापकगण और भिपिय
स्नािक होंगे प्जन्होंने ऐसी सभा की सिस्यिा के ललए यनयलमि िौर िावर्कय अलभिाय में योगिान
िंेगे।
v. न्यासधारी स्टेट बकंै आफ इप्ण्डया या अन्य अनसु चचि एिम ् राष्रीयकृ ि बकंै ों मंे सरकारी
प्रयिभयियों या यनयि की गयी यनक्षेपों मंे िानी द्िारा न्यास की सम्पवत्त के आय से या अन्यथा
प्रोद्भि हुई उनके हाथों मंे न्यास की अचधशरे ् यनचध यनदहि कर सके गा प्जन्हें उसके ललए
सवु िधाजनक पाया जाय।
4. न्यास का ससंी ्थापक न्यासधाररयों में से एक होगा और उसके जीिन के पश्चाि ् उसके कु टु म्ब या िशंी जों का
सिशय ्रेष्ठ परु ुर् सिस्य एक सहन्यासधारी होगा और उसके कु टु म्ब या िशंी जों में एक परु ुर् सिस्य के
अनपु प्स्थि में, कोई भी लशक्षक्षि स्त्री सिस्य एक सह-न्यासी होगा।
5. यदि एक सह-न्यासी दििाललया हो जािा है िो ऐसे न्यास-धारी का पि उसके (ऋण की) शोधन क्षमिा प्राति
करने िक यनलप्म्बि कर दिया जायेगा और एक न्यासधारी के मामले मंे नयै िक अधमिा का एक अपराध
करने िाले न्यासधारी के मामले में विचध की एक न्यायालय द्िारा िोर्लसद्ध कर दिया जािा है एिम ्
िप्ण्डि कर दिया जािा है िो उसके बारे में यह समझा जायगे ा कक उसने पि ररति कर दिया है और शरे ्
रहने िाले न्यासधारी एक िसरे न्यास-धारी की यनयपु ्ति द्िारा उसके पि (सीट) को भरेगा। अिएि, न्यास

धाररयों मंे से ककसी के द्िारा पि को स्िेच्छया ररति करने या कयिपय शारीररक िबु लय िा के कारण यनयोग्य
हो जाने पर मामले मंे मामला होगा।
6. न्यास के प्रयोजनों को परा करने के िौरान यदि न्यासधाररयों के बीच राय में एक मिभिे हो िो बहमि का
वियनश्चय उस पर अलभभािी होगा जो सभी यनकायों द्िारा चलाया जायगे ा।
7. यदि न्यास इसके उद्िेश्य के अभाि के कारण असफल हो जािा है या यह अपररिजनय ीय कारणों िश कचथि
प्रयोजनों का पालन करना असम्भि हो जािा है िो न्यासधारी कयिपय अन्य समान प्रयोजन के ललए न्यास
विचध का उपयोजन करने हेिु न्यायालय मंे आििे न करेगा न्यास यनचध ककसी भी प्रकार ससीं ्थापक या उसके
विचधक प्रयियनचधयों को प्रयिियििय नहींी होगी तयोंकक यह सम्यक रूपणे रप्जस्रीकृ ि ककया जाने िाला एक
लोक न्यास है।
8. न्यास सम्पवत्त या यनचध का ककसी भी का उपयोग न्यास के उन सभी से लभन्न प्रयोजनों के ललए नहींी ककया
जायगे ा।
9. धयास सम्पवि का मलू ्य .................. ..................... .......... रुपये है और उथर्त स््ाम्प शुल्क का सदं ाय इस

धयास वविेि के रन्जस्रीकरण के लिए उस पर ककया जाता है।

जिसके साक्ष्य मंे इसके पक्षकारों ने उपयकुष ्त दिन माह तारीि को इस न्यास वििेि पर अपना हथताक्षर ककये है।

तारीि एिम ् थिान : हथताक्षर ककया..................... .......... सथं िापक
1. ..................... .......... हथताक्षर ककया . ..................... .......... न्यासी (1)
2. ..................... .......... हथताक्षर ककया . ..................... .......... न्यासी (2)
हथताक्षर ककया . ..................... .......... न्यासी (3)

न्यास सम्पवि एिम ् ननधधयों की अनुसूची

28. एक टिन्दू िजन्दर को स्ट्थावपत करने के लिए िालिका विन्यास का वििेख

यह न्यास विलेख प्रथम भाग के इसमंे इसके पश्चाि "ससीं ्थापक" कहे गये
श्री .................... .................... पुत्र श्री .................... .................... उम्र लगभग ..................... िर्,य यनिासी
.................... प्जला ....................
िथा िसरे भाग के इसमें इसके पश्चाि ्"न्यासीगण' कहे गये
(1) श्री ............... .................... पतु ्र श्री .................... यनिासी .................. और
(2) श्री .................... .................... पतु ्र श्री .................... यनिासी ....................

के बीच िारीख .................... को ककया गया;
यिः
(1) ससीं ्थापक इसके साथ उपाबद्ध की गयी अनसु ची में पणिय या िप्जिय सम्पवत्त को सभी विल्लगमों से स्िितीं ्र

दहिाचधकारी स्िामी की हैलसयि से कब्जाधारी है।
(2) उसकी आयु साठ िर्य हो गयी है और उसने अपनी शरे ् बचने िाले जीिन को िेश की लोक सेिा िथा स्िच्छन्ि

विश्ि की मानि सिे ा को समवपिय कर दिया है।
(3) उसने .................. .................. रुपये के खचय पर .................. .................. के नाम के अधीन एक मप्न्िर

िथा उपयतुय ि महन्ि का यनिास एिम ् ................ .................. रुपये के खचय पर एिद्द्िारा गदठि ककये गये

न्यास के कायालय य के ललए पतका यनमाणय धालमकय लाभ एिम ् अन्य अच्छे कारणों के प्रयिफल मंे पररयनलमिय
करिाया है और ................. में ................. .................. के सामने यनलमिय उपयतुय ि मप्न्िर में स्थावपि ककये
गये .................. ............ को समवपिय मप्न्िर एिम ् अन्य यनमाणय ों के अचिम विस्िार के ललए पथृ क
............................ रुपये रखा है।
(4) न्यालसयों ने कचथि मप्न्िर के प्रबन्ध एिम ् पजा के प्रयोजनाथय न्यालसयों की हैलसयि से कायय करने का करार
ककया है।
(5) ससीं ्थापक इस प्रकार इसके साथ उपाबद्ध की गयी अनसु ची में पणिय या िखणिय सम्पवत्त का विन्यास करने का
इच्छु क है िाकक उसके फायिे एिम ् आय मंे से कचथि मप्न्िर का पोर्ण ककया जा सके और त्योहारों एिम ्अन्य
अिसरों के िौरान उसमें ककये गये सभी रूदिजन्य समारोहों के साथ में िैयनक उपासना जारी की जा सके ।
अब यि वििेख तनम्नलिखखत रूप िें साक्षित करता िै -

1. न्यास के उद्देश्य िै :
(क) .................. में एक िसरे स्थान मंे ................. को स्थावपि करके ................... भगिान लशि का आिर

एिम ् प्रयिमा को पनु ःस्थावपि करना जो ऊपर िखणिय ................... में मप्न्िर का स्थान है िथा इसके
िास्िविक िभै ि को विकलसि करना;
(ि) कचथि मप्न्िर और इससे जडु ़ी हुई ससंी ्थाओीं का पोर्ण करना िथा उन्हें खोलना िथा दहन्िओु ीं के सभी
भागों के साथ-साथ भारि िर्य के अल्प सखंी ्यक सम्प्रिायों के अन्य सिस्यों के ललए भी खुला रहना जो
अपनी मािभृ लम के रूप में भारििर्य को अपना मानिे हं।ै
(ग) स्िच्छ सपंी णय मानििा के कल्याण के ललए ................. का प्रबन्ध करना एिम ् उसको सचीं ाललि करना
(घ) उपयतुय ि उद्िेश्यों की प्राप्ति के ललए सभी अन्य आिश्यक और सचंी ाललि बािों को करना।

