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Published by Narakas - Mumbai, 2022-05-31 23:11:58

Konkan Garima Ank 19 Ebook

Konkan Garima Ank 19 Ebook

क कण रेलवे क राजभाषा पि का

अंक - 19 माच, 2022

अ य एवं बंध िनदेशक जी का संदेश

क कण ग रमा' का 19वां अंक बु पाठक को तुत करते हए मुझे अपार हष हो रहा है।
मुझे इस बात क खुशी है िक कोरोना काल म भी क कण रेलवे के किमय ारा समय पर इस
अंक का काशन िकया जा रहा है।
मुझे सभी को अवगत कराते हए अ यंत स नता होती है िक गृह मं ालय,राजभाषा िवभाग
ारा िदनांक 22.10.2021 को मडगांव,गोवा म आयोिजत े ीय राजभाषा स मेलन म क कण रले वे के
मडगांव कायालय को राजभाषा काया वयन म सराहनीय काय करने के िलए वष 2017-18 के िलए
तृतीय थान, वष 2018-19 के िलए थम थान और वष 2019-20 के िलए तृतीय थान के ' े ीय
राजभाषा पुर कार' से स मािनत िकया गया। इसके िलए सभी अिधका रय , कमचा रय को बधाई ।
अपने कायालयीन दािय व के साथ ही साथ हम भारत सरकार, गहृ मं ालय, राजभाषा िवभाग
के िदशा-िनदश के ित भी सजग ह और अपनी िज़ मेदारी िनभाते हए राजभाषा के काम-काज के साथ
भी बहत ऊजा के साथ जुड़े हए ह। िहंदी के सार एवं िवकास क गित को और ती करने के संदभ म
माननीय धानमं ी ारा िदए गए िनदश के अनुसार राजभाषा िवभाग,गहृ मं ालय ने राजभाषा िहंदी के
सफल काया वयन के िलए ेरणा, ो साहन, ेम, ाइज़, िश ण, योग, चार, सार, बंधन,
मोशन, ितब ता और यास इ यािद 12“ ” क परेखा बनाई है। म उ मीद करता हँ िक हम िहंदी
के संवधन के िलए 12“ ” का अंगीकार करते हए अपने संवैधािनक दािय व को पूण करगे तथा अपने
िनरंतर उ च तर के यास के मा यम से और नए क ितमान थािपत करगे।
क कण रेलवे िजस तरीके से अपने िनमाण काय से रा िनमाण म मह वपूण योगदान दे रही है
उसी तरह राजभाषा िहंदी के मा यम से भी रा िनमाण म मह वपूण योगदान दे रही है और राजभाषा के
े म भी उ रो र योग बढ़ाने क िदशा म अ सर हो रही है।
आप इस पि का को जो नेह दे रहे ह, उसके िलए हम सभी पाठक के आभारी ह। म सभी
किमय से अपे ा करता हं िक राजभाषा के अनुकू ल वातावरण बनाए रखते हए आप इस पि का क
िनरतं र गित के िलए यास जारी रख, आपक भागीदारी सुिनि त कर। आपका अ ितम सहयोग ही
इसे िवशेष पहचान देने म सफल होगा।

म पि का क उ रो र गित, िनरंतर काशन और उ जवल भिव य क सुखद कामना करता हं।
इ ह शभु कामनाओंके साथ,

जय िह द ।

(संजय गु ा)
अ य एवं बंध िनदेशक
क कण रेलवे कॉप रेशन िलिमटेड

अकं - 19 माच, 2022

क कण ग रमा वष : 2022
अंक : 19
क कण रले वे क राजभाषा पि का

सरं क इस अकं म

सजं य गु ा िवषय सचू ी सदानंद िचतले पृ
अ य एवं बंध िनदशे क अ य एवं बंध िनदशे क का संदेश सतं ोष कु मार झा
1. मु य राजभाषा अिधकारी क कलम से सतीश एकनाथ धरु ी 2
: परामश : 2. संपादक य ि या पोकले 3
राजभाषा और तकिनक लेख वी.आर.गवस
सुभाष चदं गु ा ३. महारा म िह दी भाषा का सार स यवान तलेकर 4
िनदशे क (रले पथ एवं काय) 4. माँ सूयशेखर 8
5. िहदं ी िवकास क भाषा 9
राजेश भडंग 6. नैनो िव ान और ौ ोिगक राजेश जोशी 12
िनदशे क (िव ) 7. क कण रले क नई प रयोजना : रले िव तु ीकरण वि नल सुधाकर झगडे 15
8. िज़ंदगी जीने का नाम है सतं ोष पाटोले 17
सतं ोष कु मार झा 9. नपे ाल रले िश ण के पल वाती भ. लोखंडे 18
सािहि यक लखे
िनदशे क (प रचालन एवं वािण य) 10. योजनमलू क िहंदी सुिचता सिचन बामगु ड़े 21
11. ईमानदारी- एक जीवन शैली सीताराम दबु े 24
: मागदशन : 12. िहदं ी याकरण- 'को' के बारे म जान 27
13. िव ान ये ा काकड़े 30
डॉ. दीपक ि पाठी पयटन
मु य राजभाषा अिधकारी एवं 14. पयटन और वै ीकरण 35
15. तापगढ़ का िकला 39
मु य यांि क इजं ीिनयर वा य
16. रोग क उ पि 42
: सपं ादक :
“क कण ग रमा” म कािशत साम ी म य िवचार लेखक के अपने ह । रेल शासन को उनसे
सदानदं िचतले सहमत होना, आव यक नह है। यि गत आलेख एवं किवताओं के लखे क अपने कॉपीराइट के
राजभाषा अिधकारी िलए वयं िज मदे ार ह गे । “क कण ग रमा” म कािशत साम ी का िकसी भी अ य प म
उपयोग करने से पवू राजभाषा िवभाग से पवू अनमु ित ा करना आव यक है ।
: संपादन सहयोगी:
– सपं ादक
सीताराम दुबे
राजभाषा अनवु ादक 1

ीमती ि या पोकले
किन अनवु ादक

ीमती ेया काकडे
व र िलिपक

रचनाकार से अनरु ोध

• “क कण ग रमा” पि का हेतु टाइप क गई
रचनाएं िभजवाए ं ।

• रचनाएं तरीय एवं काशन यो य ह ।

• रचनाकार के काशन के सबं धं म कोई
प ाचार नह िकया जाएगा ।

रचनाएं भेजने का पता :

सपं ादक, “क कण ग रमा” राजभाषा िवभाग,
कमरा नं. 417,

क कण रले वे कॉप रशे न िलिमटेड,
कॉप रेट कायालय, बले ापुर भवन,
से टर - 11, सी. बी. डी. बेलापरु ,

नवी मबंु ई - 400 614.
फोन 022-87572015-18 िव तार-365

अकं - 19 माच, 2022

मु य राजभाषा अिधकारी क कलम स.े .....

‘क कण ग रमा' के सम त पाठक को मेरा हािदक अिभनदं न ।
यह अ यतं हष का िवषय है िक क कण रेलवे क राजभाषा पि का 'क कण ग रमा' के काशन
क खंृ ला म और एक कड़ी 19व अकं के प म जड़ु रही ह।ै
हमारी इस गहृ पि का म अ य साम ी के साथ-साथ तकनीक लेख पर भी िवशेष यान िदया है और यही
कारण है िक क कण ग रमा को हर तर पर अ यिधक सराहना िमली ह।ै गहृ मं ालय, राजभाषा िवभाग ारा इस
पि का को ा "राजभाषा क ित परु कार" तथा नवी मंबु ई नराकास ारा भी िनरंतर थम पुर कार इस पि का के
उ च तर एवं लोकि यता का माण ह।ै
इस अंक म क कण रेल क नई प रयोजना- रेल िव तु ीकरण, ननै ो िव ान और ौ ोिगक जैसे तकनीक
लेख के साथ राजभाषा चार- सार सबं धं ी, पयटन और वा य सबं ि धत लेख भी शािमल िकए गए ह।
गहृ मं ालय के िडिजटलीकरण क नीित के अनसु रण म यह अंक ई-पि का के प म कािशत िकया जा
रहा ह।ै आशा है िक आप इसका स दयता से वीकार करगे।

यह भी उ लेखनीय है िक पाठक के सहयोग के िबना कोई भी पि का सफल नह हो सकती। आपका
मागदशन इस पि का के िलए नए आयाम थािपत कर सकता ह,ै आप अपने िन प िवचार, सझु ाव हम िनयिमत प
से िभजवाते रह और अपना रचना मक सहयोग भी दान करते रह। इससे हम भिव य म आपक िच के अनु प
अिभनव अंक कािशत कर सकगे ।

क कण ग रमा के पाठक बढ़ाने के उ े य से इस अकं म ‘ -मंच’ शािमल िकया गया है । इसम इस अकं
क रचनाओं से सबं ि धत पछू े गए ह । इसके िवजेताओं को परु कृ त भी िकया जा सकता है । उ मीद है िक
आपको यह अकं बेहद पसंद आएगा । आपक िति या क हम ती ा रहगे ी।
म आशा करता हँ िक हम अपने अ य काय के साथ-साथ, िजस तरह से िहदं ी का योग बढ़ा रहे ह, उसे परू ी त परता
से िनरंतर जारी रखगे ।
शभु कामनाओं के साथ,

(डॉ. दीपक ि पाठी)
मु य राजभाषा अिधकारी
क कण रेलवे कॉप रेशन िलिमटेड

2

अकं - 19 माच, 2022

सपं ादक य

''क कण ग रमा'' का 19वां अंक बु पाठक के स मुख ततु करते हए मझु े अ यतं आनंद क
अनभु िू त हो रही ह।ै ''क कण ग रमा'' के इस अकं म क कण रेलवे के रचनाकार क तकनीक और
सािहि यक रचनाओं को शािमल करते हए राजभाषा िवभाग के मानदडं के अनु प तथा पठनीयता
को भी बरकरार रखने का हर सभं व यास िकया गया ह।ै आशा है िक हमारा यह यास आपको
पसंद आएगा।

क कण रेलवे म प रचालन,प रयोजना और ाहक सतं िु काय के साथ-साथ िहंदी के सार म भी अ णी भिू मका
िनभाते हए मु यालय और सभी अधीन थ कायालय म िहदं ी क गितिविधयां हष लास के साथ कायाि वत क जा रही ह
और अिधकािधक उपलि धयां हािसल क जा रही ह। इसके साथ ''क कण ग रमा'' का िनरंतर काशन भी एक मह वपणू
उपलि ध ह।ै इस उपलि ध के िलए हमारे उ च अिधका रय को हािदक आभार िजनक ेरणा और ो साहन से हम इस काय
को लगातार द ता के साथ आगे बढ़ा रहे ह। अ य काय क तरह हमारे सभी साथी ''क कण ग रमा'' का काशन काय
त परता और ाथिमकता के साथ कर रहे ह इसके िलए सपं ादक य टीम का म बहत आभारी हँ ।

क कण रेलवे के साथ परू े दशे म राजभाषा-िहदं ी क गित म हमारा योगदान रह,े इसी उ े य को यान म रखते हए
हमने इस अकं क साम ी िविवधतापणू सं िहत करने का यास िकया ह।ै इस अकं म िहंदी के ानवधन हते -ु महारा म
िह दी भाषा का सार, िह दी िवकास क भाषा, योजनमलू क िह दी, तकनीक लेख- ननै ो िव ान और ौ ोिगक , क कण
रेल क नई प रयोजना: रेल िव ुतीकरण, क कण रेलवे पर कायाि वत राजभाषा गितिविधय क झलिकया,ँ नेपाल रेल
िश ण के पल,पयटन और वा य सबं धं ी ानवधक लेख को सि मिलत िकया गया है। इन साम ी से यह अंक रोचक,
पठनीय और उपयोगी बनाने का हर सभं व यास िकया ह।ै उ मीद है िक सभी लखे और अ य रचनाए,ं साम ी आपको अव य
पसंद आएगी ।

''क कण ग रमा'' आपक अपनी पि का है। क कण रेलवे के तथा अ य प रवारजन एवं सभी पाठक से हमारा
आ ह है िक इस पि का म कािशत लखे , रचनाओं अ य साम ी आिद के बारे म अपनी िट पिणयां एवं िति याओं से हम
अव य अवगत कराएं, िजससे िक हम आपक िच के अनसु ार पि का कािशत कर सके । आशा है िक आपक पि का क
िवकास या ा म आप अपना पूरा योगदान दगे।

अतं म यह भी अनुरोध रहगे ा िक ''क कण ग रमा'' का अिधक से अिधक चार- सार िकया जाए, तािक पि का से
अिधकािधक पाठक जुड़ सके ।

-संपादक

3

अंक - 19 माच, 2022

महारा म िह दी भाषा का सार

- सदानदं िचतले

राजभाषा अिधकारी, क कण रले वे

जो है बहत क मातभृ ाषा, अथात िह दी भाषी देश म ि थत ह । काशी, याग,

जो है संपक क भाषा, मथुरा, वृ दावन, ह र ार, ऋिषके श, कै लाश, बदरीनाथ,
जो है कामकाज क भाषा, अयो या आिद तीथ े म महारा क जनता बार-बार
जाती रही। आिदकाल तथा म यकाल म आवागमन क
वह है िह दी भाषा। त सिु वधा और साधन क िवपुलता न होने से या ा म
िह दी भाषा है यारी, सामा यतः महीन लग जाते थे। िह दी भाषी देश म रहने
सलभता से है सबको यारी, के कारण दैनंिदन यवहार के िलए वभावतः वहाँ क भाषा
िजसका िकया संिवधान ने स मान,
वह है हम राजभाषा माण।

को जान लेना तीथ याि य के िलए अिनवाय साधन था।

14 िसतंबर,1949 को संिवधान सभा म िह दी को महारा के अनेक साधु स त उ री भारत क या ा पर गए।

राजभाषा के प म अपनाया गया। तब से पूरे भारत म िह दी नामदेव, एकनाथ, रामदास, गुलाबराव महाराज आिद

का राजभाषा के प म चार- सार िकया जा रहा है। भारत स त क या ाओंके िव तार सिहत वणन िमलते ह। िह दी

के रा ीयता और अखंडता को अबािधत करने के िलए भाषी दशे के साधु स त के साथ उनके जो िवचार

एक भाषा का िवकास एवं िव तार आव यक है और िह दी िविनमय होते थे उसके िलए उनक भाषा िह दी के ,

भाषा म यह शि िव मान ह।ै हालांिक संपक भाषा के प अित र दसू री कौन-सी भाषा हो सकती थी। इन स त के
म िह दी पूरे भारत म कई शताि दय से कायरत थी। आइए जो िह दी पद िमलते ह उनसे प होता है िक उ ह ने िह दी

आज दखे ते ह महारा म िह दी भाषा का सार कब से भाषा-भाषी अथवा मराठीतर भाषी समाज को अपने धम

और िकस कार से हआ । िस ा त एवं िवचार को समझने के िलए सव सुलभ िह दी

ऐितहािसक संदभ, समकालीन िववरण एवं अनुसंधान म भाषा का योग करना उिचत माना था।

उपल ध साम ी से प होता है िक िह दीतर भाषी देश इसी कार दि ण भारत म ि थत रामे र, ी शैलेम,

म िविवध तर पर ाचीन काल से ही िह दी भाषा का क याकु मारी, ित पित, पंढरपरु , नािसक, तळु जापुर आिद

चलन होता आया है। मराठी भाषा महारा क अपनी ाचीन एवं िस तीथ े म से अि तम तीन जो महारा

िविश ि थित है जो भारत के उ र एवं दि ण के बीच म ि थत है। दि ण के शेष तीथ थान म ायः महारा से

ि थत ह।ै महारा म िह दी भाषा का वेश अनेक कारण होकर ही जाना पड़ता था। वे लोग जब यहाँ आते थे तो वयं

से हआ िजनम धािमक, यापा रक एवं राजनीितक कारण कु छ सीख जाते और यहाँ के लोग को भी िसखा जाते थे।

मुख रहे ह। उ र भारत के स त एवं भ के दि ण महारा म

धािमक: भारतीय जीवन म धम का अन यसाधारण थान आनेवाल के उ लेख ा ह । इस कार धािमक या ाएँ

या िह दुओंके अिधकांश धािमक तीथ थल उ री भारत म भी िह दी के चार- सार का मा यम रही है ।

4

अंक - 19 माच, 2022

म ययगु ीन भि का आंदोलन सम त भारत वष म अ य त िह दी ही रही थी।
भावकारी रहा है । भि क िविवध शाखा- शाखाओं मराठी संत का िह दी का य महारा के मुख स दाय म
तथा उनके िस ा त का सार सम त भारतवष म हआ था से नाथ एवं महानुभाव स दाय ने अपने िस ात के चार
गो वामी तुलसीदास, सरू दास, कबीर, मीराबाई के पद के िलए मराठी के साथ-साथ िह दी को िवशेष प से
अ य त सरलता के साथ महारा म गाए जाते थे। आज भी अपनाया था। धािमक तीथ थान , धम ंथ एवं धम
उनक रचनाओ ं के ाचीन ह तलेख पया सं या म चारक के मा यम से महारा म िह दी का चलन आज
िमलते ह। महारा के स त नामदेव ने उ र भारत म जाकर भी है। इस कार प है िक महारा म म य देश क भाषा
िह दी म िनगणु भि का ितपादन िकया। संत कबीर का िह दी के चार- सार म धािमक ि थित का अ यंत
महारा म आना त कालीन अिभलेख से प है। मराठी मह वपूण थान रहा ह।ै
स त के का य म कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, यापार: यवहार का साधन यापार है। अपनी जीिवका
मीराबाई क अ य त आदर के साथ शंसा िमलती ह।ै चलाने हेतु िजन अनेक साधन का आ य लेना पड़ता है,
िजससे प होता है िक महारा के संत पर कु छ मा ा म उनम यापार, यवसाय तथा नौकरी मह वपूण ह।ै
िह दी स त का वैचा रक भाव या संभवतः उ ह ने उनक ाचीनकाल से ही भारतवष के िविभ न थान म यापारी
िह दी रचनाएँ पढ़ी भी होगी य िक महारा के लगभग िविवध व तुओंका आदान- दान करते थे। इन यापा रय
सभी संत िह दी जानते थे और उ ह ने िह दी म भी रचनाएँ के दो मुख वग थे, बड़े और छोटे यापारी। बड़े यापा रय
क है। का जनता से उतना संपक नह था िजतना छोटे यापा रय
महारा के सं त ने िह दी स त क भाँित िनगुण और का । उ र भारत म िद ली, आगरा, कानपरु , वाराणसी,
सगुण को अलग प म वीकार नह िकया, अिपतु दोन लखनऊ आिद यापार के मुख के म महारा के
को एक ही पर ह के दो प अथवा अंग मानकर वीकार यापारी उन के म आव यकतानसु ार चीज खरीदने
िकया ह।ै अतः महारा म संत श द िह दी क भाँित के वल अथवा बेचने के िलये जाते थे। महारा म भी यापा रक
िनगणु संत के िलए यु नह होता। उनक ि म के थे। यहाँ दूर-दरू से लोग आते थे िजनम िह दी भाषी
िनगणु ोपासक तथा सगुणोपासक दोन 'संत' ह । भि काल देश के भी होते थे। यहाँ के महाजन भी िह दी देश म
म िनगणु भि क अपे ा सगुण भि क रामभि और जाया करते थे। िविभ न देश के लोग से आपसी यवहार
कृ णभि शाखाओं का िव तार अिधक प म ि गत करने क सुिवधा के िलए ये िह दी भाषा का ही उपयोग
होता है। उनम भी तुलना मक ि से लोकर क राम क करते थे। जो छोटे यापारी थे वे महारा म िविवध व तुएँ
भि क अपे ा लोकरंजक एवं लोकर क के समि वत वयं बेचने आते थे। जब वे महारा के गांव म वहाँ क
गुण से संप न कृ ण क भि का चार सम त भारतवष म जनता से बातचीत करते थे तो िह दी भाषा का ही योग
अ यिधक था। बहभाषी भारतवष म िविवध दशे म या करते थे और ाहक भी िह दी म बोलते थे चाहे िकतनी ही
रामभि और कृ णभि के सािह य क सवजननी भाषा टूटी-फू टी िह दी य न हो।

