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Published by upendra.bhatt12, 2021-11-21 08:54:31

MAGAZINE

ैं
ैं
औि आकर्षक कपड़े डालिे ह, िे सौंदयष प्रसाधन औि सौंदयष एड्स का उदाि उपयोग कििे ह।
ें

ें

उन्द्ह एहसास नहीं होिा ह कक िे इस प्रयास म अपने कीमिी समय औि ऊजाष बबाषद कि िह
ह।
ैं


ैं

इसक अलािा, िे अपने मािा-वपिा क मेहनि से अल्जषि धन बबाषद कि दिे ह। दजी भी


ें

ैं


फशन पश कििे ह यह उन्द्ह भुगिान कििा ह दजी दुकान हमशा लोगों क साथ भीड़ होिी ह
ैं
ें
दजी की दुकान आज क महदि ह ि शािीरिक आकर्षण औि अनुग्रह को जोड़िे ह|
ैं
ें


ैं

फशन अकल पोशाक क ललए सीलमत नहीं ह फशन क्लब, होटल या िस्तिां, पीने, िूम्रपान,









कफल्म पत्रत्रकाओं को पढने, बहत साि दोस्त बनाने म शालमल ह। हि कोई एक कफल्म स्टाि
ें



ैं


की तिह दखने का प्रयास किता ह लडक लंबे बाल होते ह जबकक लडककयों को उनक बाल
झुक होते ह। लडककया अपने शिीि को उजागि किना चाहती ह ि गुडडयों की तिह लगते ह
ैं


ैं

ैं
औि तततललयों की तिह आगे बढना पसंद किते ह।
ैं




शिीि को उधचत दखिाल दी जानी चादहए, लककन क ृ त्रत्रम ऱूप स नही। असभ्यता को जहा

तक संिि हो, बचाया जाना चादहए।
Suhani
VIII
प्रदूर्र्
प्रद र्ण का अथष ह दोर् युति,अपविि एिं अशुद्ध | अपने नाम क स्िऱूप प्रद र्ण न



किल मानि जाति बल्कक समस्ि प्राणणयों क शलए हातनकािक ह | यह बाि आज का




मानि भली भाँति - जानिा भी ह औि समझिा भी ह | लककन यह ज्ञान किल


ककिाबों िक औि बािों िक सीशमि ह , व्यािहारिक ऱूप म मानि की प्रगति की
ें


ें

चाहि औि सुख सुविधाओ की िृद्र्ध की इच्छा म उसक द्िािा ककय गए तनि नए

प्रयोगों न इस प्रद र्ण म हदन प्रतिहदन िृद्र्ध की ह | इस प्रद र्ण की सीमा


ें

-






किल धििी ही नही बल्कक संप णष िािाििण िायु (, जल , ध्ितन सल्ममशलि ह ै )| इस
विस्िाि सीमा क कािण अब प्रद र्ण किल भ शम प्रद र्ण न होकि िायु प्रद र्ण , जल


प्रद र्ण औि ध्ितन प्रद र्ण भी ह |

प्रस्तािना




यहद जल द वर्ि ह िो जल प्रद र्ण मानि क स्िास््य क शलए हातनकािक ह | िायु





प्रद वर्ि ह िो सास लना ही दुभषि हो जायगा भाि कक जीिन ही खिि म ह | शुद्ध

ें


िायु प्राणो क शलए , श्िास प्रकिया क शलए बहि ही आिश्यक ह। इसी ििह शमट्टी









हमािी म ल भौतिक आिश्यकिाओ की प तिष क शलए जऱूिी ह | खाने पीने क शलए -



अनाज, शुद्ध हिाओ क शलए पेड़ पौध भी हम इसी से शमलिे ह| इसक बगैि हम

ैं
ें


ें

प्राणी जगि औि मानि जािी क विकास क बाि म सोच भी नहीं सकिे | औि यहद
ें
ें

िािाििण म शोि अर्धक मािा म ह िो यह ध्ितन प्रद र्ण ह जो कक मानशसक

असंिुलन का कािण बनिा ह |

RADHIKA
VII
आधुतनक भािि
1947 म त्रिहटश शासन से आजादी प्राल्प्ि क बाद आधी शिाब्दी से भी अर्धक समय बीि
ें



चुका ह। पिन्द्िु हमने इिने िर्ों म तया खोया या पाया, आइय इसका आकलन कि। वपछल
ें

ें
63 िर्ों म भािि म गिीबी घटी ह लककन अभी भी लगभग 25 प्रतिशि लोग काफी दयनीय
ें
ें



ें
ैं
ें
अिस्था म जीिन-यापन कि िह ह। उनको भ ख क अलािा म लभ ि सुविधाओं, स्िास््य
समबन्द्धी सेिाओं औि नौकरियों क अभाि का सामना किना पड़िा ह। मध्यिगीय परििािों




की ल्स्थति क ु छ विशेर् ऱूप स शभन्द्न नही ह। धनाढ्य िगष का कािोबाि | ि प्रभुत्ि बढा ह।


पिन्द्िु य परििाि दश की क ु ल जनसख्या का किल 20 प्रतिशि ह।





आजादी क े बाद हमने म लभ ि उद्योगों, क ृ वर्, कपड़ा ि टतसटाइल, यािायाि औि द िसचाि क े


क्षेिों में बहि उन्द्नति की ह। खाद्यान्द्न क े मामल में हम त्रबकक ु ल आत्मतनभषि | हो चुक ह।

ैं




हम हि प्रकाि की िस्िु ि सेिा का दश में उत्पादन कि िह ह। फलस्िऱूप हमािी
ैं

अथषव्यिस्था विश्ि की पांच प्रमुख अथषव्यिस्थाओं में से एक हो गई ह। पेरोशलयम | पदाथों

ैं

क े क्षेि में हम विदशी स्रोिों पि आंशशक ऱूप से तनभषि ह। इसक अलािा हमािी अथषव्यिस्था


विश्ि की उन्द्मुति बाजाि प्रणाली से सामंजस्य त्रबठा चुकी ह। भािि अब अन्द्ििाषष्ट्रीय मुराओं



क े समक्ष स्ििंि ऱूप से अपने रुपय का आदान-प्रदान कि िहा ह। हमाि तनयाषि ि आयाि
ैं

भी बढ िह ह। पिन्द्िु अन्द्ििाषष्ट्रीय व्यापाि में अभी िक क ु ल शमला कि घाटा ही चल िहा है
ैं
तयोंकक आयाि क े आंकड़े तनयाषि क े आंकड़ों से अर्धक ह। सामाल्जक ि आर्थषक स्ििों पि

हमाि दश में प्रगति हई ह। पिन्द्िु युिा मुख्य मागष | से भटक कि शसनेमा, इन्द्टिनैट, नशीली



दिाओं औि उन्द्मुति जीिन की व्यार्धयों क े शशकाि हो गय ह। क ु छ छाि अपने जीिन क े

ैं

ैं
ध्यय तनधाषरिि कििे हैं औि सफल भी होिे | ह। कािोबाि बढने से उद्योगों की उत्पादकिा ि

संख्या में िृद्र्ध हई ह। पिन्द्िु बेिोजगािों की संख्या भी बढी ह।


GURTEJ SINGH
VII

स्ििंििा हदिस








िाित िर्ष क महान संवििान िचतयता बाबा साहब डॉ िीमिाि आंबेडकि ने .
ें
संवििान म विशेर् ऱूप से िाित क प्रत्येक नागरिक को आजादी का अहसास

