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चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण CHITRON KE JAHROKHE SE SHRIRAM JANMBHOOMI MANDIR NIRMAN

A PICTORIAL BOOK UPON SHRIRAM MANDIR CONSTRUCTION

Keywords: SHRIRAM JANMBHOOMI MANDIR NAGAR SHAILI TEMPLE AYODHYA TRADITION INDIAN TEMPLE COSTRUCTION

चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar अध्याय : 04 श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण केप्रमुख और मूलभूत तकिीकी पक्ष भूचमका- श्रीराम जन्मभूचम मंचिर प्रािीि भारतीय स्थापत्य पर तो खरा है ही इसके साथ-साथ आधुचिक भवि चिमााण तकिीक केअिुसार भी अिेकािेक चवचिष्टताएँ रखता है । यह मंचिर िागर िैली में बिाया गया है । आधुचिक समाज में हर प्रािीि चवद्या को चपछड़ा, बेकार और त्याज्य मािकर उसेअपमाि की दृचष्ट से िेखा जाता है। परन्तु अिेक अन्य चवधाओ के साथ ं -साथ मंचिर चिमााण में भी भारतीय स्थापत्य िे सचियों पहले ही उच्िता हाचसल कर ली थी ।इसी उच्िता के कारण ही भूकंप, सिी-गमी, बरसात जैसी अिेकािेक चवपिाओंको झेलकर भी हजारों साल पहले बिे अिेक मंचिर आज भी यथावत खड़े हैं । कई को आक्रमणकाररयों िे तोड़िा िाहा पर मजबूत चिमााण के कारण ऐसा कर िहीं पाए जबचक संसाधिों की उि पर कोई कमी िहीं थी। इस पुस्तक में श्रीराम जन्मभूचम मंचिर को अध्ययि का आधार बिाया गया है।इस अध्ययि की अचधकांि बातें िागर िैली के अन्य बि िुकेमंचिरों पर भी लागूहो जाएँगी । भारतीय मंचिर स्थापत्य : चवज्ञाि और कला का सुंिर संयोजि भारतीय मंचिर स्थापत्य को साधारण चिमााण समझिा भारी भूल होगी । श्रीराम जन्मभूचम मंचिर औरइस कोचि के अन्य मंचिरों का चिमााण तकिीक की दृचष्ट से उच्ि कला-कौिल युक्त और अत्यंत जचिल तकिीक वाला बौचिक काया है। अग्रवचणात चबन्िुओंपर महारथ हाचसल करिेके उपरांत इस परम्परागत चिमााण िैली को कला, सौन्िया और चिमााण तकिीक में उच्िता हाचसल हो पाई - I. स्थापत्य की दृचष्ट से उच्ि कोचि का लक्ष्य चिधाारण और योजिा चिमााण (Fixing architecturally high level goal and planningthe best) II. स्थाचयत्व और मजबूती की दृचष्ट सेसंरििा और इसके भारवाही ढाँिे(Load bearing Skeleton) की पररकल्पिा III. बाह्य एवम आन्तररक स्वरूप चिधाारण (Deciding shape and size) IV. हाथ सेरेखाचित्रण (Free hand sketching) तथा आकृचतयों तथा स्वरूप में सौन्ियाबोध की दृचष्ट सेसुधार V. गचणतीय चवचध द्वारा सम्पूणाढाँिेका सािुपात रेखांकि (Sketching the whole structure according to scale) VI. गचणतीय युचक्तयों केमाध्यम से अिुपात चवचध द्वारा चिमााण के पूवा ही संरििा के उपांगों का वास्तचवक आकार ज्ञात करिा 31 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar VII. चिल्पीगण संरििा के चवचभन्ि उपांगों को आसािी और चबिा त्रुचि गढ़ सकें इसके चलए इिका सजीव सदृि चत्रचवमीय चित्र तैयार करिा VIII. उपांगों का िामकरण करिा तथा सुिारू चिमााण केसन्िभामेंउि पर अचद्वतीय पहिाि संख्या / यूचिक आइडेंचििी िंबर अंचकत करिा IX. चिमााण सामचग्रयों की आयुतथा सामर्थया को जाििा और उसका चिधाारण X. चिमााण सामचग्रयों की पररचस्थचतिुकूल उपयुक्तता ज्ञात करिा तथा सम्बंचधत पररचस्थचत में उिकेगुण-िोष का चिधाारण XI. कठोर पत्थरों को काििे-छीलिे गढ़िे के उपकरण एवंअन्य चिमााण उपस्करों का चिमााण XII. योग्य चिचल्पयों की पहिाि एवंचियुचक्त XIII. संरििा के उपांगों पर मिभावि और उच्ि कला से संपन्ि अलंकरण गढ़िा XIV. चिमााण को धरातल पर उतरिा (इससेजुड़ी अिेकािेक प्रचक्रयाओ का चवकास जैसे ं – ले-आउि, उपांगों को क्रम में जोड़िा एवंजोड़ पर चवचभन्ि कारणों से उत्पन्ि चविलिों का चिवारण, भारी उपांगों की ढुलाई और ऊपर उठािेकी तकिीकों का चवकास ) XV. सम्पूणाचिमााण प्रचक्रया तथा िैचलयों का मािकीकरण XVI. मािकीकरण केबाि उपयाक्तु बातों को कला कौिल केरूप में चवकचसत करिे तथा िास्त्र के रूप में चलचपबि करिे के प्रयास XVII. संरििा को मूतारूप िेिे की चवचधयों और प्रचक्रयाओंकी खोज िोधि और उत्तरोत्तर चवकास तथा पुिलेखि श्रीराम जन्मभूचम मंचिर की संरििा एवं चिमााण सबं ंधी कुछ महत्वपूणा चविेषताएँ- िागर िैली में तैयार हो रहेश्रीराम जन्मभूचम मंचिर केचिमााण और संरििा पर उपयाक्तु ज्ञाि परम्परा केअिुिीलि का पररणाम इस प्रकार दृचष्टगोिर होता है । 1) संरििा की आयु–चिमााणाधीि श्रीराम जन्मभूचम मंचिर की आयु लगभग 1000 साल होिेका अिुमाि लगाया गया है । चिमााण की मुख्य सामग्री पत्थर है। चजसकी आयु कई हजार साल होती है । चिमााण मेंप्रयोग की जा रही अचधकांि सहायक सामचग्रयों जैसेईिं तथा कुंजी (Interlocking key) की आयुभी कम से कम एक हजार वषाहै ।इिरलॉचक ं ंग कुंचजयों मेंसे कुछ कुंजी ग्रेिाईि और कुछ तांबे से बिायी गई हैं । 2) भूकंप के प्रचत प्रचतरोध – अिुमाि है चक मंचिर की संरििा 5.7 रेक्िर स्के ल तक के बड़े भूकंप को सहि कर सकती है । चपराचमड आकार के गुम्बिों के चिखर के रूप में पारम्पररक प्रयोग से संरििा का गुरुत्व कें द्र बहुत सुरचक्षत स्थाि पर आ गया है। संरििा का भार वहि करिे वाले खम्भेभी इस प्रकार बिाये गए हैं चक इकाई के रूप में इिका गुरुत्व कें द्र इिकी ऊँ िाई के मध्य से िीिेआधार की ओर आ गया है, जोचक भूकंप केप्रचत सुरक्षा को बढ़ाता है। 