5

अंक - 19 माच, 2022

समकालीन िववरण से ात होता है िक अनेक िह दी भाषी यापा रक कारण से भी महारा म िह दी भाषा का
यापारी महारा म यापार हते ु आए और अनुकू ल ि थित चलन एवं िवकास हआ ह।ै
दखे कर यहाँ बस गए। वे अपने साथ जो िह दी भाषा ले आए राजनीितक: धािमक तथा यापा रक कारण क भाँित
उनका भाव समीपवत प रवार तथा समाज पर महारा म िह दी भाषा के चार एवं िवकास म राजनीितक
वभावतः पड़ा । महारा के कितपय यापारी िह दी भाषी ि थित का बड़ा हाथ रहा ह।ै इितहास से ात होता है िक
देश के नगर म जाकर बसे, िज ह वहाँ क िह दी भाषा भी भारत के राजनीितक े म महारा का संबंध सदा बना
सीखनी पड़ी। मराठा शासन काल के उ राध म इ दौर, रहा िजसके प रणाम व प उसे िह दी भाषी दशे के
धार, देवास, वािलयर आिद िह दी भाषी े म मराठी के शासन क भाषा को आ मसात करना पड़ा। दि ण म
रा य सं थान का िनमाण हआ। प रणाम व प महारा जानेवाले आय अपने साथ म य देश क िह दी भाषा ले
का िह दी देश से संबंध अिधक घिन होता गया। कई गए थे जो धीरे धीरे वहाँ भी आपसी यवहार क भाषा बन
मराठी राजवंश इ ह िह दी भाषी दशे म बसे और चुक थी। सन 1229 ईसव म चालु य राजा सीमे र ारा
यावहा रकता क ि से उ ह ने िह दी भाषा का योग एवं िलिखत 'अिभलािषताथ िचंतामिण' म देश भाषा के जो
संवधन िकया। उदाहरण िदए गए ह उसम िह दी का उदाहरण भी ह। इससे
प होता है िक मुि लम शासन के पूव ही महारा म िह दी
िह दी भाषा देश म ि थत िसंिधया, होलकर आिद सरदार भाषा का चलन था। तुक के अिभयान से पूव महारा म
के पास मनोरंजन करने वाली कु छ यावसाियक नाटक जो िह दी उपल ध होती है उसम शौरसेनी अप ंश,
मंडिलयाँ तथा कलाकार याजन क इ छा से ायः जाया जभाषा तथा ाचीन महारा ी का िम ण िमलता है। सन
करते थे। वह उ ह मराठी के अित र िह दी म भी अपनी 1294 ईसव म आए िखलजी ने महारा क राजधानी
कला क अिभ यि करनी पड़ती थी। मराठ क सेना म देविगरी पर आ मण कर वहाँ के राजा रामदेवराय को
मराठ के अित र अरब, मुसलमान तथा िह दी भाषी परािजत िकया। उसके बाद तीन बार उसने आ मण िकया
लोग भी बहत सं या म नौकरी करते थे । उनके संपक म और अंत म अपना अिधप य जमा िलया। शासन यव था
आनेवाले लोग को उनके साथ िह दी म बोलना पड़ता था । के िलए उसने जो अिधकारी िनयु िकए थे उनक भाषा
मराठीतर भाषी लोग के मनोरंजन हते ु यावसाियक िह दी ही थी। उनके संपक म यहां क जनता जाती रही।
मंडिलयाँ अपने काय म को कभी-कभी िह दी म तुत 14व शता दी म मुह मद तुगलक ने अपनी राजधानी
करती थी। महारा म पेशवाओं के समय दशहरा, िद ली से महारा म देविगरी को थानांत रत करने का
दीपावली तथा अ य पव पर संगीत के जो काय म रखे िनणय िलया, फल व प कई िह दी भाषी, प रवार,
जाते, ये उनम तराजा, रेखता, क वाली तथा शा ीय कमचारी, सैिनक आिद को महारा म आना पड़ा। बाद म
संगीत क राग-रािगिनय से यु िह दी पद भी गाये जाते थे, य िप इनम से अिधकांश लोग को िद ली लौटना पड़ा,
िज ह यहाँ क जनता अ यंत िच से सनु ती थी। इस कार िफर भी कितपय प रवार रह गए थे। मुसलमान के संसग म

6

अंक - 19 माच, 2022

तुक शासन के पूव चिलत िह दी म अरबी, फारसी श द औरंगजेब क मृ यु के पूव मुगल का महारा म बार-बार
का अिधक योग होने लगा। आगमन होता था, पर तु उसके प ात मराठ म एक
मुि लम शासक जाफर खां ारा थािपत ा हनी रा य से अभूतपवू नयी शि का उदय हआ। प रणाम व प मराठा
यहाँ मु लीम शासक ि थर हो गए थे । उसके िवके ीकरण रा य क सीमा उ र म बहत दरू तक िव तृत हो गई। अब
के प ात बीजापुर क आिदलशाही, अहमदनगर क उ र भारत के अिभयान के िलए तथा अ य राजनीितक
िनजामशाही म मराठा सरदार क सं या अिधक थी। अतः कारण से मराठा शासक , सरदार , सैिनक और अ य
मुसलमान सुलतान का महारा क जनता से घिन संपक कमचा रय का आवागमन शु हआ। बार-बार िह दी
होने लगा और नौकरी पाने, पदो नित करने या अपना थान भाषी दशे म आनेवाले तथा वहाँ िनवास करने से ितिदन
बनाए रखने के िलए महारा के मराठा सरदार ने के यवहार क सुगमता के िलए मराठ को िह दी जानना
वभावतः मुसलमान शासक क िह दी भाषा को हण अिनवाय हो गया ।
िकया। बीजापरु के सुलतान इ ािहम आिदलशाह तो वयं मुगल शासन क राजभाषा िह दी थी। आगरा, िद ली म
िह दी म किवता िलखते थे। उ ह ने 'नवरस' नाम के ंथ क इनक राजधानी रहने से वहाँ क िह दी का वाभािवक प
रचना क और अपने दरबार म अनेक िह दी किवय को से िवकास हआ। शासन यव था तथा अ य राजनीितक

आ य िदया। कामकाज के िनिम मराठा शासक तथा पेशवाओ ं को
मराठी रा य के सं थापक छ पित िशवाजी महाराज के िह दी म प ाचार करना पड़ता था। मराठा शासक ारा
िपता शाहजी महाराज ने सं कृ त थ के िह दी म अनुवाद िह दी म ेिषत प क सं या भी िवपुल मा ा म उपल ध
कराने क मह वपूण योजना बनाई थी। उनके आि त संकर होती है। इससे प है िक मराठा दरबार म िह दी प ाचार
सुकिव ने भानुद िम क 'रसमंजरी' का िह दी म अनुवाद करने तथा समझने क मता रखनेवाले दभु ाषी यि य
को िह दी सीखनी थी। इस कार अं ेजी शासन के पवू तक
तुत िकया था। आर भ म किव ने अनुवाद क शासक य महारा के िह दी के सार एवं िवकास म राजनीितक तर
भूिमका प करते हए कहा ह-ै पर भी मह वपूण योगदान रहा है। अं ेजी शासन तथा
"साहभूप आयसु दयो, संकर किव को आजु । वातं यो र काल म यह काय और अिधक सिु नयोिजत
सरमंिजरी भाषा करौ, चले जगत को काजु" ॥
संभवतः इसी प म िह दी का मह व जानकर अ य किवय प म होने लगा ।
ने भी िह दी भाषा के किवय को भी थान देना ारंभ िकया इस कार महारा म िह दी का चार धािमक, यापा रक
था। महारा के मराठा शासक के दरबार म आचाय और राजनीितक कारण से कई सिदय से होता आ रहा है
और आज भी कई अिधक मा ा म हो रहा है।
िचंतामिण महाकिव भूषण, मितराम, लोकमिण िम ,
सीताराम महापा , संकर, सुकिव, किव कलश, जयराम
आिद किवय को स मान सिहत थान िमला था।

भारतीय भाषाएँ निदयां ह और िहदं ी महानदी ।
- रिवं नाथ टैगोर

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अकं - 19 माच, 2022

माँ

- सतं ोष कु मार झा
िनदेशक (प रचालन एवं वािण य)

आप दिु नया क िकतनी बड़ी भी परेशानी म ह
माँ का यह कहना िक सब ठीक हो जाएगा एक जादू कर देता है ।

आप िकसी भी उ के ह माँ का सर पे हाथ फे रना
िजतना सुकू न दते ा है उतना कोई भी मसाज पालर नह दे सकता है ।

जब भी कोई डर, दद, बेचैनी या अके लापन हो माँ के पास बैठ कर मन क बात
कह देने से जो शांित िमलती है

वो िकसी मेिडटेशन से हािसल नह हो सकती है ।

आिखर या जादू होता है माँ के पास
िक आपका हर दुख दूर कर देती है माँ िसफ एक यार क थाप से,

और अपनी वाणी से आ त कर देती है िक कोई भी िवपि आपका कु छ भी
नह कर सकती है ।

माँ क गोद दिु नया क सबसे सुरि त जगह य मालमू होती है

माँ का आशीवाद और उसके आँचल क छाँव
िवपदा क कड़ी धूप म आपको सदवै सरु ि त रखती है।

िफर या होता है िक हम दुिनया क सबसे महफ़ू ज़ जगह छोड़कर कह और
आिशयाना बसा लेते ह

और दिु नया क हर मसु ीबत को अनजाने म अपने पास बुला लेते ह ।

ई र ने माँ को बेवजह तो नह बनाया होगा
िनः वाथ ेम का एक पुतला बनाया होगा

अपना ितिनिध बनाकर
उसे हर घर म बसाया होगा ।

तािक ेम का पहला संदेश हर घर म माँ से शु हो
और माँ के ेम के असीिमत िव तार से यह दुिनया भरी पुरी रहे

मगर इ सान इस ेम क मूित को घर म नह रखता है
और दिु नया क तमाम मसु ीबत को सहता है ।

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अकं - 19 माच, 2022

िहदं ी िवकास क भाषा - सतीश एकनाथ धुरी
किन अनवु ादक, क कण रेलवे

हम सब जानते ह िक भारत म 14 िसतंबर को िहंदी िदवस के ह, िजनसे राजभाषा क सं ेषणीयता म अड़चन आती है।

प म मनाया जाता ह।ै भारत म राजभाषा के ित लोग के िजस साम ी म पा रभािषक श दावली क भरमार हो, वह

दय म एक सश भाषा- ि िवकिसत करने म िहदं ी सामा य पाठक समाज के िलए मुि कल उ प न करती ह।ै

िदवस का आयोजन काफ उपयोगी िस हआ है। इससे पूरे ऐसे म राजभाषा िहदं ी, चाहे वह शासन क भाषा हो,

देश और समाज म िहंदी बड़े पैमाने पर वीकार क गई है। िव ान क हो, िव ीय े क हो, या राज व क , कृ ि म

अब यह मा शासन और िश ा क भाषा नह ह।ै बि क भाषा क ेणी म िगनी जाती है। पर यह देखा गया है िक

अब यह िव ान, ौ ोिगक , इंजीिनय रंग, तकनीक और सािहि यक िबरादरी के लोग राजभाषा िहंदी को वीकार

र ा े क भाषा हो गई है। िव और कारोबार के े म करने को तैयार नह ह। इस संदभ म यह कहना बहत ज री

भी िहंदी ने अपनी जड़ मजबूत क ह। कु छ समय पहले, जब है िक सािहि यक भाषा का रचना मक सौ व राजभाषा

राजभाषा िहंदी अं ेजी के पीछे चल रही थी, परंतु िहंदी िहंदी को ा नह हो सकता। इसका मतलब यह नह है िक

अपने वै ािनकता के कारण कालांतर म अं ेजी के राजभाषा िहंदी कृ ि म भाषा का नमनू ा पेश कर रही है।

समक आ गई और आज यह अं ेजी से भी आगे चल रही उसक असं ेषणीयता उसम यापक पैमाने पर यु

है। इतना ही नह , भाषा के ित हमारा नज रया भी बदल पा रभािषक श द के कारण है।

गया है। पहले हमारा यही मानना था िक अं ेजी का कोई वातं यो र भारत म राजभाषा िहदं ी के काया वयन का
दसू रा िवक प नह है पर आज यह ि थित नह है। इसे पसठ-िछयासठ वष का इितहास ह।ै कई कार क
राजभाषा िहदं ी का इि छत िवकास कहा जा सकता है, किठनाइय को पार कर राजभाषा िहंदी ने अपना एक
िजसके िलए िहंदी भाषी लोग क तरह िहदं ीतर देश के इि छत व प ा िकया है। अलग-अलग देश के
लोग क भी मह वपूण भिू मका है। अलग-अलग कायालय म िहंदी िदवस को अनु ािनक या
अनूिदत भाषा क सीमाएं होने के कारण अ सर यह सुनने औपचा रक ढंग से मनाया जाता है। अथात, उस भाषा के

म आता है िक राजभाषा िहंदी का भािषक व प ीित द ित िकसी के मन म आ था जागृत होती नह है। लेिकन हर

नह ह।ै एक सफल अनुवादक अपने अनुवाद कला का जगह ऐसा नह है। इसके बावजूद राजभाषा िहदं ी क

सव कृ दशन कर िकसी भी सािहि यक रचना का ऐसा ो नित अव य हई है। िहंदी का एक नया प सामने आया

अनुवाद तुत कर सकता है िक लगेगा नह िक वह ह।ै उसे अिधकािधक सं ेषणीय बनाने के कई यास िकए

अनुवाद है। अ छा अनुवाद एक कार से अनुसृजन ही ह।ै जा रहे ह। इस तरह िहंदी का यह नया प भारत क मु य

मगर राजभाषा के अनुवाद के करण म यह पूरी तरह से भाषा के प म उसे थान िदलाने म मदद पहंचा रहा है।

संभव नह है। उसम मामूली भाषा म यु होने वाले श द शु आत म िहंदी िदवस से जड़ु े कई काय म सांिवधािनक

के अलावा कई पा रभािषक श द के भी योग होते रहते आपूित हते ु चलाए जाते थे। लेिकन आज हालात बदल गए

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अकं - 19 माच, 2022

ह। राजभाषा के सुगम योग के िलए बनाए गए ौ ोिगक म हो, तो उस दशे क मु य भाषा को अनदखे ी करना
औजार खासतौर पर कािबल-ए-तारीफ ह। मुि कल है। मतलब यही िक देश के िवकास के साथ अपनी
भाषा का भी मह व है। िवकास चाहे ौ ोिगक े का हो,
िहदं ी के अनुवाद काय को सुगम बनाने के िलए कई या यावसाियक े का हो लोबल ड म भाषा वेश कर
सॉ टवेयर आजकल उपल ध ह, िजनके ज रये िहंदी का जाती है। पूंजी-िनवेश के अनुपात म भाषा के उपयोग का
के वल अनुवाद ही नह , बि क पहले जो साम ी अं ेजी म अनुपात बढ़ता है। इसिलए िहंदी का िवकास भारत के
उपल ध थी उसक जगह अब िहंदी का वच व अनुभव अपने िवकास पर िनभर है। वैि क बाजार म अगर भारत
िकया जा सकता ह।ै िहंदी क वेबसाइट के उपभो ाओंक क भूिमका बढ़ेगी, तो िनि त प से िहंदी का दायरा भी
सं या म अभूतपूव विृ हई है। िहंदी आम आदमी क बढ़ेगा। इस तरह हम अं ेजी के दबाव से मु हो सकते ह।
भाषा के प म देश क एकता का सू है। सभी भारतीय
भाषाओंक बड़ी बहन होने के नाते िहंदी िविभ न भाषाओं आज क तारीख म राजभाषा िहंदी का दायरा काफ़
के उपयोगी और चिलत श द को अपने म समािहत अिधक बढ़ गया है। िहंदी ौ ोिगक , वैि क माकिटंग
करके सही मायन म भारत क संपक भाषा होने क भूिमका तकनीक और अंतररा ीय रलेशन क भाषा बन चुक है।
िनभा रही है। िहंदी जन-आंदोलन क भी भाषा रही है। िहदं ी इसे और तेज गित से आगे ले जाना अ यंत आव यक है।
के मह व को गु देव रवी नाथ टैगोर ने बड़े सुंदर प म िहदं ी राजभाषा से िनकल कर एक वैि क भाषा म
प रवितत हो रही है। यह िवकास क भाषा के प म भी
ततु िकया था। उ ह ने कहा था, 'भारतीय भाषाएं निदयां उभर रही है। इसके िलए हम सभी को स मता और भाषायी
ह और िहंदी महानदी'। िहदं ी के इसी मह व को देखते हए संक णताओं से आज़ाद होकर देश क अ य भाषाओंको
तकनीक कं पिनयां इस भाषा को बढ़ावा देने क कोिशश िवकिसत करने के िलए यास करने ह गे।
कर रही ह। यह खुशी क बात है िक सूचना ौ ोिगक म
िह दी का इ तेमाल बढ़ रहा है। आज वै ीकरण के दौर म, िहदं ी के बढ़ते भाव को देखते हए आजकल इसका
िहदं ी िव तर पर एक भावशाली भाषा बनकर यापारीकरण भी हो रहा है। मुझे याद है िक कु छ साल पहले
उभरी है । आज पूरी दुिनया म लगभग 175 से अिधक अिधकतर यूज चैनल अं ेजी म सा रत होते थे परंतु िजस
िव िव ालय म िह दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ान- कार िहंदी भाषा िव तरीय भाषा बन रही है इसे देख कु छ
िव ान क पु तक बड़े पैमाने पर िहंदी म िलखी जा रही ह।ै चतुर यापा रय ारा ि ंट और इले ॉिन स मीिडया भी
सोशल मीिडया और संचार मा यम म िहंदी का योग िहंदी म अपने सं करण िनकाल रही है और पहले से भी
िनरंतर बढ़ रहा ह।ै अिधक मुनाफा अिजत कर रही है। परंतु खेद इस बात का है
िक जब िहंदी को खुलकर समथन दने े क बात आती है तो
िकसी भी दशे के िवकास म भाषा का योगदान बहत बड़ा पीछे हट जाते ह ।
होता है और इसे नकारा नह जा सकता है। यिद सही िदशा

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अकं - 19 माच, 2022

िहंदी को भाषा क जननी, सािह य क ग रमा, जन-जन क नह है। इसका कारण यह है िक हम राजभाषा के उस सीिमत
भाषा और रा भाषा भी कहते ह। ऐसे म यह कहना गलत वृ से ऊपर आ चकु े ह। इस भाषा के ज रये हम अपने देश
नह होगा िक िहदं ी भिव य क भाषा है। हां, एक बात ज र को आगे ले चलना है। इसे जीवंत भाषा के प म बदलने के
है िक हम इस भाषा का योग वा तिवक जीवन म ज र िलए राजभाषा काया वयन क िविधयां अपया ह।
करते है और यह रोजगार क भाषा के प म भी तेजी से
िवकिसत हो रही ह।ै इससे यह जािहर नह होता िक िहदं ी येक कायालय, उप म, शोध सं थान तथा िव ीय
भाषा िवकास क ओर बढ़ रही ह।ै उपरो म कई ऐसे त य सं थान म राजभाषा िहंदी का योग िदल से करना होगा।
ह, जो पणू प से सािबत करते ह िक िह दी का िवकास िहंदी भाषा को के वल शासिनक काय तक सीिमत न रखते
िकतनी तेजी से हआ है। हमारे देश के रा पित और हए इसका उपयोग तकनीक काय म भी अिधक मा ा म
धानमं ी अपना बधाई संदेश िहंदी म सा रत करते ह िकया गया तो इसका लाभ सभी तर के किमय को होगा
य िक िहदं ी भाषा अपन व का बोध कराती है। नई-ऩई इसम कोई दो राय नह । इसके साथ ही सभी कार क
तकनीक म भी अब िहंदी भाषा का योग खुल कर िकया िश ण साम ी यिद िहदं ी म अनुिदत क गई तो िवषय को
जा रहा ह। कई मोबाइल कं पिनय ने अपने हडसेट्स म समझने म आसानी भी होगी। इसके िलए हर िवभाग ने आगे
भारतीय भाषाओंको भी शािमल करना शु कर िदया है । आकर इस काय को पूरा करना आव यक है।
यह इस बात क ओर इशारा करता है िक भारतीय
जनमानस म िहंदी भाषा का िकतना वच व है । यहां तक क अंत म म के वल इतना ही कहना चाहंगा िक भाषा वही
सारे िडिजटल मा यम म िहंदी क पहचं बढ़ी है । चाहे वह जीिवत रहती है िजसका योग आम लोग ारा िकया
बक एटीएम हो या िकसी सरकारी या गैर-सरकारी फम या जाता है। भारत म सभी े के लोग के बीच संवाद का
अ य सारे मा यम म िहदं ी का िवकास तेजी से हो रहा है। सबसे बेहतर मा यम िह दी है। भारत का कोई भी रा य हो
भिव य म िहंदी का वच व कम से कम दि ण एिशया के आज िहंदी सभी तर के लोग समझते ह । भाषा वाद से
उपर उठकर हम इस बात को भी समझना चािहए िक िहदं ी
े म तो अव य ही रहगे ा और इसका कारण है बहत बड़े िकसी िविश ांत एवं समुदाय क भाषा नह है बि क यह
वग का िहंदी भाषा जानना। िहदं ी भाषा क मह ा का पूरे िहंदु थान क भाषा है और इसके सार से पूरे दशे म
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है िक िव क एकता क भावना और मजबूत होगी। जब िहंदी के िवकास
शीषतम सॉ टवेयर कं पनी माइ ोसॉ ट ने अपने उ पाद एवं उ नित क बात करते है तो हम सभी का यह
को िहंदी म बनाना भी शु िकया है। उ रदािय व बनता है िक इस वै ािनक भाषा को खुल कर
अपनाकर िहंदी को राजभाषा से रा भाषा बनाने म अपना
िव िहंदी िदवस के इस अवसर पर यह कहना अनुिचत सकारा मक योगदान दान कर।
नह िक राजभाषा के काया वयन के िलए िकए जाने वाले
कई काय म बहत पुराने पड़ गए ह। इनक ासंिगकता

िहदं ी भाषा एक ऐसी सावजिनक भाषा है, िजसे िबना भेद -भाव येक भारतीय हण कर सकता है ।
मदन मोहन मालवीय

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अंक - 19 माच, 2022

नैनो िव ान और ौ ोिगक

- ि या पोकले
किन अनवु ादक, क कण रले वे

नैनो िकतना बड़ा होता है या िकतना छोटा। इसे जानने के सवािधक चिचत नैनो श द ीक भाषा क उ पि है ।

