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A book of maithili poem by amarnath jha amar

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Published by Ashwini Kumar Tiwari, 2018-12-11 13:10:20

थिर कएने मोन

A book of maithili poem by amarnath jha amar

गित िथर कएने मोन | 51
( 13/08/2016 )
ताड़क कतार
आ ताड़क छाया
न ह दै छाहिड़
तैयो कहबै छाया ।
म त,मगन,गगनचुंबी
अकास मे झमु तै काया ।
मदु ा,ई रक माया
सखु ाऽ होइ भूिमपात
ओकर कािम सँ बनै झाड़ू
होइ काज झाड़-ू बहा
आ रािख देल जाइ उनटा के
शीषासन मे
छीप नीचाँ आ ज'िड़ ऊपर
जे तकै छलै अकासे दिस स दखन
आइ , जोिह रहलैए पतालक माया ।

52 | अमरनाथ झा ‘अमर’

नमन करी नकर जयबोल

बरफिशला पर राखल गले
डटं ा - बड़े ी बा हल गले
अंडमान मे िबतलै जीवन
ओतिह गमौलक ाण अमोल ।
नमन करी नकर जयबोल ।

जहल ब जीवन के चुनलक
हिँ सते हिँ सते फाँसी चुमलक
माए,बिहिन, धिन,घर जे छोड़लक
तेकर यागक कोनो ने मोल ।
नमन करी नकर जयबोल ।

िबल ट गले ै सब बाल - ब ा
घर रिह गले ै उसरल , क ा
मिृ त चे ह िवन भऽ रहलै
ताकु त नै , काटय क लोल
नमन करी नकर जय बोल ।

कतओक घर भेलै सु ाह
के ' िमझाओत पलटन डाह
सातु संग घनू ो पीसाएल
डाहल गले ै टोलक टोल
नमन करी नकिह जयबोल ।

ज म भूिम के ँ यागऽ पड़लै िथर कएने मोन | 53
प रजन छोिड़के भागऽ पड़लै ( 15/08/2016 )
दद कते ओ सहने हेतै !

जखन बदलल हेतै भूगोल
नमन करी नकिह जयबोल ।

आजादी लेल जान लगौलक
क ेक यो ा ाण गमौलक
बैसल कात ,ने बखरा पौलक
न ह कएलक किनको अनघोल
नमन करी नकिह जयबोल ।

आइ जे अ पन राज भोगै छी
नकिह करपे ताज जोगै छी

अ पु णू ने ँ सँ तपण
जयजयकार सम पत बोल
नमन करी नकिह जयबोल ।

पओल ँ तँ हम सभ वरा य
यान रहय नै होइ रा य
बिलदानी बिल थ होइ नै
रही सतक मचाकए घोल ।
नमन करी नकर जयबोल ।

नमन करी नकिह जयबोल ।।

54 | अमरनाथ झा ‘अमर’

सोझ बाट, सोझ बात

नीरज निञ मोन रहय शु कोना गात
धीरज निञ हीय रहय सहब कोना घात ।

बाट चलब ठे िस खसब से निञ सोिचली
डगे तँ बढाबी, रही बसै ल जुिन कात ।

मानू जीबनमे नीक बजे ाए सऽभ छै
गोटी निञ चलबै तँ कोना हते ै मात ।

संघष िथक जीबन, सहष वीकारी
जीतू ई यु च ढ करण अ सात ।

बाट होइ अंधकार सझू य नै हो िच हार
दीप बा र हाथ लेने धऽरी स हा र लात ।

िन य मोन दढ़ृ करी िनणय ठे कािनके
ठािन बढू आगु , डोलू जुिन कदिल पात ।

कमक अिधकार आ कम अमोल अमर
फऽल तँ अव य भटे त वयंिस बात ।

( 20/08/2016 )

िथर कएने मोन | 55

था हथु हाथ काश

ढेर बगं ौरक कतबो तूनब नै िनकसत कछु बागं ।
खइर पड़े ने क भऽ सकतै तले बहार , समागं ॥

डगा ितलाठी निहएँ िनकसत बाहर किनको तील ।
सठं ी मे पिु न क सभं व छै सोन आवरण छीिल ॥

मड़आ के र पु ी डगाकए , क के मड़आक आस ।
झाड़ल झ ा मे नै रहै छै , बचल धान के र बास ॥

चु ी लागल बाँस , आस क िनकलत कोपर ।
धारम य ने धार रहत तँ कतऽ से फू टत मोकर ॥

आँिख मोट आ ठाँ ठ दिृ मे कोनाके रहतै जोित ।
खूजल खुरचन मे क भेटत कखनो उ र मोित ॥

न'व बएस आ नव ऊजामे , होइ वाला, उ लास ।
आबथु यवु जन आगाँ ब ढके था हथु हाथ काश ॥

( 23/08/2016 )

56 | अमरनाथ झा ‘अमर’

कृ ण सौ ँ

त कहने रहह ने
जखन आ जिहया
हेतै धमक पतन
आ, अधमक उ थान
हम िसरजन करब अपनाके ँ
साधकु प र ाण आ
दु क िवनाश लले
लीला सँ लय करब
आ ,नीित सँ लय
धमक पनु र थापन करब ।
क बझु ाइ छह तोरा
छइ कोनो भागं ठ बाचँ ल
तै ँ तँ कहिलअह आबए लले फे रो सँ
लएह सोलहो कला सँ अवतार
मोहन,छिलया निह िवराट प
करह उ ोधन कमयोगक
धरह ओएह प , जे
लड़ने रहए असकरे ,दनू ू प सँ
महाभारतक यु
बनल रहए उभयप िवजते ा ।
ओ प धरह ने जे सूिन दौगल रहए

ौपदी क पकु ार
मदु ा अएलह कहाँ ओइ प मे
हौ क हयै ा कु मार
छिलया बला न,ै कािलया मदन बला

प करह बहार ।
तखने हेतह जयकार
तोहर जय जय कार ।

( 25/08/2016 )

जनमल कृ ण क हयै ा िथर कएने मोन | 57
( 25/08/2016 )
भादब राित अ ह रया
जनमल कृ ण क हयै ा ।