किाया ह, अथिा विशर् अधिकाि ददए ह। जब स हमािा िाित आजाद हआ ह

ैं






तिी स आधथषक ि तकनीकी ऱूप से हमािा दश सम्पन्द्नता की ऊचाइयों तक

पहचा ह।




ें
ें

आज पूि विश्ि म िाित आशा की ककिर् बनकि सूयष की िांतत आकाश म
ें

ें


चमक िहा ह, यह सब आजाद िाित म ही सिि हआ ह। हम ये आजादी




आसानी स नहीं लमली ह, इसक ललए दश क शूििीिों ि आजादी क मतिालों न




अपना बललदान दकि ददलाई ह, हम उनका सदि आिाि मानना चादहए।


ें


आज हम आजादी की खुली हिा म सांस ल िह ह, िह सब िाित माता क उन

ैं


ें



सपूतों की याद ददलाता ह, क्जन्द्होंने अपना सिषस्ि दश क नाम कि ददया था।

िाित क प्रलसद्ि विद्िानों, कवियों, इततहासकािों अथिा लेखकों ने िाित का
सामाक्जक ऱूप स सुिाि किक िाित की आजादी म चाि चांद लगाए।

ें

Divya
X

अंिविश्िास ह महाअलिशाप
ैं






क्जन कायों को िाग्य, अिसि, तंत्र-मंत्र, टोने-टोटक क ऊपि तनिषि िहकि ककया जाता ह, िे

ें
ैं


सब अिविश्िास की सीमा म आते ह । जब मानि अपनी सीलमत बुद्धि स पि कोई काम

दखता ह तब तुित िह ककसी अज्ञात दिी शक्क्त पि विश्िास किने लगता ह औि अपनी





सहायता क ललए उसका आिाहन किता ह, िल ही िह अज्ञात दिी-शक्क्त उसक अंति की




ज्योतत हो, कफि िी इसको सोचने-विचािने का उनक पास समय या बुद्धि ह ही कहा ?


ूँ



सफलता प्राप्त होने पि सपूर्ष श्रय उसक परिश्रम को न लमलकि उसी अज्ञात शक्क्त या
िाग्य को ददया जाता ह ।

इस प्रकाि वििकशून्द्यता औि िाग्यिाददता द्िािा पोर्र् पाकि अिविश्िास मजबूत होते जाते


ूँ

ह । जहा मूखषता का साम्राज्य होता ह िहा अिविश्िास की तानाशाही खूब चलती ह ।
ैं
ें
ूँ

प्रगततशील औि िैज्ञातनक प्रकाश से आलोककत दशों म िी ककसी-न-ककसी तिह क अंिविश्िास


ें
प्रचललत ह ।
ैं

ैं
ैं

अंिविश्िास कई प्रकाि क होते ह- क ु छ जाततगत होते ह, क ु छ िमष सबिी होते ह, क ु छ


ैं

ैं

सामाक्जक होते ह औि क ु छ तो ऐस विश्िव्यापी होते ह कक सब दशिासी उनका स्िागत किते
ैं


ह । यह िज्ञातनक युग ह । होना यह चादहए था कक हम नए लसि स इन ऱूदढयों क तथ्यों





को ममझने का यत्न कि, पि हो यह िहा ह कक हम विज्ञान को इन ऱूदढयों क अज्ञान का
ें
सहायक बना िह ह । यह बडी विडंबना ह ।
ैं


ैं





दुिाग्य स अधिकाश िाितीय जादू-टोना, तंत्र-मत्र एि िाग्य पि पूर्ष विश्िास िखते ह औि
इन विश्िासों की नींि इतनी गहिी ह कक उसे उखाडना आसान नहीं ह ।यात्रा म चलते समय,
ें


हल जोतते समय, खेत काटते समय, विद्यापाठ प्रािि किते समय- यहाूँ तक कक सोते-जागते-

िाितिासी शक ु न औि ग्रह-नक्षत्रों का विचाि किते ह ।
ैं


ूँ
यदद कही चलते समय ककसी ने जुकाम क कािर् छीक ददया तो ि िहा जाना ही स्थधगत


ैं
ैं



कि दते ह या थोडी दि क ललए रुक जाते ह, क्योंकक छींक क कािर् उनक काम लसद्ि होने



ें


म बािा समझी जाती ह । ििा हआ पानी का लोटा यदद असतुलन क कािर् हाथ स धगि


पडे तो उस ि िािी अपशक ु न समझते ह ।

ैं

AMAN
X

होली









होली एक ऐसा िगत्रबिगा त्योहाि ह, ल्जस हि धमष क लोग प ि उत्साह औि मस्िी
क साथ मनािे ह। प्याि भि िगों से सजा यह पिष हि धमष, संप्रदाय, जाति क बंधन




ैं



खोलकि भाई शशकिे - चाि का संदश दिा ह। इस हदन साि लोग अपने पुिाने र्गल - े




ैं


ैं



भ ल कि गल लगि ह औि एक द ज को गुलाल लगाि ह। बच्चे औि यु िा िगों

साथ अनेक कथाएं जुड़ी ह। होली मनाने क एक िाि पहल होली को जलाया जािा
ैं


ह। इसक पीछ एक लोकवप्रय पौिाणणक कथा ह।




भति प्रह्लाद क वपिा हरिण्यकश्यप स्ियं को भगिान मानि थे। िह विष्ट्णु क



वििोधी थे जबकक प्रह्लाद विष्ट्णु भति थे। उन्द्होंने प्रह्लाद को विष्ट्णु भल्ति किने से
िोका जब िह नही माने िो उन्द्होंने प्रह्लाद को मािने का प्रयास ककया।

प्रह्लाद क वपिा ने आणखि अपनी बहन होशलका से मदद मांगी। होशलका को आग

म न जलने का ििदान प्राप्ि था। होशलका अपने भाई की सहायिा किने क शलए

ें
िैयाि हो गई। होशलका प्रह्लाद को लकि र्चिा म जा बैठी पिन्द्िु विष्ट्णु की क ृ पा से
ें

प्रह्लाद सुिक्षक्षि िह औि होशलका जल कि भस्म हो गई।


यह कथा इस बाि का संकि कििी ह की बुिाई पि अच्छाई की जीि अिश्य होिी


ह। आज भी प णणषमा को होली जलाि ह, औि अगल हदन सब लोग एक द सि पि

ैं



गुलाल, अबीि औि ििह -िह क िग डालिे ह। यह त्योहाि िगों का त्योहाि ह।

ैं


ि


SHAHNAWAJ
IX

छात्रों क बीच फशन





ैं


ें

ें
िाित म छात्र फशन क बाि म बहत विलशष्ट्ट ह। इन ददनों, छात्रों क ज्यादाति समय दपषर्

क सामने त्रबताए जाते ह। ि खुद को इस तिह सजाने क ललए चाहते ह कक हि आंख को

ैं
ैं




ें
आकवर्षत कि। आिुतनक औि आकर्षक दखने की उनकी इच्छा म, िे नए फशन क ललए

ें
ैं

ें
ैं
ें
पागल हो जाते ह। ि खुद को निीनतम शैललयों म तैयाि किते ह फशन म हि बदलाि क



ें




साथ, उनक कशविन्द्यास िी बदलते ह। निीनतम फशन म होने क ललए हमाि युिा लडकों
ैं
औि लडककयों की ही दखिाल माना जाता ह। िे अपने बाहिी लोगों क ललए इतना पििाह




ें





ैं
किते ह कक उनक अंदऱूनी िाग म आने क ललए उनक पास समय नहीं ह। िे फलशयल क
ैं


ललए धयूटीलशयन अक्सि जाते ह, लककन ककताबों, पत्रत्रकाओं या पत्रत्रकाओं क ललए किी िी
पुस्तकालय नही जाते ह। मैं इन आिुतनक जोकि स नफित किता ह|
ैं






