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Published by sangam.singapore, 2019-03-31 12:26:20

Singapore Sangam January to March 2019

Singapore Sangam January to March 2019

ISSN: 25917773

त्रमै ासिक ह दंि ी पत्रत्रका

जनवरी - मार्च २०१९ • अकिं ५

सिगंि ापुर िंगि म

▪ अंिक ५ ▪ जनवरी-मार्च २०१९

सम्पादक:
डॉ ििंध्या सिंि
उप सम्पादक:
शादचलद ा झा नोगजा
तकनीकी सहयोग:

अनमोल सिंि

संपकक :
ईमेल: [email protected]
नशे नल यनद नवसिटच ी ऑफ़ सिगंि ापरु ,
िटें र फॉर लगंै ्वज़े स्टडीज़
फ़ै कल्टी ऑफ़ आर्टचि एडंि िोशल िाइंिि ेज़
ब्लॉक AS4,#03-18
9 आर्टचि सलकिं , सिगंि ापरु 117570

प्रकासशत रर्नाओिं के ववर्ार लेखकों के अपने ंै| आवश्यक न ीिं कक पत्रत्रका के िंिपादक या प्रबंिधन िदस्य इििे ि मत ों।

िवाधच धकार िुरक्षित

© Singaporesangam

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगंि ापरु ििगं म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 1

मने य धर्त्र अपने जुलाई िे सितम्बर वाले अंिक में छापा था और आपिे पछद ा था कक
इि धर्त्र मंे कु छ प्रतीक ैं| आप उन् ें ढदूँढकर सलख भेजजए| मारे पाि कु छ त्रबलकु ल
ि ी जवाब आए | म य ाँू सलख र े ंै अब आप भी देखखये कक आप ककतने ि ी थ!े

मोर- भारत का राष्ट्रीय पिी
कमल- भारत का राष्ट्रीय फद ल
वंेदा ममस व्हाककम : सिगंि ापरु का राष्ट्रीय फद ल
मरलायन: सिगंि ापरु का राष्ट्रीय शभु किं र

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगिं ापरु िगिं म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 2

इि अकंि मंे

ररपोर्क कहानी काव्य-रस

िाधना पाठक उषा राजे िक्िने ा पंिकज पोरवाल

5 8 16

ररपोर्क काव्य-रस काव्य-रस 23

शादचलु ा झा आलोक समश्रा 22 ववनोद दबु े
नोगजा
झलककयााँ साक्षात्कार
ररपोर्क

17 25 26 27

आलेख हहदं ी के वाहक हहदं ी के वाहक हहदं ी के वाहक

यासमनी पोरवाल िािी प्रद्युम्न वरुण गपु ्ता श्रीननधध

33 39

ववदेशी भाषी के मखु से हहदं ी के वाहक

आंिग कागिं सलगंि 35 37 प्रीशा सििं

41

जोगीरा प्रततकियाएँा व्यंजन 49
53
43 45 48 अरुणा सिंि

त्योहार 52 सेहत

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगंि ापुर ििंगम ◦ www.singaporesangam.com ◦ 3

िम्पादकीय

सिगिं ापुर िगिं म अपने नये अकंि मंे पनु : नये िजृ न, नई बातों
के िाथ प्रस्तुत ै| वषच का य पखवाड़ा मारे सलए ब ुत
रोर्क र ा| य ाँू कई नई गनतववधधयाँू ुईं जो ह दिं ी को और
आगे ले जाने में अवश्य ी मील का पत्थर िात्रबत ोंगी| कई
म त्वपदणच रर्नाओिं के िाथ ी उन गनतववधधयों की झाूँकी
हदखाने का प्रयाि मने ककया गया ै|

माननीय गृ राज्य मंित्री श्री ककरेन ररजीजद ने सिगंि ापरु में
'नाराकाि' िसमनत के गठन का उद्घाटन ककया जजिकी य ाँू
आने वाले िमय में ह दिं ी के प्रर्ार में अवश्य म त्वपणद च भसद मका ोगी| इि म त्वपणद च आयोजन के िाथ ह दिं ी
िम्मलेन, कवव गोजष्ट्ठयों की झलक भी आप तक प ुँूर्ाने की कोसशश ै| इि अकिं में मश दर िाह त्यकार उषा
राजे िक्िेना जी की क ानी पढ़ लगेगा "अरे मेरे िाथ भी तो ऐिा ी था|" ोली के रंिग में रिंगने और
जोगीरा मंे डद बने का मन ो तो बि पढ़ डासलए कई पन्ने और जब गुखझया की समठाि के िाथ क ीिं िे त
का ख्याल आने लगे तो िसु मत नदिं ा जी का िािात्कार िे त िुधारने में मददगार तो ोगा ी, आयुवदे पर गवच
म ििद ोने लगेगा| मारे कवव गण क ीिं छु र्टहटयों और ररश्तों की ग राई िे आपको रूबरू करवाएगूँ े तो क ींि
ाल ी मंे घटी आतिंकी घटनाओिं पर कु छ िोर्ने को मज़बदर कर देंगे| ह दिं ी के वा कों के त्रबना मारा कोई
भी अकंि भला परद ा कै िे ोगा! तो कु छ यवु ा और कु छ नन् े वा क अपनी रर्नाओंि िे आपको ववजस्मत भी
करेंगे और तिल्ली भी समलेगी कक ह दंि ी का भववष्ट्य िनु रा ै| मारे ननयसमत स्तिंभों के िाथ ी एक
ववदेसिन के ह दिं ी िफ़र में भी शासमल ोना न भदसलएगा|

इि अकिं का आवरण धर्त्र मारे ोली पवच की तर मनाये जाने वाले थाई 'िोंकरांिग' का पववत्र जल ै जजिे
अपने िे छोटों पर नछड़ककर आशीवादच हदया जाता ै| आगे आने वाले अकंि ों के सलए रर्नाएू,ँ धर्त्र, पंेहटग
आहद आमितं ्रत्रत ैं| आपकी प्रनतकियाएूँ मारे सलए ब ुत ख़ाि ंै अत: आपकी प्रनतककयाओंि का इंितज़ार र ेगा!

धन्यवाद िह त
िधिं ्या सिंि

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगिं ापरु िंगि म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 4

ररपोर्क

श्री ककरेन ररजीजू जी का एन यू एस हहदं ी ववभाग दौरा

जनवरी २०१९ में सिगिं ापुर में नगर
राजभाषा कायाचन्वयन िसमनत यानी
'नराकाि' के गठन का उद्घाटन करने

ेतद माननीय गृ राज्य मंित्री श्री ककरेन
ररजीजद (गृ मंित्रालय-भारत िरकार), श्री
शलै ेश, िधर्व राजभाषा ववभाग (भारत
िरकार) और श्री त्रबवपन त्रब ारी, िंियुक्त
िधर्व राजभाषा ववभाग (भारत िरकार)
य ाँू पधारे थे|

िाधना पाठक देश के उन िभी नगरों में या िरकार द्वारा जो कदम उठाए
ह दंि ी अध्यावपका भारत के बा र ज ाँू कें द्रीय जा र े ैं वे िरा नीय ैं|
िरकार के 10 या इििे अधधक
सिगिं ापरु कायाचलय ों, नगर राजभाषा १७ जनवरी को ‘नराकाि’ के
कायानच ्वयन िसमनतयों का गठन उदघाटन िमारो के पश्र्ात ्
ककया जा िकता ै । भारत मंे माननीय गृ राज्य मतिं ्री श्री
अगिं ्रेज़ी का प्रभाव इि कदर बढ़ ककरेन ररजीजद एविं उनका
र ा ै कक मारी भाषा तथा प्रनतननधध मंिडल नेशनल
सलवप के अजस्तत्व पर यदननवसिटच ी ऑफ़ सिगंि ापुर के
प्रश्नधर्ह्न खड़ा ो र ा ै| ऐिे ह दिं ी ववभाग मंे ह न्दी िीख र े
िमय मंे ह न्दी भाषा को बढ़ावा ववदेशी छात्रों िे बातर्ीत करने
देने और उिके प्रिार ेतद य ाँू के िटंे र फॉर लगैं ्वज़े
स्टडीज़ मंे पधारे| उनके

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगिं ापुर िंगि म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 5

ररपोर्क

प्रनतननधध मंडि ल के अलावा भारतीय उच्र्ायकु ्त प्राइज़' के ववषय मंे भी जानकारी दी जो प्रनतवषच उि
माननीय श्री जावदे अशरफ़ जी, उप उच्र्ायुक्त श्री छात्र को हदया जाता ै जजिने पदरे वषच में ह दंि ी भाषा
नननाद देशपाडिं े जी और द्ववतीय िधर्व श्रीमती में िबिे अच्छी प्रगनत की ो| इि कायिच म मंे छात्रों
प्रेरणा शा ी जी भी उपजस्थत थींि| के अलावा कु छ गणमान्य व्यजक्त भी उपजस्थत थ|े

िटंे र फॉर लगंै ्वज़े स्टडीज़ की ननदेसशका प्रो नतनतमा माननीय श्रीमान ककरेन ररजीजद जी ने छात्रों को
िधु थवान, ि ननदेसशका प्रो इज़ुमी वॉकर, िाउथ ििबं ोधधत करते ुए उनके ह न्दी िीखने के प्रयाि
एसशयन स्टडीज़ के ननदेशक प्रो राजेश राय, िंटे र तथा उत्िा को बढ़ावा देते ुए क ा कक भारत में
फॉर लगंै ्वेज़ स्टडीज़ के अन्य प्रोफे िरों के िाथ ी
ह दिं ी ववभाग की अध्यिा डॉ िंधि ्या सिंि ने उनका रेक राज्य में ह न्दी ववसभन्न प्रकार िे ह न्दी बोली
स्वागत ककया| जाती ै और शब्दों के उच्र्ारण का तरीका भी
अलग ोता ै पर र्ूँकद क आप िब य ाँू सलवप भी
इि ित्र के आरम्भ मंे िटें र फॉर लगंै ्वज़े स्टडीज़ की िीख र े ंै तो मजु श्कल त्रबलकु ल भी न ीिं ोगी|
ननदेसशका प्रो नतनतमा िुधथवान ने अपने स्वागत उन् ोंने ह दंि ी के बढ़ते प्रयोग पर भी बात की| िरद ्ना
भाषण में माननीय मंित्री जी एविं उनके प्रनतननधध प्रद्योधगकी के ववकाि िे ह दंि ी का भी प्रिार ो र ा
मडंि ल को िेंटर फॉर लगंै ्वज़े स्टडीज़ िे अवगत
करवाया| डॉ ििंध्या सिंि ने ह दिं ी ववभाग की स्थापना ै| भारत जिै े ववशाल देश को जोड़ने की शजक्त
और उिकी गनतववधधयों के बारे मंे जानकारी दी| ह दंि ी में ै इिसलए ह दंि ी िीखकर अगर आप भारत
ह दिं ी के िभी छ स्तरों पर प्रकाश डालते ुए छात्रों जाएूगँ े तो य िंिपकच की भाषा आपके ब ुत काम
की ििखं ्या एविं रुधर् पर भी बात की| िाथ ी उन् ोंने आएगी| भारत दनु नया मंे िबिे तज़े ी िे बढ़ती ुई
भारतीय उच्र्ायोग के ि योग िे स्थावपत 'ह दिं ी बकु अथवच ्यवस्था ै इिसलए ह न्दी िीखना अवश्य आपके
सलए लाभदाई सिद्द्ध ोगा|

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगंि ापुर िगंि म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 6

ररपोर्क

मतंि ्री म ोदय ने ववश्वववद्यालय का भी धन्यवाद लगी ै| छात्रा रोशनी ने अपने बॉलीवडु प्रेम के
ककया कक अन्य भाषाओिं के िाथ ी ह दिं ी को भी कारण ह दंि ी िीखने के अनभु व बाँूटे| छात्र माक खाई
य ाँू स्थान समला ै, य मारे सलए गवच की बात फंि ग डरै न ने बताया कक ह दंि ी भाषा िे उिे इि
कदर प्रेम ो गया ै कक अपने अगिं ्रेज़ी भाषा ववज्ञान
ै| उन् ोंने भारतीय उच्र्ायोग द्वारा समल र े का एक शोध पत्र ह दिं ी में 'कोड जस्वधर्गंि ' पर कर
ि योग और ह दिं ी को बढ़ावा देने के सलए ककए जा र ा ै| मिंत्री म ोदय और उनके प्रनतननधी मिंडल के
र े प्रयािों की िरा ना की और भारत िरकार की िदस्य इन छात्रों िे काफ़ी प्रभाववत ुए| भाषा पर
ओर िे प्रोत्िा न तथा ि योग का आश्वािन हदया| उनकी पकड़ और आत्मववश्वाि की तारीफ़ ककए
त्रबना न ींि र पाए|
ित्र के उत्तराधच में ह दिं ी िीख र े कु छ छात्रों ने
अपने ह न्दी िीखने के अनभु व िनु ाए| छात्रा कािगं अतंि में कु छ छात्रों ने माननीय मिंत्री जी और उनके
सलगिं जो वपछले डढ़े वषों िे ह दंि ी िीख र ी ै, ने
बताया कक दोस्तों िे बात करने और भारतीय प्रनतननधध मिडं ल िे ह दंि ी भाषा िे िम्बिधं धत कु छ
ििंस्कृ नत को िमझने के सलए उिने ह दिं ी िीखनी
शुरू की| कर लेना, कर देना जिै े प्रयोग िीखने में प्रश्न भी पदछे| मतंि ्री जी ने छात्रों के प्रश्नों का जवाब
मजु श्कल अवश्य ुई पर धीरे-धीरे व ह दिं ी बोल लेती
देने के िाथ ी उनिे अनौपर्ाररक रूप िे बातंे भी
ै और दिद रों को िमझ भी लेती ै| उिे ख़शु ी ै
कक व न के वल भाषा िीख र ी ै बजल्क भारत की कींि| 'लीला प्रवा ' जैिी 'िाइर्टि' के बारे में र्र्ाच
ििंस्कृ नत व रीनत-ररवाज़ों के बारे में भी ब ुत जानने
ुई| बातर्ीत का य ित्र ब ुत रोर्क और

प्रेरणादायक र ा| **************

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कहानी

र्ीयर ड्रॉप बदुं े

उषा राजे िक्िेना
ग्रेट त्रिटेन की प्रनतजष्ट्ठत एवंि र्धर्तच िाह त्यकार

वा मंे नमी थी| िारी रात बाररश ोती र ी शायद जल्दी न ीिं। उिने तककये को थोड़ा नतरछा कर के सिर
इिसलए उिे ग री नीदंि आई| आखूँ खलु ी तो दीवार पर के नीर्े लगाया, परद े बदन को प्रत्यंिर्ा की तर ताना
लगी घड़ी को अधखलु ी आँूखों िे देखा| िबु के छः और कफर ढीला छोड़, करवट बदल कर थोड़ी देर
बजे थे। िमीर अभी तक उठा न ी!ंि िब ठीक तो ै सिकु ड़ी, कूँु डली मार पड़ी र ी आज पदरी तर मकु ्त ै
न! तककए मंे मूँु गड़ाए, व र्पु र्ाप लेटी िोर्ती र ी व । देर तक िोने का कु छ और ी आनिदं ै, क ते
कफर उिने बायाँू ाथ बढ़ाकर िमीर की दे को ुए उिने रज़ाई आँूखों तक खीिंर् ली। िमीर को देर
टटोला। ाँू..आ.ूँ . शायद उठ गया। कमाल! अभी तक तक और खाि कर उिके देर तक िोने िे धर्ढ़
उिने आवाज़ न ींि लगाई। ो क्या गया ै आज इि
िमीर को? यदँू तो रोज़ उिे झझंि ोड़ते ुए अब तक कई ै.....िोर्त-े िोर्ते दबु ारा कब उिकी आखँू लग गई
आवाज़ंे लगा र्ुका ोता, ‘उठ, ककतना िोएगी? छः
बज र्कु े ैं। आज र्ाय न ीिं समलेगी, क्या?’ उिे पता ी न ीिं र्ला।