32 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 3) संरििा का भार सवहि ं (Load convection of structure) – मंचिर की संरििा इस प्रकार बिाई जा रही है चक छत और इस पर बिे फिा का वजि बीम पर आता है, बीम का वजि खम्भों पर स्थािांतररत होता हैऔर खम्भों का वजि िींव पर स्थािांतररत हो जाता है। इस प्रणाली में िीवारों केचसर पर कोई भार िहीं आता । िीवारों के स्वयं का भार बीम के ऊपर आता है जो बीम के भार में जुड़कर खम्भों से होता हुआ िींव पर स्थािांतररत हो जाता है । मंचिर की संरििा की भार संवहि प्रचक्रया आधुचिक आर० सी० सी० फ्रे म स्रक्िर (Reinforce cement concrete frame structure) के लगभग समतुल्य कही जा सकती है । भारतीय पिचत में चवचभन्ि अवयव एक-िूसरे के ऊपर रखे रहते हैं, इिमें कोई चिपकिेवाला / बंधक पिाथा(Binding material) िहीं लगाया जाता। ये के वल अपिे बड़ेवजि और उसकेसहयोग से उत्पन्ि घषाण के कारण ही चिके/ चस्थर / साम्यावस्था (Equilibrium) में रहते हैं। इस आधार पर यह कहा जा सकता है चक इस प्रणाली में बििे वाली सरििा तिि बलों के प्रचत ं उल्लेखिीय रूप से एकाश्म / मोिोलेचथक (Monolithic) िहीं होती। जबचक प्रबचलत सीमेंि कंक्रीि फ्रे म स्रक्िर में सररया होिेके कारण संरििा के अंग-उपांग कुछ हि तक एक-िूसरे सेआबि (अच्छेसे जुड़े) होते हैंऔर इस प्रणाली को कुछ हि तक मोिोलेचथक कह सकते हैं। तत्क्रम में आर० सी० सी० फ्रे म स्रक्िर के संरििा के उपांग (Components of structure) कुछ सीमा तक तिि प्रचतबल भी सह सकतेहैं। यचि चकसी थमास के ऊपरी चसर को पकड़कर उठािा िुरू कर चिया जाय तो पूरा थमास ऊपर उठता जाता है और यचि थमास को मेज पर रखकर उसेहाथ से धके लेंतो पूरा थमास एक साथ चखसकिेलगता है । परन्तुयचि कुछ माचिस की चडचबबयाँलेकर उन्हें एक-िूसरे के ऊपर रखकर मीिार का जैसा आकार िे चिया जाय और सबसेऊपर की माचिस को उँगचलयों से पकड़कर ऊपर उठाया जाय तो के वल एक माचिस ही उठेगी । इस उिाहरण में थमास एकाश्म / मोिोलेचथक चपंड (Body) की श्रेणी में चगिा जायेगा जबचक, एक-िूसरे केऊपर रखी माचिस िहीं चगिी जाएँगी । यचि माचिस की सभी चडचबबयों को िेप से लपेिकर अच्छी तरह जोड़ चिया जाए तो ये भी लगभग एकाश्म / मोिोलेचथक बि जाएँगी और ऊपर वाली माचिस को उठािे पर सभी उठ जाएँगी। भारतीय स्थापत्य में साधारणतया संरििा एकाश्म / मोिोलेचथक िहीं होती, इसी कारण इन्हें ऊपर से एक-एक पत्थर हिा कर खोला जा सकता है । (िोि - हालाँचक कुछ स्थािों पर संरििा के पत्थरों में इस प्रकार आर-पार छेि कर एक िूसरेपर जमाया गया है, चजसमें चपंघला सीसा या चपंघला लोहा भरिेपर यह इि पत्थरों के चछद्रों में जाकर जमिे पर एक सररया का रूप धारण कर ले । इस चवचध से ये पत्थर भी आचिक ं रूप से एकाश्म / मोिोलेचथक बि गए और इन्हें चहलािा या उठािा आसाि िहीं होता) भूकम्प में एकाश्म / मोिोलेचथक संरििाएँतुलिात्मक रूपसे अचधक चिकाऊ रहती हैं । परन्तुपत्थर की चिलाओ से चविाल स ं ंरििाओ को एकाश्म ं / मोिोलेचथक रूप में चिचमात करिा व्यवहाररक और साध्य िहीं था, इसचलए भारतीय वास्तुचविों िेअपिी संरििाओ को भ ं ूकंपरोधी बिािेके चलये उिका चिमााण वजिी अंगो-उपांगो से करिेकी पिचत चवकचसत की । चपराचमडिुमा आकृचत की छत भूकंप मेंअचधक चस्थर होती है इसी कारण मंचिरों 33 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar के चिखर की आकृचत चपराचमड (pyramid) या िंकु (cone) के अिुरूप रखी गयी । यह भारतीय वास्तुचविों केगहि मंथि और वृहि ज्ञाि को पररलचक्षत करता है । 4) अलंकार योजिा- चिमााण में सैकड़ों सुन्िर और मिभावि अलंकारों का प्रयोग चकया गया है । सभी अलंकार उच्ि सौंिया से संपन्ि हैं। खम्भों, िीवारों, रेचलंग, बीम, छत और छज्जों की चिखाई िेिेवाली सतहों (ceiling) के अचधकांि चहस्सों पर अलंकृत बेल-बूिों तथा मूचतायों को बिाया गया हैं। अलंकारों की संख्या हजारों में हैं । श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिल्पकला का उत्कृष्ट उिाहरण है। अलंकरण की मूल और पारम्पररक आकृचतयों के अलावा कुछ िूति अलंकारों का भी प्रयोग चकया गया है । इस प्रकार कहा जा सकता हैं चक मंचिर के माध्यम से इि कलाओंको उच्िता की ओर एक िया किम िलिेका अवसर चमला और इिका–संवधाि भी हुआ है। रोजगार के माध्यम सेचिल्पकारों को भी संरक्षण चमला । 5) आधुचिक मिीिों का प्रयोग- चिमााण सामग्री ढुलाई, सामग्री उठाई, चिमााण पत्थर की किाई, चघसाई, चफचिचिंग, मिाि का चिमााण, बेल-बूिों और मूचतायों को उके रिेआचि कायों में आधुचिक मिीिों का खूब प्रयोग चकया जा रहा है।इससेकायाकी गचत में बहुत तेजी भी आती हैऔर कायाकुिलता भी बढ़ती है। येबातें चिमााण की लागत को घिािे मेंसहायक होती हैं। 6) सहायक संरििाओ में ं संयुक्त सामचग्रयों (Composit materials) का प्रयोग- मंचिर पररसर के प्रवेि द्वार पर िो अिारी बिाई गयी हैं। इिकेचिमााण में संयुक्त सामग्री का प्रयोग चकया गया है । अिारी केखम्भे (Pillar) बहार से िेखिे पर चिला खंड (Stone block) सेबिे हैंपरन्तु इिकी कोर में आर.सी. सी. चपलर बिाया गया है । रोिक बात है चक इिकोइस सफाई से बिाया गया है चक बाहर से इन्हें िेखिे पर लगता ही िहीं चक इिके अंिर सीमेंि मसाला या सररया भी होगा । इि अिाररयों को चिमााण-क्रम के चहसाब से िेंखें तो पहले आर.सी. सी. के चपलर की सररया का जाल खड़ा चकया गया, चफर जाल के िारों तरफ स्िोि बलाक का आवरण पहिाया गया । चवचित हो चक स्िोि बलाक केअन्िर का चहस्साइसकी गढ़ाई और िक्कािी (Carvingand Engraving) के समय ही काि कर हिा चिया जाता है। इस प्रकार संयुक्त सामचग्रयों के चिमााण से इसमेंआर०सी०सी० केइिरलॉचक ं ंग की और चविुि स्िोि सेचिमााण जैसी चविेषता आ गयी हैं। संयुक्त सामग्री का प्रयोग प्रवेि मागा पर तैयार चकये जा रहे िेड (Shade) मेंभी चकया जा रहा है ।इस िेड के खम्भे स्िील प्लेि से बिायेगए हैं चफर इसके बाहर पत्थर की िीि िढ़ाई गई है ताचक यह परंपरागत िक्कािीिार पत्थर जैसा चिखाई िे । प्रवेि मागाके िोिों चकिारों पर चस्थत िीवारों पर फै क्री में ढलाई चकये गए ऐसेकृचत्रम पैिल लगाये गए हैं जो चिखाई िेिेमें िक्कािीिार और प्राकृचतक पत्थर जैसेहैं । इस प्रकार संयुक्त सामचग्रयों के प्रयोग से तीि लाभ हुए एक तो काया की प्रगचत में तेजी आई, िूसरे संरििा का बाहरी स्वरूप परम्परागत स्थापत्य के अिुरूप बिा, तीसरे संरििाओ को आध ं ुचिक इजीचियरर ं ंग चडजाईन्सकी तरह चस्लम / पतला और खुला-खुला बिा चलया गया । चवचित हो चक आधुचिक 34 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar इजीचियरर ं ंग संरििाएँ अचधक खुली-खुली (Spacious), अचधक चवस्तार वाली (having more span) बिायी जा सकती हैं । आधुचिक इजीचियरर ं ंग संरििाओ के अ ं ंग-उपांग हल्के, पतले तथा कम जगह घेरिे वाले होते हैं। 