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Published by shamserbahadur500, 2023-05-01 06:40:02

विद्यालय ब्यवस्थापनमा अभिभावक सहभागिता शोधपत्र

सफा रस प ................................................................................................................................5
वीक ृ त प ................................................................................................................................. 6
प र छद एक................................................................................................................................ 7

प रचय........................................................................................................................................7
१.१ अ ययनको पृ ठभू म...................................................................................................................7
१.२ सम याको कथन.......................................................................................................................10
१.३ अ ययनको औ च य..................................................................................................................11
१.४ अ ययनका उ द यह ...............................................................................................................12

१.५ अनुस धाना मक नह ...........................................................................................................13
१.६ अ ययनको प रसीमा.................................................................................................................13
१.७ श दावल को प रभाषा.................................................................................................................13
प र छद दुई...............................................................................................................................14

स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन तथा सै धाि तक ढाँचा.................................................................14
२.१ स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन........................................................................................... 14
२.२ अ ययनको सै धाि तक ढाँचा.....................................................................................................18
२.३.अनुस धानको ला ग पुनरावलोकनको उपादयता........................................................................... 20

प र छद तीन............................................................................................................................. 22

अ ययन व ध............................................................................................................................22
३.१ अनुस धना मक ढाँचा................................................................................................................22
३.२ अ ययनको जनसं या र नमूना छनौट.........................................................................................22
३.३ त यांकका ोतह .....................................................................................................................23

३.४ त यांक संकलनका साधनह ......................................................................................................24
३.४.१ नावल ...............................................................................................................................24
३.४.२ अ तवाता.............................................................................................................................. 24


३.४.३ ल त समूह छलफल..............................................................................................................24
३.५ त यांक संकलन या............................................................................................................. 25
३.६ त यांक व लषण या...........................................................................................................25

प र छद चार..............................................................................................................................26

न तजाको व लषण.....................................................................................................................26

४.१.४ जनसहयोगको यव थापनमा अ भभावक सहभा गता................................................................29
४.१.५ अ त र त याकलाप र अ भभावक दवशमा अ भभावक सहभा गता......................................... 30
४.१.६ अ भभावक भला र यव थापन स म तको गठनमा अ भभावक सहभा गता.................................. 30

४.१.७ नी त नमाण र व यालयको सुप रव णमा अ भभावक सहभा गता............................................ 31


४.२ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताल याएका प रवत नह ........................................ 32

४.२.१ व यालयको शै क तरमा सुधार........................................................................................... 32
४.२.२ व यालयको आ थ क स मतामा बृ ध....................................................................................33
४.२.३ भौ तक अव थाको सुधारमा.....................................................................................................34
४.२.४ नी त नमाण र व यालय सुशासन.......................................................................................... 34

४.२.५ दल य राजनी तक भावमा प रवत न........................................................................................ 35


1





४.३ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह .................................................... 36
४.३.१ दल य राजनी तक भाव..........................................................................................................36
४.३.२ अनुगमन तथा नयमनकार नकायको नि यता.................................................................... 37

४.३.३ अ भभावकको कमजोर आ थ क अव था र चतना तर.................................................................37

४.३.४ सरकारको शै क नी त र कमजोर यव थापन......................................................................... 37
४.३.५ श क अ भभावकबीच कमजोर स ब ध.................................................................................. 38
४.३.६ उ रणामूलक नी त र काय मको योग.................................................................................. 38

४.४ व यालय यव थापनमा अ भभावकको सहभा गता बढाउन उपायह ............................................ 40

४.४.१ दल य राजनी तक भावको अ य........................................................................................... 40
४.४.२ अ भभावकको शै क चतना तरको अ भबृ ध.........................................................................40

४.४.३ अ भभावकको यव थापक य भू मकामा बृ ध......................................................................... 40
४.४.४ अ भभावक प रचालनका नी त तथा कानुनको नमाण................................................................ 41

४.४.५ उ रणामूलक त वको यव थापन.......................................................................................... 41

४.४.६ अ भभावक दवश, व यालय वा ष को सव र छलफल भलाको आयोजना...................................... 41

प र छद पाँच............................................................................................................................. 43

न कष र सुझावह ......................................................................................................................43
५.१ न कष .....................................................................................................................................43
५.२ सुझावह ..................................................................................................................................44
५.२.१ नी तगत तह.......................................................................................................................... 44
५.२.२ काया वयन तह......................................................................................................................45

५.२.३ अनुस धान तह...................................................................................................................... 46

अनुसूची एक.............................................................................................................................47
धाना यापकका ला ग तयार पा रएको नावल ......................................................................... 47
स दभ थसूची........................................................................................................................48







वषयसूची पृ ठ

प र छद एक

प रचय १–१२

१.१ अ ययनको पृ ठभू म १
१.२ सम याको कथन ७

१.३ अ ययनको औ च य ९


१.४ अ ययनका उ द यह ११
१.५ अनुस धना मक नह ११
१.६ अ ययनको प रसीमा ११


2






१.७ श दावल को प रभाषा १२


प र छद दुई
स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन र सै धाि तक ढाँचा १३–२४

२.१ स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन १३

२.२ अ ययनको सै धाि तक ढाँचा २१
२.३ अनुस धानको ला ग पुनरावलोकनको उपादयता २४

प र छद तीन

अ ययन व ध

३.१ अनुस धाना मक ढाँचा २६

३.२ अ ययनको जनसं या र नमूना छनोट २७
३.३ त या कका ोतह २८

३.३।१ ाथ मक ोत

३.३।२ धतीय ोत

३.४ त या क स कलनका साधनह २९
३.५ त या क स कलन या ३०
३.६ त या क व लषण या ३१




प र छद चार
न तजाको व लषण ३२–५७

४.१ वधालय यव थापनमा आ भभावक सहभा गताको वत मान अव था ३२
४.१.१ शै क यव थापनमा अ भभावक सहभा गता ३१
४.१.२ आ थ क यव थापनमा अ भभावक सहभा गता ३४
४.१.३ भौ तक यव थापनमा अ भभावक सहभा गता ३६
४.१.४ जनसहयोगको यव थापनमा अ भभावक सहभा गता ३७
४.१.५ अ त र त याकलाप र अ भभावक दवशमा अ भभावक सहभा गता ३८

४.१.६ अ भभावक भला र यव थापन स म तको गठनको अ भभावक सहभा गता ३९
४.१.७ नी त नमाण र व यालय सुप रव णमा अ भभावक सहभा गता ४०


४.२ व यालय यव थापनमा अ भभावकको सहभा गताल याएको प रवत नह ४३

४.२.१ व यालयको शै क तरमा सुधार ४३
४.२.२ व यालयको आ थ क स मतामा बृ ध ४४

४.२.३ भौ तक अव थाको सुधार ४५
४.२.४ नी त नमाण र व यालय सुशासन ४६

४.२.५ दल य राजनी तक भावमा प रवत न ४७
४.३ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह ४९
४.३.१ दल य राजनी तक भाव ४९


3





४.३.२ अनुगमन तथा नयमनको नकायको नि यता ५०

४.३.३ अ भभावकको कमजोर आ थ क अव था र चतना तर ५०
४.३.४ सरकारको शौ क नी त र कमजोर यव थापन ५१
४.३.५ श क अ भभावकबीच कमजोर स ब ध ५२

४.३.६ उ रणामूलक नी त र काय मको योग ५२

४.४ व यालय यव थापनमा अ भभावकको सहभा गता बढाउन उपायह ५४
४.४.१ दल य राजनी तक भावको अ य ५४

४.४.२ अ भभावकको शै क चतना तरको अ भबृ ध ५५
४.४.३ अ भभावकको यव थापक य भू मकामा बृ ध ५५

४.४.४ अ भभावक प रचालनका नी त तथा कानुनको नमाण ५६

४.४.५ उ रणामूलक त वको यव थापन ५६
४.४.६ अ भभावक दवश, व यालय वा ष को सव र छलफल आयोजना
५७


प र छद पाँच
न कष तथा सुझाबह

५९–६४

५.१ न कष ५९
५.२ सुझावह ६१
५.२.१ नी तगत तह ६१

५.२.२ काया वयन तह ६२
५.२.३ अनुस धान तह ६४
स दभ थ–सूची
अनुसूची






व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता









भुवन व व व यालय श ाशा स काय नातको र तह (एम.एड.)


वतीय वष शै क योजना तथा यव थापन वषयको आं शक


आव यकता पूरा गन तयार पा रएको


शोधप


5






सफा रस प


4

















शो याथ



शमसरबहादुर मगर
या पस रो. न.◌ः ३५८÷०६४


पर ा रो.न.१५०१७२

. व. दता न.◌ः ६१५३—९१









ठाक ु रराम बहमुखी या पस


वरग ज, पसा

२०७०


6








वीक त प


7








प र छद एक

प रचय




१.१ अ ययनको पृ ठभू म


मानव जीवनमा गुणा मक प रवत न याउन जीवनोपयोगी श ा नै गुण तर य श ा हो । य तो श ा नै
आजको आव य ता हो । यसका ला ग व यालयको हरक प को यव थापनमा जोड दन आव यक छ ।



जबस म व यालय यव थापन सु ढ हँदन, तबस म श ामा गुण तर कायम गन स क ँ दन ।

व यालय यव थापनमा सुधार याई गुण तरयु त श ाको वकास गन ब यालयमा उपल ध

आ थ क, भौ तक, शै क, मानवीय ोत साधन एवंं सवा सु वधाह को उ चत यव थापन हनु आव यक


छ । यव थापन भ नु नै यनै क ु राह लाई सं थाको ल य तथा उ द यअनु प अ धकतम उपलि ध

ाि त हन गर सह योग र प रचालन गनु हो ।

व यालयलाई उ चतढ घल संचालन गन यस व यालयमा उपल ध ोत साधनलाई समु चत पमा

प रचालन गर नधा रत ल य ा त गन एक यागत सामु हक यास नै व यालय यव थापन हो ।
यसअ तग त व यालय यव थापन स म त एवं श क अ भभावक संघको गठन, अ भभावक स ब ध,
आ थ क ोत यव थापन, शै क यव थापन, श क यव थापन, भौ तक यब थापन, नयम कानुन
तथा आचार सं हताको प रपालन, जनसहयोग प रचालन, नी त नमा ण, व यालय सुप रव ण,

सामािजक पर ण लगायतका थुपै् र यव थापक य काय ह एवं व यालय सुधार तथा सुशासनका

वषयह सम टएका ह छन ्( श ा वभाग,२०६७) ।

व यालयको सम वकास र व यालय सुशासनका ला ग व यालय यव थापनलाई एक मह वपूण

या मा न छ । व यालयमा आधा रत व यालय यव थापन व भ न ढांचाका ह छन । समुदाय

नयि त यव थापन ढांचाको व यालय यव थापनलाई सहभा गतामूलक यव थापन भ न छ । यस

क समको यव थापनमा धर अ भभावकह को संल नता रह छ भ न मा यता छ (शै क जनशि त



वकास क ,२०६९) ।

अ भभावक श दल व यालयमा अ यनरत व याथ का अ भभावक तथा व यालयको अ भलखमा


अ भभावक भ न ज नएको यि तलाई जनाउछ भन व यालय यव थापन स म तको अ य सद य



छनौटका ला ग व याथ का आमा, बाबु, बाज र ब यलाई मा अ भभावक मा नन कानुनी यव था छ




( श ा म ालय, २०६५) । क ु नै प न सं थामा आव ध यक यि त चाह जुनसुक तर र अव थाका


हन ् , िज मवार र दा य वको हसावल यो सं थाको यव थापक हो । व यालय एक सामुदा यक शै क


सं था हो र अ भभावक यस सं थाको अ भ न सद य भएकोल श क, धाना यापक, यव थापन


स म त ज क अ भभावकको प न व यालय यव थापनमा मह वपूण दा य व एवं भू मका र िज मवार

रह छ । सबैको समान सहभा गताल व यालय यव थापनमा नर तर सुधार आई सम मा
गुण तर यता याउन सहयोग पु दछ (थापा, २०६८) ।


8






व यालयको शै क, आ थ क, भौ तक, जनसहयोग लगायतका यव थापक य ग त व धह मा

अ भभावकल संल नता कट गनु , गराउनु नै व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता हो । यस

क ु राल व यालय यव थापनमा अ भभावकह को सुझाव, चाहना र भावनाको कदर गन सं कार


समतलाई बुझाउछ । अक अथ मा भ नु पदा व यालय यव थापनको ब भ न नी त नमा णको
यामा अ भभावकह को अथ पूण संल नताको सु नि चत गन एक सामु हक यास नै व यालय


यव थापनमा अ भभावक सहभा गता हो । सहभा गताका धर व पह ह छन ्। वैि छक, दवाबमूलक

र उ प ् ेर रत सहभा गता यी तीन सहभा गताह म य वैि छक सहभा गता मह वपूण ह छ, । यसल दगो





भावकार र अप त उपलि ध हा सल गन सहज बनाउछ । यसको ला ग वः फ ू त पमा उ प ् ेर रत हन े


वातावरण नमा ण ग रनुपदछ । साथै व यालय वकासको ममा थानीय तरमा जाताि क अ यास
र योग गन गराउनसमत अ भभावक सहभा गतालाई पूव सत को पमा लन ग र छ ( सवाकोट , २०६९)



श क यव थापन, आ थ क ोत, सुप रव ण तथा नय ण पूण पल सरकारक यव थापनमा




संचालन हन सामुदा यक व यालय सरकार अनुदानमा संचालन ह छ । सामुदा यक व यालयमा


अ भभावकल व यालयको व भ न काय मा स रक भएर आ नो भू मका नवा ह गर सहभा गता कट

गन स क छ । व यालयका ला ग ज गा, च दा, श ण शु क दएर आ थ क तथा भौ तक सहभा गता


कट गन स क छ । बालबा लकालाई व यालय पठाएर, शै क ग तको लखाजोखा गरर, श ण
सकाइमा सहयोग गरर शै क सहभा गता दखाउन स क छ । अ भभावक भला र सामािजक प र ण,



व यालय यव थापन स म त, श क अ भभावक संघको गठन यामा सहभागी भएर व यालय


यव थापनको हरक नी त नमा ण यामा स य भू मका नवा ह गन र यव थापन प का िज मवार

यि तह लाई सचत र जाग क बनाई अ भभावकल आ नो यव थापक य सहभा गता कट गन

स क छ (पौडेल,२०६८) ।

बक क ृ त श ा णाल को अ यास गन र यव थापनमा आधा रत शै क वकास गन ममा शै क
यव थापनमा अ भभावक सहभा गतास ब धी अवधारणा सव थम अम रकाबाट शु भएको मा न छ


(का ल र अ य २०६७) । नपालमा भन सन ् १९६० को दशकप छ मा यस अवधारणाको बकास भएको हो




। यस समयस म दशमा रहका सबैजसो व यालयह नजी मा संचा लत थए । तर ती व यालयह


सामािजक अवधारणामा संचा लत थए । काठमा ड उप यका बा हरका सचत अ भभावकह ल े




व यालय चलाउन अ भ ायल अनुम त बगरप न क ु ल खोल पठनपाठन गन थाल । यसै शल शलामा
व.सं.१९८६मा आदश व यालयको थापना भयो । यस व यालयमा अ भभावकह मलर च दा

संकलनगर तलवभ ा खुवाउन यव था ग रएको थयो । व यालय थापना गर आ थ क सहयोग एवं

च दा संकलन र व याथ बट ु नज ता काय ह अ भभावकबाट ह यो । श ा त जनताको चासो ब द ै







गएप छ व.सं.२००६ साल स ममा दशका व भ न थानमा जन तरबाट खच बहोन गर धर पि लक
क ु लह खुल ।

२०२८ सालप छ भन व यालयको स पूण यव थापनको िज मा रा यल लएप छ प न अ भभावकह




व यालय संचालनका ला ग श क लैजान बझाङ बा लु घद ख काठमा डौस म आउन गरको उदाहरण



नपालको शै क इ तहांसमा पाइ छ । यसल प न अ भभावक सहभा गताको अवधारणाको वकास भएको
दखाउछ (शमा , २०६७) ।


9






शै क इ तहांसमा अ भभावक सहभा गतास ब धी औपचा रक पर पराको शु वात २००७ साल प छ



भएको मा न छ । नपाल राि य श ा योजना आयोग, २०११ को तबदनमा म ालयद ख व यालय
संचालक स म तस मको शास नक संगठनलाई पुनःसंग ठत गर शासन र नर णलाई आधु नक
जाताि क प ध तअनु प वक करणलाई याभूत गन का साथै अ भभावक र श कबीच असल



स ब ध बढाउन थानीय, िज ला तथा राि य तहमा अ भभावक श क संघ बनाइनुपछ भ न सुझाव
दइएको थयो (शमा , २०६६) । यसैगर , राि य श ा प ध त योजना, (२०२८–२०३२) काया वयनको

◌ंपूणा व ध मू यांकन स म तको तवदन, २०३६ अनुसार व यालयलाई सहयोग पु¥याउनह का ला ग

कदर व प त मा शंसाप दन शु वात गन र जनसहयोगबाट व यालय संचालन गन यासल प न

व यालय वकासमा अ भभावकलाई स य सहभागी हन उ प ् ेर रत गन काय को थालनी भएको थयो

(शमा , २०६०) ।
व यालय यव थापनमा अ भभावकको अथ पूण सहभा गतालाई सु नि चत गन आव यक महसुस भै

अ भभावकको त न ध व हन गर व यालय यव थापन स म तको गठन गनु पन उ च तर य काय




स म तको तबदन, २०५८ ल दएको सुझावअनुसार २०५८, माघ २५ मा श ा ऐन, २०२८ को सात

संशोधनप छ मा अ भभावक सहभा गताको सै धाि तक अवधारणाल बैधा नक मा यता पायो । यस


ऐनमा अ भभावक भलाल सामुदा यक व यालयको व यालय यव थापनमा नौ सद यीय स म त रहन े


र यस स म तमा एकजना अ य र तीनजना अ य सद यह अ भभावकह म यबाट छा नन यव था
भयो । य तमा होइन, अ भभावक श क संघ तथा सामािजक पर ण स म तको गठन गन र यक


बष सामािजक पर ण गनु पन कानुनी यव था प न ग रयो । यस यव थाल व यालय यव थापनमा



अ भभावक सहभा गता बढाउन पर परा बसा न खोजको द ख छ (अ धकार , २०६४) ।



नपाल सरकारल अं गकार गरको वक करण स घा त र समुदायमा आधा रत व यालय


यव थापनको अवधारणाबमोिजम व यसमा अ भभावकह बाट छा नएका त न धह रहन ावधान

राखी समुदायलाई अ धकार स प न बनाउन यव था ग रएको छ । यसैपृ ठभू ममा हाल

साव ज नक पमा स चालन भैरहका व यालयह को शै क यव थापनमा समुदाय तथा अ भभावकको


भू मका अझै सु ढ गर् न, बढ भ दा बढ अ भभावकको संल नता बढाउन र सोमाफत सामुदा यक

व यालयको शै क गुण तर अ भबृ ध गन र व यालय यव थापनमा पारद श ता कायम गर सबैको

िज मवार बोध गराउन उ द यल व यालय स चालन एवं यव थापनको स पूण िज मवार समुदाय नै






दन गर आ.ब.२०६१÷०६२ द ख समुदायलाई व यालय ह ता तरण गद जान नी त सरकारल अ घ




सारको छ । यो नी त लागू गन सामुदा यक व यालय सहयोग काय म प न संचालन ग रदआएको छ ।

यस काय मलाई व यालयमा अ भभावक सहभा गता सु नि चत गन अवसरको पमा लन स क छ
( श ा म ालय, २०५९) ।