कफर याद आया। अरे ाूँ, कल तो व ऑकफि िे िीधे जब आखूँ खलु ी तो आठ बज र े थे। पदे की डोरी
ऑडडट के सलए मनै र्से ्टर रवाना ो गया था। नीदंि की
अलि मंे उिे याद ी न ीिं र ा। अब जल्दी क्या ै िो खीर्ी, जाली टा कर देखा। आकाश धधुिं ला स्या -
जा, उिने खदु िे क ा। ऐिा िुखद हदन वपछले कई
वषों में प ली बार समला ै। िमीर की नीदंि तो ठीक िफे द! घाि, फद ल पत्ते िब भीगे-भीगे। िब कु छ धलु ा
िाढ़े पाूरँ ् बजे ‘डॉट ऑन’ खलु जाती ै कफर क्या
मजाल व उिे िोने दे। अपनी टरच-टरच टेपररकाडरच की धलु ा। ाथों को सिर के ऊपर उठा कर परद े बदन को
तर तब तक लगाए रखता ै जब तक उिके ाथ में
तानते ुए अगँू ड़ाई ली, कफर दे को ढीला छोड़ते ुए
र्ाय का कप न ीिं आ जाता। धर्डड़या िी र् की, आज िारे हदन मस्ती! क ाूँ र्ला

र्ल बदल करवट और िो जा। आज उठने की कोई जाए..... द ै न, ऐिा दशनच ीय और खबद िदरत

लिंदन... ज ाँू र क़दम पर कोई न कोई आकषणच !

और तद पदछती ै क ाँू र्ला जाए.....क ींि भी...बि

ननकल पड़।

स्टडी में आकर गुनगनु ाते ुए कम्प्यदटर ऑन ककया,
मौिम की भववष्ट्यवाणी देखी..... िारे हदन िरद ज की

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगंि ापरु िंगि म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 8

कहानी

बादलों के िाथ पकड़-छद , िाथ मंे ल्की- ल्की िमीर िे कम न ीिं ै... र्ोरी करती ै|’
फु ारें.... वा ! िमांि में जैिे कोई जादद त्रबखरा ो!
मन गुदगदु ाया जिै े वा में मो क मौन ननमंति ्रण ो। जीन्ि के ह प पॉके ट मंे वीज़ा काडच रख कर
मंै भी खबद दँू, उिने मसु ्करा कर िोर्ा। य ाँू लोग मोबाईल फोन को कमर में खोंि ह प- ॉप करते ुए
िरद ज के सलए तरिते ैं और मैं दँू कक बाररश मंे शीशे मंे आए प्रनतत्रबबंि िे बोली, वा ! दोनों ाथ
भीगना र्ा ती दँू। य ताज़ा-ताज़ा, भीगा-भीगा खाली और मन, धर्तिं ा-मुक्त! अब लगा धपद का
मौिम, स्फद तच और नशीला जैिे त्रबना वपए ी कोई र्श्मा और ले दनु नया का जायज़ा! ये ुई न कोई
नशा मझु पर तारी ो, अगूँ ड़ाई लेते ुए व बात! अद्भतु और स्फद त,च िोर्ती ुई व दरवाज़ा
मुस्कराई। खोल कर बा र ननकलने ी वाली थी कक छबीली ने
म्याऊूँ करते ुए छलाूँग लगाई। ओ ो! मडै म
थोड़ी देर व शावर के नीर्े खड़ी र ी| तीखे धारवाले आपकी कटोररयाूँ खाली ंै....उिने प्यार भरी नज़र
गनु गुने पानी ने बदन को गुदगदु ाया तो तौसलया छबीली पर डाल उिे ि लाया और कटोररयों को
उठा, िीने तक लपेट, व ड्रसे िगिं रूम मंे आई।
तौसलया िरका, गीले बदन पर र्सु ्त नीली जीन्ि पानी और कै ट-फद ड िे भर हदया।
को कमर तक खींरि ्ते ुए, ंैगर पर िे लाल कु ती
उतारने को ाथ बढ़ा ी था कक जाने क्या िोर् कर राइट!... टाइम टु मदव नाउ। आज के इि िु ान,े
उिने र्ाइनीज़ कॉलर वाला रा टॉप प न सलया। ररमखझम करते हदन को यों ी न ीिं जाने देना ै।
िमीर ोता तो, क ता नीले जीन्ि पर री कु ती, छबीली को दोनों ाथो मंे भर, टोकरी में बठै ाते ुऐ,
व भी र्ाइनीज़ कॉलरवाली- एकदम तबलर्ी लगती दरवाज़ा बंिदकर बा र लॉन में खड़ी खदु िे क ा,
बोल? अब ककधर? र्टयबद ? रेन? या बि? सिक्का
ो। कै िी बकवाि पिदंि ै तुम् ारी...... ोगी बकवाि उछाल?द पर कै ि?े ये तो तीन ै। अक्कड़, बक्कड़,
पििंद िमीर के सलए। मरे े सलए तो इर्टि अ बम्बे बो. न...न...न अडंि र ग्राउूँ ड िे र्लते ै....पर
मैजजकल कॉबीनशे न िोर्ते ुए उिने िामने पड़े जाना क ाँू ै?....क ींि भी.... ाूँ ठीक ै न, वन-डे
लिबं े ‘टीयर ड्रॉप’ रे बँूदु े कानों में डाल सलए। हदि रैवेल काडच लेते ैं ज ाँू मन करे, मँूु उठाओ र्ल
इज़ परफे क्ट। कफर िमीर का खयाल आया लिबं े दो.....बि मंे जाओ, रेन मंे जाओ, र्टयदब मंे जाओ
‘टीयर ड्रॉप’ बँूदु े व क ता, ‘र ोगी तमु गूँवार की र्ा े जजतनी बार र्ढ़ो-उतरो। फ्रीडम पाि ै य वन-
गूँवार, क ींि जीन्ि पर ऐिे लटकने वाले बँूुदे प ने
जाते ंै और व भी र्ाइनीज़ कॉलर पर’। और जब डे टैवले काड।च प ले क ाूँ र्लें?
तक व उिे उतार न ीिं देती, व मँूु फु लाए बठै ा
र ता। उिने शीशे में अपनी छवव देखी, ज़बान िबु की भीड़ ननकल र्ुकी थी स्टेशन पर एक आध
ननकाल कर भौं ें नर्ाते ुए खदु को मँूु धर्ढ़ाया लोग ी थे। लाइन मंे उिके आगे सिर पर जैक्िन
और शरारतन र्ाइनीज़ कॉलर का र्ौथा बटन खोल
हदया, छबीली कु िी पर बैठी उिे घरद र ी थी उिे ैट लगाए, लंिबा काला कोट प ने, किं धे पर धगटार
घरद ता देख व खखलखखलाकर ँूि पड़ी, ‘बदमाश....तद लटकाए, एक नौजवान वाटरलद का हटकट ले र ा
था। बि...बि...बि...आज की शुरुआत वाटरलद त्रिज,
जुबली वॉक कफर वेस्ट समननस्टर त्रिज और
पासलयच ामेंट ाउि वगैर की िरै , लेबनीज़ लंरि ् और

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगिं ापुर िगिं म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 9

कहानी

दोप र बाद टेट मॉडनच में कन्टेम्परेरी आटच का बोला। ‘कु छ न ीिं ऐिे ी’ व नज़रें र्रु ाती ुई,
आनदिं .... हटकट-खखड़की पर जा कर बोली, ‘वन- घबरा कर बोली। शायद उिकी आँूखों ने र्गु ली
कर दी। िमीर क ता ै उिकी आखूँ े पारदशी
डे रैवेल काडच प्लीज़’।
ैं। कोई बच्र्ा भी उिके मन में उठते लर्ल
उिके अदंि र आते ी रेन झटके के िाथ र्ल को पढ़ िकता ै। उिने िंजि ीदगी िे हदल पर
पड़ी िामने एक िीट खाली थी इिके प ले कोई
और उि पर बैठे व खर्टट िे उि िीट पर बठै ी ाथ रख, नाटकीय मदु ्रा मंे झकु ते ुए क ा
तो बग़लवाली िीट पर बैठे आदमी िे टकराई। ‘बताइए न। आप जैिे लोग मारे बारे में क्या
उिका ैट उछल कर उिकी गोद मंे आ धगरा। िोर् रखते ंै?’ ‘ओ ! न ी!िं न ीिं मैं न ीिं बता
अरे! य तो व ी धगटारवाला ै। आँखू े समली तो पाउँू गी !’ व जल्दी िे कु छ कलाती ुई िी
झंेपी कफर ‘िॉरी’ क ते ुए उिका ैट उिे देते बोली। अच्छी मिु ीबत गले पड़ गई। अब य
ुए ल्के िे ूँि पड़ी। व भी ँूि पड़ा, बातों का सिलसिला खतम ी न ींि करेगा।
‘अस्वीकार, आपकी िॉरी अस्वीकार ै, आपको अर्ानक िुरंिग मंे र्लती रेन धड़-धड़, खड़-खड़
करने लगी। उिने िोर्ा र्लो अच्छा ुआ इिने
इिका दंिण्ड भुगतना ोगा’ उिने र्टु की ली। उिकी बात न ीिं िनु ी। व कोई और जवाब
तलाशने लगी। जिै े ी रेन की धड़धड़ा ट िम
‘अरे वा ! ऐिा क्या दिंण्डनीय अपराध! व तो पर आई, व बोला, ‘शायद आपकी राय बस्करों
एक्िीडेंटल था। आप और ैट दोनों इनश्योडच ै के बारे में अच्छी न ींि ै.. आप मंे सभखारी
न! ’ उिने भी र्ु ल की। दोनों एक िाथ ूँि िमझती ैं। एक कलाकार के सलए बजस्कंि ग
पड़।े ‘ककिी कॉनिटच में गाना गाने जा र े ो अभ्याि और कला प्रदशनच का खलु ा मंिर् ै।
क्या?’ उिने धगटार, एिपं ्लीफायर का के ि और इिका गलत प्रयोग भी ोता ै अतः आप परद ी
र्े रे पर खबद िरद ती िे कटे फ्रें र् कट दाढ़ी को तर िे गलत तो न ीिं ै.......’ ननस्ििदं े उिने
देखते ुए उत्कंि ठा िे पदछा। ‘न ीिं, बस्कर दूँ. उिकी र्ोरी पकड़ ली थी| बाप रे! य तो बड़ा
म ीनों झक मारने और टफ कॉम्पटीशन के बाद तेज़ ननकला। तबतक वाटरलद स्टेशन आ गया।
वपछले फ्ते लाइिंिे समला।’ ‘क्या? बजस्किं ग! उिे व ींि उतरना था। व उतरने की तयै ारी
और उिके सलए भी लाइिंिे !’ उिकी आखँू ंे करने लगा। उििे छु टकारा पाने के सलए उिने
आश्र्यच िे फै ल गईं। उिकी राय बस्करों के बारे मन बदल सलया िोर्ा अगले स्टेशन एमबकैं मेंट
मंे अच्छी न ींि थी। व तो बस्करों को बेघर, पर गाड़ी बदल कर िककच ल लाइन लेकर वेस्ट
काम-र्ोर, उच्र्का और सभखारी िमझती थी। समननस्टर पर उतर जाएगी कफर त्रिज पर ट लते
‘जी, ऐिा क्यों क र ी ंै? बजस्किं ग एक ब ुत ुए थमे ्ि के ककनारे-ककनारे जबु ली वॉक िे टेट
मॉडन.च ...
ी िधा ुआ, गिंभीर ककिं तु आनदिं दायक कायच ै?
प्रसिद्ध धगटार प्लेयर- बॉब डडलन और कै जम्िज किं धे पर धगटार टाूगँ , एजम्पलीफायर के बक्िे को
के वायसलननस्ट- नाइजल कै नेट का नाम तो ाथ में उठाते ुए उिने क ा, ‘रोर्क मुलाक़ात
िनु ा ोगा आपने? ’ व ववनोदपणद च मसु ्करा ट
के िाथ, िीधा उिकी आँूखों में देखता ुआ

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कहानी

र ी। मरे ा गाना िनु ने वाटरलद अडंि र ग्राउँू ड के तीन िले ्फ़ी पासलयच ामंेट ाउि और
गसलयारे मंे अवश्य आइएगा। भदसलएगा न ी।ंि
आपके दण्ड का भकु तान अभी बकाया ै।’ ‘ ाँू- वसे ्टसमननस्टर अबे और लदिं न आई के िाथ

ाँ,ू ज़रूर। क्यों न ी।िं िगंि ीत में मेरी रुधर् ै.’ खीिरं ् सलए और कफर त्रिज पर र्ल पड़ी। थमे ्ि
व जल्दबाज़ी मंे क बैठी। ‘वादा?’ उिने ाथ
समलाते ुए क ा। ‘ ाँू वादा’ उिके ोठों िे के िीने पर धधुंि में सलपटे तर -तर के छोटे-
ननकल पड़ा। बड़े िलै ानी ज ाज.... वा ! क्या खबद िरद त नज़ारा

लो! य वादा करने की क्या ज़रूरत थी। उिने ै जबु ली वॉक पर रुक-रुक कर िैर करते ुए
अपने आप को फटकारा। पर इिमें इतना व िोर् र ी थी ककतनी प्रार्ीन नदी ै थेम्ि।
अपराधबोध क्यों? पकड़ थोड़ी न लेगा!
प्रोत्िाह त करना भी एक प्रििशं नीय कायच ै। इिने जाने ककतने िाम्राज्यों का उत्थान-पतन
लौटते िमय वाटरलद त्रिज के गसलयारे में ेलो
क ते ुए अन्य रा र्लतों के िाथ थोड़ी देर देखा ोगा। पासलयच ामंेट की नींिव पड़ने के िाथ
रुक कर उिका गाना िुन लेने मंे कोई नुकिान
तो न ींि ोगा। पर मैं अभी िे क्यों मग़ज़पच्र्ी िॉमवले की िांिनत भी देखी ोगी। य ींि इिी
कर र ी दूँ। अभी तो िारा हदन पड़ा ै। लौटते
िमय जिै ा मन बनेगा बि वैिा ी कर लेंगे। वेस्ट समननस्टर त्रिज पर खड़ंे ोकर वर्डचिवथच ने

