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चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण CHITRON KE JAHROKHE SE SHRIRAM JANMBHOOMI MANDIR NIRMAN

A PICTORIAL BOOK UPON SHRIRAM MANDIR CONSTRUCTION

Keywords: SHRIRAM JANMBHOOMI MANDIR NAGAR SHAILI TEMPLE AYODHYA TRADITION INDIAN TEMPLE COSTRUCTION

चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभ ू चम म ंचिर चिमााण प्रथम संस्करण 2024 Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman. KEY WORD AND ETBN- Construction of ShriRam Janmabhoomi Temple through the window of pictures. इजं ी० हेमन्त क ु मार ग्राम- फीना, जनपद- बिजनौर (उ०प्र०)


रिक्त स्थान


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभ ू चम मंचिर चिमााण संकलि, लेखि एवंसंपािि इ०ं हेमन्त कुमार सयं ोजक क्षेत्रीय इचतहास सकं लि एवंलेखि अचभयाि, जिपि चिजिौर, भवि तकिीक जि-जागरण अचभयाि, पेड़ चजयाओ अचभयाि । ग्राम-फीिा, जिपि-चिजिौर (उ० प्र०) 246734 [email protected] izdk”ku] eqnz.k rFkk forj.k ekxZn”kZu dk sj izdk”ku bf.M;k izk- fy- ubZ fnYyhA P1 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण लेखक – इ०ं हेमन्त कुमार, ग्राम व पोस्ट-फीिा, जिपि-चिजिौर (उ० प्र०) ISBN 978-93-6128-192-1 मूल्य 500 रूपये सस्ं करण प्रथम वॉल्यूम 1st प्रकाशि वर्ा 2024 कॉपीराइट लेखक इचंप्रंट 50 िेताविी सर्वाधिकवर लेखकविीन सरुधित हैं। लेखक सेधलधखत अनमुधत धलयेधिनव कोई भी व्यधि यव संस्थव, इस पस्ुतक को सम्पर्ूारूप सेयव इसकेधकसी अंश कोउसी रूप मेंअथर्व तोड़-मरोड़ कर, जीरोक्स यव र्ीधियोग्रवफी कर यव धकसी यवधरिक यव इलेक्रवधनक धर्धि यव अरय धकसी पद्धधत, रूप यव ढंग सेप्रकवधशत न करेऔर धकसी अरय भवषव मेंअनर्ुवद करकेयव पररर्तान यवपररर्िान करकेछवपनेकव सवहस न करे। अरयथव ऐसव करने र्वले ‘भवरतीय कॉपीरवइट एक्ट’ केअरतगात कवननूी तौर पर हजे-खर्चे र् हवधन के धजम्मेदवर होंगे। समस्त र्वद-धर्र्वद लखनऊ कोटा में ही धनपटवए जवएँगे। इन शतों केअिीन यह पस्ुतक धिक्री केधलयेउपलब्ि है। प्रकाशक स्वप्रकाचशत इ०ं हेमन्त कुमार, कुटुंि-िीवाि, ग्राम व पोस्ट फीिा, जिपि चिजिौर (उ० प्र०) चप्रंटसा अमर चप्रंटसा06न्यूमाचकाट हजरतगंज लखिऊ (उ० प्र०) कवर पेज डिजाइन, डित्ाांकन, बुक कम्पोडजांग एवां पृष्ठ डवन्यास –इ०ां हेमन्त कुमार KEY WORD AND ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman. P2 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


कृचत समपाण स्मृचतशेर् पूज्य माता-चपता जी को सािर समचपात चवशेर् आभार पस्ुतक मेंज्यवदवतर फोटो रयजू र्चैनल, फेसिकु पेज, र्ेिसवइट, व्हवट्स ऐप, र्ेि पेज, इरटरनेट, गगूल तथव धर्धभरन सोशल मीधियव और अरय स्रोतों से सवभवर धलए गए हैं, इसधलये सम्िंधित धर्चिकवरों, फोटोग्रवफरों, संकलनकतवाओंऔर प्रस्तधुत सेजड़ुेसभी लोगों कव धर्शेष आभवर । आभार-पुस्तक रििा मेंप्रत्यक्ष एवंअप्रत्यक्ष रूप सेसहयोगी रहेसभी महािुभावों तथा शुभचिंतकों का आभार । अचभभावकीय मागािशाि- श्री सोमेश्वर धसंह रवठौर (ग्रवम ििुगरव, जनपद धिजनौर) प्रूफ रीच गं सहयोगश्री धशर्र्चरन धसंह रवठौर (दहेरवदनू-ििुगरव), इजं ी0रवकेश कुमवर यवदर् (लखनऊ) Lo0 Jhefr lk seorh n soh ¼1955&2013½ Lo0 Jh gfjjkt flag ¼1951&1982½ P3 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


अचत चवचशष्ट सहयोगकताा सवा श्री अजय कुमार यािव (जौिपुर), चशविरि चसंह राठौर (िेहरािूि), राके श कुमार यािव (लखिऊ), ॉ० चगरीश गुप्ता (लखिऊ), ॉ० सुिील अग्रवाल (लखिऊ), ओमप्रकाश पाण् ेय (लखिऊ), के शव चशवहरे (कवी-चित्रकूट), प्रमोि कौचशक (चिल्ली), सतीश पासवाि (अयोध्या), ॉ० जीतेन्र कुमार चसहं ‘संजय’(सोिभर), मंजेश (हरिोई), पंकज (अयोध्या), ॉ० चविोि कुमार वत्स (मुरािािाि), पंकज कुमार (लखिऊ), रचव राजपूत (फीिा) । शुभाकांक्षी सवा श्री धर्र्ेक गप्तुव (शवदीपरुिरुकी), धशर्ेश्वर दत्त पवण्िेय, सरुेरर कुमवर (रुड़की) प्रेम शमवा (लखनऊ) अजीत र्चौिरी, के शर् धसंह(आदमपरु-धिजनौर), िॉ0 तेजपवल धसंह(सीरर्सर्चुंद कवधसमपरु गढ़ी-अफजलगढ़), इ0ं जय धसंह (सीमलव), मनोज कुमवर रवजपतू, रधर् रवजपतू, िजृ ेररधसंह, लधलत र्चौहवन, रवजकुमवर धसंह, ओमपवल धसंह, नरेश र्त्स,उत्तम र्ीर धसंह, धशर्कुमवर धसंह, गजेरर धसंह, प्रदीप र्चौहवन (िवमपरु) समर धसंह, अशोक कुमवर, शमशेर धसंह, सभुवषर्चंर धसंह, मनन रवजपतू, हरपवल धसंह, िीरेश िहवदरुरवजपतू, रवजन र्चौहवन, मंगूधसंह, मकुेश कुमवर, दलजीत धसंह, रजनीश कुमवर (फीनव), रवजकुमवर (गंगर्ूवलव-धसकंदरपरु िसी), कधनष्क नेगी (मीरपरु-नवथा), रधर्रर कवकरवन (सवहनपरु) मीनूधसंह र्चौहवन (अफजलगढ़) िॉ0 भवरत भषूर् धर्द्यवलंकवर, िॉ0 सरुेश र्चंद(मरुवदविवद), इ0ं कृष्र् कुमवर, इ0ं कृष्र् मोहन कंसल, इ0ं देर्ेश शक्ुलव, इ0ं रवमप्रकवश प्रजवपधत (महोिव), इ0ं हरेरर कुमवर, इ0ं गरुुप्रसवद(धमजवापरु), इ0ं सिुीर पँर्वर (मेरठ), इ0ं धर्जय रवर्त (अयोध्यव), अशोक िवधलयवन (मज्ुजफरनगर) धजतेरर रघर्ुंशी (हररद्ववर), धशर्प्रसवद भवरती (छत्तरपरु म.प्र.), इ0ं िजृ ेरर कुमवर (पखु रवयवँ), इ0ं रूपधसंह (जवलौन) । नरेरर धसंह र्चौहवन (धिजनौर), िॉ0 सरुेश कुमवर धसंह, िॉ0 परर्ेरर धसंह, मधहपवल धसंह, धहरेरर कुमवर, भदूर्े धसंह, दगुेश र्चौहवन, इ0ं धर्धपन कुमवर रवजपतू, िलहौजी धसंह, जगदीश धसंह, तषुवर रवजपतू र्त्स, नर्नीत र्चौहवन, सिुीर र्चौहवन, अर्नीश कुमवर, गजेरर धसंह, िॉ0 धर्श्वपवल धसंह, महवर्ीर धसंह, मनोज र्चौहवन (फीनव) । प्रद्यमुन कुमवर (जटपरुव), इ0ं मनोज र्चौहवन, सयूाकवरत ‘समुन’, रवजर्ीर धसंह रवजपतू, अशोक मिपु, िॉ0 लोके रर त्यवगी, धर्र्ेक गप्तुव, रवजेंर धसंह, धशर्कुमवर भवरती, ब्रहम धसंह गज्ुजर, िॉ0 अधनल शमवा, पंकज धर्श्नोई, देर्ेश कुमवर रवजपतू, िमेरर रवर्व, आशीष धसंह, िॉ0 रजनीश कुमवर धसंह, मनीषरवर्व, अमन कुमवर त्यवगी, पर्न िक्शी (धहमवर्चल) । इ0ं आर.के . कौधशक, धनतेरर श्रीर्वस्तर्, हमेंत रवर्त (झवँसी), इ0ं योगेररिविूधसंह(िवँदव), धशर्प्रसवद भवरती (सीलप, छत्तरपरु) अतलु र्चररधद्वर्ेदी, इ0ं अजय कुमवर धसंह, धशर्ेंर प्रतवपधसंह, इ0ं सिरजीत कुमवर, इ0ं रवमकै लवश, इ0ं धर्नय कुमवर यवदर् (प्रयवगरवज), प्रदीप श्रीर्वस्तर्, परूुषोत्तम शक्ुलव, कमलेश कुमवर, के शर् धशर्हरे, रवजेश कुमवर सोनी, रमवकवरत गप्तुव, दर्े ेश कुमवर जैन, अशोक गप्तुव, कुलदीप श्रीर्वस्तर्, अधभषेक धमश्रव, इ0ं योगेरर कुमवर, उमवकवंत गप्तुव, इ0ं नरेरर धसंह पटेल, सरुेश कुमवर जसनवनी, श्रीनवरवयर् गप्तुव, रवजीर् शक्ुलव, रवमगोपवल, धशर्मरूत धसंह, आनरद स्र्रूप धतर्वरी, देर्ेरर अग्रर्वल, पतरवखन, मनीष कुमवर गुप्तव, कौशलेश धसंह, शधशकवंत पवण्िेय, रोधहत कुमवर, इ0ं सयूाप्रकवश (धर्चिकूट), इ0ं सरुेश कुमवर गौतम (मथरुव), इ0ं पष्ुपेर कुमवर (हमीरपरु), इ0ं रजनीकवरत मौया(फतेहपरु), इ0ं धगरजवशंकर (औरयव), इ0ं रवमवश्रय यवदर्, इ0ं धदनेश कुमवर (मऊ), इ0ं अतलु कुमवर गौतम (कवनपरुदहेवत), इ0ं र्चररमव प्रसवद (िधलयव), धर्शवल कुमवर, आशीष शमवा(गवधजयविवद), सज्जनपवल सहुवग, अमर धसंह र्चौहवन, िीरेरर कुमवर (धदल्ली), इ0ं फुलगेन रवम (िनवरस), सशुील कुमवर (मलीहविवद), शैलेश कुमवर, रवहुल श्रीर्वस्तर्, कमलेश कुमवर, संजय कुमवर, कुलदीप र्मवा, धर्भुश्रीर्वस्तर्, प्रकवश श्रीर्वस्तर्, आधदत्य प्रकवश, संदीप पवण्िेय, संजीर् धमश्र, प्रदीप कुमवर शक्ुलव (लखनऊ) । P4 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