अ हल नपालमा सरकार व यालयलाई समुदायको एउटा स पदाको पमा वीकार ग रएको छ ।


अ भभावकसंगको सम वय वना व यालय यव थापन सुधार हन स दन भ न मा यता था पत

भैसकको छ । श ाको गुण तर अ भबृ ध गन स दभ मा आ.व.०४९÷०५० द ख लागू ग रएको आधारभूत



तथा ाथ मक श ा प रयोजना, सबैका ला ग श ा काय म (२०६१–२०६६) र व यालय सुधार

योजना (२०६६–०७२)ल व यालयमा आधा रत यव थापनमाफत अ भभावक सहभा गता बडाउन े

क ु रालाई ाथ मकतामा राखको पाइ छ ।


10







रा यल गुण तर य श ाको ला ग व भ न योजना प रयोजना र काय मको नाममा अब रकम लगानी


ख च सकको छ । वत मान अव थामा रा यल श ा वकासका ला ग वाष◌र््ि◌ाक बजटको १७५ रकम


श ामा ख च एको पाइ छ (पौडेल, २०६८) । ाथ मक तहको श ा नःशु क छ भन मा य मक तहस म


नःशु क गन यव था नपालको अ त रम सं वधान, २०६३ मा उ लख छ । श ा नःशु क भै ददा


अ भभावकल श ामा क ु नै प न आ थ क लगानी गनु नपन भएकोल सामुदा यक व यालयतफ


अ भभावकह को चासो र स ब ध हराउद गइरहको छ भन अक तफ हनखान एवं पढ–लखका यि तह ल े










भन आ ना बालब चा नजी व यालयमा पढाउन हनाल सामुदा यक व यालयको यव थापनमा





िज मवार अ भभावक नपाउन अव था छ । ाथ मक तहद ख नै व यालयको शै क गुण तर खि कदो


अव थामा छ । जसको प रणाम मा य मक तहको श ामा दखापरको छ । २०६९ सालमा संचा लत

एस.एल.सी पर ाल यह अव थालाई दखाउछ । यस पर ामा नपालका सामुदा यक व यालयह बाट



२४५ व याथ मा उ तण भएको थयो ( श ा वभाग, २०६९) ।
व यालय श ाको गुण तर खि कनुका व भ न कारणह म य े व यालय यव थापनको
अ त य तता प न एक हो । व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको कमजोर अव थाल े
य तो अ त य तता ृजना हनु भएको हो । श ाको गुण तर बढाउन अ भभावक सहभा गताको मुख

भू मका ह छ । यह त यलाई आ मसात गरर नै रा यल गाँउ श ा स म त, श क अ भभावक संघ,



व यालय यव थापन स म त र सामािजक पर ण स म तको मा यमबाट अ भभावकह लाई

सामुदा यक व यालयमा सहभागी गराउन सै धाि तक र यवहा रक उपायह अवल बन प न ग रद ै
आइरहको छ ।

अपवादका बाहक नपालका अ धकांस सामुदा यक व यालयह को यव थापन प मा अ भभावक



सहभा गताको अव था कमजोर रहको माण ती व यालयह को कमजोर यव थापनको अव थाल े
दखाउछ । यसकारणल व यालयको शै क गुण तर खि कदो अव थामा छ । यस त च ता कट गर




आ थ क भौ तक सवासु वधा उपल ध गराउन, जनसहयोग जुटाउन, भौ तक स प तको संर ण स ब धन


गन , शै क तथा भौ तक नमा णका ग त व धह को नर ण गन काय मा समत अ भभावकह



स य पमा सहभागी हन गरको द खदन । आप् mना बालब चाक शै क भ व यका ला ग प न




व यालयको शै क वकास गनु पदछ भ न साचर भला, छलफल, शै क सुधार योजना नमा ण,




व यालय यव थापन स म तको गठन, नी त नमा ण र नण य यामा चासो कट गर उ शाहपूव क



सहभागी हन र आव यक सरस लाह लन दन वषयमा अ भभावकल स यता दखाउन छो डसकको




अव था छ ।
यस वषयमा जज त चचा प रचचा ग रए ताप न औपचा रकढगल ग हरो अनुस धान हन सकको छन ।







अ हलस म सरकारको नी तगत यव था र यासह सै धाि तक अवधारणामा नै सी मत छ ।

यह स दभ मा कि त रह व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था प हचान गन


मूल उ द यल यो शीष क छनौट ग रएको हो । यसलाई वशेष मह वसाथ हर अ ययन काय लाई अगा ड

बढाइएको छ ।
१.२ सम याको कथन


11







रा य र जन तरको सहयोगमा दशभर संचालनमा रहका सामुदा यक व यालयह को रखदख र




यव थापन रा य ए लैल गन स कदन । अ भभावकह बाट रखदख तथा यव थापन हन सक व यालय








यव थापन भावकार ब नस छ । नपालको श ा नी तल अ भभावकह लाई सामुदा यक व यालयमा


सहभागी गराउन सै धाि तक र यवहा रक उपायह अवल बन प न ग रएको छ । तर धरजसो सामुदा यक

व यालयह मा व यालय यव थापन स म तल व यालयको भौ तक आ थ क प मा मा चासो र सरोकार



राखको पाइ छ । एका तर व यालयह ल आ ना यव थापक य याकलापमा अ भभावकह लाई सहभागी





गराउन नसकको अव था छ भन अक तर अ भभावकह ल प न व यालयको ग त व धमा ग हरो ढगल चासो


राखको पाइदन । प रणाम व प आज व यालय र अ भभावक वचको दुर अ वभा वक पमा फरा कलो ब न

पुगको अव था छ ।
व यालय यव थापन सुधारमा अ भभावकको भू मका अ हलस म प न अप त तहमै सी मत छ ।



व यालय वकासका ला ग अ भभावकह को साथ, सम वय र सहयोगलाई अ नवाय मानका छन ् । तर




नपालका सबै व यालयह ल यी क ु राह लाई उप ा ग रएको द ख छ । आ ना बालब चा सं थागत

व यालयमा भना गर सरकार व यालयमा राजनी तक तथा सामािजक ह सयत बढाउन, रा ाभ दा हा ा





मा छलाई जा गर खुवाउन उ द यल व यालय यव थापन स म तमा जसर भएप न ब न माणह स तै


भ ट छन ् । वा त वक पमा व यालयको वकासको ला ग आ ना वाथ रह त भू मका नवा ह गन
अ भभावकह कमै सं यामा भ ट छन ्।


जसल आ ना छोराछोर लाई बष स म गाँउक सरकार व यालयमा पढाउद आइरहकाछन ् । व यालयलाई



श ण शु क, भौ तक र नै तक सहयोग एवं सवा सु वधा प न दान गद आइरहका छन ् । आज तनै




वालवा लकाका अ भभावकह व यालयको यव थापक य ग त व धह मा सहभागी हन, सूचना, जानकार


पाउन, सवासु वधा पाउन, नी त नमा ण तहमा नणा यक भू मका नवा ह गन पाउन, सरस लाह लन दन े




ज ता क ु राह बाट बं चत गराइरहका छन ्÷भएका छन ्। क ु नै अव थामा यव थापनको िज मवार पदमा रहन




पुग प न काय मता र अनुभवको अभावमा पूण पल भू मका नवा ह गन नसकको अव था छ ।

व यालय यव थापन स म तमा ◌ंरहदमा व यालय यव थापनमा सहभागी भएको व क ु लै मा न स क न


। यव थापन स म तमा नरहर प न व यालयको शै क, आ थ क, भौ तक यव थापन र सुशासनज ता धर ै




वषयह मा चासो, नगरानी र खबरदार गरर यव थापन प लाई सजग र सचत बनाई सहभा गता कट गन





स क छ । यसतफ अ भभावकह को चतनाको वकास गर उ रत तथा उ सा हत बनाउन स करहको छन ।



जसल गदा व यालय यव थापन फतलो, कमजोर र नि य हद गएको अव था छ । आम


अ भभावकह को व यालय यव थापन त नरासा, असहयोग र वरोधी भावना बढदछ । श कह मा

पशाभ दा राजनी तक भावना, पठनपाठनमा अ नय मतताज ता सम याह द खएका छन ् । ज को भाव

व यालयको सम श ्।ण सकाइमा परको द ख छ ।


यस क समका सम याह बाट सला ह िज ला प न अपवादमा पन सकको छन । व यालय यव थापनमा


अ भभावक सहभा गताको कमजोर अव था वत मान शै क वकासको स दभ मा ट कारो सम याको पमा



रहको द खएका छन ् । आ नो बालब चा भना गरप छ फक र व यालय नजान चलन ब ससकको छ । आ नो







बालब चाको पढाइलखाइमा खासै मतलव रा े गरको द खदन । घर निजकको व यालय हा ो हो यसलाई


रा ो बनाऔ भ न चतना छन । व यालय यव थापन स म त कसर गठन ह छ, को क तो यि त


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छा न छ, य तो क ु राको चासो रा े अ भभावक वरलै पाइ छ । बधमान नी त नयमल य ता सम याह को



सह ढगल स बोधन गन सकको छन । यी र य ता सम याह लाई यस अ ययनमा सम याका पमा


लइएकोछ । जवस म क ु नै प न वषयको सम याको प हचान हन स दन, तबस म अ ययन काय अगा ड


ब न स दन । व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको यह कमजोर अव थालाई यस
अ ययनमा मु य सम याको पमा उठान गर अ ययन काय अगा ड बढाउन यास ग रएको छ ।

१.३ अ ययनको औ च य
क ु नै प न वषयमा अ ययन अनुस धान गनु को पछा ड यस अ ययनको आ नै मह व एवं औ च य रहको


ह छ । औ च यह न तथा अथ ह न अ ययनल समय, म र स प को खच मा गराउदछ ।


व यालयको शै क गुण तर सुधारका ला ग व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको

अ नवाय तालाई रा यल महसुस गर व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभभा गता समुदायमा आधा रत

व यालय यव थापन, व यालयमा आधा रत यव थापन, शै क बक करण अवधारणा र सो



अनुसारको सै दाि तक तथा यवहा रक नी त नमा ण गर लागूसमत ग रदआएको छ । रा यबाट लागू
ग रएका ती सबै यव थाह को भावका रताको लखाजोखा गर अ भभावक सहभा गतालाई आगामी

दनह मा अझ थप भावकार बनाई व यालय यव थापनमा उनीह सहभा गता सु नि चत गन अपनाइन े
उपायह का स ब धमा थप नयम कानुनको यव था गन का सव थम व यालय यव थापनमा अ भभावक
सहभा गताको अव था प हचान हन आव यक छ । यव थापनको जुन प मा अ भभावक सहभा गाताको


अव था कमजोर छ, य को कारण प ा लगाई नराकरणका ला ग भावकार उपाय अवल बन गन समत
ज र ह छ ।


अक तफ अ भभावकह लाई व यालय यव थापन त िज मवार र उ रदायी बनाई उनीह को
सहभा गतालाई व यालय वकाससंग जोडेर यसलाई सं थागत गद व यालय यव थापनमा




िज मवार ढगबाट सहभागी गराउन आज ट ◌ कारो आव यकता द ख छ । यस अ ययनल यनै त यलाई बढ
जोड दएको छ । जसबाट ब याथ को शै क उपलि ध तर लगायतका व यालयको शै क आ थ क तथा



भौ तक अव थाको अनुक ु लतामा थप टवा पु न काय मा मह वपूण हन अप ा ग रएको छ । यस अ ययनल े


व यालय यव थापन सुधारका ला ग व यालयको शै क आ थ क, भौ तक, जनसहयोग तथा व यालय

सुशासनका धर वषयह मा अ भभावक सहभा गता बढाउन स दभ मा थप भावकार नी त, नयम कानुन



बनाउन रा य, सरकार, नी त नमा ण तहका शासक, यव थापक र योजनाकारह लाई सहयोग पुरयाउदछ ।
यसैगर यव थापन स म तको गठन, श क नयुि त, श ण शु क, भौ तक पूवा धार नमा ण, बैठक या,
योजना तथा काय म नमा णज ता यव थापक य याह नयमस मत ढगल संचालन भए, नभएको





क ु राह प न यस अ ययनबाट ा त हन हदा यसतफ अ भभावकलाई चनाखो र स य बनाउन अ भ रत







गदछ भन स ब ध सबै सरोकारवालाह लाई आ ना कामकारवाह , िज मवार र कत य त सजग र सचत

बनाउन, आ ना यव थापक य भू मका एवं दा य वबोध गराई िज मवार बनाउन साथै अ भभावक

सहभा गतास ब धमा थप शै क अनुस धान गन शै क अनुस धानकता ह लाई यो अ ययनबाट अ धर ै
वषय व तु एवं अ ययन छनौटका ला ग सहयोगी हन स दभ मा मह वपूण हन द ख छ ।






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यसैस दभ मा सला ह िज लामा सामुदा यक व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता स ब धमा

ग हरो अ ययन अनुस धान नभएकोल राि य अप ाअनु प व यालय यव थापन भैरहको छ÷छन भनी



नमूनाको पमा अ ययन गनु प न यो शोधकाय सा द भ क नै ठहछ । सम मा यस अ ययनको ाि त र

न कष यस अ ययनसँग धाना यापक, श क, अ भभावक, व याथीर्, गाँउ श ा स म त, श क
अ भभावक संघ, व यालय यव थापन स म त, िज ला श ा अ धकार , व यालय नर क र ोत
यि तलगायत स ब ध सरोकार रा े सबैलाई उपयोगी हन भएकोल यो अ ययन आफमा साथ क र





औ च यपूण छ भ न व वास लइएको छ ।
१.४ अ ययनका उ द यह

यस अ ययनका उ द यह न नानुसार रहका छन ्◌ः


क) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था प हचान गनु ।

ख) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताल याएका प रवत नह को खोजी गनु ।

ग) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह प ा लगाउनु ।


घ) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बढाउन उपायह खो नु ।

१.५ अनुस धाना मक नह

मा थ उ ल खत उ द यह पूरा गन का ला ग न न अनुस धाना मक नह नधा रण ग रएका छन ्◌ः


क) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था क क तो रहको छ ?


ख) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताल कक प रवत नह याएका छन ्?



ग) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह कक छन ?


घ) व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बढाउन क ु नक ु न उपायह अपनाउन
स क छ ?



१.६ अ ययनको प रसीमा


क ु नै प न वषयको अ ययन, यस अ ययनमा ला न समय, वषयव तुको तथा अ ययन गन

ला गएको भौग लक र जनसं याको सीमानै प रसीमा हो(ढकाल र कोइराला२०६८) ।

क ु नै प न तहका व यालयको शै क गुण तर सुधान व यालय यव थापनमा अ भभावक, श क,
धाना यापक, व यालय यव थापन स म त समुदायलगायत सबैको समान सहभा गताको खांचो ह छ ।

तर यस अ ययनमा भन अ भभावक सहभा गतालाई मा मह व दई अ ययनको मु य वषय बनाइएको छ ।

व यालय यव थापनसंग स बि धत प ह धर ह छन ् । यस अ ययनमा शै क, आ थ क,



भौ तक,जनसहयोगको यव थापन ज ता मु य–मु य प ह मा मा अ भभावक सहभा गताको अव था



प हचान गन मु य उ द य रा खएको छ । सो उ द य पूरा गन परवानीपुर ोत क का २७ वटा व यालयह


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म य ५ वटा सामुदा यक व यालयह मा मा यो अ ययन प रसी मत ग रएको छ । अ ययनकता को ोत,

साधन र समय तथा अ य बा यताको कारणल ठ ू लो आकारको वा जनसं यामा अ ययन गन असमथ


भएकोल अ ययनको ला ग यो प रसीमा नधा रण ग रएको हो

१.७ श दावल को प रभाषा

सहभा गताः सामुदा यक व यालयको व भ न ग त व धह मा अ भभावकको संल नता



वक करणः मा थ लो नकायका िज मवार त ला नकायमा ह ता तण गन एक या
सामािजक पर णः सरोकारवालाह को भलामा व यालयको शै क काय मह को समी ा

गन काय आचारसं हताः श क व याथ ल पालन गनु पन आचार स ब धी नयम






प र छद दुई

स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन तथा सै धाि तक ढाँचा


क ु नै प न वषयव तुको गहन अ ययन गदा यस अ ययनसँग स बि धत पूव अ ययनह लाई वशेष

समी ा ग रनुपछ । जसल उपयु त अनुस धान व ध छनौट गन , त या क संकलन गन र व लषण



कया बारमा नण य गन ठोस आधार दान गदछ भन अ ययनको सै धाि तक ढाँचाल े




अनुस धानकता लाई नद शत गदछ । यसल सम यालाई प ट पान , अ ययन व धलाई सुधार गन र
अनुस धानकता को स बि धत वषयको ानलाई फरा कलो बनाउनसमत सहयोग पु¥याउछ ।


२.१ स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन
यस प र छदमा अ ययनसंग स बि धत यसअ घ तयार पा रएको शोधप , संग ठत पमा तयार



पा रएको, पु तक, जन ल, लख र क ृ तह को पुनरावलोकनबाट ा त ाि तह को सारलाई तल उ लख
ग रएको छ ◌ः
अव थी (२०५६)का अनुसार अ हल व यालय तहको शै क यव थापन स धा तमा वक करण


णाल को भएप न यवहारमा क क ृ त णाल को छ । धाना यापकको नयुि त, श क भना , स वा,


बढ ु वा तथा नर ण काय मा अ भभावकलाई संल न गराइएको छन । ब यमान नयम कानुनल े
व यालय यव थापन र संचालनका वषयह मा अ भभावकलाई रा र समटन सकको छन । िज ला





श ा काया लयल व यालय नर कमाफत यक मह ना व यालय नर ण गरर तवदन




बुझाउनुपन सै धाि तक पर परालाई मह व दइएको तर व यालय छउमा रहको अ भभावकलाई भन े





बवा ता ग रएको छ । पढ–लखका सचत अ भभावकसमतल प न व यालय यव थापनमा चासो रा दन








भ न अव था उ लख गरका छन ् । पढन व याथ , पढाउन श क र अ भभावक सबै व यालय गाँउमै

छन ् भन उनीह को सहभा गतालाई हामील वस नु हदन । क ु नै बला मानोमु ठ दएर गाँउमा व यालय







चलाएका अ भभावकह ल आज प न मरो र हा ो व यालय ठा नुपदछ । थानीय तरमा खो लएको


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सामुदा यक व यालयह अ भभावकको स प भएकोल यसमा अ भभावकह ल वा म वभावको
अनुभव गन पाउनुपछ भ न ठहर लखकल गरको छ ।





स रड (सन ् २००८)को अ ययनमा नपालका सामुदा यक व यालयह समाजका उ च समूहबाट



यवि थत एवं नयि त रहको, गैरअ भभावक र राजनी तककम ह व यालय शासनाको सद यको
पमा रहको व यालय यव थापन स म तलाई श क न यु त लगायतका अ धकार रहप न श ा


काया लयल भा वत पान गरको र व यालय अ भभावक संघ शेयरमो नयल सं थाको पमा रहको




उ लख छ । व यालय यव थापन स म तलाई शि त र अ धकार स प न बनाई समुदाय त िज मवार



बनाउन कानुनी सुधार गनु पन , अ भभावकलाई सामािजक पर णको मह वबार चतन शल बनाउनुपन

थानीय शै क सरोकारवालाह को श क अ भभावक स ब धमा बृ ध व ीयकोष, अ भभावक चतना
अ भबृ व व यालय ग त व ध संचालनज ता भू मका र काय व तारका अ त र त व यालय
ग त व धमा भाग लन अ भभावकलाई उ रत र उ शाह त बनाउनुपन सुझावह तुत गरको छ ।