िलए हम इसक शु आत नैनो के इितहास से करते ह। िजसका अथ है 'िठगना' या 'नाटा'। इस तकनीक के मा यम

आरंभ से ही सू म का अ ययन मानवीय उ सकु ता के के से काबन को वाि पत कर उसे सि य गैस म संघिनत करके

म रहा ह।ै हमारे पुराने ंथ म पदाथ िव ान और सू मता उसके ि टल बनाए जा सकते ह तथा काबन क

का वणन िमलता है । लगभग 3000 वष पूव रिचत अितसू म निलकाएं, गोले, खोल बफ के फाहे और अ य

ेता तरोपिनषद् म ा ड के सबसे छोटे कण के माप का उपयोगी सू म कण का बनाया जाना स भव हआ है। इस

वणन िमलता ह।ै िविध से उ पािदत सू म कण का उपयोग कसर क नई

दवाओं के साथ ही अ य रोग के उपचार म िकया जा

के शा शतभाग य शतांशः सा शा मकः। सकता है।

जीवः सू म व पोयं सं यातीतो ही िच कणः।। नैनो िव ान और ौ ोिगक का मूल आधार

यिद के श के अ भाग को सौ भाग म िवभािजत िकया जाए थूल पदाथ को लघुकृ त कर जब अ य त सू म ि थित म
और येक भाग को और सौ भाग म िवभािजत िकया पहंचा िदया जाता है तब इसके गुणधम म ाि तकारी
जाए, तब शेष बचा हआ भाग ा ड का सू माितसू म प रवतन आ जाता है। पदाथ के सू मीकरण ि या से
भाग होगा। ा एक िनधा रत आकार वाले कण को नैनो कण या नैनो
यह उ लेखनीय है िक उपयु विणत ा ड के त व कहते ह। नैनो प म सू मीकृ त इन पदािथय कण म
सू माितसू म भाग का मापन नैनो के समतु य होता है। आने वाले िवशेष गुण ही इस नई ाि तकारी िव ान और
वै ािनक ने हमेशा ही अपनी सहज शोध विृ और ौ ोिगक का मूल आधार ह।ै
अनवरत ि याशीलता के ारा कृ ित म िछपे बसे गुण एवं नैनो िव ान और ौ ोिगक क क याणकारी खोज
िवशेषताओं को मानव िहतकारी प म ढालकर समाज नैनो िव ान से उपजी तकनीक ने पेयजल, ऊजा, कृ िष,
को परोसा है। इसी सहज वै ािनक ि याशीलता और संचार एवं िव यापी दूषण क सम या के साथ ही कसर
शोधीय विृ के चलते महान वै ािनक रचड िथनमैन ने तथा ऐसी अ य जानलेवा बीमा रय के िनवारण के िलए
नोबेल पुर कार ाि के समय आज से साढ़े चार दशक से िव वािसय को नया पैके ज िदया है। इस ाि तकारी
भी पवू 29 िदस बर, 1959 म अपने त कालीन भाषण से िव ान और ौ ोिगक ारा आिव कृ त िविभ न े म
नैनो िव ान क भावी स भावनाओं को प प से यु हो रहे भावकारी साधन म से कु छ के िववरण इस
रेखांिकत िकया था। आज वै ािनक के यास के चलते कार हः-
िथनमैन क वह सोच उ रो र ठोस वा तिवकताओं के कसर जैसे लाइलाज रोग के िनवारण म नैनो िव ान क
भूिमका- नैनो तकनीक क उपयोिगताओंपर काम कर रहे
प म सामने आ रही ह।ै जमनी ि थत 'मै स लांक' सं थान के वै ािनक ने ' वांटम
वतमान समय म िव ान और ौ ोिगक य शोध के े म

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अकं - 19 माच, 2022

डाट्स' बनाया ह।ै इसी कार अमे रका के 'कानल और सुई लगा सकगे। िचिक सक इस तकनीक से दवा को
िव िव ालय' के वै ािनक ने 'कानल डाट्स' का िनमाण सीधे शरीर के ण भाग पर पहँचाने म स म ह गे। इस
िकया है। चु बक य पदाथ के वण आवरण से ढके ये तकनीक से सबसे बड़ा फायदा यह होगा िक व थ
यूिब दुचु बक य घणू न मताओंसे यु होते ह। अवयव को कोई नुकसान नह पहचँ ेगा और वह परू ी तरह
शरीर के िकसी भी भाग के कसर त होने पर वहाँ क कु छ सुरि त रह सकगी।
कोिशकाएं अिनयंि त प से बढ़ने लगती ह। कसर के रोगी रोग िनरोधक व - वै ािनक ने नैनो तकनीक के सहयोग
ारा हण िकए जाने वाले भोजन का अिधकतम भाग से ऐसे धाग का िनमाण कर िलया है िजनसे बने व कई
कसर वाली कोिशकाओंके पोषण म ही खच हो जाता है। ये तरह के रोग के िनवारण के स म ह गे। इन व से बुखार,
कसर त कोिशकाएं भोजन से बनने वाली ऊजा एवं मधुमेह, दद, मानिसक तनाव सिहत कई तरह क शारी रक
पोषक त व को बहत तेजी से अपनी ओर ख च लेती है। और मानिसक यािधय को िनयंि त िकया जा सके गा।
अतः रोिगय ारा हण िकए जाने वाले भोजन एवं पोषक िसरेिमक पदाथ के इंजन- सामा यतया मोटर वाहन
त व के साथ िकसी भी दवा को आसानी से इन तक और जेनरेटर सिहत अ य सभी कार के का ट आयरन या
पहँचाया जा सकता ह।ै िम धातुओंसे बनाए जाते ह। ऊजा उ प न करने के िलए
जब इन इंजन म पे ोल या डीजल का दहन होता है तब यहां
अि थ िचिक सा म नैनो िव ान-जैव संवेदी नैनो िव ान बहत ऊँ चे तापमान और गैस का उ पादन होता है। ये गैस
के े म काम कर रहे नॉथ वे टन िव िव ालय के भारी दबाव से िप टन से उ प न ऊजा से ही वाहन और
डॉ. सैम टप और उनक टीम ने वयं जड़ु ने वाली एक ऐसी इंजन को चलाने का काम करती ह। पे ोल-डीजल के दहन
कृ ि म नैनो हड्डी का िनमाण िकया है जो एक बार आकार से उ प न ऐसी गैस अ यिधक सं ारक होती है। इन
पा लेने पर असली हड्डी क तरह मजबूत हो जाती है। इस सं ारक गैस के साथ ही भारी दाब और उ च ताप को
कृ ि म नैनो हड्डी से टूटी हड्िडय को जोड़ने के साथ ही धातुओंके बने इंजन म िप टन और िसले डर के अ द नी
हड्डीजिनत िवकृ ितय को भी दरू िकया जा सकता है। िह स म तेजी से िघसावट होती है, िजससे इंजन से
नैनो रोबोट- नैनो वै ािनक ने पिसल से बनने वाले िब दु धातुओंके बारीक कण से यु िवषा गैस उ सिजत होती
से भी करोड़ गुना छोटे ऐसे रोबोट बनाने म सफलता पाई है ह, जो वातावरण म िवषकारी, दषू णीय भाव भी छोड़ती
िजससे कसर रोधी दवा के कोशक य घटना म क स पूण ह। आज स पूण िव वासी वाहनीय दषू ण से त ह।
ि याओं को चलिच क भाँित िदखाने म सफल रहे ह। ल बे समय से वै ािनक इस बात के िलए यासरत ह िक ये
आने वाले िदन म नैनो वै ािनक नैनो कण से बने इस इजं न सं ारक- ितरोधी पदाथ से बनने लगे। इससे जहाँ
कार के सू म रोबोट के ारा कसर फै लाने वाली इजं न क आय बढ़ जाएगी वह दषू णकारी िवषा त व
कोिशकाओं को खोज कर न करने म परू ी तरह स म के उ सजन म भी भारी कमी होगी। आधिु नक नैनो
होकर कसर पर लगाम लगा सकगे। वै ािनक ने इस सम या का समाधान िसरेिमक नैनो कण
वै ािनक ऐसे नैनो रोबोट के िनमाण के बहत िनकट ह जो
िकसी बीमार कोिशका तक पहँच कर उसे दवाई का टीका

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अकं - 19 माच, 2022

बना कर तुत कर िदया है। नैनो कण आकार म पहँच कर ऐसी बैटरी का िनमाण स भव है, जो आज काम कर रही
ये िसरेिमक पदाथ धातुओं क तरह आघात सहने और बैट रय क अपे ा अिधक समय तक काम कर सकने
फै लने वाले गुण के धारक बन जाते ह। वाली, अिधक िबजली देने वाली ह क और कारगर
धातुओंके नैनोकरण से लाभकारी फल-ताँबे को थूल होगी।
इस िदशा म काम कर रहे नैनो वै ािनक िलिथयम बैटरी
प क तुलना म 50 नैनोमीटर तक लघुकृ त करने पर इले ोड पर शोधरत ह। इससे ऊजा के अिधक समय तक
इसक मजबूती दोगनु ी हो जाती है, इसी म म यिद ताँबे के भ डारण का माग श त होगा।
थूल आकार को 6 नैनोमीटर तक लघुकृ त िकया जाता है, वतमान समय म िव ान और ौ ोिगक य शोध के े म
तो उसक मजबूती पाँच गुनी बढ़ जाती है। नैनो िव ान एवं ौ ोिगक क सवािधक चचा है। ऐसा
उ ेरक गुण से स प न रेिडयम और लैिटनम जैसी धातुएँ अनुमान है िक आगामी डेढ़-दो दशक म महान वै ािनक
जब नैनो आकार म लघुकृ त होती ह तब उनक उ ेरक य िचंतक िथनमैन ारा संके ितक िव ान क यह उपयोगी
शाखा जब अपने चरम पर होगी उस समय हमारे सम त
मताओं म और बढ़ोतरी हो जाती है। इन धातुओं के ि या-कलाप म इसका भावकारी ह त ेप होगा।
गुणधम म यह प रवतन नैनो प म लघुकृ त होने पर पृ ीय वा तव म नैनो िव ान आज के मानव क तमाम सम याओं
को हल करने म स म िव ान क िविभ न शाखाओं का
े फल (आयतन) के बहत अिधक बढ़ने के कारण होता बहउपयोगी यापक समु चय ह,ै जो िव ान और
है। ौ ोिगक क सभी शाखाओंम नई स भावनाओंक ओर
कै डिमयम सेलेनाइट ारा काश उ सजन अलग-अलग संके त कर रहा है। ख को देखते हए ऐसा लगता है िक आने
आकार के कै डिमयम सेलेनाइट के बने नैनो कण को िकसी वाले िदन म िव क स पूण वै ािनक और ौ ोिगक य
व म िमलाने के बाद टे ट ट्यूब से भरे इस व पर जब शोध क दशा-िदशा के िनधारण म नैनो िव ान क भिू मका
सफे द रोशनी डाली जाती है, तब अलग-अलग आकार मुख हो जाएगी।
वाली कै डिमयम सेलेनाइट के नैनो कण से यु व वाली आज पयावरण से लेकर िचिक सा तक हर े म बेहतर
टे ट ट्यबू से िभ न-िभ न वग का काश उ सिजत होता समाधान उपल ध कराने के िलए नैनो टे नोलॉजी का
है। इस कार के प रणाम से यह प होता है िक कै डिमयम उपयोग िकया जा रहा है। भारत को इस े म अ णी बनाने
सेलेनाइट जैसा काश उ सजन मता से रिहत पदाथ भी के िलए मोहाली म नैनो िव ान एवं ौ ोिगक सं थान
नैनो आकार म आकर काश उ सजक बन जाता है, इसी 'आईएनएसटी' क थापना क गई थी।
कार िसिलकॉन जैसे इले ॉिनक ौ ोिगक के आधार अपनी थापना के बाद से ही िव ान एवं ौ ोिगक िवभाग
पदाथ को भी नैनो प म काश उ सजक बनाया जाता है। का यह वाय सं थान नैनो िव ान और ौ ोिगक के
ऊजा के नए साधन-जीवा मीय ऊजा ोत के लगातार
दोहन से उनके ख म हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। नैनो े म देश को आ मिनभर बनाने के िलए एक िमशन क
तकनीक के उपयोग से इस िव यापी सम या का तरह काम कर रहा है । िनि त ही इसका लाभ भारत के
िनराकरण स भव है, नैनोकृ त पदाथ के सू म आयाम और साथ-साथ पूरे िव को होगा ।
िवशेष सतही मता तथा कािशक िवशेषताओंके कारण

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अकं - 19 माच, 2022

क कण रले क नई प रयोजना : रले िव तु ीकरण

- वी.आर.गवस
व र से शन इजं ीिनयर , क कण रेलवे

पहाड़ से गुजरती है, क कण रेल, हम यिद इितहास के प न को पढ़ते ह तब पता चलता है
निदय को पार करती ह,ै क कण रेल, िक भारत म सव थम 3 फरवरी, 1925 को ब बई वी टी
बारह महीने 24 घंटे काय करती ह,ै क कण रेल, और कु ला हारबर के बीच पहली िव ुत रेलगाड़ी चलाई
सबको साथ लेकर िवकास करती है, क कण रेल। गई। यह से शन 1500 वो ट डी. सी. पर िव ुतीकृ त हआ
था। इसके बाद म य रेल के पूव र लाइन म इगतपुरी तक
मानसून के िदन म देश के सबसे खूबसूरत झरन से तथा दि ण पूव लाइन म पुणे तक िव ुत कषण का िव तार
भरपूर कोई माग है तो वह है क कण रेल माग, जो अपने िकया गया, जहां पि मी घाट पर भारी चढ़ाई के कारण
आप म एक अदभूत िमसाल है। अब खशु ी क बात यह है िव ुत कषण चालू करना अिनवाय हो गया था। लेिकन
िक क कण रेल माग पर जब हरी-भरी च ान के बीच से आज भारतीय रेल 2023 तक िमशन 100 फ सदी
डीजल इंजन गािड़यां गुजरगी, तब डीजल इजं न से िव ुतीकरण क ओर अ सर है। हाल ही के वष म
िनकलता धआु ं हवा म नाचते पेड़ का दम घुटेगा। इससे आयाितत पे ोिलयम आधा रत ऊजा पर रा क िनभरता
बचने के िलए माच,2022 तक पुरे माग पर िव ुतीकरण को कम करने और देश क ऊजा सुर ा को बढ़ाने के िलए,
का काय पूरा कर िलया जाएगा। माच के बाद डीजल क प रवहन के पयावरण के अनुकू ल, तेज और ऊजा कु शल
जगह िव ुत इंजन गािड़यां करंट क र तार से दौड़ेगी यह मोड दान करने क ि से रेलवे िव ुतीकरण पर बहत
बोलना गलत नह होगा। जोर िदया गया है। अनुमान है िक िदसंबर, 2023 तक
भारतीय रेल के सभी ॉड गेज माग को िव ुतीकृ त िकया
आगामी समय म परू ी दुिनया म रेल के े म सबसे जाएगा।
अिधक िनवेश भारत म होने जा रहा ह।ै क कण रेल म भी
ऐसे कई मह वपणू , मह वाकां ी प रयोजनाएं एक साथ इससे ईधं न पर होने वाला खच बड़ी मा ा म कम हो
अपनी परेखा को अंितम व प देने जा रही ह। जायेगा। िव ुतीकरण क िदशा म भारतीय रेल ने महामारी
दोहरीकरण, िव ुतीकरण, नया रेलमाग जैसे मौजूदा क अ यािशत चुनौितय के बावजूद सवािधक माग का
गािड़य क औसत र तार बढ़ाने और कई नए रेलवे टेशन िव ुतीकरण िकया है। भारतीय रेल ने वष 2020-21 म
बनाने क योजनाएं इसम शािमल ह। क कण रेल जो 6015 माग िकलोमीटर का िव ुतीकरण िकया ह,ै ये एक
शु आत से ही अपनी उलझन से परेशान रहा है, पहाड़ क वष म सवािधक है। रेलवे ने ये काम कोरोना के कारण लगे
ढलान और ऊं चाइय पर दौड़ती संभलती ेन कभी च ान लॉकडाउन के दौरान िकया है। वष 2018-19 म रेलवे ने
के िखसकने, तो कभी ैक पर पेड़ के िगरने जैसी घटनाओं 5276 माग िकलोमीटर का िव ुतीकरण िकया था, मगर
से दो चार होती रही ह।ै क कण रेलवे ने हर मसु ीबत म खदु वष 2020-21 म करीब 800 माग िकलोमीटर अिधक
को संभालते हए हमेशा अपनी अलग पहचान बनाई है।

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अंक - 19 माच, 2022

िव ुतीकरण कर रेलवे ने एक नया रकॉड बना िदया है। ठोकु र तक मेसस क पत पॉवर के मा यम से काय शु ह।ै
क कण रेल के इितहास म, क कण रेल थापना क िव ुतीकरण का काम करते व बहत सी किठनाइय का
सामना करना पड़ा। बारसेम, नातवू ाड़ी जैसे 4 िक.मी.से
25व वषगांठ समारोह म उपि थत माननीय रेलमं ी ी अिधक,करबुडे जैसे 6.5 िकलोमीटर के सुरंग तथा मांडवी,
सुरेश भु जी ने रोहा से वीर तक का दोहरीकरण तथा रोहा कारवार, जुआरी जैसे बड़े ि ज के ऊपर खंबे डालना तथा
से ठोकु र तक क िव ुतीकरण योजनाओ ं का प ीकरण इलेि क वायर ख चना एक चुनौती भरा काम था। इसके
देते हए कहा था, िक दो रेलमाग और िव तु ीकरण कर िदए अलावा अलग-अलग कार क िम ी, सागरी िकनार के
जाने से क कण रेल माग पर गािड़य क यातायात म दुगनु ी वजह से जंग पकड़ना, हवा क गित, आिद किठनाई के
से भी अिधक वृि होगी तथा क कण रेल क आय भी बावजूद हमारे इजं ीिनयर ने इसम भी सफलता हािसल
बढ़ेगी। क कण रेलवे अपने नेटवक का िव ुतीकरण कर करके क कण रेल िव ुतीकरण के बारे म कु छ उपलि धयां
पयावरण को व छ रखने म अहम भूिमका िनभाने क हािसल क ह। रोहा से लेकर ठोकु र तक 741 िकलोमीटर
कोिशश म है। साथ ही या ा के समय म भी कमी लाने का का िव ुतीकरण क कण रेल अंितम प देने जा रही ह।ै
यास कर रही है। इलेि क इंजन क वजह से लोग को इसम 12 टीएसएस ( े शन सब- टेशन) रखे गए ह। हर
दूषण से राहत िमलेगी। साथ ही रेलवे क गित म भी एक सब- टेशन लगभग 50 से 60 िकलोमीटर दरू ी पर
इजाफा होगा। बनाए गए ह। माणगांव, कळंबणी, आरवली, र नािगरी,
खारेपाटण, कणकवली, िथिवम, कु मटा, मुड र,सेनापरु ा,
िपछले एक-दो वष म जहां ेन क दौड़भाग कम हई बारकु र और मु क यहां हमारे टीएसएस बनाए हए ह। अब
थी, वह आधारभूत संरचनाओंको मजबूत करने का काम तक कळंबणी 24 फरवरी, 2021 को चाज िकया गया तथा
तेज हआ ह।ै ऐसे म क कण रेलवे का 741 िकमी का माग सेनापुरा 6 माच, 2021 कु मटा 8 अग त, 2021, मु डे र
भारतीय रेलवे के उन सबसे बड़े ेच म से एक है,जहां 8 अ ू बर, 2021, आरवली 27 अ ू बर, 2021 और
िव ुतीकरण िकया जा रहा ह।ै इससे ईधं न पर होनेवाला मु क 1 फरवरी, 2022 को चाज िकया गया है। कई
लगभग 100 करोड़ ितवष का खच कम होने क उ मीद से शन का सीआरएस िनरी ण भी िकया गया है। पहला
ह।ै क कण रेलवे पर चरणब तरीके से िव तु ीकरण का िनरी ण िबजूर से ठोकु र के बीच 12 माच, 2020 को हो
काम 2017 से चल रहा ह।ै फरवरी म यहां पहला इलेि क गया। उसके बाद कारवार िबजूर 29 माच, 2021 तथा रोहा
लोकोमोिटव चलाया गया था। रोहा और र नािगरी के से र नािगरी का परी ण 31 माच, 2021 और डबल लाइन
बीच, एक 25 के वी करंट को ओवरहेड इलेि क लाइन के का रोहा से र नािगरी का िनरी ण 3 िदसंबर, 2021 को
मा यम से 22 फरवरी को परी ण िकया और सफल रहा, सफल हआ,अभी हाल ही म वेणा से कारवार 18 फरवरी,
उसके बाद पहली इलेि क ेन रोहा से र नािगरी तक 2022 को िकया गया ह।ै
चलाई गई । अब इलेि क इंजन से गािड़यां भी चलाई जा रही ह, पहला

क कण रेल पर रोहा से लेकर वेणा तक मैसस लासन
एंड टू ो ारा काय िकया जा रहा है तथा वेणा से लेकर