भध ू मकव P5 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


P6 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार भ ू चमका श्रीराम जन्मभूचम मंचिर केपुिचिामााण सेजुडेचित्रों को संजोयेयह चित्र-प्रधाि रििा पाठकों के सामिेहै। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर सांस्कृचतक, ऐचतहाचसक और सामाचजक दृचि सेतो अत्यंत महत्वपूणाहै ही इसके अलावा यह परम्परागत और प्रािीि भारतीय स्थापत्य कला का भी उत्कृि उिाहरण है। प्रािीि भारतीय मंचिर स्थापत्य कला और इसकी चिमााण पद्धचत के चवचभन्ि तकिीकी पहलुओंका आधुचिक भवि चिमााण तकिीक के संिभा में अध्ययि करिा इस पुस्तक रििा का मुख्य उद्देश्य है । इसकेचलए मंचिर चिमााण केचवचभन्ि िरणों के चित्रों को क्रचमक रूप मेंप्रस्तुत करिेका एक छोटा सा प्रयास चकया गया है। जब सेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर की िींव का कायाशुरू हुआ तब सेही इस पुस्तक को चलखिेऔर तैयार करिे का चविार मेरेमि में था । यह चविार भी था चक प्राण-प्रचतष्ठा के चिि इसका प्रकाशि या लोकापाण कर चिया जाए । इस क्रम में मैंचवचभन्ि िरणों के फोटोग्राफ्स एकत्र करिे लगा । मंचिर केचिमााण को प्रत्यक्ष िेखिेके उद्देश्य सेतीि बार अयोध्या जािेका सौभाग्य भी मुझेचमला । मैंिेसोिा था चक श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केचवचभन्ि िरणों पर चित्रों के साथ बृहि तकिीकी चटप्पचणयााँभी करूाँ परंतुअिेक कारणों सेऐसा संभव िहीं हो पाया । चफर भी जहााँ-जहााँमुझसेहो सका छोटी-छोटी चटप्पणी कर इस कमी को हल्का करिे का प्रयास चकया गया है । श्रीराम जन्मभूचम मंचिर ट्रस्ट द्वारा जब 22 जिवरी 2024 को प्राण-प्रचतष्ठा की चतचथ चिधााररत कर िी गई तो उसके बाि मैंिे इस पुस्तक को अंचतम स्वरूप िेिे केचवशेष प्रयास करिेशुरू कर चिये। तत्क्रम में 29 चिसम्बर 2023 को इस पुस्तक केचलए भारत सरकार द्वारा आवंचटत आई.एस.बी.एि. भी प्राप्त हो गया । सवा चवचित है चक मंचिर चिमााण का थोडा काया प्राण-प्रचतष्ठा के बाि भी िलेगा । इस कारण प्रस्तुत कृचत मेंचिमााण केचवचभन्ि िरणों सेजुडेसभी फोटोग्राफ्स िहीं आ पाए हैं। यचि समय अिुकूल रहा तो यह प्रयास चकया जाएगा चक चिमााण केपूणाहोिेपर एक अन्य संस्करण या कृचत तैयार कर सभी फोटोग्राफ्स लगा चिए जाएाँ। वतामाि मेंसोशल मीचिया सेजुडेलोग श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केचित्रों को बडी सख्ं या मेंिेख रहेहैं।इस दृचि सेयह पुस्तक तैयार करिेकी कोई चवशेष आवश्यकता चिखाई िहीं पडती । चफर भी कई कारणों से इसको तैयार चकया गया । इस पुस्तक के चित्रों की महत्ता आज भले ही ि लगे, परंतु भचवष्य में येइचतहास लेखकों तथा शोधकतााओंको अवश्य सहायता पहुिाँ ायेंगे, ऐसा मेरा चवश्वास है। मंचिर तथा भवि चिमााण क्षेत्र सेजुडेतथाइसमेंरुचि रखिे वाले लोगों के चलए भी यह पुस्तक ज्ञािवधाक चसद्ध हो सकती है। P7 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार इस चित्र प्रधाि कृचत को तैयार करिेका सम्पूणाश्रेय मुझेिहीं जाता, इसके यथायोग्य हकिार वे सभी लोग और स्रोत भी हैं चजिसेइस पुस्तक के चलए चित्र साभार चलए गए ।इिमेंश्रीराम जन्मभूचम ट्रस्ट, अयोध्या भक्त, आरएसएस अयोध्या जैसेफेसबुक अकाउंट तथा स्वतंत्र रूप सेफोटो खींिकर सोशल मीचिया, यू-ट्यूब और इटं रिेट पर िालिेवालेसैकडों वेलोग हैं, चजिके िाम ज्ञात ि होिेकेकारण अंचकत िहीं चकयेजा सके, इस पुस्तक रििा हेतुये सभी श्रेय मेंबराबर केहकिार हैं । इस पुस्तक मेंचजतिेचित्र हैंउिमेअचधकांश चिमााण के िौराि चलए गए हैं इसचलए इिमें जगह-जगह चवचभन्ि सामचग्रयों के ढेर, मशीिरी, श्रचमक और काचमाक चिखाई पडते हैं । चिमााण पूणाहोिेके बाि जो चित्र सबके सामिे आएाँगेचिसंिेह वेअचधक सुंिर, िमकीले, बोधगम्य और आकषाक होंगे; परंतु इस पुस्तक केचित्रों को िेखकर मंचिर का जो दृश्य मि-मचस्तष्क में पैिा होगा, उसकी भी एक अलग अिुभूचत और चवशेष महत्व होगा, क्योंचक कहावत है चक एक चित्र को िेखकर जो ज्ञाि और भाव उत्पन्ि होता है वह हजार शब्िों के बराबर होता है।इस पुस्तक की चित्रमाला िेखकर वतामाि पीढ़ी के लोग यह चवचशि भाव भी महसूस करेंगेचक वो मंचिर चिमााण केसमय मौजूि थे। इस पुस्तक केचित्रों को चिमााण चतचथ के क्रम मेंलगािेका प्रयास चकया गया था पर यह सफल िहीं हुआ, इसचलए हो सकता हैचक भूतल केचिमााण का चित्र बाि में हो और प्रथम तल का इसकेपहले। सामान्यतया फोटो मुझेचजस क्रम मेंउपलब्ध हुए या सोशल मीचिया पर चिखाई पडे उिको उसी क्रम में लगा चिया । सम्बंचधत फोटोग्राफ्स और चित्र सोशल मीचिया सेचलए गए हैं, इस कारण उिमेसेअचधकांश की चपक्सल बहुत अच्छी िहीं है, जोचक एक स्वाभाचवक कमी लग रही है । इस बात से इिकार िहीं चकया जा सकता चक इस पुस्तक मेंकुछ चित्र श्रीराम जन्मभूचम मंचिर के िाम पर अन्य मंचिर के हो सकते हैं, क्योंचक पूवामेंही कहा जा िुका हैचक अचधकांश चित्र मीचिया, इटं रिेट, गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप, वेबसाइट वेब पेज जैसेस्रोतों से प्राप्त चकए गए हैं, और इि स्रोतों में हो सकता है त्रुचटवश या प्रतीकात्मक रूप सेचकसी अन्य मंचिर का चित्र श्रीराम जन्मभूचम मंचिर केिाम पर प्रयोग कर चलया गया हो और उस क्रम में वह इस पुस्तक मेंआ गया हो, हालााँचक ऐसी सम्भाविा बहुत कम है। इि सभी त्रुचटयों की चजम्मेिारी अचग्रम क्षमा प्राथािा केसाथ मैं लेता ह ाँ। पाठकों से यह उम्मीि रहेगी चक वेछोटी-बडी हर प्रकार की त्रुचटयों केबारे में बतािे का कि करें, ताचक अगले संस्करणों में इिको िूर चकया जा सके।