KENDRIYA VIDYALAYA, SARAI KHAS
विद्यालय पत्रिका
VIDYALAYA PATRIKA
SESSION: 2021-22
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संदश
आयुक्त
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कन्द्रीय विद्यालय संगठन
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अत्यंत हर्ष का विर्य ह कक कन्द्रीय विद्यालय क रि पु बल सिायखास सत्र क ललए अपनी विद्यालय - 20 20
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पत्रत्रका प्रकालशत किने जा िहा ह ।
विद्यालय पत्रत्रका एक ऐसा महत्िपूर्ष पटल ह जो निोददत लखकों को अपनी सृजनात्मक क्षमता की अलिव्यक्क्त
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का अिसि प्रदान किता ह । मैं आश्िस्त हूँ कक लशक्षक्गर् छात्रों को 21िी सदी क नए युग की चुनौततयों का
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सामना किने क ललए विद्यालय की सिी गततविधियों म उचतम मानकों को बनाए िखने क ललए तनिति प्रयास
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किते िहगे । मुझ विश्िास ह कक विद्यालय पत्रत्रका छात्रों की िचनातमक प्रततिा तथा विद्यालय की गततविधियों
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एिं उपलक्धियों को व्यक्त किने का एक अत्यंत प्रिािी मंच प्रदान किगी । साथ ही ये प्रकाशन ई – पत्रत्रका क
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ऱूप म िर्षिाि विद्यालय की िेबसाइट पि िी पाठकों क ललए उपलधि हो , ताकक अधिक से अधिक लोगो तक
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इसकी पहूँच हो ।
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मै प्राचायाष , लशक्षकों औि छात्रों को विद्यालय क सिागीर् विकास क ललए अपनी शुिकामनाए दती हूँ ।
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(तनधि पांडेय)
आयुक्त
MESSAGE
Dr. P. Devakumar
(M. Com, M.Phil., M.Ed., MBA, Ph.D.)
Deputy commissioner
THE AIM OF EDUCATION IS NOT JUST TO PURSUE ACADEMIC EXCELLENCE BUT ALSO TO
EMPOWER STUDENTS TO BE LIFELONG LEARNERS, CRITICAL THINKERS AND PRODUCTIVE
MEMBERS OF AN EVER-CHANGING GLOBAL SOCIETY.
THE NEED OF THE HOUR IS THE JUDICIOUS BLEND OF ACADEMICS, CREATIVITY ALONG
WITH VALUES AND IDEALS TO PROCEED ON THE TRACK OF EXCELLENCE AND CONTINUAL
PROGRESS.INDEED, THE VIDYALAYA PATRIKA IS ONE SUCH FRUITFUL AND PRODUCTIVE
MEDIUM TO GIVE VENT TO IMAGINATION OF OUR DEAREST STAKEHOLDERS.
I ALSO URGE THE STUDENTS TO BRING FORWARD THEIR HIDDIN TALENTS AND
PORENTIALS TO CHISEL THEIR READINESS TO FACE THE CHALLENGES OF THE MODERN
COMPETITIVE WORLD.IT’S HIGH TIME TO WORK OUT FOR HOLISTIC DEVELOPMENT. THEY
HAVE TO OVERCOME UNNECESSARY INHIBITIONSAND BE PRAGMATIC AND OPTIMISTIC IN
THEIR APPRACH TOWARDS ANY SITUATION. THEY MUST REALISE THEY ARE CAPABLE OF
A WONDERFUL TRANSFORMATION TOWARDS BEING AN ALL-ROUND PERSONALITY.
I EXTEND MY HEARTIEST CONGRATULATIONS TO EACH AND EVERY PERSON ASSOCIATED
WITH THE PUBLICATION OF THIS MARVELLOUS TESTAMENT OF ORIGINALITY AND
INOVATION, THE VIDYALAYA PATRIKA-2020. I WISH EVERYONE THE BESTOF LUCK AND
LOADS OF FAITH IN THEMSELVES.
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अध्यक्ष का संदश
Sh. Harjinder Singh
DIGP (CRPF), The Chairman VMC
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य हर्ष का विर्य ह कक कन्द्रीय विद्यालय ग्रुप कर क रि पु बल सिाय खास विद्यालय
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पात्रिका 2021 - 22 सि ) पंजाब ( का प्रकशन किने जा िहा ह । विद्यालय पात्रिका
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किल विद्यार्थषयों की सृजनात्मक प्रतिभाओं को ही नहीं दशाषिी ह बल्कक उनक े
प्रकाशशि हएकियाकलापों को दखिे हए मन म गौििाल्न्द्िि होन की भािना पदा कि उनक
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व्यल्तित्ि को तनखािने मे भी मदद कििी ह । म की प्राचायाष , विद्यालय अध्यापकों एि सभी
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विद्यार्थषयों को शुभ कामनाए प्रदान कििा हँ । अच्छी शशक्षा क अतिरिति विद्यार्थषयों म
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िाष्ट्रीय एकिा एिं भाििीयिा को प्रेरिि ि प्रोत्साहहि किना कन्द्रीय विद्यालय संगठन का एक
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प्रमुख उद्दश्य ह ।म आशा कििा हँ कक विद्यालय शशक्षकों एि विद्यार्थषयों ने अपन मन की
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बािों को कवििा , कहानी , लख क सहाि सहज भाि से इस पत्रिका क माध्यम से व्यति
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ककया ह । मैं य भी आशा कििा हँ कक विद्यालया पत्रिका विद्यालय की प्रगति औि काय
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तनष्ट्पादन पि भी प्रकाश डालेगी ।
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म पुनः इस पत्रिका स जुड़े सभी सदस्यो ि विद्यार्थषयों औि प्रबुध पाठकों को यह पत्रिका त्याि
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किन म उनक सृजनात्मक प्रयासों क शलए इस आशा क साथ बधाई दिा हँ कक यह पत्रिका
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अत्यंि ही िोचक , उपयोगी एि अपन उद्दश्य को प्राप्ि किगी । म प िी ििह आश्िस्ि हँ कक
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आपकी पत्रिका उसी श्रष्ट्ठिा को लगािाि प्रदशशषि कििी िहगी जैसी अपनी प िषििी अंको म कि
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चुकी ह ।
PRINCIPAL’S MESSAGE
Mrs. Charanjit Saini
(M.A., M.Ed)
When students communicate their thoughts, they tend to share the wealth of their
experiences that are result of their memories of people or events. These impressions are
further colored by their emotions that are associated with it. Creative Writings of the students
result in self-satisfaction at one point and enrichment of ideas on the other. Writers
communicate their world of experiences through writing compositions that reflect upon their
perceptions and thereafter weaving of a wonderful world of unlimited imagination.
