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अभिव्यक्ति
एक ही फ़ोटो करी कई िारी कॉपीर् बनाई र्ा
िकती र्ी।
दफ़लम
र्ॉर््ष ईसटमैन ने पहली बार पेपर दफ़लम
का उप्ोग दक्ा। उनके पहले कैमरे को
उनहोंने ‘कोडेक’ नाम दद्ा, र्ो १८८८ में
माकमेट में आ्ा। इिमे १०० सपकचि्ष भी
सलए र्ा िकते र्े। और ितम होने पर दफ़लम
को बदला र्ा िकता र्ा। कैमरा दफ़लम के
इसतेमाल िे ही मूवी कैमरा का असवषकार हुआ।
टी.एल.आर. और एि.एल.आर.
पहला रेफलैकि कैमरा १९२८ में
टी.एल.आर. रूप में आ्ा। ्ह काफरी पॉपुलर हुआ। िन १९३३ में एि.एल.आर. का सडज़ाइन बनाना शुरू हुआ।
सर्िमें १२७ रोल दफ़लम लगी हुई र्ी। ३ िाल बाद १३५ दफ़लम का न्ा मॉडल आ्ा।
ड्ाइ पलेटि
१८५५ में ड्ाइ पलेटि का इसतेमाल हुआ। १८७४ में ररचड्ष लीच मैडेकि ने कैमरे को हार् में लेने मैं िुसवधा हो
उि आकार कर दद्ा। इिके िार् ही सडटेसकटवेव कैमरा र्ैिे पॉकेटवॉच, हैट आदद में लगाए र्ाने वाले कैमरों का भी
असवषकार होने लगा। पोलारॉइट मोडल १९७८ में एक सबलकुल ही न्ा कैमरा आ्ा, सर्िे एडसवन लैंड ने बना्ा।
इिमें इंसटेंट ्ानी तुरंत सपकचर सनकल आते र्े।
कैमरे का इसतहाि सडसर्टल कैमरा
सडसर्टल कैमरे पहले के
कैमरे िे अलग र्े। इिमे दफ़लम
दोसतों, क्ा आपको पता है दक कैमरा आसिर आ्ा कहाँ िे? और क्ा ्ह पहले भी ऐिा ही र्ा? आइए हम बताएँगे का इसतेमाल नही होता र्ा।
कैमरे का इसतहाि तर्ा उिका आर् तक का िफर .....
इिमे फ़ोटो सडसर्टल मेमोरी काड्ष
में िेव होता र्ा। बाद मे इनमे
कैिा रहा कैमरे का इसतहाि बलूटूर्, वा्-फा् आदी िे फ़ोटो
फोटोग्ाफरी करी अलग अलग पीदढ़्ों में कैमरा ही बदलता रहा है। र्ैिे कैमरा अबिकर, कैलोटइप, ड्ा् पलेटि, दफ़लम शे्र करी िुसवधा भी समलने लगी।
और सडसर्टल कैमरा। आर् कल मोबाइल के िार्-िार् कई सडवाइिेि में कैमरा लगा आता है। क्ोंदक आर् के िम् मे इनकरी लरौकॉसट करी वर्ह िे इिका
हम िब हर पल को ्ादगार बना लेना चाहते है
इसतेमाल फ़ोन में भी दक्ा र्ाता
है। िन २००० में सवश्व का पहला
कैमरा अबिकर कैमरा फ़ोन बना। सर्िका नाम
१८वी िदी में र्ब कैमरे नही र्े, तो दकिी इमेर् को ट्ेि करने के सलए इिका इसतेमाल होता र्ा। पहले कैमरे र्े-फ़ोन र्ा और लूसम्ा १०२०
लगभग कमरे के आकर के होते र्े। िम् के िार् इनका आकार बदलते ग्ा। १८१६ में सनटिे ने कैमरा इमेर् करी पहली मोडल नाम का पहला कैमरा फ़ोन
फ़ोटोग्ाफ सनकली र्ी।
बना।
कैलोटाइप
सनटिे करी मरौत के बाद १८३९ में उनके पाट्षनर लुईि डैगूरे ने पहला प्रसकटकल फ़ोटोग्ादफ़क प्रोिेि बना्ा।
सर्िे उनहोंने डैगूरेटाइप नाम दद्ा। १८४० में हैनरी फॉकि ने कैलोटाइप नाम करी नई प्रोिेि सवकसित करी, इििे चंदन गुप्ा
प्रर्म वर्ष बी.ए.
100 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE
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अभिव्यक्ति
एक माँ (गुरु)अमरदाि र्ी ने पा्ा अमर पद
एक गरीब पररवार में एक िुंदर िी
बेटी ने र्नम सल्ा। बाप दुिी हो ग्ा। बेटा पैदा होता
तो कम िे कम काम मे तो हार् बटाँता। उिने बेटी को (गुरु अमरदािर्ी पुण्सतसर् :- ६ सितंबर) िमत् बीता। एक बार बीबी अमरो ‘र्बुर्ी िासहब’ का पाठ कर
पाला र्रूर मगर ददल िे नही। सिि धम्ष के आददगुरु नानकदेवर्ी के बाद रही र्ी। वह तो रोर् पाठ करती र्ी, लेदकन उि ददन उिका पाठ
र्ब वह पढ़ने र्ाती तो न ही सकूल में फ़रीि िम् उनकरी गद्ी पर बैठे र्े, गुरु अंगददेवर्ी। अंगददेवर्ी अिर कर ग्ा। अमरदाि र्ी
पर र्मा करता न ही कापी, दकताबों पर ध्ान देता। बीबी अमरो के चरनों मे र्ा बैठे, मानों वहाँ परमातमा करी कोई
अकिर दारू पी कर घर मे कोहराम मचाता। लेदकन उि करी बेटी, बीबी अमरो करी शादी सर्िके िार् हुई वववसर्ा काम कर रही र्ी। र्ो बीर् सवकसित होने को होता है
र्ी, उिके चाचा का नाम र्ा अमरदाि। अमरदाि
लड़करी करी माँ बहुत अचछी र्ी। वह अपनी बेटी को बड़े भगवान को तो मानते र्े, हर िाल तीर््ष करते और उिको पृरवी, र्ल, हवाएँ, िाद िभी मदद करते है। लेदकन र्ो
लाड़ प्ार िे रिती र्ी। वो पसत िे छुपा छुपा कर बेटी गंगा में नहाने भी र्ाते र्े, लेदकन उनहें िदगुरु करी बीर् िेका हुआ है उिको करौन मदद करेगा? ऐिी ही र्ो ्ोग् है
करी फ़रीि र्मा करती र्ी। उिका पसत घर िे कई ददनों दीक्ा नही समली र्ी। २१ बार गंगा स्ान दक्े। बड़ी उिको ही प्रकृसत मदद करती है। अमरदाि र्ी
तक गा्ब रहता र्ा। वक्त का पसह्ा घूमता ग्ा। बेटी ने भर्न दक्ा र्ा तो मदद हो ग्ी, प्रेरणा समल ग्ी। ‘र्पुर्ी
धीरे धीरे िमझदार होती गई। दिवीं कक्ा में प्रवेश उम्र के तो हो गए लेदकन बड़ी िमझ देने वाले दकिी िासहब’ के पाठ को िुनकर अमरदाि र्ी का रोम
िदगुरू के नही हो पाए र्े।
होना र्ा। माँ के पाि इतने पैिे नही र्े दक प्रवेश ददला रोम र्ागृत हो ग्ा।
िके। बेटी डरते डरते पापा िे बोली, ‘पापा मेरा प्रवेश एक बार अमरदाि jI उनहोंने बीबी अमरो को कहा :- अंगद
करा ददर्ीए’। बाप आगबबूला हो ग्ा और सचललाने करी मुलाकात गंगा स्ान करी देव र्ी गुरु है, आपके सपता है। आप मेरे
लगा बोला, ‘तू दकतना भी पढ़-सलि ले तुझे चरौका- सलए उनिे र्ोड़ी सिफाररश कर दो,
चूलहा ही िंभालना है। क्ा करेगी पढ़-सलि के?’ उि ्ात्ा के दरौरान एक बार िे मुझे अपना सशष् बना ले, िीि दे
हो ग्ी। अमरदाि र्ी उनहें
ददन उिने बहुत आतंक मचा्ा िबको मारा पीटा। बेटी आओए घर मे ले आ्े और दे रब को पाने करी।
ने िोच सल्ा अब िे पढ़ाई नही करेगी। एक ददन उिकरी भोर्न करने के सलए कहा। बीबी अमरो ने कहा :- वे मेरे
माँ बार्ार गई र्ी। बेटी ने पूछा तो कहा कल तेरा प्रवेश पंसडत ने पूछा, “तुमहारे गुरु सपता र्े र्ब तक वे गुरु गद्ी पर
कराउंगी। बेटी ने कहा- नहीं माँ मैं नही पढूंगी मेरी नही बैठे र्े। अब वे मेरे सपता
वर्ह िे तुमहें दकतनी परेशानी उठानी पड़ती है। पापा करौन है? िदगुरु करौन है?” नही है, गुरुर्ी है। मैं प्रार्ना कर
अमरदाि र्ी बोले, “मेरी
भी तुमहें मारते पीटते है। कहते कहते रोने लगी। माँ ने गुरु तो गंगामाई है।” “्ह िकती हँ लेदकन पुत्ी करी तरह
उिे गले लगाकर कहा मैं बार्ार िे पैिे लाई हँ, तुमहारा तो ठीक है लेदकन तुमहारे आग्ह नही कर िकती। आप-हम
दािला कराउंगी। माँ के िमझाने पर बेटी मान गई। िदगुरु करौन है?” “िदगुरु उनके पाि चलते है, अगर प्रार्ना
दिवीं मे प्रवेश हुआ। माँ भी बहुत मेहनत करके बेटी को सवीकार हो र्ाएगी तो आपको
पढाने लगी। बेटी भी माँ करी ऐिी मेहनत देिकर ददन .....?” दीक्ा समल र्ा्ेगी।
भक्त :- कोई मानव िीधा
रात मन लगाकर पढने लगी। नरक िे आता है, कोई िीधा गुरु अंगद देव र्ी ने अमरदाि
ददन सबतते गए। उिका बाप बहुत शराब पशु ्ोसन िे, तो कोई िीधा सवग्ष र्ी करी ्ोग्ता के अनुिार उिको
सपने लगा। उिे रट.बी हो ग्ा। र्ब ददन वह सबमारी िे आता है। अपने सवर् मे मनमानी िाधना बता दी। अमरदाि र्ी को अमर
के हालत में २ ददन िे बेहोश पड़ा र्ा। कुछ लोग उिे पद करी प्रासप् र्ोड़े िम् में ही हो ग्ी। ६२
असपताल में लेकर आए। र्ब उिने आँि िोली तो देिा िाधना करेंगे तो मन कभी इधर ले र्ा्ेगा, िाल करी उम्र में दीक्ा ली और ऐिे ्ोग् हो गए दक गुरु
कभी उधर ले र्ा्ेगा। र्ैिे सवद्ार्जी करी ्ोग्ता
िामने र्ो डॉकटर िडी र्ी वो उिकरी बेटी र्ी। वह देिकर सशक्क ठीक ढंग िे पढता है और सवद्ार्जी अंगद देव र्ी ने उनको कहा, “अब तो गुरु नानक देव र्ी करी इि
बहुत रोने लगा और कपडें िे अपना मुह छुपाने लगा। ततपरता रिता है तो वह सवविान हो र्ाता है। ऐिे पसवत् गद्ी को िंभालने के सलए आप र्ैिा कोई पुरूर नही है।”
बाप शम्ष के मारे पानी पानी हो ग्ा। और हार् र्ोडकर ही सशष् करी ्ोग्ता करौन िे ढंग करी है ्ह अनुभव गुरु अंगद देव र्ी ने अमरदाि र्ी को गद्ी िरौपी। गुरु नानक देव
बोला, ‘मुझे माफ कर दो मैं तुमहें िमझ नहीं िका।’ र्ी करी गद्ी पर तीिरे गुरु अमरदाि र्ी हुए।
दोसतों बेटी आसिर बेटी होती है। बाप को रोता देिकर करने वाले िदगुरु मंत्दीक्ा देते है और सशष्
आज्ापालक है तो वह सशष् िदसशष् होकर ित्
उिे गले िे लगा सल्ा। एक ददन बेटी मँ िे बोली, ‘माँ का अनुभव कर लेता है। तुमने अपने र्ीवन में िदगुरु
तुमने आर् तक नहीं बता्ा दक, मेरे हा्सकूल के सलए नही सलए? तुमहारे पाि दकनही िदगुरु का मंत् नही
पैिे कहा िे लाई र्ी?’ है क्ा?