इसी कारण इस प्रथम संस्करण की बहुत सीचमत प्रचतयााँप्रकाचशत की गई हैं। इ०ं हेमन्त कुमार [email protected] P8 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar P9 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar मििगोपाल िास जी महाराज ट्रस्टी श्री कामिचगरी प्रमुख द्वार चित्रकूट धाम, सस्ं थापक-पर्ाावरण बिाओ अचभर्ाि, श्री कामिचगरर पीठम श्री चित्रकूटधाम (मध्र् प्रिेश) शुभकामिा सन्िेश अतीव प्रसन्िता का चवषर् हैचक श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केचित्रों सेसजी र्ह सन्ुिर पुस्तक प्रकाचशत होिेजा रही है। मर्ाािा पुरुषोत्तम श्रीराम का िररत्र और उिके द्वारा स्थाचपत आिशा, पररवार, समाज, लोकजीवि और हमारी सस्ं कृचत का मूलाधार हैं । अर्ोध्र्ा मेंप्रभुश्रीरामलला जन्मभूचम मचन्िर पुिचिामााण सेिेश-चविेश के लोगों मेंअद्भुत भचिभाव और श्रद्धा का सिं ार हो रहा है। मचन्िर चिमााण की प्रगचत का हर िर्ा किम हृिर् में अपार प्रसन्िता भर िेता है। चिमााण की इन्हीं पििापों को इस पुस्तक मेंचित्रों और उिकी तकिीकी जािकारी के माध्र्म सेसजं ोिेका प्रर्ास चकर्ा गर्ा है। वतामाि की पीढी धन्र् है जो श्रीरामलला मचन्िर का चिमााण होते िेख रही है। इस पुस्तक केचित्र पाठकों केमि को झंकृत कर िेंगेऐसेमुझेचवश्वास है।इस पुस्तक को तैर्ार कर,इसकेरििाकार ख्र्ाचतलब्ध सामाचजक कार्ाकत्ताा, सरकार सेपुरस्कृत लेखक और बहुमुखी प्रचतभा सपं न्ि इजं ीचिर्र हेमंत कुमार जी िेसाथाक और सराहिीर् कार्ाचकर्ा है। मैं भगवाि कामतािाथ जी से इिके मंगल की कामिा करता ह ूँ। अर्ोध्र्ा केबाि चित्रकूट ही वह क्षेत्र हैचजसका प्रभुश्रीराम सेबडा िाता रहा । अपिे विवास काल में प्रभुलंबेसमर् तक र्हाूँ सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ तपस्वी केरूप मेंरहे। चित्रकूट में चस्थत कामिचगरर पवात, हिुमाि धारा, सती अिुसइूर्ा, गुप्त गोिावरी, भरतकूप, राजापुर, रामघाट आचि तीथा स्थलों के साथ-साथ सपं ूणाबुंिेलखंड का कण-कण राममर् है। प्रभुश्रीरामलला प्राण-प्रचतष्ठा के चिि इस पुस्तक का प्रकाशि होगा । प्राण-प्रचतष्ठा के बाि प्रकाचशत होिे वाली इस चवषर् पर र्ह पहली पुस्तक होगी । इसकेमाध्र्म से भी रामजी का पावि स्मरण करिेका सर्ुोग चमलेगा । मुझेचवश्वास हैंचक र्ह रििा ज्ञािवधाि केसाथ-साथ पाठकों को आध्र्ाचममक प्रसन्िता भी प्रिाि करेगी । (मििगोपाल िास जी महाराज) प्रति- श्री हेमंि कुमार, पुत्र स्व० हरीराज त ंह दीवान, ग्राम-फीना, जनपद-तिजनौर, (उ०प्र०) (इ शुभकामना न्देश की मूल प्रति आगेप्रकातशि हुई है) P10 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar P11 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar शुभकामिा सन्िेश अमर्ंत हषाका चवषर् हैचक श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केचित्रों पर आधाररत र्ह रििा प्राणप्रचतष्ठा के चिि प्रकाचशत होिे जा रही है। श्रीराम का िररत्र, आिरण और उिके द्वारा स्थाचपत आिशा, भारत केसाथ-साथ सपं ूणाचवश्व केमािव समुिार् का, सचिर्ों से मागािशाि करतेआ रहे हैं । श्रीराम करोडों- करोडों लोगों की आस्था का केंद्र हैं। अर्ोध्र्ा मेंबि रहा श्रीराम जन्मभूचम मंचिर, श्रीराम का ही एक प्रचतमाि है। िुचिर्ा भर में उच्ि कोचट की वास्तुकला सपं न्ि सरं ििाओं मेंश्रीराम मंचिर भी एक होगा । मंचिर एक अध्र्ाचममक चवषर् हैजबचक इसका चिमााण चवशुद्ध तकिीकी कार्ाहै। मंचिर चिमााण के तकिीकी पक्ष पर चहिं ी मेंपुस्तकेंढूंढेिहीं चमलती जबचक र्ह भारतीर् वास्तुकला के गौरव का साक्षात प्रमाण होता है। इस पुस्तक मेंश्रीराम जन्मभूचम मंचिर केचिमााण सबं ंचधत महमवपूणाचित्रों को तकिीकी चटप्पचणर्ों केसाथ प्रस्तुत करके परंपरागत वास्तुकला केइसी पक्ष पर एक अचभिव प्रर्ास चकर्ा गर्ा है । इस दृचि से मुझेचवश्वास है चक र्ह पुस्तक पाठकों का ज्ञािवधाि करेगी । इससेभारतीर् परंपरागत स्थापमर् की उच्िता और चिमााण कौशल की जािकारी सरल चहिं ी मेंपढिेको चमलेगीं । इस पुस्तक के लेखक इजं ीचिर्र श्री हेमन्त कुमार तकिीकी लेखि, स्थािीर् इचतहास, गुमिाम सेिािी चवषर्क शोध कार्ों तथा सस्ं कृचत सवं धाि के चलए ख्र्ाचतलब्ध हैं। आप उ0प्र0 राज्र् सरकार सेपुरस्कृत भी हो िुके हैं। श्री हेमन्त कुमार के पैतृक ग्राम फीिा (जिपि चबजिौर) से मेरा चिकट का सबं ंध रहा हैतथा र्ह मेरे स्िातक क्षेत्र में आता है । मैं इिके उज्जवल भचवष्र् और िीघाार्ुहोिेकी कामिा करतेहुए इस पुस्तक के सफल प्रकाशि हेतुबधाई और शुभकामिाएूँप्रेचषत करता ह ूँ। (डा0 जर्पाल चसहं ‘व्र्स्त’) प्रचत- श्री हेमन्त कुमार पुत्र स्व० हरीराज चसंह िीवाि, ग्राम-फीिा, जिपि-चबजिौर, (उ०प्र०) डा0 जर्पाल चसंह ‘व्र्स्त’ दस्य तवधान पररषद -िरेली मुरादािाद खंड स्नािक क्षेत्र (भाजपा), सभापचत-प्रिेश चवद्युतीर् व्र्वस्था जाूँि सचमचत, सिस्र्-अचधष्ठाता मंडल चवधाि पररषि, कार्ापररषि्-एम०जे०पी० रूहेलखंड खंड चवश्वचवद्यालर् बरेली, कार्ा पररषि-तीथंकर महावीर र्चूिवचसाटी मरुािाबाि, एल.एल.बी., सगं ीत प्रभाकर, पी.एि.डी. । मूल रूप मेंप्राप्त सन्िेश आगे प्रकाचशत हुआ है। P12 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar के शव चशवहरे एडवोके ट, राष्ट्रीय अध्यक्ष,इटं रनेशनल पायननयर्सक्लब, स्वैनछिक कल्याणकारी ननस्वार्सगैर राजनीनिक र्माजर्ेवी र्स्ं र्ा, क्षेत्रीय ब्ांड अम्बेर्ेडर, स्वछि भारि नमशन, नित्रकूटधाम कवी एवंर्ामानजक कायसकर्त्ास, शंकर बाजार, कवी, नित्रकूट उर्त्र प्रदेश । शुभकामिा सन्िेश अत्यंत हर्ाका चवर्य हैचक श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केचित्रों सेसबं ंचित यह पुस्तक प्रकाचशत होिेजा रही है। श्रीराम जि-जि के आराध्य और िायक हैं।इिकेआिशों के चबिा ससु स्ं कृत पररवार और सभ्य एवंसमतामूलक समाज की कल्पिा भी िहीं की जा सकती है। अयोध्या में इिके जन्म स्थाि पर चिचमात होिेजा रहेमंचिर सेकरोडों लोगों मेंउत्साह और उमंग का अद्भुत संिार िेखिेको चमल रहा है। पूरेभारतवर्ाकेसाथ-साथ िुचिया भर मेंरह रहेश्रद्धालुमंचिर केचिमााण की घोर्णा केचिि सेहीइसकेप्रचत अत्यचिक आकचर्ात और श्रद्धावित हैं । श्रद्धा और आस्था का कें द्र होिे के साथ-साथ श्रीराम जन्मभूचम मंचिर अपिेअिूठेस्थापत्य और चशल्प कला के चलए भी बहुत अचिक िचिात हो िुका है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर को िागर शैली में बिाया जा रहा है। यह मंचिर सामान्य मंचिरों की तरह िहीं बि रहा हैबचल्क इसकेचिमााण की प्रचिया अत्यंत गूढ़, जचिल और तकिीक भरी है । इसका चिमााण चकसी प्रचसद्धतम आिुचिक भवि से चकसी भी प्रकार कम िहीं है। परन्तुिुभााग्य हैचक इसके चवज्ञाि और कला पक्ष पर जि-सामान्य को कोई चवशेर् ज्ञाि िहीं है । समािार पत्र-पचत्रकाओ,ं सोशल मीचिया तथा िेलीचवजि पर इसकेचिमााण को साक्षात िेखकर इसकी जचिलता महसूस की जा सकती है। चिमााण की जचिल प्रचिया के कारण उच्ि कोचि केस्थापत्य सेसपं न्ि मंचिरों की तकिीक को आम जिमािस समझ िहीं पाता ।