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अंक - 19 माच, 2022

लोको ायल 5 फरवरी, 2021 को रोहा से र नािगरी तक िव ुतीकरण के बाद इसी ैक पर ेने 120 से 130
सफल हआ। पहली गुड्स ेन 4 अ ैल, 2021 को रोहा से िकलोमीटर ितघंटा के र तार से दौड़ सके गी। क कण रेल
र नािगरी तक चलायी गयी। कारवार से शन म, कारवार से को छोड़कर मंुबई और मंगलु से आगे सभी ैक पर
सेनापुरा तक पहला इलेि क इजं न 7 माच, 2021 को िव ुतीकरण हआ है। इस कारण क कण रेल से जाने वाली
चलायी गयी । उसके बाद पहली गुड्स ेन 5 अ ू बर, ेन का इंजन यहां बदलकर इलैि क लोकोमोिटव लगाया
2021 को ठोकु र से कारवार तक चलाई गई, पहली पैसजर जाता है। इससे आधा से एक घंटा का लगनेवाला समय बच
गाड़ी कारवार-यशवंतपुर (गाड़ी नंबर 16515 डाउन) जायेगा।
19 जनवरी, 2022 को चलाई गई और उसके बाद वह जमाना अब इको डली हो रहा ह।ै खासतौर से कोरोना के
इलेि क इंजन से ही चलाई जा रही है। क कण रेल के नॉथ बाद अब पयावरण को बचाने क िचंता भी हो रही है। देश
से शन म पहली पैसजर गाड़ी िदवा-र नािगरी (गाड़ी नंबर क गित म योगदान दने े वाली रेलवे ने 2030 तक रेलवे
50103 डाउन) िदनांक 27 जनवरी, 2022 को चलाई गई को काबन मु बनाने का ल य रखा ह।ै इसके िलए
और अभी वह इलेि क इजं न से ही चल रही है। भारतीय रेल दुिनया म सबसे बड़ा ह रत रेलवे बनने के िलए
भारतीय रेल म बड़े पैमाने पर िव ुतीकरण हो रहा ह।ै िमशन मोड म काम कर रही है। इसके िलए तेजी से
िव ुतीकरण से हम काफ़ फायदे होने वाले है, तथा समय िव ुतीकरण का काम हो रहा है।
और पैस क बचत हो जायेगी। वतमान ैक पर डीजल
इजं न क मता 100 से 110 िकलोमीटर ितघंटा है, पयावरण अनुकू ल रेल, सबसे आगे क कण रेल।

िज़दं गी जीने का नाम है - स यवान तलेकर
आरपीएफ, क कण रेलवे

िज़ंदगी जीने का नाम है मसु ािफ़र के शहर म गुम ना हो तू

कल या परस क बात नह खुद को तराश कर स चा इ सान बन
याद तू आज बना । स चाई और बुराई के फ़क़ को परख

हमेशा स चाई का साथ दे तू ।

िज़ंदगी जीने का नाम है

हसं ने क वजह न ढूँढ ये आसान नह पर कोिशश ज़ र कर
तू बेवजह मु कु राते जा । हर पल तू यँू जी िक

मोल नह तेरा पल को भी वयं के िज़ंदा होने का अहसास हो
तू अनमोल दो त कमा िज़ंदगी जीने का नाम है
मंिज़ल क िफ़ ना कर तू तू जी बस जीते जा ।

सफर का लु फ़ उठाते जा ।

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अकं - 19 माच, 2022

नपे ाल रले िश ण के पल

- सयू शेखर
िश क, क कण रेलवे

क कण रेल अकादमी म िश ण देना एक अ यंत गव का काफ सुगम रहा। जनकपुर पहँचते ही घनघोर बा रश ने
िवषय है परंतु जैसे ही हम ये पता लगा िक नेपाल रेलवे के बेहद ही शानदार वागत िकया। भयंकर सद के बीच हए
कमचा रय को िश ण देने के िलए मुझे नािमत िकया इस बा रश ने मौसम का ख अचानक बदल िदया और
गया ह,ै मेरी खुशी का कोई िठकाना न था। ऐसे तो वतमान सद के मौसम को अपने चरम पर ले गया।
समय म हम सब कोरोना महामारी क चनु ौितय से दो चार िदन का तापमान लगभग 4-5 िड ी सटी ेड तक पहचँ
हो रहे ह और ऐसे समय म लगभग एक महीने क अविध के गया और आने वाले िदन म भी मौसम का िमजाज
िलए अपने प रवार से दरू एक अनजान माहौल और कमोबेश वैसा ही रहा।
प रवेश म जाने का एहसास ही मन को एक उपापोह क जनकपरु धाम टेशन पहँच कर पता चला िक िश ण
ि थित म ले जा रहा था एवं शु म मन म थोड़ी सी िझझक थल कह और रखा गया है और िफर काफ ज ो जहद के
महसूस हई परंतु मेरे िझझक के ऊपर कत य बोझ भारी पड़ा बाद हम लोग िनयत समय पर िनधा रत िश ण थल
और म अपने आप को इस नई चनु ौती के िलए तैयार करने (म य एवं मानव संसाधन िश ण सं थान) पर पहंचे।
लगा। हमने ऐसा ढ़ िन य िकया िक िकतनी भी िवपरीत िश ण स क शु आत नेपाल रेल के महा बंधक,
प रि थित हो, रा ते म िकतनी भी किठनाइयां आए, ी िनरंजन झा के कर- कमल से क गयी। िश ण
शासन ने मेरे ऊपर जो िव ास जताया है उसे अपनी पाठ्य म क परेखा, इसके उ े य एवं थानीय तर पर
उसक उपयोिगता एवं अ य पहलुओं पर उ ह ने रोशनी
मता से पूरा करके ही वापस आना ह।ै ये ण यि गत डाली।
परेशािनय से खुद को िववश करने का नह बि क उनसे
ऊपर उठकर आगे आकर हमारे क कण रेलवे पी इस िश ण स क शु आत म रेलपथ िवभाग, प रचालन
प रवार म अपनी उपयोिगता सािबत करने का है। िवभाग एवं िसगनल तथा दूरसंचार िवभाग के कमचा रय
क संयु क ा ली गयी िजसम रेलवे के प रचालन म
गोवा से पटना तक क हवाई या ा एवं पटना से जनकपुर िविभ न िवभाग के योगदान के बारे म िव तार से जानकारी
धाम (नेपाल) तक क सड़क या ा काफ अ छी रही। दी गयी। नेपाल रेल के महा बंधक अपने अिधका रय के
जनवरी माह के दसू रे स ाह म कोरोना क तीसरी लहर तेजी साथ पूरे स म उपि थत रहे ।
से अपने पैर पसार रही थी, पाबंिधयां बढ़ाई जाने लगी थ ।
हवाई या ा के दौरान सामािजक दरू ी के िनयम का पूरा
पालन िकया गया एवं पटना से जनकपुर तक क या ा के
समय िबहार क सीमा के अंदर राि कालीन िनषेधा ा के
बीच गुजरना पड़ा। पुिलस बल के ारा दरभंगा के पास रोके
जाने के बाद उ ह या ा का उ े य बताने पर उनके ारा
काफ सहयोग दान िकया गया। नेपाल सीमा म वेश

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अंक - 19 माच, 2022

अगले िदन से रेलपथ िवभाग के किमय एवं प रचालन आवागमन क यव था ने सीमा पर के लोग के जीवन को
तथा िसगनल एवं दरू संचार िवभाग के किमय के िलए बेहद सुगम बना िदया है। दोन देश के नाग रक के एक दूसरे
के साथ बेहद ही मधुर एवं सौहा पूण संबंध ह और ये लोग
मशः अलग- अलग स क यव था क गयी। मझु े एक दसू रे के साथ सामािजक, आिथक, धािमक एवं
प रचालन तथा िसगनल- दूरसंचार िवभाग के किमय के सां कृ ितक प से काफ िनकट का संबंध रखते ह।
िश ण क िज़ मेदारी दी गयी थी िजसम टेशन मा टर, रामायण काल से ही लोग के बीच बेटी- रोटी का र ता
पॉइटं ्स मैन एवं ई एस टी एम जैसे कमचारी शािमल थे। चला आ रहा है एवं आज भी यहाँ के अिधकतर नाग रक,
साझे िवषय पर सभी िवभाग के किमय क क ाएं हमने िज ह थानीय भाषा म ' मधेशी ' कहा जाता है, वे नेपाली
संयु प से ली। भाषा क सम या िबलकु ल आड़े नह भाषा के साथ-साथ मैिथली भाषा का धड़ ले से योग
आई य िक लगभग सवसंबंिधत यि िह दी एवं मैिथली करते ह।
भाषा अ छी तरह समझते ह। सभी िश णािथय को
गाड़ी प रचालन के िविभ न पहलुओंसे समिु चत तरीके से जनकपरु धाम राजिष जनक के नगर के प म भी जाना
अवगत कराया गया िजससे वे िश ण के बाद अपने जाता है एवं इस शहर म एवं इसके आसपास के इलाके म
काय थल पर गािड़य के प रचालन को संर ापूवक करने अनिगनत याितल ध मंिदर एवं तालाब अवि थत ह
म िनि त प से सफल रहगे एवं हमारी क कण रेल भारत िजनम जानक मंिदर, राम मंिदर, धनुषधाम मंिदर तथा गंगा
एवं नेपाल के बीच िवकास के इस आधारभूत सिु वधा को सागर तालाब इ यािद मु य ह। सुबह मेरी न द मंिदर के घंटे
आने वाले िदन म और आधुिनक एवं प रमािजत करने म क आवाज से खदु -बख़ुद खुल जाती थी एवं यहाँ का पूरा
अपना योगदान जारी रखेगी एवं दोन देश के बीच के वातावरण हर व भि भावना से ओत- ोत रहता ह।ै
अंतरा ीय स ब ध क एक मजबूत कड़ी सािबत होगी। सुबह का सूरज बमुि कल िदख पाता था। धंुध और कोहरे
नेपाल रेलवे को अभी भारतीय रेल क भांित कायप ित से भरी सुबह म िब तर से िनकलना भी मुि कल लगता था
को अपनाने म थोड़ा व दने ा होगा एवं उसम वतमान पर इस समय भी सुबह के एक घंटे के योगा यास के साथ मेरे
िनयम को और काय पयोगी बनाने क ज रत है। रेल िदन क शु आत होती थी। अपने सुबह के िदनचया से
प रसर पर सरु ा प र य को सु ढ़ बनाने के िलए तैनात िनवृ होने पर होटल से करीब चार िकलोमीटर दरू
िकए जानेवाले जवान को उनके दािय व , काय के दौरान िश ण थल जाना और शाम को वापस आना, यह
आनेवाली चुनौितय एवं उसे समुिचत तरीके से साधने के छोटी सी या ा भी उस कड़कड़ाती ठंड म बेहद दु कर तीत
तरीके के बारे म िव ततृ प से िश ण िदया गया।
िश ण म सुर ा बल को उनके काय िनवहन के दौरान
याि य क मदद एवं त समय मानवीय मू य क र ा
करने क मह ा पर भी रोशनी डाली गयी िजससे उ ह अपने
दैिनक दािय व को िनभाने म काफ मदद िमलेगी।
जैसा सविविदत है, जनकपरु धाम (नेपाल) एक मुख
धािमक थल है एवं यह वहाँ का एक बहत ही मह वपूण
पयटन थल भी ह।ै भारत एवं नेपाल क सीमा पर िनबाध

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अकं - 19 माच, 2022

होती थी । इस िवपरीत प रि थित म भी नेपाल रेल के ऐसा लगता था िक जैसे वे अपने भिव य को लेकर कु छ
अिधका रय के िनदशानुसार िबना िकसी अवकाश के सपने सँजो रहे ह ।
लगातार 32 िदन तक िश ण स चालू रहा। मौसम क
खराबी के कारण यादातर शाम का समय होटल म ही वतमान समय म भारत एवं नेपाल के बीच रेलवे के मा यम
यतीत करना पड़ा। यदाकदा मौसम ठीक रहने पर नजदीक से िजस नए सहयोग का सू पात हआ है, उससे िनि त प
के मंिदर म दशन कर सका एवं एक शाम गंगा आरती म से भिव य म अ य े म भी हम अपने र त को और भी
सहभाग कर पाया। िश ण के उपरांत परी ा आयोिजत गाढ़ कर पाएंगे एवं सिदय पुराने दो ती एवं भाईचारे के
क गयी एवं नेपाल रेल महा बंधक के अनुरोध पर र ते को एक नया आयाम देने म सफल ह गे तथा हम अपने
िश णािथय के िलए गाड़ी प रचालन से संबि धत सभी एक मह वपूण पड़ोसी देश, जो भारत के िलए साम रक
िवषय पर एक पुनरावलोकन स भी आयोिजत िकया ि कोण से भी बेहद अहम है, के साथ अपने अंतरा ीय
गया, जो उनके िलए बेहद भावी रहा। स ब ध को और भी मजबूत बनाने क ओर अ सर हो
थानीय लोग से बात करने से यह तीत हआ िक नेपाल के सकगे।
इस िह से म काफ आिथक िपछड़ापन है एवं यहाँ रेलवे के आनेवाला समय भारत एवं नेपाल के बीच सनु हरा कल हो
प रचालन क शु आत होने से आिथक गितिविधय को एवं हम सभी अपने तर से इसे सफल बनाने म अपना-
बढ़ावा िमलेगा एवं यहाँ के लोग क बेरोजगारी दूर करने म अपना योगदान देने के िलए त पर रह। इस भावना को मन म
यह एक मील का प थर सािबत होगा। लोग रेलवे रखते हए एवं वहाँ िबताए गए अनमोल ण क याद मन म
प रचालन के शु आत क बेस ी से ती ा कर रहे ह। संजोए हए म वहाँ के िश ण काय म क समाि के बाद
पहले भी इस इलाके म रेलवे के िवकास का यास िकया अपन के बीच वापस आकर आज बहत िनि ंत एवं
गया था जो बहत सफल नह हो पाया था परंतु इस बार आ ममु ध महसूस कर रहा हँ।
नेपाल सरकार क किटब ता एवं क कण रेलवे के सतत
एवं स म मागदशन म इस रेलवे के सफल प रचालन का
सपना साकार होता तीत हो रहा ह।ै
क कण रेलवे के सि य सहयोग से नेपाल रेलवे के
कमचा रय को यथोिचत िश ण दने े के उपरांत यहाँ
जयनगर क टम टेशन से कु था टेशन तक के बीच डी
एमयू गाड़ी के खाली रेक के प रचालन क शु आत हो गयी
है और माच महीने के दसू रे स ाह से यह सेवा आम याि य
के िलए शु हो जाएगी। हमारे कई कम दल एवं अिधकारी
िदन-रात अपने काम म जी-जान से जटु े हए ह। नेपाल रेलवे
के अंतगत हाल म हई गितिविधय से थानीय लोग क
मन म आशा का संचार हआ है एवं रेलवे के प रचालन क
चचा होते ही उनक आँख म चमक देखते ही बनती थी,

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अकं - 19 माच, 2022

योजनमूलक िहदं ी

-राजेश जोशी
े ीय सहायक िव तु इंजीिनयर

क कण रेलवे भारत के पि मी तट से पहाड़ और निदय से संि नाम और ार भ-
गुजरती है। इस बीहड़ भू-भाग म कई सुरंग और पुल का 1. यह अिधिनयम राजभाषा अिधिनयम, 1963 कहा जा
िनमाण काय करके रेलवे लाइन तैयार करने के िलए क कण सके गा।
रेलवे एक इंजीिनयरी चम कार के प म जानी जाती ह।ै 2. धारा 3, जनवरी, 1965 के 26 व िदन को वृ होगी
क कण रेलवे अपनी िनमाण प रयोजनाओं के साथ-साथ और इस अिधिनयम के शेष उपब ध उस तारीख को वृ
गािड़य का प रचालन भी कर रही ह।ै रेलवे प रचालन के ह गे िजसे के ीय सरकार, शासक य राजप म
दौरान िविभ न कार के िश ण भी िदए जाते ह। अपने अिधसूचना ारा िनयत कर और इस अिधिनयम के
प रचालन, संर ा संबंधी िश ण के साथ क कण रेलवे िविभ न उपब ध के िलए िविभ न तारीख िनयत क जा
राजभाषा का भी िश ण देती है। सकगी।
राजभाषा िश ण यादा तर संवादा मक तरीके से िदया 3. प रभाषाएं-इस अिधिनयम म जब तक िक संदभ से
जाता है। ऐसा ही एक या यान यहां तुत हःै - अ यथा अपेि त न हो,
िव ाथ - सु भात महोदय। ए. 'िनयत िदन' से, धारा 3 के स ब ध म, जनवरी, 1965
या याता-सु भात। आज के या यान का िवषय है का 26वां िदन अिभ ेत है और इस अिधिनयम के िकसी
योजनमूलक िह दी। अ य उपब ध के स ब ध म वह िदन अिभ ेत है िजस िदन
िव ाथ - जी महोदय। को वह उपब ध वृ होता है;
या याता- या आप राजभाषा अिधिनयम, 1963 के बी. 'िह दी' से वह िह दी अिभ ेत है िजसक िलिप

बारे म जानकारी दे सकते ह? दवे नागरी ह।ै

िव ाथ - महोदय कृ पया आप ही बताएं। संघ के राजक य योजन के िलए और संसद म योग के
या याता- ठीक है। िलए अं ेजी भाषा का रहना--
1. संिवधान के ार भ से प ह वष क कालाविध क
राजभाषा अिधिनयम, 1963 समाि हो जाने पर भी, िह दी के अित र अं ेजी भाषा,
(यथासंशोिधत,1967)

उन भाषाओं का, जो संघ के राजक य योजन , संसद म िनयत िदन से ही,
काय के सं यवहार, के ीय और रा य अिधिनयम और ए. संघ के उन सब राजक य योजन के िलए िजनके िलए
उ च यायालय म कितपय योजन के िलए योग म वह उस िदन से ठीक पहले योग म लाई जाती थी ; तथा
लाई जा सकगी,उपब ध करने के िलए अिधिनयम । भारत बी. संसद म काय के सं यवहार के िलए योग म लाई जाती
गणरा य के चौदहव वष म संसद ारा िन निलिखत प म रह सके गी :
यह अिधिनयिमत होः- परंतु संघ और िकसी ऐसे रा य के बीच, िजसने िह दी को

अपनी राजभाषा के प म नह अपनाया है, प ािद के

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अकं - 19 माच, 2022

योजन के िलए अं ेजी भाषा योग म लाई जाएगीः योग म लाई जाती है वहां उस तारीख तक, जब तक
पर तु यह और िक जहां िकसी ऐसे रा य के , िजसने िह दी पवू संबंिधत मं ालय, िवभाग, कायालय या िवभाग या
को अपनी राजभाषा के प म अपनाया है और िकसी अ य क पनी का कमचारीवृद िह दी का कायसाधक ान ा
रा य के , िजसने िह दी को अपनी राजभाषा के प म नह नह कर लेता, ऐसे प ािद का अनुवाद, यथाि थित,
अपनाया है, बीच प ािद के योजन के िलए िह दी को अं ेजी भाषा या िह दी म भी िदया जाएगा।
योग म लाया जाता है, वहां िह दी म ऐसे प ािद के साथ-
साथ उसका अनवु ाद अं ेजी भाषा म भेजा जाएगा : या याता- अब देखते ह तकनीक श द और िह दी म
पर तु यह और भी िक इस उपधारा क िकसी भी बात का उनके अथ।
यह अथ नह लगाया जाएगा िक वह िकसी ऐसे रा य को,
िजसने िह दी को अपनी राजभाषा के प म नह अपनाया अं जे ी िहदं ी
है, संघ के साथ या िकसी ऐसे रा य के साथ, िजसने िह दी लखे ा परी ा आपि
को अपनी राजभाषा के प म अपनाया है, या िकसी अ य Audit Objection दौरा काय म
रा य के साथ, उसक सहमित से, प ािद के योजन के Tour Programme अ दाय लखे ा
िलए िह दी को योग म लाने से िनवा रत करती है, और ऐसे Imprest Money जालसाजी
िकसी मामले म उस रा य के साथ प ािद के योजन के Forgery िक त
िलए अं ेजी भाषा का योग बा यकर न होगा । Installment शु रािश
2. उपधारा (1) म अ तिव िकसी बात के होते हए भी, Net Amount पा
जहां प ािद के योजन के िलए िह दी या अं ेजी भाषा- Lease लेखा शीष
i. के ीय सरकार के एक मं ालय या िवभाग या कायालय दर
के और दसू रे मं ालय या िवभाग या कायालय के बीच ; Account Head
ii. के ीय सरकार के एक मं ालय या िवभाग या कायालय Rate िन न आय वग
के और के ीय सरकार के वािम व म के या िनयं ण म के
िकसी िनगम या क पनी या उसके िकसी कायालय के बीच; Lower Income
iii. के ीय सरकार के वािम व म के या िनयं ण म के Group
िकसी िनगम या क पनी या उसके िकसी कायालय के और
िकसी अ य ऐसे िनगम या क पनी या कायालय के बीच ; या याता - या आप इन श द से प रिचत हो गए ह और