2. ससंी ्थापक पणय स्िामी न्यास पर और इसमंे अन्िविषय ्ट शप्तियों एिमउपबधीं ों के साथ, उनके अधीन
िथा उनके अध्यधीन रहिे हुए उसको धारण करने के ललए न्यालसयों की इसके साथ उपाबद्ध की

अनसु ची में पणिय या वखणतच सम्पवि को एतद्वारा मजं ूर करता है, समवपतच करता है और हस्तातं ररत करता

है।

3.
(क) धयासीगण कथथत मन्धदर मंे प्रवशे करने तथा कथथत देवी-देवता की उपासना करने के लिए जानत या पथं के ककसी

भेद-भाव के बबना सभी मानव प्राखणयों को अनमु नत एवम ् अनजु ्ञा प्रदान करेगे और ककसी भी व्यन्क्त को एक हररजन

या अस्पशजच धय के रूप मंे अलभकथथत होने के कारण प्रवेश करने से इंकार नहीं ककया जायेगा।
(ि) धयासीगण अपने वववेक से ऐसे पजू ारी या पजु ाररयों को ननयोन्जत एवम ् रोजगार प्रदान करंेगे न्जधहंे वे कथथत मन्धदर

मंे पजू ा या उपासना करने के लिए उपयुक्त समझे और यथा न्स्थनत उसे या उधहंे ऐसी पाररश्रलमक का संदाय करेगा
जो वह उथर्त समझ।े वे ऐसे कमरच ्ाररयों मंे से ककसी को भी ननिन्म्बत करने एवम ् ह्ाने तथा उसे ह्ाने तथा उसके
स्थान पर एक प्रनतस्थानी को ननयुक्त करने के हकदार हैं।
(ग) धयास सम्पवि की आय में से धयासीगण कथथत मन्धदर में पूजा करने के साथसाथ मन्धदर के पजु ारी या पजु ाररयों
तथा अधय सेवकों को वेतनों का सदं ाय करने तथा अधय आवश्यक िर्ों को भी र्ुकता करने के लिए िर्ों की
अदायगी करेगें।
(घ) धयालसयों के पास ननषेिात्मक शन्क्त के प्रयोग के अध्यिीन रहते हुए धयास सम्पवि की प्रनतभनू त पर िन उिार िेने
की भी शन्क्त होगी न्जसका प्रयोग धयास के ससं ्थापक के कु ्ु म्ब या वंशजों के मध्य से ननयकु ्त ककये गये धयासी
द्वारा ककया जा सके गा।

(ङ) धयासीगण ............. ............. और / या ऐसी प्रनतभनू तयाँा न्जधहंे वह उपयकु ्त समझ,े में शुभ ववर्ारों के अिीन

मानव कल्याण सेवा में ववस्तार मंे अपने हाथों में अथिशषे ननथि को ननदहत कर सके गा।

4. धयास सम्पवि का प्रबधि एवम ् ननयतं ्रण धयालसयों में ननदहत कर ददया जायेगा।
5. ससं ्थापक एवम ् उसके वंशजों के कु ्ु म्ब का एक पववत्र एवम ् िालमकच जीवन की ओर िे जाने वािे सदस्यों मंे

एक सदैव वही उपभोग करने वािा तथा उपयकुच ्त ननषेिात्मक शन्क्त को रिने वािा धयास के सहधयालसयों में
से एक होगा।

6. यदद धयालसयों में से कोई एक ददवालिया हो जाता है या नैनतक अिमता या िथैं गक अपराि का दोषी होना पाया

जाता है छः महीने से अथिक से भारत वषच से अनुपन्स्थत रहता है या अधयथातौर पर शारीररक रूप से ननराश
बना ददया जाता है तो शषे बर्ने वािे धयासीगण उसके प्रनतस्थानी की ननयनु ्क्त करंेगे।

7. जब धयालसयों के बीर् राय में मतभेद हो तो बहुमत का ववननश्र्य यथा परोक्त ऐसे अथिकारी को रिने वािे

धयासी की ननषिे ात्मक शन्क्त के अध्यिीन रहते हुए आबद्िकारी एवम ् प्रभावकारी होगा और ऐसे ववननश्र्य
का पािन ककया जायेगा।

8. इसके उद्देश्य के अभाव की वजह से धयास के असफि हो जाने या धयास का अनपु ािन असभं व हो जाने की
दशा में, धयासीगण समरूपी प्रयोजनाथच शषे रहने वािी ववथि का उपयोजन करने के लिए धयायािय में आवेदन

करेगा।

9. धयासीगण ककसी भी दशा में नहीं धयास सम्पदा की हानन के लिए दायी नहीं होगे जब तक उधहंे या उनमंे से

ककसी को भी कप् या दवु वनच नयोग या इसके समान का दोषी होना पाया जाता है।

10. धयास की सम्पवि ककसी भी दशा में, ससं ्थापक या उसके वंशजो को या ककसी अधय व्यन्क्त को प्रनतवनततच हो

जायेगी जसै े यह एक सावजच ननक रन्जस्रीकृ त धयास है।

11. धयास ननथि का कोई भाग, अथातच , उसकी या तो समग्र या उसकी आय का प्रयोग एतदद्वारा सनृ ्जत ककये गये

धयास के लसवाय ककसी अधय उद्देश्य के लिए ककया जाता है।

12. स््ाम्प शुल्क का ननिारच ण करने के लिए इसके साथ उपाबद्ि की अनुसरू ्ी मंे पूणतच या वखणचत धयास सम्पवि
का मूल्य ....................... रुपये है और अतएव, .......... रुपये का स््ाम्प भारतीय स््ाम्प अथिननयम के
अनुच्छे द 64 के अिीन उस पर संदाय ककया गया है।

13. यह एतद्द्वारा घोवषत कर ददया जाता है कक धयास के सजृ नकताच के जीवनकाि के दौरान धयालसयों में से ककसी
की भी मतृ ्यु के मामिे मंे, धयास का सजृ नकताच के पास इस प्रकार मतृ क धयासी के स्थान में ककसी अधय धयासी

को ननयुक्त करने का अथिकार है। धयास के ननमातच ा की मतृ ्यु के पश्र्ात ् धयास के ननमाचता के कु ्ु म्ब से
सहधयासी ककसी मतृ धयासी के स्थान मंे अधय धयालसयों को ननयकु ्त करने के लिए शन्क्तमान बना ददया जायेगा
और धयास के सजृ नकताच के कु ्ु म्ब के ऐसे सह धयासी को पट््ाधतरण के मामिे मंे धयास सजृ नकताच के कु ्ु म्ब
या वशं जो का सवाथच िक योग्य एवम ् पववत्र परु ुष व्यन्क्त अधय उिरवती धयालसयों द्वारा सहधयासी के रूप मंे
नाम ननदेलशत ककया जायेगा।

जिसके साक्ष्य मंे इसके पक्षकारों ने ऊपर लिखित प्रिम तारीि एिम ् िर्ष को ननटपादित ककया है।

दिनाकं हथताक्षर ............. .............
थिान ककया ............. .............

साक्षीगण (संथिापक)

1. ............. हथताक्षर.............
2. . ............. ककया............. .............1
हथताक्षर ककया.............2
हथताक्षर ककया.............3

न्यास वििेि की अनसु ूची

1. ..................रुपये.............. के मूल्याकं कत मन्धदर का ननमाणच तथा उस पर स्थावपत देवी-देवता।
2. धयास के कायाचिय के लिए एक पक्का कमरा। ............. ककया गया मूल्याकं न ............. रुपये.............