7) चिल्प कला- प्रचतमा, बेल-बूिे, कोचिास, मोचल्डगं , घििाओ का चित्रण ं , भवि का चित्रण आचि अन्य सजाविी कायाचिल्पकला के अंतगात आते हैं। इि सभी मेंउच्ि सौंिया से संपन्ि कलात्मक चडजाइिों का प्रयोग चकया गया है। 8) मूचता कला- पत्थर पर प्रचतमा का उत्कीणाि चिल्प कला के अंतागत आता है । मंचिर में भारतीय वास्तुकला केअिुसार सैकड़ों अलग-अलग आकृचत और आकार वाली मूचतायाँ उत्कीणा की गई हैं । ये कलापूणाहैं। आवश्यकता और पररचस्थचतयों के अिुसार मूचतायों को खंभों, छत तथा िीवारों पर बिाया गया है । 9) बाहरी स्वरूप / एचलवेिि- मंचिर को बाहर से िेखिे पर यह बहुत मिभावि, सुन्िर और आकषाक है । मंचिर की संरििा प्रािीि और परंपरागत भारतीय स्थापत्य तथा वास्तुकला के अिुरूप है। इिकी चवचभन्ि उपिैचलयों मेंभी यह उत्कृष्ट तथा उच्ि सौंियाबोध से संपन्ि है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर का भौचतक स्वरूप चवश्व की चवचभन्ि सबसे सुंिर संरििाओ में से एक होगा । 10) तकिीकी दृचष्ट से चिमााण में कचठिता केकारण िुिौती- श्रीराम जन्मभूचम मंचिर का चिमााण अत्यचधक जचिल है।इसमेंकई सैकड़ा अलग-अलग प्रकार के आकार और आकृचतयों वाले पत्थरों का प्रयोग चकया गया है। इि पत्थरों को चिमााण केकाफी पहलेही गढ़कर रख चलया गया था । पत्थरों को चिमााण के पहले ही गढ़ लेिा और उसके बाि सही स्थाि पर सही तरीके से लगािा तकिीकी दृचष्ट से िुिौतीपूणा और अत्यंत कचठि कायाहोता है । 11) आधुचिक तकिीक का प्रयोग-आधुचिक तकिीकों के प्रयोग से अत्यंत महत्वपूणा और जचिल संरििा का सीचमत समय में चिमााण चकया जा रहा है जो चक तकिीकी कौिल का एक उत्कृष्ट उिाहरण है। पत्थर किाई, चवचवध प्रकार की जचिल और कलात्मक गढ़ाई, पत्थर की चफचिचिंग, भारी पत्थरों को ऊपर उठाकर कर सही जगह पर लगािेजैसे कायों में चवद्युत तथा पेरोचलयम इधिं िाचलत मिीिों िे कायाकी गचत को बहुत बढ़ाया और आसाि चकया है । 12) समयबि चिमााण-इस मंचिर का चिमााण जचिल होिे के बाि भी इसे चिधााररत समय सीमा के अिुसार बिाया जा रहा है । चिमााण में तेजी के चलए प्रचतचिि पूरा चकये जािे वाले कायों का चिधाारण चकया गया और प्रचतचिि इस चिधााररत लक्ष्य को प्राप्त करिे के चलये, रोज िो-तीि बार काया की प्रगचत का आकलि ं चकया जा रहा है। यह सूक्ष्म चियोजि एवंप्रबन्धि (Micro level planning and management) का सुंिर उिाहरण है । सूक्ष्म प्रबन्धि में अलग-अलग स्थािों पर समाि अवचध में चकये जा सकिेवालेकायों को भी प्राथचमकता पर चकया जाता है चजससे चिमााण पूरा होिे की अवचध घि जाती है । चकस सामग्री की जरूरत कब पड़ेगी, इसका अिुमाि लगा कर चिमााण सामचग्रयों का अचग्रम प्रबंध चकया जा रहा है । तेज प्रगचत के चलये 35 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar आधुचिक तरीकों और िचक्त िाचलत मिीिों का प्रयोग चकया जा रहा है, चविेषकर पत्थर ढुलाई और पत्थर किाई मेंइिका उपयोग बहुत लाभकारी चसि हुआ है । पत्थरों पर चडजाईि गढ़िे-उके रिे के चलए हाथों और मिीिों से िलिे वाले िोिों प्रकार के उपकरणों का उपयोग चकया जा रहा है । 13) भवि का बाहरी पररवेि / लैंडस्कै चपंग (Landscaping)–चकसी भवि के आसपास चकतिा खुला और हरा-भरा स्थाि मौजूि है,इस बात का भी बहुत बड़ा महत्व होता है । इसके साथ ही यचि पयााप्त स्थाि उपलबध हैतो उसका उपयोग चकस प्रकार चकया गया है । हररयाली लगाई गयी है तो चकस-चकस प्रकार के पौधे चकस-चकस स्थाि पर रोचपत चकये गए हैं। पेड़-पौधे कै से चिखाई िेते हैं । वहाँकेस्थाि, पररवेि, इन्फ्रास्रक्िर (फुिपाथ, बेंि, िेड, चवद्युत पोल आचि) और हररयाली इिका आपस में क्या तालमेल है। सहायक चिमााण जैसे सुन्िरता बढ़ािे के चलए फव्वारे, चिल्प कलाकृचतयाँ चकस प्रकार के और कहाँबिाये गए हैं । भवि के बाहर सम्पूणा दृश्य कै सा चिखाई पड़ता है, वहाँगंिगी तो िहीं है, आचि िीजों का बहुत अचधक महत्त्व होता है । ख्याचतप्राप्त भविों या संरििाओ में ि ं ूँचक श्रिालुऔर पयािक बहुत अचधक सख्या ं में आते हैंइसचलए इिकेआिे-जािे के रास्तों, अल्प चवश्राम हेतु बैठिे के स्थािों, छायािार और ढके रास्तों, मिभावि हररयाली, समुचित प्रकाि की व्यवस्था, वातावरण में खुलापि, पेय जल, स्वच्छता और प्रसाधि की अच्छी सुचवधा आचि का सुव्यवचस्थत चियोजि लैंडस्के चपंग केअंतगात ही आता है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर पररसर मेंइि सभी बातों का गहराई से ध्याि रखा गया है । पररसर का लगभग 60% चहस्सा हरा-भरा तथा आसमाि तक खुला रखा गया हैजोचक आधुचिक स्थापत्य के अिरूप है ु । पररसर में पेड़-पौधों लॉि इन्फ्रास्रक्िर आचि को कलात्मक संयोजि से तैयार चकया जाएगा । 14) जि सुचवधाएँ- मंचिर मेंिंगेपैर जािा होगा । अतः रास्ते और फुिपाथ इस दृचष्ट से अच्छेऔर सुचवधाजिक बिाए गए हैं । पररसर और मंचिर के अंिर मोबाइल, कै मरा, इलेक्रॉचिक गैजेि्स, ज्वलििील सामग्री और अन्य आपचत्तजिक सामचग्रयाँ ले जािे की अिुमचत िहीं है ।इसचलए मंचिर में प्रवेि से पहले इि सभी सामचग्रयों को लॉकर में रखिे की व्यवस्था की गई है । इस हेतु बड़ी संख्या में लॉकर बिवाए गए हैं । पच्िीस हजार श्रिालुएक साथ ििाि के चलए अंिर जा सकते हैं । पररसर में प्रवेि के चिकि तथा अंिर पयााप्त सख्या में िॉयलेि ं ्स तथा वॉिरूम चिचमात कराए जाएगे ं । गाचड़यों की पाचकिं ग की समुचित व्यवस्था की गई है। इस हेतु एक मल्िी लेवल पाचकिं ग का चिमााण पररसर केचिकि चस्थत क्षेत्र में चकया गया है। 15) अिक्त और चिव्यांगजिों के चलए ढलुवा रास्ते/ रैंप - मंचिर की कुसी / चप्लंथ, अगल-बगल चस्थत पररसर से लगभग सात फीि ऊँ िी है, इतिी ऊँ िाई को पैचड़यों के माध्यम से िढ़िा-उतरिा अिक्त और चिव्यांगजि के चलए कचठि होता है । ये लोग आसािी से मंचिर केअंिर तक पहुँि सकें इस हेतु ढलुवा रास्ते/ रैंप बिाए गए हैं जो चक प्रायः भारतीय मंचिरों में िहीं चमलते। इि ढलुवा रास्तों पर व्हीलिेयर की सहायता से अिक्त और चिव्यांगजि आसािी से अंिर आ-जा सकते हैं। चलफ्ि (Lift) भी लगवायी गयी है । 