इस बात को समझतेहुए ख्याचतलब्ि इजं ीचियर हेमंत कुमार जी िेयह पुस्तक तैयार की है। चजसमेंमंचिर चिमााण केप्रमुख िरणों सेसबं ंचित फोिो लगातेहुए उिकेसबं ंि मेंमहत्वपूणा बातें चलखी गई हैं। यह पुस्तक चिचित तौर पर मंचिर चिमााण की गौरवशाली तकिीक पर महत्वपूणाजािकारी उपलब्ि कराएगी चजससेआम जिमािस काइस चवर्य पर समुचित ज्ञािविाि होगा। सामाचजक कायों की ओर मेरा रुझाि युवावस्था सेही था । इन्हीं कायों के िलते मैंइिं रिेशिल पायचियसाक्लब जिपि चित्रकूि का अध्यक्ष बिाया गया और बाि में राष्ट्रीय अध्यक्ष का िाचयत्व भी मुझेसौंपा गया । अिेक वर्ों से हम इस संस्था के द्वारा स्वैचच्िक रक्तिाि, असहायों को चखिडी, कम्बल, कपडेतथा अन्य आवश्यक वस्तुओंका चवतरण, चििःशुल्क स्वास््य चशचवर, यातायात रूल जि-जागरण गोष्ठी तथा पौिरोपण जैसे सामाचजक काया यथाशचक्त करते आ रहे हैं । सामाचजक कायों के चसलचसले में वर्ा2008 के आसपास मेरा पररिय इस पुस्तक केलेखक इजं ीचियर हेमंत कुमार जी सेहुआ था । आप वर्ा2000 मेंहमारेगृह जिपि चित्रकूििाम कवी मेंिौकरी केचसलचसलेमेंआए थे। हेमन्त जी िेचित्रकूििाम मेंिौकरी करिेके साथ-साथ भवि चिमााण तकिीक के क्षेत्र में जि-जागरण और जिसेवा का भी बहुत बडा जमीिी कायाचकया । जिपि चित्रकूि िाम कवी और आसपास केक्षेत्र मेंआिुचिक चिजाइि केमकािों तथा अन्य प्रकार के भविों को शुरू करािेमेंआपका अग्रणी योगिाि है। हेमंत जी द्वारा द्वारा चिजाइि चकए गए अिेक भवि चवशेर्कर उिकेफ्रंि एचलवेशि आज भी वैसे ही आकर्ाक बिे हैं और खूब प्रशंसा पातेहैं । जि-जागरण अचभयाि केअंतगात चलखी गई इिकी पहली पुस्तक ‘मकाि बिवातेसमय ध्याि रखिेवाली 125 बहुत जरूरी बातें’ का चवमोिि वर्ा2017 में कवी मेंहुआ था । इस चवमोिि कायािम मेंमुझेमुख्य अचतचथ केरूप मेंबुलाया और सम्माचित चकया गया था । वर्ा 2016 मेंआपका रांसफर लखिऊ केचलए हो गया, परंतुमोबाइल वाताा, व्हाि्सएप तथा फेसबुक केमाध्यम सेसपं का और परस्पर सवं ाि पहलेकी तरह ही बिा रहा । श्री हेमंत कुमार बहुमुखी प्रचतभा केििी हैं। लखिऊ जािे के बाि आपिे स्थािीय इचतहास सकं लि-लेखि, गुमिाम सेिाचियों की खोज, िवािार, भवि चित्रांकि, शोिपूणालेखि, हररयाली चवस्तार, और P13 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar आचवष्ट्कार जैसेअिेक क्षेत्रों मेंगंभीर और जिोपयोगी कायाकर महत्वपूणाउपलचब्ियााँप्राप्त की ।इि सामाचजक कायों केचलए चित्रकूि मेंआपको सम्माचित भी चकया गया । चिचित रूप सेइि कायों का बीज चित्रकूििाम में ही अंकुररत हुआ था । चवशेर्कर भवि क्षेत्र में चिस्वाथा सहयोग और सामाचजक सोि के कारण चित्रकूििाम कवी मेंअिेकािेक लोग आपके घचिष्ठ बि गए । चिसिं ेह चित्रकूि की पावि भूचम, यहााँ के वातावरण और लोगों के सहयोग व अपित्व का बल भी आपकी सफलता मेंसहायक चसद्ध हुआ, चजसका आप अक्सर चजि करते रहते हैं । अपिी रििात्मकता और समाज की बौचद्धक सेवा के अगले पडाव केरूप मेंहेमंत जी िेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केचित्रों से सजी यह पुस्तक चलखी है। प्रकाशि से पूवामुझे इस पुस्तक केअवलोकि का अवसर चमला । पुस्तक की कई बातों िेमेरा ध्यािाकर्ाण चकया । पुस्तक मेंजो चित्र चिखाई पड रहेहैंवह अत्यंत पररश्रम सेजुिाए गए हैं। इसके चलए अिेक स्रोतों का उपयोग चकया गया है। स्थलीय जािकारी और फोिो जुिािेकेचलए लेखक इजं ीचियर हेमंत कुमार जी िेअयोध्या की तीि बार यात्रा की । चकसी चिमााण िरण के अिेक चित्रों में से के वल उन्हीं का ियि चकया गया हैजो बहुत अचिक साथाक हैं। पुस्तक केचित्रों और उिसेजुडी व्याख्याओंको पढ़कर िेखकर ऐसा आभास हुआ चक मािो श्रीराम जन्मभूचम मंचिर का चिमााण आंखों के सामिे हो रहा हो । इस पुस्तक मेंअिेक महत्वपूणाचित्र ऐसेहैंजो आिेवाली पीचढ़यों को अन्यत्र िेखिे को िहीं चमलेंगे। इस दृचि सेयह पुस्तक अत्यंत साथाक, जिोपयोगी तथा श्रद्धालुओंमें रामराग उत्पन्ि करिे में सक्षम चसद्ध होगी । हेमंत जी सेििााके िौराि पता िला चक इस पुस्तक का लोकापाण श्रीरामलला चवग्रह की प्राण प्रचतष्ठा के चिि अथाात 22 जिवरी 2024 को करिे का चिणाय चलया गया है। लोकापाण अयोध्या में ही करािेका चविार था परंतुसरुक्षा कारणों सेसीचमत सख्ं या मेंअचतचथयों केअयोध्या में प्रवेश की बाध्यता केिलतेइस पुस्तक का लोकापाण वहााँिहीं सचुिचित हुआ । इस सबं ंि मेंमेरा सझु ाव हैचक पुस्तक का लोकापाण चित्रकूि मेंकराया जाए क्योंचक अयोध्या के बाि श्रीरामिंद्र जी सेजुडा सबसेबडा कोई स्थाि मािा जाता हैतो वह चित्रकूि है। प्रभुश्रीराम िे अपिे विवास काल का बडा समय यहीं व्यतीत चकया था । इस िौराि उिके साथ सीता जी और लक्ष्मण जी भी थे । महाराज िशरथ केचििि के उपरांत भरत जी जब श्रीराम के पास विवास िोडकर अयोध्या वापस िलिेका अिुरोि करिेके चलए चमलिेपहुिाँ ेतो उस समय भी प्रभुचित्रकूि मेंही थे। चित्रकूि क्षेत्र मेंमाता अिुसयूा, कचपल मुचि आचि महाि ऋचर्यों के आश्रम थे चजिसे चमलिे श्रीराम पहुिाँ ेथे । विवास काल में श्रीराम िे कामतािाथ जी पवात पर प्रवास चकया था, जोचक चित्रकूि मेंही चस्थत हैं।इि कारणों सेअयोध्या के समाि ही चित्रकूि को भी भगवाि राम की िगरी कहा जाता है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण के चित्रों सेसबं ंचित इस पुस्तक मेंहम भी जुड पाए यह हमारा सौभाग्य है । प्राण प्रचतष्ठा के चिि जब पुस्तक का प्रकाशि होगा तो चिचित रूप से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर परइसकेचिमााण केबाि प्रकाचशत होिेवाली यह प्रथम पुस्तक होगी । मैं अपिी कायाकाररणी तथा यहााँआपकेशुभचिंतकों एवंसमस्त जिपि चित्रकूिवाचसयों की ओर सेइस पुस्तक केसफल प्रकाशि की कामिा करता ह ाँ। (के शव चशवहरे) दिन ांक : 19 दिसम्बर2023 राष्ट्रीय अध्यक्ष, इिं रिेशिल पायचियसाक्लब (भारत) प्रनि – इ०ं हेमन्ि कुमार, ग्राम-फीना, जनपद-नबजनौर (उ०प्र०) P14 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar चिषय सूिी क्र० स०ं अध्याय का िाम पृष्ठ सं० 1 अयोध्या का संक्षिप्तपरिचय परिचय 01 अयोध्या केप्रमखु धाक्षमिक एवंदर्िनीय स्थलों केक्षचत्र 2 मंक्षदि क्षनमािण की तीन भाितीय र्ैक्षलयााँऔि श्रीिाम जन्मभक्षूम मंक्षदि भक्षूमका 13 नागि र्ैली द्रक्षवड़ र्ैली बेसि र्ैली मंक्षदि संिचना केकुछ महत्वपणूिअगं क्षवक्षभन्न र्ैक्षलयों की संक्षिप्त तलुना 3 श्रीिाम जन्मभक्षूम मक्षंदि से सम्बन्धी कुछ महत्वपणूितथ्य महत्वपणूितथ्य 21 मंक्षदि केकुछ कप्यटूिजक्षनत क्षत्रक्षवमीय क्षचत्र क्षनमािण स्थल परिसि केकुछ आकार्ीय क्षचत्र मंक्षदि परिसि तथा मंक्षदि का मानक्षचत्र 4 श्रीिाम जन्मभक्षूम मंक्षदि क्षनमािण केप्रमखु औि मलू भतू तकनीकी पि भक्षूमका 31 भाितीय मंक्षदि स्थापत्य : क्षवज्ञान औि कला का संदुि संयोजन श्रीिाम जन्मभक्षूम मंक्षदि की संिचना एवं क्षनमािण संबंधी कुछ महत्वपणूि क्षवर्ेषताएाँ श्रीिाम जन्मभक्षूम मंक्षदि की संिचना केप्रमखु घटकों की कुछ क्षवर्ेषताएाँ,नींव, खम्भे, मंक्षदि मेंबनाई गयी दीवािें, छज्जे, क्षनमािण की मख्ुय सामग्री, स्तम्भ र्ीषिछत धिन संिचना केअगं -उपांग पि अलंकिण की योजना P15 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 5 नींव केमहत्वपणूिक्षचत्र 47 6 अक्षधष्ठान/कुसी/क्षप्लंथ क्षनमािण केक्षचत्र 65 7 भतूल क्षनमािण केक्षचत्र 75 8 प्रथम तल क्षनमािण केक्षचत्र 141 9 क्षितीय तल क्षनमािण केक्षचत्र 163 