अपने दैनंिदन काय म इनका उपयोग कर सकगे ?
िव ाथ - जी महोदय।

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अकं - 19 माच, 2022

Travelling Allowance

या याता- इसी कार कु छ और श द से भी आपको िव ाथ - ध यवाद सर।
प रिचत करवा देते ह। या याता - इसी के साथ म कु छ कायालयीन प के नमूने
भी आपको सीखाता हं।
A Committee has been िट पणी लेखन
constructed for this purpose. कायालय म िविभ न कार के काम काज होते ह। िविभ न
िवषय क फाइल ितिदन िनणयाथ आगे बढ़ाई जाती ह
और इनके अ सारण के िलए अलग-अलग तरह क
िट पिणयां िलखी जाती ह। अतः कायालय क कायिविध
म िट पणी लेखन का िवशेष मह व है। डाक क ाि ,
िवतरण और अवलोकन के प ात् आवितय को िनपटाने
के िलए यह आव यक है िक उन पर िट पणी िलखी जाए।
जब तक िकसी मामले क सचू ना, िववरण और सुझाव
िट पणी के ारा तुत नह िकए जाते तब तक अिधकतर
मामल म अिधकारी वग अगली कारवाई नह कर सकता।
इस कार सरकारी आदेश िनदेश और होने वाले िनणय
के मूल म िट पण ही रहता है। िट पणी लेखन के मु य उ े य
िन निलिखत ह
1. सभी त य प और संि प म संबंिधत अिधकारी
के सम तुत करना।
2. िकसी िवशेष िवषय या प यवहार पर उपल ध त य

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अंक - 19 माच, 2022

या माण क ओर यान िदलाना। आवती पर आधा रत िट पणी म सहायक अिधकारी के
3.अपेि त िवषय या प - यवहार पर िवचार प करना ।
िट पणी लेखन के दो तर ह: सम आवती के िववरण को कायालय म क जाने वाली
1. अिधकारी तर पर → शासिनक नेमी िट पणी एवं
वतःपूण िट पणी कारवाई के संदभ म सं ेप म तुत करता ह।ै
2. सहायक तर पर → आवती पर आधा रत िट पणी एवं िजसका आरंभ ' म सं या------------(आवती) पृ ---
वतःपूण िट पणी -----------प ाचार से िकया जाता है।
वतःपूण िट पणी िकसी आवती पर आधा रत न होकर इसके पाँच चरण होते ह
प रि थित तथा आव यकता से उ प न सम या को हल 1. आवती का िवषय
करने के िलए होती ह।ै िट पणी का यह व प वतं 2. कारण
िट पणी के प म होता है। इसम सव थम फाइल सं या, 3. िनयम
कायालय, िवभाग का नाम, िदनांक तथा िवषय का 4. कायालय म काय क ि थित
उ लेख िकया जाता है। इसके प ात िट पणी का कलेवर। 5. सुझाव
िट पणी के दाई ओर अिधकारी के आ र होते ह एवं बाई आशा करता हँ िक इस अ यास से आपका कायालयीन
ओर उ चािधकारी को ततु क जाती है। िट पणी से
सहमत होने पर संबंिधत अिधकारी िट पणी के नीचे दाई काय आसान हो जाएगा और आप अपने िह दी काय म
और अपने ह ता र करता ह।ै
विृ करगे।
िव ाथ - इस आपके मागदशन का हम अपने दैिनक

काय म ज र उपयोग करगे। बहत-बहत ध यवाद।

ईमानदारी- एक जीवन शैली

- वि नल सुधाकर झगडे
किन इजं ीिनयर, क कण रेलवे

सोच हमारी सही िदशा पर, संक प का संग रथ हो। अलग-अलग अंग का भंडार है। वा तव म, यिद हम जीवन
ढ़ िन य कर ल य को भेदो, चाहे िकतना किठन पथ हो। को करीब से देख, तो हम महसूस करगे िक यह िकतना ‘संुदर’
सही है, मानव जीवन एक ई र क सबसे अ ुत रचना है। ह।ै जीवन म कोई भी रा ता िकसी के िलए आसान नह है।
भगवान ने मानव को िदए गए िविभ न शि बल के चलते, मानव जीवन म लोग क सम याएं और िचंताएं 'वा तिवक'
उसको अ य जीव से अलग करता है। मानव को जीवन ह। जीवन िकसी के िलए भी आसान नह है। हालांिक, हम
भगवान ारा िदया गया एक शि शाली वरदान है। मानव को समझने क आव यकता है िक यह जीवन कै सा है। हर एक
उन सभी के िलए आभारी होना चािहए जो हमारे पास है, और मानव अपना जीवन अपने तरीके से संुदर और आनंदी बनाने
मानव उसी िचज से अपनी िज मेदारी को समझकर जीवन के िलए अपने अंदर के मू य , एवं अ छी शैिलओं का
को बेहतर बनाने क कोिशश करता है। जीवन एक पड़ाव है, उपयोग करता है। ‘ ान’, ' वाभािवक गुण', 'आचरण',

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अकं - 19 माच, 2022

'स यता, ‘दया’, 'ईमानदारी' ‘ ढ़ता’ और ‘अ छा दआु एं िमल जाएँगी” । ईमानदारी को मानव क स ची
वभाव’ यह सारी मू य को मानवी जीवन म बड़ा मह व जीवन शैली माना जाता है, लेिकन इस शैली को खाली
ह।ै इसी क ा कर मानव अपने जीवन म जो भी कु छ कु छ िचज के िलए अपनाना गलत बात है। इसका मह व
हािसल करता है, उनसे उसका जीवन हर समय सुलभ और अपने ' यि गत' जीवन, यवहार 'सामािजक यव था'
आनंदी होता है। और देश के ित ईमानदार होना सही मायने म यि के
जीवन के पथ पर चलते समय मानव को बहत सारी यवहार से 'सफलता हािसल कर सकता है। ईमानदार
किठनाइय का सामना करना पड़ता है। परंतु उन सभी से यि हमेशा अपने जीवन के यवहार, आचरण क वजह
िनपटाने का काम जीवन के अ छे मू य करते ह। ईमानदारी से, िकसी भी अपराध के िबना अपना जीवन आनंदी और
यह भी एक मानवी जीवन का स चा और सीधा मू य है । सुलभ बनाता है। सभी तर पे ईमानदार होना, हर एक
ईमानदारी का अथ जीवन के सभी आयाम म एक यि के यि को अपने जीवन म शांित को ा करने म मदत
िलए स चा होना है। ईमानदारी मू य िकसी भी यि को करता है। ईमानदार यि क िनयत साफ होने के कारण
हमेशा अपने स चे रा तो पे चलाने का काम करती ह।ै सभी लोग म स चे और अ छा वा तिवक च र क न व
ईमानदारी कोई भी िनयम और कानून को तोड़ने का काम हम समाज म रखते ह। हर यि जीवन म सामने वाले
नह करती है। स चाई के रा त से गलत काम को िवरोध यि को िव ास िदलाता है, िक म अपने बात पे सही
और उनक यापकता को कम कर देती है। सभी िनयम को पाया जाऊँ गा, इसी चीज म उस यि क ईमानदारी,
समझना उनका पालन करना, सभी लोग से सही और स चाई जैसे मू य उस यि को जीवन के सफल दौड म
अ छे तरीके से यवहार करना, सच बोलना, अपना काम आगे ले के जाती है।
समय पे करना और दूसरे यि को कोई भी किठन और मानव जीवन मे ईमानदारी एक यापक प है, उसी के
सही काम म मदत करना आिद सभी ल ण 'ईमानदारी' कारण मानव का यि गत, सामािजक जीवन म
के मू य म आते ह। ईमानदारी हर एक यि को अपने ‘ यापकता’ का िवकास होता ह।ै ईमानदारी हर एक यि
‘ यि गत तर’, ‘काम’ और 'सामािजक' तर पे सही, को हमेशा सही रा तो पे चलने क ताकत और िव ास दते ी
िनडर और 'मानिसक' मजबूती दान करती है । ईमानदार ह।ै उसी तरह हमारा एक गलत कदम हमारे परु े जीवन को
होना आस-पास के लोग का िव ास, सभी लोग का बबाद कर सकता है। दिु नया म ईमानदार और स चाई से
आिशवाद आिद बहत सारी िचज ा करने म मानव को चलने वाले यि को बहत स मान िमलता है। उस यि
मदत करती ह।ै ईमानदार होना यि को यि गत जीवन का आचरण आिद अ य यि अपने ईमानदारी से अपने
म बहत लाभदायी होता ह।ै ईमानदारी यह एक अ छी िवचार क न व समाज म रखते ह। ईमानदारी जीवन म एक
आदत है, उसे कोई भी यि खरीद या बेच नह सकता। हिथयार क तरह है, जो हम बहत सारे तर पे लाभ िदलाने
‘ईमानदारी' इस मू य को हर एक यि को अपने ान, का काम करती है। ईमानदार यि अपने घर-प रवार के
अ यास और िवचार से आ मसात करना होता है। सद य , िम और अ य करीिबय के िदल म अपना
इसिलए कहता हँ “िव ास कर खुद पर, रा ते मुि कल अलग थान और भरोसा थािपत करता है। िकसी भी
आसान हो जाएँगे। “अपना ले ईमानदारी को, ई र क गरीब यि को भी ईमानदारी से जीवन म बहत सारा लाभ

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अंक - 19 माच, 2022

िमलता है। ईमानदारी मानव जीवन म एक संतुि , लेके आना एक बड़ी चुनौती है। देश का युवा वग आज के
‘आ मस मान’ और "आ मिव ास' उ प न करता ह।ै जमाने म िश ा, नौकरी आिद जैसे सामािजक यव था के
ईमानदारी यि को अपने जीवन म उ च गुण वाले िम िलए झगड़ रहा है। इन सभी िचज म अ छे और ईमानदारी
को बनाने म मदत करती ह।ै जीवन म कोई भी प रि थितओं जैसे स चे मू य क न व समाज के हर एक यि के िलए
म सच बोलने को अपने पा रवा रक र ते बेहतर बनाने म बहत मुि कल है। इसीिलए हर एक यि को अपने
मदत होती है। जीवन से ईमानदार रहना ही जीवन क यि गत तर से अपने घर म इन सभी मू य को बढ़ावा
असली किठनाइय का सामना करने क उजा दान करता दने ा बहत ज री है। ईमानदारी हम जीवन म सब कु छ
है। जीवन म अ छी और बुरी दोन तरह क ि थितयाँ होती उ मीद के अनुसार देती है, वही एक झूठ हमारे जीवन को
है। यह सच है िक ईमानदारी मानव जीवन के िवकास म न कर सकता ह।ै इन ईमानदारी जैसे मू य को यापक प
यापक मू य ह।ै लेिकन आजकल के समाज और वा तव से सार और अपने अंदर थािपत करना हर एक यि
ि थित म यह शैली को कोई भी तर पे समझाना और का काम ह।ै अपने ब च को बचपन से ईमानदारी का
उसको बढ़ावा दने ा बहत मुि कल है। वा तव म यि गत मह व, उसक िकं मत, इन सभी चीज क जानकारी और
तर से ले के सामािजक और राजनीितक तर, पे भी अ यास दने ा हर एक यि का कत य है। ईमानदारी से हर
ईमानदारी, स य और सही बताव िमलना बहत दुलभ हो एक यि अपने जीवन म एक यापक और सुंदर बदलाव
रहा है। हर एक यि अपने िनजी फायदे के िलए अपने तर ला सकता है, ज रत है अपने खुद से शुरआत करने क ,
अपने यि गत थान का उपयोग करके समाज म कई सारे इस तरह का िवचार देश का हर एक नाग रक अपने काम,
गलत काम, यवहार करके ईमानदारी, स चाई जैसे मू य यवहार म प रवतन लायेगा तभी अपना देश िवकास,
क िकं मत कम कर रहे ह। प रवार और समाज म स चा अथ यव था और यापक प से सभी े म दुिनया म
यि होना जीवन भर के िलए अपने ि यजन के साथ ही अपना ितरंगा बड़ी शान से लहराएगा। जीवन म अ छा
समाज के ारा स मािनत होने जैसा है। जीवन म बेइमानी च र , िव ास और सही िचज का अनपु ालन 'ईमानदारी
करके िलया गया स मान, िकया गया यवहार कभी ना को िवकिलत करता है। दिु नया म ईमानदार यि के पास
कभी उस यि को गलत सािबत करता ह।ै आज देश म, छु पाने के िलए कु छ नह रहता ह।ै इिसिलए हम अपने
समाज म सभी े म ाचार क जड़ फै ल रही है, उसक जीवन म ईमानदारी से यवहार, काय करके अपना, दशे का
एक-एक करके काफ सारे जीवन को बबाद करने क िवकास और स मान बढ़ाना चािहए। य िक 'ईमानदारी'
ताकद है। बेइमानी करके समाज म अपना स मान कभी ही सफल जीवन क एक मजबूत शैली है:- इसीिलए कहता
सही नह रहता। ईमानदारी से जो यि ' यवहार' करता है, हँ समाज रहे यारा, िवकास हो हमारा, 'ईमानदारी' का मू य
उस यि का िवकास स मान समाज म िन य े रत करता जीवन फले हमारा, देश का 'स मान' हो, िनयत हमारी साफ
ह।ै लेिकन वा तव म ईमानदारी क न व समाज म वापस हो, सभी िमलके लगाएँ नारा, हर यि ईमानदार हो ।

रा ीय यवहार म िहदं ी को काम म लाना देश क एकता और उ नित के िलए आव यक ह।ै
महा मा गाधं ी

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अकं - 19 माच, 2022

िहदं ी याकरण- ‘का, के , को’ के बारे म जान

- सतं ोष पाटोले

राजभाषा सहायक, क कण रेलवे

‘क कण ग रमा’ के िपछले अंक म हमने याकरिणक म भी पढ़ने को िमलता है िक—‘यहां घमासान क लड़ाई
संबंध क अिभ यि कारक िच ‘ने’ और ‘को’ के बारे हो रही है।’ होना चािहए िक यहां घमासान लड़ाई हो रही ह।ै
म पढ़ा था। इस बार हम ‘का’ के संबंध म चचा करगे िक इसी तरह कु छ लोग ‘से’ क जगह ‘का’ िलखते ह-जैसे-
‘का’ का योग कै से, िकस तरह िकया जाता है- ‘स यता का दाढ़ी का या संबंध ह?ै ’ या ‘वह आँख के
ओझल हो गया।’ दरअसल कहना चािहए िक वह आँख
‘िववेकानंद का िव ालय’ इस पद म ‘का’ का संबंध से ओझल हो गया।
कारक है। पुि लंग वचन म ‘का’ है, ीिलंग एकवचन म
‘क ’। दोन िलंग म बहवचन ‘के ’ होता है जैसे-‘राम के इसी कार कु छ लोग अं ेजी के भाव के कारण िलखते ह-
भ ’, ‘शबरी के बेर’। सं कृ त के इक, ईन, ईय यय ‘बनारस का शहर’। कु छ लोग ‘के ’ का भी उसी कार
लगने से िवशेषण बनते ह यथा-काय से काियक िनरथक योग करते ह िजस कार को या का करते ह-इस

(सामदु ाियक), धन से धिनक, राज से राजक य। सं कृ त म बात के कहने म िकसी को संकोच न होगा (यह बात कहने म
‘क’ यय से बने म क (म देश का), रोमक (रोम देश िकसी को संकोच न होगा) या वह चेक को लेने लगा (वह
का)। पुरानी िहंदी म ‘का’ के िलए ‘क’ चलता था। िहंदी का चेक लेने लगा)। या पाठक को उप यास के पढ़ने म
‘का’ सं कृ त के ‘क’ यय से बना है। ाकृ त म ‘इदं’ के आसानी होती है। ‘के ’ क आव यकता नह ह।ै
अथ म के रओ, के रअ, के रकं आिद आते ह। इ ह से पुरानी कभी-कभी लोग ‘का’ के परम अशु और ामक योग
िहदं ी के ‘के रा’ ‘के री’ आिद िनकले ह जैसे- भी करते ह जैसे- ीमती सर वती देवी के ितबंध हटे।
पानी के रा बलु बुला, अस मानस क जात (कबीर)। इ ह व तुत: ितबंध हटे तो सर वती देवी पर से, परंतु वा य का
से िहंदी के का, क बने। ाकृ त ‘क स ’ से िहंदी का ‘िकस’ अथ होता है अथवा हो सकता है िक ीमती सर वती देवी
बना। िहंदी म ‘क स के रकं ’ िहदं ी म िकसका हो गया। ने जो ितबंध लगाए थे, वे हटे अंत: उ वा य म ‘के ’
ाकृ त के क, इ क, ए चय से िहदं ी म का, के क बने। अशु और ामक है।
के रा, के रो म क का लोप हो गया तो रा, रे, रो बने। कृ त भास कभी-कभी ‘का’ या ‘पर’ का भेद न समझने के कारण एक
के नाटक म ‘के रओ’ है, मृ छीकिटक म ‘के रकं ’ है। जगह दसू रे का योग कर जाते ह जैसे- आपने अनेक ंथ
हेमचंद ने ‘के र’ का योग िकया है। धनपाल क रचनाओं िलखकर िहंदी पर उपकार िकया ह।ै साधारणत: यहां ‘पर’
म के रा, के री है। क जगह ‘का’ होना चािहए। िकसी का उपकार करना और

‘का’ के योग म कु छ लोग ग़लितयां करते ह। भूल से ‘को’ िकसी पर उपकार करना म बहत अंतर है। पहले पद का अथ
के था न पर ‘का’ िलखते-बोलते ह जैसे-‘उसने लड़के का साधारण प से िकसी क भलाई करना है और दूसरा पद
गला घ टकर मार डाला।’ साधारणत: इसम ‘मार डाला’ एहसान करने के अथ म है। जैसे-यिद कोई ज म भर िलखता

पद म कु छ प ता क अपे ा ह।ै मार डाला—िकसे ? होना तो रहे अं ेजी या उदू म, और कभी भूले-भटके एकाध लेख
चािहए—’उसने उस लड़के को, गला घ टकर मार या पुि तका िहदं ी म भी िलख डाले तो कहगे-‘चिलए,
डाला।।’ आपने िहंदी पर बहत उपकार िकया।’ पर यिद कोई सारा
इसी कार कु छ लोग ‘को’ का यथ और अनाव यगक जीवन िहंदी क सेवा म िबताए और उसम बहत से ंथ
योग करते ह, उसी कार कभी-कभी ‘का’ या ‘के ’ का भी िलखे तो कहगे-‘आपने अपनी रचनाओ ंसे िहंदी का बहत
योग करते ह। बोलचाल म तो लोग कह जाते ह िक –‘यह उपकार िकया है।’

लड़का महा का पाजी है।’ पर अ छे-अ छे समाचार-प

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अकं - 19 माच, 2022

मह वपूण उपलि धय क कु छ झलिकयां

िदनांक 28/10/21 को लखे ा िवभाग के किमय के िलए 'राजभाषा िदनाकं 12/10/2021 को राजभाषा िवभाग, कारवार क िदनांक 13 एवं 14 नवबं र, 2021 को वाराणासी म दो िदवसीय
अिखल भारतीय राजभाषा स मले न का आयोजन िकया गया।
नीित और िनयम' पर कायशाला का आयोजन िकया गया । ओर से उडुिप कायालय म 'तकनीक अनवु ाद एवं मूल प ाचार' पर िहदं ी
इसम क कण रेलवे के े ीय रेल बंधक/कारवार उपि थत थ।े
कायशाला म डॉ अमरीश िस हा, िवभागा य , िद यू इंिडया

ए योरस कं पनी, मु बई ारा या यान िदया गया।

िदनांक 16/11/2021 को पारंगत परी ा पूव तयै ारी िदनांक 18/11/2021 को के आरवी/ने ल म िदनाकं 24/11/2021 को नराकास र नािगरी ारा क कण रेलवे को वष
हते ु ‘िट पण आलखे न’ िवषय पर कायशाला का आयोजन िकया गया। ‘पारंगत परी ा’ का आयोजन िकया गया। 2019-20 और वष 2020-21 के िलए ' थम थान क
राजभाषा शी ड ' से स मािनत िकया गया।

कॉप रेट कायालय के िविभ न िवभाग का राजभाषायी काय का िनरी ण ।

नवी मबंु ई नराकास क 34व बैठक िदनाकं 30/11/2021 कॉप रेट कायालय के िविभ न िवभाग का राजभाषायी काय का िनरी ण ।
को आयोिजत क गई। इसम सम वय पि का के
30व अंक का िवमोचन िकया गया । 28

अकं - 19 माच, 2022

कॉप रेट कायालय के िविभ न िवभाग का िदनाकं 06/12/2021 को राजभाषा अिधकारी, िदनांक 07/12/2021को राजभाषा जाग कता अिभयान के
राजभाषायी काय का िनरी ण । बेलापरु ारा माजोडा टेशन का िनरी ण िकया गया। अंतगत े ीय रेल बंधक कायालय, कारवार म ि थत लखे ा,
कािमक, िव ुत, सामा य, िसगनल, सतकता िवभाग के किमय
को राजभाषा िनयम एवं वािषक ल य संबधी जानकारी दी।

मबंु ई नराकास और क कण रेलवे क ओर से िदनांक क कण रेलवे पर िदनांक 10 जनवरी, 22 को 'िव िह दी िव िह दी िदवस के उपल य म िद. 11/01/2022 को 'िव
22/02/22 को "राजभाषा काया वयन एवं ितमाही /छमाही िदवस' मनाया गया। इस उपल य म राजभाषा िनयम के प क िह दी िदवस और राजभाषा िहदं ी' िवषय पर सगं ो ी का
रपोट का मह व" िवषय पर सगं ो ी का आयोजन िकया गया। आयोजन िकया गया। इसम डॉ. अनतं ीमाली, सवे ािनवृ
िवत रत के गए, यिू नकोड टाइिपंग और वॉइस टाइिपगं का सहायक िनदशे क, गहृ मं ालय ारा मागदशन िकया गया।
िश ण िदया गया।