शमा (२०६३)ल े आ नो लखमा समुदायमा चतना,राजनी तक सु–सं कार, यव थापकह को



सम वया मक भू मका, नवा ह गन मता, क ु शलता र धरभ दा धर अ भभावकलाई साझेदार बनाउन े


नी तगत यव था भएमा व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता ब न स न संभावना
औं याएका छन ् । ज ता सुक अ भभावक प न आ ना बालब चाको रा ो भ व यका साथै आ ना


बालब चा प न व यालय अ भ दा रा ो होस ् श कह नय मत क ामा आऊन ् उनीह सपालु र


सहयोगी होऊन ् भ न चाह छ । अ भभावकको यह वरासतलाई व यालयल उपयोग गन स नुपछ भ न े

वचार य त गरका छन ्।

शै क जनशि त वकास क (२०६५)मा अ भभावक सहभा गताल वालवा लकालाई व यालयमा



आक ष त गन र श ण सकाइमा सकारा मक भाव पान हदा अ भभावकलाई

व यालयको व भ न ग त व धह मा संल न गराउनु पन ह छ । बालबा लकाको आचरण, यवहार,

ग तका बारमा अ भभावकलाई समयसमयमा व भ न मा यमबाट जानकार दन साथै उनीह लाई


व यालयमा बोलाई छलफल र अ त ् रmया प न गन स क छ । अ भभावकसँग भटघाट गर

वालवा लकाको सवल तथा कमजोर प का बारमा छलफल गर अ भभावकह को सहयोग र सहभा गता




जुटाउन नर तर घरदलो, बैठक, भटघाट ज ता काय म समुदाय एवं अ भभावक समतको संल नतामा



गन सक बढ भावकार ह छ र समुदायका अ भभावकह को चतना अ भबृ धसमत हन जा छ भ न े


सुझाव स हतको नचोड यसमा तुत ग रएको छ ।
नाल (२०६५)को अ ययनमा सामुदायमा ह ता तरण नभएका व यालयह मा भ दा ह ता तरण भएका



व यालयह मा अ भभावक सहभा गता बढ हन गरको त य उ लख छ । समुदायमा ह ता तरण भएका

व यालयमा व याथ को अनुशासन, पर ा ग त, श कको नय मतता, बालब चा त
अ भभावकह को च ता र जाग कताज ता क ु राह ल आ त रक स मता प न रा ोे भएकोे,


व यालयलाई अ भभावकल आ थ क सहयोगसमत उपल ध गराउन गरको, बलाबलामा व यालय पुगर







व यालयको शै क, आ थ क र भौ तक अव थाको बारमा चासो रा े ग रएको आप् mना बालब चाका
सम याह दशा उन ग रएको र लखा पर णमा प न अ भभावकह संल न हन ग रएको तर समुदायमा





ह ता तरण नभएका व यालयह मा भन य तो नभएको अ ययनमा उ लख छ ।


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भ टराई (२०६७)ल आ नो अ ययनमा व यालयमा अ भभावकको नर तर सहभा गताल पठनपाठन
तथा मू यांकन या, आ थ क ोत मता बृ ध भौ तक पूवा धर, भौ तक स प तको संर ण स बध न,
श क अ भभावक स ब ध, नयमको पालना, अनुशासन, जनसहयोगज ता शै क आ थ क भौ तक

प ह को उ चत यव थापनको कारण सम श ण सकाइमा गुण मक सुधार आएको बताइएको छ ।
व यालयको शै क, आ थ क भौ तक यव थापनमा दयनीय अव था ृजना हनुको एउटा मुख कारण


व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अभाव हनु हो । अ भभावक सहभा गताल व यालय




यव थापन स म त, श क र अलाई आ नो काम कावा ह त िज मवार ढगल ला न अ भ रत गन

र व यालय वकासमा यसल सकारा मक भाव पान हदा सम शै क सुधारका ला ग व यालय



यव थापनमा अ भभावकको यापक सहभा गता बढाउन शै क सरोकारवालाह ल सामु हक पमा


ला नुपन मु य न कष रहको छ ।
राई (२०६६)को अ ययनमा व यालयमा प न े आ नो बालबा लका व यालयमा नय मत
जा छन ् ÷जादनन् , क–कसर प दछन ् ज ता क ु राह मा श कसँग जानकार लन गनु पदछ ।








व यालयमा क–क ता ग त ब ध भइरहका छन ्भनर निजकबाट अवलोकन गन , आब यक परको बलामा




िआ थ क, भौ तक सवा सु बधा एवं जनसहयोग गन , यब थापन स ब धमा ग रन नण यह को जानकार
लन र स म तको गठन लगायतका काय ह मा सहभागी भई आ नो धारणा र बचारह रा े काय ह मा



अ भभावकको भू मका मह वपूण रह छ । यस काय ल शै क यब थापनमा सुधार आउछ ।


कानुनी पमा अ भभावकको यब थापक य भू मकाको अभावल िज मवार पूण ढगल व यालयको


शै क वकासमा ला न नसकको र राजनी तक ह त ेपल गदा अ भभावकको भू मका ओझेलमा परको



त य उनल अ ययनमा दशा इएका छन ्।


पौडेल(२०६७)ल व यालयको सम वकास व यालयमा आधा रत यव थापन ढांचाबाट मा संभव छ
भ न धारणा अ घ साद उनल श ाको गुणा मक तथा प रमाणा मक अव था सुधान थानीय समुदाय,



अ भभावक र श क जो व यालयका ाथ मक सरोकारवाला हन ् । उनीह लाई नी त नमा ण तहमा

सहभागी गराउन उनीह क संयु त संल नतामा व यालय यव थापन स म त बनाई श क नयु त


गनर्,◌े बजट र पा य म बनाउन अ धकारह यस स म तलाई बक त ग रनुपदछ । थानीय





साधन ोत जुटाउन र सम या समाधान गन काय मा उनीह को संल नतामा हदा व यालयको द गो




वकाससमत हनस न त य अ ययनको ाि तमा उ लख गरका छन ् । नपालमा व यालयमा आधा रत



यव थापनको शु वात भएप छ अ थायी श क भना गन , ाथ मक तहमा थानीय पा य म बनाउन े
र व यालयमा यव थापन स म तमा अ य तथा सद य छा न पाउन अ धकार अ भभावक र


यव थापन स म तलाई ा त भएताप न राजनी तक कारणल भावकार पमा काया वयन हन

नसकको क ु रा उ लख गरका छन ्।



राजभ डार (२०६५) वारा ग रएको अ ययनमा समुदाय आफल यव थापन गरका व यालयह




पछ डएको भौग लक थानमा रहप न व यालयमा यव थापनमा अ भभावक तथा समुदायको


तदा कताल नी त नमा ण यामा अ भभावकह को सहभा गता भावकार रहकोल भना दर उ च मा



हन, श ाको गुण तरमा प न रा ो सुधार आएको त य उ लख छ । आ थ क तथा ाक ृ तक ोत


साधनको सदुपयोग र मता व तारमा सवैजना लागी परका र अं जी मा यमबाट श ा दन सककोल े

अ भभावकह ल आ ना छोराछोर सं थागत व यालयमा पढाउन छाडेका त य प ा लगाएका छन ् ।


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व यालय यव थापन स म तको बैठकमा अ भभावक, व याथ समतलाई बोलाउन र उनीह बाट प न



व थ सुझाव पाउन हदा व यालयमा यव थापन स म तको काय मता बढर गएको उ लख छ ।






सम मा सामुदाय आफल यव थापन गरको व यालयमा अ भभावक तथा समुदायल आ नो स मता र



जाग कता बक करण नी त काय वयनको स दभ मा उपयु त छ भ न न कष मा उ लख छ ।

गोरट (२०१०) अनुसार आ ना छोराछोर को श ामा व भ न क समल सहयोग ग ररहको भए ताप न



बुयागा काउ ट मा संचा लत मा य मक व यालयका अ धकांश अ भभावकह व यालय यव थापन

स ब धमा अन भ रहकाल व याथ को शै क उपलि ध दयनीय अव था रहको त य अ ययनबाट


प ा लगाएका छन ् । आ थ क यव थापनस ब धी अस मता कारण अ भभावकह ल स य भू मका

नवा ह गन नसककाल व यालयको आ थ क यव थापन कमजोर भै व याथ को शै क अव था





कमजोर रहको नचोड नकालका छन ् । शै क सुधारका ला ग यव थापन संचालनस ब धी मताको
वकास गर व यालय यव थापनमा अ भभावकको स य सहभा गता बढाउनु आव यक छ भ न े

न कष मा उ लख छ ।


ख तवडा (२०६७) ल भन आप् mनो अ ययनमा व यालयह मा ोत साधनको अभाव रहको, श ण


सकाइ भावकार ढगल संचालन नभएको, दल य राजनी तक आधारमा व यालय यव थापन

स म तको गठन हन ग रएकोेल वा त वक अ भभावक सहभागी हन नसक व यालयमा राजनी त





एज डा हावी भै आ थ क, शै क एज डा ओझेलमा परको ज ता सम या रहको बताएका छन ् ।




व यालयको शै क वकासमा अ भभावकह लाई सहभागी गराउनतफ व यालय यव थापन स म तल े





खासै भू मका नवा ह गन नसकका र यसतफ अ भभावकह ल प न चासो र सहभा गता नदखाइएकाल े


य ता सम याह सृजना भएका हन ्भ न नचोड नकालका छन ्।

ठाक ु र (२०६७)को अ ययनमा व यालयको गुण तर य श ामा श क अ भभावक स ब धल े


सकारा मक भाव पान स न भएकाल श क र अ भभावक स ब ध बढाउन अ भभावक भलाबाट


अ भभावकक नतृ वमा श क अ भभावक संघको गठन गनु पन यव था छ । तर यसको यव थापक य


भू मका भावकार नभएको कारणल अ भभावकह ल आ नो भू मका नवा ह गन नसक यस स म तको


गठनमा श क र अ भभावक दुबैल स यता दखाएको पाइदन । अ धकांस सरकार श कह आ नो




पशा त िज मवार नबनको र अ भभावकह ल प न छोराछोर लाई व यालयमा प न पठाउनु मा








आ नो िज मवार ठा न बृ त रहकोल यी दुवै प बीच सकारा मक स ब ध हन सकको छन । जसबाट


व यालयह को शै क गुण तर अ भवृ धमा असर पुगको त य उ लख छ ।

पौडेल (२०६८)ल व यालयको शै क यव थापनमा धाना यापक, व यालय यव थापन स म त,

श क, िज ला श ा काया लय, थानीय नकाय, अ भभावकको अ धकार तथा दा य ववीच स तुलन


न मलकोल श क व याथ को यून उपि थ त, फल हन, व यालय छा न, क ा दोहया उनको सं या





बढ हनु, नर ण र अनुगमन भावकार पमा हन नस नुज ता सम याह शै क यव थापनमा





द खएको र यसको समाधानका ला ग स ब ध नकायल अ भभावकह लाई सहभागी गराउन सक शै क
यव थापनमा सुधार आई सं थागत व यालयको भ दा रा ो शै क गुण तर ा त गन स न संभावना

बताएका छन ्।


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यादव (२०६९)ल आ नो शोधप मा व यालय सरोकारवालाह को वग करण चार क समल गद व याथ ,



श क र अ भभावकलाई व यालयको ारि भक सरोकारवालाको पमा मा नएको छ । व यालयका
ब वध ग त व धमा उनीह लाई सामल गराउन सकमा अ भभावकको नर तर नगरानी र श कह को



लगनशील वभावका कारणल रा ो सफलता ा त गन स छ र अ ततः शै क गुण तर अ भवृ ध

ह छ भ न व लषण अ ययनकता ल गरका छन ् । व यालयको शै क गुण तर अ भवृ धमा





व याथ , अ भभावक र श कको मुख भू मका ह छ । सरोकारवालाह ल प न आ नो भू मका स य



ढगल नवा ह गनु पदछ । सरोकारवालाह सबैकोे आ–आ ना काम कत य नवा हमा कमी–कमजोर


रहकोल सामुदा यक व यालयको शै क यव थापनमा खासगर अ भभावकको सहभा गता कम हद ै



गएको हदा शै क गुण तरमा कमी आएको क ु रा प ा लगाएका छन ्।


िज ला श ा काया लय (२०६९)ल भन व यालय यव थापन स म त नै अ य त क ठनाईका साथ गन





गरको, यसको गठन गदा राजनी तक ग ध आउन र ज का छोराछोर यो व यालयमा प दनन् तनैको



अ भभावक यव थापन स म तमा ब न गना ल उनीह िज मवार बोध गदनन् । यसैल व यालय



यव थापन स म तमा राजनी तक ह त ेप नगर अ भभावकह बाट सचत र स म यि तह लाई
रा ुपन क ु रामा जोड दएका छन ्।
व वकमा (२०७०)ल अ भभावकको सहभा गता हँदा व यालय च कन र नहँदा ओरालो ला न बताएका






छन ् । अ ययनमा कलाल का कह सामुदा यक व यालयह मा अ भभावक संल नताल व यालयको



शै क भौ तक पुवा धार मा होइन, छा छा ाको सकाइ उपलि धमा समत स तोषजनक सुधार आएको




बताएका छन ् । तर कह व यालयह मा अ भभावकको संल नता नरहको त य फला पारका छन ् ।
मौजुदा श ा ऐन नयमल अ भभावक सहभा गतालाई कवल व यालय यव थापन स म त र श क



अ भभावक संघमा मा संक ु चत गरको र अ भभावकको य सहभा गताको प रक पना नगरकोल े



उनल अ भभावक सहभा गतामा सम या आएको बताएका छन ् । अ भभावक सहभा गता ब न व क ै

व यालय यव थापन स म त तथा व यालय शासन प न आ नो िज मवार तथा भू मका त सचत




हन गदछ र अ ततः व यालय ग तको बाटोमा ला न हँदा यसको ला ग व याथ श क र अ भभावक


यी तीन प को भू मका भावकार हनुपछ । यसो भएमा मा व यालय च क छ भ न न कष




अ ययनकता को रहको छ ।

गौतम (२०७०)ल जुन व यालयल उपयु त भू मका स हत अ भभावकको साथसंगत पाएका छन ् , तनका


व यालय रा ा भएका छन ् , जसल पाएका छनन् तनका व यालय व एका छन ्र ब द गएका छन ्।


यसकारण उ चत भू मकास हत अ भभावकह को प रचालन व यालयह का ला ग अवसर र चुनौती

दुवै पमा द खएको त य बताएका ◌ंछन ् । अ भभावक संल नताका कारण क ु मज तो दुग म िज लाका
क तपय व यालय नाटक य पमा रा ा भएका छन ्। व यालयमा अ भभावकको भू मका सु नि चत गन
कानुनी पमै प न क तपय ावधानह रा खएका छन ् । व यालय यव थापन स म त, श क
अ भभावक संघ र समािजक पर ण स म तको यव था, व यालय सुधार योजना र यसमा आधा रत


खच णाल ज ता कह उदाहरणह छन ् । यी ावधानल मा ै व यालयका ला ग अ भभावकको

प रचालन बा छनीय तहमा हन सकन । यह नै अ हलको मूल सम या हो । अ भभावक सबै वःजागृत



नहन स छ, व यालय वकासमा आ नाभू मका सबैल थाहा नपाएका हन स छ । यसकारण


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अ भभावक प रचालनका ला ग व यालयको अगुवाईमा कह जागृ तमूलक याकलापह गनु ज र


रहको त य अ ययनमा दखाइएको छ ।

मलर (सन ् २०१०)ल व याथ लाई उ च तरको श ा दान गन सबैभ दा अ याव यक त वह मा

अ भभावक सहभा गता र अ भभावकसंगको सहकाय एउटा हो भ न क ु रा बताएका छन ् । सफल र




भावकार भनर च नन व यालयह ल अ भभावकसंग सहकाय गन वशेष य न गन गरका ह छन ् ।

व यालय याकलापबाट आ ना बालब चाको अव य ता अनुक ु लको सकाइ अवसर ा त भइरहको






छ÷छन भनी सचत अ भभावकल सो नसमत गरको द ख छ ।


मा थ छलफल ग रएका स बि धत सा ह यह को अ ययनमा शै क वकासको ला ग व यालय


यव थापनमा अ भभावकको सहभा गतालाई वशेष मह वकासाथ हर च तन व लषण ग रएको


पाइ छ । व यालयको शै क तर बृ ध गन एकप ीय यासल मा संभव छन । यसका ला ग
व यालय यव थापनसँग स ब ध सरोकारवालाह सबैको उ क भू मका ह छ । खासगर व यालय


यव थापनमा अ भभावक सहभा गतास ब धमा सला ह िज लाका सामुदा यक व यालयह मा

अनुस धान नग रएकोेल नमूनाको पमा पांच व यालय छनौट गर व यालय यव थापनमा
अ भभावक सहभा गताको अव था प हचान गन उ द यसाथ यो अ ययन काय लाई अगा ड बढाइएको हो


२.२ अ ययनको सै धाि तक ढाँचा
अनुस धानको ला ग वषयब तुसँग मलखान र नि चत स धा तको परखालाई सै धाि तक ढाँचा





भ न छ, जसल अ ययनलाई ग त य दान गन सहयोग गछ (खनाल,२०६७) ।

यस अनुस धानलाई अगा ड बढाउन ममा पूव था पत स धा त र मा यतालाई मुख आधार बनाई


उ द यअनुसार सुचना त यह संकलन गर या या मक पमा व लषण ग रएको छ । यस

अ ययनसंग स बि धत अनुस धना मक तवदनह , लख–रचनाह को अ ययनबाट पाइएका

ाि तह , सै धाि तक मा यता र सुझावह लाई मुख आधार बनाइएको छ ।

यस अ ययनका ला ग ा त ग रएको त यगत सूचना एवं जानकार ह लाई श ध अम रक



यव थापन व ड रक हज वग (सन ् १९५०) वारा तपा दत उ रणास ब धी उ रक त वको


स धा तमा आधा रत भै या या ग रएको छ । यस स धा तमा मा नस क चाह छन ् र कक क ु राह ल े

उसलाई अ भ रत गदछ भ न क ु राह को व लषण ग रएको छ । हज वग को यो स धा तमा आरो य






त व र उ रक त वज ता दुई त वको या या व लषण ग रएकोल यसलाई उ रणास ब धी दुई


त वको स धा त प न भ न छ । यसकारण व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गतामा



क ु नक ु न त वह ल भाव पादछन ् ती त वह लाई कसर यव थापन गदा अप त उ द यह ाि त


ह छ भ न क ु रामा यान दनु आव यक ह छ । यो स धा तमा आरो य त व र उ रक दुई त वको चचा



ग रएप न यहां उ रक त वलाई मा मह व दई अ ययनलाई अगा ड बढाइएको छ ।

क ु नै प न संगठनको ल य तथा उ द य पूरा गन संगठनमा आब ध यि तह को सहयोग, संल नता एवं



सहभा गतामूलक याकलापलाई वशेष ो साहन दनुपदछ । सहभा गता बढाउन संय को मुख ोत


उ रक त वको सह यव थापन हो । उ रणा यव थापनको मानवीय गुण हो । य तmलाई ज त


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उ रत गन स यो, य तनै सं थाको उ द य पूरा गन गराउन सिजलो र चाँडो ह छ । काम गन भावना