10 क्षनमािण के अन्य महत्वपणूिक्षचत्र 165 11 क्षवक्षवध उल्लेखनीय क्षचत्र 173 12 बच्चों िािा हाथ से बनाये गए मंक्षदि केकुछ क्षचत्र 187 13 कुछ अन्य तथा मलू र्भुकामना सन्देर् औि उनकेक्षलफाफे 191 14 इस पस्ुतक हतेुतथ्य संकलन केप्रयास 199 15 कुछ समाचाि, क्षवक्षभन्न स्थानों से पह चाँ ेश्रद्धाल,ुसन्दभि, लेखक की िचनाओंका क्षवविण, क्षटपण्णी 211 P16 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar श्रीराम लला चिग्रह मूचताकार-अरूण योगीराज (मैसरूकिााटक) P17 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों केझरोखेसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar P18 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar अध्याय : 01 अयोध्या का संचिप्त पररिय पररिय- अयोध्या, भारत तथा चिश्व का एक प्रमुख सांस्कृचतक और महत्िपूणा िगर है । यह उत्तर प्रिेश के पूिी चहस्से में चस्थत है । सामाचजक, राजिीचतक, सभ्यता चिकास, आचथाक और सैन्य अचभयािों के कारण अयोध्या पौराचणक इचतहास की दृचि सेअग्रणी, सुचिख्यात और महाि िगरों मेंचगिा जाता रहा है। भारत के इचतहास और सामाचजक तािे-बािे को प्रभाचित करिे िाली अिेक घटिाएँ अयोध्या से जुड़ी हैं, चजिका िणाि स्िचणाम अध्याय के रूप में होता हैं । अयोध्या में जन्मे कई महापुरुषों के व्यचित्ि और कृचतत्ि से करोड़ों-करोड़ व्यचियों के जीिि और चििारों में बिलाि आया । िैचिकों के साथ-साथ जैि, बौद्ध और चसख समुिाय का भी अयोध्या सेअत्यंत गहरा िाता है। अयोध्या 1 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar यूँतो अयोध्या में समाज को िई चिशा िेिे िाले अिेक महापुरुषों का जन्म हुआ और यहाँ जन्मे तथा यहाँसे जुड़े महापुरुषों एिंमहाि चिभूचतयों की सूिी बिाई जाए तो यह भी काफी बड़ी होगी, परंतु राजा िशरथ तथा उिके पुत्रों और उिकी पुत्रिधुओंके जीिि िररत्र एिंआिशों िे भारतीय जिमािस पर चजतिा बड़ा प्रभाि डाला हैिैसा उिाहरण कोई और िहीं चमलता । यह प्रभाि भारतीय समाज के सांस्कृचतक, धाचमाक और लोक जीिि में जगह-जगह चिखाई पड़ता है। अयोध्या में राजा रघुका राजिंश बहुत प्रतापी था और रघुकुल के िाम से प्रचसद्ध हुआ । इस कुल के राजा चिलीप, िशरथ, राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्ि, लि-कुश हजारों िषों के बाि भी भारतीय जिमािस के पटल पर स्थाई रूप से अंचकत हैं। इिके अलािा जैि धमा के भी अिेक तीथंकर अयोध्या से जुड़े हुए हैं । मािा जाता है चक जैि धमा के तीथंकरों अचजतिाथ, अचभिंिििाथ, सुमचतिाथ और अिंतिाथ का जन्म अयोध्या में हुआ था । जैि धमा के सभी 24 तीथंकरों का जन्म उसी इक्ष्िाकु िंश में हुआ चजसमे श्रीराम अितररत हुए थे । कुछ संिभों के अिुसार प्रथम तीथंकर भगिाि ऋषभिेि का जन्म भी अयोध्या में हुआ था । अिेकािेक चिशेषताओ के बीि ं , िेखा जाय तो अयोध्या को सबसे अचधक ख्याचत मयाािा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मस्थाि के रूप में चमली है। आज भी भारत के लोगों की सामाचजक, सांस्कृचतक, िाररचत्रक और लोक व्यिहार की जो चिचभन्ि परंपराएंऔर रीचतयाँप्रिचलत हैंउिका अिुशीलि काफी हि तक श्रीराम के जीिि िररत्र औरइिके द्वारा स्थाचपत आिशों से प्रेररत है। पररिाररक संबधों को चिचभन्ि कचिि पररचस्थचतयों में कै से चिभाया जाए इसके आिशा ं प्रेरणा स्रोत श्रीराम ही मािे जाते हैं। भारत के चिचभन्ि प्रांतो में रहिे िाले अिेकािेक समुिायों में, चिचभन्ि रीचत-ररिाजों को माििे िाले लोगों में तथा चिचभन्ि भाषा-बोचलयों और लोक कथाओ में ं श्रीराम से जुड़ी कथाएँ, िोहे, काव्य, मुहािरे, कहाितेआचि अक्सर सुििे को चमल जाती हैं। श्रीराम कथा िुचिया भर में सिााचधक कही-सुिी जािे िाली लोककथाओ में से एक है ं । रामकथा को बार बार सुििे पर भी श्रद्धालुओंका मि िहीं भरता । रामकथा पर िुचिया की अचधकांश भाषाओंमें पुस्तक चलखी जा िुकी हैं । श्रीराम िररत्र / रामलीला का मंिि भी िुचिया के अचधकांश चहस्सों में हो िुका हैऔर समय-समय पर होता रहता है। श्रीराम के असंख्य मंचिर भारत और िुचिया भर में बिे हुए हैं। श्रीराम सिाति प्रेचमयों के सबसे बड़े आराध्य हैंऔर ये इिको भगिाि चिष्णु का अितार मािते हैं। समािार पत्र-पचत्रकाओ, ं सोशल मीचडया, टेलीचिजि तथा इन्टरिेट आधाररत ििीि संिार माध्यमों के सहारेश्रीरामगाथा िुचिया भर में तेजी से फैल रही है। ितामाि में िुचिया के लगभग 80 करोड़ लोग श्रीराम में गहि आस्था रखते हैं। भाषा, बोली, धमा, सम्प्प्रिाय, रीचत-ररिाज, परम्प्पराओ,ं खािपाि आचि की चिचिधताओ से ं भरे भारत को एकता के सूत्र में बाँधिे िाले सबसे बड़े और सिाकाचलक िायक के िल श्रीराम हैं । संिेप में कहा जाए तो सिाति समाज के जीिि में श्रीराम के जीिि िररत्र का अत्यंत गहरा प्रभाि हैऔर िह अपिे िायक श्रीराम की जन्मस्थली होिे के कारण अयोध्या को अत्यंत पूजिीय, पचित्र 2 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar और अलौचकक िगरी मािता है। यही कारण हैंचक लोग अयोध्या के िशाि करकेस्ियं को धन्य समझिे लगतेहैं। अयोध्या सरयू केबाएँतट पर चस्थत है। िैचिक शास्त्रों के अिुसार अयोध्या मोििायिी सात पचित्र िगररयों में सेएक है।इसका एक प्रािीि िाम साके त भी रहा है । अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वाराविी चैव सप्तैिा मोक्षदान्यका:॥ प्रािीिकाल की बात हो या मध्यकाल और आधुचिक काल की, तत्समय जब महापुरुष या श्रद्धालुिेशाटि पर चिकलते थे तो चिचित रूप से अयोध्या भी आिेका अचधकतम प्रयास करते थे ।इस कारण यह िगर प्रािीि काल से ही भारतिषाके मुख्य मागों से जुड़ा रहा । ितामाि में भी अयोध्या िेश के चिचभन्ि चहस्सों से बहुत अच्छे तरीके से जुड़ा हुआ है। लखिऊ-गोरखपुर मागा यहीं से होकर गुजरता है। उत्तर प्रिेश की राजधािी लखिऊ से अयोध्या की िूरी सड़क मागाद्वारा लगभग 140 चकलोमीटर और रेलमागाद्वारा लगभग 130चकलोमीटर है । अयोध्या रेलिे का एक जंक्शि भी है। लखिऊ से गोरखपुर रेलमागा यहीं से होकर गुजरता है। इसके अलािा चिसंबर 2023 में यहाँिायुयाि से आिे-जािे की सुचिधा भी शुरू हो गई । कुछ समय पहले तक अयोध्या िगर जिपि फै जाबाि के अंतगात आता था । इस जिपि का मुख्यालय फै जाबाि था जो चक अयोध्या से लगभग आि चकलोमीटर पचिम में चस्थत है। राज्य सरकार िेइस चजले का िाम बिलकर अयोध्या कर चिया है। अयोध्या के आसपास की भूचम घाघरा/सरयूकी लायी जलोढ़ मृिा से बिी है जो काफी उपजाऊ है। यहाँगेंह ँ, धाि, गन्िा आचि फसलों के साथ-साथ फलों का उत्पािि भी आसािी से हो जाता है। यहाँकी स्थािीय भाषा अिधी है चजसके चिकास का कें द्र अयोध्या को मािा जा सकता है । अिधी को चहन्िी की प्रमुख और अग्रणी उप-भाषाओँमें चगिा जाता है। गोस्िामी तुलसीिास कृत रामिररतमािस जैसे बड़ेग्रंथों की रििा अिधी में ही हुई । अंग्रेजों के समय भी अयोध्या एक महत्िपूणा स्थाि रहा है। अयोध्या