36 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 16) आतररक ं सजावि (Interior) तथा बाहरी सजावि (Exterior)- िीवारों, छतों, खंभों, फिों एव अन्य ं उपांगो द्वारा चिचमात मंचिर की आतररक ं और बाहरी सतहों पर उच्ि कलात्मक तथा आधुचिक सौंियाबोध से संपन्ि चडजाइि बिाए गए हैं। इि अलंकारों का िुिाव चविेष ध्याि िेकर चकया गया है। येचडजाइि भारतीय प्रािीि स्थापत्य िैली का भी उत्कृष्ट उिाहरण हैं । इिकेकारण मंचिर की आतररक और बाहरी ं सजावि ियिाचभराम बि गयी है । सुप्रीम कोिा का फै सला मंचिर चिमााण के पक्ष में आिे के बाि मंचिर के मूल चडजाइि मेंकुछ चहस्से जोड़े गए थे। इससे एक तो मंचिर के आकार मेंवृचि हुई और िूसरे इसकी सुंिरता भी बढ़ गयी । 17) तकिीकी कुिलता- चिमााण िुरू होिेसे कई साल पहले ही मंचिर में लगिे वाले चवचभन्ि आकार के हजारों चिलाखंड (Stone block) वांचछत आकार में गढ़ कर बिाए गए थे। बड़ी संख्या मेंअलग-अलग आकार के पत्थर इस पररिुिता से गढ़िा चक चिमााण के समय जब उन्हेंउचित क्रम पर रखा जाय तो वे ठीक वही आकृचत ग्रहण कर लें, जो पूवा मे मंचिर या मंचिर के संबचन्धत चहस्से की चियोचजत की गई थी, एक अत्यंत बौचिक, तका पूणा, जचिल और िुिौतीपूणा काया होता है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर के चलए गढ़े गए चिलाखण्डों को एक-िूसरेके पास या ऊपर जब पूवाचिधााररत क्रम मेंरखा गया तो कहीं-कहीं बहुत छोिे संिोधिों की जरूरत पड़ी और सूक्ष्म संिोधिों केबाि ये चबिा ररक्त स्थाि छोड़ेएक-िूसरेकेसाथ जुड़तेिलेगए ।इसके चलए हर चिलाखंड पर एक अचद्वतीय क्रमांक (Unique Identification Number) चलखा गया, और चिमााण के समय इस क्रमांक के सहारे चिधााररत स्थाि पर रखा गया । यह जचिल स्थापत्य केचिमााण कौिल का सुंिर उिाहरण है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर की संरििा के प्रमुख घिकों की कुछ चविेषताएँ- िींव- िींव, भवि का सबसे चििला चहस्सा होता है । इसचलए भवि का सारा भार िींव पर आता है । िींव, जमीि / धरातल पर रखी या चिकी होती है । अतः भवि की िींव और इसके िीिे का धरातल, िोिों बहुत मजबत होिे िाचहए ू , चविेषकर जब संरििा वजिी हो । श्रीराम जन्मभूचम मंचिर का भवि एक भारी संरििा के अंतगात आता है, क्योंचक इसमेंखम्भे, बीम और छत सभी वजिी पत्थर से बिे हैं । मंचिर बहुमंचजला है और हर मंचजल लगभग उतिी ही वजिी, चजतिी उसके िीिे वाली मंचजल । सभी चहस्सों में मचन्िर का चपछला चहस्सा अथाात गभागृह और इससे जुड़ा ठीक अगला चहस्सा अन्य चहस्सों की तुलिा में अचधक वजिी हैं। मंचिर संरििा के भारी वजि से कहीं िींव के िीिे की चमट्टी ि धंस जाये, इसचलए चिमााण से पहले मृिा की भार सहिे की क्षमता ज्ञात करिे के चलए चिमााण स्थल पर आधुचिक अचभयन्त्रण चवचध से परीक्षण चकया गया । परीक्षण में पाया गया चक चमट्टी थोड़ी सी कमजोर / ढीली है । साथ ही यहाँ मलबा भी 37 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar चिकला। िीिेजल धारा बहिे के संके त चमलिे की ििाा भी सुििे को चमली । आगेिलकर कोई चिक्कत ि आए इसचलए इि समस्याओ का सम ं ुचित चिवारण चकया गया । इस क्रम मेंिींव का चििला चहस्सा रोलर कॉम्पेक्िेड कंक्रीि (Roller Compacted Concrete) से बिाया गया और इसके ऊपर ग्रेिाईि पत्थर की गढ़ी चिलाओं/ बलॉक सेििाई िींव बिाई गयी । मंचिर में ििाई िींव चजस तरह से बिाई गयी वह कई मामलों में आधुचिक इजीचि ं यररंग मेंराफ्ि फाउंडेिि (Raft foundation) केलगभग सामाि है । ििाई िींव / राफ्ि फाउंडेिि का चिमााण उि स्थािों पर चकया जाता है जहाँ िींव की चमट्टी ढीली या अचधक पािी के कारण चलिचलिी होती हैऔर इस वजह से अचधक वजि ि सह पािेकी अवस्था में हो । रोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि / आर०सी०सी० -इसका प्रयोग अचधकांितः सड़क बिािेमें होता है।इसेसामान्य कंक्रीि की तरह ही पत्थर की चगट्टी, बालू, पािी और सीमेंि को आपस में चमलाकर बिाया जाता है । ठोस बिािे के चलए सामान्य कंक्रीि की कुिाई बाईब्रेिर (Vibrator) िामक मिीि सेकरते है परन्तुरोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि की कुिाई कम्पि (Vibration) पैिा करिे वाले भारी रोलर द्वारा की जाती है। श्रीराम जन्मभूचम मंचिर की िींव में जो रोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि हैउसकी एक चविेषता और है चक इसमें चवद्युत संयंत्रों केजले कोयले की छिी हुई राख तथा स्िोि डस्ि (Stone dust) को भी पत्थर की चगट्टी, बालू, पािी और सीमेंि के साथ वांचछत अिपात में चम ु लाकर बिाया गया है। अच्छी तरह कुिी हुई इस कंक्रीि का घित्व 2300 से2400 चकलोग्राम प्रचत घि मीिर होता है। रोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि को इजीचियरर ं ंग चफल (Engineering Fill) केिाम से भी पुकारा जा रहा है । एक घि मीिर रोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि मेंप्रयुक्त सामग्री का अिुमाचित चववरण इस प्रकार रहा1 - फ्लाई ऐि सीमेंि 60 चकलोग्राम ( इस सीमेंि मेंथमाल पॉवर स्िेिि की चिमिी सेप्राप्त राख / Fly ash का अंि चमला होता है) 20 चमलीमीिर औसत आकार की पत्थर की चगट्टी 769 चकलोग्राम 10 चमलीमीिर औसत आकार की पत्थर की चगट्टी 512 चकलोग्राम स्िोि डस्ि 854 चकलोग्राम जलेकोयले की छिी हुई राख 90 चकलोग्राम पािी 115 लीिर 38 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar रोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि मेंसररया या धातु की छड़ िहीं डाली जाती । सामान्य सीमेंि मसाले की तुलिा में इसमेंपािी कम चमलाया जाता है इसचलए इस मसाले की सभी सामचग्रयों को चमलािेके बाि यह गाढ़ेऔर भुरभुरे हलुए की तरह चिखाई िेती है मंचिर में इसेएक फुि (बारह इिं ) मोिी परत मेंधरातल पर चबछाकर रोलर से िबाया (Compressed) गया । हर लेयर पर रोलर को तब तक िलाया जाता था जब तक चक इसकी बारह इि मोिी परत ं िबकर िस इि ं हो जाए । रोलर िलािे के बाि कंक्रीि को जमिेके चलए तीि सेिार चििों तक छोड़ चिया जाता है। उसके बाि चफर एक फुि मोिी परत डालकर यही प्रचक्रया अपिाई गई । मंचिर में रोलर कॉम्पेक्िेड कंक्रीि की ऊँ िाई लगभग िालीस फीि के आसपास रही । मंदिर की नींव में 400 फीट लंबे और 300 फीट चौड़े क्षेत्र मेंअर्थात लगभग एक लथख बीस हजथर वगा फीट क्षेत्रफल मेंइस प्रकथर की 