3. महधत के ननवास एवम ् स्नानागार तथा उससे सहबद्ि शौर्ािय के लिए एक पक्का कमरा। ................. ककया
गया मलू ्याकं न .................. रुपये .............

4. देवी-देवता को समवपतच ककया गया तथा धयालसयों को पररदान ककया गया नकद िन ................. रुपये
.................।

............. .............
हस्ताक्षर ककया, संस्थापक 'ने;
............. .............

हस्ताक्षर ककया धयासी (1)
............. .............
ने हस्ताक्षर ककया धयासी (2)
............. .............
ने हस्ताक्षर ककया धयासी (3) ने

11-क. िततपतू ता बन्िपत्र

इस क्षयिपयिय बन्धपत्र का यनष्पािन (बकैं का नाम) के पक्ष मंे िारीख .................... .................... को ..........
.................... तारीि .................... .................... को .................... .................... द्िारा ककया जािा है। यिः मंै
.................... .................... के नाम एिम ्अलभनाम से फमय में 50% भागीिारी धारण कर रहा हूँ।

और यिः मात्र अन्य िथा 50 भागीिार ................ .................... की मतृ ्यु िारीख ....................
.................... को हो गयी (इसके साथ उपाबधंी की गयी मतृ ्यु प्रमाण पत्र की प्रयिललवप)

और यिः फमय (फमय का नाम) श्री ................. .................... की मतृ ्यु पर विघदटि कर िी जािी है और मझु े
फमय के उन परािेयों की िसली करके कारबार के प्रििनय को पररसमावपि करके चलाना पड़िा है प्जन्हें अनेक लेनिारों
के अलभलखे ों में फमय के नाम से धारण ककया जािा है। और उन यनचधयों में से खचों को उपगि करना पड़िा है जो ििमय ान
समय मंे (बकैं का नाम) की उपयतुय ि शाखा .................. .................... के साथ चाल बकंै खािा स.ंी ..................
.................... में यनक्षपे ककया हुआ पड़ा है।

और यिः श्री .................. .................... मिृ क 50% भागीिार यनम्नललखखि िाररसानों द्िारा उत्तरजीिी
छोड़ दिया जािा है।

1.
2.
3.
4.
5.

श्री .................... .................... मतृ ्योपरान्ि कोई बबल नहीीं छोड़ी है और उपयतुय ि के लसिाय कोई अन्य
विचधक िाररस नहीीं है।

बकैं के प्रयिफल मंे फमय की कचथि चाल खािा स.ीं ................... .................... पर चाल करने के ललए मझु े
अनजु ्ञाि करना और यनक्षपे की हुई पड़ी हुई रकम को िापस करना या प्जसका कचथि खािा या मेरे नाम से ककसी खािे
को इसके पश्चाि ्सिीं ाय कर दिया जाय और या अिंी ररि कर दिया जाय, या मरे े द्िारा चलाया जाने के ललए मैं क्षयिपयिय
करने िथा सभी िािों के विरुद्ध बकंै की क्षयिपयिय करिाने के ललए िचनबन्ध िेिा हँू।

प्जसके साक्ष्य मंे हमने यनम्न की उपप्स्थयि में .................... .................... को िारीख ... ....................
को साक्षी की उपप्स्थयि मंे अपना हस्िाक्षर बनाया है :

साक्षी : (... .................... ... ....................)
1... .................... ... .................... (... .................... ... ....................)
2... .................... ... ....................

27-क. गरीब बािकों की सिायता करने के लिए न्यास का वििेख।

एक भाग के .............. ................. मंे ििमय ान समय मंे यनिास करने िाले ...... ................. (न्यास का
सजृ नकिाय कहा गया िथा िसरे भाग इस विलखे के ित्समय प्रितृ ्त होने के कारण न्यासी ................. ................. में
ििमय ान समय मंे रहने िाले ................. ................ प्जस पि के अन्िगिय जब कभी भी सिीं भय िसै ा स्िीकृ ि करे या
अपेक्षा करे, कचथि न्यासीगण एिम ्उत्तरििी या उनके उत्तरििीगण िथा उत्तराचधकारीगण, यनष्पािकगण एिम ्ऐसे
उत्तरििी के प्रशासकगण, उनके या उसके समनिु ेलशिीगण िथा न्यासीगण आयेगें।

यिः
(1) न्यास का सजृ नकिाय उच्चिर लशक्षा के ललए उन्हें प्रयोप्जि करके गरीब बालकों की सहायिा करना;
(2) अनेक स्कलों से चययनि ककये गये बालकों की भटे ों को प्रायोप्जि करना:
(3) एक स्कली पोशाक, ककिाबंे इत्यादि का प्रबन्ध करके ;
(4) व्यािसाययक प्रलशक्षण, अनके पाठ्यक्रमों के ललए यनःशलु ्क लशक्षण िेना;
(5) िदृ ्धािस्था यनिास स्थान;
(6) आिास विहीन बालकों के ललए शरण;
(7) गरीब / िामीण लोग के ललए चचककत्सीय सवु िधाएीं;
(8) बागिानी;
(9) खेलकि;
(10) प्राकृ यिक आपिा से पीर्ड़िों सहायिा िेना;

और यिः ऐसी इच्छा को प्रभािकारी बनाने के ललए उपयतुय ि प्रयोजनाथय न्यास का सजृ नकिाय ने इस आशय
के साथ न्यालसयों को .......... .................रुपये (................. रुपये मात्र) का पररिान ककया है कक िे न्यास पर िथा उसी
से सम्बप्न्धि एिम ् इसमें इसके पश्चाि ् घोवर्ि की गयी शप्ति एिम ् उपबन्धों के अध्यधीन रहिे हुए उससे उद्भि
होने िाली कचथि रकम एिम ्आय को धारण करेगंे प्जसको न्यास धाररयों ने करने का करार ककया है।

और यिः न्यालसयों ने ऐसे रूप मंे व्यप्तिगि िौर पर िथा सामदहक िौर पर कायय करने का करार ककया है
और पहले से ही न्यास के सजृ नकिाय की उपयतुय ि इच्छा के अनसु रण कचथि नकि को कब्जा में ले ललया है प्जसने
यथापरोति न्यास के प्रयोजनाथय न्यासधाररयों को उसको अप्रयिसहंी रणीय िौर पर अिंी ररि कर चकु े हैं िथा उसको सौंप
दिये हं।ै

अब अतएि यि न्यास वििखे घोषणा करता िै और साक्षित करता िै।

1. यह कक ऊपर पररसरों के अनसु रण में व्यिस्थापक की हैलसयि से न्यास के सजृ नकिाय न्यास पर उसी को धारण
करने के ललए नकि न्यासी को एिद्द्िारा ही हस्िािीं ररि करिा है और व्यिस्थावपि करिा है और न्यासीगण
इसमें इसके पश्चाि ् िप्जिय शप्तियों के साथ िथा उपयोगों के अध्यधीन रहिे हुए उनमंे से प्रत्यके एिद्द्िारा
उन्हें अिंी रण को स्िीकृ ि एिम ् अलभस्िीकृ ि करिे हं।ै

2. यह कक न्यासी का नाम ................ ................. में इसके रप्जस्रीकृ ि कायायलय सदहि ....... .................
लोक खरै ािी न्यास होगा।

3. यह कक न्यास
(1) उच्चिर लशक्षा के ललए उन्हें प्रायोप्जि करके गरीब बालकों की सहायिा करना;
(2) अनके स्कलों से चययनि स्कल बालकों के यनरीक्षण को प्रायोप्जि करना
(3) स्कल पोशाकों, पसु ्िकों, फीस इत्यादि का प्रबन्ध करके ;