िव िह दी िदवस के उपल य म महारा िहदं ी सािह य अकादमी े ीय रेल बधं क, कारवार क अ य ता म राजभाषा िवभाग, मडगावं
क ओर से आयोिजत काय म म िदनांक 11/01/2022 को क ओर से िदनाकं 09/02/2022 को "भारत सरकार क राजभाषा नीित
िनदशे क (प रचालन एवं वािण य) क कण रेलवे ारा 'िहदं ी
सािह य म रा ीय चते ना' िवषय पर या यान िदया गया। और उसके अनपु ालन म सम याएं और समाधान" िवषय पर िहदं ी
कायशाला म डॉ.सुशील कु मार शमा, उप महा बंधक (राजभाषा),

पि म रेलव,े मंुबई ारा या यान िदया गया।

िदनाकं 02/03/2022 को सचू ना ौ ोिगक िवभाग म िदनाकं 27/02/2022 को मिहला िदवस के अवसर पर
'राजभाषा काया वयन तथा िट पण लखे न' सबं धं ी टॉफ लब, के .आर.वी.,ने ल म िहदं ी म चचा स तथा
कायशाला का आयोजन िकया गया।
अ य गितिविधयां आयोिजत क गई।ं

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अंक - 19 माच, 2022

िव ान

- वाती भ. लोखंडे,
वैयि क सिचव, क कण रेलवे

समय क गित और ांितकारी खोज के साथ, मानव ान ा करते ह। यह हम उन मापदंड का अ ययन करने

जीवन का लगभग कोई भी पहलू ऐसा नह है िजसम िव ान म मदद करता है जो वायुमंडलीय प रवतन , िम ी क

शािमल न हो। िव ान हमारी दैिनक गितिविधय म शािमल ि थित, महासागरीय धाराओ,ं कृ ित म चल रही

है।जीवन को उन सभी सुख-सुिवधाओं से भर देता है रासायिनक ि याओं आिद से हमारे ह को भािवत

िजनक कु छ साल पहले तक क पना भी नह क जा करते ह। िव ान के कारण नवाचार और िवकास होता है।

सकती थी। िबजली, प रवहन मा यम, िचिक सा सेवाएं, यह जीवन के लगभग हर पहलू को भािवत करता है, चाहे

टेलीफोन, टेलीिवजन, इंटरनेट, िबजली के उपकरण, वह भोजन, दवा, यं , हिथयार और तोपखाना, प रवहन,

वचािलत यं आिद सब कु छ िव ान के िवकास के कारण या उ नत अनुसंधान हो।

है और सफलतापूवक हमारे जीवन को आसान बना िदया मानव जाित ारा पहली खोज आग क , क गई थी, िजसके

है। बारे म हम सभी ने सनु ा है और इस अनोखे आिव कार ने

हम एक ऐसे समाज म रहते ह जो पूरी तरह से िव ान और उ ह अ य जानवर से े बना िदया। इससे सािबत हआ

ौ ोिगक पर िनभर है। िव ान श द क उ पि लैिटन िक िव ान भले ही जीवन के हर पहलू म मौजूद है, लेिकन

भाषा के श द "साइिं टया" से हई है, िजसका अथ है ान। इसका िव ेषण करने और इसे यथासंभव कु शल तरीके से

अब योग और अवलोकन क एक ंृखला ारा ान का उपयोग करने क वा तिवक शि ह।ै

यह िन कषण िव ान से संबंिधत ह।ै सरल श द म, हम कह आग क खोज के बाद से, हम एक मानव स यता के प म

सकते ह िक िव ान एक ऐसी घटना है जो हम यह समझने म वै ािनक खोज और आिव कार के साथ एक लंबा सफर
स म बनाती है िक कोई चीज़ कै से काम करती है। यह इस तय कर चुके ह। खेती जैसे मूलभूत िवकास के बाद, िफर
पौध का अ ययन, बाद म येक के िचिक सा मू य के
ांड का एक अिभ न अंग है और इस दिु नया म हमारे बारे म पता चला। आज िचिक सा और िचिक सा
िवकास के िलए िज मेदार है।

गैलीिलयो को 'िव ान का जनक' कहा जाता है य िक ौ ोिगक ने, वै ािनक गित क नई ऊं चाइय को छू रही

उ ह ने योगा मक वै ािनक िविधय म अ णी भूिमका ह।ै ेन, मोटर कार, हवाई जहाज और यहां तक िक

िनभाई और कई खगोलीय खोज क और यह अ बट साइिकल जैसे कु छ आिव कार आज तक प रवहन के िलए

आइं टीन ही थे िज ह ने गैलीिलयो को 'आधिु नक िव ान फायदेमंद ह य िक उ ह ने या ा को अिधक कु शल और

का जनक' कहा था। अिधक सुलभ बना िदया है। संगणक और इंटरनेट जैसे

हम बचपन से ही िव ान के लाभ से प रिचत होते ह। हमारे इले ॉिनक उपकरण ने वै ीकरण कर िदया है और हम

कू ल म एक अिनवाय िवषय के प म िव ान का एक सहज और सबसे तेज़ तरीके से जोड़ा है। िव ान के
अ ययन शु से ही हमारे अंदर िज ासा िनमाण करता है। साथ, मनु य ने चं मा पर कदम रखने म सफलता ा क

हम ह णाली के बारे म सीखते ह और अपने ह पृ वी पर

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अंक - 19 माच, 2022

ह,ै जो अब तक िकए गए सभी अ वेषण म एक मील का और हमारे घर को रोशन करता है ।

प थर ह।ै िव ान के कई अिव कार हमारे मनोरंजन के िलए ह।

वै ािनक आिव कार ने मानव जाित के इितहास को िसनेमा मनोरंजन का बहत स ता साधन है जो अमीर और

िचि त िकया है और वा तव म हमारी दिु नया को बदल गरीब दोन को आनंद दान करता है। रेिडयो के मा यम से

िदया है। एक समय था जब हमारे पूवज िसतार का हम संगीत, संवाद, नाटक का आनंद ले सकते ह। दरू दशन

अनुसरण करते हए दुिनया का च कर लगाते थे, जो बादल आधुिनक िव ान का एक और बड़ा आ य ह।ै यह

के िदन म या ा करना सुरि त नह था। क पास के मनोरंजन, आनंद, िवचार का एक लोकि य मा यम है।

आिव कार ने उ ह सुरि त नेिवगेट करने म मदद क । टेलीिवजन हम वीिडयो और लाइव शो िदखाता है। यह

िव ान ने हम जीवन क िवलािसता का आनंद लेना संभव लोग पर थायी भाव छोड़ता है। यह हम ठंडी हवा देता है

बना िदया ह।ै अतीत क अक पनीय चीज अब इसक और हमारे घर को रोशन करने के अलावा िसनेमा, टीवी

वजह से सलु भ ह। वे िदन गए जब लोग अपने दूर के और रेिडयो के मा यम से हमारा मनोरंजन करता ह।ै

र तेदार से बात करने के िलए संघष करते थे आज हम िबजली के िबना आधुिनक जीवन असंभव है।

िव ान क बदौलत िबजली, टेलीफोन, हवाई जहाज, कार अले जडर लेिमंग ने पेिनिसिलन क खोज क , िजसने
और बहत कु छ बुिनयादी सिु वधाओं का आनंद ले रहे ह। हजार लोग क जान बचाने म मदद क और बाद म इस

इसक सबसे बड़ी अिभ यि य म से एक इंटरनेट का पूरी दुिनया म सबसे अिधक इ तेमाल िकया जाने वाला
आिव कार है, िजसने इस दुिनया को एक साथ जोड़ा है। एंटीबायोिटक बन गया। िचिक सा के े म, पेिनिसिलन

थॉमस एिडसन ने हमारे जीवन म िबजली क शु आत हमेशा आिव कार क सबसे अिधक मांग वाली दवाइय म

करके एक ांित क । काश ब ब क खोज अब तक क से एक रहेगा।

सव े खोज म से एक ह।ै लगभग सभी आधुिनक 20व सदी िव ान का युग है। आधुिनक िव ान ने िविभ न
उपकरण िजनका हम आज उपयोग करते ह, िबजली से कार के अजूब क खोज क ह।ै इसने दिै नक जीवन म
चलते ह। िबजली आधुिनक िव ान का पहला आ य है, बहत दरू गामी प रवतन लाए ह। इसने मानवीय सुख-
िबजली से आदमी रात को िदन म बदल सकता है और सुिवधाओंको बढ़ाया है और मनु य को ऐसी शि याँ दी ह
अपने काम को बड़ी आसानी से कर सकता है। हम अपने जो के वल ई र को ही ह। कु छ लोग कहते ह िक िव ान ने
घर को रोशन करने के िलए ब ब या ट्यूब लाइट का अंधे को आंख, बहरे को कान और अपंग को अंग िदए ह।
उपयोग करते ह । गम के मौसम म, िबजली के पंखे और िव ान ने हम कृ ि म पंख भी िदए ह जो हम वाभािवक प
वातानकु ू िलत यं के उपयोग से ठंडी हवा का आनंद ले से नह िमल सकते।

सकते ह।ै िबजली मनु य का सबसे बड़ा आिव कार है। यह िव ान ने तेजी से संचार के िविभ न मा यम का िवकास,
सैकड़ और हजार तरीक से हमारी सेवा करता है। यह आिव कार और खोज क है जो हमारे दैिनक जीवन म
हमारी ेन , िमल और कारखान को चलाता है। यह हमारे हमारे िलए बहत उपयोगी ह। समय और दरू ी को जीत िलया
कपड़े धोता है और इ ी करता है। यह हम ठंडी हवा दते ा है गया है और या ा करना एक आनंद बन गया है। ेन और

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मोनो, मे ो रेलवे का उपयोग अब या ा और प रवहन के एक पेड़ से िगरने वाले सेब ने यूटन को एक नया िनयम
िलए िकया जाता है। मनु य आजकल पि य क तरह उड़ खोजने म मदद क िजसे अब गु वाकषण के िनयम के प
सकता है। कम समय म दुिनया भर म या ा करना आजकल म जाना जाता है।
कोई बड़ी बात नह है। दिु नया िसकु ड़ गई है और पूरी दिु नया
अब एक छोटे प रवार क तरह िदखती है। समु ी या ाएं िव ान हमारे दैिनक जीवन म बहत सहायक ह।ै िव ान के
अब पूरी तरह से सुरि त हो गई ह और अपने सभी भय खो आिव कार के िबना दुिनया क-सी जाती। वािणि यक
चकु ह। आधुिनक टीम-जहाज म, हम पूण आराम और और आवासीय दोन उ े य के िलए ऊं ची इमारत का
सुर ा के साथ या ा कर सकते ह। आज प रवहन का िनमाण िकया जाता ह।ै इन उ च िनिमत इमारत म काम
प र य पूरी तरह से बदल गया है, और यह िनि त प से करने वाली उ ाहको के आिव कार ने जीवन को बहत
िव ान के सव म उपहार म से एक है। आप दुिनया के आसान बना िदया है। एक गिृ हणी िव ान ारा आिव कृ त
िकसी भी िह से क या ा कर सकते ह जो आप चाहते ह। िविभ न रसोई यं ो क मदद से वािद भोजन बना सकती
भूिम, वायु या जल के मा यम से आधुिनक प रवहन बीतते ह,ै वह समय का सदुपयोग करने म स म होती है और वह
वष म आ यजनक प से िवकिसत हआ है। मनु य समय-समय पर घर के अ य काय और अपने प रवार को
दिु नया के िकसी भी िह से म घंट म पहंच सकता ह।ै वह भी समय पर देती है। आधिु नक िव ान से धुलाई यं के
िव ान क सहायता से अ य ह तक भी पहँच चुका ह।ै आिव कार के कारण कपड़े धोने क णाली भी बहत
वह िदन दूर नह जब मनु य अ य तार और ह क या ा आसान है।
आसानी से कर सके गा।
जहां तक भोजन के संबंध म िव ान क सहायता से अब हम
िव ान ने िविभ न कार क यं ो का आिव कार िकया है यह जान सकते ह िक िकस भोजन म िकतनी ोटीन और
जो हमारे दैिनक जीवन म हमारे िलए बहत उपयोगी ह। कै लोरी है। इसने हमारे आहार के िविभ न घटक का
आधुिनक मनु य सुबह से लेकर रात तक जो कु छ भी िवटािमन साम ी, कै लोरी मान, खिनज आधार आिद के
उपयोग करता ह,ै वह िकसी न िकसी यं ारा िनिमत िकया अनुसार िव ेषण और वग करण िकया है। इसने हम उन
गया ह।ै यं वजन उठाती है, हमारे खेत जोतती है, हमारा कारक क या या क है जो संतुिलत आहार बनाते ह।
खाना बनाती है और हमारे िलए परोसती भी है। संगणक ने हमारे भोजन क कमी को पूरा करने के िलए िव ान ने
हमारी क पना से परे हर चीज को आसान बना िदया ह।ै योगशाला म कृ ि म भोजन का उ पादन भी शु कर िदया
ऐसी यं ो का आिव कार, जो हमारे समय और किठन है। हमारी आव यकता क अगली व तु हमारा पहनावा है।
प र म को बचाती ह, मानव जाित के िलए एक बहत बड़ा िव ान के बारे म हमारे ान ने पोशाक साम ी को अिधक
आशीवाद ह।ै वै ािनक ने बहत सी ऐसी चीज और यं आरामदायक, अिधक थायी और लंबे समय म अिधक
का आिव कार िकया है जो बहत ही साधारण घटनाओंके िकफायती और चिलत वातावरण म समायोिजत करने म
अवलोकन से बड़ी और छोटी होती ह। के तली म पानी मदद क है।
उबालने से हम कोयला रेलवे इजं न का अंदाजा हो गया ह।ै
िव ान का सबसे बड़ा आशीवाद िचिक सा और श य
िचिक सा के े म उसके आिव कार ह। मानव दद और

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िविभ न कार क बीमा रय का उपचार िजनका ारंिभक है। मनु य जीवन के येक े म संगणक का योग करता

समय म कोई इलाज उपल ध नह था जो अब बहत रहा ह।ै ऐसा लगता है िक भिव य म मनु य कठपतु ली

आसान हो गया है और मानव जीवन क जीिवत रहने क बनकर रहगे ा और संगणक िदमाग का हर काम करेगा। घर,

दर म विृ हई है। िव ान ने कई अ ुत औषिधय का िव ालय और कायालय सभी िव ान क गित और

आिव कार िकया है जो दद िनवारक के प म उपयोग क अनु योग के सा ी ह।

जाती ह और इन औषिधय के योग से दद समा हो जाता

है और ये औषिधयां रोजमरा क िजंदगी म बहत उपयोगी परमाणु ऊजा का आिव कार आधुिनक िव ान का अ ुत
होती ह। ए स-रे और बॉडी कै िनंग यं वह िखड़क है आ य है। अब मनु य इस ऊजा क सहायता से परमाणु
िजसके मा यम से हम अपने शरीर के अंदर झांक सकते ह। बम, हाइ ोजन बम, िमसाइल आिद बना सकता है। मनु य
ऐसे यं और िविभ न कार के िच ा वी क ( कै नर) और इस शि का उपयोग िवनाशकारी या रचना मक काय म
संसुचक (िडटे टर) ह जो हम मानव शरीर के अंदर होने कर सकता है।
वाली बीमा रय के बारे म बता सकते ह। अब बड़े
ऑपरेशन िकए जा सकते ह और रोगी को दद महसूस िकए अंत र या ा आधुिनक िव ान क सबसे अ ुत सफलता
िबना टूटे हए अंग को ठीक िकया जा सकता है। शरीर के ह।ै चांद पर उतरना कु छ साल पहले एक क पना मा थी।
िविभ न अंग को अब कृ ि म अंग से बदला जा सकता ह।ै लेिकन आधिु नक िव ान क सहायता से मनु य ने यह
यह आशा क जाती है िक परमाणु ऊजा, जब बड़े पैमाने पर असंभव काय भी कर िदया है। इसिलए अब मनु य क
शांितपूण उ े य के िलए उपयोग क जाएगी तब मानव क पना को हक कत म बदलना संभव ह।ै
जीवन को बदल देगी।
संचार के े म िव ान ने चम कार िकए ह। दरू भाषण यं ,
िव ान ने बहत बड़ा कमाल कर िदया है। हाट सजरी और टेले स, फै स, इंटरनेट, नेटविकग, सेल फोन, लैपटॉप,
हाट ांस लांट आज के समय म आम बात हो गई ह।ै जीपीएस िस टम, ई-मेल, वीसैट, वायरलेस, टेली ाम
िव ान ने खतरनाक बीमा रय को लेकर असा य िविभ न महान चम कार ह। िजसन दिु नया को हमारे करीब ला िदया
कार के जीवन क खोज और िनयं ण िकया ह।ै परमाणु ह।ै हम एक पल म दिु नया के एक कोने से दसू रे कोने म
ऊजा क खोज से मनु य ने ऊजा का एक अटूट ोत खोज समाचार भेज सकते ह। भारत म बैठे यि दरू वनी
िलया है। यह लंबे समय तक दिु नया क ऊजा क मांग को (टेलीफोन) पर अमे रका या दिु नया के िकसी अ य िह से म
पूरा कर सकता है। आधुिनक िव ान एक कौशल जादगू र बैठे अपने र तेदार से बात कर सकते ह । संचार उप ह
के अलावा और कु छ नह है। यह एक के बाद एक मानव पृ वी के वायुमंडल के ऊपर अपनी क ाओं म घूमते हए
जाित को चम कार दान कर रहा ह।ै इसने परू ी तरह से जीत मौसम क जानकारी, च वात, समु म वारीय प रवतन
हािसल क है और कृ ित क ढ़ शि य क खोज क है। आिद का पूवानमु ान बहत पहले ही लगा सकते ह। ये
पवू ानुमान हम संभािवत आपदाओं को कम करने म मदद
संगणक (कं यूटर) आधिु नक िव ान के सबसे महान करते ह। जब परमाणु ऊजा का शांितपूण उ े य के िलए
आिव कार म से एक है। यह मानव मि त क का िवक प परू ी तरह से उपयोग िकया जाएगा तो मानव जीवन नए

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ि ितज और समिृ क ऊं चाइय म बदल जाएगा। भी योगदान देता है। कु छ आिव कार जो एक अ छे कारण
के िलए बनाए गए थे जैसे िक जहर या डायनामाइट दोषपूण
िव ान के जबरद त लाभ के बावजूद, िव ान का एक उ े य के िलए अ यिधक उपयोग िकए गए ह और अंततः
नकारा मक प भी है। िव ान हमेशा से हम सभी के जीवन िव ान म एक अिभशाप सािबत हए ह। इस तरह यह वरदान
का अिभ न अंग रहा है और रहगे ा। लेिकन या िव ान अिभशाप म बदल गया और आशंका है िक एक िदन
के वल मानवता के िलए िसफ वरदान रहा है? दुख क बात िव ान मानवता को न कर देगा।
है िक उ र "नह " ह,ै य िक मनु य ने िव ान और उसके
तरीक का इ तेमाल और दु पयोग दोन िकया ह।ै िव ान िव ान हमारे दैिनक जीवन म वरदान के प म होते हए
ने दुभा य से अपने कु छ आिव कार के कारण मानवता का बहत खतरनाक भी है य िक िव ान ने बहत ही खतरनाक
कु छ नुकसान भी िकया है। िव ान ने मानवता को जो सबसे हिथयार का आिव कार िकया है जो मानवता को बहत
बड़ा नुकसान पहंचाया ह,ै वह है आयुध के े म, आसानी से मार सकते ह। िव ान का एक और नुकसान
हालाँिक कु छ लोग बा द के आिव कार को एक महान चार के िलए जनसंचार मा यम का दु पयोग है। कई बार
उपलि ध मानते ह, लेिकन मानवता को उस िदन पर तरह-तरह क कहािनयां और अफवाह सामने आती ह
पछतावा होना चािहए जब यह आिव कार हआ था । और वे पूरी दिु नया म लोग के िलए कई तरह के तनाव पैदा
बा द का योग और पूणता अनेक नए और अिधक कर देती ह। असामािजक त व अफवाह और झठू ी
िवनाशकारी हिथयार म लगातार और िनरंतर प से हआ सूचनाओं को फै लाने के िलए संचार मीिडया का उपयोग
है। जैसे, गोले, बम, तोपखाने और बंदूक जैसे हिथयार के करते ह। एक बार जब कोई कहानी सा रत होती है, तो वह
कारण मानवता अब पीिड़त ह।ै ऐसे हिथयार सभी यि य संचार मीिडया क बदौलत आग क तरह फै ल जाती है।
के दैिनक जीवन के िलए खतरा ह। िव ान के आिव कार
को कई तरह से िवकृ त िकया जा रहा है। या ा के िलए हवाई इसम कोई संदेह नह है िक िव ान ने अपनी कु छ
जहाज का उपयोग करने के बजाय, हम उनका उपयोग बम नकारा मकताओं के बावजूद मानव जाित के िलए सबसे
िगराने के िलए करते ह। दूषण का उ सजन िव ान क कोई बड़ा लाभ िदया ह।ै इसके अलावा, िव ान ने िनि त प से
अ य हािन नह है। दुिनया के िविभ न िह स म जहां हमारा दैिनक जीवन म आरामदायी बनाया है । इसिलए हम
परमाणु ऊजा का उ पादन होता है, वहां भारी मा ा म वै ािनक के यास के िलए हमेशा उनका अ यिधक
रेिडयोधम दूषण उ सिजत होता है। ऐसा दूषण बहत स मान करना चािहए। िव ान अ ययन का एक अिनवाय
खतरनाक है य िक यह कसर, रेिडयोधम बीमारी और िवषय होना चािहए तािक मनु य इसक वा तिवक कृ ित
दय रोग का कारण बन सकता है। इसके अलावा, को समझ सके और इसका सही उपयोग कर सके । यह
ऑटोमोबाइल हमारे जीवन का एक दैिनक िह सा है जो हर िनि त प से मानव जाित पर िनभर है िक वह सभी के
साल हवा म काबन मोनोऑ साइड के अक पनीय तर क याण के िलए िव ान के लाभ का उपयोग करे या आने
का उ सजन करता है। नतीजतन, यह फे फड़ क बीमा रय वाली पीिढ़य के दुख के िलए सामूिहक िवनाश के
का कारण बनता है और लोबल वािमग और एिसड रेन म हिथयार बनाने म िल हो।

