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Published by adesh.bmu, 2018-02-05 12:27:01

kvdbnepatrika2017

kvdbnepatrika2017

dsUnhz ; fo|ky; laxBu Kendriya Vidyalaya Sangathan
laHkkxh; dk;kZy; / REGIONAL OFFICE

,l0lh0vks0/SCO-72-73, lSDVj/Sector-31-,/A,
p.Mhx<+/CHANDIGARH-160030

osclkbV/Web Site: www.kvsrochandigarh.in

b-Z esy/e-mail:DC: [email protected] ,Admn: [email protected]

Acctts: [email protected] , Acad: [email protected]

0172- 2638031 (AO&FO), 2638081 (ACs), 2638042 (DC)

No.f.16060/KVS(CR)/2017-18/DC Message/ ददन कॊ : 01.08.2017

सदॊ ेश

यह प्रसन्नत और गर्व की ब त है कक के न्रीय वर्द्य ऱय शशक र –डी बी एन, ई –
वर्द्य ऱय ऩत्रिक क द्वर्तीय अकॊ प्रक शशत करने ज रह है | वर्द्य ऱय-ऩत्रिक बच्चों की
रचन त्मक प्रततभ को उज गर करने क सॊदर मॊच प्रद न करती है| यह वर्द्य ऱय की शकै ्षऺक
एर्ॊ सह शकै ्षऺक उऩऱब्धधयों क दऩणव भी है| शशऺ क एक उद्देश्य जह ॉ वर्द्य थी को जीर्न की
चनौततयों क स मन करने में सऺम बन न है तो दसू री और उसके भीतर की रचन त्मकत
और मौशऱकत को अशभव्यब्तत क अर्सर प्रद न करन भी है। यह ई- वर्द्य ऱय ऩत्रिक एक
ओर वर्द्य थी को अऩने भ र्ों को उज गर करने क अर्सर प्रद न कर रही है तो दसू री ओर
क गज़ क प्रयोग न कर ऩय वर्रण सरॊ ऺण क भी सदॊ ेश दे रही है। नन्ह रचन क र जब अऩनी
कृ तत को इस ऩत्रिक में देखेग तो र्ह खशी से झूम उठे ग । बच्चों को यह खशी देन और
उन्हें भवर्ष्य की चनौततयों क स मन करने के शऱए तयै र करन ही शशऺ क उद्दशे ्य है ।

इस स थकव प्रय स के शऱए मंै वर्द्य र्थयव ों और समस्त वर्द्य ऱय ऩररर् र को ह ददवक
बध ई देते हए उन्हें भवर्ष्य के शऱए शभक मन देत हूॉ।

रनर्ीर शसहॊ
उऩ यतत एर्ॊ तनदेशक

Amit Kumar, IAS

MESSAGE

It gives me immense pleasure to know that Kendriya Vidyalaya Shikar, Dera Baba Nanak is
going to publish 2nd edition of e-Vidyalaya Patrika.

Vidyalaya Patrika is a mirror that reflects the activities of the school and its students in
various fields. Vidyalaya Patrika covers creativity; innovations, literary skills, educational and co-
curricular activities etc. e-Patrika also enrich the Achievements, Performances and progress of
the Vidyalaya.
Publishing of Digital Version of Annual Magazine is an advance initiative to save the
environment/nature as well as one step forward to save greenery of the earth. Availability of e-
patrika on web also provides a worldwide platform to the students to show their potential and
caliber.
It is a good gesture on the part of the School Management to give such an opportunity to express
once ideas experience desire by publishing e-Patrika. I, therefore, extend my heartiest
congratulations to the Principal, all the teachers, Students and specially editor board whose
strenuous efforts and diligence have given a perfect shape to this edition of e-Patrika.

Aim High and Plan Small,
Step up slowly, go for all.

(Amit Kumar), IAS
Deputy Commissioner,

Gurdaspur

समादेष्टा, 12वींी वाहिनी,

सीमा सरु क्षा बऱ,
अध्यक्ष, ववद्याऱय प्रबधीं सममति

के न्द्रीय ववद्याऱय
मिकार, गरु दासऩरु -ऩजीं ाब

संीदेि

के न्द्रीम विद्मारम शिकाय ,डी फी एन ,विद्मारम की ई –ऩत्रिका का द्वितीम अॊक प्रकाशित कयने जा
यहा है; मह प्रसन्द्नता एिॊ गिव का विषम है | विद्मारमी-ऩत्रिका विद्मारम का दऩणव है जजसभे सबी छामा –
छविमाॉ एक साथ प्रततत्रफजबफत होती हंै | के न्द्रीम विद्मारम शिकाय, डी फी एन अऩने प्राकृ ततक ऩरयिेि एिॊ
उच्च गणु ित्ता ऩणू व शिऺा के शरए जाना जाता है | छाि एिॊ छािाएॊ अनिु ाशसत औय जजऻासु है | उनकी
प्रततबा औय मोग्मता अटू ट है |

ई –ऩत्रिका इसशरए बी भहत्त्ि ऩणू व औय विशिष्ट फन जाती है क्मोंकक इसके द्िाया हभ न के िर
प्रचुय सॊसाधनों की फचत कयते हैं फजकक ऩमािव यण के प्रतत अऩनी जजबभेदायी का बी तनिावह कयते हैं | ‘ऩेऩय
रेस िकव ’ के िर फौविक ककऩना नही है,मह मगु की भाॊग है | तेजी के साथ फदर यही दतु नमा भें स्िमॊ को
स्थावऩत कयना एक चनु ौती ऩूणव कामव है औय इस ददिा भंे इस प्रकाय के सबी प्रमत्न प्रिसॊ नीम हैं |
विद्मारम –ऩत्रिका के िर छाि –छािाओॊ की यचनात्भक अशबव्मजक्त का भचॊ ही नही है फजकक मह उन्द्हंे कहीॊ
अधधक अनिु ाशसत शसऩाही के रूऩ भंे तनशभतव कयता है | देि के शरए अऩने प्राणों का सिोच्च त्माग कयने
िारे िीय जिानो के प्रतत सबभान एिॊ आदय यखना फहुत जरूयी है |

छािों के द्िाया स्िच्छ बायत अशबमान भंे विद्मारम से रेकय आसऩास के स्थानों की सपाई औय
स्िच्छता के प्रतत रोगो को जागरूक कयना बी जरूयी है | इस स्तय ऩय सबी प्रकाय के प्रमास ककए जाने
चादहए | छािों को अऩनी किमािीरता के साथ इस भहत्त्िऩूणव साभाजजक कामव को अऩने दैतनक जीिन भें
उतायने का हय सॊबि प्रमत्न कयना चादहए | अतॊ भें एक फाय ऩनु : ई -ऩत्रिका के प्रकािन के शरए
िबु काभनाएॊ एिॊ साधिु ाद !

(हदनेि कु मार राजौरा)

Ramesh Kumar Lomra

Principal
Kendriya Vidyalaya-Shikar

Gurdaspur-Punjab
Ph- 01871-267626, 267650
e-mail: [email protected]

www.kvdbn.in

सदं ेश

प्रिय ऩाठक गण,
नन्हंे-मनु ्हंे साहहत्यकारों के नवकोऩऱ अनुभवों के साथ साहहत्य के अनतं ऱोक में

प्रवचरण करने के लऱए प्रवद्याऱय की द्प्रवतीय वाप्रषकि ई-ऩत्रिका 2016-17 आऩके अवऱोकनाथि
िस्तुत है|

के न्रीय प्रवद्याऱय की समस्त गततप्रवधधयां प्रवद्याधथयि ों के सवागंा ीण प्रवकास में सहायक
होती है| इसी हदशा मंे ई-ऩत्रिका 2016-17 एक ियास है जो उनमे ऱेखन के संस्कार को
तनखारने, सहज भाव को अलभव्यक्त करने का एक सशक्त मंच है, ऩत्रिका का डडजजटऱ
संस्करण इन बाऱ ऱेखको को प्रवश्वव्याऩी स्तर ऩर उनकी ऩहचान बनाने मे मदद करेगा एवं
ऩयावि रण को सुरक्षऺत करने की यह मुहहम तनजश्चत ही अऩने रंग हदखाएगी| ऩत्रिका को मूति रूऩ
िदान करने वाऱे अथक ऩररश्रमी सऩं ादक मण्डऱ को साधवु ाद, बाऱ प्रवहंगो की ऱेखनी की धारा
भप्रवष्य मे यंू ही िवाहहत होती रहे, इसी कामना के साथ..............