तो बजस्किं ग भी एक िंयि ोजजत कला ै....ऐिा तो ऐिे ी धधंिु लके में िुब -िुब व कववता
मनंै े िपने मंे भी िोर्ा ी न ींि था। इतने वषो ‘अपॉन वसे ्टसमननस्टर त्रिज’ सलखी ोगी। क्या
िे लंदि न मंे र र ी दँू पर य ाूँ के जन-जीवन
के बारे मंे ककतना जानती दँू? अगर सलखने लगँूद तो लाइने थी.िं ..उिने याद करने की कोसशश की
तो दो पजे भी प्रमाखणकता िे न ीिं सलख
पाऊूँ गी। उिके अदंि र बैठा रर्नाकार अपनी पर याद न ीिं आईं। िीहढ़यों िे उतर कर जबु ली
वाक पर आ गई। लदिं न आई के आि पाि
िकंि ु लता पर कु छ आ त- िा ो उठा।
ज़ारों लोगो की भीड़ थी। जुबली वॉक पर तर -
वसे ्ट समननस्टर स्टेशन िे बा र ननकली तो तर के वेशभषद ा मंे स्रीट आहटचस्ट स्वाँूग बनाए,
ल्की ल्की फु ारें पड़नी शुरू ो गई थी। ओ !
मदनतयच ों की तर खड़े थे। बच्र्े तो बच्र्,े बड़े भी
छतरी लेकर र्लना र्ाह ए था। िामने ककआस्क उनकी कलाकारी और जस्थरता पर ववजस्मत और
िे एक छोटी िी छतरी खरीद ली। सिर के ऊपर
छतरी तानी ी थी कक धपद ननकल आई। र्ककत थे। उिे याद आया बर्पन में जब
फोरकास्ट था न कक आज िदरज बादलों के िाथ
पकड़-छद खेलेगा। उिने मोबाइल िे खटाखट दो- डपटते ुए नाना जी कभी उिे ककिी शरारत पर
जस्थर खड़े र ने को क ते तो व दो समनट में

ी रोना-धोना शरु ू कर देती थी। व उन
कलाकारों के धीरज को िलाम करती प्रदशनच ी

स्थल पर प ुँूर् गई।

टेट मॉडनच मंे सभन्न-सभन्न कलाकारों के

कन्टेम्प्रेरी आटच की प्रदशचनी लगी ुई थी। धर्त्रों
में आकार प्रकार और रंिगो का आकषकच , अद्भुत
प्रयोग था। ववशषे कर ल्के -कोमल पसे ्टल रिंगों

का। ववशषे ऐिा कु छ िमझ में तो न ींि आ र ा
था ककंि तु रिंगों, शडे ि, लकीरों के ववसभन्न प्रयोग

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कहानी

उिके मन को आलोडड़त और तरंिधगत अवश्य मज़ा आता था।
कर र े थे। आज कु छ भी करने मंे आनिदं आ
र ा ै। मन मुक्त जो था। बा र ननकली तो र्ारों ओर धधुिं लका छाया ुआ
था। पलु पर रेसलगंि के ि ारे खड़ी आूखँ ें गड़ा-
एक परद े दीवार पर लगी एक पेंहटगिं उिे काफी गड़ा कर देखने के बावजदद व मात्र र स्यमय
पििंद आई। देर तक खड़ी व उिे ववसभन्न धधिंु में सलपटे िमरिेट ाउि, त्रिज ऑव ववमेन
कोणों िे देखती र ी। एक परद ा कै नवि और उि पावर, लदंि न त्रिज, िटें पॉल कथीड्रल का गुम्बद
पर नीले और रे रंिगों के उतार-र्ढ़ाव का और गककच न टावर ी देख पा र ी थी। ल्की-
अदभुत ियिं ोजन! नीले रिंग की इधर उधर दौड़ती
ुई रेखाएँू ब ती ुई नदी की ल रों िी प्रतीत ल्की फु ार पड़ने लगी। िोर्ा छतरी खोल ले
पर खोला न ींि। ऐिे ी कु छ पल थेम्ि नदी के
ो र ी थी और ऊपर रे रिंग के छोटे- छोटे पुल पर खड़ी र्े रे पर धगरती वषाच की म ीन
लबंि ोतरे धब्बे- वीवपगिं ववलो-िी झकु ी डासलयाूँ, बँूदद ों का आनदिं लेती र ी, कफर फे जस्टवल ॉल
मानो परद ा का परद ा ववलो री झुका ुआ पानी में की तरफ र्ल पड़ी। को रे और धधुिं के कारण
अपना अक्ि देख र ा ो। ‘भई वा ! धर्त्रकार पता न ींि र्ल र ा था पर लँूर् का िमय ो
िा ब, आपकी और मेरी पिंदि में गज़ब की र्कु ा था| रेस्तराू,ँ कॉफी बार और पब मंे िे
िामानता ै।’ और व ज़ोर िे ूँि पड़ी....इतने खाने की खशु बद के िाथ ििंगीत की धीमी स्वर
ज़ोर िे कक पाि खड़ा मूँु में र्रु ुट दबाए एक ल री कफज़ा मंे जादद त्रबखरे र ी थी। लोग समल-
बो ेसमयन- िा हदखता आदमी उिे अजीब नज़रों बठै , खलु कर जोशोखरोश के िाथ ठ ाके लगाते
िे देखने लगा। ओ माँ!ू क ींि य धर्त्रकार तो ुए बातें कर र े थे। लदंि न के इि ववशाल
न ींि ै। ज़रूर इिे बुरा लगा ोगा। व िजंि ीदगी कै नवि पर उिकी भी उपजस्थनत ै। व भी
िे ‘िॉरी!’ क ते ुए जल्दी िे बा र ननकल लंदि न का एक ह स्िा ै, िोर्कर उिे अच्छा
आई। बा र ननकलने के बाद उिे खयाल आया, लगा। िामने एक छोटे िे लेबनीज़ रेस्तरािं को
क्या पता व आदमी कौन र ा ोगा?.... ो देख कर उिे लगा कक उिे भी कु छ ल्का-िा
िकता ै कक व धर्त्रकार न ोकर उिकी ी खा लेना र्ाह ए। बा र कै नपे ी के नीर्े बठै कर
तर मात्र एक दशकच ो। ाय! अब उिकी ँूिी उिने त्रबना मने द देखे ी वटे र को आदेश हदया,
और िॉरी, दोनों ने ी उि आदमी को एक ‘फाटद श, बकलावा और िाथ में भाप ननकलती
अज़ब िे अिमजिं ि मंे डाल हदया ोगा.....आज कॉफी लाटे प्लीज़।’
तो व उि बो ेसमयन को एक प ेली दे आई ै।
अब व उिकी ूँिी और कफर िॉरी की प ेली ‘िब एक िाथ !’ वेटर ने पछद ा।
को िारे हदन िलु झाता र ेगा। बेर्ारा
बो ेसमयन। व दोबारा कफर ूँि पड़ी, अपनी ‘ ाू,ँ कोई एतराज ै क्या?’
शरारत पर। छात्र जीवन मंे उिे और अनजु ा को
ऐिे ी ककिी अपररधर्त को तंगि कर के बड़ा ‘जी न ी!ंि ऐिे ी पछद सलया।’

उिे लरंि ् में ल्का खाना पिदंि ै, व भी गम-च
गमच कॉफी लाटे के िाथ। िमीर िाथ ोता तो

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कहानी

बि इंिडडयन खाना ोता। मिालेदार पाूरँ ्-छः कु छ नोट और सिक्के उिके खलु े ुए धगटार
डडशज़े , फु ल ऑव कोल्िरल। कई बार व उिके के ि में उछाल जात।े कु छ एक नाक-भौं
तोंद पर ाथ कफराते ुए क ती ै, ‘मेरे सिकोड़ते उि पर ििंहदग्ध दृजष्ट्ट डाल, इि तर
लाकफिं ग बडु ा! कभी जजम भी र्ले जाया करो।’ उिे अनदेखा करते मानो व लंिदन का कलकिं
िमीर तुनतुनाता, ‘क्यो जाउूँ जजम? मरे ा कोई
सिर कफर गया ै? अरे! जजि पेट के सलए देश ो। तीन मह लाएूँ और दो परु ुष काफी देर िे
छोड़ा, घर छोड़ा, माँू बाप छोड़ा....तद उिी पर व ाँू खड़े उिका गीत िनु ते र ें। जब व िािँू
बंिहदश लगाना र्ा ती ै.....इि तर की स्टु वपड लेने के सलए रुका तो उन् ोंने अपना ववजज़हटगंि
र्ीज़ें तुझे करनी ै तो कर....मझु े तो बख़्शो, काडच उिे पकड़ा, कु छ क ते ुए र्ार िी.डी उठा,
बीि-बीि के तीन नोट के ि में डाल गए।
बाबा!’ और कफर व ी मँूु फु ला लेना।
व कु छ दरद ी पर, दीवार के ि ारे खड़ी उिे देख
लिंर् िमाप्त कर बा र ननकली, काला स्या र ी थी। इि िमय व कु छ झकु ा ुआ आि
आकाश और बड़ी बड़ी बाररश की बँूददों को देख पाि की दनु नया िे बेखबर बड़ी तन्मयता िे
कर िोर्ा, क्यों न अदंि र ी अदंि र र्ल कर फ्रंै क सिनारा का गाया गीत ‘फ्लाय मी टु द
वाटरलद र्टयदब स्टेशन के गसलयारे में उि बस्कर मदन’ गा र ा था। वास्तववक कलाकार ऐिे ी
का गाना िुना जाए। िबु प्रॉसमि जो कर हदया
था। व ननश्र्य ी इतंि ज़ार करेगा। अब अगर ोते ै। दनु नया के िाथ र ते ुए भी दनु नया िे
न ीिं गई तो व िोर्गे ा िारे इंिडडयन्ि ऐिे ी अलग, उिने उिकी तन्मयता अपने अदंि र
बेमुरव्वत और डरपोक ोते ंै, और लड़ककयाूँ तो
ख़ाितौर पर। न...न.. मझु े जाना र्ाह ए, र्ा े तीव्रता िे म ििद ककया।
थोड़ी देर के सलए ी जाउँू ..... इि िमय मंै
अपने परद े देश का प्रननधधत्व कर र ी दँू। उिे अनिं तम गीत ‘ड्रीम अ सलटल ड्रीम ऑफ मी’ के
अपने देश पर गवच ुआ। एक रर्नाकार ोने के बाद उिने खोजती दृजष्ट्ट भीड़ पर फें की, शायद
नाते उिे एक उभरते कलाकार का िम्मान कर उिने उिे देख सलया था इिसलए गीत को एक
खबद िरद त मोड़ देकर व दशकच ों को िंबि ोधधत कर
उिे प्रोत्िाह त करना ी र्ाह ए। के बोला, ‘आज मेरे श्रोताओंि के बीर् एक
भारतीय भी उपजस्थत ै इि खशु ी मंे एक
उिे व खाि जग पता थी ज ाँू बस्कर अपने इिंडडयन नम्बर....’ और उिने जो ‘मरे ा जतद ा ै
ुनर का प्रदशनच करते ैं। िात बज र े थे घर जापानी, य पतलनद इिंसलस्तानी सिर पर लाल
जाने का शीषच िमय। यात्रत्रयों का रेला एक टोपी रूिी कफर भी हदल ै ह दिं सु ्तानी’ की धनु
तरफ िे आ र ा था तो दिद री तरफ िे जा र ा धगटार बजाई, तो व बि रोने-रोने को ो आई।
था। कु छ यात्री मानो ककिी दौड़ में ो, तज़े ी िे भीड़ को र्ीर कर व उिके िामने प ुूँर् कर
अपनी रौ में आगे बढ़े जा र े थे तो कु छ घड़ी बोली, ‘तमु तो एक ऊँू र्े दज़े के प्रोफे शनल
दो घड़ी खड़े ो कर उिका गीत िनु ते, पिदिं गायक ो। मझु े आश्र्यच ै कक तमु ने अभी
आने पर पाि रखे बक्िे मंे िे िी.डी उठाते और तक अपना ऑडडशन क्यों न ीिं कराया?’ व ूँि
पड़ा, ‘ऑडडशन! मझु े तो अभी आत्मववश्वाि

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कहानी

और अभ्याि की ढेरों आवश्यकता ै।’ उिका रे लेकर हटल पर प ुूँर्े तो उिने पिच खोला,
िमय िमाप्त ो र्कु ा था, अगला बस्कर उिके ‘कफफ्टी-कफफ्टी!’ ‘नो... प्लीज... न्योता मेरी
जाने की प्रतीिा कर र ा था। व जल्दी जल्दी तरफ िे था ’ उिकी आवाज में कु छ ऐिी
अपना िामान पैक करते ुए सिर उठा कर अपील थी कक उिने पिच वापि बैग मंे रखते
बोला, ‘िुनो! तुमने मेरी इतनी प्रशंििा की ै, ुए िोर्ा कोई न ीिं र्लत-े र्लते दो-एक िी.डी.
क्या मेरे िाथ एक कप कॉफी पीने का ननवदे न खरीद लूँदगी। ह िाब बराबर ो जाएगा।

स्वीकार करोगी?’ रे को मेज़ पर रख, उिको कु िी पर ठीक िे
बठै ाने के बाद अपनी कु िी बैठते ुए उिने क ा,
‘कॉफी! ाू,ँ पी िकती दूँ’ उिने घड़ी देखते ुए ‘आज मौिम बड़ा रद्दी र ा पर ा,ूँ आपका
क ा। उिके अंिदर बस्करों की जीवन शैली को हदन कै िा र ा?’
जानने और िमझने के सलए ढेरों प्रश्न कु लबुला
र े थे। ‘मुझे तो इि तर का भीगा-भीगा मौिम बड़ा
िु ावना लगता ै। आज का हदन मनैं े पदरे मन
दोनों गसलयारे िे ननकल कर आए। बाररश थम िे जीया। टेट माडनच में एक कलाकार िे मरे े
गई थी, पर आकाश यों ी तना खड़ा था कक रंिगों के र्यन-पिदंि का ऐिा मले र ा कक मनंै े
अब बरिा। ‘आइए फटाफट िड़क पार कर लंे उिे जी भर िरा ा।’ उिने ि जता िे अपने
वनाच बाररश मंे भीग जाएूँगे।’ ‘तमु बाररश मंे मन की बात क दी।
भीगने िे इतना डरते ो!’ िड़क पार कराने के
सलए उिने अनजाने ी उिकी थसे लयाँू अपने ‘ ाँू कोई कोई हदन ऐिा ी ोता ै?’
उूँ गसलयों में फँू िा लींि ‘अरे न ी,ंि धगटार और
एम्प्लीफायर की धर्तंि ा न ोती तो तमु ् ारे िाथ ‘आपका हदन कै िा र ा?’
बाररश मंे भीगते ुए ‘सिधंि गग इन द रेन’ गाता।’
‘बातों में माह र ो।’ दोनों एक िाथ ूँि पड़।े ‘ब ुत अच्छा। कद्रदान श्रोता समले। मेरी मिजं ज़ल
िगंि ीत की दनु नया ै। आठ घंटि े लगातार त्रबना
फे जस्टवल ॉल लगभग खाली था। शायद कोई रुके गाता र ा। बजस्किं ग, अभ्याि और
कायिच म अभी थोड़ी देर प ले खतम ुआ था। आत्मववश्वाि देने वाला ऐिा मंिर् ै जो ब ुत
‘कौन िी मज़े ?’ ‘व कोने वाली।’ ‘ वपछले आठ पैिा खर्च करने पर भी न ींि समल िकता ै।
घिंटे लगातार गाता र ा। िेक लेना याद ी न ींि य ाँू प्रिंिशक, आलोर्क और कई बार पारखी भी
र ा। ज़ोरों की भदख लग र ी ै। कॉफी के िाथ समल जाते ैं।’
वेजटेबल िडंै ववर् और स्पाइिी वफे िच र्लेगा?’
‘म.ंै ..मंै र्ककत दूँ, ककतना कम जानती दूँ।’
‘िाथ में यहद र्ीज़ के क या लेमन टाटच दौड़ा दंे
तो कै िा र ेगा।’ दोनों कफर एक िाथ ँूि पड़े ‘ म िब ककतना कम जानते ैं........’
जिै े पुराने दोस्त ो। ‘आप भी मीठे की शौक़ीन
और दोनों िडैं ववर् कु तरते ुए, शीशे पर धगरती
ंै!.....’ व सिर ह लाते ुए मसु ्कराया। वषाच का बूँददों को देखते देखते अपन-े अपने
ख़्यालों में खो गए।

