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Katha Class_ _Dhruva Maharaj_ ध्रुव महाराज_ (1)

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Published by Vadivukkarasi Ramanadin, 2024-06-06 04:28:50

Katha Class_ _Dhruva Maharaj_ ध्रुव महाराज_ (1)

Katha Class_ _Dhruva Maharaj_ ध्रुव महाराज_ (1)

Keywords: Dhruva

1 ध्रुव महाराज कथा सनातन हिन्दूधर्मग्रं थों र्ेंवर्णमत कथा केअनुसार राजा उत्तानपाद की दो राहनयों नेदो पुत्रों को जन्म हदया। रानी सुनीतत केपुत्र का नार् 'ध्रुव' और सुरुति केपुत्र का नार् 'उत्तर्' रखा गया। एक बार, ध्रुव र्िाराज अपनेहपता की गोद र्ेंबैठनेकी कोशिि कर रिेथे।


2 यि देख कर उनकी सौतेली र्ाँ सुरुति बहुत ईर्ष्यालुिो गई और उनसेकिा हक वि अपनेहपता की गोद र्ें बैठनेकेयोग्य निीं िै। अपनी सौतेली र्ाँ केकटुविनों सेध्रुव र्िाराज को बहुत क्रोध आया।


3 वि तुरं त अपनी र्ाँ केपास गये। उनकी र्ाँ नेउन्हेंवन र्ेंजाकर परर् भगवान की पूजा करनेकी सलाि दी। वन केरास्तेर्ेंध्रुव र्िाराज की नारद र्ुहन सेर्ुलाकात हुई ।


4 ध्रुव र्िाराज नेनारद र्ुहन को अपनेहपता और दादा सेभी अतधक ऊं िा राज्य प्राप्त करनेकी अपनी इच्छा जताई । नारद र्ुहन नेध्रुव र्िाराज को र्नानेकी कोशिि की लेहकन हिर उनका दृढ़ हनश्िय देखकर उन्होंने ध्रुव र्िाराज को ध्यान करनेका हनदेि हदया ।


5 ध्रुव र्िाराज नेनारद र्ुहन सेअनुरोध हकया हक वेउन्हेंऐसा कोई र्ागमबताए शजससेवेअपनेजीवन केलक्ष्य को प्राप्त कर सकें । ध्रुव र्िाराज नेनारद र्ुहन केहनदेिानुसार ध्यान योग का पालन हकया।


6 ध्रुव र्िाराज नेअपनी इं हियों को पूरी तरि सेवि र्ेंकर ललया और अपनेर्न को परर् भगवान र्ेंलगा हदया।


7 ध्रुव र्िाराज केगिन ध्यान केकारण जीवों का दर् घुटनेलगा। इसललए देवताओं नेभगवान हवष्णुकी िरण ली।


8 देवताओं की प्राथमना पर, भगवान हवष्णुगरुड़ की पीठ पर सवार िो गए, जो उन्हेंअपनेसेवक ध्रुव को देखने केललए जं गल र्ेंलेगए।


9 ध्रुव र्िाराज नेभगवान हवष्णुको ठीक अपनेसार्नेदेखा।


10 भगवान हवष्णुको देखकर ध्रुव र्िाराज तुरं त उन्हेंप्रणार् और सम्मान हदया और अपनेिाथ जोडकर उनके सार्नेखड़ेिो गए ।


11 भगवान हवष्णुनेअपनेिं ख को ध्रुव केर्ाथेरखा शजससेध्रुव र्िाराज को परर् सत्य की अनुभूतत हुई ।


12 हिर भगवान हवष्णुनेउनसेपूछा हक वेउन्हेंक्या वरदान देसकतेिै। ध्रुव र्िाराज नेकिा हक "प्रभुर्ुझेआप हर्ल गए और हकसी िीज की आवश्यकता निीं िै। “ भगवान हवष्णुप्रसन्न िोगाए और उन्हेंअपनेहपता राजा उत्तनपद और ब्रह्माजी सेभी बड़ा राज्य वरदान र्ें हदया । इसेधुरवतारा (polestar) भी किा जाता िै।


13 उन्होंनेभगवान को प्रणार् हकया और हिर अपनेहपता केराज्य र्ेंलौट आए।


14 बाद र्ें, जब राजा उत्तानपाद नेदेखा हक ध्रुव र्िाराज राज्य की शजम्मेदाररयों को सं भालनेकेललए तैयार िै, तो उन्होंनेध्रुव र्िाराज को सम्राट बना हदया। ध्रुव र्िाराज ने36,000 वर्षों तक धरती पर िासन हकया। हनयत सर्य पर, ध्रुव र्िाराज जं गल र्ेंिलेगए और भगवान का ध्यान हकया।


15 ध्रुव र्िाराज और उनकी र्ां सुनीतत को एक खूबसूरत िवाई जिाज आध्यातिक दुहनया र्ेंलेगया।


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