May this endeavor of our students delight readers and young writers continue to receive
applause for their creativity.
I owe my gratitude to Dr. P. Devakumar Deputy commissioner KVS, Regional Office,
Chandigarh for his support and guidance in publication of the Magazine. I am equally grateful
to DIGP (CRPF) Sh. Harjinder Singh, the Chairman Vidyalaya Management committee for his
assistance and support.
I also thank the editorial board of the Vidyalaya for their consistent efforts in bringing issue of
the Vidyalaya Magazine.
FROM THE EDITOR’S PEN
One must be an inventor to read well. There is then creative reading as well as
creative writing. (Ralph Waldo Emerson)
The ultimate purpose of the magazine is to engage and strengthen its reader’s
bounding with the school. So, the school magazine endeavored to reflect the
values and the quality of the school.
This Magazine 2021 is a humble initiative to free the emotions and the imagination
of the budding minds to create a beautiful world of words.
For this, sufficient space is given to the students. the essential purpose of the
Vidyalaya Magazine ie to inform, engage, inspire and entertain is fulfilled.
I am grateful to the principal of the Vidyalaya for motivating me to undertake this
assignment. It had been a learning experience. I also undertake this assignment. It
had been a learning experience. I also thank the editorial board, my fellow teacher
for their help and support. Above all I thank all the students for their contribution
for this magazine.
Sumandeep Kaur
PGT (English)
CHIEF PATRON
Ms. Nidhi Pandey
(Commissioner KVS)
PATRONS
Dr. P. Devkumar Sh. Harjinder Singh
(Deputy commissioner KVS (JR) DIGP (CRPF) JALANDHAR Chairman
VMC)
CO-PATRONS
Mrs. Charanjit Saini
Principal
CHIEF EDITOR:
• MRS. SUMANDEEP KAUR (PGT-ENGLISH)
CO-EDITORS:
• MRS. MANDEEP
• MRS. POOJA BHAGAT
• MS. PRABHJOT KAUR
• MS. RICHA GAUR
• MR. GIAN DEV SHARMA
STAFF MEMBERS
1. Mrs. Charanjit Saini ,PRINCIPAL
2. mr.ratish kumar,pgt (eco)
3. mrs.meenu yadav, pgt(commerce)
4. mrs.mandeep kaur, Pgt(HINDI)
5. mrs.sumandeep, pgt (English)
6. MR. UPENDRA BHATT,PGT (CS)
7. mrs.pooja bhagat,tgt(English)
8. mrs.ramandeep kaur, tgt(maths)
9. mr.gian dev sharma,tgt(skt)
10. mr.gyanu pratap singh, tgt(sst)
11. Mrs. seema poonia, tgt(bio)
12. mr.balwinder kumar,pet
13. mr.roshan lal, librarian
14. Smt.savita rani karda, tgt(ae)
15. Mr.neeraj kumar,tgt(wet)
16. vacant,prt(music)
17. Mrs.prabhjot, prt
18. Mrs.jyoti, prt
19. Mrs.deepa, prt
20. Mrs. Richa, prt
21. Mrs.annu, prt
22. Mr. ram krishan , sub staff
VIDYALAYA PRIDE
TOPPERS of the vidyalaya
(2020-21)
CLASS:XII
CLASS: X
TEACHING STAFF
INDEPENDENCE DAY
CELEBRATION
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Celebrated on 15 August to honor the freedom fighters of our nation and celebrate our own
freedom.
Celebration of Yoga Day
Yoga plays an uttermost importance in our life to keep oneself healthy. It was
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celebrated on 21 June in online mode. Along with the students parents too
were motivated to practice yoga.
SWACHH BHARAT ABHIYAN
As per the initiative made by the government of India our
school motivated the students to participate in Swachh Bharat
Abhiyan.
INTERNATIONAL PEACE DAY
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On 21 September International Peace Day was celebrated in the school
premises to spread the message of living in Peace with no more war.
JAGROOKTA DIWAS
MANAK INSPIRE AWARD EXHIBITION
TEACHERS’ DAY CELEBRATION
MAHATMA GANDHI JAYANTI
CELEBRATION
MENTAL HEALTH WEEK
CHEER FOR INDIA TOKYO
OLYMPICS
WORLD ENVIRONMENT DAY
SANSKRIT SAPTAH
Hindi book exhibition
Sawachta School Exhibition
Sawachta Pakhwara
दहंदी खंड
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बर वक्त की जमा पजी
एक ककसान था। इस बार वह फसल कम होने की वजह से च िंतिि था। घर में राशन ग्यारह
महीने ल सक उिना ही था। बाकी एक महीने का राशन का कहा से इिजाम होगा। यह
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च िंिा उसे बार-बार सिा रही थी।
किसान िी बह िा ध्यान जब इस ओर गया तो उसने पूछा ?