(4) व्यािसाययक प्रलशक्षण,

(5) विलभन्न पाठयक्रमों के ललए यनःशलु ्क लशक्षण कायय करनाः

(6) िदृ ्धािस्था भिनः

(7) भवन; ववहीन संतानों के लिए आश्रय;

(8) बागवानी;

(9) ििे कू द तथा

(10) प्राकृ नतक आपदाओं के लशकार हुए की सहायता करना तथा उधहें सहायता देना के उद्देश्य के साथ स्थावपत ककया

गया है।

4. यह कक धयासी का एतद् द्वारा हस्तांतररत की हुई एवम व्यवस्थावपत की हुई नकदी कब्जा हुआ बना रहेगा तथा वह

यथापरोक्त धयास के प्रयोजन एवम ् उद्देश्य के लिए तद्वारा व्यतु ्पधन हुए ब्याज िाभ एवम ् अधय आय का प्रयोग एवम ्
उपयोजन करेगा।

5. यह कक धयासी को तद्वारा हस्तातं ररत की हुई नकदी समग्र धयस्त सम्पवि का ननमाचण करेगी िेककन धयालसयों के पास
समय-समय पर आवश्यकता की आपवाददक पररन्स्थनतयों को छोडकर और महत्वपणू च समय पर धयालसयों के बोिच के

उसके बारे मंे एकमत ववननश्र्य पर मात्र समग्र धयास को बढाने या घ्ाने की शन्क्त होगी।

6. यह कक धयास धयालसयों के बोिच द्वारा शालसत ककया जायेगा। तत्समय धयासी बोिच इसमंे इसके ऊपर वखणतच धयालसयों

का गठन करेगा न्जसको धयासी की हैलसयत से ककसी अधय व्यन्क्त को नाम ननदेलशत करने के लिए एतद्द्वारा प्राथिकृ त

एवम ् सशक्त ककया जाता है जब तक ककसी समय पर धयालसयों की संपूणच सखं ्या पााँर् से अथिक नहीं होती है। मतृ ्यु,
असमथतच ा, ददवालियापन, ऐसे रूप में कायच करने से ककसी धयासी की ओर से त्यागपत्र या इंकार की दशा मंे शेष रहने वािे

धयासी ककसी अधय व्यन्क्त को नाम ननदेलशत करने के हकदार हंै न्जधहंे वे ऐसे रूप में कायच करने से त्याग पत्र देने वािे

या इंकार करने वािे ननःशक्त बना ददये गये, ददवालिया घोवषत कर ददये गये, इस प्रकार मर जाने वािे धयासी के स्थान

पर धयासी के रूप मंे कायच करने के लिए उपयुक्त एवम ् उथर्त समझता हो। एक धयासी के रूप में ककसी व्यन्क्त का नाम
ननदेशन या तो सवसच म्मत होगा या एक बहुमत ववननश्र्य द्वारा होगा और ककसी व्यन्क्त के नाम ननदेशन पर समान रूप

से ववभक्त कर ददये गये धयालसयों की दशा में, प्रबधि करने वािे धयालसयों के मामिे में ववननश्र्य अंनतम एवम ् ननणायच क
होगा। .
7. यह कक एतद्द्वारा गदठत ककये गये धयास का प्रशासन और धयास सम्पवि का सपं णू च ननयतं ्रण पयवच ेक्षण, ववननयमन,

प्रबधि तथा संपूणच दानों एवम ् योगदानों एवम ् अलभदायों के रूप मंे भी उसकी संपूणच या आंलशक आय एवम ् प्रसवु विाओं
का उपयोजन भी यदद कोई भी इसके द्वारा प्राप्त ककया जाय तो इसमंे इसके पूवच यथा अधतववषच ्् ककये गये उपबंिों के
ककसी प्रकार सदैव अध्यिीन रहते हुए धयासी बोिच के अननयन्धत्रत वववके ाथिकार मंे ववदहत होगा।

8. यह कक धयासी बोिच धयास के प्रशासन के लिए तथा उसके प्रयोजन तथा ववषय का सम्पादन करने के लिए ननयमों एवम ्

ववननयमनों को ववरथर्त कर सके गा और उसको ही धयास के प्रयोजन एवम उद्देश्य का सम्पादन करने तथा उसके प्रशासन

को और अथिक प्रभावकारी अधतःस्थावपत करने की दन्ष््कोण से धयासी बोिच के सवसच म्मत ववननश्र्य द्वारा समय-
समय पर फे र-फार, पररवतनच प्रनतस्थापन या विनच ककया जा सके गा। ऐसे ननयम ववननददचष्् तौर पर एक सवाचथिक िाभ

प्रदान करने वािी रीनत से क्षात्रववृ ि के अथिननणयच के लिए ववद्याथथयच ों के र्यन के आिार या मानदंि को उपबन्धित कर
सकंे गे और राज्य सरकार की लशक्षा ववभाग द्वारा क्षात्रववृ ि की मजं री के लिए ववद्याथथयच ों के र्यन के लिए भी उपबंि
कर सके गा न्जसमें इधजीननयररगं या थर्ककत्सा कािेज या ववश्वववद्यािय न्स्थत है या इस शतच के ककसी प्रकार सदैव

अध्यिीन रहते हए सम्बन्धित कािेज या ववश्वववद्यािय द्वारा अधय ककसी भी न्स्थनत में नहीं ऐसा र्यन जानत, पधथ

या िमच न्जसको कोई ववद्याथी मानता है।

9. यह कक धयासी बोिच के पास उसके साथ सिं ग्न ककधहीं ववलशष्् शतों के या तो साथ या उनके बबना मात्र नकद तौर पर
दसू रों से दान स्वीकृ त करने की शन्क्त होती है। परतु यह तब जब कक कोई भी ऐसी शतच उसके िडि (3) के उपबंिों का

उल्िंघन नहीं करती है। उधहीं शतों के अध्यिीन रहते हए धयासी बोिच ककसी व्यन्क्त या उन व्यन्क्तयों को ककसी भी समय
आमन्धत्रत कर सके गा और उससे या उनसे एतदद्वारा गदठत की गयी एवम ् घोवषत धयास के समथनच एवम ् प्रसुवविा के
लिए सावथिक योगदान या अलभदाय इस प्रकार सदैव ककसी का भी प्राप्त कर सके गा।

10. यह कक धयासी बोिच समय की ककसी भी कािावथि के लिए प्रबधि धयासी के रूप में उनमंे से ककसी को भी र्यननत या नाम
ननदेलशत कर सके गा िेककन प्रथम प्रबधि धयासी ..................... होगा और वह ऐसे रूप में कायच करने के लिए उसकी
मतृ ्यु असमथचता ददवालियेपन, त्यागपत्र के समय तक उस पद या ददि को िारण करेगा।

11. यह कक धयासी बोिच की प्रथम बठै क इस वविेि के ननष्पादन की तारीि के तीन महीनों के अधदर की जायेगी और ऐसे

स्थान एवम ् समय पर ककया जाने के लिए सभी धयालसयों को लिखित कम से कम सात ददनों की नोद्स देकर के धयास
के सजृ नकताच द्वारा समन की जायेगी न्जसे समय में ववननददचष्् ककया जाय और उस बठै क मंे धयास से सम्बन्धित सभी

मदु ्दों पर ववस्ततृ तौर पर संभवतः ववर्ार ककया जायेगा तथा ववशेष तौर पर धयास वविेि के उपबंिों को प्रभावकारी
बनाने के लिए इस धयास के उद्देश्य एवम ् प्रयोजनाथच को प्राप्त करने के लिए मागों एवम रीनत पर।

12. यह कक धयालसयों को इस धयास के ननष्पादन के सम्बधि में उसको सौंपे गये कतवच ्यों का पािन करने मंे एक सथर्व की

ननयुन्क्त करने के लिए तथा ऐसा वते न धयास ननथि मे से उसको संदाय करने के लिए एतदद्वारा प्राथिकृ त एवम ् सशक्त