ें
ैं
छाि कलाकािों औि अशभनेिाओं की प्रतिशलवप कििे ह| उनम स क ु छ निीनिम फशन की




ैं
प्रतिशलवप बनाने क शलए एक कफकम दखिे ह िे निीनिम कट, िग औि डडजाइन क महगे

औि आकर्षक कपड़े डालिे ह, िे सौंदयष प्रसाधन औि सौंदयष एड्स का उदाि उपयोग कििे ह।
ैं
ैं

ें
उन्द्ह एहसास नहीं होिा ह कक िे इस प्रयास म अपने कीमिी समय औि ऊजाष बबाषद कि िह
ें

ह।
ैं


ैं

इसक अलािा, िे अपने मािा-वपिा क मेहनि से अल्जषि धन बबाषद कि दिे ह। दजी भी

ैं

ें

फशन पश कििे ह यह उन्द्ह भुगिान कििा ह दजी दुकान हमशा लोगों क साथ भीड़ होिी ह
ैं
ें


दजी की दुकान आज क महदि ह ि शािीरिक आकर्षण औि अनुग्रह को जोड़िे ह|
ैं

ें
ैं


फशन अकल पोशाक क ललए सीलमत नहीं ह फशन क्लब, होटल या िस्तिां, पीने, िूम्रपान,







ें


कफल्म पत्रत्रकाओं को पढने, बहत साि दोस्त बनाने म शालमल ह। हि कोई एक कफल्म स्टाि



की तिह दखने का प्रयास किता ह लडक लंबे बाल होते ह जबकक लडककयों को उनक बाल
ैं


ैं
झुक होते ह। लडककया अपने शिीि को उजागि किना चाहती ह ि गुडडयों की तिह लगते ह

ैं


ैं
औि तततललयों की तिह आगे बढना पसंद किते ह।
ैं





शिीि को उधचत दखिाल दी जानी चादहए, लककन क ृ त्रत्रम ऱूप स नही। असभ्यता को जहा
तक संिि हो, बचाया जाना चादहए।
Suhani
VIII


कप्यूटि


आिश्यकता आविष्ट्काि की जननी होती ह। अपनी आिश्यकता को पूिा किने क

ललए ही आज तक मनुष्ट्य हमेशा से निीनतम आविष्ट्कािों को सफल बनता आया


ह। मनुष्ट्य ने विज्ञान की सहायता से रुतगामी आिागमन क सािनों को बना ललया

ह।



मनुष्ट्य ने अपनी सुख-सुवििाओं को पूिा किने क ललए प्राक ृ ततक सािनों का दोहन


कि उन्द्ह अपने अनुचि बना ललया ह। विज्ञान ने मनुष्ट्य को आज तक बहत प्रकाि
ें

ें


की सुवििाएूँ उपलधि किाई ह। उन सािी सुवििाओं म कप्यूटि का एक विशर्
ैं
स्थान ह। कप्यूटि की सहायता से हि काम को अलिलंब ककया जा सकता ह।



इसी िजह से िोज इसकी उपयोधगता इतनी अधिक बढती जा िही ह। हि उन्द्नत




ें
औि प्रगततशील दश स्िंय को कप्यूटिमय बना िहा ह। आज क समय म िी

कपूटि क प्रतत आकर्षर् बढ िहा ह। मनुष्ट्य अपनी हि कदठन समस्या को कप्यूटि





से ही हल किना चाहता ह। कप्यूटि एक कदठनतम प्रश्नों औि समस्याओं को

आसानी से हल किने का एक बहत ही अच्छा सािन ह।


यह विज्ञान की एक महान दन ह तो सिी लोगों को यह याद अिश्य िखना


चादहए कप्यूटि क्या ह औि यह कसे काम किता ह? कप्यूटि एक इलक्रॉतनक यंत्र






ह। कप्यूटि एक क्जज्ञासा उत्पन्द्न होने िाला स्िािाविक यंत्र ह। कप्यूटि एक ऐसे




यांत्रत्रक मक्ष्ट्तष्ट्कों का ऱूपात्मक, समन्द्ियात्मक योग औि गुर्ात्मक घनत्ि ह जो

तेज गतत से कम-से-कम समय म ज्यादा-से-ज्यादा काम कि सकता ह।

ें
RAJNISH
XI
िक्षाबंिन का महत्ि

ैं
िक्षाबंधन पि बहन अपने भाई को िाखी बांधिी ह। भाई अपनी बहन को सदि



साथ तनभाने औि उसकी िक्षा क शलए आश्िस्ि कििा ह। यह पिमपिा हमाि

ें



भािि म काफी प्रचशलि ह, औि य श्रािण प णणषमा का बहि बड़ा त्यौहाि ह।

आज ही क हदन यज्ञोपिीत बदला जािा ह।


ें
ें

िक्षाबंधन अथाषि् सिक्षण का एक अन ठा रिश्िा, ल्जसम बहन अपने भाइयों को


िाखी का धागा बाँधिी ह, लककन शमििा की भािना से भी यह धागा बाँधा जािा
ें
ैं
है, ल्जसे हम दोस्िी का धागा भी कहिे ह। यह नाम िो अंग्रज़ी म अभी िखा

गया ह, लककन िक्षा बंधन िो पहले से ही था, यह िक्षा का एक रिश्िा ह।




इसशलए, िक्षा बंधन ऐसा त्यौहाि ह, जब सभी बहन अपन भाइयों क घि जािी


ें
हैं,औि अपने भाइयों को िाखी बांधिी ह, औि कहिी ह "मैं िुमहािी िक्षा कऱूगी

ैं
ैं



औि िुम मिी िक्षा किो"। औि य कोई ज़ऱूिी नहीं ह, कक िे उनक अपन सगे


भाई ही हों, िह अन्द्य ककसी को भी िाखी बाँधकि बहन का रिश्िा तनभािी हैं।िो
ें




य प्रथा इस दश म काफी प्रचशलि ह, औि य श्रािण प णणषमा का बहि बड़ा

त्यौहाि ह। आज ही क हदन यज्ञोपिीि बदला जािा ह।








िक्षाबधन पि िाखी बांधन की हमािी सहदयों पुिानी पिपिा िही ह। प्रत्यक



प णणषमा ककसी न ककसी उत्सि क शलए समवपषि ह। सबस महत्िप णष ह कक आप




जीिन का उत्सि मनाय। सभी भाईयों औि बहनों को एक द सि क प्रति


प्रेम औि किषव्य का पालन औि िक्षा का दातयत्ि लिे हए ढि सािी शुभकामना

क साथ िक्षाबंधन का त्योहाि मनाना चाहहए।

NIKITA
XI
िाित म पिमार्ु पिीक्षर्
ें
ें
ें

िाित म 11 ि 13 मई, 98 को बुद्ि स्थल पि िाजस्थान क पोखिर् म क्रमश तीन ि दो



पिमार्ु विस्फोट होने स साि विश्ि म तहलका मच गया ह। अब िाित िी पिमार्ु शक्क्त
ें

ें
सम्पन्द्न दशों म सक्म्मललत हो गया ह। पिीक्षर् क इन िमाकों ने साि संसाि को चककत कि



ें
ें



ददया ह। पिीक्षर् स्थल से तनकट क गाूँि खेतोलाइ क मकानों म िी दिाि पड गयीं, ककन्द्तु


िाष्ट्र क इस महान उपलक्धि क सामने लोगों को अपने घिों क चटकने से इतनी धचन्द्ता नहीं

हई क्जतनी प्रसन्द्नता इस महान सफलता स हई ह। प्रिानमत्री अटल त्रबहािी बाजपयी ने 20