में सैकड़ों की सख्या में म ं ंचिर बिे हैं। अयोध्या में धाचमाक और पयाटि की जगह इतिी अचधक संख्या में हैं चक यचि चिचधित घूमा जाए तो 3 से 4 चिि भी कम पड़ सकते हैं। अयोध्या में श्रीराम की पैड़ी, किक भिि, िशरथ महल, हिुमािगढ़ी मंचिर, सरयू तट, िागेश्वरिाथ मंचिर, छोटी िेिकाली मंचिर, मचणपिात, रामकोट, श्रीचिगम्प्बर जैि मंचिर, गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साचहब, सूरजकुंड, अमिा /अमोिि मंचिर, जािकी महल, िाल्मीचक रामायण भिि, चिचभन्ि घाट एिंकुंड, त्रेता के िाकुर (कालेराम मचन्िर), चबरला मचन्िर, गुलाबबाड़ी, क्िीि हो मेमोररयल पाका , श्रीराम जन्मभूचम चिमााणशाला, गुप्तार घाट, िीरेश्वरिाथ श्रीअिाचि पञ्िमुखी महािेि मचन्िर, श्रीलक्ष्मणचकला, राजद्वार मंचिर, श्रीमचणरामिास छाििी, श्रीरामिल्लभाकुञ्ज, हिुमाि बाग, उिासीि आश्रम रािोपाली, तुलसी िास स्मारक भिि जैसेस्थािों पर श्रद्धालु और पयाटकों की भारी भीड़ िेखिे को चमलती है। अब पुिचिाचमात हो रहे श्रीराम जन्मभूचम मंचिर और चिकचसत चकये जा रहेइसकेपररसर से अयोध्या के धाचमाक पयाटि को एक िई चिशा चमलेगी । 3 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar जबसेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर मेंचिमााण काया शुरू हुआ है तब से अयोध्या में आिे िाले पयाटकों की संख्या काफी बढ़ गयी है । लोग यहाँके इचतहास में भी गहि रुचि लेिेलगे हैं। सरयूके बाएँतट के चिकट िेत्र में जहाँशास्त्रों के अिुसार श्रीराम का जन्मस्थाि िचणात है, िहाँबाबर के आक्रमण सेपहले तक एक मंचिर बिा था । इस मंचिर का चिमााण महाराजा चिक्रमाचित्य िे श्रीराम लला का जन्म स्थल मािते हुए कराया था । महाराजा चिक्रमाचित्य द्वारा बििाया हुआ यह मंचिर कालांतर में भूकंप जैसी प्राकृचतक आपिाओंके कारण िचतग्रस्त हो गया था । बाि में गुप्त तथा गहड़िाल िंश के राजाओंिे इसका पुिरुद्धार कराया । सि 1525 से1528 के बीि बाबर केआिेश पर उसके चसपहसालार मीर बाकी िे बड़ी सेिा केसाथ आक्रमण कर इस मंचिर को तोड़ चिया था । इसके बाि यहाँ एक मचस्जि बििा िी गयी चजसको लोग बाबरी मचस्जि कहिेलगे । मीर बाकी को रोकिे के क्रम मेंलगभग एक लाख िौहत्तर हजार सिातिी सैचिकों िेअपिे प्राणों का बचलिाि चिया था । अरबी आक्रांताओ िे भारत के हजारों म ं ंचिरों को ध्िस्त चकया, चजिको बिािे मेंलाखों सिातचियों िे अपिे प्राण अचपात कर चिए; परन्तुइि सब में श्रीराम जन्मभूचम पर बिा मंचिर तोड़कर मचस्जि बिाए जािा भारतीय समाज के चलए बहुत अचधक पीड़ाजिक रहा ।इस पीड़ा सेउबरिे के चलए सिातचियों िे अिेक युद्ध चकए और लड़ाईयाँलड़ी और इिमेभी ज्यािातर लड़ाईयाँउस िौराि लड़ी गयी जब भारत में इस्लाचमक शासि िरम पर था । बाबर के राज से लेकर चब्रचटश काल तक लाखों लोगों िे इस स्थाि को मुि करािेके चलए युद्ध में अपिे प्राणों का बचलिाि कर चिया । िैचश्वक पटल पर यह लंबेसंघषा का अद्भुत उिाहरण है जो लगभग 490 िषों तक अििरत िलता रहा ।इतिेलम्प्बे समय तक िलिे िाले संघषाचिश्व इचतहास में बहुत कम सुििे को चमलतेहैं। भारत के सिोच्ि न्यायालय के चिणाय के फलस्िरूप श्रीराम जन्मभूचम पर अब मंचिर का चिमााण चकया जा रहा है। जब से मंचिर चिमााण शुरू हुआ तब से चिश्व के सिातचियों में एक िया उत्साह है । चिमााण स्थल पर लाखों लोग प्रचतिषा िशाि करिे के चलए पहुँि रहे हैं। श्रद्धालुओ की गचत ं और भाि को िेखकर कहा जा सकता है चक श्रीराम मंचिर भचिष्य में संस्कृचत संिहि और संिधाि का एक ििीि कें द्र बििेजा रहा है। श्रीराम और उिकेजन्मस्थाि पर बि रहे मंचिर के प्रचत भारतीय जिमािस के अत्यचधक अिुराग और प्रभाि को िेखते हुए ही लेखक के रूप में मुझे मंचिर चिमााण के तकिीकी पहलुओ पर के चन्द्रत ं यह रििा तैयार करिे की प्रेरणा चमली । व्यचिगत, सामाचजक और सािाजचिक जीिि मेंमयाािाओंकेअिुशासि की परंपरा श्रीराम केआिरण को िेखकर ही तैयार हुई । इसी मिोभाि सेश्रीराम जन्मभूचम के प्रचत लोगों की आस्था उमड़ रही है । सिातचियों की अयोध्या के प्रचत आस्था और श्रद्धा हजारों िषों से रही हैपरन्तुश्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण से इसकी गचत और तीव्रता कई गुिी बढ़ गयी हैं । श्रीराम अयोध्या के पयााय हैंऔर श्रीराम लला का चिचमात हो रहा मंचिर उिकेभौचतक रूप में होिे का आभास चिलाता सबसे बड़ा प्रचतमाि । चिचित रूप से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण से अयोध्या की कीचतामें एक िया अध्याय जुड़िेिाला है। 4 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar अयोध्या के प्रम ु ख धाचमाक एवं िर्ािीय स्थलों केचित्र श्रीराम की पैड़ी, सरयूतट, चिमााणाधीि श्रीराम जन्मभूचम मंचिर, किक भवि, िर्रथ महल, हिुमािगढी मंचिर, िागेश्वरिाथ मंचिर, छोटी िेवकाली मंचिर, मचणपवात, रामकोट, श्रीचिगम्बर जैि मंचिर, गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साचहब, सूरज कुंड, अमवा /अमोवि मंचिर, जािकी महल, वाल्मीचक रामायण भवि, चवचभन्ि घाट एवंकुंड, त्रेता के ठाकुर (कालेराम मचन्िर), चबरला मचन्िर, गुलाबबाड़ी, क्वीि हो मेमोररयल पाका , श्रीराम जन्मभूचम चिमााणर्ाला, गुप्तार घाट, क्षीरेश्वरिाथ श्रीअिाचि पञ्िमुखी महािेव मचन्िर, श्रीलक्ष्मणचकला, राजद्वार मंचिर, श्रीमचणरामिास छाविी, श्रीरामवल्लभाकुञ्ज, हिुमाि बाग, उिासीि आश्रम रािोपाली, रामकथा पाका , तुलसी िास स्मारक भवि, राजसिि । श्रीराम की पैड़ी, अयोध्या चित्र साभार 5 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar श्रीराम की पैड़ी, अयोध्या चित्र साभार चित्र साभार 6 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar सरय ु घाट, अयोध्या चित्र साभार 7 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar कनक भवन, अयोध्या चित्र साभार दशरथ महल, अयोध्या चित्र साभार 8 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar श्री हनमानगढ़ी ु , अयोध्या चित्र साभार नागेश्वरनाथ मंचदर, अयोध्या चित्र साभार 9 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar मााँछोटी देवकली मंचदर, अयोध्या चित्र साभार मचि पववत, अयोध्या चित्र साभार 10 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar गरुद्वारा ु ब्रह्मकंुड साचहब श्रीचदगम्बर जैन मंचदर , अयोध्या चित्र साभार चित्र साभार 11 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar आिायवपीठ श्रीलक्ष्मि चकला, अयोध्या 12 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. अध्याय :02 मंचिर चिमााण की तीि भारतीय शैचियााँ और श्रीराम जन्मभूचम मंचिर भूचमका– भारतवर्ा में मंचिरों के चिमााण केचसद्ांत चशल्पशास्त्र तथा वास्तुशास्त्र के अंतर्ात आतेहैं । चशल्पशास्त्र तथा वास्तुशास्त्र के चवद्वाि को वास्तुशास्त्री कहा जाता है । र्ुप्त काि में320 ईस्वी से 450 ईस्वी के आसपास इि शास्त्रों के सरक्षण ं , िेखि और उन्ियि पर और अच्छा काया हुआ। यह िेखि मािक जैसा मािा जाता है । इि शास्त्रों के अिुसार भारतवर्ा में मंचिर चिमााण की तीि प्रमख ु शैचियााँहैं – 1) िार्र शैिी 2)द्रचवड़ शैिी 3) बेसर शैिी भारत केचकस चहस्से में चकस शैिी के मंचिर अचिक बिे हैं यह िायीं और प्रिचशात मािचित्र से समझा जा सकता है । महत्वपूणामंचिरों की सख्या की त ं ुििा की जाए तो िार्र शैिी में अचिक मंचिर बिे हैं । िार्र शैिी बेसर शैिी द्रचवड़ शैिी चित्र साभार 13 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. 