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पयटन और वै ीकरण - सुिचता सिचन बामुगड़े
भडं ार सहायक

यँू तो पयटन के ऐसे अनेक कार के अथ जुड़े य िक यह सभी तर पर आिथक, सां कृ ितक और

ह।ै हम अपनी रोज क जीवन या ा से कु छ पल ऐसे जीना राजनीितक आदान- दान के अवसर दान करता है।

चाहते ह। िजससे हमारा मन स न हो जाए। इसम सबसे यह रोजगार पैदा करता है, िवदेशी मु ा अिजत करता है

यादा मह व िकसी का हो सकता है तो वे है "पयटन" और लोग के जीवन तर को ऊपर उठाता है। भारत म

पयटन वा तव म मन को संतु करता है। पयटन यानी, मन पयटन र न तथा गहने और रेडीमेड कपड़ के े के बाद

बहलाने या अ य िकसी कारण से पयटक- थल आिद पर तीसरा सबसे बड़ा िवदेशी मु ा अजन े है। पयटन

घूमने-िफरने तथा मनोरंजन का थान माना गया है। पारंप रक ह तिश प े को बढ़ावा दते ा है और पयटक

• पैसा लेकर पयटक को सेवाएँ दान करने का काम या को भारत क समृ और िविवध सां कृ ितक िवरासत के

पयटक के िलए घमू ने, खाने, रहने आिद क यव था। बारे म जानकारी दान करता है।

• िकसी िस या मनोरम थान क या ा; दशे दशन भारत म कम पयटक आने के कु छ अ य कारण पयटक

और मनोरंजन के िलए िकया जाने वाला मण; सैर- ारा आव यक सुिवधाओं क कमी जैसे यातायात, भीड़

सपाटा; देशाटन; (टुअ रज़म)। अिनयोिजत शहरीकरण और नाग रक अिधका रय तथा

भारत पयटन े म अपनी िविवधतापूण व प को लेकर नाग रक क उदासीनता है। पयटक क िच के थान पर

िव यात है। तभी तो इसे 'अतुलनीय भारत' का नाम िदया दूषण के कारण भारत म पयटक म िगरावट आई है।

गया है। ऊपर से िपछले 2 साल से जो कोिवड-19 का भाव इतना

भारत दिु नया का एकमा देश है जहां िविभ न धम के भारी नुकसान धारक होने के साथ जान लेवा है। इसक

अनुयायी ह और उनके मह व के थान पाए जाते ह। भारत वजह से के वल भारत ही नह बि क िव के हर देश म जहां

एक आकषक देश है और इसम िविभ न पयटक आकषण पयटन क मा यादा थी, वह अब िगरावट आयी है।

ह। इसम िविभ न कार के धम, सं कृ ित, भाषा, इितहास, पयटन के मह व को समझते हए, क और रा य सरकार ने

पवतीय िविवधता और इसक समृ वन पितयां और अपनी ाथिमकताओं म पयटन को उ च थान िदया है।

जीव ह। इसम कु छ सबसे ऊँ चे पहाड़, खूबसूरत निदयां, भारत को पयटन के अनुकू ल बनाने और पयटन उ ोग को

िवशाल जंगल, एक लंबी तटरेखा, ीप और सां कृ ितक िवकिसत करने म स म बनाने के िलए, आव यक

िवरासत ह । बुिनयादी ढांचे के िवकास के िलए एक तालमेल काय म

इसके समृ इितहास के िनशान हर जगह देखे जाते ह और शु िकया गया है। पयटक को ो सािहत करने के िलए,

ये िद ली, आगरा, जयपुर, वािलयर, हैदराबाद, चे नई, एक काय योजना शु क गई ह।ै सरकार ने िवशेष पयटन

गोवा, कोलकाता और मंबु ई आिद थान पर अिधक े (एसटीएएस) क अवधारणा को भी अपनाया है,

िदखाई दते े ह। िजसम उ च पयटन मता वाले कु छ पयटन े क

पयटन आज दिु नया का दसू रा सबसे बड़ा उ ोग है । यह पहचान क जाती है और बुिनयादी सुिवधाएँ दान क

21व सदी म मुख वैि क उ ोग बनने क उ मीद है जाती है।

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पयटक क अिधकतम सं या को आकिषत करने के िलए को एक एक कृ त ि कोण म संयोिजत करना उिचत ह।ै
नई प रयोजनाएं शु क गई ह। बौ के िलए दशनीय मारक और माग के थल पर पयटक सुिवधाओं को
थल, जैसे िबहार म सारनाथ और महारा म अजंता िवकिसत करना और सुधार करना भी आव यक है। आशा
एलोरा गुफाओं को सव च ाथिमकता दी गई है। है िक भारतीय पयटन से जुड़े सभी लोग के ईमानदार
साहिसक पयटन इन िदन बहत लोकि य ह,ै इसिलए इसे यास से, यह आने वाले वष म बहत गित करेगा।
ाथिमकता के आधार पर िलया जा रहा ह।ै इसम क इंग,
एयरो पोट्स, पवतारोहण, ऊं ट और घुड़सवारी, ैिकं ग, भारत क िविवधता येक कार के पयटन को िस
साइिकल चलाना, मछली पकड़ना और नौका िवहार बनाती है। इसी िविवधता क चचा रि कन बॉ ड ने भी क
करना शािमल है। राज थान म साहिसक पयटन के पया ह।ै रि कन बॉ ड के श द म, "म यूरोप, एिशया और म य-
अवसर ह। सरकार पयटन को बढ़ावा देने के िलए बड़ी पवू के अ य देश म भी गया हँ, लेिकन भारत के अलावा
सं या म मेले और उ सव आयोिजत कर रही ह।ै एयर- मुझे, इससे आधी भी िविवधता, अनुभव और मरणीय
इंिडया, इंिडयन एयरलाइसं और आईटीडीसी ने ो साहन चीज नह िमली ह। आप ऑ ेिलया जैसे िवशाल महा ीप
योजनाएं शु क ह। सभी रा य को अपनी पयटक िनवेश के एक कोने से दूसरे कोने तक क या ा भी कर पाएंग िक
योजना तैयार करने के िलए कहा गया है, िजसके आधार पर सभी ने एक ही तरह के कपड़े पहन रखे ह एवं एक जैसा खाते
क सरकार रा ीय पयटक िवकास योजना तैयार करती है। ह, एक जैसा ही संगीत सुनते ह। यह रंगिवहीन जैसे िव के
यह योजना बताएगी िक पयटक को िकन-िकन सुिवधाओं अ य देश म भी दखे ने को िमलती ह,ै भले ही वे पूव म ह या
क ज रत है और या- या ो साहन उपल ध कराए जा पि म म, लेिकन भारतवष अपने आप म परू ा िव ह"ै ।
सकते ह। सरकार ने पयटन संबंधी सेवाओंऔर सुिवधाओं भारत म पयटन क संभावनाओं के म म भारत के
के िवकास के िलए िनजी े को िव ीय सहायता दान िविवधतापूण इितहास क भी चचा आव यक है। अपने
करने के िलए पयटन िव िनगम क थापना क है। नई अ यदु य के समय से ही अनेक सा ा य, वंश, शासक का
औ ोिगक नीित ने िवदशे ी इि वटी के 51% तक के िनवेश रा य भारतवष म रहा, िजसके दौरान समकालीन शासक
के िलए होटल और पयटन संबंिधत उ ोग को उ च ने अपनी एक िवशेष सं कृ ित, कला, भाषा आिद का
ाथिमकता वाला उ ोग घोिषत िकया है। एनआरआई िवकास िकया। अत: भारत म ऐितहािसक पयटन क भी
िनवेश 100% तक क अनमु ित है। अनेक संभावनाएँ िव मान ह।
िन कष िनकालने के िलए हम कह सकते ह िक यह सब िवदेश से आने वाली जाितय ने अपनी सं कृ ित, कला,
पया नह है। वे भावी िवपणन रणनीित, सावजिनक और दशन का चार- सार िकया जो िक आज भी यूनािधक
िनजी े के प म सड़क , होटल , एयरलाइन सेवाओं
जैसी अिधक और बेहतर बुिनयादी सिु वधाओंका िनमाण प म िव मान है। कु षाण शासक के िस के , गु के मंिदर
कर रहेह। एवं कला, राजपूत कालीन मंिदर, मगु ल काल क
सां कृ ितक पयटन, तीथाटन पयटन, अवकाश (समु िच कला, मकबरे, िकले तथा अं ेज़ी भवन, मारक आज
तट , िहल टेशन और झील पर) और साहिसक पयटन भी िव मान ह तथा ऐितहािसक पयटन का मा यम बन रही
ह। आगरा का ताजमहल, िद ली का लाल िकला व कु तबु

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मीनार, हँमायंू का मकबरा, हैदराबाद का चार मीनार, िचिक सा सुिवधा अपया तथा महँगी है। अ क देश ,
उिड़सा का सूयमंिदर, महाबलीपुरम के मंिदर, मंुबई का यथा- सोमािलया, सडू ान, नाइजी रया, अ जी रया आिद
गेटवे ऑफ इंिडया, कोलकाता का िव टो रया मैमो रयल, के िलये तथा पि मी एिशया तथा पूव एिशया देश के िलये
हावड़ा ि ज आिद आज भी ऐितहािसक पयटन को समृ भारत एक सुलभ िचिक सा थल है। यूरोपीय एवं उ री
बना रहे ह। वा तव म पयटन एकांक नह है। यातायात, अमे रक देश म िचिक सा यव था उ म तो ह,ै परंतु
होटल उ ोग, िचिक सा उ ोग, थानीय पाक कला, भारत के अपे ाकृ त वहाँ िचिक सा सुिवधाएँ महँगी ह।
भाषा, पहनावा सं कृ ित इसके उपांग ह। ये सभी पयटन के इसी कारण अ क दशे के िलये भारत िचिक सा पयटन
दौरान लाभाि वत ह गे । का सव म थान िस हआ ह।ै इसके साथ ही आयुवद
वतमान वैि क प र य म भमू ंडलीकरण के बढ़ते भाव ने तथा हो योपैथी जैसे िचिक सा योग ने भी पयटन को
पयटन को एक िव ततृ , भावी एवं सफल उ ोग के प म समृ बनाया है।
पयावरण संबंधी पयटन शु आत से ही मनपसंद पयटन म
ततु िकया ह।ै आज वै ीकरण के समय म जब दिु नया से एक रहा है। पयावरण पयटन कृ ित से संब है। म ोव,
बहत छोटी हो गई है, पयटन उ ोग बहमुखी आयाम के म थल, झील, निदयाँ, समु तट, वन अभयार य,
साथ फु िटत हआ ह।ै सरल श द म, पयटन का अथ एक रा ीय पाक, फू ल क घाटी, पि मी घाट, िहमालय दशन
थान से दसू रे थान पर जाकर घमू ने-िफरने से िलया जाता आिद पयावरण से संबंिधत ह। इस कार के पयटन से जहाँ
है। इसिलए इसके अ य िविभ न व प भी आज हमारे एक ओर पयटक को आि मक लाभाजन होता ह।ै वह ,
सामने िचिक सा पयटन, पयावरण, पयटन तीथ थल दसू री ओर थानीय यव थापक को आिथक लाभ भी
पयटन, यावसाियक पयटन, ऐितहािसक पयटन आिद के िमलता है।
तीथ थल पयटन को भी इसी म म समझना आव यक ह।ै
प म ि गतहए ह। िविभ न धमावलंिबय क िव मानता भारत को इस कार
वतमान म पयटन ने एक उ ोग का प ले िलया है। पयटन के पयटन म समृ बनाती है। जहाँ एक तरफ िहंदू धम म
वा तव म वयं सा य है। उ ोग का अथ, िकसी कार के शंकराचाय ारा थािपत चार धाम परंपरा, ादश
लाभ क ाि के िलये िकया गया प र म से िलया जाता ह।ै योितिलग या ा, कंु भ या ा, गंगा नान आिद ह, वह
यह लाभ आिथक, वैि क, आि मक, आ याि मक हो दसू री तरफ बौ धम के अनुयाियय के िलये बौ प रपथ
सकता है। जब पयटन को एक उ ोग के प म देखा जाता है िवकिसत हआ ह।ै इ लाम धमावलंिबय के िलए अजमेर
तो इसके िविभ न आयाम क चचा करना आव यक शरीफ, देवा शरीफ, हाज़ी अली, जामा मि ज़द, मोती
तीत होता है। इसी म म िचिक सा पयटन क चचा करने मि ज़द, िविभ न मकबरे तथा दरगाह िवशेष प से
से ऐसे थान का बोध होता है, जहाँ िचिक सा सुिवधा दशनीय ह। िसख धमावलंिबय के िलये अमृतसर, पटना
पया प म िव मान हो। सािहब, िद ली, ज म,ू महारा आिद थल िवशेष प से
भारत दशे िचिक सा के े म िनरंतर नए िचिक सा मह वपूण ह। तीथ थल पयटन िश ा के भी थान होते ह।
यव था तथा योग के कारण िव पटल पर अपना थान बनारस के कु छ मंिदर एवं मठ म आ म आधा रत िश ा
बना चुका है। वा तव म िवकासशील देश के िलये भारत
एक िचिक सा पयटन हते ु उपयु थान बना हआ है, जहाँ

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दी जाती है। उसी कार सहारनपुर एवं लखनऊ उदू एवं िवकासशील देश को िवकिसत देश बनाना है। वतमान
फारसी तथा इ लाम क िश ा के िलये मह वपूण थल ह। समय म िविभ न सम याओं से िनपटने के िलए सभी देश
पयटन वा तव म उ े यपूण होता है। यावसाियक पयटन एकजुट होकर सम या का समाधान करते ह यह
इसी का ितफल है। िविभ न यवसाय क थानीय भूम डलीकरण का ही भाव है।
िविवधता यावसाियक पयटन को बढ़ावा देती है, जैसे- वै ीकरण' श द का अथ सामािजक प र े य म 'संयोजन'
भदोही का कालीन उ ोग, िफरोजाबाद का चूड़ी उ ोग, से है और यह इसी पर बल देता है। 'वै ीकरण' अं ेजी श द
कांचीपुरम् व चंदेरी का साड़ी उ ोग, उ र देश का का लोबलाइजेशन (Globalisation) का िह दी पा तरण
कला, जयपुर का संगमरमर उ ोग आिद अपनी थानीय है, िजसका अथ वतमान प र े य म स पूण वैि क भूख ड
िवशेषताओं के साथ अपनी ग रमा बनाये हए ह। अत: से ह।ै वै ीकरण के िवचार को लेकर िव ान म अलग-
यावसाियक पयटन म असीम संभावनाओंक तलाश के अलग मत ह। कोई इसे आिथक ि से समझता है तो कोई
सामािजक, राजनीितक प म आंकलन करता ह।ै भारतीय
म म थानीय उ ोग क वैि क तर पर ॉि डंग कथन 'वसुधैव कु टुंबकम' को ही आज स पूण िव
आव यक है। वै ीकरण के मा यम से च रताथ कर रहा है।
वै ीकरण के इस दौर म जबिक संपूण िव क भौगोिलक पयटन यापार से हमारे देश को िवदेशी मु ा ा होते ह जो
दरू ी कम तीत होने लगी ह,ै पयटन के िविभ न आयाम म िक देश के िलए बेहद फायदेमंद है। पयटन के कारण लोग
गित क संभावनाएं पया प से िव मान हई ह। आज म िह मत, रोमांच और मनोरंजन का संचार होता ह।ै
आव यकता है िक थानीयता को वैि क प र य िदया इसिलए पयटन का अपना िवशेष मह व है।
जाए तथा िविवधता का लाभ उठाते हए पयटन क असीम पयटन िकसी भी दशे क आिथक यव था के िलए आय
संभावनाओंको समृ बनाया जाए। का एक बहत मह वपूण ोत होता है। पयटन थल ऐसे
पयटन के वजह से हम कई सं कृ ितय के बारे म जानने को थल होते ह जहाँ लोग घूमने के िलए जाते ह। िविभ न
िमलता है। या ा के समय कई थानीय लोग के साथ थल पर घमु ने से न के वल लोग का मनोरंजन होता है
बि क वे अपने व दूसरे देश म घूमने गए ह या वहां क
-ब- होने के मौका िमलता ह।ै पयटन के कारण लोगो म अथ यव था म योगदान देते ह ?
िह मत , रोमांच और मनोरंजन का संचार होता है। लोग िपछले दो साल का कोिवड् - 19 के आगमन से यह देख कर
ख़शु ी के साथ हर थल को जानते है और उनके िवषय म आभास हआ िक पूरा िव एक गंभीर हालत से गुजर रहा
ान अिजत करते है। ह।ै अभी तक ये गंभीर हालत सुधारने क कोिशश म पूरा
यह माल और सेवाओं के अंतरा ीय आंदोलन से संदभ िव लगा है। हम यक न है िक हम इससे भी पार पाएंगे ।
ह।ै जबिक आिथक वै ीकरण ने िवकासशील दशे म आय और िफरसे एक नए भारत का उदय होगा।
और आिथक िवकास म वृि क है और िवकिसत दशे म
उपभो ा मू य म कमी आई है, यह िवकासशील और एक भारत, समृ भारत।
िवकिसत देश के बीच शि संतुलन को भी बदलता ह।ै जय िह द।
वै ीकरण के उ े य आिथक समानता - वै ीकरण का
मुख उ े य आिथक असमानता को दरू करते हए

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तापगढ़ का िकला - सीताराम दुबे,

िहंदी अनुवादक, क कण रेलवे

तापगढ़ का िकला : पयटन को के वल मनोरंजन तक गुणव ा को या ा पर जाने से पहले, उस दौरान व बाद म

सीिमत नह रखना चािहए बि क इससे बहत जांचा । यह पाया गया िक लोग ने या ा के दौरान सामा य

जानकारी,जाग कता, ान बढ़ता है। मसलन कई बार हम से एक घंटा अिधक न द ली व घर पहंचकर भी 20 िमनट

पहाड़ के बारे म पढ़ते ह िक वे इतने ऊँ चे होते ह, वहां जंगल अिधक आराम करने लगे। यह त य भी सामने आया िक

होता है और भयानक जीव-जंतु रहते ह पर हम नजदीक से छु य ने न द को िबगाड़ने वाली आदत -सोने से पहले

दखे ते ह तो एक तरफ हजार िफट गहरी खाई और दूसरी लैपटॉप चलाने, काय करने, टीवी देखने क मा ा को कम

तरफ सकड़ िफट ऊँ चे पेड़ िजनके ऊपरी िह से को हम राह कर िदया। पयटन के लाभ लंबे समय तक जेहन म बने रहते

चलते छू सकते ह। ये रोमांचक अनुभव या ान हम ह जो हमारी कायकु शलता बढ़ाते ह। िवयना िव िव ालय

िकताब से नह िमल सकता, बशत िक हम वहां जाकर म हए अ ययन म सामने आया िक जो लोग अिधक घमू े-

वयं न देख। उसके बाद ही हम उसे जान सकते ह। िफरे, वे अिधक समय तक तनाव से दूर रहे, उनम िसरदद,

िविभ न शोध बताते ह िक घूमने-िफरने से यि का कमरदद, उ च र चाप जैसी सम याएं भी कम देखने को

शारी रक व मानिसक वा य दु त होता है। शरीर को िमली।

चु त बनाने के िलए हम कसरत आिद करते ह या िजम जाते

ह लेिकन घूमने वाल को यह फायदा वत: िमल जाता है।

या ाओंक मीठी थकान, जानने क ललक, जानकारी का

सुकू न आिद से अ छी न द आती है और वह शरीर को

मानिसक एवं शारी रक संतोष-आराम देती है। एक शोध के

अनुसार िजन लोग ने अपना अिधक समय सैर करने म

िबताया उनके बॉडी मास इंडे स और कमर क मोटाई म

कमी आई है। े िमंघन हाट टडी के एक शोध का िन कष है

िक उन मिहलाओं को दयाघात या दय संबंधी बीमारी

क आशंका अिधक होती है, जो कम घूमना-िफरना करती

ह। वष म कम से कम दो बार पयटन मिहलाओं म दय

संबंधी बीमा रय क आशंका कम करता है।

एअर यूजीलड का एक शोध बताता है िक यि को कु ल-िमलाकर इंटरनेट, िविकपीिडया, पु तक से

बेहतर न द का फायदा िसफ पयटन के दौरान नह , बि क दिु नया को जानने क बजाए बाहर जाकर वयं उन थान

बाद म भी िमलता है। या ा शरीर क जैिवक घड़ी को रीसेट को देखना, महसूस करना दोन अलग बात ह। घूमने, पहाड़

कर सकती ह।ै उ शोध म शािमल लोग के हाथ पर एक पर चढ़ने, निदय क कल-कल या ह रितमा को दखे ने,

