The words you are searching are inside this book. To get more targeted content, please make full-text search by clicking here.
Discover the best professional documents and content resources in AnyFlip Document Base.
Search
Published by Rajiv Bhatnagar, 2020-08-26 15:10:31

DPS JODHPUR DIGITAL MAGAZINE PART-2 (IV-VIII)

Quaranzine_PART2 (IV - VIII)

Keywords: QUARANZINE 2020

QUARANZINE 2020

माँा

मा,ँा तझु पर मंै क्या सिखाँ कविता
ागर े भी त है गहरी

तझु े ही ंि ार है जीिन पाता
मा,ँा तझु को कै े व्यक्त करिं म?ैं

त षृ ्टि की दिुं रतम रचना
ईश्िर का िरदान है त

मंै तरे ी बगगया की नन्ही – ी किी
मा,ँा तझु को कै े शब्दों मंे बााधँ मैं ।।

मंै खु े ोई, त रातों मंे जागी
मेरे गीिे बबस्तरों पर तनु े
न जाने ककतनी रातंे गजु ारी

न कभी कोई गगिा, न कोई सशकिा
तरे े आचँा ि की छाँाि में,

मंै न जाने कब बडी हो गई।
तरे ी िोररयााँ , तेरी पुचकार

ाथ में थोडी डााँि - फिकार
तेरे हाथों का िो चिपिा आचार
च में, त जाद की पडु डया है माँा
बबन कहे ही ब कु छ जान जाती है मााँ
अपनी भािनाओिं को कै े प्रकि करिं मैं
मा,ाँ तझु को कै े शब्दों मंे बााँध म?ैं

बके जागने े पहिे जागना
बकी प दिं का ख्याि रखते हुए,
खुद अपने को ही भि जाना
कै े कर िेती हो मााँ, तमु ये ब
कक द रों के अष्स्तत्ि को ही

अपनी पहचान बनाना
तझु े ही घर मंे रौनक है
मा,ाँ त ही मेरी धडकन है
तेरी ननश्छि ममता े ही

जीिन है इ ंि ार मंे
तरे े ऋण को नहींि चकु ा कती मंै
मा,ँा तुझको कै े शब्दों में बााधँ मंै
मेरी असभिाषाओंि में तनु े ही रंिग भरा मााँ
दनु नया की हर बरु ाई े तनु े ही बचाया माँा

त मदंि दर की पािन घंििी,
त म ष्जद की अजान माँा
त स्नेह का अपार ागर
त बबना कक ी शतत पर न्योछािर होती माँा
मंै एक शब्द तो त परी पररभाषा मााँ
त्याग और तपस्या की त ाक्षात ् प्रनतमनतत माँा
तुझको कै े व्यक्त करंि मैं
मा,ाँ तझु को कै े शब्दों में बााधँ म?ंै

मीनाक्षी कृ पलानी

149

149

QUARANZINE 2020

लॉकडाउन के अनभु व

कियगु के बाद तयुग आएगा, ये तो हमने पढा था।
पर एक नन्हा- ा जीि, परी दनु नया में कोहराम मचाएगा

ये हमारी कल्पना े परे था।।
खैर….इ कोरोना के चक्कर मंे
हम सशक्षकों की हुई जो कु छ ददन की छु ट्दियााँ
मन हुआ प्रफु ष्ल्ित, ोचा……
अब कु छ ददन होंगी स फत मष्स्तयााँ
पर घर में भी तो बच्चों और पनतदेि की रहेगी छु ट्िी
ये ख्याि आते ही खो गई मेरी तो ीट्िी- बबट्िी
ोचा, चिो बात है कु छ ददन की ही
अपनी पाक-किा के हुनर े ििती हाँ िाहिाही
अब रोज ककचन में नये-नये व्यिजं न बनने िगे
बबग बॉ के घर की तरह ारे िास्क परे होने िगे
और हमंे बडी मुष्श्किों े समिती है जो तारीफें

हम उन्हंे बिोरने िगे
कु छ ददन तो बडा ही मजा आया

घर मंे उत् ि- ा िगने िगा
च पछो तो पररिार अब पररिार िगने िगा

ररश्तों मंे अब समठा बढने िगी थी
घर में िडो, के रम और ताश की बाष्जयाँा जने िगी थी

ष्स्थनत थोडी गभंि ीर होती गई
गचतंि ाओंि की िकीरंे अब उभरने िगी
न जाने ककतने घरों के गचराग बझु गए
ननधनत ों के हािात और अगधक बबगड गए
इन बबगडी पररष्स्थनतयों ने अपन-े परायों की पहचान कराई
जान के हम अपनी जरूरतों और अनचाहे खचों को