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पपताजी आजिल आप किसी बात िो लिर च िंततत नजर आ रह हैं। तब किसान ने अपनी
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च िंता िा िारण बह िो बताया।
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किसान िी बात सुनिर बह ने उन्ह आश्वासन दिया कि वह किसी बात िी च िंता न िर।
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उस एि महीने ि े ललए भी अनाज िा इतजाम हो जाएगा।
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जब पूरा वर्ष उनिा आराम से तनिल गया तब किसान ने पूछा कि आखिर ऐसा िसे हआ?
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बह ने िहा- पपताजी जब से आपने मुझ राशन ि े बार में बताया तभी से मैं जब भी रसोई ि े
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ललए अनाज तनिालती उसी में से एि-िो मुट्ठी हर रोज वापस िोठी में डाल िती। बस
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उसी िी वजह से बारहव महीने िा इतजाम हो गया।
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MEENAKSHI
X
“मरा ब पन"
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जब हम छोट थे
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हा कसे रहिे थे
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छोटी छोटी बािों
से ककिने खुश रहिे थे,
वो ब पन की बाि ें
वो याद क ु छ और थी
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वो खुशशयों क े पल
वो ददन राि क ु छ और थी,
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ठन्डी क े मौसम में
क ु हर की शसहरन में
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आग क े पास में
घरवालों क े साथ में
छोट से आलू की
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असली शमठास में
आग की लपटो
क े सिंग ही रहिे थे...
जब हम छोट थे
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हा कसे रहिे थे..
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बबना बिाए खेलने
को तनकल जाना
वापस आने पर प्यार
वाली डााँट खाना,
ददन भर लू क े
थपेडो सिंग रहिे थे..
जब हम छोट थे
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हा कसे रहिे थे.
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SUCHI
VII
फ ू लों से तनि हाँसना सीखो, भौंरों से तनि गाना
फ ू लों से तनत हँसना सीिो, भौंरों से तनत गाना
तरु िी झुिी डाललयों से तनत, सीिो शीश झुिाना!
सीि हवा ि े झोिों से लो, दहलना, जगत दहलाना
िूध और पानी से सीिो, लमलना और लमलाना !
सूरज िी किरणों से सीिो, जगना और जगाना
लता और पेडों से सीिो, सबिो गल लगाना !
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वर्ा िी बूँिों से सीिो, सबसे प्रेम बढाना
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मेहँिी से सीिो सब ही पर, अपना रग ढाना !
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मछली से सीिो स्विश ि े ललए तडपिर मरना
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पतझड ि े पेडों से सीिो, िुि में धीरज धरना !
पृथ्वी से सीिो प्राणी िी सच् ी सेवा िरना
िीपि से सीिो, जजतना हो सि अँधेरा हरना !
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जलधारा से सीिो, आगे जीवन पथ पर बढना
और धुएँ से सीिो हरिम ऊ े ही पर ढना !
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SUHANI
IX
िाष्ट्रीय एकता ददिस का महत्ि
कोई िी दश तिी तक सुिक्षक्षत िहता है, जबतक कक उस दश की जनता औि शासन
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में आपसी एकता औि अखंडता तनदहत होती है । हमाि दश की इसी आपसी एकता
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की कमी का फायदा उठाते हए अंग्रेजो ने िाित में फ ू ट डालो औि िाज किो की नीतत
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पि हमाि दश में 200 से अधिक िर्ो तक िाज ककया । हमािी इस गुलामी क े कई
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कािर् थे जैस िाित क े सिी िाज्यों, रियासतों में आपसी कोई तालमेल नही था ।
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सिी रियासतों क े िाजा लसफ अपनी अपनी दखते थे अगि कोई बाहिी शत्रु आक्रमर्
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कि तो कोई िी एक दुसि का साथ नही दने आता था । यही अनेक कािर् थे क्जसक
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कािर् हमािा दश इसी एकता क े अिाि में विकास क े िाह से िटक गया औि जो िी
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आया लसफ यहाूँ लुटा औि चला गया ।
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अब चूकी हमािा दश आजाद है इसका मतलब यह नही है की हमाि दश पि कोई बुिी
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नजि नही डाल सकता है हम सिी को अपन दश अंदि उन आसामाक्जक तत्िों से खुद
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को बचा क े िखना है जो हम आपस में बाटने को कोलशश किते है औि साथ में दश क े
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बाहिी दुश्मनों से िी चौक्कना िहना है तिी हमािा िाित एक अखंड िाित बन सका
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ऐस में अब हम अपनी आजादी लमलने क े बाद हम सबकी यही क्जम्मेदािी बनती है कक
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जब िी दश की एकता की बात आय तो सिी िाितीयों को अपन िमष जातत से उठकि
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सोचने की आिश्यकता है औि एक सच्च िाितीय िाितीय की तिफ कि से किा