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कहानी ककिी अजनबी का हदया इि तर का
कटम्प्लीमंेट आपको अच्छा न ीिं लगेगा....
ि िा उिकी आवाज़ िुनकर व र्ौंकी। ‘आप र्लता दँू। ’
क्या िोर् र ी ैं? ककिी कववता की पजंि क्तयाँ.ू ...’ आभार व्यक्त करने के सलए जब उिने गदचन
मोड़ी तो व जा र्कु ा था, कानों मंे पड़े लंबि े
‘ ाँू, आपको और िंगि ीत के सलए आपकी ‘टीयर ड्रॉप’ बिुंदे ल्के िे ह ले और उिके गदचन
प्रनतबद्धता देखकर डॉ. ित्येदं ्र की एक कववता को स्पशच कर गए।
याद आगई... ‘आश्वस्त मन िे/ मनषु ्ट्य घाि व भीगे-भीगे मन के िाथ देर तक उि खाली
का गर्टठर पकड़-े पकड़े / ऐटलाहिं टक पार कर प्याले को देखती र ी जजिमें उिने र्ाय पीया
िकता ै.......’’ था.....

‘आश्र्यजच नक पिंजक्तया.ँू ... य िोर् तो बड़ी *****************
ववसशष्ट्ट ै..... यूँद आप भी ववसशष्ट्ट ंै।’

‘व कै ि?े ’

‘र्ाइनीज़-कॉलर पर आपके ‘टीयर ड्रॉप’ बूँदु े,
आपकी ववसशष्ट्ट रुधर् के पररर्ायक ंै।’ उिने
जाने के सलए खड़े ोते ुए जस्नग्ध स्वर में
क ा, ‘िुब ी क ना र्ा र ा था पर िोर्ा

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काव्य-रस

आतंकवाद

लदटने को तो यँदू , दनु नया ने मंे लदटा ै।
अपनों के ाथों लदट , हदल मरे ा टद टा ै।।

र्गंि ेज़ खाूँ भी आया य ाँू , गजनवी भी आया था ।
फ़्ांिि ीिी और अगिं ्रेज़ों ने, अपना अर्डडा जमाया था ।।

लदटते र े िब मको, ककििे करते म फ़ररयाद। पकंि ज पोरवाल
ववदेशी थे वे िब, करने आए थे में बबादच ।। मनै ेजर – जफ्नया टैंकि,च सिगंि ापरु

आज़ादी समली, तो मने बड़ा िुकद न पाया।
लटद ने न पाएँूगे म, अब अपना ै शािन आया।।

िपनों के म ल, बड़-े बड़े मने बनाएू।ँ
तदफ़ाूँ तो दरद , मानिदनी वा मंे ी वे र्रमराएूँ।।

ईमानदारी के विृ ों पर, फल लगे ंै भ्रष्ट्टार्ार के । असभमन्यु न ीिं लदट िकता, द्रौपदी की लाज।
मागूँ ते ंै ररश्वत य ाूँ, खलु े आम पकु ार के ।। य िोर् कृ ष्ट्ण भी शायद, न ींि बर्ाने आते
आज।।
अपनों की लाशें, र तरफ़ त्रबछ र ी ै।
कौन कर र ा ै य िब, अब तो ववदेशी भी न ींि ै।।

अपने दभु ागच ्य पर आज, भारत माूँ रोती ै। **********
िनद ी आखूँ ंे इिकी, ककिी अवतार को खोजती ै।।
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होली के रंग मसगं ापुर संगम के सगं

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ररपोर्क

“क ींि ो थाप ढोलक की, हदशाऐंि नार् उठती ंै
समले जब गीत कववता ि,े कथाऐंि नार् उठती ैं
लगे िगिं म, पड़े जमघट, समले जब ह न्दवी वाले
ुलि फगुनाऐिं दशकच गण, िभाऐंि नार् उठती ंै”

ोली सिगिं ापरु का बड़ा ी वप्रय त्यौ र ै, जजिकी गँूदज य ाँू लगभग पन्द्र हदनों तक देिी-त्रबदेिी िभी को
बाूँध कर रखती ै। परन्तु जैिी ोली बजृ में खेली जाती ै, जो कववताई बनारि के घाट-बाट पर ोती ै,
वैिी ोली की खनक-धनक सिगिं ापुर मंे बि "गपु ्ता कला-िेत्र" में ी समलती ै। शननवार 23 मार्च को
िनिटै वले में िदयाचस्त ोते ी ‘सिगंि ापुर िंिगम’ की मंिडली ने पररवार जनों, और सिगंि ापरु के कलारसिकों के
िाथ समल कर ोली प्रज्जवसलत की। आंिगन िे उठते ठे ठ लोकगीतों की तान, मन को कभी अवध तो कभी
बजृ ले कर जाती र ी। रसिया के बोल, ढोलकी की थाप, नन् ें कान् ा का मगन नतृ ्य, दशकच ों को फाग खले ते
जमुना तट की रेणु, कान् ा की वेणु तक ले गया! इतने मंे ‘राम जी के ाथों कनक वपर्कारी ... ोली खेलें

रधवु ीरा अवध मंे’ के रिीले बोल की बौछार िे िब अवधधआ िे गए।

ोली ो तो ठंि डाई, पन्ना, गुखझया, कर्ौरी और द ीबड़े न ों ये कै िे ो िकता ै! रंिगों का टीका लगा,
नाश्ता खा िभी दशकच और कलाकार अन्दर के मरिं ् की ओर बढ़े।

अरे बाबा, जे का! ई कै िन मेला मा जाय र े िब्बै लोग, कॉरपोरेहटआई
रिंग को धत्ता बता क, दे ाती रिंग मंे िनल-रिंगल !
ुआ यदँू कक अब ुआ िामहद क मरिं ्न-वार्न ज़मीन िे जुड़े म ाकवव
कै लाश गौतम जी की कववता “अमौिा का मले ा” का। दसियों बार तासलयों
िे ॉल गूँजद ा, ठ ाके लगे और नाटकीयता पर तासलयाूँ ठोक कर कलाकारों
और दशकच ों ने इि कालजयी कववता का रिास्वादन ककया! िर् मंे ये
आज के ह न्दी-प्रेसमयों का िलाम था अपनी िाह जत्यक ववराित, अपनी
समर्टटी, अपने गाँवू और र मुजश्कल को भलद पवच मनाने की भारतीय

जजजजववषा को।

कफर आई दो ों की बारी, ववराित में समले कबीरदािजी के दो ों को शादचलु ा झा नोगजा
पत्नी ने गाया, तो पनतदेव ने ँूि कर उिका आज के पररवशे मंे व्यापार ववकाि एविं ववपणन
तजमुच ा ककया:
“गरु ु गोत्रबदिं दोऊ खड़ें, काके लागद पाय। ननदेशक, सिगंि ापुर
बसल ारी गरु ु आपके , गोत्रबदंि हदयो समलाय।।” - कबीरदािजी

मारे कवव ने आज के िन्दभच मंे क ा:
गुरु गोत्रबदिं भले खड़,े का े पड़त ो पाय।
अगंि ्रेज़ी पढ़कर आए बबुआ, क दो ेल्लो ाए।।”

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ररपोर्क

कबीर की वाणी को प्रणाम करते ुए र्तरु नार ने कफर क ा,
“पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंिडडत भया न कोय।
ढाई आखर प्रमे का, पढ़े िो पडंि डत ोए।।”
आज के िन्दभच में नटखट कवववर क उठे ,
“पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ, रोज़ र्ाकरी जाय।
जो न पहढ़ पोथी कभी, ित्ता ली धथयाय ।।”
ऐिे ी ढेरों दो ों के जवाब दशकच ों को गदु गुदा गए।

ोली के रिंगों में गुलाबी रंिग िर र्ढ़ कर बोलता ै। अगली कववता में पदरी कायनात के गलु ाबी रिंगों
को ढदँूढ़-ढदूँढ कर वपरोया गया और श्रोता और कववनयत्री र्ल पड़े रिंग गलु ाबी, ढंिग गुलाबी, िंगि
गलु ाबी, ठे ठ जमुनातट िे घर के ककर्न तक। जब पदछा गया आप क ें क्या और गुलाबी?, तो कफर
दशकच ों और कववयों ने गुलात्रबयों की ढेरी लगा दी- ूँिीली-रंिगीली-गुलाबी बातंे ुईं! पररमल िा
गलु ाबी टीका लग गया िाझिं को।
कफर एक ास्य कववता िनु ाई गई, आज के यगु में राि लीला रर्ाने के दषु प्रभाव पर और ढेरों

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ररपोर्क

ठ ाके और तासलयाूँ समली कवव को।
ोली का जश्न ो और जोगीरा न गाया जाए, ऐिे तो ालात न ीं!ि जोगीरा के िमवेत गान ने जिै े सिगिं ापरु

को बनारि मंे बदल हदया। ये मारे अपने कववयों ने ोश खो कर सलखे और पदरी िभामंडि ली ने जोश भर
कर गाये। यों तो 20 िे ऊपर जोगीरा मरिं ् िे गाए गए और बीि िे ऊपर दशकच ों में बठै े कववयों ने गाए!
ये बानगी देखखए:
“जब ली थी गाड़ी लाखों की, तब जजयरा न घबराय।
ई आर पी पै डॉलर कटे, तो जान ननकली जाए॥
जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा”
ये र्नु ावी वातवरण मंे डु बकी लगाते ुए जोगीरा िुननए:
“खोज खोजकर, खोज न पाए, घोटाला जनाब।

र हदन पप्पद नया लगात,े रफ़ाल का ह िाब ॥
जोधगरा िा रा र र रा”
“गगंि ा दशनच करे वप्रयिकं ा, लेकर अपनी नाव।
याद आईं गिंगा मयै ा, िर पे खड़ा र्नु ाव ।।
जोधगरा िा रा र र रा”
ये जीवन िे जड़ु े जोगीरा:
“तीि जारी पिच खरीदा, गरद ्ी मंे मसु ्काय
पारँू ् रुप्पटी के धननए प,े मैडम मोल लगाय
जोगीरा िा रा र र रा”

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ररपोर्क

“लेबर को डडगननटी दे र ा, भारत आखखरकार
र्ायवाला, झाडद वाला, और अब र्ौकीदार
जोगीरा िा रा र रा”
मंिर् ने िमािं बाँूध कर कफ़र बागडोर दशकच ों के ाथ िौंपी।
कफ़र क्या था दशकच ों ने एक िे बढ़ कर एक जोगीरा गा कर
िभा गुिंजायमान कर दी! उि िमय जैिे श्रोता-कलाकार
आखखरकार एक ो गए और िच्र्ी ोली की भावना तासलयाँू
बजा कर ूँि पड़ी!

कफ़र र्ला प्रीनतभोज
और ुलि बातर्ीत का
सिलसिला। दशकच ों मंे
प्ररे णा शा ी जी,
द्ववतीय िधर्व ने भारतीय उच्र्योग, सिगिं ापरु की उपजस्थनत िे िंिबल
समला। जो सिगंि ापरु के नामी-धगरामी ह न्दी पिदिं करने वाले कलारसिक
आए, मारे कायिच म का ह स्िा बन,े उनका ह्रदयतल िे आभार। जो न
आ िके , उनको भी ोली की राम राम! अब सिगिं ापरु िंिगम के अन्य
कायिच मों का इंितज़ार र ेगा... सिगिं ापरु ििगं म इिी तर िाह त्य और
लोक ििंस्कृ नत को नए ढंिग िे प्रोत्िाह त करती र े!

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ररश्तों की गलु ्लक काव्य-रस

जीवन कभी ऐिे त्रबताना पड़ता ै आलोक समश्रा
ना र्ा कर भी मसु ्कराना पड़ता ै || मरीन इंिजीननयर, सिगंि ापुर
दनु नया के सशष्ट्टार्ार ननभाने की खानतर
र्े रे पर मखु ौटा लगाना पड़ता ै ||
बच्र्े बड़े ों जाएँू पर मा-ँू बाप के सलए
बच्र्े ी र ते ैं, बताना पड़ता ै ||

जब तक कक त्रबरवा, पेड़ िबल न बन जाए
नापाक नज़रों िे बर्ाना पड़ता ै ||

ठिं ढे पड़े ररश्तों मंे रकत के सलए
अनरु ाग का दीपक जलाना पड़ता ै ||
ररश्तों की गलु ्लक िे पाने के प ले
िद्भाव धन िंिधर्त कराना पड़ता ै ||

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काव्य-रस

उन बोररगं सी छु ट्हर्यों के नाम !

ककतना कु छ करने को ोता ै,
उन जग ों पर,
ज ाँू करने को कु छ न ीिं ोता...

िुब देर तलक त्रबस्तर पर ऊूँ घते, ववनोद दबद े
उन लकीरों को छद ना, लेखक (इंिडडयापा), मरीन
जो खखड़की िे छनकर आती रोशनी
र्े रे पर बनाती ै , कै प्टन, सिगंि ापुर
कफर उठकर बपे रवा ी िे बाल्कनी में बैठना ,
TV और स्माटच फ़ोन की दनु नया िे दरद इन आँखू ों को, इि माम मंे, मन पर मलै की िारी परतें
प ाड़ों पर जमी पड़े ों की कायी को तकते िुकद न देना, समटाना,
रैकफ़क की धर्ल्ल-पों िे दरद , “मंै ी मशे ा ठीक दँू“ जैिी बफ़े जलद शतंे टाना,
कोयल की आवाज़ को बेवज दु राना , और कफर ढेरों मुजश्कल िवालों के आिान जवाब
और कफर र्ाय की र्ुस्की को कु छ यँदू म ििद करना, सलए,
जिै े रेक घदँूट के िाथ ये िारा मंिज़र , शाम कफर उिी बाल्कनी में र्ाय की िो बत मंे
निों में घलु ता जाता ो... लौट आना...