ककया जाना है न्जसे धयासो तत्समय उथर्त समझ,े परधतु यह तब जबकक धयालसयों मंे ककसी भी एक की ननयनु ्क्त सथर्व

के रूप में कर दी जाय तो वह ककसी भी वेतन को प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा और न ही उसको सदं ाय ककया जायेगा।
धयासी ऐसे कमरच ्ारी वधृ द की भी ननयुन्क्त कर सके गें न्जधहें वे ऐसे वेतन पर धयास के प्रयोजनाथच समीर्ीन एवम आवश्यक
समझे जो वे प्रत्येक मामिे मंे ववननश्र्य कर सके ।

13. यह कक इसमें इसके पवू च ऐसी शतों के अध्यिीन रहते हुए धयासी धयास ननथि की होने वािी नकद तौर पर ....................
रुपये से अथिक ककसी भी समय या तो स्वयमेव के हाथों मंे या धयास के ककसी सथर्व और / या ककसी अधय कमरच ्ारी या
ककसी भी दसू रे व्यन्क्त के साथ में नहीं रिगे ा और धयास की होने वािी सपं ूणच नकदी या रोकड .................. बकंै या

ककसी अधय अनसु थर्त बकंै में जमा कर दी जायेगी न्जसको धयासीगण ननणीत करें। धयास ननथि से सम्बन्धित बकंै कारी
िाता कम से कम दो धयालसयों के हस्ताक्षरों के अिीन र्िाया जायेगा न्जनमंे से प्रबधिक धयासी एक होगा िेककन यदद
ककसी भी समय ऐसे रूप में र्यननत या नाम ननदेलशत ककया गया होने के रूप में ननथि का कोई प्रबधिक धयासी नहीं है
तो धयास से सम्बन्धित बकैं कारी िाता महत्वपणच समय पर ननथि के सभी धयालसयों के हस्ताक्षर के अिीन मात्र र्िाया
जायेगा।

14. यह कक धयासीगण ऐसे प्रभारो के सदं ाय पर यथा परोक्त बैक या बकंै ो मंे धयास सम्पवि की ववरर्ना करने वािे भाग या

उससे सम्बन्धित ककधही दस्तावेजों या प्रनतभूनतयों की सरु क्षक्षत अलभरक्षा के लिए ननक्षपे उनकी अननयन्धत्रत वववेकाथिकार
मंे कर सकंे गे उसके लिए यदद ककसी पर सहमनत पायी जाय और धयासदहत मंे समीर्ीन पाया जाय।

15. यह कक धयासी बोिच की बैठक ऐसे स्थान एवम ऐसी तारीिों पर ऐसे समय की जा सके गी न्जस पर धयालसयों द्वारा सहमनत
व्यक्त की जाय। ऐसी बैठक समय, स्थान एवम ् बैठक की तारीि को ववननददचष्् करने वािी तथा ऐसी बैठक के प्रयोजन

को उपदलशतच करने वािी भी सभी धयालसयों को लिखित कम से कम सात ददनों की नोद्स देकर धयालसयों में से ककसी

एक या अथिक के द्वारा बिु ायी (समन) की जा सके गी। िेककन धयासी बोिच की बठै क एतद्द्वारा गदठत ककये गये धयास

के िेिा तथा उसकी िेिा परीक्षा के पश्र्ात एक र्ा्चि एकाउड्ेध् द्वारा यथा तयै ार ककये गये उन िेिाओं से सम्बन्धित
ररपो्च पर ववर्ार करने तथा उधहें अगं ीकार करने के लिए प्रत्येक वषच मंे कम से कम एक बार आयोन्जत की जायेगी।

16. यह कक एतद्द्वारा गदठत ककये गये धयास से सम्बन्धित संपणू च प्रान्प्तयाँा एवम ् सन्म्वतरणों का सत्य एवम ् उथर्त िेिा
धयालसयों, उसके सथर्व और / या धयास के कमरच ्ारी (गण) द्वारा रिा था न्जधहें उस बारे में कतबच ्य सौंपा गया है। प्रत्येक
वषच 31 मार्च को या उसके पश्र्ात उस तारीि तक संपणू च वषच के लिए आय और व्यय िेिा और धयास के मामिों से
सम्बन्धित उसी तारीि पर जसै े आन्स्तयों एवम ् दानयत्वों की एक बिै ेधस शी् उसी वषच की 30 ददन के द्वारा कम से कम
तयै ार की जायेगी। इन िातों तथा बैिेधस शी् का एक र्ा्चिच एकाउड्ेध् द्वारा िेिा-परीक्षा एवम परीक्षण ककया जायेगा

न्जधहें ऐसे पाररश्रलमक पर इस प्रकार िेिा परीक्षा के प्रयोजनाथच धयासी बोिच द्वारा ननयोन्जत ककया जा सके गा न्जसे वे

आवश्यक एवम ् समीर्ीन एवम ्वांनछत समझ।े के पश्र्ात ही यथा शक्य शीघ्र, धयासी बोिच की बठै क आयोन्जत की जायेगी

न्जस पर एतद्द्वारा गदठत ककये गये धयास का िेिा तथा उससे सम्बन्धित िेिा परीक्षा की ररपो्च का परीक्षण ककया
जायेगा और वह अगं ीकार ककया जायेगा।

17. यह कक यदद धयासी ननदेश के साथ ककसी ऐसे मुद्दे की बावत एक दसू रे से मतभेद रिते हंै न्जस पर वे वववेकाथिकार का

उपभोग करते हैं तो धयालसयों के बहुमत की राय तथा बठै क मंे मतदान अलभभावी होगा और सभी धयालसयों पर आबद्िकारी

होगा तथा समान रूप से ववभक्त ककये गये धयालसयों की दशा मंे, प्रबधिक धयासी द्वारा ग्रहण ककया गया दृन्ष््कोण ऐसे

मुद्दों का ववननश्र्य करने में अलभभावी होगा।

जिसके साक्ष्य मंे न्यास के सिृ नकताष तिा इसके न्यालसयों ने ऊपर लिखित दिन, माह एिम ् िर्ष को ............. मंे साक्षक्षयों

की उपजथिनत में इस न्यास वििेि पर क्रमिः अपना अपना हथताक्षर बनाया है।

साक्षीगण (न्यास के सिृ नकताष)
................. (न्यासी)
पता : ................. (न्यासी)
पता : ................. (न्यासी)

चकै के अनादर के लिए परक्राम्य लिखत अधितनयि की िारा 138 के अिीन नोटटस रजिस्ट्रीकृ त देय
अलभस्ट्िीकृ तत

(में) ......................... दिनाींककि......................

.................................
..................................

श्रीमान

मरे े मिु प्तकल ................ के अनिु ेशों के अधीन िथा उसकी ओर से मंै उत्तरििी परै ो मंे नाटेप् स के रूप में
आप पर िामील करिा हँू :

1. यह कक कम्पनी के श्री ............................ के राज्य में विक्रय के ललए इसके उत्पाि की आपयिय के ललए
मरे े मिु प्तकल (म.े ) ............ को पहुंीचा था।

2. यह कक चूँकक श्री ...... ......... ............ के राज्य मंे मरे े मिु प्तकल के उत्पाि के प्राचधकृ ि व्यापाररयो
............... का एक यनिेशक भी था, इसललए मेरे मिु प्तकल ने आपकी कम्पनी को इसके उत्पाि में पयिय
करने के ललए करार ककया था।

3. यह कक श्री ............. के अनरु ोध पर मरे े मिु प्तकल ने आपकी कम्पनी यनिेशक को बीजक सीं .................
दिनाींककि .............. के विरुद्ध .............. रुपये मल्य के इसके विलभन्न उत्पािो की पयिय ककया।

4. यह कक कम्पनी ने आपको मेरे मिु प्तकल द्िारा की गयी आपयियय ों के सिीं ाय में मेरे मिु प्तकल को
................ ललखे गये ............... रुपये के ललए एक चैक स.ंी ................. दिनांीककि ................ िे दिया
था िेखे बीजक स.ीं .............. दिनांकी कि ............