बेटी के बार बार पुछने पर माँ ने बता्ा, उिे
िुनकर बेटी करी रुह काप उठी। माँ ने अपने शरीर का अमरदािर्ी :- ्ह िब तो मुझे पता नहीं र्ा।
भक्त :- अरे.! मुझे ्ह िब पहले बताते तो तुमहारे घर
िून बेचकर बेटी का प्रवेश करा्ा र्ा। पर ठहरता ही नही।
अंर्नी गुप्ा सहतेश पुरोसहत
प्रर्म वर्ष बी.ए भक्त अपनी झोली लेकर चलता बना। प्रर्म वर्ष बी.ए
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एक माँ (गुरु)अमरदाि र्ी ने पा्ा अमर पद
एक गरीब पररवार में एक िुंदर िी
बेटी ने र्नम सल्ा। बाप दुिी हो ग्ा। बेटा पैदा होता
तो कम िे कम काम मे तो हार् बटाँता। उिने बेटी को (गुरु अमरदािर्ी पुण्सतसर् :- ६ सितंबर) िमत् बीता। एक बार बीबी अमरो ‘र्बुर्ी िासहब’ का पाठ कर
पाला र्रूर मगर ददल िे नही। सिि धम्ष के आददगुरु नानकदेवर्ी के बाद रही र्ी। वह तो रोर् पाठ करती र्ी, लेदकन उि ददन उिका पाठ
र्ब वह पढ़ने र्ाती तो न ही सकूल में फ़रीि िम् उनकरी गद्ी पर बैठे र्े, गुरु अंगददेवर्ी। अंगददेवर्ी अिर कर ग्ा। अमरदाि र्ी
पर र्मा करता न ही कापी, दकताबों पर ध्ान देता। बीबी अमरो के चरनों मे र्ा बैठे, मानों वहाँ परमातमा करी कोई
अकिर दारू पी कर घर मे कोहराम मचाता। लेदकन उि करी बेटी, बीबी अमरो करी शादी सर्िके िार् हुई वववसर्ा काम कर रही र्ी। र्ो बीर् सवकसित होने को होता है
र्ी, उिके चाचा का नाम र्ा अमरदाि। अमरदाि
लड़करी करी माँ बहुत अचछी र्ी। वह अपनी बेटी को बड़े भगवान को तो मानते र्े, हर िाल तीर््ष करते और उिको पृरवी, र्ल, हवाएँ, िाद िभी मदद करते है। लेदकन र्ो
लाड़ प्ार िे रिती र्ी। वो पसत िे छुपा छुपा कर बेटी गंगा में नहाने भी र्ाते र्े, लेदकन उनहें िदगुरु करी बीर् िेका हुआ है उिको करौन मदद करेगा? ऐिी ही र्ो ्ोग् है
करी फ़रीि र्मा करती र्ी। उिका पसत घर िे कई ददनों दीक्ा नही समली र्ी। २१ बार गंगा स्ान दक्े। बड़ी उिको ही प्रकृसत मदद करती है। अमरदाि र्ी
तक गा्ब रहता र्ा। वक्त का पसह्ा घूमता ग्ा। बेटी ने भर्न दक्ा र्ा तो मदद हो ग्ी, प्रेरणा समल ग्ी। ‘र्पुर्ी
धीरे धीरे िमझदार होती गई। दिवीं कक्ा में प्रवेश उम्र के तो हो गए लेदकन बड़ी िमझ देने वाले दकिी िासहब’ के पाठ को िुनकर अमरदाि र्ी का रोम
िदगुरू के नही हो पाए र्े।
होना र्ा। माँ के पाि इतने पैिे नही र्े दक प्रवेश ददला रोम र्ागृत हो ग्ा।
िके। बेटी डरते डरते पापा िे बोली, ‘पापा मेरा प्रवेश एक बार अमरदाि jI उनहोंने बीबी अमरो को कहा :- अंगद
करा ददर्ीए’। बाप आगबबूला हो ग्ा और सचललाने करी मुलाकात गंगा स्ान करी देव र्ी गुरु है, आपके सपता है। आप मेरे
लगा बोला, ‘तू दकतना भी पढ़-सलि ले तुझे चरौका- सलए उनिे र्ोड़ी सिफाररश कर दो,
चूलहा ही िंभालना है। क्ा करेगी पढ़-सलि के?’ उि ्ात्ा के दरौरान एक बार िे मुझे अपना सशष् बना ले, िीि दे
हो ग्ी। अमरदाि र्ी उनहें
ददन उिने बहुत आतंक मचा्ा िबको मारा पीटा। बेटी आओए घर मे ले आ्े और दे रब को पाने करी।
ने िोच सल्ा अब िे पढ़ाई नही करेगी। एक ददन उिकरी भोर्न करने के सलए कहा। बीबी अमरो ने कहा :- वे मेरे
माँ बार्ार गई र्ी। बेटी ने पूछा तो कहा कल तेरा प्रवेश पंसडत ने पूछा, “तुमहारे गुरु सपता र्े र्ब तक वे गुरु गद्ी पर
कराउंगी। बेटी ने कहा- नहीं माँ मैं नही पढूंगी मेरी नही बैठे र्े। अब वे मेरे सपता
वर्ह िे तुमहें दकतनी परेशानी उठानी पड़ती है। पापा करौन है? िदगुरु करौन है?” नही है, गुरुर्ी है। मैं प्रार्ना कर
अमरदाि र्ी बोले, “मेरी
भी तुमहें मारते पीटते है। कहते कहते रोने लगी। माँ ने गुरु तो गंगामाई है।” “्ह िकती हँ लेदकन पुत्ी करी तरह
उिे गले लगाकर कहा मैं बार्ार िे पैिे लाई हँ, तुमहारा तो ठीक है लेदकन तुमहारे आग्ह नही कर िकती। आप-हम
दािला कराउंगी। माँ के िमझाने पर बेटी मान गई। िदगुरु करौन है?” “िदगुरु उनके पाि चलते है, अगर प्रार्ना
दिवीं मे प्रवेश हुआ। माँ भी बहुत मेहनत करके बेटी को सवीकार हो र्ाएगी तो आपको
पढाने लगी। बेटी भी माँ करी ऐिी मेहनत देिकर ददन .....?” दीक्ा समल र्ा्ेगी।
भक्त :- कोई मानव िीधा
रात मन लगाकर पढने लगी। नरक िे आता है, कोई िीधा गुरु अंगद देव र्ी ने अमरदाि
ददन सबतते गए। उिका बाप बहुत शराब पशु ्ोसन िे, तो कोई िीधा सवग्ष र्ी करी ्ोग्ता के अनुिार उिको
सपने लगा। उिे रट.बी हो ग्ा। र्ब ददन वह सबमारी िे आता है। अपने सवर् मे मनमानी िाधना बता दी। अमरदाि र्ी को अमर
के हालत में २ ददन िे बेहोश पड़ा र्ा। कुछ लोग उिे पद करी प्रासप् र्ोड़े िम् में ही हो ग्ी। ६२
असपताल में लेकर आए। र्ब उिने आँि िोली तो देिा िाधना करेंगे तो मन कभी इधर ले र्ा्ेगा, िाल करी उम्र में दीक्ा ली और ऐिे ्ोग् हो गए दक गुरु
कभी उधर ले र्ा्ेगा। र्ैिे सवद्ार्जी करी ्ोग्ता
िामने र्ो डॉकटर िडी र्ी वो उिकरी बेटी र्ी। वह देिकर सशक्क ठीक ढंग िे पढता है और सवद्ार्जी अंगद देव र्ी ने उनको कहा, “अब तो गुरु नानक देव र्ी करी इि
बहुत रोने लगा और कपडें िे अपना मुह छुपाने लगा। ततपरता रिता है तो वह सवविान हो र्ाता है। ऐिे पसवत् गद्ी को िंभालने के सलए आप र्ैिा कोई पुरूर नही है।”
बाप शम्ष के मारे पानी पानी हो ग्ा। और हार् र्ोडकर ही सशष् करी ्ोग्ता करौन िे ढंग करी है ्ह अनुभव गुरु अंगद देव र्ी ने अमरदाि र्ी को गद्ी िरौपी। गुरु नानक देव
बोला, ‘मुझे माफ कर दो मैं तुमहें िमझ नहीं िका।’ र्ी करी गद्ी पर तीिरे गुरु अमरदाि र्ी हुए।
दोसतों बेटी आसिर बेटी होती है। बाप को रोता देिकर करने वाले िदगुरु मंत्दीक्ा देते है और सशष्
आज्ापालक है तो वह सशष् िदसशष् होकर ित्
उिे गले िे लगा सल्ा। एक ददन बेटी मँ िे बोली, ‘माँ का अनुभव कर लेता है। तुमने अपने र्ीवन में िदगुरु
तुमने आर् तक नहीं बता्ा दक, मेरे हा्सकूल के सलए नही सलए? तुमहारे पाि दकनही िदगुरु का मंत् नही
पैिे कहा िे लाई र्ी?’ है क्ा?
बेटी के बार बार पुछने पर माँ ने बता्ा, उिे
िुनकर बेटी करी रुह काप उठी। माँ ने अपने शरीर का अमरदािर्ी :- ्ह िब तो मुझे पता नहीं र्ा।
भक्त :- अरे.! मुझे ्ह िब पहले बताते तो तुमहारे घर
िून बेचकर बेटी का प्रवेश करा्ा र्ा। पर ठहरता ही नही।
अंर्नी गुप्ा सहतेश पुरोसहत
प्रर्म वर्ष बी.ए भक्त अपनी झोली लेकर चलता बना। प्रर्म वर्ष बी.ए
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प्रभििा संगम
हस्मा आलं पमादहजे
कॉलेजकट्मा आ्युष्य फमार सुंदर आहे
जग्मा आलं पमादहजे
थोडंस हस्मा आलं पमादहजे
गझि्माच्यमा ्मासमालमा बसिं
ही जरी सजमा आहे आदी ्े अिं्माचमा आहे हमा प्रवमास
िवतीि मॅडमिमा पमाह् बसिं त्यमाच्यमा डोहमा् पोह्मा आलं पमादहजे
सव्ःवर ्वशवमास ठेव्मा आलं पमादहजे
्यमा्ही थोडती मजमा आहे.
दुःखमाचमा पसमारमा आहे फमार मोठमा
कॉलेजमध्ये क ु िती िमाही पटली सुखमाचती सुई शोध्मा आली पमादहजे
्र गलली् आपली ‘ममालू’ आहे पुनहमा िजरेलमा ्तीच धमार आली पमादहजे
कट्््यमावरचमा प्रत्येकजिच ्समा
थोडमाबह् चमालू आहे ईशवरमाचती देिगती आहे अममाप
ु
सममाधमाि ममाि्मा आलं पमादहजे
आंिद लुट्मा आलमा पमादहजे
कॉलेजमध्ये पमाहि फक्
ू
एकदमाच ्ती हसली
आझि प्रत्येकमालमाच वमाटलं
्ती, आपल्यमाच जमाळ्यमा् फसली प्रवतीि सु्य्मवंशती
द्व्ती्य वर्म बती. कॉम
‘ट्ॅडडशिल डे’ लमा कॉलेजकवतीि
िऊवमारी िेसुि ्यमा्यचती
आपली धो्र समावर् मग
पोर ‘ट्ॅडडशि’ पमाळमा्यचती
कट्््यमावरचती कोपऱ्यमा्ली जमागमा
दहरवळ घ्यमा्यलमा ‘बेसट’ अस्े
चोरूि चोरूि पोरी बघण्यमा्
चचकि ्ंदुरीचती ‘टेसट’ अस्े
संध्यमाकमाळ िमाली की
सगळे कट्््यमावर हजर
आझि समोरच्यमा ‘कफगरवक्म ’ वर
प्रत्येकमाचती िजर
एक रम्य संध्यमाकमाळ
कट्मा पूि्म भरलेलमा
देखण्यमा ‘टंच’ दहरवळतीचे
समोरच्यमा रमास्मा फ ु ललेलमा
अक्ष्मा डतीगे
प्रथम वर्म बती.एम.एस.
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कॉलेजकट्मा आ्युष्य फमार सुंदर आहे
जग्मा आलं पमादहजे
थोडंस हस्मा आलं पमादहजे
गझि्माच्यमा ्मासमालमा बसिं
ही जरी सजमा आहे आदी ्े अिं्माचमा आहे हमा प्रवमास
िवतीि मॅडमिमा पमाह् बसिं त्यमाच्यमा डोहमा् पोह्मा आलं पमादहजे
सव्ःवर ्वशवमास ठेव्मा आलं पमादहजे
्यमा्ही थोडती मजमा आहे.
दुःखमाचमा पसमारमा आहे फमार मोठमा
कॉलेजमध्ये क ु िती िमाही पटली सुखमाचती सुई शोध्मा आली पमादहजे
्र गलली् आपली ‘ममालू’ आहे पुनहमा िजरेलमा ्तीच धमार आली पमादहजे
कट्््यमावरचमा प्रत्येकजिच ्समा
थोडमाबह् चमालू आहे ईशवरमाचती देिगती आहे अममाप
ु
सममाधमाि ममाि्मा आलं पमादहजे
आंिद लुट्मा आलमा पमादहजे
कॉलेजमध्ये पमाहि फक्
ू
एकदमाच ्ती हसली
आझि प्रत्येकमालमाच वमाटलं
्ती, आपल्यमाच जमाळ्यमा् फसली प्रवतीि सु्य्मवंशती
द्व्ती्य वर्म बती. कॉम
‘ट्ॅडडशिल डे’ लमा कॉलेजकवतीि
िऊवमारी िेसुि ्यमा्यचती
आपली धो्र समावर् मग
पोर ‘ट्ॅडडशि’ पमाळमा्यचती
कट्््यमावरचती कोपऱ्यमा्ली जमागमा
दहरवळ घ्यमा्यलमा ‘बेसट’ अस्े
चोरूि चोरूि पोरी बघण्यमा्
चचकि ्ंदुरीचती ‘टेसट’ अस्े
संध्यमाकमाळ िमाली की
सगळे कट्््यमावर हजर
आझि समोरच्यमा ‘कफगरवक्म ’ वर
प्रत्येकमाचती िजर
एक रम्य संध्यमाकमाळ
कट्मा पूि्म भरलेलमा
देखण्यमा ‘टंच’ दहरवळतीचे
समोरच्यमा रमास्मा फ ु ललेलमा
अक्ष्मा डतीगे
प्रथम वर्म बती.एम.एस.
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प्रभििा संगम
िमा्ती गो्ती समारी
वेळेचं गझि्
िमात्यमांचे मिती दोऱ्यमा् गुंफले
्ो दोर ्ुट्माच अश्ू हे ्रले
आजवर ममािवमांिती खूप प्रग्ती के ली आहे. ईशवरमाकडूि ममळमालेल्यमा बु्धिरूपती देिगतीचमा पुरेपूर वमापर त्यमािे के लमा
आकमां् हे मग आकमाशती ्वरले
आहे. ह्यमा बुधितीच्यमा जोरमावर त्यमािे सव्म क्षेत्रमा् आज आघमाडती प्रसथमा्प् के ली आहे. अिेक प्र्यति करूि अशक्य
मि हे एकटेच मभरमभरले
वमाटिमाऱ्यमा गोषटीही शक्य करूि दमाखवल्यमा आहे्. पि एक गोषट अशती आहे ज्यमावर ्ो अजूिही ्वज्य ममळवू
ु
पैशमांचमा मोह क ु िमास ि आवरे शकलेलमा िमाही कक ं बहिमा ममळवू शक्च िमाही. कोि्ती गोषट असेल ्ती ? बरोबर. ्ती गोषट महिजे दुसरं न्सरं
पैशमासमाठी िमा्ती कसमा ्ू ्वसरे? कमाही िमाही, ्ती आहे ‘वेळ’.
आठव्ो ्ो ददवस, मग सव्ःस ्वसरमावे वेळ दश्मविमारं घड्यमाळ जरी आज ्ो आपल्यमा मिगटमावर घमाल् असलमा, ्री वेळ ही त्यमाच्यमा हमा्मा् िमाही्ये.
पमाह्ो्य भ्व्व्य, समारे भकमास ददसमावे? एकदमा वेळ निघूि गेली की, ्ती कमा्यमचती गेली. ्ती पुनहमा पर् ्ये् िमाही. महिूि प्रत्येकमािे न्चमा आदर करमा्यलमा
हवमा. वेळेच्यमा पुढे जमािं कोिमालमाच शक्य िमाही, ्सेच जर एखमादमा वेळेच्यमा ममागे रमादहलमा ्र त्यमाच्यमासमाठी वेळ
ममािूस िमालमा मोठमा, ममािुसकी कमती िमाली रे ही थमांब् िमाही. त्यमामुळे प्रत्येकमािे न्च्यमाबरोबर चमालिंच सो्यतीचं ठर्ं. वेळ ही प्रत्येकमालमा सममाि संधती दे्े.