ककतना कु छ करने को ोता ै,
उन जग ों पर,
ज ाँू करने को कु छ न ींि ोता...

हदन र्ढ़ते ी इन जंिगलों मंे, प ाड़ों पर ककतना कु छ करने को ोता ै,
बमे क़िद, बेमजंि ज़ल घमद ते र ना , उन जग ों पर,
ज ाूँ करने को कु छ न ीिं ोता...

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काव्य-रस

“मैं कर क्या र ा दँू” जैिे िवालों को बेधड़क पदछना , ज ाूँ स्माटच फ़ोन स्िीन की िो बत मंे िबु ें गज़ु रती

इि उम्मीद मंे कक शायद प ाड़ों िे टकराते िवाल, ों,

कोई मुकम्मल जवाब लेकर लौटंे, र्ाय के िाथ लपै टॉप पर ऑकफ़ि की जजम्मदे ाररयाँू

ररश्तों की उलझी कई पुरानी गाँूठें खोलना, ननभती ों,

शाम की ल्की बाररश में, ईमेल और फ़ोन कॉल की बातें,

कर्नार और गलु मो र के फद लों पर, जज़दिं गी के माने बताती ों,

बूँदद ें कफिलते देखना, ररश्ते कफर उलझने लगते ों,

प ली बाररश में समर्टटी िे, िवालो की लड़ी कफर िे मन में कु लबुलाती ो,

रात रानी के फद ल की ख़शु बद त्रबखरते देखना, मन में मैल की कायी िी जमती जाती ो,

और कफर त्रबस्तर पर लेटे, मख़मली त्रबस्तर पर भी ठीक िे नीिंद न ीिं आती ो,

खखड़की िे देखना र्ाँदू का रूमानी अन्दाज़, काश वो िसु ्ताती िी प ाड़ों की जजंिदगी, मरे ा झठद ,

िनु ना र्खे रु और कीकर की अधंि रे े में गूँजद ती आवाज़, और ये दौड़ती-भागती िी जजंदि गी,

उि आखख़री रात, बच्र्ों िी ग री नीिदं मंे टद टकर मेरा िर् न ींि ोता

िोना ,

जैिे िारी कायनात लोरी िुनाती ो, ककतना कु छ करने को ोता ै,

उन जग ों पर,

ककतना कु छ करने को ोता ै, ज ाूँ करने को कु छ न ींि ोता...

उन जग ों पर,

ज ाँू करने को कु छ न ीिं ोता... *********************

एक बार कफर लौट आना,
उिी पुरानी दनु नया मंे,

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झलककयााँ

टपीक फॉर योर लगैं ्वेज़

गणतंति ्र हदवि के अविर पर ‘स्पीक फॉर योर
लगैं ्वज़े ’ के कायिच म में भारत की लगभग १५
भाषाओिं मंे छोटे-बड़े कायिच म ुए| ककिी भाषा-
भाषी ने नतृ ्य प्रस्ततु ककया तो ककिी ने नाहटका|
क ीिं काव्य-गोष्ट्ठी ुई तो क ींि गीतों की माला
थी| कई भाषाएँू जब एक िाथ समल जाती ंै तो
भारत की अनेकता मंे एकता ख़दु ब ख़दु
झलकने लगती ै|

धर्त्र िाभार- ग्लोबल ह दंि ी फाउंि डेशन

इंडियन किल्म फे स्टर्वल

भारतीय उच्र्ायोग, सिगिं ापरु और एन यद एि ऑकफि ऑफ़
अलमु ्नाई ररलेशििं की ओर िे इि िाल पनु : ‘इिंडडयन कफ़ल्म
फ़े जस्टवल’ का आयोजन ुआ| इिमें दो ह दंि ी और एक मराठी
कफ़ल्म हदखाई गई| इि बार भी दशकच ों की िखंि ्या , ख़ािकर छात्रों
की ििंख्या ब ुत अधधक र ी और कफल्मों को खबद िरा ा गया| ये
कफ़ल्में देखने वाले ज़्यादातर दशकच भारतीय न ींि ोते तो उनके
सलए इि तर का आयोजन ब ुत िरा नीय ोता ै|

इंडिया वीक

सिगंि ापरु के ‘िनटेक कन्वंेशन ॉल’ में २४ िे
२७ जनवरी तक ‘इंिडडया वीक’ का आयोजन
ुआ| इि में भारत के ववववध िते ्रों की झाँूकी
देखने को समली| स्तकला, बाज़ार, बोलीवुड,
िम्मेलन, िभाए,ूँ ‘टॉक शो’ जिै े कई
कायिच म ुए|

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगिं ापरु िंगि म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 25

ररपोर्क

“हहदं ी और भारतीय सटं कृ तत: अतं रराष्ट्रीय
सन्दभक में” — अतं रराष्ट्रीय हहदं ी सम्मेलन

आधारसशला ववश्व ह दंि ी समशन, अतिं राचष्ट्रीय ह दंि ी भाषा के िाथ ी ििंस्कृ नत का पररर्य ववदेशों मंे
पररषद व डीएवी ह दिं ी स्कद ल सिगिं ापुर के िंयि ुक्त और अधधक म त्वपदणच ो जाता ै| उत्तराखडंि िरकार
तत्वावधान मंे २७ जनवरी २०१९ को अतंि रराष्ट्रीय के अपर िधर्व व ह दंि ी अकादमी उत्तराखडिं के
ह दंि ी िम्मेलन जजिका मुख्य ववषय “ह दंि ी और िधर्व बीआर टम्टा ने िरकार द्वारा ह दिं ी भाषा व
भारतीय िसिं ्कृ नत: अतंि राचष्ट्रीय िन्दभच मंे” था, िपिं न्न िाह त्य के सलये ककये जा र े कायों की जानकारी
ुआ| इि िम्मलेन मंे बड़ी िखिं ्या मंे भारत और दी| डीएवी स्कद ल की छात्राओंि ने ह दंि ी भाषा पर
सिगंि ापुर के ह दंि ी िवे ी शासमल थे| रंिगारंिग कायिच म प्रस्ततु ककये| इि अविर पर
आधारसशला पत्रत्रका के नये अकंि का ववमोर्न ककया
आधारसशला के प्रधान िंिपादक डॉ. हदवाकर भर्टट ने गया|
क ा कक ह दंि ी आज ववश्व की िबिे अधधक बोले
जाने वाली भाषा ै इिीसलये उिे राष्ट्रििंघ की भाषा इि अविर पर आधारसशला फाउंि डशे न ने भारत व
का दज़ाच समलना र्ाह ए| डीएवी स्कद ल सिगंि ापुर के सिगिं ापुर के ह दिं ी िेववयों को िम्माननत ककया|
ननदेशक, प्रार्ायच डॉ. ओपी राय ने बताया कक ह दंि ी सिगिं ापुर के दो ह दिं ी िेववयों को िम्माननत ककया
को लेकर सिगिं ापरु मंे बड़ा ििघं षच ककया गया तब गया| डी ए वी ह दंि ी स्कद ल के ननदेशक डॉ ओ पी
जाकर ह दंि ी को पढ़ाने की िरकार िे मान्यता राय को म वषच दयानदंि ह दंि ी िम्मान तथा नशे नल
समली| सिगिं ापुर नेशनल यनद नवसिटच ी के ह दंि ी ववभाग यनद नवसिटच ी ऑफ़ सिगिं ापरु के ह दंि ी ववभाग की
की अध्यिा डॉ. िधिं ्या सिंि ने सिगंि ापुर मंे उच्र् अध्यिा डॉ ििधं ्या सििं को सिगंि ापुर में ह दिं ी के
सशिा में ह दिं ी सशिण पर अपनी बात रखी| ह दिं ी प्रर्ार-प्रिार में रर्नात्मकता के सलए ह दंि ी गौरव
िम्मान िे िम्माननत ककया गया|

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साक्षात्कार

पुराना ज्ञान नए रूप मंे; समु मत नंदा की जबु ानी

२४ िे २७ जनवरी तक सिगिं ापरु के िनटेक िटें र मंे “इंिडडया वीक” का आयोजन ुआ और इिी के त त
इिंडडया फाउिं डशे न के ि योग िे २५ जनवरी २०१९ को ‘िॉफ्ट पॉवर ऑफ़ इंिडडया’ नामक ‘कािंफ्रंे ि’ रखा गया|
इि िम्मले न के एक वक्ता िसु मत नंदि ा जी थे जो ‘एगा जदि जक्लननक’ के िंिस्थापक ंै| उन् ोंने आयवु ेद
मंे मौजदद कई र्ीज़ों पर र्र्ाच की जो भारत के नाम को आगे बढ़ाने में ि ायक ो र ी ैं| आज योग,
आयुवेद और िसंि ्कृ नत मारे सलए गवच की बात ो गई ै| उन् ोंने प्राकृ नतक र्ीज़ों के ि ी रूप के इस्तेमाल
पर काफी कु छ बताया| उि िम्मेलन मंे उनकी बातों को िनु कर लगा कक उनके कायच को और बारीकी िे
जाना जाए| तो आइए समलते ैं िुसमत नदंि ा जी िे और पढ़ते ैं उनकी क ी बातों को|

श्री िसु मत नंदि ा-िंसि ्थापक ‘एगा जिद जक्लननक’

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साक्षात्कार

सधं ्या: िुसमत जी ब ुत धन्यवाद िमय देने के सलए| प्रेशर’ की भी िमस्या थी| तब तो य ी क ते थे कक
िबिे प ले तो ये बताइए कक ‘एगा जदि जक्लननक’ अब आपको िारी उम्र दवाई खानी पड़गे ी| आज पाँूर्
का ववर्ार हदमाग में आखखर कै िे उपजा? कै िे ये िाल ो गए ंै और न तो मनैं े एक भी गोली खाई ै
शुरू ककया? और न ी मझु े माइग्रेन, मधमु े या ब्लड प्रेशर ै तो
मैं पदछता दूँ आखखर वो जने ेहटक क ाूँ गई?
सुममत जी: अपने अनुभव िे य शरु ू ककया क्योंकक
मेरा वज़न िौ ककलो िे भी ज़्यादा था| कई बीमाररयाूँ जैिे मंै क र ा था कक मेरे भाई के ककिी दोस्त ने
भी ो गई थीिं जिै े ाई ब्लड प्रशे र, डायत्रबटीज़, के रला जाकर इलाज कराया था| काफी िुना उिके
माइग्रेन आहद| बार-बार डॉक्टर के य ाूँ जाना पड़ता बारे में तो िबका य ी क ना था कक व ाँू जाना
था और डॉक्टर र बार एंिटीबायोहटक ज़रूर पकड़ा र्ाह ए| पर मझु े इििे प ले आयुवेद पर ब ुत
देते थ|े कफर भी कु छ ठीक न ींि ो र ा था| वज़न भी ववश्वाि न ींि था| ब ुत मन भी न ीिं था पर ालत
ब ुत बढ़ता जा र ा था| लगभग बीि िाल तक य ी इतनी खराब ो र ी थी कक लग र ा था कक अब
र्ल र ा था| ऐिा न ीिं था कक मैं ‘एकिरिाइज’ न ींि इििे बुरा क्या ोगा? व ाूँ जाने िे प ले शरीर की
करता था या ‘ ेल्थी’ खाना न ीिं खाता था| जिै े िब य ालत थी कक लगता था जैिे परद े शरीर में
लोग क ते ंै ‘िाउन िेड’ खाओ, िफ़े द मत खाओ तो र्ीहटयाूँ र्ल र ी ों, रात भर नीिंद न ीिं आती थी|
मैं ये िब ध्यान रखता था| किरत भी खबद करता बि के रल गया और डॉ रनतश िे समला और आज
था तो किरत करने िे भदख भी ब ुत लगती थी और आपके िामने दूँ|
अगर ना खाऊंि तो बीमार पड़ जाता था| कु छ करो तो
आफ़त और न करो तो और बड़ी आफ़त| य ी ाल संध्या: क्या डॉक्टर रनतश ने तरु िंत िब ठीक कर
र्ल र ा था| हदया?

मरे े एक भाई अमेररका मंे ंै और उनके ककिी दोस्त सुममत जी: डॉक्टर रनतश नाड़ी परीिक भी ैं और
ने के रल मंे ‘माइग्रेन’ का इलाज कराया था| मझु े जब इन् ोंने मझु े देखा और नब्ज़ पकड़ी तो बताया
माइग्रेन काफी र ता था| डॉक्टर तो य ी क ते थे कक कक आपकी ‘बायोलौजज़कल’ उम्र ६० िाल िे ऊपर ै|
आपकी माूँ को माइग्रेन ै तो ये आपको ोगा ी| प ले तो य ी मेरे सलए ब ुत बड़ा ‘शॉक’ था| उन् ोंने
‘डायत्रबटीज़’ का भी य ी था कक वपता जी को ै, मरे े काफी र्ीज़ें बताई लेककन िबिे प ले तो पदरे शरीर
दादा जी को ै तो ‘जने हे टक’ ै और ोगा ी| ‘ब्लड की ‘क्लींिजजंिग’ की बात की क्योंकक शरीर में ब ुत

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साक्षात्कार

कर्रा इकर्टठा ो गया था तो वो बा र ननकालना कु छ र्ीज़ंे मशे ा करनी ैं जैिे भोजन मंे
ज़रूरी था| | रक्त जब तक िाफ़ न ीिं ोगा या ननयसमतता और घर का बना ी िब कु छ आज
लीवर िाफ़ ककये त्रबना कोई भी इलाज़ कारगर भी खाता दँू| विै े भी ककिी भी इंििान को सिफच
न ींि ोता| तीन बार ी खाना खाना र्ाह ए| नाश्ते मंे धर्ला,
दोिा कु छ भी खाए| दोप र मंे दाल, रोटी, र्ावल,
उनका क ना था कक जीवन शलै ी मंे पररवतचन िब्ज़ी आहद खाएँू और रात में सिफ़च फल| बीर्-
करना ोगा, तभी कोई भी र्ीज़ अिर करेगी| बीर् मंे ‘स्नैककिं ग’ न ींि करनी र्ाह ए| खाने के बाद
तुरिंत पानी न ीिं पीना र्ाह ए| शरीर के र्ि को
खखर्ड़ी और फल पर मझु े म ीने भर र ना था| ितिं ुसलत करने की ज़रूरत ै| रात में दि बजे िो
उनके अनिु ार, “कोई भी फल पर खाओ पर समक्ि जाना र्ाह ए और िुब छ बजे उठ जाना र्ाह ए|
मत करना मतलब एक ी तर का फल खाओ|” िबु िैर करो, ो िके तो नंिगे पैर|
गसमयच ों के हदन थे तो मनंै े पदछा कक कोई भी फल
मतलब आम भी खा िकता दूँ| उन् ोंने क ा ाूँ| जो भी म खाते ैं व प ले रि बनता ै और
य मरे े सलए ब ुत आश्र्यच की बात थी| मीठे फल उनिे शरीर का पोषण ोता ै| पिीना ब ता ै तो
खाए ज़माना ो गया था| उििे शरीर िाफ़ ोता ै| मल-मतद ्र िे शरीर की
िफाई ोती ै| एकादशी एक ऐिा हदन ोता ै
और जब मनंै े अपने में य बदलाव देखा तो मुझे ‘लनु ार िाइककल’ मंे जजि हदन कु छ खाएगँू े तो
लगा कक य ज़्यादा िे ज़्यादा लोगों तक प ुूँर्ाना कु छ भी पर्गे ा न ीिं इिसलए मारे ग्रिथं ों मंे व्रत
र्ाह ए| करने को क ा गया ै| अगर आपको याद ोगा तो
वपछले िाल का नोबल पसु ्कार उि वजै ्ञाननक को
सधं ्या: तो अपने शरीर को ठीक करने की उि समला जजिने व्रत पर काम ककया ै| व्रत मतलब
प्रकिया के बारे मंे कु छ और बताइये| जिद पर र ना ोता ै परद े हदन और इििे शरीर
की िफाई ोती ै| य ी लोगों तक प ुँूर्ाने की
सुममत जी: जब शरीर डटे ोक्ि ोने लगा तो खदु कोसशश ो र ी ै| वैिे काफी लोग जागरूक ंै
ी ब ुत अच्छा म ििद ोने लगा| ल्दी एक ब ुत जिै े अभी र्ीनी नए िाल के बाद काफी लोग आ
ी बहढ़या क्लीिंजजिगं ै तो उिके इस्तेमाल पर र े ंै क्योंकक उन् ोंने काफी खाया ै तो अब
‘डटे ोक्ि’ करना र्ा ते ंै|
ब ुत जोर हदया| पर ल्दी पाउडर जो बाज़ार में
समलता ै, उिमें तो कु छ ोता ी न ींि ै इिसलए
प्राकृ नतक रूप िे ननकले ित्व का ी अिली
फ़ायदा ै|