जगाउन त व नै उ रक त व हो । मा नसलाई ज त बढ उ रक दयो य त नै रा र काय स पादन


गदछ । सं थामा यि तल आफ ु ल गनु पन काम त नकारा मक भावना, ई छा र चाहना रोक सध


उ क ृ ट काय गन तफ अ तरआ माद ख उ साह भएर गनु पछ भ न मा यता नै उ रक त वको




स धा तको मा यता हो ।
हज वग (१९५०)का अनुसार काय सुर ा, काय वातावरण, यि तगत जीवन, सं थाको नी त तथा शासन,

तलब सु वधा, मया दा, अ तर यि त स ब धज ता त वह लाई आरो य त व भ न छ भन चुनौतीपूण

काय , मा यता, िज मवार , उ रदा य व, उ न त, काय बृ ध, अवसर एवं उपलि धज ता त वह लाई
उ रक त व भ न छ । उ रक त व दन यामा यव थापकल शु मा आरो य त वको पू त






गनु पदछ । आरो य त वको स धा तल काय स तुि टलाई र उ रक त वको स धा तल काय






उ रणलाई जोड द छ । उ रक त वल यि तलाई सकारा मक स तुि ट तर लैजान काय गदछ भन े





आरो य त वल अस तु ट लाई रो न काय मा गदछ । जुनसुक यि त प न चुनौतीपूण काय गर
उ न त तथा काय बृ धको अवसर चाह छ । आ नो काय त सबैबाट मा यता, उपलि ध तथा शंसा
पाउन अप ा प न गदछ । उसलाई उ रदा य वको बोध गराई आ नो काय त सकारा मक स तुि ट दन



सकमा मा आ नो काय मा द च भै ला न स छ(कोईराला र ठ,२०६६) ।


व यालयको शै क वकासका ला ग अ भभावक सहभा गता अप रहाय मा नन त य यस अ घको

सा ह यको पुनरावलोकनबाट ा त भै सकको छ । व यालय यव थापन त अ भभावकको नकारा मक

स च, धारणा, अस तुि ट, वरोधी भावना, सु तता, बवा ता, श थलता, नि यता, असहयोगज ता

त वह लाई समयमा नै यव थापन गरर व यालयको सम शै क वकासका ला ग उ रदायी र





िज मवार ढगल ला न श क तथा अ भभावकह लाई उ रत गनु ÷गराउनु पदछ । यसका ला ग

उ रक त वको यव था व यालयका यव थापक, शासक, समुदाय, सरोकारवाला, रा य र

सरकारबाट ग रनुपछ । स पूण अ भभावकह लाई आ नो गांउ–ठाँउको व यालयको रखदख संचालन र




यव थापन काय मा सहभागी गराउन सक व यालय यव थापनमा सुधार आई शै क गुण तरमा
बृ ध हन संभावना ह छ ।



श क र धाना यापकको एकल यासबाट मा व यालय वकास संभव हदन । यसमा अ भभावकको



सहभा गता अ नवाय हनुपदछ । व यालयमा अ भभावकको सहयोग, स य संल नता र चासोलाई

नर तर बढाई रा अ भभावकह लाई समयसमयमा छलफल, अ तर या संवाद गरर, काय समूह बनाई,

अ भभावकलाई यव थापन मतास ब धी ता लम, मण, आ थ क सु वधाको यव था गरर उ रणा





जगाउन काय ग रनुपदछ । यसै क ु रालाई यानमा राखर अ ययनलाई अ घ बढाउन उ रक

स धा तलाई यस अ ययनमा लागू ग रएको हो ।
गुण तर य श ाको नाममा रा यल व यालय, श क यव थापन, पा यपु तक, नःशु क पढाइ,


छा बृ को यव था र अ भभावकसमतको व यालय यव थापन स म त र श क अ भभावक संघको

गठन गन नी तगत यव थाल व यालय श ा÷ यव थापन त अ भभावकको अस तुि टलाई रोकथाम

अव य गरको छ । यो स धा तअनुसार यस क समको यव थालाई सफा पानीसँग तुलना गन स क छ
। तर राजनी तक भाव, स ब ध प को नि यता, नयमकाननुको भावकार काय वयन र
अनुगमनको अभाव, अ भभावकको कमजोर आ थ क तथा शै क अव था, सरकारको ल चलो श ा


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नी त, कमजोरज ता क ु राह ल अ भभभावक सहभा गतामा असर पु¥याई रहको पाइ छ । य ता





सम याह सबैल आ–आ ना प बाट िज मवार ढगल समाधान गन ला नुपछ । यव थापनमा

बढ भ दा बढ अ भभावकह लाई सहभागी हन अवसर सृजना गर उनीह लाई िज मवार ढगल े



सहभा गता कट गन जागरण पैदा गराउनु आव यक छ । यसै मा यता हज वग को उ रक र आरो य दुई



त वको स धा तम य उ रक त वको स धा तसँग उपयु त भएकोल यस स धा तलाई अ ययनमा

उपयोग ग रएको हो ।
व यालय यव थापनमा अ भभावकह को सहभा गता बढाउन उपायह को स दभ मा प न यो


स धा तल मह व दएकोल यस अ ययनमा यो स धा तबढ उपयु त र सा द भ क द ख छ ।


व यालय यव थापनमा श क ज तक अ भभावक प न अ भ न अंग हन ् । श ण सकाइमा



अ भभावकको प न मह वपूण भू मका ह छ । श ण सकाइमा अ भभावकबाट श कलाई उ रत गन





सहयोग पु¥याउन स नुपछ भन अ भभावकलाई यस काय तफ उ रत गराउन श क, यव थापन


स म त, श क अ भभावक संघ लगायतका सरोकारवालाह ल सहयोग पु¥याउन स नुपछ भनर नै यो

स धा तलाई उपयोगमा याइएको हो

२.३.अनुस धानको ला ग पुनरावलोकनको उपादयता
अनुस धानमा स बि धत सा ह यको स म ा वा स धा तको पुनरावलोकन गना ल स बि धत वषयको

जानकार लन तथा नयाँ वषयव तुको खोज गर य को ग हराईस म पु न स क छ । अ ययन मा



पर ण नग रएका माण वा ानह बारजानकार ा त गरर पूव स धा तमा आधा रत
आ नाअनुस धानमा योभ दा बढ वा नयाँ क ु रा खोज गर न कष मा पु नस नु नै अनुस धानको ला ग
पुनरावलोकनको उपादयता हो ।

यस अ ययनमा समी ा ग रएका सा ह यको अ ययनमा व यालय यव थापनमा अ भभावक
सहभा गताको अव था, सम या र सहभा गता बढाउन उपायह का सरोफरोमा रहर च तन व लषण तथा





अनुस धान ग रएको द ख छ । पूव सा ह यको वषयव तुसंग यो अ ययनको शीष क हबह न मल प न






उ द य, सम या र न कष ह अ ययनको वषयव तुसँग सा द भ क र उपयु त द ख छ । यसथ यस


अ ययनको ला ग वषयब तुको चयन, उ द य नधा रण त यांक व लषण र न कष नका न
पूव सा ह यको अ ययनल नि चत माग नद शन तथा सै धाि तक आधार दान गरको छ । स बि धत


सा ह यको अ ययनमा वण न ग रएको अव था र बत मान अव था तुलना गर कमी–कमजोर र यसको
कारण प ा लगाई सुधारका उपायह सुझाउनसमत अ ययन उपयोगी भएको छ ।


व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था प हचान गन उ द यल जुन वषय

शोधकता बाट छनौट भयो, यो उ द यलाई साथ क र उपलि धमूलक बनाउनका साथै अ ययनलाई पूण ता


दन स बि धत सा ह यको पुनरावलोकन उपयोगी स ध भएको द ख छ । व यालय यव थापनमा
सुधार याउन अ भभावक सहभा गता बढाउन आव यक नी त नमा ण गर लागू गन आगामी दनह मा

सरोकारवालाह लाई सुझाव तुत गन काय लाई स बि धत सा ह यको अ ययनल पूरा ग र दएको छ ।

यस स ब धमा थप अ ययन अनुस धान गन का ला ग अनुस धानका ह खोजी गन स बि धत

सा ह यको अ ययनल सहयोग गरको छ ।


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प र छद तीन

अ ययन व ध





अ ययन व ध अनुस धानलाई अगा ड बढाउन य तो तर का हो, जसल आफ ु ल गनु पन काय योजनालाई


नयमब ध र सहजढगबाट मा णत गन सहयोग गदछ (खनाल,२०६७) । अ ययनमा खोजी गन



ला गएको सम याको वत मान अव थाबार ज ताको य तै या या व लषण ग र छ भन यस अ ययन
व धलाई वण ना मक व ध भ न छ ( नउर,२०६९) ।

यस प र छदमा अनुस धान ढाँचा, अ ययनको जनसं या र नमुना छनौट, त यांक संकलनका साधनह ,


त यांकका ोत, त यांक संकलन या र त यांकको व लषणबार ट पान यास ग रएको छ ।

३.१ अनुस धना मक ढाँचा


अनुस धान काय गनुु भ दा अगा ड ग रन काय ह को परखा अनुस धना मक ढाँचा हो । यसमा

पूव नधा रत साधनह को उपयोग गर संकलन ग रएका त यांकह को व ग करण र व लषणप छ उ चत

न कष मा पु न को शस ग र छ ( नउर,२०६९) । नावल , अ तवाता र ल त समुह छलफलको उपयोग



गर संकलन ग रएको त यांकलाई शाि दक पमा या या व लषण गर ठोस न कष मा पु गन े
अनुस धाना मक ढांचालाई गुणा मक अनुस धान भ न छ (सुवद ,२०६९) ।

यस अ ययनमा समावश भएका उ रदाताह ल य त गरका धारणा एवं बचारलाई यथाि थ तमै वण न





ग रएकोल अ ययन वण ना मक पमा छ । यस अ ययनको उ द यअनुसार शोध नद शकको स लाह र
नद शनमा त यांक संकलनका साधनह नमा ण ग रएको हो । यी साधनह मा सं या मक त यांकभ दा

प न उ रदाताह ल अनुभव गरका, भोगका,दखका सामािजक प रवशका वचार तथा धारणा प का






त यांक संकलन गन तफ बढ जोड दएको र य ता त यांकह संकलन गदा सं या मक आधार लएकोल े
यो अ ययन गुणा मक र प रमाणा मक दुवै अथा त म त अनुस धाना मक ढांचामा तयार पा रएको छ

। त यांक व लषणको ममा अ ययनता को मौ लक वचारलाई प न आव य तानुसार समावश ग रएको

छ ।
३.२ अ ययनको जनसं या र नमूना छनौट

क ु नै प न वषयको एउटा नि चत सम याको अनुस धान गदा सम याको पूर भागको अ ययन
योगा मक पल क ठन मा हन अ ययनमा नय ण कायम गन प न स कदन । साथै समय र





काय बोझको हसावल बढ ज टल र महगो प न ह छ । य तो अव थामा नमूना छनौट गनु पन ह छ ।


अनुस धानको ला ग छनौट ग रएका स पुण मा नस एवं व तुह को समुहलाई नै अ ययनको जनसं या
भ न छ (खनाल,२०६७) ।
यस अ ययनमा सला ह िज लाको परवानीपुर ोत क अ तगतका स पूण सामुदा यक व यालयह र


यी व यालयह संग स बि धत सरोकारवाला प ह यस अ ययनको जनसं याको पमा रहका छन ्।


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जनसं या वा सम बाट यसको त न ध व हन गर एउटा अंश चयन गन काय लाई नमूना छनौट


भ न छ (मुडवर ,२०६८) । नमूना छनौट गन व भ न ब धह मा संभावनायु त र संभावनार हत नमूना
छनौट व ध मुख मा न छ । संभावनायु त नमूना छनौट य तो व ध हो, जसमा जनसं याको यक


एकाई छा नन संभावना बराबर ह छ । अ ययनको जनसं याबाट नमूना छनौट गदा संयोगको आधारमा


नगर शोधकता को यि तगत ई छाअनुसार छनौट ग र छ भन य तो व धलाई संभावनार हत व ध

भ न छ । यह व धको व भ न कारह म य उ द यमूलक व ध प न एक हो (खनाल,२०६७) ।


यस ोत क मा संचा लत २७ वटा सामुदा यक व यालयह म य ५ वटा व यालयह लाई सामा य

संभावनायु त नमूना छनौट व धबाट छा नएको छ । यी व यालयह का धाना यापक, व यालय
यव थापन स म तका अ य , श क अ भभावक संघका अ य , व यालय नर क र ोत

यि तलाई उ द यमूलक नमूना छनौट व धबाट र यक व यालयबाट २÷२ जना श क, ५÷५ जना

अ भभावक र ५÷५ व याथ लाई सामा य संभावनायु त नमूना छनौट व धबाट यस अ ययनमा
उ रदाताको पमा छा नएको छ ।


छनौट भएका व यालयह मा डम जनता उ चमा य मक व यालय परवानीपुर, नपाल राि य जनता
उ चमा य मक व यालय का ल जोर, जन यो त नमा व भोरल न, इ ावती ा व चसापानी,



जलक या ा व झरझरा रहका छन ्। व यालय यव थापन स ब धमा अनुभव ा त, िज मवार र मुख
सरोकार यि तको पमा धाना यापक, व यालय यव थापन स म त र श क अ भभावक संघका
अ य , व यालय नर क र ोत यि तलाई मा नन भएकोल यनीह लाई यस अ ययनमा


उ रदाताको पमा छा नएको हो ।


३.३ त यांकका ोतह


पूव नधा रत उ द यअनु प क ु नै गुण वा वशेषताका आधारमा सु यवि थत तर काल संकलन ग रएको

आंकडाको समूहलाई त यांक भ न छ । जुन बाट त यांक ा त गन स क छ, यस लाई


त यांकका ोत भ न छ (जोशी, २०६८) । क ु नै प न अ ययनको व प र क ृ तअनुसार त यांक ोतह
फरक–फरक ह छन ् । त यांकका ोतह लाई ाथ मक र सहायक गर दुईवटा समूहमा ब ग करण

ग रएको ह छ । यस अ ययनमा यनै दुईवटा त यांक ोतह को योग ग रएको छ ।

३.३.१ ाथ मक ोत
अनुस धानकता बाट संकलन ग रएको मौ लक त यांकह लाई ाथ मक त यांक भ न छ (जोशी,

२०६८) । नावल , अ तरवाता र ल त समूह छलफलबाट ा त ग रएका त यांकह लाई यस

अ ययनमा ाथ मक त यांकका ोतको पमा योग ग रएको छ । यी त यांकह ल अ ययनलाई पूण ता
दन सहयोग गरको छ ।

३.३.२ वतीय ोत


अ य प बाट प हल नै संकलन गर तयार पा रएका एक क समको सा हि यक ववरणह लाई वतीय

त यांक भ न छ (जोशी, २०६८) । यस अ ययनमा छनौटमा परका व यालयह को व याथ भना , बैठक
पुि तका, व यालय सुधार योजना तवदनका साथै अ ययनसंग स बि धत लख—रचना, अ का शत


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शोधप , जन ल, पु तक, प प का अ ययन गर ोत साम ीको पमा त यांक संकलन ग रएको छ ।

जसल अ ययनलाई उ द यमूलक बनाउनसाथ क बनाउन सहयोग पु¥याएको छ ।











३.४ त यांक संकलनका साधनह

अ ययनको ममा संकलन ग रन त यगत सूचनाह अनुस धानको त यांक हन ्। तनै त यांकह संकलन गन


ममा योगमा याइन औजारह लाई त यांक संकलनका साधन भ न छ (खनाल, २०६७) । यस अ ययनको

ला ग न न साधनह योग ग रएको थयो ◌ः

३.४.१ नावल

नावल यवि थत पल मलाइएका नह हन, जसलाई अप त जानकार ा त गन जनसं याको



त न ध समूहमा संचालन ग र छ (खनाल, २०६७) । नावल संर चत र असंर चत गर २ कारका ह छन ्


। व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था, सम या, श ण सकाइमा यसल पारको

भावका स ब धमा सुचना जानकार ा त गन उ द यल नावल नमा ण गर व यालय नर क, ोत


यि त, धाना यापक र श कह बाट उ र भराइएको थयो । (जुन अनुसूची १, २ र ३ मा रा खएको छ)
३.४.२ अ तवाता


अ तवा ता संचार आदान दान वा अ त याको यो व ध हो, जसमा अ तवा ता दन यि तल आमनसामन े



भएर मौ खक पमा आव यक जानकार दन गदछ । गुणा मक र प रमाणा मक दुवै क समका

अनुस धानमा व वसनीय र बैध त य संकलन गन योग ग रन एउटा व ध नै अ तवा ता हो । अ य व ध वा

साधनबाट त यांक संकलन गन क ठन भएका त यगत सूचना तथा जानकार ह अ तवा ता का मा यमबाट

ा त गन सहयोग पु दछ ( नउर,२०६९) । यसबाट यि तको आ त रक वचार, धारणा, स च प ा लगाउन
स क छ ।
यस अ ययनमा व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था, सम या र उपायका स ब धमा
थप जानकार तथा सूचना ा त गन अ भभावक, व यालय यव थापन स म त र श क अ भभावक संघका
अ य संग अ तवा ता लन उ द यल असंर चत अ तवाता सूची तयार पा रएको थयोे । (जुन अनुसूची ४ र ५



मा रा खएको छ)

३.४.३ ल त समूह छलफल
उ द यमूलक ढगल नि चत वषयमा कि त भै क ु राकानी गनु लाई ल त समूह छलफल भ न छ (सुवद ,





२०६९) । अ ययनको उ द यसंग स बि धत व भ न आव यक सूचना संकलन गन का ला ग शोधकता को

अनुरोधमा धाना यापक, श क, व याथ अ भभावक, व यालय यव थापन स म त र श क


26








अ भभावक संघका अ य लाई भला गराई नधा रत उ द यह मा कि त भएर समूहगत छलफल ग रएको
थयो । नावल र अ तवा ता बाट ा त त यह को पुि ट गन र थप सूचना ा त गन समूह छलफल
चलाइएको थयो । छलफलमा य त भएका धारणा तथा वचारह लाई सारमा टपोट ग रएको थयो ।


३.५ त यांक संकलन या

त यांक ोतह बाट ज मा ग रएको त यांकह लाई एक ठाँउमा मलान गनु नै त यांक संकलन या
हो (मुडवर , ०६८) । यस अ ययनको ला ग आव यक पन सुचना, जानकार तथा त यांक ा त गन

अनुस धानकता वयं अ ययन मा नै पुगी छनौट ग रएका यि तह संग अलग अलग पमा य


भटघाट गर आ नो उ द य बताई आव यक समय र सहयोगको ला ग अनुरोध ग रएको थयो । स पक
यि तह को सहमतीअनुसार यक व यालयमा अलगअलग समयमा भला गराई नावल भराउन, े



अ तवा ता लन र समूह छलफल गर सहभागीह बाट त या तथा धारणा टपोट ग रएको थयो ।
यसैगर सहायक त यांक ोतको पमा यक व यालयमा पुगी व याथ भना र बैठक पुि तका,

पलाश रप ट, शै क दप ण, मा रका, व यालय सुधार योजना र शै क याल डर अ ययन ग रएको

थयो । अ ययनसंग स बि धत व भ न सा ह यह म य शोधप , प का, जन ल, व भ न पु तकह

संकलन गर अ ययन ग रएको थयो र यसबाट आव यक क ु राह टपोट गर अ ययनलाई पूुण ता दन
सहयोग गरको छ ।