1) िार्र शैिी- यह शैिी मध्य भारत के उत्तर और चहमािय क्षेत्र के बीि भूभार् में चवकचसत हुई । चसि ं प्रांत, र्ंर्ा-यमुिा का िोआब, पवातीय क्षेत्र, र्ुजरात, राजस्थाि, मध्य प्रिेश, उड़ीसा, बंर्ाि जैसे प्रान्तों में अचिकांश मंचिर िार्र शैिी में बिाये र्ए हैं। मध्य प्रिेश के खजुराहो में बिा कंिररया महािेव मंचिर िार्र शैिी का उत्कृष्ट उिाहरण मािा जाता है खजुराहो मेंकई और चवशाि तथा बड़े मंचिर हैंइन्हें 950 से 1050ईस्वीके बीि िंिेिवंशी राजाओ िे ं बिवाया था । सोमिाथ मंचिर भी िार्र शैिी में बिाया र्या है । श्रीराम जन्मभूचम मंचिर पुिचिामााण भी िार्र शैिी में ही चकया जा रहा है । वतामाि में वास्तुशास्त्री/पारम्पररक-वास्तुचवि श्री िंद्रकांत सोमपुरा इस शैिी के सप्रचसद् चवशेर्ज्ञ हैं ु । स्थािीय आवश्यकताओंऔर पररचस्थचतयों सेप्रभाचवत होकर िार्र शैिी में कई उप शैचियााँचवकचसत हो र्यी हैं । 14 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. 2) द्रचवड़ शैिी- मचिर चिमााण की द्रचवड़ शैिी भारत के ं िचक्षणी प्रान्तों जैसे तचमििाडुतथा आंध्र प्रिेश में चवकचसत हुई । मिुरई का प्रचसद् मीिाक्षी मचिर इस शैिी का उत्क ं ृष्ट उिाहरण है। द्रचवड़ शैिी के प्रवताक राजा महेंद्रवमाि प्रथम (571-630 ईस्वी) को मािा जाता हैजो पल्िव राजवंश से सबं ंचित हैं । 15 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. 3) बेसर शैिी- महाराष्ट्र तथा किााटक के कुछ क्षेत्रों में मंचिर चिमााण की एक ऐसी शैिी चवकचसत हुई चजसमें उत्तर भारत की िार्र शैिी तथा िचक्षण भारत की द्रचवड़ शैिी की चवशेर्ताएाँ चमिी हुई थीं । यह बेसर शैिी कहिाई । सोमिाथपुरा का के शव मंचिर बेसर शैिी का एक अच्छा उिाहरण है । होयसि के राजा चवष्ट्णुविाि द्वारा बिवाया र्या । होयसिेश्वर मंचिर भी वेसर शैिी का अच्छा उिाहरण मािा जाता है। सहायक सिभा ं -https://www.drishtiias.com/hindi/daily-updates/daily-news-analysis/hoysala-temples-now-india-s-42ndworld-heritage-site 16 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. मंचिर संरििा के कुछ महत्वपूणाअंर् -मंचिरों के कुछ घटक अपवाि को छोड़कर तीिों शैचियों में बिाए जाते हैंजैसे- 1) र्भाग्रह/ चवग्रह कक्ष (मंचिर का मुख्य कक्ष जहााँ प्रचतमा स्थाचपत की जाती है) 2) चशखर / चवमाि (चवग्रह कक्ष के ऊपर चपराचमडिमा ु बिाई र्यी सरििा ं । चशखर को चवग्रह कक्ष की छत भी कहा जा सकता है) 3) आमिक (चशखर के उपर रखा र्या पत्थर का एक वजिी या अिंकृत अंर्) 4) पीचिका (भूचमर्त िींव केऊपर बिाई र्यी तीि से िस फीट ऊाँ िी िोस िौकी चजस पर चवग्रह कक्ष, मंडप आचि मुख्य भवि बिाया जाता है) 5) मंडप (चवग्रह कक्ष केआर्ेबरामिा या बड़ा कक्ष । मंडप एक से अचिक भी हो सकते हैं) 6) ध्वज (इसकी स्थापिा प्रायः चशखर पर की जाती है) 7) चवग्रह कक्ष केबाहर प्रिचक्षणा / पररक्रमा पथ ध्वज किश आमिक मुख्य श्रंर्/चशखर उरू श्रर्/ ं चशखर यहााँअन्िर की ओर र्भार्ृह है महामंडप (अन्िर की ओर) मंडप मंडप अिामंडप प्रवेश के चिए पैचड़यााँ प्रिचक्षणा पथ अचिष्ठाि जर्ती भूति चद्वतीय ति प्रथम ति ग्रीवा िार्र शैिी का मंचिर (श्रीराम जन्मभूचम मंचिर की प्रस्ताचवत अिुकृचत / माडि) अन्तराि 17 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. चवचभन्ि शैचियों की संचक्षप्त तुििा - मंचिर के मुख्य भवि के िारों ओर बड़े क्षेत्र को घेरता हुआ परकोटा द्रचवड़ शैिी में ही बिाया जाता है । इस परकोटेके अंिर प्रायः जिापूचताऔर िेविशाि से पहिे स्िाि हेतुएक बड़ा सा पक्का तािाब भी बिा होता है। िार्र शैिी के मंचिरों में प्रायः परकोटा और परकोटेके अंिर तािाब िहीं बिाया जाता । िार्र शैिी मेंचवग्रह कक्ष/र्भार्ृह प्रायः िौकोर या वृताकार पररमाप का अिुसरण कर बिे चमिते हैं। इसी क्रम में इिके चशखर भी समाि भुजाओ वािे आिार पर ब ं िे चपराचमड जैसे चिखाई पड़ते हैं, अथवा कहीं-कहीं वृत्ताकार आिार पर बिे शंकु के आकार जैसे चिखाई पड़ सकते हैं। िार्र शैिी के चशखरों का सबसे ऊपरी चसरा आमिक कहिाता हैयह एक ऐसेडोडेयुक्त आाँविेकी तरह चिखता हैचजसेपेट के बि तश्तरी में रख चिया र्या हो और जैसे आाँविे की पररचि पर फांक बिी चिखाई िेती हैं वैसे ही मंचिर के चशखर के उपर रखे पत्थर के आमिक पर उत्कीणा की जाती हैं। िार्र शैिी में आमिक के ऊपर किश बिाया जाता है। किश का उच्ितम चहस्सा एक चबंिु के रूप में िेखिे को चमिता है। जबचक द्रचवड़ शैिी में र्भार्ृह तथा इसकेचशखर का आिार प्रायः आयताकार होता है । इसी क्रम में चशखर का सबसे ऊपरी चहस्सा चकसी चबंिु पर जाकर समाप्त िहीं होता और इस कारण वहााँ एकांर्ी (Single piece) किश की स्थापिा िहीं की जाती है। द्रचवड़ शैिी के प्रचसद् मीिाक्षी मंचिर के चशखर केऊपरी चहस्से / आमिक का समापि एक बेििाकार आकृचत से होता चिखाई पड़ता है। िार्र शैिी में मुख्य चशखर के आिार क्षेत्र में िारों फिक पर एक या अचिक छोटे-छोटे चशखर बाहर उभरे हुए चिखाई िेते हैंइन्हेंश्रंर् या उरूश्रंर् या उरूचशखर कहा जाता है इिकी अिुकृचत मुख्य चशखर के जैसी ही होती है परंतु इिका आकार छोटा होता है । इस प्रकार िार्र शैिी के चशखर मेंएक जैसी आकृचत में बिे र्भार्ृह र्भार्ृह मंडप मंडप चशखर अचिष्ठाि अचिष्ठाि िार्र शैिी द्रचवड़ शैिी 18 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. छोटे-बड़े कई चशखर चिखाई पड़ते हैं। द्रचवड़ शैिी में चशखर अपिेआिार से िेकर ऊपर तक एक ही होता है । द्रचवड़ शैिी में चशखर के िारों ओर तथा ऊपर तक अिंकारों के साथ-साथ बड़ी सख्या में ं प्रचतमाएाँबिाई जाती हैं । येप्रचतमाएाँइस आकार की बिाई जाती हैं चक िूर से आसािी से चिखाई पड़ सके और समझी जा सकेजबचक िार्र शैिी में जैसे-जैसे चशखर ऊपर बढ़ता है प्रचतमाओ की स ं ंख्या कम होती जाती है। ग्राम स्तर पर बििे वािे िार्र शैिी के मंचिरों में चशखर के बाहरी तरफ अिंकार तो िेखिे को चमिते हैं परंतु प्रचतमाओ का िर्भ ं र् अभाव होता हैऔर चशखर केफिक की सतहें सपाट भी िेखिे को चमि जाती हैं ।