45 परत डथली गयीं । हर परत मेंकंक्रीट इस तरह दबछथई गयी दक उसकी ऊपरी सतह अच्छी तरह क्षैदतज रहेइसके दलए लेजर सफे स लेवलर कथ प्रयोग भी दकयथ गयथ । ऊपर चजक्र हुआ है चक रोलर कॉम्पैक्िेड कंक्रीि को संक्षेप में आर०सी०सी० भी कहा जा रहा है, चवचित हो चक प्रबचलत सीमेंि कंक्रीि (Reinforcement Cement Concrete) को भी संक्षेप में आर०सी०सी० ही कहा जाता है और आधुचिक इजीचियरर ं ंग पिचत से बिाई जािे वाली राफ्ि फाउंडेिि इसी से बिायी जाती है । चकन्तुये िोिों अलग अलग हैं । ग्रेिाइि पत्थर केगढ़ेहुए चिला खंड / स्िोि बलॉक्स (Stone blocks) सेबिाई गयी कुसी (Plinth) - रोलर कंपैक्िेड कंक्रीि के ऊपर ग्रेिाइि पत्थर केगढ़े हुए चिला खंड सेएक ऊँ िी, ठोस और मजबूत भवि-कुसी बिाई गई है । ग्रेिाइि पत्थर सबसेमजबूत पत्थरों में से एक है, यह काफी वजिी भी होता है । मंचिर में प्रयुक्त अचधकांि ग्रेिाइि बलॉक 5 फीि लम्बे, ढाई फीि िौड़ेऔर 3 चफि ऊँ िेहैं। मंचिर की िींव में ग्रेिाइि बलॉक्स की कुल सात परत (Layers) चबछाई गयीं । एक लेयर की ऊँ िाई तीि चफि रही । इस प्रकार सात लेयर चबछािेसेकुल 21 फीि ऊँ िी कुसी / चप्लंथ (Plinth) तैयार हुई । ईि ं की िींव या िीवार बिातेसमय ईिोंं को आपस मेंजोड़िे केचलए गारेया सीमेंि मसाले या िूिा मसाले का प्रयोग चकया जाता है, परन्तुमंचिर की िींव में ग्रेिाइि बलॉक्स को एक-िूसरे सेजोड़िे के चलए चकसी मसाले का प्रयोग िहीं चकया गया है । बलॉक्स की बाहरी सतह बहुत अचधक समतल (Plan) और चिकिी / स्मूथ बिाई गई हैं ।इस कारण बलॉक्स एक-िूसरे से चमलकर बैठ जातेहैंऔर उिमे गैप (Gap) िहीं बिता । (िोि -भूकंप के िौराि धरातल मेंहलिल (Movement) होिेलगती है। इस हलिल के कारण भविों की िीवार, छत, िरवाजे, चखड़की एवं अन्य अंगउपांग अलग-अलग चििाओ में गचत ं करिेकी चस्थचत में आ जाते हैंया चववि हो जाते है । भूकंप यचि अचधक तीव्रता का हुआ तो इस कारण इिमेंिरार भी आ सकती हैऔर ये चगर भी सकते हैं ।) 39 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar श्रीराम जन्मभूचम मंचिर की िींव में लगे ग्रेिाइि बलॉक्स भूकंप की हलिल से अलग-अलग ि हों या अपिी चस्थचत को ि बिलें इसकेचलए इि बलॉक्स की ऊपरी और चििली सतह में लगभग िार इि ं गहरेऔर लगभग तीि इि ं व्यास के चछद्र चकए गए हैं । बलॉक्स की परत चबछािेके बाि इिकी ऊपरी सतह के चछद्रों में ग्रेिाइि की बेलिाकर कुंजी (Key) लगा िी जाती है, जोचक लगिेके बाि चििलेबलॉक सेलगभग पौिे िार इि ऊपर चिकली रहती है । ं इस कुंजी का व्यास बलॉक्स केचछद्र सेतचिक कम रखा जाता है, ताचक वह चछद्रों में आसािी से प्रवेि कर जाए । कुंजी की ऊँ िाई लगभग पौिेआठ इि रखी जाती ं है । चफर ऊपरी परत केबलॉक्स इि कुंचजयों पर इस प्रकार रखेजाते हैंचक कुंचजयों का ऊपर चिकला चहस्सा उिकी चििली सतहों में बिेचछद्रों में िला जाये। बलॉक्स की ऊपरी और चििली सतहों में चछद्र इस िाप-तौल सेचकये जाते हैं चक इिको चबछातेसमय चििली परत के बलॉक्स केचछद्र तथा ऊपरी बलॉक्स केचछद्र एक रेखा / चसधाई (In straight line) में आ जाएँ । राम मंचिर की कुसी (Plinth) में प्रयोग चकए गए बलाक्स की ऊपरी और चििली सतहों में िो- िो चछद्र चकए गए हैं । ग्रेिाइि बलॉक्स को एक-िूसरे के ऊपर रखतेसमय यह भी ध्याि रखा जाता है चक इिके उध्वााधर जोड़ हर परत/ लेयर में कि जाएँ। कुसी में ग्रेिाइि बलॉक्स केजोड़ क्रचमक परतों मेंउसी प्रकार कािेजाते हैं जैसेईि ं चििाई की िीवार मेंकितेहैं। बलॉक्स की इस प्रकार चबछावि से एक बहुत मजबूत िींव तैयार होती है जो चक भारी से भारी संरििा का वजि भी आसािी से वहि कर लेती है ।इस प्रकार के चिमााण से ि तो िींव िबती हैि ही उसके िीिे का धरातल । पाश्चात्य भवि इजीचिय ं ररंग में ग्रेिाइि बलॉक या पत्थर के बलॉक से इस प्रकार िींव तैयार करिेका उिाहरण सामान्यतया सुििे में िहीं आता । इस प्रकार की मजबूत और भारी-भरकम स्िोि बलॉक्स की िींव सेलगभग िट्टािी धरातल (Rocky Land) जैसी ही दृढ़ता चमल जाती है, मािो िट्टािी भूचम के गुण इसमें आ जाते हों । पाश्चात्य इजीचियरर ं ंग या आधुचिक इजीचियरर ं ंग के अिुसार भी िट्टािी भूचम वजि सहिे में सवााचधक मजबत ू होती है। सुनथ गयथ हैदक के िथरनथर्, बद्रीनथर्, गंगोत्री, यमुनोत्री, हल्िीघथटी जैसेभथरत के लगभग िो हजथर महत्वपूर्ास्र्लों से दमट्टी एकत्र कर लथयी गयी और इसे मंदिर की नींव मेंरखथ गयथ ।इसी प्रकथर पदवत्र मथनेजथने वथली िेश की प्रमुख नदियों और समुद्रों कथ जल लथकर नींव में डथलथ गयथ जोदक िेश की दवदभन्न स्र्थनीय संस्कृदतयों के एक सूत्र में बंधनेऔर समन्वय कथ प्रतीक है । सन्िभा– 1) https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/lucknow/news/5-thousand-sustainable-foundation-scientists-are-being-builtfor-the-grand-temple-of-ramlala-128562959.html 40 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar खम्भे- खम्भों कोइस प्रकार तरािा गया है चक आधार की तरफ इिका वजि िीषा की तुलिा में अचधक हो । ऐसा करिे से खम्भेभूकंप की हलिल या अन्य कम्पिों या धक्का लगिेसेचविचलत कम होते हैं और पलितेया चगरते भी कम हैंअथाात अचधक स्थाई होते हैं। अचधकांि खम्भों के आधार इतिे बड़ेपररमाप के हैं चक अप्रत्याचित भूकंप को छोड़कर येस्वतंत्र रूप से खड़े रह सकतेहैं। खम्भों के चसर / िीषाकी तुलिा में आधार को अचधक िौड़ा और भारी बिािेसे उिका गुरुत्व कें द्र ऊँ िाई के मध्य से आधार की तरफ आ जाता है जो चक भूकंप एवंअन्य चविलिों के प्रचत इसे अचधक चस्थर रखिे में सहायक होता है। चकसी वस्तु या चपंड में गुरुत्व कें द्र की चस्थचत और उसका स्थाचयत्व से सम्बन्ध आधुचिक चवज्ञाि मेंही पढ़िे को चमलता है, परन्तुमंचिर केखम्भों की आकृचत से पता िलता है चक इसका व्यवहाररक और तत्व ज्ञाि प्रािीि भारतीय मिीचषयों को था, भलेही वे व्याख्या चकसी और रूप में करते हों । िीषापर खम्भे चकतिे पतले बिाये जा सकते है तथा चकसी खम्भे पर अचधकतम चकतिी मंचजल का भार डाला जा सकता है इसका भी गहरा और व्यवहाररक ज्ञाि भारतीय मिीचषयों को था । चिश्चत रूप से सामचग्रयों की सामर्थया का परीक्षण चकया गया होगा और आधुचिक संरििाओ की मॉडल िेचस्ि ं ंग (Model testing) सरीखा प्रयोग भी चकया गया होगा । मंचिर मेंबिाई गयी िीवारें- मंचिर में िीवारों का प्रयोग सीचमत रूप में ही िेखिे को चमलता है । मंचिर की मुख्य संरििा में प्रचतमा कक्ष तथा अन्य कुछ स्थाि ही ऐसेहैंजो तीि ओर से िीवारों द्वारा चघरेहैं। सीचमत संख्या में बििेके बाि भी इि िीवारों में कई प्रकार की चविेषताएँहैं। आधुचिक भवि चिमााण तकिीक के अिुसार अपवाि को छोड़ कर कोई िीवार ईिं , पत्थर, आर.