मई को इसी पोखिर् क्षत्र म बुद्ि स्थल का दौिा ककया। िही प्रिानमत्री ने दश को नया नािा
ें





ददया ‘जय जिान- जय ककसान-जय विज्ञान।’ सिी दशिासी प्रिानमंत्री क साथ साथ गिष से


िि उठ। इन पिीक्षर्ों की प्रततकक्रया पिमार्ु सम्पन्द्न दशों पि बहत अधिक हई। अमिीका,





ऱूस, फ्ांस, जापान ि चीन आदद दशों ने िाित को आधथषक सहायता न दने की िमकी िी दी।

ककन्द्तु िाित इन िमककयों क सामने झुका नही।






इन पिीक्षर्ों को किने का मुख्य उदश्य विश्ि को यह बता दना ह कक पडोसी दशों की सामरिक
क्षमता का हम मुह तोड उत्ति दने म समथष ह। अपनी सुिक्षा औि बचाि किने क ललए अब

ैं

ें

ैं
हम आत्म तनिषि ह। िाित म इन पिीक्षर्ों का वििोि किने िाल विकलसत दश यह िूल गए

ें

ें
ह कक िाित म 1974 म एक औि 1998 म पाच पिमार्ु पिीक्षर् हए ह। जबकक इसस पूिष पूि
ें
ें
ूँ

ैं
ैं


ें

ें
विश्ि म 2052 पिमार्ु पिीक्षर् ककय जा चुक ह। इनम से अमिीका ने सबसे अधिक ऐसे

ैं

ैं

पिीक्षर् 1945 से अब तक 1032 ककय ह। इसक अततरिक्त सोवियत संघ ऱूप ने 715, फ्ांस ने


210, त्रिटन ने 457 औि चीन ने 44 पिमार्ु पिीक्षर् ककय ह। पाककस्तान औि इजिाइल क
ैं

ैं
ें

बाि म प्राय कहा जाता ह कक ि िी पिमार्ु पिीक्षर् की क्षमता िखते ह औि किी िी उनकी


ओि स पिमार्ु पिीक्षर् का समाचाि लमल सकता ह।


ैं


िाित ने क ु ल पाच पिमार्ु पिीक्षर् जो हाल ही म ककय ह उन को मुख्य ऱूप स चाि श्रखर्यों
ें

ूँ
म बाटा जा सकता ह। य चाि तिह क पिमार्ु पिीक्षर् ह-
ूँ
ें



ैं
PARAMPREET
IX



Mahatma Gandhi






Mohandas Karamchand Gandhi, who was also known as Mahatma,
"Great Soul" Gandhi, was a hero, as well as a political and spiritual
leader of India. He was of the Hindu faith, of which I am too.

Mohandas brought India to independence by using non-violent
resistance. He thought that there was injustice being served to the
Indians, especially to the immigrants by the South Africans. Gandhi

was born on October 2, 1869 in Porbandar, Kathiawar, now known as
Gujarat. Gandhi passed away at the age of 78 on January 30, 1948.

Mahatma Gandhi was brought up in India near Rajkot, where he did
most of his studies. In 1888, Gandhi went to London, leaving his wife
and son behind, to pursue his degree in law. Later in 1893, Gandhi

went to South Africa to work and found that there was a lot of
prejudice towards Indians. That was the reason Gandhi began

protesting and eventually he became an inspiring hero for millions.
The three main qualities that define Gandhi as a hero are his strong
leadership, simplicity and bravery.


Leadership was one of Gandhi's heroic qualities. One way he

demonstrated leadership was by encouraging people in his village to
start using homespun clothing. Homespun was one of Gandhi’s

favorite hobbies. Introducing homespun to his village promised the
growth of the village’s economy. The poor became employed to
make homespun clothes for others in the village and outside of their

own village. This drastically diminished the poverty in Gandhi’s
village. Moreover, Gandhi ended the issue of discrimination against

untouchables. Back in those days, the Hindus used to discriminate
against the untouchables, who were their own kind but just low in
the caste system. The untouchables are just another word to

describe poor, less educated people who really didn’t fit in with the
middle class people. Gandhi made the Hindus realize that what

British people were doing to them is the same thing that they were
doing to the untouchables. This made the Hindus realize what they
were doing to the untouchables. Last but not least, the Indian

Independence Movement was the all-time heroic deed led by
Gandhi. This movement was accomplished in 1947 by Mahatma. This

movement took place because India was governed by the British,
and Gandhi wanted India to become independent. Therefore, Gandhi
showcased many outstanding leadership skills that made him a hero.

Tarushi


Vii



Trees
I think that I shall never see
A poem lovely as a tree.


A tree whose hungry mouth is prest


Against the earth’s sweet flowing breast;


A tree that looks at God all day,


And lifts her leafy arms to pray;

A tree that may in Summer wear


A nest of robins in her hair;


Upon whose bosom snow has lain;


Who intimately lives with rain.

Poems are made by fools like me,


But only God can make a tree.


Priya


VIII




Count Wisely


One day, king Akbar asked a question in his court that left everyone in the courtroom
puzzled. As they all tried to figure out the answer, Birbal walked in and asked what the
matter was. They repeated the question to him.

The question was, “How many crows are there in the city?”


Birbal immediately smiled and went up to Akbar. He announced the answer; he said
there were twenty-one thousand, five hundred and twenty-three crows in the city. When
asked how he knew the answer, Birbal replied, “Ask your men to count the number of
crows. If there are more, then the relatives of the crows must be visiting them from
nearby cities. If there are fewer, then the crows from our city must be visiting their
relatives who live outside the city.” Pleased with the answer, Akbar presented Birbal with
a ruby and pearl chain.


Moral of the Story
Having an explanation for your answer is just as important as having an answer.



-suhani
IX






NATIONAL UNITY DAY


National Unity day (also known as Rashtriya Ekta

Diwas) is celebrated every year on 31 of October by
st
the people all through India. It is celebrated to

commemorate the birth anniversary of Sardar

Vallabhbhai Patel who really unified the country.

Rashtriya Ekta Diwas or National Unity Day was

introduced by the Government of India in 2014 with

the aim of celebrating this event every year on

st
31 October.
The aim of introducing this event is to pay tribute to

the great man, Sardar Vallabhbhai Patel, on his birth

anniversary by remembering his extraordinary

works for the country. He really worked hard in

keeping India united.

NATIONAL UNITY DAY 2020

National Unity Day 2019 is being celebrated on

31 of October, Thursday by the people all over
st
India. It is celebrated as 14th Birth anniversary of

Sardar Vallabhbhai Patel.

The day is observed to commemorate the efforts of Sardar
Patel in the integration of post independence Indian

dominion. This year National Unity Day was celebrated on

Thursday, 31 October. This year’s theme of National
st
Unity Day was “Bring the Nation Together, United in Times

of Strife and Rising Extremism”.

Senior cabinet ministers and leaders of opposition paid
their due respect to Sardar Patel and remembered his

exceptional administrative skills and foresight, which laid

the foundation of the administrative system of modern
India, as we see today.



A special event on National Unity Day was organized on

31 October 2019, Thursday at New Delhi’s Malvankar
st
Hall located on Rafi Marg, behind the RBI. The event was

attended by the Speaker of Lok Sabha, Sri Om Birla as the

Chief Guest and various other central ministers.
Tanya

IX




WHY NATIONAL UNITY DAY (RASHTRIYA EKTA

DIWAS) IS CELEBRATED


National Unity Day (or Rashtriya Ekta Diwas) is the
birthday (birth anniversary) of Sardar Vallabhbhai Patel, a

famous personality for uniting India. This day was decided

and introduced by the central government of India in New

Delhi in 2014 in order to observe the birth anniversary of
Patel every year as Rashtriya Ekta Diwas. It aimed to pay

tribute to him for his great efforts made to unite India.