5. यह कक मरे े मिु प्तकल ने सिंी ाय के ललए कम्पनी .............. के बकै ार को कचथि चकै को प्रस्िि ककया,
ककसी प्रकार कम्पनी के बकै ार ने "लखे ीत्राल को यनिेश" दटतपणी के साथ ............... की मेरे मिु प्तकल को
कचथि चकै िापस कर दिया।

6. यह कक कम्पनी के बकै कारों से असिंी न्ि के रूप में चकै की प्राप्ति पर मरे ा मिु प्तकल आपको मरे े मिु प्तकल
द्िारा भेजी गयी सामिी के सिीं ाय मंे मरे े मिु प्तकल की िी गयी. .... रुपये के ललए चकै स.ीं ...............
दिनांीककि के अनािर के बारे में उसमंे सचचि करने िाली अनािर संी ................ दिनाकीं कि .............. की
एक नोदटस भेजा। अनािर की कचथि नोदटस मंे मेरे मिु प्तकल ने यह सचना िी कक मान ले अनाहि चैक
का सिीं ाय पत्र की प्राप्ति के साि दिनों के अन्िर नहीीं प्राति ककया जािा है िो मेरा मिु प्तकल, विचधक
कायिय ादहयों का आश्रय ले करके चकै की रकम को िसलने के ललए कायिय ाही करेगा। -

7. यह कक अनािर की कचथि नोदटस के बािजि भी आप साि दिनों की अनबु प्न्धि कालािचध के अन्िर मेरे
मिु प्तकल को अनाहृि ककये गये चकै का सिीं ाय करने मंे असफल हो गये

8. यह कक आप उस भगतान की तारीि तक ................. प्रनतशत वावषकच दर से ब्याज सदहत ......... रुपये
की रकम मरे े मवु न्क्कि को सदं ाय करने के लिए उिरदायी है आप न्जसका आप पर तामीि करायी गयी
अनादर की नोद्स के बावजदू भी मरे े मवु न्क्कि को सदं ाय करने मंे असफि हो गया है और उसकी उपके ्षा
की है।

मैं अब आप से भगु तान मेरे मवु न्क्कि को ककया जाने तक ............... % वावषकच दर पर ब्याज सदहत ................ रुपये
की रकम मेरे मुवन्क्कि की सदं ाय करने की इस नोद्स के जररये अपेक्षा करता हूाँ, और मान िे सदं ाय इस नोद्स की प्रान्प्त की

तारीि से पधद्रह ददनों के अधदर मेरे मुवन्क्कि को नहीं ककया जाता है तो मेरे पास मदु दे पर अथिकाररता रिने वािी ववथि की
धयायािय मंे कथथत रकम की वसूिी के लिए आपकी कम्पनी तथा इसको ननदेशको के ववरुद्ि उथर्त ववथिक कायवच ादहयां

संन्स्थत करने के लिए मेरे मुवन्क्कि से अनदु ेश है और ऐसे एक मामिे मंे आपकी कम्पनी सपं णू च िागतो एवम ् िर्ों के लिए

उिरदायी होगी। नोद्स का िर्च ................ रुपये है जो आपसे सदं ाय करने के लिए उिरदायी है।

मंै भववष्यगामी ननदेश के लिए मरे े कायाचिय अलभिेि मंे इस नोद्स की एक प्रनतलिप रिा है।

अधधिक्ता

7. त्याग का वििेख

त्याग का विलखे .................. में यनिास करने िाले मिृ / श्री / श्रीमती .................. .................. पतु ्र / पत्नी
..................... .................. और पतु ्री ..................... .................. द्िारा िारीख ................. .................. को
प्रस्ििु ककया जािा है।

यिः यह कु टु म्ब के सभी सिस्यों के बीच करार ककया गया है कक मझु े मरे ी मािा यथा िखणिय सम्पवत्त मंे सभी
मरे े अचधकारों, दहि एिम ्दहस्से का त्याग कर िेना चादहए।

अब यह विलखे यनम्नललखखि रूप मंे साक्ष्य प्रस्ििु करिा हं।ै

यह कक मैं .................... .................... पत्नी ................... .................... और पतु ्री मिृ ....................
.................... की मेरी मािा श्रीमिी ...................... .................... के पक्ष मंे यथािखणिय सम्पवत्त मंे सभी अपने
अचधकारों, दहि एिम ्दहस्से का त्याग करिा हीं, और एिद्द्िारा घोर्णा करिा हँू कक मेरा इसके साथ अनसु ची मंे िखणिय
सम्पवत्त और यह कक कचथि श्रीमिी .................. .................... मरे ी मािा इसकी अनसु ची में िखणिय सम्पवत्त का
एकमात्र स्िामी होगी और िद्नसु ार कचथि सम्पवत्त मंे चाहे जो कु छ भी हो, सभी प्रकार के अपने दहि का एिद्द्िारा
यनमोचन करिा हूँ।

प्जसके साक्ष्य मंे मनंै े उन साक्षक्षयों एिम ् अपने पयि की मौजिगी में त्याग के विलेख पर हस्िाक्षर ककया हँू,
प्जसका हस्िाक्षर उपललखखि दिन, महीना िर्य पर नीचे ककये गये हैं।

साक्षीगण यनष्पािक

25. दान वििेख

िारीख .................. .................. .................. को ककया गया िान विलखे ।
के बीच

एक भाग के श्री.................. ......................... पतु ्र .................. उम्र लगभग .................. ..................
यनिासी (इसमंे इसके पश्चाि ्"िािा" कहा गया) और िसरे भाग के श्री ............... .................. ..................पतु ्र
............... ..................उम्र लगभग ................. िर्य यनिासी ................ .................. (इसमंे इसके पश्चाि ्िान िहीिा
कहा गया) यिः िानिहीिा नसै चगकय तयार एिम ्स्नहे के बाहर उसकी मतृ ्यु के पश्चाि ्िान िहीिा के ललए एक उपबन्ध
करने का इच्छु क है।

अब वििखे तनम्नलिखखत रूप िंे साक्षित करता िै -
यह कक कचथि िािा कचथि िानिहीिा को सिा के ललए एिम ् आत्ययीं िक िौर पर कचथि िानिहीिा को

............... िगय कफट की मापिाली ............... मंे प्स्थि .................. के रूप में िखणिय िह सभी सम्पवत्त कचथि
िानिहीिा को एिद्द्िारा स्िितीं ्रिा पिकय िथा स्िेच्छया हस्िाीिं ररि करिा है।

जिसके साक्ष्य िंे दाता अपना िस्ट्तािर करता िै और अलभदाय करता िै और उपयकुा ्त टदन, िाि िषा को
ितिा ान सिय पर साक्षियों की उपजस्ट्थतत िें पररदान करता िै।

साक्षीगण

1. .................. दाता
2. .................. दानििीता

िारा 80 लस. प्र. स.ं के अिीन नोटटस
सधचि, रिा ितं ्रािय के िररये भारत सघं को नोटटस

प्ररे ्क िारीख......................

...........................