उपकरण बांधा गया, िजसने उसक न द क अविध व ऐितहािसक थल को देखने का रोमांच यू-ट्यूब या टीवी,

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नेट पर नह िमलेगा। साथ ही, घूमने से िदमाग को िमलने िकले के दोन तरफ सुर ा क ि से गहरे दरा बनाए गये ह।
वाली शांित कई सम याओंका िनराकरण कर सकती है। िशवाजी महाराज के जावली खोरे जीत के प ात मोरो
ि ंबक िपंगले को इस िकले के िनमाण क अनुमित दी।
इसी तरह हम सैकड़ वष पूव िशवाजी महाराज क पहले मु य िकला( े फल 3885 चौ.मी.) और बाहरी
वीरता क बात सुनते-पढ़ते आए ह, उनके बड़े-बड़े िकल िकला,(3660 चौ.मी.) इस तरह दो भाग म बंटा था। दोन
के बारे म जानते रहे ह, यिद हम वयं वहां जाकर, य भाग के आसपास बड़े-बड़े तालाब का िनमाण सुर ा
कारण से िकया गया। िकले के आसपास भारी तटबंदी
प से यिद उन िकल को दखे तो िशवाजी महाराज के और सुर ा बु ज (खंबे-िजनक ऊँ चाई 10 से 15 मीटर)
बुि मानी पूण शासन, िकल क सुर ा, बनावट आिद के बनाए गये ह। उसी समय औरंगजेब दि ण क तरफ से
बारे म जान सकते ह। मंिदर म आया और कु छ उप व हआ था।
इस बार हम आपको तापगढ़ के िकले के बारे म जानकारी नाना पेशवा, फड़णवीस और सखाराम बाबू यहां कु छ िदन
देरहेह – के िलए नज़रबंद थे। इसके बाद 1818 म यह िकला
ि िटश-मराठा यु के बाद ि िटश सरकार के अधीन आ
वष 1665 म िशवाजी महाराज ने तापगढ़ िकले क गया।
न व डाली थी। इस िकले से क कण के सैकड़ िक.मी. दूर- आज़ादी के बाद इस िकले पर छ पित िशवाजी महाराज
दरू फै ले ह रयालीयु , संदु र, नयनािभराम य को देख क 5 मीटर ऊँ ची भ य, अ पर सवार मिू त थािपत क गई
सकते ह जो कृ ित का अ ुत वरदान-सा लगता है। ऊपर से िजसका अनावरण 1957 नवबंर माह म त कालीन
यिद आप इस िकले को देख तो यह फू ल क पँखुड़ी-सा धानमं ी जवाहरलाल नेह ने िकया। इसके बाद िशव
िदखाई पड़ता है। दो वष म बनाए गए इस िकले को मराठा छ पित ित ान ने एक िवशाल सभागहृ का िनमाण
शासक छ पित िशवाजी ने इस िकले को नीरा और कोयना िकया। तुलजा भवानी मंिदर से कु छ दूरी पर अफज़ल खान
निदय क तरफ से सुर ा बढ़ाने के उ े य से बनवाया था। क क बनी है जहां ितवष उस आयोिजत िकया जाता है ।
समु ीतल से लगभग 3543 फु ट क ऊँ चाई पर यह िकला
ह।ै यह पर छ पित िशवाजी महाराज ने 'तुलजा 1818 म अं ेज के साथ हए तीसरे मराठा यु म
भवानी'(मंिदर के समीप दो ऊँ ची दीपमाला भी िदखाई दते ी मराठ को खूब नुकसान हआ और यह िकला कु छ समय के
है, जब यहां पर दीप जलाए जाते ह तो वह य बेहद िलए अं ेज के पास रहा। वतमान म इसका वािम व
मनोहारी होता है) माता का और भगवान शंकर का भ य िशवाजी के वंशज ी उदयनराजे भोसले के पास ह।ै बताते
मंिदर बनाया। बताते ह िक िकले क खदु ाई/िनमाण के ह िक इस िकले पर िशवशाही परंपरानुसार आज भी
दौरान एक भ य- िशविलंग िमला इसिलए िशव का मंिदर सूय दय के पूव इसके ार खोल िदए जाते ह और सूया त
बनाया गया जो बाले िकले के वेश ार के प ात ही है। प ात बंद कर िदए जाते ह।
कै से पहँचे-
िजस वष यह िकला बना, उसी वष इसी िकले से िकले पर आप आसानी से चढ़ या जा सकते ह। महाबले र
िशवाजी महाराज और अफज़ल खान के बीच भयंकर यु से महाड़ के रा ते पर, आंबेनली घाट के नजदीक
हआ था और इस यु म िशवाजी महाराज क िवजय हई
थी, इससे मराठा सा ा य को अपनी शि , साहस िमला।
इसिलए इसे 'साहसी िकला' के नाम से भी जाना जाता ह।ै

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21 िक.मी. क दूरी पर तापगढ़ है। जो िग रदुग कार का है के मकसद से मंि य के बंगले का नया नामकरण िकया ह।ै
और स ा ी पवत क ेणी के म य, जंगल के बीच ह।ै मंबु ई मं ालय के सम बने माननीय मंि य के बंगल के
यिद आप हवाई जहाज से सफर करना चाहते ह तो पूणे नाम अब तक नंबर से जाने जाते थे। एक सरकारी
सबसे नजदीक का िवमानतल है। वहां से लगभग 150 आदेशानुसार अब रा य सरकार ने छ पित िशवाजी
िक.मी. क दूरी है। यिद आप रेलवे से सफर करना चाहते ह महाराज के िकल के नाम इन बंगल को िदए ह। रायगढ़,
तो आपको सातारा टेशन उतरकर जाना होगा, या क कण िशवगढ़, िसंहगढ़, र निसंध,ु तापगढ़, जंजीरा,
रेलवे के वीर टेशन से जाना होगा । िवजयदुग, राजगढ़, लोहगढ़, प हालगढ़ आिद नाम से
िनवास- मंि य के बंगले पहचाने जायगे। इसके अलावा वणगढ़,
वैसे यहां पर एक पुरानी धमशाला है पर आजकल छोटे-
मोटे, साधारण लॉज आिद क यव था है जहां आप रहकर िगरी, पुरंदर, िशवालय आंिज यतारा, िचि गढ़,
इस िकले का और आसपास के मनोरम य का आनंद जयगढ़ और िवशालगढ़ नाम भी रखे गए ह। ऐितहािसक
उठा सकते ह। यहां शाकाहारी-मांसाहारी, दोन तरह का धरोहर क जानकारी, िवशेष प से युवापीढ़ी को याद
भोजन िकफायती दर पर िमलता ह।ै रखने के िलए ये एक तु य यास है।
अफजल खान के छल, कपट से िशवाजी महाराज हमेशा
सतक रहते थे। आिखर अफजल खान का िसर धड़ से
अलग कर िशवाजी महाराज ने उसका वध कर िदया। यह
िकला िशवाजी महाराज के साहस, परा म, वीरता का
जीता-जागता माण है, िजसे एक बार देखना बेहद सकु ू न
दते ा है। राजमाता िजजाऊवाड़ा और नागरखाना इमारत के
अवशेष भी देखे जा सकते ह।
महारा सरकार ने रा य के िकल क ऐितहािसक िवरासत
को संरि त करने और लोग के बीच इसे लोकि य बनाने

ि थत है ?

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अकं - 19 माच, 2022

रोग क उ पि - ेया काकड़े,

व र िलिपक, क कण रेलवे

हम 'जड़ी-बूिटय ' के ारा िचिक सा करने के बारे म बताने अपानवायु और यानवायु सम त शरीर म रहती है।

से पहले यह बता देना आव यक समझते ह िक शरीर म 1. उदानवाय-ु यह गले म घमू ती है। इसी क शि से ाणी

रोग क उ पि य होती है? अ छे खान-पान के बाद भी बोलने और गाने म समथ होता है। जब यह वायु कु िपत हो

हमारा शरीर अ व थ य रहता है? ायः वात, िप और जाती है, तब ऊपर क ओर क ठ- भृित थान म रोग क

कफ आिद के दिू षत हो जाने से ही शरीर म िकसी-न-िकसी उ पि कर देती है।
रोग क उ पि हो जाती है और रोग क यह उ पि ही शरीर 2. ाणवायु- यह दय म रहती है और मंुह म सदा चलती
के वा य को चौपट कर डालती है। आयुवद के िस रहती है तथा ाण को धारण करती है। खायी हई चीज को
ंथ म भी इन दोष को ही रोग को उ पि का सबसे बड़ा भीतर ले जाती है और ाणर ा करती है। जब यह कु िपत
कारण बताया ह।ै 'ि दोष' शरीर को दिू षत करने वाले, हािन होती है, तब िहचक तथा ास आिद रोग क उ पि
पहंचाने वाले होते ह। ये ि दोष यानी तीन दोष दय और करती है।
नािभ के बीच म और ऊपर या होकर िदन, रात और 3. समानवाय-ु इसका थान नािभ म है। यह आमाशय और
भोजन के अंत, म य और आिद म, म से गमन करते ह। प वाशय म िवचरती रहती है और जठराि न से िमलकर
चंिू क ये धातु और मल को दूिषत करते ह, इस कारण इनको खाये हए भोजन को पचाती है तथा भोजन से जो मल-मू
'दोष' कहा गया ह।ै आिद उ प न होते ह, उ ह अलग-अलग करती ह।ै जब यह
वात अथात् वायुदोष : कु िपत हो जाती है, तब मंदाि न, अितसार और वायुगोला
वायु धातु और मल को दूसरी जगह ले जाने वाली, ज दी रोग क उ पि करती ह।ै
चलने वाली, रजोगुणयु , सू म, खी, शीतल और 4. अपानवाय-ु यह प वाशय म रहती है और मल-मू ,
ह क होती है। वायु योगवाही है; अथात् िप के साथ शु -वीय, गभ और आ व को िनकालकर बाहर डाल
िमलकर िप के और कफ के साथ िमलकर कफ के काम दते ी है। यिद यह कु िपत हो जाती है तो िनि त प से
करने लगती है। सब दोष म वायु ही धान ह।ै प वाशय, मू ाशय और गुदा-संबंधी रोग तथा शु दोष, मेह आिद
कमर, जांघ, कान, हड्डी और वचा आिद वायु के मुख रोग क उ पि करती है।
थान ह। इनम मु य थान प वाशय का ह।ै नाम, थान 5. यानवायु-सम त शरीर म िवचरण करने वाली यह वायु
और कमभेद से एक ही वायु पांच कार क होती ह।ै वायु के रस, पसीने और र को बहाने वाली है। नीचे डालना, ऊपर
पांच नाम िन न ह- डालना, आंख बंद करना, खोलना आिद सब काय इस
1. उदानवायु 2. ाणवायु 3. समानवायु वायु के ारा ही संप न होते ह। जब यह कु िपत हो जाती है तो
4. अपानवायु 5. यानवायु शरीर म रोग क उ पि कर देती है। जब कभी पांच वायु

मनु य के क ठ म उदानवायु, दय म ाणवायु, कोठे क एक साथ कु िपत हो जाती ह, तो शरीर को रोग का घर बना

अि न के नीचे(नािभ म) समानवायु, मलाशय (गदु ा) म देती ह और वा य का नाश कर दते ी ह।

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अकं - 19 माच, 2022

िप दोष है। कफ भी नाम, थान और कमभेद से पांच तरह का होता
िप एक कार का पतला य ह।ै यह गम होता है। ह।ै इसे िन न पांच नाम से जाना जाता है-
सतोगुणी, द त लाने वाला, चरपरा, ह का, िचकना और 1. लेदनकफ 2. अवल बनकफ 3. रसनकफ
ती ण होता है; िक तु पाक के समय इसका वाद ख ा हो 4. नेहनकफ 5. े मणकफ
जाता है। नाम, थान और कमभेद से िप पांच कार का लेदनकफ अ न को गीला करता है, इसी कारण से
होता है एकि त हआ अ न अलग-अलग हो जाता है। अवल बन
1. पाचकिप 2. रंजकिप 3. साधकिप कफ रसयु वीय से दय भाग का अवल बन और म तक
4. आलोचकिप 5. ाजकिप दोन भजु ाओं क हड्डी का संधारण करता है। रसन कफ
पाचकिप आमाशय और प वाशय म, रंजकिप यकृ त रेस हण करता ह।ै रसनकफ रस को हण करता है।
लीहा म, साधकिप दय म, आलोचकिप दोन आंख नेहनकफ िचकनाई से सम त इंि य को तृ करता और
म और ाजकिप सम त शरीर और वचा म रहता है। श े मण कफ संिधय को जोड़ता है।
1. पाचकिप - यह आमाशय और प वाशय रहकर भ य,
भो य, च य, ले , चो य और पेय; छह कार आहार को ऋतु - ान
। पचाता है, शेषाि न को बल को बढ़ाता है तथा रस, मल, भारतवष षट् ऋतु-संप न देश है। संव सरा मक काल-
मू और दोष को अलग-अलग करता ह।ै यह िप मु य िवभाग म माघ से आरंभ करके बारह माह होते ह और दो-
ह।ै इसी से शेष चार िप को सहायता िमलती है। यह िप दो माह म एक-एक ऋतु होती ह। इस भांित एक वष म बारह
(अि न) बड़े शरीर वाल म जौ के समान छोटे शरीर वाल म माह और छह ऋतुएं होती ह।
ितल के समान क ट-पतंग आिद जीव म बाल के समान धमशा ानुसार ऋतु -िवभाग
होता है। माघ और फा गुन—िशिशरऋतु, ावण और भा पद ==
2. रंजक िप -यह यकृ त और लीहा म रहकर र को वषाऋतु चै और वैशाख – वसंतऋतु
बनाता है। आि न और काितक == शरदऋ् तु
3. साधक िप -यह दय म रहकर मेधा और धारणशि ये और आषाढ़- ी मऋतु, अगहन और
को ती करता ह।ै पौष == हेम तऋतु,
4. आलोचक िप - यह दोन आंख म है, इसी ाणी उपयु ऋतु-िवभाग धमशा ानसु ार ह।ै इस कार बांधी
सबकु छ देख पाता ह।ै हई ऋतुएं धमकाय और दवे कायािद म मानी जाती ह। वात
5. ाजक िप -शरीर म ांित उ प न करता है और आिद दोष के संचय, कोप और शांित के िलए
मािलश िकए हए तेल तथा लेपन आिद को पचाता ह।ै आयवु दाचाय महिष सु ुत ने ऋतु-िवभाग दूसरे कार से
कफ िप िकया है।
कफ िप भारी, सफे द, िचकना, शीतल, तमोगुणयु और वै कशा ानुसार ऋतु - िवभाग
मधुर होता है, लेिकन जल जाने से यह खारा हो जाता फा गुन और चै – वसंतऋतु भा पद और आि न ==

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अकं - 19 माच, 2022

वषाऋतु वषाऋतु - शीतल, दाह एवं अि न मंद करने वाली और वायु

वैशाख और ये – ी मऋतु काितक और को कु िपत करने वाली ह।ै

अगहन == शरदऋतु शरऋतु-गरम, िप को कु िपत करने वाली तथा मनु य को

आषाढ़ और ावण== ावटृ ्ऋतु पौष और माघ = = म यम बल दान करने वाली है।

हेम तऋतु ि दोष के संचय का समय

गंगा के दि ण देश म वषा अिधक होती ह,ै इसी कारण वायु (वात) - यह ी मऋतु म सिचत होती है, ावटृ ्ऋतु म

मिु नय ने वषा और ावटृ ् दो ऋतुएं अलग-अलग कही ह। कु िपत होती है और शरद्ऋतु म वयं शांत हो जाती है।

गंगा के उ र े म सद जोर-से पड़ती है, इसिलए हेम त िप - वषाऋतु म संिचत होता है, शरद्ऋतु म कु िपत होता है

और िशिशर दो ऋतुएं अलग-अलग ह। हेम त और िशिशर और वसंतऋतु म वयं शांत हो जाता है।

के गुण-दोष समान ह। ावटृ ् और वषा के गुण-दोष भी कफ-हेम तऋतु म संिचत होता है, वसंतऋतु म कु िपत

समान जैसे ही ह। होता है और ावटृ ऋतु म वयं शांत हो जाता ह।ै

सु तु म िलखा है िक उ म ऋतुएं वा यवधक होती ह। दोष-संचय होने के ल ण
िक तु यिद ऋतुओं के िवपरीत या िवषम ल ण ह , तो जब अपने-अपने थान म ि थत दोष क विृ होती है,
मनु य के वातािद दोष कु िपत हो जाते ह। गिमय म तब ास से कोठा भर जाता है। अंग म पीलापन आ जाता
आव यकता से अिधक गम , सद म आव यकता से है। अि न मंद हो जाती है। शरीर भारी होने लगता है और

अिधक सद और बरसात म आव यकता से अिधक वषा आल य घेरता ह।ै िजन पदाथ से दोष बढ़ते ह, उनम

होना, यही उ म ऋतुओं के िवपरीत ल ण ह अथवा अ िच हो जाती है; अथात् उन पदाथ से िदल हट जाता ह।ै
ी मऋतु म सद पड़े और हेम तऋतु म गम पड़े या कभी जब ये ल ण िदखाई पड़, तब समझ लेना चािहए िक दोष-
अिधक सद -गम पड़े, तो िवषम ऋतुओंके इन ल ण से संचय हआ ह।ै यिद उसी समय उसक विृ को रोकने का
वातािद दोष कु िपत होकर शरीर म अनेक रोग क उ पि उपाय िकया जाए, तो अ छा रहता है, य िक िवलंब होने
करते ह। से दोष विृ पाकर बहत बलवान हो जाता ह।ै

ऋतुओंके गुण-दोष कु िपत-दोष के शांित के उपाय
हमे तऋत-ु शीतल, िचकनी, िवशेषकर येक पदाथ को िजन ऋतुओंम जो-जो दोष मनु य के शरीर म कु िपत होते
वादु करने वाली और जठराि न को बढ़ाने वाली है। ह, उन-उन ऋतुओं म उ ह -उ ह दोष क शांित वाले
िशिशरऋतु-अ यंत शीतल, खी और वायु को बढ़ाने पदाथ लेने चािहए। जैसे वसंत म कफ को शांत करने वाले
वाली है अथात् वायु के रोग क उ पि करती ह।ै इस मौसम पदाथ सेवन करने चािहए। वषा म वायु कु िपत होती है,
म जठराि न भी ती हो जाती है। इसिलए वषा म वायुनाशक अथात् वायु को शांत करने
वसंतऋतु-िचकनी है, पदाथ म मधुरता उ प न करती है वाले आहार लेने चािहए। शरदक् ाल म िप कु िपत होता है,
और कफ को बढ़ाती है, यानी कफ को कु िपत करती है। इसिलए इस मौसम म िप को शांत करने वाले पदाथ का
ी मऋतु- खी, पदाथ म ती णता करने वाली, िप

यानी गम उ प न करने वाली और कफ-नाशक ह।ै सेवन करना चािहए।

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अंक - 19 माच, 2022

राजभाषा के े म उ कृ काय-िन पादन के िलए क कण रेलवे के मडगांव कायालय को गहृ मं ालय, राजभाषा िवभाग, नई िद ली क ओर से
िदनाकं 22.10.21 को माननीय ी ीपाद यसे ो नाईक, प न, पोत, प रवहन और जलमाग एवं पयटन रा य मं ी के
कर-कमलो से वष 2017-18, 2018-19, 2019-20 के िलए राजभाषा शी ड एवं माण-प दान िकया गया ।

गहृ मं ालय, राजभाषा िवभाग क ओर से िदनाकं 22.10.21 को गोवा म पि म िदनांक 06.12.2021 को 31व थापना िदवस के अवसर पर राजभाषा िवभाग
एवं म य े के संयु राजभाषा स मेलन म क कण रेलवे क ओर से े ीय को अ य एवं बंध िनदशे क तर के ुप परु कार से स मािनत िकया गया।
रेल बधं क/कारवार, व र े ीय राजभाषा अिधकारी/कारवार ने भाग िलया।

मु यालय राजभाषा काया वयन सिमित क 95व बठै क िदनाकं 26.10.2021 31 िदसबं र, 2021 को समा ितमाही के िलए िदनाकं 20.01.22 को
को आयोिजत क गई। इस दौरान क कण ग रमा के 18व अकं (ई-पि का) का अ य एवं बंध िनदशे क जी क अ य ता म मु यालय
राजभाषा काया वयन सिमित क 96व बैठक सपं न हई।
िवमोचन िकया गया।

गो वामी तुलसीदास

गो वामी तुलसीदास (1511 - 1623) िह दी सािह य के महान स त किव थे।
रामच रतमानस इनका गौरव थ है। इ ह आिद का य रामायण के रचियता महिष

वा मीिक का अवतार भी माना जाता है।
ज मः रामबोला 1511 ई. (स वत्- 1568 िव.) सोर शकू र े , कासगंज ,
उ र देश, भारत
मृ युः 1623 ई. (सवं त 1680 िव.), वाराणसी
िखताब/स मानः गो वामी, अिभनववा मीिक, इ यािद
सािहि यक कायः रामच रतमानस, िवनयपि का, दोहावली, किवतावली,
हनमु ान चालीसा, वरै ा य स दीपनी, जानक मंगल, पावती मंगल, इ यािद
कथनः सीयराममय सब जग जानी।

करउँ नाम जो र जगु पानी ॥
(रामच रतमानस 1.8.2)A


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