ऱक्ष्य न ओझऱ होने पाएँ, कदम ममऱाकर चऱ |
मजं िऱ तरे े पग चमू गे ी, आि नही तो कऱ ||

रमेश कु मार ऱोमरा
िाचायि

94.4% IN CLASS XII-2016-17 Hall of Fame 81.2% IN CLASS XII-2016-17

87.8% IN CLASS XII-2016-17

RANBIR KAUR CLASS 12 TAMANNA CLASS 12 HARJINDER KAUR CLASS 12

10 CGPA HOLDERS OF CLASS X (2016-2017)

ARSHDEEP KAUR CLASS 10 KOMALPREET KAUR CLASS SIMRANPREET KAUR CLASS
10 10

ANUREET KAUR CLASS 10 PAVAN KUMAR CLASS 10

Pride of Sports
2016-2017

(JUDO GIRLS UNDER 14)

ऊपर बाएँ से दाहिने – 1. अर्दश ीप कौर, कक्षा- 9, 2. गगनदीप कौर, कक्षा- 9, 3. परमिन्दर कौर, कक्षा- 6,
4. सफऱदीप कौर, कक्षा- 9, 5. सतिन्दर कौर, कक्षा- 9 6. कोिऱप्रीि कौर, कक्षा- 9

Pride of Sports
2016-2017

(ZUDO & TAEKKANDO GIRLS UNDER 14)

ऊपर बाएँ से दाहिने – 1. गगनदीप कौर, कक्षा-, 2. सफऱदीप कौर, कक्षा- 10, 3. कु ऱजीि कौर, कक्षा- 9
4. सतिन्दर कौर, कक्षा- 10, 5. वररदिं र कौर, कक्षा- 10

Special Achievement of Vidyalaya in Art & Cultural Activities
2015-2016,

Kashish Ojha Class IV,
Gold Medalist in Art at National Level
Special Achievement of Vidyalaya in Art & Cultural Activities

2016-2017

Manjit Kaur, IX
First Prize on Cluster Level in Gazal and Second Prize on regional level

सपंि ादकीय

प्रिय ममत्रो !

ई –ऩत्रत्रका का द्प्रितीय अकॊ आऩको सौंऩकर हमे हार्दिक िसन्नता की अनुभतू त हो रही है

| डडजिटऱ होती दतु नया मंे अऩनी महत्तत्तिऩरू ्ि भमू मका के तनिािह की र्दशा की ओर हम सधे हुए
कदमो से बढ़ रहे हैं | हमे अमभव्यजतत की स्ितन्त्रता के साथ एक प्रिशाऱ मॊच उऩऱब्ध है, िहाॊ

हम अऩनी कल्ऩना और अऩने प्रिचार के साथ एक नए ऩररदृश्य को रचने मंे समथि हो सकते हंै

| प्रिश्ि शाजन्त और मानिता के अऩने सनातन ऱक्ष्य के ितत हमारा अटू ट प्रिश्िास है |

हे अनघ !िीिन सभॊ ािनाओॊ की तऱाश है | प्रिद्याऱयी मशऺा हमे यगु ीन समस्याओॊ से टकराने

की िेरर्ा देती है | हम सीखते हैं कक हमारे युग का यगु सत्तय तया है?हम अऩने नए ऱक्ष्य

बनाते हंै, अऩनी शजतत एिॊ ऊिाि के द्िारा उस ऱक्ष्य तक ऩहुॉचने का ियास करते हंै |आि
ऻान के नए- नए स्रोत खऱु रहें हैं, िीप्रिका की अनन्त सभॊ ािनाओ के बीच हम कहीॊ ज्यादा

चनु ाि के ह़दार हंै | इसमऱए सीखने-मसखाने की गततप्रिधध मंे निाचार मशऺा को स्थान ममऱ

रहा है |

ऩुण्य-धन! धरती हमारी मानस-माता है | उसके ितत आदर और सम्मान हमारी िीिनचयाि का
अगॊ होना चार्हए | नदी, िन, ऩिति , ऩेड़, ऩौधे, िनस्ऩतत, िऱचर, नभचर, अडॊ ि और उतिि सभी इस
महा िकृ तत के अशॊ है | सबकी सहभाधगता में ही मानि िातत का र्हत तनर्हत है | सबके
सरॊ ऺर् से ही हम सॊरक्षऺत होंगे | अऩने ऩयािि रर् के ितत हमारी कोमऱ सिॊ ेदना सदैि िडु ी
रहनी चार्हए |

अमभन्न ! ऋप्रि –ऩरम्ऩरा ने सदैि बसधु िै ‘कु दमु ्बकम का ऩाठ ऩढ़ाया है | हमे उसका अनुगमन
करते हुए मानि एिॊ मानिता के ितत उत्ततरदायी बनना चार्हए | सत्तय शीऱ और सौन्दयि ही
िीिन को महत बनाते हैं | अर्हसॊ ा और करुर्ा भारतीय मानस का स्थायी भाि है |सत्तय के
ितत आग्रह हमारे धचतॊ न का आधार है | इस मागि से हम कभी भी प्रिचमऱत नहीॊ हो सकते |

स्नेह धन ! ई – ऩत्रत्रका के मऱए आऩने अऩनी भािनाओॊ ,कल्ऩनाओॊ ,प्रिचारों के िो ऩषु ्ऩ चनु े है
िह आऩकी सहि िततभा ,रचनाधममति ा को िमाणर्त करने के मऱए ऩयापि ्त है | ससॊ ्कृ त र्हदॊ ी,
अगॊ ्रेिी और ऩिॊ ाबी भािा में एक साथ आऩकी उऩजस्थतत हमे आह्ऱार्दत करती है | आदर के
साथ आऩकी हर रचना को ई–ऩत्रत्रका मंे स्थान देकर हम स्ियॊ को गौरिाजन्ित समझ रहे है |

आनन्दमये! आऩको प्रिर्दत ही है कक ऩयाििरर् सॊरऺर् ,आधथकि तनिेश सॊरऺर् के साथ हम एक
ऐसी प्रिद्याऱयी ऩत्रत्रका की कल्ऩना करते हंै िो हमारे प्रिद्याऱयी ऩररिेश के साथ के न्रीय
प्रिद्याऱय सगॊ ठन के उच्च आदशो ,मूल्यों और उद्देश्यों को एक साथ प्रिश्ि- मचॊ ऩर िस्तुत
कर सके | इसी ध्यये के मऱए हम सतत ियत्तनशीऱ हैं | यह एक गुरुतर कायि है जिसमे
तकनीक की दऺता ,कल्ऩनाशीऱता और धयै ि की आिश्यकता होती है | इसमऱए हम उन सभी के
ितत आभार ऻाप्रऩत करते हैं जिनका मौन रचनात्तमक समथनि और सहयोग हमे ममऱा | हम
प्रिशिे आभारी है श्री रनिीर मसहॊ , उऩायुतत (के प्रिसॊ) चण्डीगढ़ सभॊ ाग जिनका आशीिािद हमे सबसे
ऩहऱे ममऱा | िाचायि श्री आर के ऱोमरा के सहि मागि दशनि के ितत नत होते हुए अतॊ मंे
आऩकी दी हुई िस्तु को आऩके ही हाथो मंे अप्रऩति करते हंै|……………………………………………..
इतत शुभम ,शभु मगॊ ऱम |

सऩॊ ादक,
ऻानने ्र कु मार शुतऱ (स्नातकोत्ततर मशऺक - र्हदॊ ी )
आदेश कु मार (स्नातक मशऺक-ऩुस्तकाऱय िभारी )