३.६ त यांक व लषण या



त यांकन संकलनका साधनह बाट संकलन ग रएका जानकार तथा सूचनाह लाई अथ पूण ढगल संगठन

र या या गनु लाई व लषण भ न छ ( नउर,२०६९) । अ ययनको ममा ाथ मक तथा वतीय

त यांकका ोतह बाट ा त त यांकह लाई अनुस धानको उ द यको प र ध भ रह सोह

चरणब ध पमा व भ न शीष क उपशीष कमा राखी वण ना मक व धबाट गुणा मक र प रमाणा मक
अथा त म त अनुस धना मक ढांचामा व लषण गर नचोड नका लएको छ । यक शीष कको




व लषण र या या हज वग को उ रणा त वको स धा तका आधारमा ग रएको छ । त यांकलाई
व लषण गदा त यांक शा ीय ब ध योग ग रएको छन ।


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प र छद चार

न तजाको व लषण


क ु नै प न अ ययन तथा अनुस धानका ला ग छनौट ग रएका नमूनाबाट सह त यगत सूचना जानकार
ा त ग रसकप छ यसलाई व लषण तथा तु तकरण गनु पदछ । यसबाट नै अ ययनको न कष




नका न स क छ । यस शोध अ ययनको उ द य ाि तका ला ग नावल , अ तवा ता र ल त समूह
छलफल साधनह को योगबाट संकलन ग रएको त यांकह लाई अनुस धना मक नह मा आधा रत

रह या या मक पमा न नानुसारको शीष क उपशीष कमा व लषण तथा तुतीकरण ग रएको छ ◌ः
४.१ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था



व यालय यव थापनअ तगत शै क, आ थ क, भौ तक, मानवीय प ह पदछन ् । यनै व भ न

प ह मा अ भभावक सहभा गताको अव था प हचान गनु यस अ ययनको मु य उ द य हो । यसै

उ द यलाई यस अ ययनमा मु य शीष क बनाइएको छ । ा त सूचना जानकार त यह लाई सव थम

मु य शीष कसँग स बि धत गराई व भ न उपशीष कमा वग करण गर व लषण ग रएको छ ◌ः
४.१.१ शै क यव थापनमा अ भभावक सहभा गता



व यालयमा संचालन ग रन शै क ग त व धह को समु चत यव था मलाउनु नै शै क यव थापन
हो । व याथ भना , शै क योजना नमा ण, नय मत पठनपाठन तथा मू यांकन यव था, क ाकोठा
यव थापनका काय ह शै क यव थापनका वषयह हन ्।





सामुदा यक व यालयका अ भभावकह व यालयमा आउन नसकको, पढ–लखका सी मत

अ भभावकह प न व यालयमा चासो रा े काममा जाँगर नदखाएको त य अ धकांस व यालयका


धाना यापकह ल बताए । आ ना बालब चाको पढाइ लखाइ क–क तो छ, क ु न अव थामा क कसर







पढदछ भनर बु नस म नआउन, व याथ भना गराई सकप छ फक र नआउन, छा बृ रकम बु न र
श ण शु क बुझाउन प न आफ नआउन र श कसंग सरस लाह लन काम आजस म अ भभावक



तफबाट नभएको त य डम जनता उमा वका धाना यापकल बताए । ढलोगर व याथ भना गन


आउन, वचैमा पढाइ छा न, नय मत व यालयमा बालब चा नठाउन, गृहकाय , सरसफाई, पा यपु तक,



28








कापी कलमको सुर ामा यान न दन सम या रहको र आफ ू ल अ भभावकलाई पटक–पटक संझाउदा प न


सुधार गन नसकको क ु रा जलक या ा. व.का धाना यापकल बताए ।
अ भभावकह ल चासो न दएकोल व यालयह मा श क यव थापनको सम या रहको, श क




व याथ नय मत उपि थत नहन, पठनपाठन तथा मू यांकन भावकार नभएको, शै क योजना बनाई




सोअनुसार काय नगरकोल श ण यव थापन नय मत ब न नसकको र यसका ला ग व यालय
यव थापन स म त, श क र धाना यापकल प न अ भभावकको स यता बढाउन आव यक पहल

गनु पछ । तर मह व बुझेर प न यस काय मा यव थापन प ल चासो नराखको नज ोत यि तल बताए





आ ना स तानको भ व य सबै अ भभावह चाह छन ् तरप न अ भभावकको आ नै बा यताह ह छन ्।




मु कलल प रवार धा नुु पन अव था छ, काम गरर खानुपन भएकोल आ नाबालब चाको पढाइलखाइमा



यान गएको हँदन । सरकारल क ू ल र श क यव था ग र दएको छ, प नपढाउन काम क ू लमा



भैहा छ भ न सोच अ भभावकह मा छ । शै क अव था प न कमजोर छ । व यालय गएर बो न, न

सो न सम या रा े धक मा न र छलफल संवाद गन मता नहनाल शै क ग त व धको चासो र





नगरानी रा े काम अ भभावकह बाट हन स करहको छन भ न त य श कह ल बताए ।



व यालयमा पटक–पटक आउन फ ू स द प न नहन र व यालयमा बालब चालाई प न पठाएर सहयोग


गरको, व यालय गएर अनुगमन, नगरानी र सचत गराउन क ु नै प न यव थापक य भू मका नभएको,






व यालयल प न अ भभावकको भू मका उप ा गरकोल अ भभावकबाट व यालय ग त व धमा चासो



रा े काम नभएको हो भ न जानकार अ भभावकह ल दए ।
उ रदाताह ल य त गरका धारणा तथा भनाईह का आधारमा व लषण गदा शै क यव थापन



व यालय यव थापनको मुख प हो । व यालयमा नय मत पढाइ लखाइ ह छ÷हदन, आ ना





बालब चा क–कसर क ु न अव थामा प ढरहको छ, श क तथा व याथ नय मत व यालयमा

आउछ÷आउदन, क ाकोठा शै क साम ी, श क यव थापनको अव था क—क तो छ भनर





अ भभावकह ल हन र बु न स क छ । तर सबै सामुदा यक व यालयमा यस खाल चासो र स यता





अ भभावकको द खएन । व यालयह मा श क व याथ नय मत नहन, पठनपाठन तथा मू यांकन

यव था भावकार नभएको, श क यव थापनमा सम याज ता थु ै सम याह अ भभावक
सहभा गाताको अभावल उ प न भएको र श क, अ, व यालय यव थापन स म तसमतल यसतफ



यान पु¥याउन नसकको द ख छ ।


यसैगर अ भभावकह को कमजोर शै क आ थ क अव थाल प न अ भभावक सहभा गतामा भाव




पारको द ख छ । एकपटक भना गराई सकप छ व यालय जानु नपन , सरकार व यालयमा सरकार



श कल पढाउन भएप छ आफ ु ल यान दइरहनु नपन , रोजीरोट मा यान दनु परको साथै व यालय


गएर अनुगमन, नगरानी र सचत गराउनज ता क ु नै प न यव थापक य भू मका नभएको र व यालयल े



प न अ भभावकको भू मका उप ा गरकाल शै क ग त व धमा चासो नभएको द ख छ ।


४.१.२ आ थ क यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अव था


29







व यालय संचालनका ला ग चा हन आ थ क ोतह को चाँजोपाँजो मलाउनु नै आ थ क यव थापन हो ।
व यालयको शै क वकासमा आ थ क यव थापनको ठ ू लो भू मका ह छ । शै क वकासका नि त


अ भभावकल व यालयलाई नगद तथा िज सी ब तुसमत उपल ध गराएर आ थ क सहयोग पु¥याउन



स क छ । साथै व यालयमा उपल ध भएका हरक आ थ क ोतह को पारद श पमा प रचालन र लखा
रा े काममा समत स य भू मका नवा ह गन स क छ ।





मा य मक तहका व यालयह मा ६ क ाद ख व याथ श ण शु क लन गरको र यसर उठको रकम



श क यव थापनमा खच हन गरको छ । यस रकमल मा श क यव था गन क ठन भैरहको अव था





छ । यसबाहक व यालयको आ थ क ोत कह प न नभएको र समुदाय र अ भभावकह ल क ु नै आ थ क






सहयोग गरका छनन् । ब उ ट श ा नःशु क भएकोल श ण शु क बढाउन नपाउन भ न गुनासो
बलाबलामा अ भभावकह ल आफ ु लाई कट गन गरको त य धाना यापकह ल बताए । व यालयमा






सरकारबाट उपल ध गराउन छा बृ , पु तक, शास नक अनुदान, भवन मम त तथा नमा ण खच आद





शीष कको रकममा भन कह सचत अ भभावकह ल मा चासो राखर सोध खोज गन तर अ धकांस

अ भभावकह ल भन छा बृ रकम बारमा बढ चासो रा े गरको क ु रा न.रा.ज.का धाना यापकल बताए









ाथ मक तहका व यालयह मा व याथ शु क उठाउन नपाउन भएकोल अ त र त आ थ क ोत शु य


अव थामा रह छ ज ल गदा डे क ब च मम त, सरसफाई, खानपानी, शौचालय मम त गन कठ न भएको




छ । व यालयको भौ तक अव था त अ भभावक चि तत द खदन, हामील आ थ क ोत संकलनका



ला ग छलफल गन बैठक रा य तर सबै खच सरकारल यहोछ, भ न धारणा अ भभावकको रहको श क

तथा धाना यापकह ल जवाफ दए । व यालयको आय– यय कसर रा े ग रएको छ भ न स दभ मा



अ भभावकल िज ासा न नगरको तर कह पढ–लखका अ भभावकल भन व यालयको लखा









यव थापनका स ब धमा चासो य त गन गरको डम जनता उमा वका धाना यापकल बताए ।

यक वष व यालयको काम कारवाह को सामािजक पर ण गनु पन यव था छ । तर क ु नै प न


व यालयमा सामािजक पर ण स म तको गठन नभएको, अ भभावकल प न चासो नराखकाल े

सामािजक पर ण हन नसकको क ु रा एक श कल बताए ।



उ रदाताह को उ रका आधारमा व लषण गदा व यालयको शै क वकासमा आ थ क यव थापनल े


ठ ू लो सहयोग पु¥याउन भएकोल व यालयको आ थ क यव थापनमा अ भभावकल सहयोग पु¥याई


सहभा गता दखाउनु पदछ । व यालय श ा नःशु क भएकोल क ु नै प न अ भभावकल व यालयलाई







आ थ क सहयोग नगरको द ख छ । छा बृ रकम र श क यव थापनको ला ग उठाउन श ण शु क
स ब धमा पटक–पटक गुनासो गरको द ख छ । तर लखा पर णलगायत अ य क ु राह मा भन अन भ









रहको द ख छ । पढ–लखका कह अ भभावकल भन लखा यव थापन स ब धमा न गन गरको







द ख छ । क ु नै प न व यालयमा सामािजक पर ण स म तको गठन नभएको र अ भभावकल प न चासो



नराखकाल सामािजक पर ण हन नसकको द ख छ ।


४.१.३ भौ तक यव थापनमा अ भभावक सहभा गता


30







व यालय संचालन गन चा हन आव यक भौ तक ोत साधनह को उ चत चाजोपांजो मलाउनु नै भौ तक
यव थापन हो । यसअ तग त व यालयको ला ग डे कब च, टबुल क ु स दराज, भवन, खलक ु द सामा ी,



काठपात, ज गाज मन उपल ध, संर ण, सं ब धन गर अ भभावकल भौ तक सहभा गता कट गन

स क छ ।


अ हल व यालयलाई भौ तक सहयोग मा हन, यसको यव थापनमा प न अ भभावकको त परता





द खदन । व यालयको भवनद ख क ाकोठाको ला ग चा हन सबै यव था सरकारल मलाएको ह छ ।

यसको यव थापन गन काय व यालय यव थापन स म त र अको हो भ न मान सकता

अ भभावकमा भएको त य इ ावती ा. व.का एक श कल बताए । उनका अनुसार खानपानी, शौचालय,




ख न मैदान, क ाकोठाको सम या छ । व यालयको रखदख गन यव था मलाउन नसककोल े





कागजात हराउन, फोहोर हन, भवन भ कन अव था छ । यस अव था त अ भभावक चि तत हनुह न ।




व यालयको भौ तक अव था सुधान धाना यापक श क, व यालय यव थापन स म त र

अ भभावक सबै एक भएर ला नुपछ । अ भभावकल आ ना बालब चालाई प न पठाउन र श कल े







पढाउन मा गरर हदन र िज मवार बाट पि छनु प न हदन । यहाँ सबैजना आ ना िज मवार बाट






पि छन बृ छ । यसैल यो अव था आएको व यालय न र कल बताए ।
उपरो त त यह को व लषण गदा व यालयलाई आव यक पन भवन, ज गा काठपात, फ न चर सामान,


खानपानी, शौचालय आ दको यव था मलाउनु भौ तक यव थापन हो । यस काय मा आव यक भौ तक
व तु उपल ध गराई सहयोग गनु र आव यक भौ तक ब तु उपल ध गराई सहयोग गनु र उपल ध भौ तक





ब तुको सह ढगल यव थापन रखदख संर ण स ब वन गनु अ भभावकको प न ठ ू लो भू मका हनुपदछ

। तर य तो भू मका अ भभावकल नवा ह गन नसककको द ख छ । अ हल व यालयमा खानपानी,






शौचालय कोठा, आद को सम या रहको र यसमा अ भभावकह ल खासै चासो राखको द खदन । उ ट ै




िज मवार बाट पि छन बृ बढको द ख छ । श क, व यालय यव थापन स म त, अल प न









िज मवार बाट नप छर अ भभावक समतलाई सहभागी गराई भौ तक अव था सुधार गन तफ ला नुपन

द ख छ ।
४.१.४ जनसहयोगको यव थापनमा अ भभावक सहभा गता
व यालय एक सामािजक सं था हो । व यालयको सम शै क वकाशका ला ग जनसहयोगको प न



आव यकता पदछ । अ भभावक आफल व यालयको शै क वकासको ला ग आ थ क भौ तक सहयोग




गन नसकप न य ता ोतह जुटाउन अ भभावकल स य भू मका ख न स नुपछ । जनसहभा गताबाट
व यालयलाई आव यक ोत साधन जुटाउन स क छ । जनसहभा गता जुटाउन काय मा अ भभावकल े


सहयोग पु¥याउन स नुपछ ।
आ ना वालब चा प न व यालयको ला ग आव यक भौ तक तथा मानवीय सहयोग जुटाउन

अ भभावकल यास ग ररा ु पदछ । जनसहयोग जुटाई भौ तक नमा ण गनु पन नी त सरकारको रहप न




समुदायबाट आ थ क भौ तक सहयोग तथा मदान ा त नभएको गुनासो नपाल राि य जनता उमा वका

धाना यापकल य त गर । व यालयमा खानपानीको अभाव हदा गाउघरमा पानी मागर पउनुपन









बा यता रहप न खानपानीको यव था मलाउन स बि धत नकायमा गएर अनुरोध गन काम गरको


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हदन । बाटोघाटो मम त, सरसफाई गन , नमा ण सा ागी ओसान जनसहयोगको खांचो पछ । जनसहयोग




जुटाउन अ भभावकको सहयोग चा ह छ । यसकाय मा अ भभावकल खासै सहयोग पु¥याएको हदन भनर


डमजनता उमा वका व यालय यव थापन स म तका अ य ल बताए ।

उ रदाताह ल बताए अनुसार व लषण गदा व यालयको शै क वकासका ला ग आ थ क तथा भौ तक


ोत साधन जुटाउन र जन मदान गन काय मा अ भभावकल ठ ू लो सहयोग गन स नुपदछ । व यालय



सामािजक सं था हो र यो सं था आफ नच न भएकाल ोत साधनको ला ग जनसहभा गता जुटाउन र






आ ना बालब चाको श ाको ला ग अ भभावकल जनसहयोग जुटाउन काय नगरको द ख छ ।

खानपानी, शौचालय, बाटोघाटो र सरसफाईको ला ग स बि धत नकायमा अनुरोध गन काय ह नगरको




द ख छ । समुदाय र संघसं थाबाट सहयोग जुटाउन काय मा एकजुट नभएको द ख छ ।

४.१.५ अ त र त याकलाप र अ भभावक दवशमा अ भभावक सहभा गता

अ भभावक सहभा गता बढाउन उपायको पमा अ भभावक दवशलाई मु य लइ छ । तर य को मह व


बु न÷बुझाउन नसकक कारण काय म नग रएको त य श कह ल बताए भन श क अ स म तल े


प न चासो न दएको भनाई अ भभावकह को र ◌्यो । अ त र त याकलाप व यालयमा नय मत
संचालन गर अ भभावकलाई प न सहभागी गराउन सक श क तथा व याथ दुवैको हौसला बढर जान े






छ । व यालयह मा क क तो याकलाप संचालन ह छ भनर जानकार नै हदन । पढ–लखका सचत






अ भभावकल व यालयमा हन अ त र त याकलापमा अ भ च रा े गरको तर अ य अ भभावकह ल े




चासो रा े नगरको त य श कह ल बताए ।



क हलकाह मा संचालन हन अ त र त याकलापमा जानकार नगराउनाल अ भभावकल य तो





याकलापमा सहभागी हन अवसर ा त भएको हदन । यसमा श क, अ र व यालय यव थापन



स म तकसैल चासो ददनन्भ न गुनासो व याथ ह ल गर ।




उ रदाताल उपल ध गराएको त यांकका आधारमा व लषण गदा व यालयमा अ भभावक दवश र


अ त र त ंmयाकलाप संचालनगर अ भभावकलाई सहभागी गराउदा श क, अ भभावक तथा




व याथ को हौसला बढन र अ भभावकल व यालयका धर वषयमा जानकार हा सल गन अवसर ा त


हन क ु राको मह व बु न÷बुझाउन नसकको कारण य ता ग त व धह आयोजना नभएको र क हलकाह


हन अ त र त याकलापमा प न अ भभावक सहभागी नहन गरको द ख छ । य तो काय नहनुमा







श क, अ भभावक, धाना यापकर ◌े व यालय यव थापन स म तल चासो नराखको द ख छ ।



४.१.६ अ भभावक भला र यव थापन स म तको गठनमा अ भभावक सहभा गता

व यालय यव थापन स म तको गठन व यालय यव थापनको एक मह वपूण यव थापक य काय

हो । यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बढाउन उपायको पमा व यालय यव थापन स म त र
श क अ भभावक संघको गठन गन अवसरलाई लन स क छ । यस स म तको गठन गन अ भभावक



भला बोलाउनु पन अ भभावक भलाबाट गठन गनु पन यव था छ । व छ, इमा दर, व यालय तथा


32






व याथ को हक हतमा काम गन यि तह को छनौट गन अ भभावक भलामा सहभागी भै स य पमा

अ भभावक य भूमका नवा ह गनु पदछ ।

अ भभावकक नतृ वमा अ भभावक भलाबाट स म तको गठन गनु पन भएप न राजनी तक तहमा दल य



भागव डा लगाई स म तको गठन हन भएकोल अ भभावकह उ शाह त हदनन् भ न धारणा श क र







अ भभावकह ल य त गर । यव थापन स म तको अ य पदको ला ग राजनी तक दलह बीच हन े

राजनी तक खंचातानीक कारण अ भभावक सं या कम भएर पटकपटक अ भभावक भला थ गत


गनु परको त य एक धाना यापकल बताए ।



यी भनाईह का आधारमा व लषण गदा व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बढाउन े
उपायका पमा व यालय यव थापन स म त, श क अ भभावक संघको गठन अवसरलाई लन
स क छ । यनीह को गठन अ भभावकक नतृ वमा अ भभावक भलाबाट हन यव था छ तर अ धकांस