कु दरत ने ऐ ी करामात ददखाई
प्रकृ नत अब खदु को ाँिारने मंे िगी थी
दररयाददिों के कोष अब खिु ने िगने िगे थे
हम दौड रहे थे जो ष्जन्दगी के मैदान मंे,

थोडा ठहरने िगे हंै
‘कफर े मसु ्कराएगा इंिडडया' ये पना ाँिारने मंे िगे हंै

ये पना ँािारने में िगे हंै।।

मीनाक्षी कृ पलानी

150

150

QUARANZINE 2020

योग और जीवन

21 जून, अंतर्राष्टर्ीय योग दिवस के उपलक्ष मंे जीवन को योगमय बनरने हेतु कृ त-
संकल्प हों | योग प्रत्येक व्यक्ति के भीतर् दनदहत दिव्यतर से जुड़ने कर नरम है |
आधुदनक जीवन शैली तनरव, दनक्तियतर, दवलरदसतर, प्रदतस्पधरा और् परर्ग्रह - संचय
से परर्पूर्ा होने से सम्पूर्ा दवश्व में परर्क्तथिदतजन्य और् मन:क्तथिदतजन्य कष्ट् और् िु:ख
व्यरप्त हंै |
दजस प्रकरर् बरह्य भौदतक दवज्ञरन के क्षेत्र में तकनीदक सरधनों के जरर्ये बरहर्ी दवषम
परर्क्तथिदत को वश मंे कर्ने के अनेक प्रयोग और् उपरय हैं जैसे वरतरवर्र् की
उष्णतर को शीतल कर् िेनर, सिी मंे गमी कर वरतरवर्र् कर् िेनर आदि | उसी
प्रकरर् योग कर दवज्ञरन भी एक ऐसर प्रयोग है दजससे मन:क्तथिदत को दनयंदत्रत कर्के ,
दवकरर्ों को िू र् कर्, अन्तदनादहत दिव्यतर से तरिरत्म्य थिरदपत दकयर जर सकतर है |“
योग “ शब्द कर अिा है ‘जुड़नर’ और् ‘समरदध’ |

पतंजदल ने योग सूत्र मंे योग के आठ अंग बतरये है- यम, दनयम, आसन, प्ररर्रयरम
,प्रत्यरहरर्, धरर्र्र, ध्यरन और् समरदध | 1. यम ( अदहंसर, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचया,
अपरर्ग्रह ) के परलन से सरमरदजक और् आदिाक व्यवथिर को सुधरर्र जर सकतर है |
2. दनयम (शौच, संतोष, तप, स्वरध्यरय, ईश्वर्-प्रदर्धरन) के परलन से व्यक्तिगत
जीवन में स्वच्छतर, संतोष, सहनशीलतर, स्वरध्यरय, और् समपार् भरव जरग्रत दकयर जर
सकतर है| 3. आसनों के अभ्यरस से शर्ीर् दृढ व मजबूत बनतर है 4.प्ररर्रयरम से
क्तथिर्तर आती है ,नरडी शोधन होतर है,प्ररर् ऊजरा दवकदसत होती है ,श्वसन - तंत्र
मजबूत होतर है|5. प्रत्यरहरर् से जीवन मंे संयम आतर है और् मन दनयंदत्रत र्हतर है|
6. धरर्र्र 7. ध्यरन 8. समरदध से जीवन मंे लक्ष्य के प्रदत एकरग्रतर बढती है
और् लक्ष्य की प्ररक्तप्त होती है | इस प्रकरर् योग समस्त स्वरस्थ्य की प्ररक्तप्त और्
आंतरर्क आनंि की अनुभूदत कर्रतर है |
कोदवड -19 वैदश्वक महरमरर्ी के इस समय ने हमरर्ी शरर्ीरर्क एवम् मरनदसक
क्षमतरओं पर् प्रश्न दचह्न लगर दियर है ऐसे समय मंे भयभीत न होकर् मन:क्तथिदत
को दनयंदत्रत कर्ने के दलए, भीतर् की र्ोग प्रदतर्ोधक क्षमतर को बढरने के
दलए योग अदनवरया है |अष्ट्रंग योग को जीवन व्यवहरर् में लरने से व्यक्ति के
शरर्ीरर्क, मरनदसक, मनोवैज्ञरदनक, भरवनरत्मक और् आध्यरक्तत्मक स्वरस्थ्य कर
दवकरस होगर |
आइये! इस अंतर्राष्टर्ीय योग दिवस पर् योग को जीवन शैली में ढरल कर् समग्र
आर्ोग्य और् आनंि प्ररप्त कर्ंे |

डॉ अमिता पारे ख

151

151


Click to View FlipBook Version