पैसमा िमालमा मोठमा, आ्मा िमा्ती ्ोटी िमाली रे कमाहीजि त्यमा संधतीच सोिं कर्मा् ्र कमाहीजि न्चती रमाखरमांगोळती कर्मा्. एखमाद्यमािे संधतीच सोि िमाही के लं
महिूि त्यमाच्यमावर रुस् िमाही. उलट पुनहमा संधती दे्े, एक, दोि, चमार, दहमा अश्यमा शेकडो संधती प्रत्येकमालमा ममळ्
प्रवतीि सु्य्मवंशती
अस्मा्.
द्व्ती्य वर्म बती. कॉम
वेळ ही फमार ्माकदवमाि आहे. प्रत्येकवेळती न्च्यमावर नि्यंत्रि ममळवण्यमाचमा अट्हमास करू ि्ये. कधतीकधती असमा
ममािती जििती प्रसंग ्ये्ो की, चमांगली वेळ क्षिमा् वमाईट हो्े ्र कधती वमाईट वेळ क्षिमा् चमांगली हो्े. अश्यमावेळती व्यक्तीिे
सं्यम बमाळगमा्यलमा हवमा. चमांगली वेळ आली महिूि अहंकमारमालमा बळती जमा्यचं िमाही कक ं वमा वमाईट वेळ आली महिूि
संकटमािमा शरिही जमा्यचं िमाही. कमारि ्यश कक ं वमा अप्यश हे के वहमाच शेवटचं िस्ं. उठमा्यचं, धमावमा्यचं, लढमा्यचं
आईचतीही ममा्यमा जिू, देवमाचतीच ्मा्यमा
समोर अहंकमार असो् की, संकट दोघमांिमाही मभडमा्यचं आझि पमा्यदळती ्ुडवमा्यचं. मग पहमा ्ुमही वेळेचे िमाही ्र
कधती चुकलो ्र ्ये ्ू मशक्षमा करमा्यमा
वेळ ्ुमचती गुलमाम होईल.
आई ्ूच भक्ती ममािती, ्ूच जनमदमा्मा
शेवटी एकच समांगिं आहे. “वेळेचती कमामं वेळे् के ली् आझि वेळ जर कमा पमाळली्, ्र वमाईट वेळ ्येण्यमाचती
आहेस आददशक्ती ममािती, ्ूच भमाग्य्वधमा्मा
वेळच ्ुमच्यमावर ्येिमार िमाही.”
्ुिे ्े के स क ु रवमाळिे, अजूिही आठव्े
्ुिे ममाझ्यमासमाठी कषट करिे, अजूिही रडव्े
्ुझ्यमाच क ृ पेिे कममाव्ो लमाखो रुप्ये आज
्ुझ्यमाच संसकमारमाचती देिगती, िमाही मजलमा त्यमाचमा ममाज
आ्मा रमाहव् िमाही्ये ्ुझ्यमावमाचूि, आठवि ्ये्े्य फमार
पि कमा्य करू आई.. रोजचंच कमाममावर कमाममाचमा भमार
आई ्ोडमा्यचे आहे् हे बंध मजलमा
आई भेटमा्यचे आहे गं आ्मा ्ुजलमा
आई ्ुझ्यमासमाठी हो्ो मती, ्ुझ्यमासमाठीच रमाहीि कमान््मक जमाधव
कमान््मक जमाधव
आई ्ुझ्यमासमाठी देह ममािमा, ्ुझ्यमाच चरिती वमादहि. द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
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प्रभििा संगम
िमा्ती गो्ती समारी
वेळेचं गझि्
िमात्यमांचे मिती दोऱ्यमा् गुंफले
्ो दोर ्ुट्माच अश्ू हे ्रले
आजवर ममािवमांिती खूप प्रग्ती के ली आहे. ईशवरमाकडूि ममळमालेल्यमा बु्धिरूपती देिगतीचमा पुरेपूर वमापर त्यमािे के लमा
आकमां् हे मग आकमाशती ्वरले
आहे. ह्यमा बुधितीच्यमा जोरमावर त्यमािे सव्म क्षेत्रमा् आज आघमाडती प्रसथमा्प् के ली आहे. अिेक प्र्यति करूि अशक्य
मि हे एकटेच मभरमभरले
वमाटिमाऱ्यमा गोषटीही शक्य करूि दमाखवल्यमा आहे्. पि एक गोषट अशती आहे ज्यमावर ्ो अजूिही ्वज्य ममळवू
ु
पैशमांचमा मोह क ु िमास ि आवरे शकलेलमा िमाही कक ं बहिमा ममळवू शक्च िमाही. कोि्ती गोषट असेल ्ती ? बरोबर. ्ती गोषट महिजे दुसरं न्सरं
पैशमासमाठी िमा्ती कसमा ्ू ्वसरे? कमाही िमाही, ्ती आहे ‘वेळ’.
आठव्ो ्ो ददवस, मग सव्ःस ्वसरमावे वेळ दश्मविमारं घड्यमाळ जरी आज ्ो आपल्यमा मिगटमावर घमाल् असलमा, ्री वेळ ही त्यमाच्यमा हमा्मा् िमाही्ये.
पमाह्ो्य भ्व्व्य, समारे भकमास ददसमावे? एकदमा वेळ निघूि गेली की, ्ती कमा्यमचती गेली. ्ती पुनहमा पर् ्ये् िमाही. महिूि प्रत्येकमािे न्चमा आदर करमा्यलमा
हवमा. वेळेच्यमा पुढे जमािं कोिमालमाच शक्य िमाही, ्सेच जर एखमादमा वेळेच्यमा ममागे रमादहलमा ्र त्यमाच्यमासमाठी वेळ
ममािूस िमालमा मोठमा, ममािुसकी कमती िमाली रे ही थमांब् िमाही. त्यमामुळे प्रत्येकमािे न्च्यमाबरोबर चमालिंच सो्यतीचं ठर्ं. वेळ ही प्रत्येकमालमा सममाि संधती दे्े.
पैसमा िमालमा मोठमा, आ्मा िमा्ती ्ोटी िमाली रे कमाहीजि त्यमा संधतीच सोिं कर्मा् ्र कमाहीजि न्चती रमाखरमांगोळती कर्मा्. एखमाद्यमािे संधतीच सोि िमाही के लं
महिूि त्यमाच्यमावर रुस् िमाही. उलट पुनहमा संधती दे्े, एक, दोि, चमार, दहमा अश्यमा शेकडो संधती प्रत्येकमालमा ममळ्
प्रवतीि सु्य्मवंशती
अस्मा्.
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वेळ ही फमार ्माकदवमाि आहे. प्रत्येकवेळती न्च्यमावर नि्यंत्रि ममळवण्यमाचमा अट्हमास करू ि्ये. कधतीकधती असमा
ममािती जििती प्रसंग ्ये्ो की, चमांगली वेळ क्षिमा् वमाईट हो्े ्र कधती वमाईट वेळ क्षिमा् चमांगली हो्े. अश्यमावेळती व्यक्तीिे
सं्यम बमाळगमा्यलमा हवमा. चमांगली वेळ आली महिूि अहंकमारमालमा बळती जमा्यचं िमाही कक ं वमा वमाईट वेळ आली महिूि
संकटमािमा शरिही जमा्यचं िमाही. कमारि ्यश कक ं वमा अप्यश हे के वहमाच शेवटचं िस्ं. उठमा्यचं, धमावमा्यचं, लढमा्यचं
आईचतीही ममा्यमा जिू, देवमाचतीच ्मा्यमा
समोर अहंकमार असो् की, संकट दोघमांिमाही मभडमा्यचं आझि पमा्यदळती ्ुडवमा्यचं. मग पहमा ्ुमही वेळेचे िमाही ्र
कधती चुकलो ्र ्ये ्ू मशक्षमा करमा्यमा
वेळ ्ुमचती गुलमाम होईल.
आई ्ूच भक्ती ममािती, ्ूच जनमदमा्मा
शेवटी एकच समांगिं आहे. “वेळेचती कमामं वेळे् के ली् आझि वेळ जर कमा पमाळली्, ्र वमाईट वेळ ्येण्यमाचती
आहेस आददशक्ती ममािती, ्ूच भमाग्य्वधमा्मा
वेळच ्ुमच्यमावर ्येिमार िमाही.”
्ुिे ्े के स क ु रवमाळिे, अजूिही आठव्े
्ुिे ममाझ्यमासमाठी कषट करिे, अजूिही रडव्े
्ुझ्यमाच क ृ पेिे कममाव्ो लमाखो रुप्ये आज
्ुझ्यमाच संसकमारमाचती देिगती, िमाही मजलमा त्यमाचमा ममाज
आ्मा रमाहव् िमाही्ये ्ुझ्यमावमाचूि, आठवि ्ये्े्य फमार
पि कमा्य करू आई.. रोजचंच कमाममावर कमाममाचमा भमार
आई ्ोडमा्यचे आहे् हे बंध मजलमा
आई भेटमा्यचे आहे गं आ्मा ्ुजलमा
आई ्ुझ्यमासमाठी हो्ो मती, ्ुझ्यमासमाठीच रमाहीि कमान््मक जमाधव
कमान््मक जमाधव
आई ्ुझ्यमासमाठी देह ममािमा, ्ुझ्यमाच चरिती वमादहि. द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
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प्रभििा संगम
ममाझ्यमा्लमा मती मोबमाईल ्युग
‘मती’ हमा शबद कक्ती ्ोटमा आहे िमा...! खरंच, पि ह्यमा ‘मती’च्यमा ममागे लपलेलमा अहंकमार जेवहमा डोकं वर कमाढ्ो
आज सव्मत्र प्रमसधि अशती कोि्ती गोषट असेल ्र ्ती आहे मोबमाईल. अगदी लहमािग्यमांपमासूि ्े वृधिमांप्ययं् सवमायंच्यमा
्ेवहमा ? ह्यमा ्वशवमा् ्ोट्यमा बबंदू एवढं ही अज़स्तव िसिमाऱ्यमा ह्यमा ममािसमा्लमा ‘मती’ के वढमा मोठमा अस्ो ? ‘हे
हमा्मा् मोबमाईल अस्ो. ्ो आपल्यमा जतीविमा्लमा एक अ्वभमाज्य भमाग बिलमा आहे. मोबमाईलमुळे सव्म गोषटी
मती के लं, ्े ममािं आहे, त्यमाचं मलमा कमा्य ...?’ असे एक ि अिेक प्रशि शेवटी अिुत्रर् रमाह्मा्.
सुखकर िमाल्यमा आहे् असं महटलं ्र वमावगे ठरू ि्ये. ३-४ दशकमांपूववी अशती ज़सथ्ती िवह्ती. एकमा दठकमािमाहि
ू
प्रत्येकमाच्यमा ममाथ्यमावर सवमामभममािमाचती पगडती असलीच पमादहजे, ह्यमा् कमाहीच शंकमा िमाही. पि त्यमा पगडती ऐवजती दुसऱ्यमा दठकमािती संदेश द्यमा्यचमा असेल, ्र ्मार, पत्र ह्यमांचमा वमापर के लमा जमाई. अथमा्म् ह्यमामुळे वेळ आझि खच्म
अहंकमारमाचमा मुक ु ट कोितीही धमारि करू ि्ये. कमारि असमा मुक ु ट सवमाथमा्मच्यमा सोन्यमािे घडवलेलमा अस्ो. ह्यमाचे दोनहीही जमास् ्येई.
दहरे-मो्ती अस्मा् क्ोध आझि दवेर. मग असमा हमा मुक ु ट धमारि करूि कोितीही ्वज्यच मशखर गमाठ ू च शक्
पि आ्मा मोबमाईलच्यमा ्युगमा् हे सगळं कमाही क्षिमा् आझि अगदी िमामममात्र खचमा्म् शक्य िमाले आहे.
िमाही. ह्यमा संदभमा्म् एक शेर आठव्ो्य, ‘क्यमा लेके आ्ये थे, क्यमा लेके जमाओगे। ममट्ती से आ्ये थे ममट्ती में ही
मोबमाईलमुळे ्तकमाळ संवमाद समाध्मा ्ये्ो. ्यमा्च भरीस भर महिजे इंटरिेट, गुगल, ्व्वध वेबसमाईट ह्यमा सव्म
जमाओगे।” त्यमामुळे प्रत्येकमािे ह्यमा आपल्यमा्ल्यमा ‘मती’पिमालमा सव्ः्मा्ूि हमाकलूि लमावमा्यलमा हवं.
गोषटी देखतील मद्तीलमा उभे आहे्. ्यमांच्यमा ममाध्यममा्ूि हवती ्ती ममादह्ती हवती त्यमा वेळेस उपलबध करूि घे्मा
आ्मा ह्यमाचती दोि उदमाहरिं पमाह्यमा् भमार्मा्तील एक घटिमा. महमाममागमा्मवर लमाल मसगिल लमागलेलमा अस्ो. एक ्ये्े.
ु
गमाडती सरळ नि्यम ि जुममाि्मा मसगिल ्ोड्े आझि पुढे निघूि जमा्े. कमाही अं्र कमाप्े ि कमाप्े ्ोच फे सबुक, वहॉटसअँप, सिँपचँट ्यमाचमा चँदटग, मँसेज पमाठवण्यमासमाठी प्रचंड प्रममािमा् लोकं वमापर कर्माहे्. ्यमामुळे
वमाह्ूक पोलीस न्लमा थमांबव्मा्. गमाडतीचमा चमालक खमाली उ्र्ो आझि ्रमा्रमा त्यमांच्यमा ददशेिे चमालू लमाग्ो.
लोकमांचती कमामे जरी वेगमा् आझि वेळेवर हो् असली, ्री ज्यमाप्रममािे ‘प्रत्येक चमांगल्यमा गोषटीचमा अन्रेक वमाईटच’
त्यमाच्यमा डोळ्यमां् िमा नि्यम मोडल्यमाकवती भमाविमा अस्े िमा गुनहमा के ल्यमाचती. उलट प्रशिती ्ो पोमलसमांिमा सवमाल अगदी असंच ह्यमा मोबमाईल ्युगमाचे दुषपररिमाम ददसू लमागले आहे्. ्यमाच मोबमाईलच्यमा मोठमोठ्यमा टॉवरमुळे
कर्ो, “्ुमहमालमा ममाही आहे ही कोिमाचती गमाडती आहे?” त्यमा्तील एक पोलीस गमाडतीजवळ जमा्ो आझि दुसऱ्यमास
पशुपक्षती ्यमांच्यमापमासुि ्े थेट ममािवमालमा देखतील ्यमांचमा त्रमास सहि करमावमा लमाग् आहे. टॉवरदवमारे होिमाऱ्यमा
गमाडती सोडूि द्यमा्यलमा समांग्ो. ्ती गमाडती एकमा रमाजकक्य व्यक्तीचती अस्े. प्रन््माथ्म असमा, “आपि एखमादमा गुनहमा
के लमा आहे, ्यमाचती जमाितीव िमा त्यमा गमाडती चमालकमालमा अस्े िमा ममालकमालमा. इ्की त्यमांच्यमा डोक्यमा् ‘मती महिजे रेडडएशिमुळे पक्यमांिमा मोठ्यमाप्रममािमा् त्रमास हो्ो. त्यमांच्यमा पंखमापमासुि ्े त्यमांच्यमा ्मारेवर लटक ू ि मृत्यूप्ययं्
कोि?’ चती हवमा गेलेली अस्े.” सवमायंिमा मोबमाईलचमा मोठ्यमाप्रममािमा्तील वमापरच जबमाबदमार आहे.