व यालयमा व यालय यव थापन स म तको गठन राज न तक ढगबाट हन गरको द ख छ । दल य




भागब डा न म दा राजनी तक खंचातानी हनहदां अ भभावकह को त न ध व सं या प न कम हन े




अ भभावकमा नरासा उ प न भै स म तको गठनमा स यता दखाउन छाडेको र अ भभावक सं याको




कमील अ भभावक भला थ गत गनु परको अव था प न द ख छ ।

४.१.७ नी त नमाण र व यालयको सुप रव णमा अ भभावक सहभा गता

नय मत पठनपाठन, शु क नधा रण, पर ा, व याथ अनुशासन भौ तक नमा ण, व यालय सुधार
योजनाज ता वषयह मा नी त नमा ण र य ता वषयह को सुप रव ण गनु व यालय यव थापनको

मह वपूण काय ह हन ् । य ता काय ह मा अ भभावकह लाई सामल गराउन सक व यालय यव थापन





सु यवि थत र नय मत बनर शै क सुधार हन क ु रा प का छ । यसका ला ग व यस गठन भएको ह छ




सबै अ भभावकह लाई पटकपटक बोलाई बैठक रा प न स कदन । सबै अ भभावकह मा नणय लन े


मता प न हदन । मह वपूण वषयह मा नण यका ला ग अ भभावकलाई प न बोलाइ छ तर थोरमा


उपि थत ह छन ् । उपि थत भएका अ भभावकह ल प न स य भू मका नवा ह गरको द खदन भ न े




व यसका अ य र अह को भनाई र यो । व यालयमा पठनपाठन, भौ तक अव था, श क

व याथ को नय मत उपि थ त कक तो छ व यालयमा आएर हन र कमीकमजोर का बारमा







स बि धत प लाई सुझाउन काय पढलखका कह अ भभावकह ल मा गरको ह छ, अ श कह ल े



बताए ।



व यालयमा क क ता नण य ग र छ, अ भभावकलाई क ु नै जानकार हदन । क हलकाह बोलाउन े


बैठकमा प न अ भभावकको वचारको सुनबाई हदन । राजनी तक यि त र गैर अ भभावकह नै बढ


हावी ह छन ् । नी त नमा णमा अ भभावकबाट क क त भू मका नवा ह गन साथै सुप रव ण गन





वषयह मा अ भभावकको खास यव थापक य भू मका द खदन । अ भभावकको भू मका व यस गठन


गनु मा रहको छ भनी अ भभावकह ल आ ना वचार तुत गर ।


सहभागी उ रदाताह का भनाईका आधारमा व लषण गदा नी त नमा ण र सुप रव ण क कसर गन


भ न वषयह मा अ भभावकको खास यव थापक य भू मका नरहको, अ भभावकलाई यस वषयमा क ु नै


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जानकार नगराउन त य द ख छ । क हलकाह बोलाउन बैठकमा प न अ भभावकको वचारको सुनबाई



नभएर राजनी तक यि त र गैर अ भभावकह का नण य नै बढ हावी हन ग रएको द ख छ । नी त


नमा ण र व यालय सुप रव णका ला ग व यस गठन भएको ह छ भ न धारणा रहकोल अ भभावक





सहभा गतामा कमी आएको द ख छ । मह वपूण वषयह को बैठकमा अ भभावक उपि थत भएर स य


भू मका नवा ह गरको द खदन ।


एका तर थानीय तरमा संचा लत व यालयह को रखदख संचालन र यव थापनमा अ भभावकको







नै तक िज मवार छँदछ, अक तफ कानुनी िज मवार प न रा यल थप यव था गरको छ । यस
हसावल व यालयमा अ भभावकको नै तक र कानुनी िज मवार दुबै छ । य तो िज मवार ल े



अ भभावकको अ धकार तथा भावनाको कदरस मान भएको छ । यसल आरो य स धा तअनुसार सफा



पानील ज तै आरो यताको मा काम गरको छ । यस मानमा आरो य स धा त उपयु त द ख छ तर



यस अ ययनमा उ रक त वको स धा तलाई मा मह व दइएको हदा क ु नै प न सं थाको वकासको





ला ग सं थामा आब ध यि तह मा उ रणा जगाउनुपछ भ न मा यता यस स धा तको रहकोल े



वत मान नी तगत यव थाल मा सकारा मक स तुि ट दन सकको छन ।

यस स धा तमा सं थामा काम गन यि तह लाई मा लएको छ । सं थामा काम गन यि तलाई


उ रत गन सहयोगी यि तह लाई प न उ रत गराउनु पछ भ न मा यता रहको पाइदन भन े








अका तफ उ रक त वमा क क क ु राह ल भाव पादछन ्भ न क ु रा उ लख ग रएको छन । अ भभावकलाई





व यालय यव थापनमा सहभागी हन उ रत गराउन स कएको छन । सबै अ भभावकह लाई



उ सा हत बनाई वः फ ू त पमा व यालय यव थापनमा सहभागी गन गराउन यव थापन प धरह ल े

नस कएको अथा त उ रत हन वातावरण सृजना ग रएको पाइएन । तसथ हज बग का उ रक त वको



स धा तसंग यो शीष कमा ा त त यह को ब लषणको नचोड मल खान सकन ।



यस शीष कको ाि तह मा व याथ भना , पठनपाठन तथा मू यांकन यव था, शै क साम ीको


यव था, शै क योजनाको यव थापनमा अ भभावकल िज मवार पूव क यान दन नसकको पाइयो ।

व यालयको शै क यव थापनमा मा हन, आ थ क भौ तक तथा जनसहयोगको यव थापनमा प न

यान दन नसकको र व यालयलाई क ु नै सहयोग र जन मदान उपल ध गराउन काम अ भभावकको



तफबाट नभएको पाइयो । मा य मक तहमा उठाउन श ण शु क र छा बृ को रकम स ब धमा

पटकपटक चासो य त गन गरको पाइयो । व यालयको आ थ क यव थापनमा पढलखका सचत





अ भभावकल चासो र नगरानी गन गरको द खयो । तर भौ तक स प ीको संर ण र संब धन काय मा



सबैखाल अ भभावक नि य भएको पाइयो ।



यसैगर व यालयको रखदख, संचालन र यव थापन गन काम व यालय यव थापन स म तको हो
भ न सोच अ भभावकह मा रहको पाइयो । क हलकाह मा संचालन हन अ त र त याकलापमा प न







अ भभावकको खासै सहभा गता नभएको पाइयो । व यालयल खासै मह व न दएकाल अ भभावक दवस




मनाउन चलन हराउद गएको पाइयो । व यालय यव थापन स म तको गठन राजनी तकढगल हन े

भएकोल अ भभावकह अ भभावक भलामा उ शाह भएर सहभागी हन नसकको त य प न ा त भयो ।




सामािजक पर ण, नी त नमा ण र व यालय सुप रव णमा प न अ भभावक सहभा गता सबल रहकोे

पाइएन । अ भभावकको व यालय यव थापनस ब धी अस मताको कारण र अ भभावकसंग यी

वषयह मा छलफल र अ तर या नगरकोल य तो सम या आएको भ न त य पाइयो ।


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४.२ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताल याएका प रवत नह

सामुद यक व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बषयमा ग रएको यस अ ययनमा


अ भभावक सहभा गताल व यालय यव थापनको क ु न–क ु न प मा प रवत न याएको छ भनी अ ययन
ग रएको थयो । उ रदाताह बाट ा त सूचना त यांकह लाई व भ न उपशीष कह मा बाँडेर मशः
अलगअलग गर तल तुत ग रएको छ ◌ः


४.२.१ व यालयको शै क तरमा सुधार

व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताल शै क तर सुधारमा उपलि धमूलक प रवत न

याउन सहयोग पुया उछ । सं यामा थोर भएप न आ नो व यालयमा अ भभावकबाट पठनपाठनको



अवलोकन गन , मू यांकन न तजा बुभन, श क तथा व याथ को नय मत उपि थ त बार सो न काय





बला बखत हन भएकाल व यालयमा पढाइ लखाइ नय मत संचालन हद आइरहको छ । श क तथा




व याथ प न नय मत उपि थ त ह छन ्भनी जन योती नमा वका अको उ र र यो ।



व याथ भना गन अ भभावक आफ आउन गरको, व याथ भना सं या बढको, व यालय छा न दर




घटको, टकाउ दर बढको छ । यीे सबै उपलि धह अ भभावकक सहभा गताको उपज हो । श त





अ भभावकह ल त आ ना बालब चाको पढाइ लखाइ क क तो छ भनी घरमा प न जां न, बुभन र



यूशनको यव था मलाउनज ता उपयु त शै क वातावरण ृजना गन हदा व यालयको शै क




उपलि ध रा ो रहको सोह व यालयका श कल बताए ।
यी त यह का आधारमा व ल गदा व यालयको शै क तर बढाउनमा अ भभावक सहभा गताल ठ ू लो







भू मका ख न द ख छ । अ भभावकह ल व यालयमा आएर आ ना बालब चाको पढाइ लखाइको तर



बुभन, श क तथा व याथ को नय मत उपि थत छ छन सो न र घरमा प न पढाइ लखाइको उपय त

वातावरण मलाइ दन काय मा अ भभावकल यान दएको हदा व यालयको शै क उपलि ध रा ो रहको






द ख छ ।





अ भभावक सहभा गताल व याथ भना सं या बढको, व यालय छा न दर घटको र टकाउ दर बढको

समत द ख छ ।

४.२.२ व यालयको आ थ क स मतामा बृ ध
आ थ क पमा व यालय स म भएमा व यालयको शै क तर बढाउन स क छ । नीिज ोतमा थप
श कको यव था गनर्, शै क सामा यव था गन , क ाकोठा थ न श कलाई ता लमको यव था


गन र अ य काय ह गन व यालयको आ थ क ि थ त सबल हनुपछ । व यालयलाई आ थ क पल स म

बनाउन अ भभावक सहभा गताल सहयोग पुया उछ ।


व यालयलाई आ थ क सहयोग तथा च दा दन, व यालयको आ थ क ोतको खोजी गर उपल ध

सहयोग रकमको प रचालन तथा यव थापन अ भभावकह ल गन सकमा व यालयको आ थ क

ि थ तमा सुधारा मक प रवत न याउन स क छ ।


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व याथ भना शु क, श ण शु क,पर ा, शु क र थाना तरण शु क व यालयको मुख ोत रहकोल े



अ भभावकल य ता शु कह ब् ◌ुाझाइ सहयोग ग ररहका छन ्। यसबाट व यालयको आ थ क पमा कह




टवा पुगको छ । भन शै क वकासमा ठ ू लो राहतको काम गरकोछ । तर यी बाहक व यालयलाई अ य



आ थ क सहयोग तथा च दा दन र व यालयको आ थ क ोतको खोजी गन काय मा सहयोग भएको छन ।



यसैल आ थ क सम या भो नु परकोभ न क ु रा डम जनता उमा वका अल बताए ।


अका एक व यालयका श कका भनाई अनुसार पढखका र व यालयको शै क यव थपनमा चासो





रा े कह अ भभावकल भन व यालयमा ा त हन आ त रक ोतका आ दानी व यालयमा सरकारल े



पठाउन व भ न शीष कको रकमको हर हसाब स ब धमा खोजी न त गन गरकोल व यालयको आ थ क


यव थापन चु त रा े यास गरको छ ।

उ रदाताह ल भनाइका आधारमा व लषण गदा नीिज ोतमा थप श कको यव था गनर्, शै क

सामा यव था गन , क ाकोठा थ न श कलाई ता लमको यव था गन र अ य काय ह गन


व यालयको आ थ क ि थ त सबल हनुपछ । व यालयलाई आ थ क पल सबल र स म बनाउन

अ भभावक सहभा गताल सहयोग पुया उन स न द ख छ । व याथ भना शु क, श ण शु क,पर ा,







शु क र थाना तरण शु क बुझाइ अ भभावकल सहयोग गरकोल व यालयको आ थ क स मतामा कह


हदस म टवा दएको द ख छ । तर यी बाहक व यालयलाई अ य आ थ क सहयोग तथा च दा दन र




व यालयको आ थ क ोतको खोजी गन काय मा सहयोग नभएकोल व यालयल आ थ क सम या

भो गरहको द ख छ ।

४.२.३ भौ तक अव थाको सुधारमा

जबस म व यालयको भौ तक अव था व याथा को सकाइ अनुक ु ल हदन तबस म शै क सुधार हन


स दन । यसका ला ग व यालयको भौ तक यव थापनमा अ भभावकको सल नता अ नवाय मा न छ ।


व यालयको भौ तक नमा णका ला ग अ भभावकहर संल न रहको नमा ण स म त र रखदख स म त




बनको छ । नमा ण सामा ख रद गन अनुगमन तथा नर ण गन काय स म तमाफत हन भएकोल े



नमा ण काय स तोमा छटोे मजबुत भएकोे छ । डम जनता उमा वका व यसका अ य ल बताए ।




अका सहभागीका अनुसार खानपानी उपल ध गराउन अ भभावकल सहयोग गरकोल यसको अ हल क ु नै



सम या छन । भौ तक व तुको संर ण र स बध नमा प न अ भभावकल सहयोग पुया एकोल व यालयको

भौ तक अव थामा स तोषजनक सुधार आएकोछ ।
यी त यह का अनुसार व याथा को सकाइलाई अनुक ु ल बनाउन व यालयको भौ तक अव थामा सुधार

गनु पन र व यालयको भौ तक अव थामा सुधार याउन अ भभावकको सल नता अ नवाय हन द ख छ


। व यालयको भौ तक नमा णका ला ग अ भभावकह संल न रहको नमा ण स म त र रखदख स म तल े




नमा ण सामा ख रद गन अनुगमन तथा नर ण गन भएकोल नमा ण काय स तोमा छटोे मजबुत


भएकोे द ख छ । भौ तक व तुको संर ण र स बध नमा प न अ भभावकल सहयोग पुया एकोल े
व यालयको भौ तक अव थामा स तोषजनक सुधार आएको द ख छ ।

४.२.४ नी त नमाण र व यालय सुशासन


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व यालय समुदायको स प त हो । अ भभावक समुदायको प हलो सद य भएकोल व यालयको शै क
सुधारस ब धमा नी त नमा ण र य ता नी तगत वषयह मा नण य लन क ु रामा अ भभावक अ सर


हनुपछ । अ भभावक अ सर भएमा शै क सुधार स ब धी नी त नमा ण तहमा अ भभावकको पहच



ह छ ।


हा ा व यालयह मा नी तगत वषयह मा नण य लन क ु रामा अ भभावकह को संल नतालाई बवा ता

ग र छ । नी तगत वषयह मा नण य लन क ु रामा व यालय यव थापन र राजनी तक दलका




यि तह नै अगा ड ह छन ्यसल गदा व यालयमा ग रय न हरक नण यह अ भभावक र व याथ मुखी




हदनन् । तर भनाई त जन योती नमा वका अल असहमत कट गर । उनका अनुसार व यालयको

शै क सुधारका ला ग योजना काय म स ब धी नण य लन अ भभावक बठक रा ख छ । यसमा




अ भभावकक सुझावलाई सबैल मा छन ्। अ भभावकह क संल नतामा वषयगत स म त बनको छ ।



व यालय सुधारका धर जसो वषयह मा नण य लनुपदा अ भभावक भला बोलाइ छ । नण य यामा


उनीह नै अ सर ह छन ् । उनीह ल व यालय संचालन तथा यव थापनका वषयमा नी त नधा रण






गछन । कसैल ह त प गन पाउदन । यसल गदा व यालय नि चत नयम र प यामा चलको छ ।




अ भभावक सहभा गताल नी त नमा णमा वधीको शासन रहकोल व यालयमा शुसाशन कायम भएको

अनुभव भएको धारणा एक व यसका अ य ल सुनाए ।
उपरो त त यह का आधारमा व लषण गदा व यालयको शै क सुधार स ब धमा नी त नमा ण र



य ता नी तगत वषयह मा नण य लन क ु रामा अ भभावक अ सर हनुपछ । अ भभावक अ सर भएमा

शै क सुधार स ब धी सह नी त नमा ण हन द ख छ । नी तगत वषयह मा नण य लन क ु रामा






अ भभावकह को संल नतालाई बवा ता ग र छ । नी तगत वषयह मा नण य लन क ु रामा

अ भभावकह नै अगा ड ह छन ् यसल गदा व यालयमा ग रन हरक नी त नयमह अ भभावक र




व याथ मुखी भएको द ख छ । उनीह ल व यालय संचालन तथा यव थापनका वषयमा नी त




नधा रण गछन । यसल गदा व यालय नि चत नयम र प यामा चलको हदा व यालयमा शुसाशन


कायम भएको द ख छ ।

४.२.५ दल य राजनी तक भावमा प रवत न


व यालय यव थापनमा दल य राज नीातक भावल व यालयको शै क तर स तोषजनक हदन ।


यस वसंग तलाई हटाउन अ भभावक सहभा गताको खांचो पछ । अ भभावक आफ स य भएर


व यसको गठन अवसरमा भाग लनहो भन अव य प रवत न आउन स छ । यसल राजनी तक


सहमतीबाट दल य भागब डाका आधारमा गठन हन प रपाट हटर जा छ भ न धारणा ोत यि तल े





बताए । अ भभावकल व यालय यव थापनमा राजनी तक ग त व ध हन न दन व यालय यव थापन




स म त र अलाई सचत गराउन गरको एक अल बताए । यस अनुसार अ भभावक सहभा गताल े

व यालय यव थापनमा दल य राजनी तक भावको अ त गन सहयोग पुगको द ख छ ।



उ रक स धा तअनुसार क ु नै काय गराउन यि तलाई उ रक त वको यव थापन प न संगसंगै गद



लैजानुपछ । यसल सकारा मक प रणाम द छ । उसलाई उ रदा य वको बोध गराई आ नो काय त

सकारा मक स तुि ट दन सकमा मा आ नो काय मा द च भै ला न स छ । व यालय


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यव थापनमा अ भभावकलाई सहभागी हन अवसर बढाउद जानु पछ । य को भावल व यालय


यव थापनको शै क आ थ क भौ तक मा सकारा मक प रवत न आई शै क गुण तर बृ ध हन

जा छ । यसको ला ग श क, धाना यापक व यालय यव थापन स म तल अ भभावकलाई,





अ भभावकल श कलाई उ रत गद जानुपछ । उ रक स धा तल यि तलाई उपयु त काय को ला ग


अवसर र उपयु त वातावरण दान गनु पन मा यता रहको छ ।

यस अनुसार व यालय यव थापनको अ भभावक सहभा गताको ला ग उपयु त अवसर र काय
वातावरण थोर भएप न दान गरको द खयो । यसक भावल अ भभावकह ल व यालयको शै क,






आ थ क, भौ तक यव थापनमा पु¥याएको सहयोगल शै क तर आ थ क स मता भौ तक सुधार नी त


नमा ण र व यालय शुसाशन मा सकारा मक प रवत न याउन सफल भएको त यह को
व लषणबाट पुि ट भएको छ ।



व यालयमा आएर आ ना बालब चाको पढाइ लखाइको तर बु न, श क तथा व याथ को नय मत



उपि थत छ छन सो न र घरमा प न पढाइ लखाइको उपय त वातावरण मलाइ दन काय मा



अ भभावकल यान दएको हदा व यालयको शै क उपलि ध रा ो रहको पाइयो ।


व याथ भना शु क, श ण शु क,पर ा, शु क र थाना तरण शु क ब् ◌ुाझाइ अ भभावकल सहयोग




गरकोल व यालयको आ थ क स मतामा कह हदस म टवा दएको पाइयो । तर यी बाहक व यालयलाई


अ य आ थ क सहयोग तथा च दा दन र व यालयको आ थ क ोतको खोजी गन काय मा सहयोग


नभएकोल व यालयल आ थ क सम या भो गरहको द ख छ ।



व यालयको भौ तक नमा णका ला ग अ भभावक संल न रहको नमा ण स म त र रखदख स म त



स म तमाफत हन भएकोल नमा ण काय स तोमा छटोे मजबुत भएको र भौ तक व तुको संर ण र




स बध नमा प न अ भभावकल सहयोग पुया एकोल व यालयको भौ तक अव थामा स तोषजनक सुधार


आएको पाइयो ।

अ भभावक सहभा गताल व यालय संचालन तथा यव थापनका वषयमा नी त नधा रण गन मताको


वकास भएको पाइयो । यसल गदा व यालय नि चत नयम र प यामा चलकोल व यालयमा

सुशासन कायम भएको पाइयो ।

यसर व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताल व यालय यव थापनको व भ न मा