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लमलाकि दश की अखंडता में अपनी अपनी िूलमका तनिाना है ।
LAKSHY
VIII
माूँ
हमाि जीिन में सबस महत्िपूर्ष इसान हमािी माूँ होती है जो एक िास्तविक
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प्रक ृ तत की तिह हमशा हमािी पििरिश किती ह। िो हमशा हमाि साथ िहती
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है औि हि पल हमािा ध्यान िखती ह। ढि साि दुख औि पीडा सहकि िो हम
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अपनी कोख में िखती है जबकक उसक िास्तविक जीिन में िो हमशा हमाि
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बाि मे सोचकि खुश हो जाती ह। त्रबना ककसी लशकायत क े िो हम जन्द्म दती
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ह। पूि जीिन िि हम उसक खि प्याि औि पििरिश की तुलना ककसी औि से
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नहीं कि सकत इसललय हम हमशा उसको प्याि औि सम्मान दना चादहय।
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हि िो इसान क्जसक पास माूँ है िो दुतनया का सबस खुशनसीब व्यक्क्त है
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औि उस िगिान से ढि सािा आशीिाषद लमला हआ ह।
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एक माूँ बेहद सामान्द्य मदहला होती है जो अपने बच्चों की खुशी क े आग े
अपनी खुशी को क ु छ नहीं समझती। िो हमशा हमािी हि कक्रया औि हूँसी में
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अपनी रुधच ददखाती ह। उसक पास एक स्िाथषहीन आत्मा है औि प्याि तथा
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क्जम्मदािी से ििा दयालु ददल ह। आत्मशक्क्त से ििी िो एक ऐसी मदहला है
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जो हम जीिन क े सबस कदठन चुनौती का सामना किना सीखाती ह। जीिन
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की सिी कदठनाईयों से उिािती है. िो हम हमशा हमाि जीिन में अच्छ
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चीजों को पाने क े ललय प्रेरित किती ह। िो सिी क े जीिन की पहली
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अध्यापक होती है क्जसकी लशक्षा पूि जीिन िि कीमती औि लािप्रद सात्रबत
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होती ह।
JIA
IX
गमी आई गमी आई
गमीआईगमीआई,
धूपपसीनालिरआई।
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सूरजलसरपर ढआताह,
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अजननिबमबरसाताह।
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मुझनहीयहबबलि ु लभाई।
गमीआईगमीआई।
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लोबरफिगोलिाएिं,
ठलसअगूरलआए।
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मम्मीिूधमलाईलाई।
गमीआईगमीआई।
KHUSHMAN
VII
सुनो ना माूँ , सुनो ना..
क्यू जन्द्म ददया तुमने मुझ इस दुतनया में,
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क्या पता नहीं था तुझ तेि ही अपनो का ..
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क्यूूँ िोजा िखा तूने लडकी पाने का,
क्या पता नहीं था तुझ, इसानो क े ऱूप में िह िह जानििो का..
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माूँ, रिश्तेदािों क े घि पि आने पि , में िी िाई सा खुश होना चाहती ह,
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छोड साि काम में िी उनक साथ खेलना चाहती हूँ..
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में िी चाहती ह उनकी गोदी में जाक िो चोक्लट ले आऊ,
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जाने पि उनक थोडा अपने कमि में बेथ क े मायूस हो जाऊ..
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पि डि लगता है माूँ , मुझको डि लगता है..
तेि अपने ही तेिी छोटी सी बेटी को गोद में लक छडा किते हैं,
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अिी तो कमजोि ही है मेि अंग पि ये उन पि अपने नाखूनों को गोदा किते हैं..
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कह ना पाती तुझस क ु छ में, इतना डि जाती ह,
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इसानो कक बीच में जाने से में कतिाती हूँ..
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हि पल में ये सोचा किती ह,
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क्यू िाई जैसा ना बनाया िगिान ने मुझको लडका ,
क्यू ददया ऐसा शिीि क्जससे माूँ िह सहमा सा..
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अि माूँ,इन बेटी को लसखाओ की लडकी कोई खखलों नहीं है,
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िो नदी नहीं है कोई, उसम हाथ िोना नहीं है..
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किी सुना है तुमने ककसी औित को २ महीने क े लडक का िप किते हए,
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तो क्यू लडक ऐसा किते है..
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जशन
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दहिंिी
दहिंिी हमारी आन है दहिंिी हमारी शान है,
दहिंिी हमारी ेतना वाणी िा शुभ वरिान है,
दहिंिी हमारी वतषनी दहिंिी हमारा व्यािरण,
दहिंिी हमारी सिंस्ि ृ तत दहिंिी हमारा आ रण,
दहिंिी हमारी वेिना दहिंिी हमारा गान है,
दहिंिी हमारी आत्मा है भावना िा साज़ है,
दहिंिी हमार िश िी हर तोतली आवाज़ है,
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दहिंिी हमारी अजस्मता दहिंिी हमारा मान ह।,