छल नखत रोिहणी
भल ितिथ जे अ मी
जहल भले ै इजो रया
जनमल कृ ण क हैया ।

खूगल सातो कपाट
जंिजर वसुदवे क कात
प ँचल नंद नग रया
जनमल कृ ण क हयै ा ।

जमनु ा भले ै उ फाल
चरण छू बलै े बहे ाल
भेलै दपू ट मे डग रया
जनमल कृ ण क हयै ा ।

नंदघर भेलै अनघोल
जुटलै गोकु लक टोल
गाबऽ लगलै बधयै ा
जनमल कृ ण क हयै ा ।

लीला के लकै अनपू
धएने मोहनाक प
चो रके लक िनजघ रया
जनमल कृ ण क हयै ा ।

58 | अमरनाथ झा ‘अमर’

बाधक टटका हाल

अशलेष मे लशे मा निह
म घो नै नीरौलक
पं ह ता रख ज मअ मी
िबनु बरखे बीतौलक ।

ायः पिहले पिहल ई दखे ल
कएने रहइ सबु रे
अओतइ कोना अगहन , जँ
भादब दऽब , उबरे ।

कहतै रहै िवपटा , कऽ दबे ै
तीने दनमे अकाल
लागै ओकरे करामात सन
बाध जरै एिह साल ।

गगं ा, कोशी जे कएने होिथ
लएने आबथु बा ढ
मदु ा,ई कमला गुमसमु बैसिल

रोपल फिसल सखु ाइ ।
कतऽ नुकएलह इनर दवे ता
दऽहक किनको यान
िगरहत लागित बिू ड़ रहल छै
सखु ाऽ रहल छै धान ।

( 26/08/2016 )

िथर कएने मोन | 59

तीन गोट िणका

(1)
अठारहो पुराण प ढ
भटे लै दइु ए टा बात
परोपकार पु , आ
परपीड़न पाप
मोन नै मानएै
आओरो हते ै बात
पढ़ए पड़तै स पूण परु ान
मदु ा के उनटबएै ?
सतस क दोहा ,आ
कबीरक वाणी
मे भे ट जाइए
भरनी- तानी ।
(2)
समु मंथन सँ
बहार भले रहै
ब त रास व तु
मुदा मोन रहलै
मा हलाहल, जे
रहलै िशवक कं ठ थ ।
जँ निञ िपउने रहतै रा अमतृ
देवताक पाँत िमझरा कए
तँ ओकर चच कहाँ होइतै
देवगण तँ पचाइए गले रहिथ
आनो आनो िनकसल व तु
हिथआइए नने े रहिथ ।
िशवक कं ठ थ हलाहल
पस र तँ ने गले एै लोक कं ठमे ?

60 | अमरनाथ झा ‘अमर’

(3)
निञ पढ़ब कताब
जखन महंू के निञ िहसाब।
बािँ च के भेटबे क करत
कने वाद ,कने िववाद
कने हरमाद, नै परमाद
अगबे अपन जदावाद
आ, दोसरक मदु ावाद ।
आ जँ ओझरएल ँ कतौ
तँ फ झित कराउ अ पन
इ ित बचाउ अ पन
निञ तँ होउ बरबाद ।
मंुहक कताब
ने सवाल ने जवाब ।

( 29/08/2016 )

िथर कएने मोन | 61

अिं तम उपाए

चा र जमाए रहिन एक जनके ँ
चा एकसंग सासुर अएला
वागत िमिथला म य दिे खके
नौ-छौ होइत मे िवलमएला ।

कछु ए दनुका बाद अक छ भए
ससरु जी चता मे पिड़ गले ा
हीत-अपिे त सँ िवमश,
जे िनराकरण के बाट सझु एला ।

भोजनक आ द घी ब भले ासँ
असहज भगला थम जमाए
'किव' छल जिनकर नाम,
मुदा बाँक रिहगले ा देह खसाए ।

भेल उपाए, आसन ले िपरहीक
निह जोगार कएल गेलै
आब सहब अपमान कदिप नै
किह 'के शव' िवचिलत भेलै ।

आबो टीकल दू जमाए छल
नकर क क रयि ह जोगार

दािल ब त आब महग भले छै
भोजनमे बन कऽ दयौ भजार ।

िबना दािलके भोजन क
एिहसँ बा ढ हएत क बात
'भूधर' सासुर छोिड़ पड़एला
'धोधर' खाइते अगबे भात ।

62 | अमरनाथ झा ‘अमर’

'धोधर' ब तो दन बीताओल
छु छ भात पर बिनके खोधर
आब क हते ै उपाए कहह ने
''गरदिनयाँ दए भगबह धोधर"।

कछु एहने भऽ रहल दशे मे
मान-दान सँ िबगड़ल , भान
अ चं गरदिन पर चाही
तखने भे ट सकै ए ाण ।

( 29/08/2016 )

हाइकू िथर कएने मोन | 63
( 30/08/2016 )
भावक मौन
श द भले िम झर
अकाए बोन ।

श दक अथ
लागए नै लोकके ँ
सभटा थ ।

श द घबाह
उच र जे कएलै
मोन तबाह ।

एना जँ घात
आब यो करतइ
मोनक बात ।

हाइकू बोल
लागे ने कबकब
ई छी भतोल ।

64 | अमरनाथ झा ‘अमर’

बटमा र

(हा य-चतु पदी)

आवाहन पड़ िवदा भेलै
मदु ा बीचबाटिह घरे ाएल
बासँ सँ ख चािड़ मनपूरन
भरपरू कऽ ब रसाओल ।

बचल खुचल आगाँ बढ़ल
बड़काभाइक सासुर बटुरी
नते ाजी, भारत भूषण जी
बाि ह धए लले िन पोटरी ।

एतए ध र प ँिच सकल
पािन न,ै अगबे बसात
बाध जरए,ज रते रहल
मुदा शीतल भले गात ।

आएल पािन, गले पािन
बाटिह िबलाएल पािन
क ौ ब रसलै , ब रसउ
एमहरो तँ आबौ पािन ।

( 31/08/2016 )

कनछल िपयास िथर कएने मोन | 65
( 04/09/2016 )
मु गा नै बजलै अबेर भऽ गेलै
भोरमे आिब िनसभेर भऽ गेलै ।