सी.सी. या सीसी बलॉक के द्वारा हीखड़ी की जाती है। इसके बाि उस पर प्लास्िर चकया जाता है । चफर आवश्यकता के अिुसार पुट्टी-पेंि चकया जाता है । यचि िीवार का स्वरूप उच्ि स्तरीय वास्तुकला के अिुसार बिािा है तो उसकेऊपर िीि या पैिल या िाइल लगाई जाती है। इस प्रकार इि िीवारों का अंचतम स्वरूप कई प्रकार की सामचग्रयों की परतों से चमलकर चिचमात होता है । इतिा करिे के बाि भी येिीवार ि तो िमीरोधी होती हैं ि उत्फुलि / लोिा, क्रै क और आग से मुक्त हो पाती हैं । उधर मंचिर की िीवारें सामान्यतया पत्थर की पचिया / स्लैब से बिाई जाती हैं और येसीलि, उत्फुल्लि/लोिा, क्रैक तथा आग से भी िहीं खराब होतीं, हालाँचक तुलिात्मक रूप से महँगी होती है । इिकी बाहरी सतह पर बेल-बूिेचवचभन्ि ज्याचमतीय आकृचतयाँ उत्कीणा की जा सकती है चजिसे िीवारों की सुन्िरता बढ़ जाती है। इस प्रकार पत्थर की पचिया / स्लैब सेबिी िीवार पर चकसी अन्य सामग्री की लेयर को िहीं िढ़ािा पड़ता । पत्थरों से बिी इि िीवारों की आयु भी लगभग 1000 वषा होती है ।इि तर्थयों के आधार पर कहा जा सकता है चक 41 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar मंचिर की िीवारों के चलए वास्तुचवि मिीचषयों िेपत्थर के रूप में सामग्री का ियि करिे में तका पूणा रीचत अपिाई थी, जबचक इसका चिमााण करिा अन्य सामचग्रयों की तुलिा में बहुत अचधक कचठि होता है। प्रवेि पैचड़यों के बगल मेंिोिों ओर ढलुवा रास्ते/रैम्प (Ramp) बिायेगए हैं । रैम्प के बाहर की ओर चस्थत िीवार ईि और ं मसाले से बिाई गयी है। इस िीवार पर कोई भार िहीं आएगा । अचधकांि ईिों पर ं श्रीराम या राम चलखा हुआ है । मुख्य भवि को छोड़कर कुछ बाहरी स्थािों पर आर०सी०सी० की प्रचतरोधक िीवारें भी बिाई गयी हैं। छज्जे– चकसी भवि में उसके क्षैचतज छज्जे भूकंप के प्रचत सबसे कमजोर अंग होते हैं। भारतीय स्थापत्य की परम्परा केअिुसार मंचिरों में छज्जों को ढलुआ (Pitched) बिाया जाता हैं। ढलुआ बिायेजािे के कारण छज्जेभूकंप के प्रचत अचधक मजबूत हो जाते हैं। इधर पंद्रह-बीस वषों सेआधुचिक चडजाइि के भविों में छज्जे िहीं बिाये जा रहे हैं । जबचक अचधक तापमाि वाली धूप तथा 30 सेंिीमीिर सेअचधक वाचषाक वषाा वाले क्षेत्रों में िीवारों को वषाा जल की िमी से बिािे के चलए उपयुक्त आकार के छज्जे जरूर बिवािे िाचहए । आधुचिक भवि प्रबचलत सीमेंि कंक्रीि (आर.सी.सी.) द्वारा बिवाए जा रहे हैं चजससेछज्जों का चिमााण करिा, पत्थर सेछज्जेबिािे की तुलिा मेंबहुत आसाि होता है । चिमााण में कचठिाई सेबििा िुरू कर चिया जाए तो मंचिरों मेंछज्जों का चिमााण बंि हो जाए, परन्तु हो इसका उल्िा रहा है । चिमााण में बहुत कचठि होिे के बावजूि प्रािीि वास्तुकला के अिुसार बि रहे मंचिरों मेंछज्जेबिाये जा रहे हैं और प्रबचलत सीमेंि कंक्रीि द्वारा बि रहेआधुचिक भविों में छज्जों का चिमााण सरल होिे के बाि भी िहीं करवाया जा रहा । भारतीय स्थापत्य मेंछज्जे, पत्थर की बड़ी चिला को तराि कर ही बिायेजाते हैं, यह सवााचधक कचठि कायों में से एक है, इसके बावजूि भारतीय वास्तुकारों िेछज्जों की महत्ता को गहराई से समझा और उसे अचिवाया अंग बिाया साथ ही छज्जों का वह चडजाइि भी खोजा जो भूकंप के प्रचत मजबूत होता है । कई और लाभ होिे के कारण भी छज्जों को ढलुवा बिाया जाता है जैसे – इि पर लंगूर और बन्िर िढ़िेसे बिते हैं, मिुष्य भी िोरी-चछपेमंचिर के ऊपर िढ़िा िाहे तो इि छज्जों 42 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar पर से होकर ऊपर जािा सरल िहीं होता, चफसलिे का भय बिा रहता है। ढलुवा छज्जों केऊपर िमी िहीं रूकती, जबचक क्षैचतज छज्जों और उससे जुड़ी िीवार में िमी अचधक रहती है । मंचिरों में ढलुवा छज्जों की आकृचत इस प्रकार गढ़ी जाती है चक वह सुंिरता में वचि करिे लगती है । ृ इस चववेििा से छज्जों की महत्ता चसि होती है । चजि िीवारों पर छज्जों का चिमााण िहीं होता उिमेंसीलि और काई का बहुत प्रकोप रहता है । सीलि और काई से सतह भद्दी हो जाती है तथा वहाँिुगान्ध भी पैिा होिे लगती है । क्षैचतज छज्जों के आगे की ओर प्रायः िपका (Drip throat) िहीं बिाया जाता चजससे अिेक बार वषाा जल छज्जे की चििली सतह पर सरकता हुआ िीवार तक िला आता हैऔर सीलि पैिा करता है, जबचक ढलुवा छज्जों मेंइिकी चवचिष्ट आकृचत के कारण वषााजल आगेही िपक कर िीिे चगर जाता है । अिेक मंचिरों के ढलुवा छज्जों मेंहर िो सेढाई फीि की िूरी पर िीिे या ऊपर की ओर कुछ उभरी परट्टयाँचिखाई पड़ती हैंये परट्टयाँछज्जों की पाश्वा मजबूती बढ़ािे के चलए गढ़ाई के समय बिाई जाती हैं। येपरट्टयाँसुन्िरता में भी वचि ृ करती हैं। आधुचिक इजीचियरर ं ंग में मजबूती बढ़ािे के चलए ऐसी संरििाओ को चस्िफ ं िसा (Stiffners) कहा जाता है । चस्िफिसा जैसेगढ़ू उपांग का प्रयोग भारतीय वास्तुचविों के गहि मंथि, सामग्री की भारवहि क्षमता पर अध्ययि तथा उच्ि ज्ञाि का एक और प्रमाण है । चिमााण की मुख्य सामग्री - श्रीराम जन्मभूचम मंचिर केचिमााण की मुख्य सामग्री पत्थर है । अपवाि को छोड़कर मंचिर में िींव, खम्भे, बीम, छत, चिखर/गुम्बि, छज्जे, जीिे, फिा, प्रचतमाएँआचि उपांग पत्थर से बिाये जा रहे हैं ।इसकेइतर यचि हम वतामाि में सबसे ज्यािा प्रिचलत चिमााण सामग्री की बात करें तो वह रेईिफोस्डा सीमेंि कंक्रीि / आर.सी.सी. है। वतामाि में िुचिया की अचधकांि आधुचिक चबचल्डग ं इस आर.सी.सी. सेही बिाई जा रही हैं, हालाँचक आर.सी.