हिन्दी विभाग

क्रम ंका कृ ति क न म अनकु ्रमणिका कक्ष / पद
1 ह स्य बोध स्न िकोत्तर तक्षक्षक
2 स्वच्छ भ रि अतभय न कृ तिक र क न म कक्ष –ग्य रहवी
3 नन्द्ह ददय ज्ञ नेन्द्र कु म र शुक्ल कक्ष –ब रहवीं
तिय य दव,(पूवव छ त्र )-
4 कै से मांज़र स मने आने लगे हैं तनदकि कक्ष – नवी
कक्ष -ब रहवीं
5 तशक्षक सकीर्ति, (स्न िक तशतक्षक , स म ॰ तवज्ञ न)
6 तगरिे नतै िक मूल्य और जीवन कक्ष - ब रहवीं
7 बस्िे क बढ़ि बोझ –फीचर सखु र जदीप ससह,
हे ईश्वर श्रीमिी र जवंिा कौर कक्ष - नवीं
8 अच्छी ब िें परनीि कौर कक्ष -आठवीं
9 तिय नील तगरर कक्ष –ब रहवीं
10 अददति ठ कु र
ल डली बरे िय ँा रोशनिीि, कक्ष –स िवीं
11 तनदकि कक्ष -आठवीं
हसंा गुल्ले कक्ष – स िवीं
12 हसां गलु ्ले स्म इली कक्ष - स िवीं
13 कक्ष - नवीं
हसां गलु ्ले रवीन्द्र ससह, कक्ष -आठवीं
14 पहते लय ाँ सपन ज ि कक्ष -आठवीं
15 पहते लय ाँ कक्ष -दसवीं
16 पहते लय ाँ ििीक्ष कक्ष – स िवीं
17 कबीर की स तखय ाँ तवपलु ससह,
18 आदशव तवद्य र्थी रोशनिीि कौर कक्ष – स िवीं
19 अशविीि कौर कक्ष - आठवीं
तवद्य धन सबसे सवशव ्रेष्ठ अमन कु म र कक्ष – स िवीं
20 िदमु ्न कु म र,
पेड़ लग ओ कक्ष –आठवीं
21 प नी िदमु ्न कु म र, ,ितश॰ स्न ॰ अध्य पक तहन्द्दी
22 कक्ष - छठी
लडदकय ाँ दकरणदीप कौर कक्ष – दसवी ँा
23 नवनीि कौर,
ईम नद री
24 पेड़ कु सुम र्थ प
25 प नी है अनमोल
26 सरजीि ससह
र जसवदर कौर
तवनय कु म र

नन्िी कलम

1 स्वच्छ भ रि स क्षी मर वी कक्ष – चौर्थी
2 तहन्द्दी है हम री पहच न महक कक्ष – चौर्थी
3 च च नेहरु तिमलिीि कौर कक्ष – चौर्थी
4 शैतक्षक व्यवस य महक कक्ष – चौर्थी
5 गड़बड़ घोि ल कोमलदीप कौर कक्ष –िीसरी

हास्म फोध ऻानेन्द्र कु भाय शुक्र
स्नातकोत्तय शशऺक –हहदॊ ी

बायतीम साभजजक चते ना को जीवन की गम्बीयता से फेहद रगाव है | बायतीम साहहत्म इसी

प्रकाय सहदमों से एक गाम्बीमय भें शरऩटा हुआ चरा आ यहा है | क्मा हभ सचभचु सहदमों से ऋषषमों

–भनु नमों की ऩयम्ऩया भंे चरते हुए जीवन-भतृ ्मु के यहस्म को हर कयने भें रगे हुए हंै? व्मास,

वाल्भीकक, काशरदास, बायषव, भाघ, फाण बट्ट से रेकय अनेकानके भहान कषवमों ने हास्मफोध को

इतना अनदेखा क्मों ककमा, सभझ से ऩये है | काशरदास का षवयही मऺ अऩने षप्रम के षवमोग से

ऩीड़ित भेघ को ही अऩना दतू फना रेता है, काश वह आज के कथथत षवदग्ध प्रेशभमों की ऩीिा को देख ऩाता तो

उसकी ऐसी गनत नहीॊ होती ?

करा औय सॊगीत भंे बी श्रॊगाय औय करुण को ही प्रभुखता शभरी | हास्म तो नाटक का वह ऩयदा फन कय यह गमा
जजस ऩय सदुॊ य फगीचे के थचत्र फने होते है | औय जो साभने की ओय झूरता हुआ दशयको को थचढाता यहता है | याजा
शूरक की भहान नाट्म यचना ‘भचृ ्छकहटकभ’ भंे शवशरकय जैसा ऩात्र इस कभी को ऩूया कयता हुआ हदखता है | याजा
शामद हॊसोि प्रवजृ त्त का यहा होगा | इसीशरए उसने बीतय की हॉसी को इस ऩात्र के भाध्मभ से व्मक्त कय हदमा |
भदननका को ऩाने की अशबराषा शवशरकय को चोय फना देती है वह जआु बी खरे ता है | नाटक भंे मह साये प्रसगॊ
हास्म उत्ऩन्द्न कयने के शरए ही गढ़े गए हैं | भहाकाव्मो भंे षवदषू क छोटे –भोटे प्रहसन जरुय उत्ऩन्द्न कयते है ऩय
कथानक का बाय उस ऺीण हास्म को सभाप्त कय देता है | याभ के ऩैयो के स्ऩशय से थचत्रकू ट के साये ऩत्थय सॊुदय
जस्त्रमों भें फदर जाएॊगे, मह सोच कय ऋषष-भुनन प्रसन्द्न है | कषवतावरी भें तुरसीदास जी ने “होहे शसरा सफ
चन्द्रभखु ी” कहकय हास्म की ऺीण-सी भसु कान बफखये ी है | अऩने षवरऩू भें के शवदास ने बी के शव-चजन्द्रका भें अॊगद
–यावण सवॊ ाद को इसी फहाने प्रस्ततु ककमा है ऩय वह सहज स्वाबाषवक न होकय प्रनतकरियमा स्वूपऩ है |

नए ऩुयाने कषवमों ,रेखको कराकायों की चचाय को महद सहज हास्म फोध से जोिकय देखा जाए तो हास्म का करेवय
साहहजत्मक ऩुट शरए दीखता जरुय है | शसनेभा भें हास्म फोध को कापी जगह शभर जाती है | कथानक के प्रवाह भें
इसे जोिना बी आसान होता है | भुकयी,भहभूद ,जानीवाकय, जानी रीवय तथा अन्द्म कई कराकाय फिे ऩदे ऩय अऩनी
उऩजस्थनत से दशयको को हॊसाते यहे है | याजकऩयू ,हदरीऩकु भाय , शम्भी कऩूय , देवानदॊ अशभताब फच्चन आहद
कराकायों ने सुनहरे ऩदे ऩय सहज हास्म को प्रस्तुत ककमा है |

भॊचीम कषवमों ने बी श्रोताओॊ के साभने हास्म का तडका रगामा है,काका हाथयसी, हरयशॊकय ऩयसाई, ,सुयेन्द्र शभाय
,ओभ व्मास ,अशोक चरियधय ने भॊच के भाध्मभ से आभ आदभी की ऩीिा को स्वय हदमा है औय प्रगल्ब तॊत्र ऩय
चोट की है | चारी चजै प्रन को हास्म की दनु नमा का अशबनम सम्राट भाना जाता है | चारी की अथधकाशॉ कपल्भे
बाषा का सहाया नहीॊ रेती इसशरए भानवीम सवॊ दे न शीरता को उस तक ऩहुॊचना जूपयी होता है | रेककन चारी की
कपल्भो भंे करुण औय हास्म की एक साथ प्रस्ततु ी दशयक को स्वमॊ से जोि देने का काभ कय जाती है | औय दशकय
स्वमॊ को चारी भान रेता है औय दृश्म षवधान भंे सहज हास्म की उत्ऩजत्त हो जाती है | रेककन कु र शभरा कय इसे
हास्म फोध नहीॊ भाना जा सकता| चुटकु रे औय व्मॊग्म फहुधा दसू यो ऩय ही होते है | कशभमाॉ, असपरताएॊ, ऩयाबव
आहद इनके षवषम होते हंै | अऩने से शजक्तशारी मा कभजोय की कशभमों को उजागय कय सॊतषु ्ट होने की बावना