पुरबा जे लओलक सगं कने पािन
कछु काल ब रसल उबेर भऽ गले ै ।

दगधल धरतीके जगागले िपयास
छाको नै पुरलै , िनमेर भऽ गले ै ।

जािन क िविधना िलखलक भाल
पािन लेल धानके कु बेर भऽ गेलै ।

क ौ छै बा ढ"अमर"क ौ सुखार
िमिथलाक भागे िनभरे भऽ गेलै ।

66 | अमरनाथ झा ‘अमर’

गगं े ! हएत अहँक उ ार

पािपक पाप पखा रके कएल ँ खरबो के उपकार
बदलामे हम फे कल ँ गंग,े अ पन थकू -खखार ।

अहँक नीर सँ शिु भेटै छल तनमन अगम अपार
कल-करखाना िनसृत कचरा लगा देल ँ अंबार ।

गोमखु सँ गगं ासागर ध र, छेकल ँ क े ार
कएल ि पथगा धरतीअ पर खंड खंड कए धार।

शहर-शहर ध कयाओल गेल ँ पटे मे बसलै लोक
अहँक पाट सं कण के लक आ आब लगै छै शोक ।

बनल सफै ती के र योजना बजट करोड़ हजार
गगं ोदर मे कतके गले ै आ कतके भले ै साकार ।

घाट-घाट चमकाओल गले ,ै बाट मे खसबै गंदा
भरल पेटमे गा द आ कू ड़ा गितके कएलक मदं ा ।

िनगमानंद सतं के र जीबन-अंत ने होइ बके ार
दयौ समु ित आ ान लोकके ँ राखए शु िवचार ।

कतेक भगीरथ जू ट गले ाहे हाथ सह हजार
िनमल गगं ा अिभयानिह सँ हएत अहँक उ ार ।

( िनमल गंगा अिभयान के ो साहन लेल )

( 04/09/2016 )

िथर कएने मोन िथर कएने मोन | 67
( 06/09/2016 )
डगमगतै बाट पर
थािह थािह डेग सँ
चिल रहल मौन ,िथर कएने मोन ।
ल यक ठे कान छै
भ यक छै नै चता
रमइ बोन-े बोन ,िथर कएने मोन ।
बाट घाट टिप रहलै
शनैः शनैः धिप रहलै
चता छै कोन ? ,िथर कएने मोन ।
साि वक जीवन छै
इत ततः नै मन छै
भेटतै भ रमोन , िथर कएने मोन ।
दढ़ृ के ने िन य छै
इएह तँ प रचय छै
प ँचतै कोने कोन , िथर कएने मोन ।
उिधया नै रहलएै
उता ल नै डगे छै
कामनो नै खोन , िथर कएने मोन ।
धैयक अटूट बा ह
टेकने अपन का ह
मोन नै अनोन , िथर कएने मोन ।
पिथक ई थकतै नै
पाछाँ ई हटतै नै
कतबो दै टोन , िथर कएने मोन ।

68 | अमरनाथ झा ‘अमर’

इत ततः

कने धारमे बोहाइत ँ , मोन होइए
मदु ा, पारभऽ जाइत ँ , मोन होइए ।

कने नहे मे नहाइत ँ , मोन होइए
मदु ा,देह नै नेराइत ँ , ,मोन होइए ।

कने तालमे हेराइत ,ँ मोन होइए
मुदा,जाल बहराइत ,ँ मोन होइए ।

कने नबे ारे घोराइत ,ँ मोन होइए
मदु ा,उघारे ओराइत ,ँ मोन होइए ।

कने नभमे फहराइत ,ँ मोन होइए
मदु ा,रजमे लोटाइत ,ँ मोन होइए ।

कने भावसँ नोराइत ,ँ मोन होइए
मदु ा,रागमे झोराइत ,ँ मोन होइए ।

कने भालसँ टेराइत ,ँ मोन होइए
मदु ा,कालसँ डरे ाइत ,ँ मोन होइए ।

कने श दसँ खले ाइत ,ँ मोन होइए
िन श द रिह जाइत ,ँ मोन होइए ।

इत ततः मोन के र चािल मदम
आँकु शेक बले ँ हो,अग ,पीछू ,ध ।

( 09/09/2016 )

िथर कएने मोन | 69

गगं !े िमय सकल अघ मोरे

"बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे
छाड़इत िनकट नयन ब नीरे "
गओने छलाह बाबा िव ापित
लाज लागे मोर जाइ तुअ तीरे ।।

जखन दखे ै छी तुन तन पीड़े
लि त मोन दिे ख कए क ड़े
चाम-गा सभ शु होइ छल
एक चु क जल माथ जँ फ ड़ै ।।
आब चाम के शोिध के बहबै
कऽ िवषा दै तोहर नीरे
खिु ज गेलैए कल- करखाना
तोरिह तट पर धीरे धीरे ।।
क मोकामा, क कानपुर
नाक-महंू सभ झाँप चीरे
होइ वाह मर छाउर मिु ले
आब लहास बहा दइै धीरे ।।
बाि ह-छे कके बा हल धारा
कोना बहत िनमल गित नीरे
पटे भरल जाइ गाद आ कचरा
लोको बिसगले अह क शरीरे ।।
के ओ अहकँ िच कार सुनय ने
अखन बहै अिछ उन ट समीरे
तदिप आस छोड़ब न ह गगं े
बढ़त वाह आ िनरमल नीरे ।।

( 14/09/2016 )

70 | अमरनाथ झा ‘अमर’

पाइ

पाइएक सभत र मोल छै, पाइ लेल पु आ पाप
पाइएक खले ा-बले ा सँ , होम , य आ जाप ।
होम , य आ जाप , पाप होइछै दगू ु ा
पाइएक खाितर का ट पटे , बा है अिछ जु ा ।।

सभटा छैक पाइ के र खले ा , राजनीित, यौपार
बेिच लछै अिधकारो अ पन,कऽ पाइएक जोगार ।
पाइए के र जोगार मे लागल साध-ु सतं आ नते ा
पाइ पािब जाइए अहगर , तै ँ नाचए अिभनते ा ।।