This day was inaugurated in 2014 by the Prime Minister,

Narendra Modi, by paying floral tributes at the statue of
Sardar Patel and flagging off a program known as ‘Run For

Unity’ in New Delhi. This program was planned to
highlight the efforts made by Sardar Patel for uniting

country.



Ashique



IX



Constitution of India


India, also known as Bharat, is a Union of States. It is a Sovereign
Socialist Secular Democratic Republic with a parliamentary
system of government. The Republic is governed in terms of the
Constitution of India which was adopted by the Constituent

Assembly on 26th November, 1949 and came into force on 26th
January, 1950. The Constitution provides for a Parliamentary
form of government which is federal in structure with certain

unitary features. The constitutional head of the Executive of the
Union is the President. As per Article 79 of the Constitution of
India, the council of the Parliament of the Union consists of the
President and two Houses known as the Council of States (Rajya

Sabha) and the House of the People (Lok Sabha). Article 74(1) of
the Constitution provides that there shall be a Council of
Ministers with the Prime Minister as its head to aid and advise

the President, who shall exercise his/her functions in accordance
to the advice. The real executive power is thus vested in the
Council of Ministers with the Prime Minister as its head.

ADISH
IX



LIFE

Life is a mystery,
comes from future,
runs in present,

and goes to history,
life is a mystery.


you like it, you love it,
but you never know when its gonna ditch you.

you plan it, you try to control it,
but you never know where its gonna take you.

that's why they say,
life is a mystery...


Nikesh
VIII


Poetry on Nature




Whether one is watching a thrilling thunderstorm

or looking up at a mighty tree, the experience of nature is one of awe.


One cannot help but marvel at the intricate design of a single leaf,

or the roar of a great waterfall.


Time spent in nature is time spent realizing that

you don't know it all and that you never will.

The earth is meant to be enjoyed by its inhabitants.


That includes keeping it in the pristine condition


in which it was discovered.

Everyone has a part of the earth that they relate to the most.

Whether it is a majestic mountain range, a roaring waterfall, a bouquet of
flowers, or the calm of the woods,


these are places to get to know oneself and build bonds with family

Radhika


VII

Smile with Poetry





if we cannot laugh at ourselves,


life will become a dull and stifling experience.


Life can be a challenge; of that there is no doubt.

But if we take a moment to stop and see the joke,


we can change our entire day. To those that take life seriously,

we may see humor as an obstacle in our paths.

The truth is that jokes are funny because


they contain a grain of truth about life that would not be able to be shown

through any other medium.


A funny joke or poem has the power to point out subtle ironies of life

that I might get shot in the head for if


I were to say them straight out. Humor has the capacity to point absurdities

about the way we live our lives in a non-threatening way.



Tanya
IX



THOUGHTS

“Procrastination makes easy things hard and hard things harder.” — Mason Cooley

“You don’t have to be great to start, but you have to start to be great.” – Zig Ziglar
“The way to get started is to quit talking and begin doing.” – Walt Disney


“I think it’s possible to ordinary people to choose to be extraordinary.” — Elon
Musk


“Motivation is what gets you started. Habit is what keeps you going.” – Jim Ryun

HARMAN
XI

What is Dengue and how is it caused?


Dengue is a viral disease that is caused by mosquito. It can

lead to flu-like illness like high fever with headache, severe
muscle and joint pain. In recent decades, the incidence of

dengue has increased. Mainly, it occurs in tropical and
subtropical areas of the world. Let us read about Dengue

fever, its symptoms, prevention, and treatment.


If Dengue is mild then it causes high fever, rash, muscle,

and joint pain but if it is severe then it can cause severe
bleeding, a sudden drop in blood pressure and death.

Severe dengue fever is known as dengue hemorrhagic
fever. According to the Directorate of the National Vector

Borne Disease Control Programme (NVBDCP), India has
reported more than 67,000 cases of dengue fever till 13

October 2019. In the Karnataka state, around 12,756 cases

are reported. In State and Union Territories of India,
dengue is endemic. It is seen that due to floods and

monsoon season, raining in certain states causes more fear
of dengue cases. The stagnant water condition allows

mosquitoes or vectors to breed.


DOLLY



IX

A. P. J. Abdul Kalam


Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam 15 October 1931 – 27 July 2015) was
an aerospace


scientist who served as the 11th President of India from 2002 to 2007. He was
born and raised in Rameswaram, Tamil Nadu and studied physics and aerospace
engineering. He spent the next four decades as a scientist and science

administrator, mainly at the Defence Research and Development
Organisation (DRDO) and Indian Space Research Organisation (ISRO) and was
intimately involved in India's civilian space programme and military missile

[1]
development efforts. He thus came to be known as the Missile Man of
India for his work on the development of ballistic missile and launch
vehicle technology. He also played a pivotal organisational, technical, and

political role in India's Pokhran-II nuclear tests in 1998, the first since
[5]
the original nuclear test by India in 1974.

Kalam was elected as the 11th President of India in 2002 with the support of
both the ruling Bharatiya Janata Party and the then-opposition Indian National
[6]
Congress. Widely referred to as the "People's President", he returned to his
civilian life of education, writing and public service after a single term. He was
a recipient of several prestigious awards, including the Bharat Ratna, India's
highest civilian honour.
While delivering a lecture at the Indian Institute of Management Shillong,
Kalam collapsed and died from an apparent cardiac arrest on 27 July 2015, aged
83. Thousands including national-level dignitaries attended the funeral
[7]
ceremony held in his hometown of Rameshwaram, where he was buried
[8]
with full state honours.
Divyansh

XI

SAVE GIRL CHILD




In the Indian society, girl children are considered as the curse from the
ancient time. If we think from our own mind the question arise that how

the girl child can be a curse. The answer is very clear and full of fact that
without a girl child, boy child can never take birth in this world. Then why

people do lots of violence again women and girl child. Why they want to kill
the girl child before taking birth in her mother’s womb. Why people rape

or sexually harass the girls at home, public place, schools or work place.

Why a girl is attacked by the acid and why a girl child become victim of
various men cruelty.It is very clear that a girl child always become blessing
for the society and reason for the continuation of life in this world. We

worship many female Goddesses at various festivals however never feel a

little bit of kind to the women living in our home. Truly, the girls are pillars
of the society. A small girl child can be a good daughter, a sister, a wife, a

mother and other good relations in the future. If we kill them before taking
birth or do not care after taking birth then how we will get a daughter,

sister, wife or mother in future. Is anyone of us has ever thought that what
will happen if women deny to be pregnant, give birth to a baby or give all

responsibility of their motherhood to men. Are men able to do all such

responsibilities. If not; then why girls are killed, why they supposed as
curse, why they are burden to their parents or society. Why the eyes are

not being open of the people even after many surprised truth and facts
about girls.Now-a-days, women are working outside in the field with the

men by meeting shoulder to shoulder together with their all the

responsibilities at home. This is a big shame to us that still girls are victims
of many violence even they have changed themselves to survive in this

modern world. We should actively participate in the campaign of save the
girl child by removing the male dominating nature of the society.

Poonam


X







Bhimrao Ramji Ambedkar


(14 April 1891 – 6 December 1956), popularly known as Babasaheb
Ambedkar, was an Indian jurist, economist, politician and social
reformer who inspired the Dalit Buddhist movement and campaigned against
social discrimination towards the untouchables (Dalits), while also supporting
the rights of women and labour. He was independent India's first law and justice
minister, the architect of the Constitution of India, and a founding father of
the Republic of India. In India and elsewhere, he was often called Babasaheb,
meaning "respected father" in Marathi.