अचधितिा

सिे ा में
सचचि, ......................
मतंी ्रालय नयी दिल्ली

श्रीमान जी

मरे े मिु प्तकल .... पतु ्र ................ यनिासी ििे न खािा संी ................ के यनिेशों के अधीन और उसकी ओर
से, मझु े आप पर यनम्नललखखि नोदटस की िामील करना है

1. यह कक मेरे मिु प्तकल को िारीख ................ को कमाप्न्डग आफीसर..........विगंी एअर स्टेशन के कायालय य
में एक पेन्टर के रूप में यनयतु ि ककया गया और ................ रुपये भिन ककराया भत्ता सदहि सी. सी. सी......
रुपये सदहि ................ रुपये /ििमय ान समय मंे प्राति कर रहा है। मरे े मिु प्तकल को कचथि सेिा के ललए
उपलप्ब्ध के रूप में ................ रुपये का सिंी ाय ककया जा रहा है।

2. यह कक मेरा मिु प्तकल अपने किवय ्यों का यनष्ठापिकय िींग से िथा ित्परिा से यनिहय न कर रहा है और कोई
भी बाि ऐसी नहींी की है और न ही करने का लोप ककया है प्जससे उसकी सिे ा की यनन्िा की जा सके ।

3. यह कक िभु ायग्यिश, िगय कै तटन ................ िब कमाप्ण्डगंी अचधकारी ...........िायु बल मरे े मिु प्तकल के
विरुद्ध एक पक्षद्रोही दृप्ष्टकोण अपनाया है - कक उसके गह कायय करने के ललए उसकी भािना में उपयतु ि
नहींी था और िारीख को मेरे मिु प्तकल को यह चेिािनी िी गयी कक चूँकक उसने अयिररति कायय करने के
ललए आिेशों का अनपु ालन नहींी ककया था इसललए उसको अनभु ाग के आिेशों का अनपु ालन करना चादहए।

4. यह कक मेरे मिु प्तकल के विरुद्ध कचथि अलभकथन पणिय या लमथ्या थे और स्िाभाविक िौर पर उसके साथ
ककये गये इस पणिय या अनाचधकृ ि सवीं ्यिहार के विरुद्ध विरोध ककया लके कन िभु ागय ्यिश इसने मामले को
गरु ुिर बना दिया और उसको भ्रष्टाचार, अिचार के आरोप पर अन्य बािों के साथ-साथ उसके पत्र दिनांीककि
.......... द्िारा ज्यषे ्ठ प्रशासन कमाप्ण्डगंी अचधकारी द्िारा आरोवपि ककया गया और किवय ्यों की उपके ्षा की

है.

5. यह कक कचथि मिु प्तकल के विरुद्ध कचथि आरोप का एक सही उत्तरिाखखल ककया और आकप्स्मक िौर
पर कचथि आरोप की यनरथकय िा का अनभु ि कर आरोप िगय कमाप्ण्डगंी अचधकारी द्िारा िारीख ................
को िापस ककया गया।

6. यह कक उसकी सिे ा से मरे े मिु प्तकल को िर करने का उनके यनष्कल प्रयासों में असफल हो जाने पर
कमाप्ण्डगंी अचधकारी उसके पत्र दिनाींककि...............द्िारा नोदटस की िामील से एक महीने की समाप्ति
की िारीख से प्रभाि के साथ मरे े मवु न्क्कि की सवे ाए समाप्त कर दी है कक उसकी सेवाओ की ववभाग
द्वारा अपके ्षा नहीं गयी। यह कक मेरे मवु न्क्कि की समान्प्त का कथथत आदेश पणू तच या अविै ाननक,
असद्भावना पणू ,च अथिकारातीत तथा नन. अधय आिारों के बीर् ननम्नलिखित के लिए मेरे मवु न्क्कि को
सत्यावपत करने वािा है

(क) क्योंकक मेरे मवु न्क्कि की सेवाए सदभावना से नही बन्ल्क दडि के रूप मंे समाप्त कर ददया जाने के लिए ईन्प्सत

है।

(ि) क्योंकक मेरे मवु न्क्कि की सेवाए इस आिार पर असद्भावना पवू कच समाप्त ककया जाने के लिए ईन्प्सत है कक मेरे

मुवन्क्कि के ववरुद्ि िगाये गये आरोप लमथ्या पाये गये और साबबत नहीं ककये गये और लमथ्या आरोपों पर मेरे
मुवन्क्कि को ह्ाये जाने में स्वाभाववक परेशाननयों पर ववजय प्राप्त करने के लिए मात्र आच्छादन है।

(ग) क्योंकक सेवा से मेरे मवु न्क्कि को ह्ाना एक िब्बा सदहत इसे िेकर र्िता है। न्जसका मेरा मवु न्क्कि बबल्कु ि
दोषी नहीं है और एक मात्र इसी िेिे पर (Stack down) ककया जाने योग्य है।

(घ)क्योंकक मेरे मवु न्क्कि की सेवाए मात्र समाप्त कर ददये जाने के लिए ईन्प्सत हैं क्योंकक वह तभी कमान्डिगं अथिकारी

के अन्स्थर मानलसकताओं में उपयुक्त होने मंे समथच नहीं था जो शासकीय कतवच ्यों के अिावा उसको अपना कायच करने
की मेरे मुवन्क्कि से इच्छा करता था।

(ङ) क्योंकक कोई उथर्त अवसर मेरे मवु न्क्कि को नहीं ददया गया।

(र्) क्योंकक नोद्स वविकु ि अवैिाननक तथा ववथितः अवैि है और मेरे मवु न्क्कि की सेवाए ववथि माधय ढंग से नहीं

समाप्त की गयी है।

7. यह कक अधय बातों के साथ-साथ कारणोंवश, यथा उपरोक्त मेरे मवु न्क्कि की सवे ाए काननू ी तौर पर नहीं
समाप्त की गयी है या वे इस प्रकार समाप्त कर ददया जाने मंे समथच है और मेरा मवु न्क्कि एक घोषणा
का हकदार है कक वह जारी रिता है और यथा पवू च सरकारी सवे ा में बना रहना समझा जायेगा।

8. यह कक मरे ा मवु न्क्कि इसके पवू च होने के रूप मंे उपिन्ब्ियााँ रिने के एक अनतु ोष पाने का हकदार है।
अतएव, यह िारा 80 , लस. प्र. सं. के अिीन एक नोद्स के साथ आप पर तामीि कराने तामीि करवाना है कक सरकार मेरे
मुवन्क्कि की सेवाओ को समाप्त करने के लिए ठीक, नही करेगा और उसकी उपिन्ब्ियों के सदं ाय ककया जाना र्ादहए क्योंकक

न्जसके दो महीने की समान्प्त पर असफि हो जाने के पवू च मेरा मवु न्क्कि िागतो एवम ्उन पररणामों के बारे में सरकारी जोखिम
पर यथा ऊपर कथथत वाद हेतुक पर यथा उपरोक्त अनतु ोषों के लिए वाद दाखिि करने के लिए मजबूर ककया जायेगा न्जन पर
आप कृ पया ध्यान दे।

आपका िुभधचतं क
अधधिक्ता

तनिााण करार
करार का ज्ञापन

................ यनिासी (इसमंे इसके पश्चाि प्रथम भाग के रूप में यनिेलशि ककया गया) और श्री ................
यनिासी............... (इसमें, इसके पश्चाि ्िसरे पक्षकार के रूप मंे यनिेलशि ककया गया)

पि "प्रथम" एिम ्"द्वििीय" के अन्िगिय क्रमशः उनके उत्तरििीगण, विचधक िाररसान, नाम यनिेलशिीगण,
दहिाचधकारीगण, प्रयियनचधगण एिम समनिु ेलशिीगण आयगें ।े

प्रथम पक्षकार………….में प्स्थि सम्पवत्त का पणय एिम ्एक मात्र स्िामी है। कचथि सम्पवत्त एक 320 िगय गज
भखण्ड पर यनलमिय की गयी एक मपीं ्जला इमारि है िेखे : क्रम स.ीं ... बही संी ...... िालम स.ीं ...... पषृ ्ठ .......... से .........
िक दिनाकंी कि .............. में रप्जस्रीकृ ि पट्टाविलखे / कचथि सम्पवत्त कचथि सम्पवत्त स्िाप्जिय की गयी सम्पवत्त क्रय
की गयी िथा प्रथम पक्षकार के स्ियम ्की यनचध मंे से यनलमिय की गयी है।