1

आहदभ है रेककन इसे हास्म फोध नही कहा जा सकता | वास्तव भें हास्म को जीवन से अरग कयके नहीॊ देखा जा
सकता |
हास्म -फोध का अथय है खदु ऩय हॊसना - अऩनी हय कभी, हय असपरता ,हय ऩयाबव ,ठगे जाने की ऩीिा ,भुहिमाॉ
बीच कय रियोध को ऩी जाने की नऩसु ॊक कोशशश ,ऩय ठहाके रगाने की कोशशश वास्तषवक हास्म- फोध है इसे ही
सेन्द्स आप ह्मूभय कहा जाता है | हभ सबी ककतने ही फुषिभान,प्रनतबा-सम्ऩन्द्न, शजक्तशारी क्मों न हो जजन्द्दगी के
ककसी न ककसी अवसय ऩय हभ भात खा ही जाते है | उन ऩरों भें स्वमॊ ऩय खुर कय हॊसना वास्तषवक हास्म -फोध
है | अचानक कबी-कबी जफ हभे ऐसी घटनाओॊ प्रसॊगो का स्भयण हो आता है ,हभ अऩनी हॉसी योक ही नही ऩाते |
हास्म के सबी कृ बत्रभ फन्द्धनों से भकु ्त होकय स्वमॊ के ऊऩय हॊसते यहना ही हास्म- फोध है | हॊसोि षवधाता शामद
हय ऩर हभे मह फताने का प्रमास कयता यहता है कक ऩानी के फरु फुरे! इस पानी दनु नमा भें अऩने आऩ को चतुय-
सुजान सभझने की हहभाकत क्मों कयते हो? तफ इस सभाचाय को इस काटूयन के साथ देखखए औय ऩहढए – (आबाय
सहहत- दैननक बास्कय)

2

प्रिमा मादव,(ऩवू व छात्रा)-कऺा -11
स्वच्छ बायत अशबमान
इॊडडमा जो कक बायत है, इसे एक िाचीन सभ्मता का देश कहते है I महाॉ
प्रवबन्न िकाय के धार्भकव रोग यहते है I अबी हार भें आई नमी सयकाय
सत्ता भें आते ही इसका भखु ्म िाथर्भकता बायत को स्वच्छ कयने भें है
I इस अर्बमान का नाभ ऩड़ा है, “स्वच्छ बायत अर्बमान” एक कदभ
स्वच्छता की ओय | इस अर्बमान को हभने याष्ट्रप्रऩता भहात्भा गाधॊ ी से
जोड़ा है | 2 अक्टू फय 2014 को भहात्भा गाॊधी जी के जन्भ-ददवस ऩय ऩयू े
याष्ट्र के रोगो ने स्वच्छ बायत का िण र्रमा | देश के गणभान्म
व्मक्क्तमेआ ने इस कामकव ्रभ को जन-जन से जोड़ने के र्रए स्वमॊ को आगे
ककमा औय इन िकाय ऩयू ा देश इस भहान अर्बमान से जड़ु गमा |देश के
जन-जन को इस भहान अर्बमान से जोड़े बफना मह स्वप्न ऩयू ा नहीॊ ककमा
जा सकता |भहत्वऩणू व फात मह है की स्वच्छता के वर व्मक्क्तगत,
ऩारयवारयक, साभाक्जक सयोकाय का प्रवषम ही नहीॊ फक्कक स्वस््म औय
आर्थकव दशाओॊ से बी जड़ु ा हुआ है भहत्वऩणू व प्रवषम है | आर्थकव रूऩ से
कभजोय याष्ट्र का आर्थकव ढाॉचा मदद स्वास््म सेवाओॊ ऩय फहुत व्मम कयता है औय इसका कायण
अस्वच्छता से जड़ु ा हो तो मह र्चतॊ ा का प्रवषम है | बायतीम साभाक्जक जीवन भंे स्वच्छता व्मक्क्तगत
स्तय ऩय तो स्वीकामव है ऩय दबु ागव ्म से मह कबी साभाक्जक र्चतॊ ा का प्रवषम नहीॊ फन सका औय हभने
एक भहान याष्ट्र को अनजाने ही एक प्रवशार कू ड़े के ढेय भे ऩरयवर्ततव कय ददमा | मह िवकृ ्त्त याष्ट्र के
र्रए आत्भ-घाती कदभ के रूऩ भंे स्ऩष्ट्ट ददखाई ऩड़ने रगा | र्चतॊ ा की फात तो मह थी की हभ प्रवश्व
सभदु ाम के सम्भखु कबी इसे रेकय रक्जजत बी नहीॊ हुए | मही कायण है कक अफ जफ हभ स्वमॊ को
प्रवश्व यॊग-भचॊ ऩय एक शक्क्तशारी याष्ट्र के रूऩ भंे स्थाप्रऩत कयना चाहते है तो मह आवश्मक हो जाता है
कक हभ ित्मके स्तय ऩय स्वच्छता को याक्ष्ट्रम र्भशन के रूऩ भें िामोक्जत कयें औय मह तबी सबॊ व है कक
सबी िकाय के दयु ाग्रहेआ औय िचाय की बखू से स्वमॊ को दयू यखकय स्वच्छ बायत अर्बमान को सकॊ कऩफद्ध
होकय ऩयू ा कये | औय मह िण रे कक हभ न तो गदॊ गी पै राएगॉ े औय न ही ककसी को पै राने देंगे | हभ
दसू येआ को बी इस फात के र्रए िेरयत कयेंगे कक वे बी ऐसा ही कयंे | हभ ित्मके स्तय ऩय घय-भोहकर,े
स्कू र, कर-कायखान,े ऑकपस, फाज़ाय मा सावजव र्नक-स्थरेआ ऩय मथा येरव-े स्टेशन, फस-स्टेशन, एमयऩोटव
मा दसू यी जगहेआ को ऩयू ी तयह स्वच्छ यखने भंे स्वच्छता अर्बमान भें रगी एजंेर्समेआ को अऩना बयऩयू
सहमोग देंगे | ऐसा कयके ही हभ एक कदभ स्वच्छता की ओय फढ़ाकय याष्ट्रप्रऩता भहात्भा गाॊधी जी के
द्वाया देखे गए स्वप्न को वास्तप्रवकता भें ऩरयवर्ततव कयके उन्हंे अऩनी सच्ची श्रद्धाॊजर्र अप्रऩतव कय सकते
है |

3

ननककता, कऺा –फायहवीॊ

नन्द्हा हदमा

अनवयत भजन्द्दयों भंे भै जरता यहा,
तजे रों को शरए भै भचरता यहा,
ददय को साथ रे भै षऩघरता यहा,

एक ऐसा तडऩता हदमा भै यहा,
यौशनी दे अन्द्धेया ननगरता यहा |
स्वप्न के ऩावॉ सीधे फनाता यहा,
जजन्द्दगी भौत के ऩास राता यहा,
हाथ ही हाथ से भै कपसरता यहा,
ऩीय बय कय ऩयाई सरु गता यहा,
नीय बय कय नमन भंे तऩिता यहा,
उम्र सायी ननशा सगॊ रुटता यहा,
प्रात होते अबागा भै फझु ता यहा,
आयती फन कबी देवता की जरा,
हय सभम हय कहीॊ ऩय गमा भैं छरा,
आॊथधमो भें सदा साथ भंै ही जरा,
भै हदमा हूॉ सदा आॊसओु ॊ भंे ऩरा,

4

सकीनत,य कऺा– नवी (सकॊ शरत)

कै से भॊज़य साभने आने रगे हैं

कै से भॊज़य साभने आने रगे हंै
गात-े गाते रोग थचल्राने रगे हैं
अफ तो इस ताराफ का ऩानी फदर दो
मे कॉ वर के पू र कु म्हराने रगे हंै
वो सरीफों के ़यीफ आए तो हभको
़ामदे-़ानून सभझाने रगे हंै
एक ़बिस्तान भें घय शभर यहा है
जजसभें तहऽानों भंे तहऽाने रगे हंै
भछशरमों भें खरफरी है अफ सफीने
उस तयफ जाने से ़तयाने रगे हंै
भौरवी से डाॉट खा कय अहरे-भ़तफ
कपय उसी आमत को दोहयाने रगे हैं
अफ नई तहज़ीफ के ऩेशे-नज़य हभ
आदभी को बूर कय खाने रगे हंै

5

सखु याजदीऩ र्सहॊ , कऺा 12

शशऺक
भाताएॉ देती नव जीवन,
प्रऩता सयु ऺा कयते ह।ेऄ
रके कन सच्ची भानवता,
र्शऺक जीवन भें बयते हऄे।
सत्म, न्माम के ऩथ ऩय चरना,
र्शऺक हभें फताते ह।ऄे
जीवन सघॊ षो से रड़ना,
र्शऺक हभंे र्सखाते है।
ऻान दीऩ की जमोर्त जराकय,
भन आरोककत कयते ह।ऄे
प्रवद्मा का धन देकय र्शऺक,
जीवन सखु से बयते ह।ऄे
र्शऺक ईश्वय से फढ़कय ह,ऄे
मह कफीय फतराते ह।ेऄ
क्मेआकक र्शऺक ही बक्तेआ को,
ईश्वय तक ऩहुॉचातंे है।
जीवन भे कु छ ऩाना है तो,
र्शऺक का सम्भान कयो।
शीश झकु ाकय श्रद्धा से तभु ,
फच्चेआ उन्हे िणाभ कयेआ।