सकारा मक प रवत न याएको पाइयो ।
४.३ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह
अ ययनको ममा व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह का स ब धमा
उ रदाताह बाट ा त भएको त यह को आधारमा न न सम याह लाई व भ न उपशीष कह मा
वभाजन गर या या व लषण ग रएको छ ◌ः

४.३.१ दल य राजनी तक भाव


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धर जसो व यालयह मा अ भभावक संघ र यव थापन स म तको गठन द लय भागव डाका आधारमा



गठन गन चलन ब दगएको र राज न तक खंचातानी हदा अ भभावक नरास भई चासो र स यता





द खाउन छोडेकाल अ भभावक भलामा थोर सं यामा अ भभावकह भला हन गरकोे भनाई अ धकांश



उ रदाताह को थयो । डम जनता उमा व परवानीपुरमा अ य पदको ला ग राजनी तक सहमतीको


नाममा अ भभावक भला पटकपटक थ गत गनु परको धाना यापकल बताए । राज न तक खंचातानी



हन र अ भभावक त न ध व कमै सं यामा हन भएकोल अ भभावकह ल व यालय यव थापनमा






चासो र स यता दखाउन छोडेका हन भ न भनाई अ भभावकह को थयो । अ भभावकह प न

राज न तक आ थाका आधारमा वभािजत हन राजनी तक नण यलाई मौन समथ न गन सं कार बढको



धारणा श कह ल य त गर ।




ा त त यह लाई व लषण गदा यव थापक य भू मकाल मह वपूण मा नएको व यालय यव थापन
स म तको गठनमा दल य राज न तक खंचातानी र अ भभावकको त न ध व कम सं यामा हन े


भएकोल यसको गठनमा सहभागी भएर भू मका कट गन नसकको द ख छ । अ भभावकह समत





राजनी तक आ थाका आधारमा वभािजत हन र व यालय यव थापनमा राजनी तक भाव बढकोल े



अ भभावकह ल व यालय यव थापनमा चासो र स यता दखाउन छाडेका द ख छ । व यालय


यव थापन स म तकोे गठनका ला ग हन अ भभावक भलामा अ भभावकको कम उपि थी तल भला





पटकपटक थ गत गनु परको अव था प न द ख छ ।

४.३.२ अनुगमन तथा नयमनकार नकायको नि यता



क ु नै प न नयम कानुनको काया वयनका ला ग िज मवार नकायह ल भावकार ढगल अनुगमन


गनु पदछ । तर व यालय यव थापन स म तको गठनमा राजनी तक ह त ेप हदा वरोध व प िज ला


श ा काया लयमा उजुर हँदाप न थानीय तरमा सहमती गर गठन गनु भ न िज ला श ा अ धकार ल े





गैरिज मवार जवाफ दएको अ भभावकह ल बताए । काया वयन तहका िज मवार यि त÷ नकायह नै
गैरिज मवार भै दंदा अ भभावकह ल व यालय यव थापनमा स य सहभा गता कट गन नसकको





भ न उ रदाताह को जवाफका आधारमा ब लषण गदा श ा ऐन नयमअनुसार व यालय यव थापन
स म त र श क अ भभावक संघ गठन गनु पन यव था भएप न काया वयन तहका िज मवार


नकायह को नि यताल उपरो त यव थाह काया वयन नभएकाल अ भभावकको सहभा गतामा


असर पुगको द ख छ ।


४.३.३ अ भभावकको कमजोर आ थ क अव था र चतना तर


सामुदा यक व यालयमा प न व याथ को अ भभावकको आ थ क र शै क अव था कमजोर रहकोल े


आ ना बालब चाको पढाइको तर कक तो छ व यालयमा क क तो ग त व ध भैरहको छ व यालय



यव थापनमा आ नो भू मका क क त हो ज ता क ु राह मा अन भ रहको श कह ल बताए ।

व यालयमा आएर सम या रा े र अ त या गन स न अ भभावकह थोर सं यामा रहको,



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अ भभावकह ल आ ना समय र यान घरध दा, रोजीरोट को सम यामा दनु परकोल बालब चाको



पढाइलखाइ र व यालय यव थापनको अ य प ह मा चासो कम हन गएकोे धारणा उ रदाताह को

थयो ।
उ रदाताह का भनाईको ब लषण गदा सामुदा यक व यालयका अ भभावकह सामािजक, आ थ क तथा


शै क ि टल कमजोर रहकोल उनीह मा अ तर या गनर्,◌े छलफलमा भाग लन,◌े संवाद गन र


भावकार संचार गन मता कम भएकोल व यालयमा गै सुप रव ण गन , आ ना सम या दशा उन, े



ग ती औं याउन, सचत बनाउन काय मा हि कचाउन, धक मा न ग रएको द ख छ । यह कमीकमजोर





नै अ भभावक सहभा गताको ठ ू लो सम याको पमा रहको द ख छ ।


४.३.४ सरकारको शै क नी त र कमजोर यव थापन
सरकारल ाथ मक तहमा ◌ंि◌व याथ मू याकन यामा उदार क ो न तको नी त तथा क ा दशको




ट ट पर ा दनु नपन यव था लागू गरको हँदा कमजोर पढाइ भएका व याथ लाई प न क ा अप ड






गनु परको र यसल गदा आ ना बालब चा पढप न नपढप न व यालय गएप न नगएप न पास भैहा छ



भ न मनि थ तल भ न बचार श क र धाना यापकह को थयो ।


व यालयको शै क वकास अ भभावकको स य सहभा गता वना संभव छन भ न क ु रालाई यानमा



राखी अ भभावकलाई सं झाउन, बुझाउन, जाग कताको वकास गन , सहयोगका ला ग उ रत गन काम



श क, व यालय यव थापन स म त, धाना यापक र गाँउका सचत अ भभावकल गन नसककोल े

य तो सम याह आएको भ न धारणा व यालय नर कको र ◌ यो । श ा नःशु क भएकोल े

अ भभावकल क ु नै खच यहोनु नपन भएकोल आ नो भू मका व यालय यव थापनमा नहन एक



अ भभावकल सुनाए ।



उ रदाताह ल य त गरका धारणाका आधारमा ब लषण गदा क ा दशको ट ट पर ा दनु नपन


यव था र उदार क ो न तज ता ल चलो सरकार नी त, क ू ल नगएप न पास भइहा छ धारणा,

नःशु क श ा, अ भभावकल क ु नै खच यहोनु नपन शै क, आ थ क, भौ तक सहयोगका ला ग उ रत



तथा उ सा हत गन गराउन त परता श क, व यालय यव थापन स म त, धााना यापक र सचत


अ भभावकल समत दखाउन नसककोल पढाइलखाइको बारमा चासो रा े, छलफलमा स यता दखाउन े







काय नग रएको ज ता सम याह अ भभावक सहभा गतामा आएको द ख छ ।
४.३.५ श क अ भभावकबीच कमजोर स ब ध




अ धकांस सरकार श कह आ ना पशा त िज मवार नबनको र अ भभावकह ल प न आ ना

बालव चालाई व यालयमा प न पठाउनु मा आ ना िज मवार ठा न बृ त रहकोल यी दुवै प बीच





सकारा मक स ब ध हन नसककोल व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गतामा सम या परको


त य श कह को धारणा थयो । नयममा श क अ भभावक संघको गठन गर श क र अ भभावक




स ब ध बढाउन नी तगत यव था ग रएप न धर व यालयह मा य को गठनमा कसैल स यता
नदखाएकोे सहभागी उ रदाताह को र यो ।


40









यी त यह का आधारमा व लषण गदा आ नो िज मवार बाट पि छन वृ त र अ भभावक संघको गठन


नहदा श क अ भभावक स ब ध कमजोर भएको द ख छ । यसको असर अ भभावक सहभा गतामा

परको द ख छ ।


४.३.६ उ रणामूलक नी त र काय मको योग


व यालय यव थापनको व भ न ग त व धमा सहभा गता कट गराउन नी तगत यव थाकोअभावल े
व यालय यव थापन स म तको गठन गरप छ आ ना यव थापक य भू मका स कयो भ न े



अ भभावकह धर छन ् । वा तवमा व यमान नी त नयम प न य तै छ । व यालय अनुगमन गन र
श क, धाना यापक र व यालय यव थापन स म तलाई सचत पान िज मवार को भू मका नवा ह



गन पाउन यव था नभएको, यव थापन मता ता लम, मण र ो साहनको यव था नभएको





कारणल अ भभावकह ल उ सा हत भएर सहभा गता दखाउन नसकको हो भ न वचार उ रदाताह को

थयो । व यालय यव थापनका व भ न प ह लाई यवि थत पान काय मा योगदान पुया उन र
व यालयमा उ क ृ ट काय गन बालब चाका अ भभावकलाई स मान, शंसा र ो शाहनको यव था




नभएकोल अ भभावकल स य सहभा गता कट नगरका हन ्भ न धारणा य त गर ।


उ रदाताह को धारणाका आधारमा ब लषण गदा यव थापक य भू मका, र यव थापन मता ता लम,

मण र ो साहन यव थाको अभावलाई प न अ भभावक सहभाा गताको सम याको पमा लइ छ ।
व यालय यव थापनका ला ग अनुगमन गन , सचत पान ज ता यव थापक य भू मका नभएकोल र


व यालय यव थापनको शै क, आ थ क, भौ तक प ह मा सहयोग गन अ भभावकलाई कदर स मान
गन नी तगत यव था नभएकोल उ सा हत भएर सहभागी भएको द खदन ।






मा नसलाई ज त बढ उ रक त व दयो, य त नै रा र काय स पादन गदछ । उ रक त व दन े

यामा यव थापनल शु मा आरो य त वको पू त गनु पछ । य ल यि तलाई सकारा मक







स तुि ट तर लैजान काम गदछ भ न त य उ रक आरो य त वको स धा तल बताउछ । सामुदा यक



व यालय वकासमा अ भभावक सहभा गताको भू मकालाई वीकार गरर व यालय यव थापन रखदख




र संचालन अ भभावकक नतृ वमा सु पन नी तगत यव था काया वयन गर आईरहको छ तरप न


चुनौतीपूण काय , मा यता उ रदा य व, उ न त, काय बृ ध अवसर र उपलि धज ता उ रक त वह
व यालय यव थापनमा अभाव रहको द खयो । जसल गदा सामुदा यक व यालयको शै क वकासमा



अ भभावक सहभा गतामा असर पु¥याएको पाइयो ।
◌् ा त त यह को व लषणका आधारमा अ धकांश व यालयमा व यालय यव थापन स म त दल य


राजनी तक आधारमा हन गरकोल राजनी तक खंचातानीका कारण अ भभावक नरास भई स यता




द खाउन छोडेकाल अ भभावक भलामा थोर सं यामा अ भभावकह उपि थत हन गरको पाइयो ।








अ भभावकह को आ थ क र शै क अव था कमजोर हन भएकोल बालब चाको पढाइ–लखाइ भ दाप न



जी वकोपाज नका काममा ब ढ य त हनु परकोल यान पु¥याउन नसकको पाइयो । गर व र पछ डएका


छोराछोर प न क ू ल, सरकार पढाइ रा ो नहन ज ता नकारा मक स च सरकार व यालय त







हन–खान, पढ–लखका र सचत यि तह ल समत रा े गरको, व यालयल बोलाउन छलफलमा भाग








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लन, संवाद गन , सम या रा े र कमीकमजोर औं याई सचत गन स न मता नभएकोल व यालयमा



चासो बढाई नगरानी रा े काम हन नसकको त य पाइयो ।





अक तफ श ा नःशु क भएकोल आफ ु ल कह दनु नपन , स पूण िज मवार सरकारको हो भ न े

मान सकता रहको, ल चलो पर ा णाल ल गदा आ ना छोराछोर जसर प न उ तण भैहा छ भ न सोच



भएकोल छोराछोर को पढाइमा यान न दएको पाइयो । यव थापन स ब धमा चासो रा े, बालब चाको



पढाइ–लखाइमा यान दन, श क तथा धाना यापकलाई राय सुझाव दएर हौसला दन अ भभावक

प न भएको तर य ता अ भभावकलाई स मान गन , ो सा हत गन र अ भभावक श ाको प न यव था
नभएकोल अ भभावक सहभा गता भावकार हन नसकको पाइयो । यसतफ श ा वभाग, िज ला श ा




काया लय, यव थापन स म त, धाना यापक, श कज ता िज मवार यि त तथा नकायह सवै

िज मवार नबनको त य पाइयो ।



यसर िज मवार नकाय तथा यि तको नि यता, फतलो नयम, कडा अनुगमनको अभावज ता

सम याह ल अ भभावक सहभा गतामा असर पु¥याएको पाइयो ।
४.४ व यालय यव थापनमा अ भभावकको सहभा गता बढाउन उपायह

व यालय यव थापन आफमा एउटा ज टल काय हो । यस अ ययनमा राजनी तक भाव, अ भभावकको


कमजोर आ थ क तथा शै क अव था र चतना तर, स बि धत नकायको नि यता ज ता


सम याह ल अ भभावक सहभा गतामा असर पारको पाइयो । य ता सम याह नराकरण गर


अ भभावक सहभा गता बढाउन उपायह का स ब धमा उ रदाताह ल दएका सुझावह लाई न नानुसार
तुत ग रएको छ ◌ः
४.४.१ दल य राजनी तक भावको अ य
व यालय यव थापन स म तको गठन गदा राजनी तक सहमतीको आधारमा होईन नयम कानुनल े

तोकको शत र याअनुसार आव यक यो यता पुगका यि तह रहन गर अ भभावक भलाबाट नै





यव थापन स म तको गठन गन पहल गनु पछ । यक अ भभावकलाई अ भभावक प रचयप को
यव था गर यसै म यबाट अ य र सद य छा नन यव था गनु पदछ । व यालय यव थापन




स म त र श क अ भभावक संघको गठन कानुनल तो कएको शत र याअनुसार भए नभएको
अनुगमन गन र नयम वप रत भए गरमा स बि धत व यालयका धाना यापक र ोत यि त तथा

व यालय नर क िज मवार हनुपन यव था गनु पछ ।



४.४.२ अ भभावकको शै क चतना तरको अ भबृ ध

अ भभावकका कमजोर आ थ क तथा शै क चतना तरलाई यस अ ययनमा एउटा सम याको पमा


ह रएको छ । शै क चतना तर कम भएका अ भभावकह बाट व यालय वकासमा सहभा गताको

अप ा गनु नरथ क ह छ । तसथ व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता जुटाउनुभ दा प हला



अ भभावक श ा र भावकार सूचना संचारमाफत चतना अ भबृ ध ग रनुपछ । शै क चतना तर





बृ धसंगै जी वकोपाज नका काय मह प न व यालयतहबाट संचालन ग रनुपछ । यसैगर


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व यालयका ज दाब दा सम या र यसको सुधारको वषयमा नय मत पमा अ भभावकसमत




समुदायका सरोकारवालाह भला गराई अ त या गराउनुपदछ । अ भभावकह लाई व भ न िज मवार




दएर व यालय घरदलो भटघाट संवाद गरर स ब ध व तार गर उनीह को शै क चतना तर

बढाउनुपछ भ न धारणा अ धकांस उ रदाताह को र यो ।

४.४.३ अ भभावकको यव थापक य भू मकामा बृ ध

व यालय यव थापन स म त र श क अ भभावक संघको गठन गनु बाहक अ भभावकको अ य भू मका
र िजम ् ◌ेमवार श ा ऐन तथा नयममा तोकको छन । यसैल स म तको गठन गर सकप छ आ नो




भू मका स कएको अ भभावकह ल समत ठा दछन ् । यव थापन स म तल गरको रा ो–नरा ो कामको





वरोध गनु बाहक अ य अ धकार अ भभावकलाई छन ।


तसथ व यालय संचालन र यव थापनमा स म तबा हर रहका अ भभावकको प न यव थापक य
भू मका बढाउन व यालय अनुगमन गन र श क तथा धाना यापकलाई सचत बनाउन,◌े नण य

यामा सहभागी हनज ता नी तगत यव था ग रनुपछ । श ा ऐनमा व यालय यव थापन




स म तमा अ य स हत चारजना यि त अ भभावकह म यबाट छनौट गनु पन यव था सबै तहका
व यालयह मा सा द भक नभएकोल क ा सं या र अ भभावक सं याको आधारमा व यालय

यव थापन स म त सद य सं या नधा रण हनुपन उपायह सहभागीह वारा सुझाइएका थए ।

४.४.४ अ भभावक प रचालनका नी त तथा कानुनको नमा ण

एकपटक व यालय यव थापन स म तको गठन यामा सहभागी भै सकप छ आ ना भू मका


स कएको अनुभव हरक अ भभावकल गनु वभा वक हो । व यालयका व भ न ग त व धह मा

अ भभावकलाई स रक गराई व यालय तको उ रदा य व एवं भू मका बोध गराउन व यालय


यव थापनको व भ न ज तैः रखदख, नमा ण, पु तकालय सहयोग, अनुगमन, नर ण स म त

तथा काय समूह बनाई यसमा अ भभावकह लाई संल न गराउनुपन कानुनी यव था गनु पदछ । यसर




बनको स म तल व यालय ोत र साधन प रचालन, नर ण र मू यांकन गन पूण िज मवार उपल ध




गराउनुपदछ भ न सुझावह समत पाइयो । यस काय ल व यालय त अ भभावकको वा म व एवं
अपन वभावको वकासका साथै िज मवार तथा भू मका बढको य अनुभव भै व यालय वकासतफ





आक ष त हनस छ भ न धरको धारणा र यो ।

४.४.५ उ रणामूलक त वको यव थापन


व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको अ भबृ धका ला ग रा यल कानुनको यव थापन

गरर मा पु दन । ता लम, ो साहन, आयआज न, भ ा, पोशाक, राहत, अनुदान, पुर कारज ता



उ रणामूलक त वको प न यव था गरर वः फ ू त पमा व यालय यव थापनमा सहभागी हन अवसर


एवं वातावरणको सृजना ग रनुपछ । अ भभावक संघको छ ु ट कोषको खडा गर सरकारबाट एकमु ट


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वा ष क अनुदान दन यव था ग रनुपछ । यक वष अ भभावक भला राखी शै क योजना बनाउन, े





न तजा लन, छा वृृ त बुभन अ भभावक आफ आउनुपन बा यकार नयम बनाई काया वयन ग रनुपदछ



। व यालयलाई शै क, आ थ क, भौ तक सहयोग उपल ध गराउन, नय मत व याथ पठाउन,उ क ृ ट र
अनुशा सत व याथ का अ भभावकह लाई व यालयमा अ भन दन समारोह संचालन गर शंसाप

दन तथा स मान गन काय गनु पदछ ।


४.४.६ अ भभावक दवश, व यालय वा ष को सव र छलफल भलाको आयोजना

व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बढाउन व यालयल श क व यालय यव थापन