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दहिंिी तनराला, प्रेम िंि िी लिनी िा गान है,
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दहिंिी में बच् न, पिंत, दिनिर िा मधुर सिंगीत है,
दहिंिी में तुलसी, सूर, मीरा जायसी िी तान ह।,
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जब ति गगन में ािंि, सूरज िी लगी बबिंिी रह,
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तब ति वतन िी राष्ट्रभार्ा ये अमर दहिंिी रह,
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दहिंिी हमारा शब्ि, स्वर व्यिंजन अलमट पह ान है,
दहिंिी हमारी ेतना वाणी िा शुभ वरिान ह।
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TANISH
VIII
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बटी बचाओ
एक लडकी क े त्रबना, लडका बच्चा किी िी इस दुतनया में जन्द्म नहीं ले सकता ह। कफि क्यों लोग कफि
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से मदहलाओं औि बक्च्चयों क े साथ बहत सािी दहंसा किते ह। िे अपनी माूँ क े गिष में जन्द्म लने से
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पहल बाललकाओं की हत्या क्यों किना चाहते ह।क्यों लोग घि, सािषजतनक स्थान, स्क ू लों या कायषस्थल
ैं
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पि लडककयों का बलात्काि या यौन उत्पीडन किते हैं। क्यों एक लडकी पि तेजाब से हमला ककया जाता
है औि क्यों एक बच्ची विलिन्द्न पुरुर्ों की क्र ू िता का लशकाि हो जाती ह।यह बहत स्पष्ट्ट है कक एक
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बच्ची हमेशा समाज औि इस दुतनया में जीिन की तनितिता क े कािर् क े ललए आशीिाषद बन जाती ह।
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हम विलिन्द्न त्योहािों पि कई मदहला दिी-दिताओं की पूजा किते हैं, लककन हमाि घि में िहने िाली
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मदहलाओं क े प्रतत किी िी थोडा दयालु महसूस नहीं किते ह। सच में, लडककयां समाज क े स्तंि ह।
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एक छोटी बच्ची एक अच्छी बेटी, एक बहन, एक पत्नी, एक माूँ औि िविष्ट्य में अन्द्य ऱूप ले सकती
ह।अगि हम जन्द्म लने से पहल उन्द्ह माि दते हैं या जन्द्म लने क े बाद पििाह नहीं किते हैं तो िविष्ट्य
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में हम बेटी, बहन, पत्नी या मां कसे लमलगी। क्या हमम से ककसी ने किी सोचा है कक अगि मदहलाएं
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गिषिती होने से इकाि कि दगी, तो बच्चे को जन्द्म दगी या अपनी मातृत्ि की सािी क्जम्मेदािी पुरुर्ों
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को दगी। क्या पुरुर् ऐसी सिी क्जम्मेदारियों को किने में सक्षम ह। अगि नहीं; कफि लडककयों को क्यों
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मािा जाता है, क्यों उन्द्ह अलिशाप माना जाता है, क्यों िे अपने माता-वपता या समाज पि बोझ होते ह।
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लडककयों क े बाि में कई हिान किने िाल तथ्य औि तथ्य सामने आने क े बाद िी लोगों की आंख क्यों
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नहीं खुल िही ह।आज, मदहलाएं घि पि अपनी सिी क्जम्मेदारियों क े साथ कि से किा लमलाकि पुरुर्ों
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क े साथ मैदान में बाहि काम कि िही ह। यह हमाि ललए बहत बडी शमष की बात है कक अिी िी
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लडककयां कई दहंसा का लशकाि हैं यहां तक कक उन्द्होंने इस आिुतनक दुतनया में जीवित िहने क े ललए
खुद को बदल ललया ह। हम समाज क े पुरुर् प्रिान स्ििाि को हटाकि बाललकाओं को बचाने की मुदहम
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में सकक्रय ऱूप से िाग लना चादहए।िाित में पुरुर् खुद को मदहलाओं से ज्यादा हािी औि श्रष्ट्ठ मानते
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थे जो लडककयों क े खखलाफ दहंसा को जन्द्म दता ह। बाललकाओं को बचाने क े ललए सबसे पहल माता-
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वपता को अपना ददमाग बदलने की जऱूित ह। उन्द्ह अपनी बेटी क े पोर्र्, लशक्षा, जीिन शैली आदद की
ै
ें
उपेक्षा किने से िोकने की आिश्यकता है, उन्द्ह अपने बच्चों पि विचाि किने की आिश्यकता है चाह िे
ें
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लडककयां हों या लडक।यह लडककयों क े प्रतत माता-वपता की सकािात्मक सोच है जो िाित में पूि े
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समाज को बदल सकती ह। उन्द्ह क ु छ पैसे पाने क े ललए अपने जन्द्म से पहल ही गिष में मासूम बक्च्चयों
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की हत्या किने िाल आपिाधिक डॉक्टिों क े खखलाफ आिाज उठानी चादहए।
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ADISH
IX
ऊजा बचाओ
ष
1. ऊजा क े स्त्रोत एक ददन खत्म हो जाऐंगे
ष
कफि हम खुद को अंिकाि में पाऐंगे
2. ऊजा क े नए सािन अपनाओ
ष
पुिाने औि सीलमत सािनों को बचाओ
3. त्रबजली की खपत को कम किो
सौि ऊजा का प्रयोग शुऱू किो
ष
4. आज ऊजा नहीं बचाओगे
ष
तो आने िाल समय में ऊजाष कहाूँ से लाओगे
े
5. ऊजा तो सीलमत सािन है कोयला औि पैरोल
ष
इसललए इसक प्रयोग पि िखो थोडा सा करोल
े
ं
6. हम सबको ऊजा को बचाना है
ष
आने िाली पीढी को िी तो इनका लाि उठाना है
7. दोबािा प्रयोग होने िाल ऊजा तो सािन अपनाओ
े
ष
सिक्षक्षत िखो कोयला औि पैरोल, िाताििर् को स्िच्छ बनाओ
ं
8. तनजी िाहनों की मत किो ििमाि
ििना ऊजा से िंधचत िह जाऐगा संसाि
ष
JASHANPREET
X