ह्यमा सगळ्यमा्ूि ममािवमाचतीही सुटकमा िमालेली िमाही. ह्यमा मोबमाईलच्यमाच अन्वमापरमामुळे आज मुलमांिमा लहमािपिती
आ्मा दुसरं उदमाहरि. एक आजोबमा आपल्यमा िमा्ेवमाईकमांच्यमा लगिमानिममत् न्यूितीलंड लमा गेलेले अस्मा्.
चषममा लमागु लमागलमा आहे. मोबमाईलमधतील गेमस मुळे आज ्रुिमाई मैदमािती खेळ ्वसर् चमालली आहे.
असमाच एक ददवस ्वरंगुळमा महिूि ्े बमाजमारमा् खरेदीसमाठी जमा्मा्. बमाजमारमा् सभोव्ती ममािसमांचती ्ुरळक
बऱ्यमाचदमा मोबमाईलवर गमािती ऐकण्यमाच्यमा िमादमा् लोकं ्मासं्मास कमािमालमा एअरफोि लमाव्मा्. रसत्यमावर होिमाऱ्यमा
वद्मळ अस्े. अश्यमा् आजोबमांच्यमा ममागे एक चधपपमाड, गोरमापमाि, उंच अशती व्यक्ती ्येऊि उभती रमाह्े. आजोबमांिमा
संकोचल्यमासमारखे वमाट्े, महिूि ्े त्यमा व्यक्तीलमा आपल्यमा मोडक्यमा-्ोडक्यमा इंग्रजती्, ‘आपि पुढे ्यमा आझि पमादचमाऱ्यमांच्यमा अपघमा्मालमा हेही एक कमारि आहे. त्यमाचबरोबर ह्यमामुळे कि्मबचधर्मा देखतील ्येण्यमाचती शक्य्मा
भमाजती घ्यमा’ असं महि्मा्. क्षिमा् ्ती व्यक्ती चेहऱ्यमावर एक ज़सम्हमास्य दे्े आझि बोल्े ‘िो, िो ्यु फसट िमाकमार्मा ्ये् िमाही.
ज़पलज.’ आजोबमा भमाजती घेऊि बमाहेर ्ये् अस्मािमा त्यमांच्यमा कमािमावर शबद पड्मा्, ‘्यु िो, आ्य अँम द प्रमाईम ्यमामुळे प्रत्येकमािे मोबमाईलचमा ्योग्यरर्तीिे वमापर आवश्यक्मा िसल्यमास वमापर टमाळमा्यलमा हवमा.
ममनिसटर ऑफ धतीस कं ट्ी.’ हे ऐक ू ि त्यमांिमा आशच्यमा्मचमा धककमाच बस्ो. ्मातप्य्म एवढंच की, ‘एखमाद्यमा देशमाच्यमा
सववोचच सथमािती असिमाऱ्यमा व्यज़क््तील अहंकमार कक्ती सुममार अस्ो कक ं बहिमा िस्ोच.’
ु
शेवटी आपल्यमा पदमाचमा ्ोरमा आझि प्रमसधितीचमा प्रभमाव ्यमांचमा फमा्यदमा घेण्यमाचती वृत्ती आझि इ्रमांपेक्षमा आपि ‘खमास’
आहो् ्यमाचती डोक्यमा् जमािमारी हवमा अंन्म्ः अनिषटच की....!
पूजमा मशंदे. प्रसमाद पमाटिे.
द्व्ती्य वर्म बती.कॉम. द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
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ममाझ्यमा्लमा मती मोबमाईल ्युग
‘मती’ हमा शबद कक्ती ्ोटमा आहे िमा...! खरंच, पि ह्यमा ‘मती’च्यमा ममागे लपलेलमा अहंकमार जेवहमा डोकं वर कमाढ्ो
आज सव्मत्र प्रमसधि अशती कोि्ती गोषट असेल ्र ्ती आहे मोबमाईल. अगदी लहमािग्यमांपमासूि ्े वृधिमांप्ययं् सवमायंच्यमा
्ेवहमा ? ह्यमा ्वशवमा् ्ोट्यमा बबंदू एवढं ही अज़स्तव िसिमाऱ्यमा ह्यमा ममािसमा्लमा ‘मती’ के वढमा मोठमा अस्ो ? ‘हे
हमा्मा् मोबमाईल अस्ो. ्ो आपल्यमा जतीविमा्लमा एक अ्वभमाज्य भमाग बिलमा आहे. मोबमाईलमुळे सव्म गोषटी
मती के लं, ्े ममािं आहे, त्यमाचं मलमा कमा्य ...?’ असे एक ि अिेक प्रशि शेवटी अिुत्रर् रमाह्मा्.
सुखकर िमाल्यमा आहे् असं महटलं ्र वमावगे ठरू ि्ये. ३-४ दशकमांपूववी अशती ज़सथ्ती िवह्ती. एकमा दठकमािमाहि
ू
प्रत्येकमाच्यमा ममाथ्यमावर सवमामभममािमाचती पगडती असलीच पमादहजे, ह्यमा् कमाहीच शंकमा िमाही. पि त्यमा पगडती ऐवजती दुसऱ्यमा दठकमािती संदेश द्यमा्यचमा असेल, ्र ्मार, पत्र ह्यमांचमा वमापर के लमा जमाई. अथमा्म् ह्यमामुळे वेळ आझि खच्म
अहंकमारमाचमा मुक ु ट कोितीही धमारि करू ि्ये. कमारि असमा मुक ु ट सवमाथमा्मच्यमा सोन्यमािे घडवलेलमा अस्ो. ह्यमाचे दोनहीही जमास् ्येई.
दहरे-मो्ती अस्मा् क्ोध आझि दवेर. मग असमा हमा मुक ु ट धमारि करूि कोितीही ्वज्यच मशखर गमाठ ू च शक्
पि आ्मा मोबमाईलच्यमा ्युगमा् हे सगळं कमाही क्षिमा् आझि अगदी िमामममात्र खचमा्म् शक्य िमाले आहे.
िमाही. ह्यमा संदभमा्म् एक शेर आठव्ो्य, ‘क्यमा लेके आ्ये थे, क्यमा लेके जमाओगे। ममट्ती से आ्ये थे ममट्ती में ही
मोबमाईलमुळे ्तकमाळ संवमाद समाध्मा ्ये्ो. ्यमा्च भरीस भर महिजे इंटरिेट, गुगल, ्व्वध वेबसमाईट ह्यमा सव्म
जमाओगे।” त्यमामुळे प्रत्येकमािे ह्यमा आपल्यमा्ल्यमा ‘मती’पिमालमा सव्ः्मा्ूि हमाकलूि लमावमा्यलमा हवं.
गोषटी देखतील मद्तीलमा उभे आहे्. ्यमांच्यमा ममाध्यममा्ूि हवती ्ती ममादह्ती हवती त्यमा वेळेस उपलबध करूि घे्मा
आ्मा ह्यमाचती दोि उदमाहरिं पमाह्यमा् भमार्मा्तील एक घटिमा. महमाममागमा्मवर लमाल मसगिल लमागलेलमा अस्ो. एक ्ये्े.
ु
गमाडती सरळ नि्यम ि जुममाि्मा मसगिल ्ोड्े आझि पुढे निघूि जमा्े. कमाही अं्र कमाप्े ि कमाप्े ्ोच फे सबुक, वहॉटसअँप, सिँपचँट ्यमाचमा चँदटग, मँसेज पमाठवण्यमासमाठी प्रचंड प्रममािमा् लोकं वमापर कर्माहे्. ्यमामुळे
वमाह्ूक पोलीस न्लमा थमांबव्मा्. गमाडतीचमा चमालक खमाली उ्र्ो आझि ्रमा्रमा त्यमांच्यमा ददशेिे चमालू लमाग्ो.
लोकमांचती कमामे जरी वेगमा् आझि वेळेवर हो् असली, ्री ज्यमाप्रममािे ‘प्रत्येक चमांगल्यमा गोषटीचमा अन्रेक वमाईटच’
त्यमाच्यमा डोळ्यमां् िमा नि्यम मोडल्यमाकवती भमाविमा अस्े िमा गुनहमा के ल्यमाचती. उलट प्रशिती ्ो पोमलसमांिमा सवमाल अगदी असंच ह्यमा मोबमाईल ्युगमाचे दुषपररिमाम ददसू लमागले आहे्. ्यमाच मोबमाईलच्यमा मोठमोठ्यमा टॉवरमुळे
कर्ो, “्ुमहमालमा ममाही आहे ही कोिमाचती गमाडती आहे?” त्यमा्तील एक पोलीस गमाडतीजवळ जमा्ो आझि दुसऱ्यमास
पशुपक्षती ्यमांच्यमापमासुि ्े थेट ममािवमालमा देखतील ्यमांचमा त्रमास सहि करमावमा लमाग् आहे. टॉवरदवमारे होिमाऱ्यमा
गमाडती सोडूि द्यमा्यलमा समांग्ो. ्ती गमाडती एकमा रमाजकक्य व्यक्तीचती अस्े. प्रन््माथ्म असमा, “आपि एखमादमा गुनहमा
के लमा आहे, ्यमाचती जमाितीव िमा त्यमा गमाडती चमालकमालमा अस्े िमा ममालकमालमा. इ्की त्यमांच्यमा डोक्यमा् ‘मती महिजे रेडडएशिमुळे पक्यमांिमा मोठ्यमाप्रममािमा् त्रमास हो्ो. त्यमांच्यमा पंखमापमासुि ्े त्यमांच्यमा ्मारेवर लटक ू ि मृत्यूप्ययं्
कोि?’ चती हवमा गेलेली अस्े.” सवमायंिमा मोबमाईलचमा मोठ्यमाप्रममािमा्तील वमापरच जबमाबदमार आहे.
ह्यमा सगळ्यमा्ूि ममािवमाचतीही सुटकमा िमालेली िमाही. ह्यमा मोबमाईलच्यमाच अन्वमापरमामुळे आज मुलमांिमा लहमािपिती
आ्मा दुसरं उदमाहरि. एक आजोबमा आपल्यमा िमा्ेवमाईकमांच्यमा लगिमानिममत् न्यूितीलंड लमा गेलेले अस्मा्.
चषममा लमागु लमागलमा आहे. मोबमाईलमधतील गेमस मुळे आज ्रुिमाई मैदमािती खेळ ्वसर् चमालली आहे.
असमाच एक ददवस ्वरंगुळमा महिूि ्े बमाजमारमा् खरेदीसमाठी जमा्मा्. बमाजमारमा् सभोव्ती ममािसमांचती ्ुरळक
बऱ्यमाचदमा मोबमाईलवर गमािती ऐकण्यमाच्यमा िमादमा् लोकं ्मासं्मास कमािमालमा एअरफोि लमाव्मा्. रसत्यमावर होिमाऱ्यमा
वद्मळ अस्े. अश्यमा् आजोबमांच्यमा ममागे एक चधपपमाड, गोरमापमाि, उंच अशती व्यक्ती ्येऊि उभती रमाह्े. आजोबमांिमा
संकोचल्यमासमारखे वमाट्े, महिूि ्े त्यमा व्यक्तीलमा आपल्यमा मोडक्यमा-्ोडक्यमा इंग्रजती्, ‘आपि पुढे ्यमा आझि पमादचमाऱ्यमांच्यमा अपघमा्मालमा हेही एक कमारि आहे. त्यमाचबरोबर ह्यमामुळे कि्मबचधर्मा देखतील ्येण्यमाचती शक्य्मा
भमाजती घ्यमा’ असं महि्मा्. क्षिमा् ्ती व्यक्ती चेहऱ्यमावर एक ज़सम्हमास्य दे्े आझि बोल्े ‘िो, िो ्यु फसट िमाकमार्मा ्ये् िमाही.
ज़पलज.’ आजोबमा भमाजती घेऊि बमाहेर ्ये् अस्मािमा त्यमांच्यमा कमािमावर शबद पड्मा्, ‘्यु िो, आ्य अँम द प्रमाईम ्यमामुळे प्रत्येकमािे मोबमाईलचमा ्योग्यरर्तीिे वमापर आवश्यक्मा िसल्यमास वमापर टमाळमा्यलमा हवमा.
ममनिसटर ऑफ धतीस कं ट्ी.’ हे ऐक ू ि त्यमांिमा आशच्यमा्मचमा धककमाच बस्ो. ्मातप्य्म एवढंच की, ‘एखमाद्यमा देशमाच्यमा
सववोचच सथमािती असिमाऱ्यमा व्यज़क््तील अहंकमार कक्ती सुममार अस्ो कक ं बहिमा िस्ोच.’
ु
शेवटी आपल्यमा पदमाचमा ्ोरमा आझि प्रमसधितीचमा प्रभमाव ्यमांचमा फमा्यदमा घेण्यमाचती वृत्ती आझि इ्रमांपेक्षमा आपि ‘खमास’
आहो् ्यमाचती डोक्यमा् जमािमारी हवमा अंन्म्ः अनिषटच की....!
पूजमा मशंदे. प्रसमाद पमाटिे.
द्व्ती्य वर्म बती.कॉम. द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
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प्रभििा संगम
चचमा्म िको संवमाद हवमा ्ये्े मती....!
आई बमाबमा आझि मुलमांचं िमा्ं महिजे सवमा्मचधक ज़जवहमाळ्यमाचं, प्रेममाचं िमा्ं महिूि गिलं जमा्ं. पि सध्यमा हे
कमाही ददवसमांपूववीच ्ुमचमा आझि ममािमा प्रवमास थमांबलमा आहे. पि ज्यमा कमारिमामुळे थमांवलमा ्े कमारि खरं्र ्योग्य
चचत्र पमालट् चमाललं्य. आई बमाबमा आझि मुलमांच्यमा िमात्यमामध्ये क ु ठे्री दुरमावमा निममा्मि हो् चमाललमा आहे. ह्यमा
िमात्यमांमध्ये आपुलकी पेक्षमा एकमेकमांकडूि वमाढलेल्यमा अपेक्षमा, कमाममाच्यमा सपधधे् हरवलेले आई बमाबमा, सोशल िमाही्ये. ममाझ्यमावर मौझखक आरोप आहे की, मती प्यमा्मवरिमालमा हमािती पोहोचवली, अिेक प्रमाण्यमांच्यमा पोटमा् त्यमांच्यमा
मतीडड्यमावर लमाईकच्यमा ममागे धमाविमारी ्रुिमाई ्यमामुळे अिेक घरमां्तील संवमादमाचती जमागमा ्वसंवमादमािे घे्ली आहे. मृत्यूस कमारितीभू् ठरली, मुंबई्तील गटमारे ममाझ्यमामुळे ्ुंबमाईचती. पि खरंच ह्यमा सगळ्यमालमा मती कमारितीभू् आहे
ह्यमा ्वसंवमादमामुळे ह्यमा गोड िमात्यमामध्ये चचडचचड, अहंकमार, हेवेदमावे, म्मभनि्मा वमाढ्े्य. ्यमाममागचती करिं जरी कमा हो ? महिूि ्र आज मलमा बोलमा्यचं्य ्ुमच्यमाशती. अगदी मोकळेपिमािं....!