Ambedkar was a prolific student earning doctorates in economics from
both Columbia University and the London School of Economics and gained a
reputation as a scholar for his research in law, economics, and political science.
In his early career, he was an economist, professor, and lawyer. His later life
was marked by his political activities; he became involved in campaigning and
negotiations for India's independence, publishing journals, advocating political
rights and social freedom for Dalits, and contributing significantly to the
establishment of the state of India. In 1956, he converted to Buddhism,
initiating mass conversions of Dalits. He died six months shortly after
conversion.

In 1990, the Bharat Ratna, India's highest civilian award, was posthumously
conferred upon Ambedkar. Ambedkar's legacy includes numerous memorials
and depictions in popular culture.


Sakshi

IX


Tongue Twister

• Blue bluebird.
• Red lorry, yellow lorry.

• Daddy Draws Doors.
• Three free throws.
• The big bug bit the little beetle.
• Friendly fleas and fireflies.

• Fresh fried fish.
• Specific Pacific.
• Fred fed Ted bread and Ted fed Fred bread.

• Betty’s big bunny bobbled by the blueberry bush.
• Six sticky skeletons.
• Green glass globes glow greenly.

• Fuzzy Wuzzy was a bear. Fuzzy Wuzzy had no hair. Fuzzy Wuzzy
wasn’t very fuzzy, was he?
• If a dog chews shoes, whose shoes does he choose?

• Rubber baby buggy bumpers.


Shivani


VII


Incredible India



a country full of cultures and traditions
from the time of ancient civilizations


a country rich in biodiversity
which leaves us with curiosity


an example of secularism, love

and peace

a country rich in art,

and the country that taught the world to count


origin of Ayurveda and the place
where yoga was born

a country with a vast history
that has full of mystery


this is 'INCREDIBLE INDIA'
Rajnish

XI




संस्कि भार्ाया महत्त्िम ्





संस्क ृ िम् भाििस्य विश्िस्य च पुिािनिमा भार्ा। अन्द्यास भार्ाणा िथा पुिािनं

साहहत्यमद्य नोपलभ्यिे यथा पुिािनं संस्क ृ िसाहहत्यम् । विश्िस्य पुिािनिमो ग्रन्द्थः

ऋग्िेदः संस्क ृ िभार्यैि तनबद्धः । इयमिीि िैज्ञातनकी भार्ा, अस्या पाणणतनमुतनप्रणीि

व्याकिणमिीि िैज्ञातनक यस्य साहाय्येन अद्यावप ियं िान् पुिािनग्रन्द्थान् अिबोधु ं

शतनुमः ।संस्क ृ िमेि हह भाििम् । यहद ियं प्राचीन भाििमिाषचीनं िावप भाििं

ज्ञािुशमच्छामः िह नाल्स्ि संस्क ृ िसमोऽन्द्य उपायः । भाििीयजनस्य अद्यावप यि्

र्चन्द्िनं िस्य म लं प्राचीनसंस्क ृ ििाङ्मय दृश्यिे । यहद च िि् र्चन्द्िनं ियं

न िनविज्ञानाशभमुख किुषशमच्छामस्िह िस्य म लं पृष्ट्ठभ शम च अविज्ञाय विल्च्छन्द्नऱूपेण
किु न शतनुमः। यहद ियशमच्छामो यि् भाििीयजनः परिििषनम् आत्मसाि् क ु याि् िदा

िेन परिििषनेन आत्मऱूपेण संस्क ृ तिमयन संस्क ृ िमयन च भाव्यम् ।।संस्क ृ िस्य शब्दाः


सिासु भाििीयभार्ासु कासुर्चि् िैदशशकभार्ासु च प्रयुज्यन्द्ि । अिः यहद ियं



भाििीयजनानामेकीभािं, िेर्ा भार्ागिम् अभेद सौमनस्यं च इच्छामः िदा


संस्क ृ िज्ञानेनैि िि समभाव्यिे । संस्क ृ ि सिाषः-भाििीयभार्ाः सिं जनमानसं च

एकस िेण संयोजयति । प्राचीनभाििीयतिहासस्य भ गोलस्य च समीचीनं र्चिं

संस्क ृ िाध्ययनं विना असमभिम् ।संस्क ृ िसाहहत्यम् अति समृद्धं विविधज्ञानमयं च
ििषिे । अि िैहदक ज्ञानमुपलभ्यि, यस्य तिर्चदवप सामयं नाल्स्ि । महाभाििं िु


विश्िकोशऱूपमल्स्ि । िामायणशशक्षाः हदशश हदशश प्रचरििाः। उपतनर्द्शभिैदशशकिवप


विद्िद्शभः शाल्न्द्िः प्राप्िा। काशलदासादीना काव्यानाम् उत्कर्षस्य िु कथैि का।

चिकसुश्रियोिायुिेदः, भािद्िाजस्य विमानशास्िम्, कणादस्य पिमाणुविज्ञानम्,

गौिमस्य िकविद्या, शुकबस िाणा ज्याशमतिविज्ञानम्, आयषभटस्य खगोलशास्िम्


इत्यिमादीतन अनेकातन विज्ञानातन शास्िाणण च संस्क ृ िभार्ोपतनबद्धान्द्यि । अद्यावप


िाजनीतिविर्य शासनिन्द्िविर्य च कौहटकयस्य अथषशास्िं मनुस्मृतिश्च मागषप्रदशषक



स्िः ।


JIYA

IX

पुस्िकालयः








यत्र विवििातन पुस्तकातन पठनाथां सगहीतातन ििक्न्द्त तत् स्थानम्


पुस्तकालयः उच्यत । तत्र दह त्रत्रवििः पुस्तकालयः व्यक्क्तगतः,

विद्यालयीयः, सािषजतनकश्च । व्यक्क्तगतः पुस्तकालयः अध्यापकानां


अन्द्यर्ां बुद्धिजीविनाम् च िितत । विद्यालयीयः विद्यालयस्य अगम्


िितत । छात्रार्ाम् अध्यापकानाम् च ज्ञानिद्षिनाय विद्यालयीयः

पुस्तकालयः िितत । अत्र शैक्षखर्कातन पुस्तकातन सगहीतातन ििक्न्द्त ।


तनिषन-छात्रार्ां क ृ त विद्यालयीयः पुस्तकालयः अत्युपयोगी िितत ।

सािषजतनकर्ु पुस्तकालयर्ु बहवििातन पुस्तकातन ििक्न्द्त ।



पुस्तकालयसम्पकाषत् शनैः -शनैः विद्यारुधचः जागततष । सम्प्रतत गीतशीलः

पुस्तकालयः अवप अक्स्त ।


दहन्द्दी अनुिाद :


जहाूँ अनेक प्रकाि क े पुस्तक पढने क े ललए संग्रह िहता है उस स्थान को पुस्तकालय कहा जाता है ।

पुस्तकालय तीन प्रकाि क े होते है - व्यक्क्तगत, विद्यालयीय औि सािषजतनक । व्यक्क्तगत
पुस्तकालय अध्यापकों क े ललए औि बुद्धिजीवियों क े ललए होता है । विद्यालीय विद्यालय का अंग

होता है । छात्रों औि अध्यापकों क े ज्ञान क े बुद्धि क े ललए विद्यालीय पुस्तकालय होता है । यहाूँ
लशक्षर् संबंिी पुस्तक िहते हैं । गिीब छात्रों क े ललए यह पुस्तकालय बहत उपयोगी होता है ।
ें