स म तमाफत स ब ध व तार गनु पदछ । व यालयमा आयोजना ग रन उ सव तथा दवशमा




अ भभावकह लाई अ नवाय सहभागी हन ो सा हत गनु पन द ख छ । यक बष अ भभावक दवस

मनाउन यव था गर अ भभावकलाई अ भन दन र स मान गन चलन बसाउनु पदछ । अ भभावक


दवसमा अ भभावक र व यालय प रवारबीच वचार आदान दान गन , श क अ भभावक बैठक बसाई

सम या बुझाउन यास ग रनुपदछ । श क, धाना यापक र व यालय यव थापन स म तल े


अ भभावकसंग नर तर छलफल अ त या काय मको मा यमबाट अ भभावक स ब ध व तार गरर
व यालय यव थापनमा उनीह को सहभा गता बढाउनुपन द ख छ ।

यस अ ययनमा उपयोग ग रएको हज वग को (१९५०) उ रक आरो य स धा तल खासगर सं थामा



काम गन कामदारलाई उ रत गनु पन क ु रामा जोड द छ । शै क सं थामा श कह लाई कामदारको
पमा लइ छ । व यालयको श ण सकाइलाई उपलि धमूलक बनाउन श कह को काय मनोबल
उ च पानु पन क ु रामा यो स धा त मल खा छ । तर यस अ ययनमा श क ज तक भू मका


अ भभावकको प न ह छ । अ भभावकको सहयोग नभएमा श कको एकल यास नरथ क ह छ ।



श कलाई उ रत गन अ भभावकको साथ र सहयोग चा ह छ । अ भभावकलाई प न अ भ रत गन का
ला ग श क, यव थापनप , सरोकारवाला, रा य, सरकार सबै ला नुपन क ु रामा यो स धा त उपयु त

ह छ । यसैल व यालय शै क वकासको ला ग अ भभावकह लाई व यालय यव थापनमा सहभागी



हन उ रत हन उपयु त वातावरण सृजना ग रनुपदछ ।



उ रक त वलाई स तुि टको त व प न भ न छ । यो त वल यि तलाई उ क ृ ट काय गन का ला ग


अ तआ माद ख नै उ साह बनाउदछ । यसल सकारा मक स तुि ट तर लैजा छ । अ भभभावकह को



यव थापक य भू मका र िज मवार बढाई व यालय वकास त उ रदायी बनाउनुपदछ भ न क ु रा




द ख छ ।


मा थ व लषण ग रएका व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता बढाउन उपायका स ब धमा
ा त भएका सुझावह को व लषण र उ रणा स धा तका आधारमा न तजा नका लएको छ ।


व यालय यव थापन स म तको गठन गदा राजनी तक सहमतीको आधारमा नभै नयम कानुनल े
तोकको शत र या पूरा गर अ भभावक भलाबाट नै व यालय यव थापन स म तको गठन गन पहल





गनु पछ । यक अ भभावकलाई अ भभावक प रचयप को यव था गर यसै म यबाट अ य र सद य

छा नन यव था गनु पदछ । क ा सं या र अ भभावक सं याको आधारमा स म तको सद य सं या




नधा रण हनुपदछ । भावकार सूचना संचारमाफत चतना अ भबृ धसंगै जी वकोपाज नका काय म


संचालन प न व यालयतहबाट ग रनुपछ ।


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यसैगर व यालयको सम या र सुधारको वषयमा अ भभावकको नय मत छलफल अ त या गनु पन ,


अ भभावकसंग नर तर संवाद गरर स ब ध बढाउनुपन , व यालय यव थापनको व भ न को
काय समूह बनाई यसमा अ भभावकह लाई संल न गराउन यव था गर ोत–साधन प रचालन,


नर ण र मू यांकन गन पूण िज मवार र अ धकारसमत उपल ध गराउनुपन , व यालय अनुगमन तथा




सुप रव ण गन नी तगत यव था गरर यव थापन स म तबा हरका अ भभावकह को प न

यव थापक य भू मका बढाउनुपन , अ भभावक संघको छ ु ट कोषको गठन गनु पन ◌् व यालय वकासमा

योगदान पुया उन अ भभावकह लाई कदरस मान गनु पन भ न सुझावह सुझाइएको पाइयो ।




























प र छद पाँच

न कष र सुझावह



यस प र छदमा नावल , अ तवा ता र समूह छलफलबाट ा त त यांकह को व लषणका आधारमा

नका लएको अ ययनको न कष र सुझावह लाई तल तुत ग रएको छ ◌ः

५.१ न कष

न कष ल सम याको उ र द छ । न तजाको व लषणको गहन अ ययनका आधारमा अ ययनको






ाि त क भयो, न कष क आयो, भ व यका ला ग सुझावह क–क हन भ न वषयह लाई मु य पमा


लनुपदछ ।

व यालयको शै क यव थापनअ तग त पठनपाठन तथा मू यांकन र योजना नमा णज ता शै क
प ह मा मा हन व यालयको श ण शु क बुझाउनबाहक आ थ क, भौ तक सहयोग गन तथा य को




यव थापनमा अ भभावकल उ शुकता कट गरको पाइएन । सामािजक पर ण स ब धमा व यालयल े



जानकार गराउन काय मा अ भभावकक नि यताको कारण हन नसकको पाइयो । सबै काम व यालय


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यव थापन स म त र सरकारल गनु पछ भ न स चका कारण व यालयको भौ तक संर ण स ब घनमा

अ भभावकल खासै यान दएको पाइएन ।

शै क जनचतनाको अभावल व यालयको शै क, आ थ क, भौ तक वकासको ला ग जनसहयोग




जुटाउन, जन मदान गन काय मा अ भभावकल पट क चासो र स यता दखाउन नसकको पाइयो ।



अ त र त याकलापमा सहभागी भएर श क व याथ ह को हौसला बढाउन काय मा अ भभावकलाई

सहभागी गन ÷गराउनतफ अ र व यालय यव थापन स म त स य भएर नलागको पाइयो ।




अ भभावकको नि यताल व यालयमा अ भभावक दवस मनाउन चलन नभएको प न पाइयो ।
राजनी तक खंचातानीको कारण अ भभावक भलामा अ भभावकको स यता घ द गएको त य प न


पाइयो ।

जुन व यालयमा अ भभावकको स य सहभा गता रहको छ, यो व यालयमा पठनपाठन मं◌ू यांकन
नय मत हनाल शै क उपलि धको सूचांक रा ो रहको पाइयो भन आ थ क स मता भौ तक अव था




समतमा सकारा मक सुधार आएको पाइयो ।


क ु नै प न सं थामा सम या द खनु वभा वक हो । यस अ ययनमा अ भभावक सहभा गताका



आ नैसम याह रहको द खयो । दल य राजनी तक भाव, िज मवार नकायको नि यता, भावकार
नी त नयम र कडा अनुगमनको अभाव, यव थापन प को बवा ता, अ भभावकको कमजोर शै क


पृ ठभू म र आ थ क अव थाज ता यि तगत सम याह ल अ भभावक सहभा गतामा असर पारको

द खयो ।

हरक सम याको समाधान अव य ह छ । दल य राजनी नक भावको अ यका ला ग नयम कानुनल े


तोकको शत र या पूरा गर आव यक यो यता पुगका यि तह रहन गर अ भभावक भलाबाट नै






व यालय यव थापन स म तको गठन गन पहल गनु पछ । अ भभावक प रचयप हो डरम यबाट


अ य र सद य छा नन यव था गनु पदछ । क ा सं या र अ भभावक सं याको आधारमा व यालय
यव थापन स म तको सद य सं या नधा रण, गठन व ध र शत का वषयह थप गर कडा अनुगमन


गन समत यव था गर कानुन संंशोधन गनु पन उपायह रहको पाइयो ।


यसैगर अ भभावक श ा, भावकार सूचना संचारमाफत शै क चतना अ भबृ ध संगसंगै


जी वकोपाज न काय म प न व यालय तहबाट संचालन ग रनुपछ । व यालयका सम या र सुधारको



वषयमा नय मत छलफल र अ त या गराउनु पदछ । नमा ण, रखदख, अनुशासन ज ता व यालय
यव थापनका व भ न प ह मा काय समूह बनाई य मा अ भभावकह लाई संल न गराई योजना


नमा ण र ोतसाधन प रचालनद ख लएर नर ण र मू यांकन गन पूण िज मवार स हत
यव थापक य भू मका बृ ध ग रनुपदछ । सरकारल अ भभावक संघको छ ु ट कोषको गठन गर यसमा



वा ष क अनुदान दन र यसबाट आयआज न काय म चलाउन, पर ा न तजा लन, छा बृ रकम बु न,




भना गराउन अ भभावक आफ आउनुपन यव था गनु पन , अ भभावक दवस मनाउन चलन बसाल
श क अ भभावक स ब ध बढाउनुपन सुझावह दसा इएको पाइयो ।
५.२ सुझावह


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व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गताका सम याह को समाधान कसर गन र कसल क–क े



काय गरमा अ भभावक सहभा गता बढाउन स क छ भ न बारमा सुझावह संकलन ग रएको थयो । ती
सुझावह लाई नी तगत तह, काया वयन तह र अनुस धान तहमा वग करण गर अलगअलग
उपशीष कमा राखी तुत ग रएको छ ◌ः

५.२.१ नी तगत तह
अ ययनको ममा क ु नै नी तगत न उठमा वा क ु नै नी तमै प रवत न गनु पन खांचो द खयो भन कसल, े



क क तो नी त बनाउन प ट उ लख गर नी तगत तहका ला ग सुझाव दन स क छ ।





अ भभावकल आ ना बालब चा भना गर नय मत व यालयमा पठाउन, बालब चाको पढाइलखाइमा


यान दन काय द ख व यालयको शै क, आ थ क, भौ तक अव थाको अवलोकन तथा अनुगमन गन

काय अ भभावकको ऐि छक अथा त वैि छक काय हो । य ता वैि छक काय लाई बढावा दन श ा

म ालयल बा यकार एवं यवहा रक नी त तथा कानुन बनाई लागू गनु पछ ।


व यालय यव थापनको स पूण ग त व धह मा स रक गराउन उ द यल व यालय यव थापन




स म त, श क अ भभावक संघको गठन अ भभाकक नतृ वमा अ भभावक भलाबाट गठन गन कानुनी



यव था छ । यस यव थाल अ भभावक सहभा गताको अवधारणालाई यनै स म तको गठनमा स मत

बनाएको छ । एकपटक स म तको गठनमा सहभा गता जनाई सकप छ अ भभावक य भू मका स कएको



अनुभव हरक अ भभावकल गनु पन अव था छ । फर यी स म तह को गठन राज न तक ढगल हन गरको






द ख छ । अक तफ श क अ भभावक संघको यव थापक य भू मका कमजोर भएकोल यसको गठनमा


चासो न दएकोल यसको गठन धर व यालयमा नग रएको अव था छ ।



राजनी तक भावको अ य गन धाना यापकल अ भभावक सू च मा णत गर सोह सू चबाट




पदा धकार छनौट गन छ ु ट सूची तयार गन र अ भभावक भलाबाट गठन गन रा यल कानुन संशोधन
गनु पछ । यसमा अ य सद य पदका ला ग आव यक शत तथा यो यता नधा रण गनु पछ । अ य को


ला ग ाथ मक तहद ख सामुदा यक व यालयमा पढाउद आएको छा –छा ाको अ भभावक हनुपन ,



राज न तक दलको सद यता न लएको, व यालयमा धर पटक आई धर समय वताएको, व यालयलाई





च दा दान दएको यि त हनुपन यव था थप गनु पदछ । सरकारल अ भभावक संघ कोष बनाई हरक वष






अनुदान सहयोग दन र यस कोषबाट अ भभावकलाई ऋण दन, ो शाहन भ ा दन, जी वकोपाज नका
काय म संचालन गन र अ भभावक श ाको यव था मलाउन नी तगत काय म बनाउनुपछ ।




वषयगत स म तल हरक म हना पालैपालो व यालय अनुगमन गन र तवदन बुझाउनुपन



िज मवार को यव था स हतको नयम सरकारल बनाई लागू गनु पछ ।


हरक वष वालब चा भना गराउन, प र ाफल बु न र छा वृ त रकम लन अ भभवाक वयं उपि थ त
हनुपन यव था व यालय यव थापन स म तल नण य गर लागू गराउन स नुपछ भ न सुझावह यस






तहमा सुझाइएको छ । िज ला तरमा िज ला श ा स म त र गाउ तरमा गाउ श ा स म तल े
अ भभावक सहभा गता अ भवृ धका ला ग अ भभावक श ाको यव था र अ भमुखीकरण तथा
बो धकरण ता लम संचालनका नी त नयम बनाई लागू गनु पछ ।


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५.२.२ काया वयन तह

क ु नै प न नी त तथा कानुनी यव थाको भावका रता यसको काया वयनमा ह छ । काया वयन तहमा



रहका नकाय तथा यि तल नी त तथा कानुनको प रपालना भावकार पमा गन गराउन स नुपछ ।

क तपय अव थामा नी त, कानुन तथा नयम पया त छ तर यवहारमा लागू हन स करहको हदन । य तो







अव थामा को–क को कमजोर र यो, क ल कसर क काय गरमा नी त कानुनी यव था भावकार
ढगबाट लागू हन स छ भनर काया वयन तहका ला ग सुझाव दन स क छ ।




शै क सुधारका ला ग अ भभावकलाई व यालय यव थापनमा स रक बनाउन अ भभावक भलाबाट


अ भभावकक नतृ वमा व यालय यव थापन स म त र श क अ भभावक संघको गठन गनु पन
यव था छ तर यी स म तह मा राज न तक दलका यि त तथा गैर अ भभावकह स य ह छ र


नतृ वदायी पदमा पु छन ् । जसमा अ भभावकको त न ध व यून रहन पु छ । श क अ भभावक

संघको भू मका भावकार छन ् । य तो अव थामा ऐन नयममा रहका व यमान यव थालाई

भावकार ढ गल लागू गन िज ला श ा काया लयमाफत श ा म ालय र श ा वभागल े





िज मवार का साथ अनुगमन तथा नयमनको यव था गनु पछ । य ता नकायल नयम बनाई

काया वयन प लाई भावकार बनाउनुपछ ।

सरकारल तजु मा गरको शै क नी त, नयम, कानुन र योजना तथा काय मह को काया वयन हन े




अि तम आधार थलो व यालय हो भन धाना यापक व यालय तहको नी तगत यव था र काया वयन

गन िज मवार व यालय शासन मुख हन ् । अतः व यालयका धाना यापकल मा थ लो शै क




नकायको नी त नद शनअनुसार काम गनु पदछ । व यालयमा संचालन हन हरक ग त व धको जानकार




व यालयका स पुण अ भभावकह लाई सं षत गराउनुपदछ । अ भभावक सह भागताका ला ग
वालब चा भना गराउन, प र ाफल बु न र छा वृ त रकम लन अ भभावक आफ उपि थ त हनुपन


नयमलाई काया वयन गन त परता दखाउनुपछ । शै क तथा व यालय सुधार योजना र सामािजक





प र ण भलामा अ भभावकलाई सहभागी गराउनुपन यव था भावकार ढगबाट काया वयन गनु पदछ ।

यस काय मा िज ला श ा काय लयल व यालय नर क तथा ोत यि तमाफत आव यक सहयोग

पु¥याउन स नुपछ ।

५.२.३ अनुस धान तह
यस अ ययनमा व यालय यव थापनअ तगत शै क, आ थ क, भौ तक यव थापन, जनसहयोगको

यव थापन, अ त र त याकलाप, अ भभावक दवश, अ भभावक भला, नी त नमा ण र नण य या

र व यालय सुप रव णप ह मा मा अ भभावक सहभा गताको अव था प हचान गन जमक ग रएको

छ । यस अ ययनल व यालय यव थापनको सबै प ह लाई यहाँ नसम टएको हनस छ । व यालय


यव थापन स म त तथा श क अ भभावक संघ र अ य यव थापक य स म तह मा अ भभावक
सहभा गताको तुलना मक अ ययन छ ु टाछ ु ट पमा अ ययन भएको छन । यसैगर व यालय




यव थापनमा अ भभावक सहभा गताको भू मकाल श ण सकाइमा पारको भाव, ाथ मक तथा
मा य मक व यालयमा अ भभावक सहभा गताको तुलना मक अ ययन र व यालय यव थापनमा


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म हला सहभा गताका वषयमा अनुस धान भएको द खदन । यी वषयह मा प न ब लै, गहन र व तृत

अ ययन हन ज र छ ।


व यालय शै क, आ थ क, भौ तक प मा थु ै सम याह ज दाब दा पमा रहको ह छन । य ता


सम याह व यालयको तह तथा शै क, सामािजक, सं क ृ तक प रवशअनुसार फरक–फरक क ृ त र

व पका हन स छन । य ता सम याह को प न छ ु टा–छ ु ट पमा अ ययन गर समाधानका ला ग

उपयु त उपायको खोजीका ला ग अ ययन अनुस धान गनु ज र छ । जसअनुसार ाथ मक श ामा
अ भभावक सहभा गताका क ठनाईह तथा मा य मक÷ ाथ मक तहको श ामा द लत÷जनजा त
अ भभावक सहभा गताका वषयह मा प न अ ययन अनुस धान गन स क छ । अ भभावक
सहभा गताका आ नै यि तगत सम याह प न हनस छन । यस अ ययनमा य ता सम याह लाई





ग हरो ढगल व लषण गन सकको छन । यसैल य ता सम याह लाई प न अनुस धानको मू य



सम या मानी यसैमा अ ययनलाई कि त बनाई ग हरो तथा समाधान यो य अनुस धान गन सुझाव
तुत ग रएको छ ।


































व यालय यव थापनमा अ भभावक सहभा गता

अनुसूची एक


धाना यापकका ला ग तयार पा रएको नावल

.अ.को नाम थर ◌ः म तः

व यालयको नाम ◌ः


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१. तपाई यस व यालयमा धाना यापकका भएर काम गनु भएको क त भयो ?


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२. व यालय यव थापन स म त भनको कहो ? यसअ तग त क ु न क ु न प ह पदछन ्?



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३. व यालय यव थापनको क ु नक ु न प मा अ भभावकह ल सहभा गता कट रहको पाउनु
भएकोछ ?
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४ व यालयमा शै क, आ थ क, भौ तक तथा अ य प ह मा क क सम याह रहका छन ्? यी



सम याह त अ भभावक िज मवार रहको ठा नु ह छ ?कसर ?



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५. व यालयमा शै क, आ थ क, भौ तक ग त व धह भैरहका छन ्? यी प ह मा चासो राखी





सहयोग गरका छन ्या छनन्? छनन भन कन ?कारणह उ लख गनु होला ।

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६. यस व यालयमा श क व याथ को नय मतताको अव था क क तो ? यसबार े

अ भभावकह ल क तको चासो र नगरानी रा े गरको पाउनु भएको छ ?






७. जनसहयोगको यव थापन भनको कहो ? यसमा अ भभावक सहभा गताको क तो भू मका
ह छ ? यी भू मकाह अ भभावकल नवा ह गरको पाउनु भएको छ ?



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८.अ भभावक दवश, व यालय वा ष क उ शव, मनाउन गरिएको छ ? यी काय ममा क को

अ भभावकसहभागी ह छन ्?

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९.यस व यालयमा क ु न क ु न स म तक कसर गठन भएका छन ् ? त स म तह मा कक त सं यामा वा त वक


अ भभावकको त न ध व भएकाछन ् ?
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१०. व यालय यव थापन स म त गठन गन अ भभावक भलामा क तको सं यामा
अ भभावकह उपि थत भएको पाउनु भयो ?


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