पटे भरै लले आिखर चाही कतके ? लोकके ँ पाइ
मोन भरै न,े थाह ने किनय , राखी कते जोगाइ ।
राखी कतेक जोगाइ , हाल मसू क नै हते ै ?
बील मे सिं चत जमा जखन कबजाओल जते ै ।।

संतोखे िथक धम ,परम, तै ँ ब होइ ई हािह
काटौ नै लोक हक ,होइनै पाइ पाइ के कािह ।
पाइ पाइ के कािह का टके म र जैब जखने
छू टत ान , धरा पर धएले रिह जैत तखने ।।

एकर मतलब ई न ह बझू ी नै हो पाइक जोगार
बरे -बगे रता ,खगता मे तँ ,पाइएक हो दरकार
पाइक हो दरकार ओतबए जतबए तीमन नोन
बेसी होइ तँ ननू जहर आ जँ न ह हो तऽ अनोन ।।

( 16/09/2016 )

िसहा गले यो िथर कएने मोन | 71
( 21/09/2016 )
अ ानक दीप के िमझा गले यो
लाग-ै ए हमरा िसखा गेल यो ।

मोन के र बात अखन मोने मे छल
लाग-ै ए आओरो िसहा गले यो ।

िनप ा छल मघे नै नाचकै े मोन
लाग-ै ए आिबके रझा गले यो ।

अधिख ू राखल अखन बात छल
लाग-ै ए ओकरा िसझा गले यो ।

पिु नमक इजोतमे लािब के "अमर"
लाग-ै ए नेह सँ िभजा गेल यो ।

72 | अमरनाथ झा ‘अमर’

मठोमाठ

किहयो बजै छल
हमरो बाप, िपतामह

िपतामह नामक डंका
फहराइ छल नमे -टेम आ
िव ा- वसायक धुजा
दश गामक लोक पबै छल
शा ीय िनदान, समाधान ।
भटे ै छलै लोक के
िश ा-दी ा
जकर जे इ ा ।

दशगदा लोक मे
बैसै छलाह उ ासन पर
लोक तकै छलिन मूड़ी अलगाय
आदतृ होिथ सामा य सँ िवलगाय ।
मुदा आइ हम
चा ट लेल ँ सभटा नेम-टेम
आहार-िवहार
िवस र गेल ँ कु लाचार
दीि त सँ जेना भऽ गले िवभिु त
खाइ लेल डाँउ डाँउ
यािग भ याभ क िवचार
तािग लने े िम या अहंकार
अपन ह सँ अ पन चार ।

रहै छी आ म शसं ा मे लीन िथर कएने मोन | 73
िपतरेक ताप अखनो ( 23/09/2016 )
लोक लएै सिू न
बरदास कऽ लैए जीह कू िच आँिख मिू न
मुदा तै सँ हमरा मतलबे क
हम तैयो त लीन ।

दिे खयौ ने हमर ढठपना
तपण करी ओइ अतृ ा क
जिनकर किहयो ताकु त नै कएल
ओइ िपताके जे क मे े म र गेलाह
तथािप भजँ ै छी समाठ
बनल छी मठोमाठ ।

74 | अमरनाथ झा ‘अमर’

िछटक

आगू बढ़ह, टटकारी देलक
चा दिस चौतारी दले क ।

संग साथ ब तो भऽ चललै
कं टक बिन दकदारी दले क ।

दड़बड़ गित सँ बढ़ल डगे जे ँ
िछटक मा र भटकारी दले क ।

नदा रस मे डुबल पाछु रिह
बोल-बचन िहतकारी दले क ।

प समाजक छै अजगूते
ेत सोझ ,िपछु कारी देलक ।

अ सल प दखे ेलै ,जखने
छीप चढा, छह भारी दले क ।

पड़ल छगुंता"अमर" क क
आगू बढा िपहकारी देलक ।

( 27/09/2016 )

िथर कएने मोन | 75

व0 काशीकातं िम "मधपु " क मरण करैत

कोइलख ज म,कोथु रिह जीवन िमिथला म य अनपू
मिै थलीक झडं ा फहराबय आएल, बिन के भूप ।

लोक कं ठ मे देल मिै थली रिच रिच समु धुर गीत
च कल लोक ,चु प भए ताकल, िब ापितक अतीत ।

पंिडत वशे आ नैि क जीवन ,एक संग ब प
िलखल गीत,किवता नवयुिगया, काशीकांत मधपु I

युतप आ आशकु िव वक संगम रहिथ, ने जोड़
समकालीन किवक म य मे आदतृ रहिथ बजे ोड़ I

जन मजदरू क िनमम शोषण, िवचिलत कएलक ाण
किवक कलम सँ घसल अठ ी, बधु नीक भले िनमाण ।

भोजन ओ संगीत दु के र, मैिथल होइ छिथ ेमी
रसगु ला, पचँ मेरक सगं मे झकं ृ त झकं ारक बेणी I

िवरहो के स मान भटे ै छ,ै तखने बझु लक लोक
राधािवरहक महाका स मािनत भले िन शोक I

आइ नक स मान म,े निमत हमर अिछ सीर
िमिथला मे एखनो खगता छै, मधुप जी अिबयौ फ िड़ ।

किव चड़ू ामिण लोक कं ठ मे बिस जे गेला अनूप
आइ नमन आ अचन लऽ के चंदन, दीप आ धपू ।

( 02/10/2016 )

76 | अमरनाथ झा ‘अमर’

मातृ नमन

(हायकू )

मातृ नमन
जननी जय जय
मृित तपण । (1)

मातृ नमन
हे रअ अहँ अ बे
एक नयन । (2)

मातृ नमन
हे मातर िमिथले
करी नमन । (3)

मातृ नमन
हे बएन मैिथली
आदतृ मन । (4)

मातृ नमन
हे गौरिव भारत
अ पत तन । (5)

( 03/10/2016 )

अवलबं हमर िथर कएने मोन | 77
( 09/10/2016 )
कर जोिड़ क रअ िनहोरा हे ! जगदंब हमर
लएह उठा मोिह कोरा हे !अवलबं हमर ।