जनवरी-मार्च २०१९ ◦ सिगिं ापरु ििगं म ◦ www.singaporesangam.com ◦ 29

साक्षात्कार

सधं ्या: ब ुत अच्छा तो य ाूँ िे दिद रों को नीरोगी था?
बनाने की प्रकिया शरु ू ो गई| य बताइये
आपके स्टोर में िबिे ज़्यादा मश दर क्या ै? सुममत जी: डॉ रनतश जजन् ोंने के रल में मझु े
और क्या शुरू िे िभी र्ीज़ंे रखते थे? इतना ेल्थी बनाया, वे य ाूँ िाथ ंै| मारे य ाँू

सुममत जी: ‘नेर्रु ल इसमनो बदस्टर’ िबिे ज़्यादा र स्टोर पर एक-एक आयुवेहदक डॉक्टर ै
मश दर ै क्योंकक इिमें आूवँ ला, ल्दी, नीबंि द और क्योंकक र ककिी का शरीर अलग ोता ै| शरीर
अदरक ै| कीमत मंे िबिे कम ै लेककन इिका के ह िाब िे ी र्ीज़ें ‘िदट’ करती ंै|
अिर ब ुत ै और लोगों को ब ुत फायदा
प ुूँर्ाता ै| मारे स्टोर के खलु ने िे प ले भी संध्या: आपकी ककतनी िािंर् ैं? और िब य ींि ंै
कई बार लोग ल्दी का ‘शॉट’ लगाने के सलए या बा र ककिी देश में भी| आगे की योजना क्या
‘लाइन’ लगाकर खड़े ो जाते ैं| शरु ू तो जदि,
ै?
ल्दी और त्रत्रफला िे ककया था पर धीरे-धीरे
ब ुत प्रोडक्र्टि रखने लगे ैं क्योंकक म अपने समु मत जी: अभी मारी िभी िािंर् सिफच सिगिं ापरु
ग्रा कों को ‘कजन्वननयंिे ’ भी देना र्ा ते ैं| मंे ैं और अब पाँरू ् िांरि ् ो गई ैं| वेदा योगा
स्टद डडयो के िाथ समलकर OUE down town मंे
संध्या: य ाँू मझु े भारतीय लोग कम हदख र े ंै| भी एक िांिर् खोल र े ैं| प ले म सिगिं ापरु में
तो आपके ज़्यादातर ग्रा क कौन ंै? कम िे कम दि िे पंिद्र स्टोर खोलना र्ा ते ंै
उिके बाद देखते ंै या तो एसशया या अमेररका|
समु मत जी: शरु ू मंे मरे े ग्रा क ९०% अगंि ्रेज़ थे | अभी इि पर बात ो र ी ै और देखते ैं आगे
इन लोगों मंे वात, वपत्त, कफ़ के बारे में ज़्यादा ककि तरफ ले जाते ंै लेककन य तो तय ै कक
जानकारी ै और ये लोग ज़्यादा जागरुक ंै| इिे आगे ले जाना ै|
अभी ५०% अगंि ्रेज़ ैं और ४०% स्थानीय र्ीनी
लोग ैं और भारतीय तो १०% के करीब ी ैं| सधं ्या: क्या आपको अपने स्टोर का प्रर्ार करने
भारतीय लोग आते ैं पर कम| उिका कारण भी की ज़रूरत ोती ै?

ै कक भारतीय लोगों को कई र्ीज़ंे मालदम ंै समु मत जी: मंे खदु िे प्रर्ार करने की ज़रूरत
और शायद वे इस्तेमाल करते ों| न ीिं ोती क्योंकक लोगों को फायदा ोता और
उन् ीिं िे अपनआे प दिद रे तक प ुूँर्ती र ती ै|
संध्या: ये आपने अके ले शुरू ककया या कोई िाथ
संध्या: क्या जिद या इि तर की र्ीज़ंे इि

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साक्षात्कार

िमय य एक रंेड ै या य िब लम्बे िमय लेककन मझु े आश्र्यच ोता था कक म िश िे
तक र्लने वाला ै? ज़्यादा उिकी पैके जजिंग पर खर्च करते थे|

समु मत जी: इि िमय पदरी दनु नया में ‘वेलनिे ’ तब मुझे बताया गया कक ‘किं ज्यमद र’ जब ख़रीदता
का ‘रंेड’ र्ल र ा ै पर आयुवेद रेंड न ींि ो ै तो व ‘पैककंि ग’ िे ख़रीदता ै| उिने इस्तेमाल
िकता क्योंकक य ज्ञान ै| िबिे बड़ा ‘टोजक्िन’
का कारण ै कक आज पानी मंे र जग गन्दगी तो ककया ी न ीिं ै| अगर उिे पैके जजगिं ठीक
लगेगी तभी तो व खरीदेगा| इिसलए मारा एक
ै, वा में गन्दगी ै, खाने-पीने की र्ीज़ों में बड़ा फोकि पकै े जजंगि पर भी ै वरना वैद्य लोग
नकली र्ीज़ों की भरमार ै| य िब एक तर िे ये िभी र्ीज़ें ककिी न ककिी रूप मंे देते र े ंै|
ज़ र ै इिसलए आयुवदे का ज्ञान मेशा काम पर पडु ड़या मंे जब य ी िोना समलता था तो कौन
आयेगा| लेना र्ा ता था पर आज इन शीसशयों मंे य ी
िोना िाफ़ और ‘ ाइजननक’ हदखता ै और लोग
सधं ्या: क्या कभी ऐिा कु छ ुआ ै जजिमंे ककिी ख़रीदते ंै|
को आपके आयवु हे दक प्रोडक्ट िे कोई ‘एलजी’ ुई
संध्या: ग्लोबल वोसमगंि की तरफ भी य एक बड़ा
ो? कदम ै| तो क्या य िोर्कर शरु ू ककया था?

समु मत जी: मेशा लोग आकर बोलते ैं कक सुममत जी: इिका बड़ा उद्देश्य ी ै दनु नया की
उनकी एलजी दरद ो गई ै| ये िारी र्ीज़ंे मारे िबिे बड़ी िमस्या ग्लोबल वोमींग को कम करने
शरीर को िाफ़ करती ंै, उनको पुष्ट्ट करती ंै| मंे एक कदम बढ़ाना| जैिे आप देख र ी ंै म
शीसशयों का इस्त्तेमाल कर र े ंै| प ले कु छ
मारे जो भी प्रोडक्ट ंै िब बड़े ी प्राकृ नतक रूप िमय प्लाजस्टक बोतलों का इस्तेमाल शुरू ककया
िे तैयार ोते ंै| ववदेसशयों मंे इन र्ीज़ों के प्रनत पर ख़दु ी लगा य तो पयावच रण के सलए
जागरूकता ब ुत ै तो काफी लोग आते ैं और नुकिान देने वाला ै और तय ककया कक र्ा े
इिके फायदे बताते ैं| ककतना भी म ूँगा पड़े पर शीसशयों का इस्तेमाल

सधं ्या: इििे प ले आप ककि प्रोफे शन में थे? ी ोगा| ये बोतल लोग वापि करते ंै और म
क्या उििे आपको इिमंे कोई फायदा समला ै? उनको ५० िेंट वापि करते ैं| इििे मारे ग्रा क
बने भी र ते ैं और में भी तरु ंित फीडबकै
सुममत जी: अगर आपको याद ोगा ‘त्रबनाका’
टद थिश तो वो मारा था| कई बार म लोग
जजलेट आहद के सलए भी टद थ िश बनाते थे

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साक्षात्कार

समलता र ता ै|

संध्या: एक िवाल अपने सलए| आपने इतनी र्ीज़ंे आयवु दे िे ढदँूढकर लोगों तक प ुँूर्ाई ंै| क्या िफ़े द
बालों के सलए भी कु छ ै?

सुममत जी: ा ा! त्रबलकु ल ‘ब्लैक ेयर आयल’ ै मारे पाि| इिमें भगिंृ राज ै और इंिडडगो ै तो इिके
ननयसमत प्रयोग िे बाल िफ़े द ोने रुक जाते ंै| ‘डाई’ तो न ीिं ै ये पर आपको फायदा प ुँूर्ाएगा|
संध्या: ब ुत-ब ुत धन्यवाद िुसमत जी|

अधधक जानकारी के सलए- • Marina One, 7 Central Boulevard #B2-30 Singapore 018936
• Forum the Shopping Mall, 583 Orchard Road #B1-11 Singapore 018936
www.egajuiceclinic.com • Cluny Court, 501 Bukit Timah Road #01-04A Singapore 259760

श्री िुसमत नंदि ा और डॉ रनतश
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आलेख

मलखावर् मंे सुधार कर व्यस्ततत्व को तनखारें!

यासमनी पोरवाल
ह दंि ी अध्यावपका ,

सिगंि ापुर

कलम की ताकत िे तो म िभी पररधर्त ंै : पर क्या आप जानते ैं कक आपकी सलखावट आपके व्यजक्तत्व
का आईना ोती ै। सलखावट द्वारा म व्यजक्त के मन की भावनाओिं की ग राई, उिके असभव्यजक्त की
तीव्रता, आत्मबल, आत्म-ववश्वाि आहद कई प लदओंि के बारे मंे जानकारी प्राप्त कर िकते ैं।

य एक वैज्ञाननक रूप िे प्रमाखणत ज्ञान ै। इिका िम्बंधि िीधे मारे मजस्तष्ट्क िे ोता ै। जब भी म कु छ
सलखते ैं, मारे मजस्तष्ट्क द्वारा भजे े गए ििंदेश ततिं ्रत्रका-तंित्र के माध्यम िे ाथ की उूँ गसलयों तक प ुँूर्ते ंै।

ाथ की उँू गसलयाँू उिी प्रकार िे अिर ववशषे की िरंि र्ना बनाती ै जिै ा कक मजस्तष्ट्क में इििे िबंि धंि धत ‘न्यदरो
पाथ वे ‘ बनता ै। र बनावट का एक पथृ क ‘न्यरद ो पाथ वे‘ ोता ै । य ी कारण ै की प्रत्येक व्यजक्त द्वारा
सलखे गए अिरों की बनावट सभन्न ोती ै। य सभन्नता ी उिके व्यजक्तत्व की सभन्नता को प्रदसशतच करती

ै। बर्पन में एक ी अध्यावपका द्वारा किा के िभी ववद्याधथयच ों को एक ी तर िे सिखाए जाने पर भी
सलखावट में ववसभन्नता इि तथ्य को प्रमाखणत करती ै।

बरिों िे मनोववज्ञान द्वारा ककए गए परीिणों िे व्यजक्त के अर्ते न मजस्तष्ट्क के कई तथ्य प्रकट ककए का
िकते ंै। वतमच ान िमय में सलखावट को भी इन परीिणों के सलए एक म त्त्वपदणच तकनीक की तर प्रयोग
ककया जा र ा ै। भववष्ट्य मंे इिके अत्यिंत लोकवप्रय ोने की िम्भावना ै।

सलखावट द्वारा व्यजक्त के मन के कई प्रकार के डर, िोर्ने-िमझने और ननणयच लेने की िमता आहद कई
प लओद िं को आिानी िे जाना जा िकता ै। िबिे आश्र्यजच नक बात य ै कक सलखावट में थोड़े िे पररवतनच

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आलेख

िे जीवन में कई म त्त्वपदणच िकारात्मक पररवतनच लाए जा िकते ैं। ऐिे कई जीवतंि उदा रण ंै जब लेखनी
मंे िकद ्ष्म पररवतनच ने लोगों के जीवन की हदशा बदल दी।
सलखावट का िम्बिंध र उम्र के व्यजक्त एविं जीवन के र िेत्र िे ै। बर्पन मंे सलखावट पर ववशषे ध्यान
देकर म बच्र्ों की स्मरण-शजक्त और एकग्रता बढ़ा िकते ैं। नवयुवकों को उपयुक्त ववषय और काय-च िेत्र
र्नु ने में सलखावट ब ुत लाभदायक सिद्ध ोती ै। व्यविाय और नौकरी में तरक्की की ििभं ावनाओिं को
बढ़ाने में सलखावट कारगर िात्रबत ोती ै। क ने का तात्पयच य ै कक सलखावट व्यजक्त के जीवन मंे
म त्त्वपदणच स्थान रखती ै।
अगिं ्रेज़ी की प्रवा सलखावट (cursive writing ) द्वारा सलखावट का ववश्लेषण ककया जा िकता ै। आजकल
सलखावट के ववश्लेषण का र्लन ब ुत बढ़ गया ै। नौकरी के सलए उपयकु ्त व्यजक्त का र्यन ो या पनत-
पत्नी के आपिी ररश्तों की ग राई, सलखावट द्वारा आिानी िे पता लगाया जा िकता ै।

(लेखखका यासमनी पोरवाल एक सलखावट ववशषे ज्ञा ंै। लेखखका के अमेररका के ववश्व- ववद्यालय िे सलखावट
ववशषे ज्ञ की डडग्री प्राप्त की ै। सलखावट के ववषय मंे और अधधक जानकारी प्राप्त करने के सलए कृ पया
96529829 पर और [email protected] & [email protected] पर िम्पकच करें।)

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हहदं ी के वाहक-काव्य-रस

बचपन : टतब्ध दृस्ष्ट्र्कोण

तब मंै िािी प्रद्युम्न
छात्र—एन यद एि,

सिगिं ापरु

और अब मैं

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हहदं ी के वाहक-काव्य-रस

पता र्ला म बड़े ो गए, जब ककलकाररयाँू लगी सििकने,
मखु की बेवज मसु ्कानंे, पदछने लगी जब कारण,
बर्पने को अल् ड़पने का पयाचय िमझा जाने लगा,

और अल् ड़पन को आदेश का मान सलया गया उल्लंघि न।

पता र्ला म बड़े ो गए, जब बाररश भी न सभगो िकी मन को,
औरों की दौलत-ख्यानत को, जब घदर र े म ननननचमेष,
ठोि हृदय भी न ीिं पिीजता, ो वषाच या अश्रुधार,

जब किौटी अ ंि-बल-धन ो, तब न ींि र ता बर्पन शषे ।

पता र्ला म बड़े ो गए, जब ख़दु के सलए ो गए म व्यस्त,
िुन न िके आडम्बर के कारण, दररया जब मंे पुकारे,
मलै ी परत जब उठने न दे ग री कोई आवाज़,
जब ररश्तों के िाज़ों में बजने लगते िुर कु छ खारे।

पता र्ला म बड़े ो गए, जब धारणा ििंकु धर्त करे रर्ना को,
प्रस्फु हटत न ोने दे ज़जंि ीरंे जब मन की उद्ववग्न असभलाषा,
अपेिा के बोझ के नीर्े धसद मल ोते जब उद्गार,
जब पररभावषत पेशों में खोजनी पड़े रर्ना की पररभाषा।

लगता कभी क्यों बड़े ो गए, जब दो रा जीवन जीना था,
जो र्ाटु काररता में िबिे आगे, करे व ी कफर उप ाि,
छु टपन की अठखेली देखो कै िे बन गयी ै षर्डयंित्र,

अववश्वाि के कारण औरों की मुस्कान लगती क्यों अर्टट ाि।

बर्पन पीछे यदँू छद टा कक इिका गम न कम ै,
ननश्छल भी पीछे छद ट गया, ै र्ीख र ा अब ििं दन,
आत्मकंे हद्रत िोर् के दलदल मंे बद वाि जीने की ोड़,
लोक-ववषाद िािी ै इिका, िम्मुख िबके ननस्पंिदन।

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हहदं ी के वाहक
पढ़ाई का आखखरी महीना और म-ंै ---कु छ कहना चाहता हूाँ आपसे!