सी. का प्रिलि सि 1892 अथाात मात्र सवा सौ साल पहले ही िुरू हुआ । (िोि - सीमेंि, पत्थर की चगट्टी, बालूऔर पािी के चमश्रण से बिे मसाले को सीमेंि कंक्रीि कहते है। जब सीमेंि कंक्रीि में इजीचियरर ं ंग मािकों के अिुसार उचित स्थािों पर लोहेकी सररया या उससे बिा जाल डाल चिया जाता है तो इसेरेईिफोस्डा सीमेंि कंक्रीि यािी चक आर.सी.सी. केिाम से पुकारते हैं । यह भूकंप, कम्पि, तेज हवाओं तथा चवचभन्ि प्रकार के पाश्वाबलों / िबावों को सहिे में अग्रणी सामग्री है तथा तिाव सहिेमें पत्थर से भी श्रेष्ठ है। आर०सी०सी० से बने बीम और खम्भे 43 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar सि 1940-50 का ििक आते-आते आर.सी.सी. पचश्चमी िुचिया की प्रमुख चिमााण सामग्री बि गई । भारत तथा अन्य चवकासिील िेिों मेंइसिे1980-90 मेंगचत पकड़ी और वतामाि मेंबड़े-बड़े पुल, बहुमंचजला इमारते, िॉचपंग कॉम्पेक्स, फै क्री जैसी अत्यंत जचिल, तकिीक भरी और महत्वपूणासंरििाओंका चिमााण भी आर०सी०सी० सेही चकया जा रहा है । यह सवाचवचित है चक अच्छी से अच्छी आर.सी.सी. भी अचधकतम साठ सेसवा सौ वषों की ही आयु रखती हैऔर इसके बाि उसका क्षरण होिे लगता है। इस कमी से बििे के चलए अथाात चिमााण की आयु बढ़ािे के चलए कुछ स्थािों पर स्िील सेक्िि आधाररत फ्रे म स्रक्िर भी बिाए जा रहेहैं जो चक महंगे होिे के कारण बहुत कम संख्या में चिखाई िेतेहैं, परंतु स्िील स्रक्िसा की आयु भी 200 वषा से अचधक िहीं मािी जाती । इस संिभा में यचि श्रीराम जन्मभूचम मंचिर के चिमााण सामग्री की रेईिफोस्डा सीमेंि कंक्रीि / आर.सी.सी. से बििे वालेभविों के साथ तुलिा की जाए तो चिमााण सामग्री के चवचिष्ट ियि के कारण मंचिर की आयुबहुत अचधक हो गयी है। अिुमाि है चक मंचिर की संरििा 1000 वषों तक चिकी रहेगी । आचखरकार ऐसी क्या बात है चक आधुचिक चवज्ञाि सम्मत और आधुचिक तकिीक होिे के कारण भी आर.सी.सी. की आयु मात्र 100 साल है और प्रािीि भारतीय तकिीक से चिचमात श्रीराम जन्मभूचम मंचिर 1000 साल तक चिका रहेगा ।इसका मुख्य कारण हैपत्थर का प्रयोग । यह एक बहुत ही रोिक चवषय है चजसिे मुझे यह पुस्तक चलखिे के चलए प्रेररत चकया । हालांचक वतामाि में चवस्तार से मैंइसका तुलिात्मक अध्ययि प्रस्तुत िहीं कर पाया के वल फोिोग्राफ्स को ही प्रस्तुत कर पा रहा ह , ँपरन्तुउचित और अिुकूल समय चमला तो इस पर और बेहतर प्रमाणों वाला लेख तैयार करिे का प्रयास अवश्य करूँ गा । यहाँयह कहिा आवश्यक है चक आर.सी.सी. की आयु स्िील फ्रे म और पत्थर से चिचमात भविों की तुलिा में भले ही कम होती हो पर इससे चिमााण सस्ता खुला-खुला और जगह की बित करिे वाला बिता है। वतामाि मेंआर.सी.सी. आम जिता के बजि की सीमा में पहुँि िुकी है जबचक पत्थर से चिमााण करािा बहुत महँगा होता है और इस कारण यह सामान्य आय वाले लोगों की पहुँि से बाहर है । मंचिर के संिभा में चिमााण सामग्री की बात करेंतो महँगा होिे केबावजूि पत्थर को मुख्य सामग्री बिािा अचधक चहतकारी है क्योंचक ऐसी महत्वपूणा संरििाएँचिमााण के बाि चजतिे अचधक समय तक खड़ी रहती हैं उतिा ही अच्छा मािा जाता है । स्तम्भ िीषा(Capital of column) मंचिर में भार-संवहि (Load Flow/Convection in Structure) केक्रम को िेखा जाए तो छत का भार बीम पर और बीम का भार खंभे के िीषा पर आता है । चफर यह भार खम्भे(Pillar) केआधार से होता हुआ िींव अथवाइसके िीिे चस्थत संरििा पर िला जाता है। चजि स्थािों पर भार बीम के द्वारा खम्भों के िीषा पर स्थािांतररत होता है, भारतीय स्थापत्य में वहाँ पत्थर का गढ़ा हुआ एक चविेष प्रकार और आकृचत का अंग लगाया जाता है चजसे स्तंभ िीषा 44 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar (Capital of column) कहा जाता है। पाश्चात्य वास्तुकला की संरििाओ में भी स्त ं ंभ िीषा बिाया जाता है परंतु भारतीय और पाश्चात्य स्तंभ िीषा में एक मुख्य अंतर यह होता है चक पाश्चात्य स्तंभ-िीषा प्रायः मुख्य संरििा के साथ ही गढ़ा जाता है यािी चक मुख्य स्तंभ का अचभन्ि चहस्सा अथाात एकाश्म / मोिोलेचथक (Monolethic) होता है । जबचक भारतीय वास्तुकला में खंभे का िीषा अलग पत्थर का बिाया जाता है । बाि मेंइसको मुख्य स्तंभ के ऊपर रख चिया जाता है । िीषा तथा मुख्य स्तंभ आपस में अच्छी तरह जुड़ जाएँइसके चलए कुंजी का सहारा चलया जाता है । कुंजी मुख्य स्तम्भ और उसके िीषा िोिों मेंबिती है पर िोिों में आकृचत अलग-अलग रहती है । मुख्य स्तंभ मेंकुंजी बिािेके चलए गढ़ाई केसमय ऊपर की ओर तीि सेपाँि इि व्या ं स का लगभग 4 इि ं ऊँ िा चहस्सा काििे-छीलिेसेछोड़ चिया जाता है । यह मुख्य स्तंभ के ऊपर एक बेलि के रूप में उभरा हुआ चिखाई पड़ता है। उधर स्तंभ-िीषा को गढ़ते समय उसकी तली में एक चछद्र बिा चिया जाता है चजसका व्यास और गहराई के वल इतिी रखी जाती है चक जब स्तंभ िीषा को मुख्य स्तम्भ के ऊपर चफि चकया जाए तो कोई चिक्कत िा आए । भारतीय पिचत के स्तंभ-िीषा की ऊँ िाई आवश्यकता के अिुसार ढाई से पाँि फीि तक हो सकती है। स्तंभ-िीषा की गढ़ाई इस प्रकार की जाती है चक चजतिे बीम इस पर आकर चिकायेजािे हैं उतिी संख्या में िेक / ब्रैके ि (Bracket) बाहर चिकल आएँ। प्रायः इि िेक पर बेल-बूिे, अलंकार या मूचता गढ़कर सुंिरता बढ़ाई जाती है । स्तंभ-िीषा के तिे पर भी वास्तुचवि के चििेि के अिुसार चवचभन्ि चडजाइि बिाए जाते हैं । चजस प्रकार के ब्रैके ि स्तंभ-िीषा पर बिाए जाते हैं, कई बार उसी प्रकार के ब्रैके ि मुख्य स्तंभ के ऊपरी चसरे पर भी बिाये जाते हैं, जहाँकुंजी चिकली चिखती है। इससे एक तो मुख्य स्तंभ की िोभा बढ़ जाती है िूसरे स्तंभ-िीषा को पाश्वा-मजबूती (Letral strength) भी चमलती है। अिेक बार मुख्य स्तंभ के िेक / ब्रैके ि्स पर चकसी प्रचतमा को चतयाक रूप में लगा चिया जाता है, चजससे तीि लाभ होते हैं एक तो िोभा बढ़ाती है िूसरेमूचता चिल्प के चलए अचतररक्त स्थाि उपलबध हो जाता हैतीसरेऊपरी अंग को िेक भी चमल जाती है, चजससेउसकी चस्थरता बढ़ती है। छत – श्रीराम जन्मभूचम मंचिर मेंछत का चिमााण सामान्यतया िो तरीकों से चकया जा रहा हैं, एक जो िीिे से समतल चिखती है, िूसरी जो बाहर से चपराचमड की तरह चिखाई पड़ती है। िोिों प्रकार की छतों को पत्थर से बिाया गया है । छत में लोहेकी सररयों का प्रयोग िहीं हुआ । गचलयारों में िीिे से समतल चिखिे वाली छत बिाई गई है।