सािषजतनक पुस्तकालय में विलिन्द्न प्रकाि क े पुस्तक िहते है । पुस्तकालय क े सम्पक में िहने से िीि- े

िीि विद्या में ऱूधच बढता है । आजकल गीतशील पुस्तकालय िी है ।



DIKSHA




VII

भािििर्षः







अस्माक दशः िाितिर्षम् अक्स्त । अयं दह दहमालयात् िामश्ििम् पयषन्द्तम् पुिीतः



द्िािका पयषन्द्तं प्रसृतः अक्स्त । अत्र गंगा, यमुना, गोदाििी, िह्यपुत्र प्रिृतयः नद्य:
अमृतोपम् तोयं िहक्न्द्त । अत्र काशी, प्रयाग, मथुिा, प्रिृतयः तीथषनगिाखर् सक्न्द्त । अत्र

कलकत्ता, बम्बई, मरास, कानपुि, दुगाषपुि, िाउिकला प्रिृतयः उिोगप्रिानाः नगयष:

सक्न्द्त । अत्रैि िाम-क ृ ष्ट्र्-गौतमः जाताः । गाूँिी-नेहऱू-पटल प्रमुखा: महापुरुर्ा: अत्रैि

उत्पन्द्ना: । अयं दशः ग्रामप्रिानः क ृ वर्प्रिानश्च कथ्यते । अस्य दशस्य िाष्ट्रिार्ा


दहन्द्दी अक्स्त या सस्क ृ तिार्ायाः आत्मजा अक्स्त ।







हहन्द्दी अनुिाद :





हमलोगों का दश भािििर्ष है । यह हहमालय क े िामेश्िि से लकि द्धािका िक फला



हआ है । यहाँ गंगा, यमुना, गोदाििी, िह्यपुि आहद नहदयों में अमृि क े समान पानी

बहिी है । यहाँ कशी प्रयाग, मथुिा, आहद िीथष नगि है । यहाँ कोलकािा, बमबई, मरास,

कानपुि, दुगाषपुि, िाऊिकला आहद उद्योग प्रधान नगि है । यही िाम, क ृ ष्ट्ण, औि गौिम

जन्द्म शलए थे । गाँधी नेहऱू-पटल प्रमुख महापुरुर् यही उत्पन्द्न हऐ थे । यह दश



ग्रामप्रधान औि क ृ वर्प्रधान है । इस दश की िाष्ट्रभार्ा हहन्द्दी है । यह सस्क ृ ि भार्ा की


आत्मजा है ।


UJAWAL






IX

दशिक्क्त








यल्स्मन् दशे ियं जन्द्मधािणं क ु मषः स हह अस्माक दशः जन्द्मभ शमः



िा भिति । जननी इि जन्द्मभ शमः प ज्या आदिणीया च भिति ।

अस्याः यशः सिेर्ा दशिशसनां यशः भिति । अस्याः गौििेण एि


दशिशसनां गौििम ् भिति । ये जनाः स्िाभ्युदयाथष दशस्याहहिं


क ु िषल्न्द्ि िे अधमाः सल्न्द्ि । दशभल्तिः सिासु भल्तिर्ु श्रष्ट्ठा



क्यिे । अनया एि दशस्य स्ििंििायाः िक्षा भिति । अनया एि

प्रेरििाः बहिः दशभतिाः भगि शसंघः, चन्द्रशेखि आजाद प्रभृियः


आत्मोत्सगषम ् अक ु िषन् । झाँसीश्ििी लक्ष्मीबाई, िाणाप्रिाप


मिाड़कसरि, शशििीिः च प्रमुखाः दशभतिाः अस्माक दश जािा ।





दशभल्तिः व्यल्ति-समाज -दशककयाणाथष पिमम ् और्धम ् अल्स्ि ।



ASHIQE



IX

मां



माूँ, माूँ त्िम ् संसािस्य अनुपम ् उपहाि,



न त्िया सदृश्य कस्याः स्नेहम ्,


करुर्ा-ममतायाः त्िम ् मूततष,



न कोअवप कत्तुषम ् शक्नोतत ति क्षततपूततष।



ति चिर्योः मम जीिनम ् अक्स्त,


‘माूँ’शधदस्य मदहमा अपाि,


न माूँ सदृश्य कस्याः प्याि,


माूँ त्िम ् संसािस्य अनुपम ् उपहाि।
SHAHNIWAJ





IX







दीपावली पर सस्कत श्लोक




ां
हिरतॎयवर्ा िररर्ीूं सवर्रजतस्रजाम ।

ूं
चन्द्ा हिरण्मयीूं लक्ष्ीूं जातवदो म आवि ॥






हसद्धिबद्धिप्रद दहव भद्धक्तमद्धक्तप्रदाहयहि ।




मन्त्पत सदा दहव मिालद्धक्ष् िमोस्त ते ॥
LAKSHY
IX







अनुशासन








शासनमनु अनुशासनम् अथाषत शासनेन तनलमषतातन तनयमतन पालयन्द्तः लोकाः
अनुशालसताः कथ्यते । अनुशासनिाि समाजे उच्छ ृ ंखलता आगच्छतत । सिे स्िैिाचि ं

क ु िषन्द्तः न कथमवप आत्मोन्द्नततम् दशोन्द्नततञ्च कतुषम् समथाषः । पारििारिकी व्यिस्था

नक्ष्यतत । विद्याधथषनः उद्दण्डाः िविष्ट्यक्न्द्त, िखर्जः, अधिक लािमष्ट्यक्न्द्त


अतएिानुशासनम् दशस्य समाजस्य, मनुष्ट्यार्ां छात्रार्ाञ्च क ृ ते पिमािश्यकमक्स्त ।

अस्माक व्यिहािर्ु अवप अनुशासनम् दृश्यते । छात्रार्ाम् क ृ ते विद्यालय


एिानुशासनलशक्षा-कन्द्रमक्स्त । अक्स्मन्द्नेि काल छात्रार्ाम् मनःसु यः प्रिािः


सम्पद्यते सः स्थायी िितत । बाल्य अनुशासनहीनाः जनाः प्राप्ते ियलस अनुशालसता

िविष्ट्यन्द्तीतत दुिाशामात्रम् ।







हहन्द्दी अनुिाद :





शासन संिंधी तनयमों का पालन किना अनुशासन कहलािा है । अनुशासन क े अभाि में

समाज में उच्छ ृ ंखलिा आ जािी है । सभी लोग अपन-अपन विचाि किने लगिे है, औि


इसम लोग औि दश उन्द्नति किने में सक्षम नहीं हो पािे है । परििाि की व्यिस्था नष्ट्ट
ें

हो जािी है । विद्याथी उद्दड हो जाएग, व्यापािी अर्धक लाभ लग, अिः छाि, व्यल्ति,
ें

ें

समाज औि दश क े शलए अनुशासन पिम आिश्यक है । हमलोगों क े व्यिहाि में ही

अनुशासन दखा जािा है । छािों क े शलए विद्यालय ही अनुशासन का कन्द्र है । इस



समय छािों क े मन में ल्जस प्रकाि का प्रभाि िहिा है िही स्थायी हो जािा है । बचपन क े


अनुशासन हीन व्यल्तियों में उम्र बढने पि भी अनुशासन का अभाि िहगा ।
GURLEEN




IX






गंगा नदी






अस्माक दशे सिासु नदीर्ु गंगा अततश्रष्ट्ठा प्रिाना पवित्रतमा च ितषते । इयम् दहमालयात् तनःसृत्य




बंगोपसागि पततत । अस्याः पािने तट विशालाः प्राचीनाः नगयषः क्स्थताः सक्न्द्त, यथा-हरिद्िािः,