शरणागत छी हम जगद बे
अहँक शरणमे अएल ँ अ बे
शीष नमल सोझ तोरा हे ! अवलंब हमर ।

मइ टु गर हम ,आस तोहर अिछ
अित दु बर मन, बास तोहर अिछ
आिब कर दखु ओरा हे ! अवलंब हमर ।

दश िव ा छी , दश अवता रिण
सकल चराचर के र भव ता रिण
छमब सकल अघ मोरा हे ! अवलबं हमर ।

तोँ दगु ा छह दगु ित नािशिन
क े असरु क बनल िवनािशिन
क ा कर , मडुं झोरा हे ! अवलंब हमर ।

जगभ रमे घनघोर िनराशा
मा तोर एके अिछ आशा
पशपु ित भािमिन गौरा हे! अवलबं हमर ।

पल भ र ले जँ ने फे रबै
एकनयन'अमर' दिश हरे बै
बनतै जीवन मोरा हे ! अवलंब हमर ।

78 | अमरनाथ झा ‘अमर’

व ,सकं प,कम आ भोग

सपना अबै छै
ब आ फू जल दनू ू आिँ ख मे
दन हो वा राित
जखने आिब जाए दैखयै े लोक ।

ई माने नै रखै छै
पैघ होइ वा छोट
माने तऽ ई रखै छै जे
साकार अए
आबए स मुख
नै रहए ओट ।

व े मे जँ लऽ लै सकं प
कऽ लै कामना
मोन मे ठे मालै बात
जे गछाड़ने रहै साँझ- ात
नै पड़ऽ दै कऽल
ने चैन ने आराम
मोन मे चलतै अिवराम
लड़ैत रहै यु
आ जँ भऽ जाइ िस
तँ बनादै बु ।

मुदा,तािह लेल करिह पड़तै कम
तखने काजो दते ै करम
आ से जे बुझलक मम
तके रे हाथ गम ।

व ,संक प, कामना,कम िथर कएने मोन | 79
चतु यक योग ( 26/10/2016 )
कछु करमोक आस,संयोग
जेकरा भे ट जाए
तके रा लेल भोग
निह तँ अभोग ।

80 | अमरनाथ झा ‘अमर’

ध व त र आ धनतरे स

का तक कृ ण योदिश के , समु मथं नक काल ।
वै ध व त र िनकसल छला लए भैष यक डाल ॥

शरद-हमे ंतक ऋतुक सिं ध म,े उपजइ ािध िवशषे ।
योदशी भषै ये के र हो , ध व त रक उदसे ॥

तै ँ , आजकु दन ई कहबएै , योदशी बिन तेरस ।
धनके एइमे जोिड़ देला सँ , अथ बदिल के बेरस ॥

धनेक हते ु सभ तरिस रहलए , तै ँ सचं य धन ऐ दन ।
-जात , आभूषण क नै , रहै छै भ र दन ॥

आपर पर ई परथा भेलै , िमिथला मे वहार ।
दखे -दखे ौस मे आगू िमिथला , मना रहल यौहार ॥

आजकु दन जौ ँ न'ब कनक हो क िन िलअ'ने झाड़ू ।
दीया-बाती सँ पिहने तँ , करकट साफ बहा ॥

अंतरतम मे पसै ल तम के न करइ से आस ।
नारायण के र बास होिन तँ ल मी करिथ उजास ॥

( 26/10/2016 )

िथर कएने मोन | 81

काितक पव सम

धनतरे स सँ पव शु भेल , आइ मनत छोटक दीवाली ।
आविल दीपक सि त हते ै काि हए पूिजत हते ी काली ॥
हनुमत् ज म जयंती आइए , जेछिथअजं िन सुत बजरंगी ।
वजादान अपण हैत िनका , रहथु सुमित के र सगं ी ॥

फे रल जाएत ऊक , दखे ाबए िपतर के ँ वगक बाट ।
सुपती , गने ी भाजँ ल जएतै ब ो के हेतै क ठाट ॥
गोवधन , गो – पूजन हएतै , बड़द ले हेतइ पखबे ।
कािँ ड़ िपआओल जैत बषृ भके औषिधयु तदवे ॥

अ कू ट के र उ सब हएतै , कालीदास जयतं ी ।
उ ठै े मे जनमल छलाह , बाद उ नै बसतं ी ॥
िच गु के र पजू न हएतै , पुजित बिहिन भरदिु तया ।
भाइ , बिहन घर अ खेतागे लए सनसे भ रपिथया ॥

तीहार ष ीक पुजन लए , चतु दवस के र नेम ।
ातः कािलन अ यदान सँ , रिवक उपासन ठे म ॥
स िम दन सँ पिू जत होएितह जग ा ी मात र ।
काितके मासमे शभु हो भोजन बैिस धात रक छाह र ॥

तकर पराते गोप – अ मी , पिू जत होएती गाय ।
चाही तँ अनखु न अनरु ण , जे समक े माय ॥
सामाके र िनमाण हते ि ह आ िन े चटती ओस ।
काितक पिु नमक संग िवदा आ चिु गलाके नै होस ॥

( 29/10/2016 )

82 | अमरनाथ झा ‘अमर’

पखबे

माल - मबेिसक पव आइ ,िमिथला मे मनै पखबे ।
न'ब - न'ब डोरी – गरदामी , चरबाहोक दलु ेब ॥

थ पा रंग - िवरंग बड़दके , न'ब नाथ आ पगहा ।
काँिड़ िपआओल जाए भषै जक नीरोगी भ र सलहा ॥

यामलवण मिहषके सेहो , हो सोलहो गंृ ार ।
पीिब चहु ा र म त भऽ लड़ै , ड़ा िड़क िशकार ॥

लोक दैइ ललकार मिहषके , लड़ै लले उता ल ।
लगै अव ह , कौतुक जेना , जान जाइ व पा ल ॥

चरबाहोक सगार होइ छल , सीटल साटल गात ।
"सकु राितक चरबाहो" नामी ,चु क तेल भ र माथ ॥

था इहो छल अझकु े दनके खेलए लोक िशकार ।
निह भेटै जँ ख ढया – शाही , िगरिगटोक सहं ार ॥

बड़द िबलले ै , ै टर अएलै , जोित रहल छै चास ।
सुइया दऽ दऽ िबनु परड़एू , अहगर दधू क आस ॥