द्रचवड़ शैिी में चशखर के िारों ओर प्रचतमा बिािेका मुख्य उद्देश्य जीवि शैिी तथा प्रचसद् पौराचणक िाचमाक कथाओंआचि को िशाािा होता हैं । िार्र शैिी में यचि इस आशय से उत्कीणाि करिा हो तो उन्हेंप्रायः उसकेअचिष्ठाि या पीचिका तथा इसकेऊपर 15-20 फीट ऊाँ िाई तक ही अचिक िेखिे को चमिती हैं। समय के साथ िार्र शैिी में र्भार्ृह के सामिे कई ऐसेमंडपों का चिमााण शुरू हुआ चजिके ऊपर मुख्य चशखर जैसी अिुकृचत बिी होती है जबचक द्रचवड़ शैिी में मंडपों के ऊपर िर्भर् सपाट छत िेखिेको चमिती हैऔर मुख्य चशखर की अिुकृचत वािे कई मंडपों का चिमााण बहुत कम िेखिेको चमिता है। बेसर शैिी के कुछ उिाहरणों में मंचिरों केचशखर िार्र शैिी और मंडप तथा परकोटेकेचिमााण द्रचवड़ शैिी से प्रेररत चिखाई पड़ते हैं । बेसर शैिी के र्भार्ृह की बाहरी िीवारों पर िार्र और द्रचवड़ शैिी की तुििा में बहुत अचिक अिंकार भी िेखे र्ए हैं । द्रचवड़ शैिी केछज्जे िार्र शैिी की तुििा में अचिक औसत आकार केतथा चिमााण में जचटि चिखाई पड़ते हैं । द्रचवड़ शैिी में संरििा के बाहर प्रचतमाएाँबहुत ज्यािा होती हैं तथा इिके उत्कीणाि की र्हराई भी अचिक होती है चजससेमंचिरों के बाहरी ओर काई तथा िूि आचि बहुत अचिक जमती है। िूि-काई अचिक ि चिखाई िेशायि इसी कारण प्रािीि द्रचवड़ मंचिरों केचिमााण में कािे या र्ाढ़े रंर् के पत्थरों का प्रयोर् अचिक चमिता है । अिंकारों की सख्या ं और उत्कीणाि में र्हराई, अचतरेक की सीमा को भी छूजाती है । िार्र शैिी के मंचिरों में बाहरी सतह पर उत्कीणाि की र्हराई तुििात्मक रूप से कम होती है। मंचिर चिमााण सामान्यतया सफे ि या र्ुिाबी या उज्जवि रंर् के पत्थर से चकया जाता है ।इि कारणों सेमंचिर पर काई और र्ंिर्ी कम जमती है। उज्जवि रंर् के पत्थरों तथा अिंकारों के सम्यक-संतुचित प्रयोर् सेसमस्त दृश्याविी एवंचवचभन्ि सतहों की शािीिता और सौन्िया मेंअचभवचद् होती है । ृ संरििा अचत अिंकरण से भाररत भी िहीं होती । िार्र शैिी केबड़े मंचिरों में चशखर के अिावा चपराचमड आकृचत की छत वािे कई-कई मंडप भी बिाये जाते हैं, इिके चिमााण सेसंरििा की चवशािता, भव्यता और सुन्िरता मेंकई र्ुिा बढ़ोत्तरी हो जाती है । िोट- ध्यातव्य है कि मंकिर किमााण िी ये शैकियााँ वतामाि में क्षेत्र कवशेष से परररुद्ध िहीं रहीं, इसीकिए कवगत 200 वषों में अिेि िारणों से िागर शैिी िे िई मंकिर िकक्षण भारत में तथा द्रकवड़ शैिी िे िई मंकिर उत्तर भारत में बिेिेखे जा सितेहैं । श्रीराम जन्मभूकम मंकिर िा मुख्य भवि िागर शैिी में बिाया जा रहा है, इसमेंभवि िे चारों ओर एि परिोटा भी बिाया जा रहा है, जो अपवाि िो छोड़िर द्रकवड़ शैिी में ही िेखिे िो कमिता है । 19 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar - Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. सहायक सन्िभा1) https://www.historyfiles.co.uk/FeaturesFarEast/India_Modern_Temples01.htm 2) https://swarajyamag.com/news-brief/nagara-architecture-of-ayodhyas-magnificent-ram-mandir-explained-with-pictures 20 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar अध्याय : 03 श्रीराम जन्मभ ू चम मंचिर से सम्बन्धी क ुछ महत्वपू णा तथ्य महत्वपूणा तथ्य- श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चजस पररसर में बि रहा है उसका कुल क्षेत्रफल 2.7 एकड़ है । पररसर का आकार अचियचमत (Not in well defined shape) है । इस पररसर के उत्तरी चहस्से में मंचिर का चिमााण चकया जाएगा । चिमााण के चलए यह स्थाि पूवा चिधााररत है । मंचिर के मुख्य भवि की लंबाई 360 फीट, िौड़ाई 235 फीट तथा अचधकतम ऊँ िाई 161 फीट पह ँििेका अिुमाि है। मंचिर में बि रहे मंडपों के िाम िृत्य मंडप, रंग मंडप, गूढ़ मंडप (सभा मंडप), प्राथािा मंडप और कीताि मंडप प्रस्ताचवत हैं।इस मुख्य भवि के िारों ओर पयााप्त स्थाि छोड़कर 14 फीट िौड़ाई का एक परकोटा भी बिाया जाएगा । इस परकोटे में भूतल पर कायाालय तथा चवचवध उपयोग के चलए कमरेबिाए जािे का प्रावधाि है । प्रथम तल पर गचलयारा बिाया जािा प्रस्ताचवत है चजसमें श्रद्धालु मुख्य मंचिर भवि की पररक्रमा कर सकते हैं। इस परकोट मेंएक-एक मंचिर के िारों कोिों पर एक-एक उत्तरी एवं स्रोत -https://srjbtkshetra.or g/mai n-te mple/ 21 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar िचक्षणी भुजा पर बिाया जािा प्रस्ताचवत है। प्रथम तल पर जािे के चलए परकोटे से चलफ्ट बिाए जािे का भी प्रस्ताव है, जो वृद्ध, अशक्त और चिवयांगों को सुचवधा प्रिाि करिे के चलए होगी । मंचिर के मुख्य भवि की लंबाई पूवा से पचिम की ओर रखी गई है । मंचिर में प्रवेश करते समय श्रद्धालओु ं का मुँह पचिम चिशा में रहेगा और गभागृह में रखी श्रीरामलला चवग्रह का मुख पूवा चिशा में रहेगा । मंचिर में भूतल को जोड़कर अचधकतम तीि तल (Floor) बिाए जा रहेहैं । प्रत्येक तल की ऊँ िाई लगभग 20 फीट होगी । भूतल पर 160 खंभे, प्रथम तल पर 132 खंभे तथा चितीय तल पर 74 खंभे बिाए जाएँगे। इस मंचिर मेंमुख्य प्रवेश िार के अलावा ग्यारह अन्य प्रवेश िार भी हैं। मंचिर में स्थाचपत होिे वाली श्रीरामलला की प्रचतमा को िेश और िुचिया के सुप्रचसद्ध मूचताकार श्री अरुण योगीराज िे बिाया है । येमैसूर के रहिे वाले हैंऔर इिके पररवार में पीढ़ी िर पीढ़ी मूचता चिमााण का काया होता आया है। अरुण योगीराज िारा बिाई गई प्रचतमा केस्वरूप को मंचिर चिमााण के सभी ट्रचस्टयों िे िेखा और सहमचत जताई, प्रचतमा के स्वरूप बाि इसका ियि चकया गया है। श्रीरामलला का चवग्रह पाँि वर्ाकी आयु के अिुरूप बिािेका प्रयास चकया गया है । िोट-बताई गई इि िीजों में चिमााण केसमय पररचस्थचत के अिुसार बिलाव भी चकया जा सकता है। स्रोत-https://www.anuragdarshan.com/archives/6557 कम््यूटर िारा तैयार एक 3D माडल िोट-इस मॉडल में परकोटा िहीं िशााया गया है। 22 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar मंचिर के कुछ क्यूटरजचित चत्रचवमीय चित्रकम््यूटर िारा तैयार एक 3D माडल 23 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar कम््यूटर िारा तैयार एक 3D माडल िोट-इस मॉडल में परकोटा िहीं िशााया गया है। 24 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar कम््यूटर िारा तैयार एक 3D माडल िोट-इस मॉडल में परकोटा िहीं िशााया गया है। 25 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar कम््यूटर िारा तैयार एक 3D माडल िोट-इस मॉडल में परकोटा िहीं िशााया गया है। 26 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar चिमााण स्थल पररसर के कुछ आकाशीय चित्र27 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 28 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar मंचिर पररसर तथा मंचिर का प्रस्ताचित मािचित्र29 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi TempleThrough The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 30 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


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