6

श्रीभती याजवॊत कौय
(स्नातक र्शक्षऺका, साभाक्जक प्रवऻान)

थगयते नैनतक भूल्म औय जीवन

“नैनतक भूल्म” होता क्मा है ? सवपय ्रथभ मह जानना अननवामय है | इसका स्वूपऩ क्मा है एव्न इनका भहत्व क्मा है
? मह बी जानना जूपयी है | नैनतक भूल्म को अॊग्रेजी भेन “ Moral Values” कहा जाता है | Moral शब्द
“Moues” से फना है | जजसका अथय है “ Conduct of good behaviour habit” अथातय एक अच्छे आचयण एवॊ
आदतों का सगॊ ्रह |

ननै तक भलू ्मों का हभाये सम्ऩणू य जीवन भेन सफसे ज्मादा भहत्व है | नैनतक भूल्मों के बफना ककसी के
जीवन का सम्ऩूणय षवकास नहीॊ हो सकता | इन भहत्वऩूणय भलू ्मों के आगे व्मजक्त के साये भलू ्म एवॊ गणु पीके ऩि
जाते हैं | ननै तक भलू ्म हभाये जीवन के वो सॊस्काय हैं जजनसे हभाया, सभाज, देश एवॊ याष्र की सभषृ ि होती है |
ऐसा कई षवद्वानों ने कहा है जो शत – प्रनतशत सही है | जसै े कक गूु प नानक देव जी, स्वाभी षववेकानॊद, दमानॊद
सयस्वती, गाधॊ ी जी आहद सफ ने ननै तकता को ही भहान गुण फतामा है |

ननै तक भूल्म तो एक “Light House” की तयह होते हंै जो भूरी जीवन एवॊ सभाज का हदशा – ननदेश
कयाते हैं तो महद एक बी व्मजक्त भेन ननै तक – भलू ्मों का षवकास होगा तो मह स्वाबाषवक है की सभाज औय देश
का बी षवकास होगा क्मोंकक भूल्मों से ही सभाज औय देश है |

हभाये वातावयण भेन ननै तक भलू ्मों के थगयने के कई कायण हैं जसै े की उदाहयण के शरए बौनतकता औय
ननै तकता भेन असॊतरु न |

व्मजक्त इतना स्वाथऩय यक, रोबी हो गमा है की वह ननयॊतय ऩैसे के ऩीछे बाग यहा है चाहे इसके शरए गरत
साधन हे क्मों न अऩनाने ऩिंे | इस स्वाथय के अधॊ ऩे न भें वह मह नहीॊ देखता कक सभाज, ऩरयवाय मा देश को कोई
हानी ऩहुॉच यही है |

इन सफ थगयते ननै तक भूरी औय जीवन के ऊऩय चचाय कयाते हुए हभें इसका ननष्कषय मही ननकारना
चाहहए कक ननै तक शशऺा को हय स्कू र कारेज भें अननवायी षवषम कय देना चाहहए | सभाज, देश का ऩुन: षवकास
कयना सबॊ व है महद हभ प्रमत्न कयें | कोई बी कायी हो सकता हहम महद हभभंे उसे कयने का ननश्चम हो | नैनतक
भलू ्मों को स्थाषऩत कयना कापी जूपयी हो गमा है | कहा बी गमा है – ‘जसै े बफना आत्भा के शयीय होता है वसै े ही
बफना ननै तक भलू ्मों के सभाज औय देश अधूये हैं |’

“ कौन कहता है कक आसभान भंे छे द नहीॊ होता है, तुभ तफीमत से एक ऩत्थय तो भायो मायों |”

अथायत महद हभ कोशशश कयें तो हभ थगयते ननै तक भलू ्मों को ऊऩय उठा सकते हैं |

7

ऩयनीत कौय, कऺा- फायहवीॊ

फस्ते का फढ़ता फोझ –पीचय

उम्र ऩाॉच सार | ऩढने के र्रए प्रवषम छ:औय ककताफे दस ....|र्रखने के र्रए फीस कापॊ ्रऩमाॊ | फेचाया फच्चा
उनका फोझ उठाते उठाते यीढ़ बी सीधी नहीॊ कय सकता | आज की र्शऺाफच्चो ि ककताफो क इतना फोझ राड देती
है कक वह खेर औय भनोयॊजन के दो अन्म सॊुदय औय उऩमोगी ऩहरुओॊ को ही बूर जाता है \ स्कू र हो मा भाता
प्रऩता फच्चे क ऩढाई को ही सवारव ्धक भहत्त्व देते हेऄ | इसर्रए तो चौफीस घॊटे की ददनचमाव भंे एक बी र्भनट
ककताफ से हटने की इजाजत ही नही है | मदद न्रा औय दैर्नक जीवन की दसू यी नैसर्गकव कक्रमाएॊ न होती तो शामद
डीएभ रेने की पु यसत ए ककताफंे नहीॊ देती |ऩारक अऩने फच्चेआ का शामद इसर्रए थोड़ा ध्मान यखते है कक वह
थोड़ा त्रोत्जा हो रे | सच खनू तो ब्व्व्च्चे ऩय फसते का फोझ उसके तन ही नहीॊ भन ऩय बी बायी ऩड़ने रगता है |
जसै े क्जसे ऻान का बॊडाय फढ़ यहा है वसै े वसै े प्रवद्मार्थमव ेआ के साभने नई चुनौर्तमाॊ बी आ यही हेऄ | उनके साभने
अनके ऩयॊऩयागत प्रवषम हऄे | दहदॊ ी औय अॊग्रेजी बाषाएॉ हऄे गणणत है प्रवऻान है साभाक्जक प्रवऻान है इसी के साथ जड़ु
गमा है कम्प्मटू य बी | बी प्रवषम अर्नवामव हेऄ | इस ऻान का प्रवस्पोट इतना जफयदस्त है कक फच्चो को इसे ग्रहण
कयने के र्रए अऩनी शत िर्तशत ऊजाव रगा देनी ऩडती है | फेचाये फच्चे अऩने फचऩन की सायी खरु ्शमाॉ रुटाकय
इसे ऩाने के र्रए तत्ऩय है | फच्चो की ककऩना ,करात्भकता ,यचना कोशर उनके र्नज के जीवन के र्रए कहीॊ कोई
जगह ही नही फचती है |
ऻान औय ऩुस्तकीम ऻान भंे फड़ा अॊतय है | ऻान भंे सीखने की कक्रमा रूर्च से जडु ी है | जफकक ऩुस्तकीम ऻान
तोता यटॊत ही है क्जसका जीवन भंे ककतना भहत्त्व है मह अरग ही शोध क प्रवषम है | फच्चो के र्रए तो खेर ही
खेर भंे साये प्रवषम हेआ गणणत की गणना खरे भंे ,इर्तहास चरर्चत्र भें प्रवऻान दृश्म श्रव्म भंे दहदॊ ी अगॊ ्रीजी गीतेआ भें
इस तयह प्रऩयोए जाएॊ की फच्चो को भज़ा आ जाए | औय वे जो सीखे वे कबी बी बूर ही न ऩाएॊ सार्भक्जक प्रवऻान
ऩहेरी हो क्जऻासा हो औय इन सफके साथ कोभर रृदम वारे भेधा सम्ऩन्न अध्माऩक हेआ | उत्तभ ऩरयवेश के साथ
सबी भरू बूत सपु ्रवधाओॊ के साथ उत्तभ र्शऺण साभग्री से मकु ्त व्द्मारी हेआ तो कहना ही क्मा सचभुच भना आ
जाए .....|

8

अददर्त ठाकु य, कऺा- नवीॊ

हे ईश्वय

हे प्रबो ! हभ ननफरय हंै
हभे सफर फना

हे ऩयभेश्वय! हभ अऻानी हैं
हभें ऻानवान फना |
हे नाथ! हभ दरयर हंै
हभें सम्ऩन्द्न फना |