प्रयागः, िािार्सी, पाटललपुत्रादद । अस्माक सभ्यता-सस्क ृ तत एर्ु नगिर्ु उन्द्नता जाता । गंगा एि



िाितिर्षस्य िालमषक विचाििािायाः पारिचातयका अक्स्त । धचिकाल-िक्षक्षतेऽवप गंगाजल कीटार्िः

प्रििक्न्द्त । अतएि गंगानदी तनत्या पूजनीय, िन्द्दनीया, सेिनीया च । िाितीयाः जनाः गंगायाः
जलस्य मात्र सेिनं न क ु िषक्न्द्त अवपतु दिित् पूजयक्न्द्त च । गंगास्मिर्मात्रेर् पापः लशिः िुनोतत इतत

कथ्यते ।पतततोद्िारिखर् जाह्नवि गङ्गे खक्ण्डत धगरिििमक्ण्डत िङ्गे । िीष्ट्म जनतन हे


मुतनििकन्द्य पततततनिारिखर् त्रत्रिुिन िन्द्य॥



दहन्द्दी अनुिाद :







हमाि दश क े सिी नददयों में गंगा श्रष्ट्ठ, प्राचीन औि पवित्र है । यह दहमालय से तनकलकि िंगोपसागि



में धगिता है । इसक पािन तट पि अनेक प्राचीन नगि िसे हए है जैसे हरिद्िाि, प्रयाग, िािार्सी,


पाटललपुत्र (पटना) आदद । हमलोग का सभ्यता औि सस्क ृ तत इसी नगि से उन्द्नत हए है । गंगा


िाितिर्ष क े िालमषक विचाि का परिचायक है । बहत ददनों तक िखने पि िी गंगाजल में कीटार्ु नहीं

होता है । अतः इसललए गंगानदी प्रततददन पूजनीय, िेदनीय औि सेिनीय है । िाित क े लोग गंगाजल
का लसफ सेिन ही नहीं किते





LOVEPREET

IX













जय िक्ष! जय िक्ष


श्रूयताम् सिे िृक्षपुिार्म्,
कक्रयताम् तथा िृक्षािोपर्म्।

िृक्षस्याक्स्त सुन्द्दिम् यातत मूल बहदूिम्।।


मूलपी अन्द्नम्, तस्य काष्ट्ठ कदठनम्,


काष्ट्ठ कदठनं िितत इन्द्िनाथषम्।

पर्र्ु िितत हरितरव्यम्,

अतो दह अक्स्त िे पर्ष हरितम्।।
पुष्ट्पम् सुन्द्दिम्, अतीि मोहकम्,

पुष्ट्पम् तस्य िितत िे दिपूजाथषम्।

फलम् िसमयं, तस्य फलं स्िादपूर्षम्,

फलम् दह अक्स्त िे खगस्य अन्द्नम्।।

जलिातप्रकाशैः तनमाषतत अन्द्नम्,
तेन दह अन्द्नेन ििषते तनत्यम्।
िृक्षस्य दृश्यताम् सिषम् दह कायषम्,

जीिनं तस्याक्स्त पिोपकािाथषम्।।

िृक्ष दह क ु िषक्न्द्त विहगाः नीडम्,

कधचत् तु क ु िषक्न्द्त काष्ट्ठ दह तछरम्।



NIKITA
XI




कः ककम् कर्त्ुषम् न शतिः



अन्द्िः ककमवप न रष्ट्ट ु म् शक्तः

पंगुः क्िावप न चललतुम् शक्तः।

मूकः ककमवप न िक्तुम् शक्तः


बधििः श्रोतुम् िित्यशक्तः।।

मूढः बोद्िूम् न िितत शक्तः

न चावप िीरुः योद्िुम् शक्तः।


शयने िोगी िाित्यशक्तः

दीनः ककमवप न दातुम् शक्तः।।


िृद्िः न िाि िोढ ु म् शक्तः

ईष्ट्युषः कमवप न सोढ ु म् शक्तः।

नैि िावितुम् स्थूलः शक्तः


लोिी शान्द्त्या स्िवपतुमशक्तः।।

अलसः मूखषः तनरायुक्तः

कायषम् ककमवप न कतुषम शक्तः।


सदि लमथ्याचिर् शक्तः


नैि स सत्यं रष्ट्ट ु म् शक्तः।।

RUBI



VIII





महाकवव‍‍काशलदास:‍सिंस्‍कि‍तनबिंध
:



1- मिाकहव‍ि: काहलदास: मम हप्रय: कहव: अद्धस्त (महाकवव कावलदास मर विय कवव है )


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2- यादृश: रस प्रवाि: काहलदासस्‍िय काव्‍ियषु हवघत ताद्र्ररश: अन्‍ियत्र िाद्धस्त (महाकवव कावलदास क े
काव्य में रस िवाह होता है)


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3- स: सस्‍िकत भाषाया: श्रष्‍िठतम: कहव: अद्धस्त (सस्कत भाषा क े श्रष्ठतम कवव कावलदास है)


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3- काहलदासस्‍िय लोकहप्रयताया: करर् तस्‍िय प्रसाद गर्यक्‍िता लहलता शली अद्धस्त (कावलदास




लोकविय कवव होन का मख्य कारण उनकी िसाद यक्त लवलत शली है)



5- स: कवकलहरोमहर्: अद्धस्त (कावलदास को कवव कल वशरोमवण क े नाम से भी जाना जाता है )




6- काहलदासि त्रीहर्िाटकाहि (मालहवकाहिहमत्रम हवक्रमोवशीयम अहभज्ञािशाकन्‍ितलम च) द्व े हगहतकाव्‍िय े






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(मघदत ऋतसिारम च) द्व े मिाकाव्‍िय (रघवशम कमारसम्‍िभवूं च ) द्व े गीतीकाव्‍िय ( मघदत ऋतसिारम च
ुूं
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) च रहचताहि (काहलदास क े द्वारा रहचत 3 िाटक मालहवकाहिहमत्रम हवक्रम सवत अहभज्ञाि शाकतलम ्


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िै और दो गीत काव्य मघदत ऋतसिार िै और दो मिाकाव्य रघवशम और कमारसभव िै )


7- चररत्रहचत्रर् काहलदास: अतीव पट: अद्धस्त (महाकवव कावलदास का चररत्र वचत्रण अच्‍छा है)
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8- काहल‍िदासस्‍िय प्रकहतहचत्रर्ं अतीवरम्‍ियम अद्धस्‍ित (महाकवव कावलदास ने िकवत का वचत्रण बहुत
अच्छा वकया है)





9- अिमीयत यत्‍ितस्‍िय जन्‍िमभहम: उज्‍िजीयिी आसीत (महाकवव कावलदास की जन्म भवम उज्जनी है)

10- काहलदास: मिाराजहवक्रमाहदत्‍ियस्‍िय सभाकहव: आसीत (महाराजा ववक्रमावदत्य क े सभा कवव
कावलदास थे)






11- काहलदासस्‍िय कहतष कहतष कहत्रमताया: अभाव: अद्धस्‍ित‍ि()




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12- मघदत उज्‍िजहयन्‍िया: भव्‍ियं ूं वर्ि हवघत (महाकवव दास की रचना मघद ू त में उज्जनी का भव्य

वणन वमलता है)

13- अत: साधच्‍ियते – उपमा कहव काहलदासस्‍िय ( महाकवव कावलदास को उपमा कभी भी कहा
जाता है)


14- काहलदासस्‍िय उपमा प्रयोग: अपव: (उपमा में महाकवव कावलदास क े ियोग अववस्मरणीय है
DOLLY
IX


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