अिेक असली ्री एक गोषट सपषट आहे ्ती सोशल मतीडड्यमामुळे जवळ आलेले जग, ह्यमा गोड िमात्यमा्तील कमाही वरमायंपूववी पलमाज़सटकचमा शोध लमागलमा. थोड्यमाच कमालमावधती् हे पलमाज़सटक प्रत्येकमाच्यमा घरमा् एक िमा एक
दुरमावमा वमाढव्ो्य. वस्ूच्यमा ममाध्यममा्ूि आढळूि ्येऊ लमागले. हे जिू अखंड ममािवजमा्तीलमा वरदमािच ठरलं हो्ं. वजिमालमा हलके ,
आ्मा ह्यमा आधुनिक जगमा् सत्रती देखतील पुरुरमांप्रममािे सममाजमा् वमावर् आहे. एक अथमा्मिे ्े सव्ःलमा मसधि
वमा्मावरिमाचमा कोि्माही पररिमाम ि होिमारे, प्रकक््यमा करूि पुनहमा वमापर्मा ्येिमारे असे एकमा पेक्षमा एक सरस गुि
कर् आहे, असं महिमा्यलमा हरक् िमाही. मग असे सत्रती-पुरुर आई-वडतील ्यमा िमात्यमािे सममाजमा् वमावर्मा्
अंगती घेऊि पलमाज़सटक सममाजमा् ममरवू लमागले. अश्यमा्च ‘्ो’ ददवस आलमा जेवहमा मती जनममालमा आले. ्ुमहमा
्ेवहमा? मुलमाच्यमा हमा्मा् सव्म समाधिे, सुखसो्यती अस्मा् पि संवमादच कमा्य?
्ेवहमा अश्यमा ह्यमा ्वसंवमादमासमारख्यमा गहि प्रशिमावर मलमा ्री एकच उपमा्य ददस्ो, ्ो महिजे जेवहमा जेवहमा वेळ सवमायंचती लमाडकी ‘पलमाज़सटक ्पशवती’. ममािमा जनम पलमाज़सटक मधूिच िमाल्यमािे ममाझ्यमाही अंगती अगदी ‘्ेच’ गुि
ममळेल ्ेवहमा ्ेवहमा आपल्यमा मुलमांशती संवमाद समाधिं. आपल्यमा मुलमाच्यमा मिमा्तील अिेक प्रशिमांचती उत्रं देिं, हो्े. ह्यमाच कमारिमामुळे मतीही घरमाघरमा् जमाऊि पोहोचले. लहमािमांपमासूि ्े थोरमा-मोठ्यमांप्ययं् सवमायंिमा जवळचती िमाले.
त्यमाच्यमा मिमा्लं जमािूि घेण्यमासमाठी आपल्यमा मिमा्तील त्यमांिमा समांगिं. मग पहमा ओसमाड पड् चमाललेल्यमा ह्यमा ककरकोळ ्वक्े ्मा असो कक ं वमा घमाऊक बमाजमारपेठ सव्मत्र मती आझि मतीच हो्े. वरमा्मचती बमारमाही मदहिे ममािती रेलचेल
िमात्यमां् पुनहमा दहरवती गद्म विरमाईचती गददी हो्े की िमाही ्े....!
असमा्यचती.
एके ददवशती ममाझ्यमा आ्युष्यमा्तील कमाळमा ददवस उजमाडलमा. ममाझ्यमावर प्र्योग करूि ममािती जमाडती फमार फमार कमती
करण्यमा् आली. ह्यमाचबरोबर कमती िमालमा ममािमा दजमा्म, ्वशवमासह्मा्म् आझि पररिमामती कक ं म्ही. बहदमा ही कलपिमा
ु
‘्युज अँड थ्ो’वर आधमारर् असमावती. इथूिच ममाझ्यमा प्रमसधितीलमा गमालबोट लमागमा्यलमा सुरुवमा् िमाली. आ्मा मलमा
नििमाद घमाग. समांगमा ‘वमापरमा आझि टमाकमा’ ह्यमालमा मती जबमाबदमार हो्े कमा ? मग सुरुवमा्तीलमा ्वचमारलेल्यमा प्रशिच उत्र ्ुमहमालमा
प्रथम वर्म बती.कॉम आपोआपच ममळेल. मुळमा् मलमा कोिमाचतीही आझि क ु ठल्यमाही प्रकमारे हमािती करमा्यचती िवह्ती. ममािमा ्योग्य वमापर
आझि त्यमावर पुिप्र्मकक््यमा ह्यमा फक् दोिच गोषटी ्ुमही लक्षमा् घे्ल्यमा असत्यमा, ्र आजचती ही ्ुमच्यमापमासूि
दुरमावण्यमाचती वेळ ममाझ्यमावर अली िस्ती. खरं्र कमाही सुज्ञ िमागररकमांिती मलमा मद्तीचमा हमा् ददलमा हो्मा. पि
दुददैवमािे त्यमांचती हमाक कोितीच ऐकली िमाही. िमागररकमांचमा “अरे घरमा्ूि ्पशवती कशमालमा घेऊि जमा्यचती, दुकमािदमार
देईल की कमाळती ्पशवती” हमा ्युज़क्वमाद मलमा भोवलमा. आ्मा आजचती पररज़सथ्ती ्ुमच्यमा डोळ्यमासमोरच आहे.
्ुमहमालमा ममाही् आहे..? ममािमा वमापर पकके रस्े बिव्मािमा होऊ शक्ो. ्सेच इममार् बमांध्मािमा मसमेंटमध्ये
मलमा ममसळ्मा ्ये्ं. एवढंच िमाही ्र ममािमा वमापर करूि ऊजमा्म निमम्म्तीही कर्मा ्येऊ शक्े. गरज हो्ती ्ती मलमा
ममाझ्यमा पुिर्मचिेच्यमा समाखळती् टमाकण्यमाचती. पि ्ती समाखळतीच ्ुमही मोडली् आझि मलमा ्ुमच्यमापमासूि ्ोडलं्.
मग आ्मा ममािं कमा्य िमालं ्े ्ुमही आझि मती अिुभव्ेच आहे...! आ्मा मलमा समांगमा ह्यमा सगळ्यमालमा जबमाबदमार
कोि ..? मती..?
हे सव्म घड् अस्मािमा ममाझ्यमाही डोळ्यमा् अश्ूंिती गददी के ली. मग मिमा् आलं, “आपल्यमा जमाण्यमािे आपत्ती
टळिमार असेल ्र कमा्य हरक् आहे.” िमाही्री ्ुमच्यमासमाठीच आले हो्े आझि आ्मा ्ुमच्यमासमाठीच जमाईि.
अश्यमा्च ममाझ्यमाकडे पमाहि ज़सम्हमास्य करिमाऱ्यमा त्यमा निसगमा्मलमा पमादहलं आझि सगळं - सगळं ्वसरूि गेले.
ू
जमा्माजमा्मा एकच ्विं्ती आहे, जे ममाझ्यमाबरोबर िमालं त्यमािे कमाही्री मशकमा िमाही्र पुनहमा वेळ निघूि जमाईल
आझि कोिमा दुसऱ्यमावर वमाईट वेळ ्येईल. अगदी ममाझ्यमासमारखती...!
्ुमही आजवर ददलेल्यमा प्रेममाबद्दल मती ्ुमचती िेहमतीच ऋिती रमाहीि. कमाही चुकलं असेल ्र मोठ्यमा ममािमािं ममाफ
करमा. ्ये्े मती....!
कमान््मक जमाधव
द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
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चचमा्म िको संवमाद हवमा ्ये्े मती....!
आई बमाबमा आझि मुलमांचं िमा्ं महिजे सवमा्मचधक ज़जवहमाळ्यमाचं, प्रेममाचं िमा्ं महिूि गिलं जमा्ं. पि सध्यमा हे
कमाही ददवसमांपूववीच ्ुमचमा आझि ममािमा प्रवमास थमांबलमा आहे. पि ज्यमा कमारिमामुळे थमांवलमा ्े कमारि खरं्र ्योग्य
चचत्र पमालट् चमाललं्य. आई बमाबमा आझि मुलमांच्यमा िमात्यमामध्ये क ु ठे्री दुरमावमा निममा्मि हो् चमाललमा आहे. ह्यमा
िमात्यमांमध्ये आपुलकी पेक्षमा एकमेकमांकडूि वमाढलेल्यमा अपेक्षमा, कमाममाच्यमा सपधधे् हरवलेले आई बमाबमा, सोशल िमाही्ये. ममाझ्यमावर मौझखक आरोप आहे की, मती प्यमा्मवरिमालमा हमािती पोहोचवली, अिेक प्रमाण्यमांच्यमा पोटमा् त्यमांच्यमा
मतीडड्यमावर लमाईकच्यमा ममागे धमाविमारी ्रुिमाई ्यमामुळे अिेक घरमां्तील संवमादमाचती जमागमा ्वसंवमादमािे घे्ली आहे. मृत्यूस कमारितीभू् ठरली, मुंबई्तील गटमारे ममाझ्यमामुळे ्ुंबमाईचती. पि खरंच ह्यमा सगळ्यमालमा मती कमारितीभू् आहे
ह्यमा ्वसंवमादमामुळे ह्यमा गोड िमात्यमामध्ये चचडचचड, अहंकमार, हेवेदमावे, म्मभनि्मा वमाढ्े्य. ्यमाममागचती करिं जरी कमा हो ? महिूि ्र आज मलमा बोलमा्यचं्य ्ुमच्यमाशती. अगदी मोकळेपिमािं....!
अिेक असली ्री एक गोषट सपषट आहे ्ती सोशल मतीडड्यमामुळे जवळ आलेले जग, ह्यमा गोड िमात्यमा्तील कमाही वरमायंपूववी पलमाज़सटकचमा शोध लमागलमा. थोड्यमाच कमालमावधती् हे पलमाज़सटक प्रत्येकमाच्यमा घरमा् एक िमा एक
दुरमावमा वमाढव्ो्य. वस्ूच्यमा ममाध्यममा्ूि आढळूि ्येऊ लमागले. हे जिू अखंड ममािवजमा्तीलमा वरदमािच ठरलं हो्ं. वजिमालमा हलके ,
आ्मा ह्यमा आधुनिक जगमा् सत्रती देखतील पुरुरमांप्रममािे सममाजमा् वमावर् आहे. एक अथमा्मिे ्े सव्ःलमा मसधि
वमा्मावरिमाचमा कोि्माही पररिमाम ि होिमारे, प्रकक््यमा करूि पुनहमा वमापर्मा ्येिमारे असे एकमा पेक्षमा एक सरस गुि
कर् आहे, असं महिमा्यलमा हरक् िमाही. मग असे सत्रती-पुरुर आई-वडतील ्यमा िमात्यमािे सममाजमा् वमावर्मा्
अंगती घेऊि पलमाज़सटक सममाजमा् ममरवू लमागले. अश्यमा्च ‘्ो’ ददवस आलमा जेवहमा मती जनममालमा आले. ्ुमहमा
्ेवहमा? मुलमाच्यमा हमा्मा् सव्म समाधिे, सुखसो्यती अस्मा् पि संवमादच कमा्य?
्ेवहमा अश्यमा ह्यमा ्वसंवमादमासमारख्यमा गहि प्रशिमावर मलमा ्री एकच उपमा्य ददस्ो, ्ो महिजे जेवहमा जेवहमा वेळ सवमायंचती लमाडकी ‘पलमाज़सटक ्पशवती’. ममािमा जनम पलमाज़सटक मधूिच िमाल्यमािे ममाझ्यमाही अंगती अगदी ‘्ेच’ गुि
ममळेल ्ेवहमा ्ेवहमा आपल्यमा मुलमांशती संवमाद समाधिं. आपल्यमा मुलमाच्यमा मिमा्तील अिेक प्रशिमांचती उत्रं देिं, हो्े. ह्यमाच कमारिमामुळे मतीही घरमाघरमा् जमाऊि पोहोचले. लहमािमांपमासूि ्े थोरमा-मोठ्यमांप्ययं् सवमायंिमा जवळचती िमाले.
त्यमाच्यमा मिमा्लं जमािूि घेण्यमासमाठी आपल्यमा मिमा्तील त्यमांिमा समांगिं. मग पहमा ओसमाड पड् चमाललेल्यमा ह्यमा ककरकोळ ्वक्े ्मा असो कक ं वमा घमाऊक बमाजमारपेठ सव्मत्र मती आझि मतीच हो्े. वरमा्मचती बमारमाही मदहिे ममािती रेलचेल
िमात्यमां् पुनहमा दहरवती गद्म विरमाईचती गददी हो्े की िमाही ्े....!
असमा्यचती.
एके ददवशती ममाझ्यमा आ्युष्यमा्तील कमाळमा ददवस उजमाडलमा. ममाझ्यमावर प्र्योग करूि ममािती जमाडती फमार फमार कमती
करण्यमा् आली. ह्यमाचबरोबर कमती िमालमा ममािमा दजमा्म, ्वशवमासह्मा्म् आझि पररिमामती कक ं म्ही. बहदमा ही कलपिमा
ु
‘्युज अँड थ्ो’वर आधमारर् असमावती. इथूिच ममाझ्यमा प्रमसधितीलमा गमालबोट लमागमा्यलमा सुरुवमा् िमाली. आ्मा मलमा
नििमाद घमाग. समांगमा ‘वमापरमा आझि टमाकमा’ ह्यमालमा मती जबमाबदमार हो्े कमा ? मग सुरुवमा्तीलमा ्वचमारलेल्यमा प्रशिच उत्र ्ुमहमालमा
प्रथम वर्म बती.कॉम आपोआपच ममळेल. मुळमा् मलमा कोिमाचतीही आझि क ु ठल्यमाही प्रकमारे हमािती करमा्यचती िवह्ती. ममािमा ्योग्य वमापर
आझि त्यमावर पुिप्र्मकक््यमा ह्यमा फक् दोिच गोषटी ्ुमही लक्षमा् घे्ल्यमा असत्यमा, ्र आजचती ही ्ुमच्यमापमासूि
दुरमावण्यमाचती वेळ ममाझ्यमावर अली िस्ती. खरं्र कमाही सुज्ञ िमागररकमांिती मलमा मद्तीचमा हमा् ददलमा हो्मा. पि
दुददैवमािे त्यमांचती हमाक कोितीच ऐकली िमाही. िमागररकमांचमा “अरे घरमा्ूि ्पशवती कशमालमा घेऊि जमा्यचती, दुकमािदमार
देईल की कमाळती ्पशवती” हमा ्युज़क्वमाद मलमा भोवलमा. आ्मा आजचती पररज़सथ्ती ्ुमच्यमा डोळ्यमासमोरच आहे.