जंगल - झाड़ िनप ा भेलै , निह चरबाह मह ष ।
िमिथला सँ ई पव , िवलु े भऽ रहलै च ंदीस ॥

(पा ल=सगु रक ब ा)

( 31/10/2016 )

िथर कएने मोन | 83

ात-ृ िच पजू न

धौत लाल,सि त बुशट पर ,टांगल ठगा पोटरी
चलला भाय,बिहनसँ न तलले लए िसनेहक मोटरी ।

बिहन जराबिथ ढबरी पथमे ,अंधकार के र काट
अहलभोर दु खा नीपिथ , बे र-बे र हरे िथ बाट ।

भरदिु तया दन न त लेबकलेल भाय बिहिन घर जािथ
कड़ड़ी-बजड़ी आ िबगजी सगं अ बिहिनके र खािथ ।

यमराजो तँ लएनिह रहिथन ,न त, यमुन घर जाइ
यम-यमनु ा सँ अ दा भायक बिहन मगं ै छिथ आइ ।

भाय-बिहिन के र पव सनातन िमिथला मे यबहार
एकमा भरदिु तए होइ छल , ऐ ठुमका यौहार ।

आब आिबके दोसरो होइ छै र ाबंधन, राखी
मदु ा इ सािबक के र ितहार छ,ै एकर र ा राखी ।

भरदिु तया के र एिह पवपर , सभके ँ दी शभु काम
जेकरा नै छै भाय वा बिहन तकरो दन रह बाम ।

आइए हएतिन िच गु महराजक पजू न- अचन
कलम-दवात आ पोथी-ब ता सभटा न'ब समपण ।

सब क कमक लखे ा-जोखा, राखिथ जोगा िहसाब
नमन करी भगबान िच गु , ा लए मनभाव ।

( 01/11/2016 )

84 | अमरनाथ झा ‘अमर’

चता आ चतन

ज खन ज खन अबै देश वा कोनो रा यमे भोट
नेता सभ, बमे , िवकल भए , करै मम पर चोट ।

पाँिख लगै अपबादके , बाद मे भऽ जाइ फू िस
ताकए दोसर, ढूिस लड़लै े , एक जाइ जँ िस ।
अमरवेल ,आकाशगंग सम, चतरल चा कात
कौआ कान लेने उिड़आबए,िमिडयो सँ हो घात ।
जकरा निञ छै मत सँ मतलब, ओहो तकै ए धम
पर-पंचतै ी , याय- व था, राखै एकर मम ।
बातकरए मानवअिधकारक, मरएजँ कखनो दानव
मानव के र ह या पर चु प,े एिह सँ क'थी मानब ?
खो रश जके र बन भऽ गले ै ,तोिड़ रहल छै छान
दशे क कते अिहत कऽ रहलै, तिनको निञ छै भान ।
दशे घरे ने दु मन ,सीमा पर वीर बहे ाल
श ु बसै , घऽरे मे घसू ल ,मचा रहल उ फाल ।
च ूह मे फँ सल दशे के , बचा सकै छिथ ईश
एकमा आशा 'िछ िनके , हरे िथ एमहर दीस ।
चाहै छी जँ देश के र, तड़ै , नै बड़ू ै नाओ
सभसँ पिहने बदं हो,िनत-िनत न'ब चनु ाओ ।

एकसगं हते ै चनु ाव जँ , बरख पाँच एक बरे
मताहरण लले आिग लगौतै नेता नै बरे -बरे ।

( 04/11/2016 )

िथर कएने मोन | 85

ार ध

"बा हल घर आ जनमल बटे ा
कयौ यौ पबएै "
ई एकटा कहबी िछयै
मदु ा,अ पन बा हल घ'र
आ,अपने जनमौल बटे ा
पािबओ के नै पबैए
ई भाबी िछयै ।

दस-े बारहके उमरे मे
घ'र सँ गुजर लेल िनकलल
एकटा बपटु गर नेना
औआइत , बौआइत
कोठी-बाड़ी आ डरेबरी करैत
िबतौलक पचासो बरख
ए े मािलक के डेबतै ।

अपन माए आ अपु िपितआइिनक कोन कथा
ओइ सठे ािनय क पु बिन,
सवे ा-टहल करैत
अपन कम, शील, कौशल सँ
अरिज कए बासोिचत भिू म
आ, किचत जमीन
कोन ना ठाढ़ कएलिन एकटा कोठा ।

86 | अमरनाथ झा ‘अमर’

मिलकाइिनक दहे ांत पर
पौलि ह सवे ांत लाभ
भिव यिनिध,पशन, े यटू ी वा जे कही
सस मान िवदा-रािश एकमु त
ओकर पु य सँ
आ, अरजलि ह बीघा भ र खेत ।

भगबानक कृ पा सँ ा
एक क या आ दू पु र
हँ ह,ँ पु र े ने कहबएै
क याक कोन कथा
ओ तऽ सासुर जा िन त कऽ दएै ।

हँ तँ, दनू ू पु र क करौलि ह िबयाह-दान
अनलि ह ल मी सस मान
मुदा, लगले ल छन िच हमान
भऽ गले ि ह दखे ार
दनू ू पु अधािगनीक वशीभतू
बाँ ट लले किन घ'र-दआु र ।

बूढ़क अध छे ,समि भािजत
भाँगल गले कोठा, दू फाकँ
बाँचल नै कोनो दोग सािन
बूढा-बूढी दनु ू परािन
जीिबत,े अधिम त भऽ
ता क रहलाहे कोनटा
इएह िथकै ार व, आ
कहबी भऽ जाइ उनटा ।

( 07/11/2016 )

य ो री िथर कएने मोन | 87
( 14 /11/2016 )
कोमोदते ?

सतल धन ठेकान लगौलक
जन-धनखाता जमाकरौलक
वा,जके रा लग निञ छल एते
वतमान मे सएह "मोदते" ।

कावाता ?

पािँ त लागल अिछ स से दशे
जमा करए वा भजबए शषे
सभ बहे ाल खच लए आता
आजुक ि थित एके टा "वाता" ।

कमा यम् ?