और यिः अब प्रथम पक्षकार ................ मंे कचथि सम्पवत्त के प्रथम फशय को परा करना चाहिा है िाकक उसका
उपयोग नसै चगकय िाररसो के बीच ककया जा सके गा या उसको पट्टे पर दिया जा सके गा या विक्रय ककया जा सके गा या
इस प्रकार पट्टे पर दिया जा सके गा जसै े भविष्य में बहे िर एिम ्आरामिेय जीिन प्राति करने के ललए प्रथम पक्षकार
या उसके िाररसो के दहि मंे और या इसके अनन्य वििके ाचधकार मंे प्रथम पक्षकार द्िारा जैसी इच्छा की जाय। ककसी
प्रकार, प्रथम पक्षकार कचथि प्रयोजनाथय िरल नकि का एक प्रकार है।
और यिः प्रथम पक्षकार िसरे पक्षकार के सम्पकय मंे आया है जो प्रथम पक्षकार की कचथि इच्छा को परा करने में
सहायिा कर रहा है। द्वििीय पक्षकार इस शिय पर परे प्रथम फशय के यनमाणय को वित्तीय सहायिा प्रिान करने का प्रस्िाि
ककया है द्वििीय फशय ररति फ्लटै के स्िालमत्ि का अचधकार िथा ऊपर िसरे फशय परे खलु े चबिरा क्षते ्र का 50% िसरे

पक्षकार को दिया जािा है जो अपनी स्ियंी की यनचध से िसरे फशय का यनमाणय करेगा और इस करार मंे यथा िखणिय
विशदु ्ध रूप से आिालसक प्रयोजनाथय उसका उपयोग करेगा। कचथि प्रस्िाि प्रथम पक्षकार द्िारा स्िीकृ ि ककया जािा
है।

अब यि करार तनम्नलिखखत रूप िंे साक्षित करता िै

1. यह कक िसरा पक्षकार इस करार के अधीन िसरे पक्षकार को दिये गये अचधकारो के सम्पणय प्रयिफल के रूप
में चैक या बकंै ड्राफ्ट द्िारा प्रथम पक्षकार को .......... रुपये (............... रुपये मात्र) की एक रकम का
सिीं ाय करेगा। सिीं ाय की अनसु ची पारस्पररक िौर पर िोनों पक्षकारों द्िारा करार ककया गया है। समय-
समय पर यनष्पादिि की गयी सम्पणय रसीिे स्ियमिे इस करार का भाग हो जायगे ी।

2. इसमें पणय िौर पर रुपये (................ रुपये मात्र) की उपयतुय ि रकम के भगिान पर द्वििीय पक्षकार
कचथि द्वििीय फशय और पारस्पररक िौर पर करार पायी गयी आिार पर यथा अकं कत की गयी तथा
पररवेन्ष्ठत ककये गए नक़्शे पर उपदलशतच द्ववतीय फशच उपर र्बतू रे के सामने वािे भाग के 50%
के सभी ििु े स्थानों को सन्म्मलित कर कथथत दसु रे फशच का पणू ,च अनधय एवम एक मात्र स्वामी
होगा .यह र्बतू रा सदैव एक पणू तच या ििु ा रहने वािा र्बतु ाररय के क्षते ्र बके रूप में होगा .

3. यह की उपर रकम...........रुपये (...............रुपये मात्र का उपयोग प्रथम पक्षकार द्वारा प्रथम फशच
के ननमाणच को परू ा ककये जाने में वविीय सहायता प्रदान के लिए ककया जाएगा जो ऐसे सवोिम
समीर्ीनता के साथ कथथत ननमाचण को परू ा करने के लिए या तो इस रकम को पणू तच या या अषं ता
िर्च करेगा की ननमाणच योजना के पधु हा प्रवतनच की नई मजं ूरी की तारीि से धयनू तम छ: महीने
के अधदर प्रथम फशच की छत का पणू तच या ननमाणच हो सके . इसके समरूप ही द्ववतीय पक्षकार.

4. यह की सवं ्यवहार ददल्िी िंि स्वालमत्व अथिननयम के नए अतं स्थावपत उपबिं ो को सन्म्मलित
कर पिा के सभी शालसत करने वािी ववथियों,ननयमो,ववननयमनो,पॉलिलसयो,मागनच नदचशनो ,ननबिं नो

,एव शतो तथा समय समय पर िागू होने वािे जैसे की काननू ी प्राविानों
,ननयमो,ववननयमनो,पॉलिलसयो इत्यादी के अध्यिीन होगा. द्ववतीय पक्षकार अपने स्वयं के नाम
से उपयकु ्त द्ववतीय फशच को रन्जस्रीकृ त करवान.े दाखिि ख़ाररज करवाने के लिए हक़दार होगा
ज्योही यह अनदु ्धयेय हो ,परधतु यह तब जबकक ,द्ववतीय फशच एव मात्र उपर की और के सम्पणू च
िगत एव िर्च को द्ववतीय पक्षकार द्वारा उपगात ककया जायगे ा .
5. कब्ज़ा पात्र की तारीि से भलु मताि की छत का कब्ज़ा एस कारार के प्रयोजनाथच दसु रे पाक्ष्कर को
प्रथम पक्षकार द्वारा सोंप ददया गया होगा और द्ववतीय फशच के ननमाणच के प्रारंभ होने ्ाक
द्ववतीय पक्षकार के साथ रना समझा जायेगा . तत्पश्र्ात द्ववतीय फशच और द्ववतीय फशच के उपर
र्बतू रे के सामने वािे भाग का 50% कब्ज़ा पणू च स्वामी की हैलसयात से दसु रे पक्षकार को स्वत
वापस प्रनतवनततच हो जाएगा.
6. प्रथम पक्षकार के पास प्रथम फशच ननमाणच कायच का अिुरा रिने का आथिकार नहीं होगा की
द्ववतीय पक्षकार को द्ववतीय फशच को परू ा करने में ववघ्न हो , असवु विा हो तथा वविीय हाननयों
का सामना करना पड.े
7. यह की प्रथम पक्षकार काथथत द्ववतीय फशच के ववकास , ननमाचण एव परू ा करने के लिए यथापेक्षक्षत
सभी आवश्यक छु ्ो ,इजाजतो, अनमु ोदनो,मजं रू रयो तथा भावन ननमाचण सामग्री इत्यादद के आब्ं न
के लिए अनके प्राथिकाररयों को आवदे न पत्र प्रस्ततु करने के लिए मात्र द्ववतीय फशच की बाबत
महाधयायवादी के रूप मंे एतद्वारा अप्रनतसधहाननयच तौर पर द्ववतीय पक्षकार का गठन करता हे
और कथथत प्रयोजनाथच , कथथत द्ववतीय फारश के ववकास ,ननमाचण एव उसको परू ा करने के लिए
अपने ्क्स्षत अनके प्राथिकारो , अनके छु ्ो , इजाजतो , अनमु ोदनो , मजं रू रया, भवन ननमाणच सबं िं ी
सामग्री का आब्ं न इ. ववननदेशो , योजना दसतावजे ो के प्रस्ततु ककये जाने को सभी पररपेक्शो में
, इस करार की कािावथि तथा पणू च कियाधवयन होने तक इस प्रकार र्ाहे जप कु छ भी हो सभी
प्रयोजनों के लिए , द्ववतीय पक्षकार या नाम ननदेलशतो के पक्ष में एक अप्रनतसहं नीय मखु ्तारनामा
का ननष्पादन कररने और / या रन्जस्रीकृ त कराने का करार ककया हे.अप्रती सदं रणीय मखु ्तारनामा


Click to View FlipBook Version