्ुमहमालमा ममाही् आहे..? ममािमा वमापर पकके रस्े बिव्मािमा होऊ शक्ो. ्सेच इममार् बमांध्मािमा मसमेंटमध्ये
मलमा ममसळ्मा ्ये्ं. एवढंच िमाही ्र ममािमा वमापर करूि ऊजमा्म निमम्म्तीही कर्मा ्येऊ शक्े. गरज हो्ती ्ती मलमा
ममाझ्यमा पुिर्मचिेच्यमा समाखळती् टमाकण्यमाचती. पि ्ती समाखळतीच ्ुमही मोडली् आझि मलमा ्ुमच्यमापमासूि ्ोडलं्.
मग आ्मा ममािं कमा्य िमालं ्े ्ुमही आझि मती अिुभव्ेच आहे...! आ्मा मलमा समांगमा ह्यमा सगळ्यमालमा जबमाबदमार
कोि ..? मती..?
हे सव्म घड् अस्मािमा ममाझ्यमाही डोळ्यमा् अश्ूंिती गददी के ली. मग मिमा् आलं, “आपल्यमा जमाण्यमािे आपत्ती
टळिमार असेल ्र कमा्य हरक् आहे.” िमाही्री ्ुमच्यमासमाठीच आले हो्े आझि आ्मा ्ुमच्यमासमाठीच जमाईि.
अश्यमा्च ममाझ्यमाकडे पमाहि ज़सम्हमास्य करिमाऱ्यमा त्यमा निसगमा्मलमा पमादहलं आझि सगळं - सगळं ्वसरूि गेले.
ू
जमा्माजमा्मा एकच ्विं्ती आहे, जे ममाझ्यमाबरोबर िमालं त्यमािे कमाही्री मशकमा िमाही्र पुनहमा वेळ निघूि जमाईल
आझि कोिमा दुसऱ्यमावर वमाईट वेळ ्येईल. अगदी ममाझ्यमासमारखती...!
्ुमही आजवर ददलेल्यमा प्रेममाबद्दल मती ्ुमचती िेहमतीच ऋिती रमाहीि. कमाही चुकलं असेल ्र मोठ्यमा ममािमािं ममाफ
करमा. ्ये्े मती....!
कमान््मक जमाधव
द्व्ती्य वर्म बती.कॉम.
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कुणाकडे मागा्चं?
गभा्षनेच नाकारले र्नमाला ्ेणे तर
मरणाने र्ीवनदान कुणाकडे मागा्चं?
ईश्वराने िरीदले िैतानाचे ततव तर
ज्ानेशाने ‘पिा्दान’ कुणाकडे मागा्चं?
धमन्ांमधले रक्तच झाले दफतूर तर
धररत्ीने बसलदान कुणाकडे मागा्चं?
रसत्ांनीच अडवून धरले रसते तर
पांर्सर्ाने ‘प्रसर्ान’ कुणाकडे मागा्चं?
प्रशांची कलेवर र्ाऊन पडली सचतेवर तर
उत्तरांनी ‘अविान’ कुणाकडे मागा्चं?
घरट्ातील मा्ेने छाटून टाकले पंि तर
पािराने ‘उड्ाण’ कुणाकडे मागा्चं?
- िंतोर पाठारे
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कुणाकडे मागा्चं?
गभा्षनेच नाकारले र्नमाला ्ेणे तर
मरणाने र्ीवनदान कुणाकडे मागा्चं?
ईश्वराने िरीदले िैतानाचे ततव तर
ज्ानेशाने ‘पिा्दान’ कुणाकडे मागा्चं?
धमन्ांमधले रक्तच झाले दफतूर तर
धररत्ीने बसलदान कुणाकडे मागा्चं?
रसत्ांनीच अडवून धरले रसते तर
पांर्सर्ाने ‘प्रसर्ान’ कुणाकडे मागा्चं?
प्रशांची कलेवर र्ाऊन पडली सचतेवर तर
उत्तरांनी ‘अविान’ कुणाकडे मागा्चं?
घरट्ातील मा्ेने छाटून टाकले पंि तर
पािराने ‘उड्ाण’ कुणाकडे मागा्चं?
- िंतोर पाठारे
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प्रभििा संगम
दान भेटी लागी र्ीवा। माझे र्ीवीची आवडी।
पंढरपूरा नेई गुढी।।
आर् लािो लोक, शेकडो दसंड््ा घेऊन पंढरीच््ा आराढी वारीला ्ेतात. ही पा्ी चालत र्ाण््ाची वारी परंपरा
हर्ारो वर्रांपूर्वीची आहे. र््ञानेश्वरांच््ा र्न्माआधी पािून ही परंपरा त््ांचे वडील वसठ्ठलपंत करत होते.
दान दसलेि अफाट, माझी तोकडी रे झोळी
तुझा वसश्वाचा पिारा, माझे घर चंद्रमरौळी।। िाधुिंत मा्बाप तेही केले कृपादान।
पंढरीच््ा ्ात्री नेले घडो चंद्रभागा ि्नान।।
अिे िुद्द र््ञानेश्वरांनी एका अभंगात म्हंटले आहे. त््ांनीही िमार्ाला पटवून दसले आहे.
तिेच नामदेव महारार् म्हणतात ि्वतः पांडुरंगाने आपल््ा भक्तांना िांगसतले आहे, वारी वसिरु नका. ते म्हणतात
कसती वेचू वेचू फुले, कसती िुगंध हुंगावा आराढी कार्तसकी वसिरु नका मर्
िांगसतले गुडा पांडुरंग।।
दरदसशी उमलते, चसंब दवात पाकळी।।
तिेच एकनार् महारार् ही पा्ी वारी करत होते. त््ांनी िुद्धा आपल््ा अभंगात वारीचा उल्लेि केला आहे. ते
म्हणतात.
माझ््ा नर्रेची झेप, माझ््ा परीघा पुरती धन्् धन्् पंढरपूर। वाहे भीवरा िमोर।
म्हणोनस नेने वारकरी। करती वारी अहर्नसशी।।
तुझ््ा नक्रत्रांचे देणे, वसिुरले अंतराळी।।
तुकाराम महारार्ांनी िुद्धा आपल््ा अभंग वाणीत वारीचा उल्लेि केला आहे.
आराढी नसकट। आला कार्तसकीचा हाट।
पुरे दोन्हींचा बार्ार। नको आणसक व््ापार।।
तुझ््ा रुपाचे दर्शन, झाले कणाकणातून
वारी वसर् :-
माझा शोधही िंपला, र्ावे कशाि राऊळी? र््ञानेश्वर महारार्ांचा आर्चा र्ो िोहळा आहे त््ाची िुरुवात मात्र दोनशे वर्रांपूर्वी होऊन गेलेल््ा हैवतबाबा
आरकळकर ्ांनी केली आहे. त््ांचा र्न्म एका िरदार घराण््ात झाला होता. ते ग्वाल्हेरहून परत गावी ्ेताना त््ांना
चोरांनी पकडले व एका गुहेत डांबून ठेवले. त््ा गुहेत अिताना त््ांनी र््ञानेश्वरांची आराधना केली. िूप प्रार्र्ना केली.
त््ाच काळात चोरांचा िरदार होता त््ाला पुत्र प्राप्ती झाली. त््ा पुत्र प्राप्तीच््ा आनंदात त््ाने हैवतबाबांना त््ा
गुहेतून मुक्त केले.
हैवतबाबांना िमर्ले की आपण र््ञानेश्वर महारार्ांची आराधना केल््ामुळे आपणाि मुक्ती मसळाली म्हणून ते आळंदीि
र्ाऊन र््ञानेश्वरांच््ा िमाधी िमोर भर्न प्रार्र्ना करु लागले. आराढी एकादशी आली की त््ांनी नवीन ्ोर्ना आिली.
पहसली प्रर्ा अशी होती की वारीला र्ाताना िंतांच््ा पादुका गळ््ामध््े घेऊन र्ा्चे. पण हैवतबाबांनी ठरवले आणस पण
पादुकांिाठी िुशोभसत अशी पालिी बनवून र््ञानेश्वर महारार्ांच््ा पादुका त््ा पालिी मध््े ठेवून ते पंढरपूरच््ा वारीि
(्ात्रेि) र्ाऊ लागले.
- िंतोर पाठारे धन््वाद
वसठ्ठल देशमुि
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प्रभििा संगम
दान भेटी लागी र्ीवा। माझे र्ीवीची आवडी।
पंढरपूरा नेई गुढी।।
आर् लािो लोक, शेकडो दसंड््ा घेऊन पंढरीच््ा आराढी वारीला ्ेतात. ही पा्ी चालत र्ाण््ाची वारी परंपरा
हर्ारो वर्रांपूर्वीची आहे. र््ञानेश्वरांच््ा र्न्माआधी पािून ही परंपरा त््ांचे वडील वसठ्ठलपंत करत होते.
दान दसलेि अफाट, माझी तोकडी रे झोळी
तुझा वसश्वाचा पिारा, माझे घर चंद्रमरौळी।। िाधुिंत मा्बाप तेही केले कृपादान।
पंढरीच््ा ्ात्री नेले घडो चंद्रभागा ि्नान।।
अिे िुद्द र््ञानेश्वरांनी एका अभंगात म्हंटले आहे. त््ांनीही िमार्ाला पटवून दसले आहे.
तिेच नामदेव महारार् म्हणतात ि्वतः पांडुरंगाने आपल््ा भक्तांना िांगसतले आहे, वारी वसिरु नका. ते म्हणतात
कसती वेचू वेचू फुले, कसती िुगंध हुंगावा आराढी कार्तसकी वसिरु नका मर्
िांगसतले गुडा पांडुरंग।।
दरदसशी उमलते, चसंब दवात पाकळी।।
तिेच एकनार् महारार् ही पा्ी वारी करत होते. त््ांनी िुद्धा आपल््ा अभंगात वारीचा उल्लेि केला आहे. ते
म्हणतात.
माझ््ा नर्रेची झेप, माझ््ा परीघा पुरती धन्् धन्् पंढरपूर। वाहे भीवरा िमोर।
म्हणोनस नेने वारकरी। करती वारी अहर्नसशी।।
तुझ््ा नक्रत्रांचे देणे, वसिुरले अंतराळी।।
तुकाराम महारार्ांनी िुद्धा आपल््ा अभंग वाणीत वारीचा उल्लेि केला आहे.
आराढी नसकट। आला कार्तसकीचा हाट।
पुरे दोन्हींचा बार्ार। नको आणसक व््ापार।।
तुझ््ा रुपाचे दर्शन, झाले कणाकणातून
वारी वसर् :-
माझा शोधही िंपला, र्ावे कशाि राऊळी? र््ञानेश्वर महारार्ांचा आर्चा र्ो िोहळा आहे त््ाची िुरुवात मात्र दोनशे वर्रांपूर्वी होऊन गेलेल््ा हैवतबाबा
आरकळकर ्ांनी केली आहे. त््ांचा र्न्म एका िरदार घराण््ात झाला होता. ते ग्वाल्हेरहून परत गावी ्ेताना त््ांना
चोरांनी पकडले व एका गुहेत डांबून ठेवले. त््ा गुहेत अिताना त््ांनी र््ञानेश्वरांची आराधना केली. िूप प्रार्र्ना केली.
त््ाच काळात चोरांचा िरदार होता त््ाला पुत्र प्राप्ती झाली. त््ा पुत्र प्राप्तीच््ा आनंदात त््ाने हैवतबाबांना त््ा
गुहेतून मुक्त केले.
हैवतबाबांना िमर्ले की आपण र््ञानेश्वर महारार्ांची आराधना केल््ामुळे आपणाि मुक्ती मसळाली म्हणून ते आळंदीि
र्ाऊन र््ञानेश्वरांच््ा िमाधी िमोर भर्न प्रार्र्ना करु लागले. आराढी एकादशी आली की त््ांनी नवीन ्ोर्ना आिली.
पहसली प्रर्ा अशी होती की वारीला र्ाताना िंतांच््ा पादुका गळ््ामध््े घेऊन र्ा्चे. पण हैवतबाबांनी ठरवले आणस पण
पादुकांिाठी िुशोभसत अशी पालिी बनवून र््ञानेश्वर महारार्ांच््ा पादुका त््ा पालिी मध््े ठेवून ते पंढरपूरच््ा वारीि
(्ात्रेि) र्ाऊ लागले.