दिे ख रहल सभ ज द भऽ रहलै
अनठा पिु न िनःश द कऽ रहलै
कोठी धान बदिलके माजन
तदिप पछु ै छी " कम् आ यम" ।

कःपथं ाः ?

िबड़ड़ो बीच पड़ल झु क जाउ
अ हर बीतक समय गमाउ
िडिड़अएने पग होएत उ था
सभसँ सोझगर एहने पथं ा ।

88 | अमरनाथ झा ‘अमर’

ज कक महुं पर चनू

अक मात आघात द'े लकै , पसरल घु प अ हार ।
पँचसैया - हजारी बन भेल , घमू ै लने े बजार ॥

महूं े ँ भरे खसौलकै जकरा , चोट अपन ने देखाबै ।
जौ ँ जौ ँ बीतै समय अस रके ,तौ ँ तौ ँ चोट िनजाबै ॥

नोटबदं ी घटबंदी कएलक घटतोिड़ बेकार , अबाह ।
जकरा जतेक बुड़ल बझु छै ै तके र पछै तते घबाह ॥

सर - संपि क माया क ेक , ममता मन सँ ने जाइ ।
पु शोक , धन शोक सँ क मे , बेर - बेर आबै आिह ॥

जकर संगमे जते याह धन , ओकर मखु ततबे याह ।
स'ख - सहे ता धरले रहलै , सभटा ज र खक याह ॥

न एँ – न एँ , कऽले - बऽले , लगबए लोक जोगार ।
एक-एक बीहिड़ मनु ल जा रहल, बीहर सोचए अगार ॥

देश त ककटक यािध सँ , निह छल दोसर दबाइ ।
सज कल ऑपरेशने टा छल , रोग िनदानक आइ ॥

अथ बबे था मे लागल छल बरखो बरख सँ घून ।
शोिणत बोकराबलै े चाही , ज कक मंुह पर चनू ॥

( 19 /11/2016 )

िथर कएने मोन | 89

तखने किव किवता लीखएै

िशशुके र वाल सुलभ िव सँ ी पर
अ फु ट बोल आ मु हसँ ी पर
धरू - धूस रत तन कर मोिहत
जखन आिब के कोड़ बसएै ; तखने किव किवता लीखएै ।

पावसके र हामस बड़ भारी
सु भवन मे बिै स बचे ारी
िवरिहन ाकु ल,पथर आिँ खसँ
बाट तकै त नोर झहरैए ; तखने किव किवता लीखैए ।

यौवन भार स हार ने आबए
प रािस िहयके हरषाबए

दरस-परस निह हो,नै चनै ो
भे ट जाए दगृ तिृ भटे ैए ; तखने किव किवता लीखैए ।

चता नै छै घर प रवारक
भखू -िपआस,गम आ जाड़क
िन आिँ खसँ भले ै िनप ा

ाणा ित सँ होम करैए ; तखने किव किवता लीखएै ।

बरफ जमल नगके र िशखरपर
ठाढ़ हाथ रखने ीगर पर
के ओ कखनो कर घसु पठै ी
घ'र घूिस के मा र अबैए ; तखने किव किवता लीखएै ।

90 | अमरनाथ झा ‘अमर’

रौ च डलबा,बजर खसने ा
अिगलेसआु बनबछै बने ा
ल िगया ठोर रगड़ते ौ मड़ू ी
िगरिग टया नचैत दखे ैए ; तखने किव किवता लीखएै ।

के ओ गढएै ,के ओ पढएै
के ओ रचैए, के ओ नचएै
सन टटहाकिव कं िपत सुरमे
वीर रसक किवता कनएै ; तखने किव किवता लीखएै ।

पचकल सटकल िछ गातपर
नूनो नै भटे ैछ भात पर
आत,दीनता िलखल कपारे
चाम घाम सड़बतै देखैए ; तखने किव किवता लीखएै ।

काँची-िप ी, लटकल नटे ा
पेट पी ह सँ ढ ढी उनटा
िछ के स, चटै अिछ आँठी
सऽरल आम सँ पील खसएै ; तखने किव किवता लीखैए ।

शातं , सौ य आ धीर-गह र
बिै स एकसरे यमनु ा तीर
तपःलीन धारक कछेड़ मे
मौन िच साधना रमएै ; तखने किव किवता लीखएै ।

साि वक नहे िनरिख राधाके
मीरा तोड़ए सभ वाधा के
सरू दास घन यामक छिवके ँ
भि लीन िवनु ने देखैए ; तखने किव किवता लीखैए ।

िथर कएने मोन | 91

म य राि मे भेल आघात
फु लल धोिधपर पड़लै लात
याहधऽन खक याह भेलतै ँ
खड़ु छाही धुड़झाड़ दखे एै ; तखने किव किवता लीखएै ।

चा चरण मे पसै ल रोग
भेल अकाजक, दसू क जोग
छै अचरज ई बात देिखके
ईश भरोसे दशे चलैए ; तखने किव किवता लीखएै ।

चा महर लागल कु हसे पर
आठो पहरक गहन दसे पर
अंधकार,तम के र ितरोहन
आस, दोगसँ करण फु टैए ; तखने किव किवता लीखएै ।

( 23 /11/2016 )

92 | अमरनाथ झा ‘अमर’

नमन अमर बिलदान

( शहीद िवकास के ँ सम पत)

गीदर आबै मृ यु ,कहै छै , शहर भगै छै
चु ी जनमै पािँ ख जखन बरे मरण अबै छै ।
से बुिझत ,ँ नापाक पाक ढु क रहलै ए
आइ अछाहे ता कके कु कु र भु क रहलै ए ।

कु कु रे सन के मरण िलखल, निह पड़ु तै इ ा
सीमा पर स , ब क ट , बढ़े क र ा ।
रे घुसपठे ी ! जिु नकर ठी , हठी हते ौ हठ
टुटतौ बकं र ,यु भयकं र, हएब म टयामटे ।

रे आदंक पाक सेना ! हेतौ ने परू ा मोन
एक मारब, द'स मारतौ, ता कके कोनेकोन ।
सवाअरबके गौरवबलछै एकएक सै यक हाथ
तहस नहस कए देतौ ,देतो के ओ सगं ने साथ ।