वरुण गपु ्ता

छात्र-नेशनल यदननवसिटच ी
ऑफ़, सिगंि ापरु

“अगर मंै अपने शोध-ननबंधि के तीिरे और र्ौथे अधिं े ो गए ैं कक दिद रों िे बे तर करने के ननरंितर
अनभु ागों का िम बदल दूँ,द शायद पढ़ने में और िरल िंिघषच और लगातार बढ़ते तनाव ने मारी िे त को
ककि प्रकार प्रभाववत ककया ै।
ो जाए।” “मशीन लरननगिं का काम ५ हदन में देना
ै, कल शरु ू करना ोगा।” “अच्छा काफ़ी रात ो गई ववसभन्न अध्ययनों ने हदखाया ै कक ववश्वववद्यालयों
ै, अब िो जाता दँू।” “ओ भलद ी गया था, कल में तनाव का ववद्यधथयों के मानसिक स्वास्थ्य पर
प्रफ़े िर िे समलना ै, पर काम तो ुआ ी न ींि। अब नकारात्मक प्रभाव ुआ ै। ‘यदननवसिटच ी औफ़ ररर्मिडं ’
कै िे ोगा?” में ककये गए गए शोध ने ननष्ट्कषच ननकाला कक ४0%
छात्रों को अविाद के कारण रोज़ाना कायच करने मंे
रात के एक बजे जब मैं त्रबस्तर पर लेटा ोता दँू, मजु श्कल ुई और ६१% को वपछले िाल मंे कभी न
इि आशा मंे कक एक रात की नीदंि परद ी ो जाए, मेरा कभी अिह्य धर्तिं ा का िामना करना पड़ा। एन यद
हदमाग़ इि प्रकार नार्ता-कद दता ै। अगली िबु एि मंे र्ार िाल त्रबताने के बाद मेरा मानना ै कक
उठता दूँ, मुजश्कल िे तीन-र्ार घंिटे िो कर और कफर य ाूँ भी िमान आूकँ ड़े ोना परद ी तर िे िम्भव ै।
िे काम की िोर् मंे पड़ जाता दूँ। मरे ा अनुभव र ा ै कक किाएँू परीिाओंि पर
अत्यधधक कें हद्रत ैं और “बेल कव”च , यानन आपेक्षिक
आज की दनु नया मंे ववद्याधथयच ों के सलए ऐिे अनुभव ग्रेडडगंि , के कारण ि योग ज़्यादा फ़ायदेमदंि न ीिं ै।
िामान्य ो गए ैं, य ाूँ तक कक म दोस्तों िे िाथ ी सिगंि ापुर मंे ककए गए िविे ण के मतु ात्रबक़
अपनी नींिद के अभाव की, काम के दबाव की ड़ीिगं ४५% ककशोरों की मानसिक रोगों के प्रनत नकारात्मक
मारते ैं। पर शायद म इि वास्तववकता के प्रनत

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हहदं ी के वाहक

ववर्ार ंै। अतः ववद्याधथयच ों को ना सिफ़च तनाव, य ज्ञान ो तो ी वे ध्यान रखने की कोसशश कर
अविाद और धर्तंि ा का बोझ ि ना पड़ता ै, िाथ िकते ैं। दीघावच धध में ववद्यालयों को प्रयाि करना

ी िमाज की राय ि नी पड़ती ै कक इन ोगा कक वे अपने ववद्याधथयच ों पर कम बोझ डालें।
िमस्याओिं का कारण स्वयंि छात्रों की दबु लच ता ै! अकंि ों पर कम ज़ोर डालकर ि योग और प्रायौधगक
सशिण पर बल डालना लाभदायक िात्रबत ो िकता
तनाव का मानसिक स्वास्थ पर ी न ींि, शारीररक
स्वास्थ्य पर भी अिर पड़ता ै। थाइलडंै में ककए ै। इिके अलावा आपके ्षिक ग्रेडडगंि को टा देना
गए एक शोध के मतु ात्रबक़ तनाव मंे वदृ ्धध और र्ाह ए ताकक अकंि समलने की प्रकिया में अधधक
शारीररक स्वास्थ्य मंे पतन अक्िर िाथ पाए जाते पारदसशतच ा ो।

ंै। य अिर कई रूपों में प्रकट ोता ै। अमरे रका ववद्याथी ख़दु िे भी अपनी जस्थनत िधु ारने का
में उन व्यजक्तयों मंे िे जो रोज़ाना जज़ंिदगी मंे प्रयाि कर िकते ंै। इि प्रकिया में प ला क़दम ै
तनाव ि ते ैं, ७० प्रनतशत को िोने में मजु श्कल य प र्ानना कक काम का दबाव उनकी िे त को
इि तर प्रभाववत कर िकता ै। इि ज्ञान के िाथ
ोती ै। य ी न ी,ंि काम के दबाव के कारण छात्रों वे ज़्यादा स्वस्थ जीवन शलै ी अपनाने का प्रयाि
को थकावट, िरददच तथा माँिू पसे शयों और र्डडडयों कर िकते ैं। शोध िे िात्रबत ुआ ै कक प्रनतहदन
मंे ददच भी म िदि ो िकता ै। इन मिु ीबतों एवंि ३० समनट किरत करने िे तनाव में कमी ोती ै।
तनाव िे बर्ने के सलए अक्िर ववद्याथी शराब के िितं सु लत आ ार बनाए रखना भी म त्त्वपणद च ै, र्ँूकद क
जाल मंे फूँ ि जाते ैं, और कफर इि गर्डढे िे अक्िर छात्र काम के दबाव के कारण या तो
ननकलना अधधक कहठन ोने लग जाता ै। अत्यधधक खाने लग जाते ंै या खाना छोड़ ी देते

य स्पष्ट्ट ै कक ववश्वववद्यालयों मंे दबाव का ंै। इिके अलावा, ववद्याथीयों को अपनी िमस्याओिं
मिला अनत गम्भीर ै। अब िवाल य ै कक म के बारे मंे दिद रों िे भी बात करनी र्ाह ए, ताकक
इि जस्थनत को ककि प्रकार िधु ार िकते ंै। उनको य बोझ अके ले ना ि ना पड़।े
ववद्यालयों की जज़म्मेदारी ै कक वे ना के वल अपने
छात्रों की ि ेत के ििंशोधन के सलए िुववधाएँू पवद कच धथत र एक िमस्या के खख़लाफ़ मंै और मेरे
उपलब्ध करें, बजल्क उनके तनाव के स्रोतों पर भी दोस्तों ने िंघि षच ककया ै। दनु नयाभर के ववद्याथी
ध्यान दंे। लघु अवधध मंे परामशच िवे ाओिं की आपनद तच अत्यधधक तनाव के बावजदद उपाधध प्राप्त करने का
बढ़ानी र्ाह ए, ताकक ववद्याथी अपनी मिु ीबतों के प्रयाि कर र े ैं, परंितु िमाज मानसिक कमज़ोरी
सलए कारगर िला पा िकंे । छात्रों में मानसिक का दोष डालकर उनकी कहठनाइयों का मज़ाक़
स्वास्थ्य के प्रनत जागरूकता फै लानी र्ाह ए, और बनाते ैं। य जस्थनत इि प्रकार र्लने न ींि दी जा
िमझना र्ाह ए कक उनकी िमस्याएूँ नतनके भर भी िकती। अपने बच्र्ों और दोस्तों की ख़ानतर इि
शमदच ायक न ीिं ंै। इिी भानिं त शारीररक स्वास्थ्य मिले के प्रनत जागरूकता बढ़ाइए, ववश्वववद्यालयों
और इिके तनाव िे िम्बंिध के बारे मंे भी िे कायवच ाई की अपिे ा ज़ाह र कीजजए, वरना उनकी
जागरूकता बढ़ानी र्ाह ए, र्ूँकद क अगर छात्रों के पाि दशा मंे िधु ार कभी न ींि ोगा।

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हहदं ी के वाहक

‘आतंकवाद’ शब्द ही िरावना है

श्रीननधध
मेथोडडस्ट गल्िच स्कद ल, सिगंि ापुर

आतकंि वाद का अथच ै एक बड़े पमै ाने पर डर का मदलों िे कफर िे जोड़ना ै। जज ाद का अथच ै
फै लाव। य मानसिक, आधथकच , राजननै तक और ‘धमच युद्ध’। वे धमच की आड़ मंे वे लोगों में
धासमकच स्तर पर ो िकता ै। इिके कारण य डर और खौफ का मा ौल पदै ा कर र े ैं। वे
एक िमिामनयक गम्भीर मुद्दा बन र्कु ा ै। दनु नया के कई बड़े श रों जैिे लिंदन, पेररि,
इिी कारण आज दनु नया िंदि े यकु ्त, जहटल, अमरे रका आहद पर मला करके मािदम लोगों की
अिुरक्षित, और भयाव बन गई ै। आतकिं वाद जान ले र्कु े ैं। वे यवु ाओिं को बरगलाकर इि
जैिे गैरकाननद ी कायच छोटे और अववकसित देश, अपववत्र कायच मंे शासमल करने के सलए उकिाते
बड़े और ववकसित देशों को धमकी देने के सलए ैं। आज लंदि न मंे पली बढ़ी, १८ िाल की लड़की
करते ैं। आतिकं वाद प ले िे ी मानव जानत के अपने दो बच्र्ों, दोस्तों और पनत को खोने िे
सलए ववनाशकरी िात्रबत ुआ ै पर आज परमाणु बाद तीिरे पतु ्र के जन्म िे प ले लिंदन वावपि
बम के कारण एक ज्वलंित िमस्या बन गया ै। जाने के सलए दनु नया िे ववनती कर र ी ै।
शसममा बेगम पिंद्र िाल की उम्र मंे आतकंि वादी
आई, एि, आई, एम, इराक एविं िीररया के िमद में शासमल ोने के सलए र्ली गई। आज
आतिंकवादी िमद जज ाद नाम का धासमकच यदु ्ध व उन के म्पों में ो र े अत्यार्ारों के बारे में
लड़ र े ंै। उनका उद्देश्य इस्लाम को उिकी दनु नया को बता र ी ै।

मंै अब राजनैनतक आतकंि वाद के बारे में बात
करना र्ा दँूगी। जैिा माना जा र ा ै कक ाल ी मंे
पाककस्तान के आतकंि वादी ििंगठन ने कश्मीर में

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हहदं ी के वाहक

भारत की िेना के काकफले पर एक आत्मघाती िाल प ले हदया गया भगवान म ावीर का ‘अह िंि ा’
मलावर द्वारा बम-ववस्फोट करवाया जजिमें और ‘जीयो और जीने दो’ के सिद्धांित इि यगु मंे
मलावर िमेत र्ालीि फौजी मारे गए। य एक ब ुत प्रािधंि गक ंै ।
अतंि मंे मंै य ी क ना र्ा दँूगी की आतकंि वाद एक
ब ुत ी कायरना और नघनौना कृ त्य ै। यूँद तो ववशाल विृ का रूप ले र्कु ा ै। उिकी सिफच
भारत और पाककस्तान, ववभाजन के िमय िे ी शाखाओंि को काटना िमाधान न ींि ैं। आतंकि वाद को
कश्मीर के सलए लड़ र े ैं। पर इि बार मदु ्दा बात जड़ िे समटाने की आवश्यकता ै।
इतना गम्भीर ो गया कक िमस्त दनु नया की नज़रें
इि पर हटक गई। अपनी म त्त्वाकाििं ाओिं की पनद तच **************
के सलए ये आतिकं वादी ननदोष लोगों की जान लेने
िे भी न ीिं कतराते ंै। 9/11 का र्टवीन टॉवर का

मला भी इिी म त्त्वाकािंिा का पररणाम था।

आतकिं वाद के दषु्ट्पररणामों िे िभी अवगत ैं। इििे
के वल ननदोष लोगों की जानें जा िकती ै, जान -
माल की िनत ोती ै और िब तरफ़ अशांिनत फै ल
जाती ै। िब तरफ़ अिरु िा का मा ौल बन जाता

ै। आतकिं वाद के कारण ववकाि की गनत धीमी पड़
जाती ै। देश की अथवच ्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता

ै। पयटच न पर आधाररत अथवच ्यवस्था वाले देशों पर
तो इिका ब ुत ग रा प्रभाव पड़ता ै।

म आतिंकवाद का िमाधान तभी कर िकते ंै जब
अतिं राचष्ट्रीय ि योग और िामहद क प्रयाि ककया
जाए। िभी देश एक जटु ोकर आतकंि वाद के
ववरुद्ध ठोि कदम उठाए। आतिकं वाद के िमाधान
के सलए िभी राष्ट्र ववश्व शानिं त की तरफ अग्रिर

ो। अपनी व्यजक्तगत स्वाथच और गदंि ी राजनीनत िे
ऊपर उठ कर मानवता को प्राथसमकता दंे। ज़ारों

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हहदं ी के वाहक

कहा तो था- “मसगरेर् वप्रशा सिंि
पीना हातनकारक है|” (छात्रा- मैथडडस्ट गल्िच िेकंे डरी स्कद ल,