दोस्ती का मूल्य
ें
व्यक्क्त क जीिन म लमत्रता का महत्ि ) दोस्ती (
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व्यक्क्त क जन्द्म क बाद से िह अपनों क मध्य िहता ह, खेलता ह, उनसें सीखता ह पि हि बात
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व्यक्क्त हि ककसी से साझा नहीं कि सकता। व्यक्क्त का सच्चा लमत्र ही उसक प्रत्यक िाज को जानता
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ह। पुस्तक ज्ञान की क ु जी ह, तो एक सच्चा लमत्र पूिा पुस्तकालय, जो हम समय समय पि जीिन क े -
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कदठनाईयों से लडने म सहायता प्रदान किते ह। व्यक्क्त क व्यक्क्तत्ि क तनमाषर् म दोस्तों की
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िी िसा ही चुनता ह। औि व्यक्क्त स क ु छ गलत होता ह तो समाज उसक दोस्तों को िी समान ऱूप
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से उस गलती का िागीदाि समझते ह।
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लमत्रता सोचसमझ कि कि ें -
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जहा लोग आपस बात िी अपन स्िाथष लसद्धि क मनुकामना स कित ह ऐस म सच्ची लमत्रता िी
ैं
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बहत कम लोगों को प्राप्त हो पाती ह। प्रचीन समय से ही लोग अपनी इच्छाओ ि अकांक्षाओं की
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ैं
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पूततष क ललए दोस्ती कित ह तथा अपना कायष हो जान पि अपन जीिन म व्यस्त हो जात ह।
इसललए व्यक्क्त को दोस्ती का हाथ हमेशा सोच समझ कि अन्द्य की ओि बढाना चादहए।
तनष्ट्कर्ष
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व्यक्क्त क व्यक्क्तत्ि का दपषर् उसक द्िािा बनाए गए लमत्र होते ह, व्यक्क्त को सदि अपने लमत्रों का
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चुनाि सोच समझ कि किना चादहए। जीिन म ें -“सच्ची लमत्रता” तथा “मतलब की लमत्रता” म िेद कि
ें
पाना असल म एक चुनौती ह तथा व्यक्क्त को व्यक्क्त की पिख कि लमत्रों का चुनाि किना चादहए।
ें
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व्यक्क्त अपना सुख दुख तथा हि तिह की बात क्जसस बाट सक िह व्यक्क्त का लमत्र होता ह। -
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लमत्रता जीिन क ककसी िी पढाि म आकि तथा ककसी स िी हो सकता ह। एक वपता अपनी पुत्री
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का लमत्र हो सकता ह, इसी तिह से मां बेट म लमत्रता हो सकती ह, पतत पक्त्न म िी लमत्रता हो -
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को सदि सही मागष ददखाती ह। नुखताचीनी क्जसम सदि व्यक्क्त क हाूँ म हाूँ लमलाया जाता (है को )
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लमत्रता कहना अनुधचत होगा।
KHUSHBU
IX
बुद्धि बडी या बल
शािीरिक-बल बुद्धि-बल की तुलना में तनश्चय ही नगण्य ह। बुद्धि-बल से प्रत्यक समस्या का समािान ढूंढा
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जा सकता है लेककन शािीरिक बल से किल िाि उठान जैसे कायष ही हो सकत ह। अक्ल बडी होती है मैंस नहीं।
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इस तथ्य की पुक्ष्ट्ट तनम्न कहानी किती ह।
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िात अंिेिी थी। सदी का मौसम समाप्त होन जा िहा था। लता अपन मकान क े एक कमि में अकली सो िही
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थी। घि में उसक अततरिक्त उसक िृद्ि वपता सो िह थे। सहसा उसे एक आिाज सुनाई दी औि लता की आंख
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खुल गई। िुप अंिेिा होन क े कािर् िह क ु छ दख तो न सकी पिन्द्तु उसक कानो में ये शधद सुनाई ददए,
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अलमािी की चात्रबयां चुपचाप हमाि हिाल क े दो। शोि ककया तो नतीजा बुिा होगा। िह िय से कांपन लगी
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औि उसन पदचाप से अनुिि हआ चोि उसी क े कमि में घुस आए ह। चोिो को अपन ही कमि प्रविष्ट्ट हआ
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दख उसक तो प्रार् सुख गए पिन्द्तु उसी क्षर् िैयष औि बुद्धि को सहजती हई िह बोली, “अलमािी की चात्रबयां
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तो वपता जी क े पास है औि िह ऊपि क े कमि में सो िह ह। चोिो ने ऊपि जान िाली सीदढयाूँ का मागष ददखन े
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क े ललए कहा तो लता डिती हई पिन्द्तु चौकन्द्नी होकि उठीऔि सीदढयाूँ की ओि चल पडी।
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सीदढयाूँ क े ऊपिी छोि पि दििाजा छत पि खुलता था। दििाजा खोलते समय लता बहत सेहमी हई थी। चोिों
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को सम्बोधित कि बोली, “वपता जी इिि बन हए एक कमि में सो िह ह। बड उतािलेपन से चोि छत की ओि
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लपका। जैसे ही चोि आगे गया लता ने दििाजा बन्द्द कि ददया। उसक वपता जी तो छत पि थे ही नहीं। उसन े
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चतुिाई से उन्द्ह कमि से बाहि छत क े ऊपि ले जाकि औि दििाजा बन्द्द कि शोि मचा ददया। लोग लता की
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आिाज सुनकि इकट्ठ हो गए। चोिों को पकडन में दि न लगी। सच ही है कक अगि बुद्धि से काम ललया जाए
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तो बल बुद्धि क े सामन नगण्य हो जाता ह।