भारतवासी धैयवान छै निह किनय अगुताह
टू ट जेतै जँ ,धैयबा ह तँ ,भइए जेब तबाह ।
जेइ िबहारके बीर कुं वरके ँ असी मे जगलै जोश
रेजीमट िबहारक कु मर , कए दते ौ बदहोश ।

बीर िवकासक थ ने जेतै ओकर ई बिलदान
तीर िवनासक छू ट जेतै जँ आफद पड़तौ जान ।
मातभृ ूिमके र ामे अ पत जे कएलि ह शीष
नमन अमर बिलदानके ,जय जय हो च दीस ।

( 03 /12/2016 )

कराधान आ कारीध'न िथर कएने मोन | 93
( 09 /12/2016 )
भौितकवादी जगु के र मिहमा,
करै लोक दखे ौस
चाहै अरजय धन चूर, ते,ँ
बाम-दिहन नै होस ।

सोझ बाट सँ चलय पिथक जे
ितनके लागिन ठेस
अगले बगले ,चोरानकु ा जे
जािथ, ने होिन कलेस ।
महे नित क'के जे अरजए,
हो मनओकर खक याह
वंचन क'रक फे र जोगाबए,
भए जाइछै धन याह ।
िननानबे के र पाछु मे पिड़कए,
पिड़कै संचय ध'न
होइ गड़ाड़क जिड़सँ उख न ,
धएने दशे क त'न ।
करचो रक करदानी म,े
करे दरक अिछ हाथ
सोझ-नुकाएल क'रक ड'र
नकु ालैछ सभ माथ ।
कर-आरोपण हो ततबए ,
जते सहसगर चनू
जिहना मधुकर, कर सचं य,
प -पराग सून ।

94 | अमरनाथ झा ‘अमर’

मनभाव ( िणका )

ई-वालटे

झलझलौआ कु ताक
उप का जबे ी मे धएल
कड़कड़ौआ नोट झलकबतै
उतान भ' सगब चलतै
जे गौरवबोध होइछै
से हते ै ई-वालटे मे ?
क त' भला !

बम

"हे ! हटै जो , हटै जो
स'भ हटै जाइ जो
ह'म फोड़ब ब'म "
एकटा छ ड़ा बजल।ै
के ओ मुनलक आिँ ख;
के ओ मनु लक कान;
के ओ धएलक दोग,
सािध लले क द'म ।
अ'हर बीतल
प'हर बीतल
धएले रहलै बम ।
फु सफु सबे ो नै के लकै
छ ड़ा के भेबे ने के लै
आिग लेसबाक
ने सहास; ने दम
कछु तेहने सन ।

आिँ ख िथर कएने मोन | 95
( 20 /12/2016 )
मोन मे बसू
आँिख मे र
मुदा आिँ ख नै चढ़ू ।
लोकक आिँ ख छै फू जल
दिृ फ रछायल छै
गदा न ह झ कयौ ओइमे
परता रयौ नै
गिमयौ ,गिु नयौ,सिु नयौ
ब-े आबाजक आबाज।
जे बसबै छै आँिखमे
ओकरा आिँ ख फे रबामे
िपपिनय कहाँ खसै छै ?
तै,ँ स ह र जाउ
से ज े शी , त े नीक
बुिझ जाउ फरक
आँिख मे बसल, आ
आँिख सँ खसल मे ।

96 | अमरनाथ झा ‘अमर’

िमनती

बीणावा दिन, हे वरदाियिन,
हंसा ढ़, कु मितके ता रिण
उ वलवसना, पु तक बसना,
अधं कू प भवके भयहा रिण ।

बंद पड़ल मित के र कपाट आ
बिु भले अिछ मंद
ते ँ गोहराबी, करी िनहोरा,
खोिल दयौ ने फं द ।

बिु क दबे ी अहाँ छी मयै ा ,
हम िनरबिु िवशेष
अनुक पा जँ भेटत अहाँके र,
रहत ने कछु ओ शेष ।

अहकँ सहोदरा-वाहन सम नै
बुि ने चाही आँिख
हमरा चाही अहकँ कृ पा ,
जे फू जय ह मर पाँिख ।

नेनपन अिछ नने िह सँ अनखु न ,
नयन दय'ने दिृ
िनिमष मा लए हरे ब जननी,
तखने बचतै िृ ।

अपण भाव पु प कोना लए,
भावेक जखन अभाव
हरे ा गेल अिछ बिु ,
कनी हमरो दिस हे रयौ आब ।

( 30 /12/2016 )

िथर कएने मोन | 97

सभकु कामना पणू ; सफल हो !

पल-पल ितपल
छन-छन ितछन
बीित रहल जे
से अिछ जीबन
दढ़ृ िन य, आयास वल हो
सभकु कामना पणू , सफल हो ।

जग भ र पसरल
तमस ,िनराशा
स करण लए
रिवके र आशा
मटे य तम, आभाष धवल हो
सभकु कामना पणू ,सफल हो ।

लागए निह धन
पछड़य नै मन
बाद र लागल-
गहन ने हो तम
फटय मघे , आकाश िवमल हो
सभुक कामना पणू , सफल हो ।

बीित गेलै जे
ओकर चच
आमद जके र
तके रिह खच
मुदा ने य, भंडार भरल हो
सभुक कामना पणू ,सफल हो ।

98 | अमरनाथ झा ‘अमर’

िबदा जकर छै
तकर वागत
अरिछ-परिछ ली
जे अिछ आगत
नब िपरीत, संगीत नवल हो
सभुक कामना पूण,सफल हो ।

िनत-िनत न'ब
रहय नव साल
दरू रहय सभ
िवपित, िबकाल
निह अनीित, नीित के र बल हो
सभकु कामना पूण , सफल हो ।

( 31 /12/2016 )



100 | अमरनाथ झा ‘अमर’

अमरनाथ झा

सवे ािनवृित उप लखे ािनयं क
िव (अंके ण) िवभाग िबहार सरकार

ाम+पो ट:- महरैल
वाया:- झझं ारपरु
िजला:- मधबु नी (िबहार)
िपन:- 847404
संपक:- +91 9661789308

+91 7352654120
ई-मले :- [email protected]

मु य: ₹ /- मा ( INR )


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