सिगंि ापरु )

सिगरेट पीने की आदत को अधधकांशि लोग अपने जीवन की हदनर्याच मंे शासमल कर र्कु े ैं। य जानते
ुए कक य आदत हदन- प्रनतहदन दीमक की तर उनके जीवन को खत्म करती जा र ी ै। यद्यवप
सिगरेट के र पकै े ट पर य र्ते ावनी सलखी र ती ै : “सिगरेट पीना स्वास्थ्य के सलए ाननकारक ै|”

ककंि तु मझु े लगता ै कक इि र्ते ावनी का लोगों पर कोई अिर न ींि पड़ता ै।

मारे पड़ोि मंे र ने वाले श्रीमान ली और उनका उनका मनोबल बढ़ाने की कोसशश करते। िाथ ी
पररवार ब ुत ी उदार, दयालु और िदार्ारी ै। धमद ्रपान िे शरीर पर ोने वाले नुकिानों के बारे में
श्रीमान ली की एक ी खराब आदत थी, व थी, भी बतात,े परंितु उनके कानों पर जँूद न रेंगती। एक
उनका धमद ्रपान करना। उनका पुत्र जॉि मरे ा हदन श्रीमान ली िोफे पर लेटे-लेटे अखबार पढ़ र े
घननष्ट्ठ समत्र था। म दोनों एक ी ववद्यालय में थे और िाथ ी िाथ धमद ्रपान भी कर र े थे।
पढ़ते थ।े जॉि को भी ब ुत बुरा लगता था कक श्रीमती ली ने उन् ंे िर्ते करने की र्षे ्ट्टा की, परंितु
उिके वपताजी ने धमद ्रपान को अपने जीवन का अगिं उन् ोंने अपनी पत्नी की बात को अनिनु ा कर
बना सलया ै। हदया अपनी जग िे टि िे मि न ीिं ुए।

मेरे वपताजी िमय-िमय पर उनके घर जाते और अखबार पढ़ते-पढ़ते कब उनकी आूँख लग गई,

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उन् ें पता ी न ींि र्ला और सिगरेट का जलता ुआ हहदं ी के वाहक
टु कड़ा ज़मीन पर त्रबछे ुए कालीन पर धगर गया। आग
धीरे-धीरे फै ल र ी थी पर श्रीमान ली अभी भी घोड़े बरे ् धर्त्र िाभार- ववककपीडडया
कर िो र े थे।

उिी िमय मेरे माताजी-वपताजी दकु ान िे खरीदारी
करके घर वापि आ र े थे। जब वे उनके घर के
िामने िे गजु रे, तब कमरे मंे उठती आग की लपटें
देख कर उनके पैरों तले ज़मीन खखिक गई। उन् ोंने
िोफे पर लेटे श्रीमान ली को आवाज़ लगाई। तभी
शोरगुल िुन कर श्रीमती ली भी कमरे िे बा र आईं।
भयानक दृश्य देख कर उनके ोश उड़ गए। इतना शोर
िनु कर श्रीमान ली की आखूँ खलु ी तब उन् ंे अपनी
गलती का अ िाि ुआ। परंितु अब पछताए ोत क्या
जब धर्डड़या र्गु गई खेत।

वपताजी ने दमकल ववभाग को िदर्ना दे दी थी। वे भी
प ुूँर् र्कु े थ।े उन् ोंने ली दम्पनत को घर िे बा र
ननकाला और आग पर काबद पाने का प्रयाि करने लगे।
लगभग आधे घंिटे के अथक प्रयाि िे आग पर पदरी
तर िे काबद पा सलया गया। िौभाग्यावश िमय पर
ि ायता समल जाने के कारण ककिी का बाल भी बाकँू ा
न ीिं ुआ। वपताजी की िदझ-बदझ और दमकल
कमरच ्ाररयों की तीव्र प्रनतकिया ने अतिं भला तो िब
भला वाली क ावत को िाथकच करते ुए शीघ्र ी आग
पर ननयंति ्रण पा सलया।

मझु े जब भी व हदन याद आता ै तब हृदय मंे
अजीब िी धड़कन शुरू ोने लगती ै। मुझे ऐिा लगता

ै जैिे य घटना अभी-अभी घहटत ुई ै।

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ववदेशी भाषी के मखु से

मेरा हहदं ी सिर, अब तक!

मंै NUS की छात्रा काूगँ सलगंि दूँ और मैं इनत ाि पढ़ आगंि कांगि सलगिं
र ी दँू। मंै लगभग डढ़े िाल िे ह दिं ी पढ़ती आ र ी छात्र-नेशनल यनद नवसिटच ी ऑफ़,
दूँ।
सिगिं ापरु
मैं NUS मंे नई भाषा िीखना र्ा ती थी। अनेक लोग
फ़्ाििं ीिी, जापानी, कोररयाई जिै ी भाषाएँू िीखना र्ा ते ैं,
लेककन मेरी इच्छा इन लोगों िे अलग ै। मरे े कई
भारतीय दोस्त ंै, लेककन मुझे उनकी िंसि ्कृ नत के
बारे में ज़्यादा न ीिं पता। ह दंि ी पढ़ने के बाद,
भारतीय िसंि ्कृ नत की मेरी जानकारी बढ़ गयी ै।
इििे मंै अपने भारतीय दोस्तों को आिानी िे िमझ
िकती दँू। भारत घमद ना मेरी एक आशा ै, मैं जानती
दँू जब कभी मैं भारत जाऊँू गी तो ह दिं ी पढ़ने िे व ाूँ
के स्थानीय लोगों िे ििंपकच करना आिान ो
जायेगा।

ह दिं ी के िाथ ी मनैं े भारत की ववसभन्नता के बारे

मंे पढ़ा और जाना। अब मंै हदवाली के अलावा कु छ
नए नए भारतीय त्यो ारों के बारे में जानती दँू। ाल

ी मंे मझु े मकर ििंिािनं त के बारे में पता र्ला। मरे ी
अध्यावपका ने अपने अनुभव भी में बताए। वपछले
िाल, मनैं े अपनी अध्यावपका के घर जाकर हदवाली

मनाई। मुझे ब ुत मज़ा आया क्योंकक मुझे अलग-
अलग भारतीय खाना खाने का न सिफ़च अविर समला

बजल्क उन व्यिंजनों को बनाने के पीछे क्या क ानी

ै, व भी पता र्ली।

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ववदेशी भाषी के मखु से

अब मैं YouTube पर कु छ ह दिं ी videos भी देख और
िमझ िकती दूँ, जिै े खाना पकाने के बारे में vide-
os। ये videos ब ुत हदलर्स्प ैं।
मैं ववश्वववद्यालय में इनत ाि पढ़ती दूँ। भारतीय
इनत ाि की ककताबों में अनेक ह दिं ी शब्द प्रयोग
करते ैं , और अब मंै ये ज़्यादातर िमझ िकती दूँ।
कभी कभी, ह दंि ी भाषा के कु छ व्याकरण आिानी िे
अगंि ्रेजी मंे िमझ न ींि िकती, जैिे खरीद लेना, दे
देना, कर बठै ना...स्त्रीसलगिं और पसु लगिं भी। प ले,
मझु े ह दिं ी ब ुत मजु श्कल लगी , लेककन कु छ िमय के बाद, मेशा कोसशश करते र ने िे आिान लगने
लगी।
ह दंि ी पढ़ने िे प ले, भारत की ववसभन्नता के बारे मंे मुझे ज़्यादा न ींि पता था, जिै े भारत में अनके प्रदेश

ंै, और र प्रदेश में अपनी-अपनी ख़ाि ििसं ्कृ नतयाँू ंै -- भाषा, खाना, त्यौ ार, पररधान आहद।
सिगंि ापुर में ज़्यादातर लोग सिफच तसमल िंिस्कृ नत को जानते ैं। िमार्ार में म भारत की राजनीनत
और अथवच ्यवस्था के बारे में पढ़ िकते ैं। िंिस्कृ नत के बारे में कोई भी जानकारी न ीिं देता। मनैं े ह दंि ी
िीखकर िंिस्कृ नत के बारे में ज़्यादा जाना।

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काव्य-रस —— जोगीरा

जोगीरा ोली गीतों के ववववध प्रकारों मंे िे एक ै| य दो ा छिं द के गायन की ववसशष्ट्ट शैली ै|दो े के र्ारों र्रण
इिमें तीव्र िे तीव्रतर िम में गाए जाते ंै| र्ौथे र्रण के बाद एक कोरि के रूप मंे ‘जोगीरा िा रा रा रा’ गाया
जाता ै| इिमें तत्कालीन िमय, िमाज या राजनीनत पर भी व्यंगि ्य ोता ै|

इि बार ‘सिगंि ापरु िगंि म’ िमद ने ोली पर सिगिं ापरु और आम जीवन िे जड़ु े जोगीरा अपनी ोली िभा के सलए
ववशषे रूप िे बनाया| आइये जोगीरा का आनिंद लेते ंै|

जब ली थी गाड़ी लाखों की, पी एि एल ई बड़ी िताए,
तब जजयरा न घबराय। छठवींि कब ो पार।

ई आर पी पै डॉलर कटे, थके - थके हदन धगनते र ते,
तो जान ननकली जाए॥ बच्र्े बारम्बार॥

जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा

अरे- पटे बरे ्ारा क्या करे जब, अरे - ढोलक र्गिं मंिजीरा बाजे, वीक एिडं का बडैं बजाती,
धर्ली िे ब ख़ब जाय। झाँझू डफ़ऽ करताल।। छु र्टटी कर दे बाई।

ईिबगोल समले न ीिं ढदिंढे, सिगंि ापुर मंे रंिगे गुलाबी, आराम, ाय राम बना दे,
पुहदन रा न पाय॥ भारत रंिग गलु ाल॥ ाल बुरा ै भाई।।

जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा

अिजं सल त्रत्रपाठी असभनिदं न का ो असभनदंि न,
कलाकार, लेखखका, सिगंि ापुर डाली ख़तरे जान।

पवनदतद िा ववगिं कमाडंि र,
वीर देश की शान॥

जोगीरा िा_रा_रा_रा_रा

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ठिं डाई में भािगं न डाली, काव्य-रस —— जोगीरा
फोड़ा न ींि अनार
सिगंि ापुर की छोरी रामा,
त्यौ ारों की रेड वपटा दी, कै िी ाफ िाइज
डॉलर जजम्मदे ार
मको वेइंिग स्के ल पे समलता
जोगीरा िा रा र र रा रोज़ रोज़ िरप्राइज

तीि जारी पिच खरीदा, जोगीरा िा रा र र रा
गदर्ी में मुस्काय
औरगेननक था, वा िाफ थी,
पाूँर् रुप्पटी के धननए प,े पलाजस्टक था ररफ़्यज़द
मडै म मोल लगाय
गावँू छोड़कर, श र को भागे,
जोगीरा िा रा र र रा ककतने म कन्फ़यज़द

जब प्रयाग में मले ा लागा, जोगीरा िा रा र रा
गंगि ा-जमनु ा घाट
लेबर को डडगननटी दे र ा,
िाफ िफाई देख उठ गई, भारत आखखरकार
गठबिधं न की खाट
र्ायवाला, झाडद वाला,
जोगीरा िा रा र रा और अब र्ौकीदार

इन्स्टा,एफबी, व् ार्टिएप अब; जोगीरा िा रा र रा
पनघट, र्ौक, दलान
स्वटे र जकै कट मफलर भदले,
जोड़ र े गैरों िे नाता, के वल छतरी याद
रख पड़ोि अनजान
सिगंि ापरु के दो ी मौिम,
जोगीरा िा रा र र रा गरमी या बरिात

कौन हदिा िे आये बदररया, जोगीरा िा रा र र रा
कौन हदिा िे धपद
शादचलु ा झा नोगजा
कौन बख़त पर आए र्न्द्रमा, व्यापार ववकाि एविं ववपणन
गदगल ज्ञान अनपद
ननदेशक, सिगिं ापरु
जोधगरा िा रा र र रा
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काव्य-रस —— जोगीरा िीमा पार f-16 मारा,
अमरीका ैरान|
बालाकोट मंे बम धगराया त्रबना आज्ञा ववमान उड़ाके ,
ह ल गया पाककस्तान। फँू ि गया पाककस्तान||
ननगल िके ना उगल िके , जोधगरा िा रा र र रा
िाूिँ त में ै जान॥
जोधगरा िा रा र र रा बकंै लदट कर नीरव भागा,
ुआ धगरफ़्तार|
खोज खोजकर, खोज न पाए, बच्र्ा - बच्र्ा बोल र ा ै,
घोटाला जनाब। म भी र्ोकीदार||

र हदन पप्पद नया लगाते ैं, अधच किंु भ के टंेट अनोखे ,
रफ़ाल का ह िाब॥ जैिे 5 स्टार|
जोधगरा िा रा र र रा अब क्या बवाल करें
ववपि करे ववर्ार ||
गगंि ा दशनच करे वप्रयंकि ा, जोधगरा िा रा र र रा
लेकर अपनी नाव |
याद आईं गंिगा मयै ा पिकं ज पोरवाल
िर पे खड़ा र्नु ाव || मनै ेजर , जफ्नया टैंकि,च
जोधगरा िा रा र र रा
सिगंि ापुर
लटक-मटक कर गली मंे ननकली,
जो मतवारी नार।
भीगंि ी अधंि गया, भीगिं ी र्ोली ,
घायल ुए ज़ार||
जोधगरा िा रा र र रा

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प्रततकियाएँा

मझु े भी कु छ कहना है-आपकी प्रततकियाएँा

डॉ. िधिं ्या सििं जी ब ुत ब ुत आभार और धन्यवाद शादचलु ा
नमस्कार जी और िधंि ्या जी! पत्रत्रका ब ुत ी
िाथकच बन पड़ी ै। आप लोगों का
आपकी पत्रत्रका सिगिं ापरु ििंगम के प्रकासशत िारे प्रस्तुतीकरण ब ुत िरा नीय ै। मझु े
अकिं देख गया। िुरुधर्पणद च और अथवच ान पत्रत्रका अदिं ाज़ा ै कक पत्रत्रका के प्रकाशन में
आपने बड़े प्यार िे ननकाली ै। इिके सलए मैं ककतना पररश्रम लगता ै। िफलता के
आपको बधाई देता दंि। इिमंे भारत मंे म त्वपणद च सलए शभु कामनाएूँ
सलख र े ह न्दी िाह त्यकारों के सलए र अकंि में
एक पेज र े तो य दोनों ी देशों में र र े लोगों वन्दना मसहं
के सलए अच्छा ोता। उि एक पेज मंे अनतधथ मसगं ापरु
लेखक का पररर्य व एक या कु छ छोटी रर्नाएंि
आ आय।ें आपका काम देखकर िुखद लगा। ऊषा का अद्भतु काव्य धर्त्रण ककया ै आपने
परद ी टीम को बधाई। शादचलु ा जी .. मनमो क
आपका
राजेन्र ततवारी
िॉ.अमभज्ञात मसगं ापरु

कोलकाता

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वेस्जर्ेबल मसज़लर

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