हे ऩयभात्भन ! हभे चैतन्द्म से अनपु ्राखणत कय
हे स्वाशभन!हभ भूतभय ान दीनता है ,
अऩने सभान हभे भहहभाभम फना |
तये ी कोय कृ ऩा से हभ जगभगाते हुए
नऺत्र फन जाएॊगे |
महद नहीॊ शभरी तये ी कृ ऩा

तो हभ शभट्टी से बी अधभ हो जाएॊगे |
हे नाथ! हभे शजक्त प्रदान कय ,
हे ईश्वय! हभंे हभ को जीतने औय

वासनाओॊ को वश भंे कयने भंे सभथय फना |
हे नाथ!इस बौनतक रोक के फधॊ नों से हभे भुक्त कय |

9

योशनिीत, कऺा 8

अच्छी फातंे
भकु ्श्करे हभें कदभ-कदभ ऩय आजभाती हऄे ,

जीवन के स्वप्नेआ ऩय से ऩदाव हटाती हऄे |
कबी बी र्गयकय हौंसरा भत छोड़ो भये े सार्थमेआ ,

भकु ्श्करंे हय इॊसान को चरना र्सखाती हऄे ।
हाय तो कोई बी सीख सकता है ,
जया जीत के तो देखो।
आसभाॊ भंे असखॊ ्म र्सताये है ,
ककसी को छू कय ददखाओ |

भकु ्श्करेआ की हॊसकय प्रवदाई कयना सीखो ,
रक्ष्म ऩाने के र्रमे

हय कड़ी भेहनत कयना सीखो।
हय भक्न्जर तमु ्हायी होगी ,
कोई नके काभ कयके देखो |

र्भरता है फहुत सकु ू न ,
भाॉ-फाऩ का नाभ योशन कयके देखो।

10

र्नककता, कऺा –फायहवीॊ स्भाइरी,कऺा –सातवीॊ

षप्रम नीर थगरय राडरी फेहटमाॉ

चायेआ तयप पै री हरयमारी फेदटमाॉ सफके नसीफ भें कहाॊ होती है?
नीरर्गरय को सबी कहते ऩहाड़ की यानी | यफ को जो घय ऩसॊद आए वहाॊ होती हऄे |

कर कर फहते झयनेआ भें फहता फोए जाते हऄे फेटे ,
अभतृ ऩानी .....| ऩय उग जाती हेऄ फेदटमाॉ ,

गभी आती ,सदी राती खाद – ऩानी फेटेआ को
फऺृ पर पू र से बय जाते ऩय रहयाती हेऄ फेदटमाॊ ,
दक्षऺण का है मह ताज ....|
ताज़ी सब्व्जी ,हयी चाम , स्कू र जाते हऄे फेटे
ऩय ऩढ़ जाती हेऄ फेदटमाॉ
रम्फे ऩेड़, छोटे शये भेहनत कयते हेऄ फेटे ऩय ,
चीतर ,साबॊ य औय रगॊ यू अव्वर आती ही फेदटमाॉ
जॊगर के चटकीरे पू र |
बाते नही भनजु को ए सफ रुराते हेऄ जफ फटे ,
तबी तो रामा रोहा रक्कड़ तफ हॉसाती हऄे फेदटमाॉ ,
नाभ कये न कये फेटे ,
नगयी एक फसामा ऩय नाभ कभाती हऄे फेदटमाॉ |
जगॊ र कटे ऩहाड़ है नगॊ े छोड़ जाते हऄे जफ फेटे
वाहन फढ़े ,फढ़ी है बीड़ तोकॊ आती है फेदटमाॉ
हाम१नीरर्गरय तये ी ददु वशा हजायेआ पयभाइश से बये है फेटे
अहो,क्मा कहूॉ शब्व्देआ से है ऩये .....| सभम की नजाकत को

सभझती हेऄ फेदटमाॉ |

11

यवीन्द्र शसहॊ ,कऺा-आठवीॊ
प्मायी भाॊ .....
भा-ॊ (गसु ्सेसे) –इतनी यात फाहय कहाॊ था ?
नारामक फेटा- कफल्भ देखने गमा था |
भाॉ –कौन- सी
फेटा –प्मायी भाॊ
भाॊ –अदॊ य जा तये े ऩाऩा तये ी यह देख यहे है | वे तुझे एक्शन
कफल्भ हदखाएॊगे –जाशरभ फाऩ |

सऩना जाट,कऺा – सातवीॊ

1. ऩाऩा फच्चे से – फेटे हभंे हभेशा भन रगाकय ऩढ़ना चाहहए |
फच्चा षऩता से – रेककन आऩ तो हभेशा चश्भा रगाकय ऩढ़ते हंै |
2. तीन दोस्त फस भें फातंे कय यहे थे | एक दोस्त फोरता है कक भंै
हदल्री का कयोिऩनत हूॉ | दसू या कहता है कक भैं गुजयात का रखऩनत
हूॉ | तीसया कहता है कक भैं अऩनी ऩत्नी का ऩनत हूॉ |

12

प्रतीऺा, कऺा - सातवीॊ
1 दटकॊ ू - ( फुद्धू से ) – फुद्ध,ू ककसी चीज का कन्फा – सा नाभ फताओ |
फुद्धू – यफड़ |
दटकॊ ू – मह तो फहुत छोटा है |
फुद्धू – रेककन इसे खीॊचकय कहो |
2 एक फच्चे ने अऩने दोस्त से ऩछू ा – क्मा तुभ चीनी बाषा ऩढ़ सकते हो ?
दोस्त ने कहा – हाॉ, अगय वह दहन्दी मा अगॊ ्रेजी भें हो तो |
3 येर के डडब्व्फे भंे र्चटॊ ू की भाॊ ने र्चटॊ ू से कहा – चऩु चाऩ फैठे यहो | शयायत
की तो भारूॉ गी |

र्चटॊ ू – अगय आऩने भझु े भाया तो भेऄ दटकट चकै य को भऄे अऩनी उम्र फता

दॊगू ा |

4. छोटा फच्चा रयसकट रेकय आमा औय अऩने ऩाऩा से फोरा – ऩाऩा आऩ

फहुत की सभाअत वारे हऄे |
प्रऩता – वह कै से फेटे ?
फच्चा – क्मेआकक भेऄ पे र हो गमा हूॉ | आऩको भये े र्रए नई ककताफंे नहीॊ
खयीदनी ऩड़गे ी |

13

ऩहेशरमाॉ अशपय ्रीत कौय, कऺा-8

षवऩुर शसहॊ ,कऺा- 9 भेऄ हयी भेये फच्चे कारे
धऩू देख भै आ जाऊॉ
छावॉ देखकय शभावऊॉ भुझे छोड़ फच्चो को खा रें।
जफ बी आमे हवा का झोका
साथ उसी के उड़ जाऊॉ ।। (इरामची)

(ऩसीना) चोय नही डाकू नही
एक याजा की अनठू ी यानी
दभु के सहाये ऩीती ऩानी नही कहीॊ की यानी

(ददमा-फाती) फत्तीस र्सऩाही घेये यखती
कान ऐठॊ ने ऩय ऩानी देता,
तन-भन, ऩानी-ऩानी।
सफके घय भें यहता है।
सदी गभी मा हो फारयश (जीब)

योज ठॊ डक सहता है। देखो जादगू य का कभार
(नर)
डारे हया र्नकरे रार।
योशनिीत कौय – VIII
(ऩान)
एक अनोखा भटका क्जसे घय राकय ऩटका ।
कु छ को खामा, कु छ को पंे का, भटके के अगय नाक भंे चढ़ जाऊॉ
ऩानी को बी गटका ।
कान ऩकड़कय तमु ्हे ऩढ़ाऊॉ ।
नारयमर
कद कॆ छोटे, कभव से हीन। (चश्भा)
फीन फजाने के शौकीन ॥
ऩयै नहीॊ ऩय चरती हूॉ
भच्छय कबी ना याह फदरती हूॉ
ददन भें सोए, यात भें योए । नाऩ-नाऩ कय चरती हूॉ
क्जतना योए, उतना खोए ॥ तो बी घय भंे टॊगती हूॉ।

भोभफत्ती (घड़ी)
है फजती ऩय घटॊ ी नही,ॊ
दफु री – ऩतरी ऩय छडी नही,ॊ कारी हूॉ करूटी हूॉ
सासॉ बये हऄे, ऩय इॊसान नहीॊ। हरवा ऩूड़ी णखराती हूॉ।