- िंतोर पाठारे धन््वाद
वसठ्ठल देशमुि
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guldsqw
hlq-plq suAwrn vwlw pIrI-mIrI dw gurmiq isDWq
pIrI-mIrI dw is`K isDWq gurU hirgoibMd swihb jI dI is`K pMQ ƒ smyN dy hwlwq dw Asrdwr FMg nwl twkrw krn
is`K ny iksy vI v`fI qoN v`fI sMswirk SkqI dw fr nhIN mMnxw, kmzorI jW QoVidlI mnoBwv pYdw nhIN hox dyxw,
Aqy hr mYdwn &qh krn dy audyS dI pUrqI ihq mhwn qy Adu`qI b^iSS hY[ mIrI-pIrI dy gurmiq isDWq jW is`K isDWq dy
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“jy jIvY piq lQI jwie] sBu hrwmu jyqw ikCu Kwie]”
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BrwqrI Bwv qy sWJIvwlqw dw mnoBwv gurU dy nwm-lyvw is`K-pMQ ny sdw hI swhmxy r`Kxw hY Aqy dUeI, dÍYq, ibgwnypn,
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is`K pMQ dy smUh sMGrSW dw AwDwr sRI gurU hirgoibMd swihb
’c irhw sI pr srIirk bl qy mwnisk Brm-AigAwn ’c Ps ky gurU-Gr dy hI iKlwP ho igAw qy hmlwvr bx cVH
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AwieAw sI[
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pIrI-mIrI dw gurmiq isDWq swƒ sMswirk Aqy rUhwnI donW SkqIAW ƒ nwl-nwl sMcwrq qy ivkisq krn ihq nroeI
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is`K pMQ leI pRyrnw dw somw vI hY[
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guldsqw
‘isMh (is<h)’ nhIN ‘isMG (is<G)’ ilKo
Anuvwd kr ky ‘puZ Kwn’ jW ‘ivjX Kwn’ iliKAw hI nhIN jw skdw[
isK Drm dunIAw dw sB qoN AwDuink Drm hY, ijsdI nINh isrP 549 swlW pihlW hI r`KI geI hY pr hor DrmW dy audwhrx 3 :- iesy qrW jy iksy iesqRI dw nW ‘klw joSI’ (klw joSI) hY qW ausƒ AMgRyzI iv`c ilKx vyly isrP
pRcwr qy pRswr qoN ikqy AgWh vD ky ieMny QoVy smyN iv`c hI isK Drm A`j ivSv ivAwpI hY[ ApxI isrjnW dy ArMB qoN ilipAWqr kr ky ‘Kala Joshi’ hI iliKAw jwvygw, Anuvwd krky ‘Art Priest’ nhIN kIqw jw skdw[
hI isK Drm ƒ rwjinqk, smwijk qy Dwrimk muKwlPq dw swmxw krnw ipAw, AxQk j`dozhd krnI peI, keI vwrI iesy qrW jy nWvW dw Anuvwd kIqw jwx lgw qW iksy bMdy dI ApxI Kws pCwx hI nhIN bcygI[ ivAwkrx dy nzrIey qoN
qW smucI kOm dI hoNd hI imtw dyx dy jqn kIqy gey, pr is`KW ny vI Apxy gurU swihbwnW qy Brosw rKidAW hoieAW Ash vI ieh glq hY[ ihMdI dy ilKwrI Apxw nW iksy vI BwSw iv`c il`Kx, isrP ilipAWqr krky shI nW ilKdy hn, Anuvwd
qklIPW brdwSq kIqIAW, Axigxq qsIhy shy, Gr bwr C`fy, jMglW iv`c, bIhVW iv`c, ibAwbwnW iv`c idn guzwry, bySumwr nhIN krdy[ koeI vI mYiQlISrx gupq ƒ Mathili Refuge secret jW rwmDwrI isMh idnkr ƒ Ramholder Lion Sun nhIN
ShwdqW id`iqAW pr Drm nw hwirAw[ ijMnw sMGrS isK Drm ny kIqw jy iksy hor Drm ƒ Jl`xw pYNdw qW Swied auh sMswr ilKdw qW iPr ieh gl socx leI mjbUr krdI hY ik isrP isKW dy nWvW (ivSyS nWvW) dw hI ihMdI iv`c Anuvwd ikNau huMdw
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shnSkqI dw pRgtwvw mnuKI ieiqhws dI cVdI klw ƒ drSWdw hY, mnuKI hdW dy iSKrW dw lKwiek hY, qy iehI isK Drm
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pr isKW dw sMGrS hwly muikAW nhIN hY[ ipClI iqMn sdIAW iv`c isK Drm dI hoNd ƒ keI cunOiqAW imilAW qy isK ‘isMG’ lPz jo ik isKW leI iek lwzmI aupnWv (lkb) hY iksy shj pRikRAw jW smyN iv`c nhIN aupijAw hY[ sn
pRblqw nwl aus dw swmxw krdy hoie ApxI vKrI hsqI qy pMQk hoNd ƒ bcwaux iv`c sPl rhy[ pr ivhvIN qy ie~ikvIN 1699 iv`c Kwlsy dI isrjnW dy nwl hI gurU goibMd isMG jI ny ies Kws lkb ƒ isK purSW leI bKiSS kIqw sI[ sB qoN
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ƒ qoV mroV ky Apxy lwB muqwibk pyS kIqw jw irhw hY, ie`QoN qk ik isK gurU swihbwnW ƒ vI isrP ihMdU Drm riKAk
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Qw ‘isMh (is<h)’ dI vrqoN kIqI jWdI hY jo ik pUrI qrW glq hY[ ‘isMG’ aupnWv isKW dI Kws pCwx hY[ hor BwSwvw iv`c pMjwbI qy hor au`qrI BwSwvW ivc pRwikRq ‘isMh’ dw aucwrx ‘isMG’ iv`c hoieAw qy iPr gurmuKI iv`c ieh lPz iesy srUp
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hY[ ‘pwitl’ Aqy ‘ptyl’ dovyN lPzW dw ArQ ie`ko hI hY, ipMf dw muKI, pr pMc isMG rwKy pRiB mwir ] ds ibiGAwVI leI invwir ]
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ik Drm qW iPr vI ihMdU hI rhygw[ au~Qy hI Bwrq dy swbkw pRDwnmMqRI ƒ pUrw (iblwvl mhlw 5-809)
Drm bdl ky mnmohn isMG dI QW mnmohn isMh ilKx iv`c iksy ƒ koeI hrz gaU cir isMG pwCY pwvY
nhIN hY[ AYsw ikNau ? (gaVI mhlw 5-198)
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Eh lok nwvW dw vI Anuvwd (qrzumw) krky ilKx lg pey hn, ‘suirMdr’ ƒ pMjwbI Aqy kib`q ibRj BwSw iv`c rcy gey hn[ aunW ny bVw lMmw smW ihMdI BwSI ielwikAW iv`c pRcwr kIqw, AwpjI
‘sury<dõ’, ‘div<dr’ ƒ ‘dyvy<d’õ’, Awid[ ie`QoN qk ik hux gurU swihbwnW dy nwvW pMjwbI, ihMdI, ibRj Aqy aunW nwl juVIAW swrIAW BwSWvw dy igAwqw sn[ iPr vI aunW ny soc smJ ky lPz ‘isMG’ hI
nwl vI iKlvwV ho irhw ho irhw hY, gurU goibMd isMG jI dI QW ‘goiv<d is<h’ vriqAw, ijvyN:-
iliKAw hw irhw hY, jo iblkul hI glq hY, durwgRih hY[ AgWh ies q`Q ƒ isMG buky imrgwvlI BMnI jwey n DIr DroAw ] (vwr 1, pauVI 17)
smJwx leI Tos kwrx vI hn ijnW ƒ ivsQwr purvk dsxw Aiq zrUrI hY[ buikAw isMG aujwV ivc sb imrgwvl BMnI jweI ] (vwr 1, pauVI 34)
phuqw ngr duAwrkw isMG duAwr Kloqw jwey ] (vwr 10, pauVI 9)
ivAwrkixk kwrx:- ivAwkrx muqwibk iksy vI ivAkqIvwck nW (ivSyS cauQw kir nrisMG rUpu Asuru mwir pRihlwid aubwry ] (vwr 1, pauVI 17)
nW) dw Anuvwd krx vyly isrP ilipAWqr (transscripting) kIqw jWdw hY
Anuvwd nhIN[ ies gl ƒ iek Awm jW Gt piVAw bNMdw vI jwxdw hY qW Bgq bwxI jo ik sRI gurU gRMQ swihb jI dw iek Ahm ih`sw hY, ijs ƒ ApxI audwsIAW smyN Awp gurU nwnk dyv jI
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ausdw nW ilKxw hovy qW isrP ilipAWqr krky ‘rojæI simQ’ hI iliKAw jwvygw nw ik pUrw Anuvwd krky ‘gulwbo lohwr’[ bYiT isMGu Gir pwn lgwvY GIs glaury ilAwvY ] (Awsw-477)
AYsw krx nwl aus iesqI® dI pCwx hI bdl jwvygI[ rUp kMinAw suMdir byDI ssY isMG gun gwey ] (Awsw-477)
audwhrx 2 :- jy iksy pTwn dw nW ‘PærzMd Kwn’ jW ‘Pæiqh Kwn’ hY qW ihMdI iv`c auNvy hI iliKAw jwvygw, ienW nWvW dw dyKq isMGu crwvq gweI ] (Awsw-481)
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guldsqw
‘isMh (is<h)’ nhIN ‘isMG (is<G)’ ilKo
Anuvwd kr ky ‘puZ Kwn’ jW ‘ivjX Kwn’ iliKAw hI nhIN jw skdw[
isK Drm dunIAw dw sB qoN AwDuink Drm hY, ijsdI nINh isrP 549 swlW pihlW hI r`KI geI hY pr hor DrmW dy audwhrx 3 :- iesy qrW jy iksy iesqRI dw nW ‘klw joSI’ (klw joSI) hY qW ausƒ AMgRyzI iv`c ilKx vyly isrP
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guldsqw
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smwijk kwrx:- rwjsQwn, au`qr pRdyS, au`qrWcl Aqy hor guAWfI ielwikAW iv`c kuCyk jwqW dy nW nwl ‘is<h’ aupnWv vI kihxw Aswn hY pr A`j dy smyN iv`c aunW dy bcnW dy pihrw dyxw bhuq muSikl hY[ ShIdI dI g`l qW dUr rhI AsIN qW
vriqAw jWdw hY, ijnW iv`c hirAwxvI, Twkur, rwjpuq Awid Kws hn[ ieh jwqW Apxy nW dy bwd goq lwaux qoN pihlW Coty qoN Coty hukm vI nhIN mMndy[ gurduAwry jw ky m`Qw jrUr tykdy hW pr gurU swihb dI bwxI nhIN pVdy[ jy bwxI pV vI
‘isMh’ (is<h) dI vrqoN krdIAW hn[ pr isK kOm iv`c goq dI vrqoN dI inKydI hY, ie`Qy isrP lPz ‘isMG’ jW ‘kOr’
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isK dI QW Sbd ‘isMG’ Aqy iesqRIAW leI ‘isMGxI’ hI pRcilq hoieAw jo A`j qk cl irhw hY[ ie`QoN qk ik Ardws iv`c pYr Gu`txy AOKy l`gdy hn[ hotl iv`c vytr nMU 50 rupey dyxw Swn hY pr grIb Bu`Ky nMU 2 rupey qoN vD dI ic`lr nhIN idAWgy[
vI Sbd ‘ijnW isMGW isMGxIAW ny Drm hyq sIs id`qy’ dI hI vrqoN kIqI geI hY[
A`j vI AsI DI qy pu`qr iv`c Prk krdy hW[ A`j vI sohry GrW iv`c dwj ip`Cy nMUh nMU qMg krdy hW[
‘isMG’ lkb isK dI hoNd dw lKwiek hY[ hux ies lPz dw Anuvwd krky ‘isMh’ (is<h) lw ky isKW dy nW ilKy jwx qW so ikau mMdw AwKIAY ijqu jMmih rwjwn ]
isK dI pCwx hI Brm iv`c pY jweygI, ijvyN;-
audwhrx:- jy iksy QW qy pwTk ihMdI iv`c ieh iliKAw pVdw hY ik ‘AjIq is<h ny põQm áQwn põwÎq ikXw hY’[ ies nW (Awsw, m: 1, SRI.gu.gRM.sw.jI, AMg-473)
qoN ieh swP nhIN huMdw ik auh bMdw isK hY, rwjpuq hY, Twkur jwiq dw hY jW koeI hor[ pr jy ‘AjIq is<G’ iliKAw hovY qW dI pMkqI isrP kIrqn gwien krx leI hY jW Aml krx leI[ gurU nwnk swihb jI ny bcn kIqy sn-“nwm jpo, kIrq
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iv`c pw idNdy hn[ ‘suir<dr is<G’ ilKx nwl swP hY ik bMdw isK hI hY pr ‘sury<dõ is<h’ ilKx kwrx aus bMdy dI Dwrimk vI gurdw g`dI aunW dy is`KI suBwv aqy hukm mMnx kwrx hI pRwpq hoeI sI[
pCwx hI imlgoBw bx jWdI hY[
ies leI ihMdI dy ilKwrIAW ƒ, ihMdI iv`c isK nW ilKx vwly hryk bMdy Agy ieh bynqI hY ik durwgRih Cf ky,
ivAwkrx ƒ smJ ky ivSyS nwvW dw Anuvwd nw krx[ isK nwvW dy nwl ‘isMG’ (is<G) lkb vrqx, ‘isMh’ (is<h) nhIN[ gUrU Gr’c ijnW ny bcnW qy pihrw id`qw aunW dI vwhvwhI swry jg iv`c huMdI rhI qy hMudI rhygI[ gurU goibMd isMG jI ny
ieh iek muihm hY ijs iv`c swrIAW dI mdd dI loV hY[ bcn kIqy “svw lwK sy eyk lVwaUN, qbY goibMd isMG nwm khwaUN” jo aunW ny s`c kr ivKwieAw cmkOr dI jMg iv`c ij`Qy 40
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id`kq pyS AWaudI hY[ bySk pMjwb rwj (state) iv`c nw hovY pr hor rwjW iv`c ‘isMG’ (is<G) dI QW ‘isMh’ (is<h) ilKx
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Dwrimk pCwx iv`c koeI muSikl pyS nhIN AwvygI[ ies leI hr isK A`gy ieh bynqI hY ik Apxw nW ihMdI iv`c ilKx vyly pihrw dyvy[ AsI kihNdy hW AsI gurU dy is`K hW[ kI AsI is`KI mirAwdw qy Kry auqrdy hW[ kI sw`fI kihxI qy krxI ie`k
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lwaux vwly kwimXwb nw ho skx[
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ihMdI iv`c Apxw nW ilKx vyly ‘SRI’ (‰I) nhIN srdwr ‘s.’ (s.) dI vrqoN kro
gurU swihbwnW dy nwvW leI vI sucyq rho, ‘gurU goivMd isMh’ (gu} goiv<d is<h) nhIN
‘gurU goibMd isMG jI’ (gu} goib<d is<G jI) ilKo
s. Anmol isMG,
fw. suirMdr kOr
AkWauMts ivBwg
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guldsqw
nwmdyv jI:-
isMGc Bojnu jo nru jwnY ] AYsy hI Tgdyau bKwnY ]
(Awsw-485)
Bgq sDnw jI:- kihxw qy krxw
isMG srn kq jweIAY jau jMbuku gRwsY ] (iblwvl-858)
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Anuvwd krky ‘isMh’ bxw idNdy hn[ swP hY ik Kws qOr pr isK kOm nwl D`kw hY ijsƒ Porn bdlx dI loV hY[ dunIAw iv`c hr cIz bwry kihxw Aswn hY pr krxw muSikl[ gurU swihbwnW Aqy guris`KW dI Gwlxw qy ShIdIAW bwry
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AkWauMts ivBwg
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guldsqw
iDAwn nwl quro
siqgurU hir goigMd swihb jI ie`k bwg iv`c gey sn[ siwgurU jI nwl aunW dy poqry bwbw hir rwie jI sn qy nwl
siqgurU jI dy syvk vI sn[ swry bwg iv`c sYr krn l`gy[ bwbw hir rwie hI ny ie`k Ku`lw colw pwieAw hoieAw sI[
bwg iv`c rMg-brMgy Pu`l iKVy hoie sn[ ie`k QW qoN lMGx l`igAw, aunW dy coly nwl AV ky, ie`k Pu`l if`g ipAw[ auh
audws ho gey[ auh vwr-vwr aus Pu`l nMU vyKx l`gy[ siwgurU jI ny aunW v`l vyiKAw[ aunW ny bwbw hir rwie hI nMU pU`iCAw,
“kwkw kI g`l hY? qusIN audws ik`au ho?”
bwbw jI ny ikhw, “ieh sohxw Pu`l, myry Sukr r`b dw!