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लशक्षा- बुद्धि, बल की अपेक्षा अधिक शक्क्तशाली होती ह।
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TANIA
IX
िाश! मैं भी सीमा पर जािर,
िुश्मन से लड पाती।
िाश! मैं भी यूँ लडते-लडते,
अमर शहीि हो जाती।
िाश! मैं भी तोपो बिंिूिों,
ि े हचथयार सजाती।
िाश! मैं भी अमर होिर,
नया इततहास र ाती।
िाश! ाँिनी िी उन रातों,
िो अिंधेरा िर पाती।
िाश! तोपों ि े मुँह से तनिला,
मैं गोला बन जाती।
िाश! िारचगल िी घाटी िा,
एि पत्थर बन जाती।
अमर शहीिों िो सलाम िर,
जीवन सफल बनाती
TRISHNA RAJ
VII
दशिक्क्त
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अपने दश को प्रेम किना औि उसक दहत क े ललए क ु छ िी कि गुजिने क े जनून को दशिक्क्त कहा
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जाता ह। दश क े लोगों की दशिक्क्त ककसी िी िाष्ट्र की सबसे बडी ताकत होती ह। लोगों की
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दशिक्क्त ही है जो दश पि आने िाली मुसीबतों को िोक दती ह। हमाि दश में बहत से ऐसे िीि
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योद्िा औि महापुऱूर् हए है क्जनम दशिक्क्त की िािना क ु ट क ु ट कि ििी थी औि उन्द्होंने दश की
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िक्षा को ललए प्रार्ों की आहतत तक दे दी थी। दशिक्क्त की िािना मनुष्ट्य में जोश को उत्पन्द्न किती
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है औि उन्द्ह दश क े ललए बललदान दने में खुशी का अनुिि कििाती ह।दशिक्क्त ही एक ऐसी िािना
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है जो ककसी िी दश में िहने िाल अलग अलग िमष औि जातत को लोगों को एक साथ कि दती ह।
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दशिक्क्त हम मानिता को गल लगाना औि दश से प्याि किना लसखाती ह। दशिक्क्त िाष्ट्रीय
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एकता का प्रतीक ह।दशिक्त होने क े ललए जऱूिी नहीं कक व्यक्क्त कोई शिहद पि खडा सैतनक ही हो
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बक्ल्क हि व्यक्क्त ककसी न ककसी ऱूप से दशिक्त है क्योंकक िह ककसी न ककसी तिीक से दश की
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सेिा कि िहा ह। ककसान अनाज पैदा कि कि, डॉक्टि इलाज कि कि, औि हम लोग पयाषयििर् की
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सुिक्षा कि कि िी दशिक्क्त तनिा सकते ह। लककन आज क े समय में बहत से लोग ऐसे िी है जो न
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हीं दश का सम्मान किते है औि न ही दशिक्तों की। िह दशरोह किते ह। हम सब को चादहए कक
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हम ऐसे असमाक्जक तत्िों को िोक औि लोगों में दशिक्क्त की िािना उजागि कि। दशिक्क्त हम ें
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िाष्ट्र कक दहतों की िक्षा किना औि उसक तनयमों का पालन किना लसखाती ह। सच्ची दशिक्क्त िह
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है जब व्यक्क्त िाष्ट्र क े प्रतत अपने कतषव्य औि क्जमेमदािी को समझे औि विकास क े ललए कायष कि।
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MANPREET KAUR
VIII
मंगल ग्रह क े बाि में जानकािी
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1. सौिमंडल में मंगल ग्रह िी पृथ्िी की तिह स्थलीय ग्रह है क्जसपि जमीन मौजूद ह।
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2. मंगल ग्रह सूयष से चौथा औि सौिमंडल का 7िां सबसे बडा ग्रह ह।
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3. मंगल ग्रह सूयष से 22 किोड 79 लाख ककलोमीटि की दूिी पि है औि यह सूयष क े चािों तिफ एक
चक्कि 687 ददन में लगाता ह।
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4. मंगल ग्रह िी पृथ्िी की तिह अपने अक्ष पि झुका हआ है क्जस कािर् इसका ऋतु परिितषन
ु
त्रबल्क ु ल पृथ्िी जैसा ह।
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5. मंगल ग्रह क े दो प्राक ृ ततक उपग्रह िी है क्जनका नाम फोबोस औि डडमोज ह।
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6. मंगल ग्रह पि िायुमडल िी मौजूद क्जसम काबषनडाइऑक्साइड की मात्रा बहत अधिक है,
ं
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ु
नाईरोजन सीलमत मात्रा में है औि ओक्क्सजन है ही नहीं।
7. मंगल ग्रह की जमीन पि लौह आक्साइड की मात्रा पाई जाती है क्जस कािर् उसका िग लाल है
ं
औि उसे लाल ग्रह क े नाम से िी जाना जाता ह।
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8. मंगल ग्रह का तापमान अधिक से अधिक 70° सेक्ल्सयस औि कम से कम -140° सेक्ल्सयस
तक चला जाता ह।
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9. मंगल ग्रह का व्यास पृथ्िी से आिा है औि पृथ्िी क े मुकाबल मंगल पि सूयष आिा ददखाई दता ह।
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10. मंगल ग्रह पि गुित्िाकर्षर् िी पृथ्िी से कम ह।
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SHIVAM
IX
सुनो ना माूँ , सुनो ना..
क्यू जन्द्म ददया तुमने मुझ इस दुतनया में,
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क्या पता नहीं था तुझ तेि ही अपनो का ..
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क्यूूँ िोजा िखा तूने लडकी पाने का,
क्या पता नहीं था तुझ, इसानो क े ऱूप में िह िह जानििो का..
ं
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माूँ, रिश्तेदािों क े घि पि आने पि , में िी िाई सा खुश होना चाहती ह,
ु
छोड साि काम में िी उनक साथ खेलना चाहती हूँ..