फासॊ ुयी (कड़ाही)
एक थार भोर्तमेआ से बया,
सफके र्सय ऩय उकटा धया । बफन फरु ाए आए
र्सय के साथ थार बी कपये,
भोती उससे एक ना र्गये ॥ चभक बफखेयकय चरा जामे।

आसभान (समू )व
एक िश्न – ऐसा कौन – सा वाक्म है, जो
खुश को दखु ी औय दखु ी को खुश कये ? आऩ न सभझे भै न जानॉू

मह सभम फीत जाएगा । भतरफ फताओ तो भानॉू।

(ऩहेरी)

ददन भे सोए यात को योमे

क्जतना योमे उतना खोमे।

(भोभफत्ती)

14

अभन कु भाय, कऺा 10 (सॊकर्रत)
कफीय की साखखमाॉ
भानसयोवय सफु य जर , हॊसा के र्र कयादह l
भकु ्तापर भकु ्ता चगु े, अफ उडड़ अनत न जादह ll
िेभी ढूॊढत भे कपयेआ, िभे ी र्भरई न कोई l
िभे ी को िभे ी र्भरे, सफ प्रवष अभतृ होई l
हस्ती चदढ़ए ऻान को,सहज दरु ीचा डारय l
स्वान रूऩ ससॊ ाय है, बॉकू न दे झख भारय ll
ऩखा ऩखी के कायन,े सफ जग यहा बरु ानl
र्नयऩख होए के हरय बजै, सोई सतॊ सजु ानll
दहन्दू भआु याभ कदह, भसु रभान खदु ाइ|
कहे कफीय ते जीप्रवता, जे दहु ूॉ के र्नकदट न जाइ ll

15

िदमु ्न कु भाय, कऺा – सातवीॊ

आदशय षवद्माथी
प्रवद्मा अध्ममन कयने वारे सबी प्रवद्माथी कहराते हेऄ | प्रवद्माथी के र्रए आवश्मक सबी
गणु ेआ को अऩनाने वारे को ही आदशव प्रवद्माथी कहा जा सकता है | साभी ऩय सोना, सभम
ऩय जागना, साभी से अऩने साये कायी कयना आदद आदशव प्रवद्माथी के रऺण हेऄ |

आदशव प्रवद्माथी अऩनी र्नमर्भत ददनचमाव ऩरयश्रभ एव्न रगन के कायण सदैव िगर्त

की ओय अग्रसय होता है | आदशव प्रवद्माथी सफको प्रिम होता दहम | वह फड़ेआ का आदय
कयता है |

मदद अऩने बावी जीवन को सुखभम फनाना है तो हभंे बी आदशव प्रवद्माथी के गुणेआ को

अऩनाना चादहए | आदशव प्रवद्माथी के गणु ेआ को अऩनाकय हभ दसू येआ के स्नेह का ऩात्र फन
सकते हऄे | ऻान याशी से मुक्त हो सकते हेऄ |

िदमु ्न कु भाय, कऺा – सातवीॊ
षवद्मा धन सफसे सवशय ्रेष्ठ
ससॊ ाय भें क्जतने बी धन हऄे, उनभें प्रवद्मा का धन सवशव ्रेष्ट्ठ है | प्रवद्माधन िाप्त
हो जाने ऩय भनुष्ट्म अन्म िकाय के सबी धनेआ को िाप्त कय सकता है | दसू ये
धन व्मम कयने से कभ हो जाते हऄे, रेककन प्रवद्माधन को क्जतना ही व्मम
ककमा जाता है उतना ही मह फढ़ता है | भनुष्ट्म जहाॊ बी क्जस क्स्थर्त मा
ऩरयक्स्थर्त भंे यहता है, प्रवद्माधन उसके साथ यहता है |
प्रवद्माधन से सऩॊ न्न प्रवद्वान व्मक्क्त सवतव ्र सम्भान ऩाता है | मह धन ही
हय ऺते ्र भंे सपरता िाप्त कयने की कॊु जी है | प्रवद्माधन सवशव ्रेष्ट्ठ धन है |

16

ककयणदीऩ कौय, कऺा- आठवीॊ

ऩिे रगाओ

दो रगाओ ,चाय रगाओ दस हो मा कपय सकै िा
जजतना ज्य़ादा ऩेि ,उतना ही राब कभाओ |
हरयमारी को जीवन से जोिो
कबी न इससे तभु भॉुह भोिो
धयती हयी -बयी चनू य से ही सजती है |
खेतो की शोबा हरयमारी
धान्द्म औय गेहूॊ की फारी
जीवन को बय देती है
अह; धयती ककतना देती है |
ऩेिो की है शान ननयारी
हभ इनसे हंै ,मे हभसे हैं
इनकी यऺा हभ कयंेगे
कबी ऩेि न कटने दंेगे |

17

नवनीत कौय, कऺा – सातवीॊ

ऩानी (कषवता)

प्मास रगे तो ऩीओ ऩानी,
हाथ धोएॉ तो राओ ऩानी |

ऩौधेआ भें हभ डारे ऩानी,
कु त्ता, बफकरी भागॊ े ऩानी |
ऩानी बफन हभ जी ना ऩाएॉ,
कपय ऩानी को क्मेआ फहाएॉ |

18

कु सुभ थाऩा, कऺा –आठवीॊ

रडककमाॉ

थचड़िमाॉ होती हैं रडककमाॉ
भगय ऩखॊ नहीॊ होते रडककमों के .....|
भामके बी होते हंै ,ससयु ार बी होते हंै
भगय घय नही होते रडककमों के ......|
भामका तो कहता है ,फेहटमाॉ ऩयाई हंै
ससयु ार कहता है मे ,ऩयाए घय से आई हंै

मे खदु ा अफ तू ही फता ,
मे फहे टमाॉ ककस घय के शरए फनाई हैं ?
भये ा आऩसे मह कहना है कक रडकी अऩनी हो

मा ऩयाई , दोनों के अतॊ य को ऩाटे
उनकी हय सपरता की कहानी
फके शरए खशु शमाॉ राती है |

19

सयजीत र्सहॊ , िर्शक्षऺत स्नातक अध्माऩक दहन्दी

ईभानदायी

फचऩन से ही गयीफ रकडहाये की कहानी सनु ते आए हेः कक ककस िकाय नदी ककनाये रकडी काटते हुए
नदी भेँ उसकी कु कहाडी र्गय जाती है औय नदी का देवता उसे ऩहरे सोने की कु कहाडी ददखात़ है, कपय
चादॉ ी की औय अतॊ भेँ उस रकडहाये की कु कहाडी । रकडहाया सोने व चाॉदी की कु कहाडी न रेकय अऩनी
रोहे की कु कहाडी ही रेता है । उसकी ईभानदायी से िसन्न होकय नदी का देवता उसे सोने व चादॉ ी की
कु कहाडी बी दे देता है ।

रेककन आज की क्स्थर्त फदर गई है । ईभानदाय रोगेअ को भखू व सभझा जाने रगा है । मदद कोई
व्मक्क्त उच्च ऩद ऩय आसीन होकय अऩने ऩद व शक्क्त का िमोग कय ककसी गयीफ को नहीँी सताता,
ककसी दणु खमा का खनू नहीीँ चूसता, ककसी राचाय ऩय अत्माचाय नहीीँ कयता, ककसी फेसहाया को नहीीँ
तडऩाता औय फेईभानी नहीीँ कयता है तो रोग उसे ऩागर, भखू व औय न जाने क्मा – क्मा कहते हःे । आज
के मगु भँे फईे भानी को हक सभझा जाने रगा है औय ईभानदायी को फवे कू पी, ऩागरऩन व भखू तव ा ।

रेककन दोस्तेअ क्स्थर्त हभशे ा ऐसी यहनेवारी नहीँी है । सभम फदर यहा है, सभाज फदर यहा,
इॊसान फदर यहा है । हय कोई अऩने अर्धकायेअ के िर्त जागरूक हो यहा है । जफ हय कोई अऩने
अर्धकाय जान जाएगा, तो फेईभान रोगेअ का कोई ठौय – दठकाना नहीँी न यहेगा । हभेँ बी मह सकॊ कऩ
रने ा चादहए कक हभाये काम,व हभाये आचाय – व्मवहाय भेँ, हभायी सोच भेँ ईभानदायी झरकनी चादहए । हभंे
ईभानदाय रोगेअ का सम्भान कयना चादहए । ईभानदाय रोग सभाज औय देश की सफसे फडी ताकत होते हःे
। उनका सम्भान होना चादहए औय सफको उनके फाये भें ऩता चरना चादहए ।