coly nwl AV ky, t`t igAw hY[” syvkW ny
soicAw “bwbwjI AYvyN audws ho gey hn[
jo kJ vI prmwqmw krdw hY
iPr ik hoieAw ij P`l if`g ipAw?” aus
ausdy ip`Cy koeI nw koeI kwrx huMdw hY
vyly siqgurU jI ny bcn kIqw “kwkw if`igAw
jo Aksr ieMswn dIsmJ qoN bwhr huMdw hY[
Pu`l AsIN twhxI nwl nhIN lw skdy pr AgoN jo prmwqmw dy lV lgdy hn
iDAwn r`K skdy hW[ qurn l`igAw, Apxw prmwqmw auhnW nMU hr muisbq qoN bcw ky rKdw
colw sMBwl ky quro[ Pu`l p`qy vI prmwqmw hY[
dy bxwey hoie hn[ aunW nMU vI nukswn nhIN
pMhuvxw cwhIdw[” gu`sw iqAwgo, hMkwr iqAwgo, inmrqw iv`c rho
nwm jpo, jdoN nwm dw rs Awx l`gygw
iPr nwm Awp hI swry ivkwr dUr kr dvygw[
bwbw hir rwie jI ny ikhw, “siq bcn
s`cy-pwqSwh jI! A`goN mYN iDAwn r`KWgw[” iehI bwlk AgWh c`l ky gUrqw g`dI pr ibrwhmwn hoie qy sqvyN gurU, gurU
sMswr smuMdr smwn hY, ies iv`c AnykW
hir rwie jI dy nW nwl mShUr hoie[ ivcwrw dIAW lihrW auT rhIAW hn
ijhVw mnu`K gurU dy Sbd dw Awsrw lYNdw hY
ausdy Awqimk jIvn nMU
kivMdr isMG, ieh ivkwr qbwh nhIN kr skdy
AYs.vwie,bI.kwm
auh sMswr swgr nMU pwr kr jWdw hY[
SWqI cODrI,
tI.vwie.bI.ey
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siqgurU hir goigMd swihb jI ie`k bwg iv`c gey sn[ siwgurU jI nwl aunW dy poqry bwbw hir rwie jI sn qy nwl
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SWqI cODrI,
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Deepen Thaper #TYBMM
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Deepen Thaper #TYBMM
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Suraj Chaudary #FYBCOM Farhan Edrisi #SYBMM
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Khushboo Attar #TYBMM Lubna Shaikh #SYBA
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Mahesh Thevar #TYBMS Prabhat Dey #FYBMM
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Pravalika Gundeti #TYBMM Prince Chaudari #SYBMM
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Pravalika Gundeti #TYBMM Prince Chaudari #SYBMM
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Rishi Dutta #FYBCOM Sanjana Mane #TYBMM
134 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 135
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rishidutta sanjanamane
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Rishi Dutta #FYBCOM Sanjana Mane #TYBMM
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saraniathevar swetabhandari
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Sarania Thevar #TYBMM Sweta Bhandari #AssistantProfessor#IT
136 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 137
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saraniathevar swetabhandari
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Sarania Thevar #TYBMM Sweta Bhandari #AssistantProfessor#IT
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kanchanmahato prabhakaran
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Kanchan Mahato #MCOM #Part2 Prabhakaran #FYBMM
138 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 139
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kanchanmahato prabhakaran
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Kanchan Mahato #MCOM #Part2 Prabhakaran #FYBMM
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mukeshchaudhary shivanisharma
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Mukesh Chaudhary #FYBSC Shivani Sharma #SYBSC
140 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 141
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mukeshchaudhary shivanisharma
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Mukesh Chaudhary #FYBSC Shivani Sharma #SYBSC
140 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 141
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yuvrajsurve ezekielmoses
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Yuvraj Surve #SYBMM Ezekiel Moses#TYBMM
142 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 143
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yuvrajsurve ezekielmoses
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Yuvraj Surve #SYBMM Ezekiel Moses#TYBMM
142 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 143
WHAT’S GONE IS GONE,
WHAT’S COMING IS YET
TO PREDICT.
BE AWARE OF YOUR PRESENT
OR
IT’S NEVER TOO LATE TO YOU WILL BE TRICKED.
BECOME A GEM FROM A STONE,
EVERY POINT OF VIEW IS DIFFERENT FROM JUST STAND OUT FROM YOUR
EACH OTHER, WHAT SHOULD MATTER TO COMFORT ZONE THEN EVEN
YOU IS ONLY YOURS. THE STRONGEST BARS CAN’T
HANDLE THE SHARPNESS
OF A GEM.
144 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 145
WHAT’S GONE IS GONE,
WHAT’S COMING IS YET
TO PREDICT.
BE AWARE OF YOUR PRESENT
OR
IT’S NEVER TOO LATE TO YOU WILL BE TRICKED.
BECOME A GEM FROM A STONE,
EVERY POINT OF VIEW IS DIFFERENT FROM JUST STAND OUT FROM YOUR
EACH OTHER, WHAT SHOULD MATTER TO COMFORT ZONE THEN EVEN
YOU IS ONLY YOURS. THE STRONGEST BARS CAN’T
HANDLE THE SHARPNESS
OF A GEM.
144 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 145
Committee REPORTS
Internal Quality Assurance
Cell
“Quality is never an accident; it is always the result of intelligent effort."
- John Milton
“The IQAC of a college is the pivotal body that seeks to ensure quality culture
in the institution. The cell has taken external experts in Ms. Farheen P, MD
Dharmabharati Mission (A Mumbai based NGO) and Prof. Shyam Asolekar the Chief guest and Incharge Pro Vice Chancellor, University of Mumbai Dr. Magre was the Guest of
(IIT Mumbai) on board this year. Their valuable suggestions have guided the Honour. The Best teacher, Best department and Best committee awards were constituted and were
IQAC in initiating some health practices through NGO and industry linkages. given.
This year, new courses were introduced namely Psychology in B.A. program, T.Y.B.Sc- The IQAC, convened a meeting of Principals and Vice principals of neighbourhood colleges under the
Physics and M.Sc in Analytical Chemistry. An orientation for the first year students NCN (Neighbourhood college network) in March 2018. Principals of 6 colleges namely SIES, SIWS,
was organized in July 2018. Research by staff members saw further progress as 3 Khalsa, MD, SIES(Arts) and Acharya college attended this meeting. It was decided to co-host and
teachers were awarded research projects by the University of Mumbai. Departments organise several co-curricular and extra-curricular activities in the year 2018-2019. A MOU for an
of Chemistry, Botany and Physics also admitted students to PG and PhD programs. Exchange program was signed between Momin’s college and Guru Nanak College. Many activities are
New classrooms in the Annexe structure were added to cater to the growing courses. proposed to be planned in 2018-19.
th
As part of the 9 silver lecture series Shri Piyush Goyal, the Union Minister for Railways addressed Education is the most powerful instrument of social change and human progress. Development of skills
the students. Tabla genius Ustad Zakir Hussain also came to the college and interacted with the among the students is one of our primary objectives. ‘Grow your skills’ is an on-campus program that
students on the nuances of tabla and the essence of making music a daily part of our lives. A brief aims to touch every student and train them in soft-skills, communication and conversational skills which
performance by the maestro left the audience spellbound. The childhood experiences shared by are extremely important today in the job market.
the Ustad conveyed the significance of unity and brotherhood, and the need for dedication and There is a concern over the erosion of essential values in the society. Education through curriculum
hard work.
must provide social and moral values. ‘Value Education’ is one of the best practices of the college along
The IQAC has promoted measures for quality enhancement through external interaction as well. with ‘Skill development’ being the other. Co-curricular and extra-curricular activities are conducted to
A symposium on ‘Best practices’ was arranged on 20 December 2018. 13 IQAC coordinators foster value development.
th
participated in in this unique event. The knowledge of sharing and exchanging ideas benefitted all Most departments conducted events catering social cause and outreach programs. An orientation
the participants as was evident from their positive feedback.
program for the teachers was conducted by the “Rooh’D Life” team. This was appreciated by the staff.
An academic audit was facilitated in February 2018. Dr Padma Deshmukh, Principal; Bunts college, Students were also enrolled in the foundation program by the same team and the feedback was very
and former COE, UOM was the expert. All the departments gave the presentation and got their positive.
queries verified. Suggestions made by the expert were useful and are being implemented.
The IQAC, in the academic year 2018-19 proposes to conduct many such programs and events aimed
The annual prize distribution day was celebrated with great aplomb. Former ISRO chairman was at designing the institutional climate of the institution through the best practices.
146 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 147
Committee REPORTS
Internal Quality Assurance
Cell
“Quality is never an accident; it is always the result of intelligent effort."
- John Milton
“The IQAC of a college is the pivotal body that seeks to ensure quality culture
in the institution. The cell has taken external experts in Ms. Farheen P, MD
Dharmabharati Mission (A Mumbai based NGO) and Prof. Shyam Asolekar the Chief guest and Incharge Pro Vice Chancellor, University of Mumbai Dr. Magre was the Guest of
(IIT Mumbai) on board this year. Their valuable suggestions have guided the Honour. The Best teacher, Best department and Best committee awards were constituted and were
IQAC in initiating some health practices through NGO and industry linkages. given.
This year, new courses were introduced namely Psychology in B.A. program, T.Y.B.Sc- The IQAC, convened a meeting of Principals and Vice principals of neighbourhood colleges under the
Physics and M.Sc in Analytical Chemistry. An orientation for the first year students NCN (Neighbourhood college network) in March 2018. Principals of 6 colleges namely SIES, SIWS,
was organized in July 2018. Research by staff members saw further progress as 3 Khalsa, MD, SIES(Arts) and Acharya college attended this meeting. It was decided to co-host and
teachers were awarded research projects by the University of Mumbai. Departments organise several co-curricular and extra-curricular activities in the year 2018-2019. A MOU for an
of Chemistry, Botany and Physics also admitted students to PG and PhD programs. Exchange program was signed between Momin’s college and Guru Nanak College. Many activities are
New classrooms in the Annexe structure were added to cater to the growing courses. proposed to be planned in 2018-19.
th
As part of the 9 silver lecture series Shri Piyush Goyal, the Union Minister for Railways addressed Education is the most powerful instrument of social change and human progress. Development of skills
the students. Tabla genius Ustad Zakir Hussain also came to the college and interacted with the among the students is one of our primary objectives. ‘Grow your skills’ is an on-campus program that
students on the nuances of tabla and the essence of making music a daily part of our lives. A brief aims to touch every student and train them in soft-skills, communication and conversational skills which
performance by the maestro left the audience spellbound. The childhood experiences shared by are extremely important today in the job market.
the Ustad conveyed the significance of unity and brotherhood, and the need for dedication and There is a concern over the erosion of essential values in the society. Education through curriculum
hard work.
must provide social and moral values. ‘Value Education’ is one of the best practices of the college along
The IQAC has promoted measures for quality enhancement through external interaction as well. with ‘Skill development’ being the other. Co-curricular and extra-curricular activities are conducted to
A symposium on ‘Best practices’ was arranged on 20 December 2018. 13 IQAC coordinators foster value development.
th
participated in in this unique event. The knowledge of sharing and exchanging ideas benefitted all Most departments conducted events catering social cause and outreach programs. An orientation
the participants as was evident from their positive feedback.
program for the teachers was conducted by the “Rooh’D Life” team. This was appreciated by the staff.
An academic audit was facilitated in February 2018. Dr Padma Deshmukh, Principal; Bunts college, Students were also enrolled in the foundation program by the same team and the feedback was very
and former COE, UOM was the expert. All the departments gave the presentation and got their positive.
queries verified. Suggestions made by the expert were useful and are being implemented.
The IQAC, in the academic year 2018-19 proposes to conduct many such programs and events aimed
The annual prize distribution day was celebrated with great aplomb. Former ISRO chairman was at designing the institutional climate of the institution through the best practices.
146 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 147
Committee REPORTS
Department of Lifelong Learning
& Extension
The DLLE department was established on October 12, 1978 and has been
recognized as a statutory department of the University of Mumbai since
1994 to promote a meaningful and sustained rapport between the university
and the community. Now the department is functioning as one of the
teaching department of the university.
The Committee adopted four projects for the academic year 2017-18:
1. CAREER PROJECTS (CP)
2. ANNA POORNA YOJANA PROJECT (APY)
3. INDUSTRY ORIENTATION PROJECT (IOP)
4. SURVEY OF WOMEN’S STATUS (SWS)
• The Committee also received the “The Best Committee Award” for 2015-16
during the Annual Prize Distribution Function.
• This year our college hosted the Annual Festival of DLLE for fourth time in
a row and the college also bagged First Prize in Street Play Competition.
• The DLLE students also arranged food stalls of various states of India
during the Time Travel event.
• Organised International Youth Fellowship 2017 in collaboration with NSS
Unit of the college.
148 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 149
Committee REPORTS
Department of Lifelong Learning
& Extension
The DLLE department was established on October 12, 1978 and has been
recognized as a statutory department of the University of Mumbai since
1994 to promote a meaningful and sustained rapport between the university
and the community. Now the department is functioning as one of the
teaching department of the university.
The Committee adopted four projects for the academic year 2017-18:
1. CAREER PROJECTS (CP)
2. ANNA POORNA YOJANA PROJECT (APY)
3. INDUSTRY ORIENTATION PROJECT (IOP)
4. SURVEY OF WOMEN’S STATUS (SWS)
• The Committee also received the “The Best Committee Award” for 2015-16
during the Annual Prize Distribution Function.
• This year our college hosted the Annual Festival of DLLE for fourth time in
a row and the college also bagged First Prize in Street Play Competition.
• The DLLE students also arranged food stalls of various states of India
during the Time Travel event.
• Organised International Youth Fellowship 2017 in collaboration with NSS
Unit of the college.
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Committee REPORTS
Environmental Mentoring
Committee
The following activities were conducted by Environmental Mentoring
Committee (under ISR) in 2017-18:
1. E-waste recycling awareness campaign in TMC office and housing
societies in Sion-Koliwada with NGO ECO-ROX in April and May 2017.
2. E-waste collection drive in college to celebrate World Environment Day on 5th
June 2017.
3. Green audit of college campus by Synergy Systems on 28th and 29th June 2017. our college on 1st August 2017.
4. Tree plantation drive with NSS on 1st July 2017 on the occasion of Van Mahotsav 8. Organized awareness lecture by Ms. Rashmi Joshi on composting of solid waste for NSS and other
in the college campus. students on 9th August 2017.
5. Students participated 9.Eco-friendly institution award function by NGO ECO-ROX on 12th August 2017.
in cleanliness drive
at Bhivpuri waterfall, College received 1st prize for exemplary
organized by NGO efforts put in by the college for sustenance of
Environment life on 2nd environmental well-being.
July 2017. 10. Conducted awareness lecture on composting
of wet waste for NSS students of other colleges
6. Field visit by Judges
for Eco-friendly Institution along with Ms. Rashmi Joshi on 24th August
award competition on 27th 2017.
July 2017. 11. Paper presentation on ‘Composting of
Wet Waste -A sustainable way towards
7. Conducted awareness
lecture for NSS students Environment Management' at ICSSR Sponsored
on composting and other Interdisciplinary National Conference on
environment initiatives of
150 | SYNERGY 17-18 | GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE GURU NANAK COLLEGE OF ARTS, SCIENCE & COMMERCE | SYNERGY 17-18 | 151