इस छत को पत्थर की मोिी पचिया/स्लैब (Stone Slab) सेबिाया गया है । यह पचिया अपिी बगल मेंपहलेसे रखी औरइसके बाि रखी जािे वाली पचिया में अच्छी तरह बैठ जाएँइसके चलए इिमेंखाँिेबिाये जाते हैं। चजि िीवारों या बीम पर पत्थर की पचिया चिकती हैउसे आलम्ब (Support) कहा जाता है, उिके बीि की िूरी पाि (Span) कहलाती है । छत और बीम के आकार के चिधाारण में पाि (Span) का बड़ा भारी महत्व होता है । भारतीय स्थापत्य में प्रायः इि िीवारों के बीि 8 से 20 फीि की िूरी िेखिे को चमलती है । इि िीवारों के बीि की िूरी चजतिी अचधक होगी पत्थर की 45 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar पचिया उतिी ही अचधक मोिी प्रयोग करिी पड़ती हैं। मंचिर में आवश्यकता के अिुसार लगभग 6 से 9 इि मोिी प ं चिया का प्रयोग चकया गया है। गुंबि की आकृचत वाली छत को बिािे की रीचत समतल छत से अलग हैतथा थोड़ा जचिल भी है । मंचिर में वास्तुकार के चििेिािुसार छत की चििली सतह पर चवचभन्ि प्रकार के अलंकार उत्कीणाचकयेगए हैं। धरि- छत की पचिया धरि या िीवार पर आकर चिकती हैंऔर धरि खम्भों पर चिकते हैं । बीम के ऊपर पचिया तथा उसके ऊपर फिा और फिा पर िलिे-चफरिे वालों आचि का भार तो आता ही है साथ में बीम का अथाात स्वयं का भी काफी वजि आता है । इसचलए इसे पयााप्त मजबूत बिािा पड़ता है । धरि चजि खम्भों या िीवारों पर चिकता है उिके बीि की िूरी / पाि (Span) का भी बड़ा महत्व होता है । इि खम्भों या िीवारों के बीि की िूरी चजतिी अचधक होगी उसी अिुपात मे बीम का आकार बढ़ािा पड़ता है खासकर बीम की गहराई बढ़ािी पड़ती है । िीवारों / खम्भों/ आलम्बों (support) केबीि की िूरी (span) चकतिी होिे पर बीम की गहराई की गहराई चकतिी रखी जाय यह संबंध भारतीय स्थापत्यचविों को था । मंचिर में समान्यतया एक फुि से लेकर डेढ़ फीि गहरी तथा छः इि से लेकर ं एक फुि िौड़ाई वाली बीम का प्रयोग आवश्यकता के अिुसार चकया गया है। बीम ठोस तथा मजबूत पत्थर से बिाई जाती है । वास्तुकार के चििेिािुसार मंचिर के धरिों पर बड़ी संख्या में अलंकारों का उत्कीणाि चकया गया है । संरििा के अंग-उपांग पर अलंकरण की योजिा- िींव, खम्भे, स्तम्भ िीषा, िीवार, बीम, छज्जे, छत जैसे भवि अंगों-उपांगों केआकार और आकृचत का चिधाारण, उिका माप के अिुपात में चित्रांकि, चिमााण सामग्री का ियि, चिधााररत माप में चिमााण और उचित जगह पर स्थापिा (Placing in position) से सम्बचधत बातें ं तकिीकी कौिल के अंतगात आती हैं। इसकेअलावा इि अंगों-उपांगों की िोभा बढ़ािेके चलए इि पर बेल बूिे, प्रचतमा तथा अलंकार भी गढ़े जाते हैं। अलंकारों के उत्कीणाि का मुख्य उिेश्य संरििा की िोभा बढ़ािा है परंतु िेखिे वाले पर इसका ही अचधक प्रभाव पड़ता है िूसरे िबिों मे कहा जाय तो अंगों-उपांगों पर बिाये गए सुंिर अलंकार इिकेचिमााण के तकिीकी कौिल को छुपा लेते हैं । संरििा के चकसी अंग और उपांग पर कहाँ, चकस प्रकार के और चकतिे अलंकार गढ़िे हैं इसके चलए भी व्यापक चियम भारतीय वास्तुचविों िे बिायेहैं। भारतीय स्थापत्य में संरििा का भारवाही ढाँिा बिािेएवंबाहरी स्वरूप (Exterior) चिधाारण के चियमों की चवचवधता की तुलिा में अलंकरण योजिा में तरह-तरह के अिेक उिाहरण तथा अचधक चवचवधताएँिेखिे को चमलती हैं । 46 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar अध्याय : 05 िींव के महत्वपूणा चित्र भूचम पूजि- 05 अगस्त 2020 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण का काया शुरू करिे के चिए श्री िरेन्र िामोिरिास मोिी (माििीय प्रधािमंत्री भारत सरकार) द्वारा भूचम पूजि चकया गया । कोरोिा सकट के ं कारण भूचम पूजि कायाक्रम बहुत सीचमत रहा ।इस अवसर पर श्रीमती आिंिीबेि पटेि (माििीय राज्यपाि उत्तर प्रिेश), महत ि ं ृत्य गोपाि िास (अध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूचम तीर्ा क्षेत्र), श्री योगी आचित्यिार् (माििीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रिेश) श्री मोहि भागवत (सरसंघिािक), श्री कामेश्वर िौपाि, कें रीय गृहमंत्री श्री अचमत शाह, रक्षा मंत्री श्री राजिार् चसंह, श्री िािकृष्ण आडवाणी, श्री मुरिी मिोहर जोशी, साध्वी उमा भारती, श्री चविय कचटयार और साध्वी ऋतंभरा सचहत श्रीराम जन्मभूचम तीर्ा क्षेत्र के सिस्यगण तर्ा िेश के प्रमुख साधु-संत मौजूि रहे । 47 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 48 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar मशीिों द्वारा िींव खुिाई का काया- 49 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar 50 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


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चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar अयोध्या में श्रीराम लला के िर्ाि करिे पह ुँिे उप राष्ट्रपचत श्री एम0 वैंकया िायडू और उिकी धमापत्िी श्रीमती उषा िायडूको स्मृचत चिन्ह के रूप में श्रीराम जन्म भूचम मंचिर का प्रचतरूप भेंट करते रस्ट के महासचिव श्री िम्पत राय बंसल । (अप्रैल 2022) 63 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


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चित्रों के झरोखे से श्रीराम जन्मभूचम मंचिर चिमााण : इ० ं हेमन्त कुमार ETBN- Construction Of ShriRam Janmabhoomi Temple Through The Window Of Pictures. Chitron Ke Jharokhe Se ShreeRam JanmBhoomi Mandir Nirman : Er. Hemant Kumar दीपावली के अवसर पर श्रीराम जन्मभमम म ू मदर मिमााण स्थल पर कार्ा देखते ह ं ुए श्रीमती आिंदीबेि पटेल मा0 राज्र्पाल उ0प्र0, श्री िरेंद्र मोदी मा0 प्रधािमत्री ं , श्री र्ोगी आमदत्र्िाथ मा0 मख्र्म ु त्री उत्तर प्रदेश सरकार ं , श्री चंपत रार् बंसल महासमचव श्रीराम जन्मभमम म ू मदर तीथा क्षेत्र अर्ोध्र्ा ं (12 िवम्बर 2023) 80 NOTE- UNDER PROCESS OF EDITING. THIS BOOK AND ITS CONTAINT IS ONLY FOR PROOF READING PURPOSE


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