20

याजप्रवदॊ य कौय,कऺा- छठी

ऩेि

रम्फे हेआ मा छोटे ऩड़े
अच्छे सदुॊ य ददखते हऄे
पर सब्व्जी तो देते ही हऄे
हवा साप कय देते है |
जीवन के र्रए आक्सीजन जरूयी है
काफनव वे खीच रेते हऄे |
आभ सॊतया के रा रीची
दाडड़भ कीनू झयफेयी फेय
आरू गोबी भटय टभाटय
फगै न भूरी तयह तयह के पर
औ सब्व्जी ,फड़े प्माय से देते है |
आओ इनको गरे रगाएॊ
प्माय इन्ही ऩय खफू रुटाएॊ |
कबी न काटें कोई ऩड़े

21

प्रवनम कु भायl, कऺा – दसवीँी

ऩानी है अनभोर

ऩानी है अनभोर ये बमै ा, ऩानी है अनभोर ।
इसको ना फके ाय फहाओ, अच्छे से िमोग भने राओ ।
एक फॉदू बी व्मथव ना जाए, ऩीने के मे काभ बी आए ।
जीवन का आधाय है ऩानी, इसके बफना ना कोई कहानी ।
चाहे फच्चा, फढू ा जवान, ऩढा – र्रखा मा हो नादान ।
सफको ऩता हो ऩानी का भोर । ऩानी है अनभोर ।

ऩानी है अनभोर ये बमै ा, ऩानी है अनभोर ।

22

नन्द्ही

करभ

23

साक्षी मरावी , कक्षा – चौथी

स्वच्छ भारत

हम है स्वच्छ भारत की संतान ,

नहीं बनाएगं े भारत को कू ड़ा-दान,

यही है हमारा मान और सम्मान,

रखगंे े साफ़ हमारा भारत महान |

इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना,

रोशनी होगी चचरागों को जलाये रखना |

घर हो या बहर हार जगह को रखेगं े साफ़,

बस यही बात सभी को बताये रखना |

हम है स्वच्छ भारत की सतं ान ,

इस दशे को बनायेगं े चवश्व मंे सबसे महान |

24

महक – कक्षा – चौथी

चहन्दी है हमारी पहचान

चहन्दी है अपनी पहचान , चहन्दी अपने दशे का मान,
चनज भाषा चबन उन्नचत नहीं, नहीं चमलगे ी मौचलकता ,
चहन्दी है अपनी जान , चहन्दी है हमारी पहचान |

चहन्दी रगों मंे दौड़ती ह,ै चहन्दी ही हमे जोडती ह,ै
चहन्दी को अपनायगंे े , चहन्दी से ना शमाया ंगे े ,
चहन्दी से ना होंगे अनजान , चहन्दी है अपनी पहचान |

25

चिमलिीत कौर, कक्षा – चौथी

चाचा नहे रु

टोपी चूड़ीदार पजामा और शरे वानी ,
बच्चों यही है चाचा नहे रु की चनशानी |
पास गलु ाब का फू ल सदा अपने रखते थ,े
िेम बहुत बच्चों से चाचा नेहरु करते थे |
हमें गवा है इतना कक हम है भारवासी ,
आज भी प्यारे बच्चो के है चाचा नहे रु |

सदा कदलों पर करते थे ऐसे राज,
सदुं र लगता नाम जवाहर लाल तमु ्हारा

पंचडत नेहरु भारत के है लाल ,
अहहसा की लाली रग-रग मंे ,
जय-जयकार है नेहरु की सारे जग मंे |

26

शचै क्षक व्यवसाय

हर कोई करता है काम अपना,
कोई बेचता है सामान , कोई बचे ता है ईमान अपना ,

पर ऐसा नहीं है , नहीं है शैचक्षक व्यवसाय अपना |
इसमें तो चसफा दने ा होता है दने ा होता है
बस चवद्या और समय अपना |

अगर हम चाहगें े शचै क्षक व्यवसाय को आगे ले जाना,
तो हम इस दशे के कणाधारों से कहगें े
कक तुम इसे आगे बढाना |

तभी हो पायगे ी हमारे शैचक्षक व्यवसाय में वचृ ि ,
और होगी हमारी व इस दशे की उन्नचत ही उन्नचत |

27

कोमलदीप कौर, कक्षा –तीसरी

गड़बड़ घोटाला

यह कै सा है घोटाला
कक चाबी में है ताला
कमरे के अदं र घर है
और गाय में है गोशाला
दातों के अदं र महुं है
और सब्जी में है थाली
रुई के अदं र तककया
और चाय के अदं र प्याली
टोपी के ऊपर सर है
और कार के ऊपर रस्ता
ऐनक पे लगी है आखँ े
कापी ककताब में बस्ता
मकड़ी मंे भागे जाला
कीचड़ मंे बहता नाला
कु छ भी न समझ मंे आये
यह कै सा है घोटाला।

28

29

ससॊ ्कृ त विभाग:

30

क्रभ कॊ कृ ति: अनकु ्रमणिका कऺ :

कृ तिक य: कऺ - अष्टभ
कऺ - अष्टभ
1 सॊस्कृ ि ब ष की विशषे ि एॉ सहजप्रीि कौय कऺ - दशभ
कऺ - निभ
2 सुब वषि तन कशशश कु ण्डर कऺ - निभ

3 सद च य् हवषिि ऩ ठक

4 सदैि ऩुयिो तनधहे ह चयणभ ् दीवऩक

5 सबु वषि तन दीवऩक

31

सहजप्रीि कौय, कऺ - अष्टभ (सॊकशरि)

ससॊ ्कृ त भाषा की विशेषताएॉ।

(1) सॊस्कृ ि, विश्ि की सफसे ऩयु नी ऩसु ्िक (िेद)
की ब ष है। इसशरमे इसे विश्ि की प्रथभ ब ष
भ नने भंे कहीॊ ककसी सॊशम की सॊब िन नहीॊ
है।

(2) इसकी ससु ्ऩष्ट व्म कयण औय िणभि र की
िऻै तनकि के क यण सिशि ्रेष्ठि बी स्िमॊ शसद्ध है।

(3) सि िधधक भहत्िऩणू ि स हहत्म की धनी होने से इसकी भहत्ि बी तनवििि द है।

(4) इसे देिब ष भ न ज ि है।

(5) ससॊ ्कृ ि के िर स्िविकशसि ब ष नहीॊ फल्कक सॊस्क रयि ब ष बी है अि् इसक
न भ ससॊ ्कृ ि है।

के िर सॊस्कृ ि ही एकभ त्र ऐसी ब ष है ल्जसक न भकयण उसके
फोरने ि रों के न भ ऩय नहीॊ ककम गम है। सॊस्कृ ि को ससॊ ्क रयि कयने ि रे बी
कोई स ध यण ब ष विद् नहीॊ फल्कक भहवषि ऩ णणतन,भहवषि क त्म मन औय मोगश स्त्र
के प्रणेि भहवषि ऩिजॊ शर हैं।

इन िीनों भहवषमि ों ने फडी ही कु शरि से मोग की कक्रम ओॊ को
ब ष भें सभ विष्ट ककम है। मही इस ब ष क यहस्म है।
(6) शब्द-रूऩ - विश्ि की सबी ब ष ओॊ भें एक शब्द क एक म कु छ ही रूऩ होिे
हैं, जफकक ससॊ ्कृ ि भंे प्रत्मेक शब्द के 27 रूऩ होिे हैं।
(7) द्वििचन - सबी ब ष ओॊ भंे एकिचन औय फहुिचन होिे हैं जफकक ससॊ ्कृ ि भंे
द्वििचन अतिरयक्ि होि है।
(8) सल्धध - सॊस्कृ ि ब ष की सफसे भहत्िऩणू ि विशषे ि है सल्धध। ससॊ ्कृ ि भंे जफ
दो अऺय तनकट आिे हैं िो िह ॉ सल्धध होने से स्िरूऩ औय उच्च यण फदर ज ि
है।

32


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