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में िी चाहती ह उनकी गोदी में जाक िो चोक्लट ले आऊ,
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ूँ
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जाने पि उनक थोडा अपने कमि में बेथ क े मायूस हो जाऊ..
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ूँ
पि डि लगता है माूँ , मुझको डि लगता है..
तेि अपने ही तेिी छोटी सी बेटी को गोद में लक छडा किते हैं,
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अिी तो कमजोि ही है मेि अंग पि ये उन पि अपने नाखूनों को गोदा किते हैं..
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कह ना पाती तुझस क ु छ में, इतना डि जाती ह,
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इसानो कक बीच में जाने से में कतिाती हूँ..
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हि पल में ये सोचा किती ह,
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क्यू िाई जैसा ना बनाया िगिान ने मुझको लडका ,
क्यू ददया ऐसा शिीि क्जससे माूँ िह सहमा सा..
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अि माूँ,इन बेटी को लसखाओ की लडकी कोई खखलों नहीं है,
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िो नदी नहीं है कोई, उसम हाथ िोना नहीं है..
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किी सुना है तुमने ककसी औित को २ महीने क े लडक का िप किते हए,
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तो क्यू लडक ऐसा किते है..
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JASHAN
X
दोस्ती का मूल्य
व्यक्क्त क जीिन म लमत्रता का महत्ि ) दोस्ती (
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व्यक्क्त क जन्द्म क बाद से िह अपनों क मध्य िहता ह, खेलता ह, उनसें सीखता ह पि हि बात
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व्यक्क्त हि ककसी से साझा नहीं कि सकता। व्यक्क्त का सच्चा लमत्र ही उसक प्रत्यक िाज को जानता
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ह। पुस्तक ज्ञान की क ु जी ह, तो एक सच्चा लमत्र पूिा पुस्तकालय, जो हम समय समय पि जीिन क े -
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कदठनाईयों से लडने म सहायता प्रदान किते ह। व्यक्क्त क व्यक्क्तत्ि क तन माषर् म दोस्तों की
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िी िसा ही चुनता ह। औि व्यक्क्त स क ु छ गलत होता ह तो समाज उसक दोस्तों को िी समान ऱूप
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से उस गलती का िागीदाि समझते ह।
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लमत्रता सोचसमझ कि कि ें -
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जहा लोग आपस बात िी अपन स्िाथष लसद्धि क मनुकामना स कित ह ऐस म सच्ची लमत्रता िी
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बहत कम लोगों को प्राप्त हो पाती ह। प्रचीन समय स ही लोग अपनी इच्छाओ ि अकाक्षाओ की
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पूततष क ललए दोस्ती कित ह तथा अपना कायष हो जान पि अपन जीिन म व्यस्त हो जाते ह।
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इसललए व्यक्क्त को दोस्ती का हाथ हमेशा सोच समझ कि अन्द्य की ओि बढाना चादहए।
तनष्ट्कर्ष
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व्यक्क्त क व्यक्क्तत्ि का दपषर् उसक द्िािा बनाए गए लमत्र होते ह, व्यक्क्त को सदि अपने लमत्रों का
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चुनाि सोच समझ कि किना चादहए। जीिन म ें -“सच्ची लमत्रता” तथा “मतलब की लमत्रता” म िेद कि
पाना असल म एक चुनौती ह तथा व्यक्क्त को व्यक्क्त की पिख कि लमत्रों का चुनाि किना चादहए।
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व्यक्क्त अपना सुख दुख तथा हि तिह की बात क्जसस बाट सक िह व्यक्क्त का लमत्र होता ह। -
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लमत्रता जीिन क ककसी िी पढाि म आकि तथा ककसी स िी हो सकता ह। एक वपता अपनी पुत्री
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का लमत्र हो सकता ह, इसी तिह से मां बेट म लमत्रता हो सकती ह, पतत पक्त्न म िी लमत्रता हो -
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ें
को सदि सही मागष ददखाती ह। नुखताचीनी क्जसम सदि व्यक्क्त क हाूँ म हाूँ लमलाया जाता (है को )
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लमत्रता कहना अनुधचत होगा।
KHUSHBU
VIII
छात्रों क बीच फशन
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िाित म छात्र फशन क बाि म बहत विलशष्ट्ट ह। इन ददनों, छात्रों क ज्यादाति समय दपषर्
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क सामने त्रबताए जाते ह। ि खुद को इस तिह सजाने क ललए चाहते ह कक हि आंख को
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आकवर्षत कि। आिुतनक औि आकर्षक दखने की उनकी इच्छा म, िे नए फशन क ललए
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पागल हो जाते ह। ि खुद को निीनतम शैललयों म तैयाि किते ह फशन म हि बदलाि क
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साथ, उनक कशविन्द्यास िी बदलते ह। निीनतम फशन म होने क ललए हमाि युिा लडकों
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औि लडककयों की ही दखिाल माना जाता ह। िे अपने बाहिी लोगों क ललए इतना पििाह
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किते ह कक उनक अंदऱूनी िाग म आने क ललए उनक पास समय नहीं ह। िे फलशयल क
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ललए धयूटीलशयन अक्सि जाते ह, लककन ककताबों, पत्रत्रकाओं या पत्रत्रकाओं क ललए किी िी
पुस्तकालय नही जाते ह। मैं इन आिुतनक जोकि स नफित किता ह|
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छाि कलाकािों औि अशभनेिाओं की प्रतिशलवप कििे ह| उनम स क ु छ निीनिम फशन की
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प्रतिशलवप बनाने क शलए एक कफकम दखिे ह िे निीनिम कट, िग औि डडजाइन क महगे
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