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Published by esuvidhanoida, 2017-09-06 06:13:54

FE-Ballia August_2017

FE-Ballia August

BALLIA SANDESH

ई-पत्रिका

01-08-2017 To 31-08-2017

Volume-20

E-Newsletter August-2017 1

बमिया संदेश

श्री सतं ोष कु मार ममश्रा
(अधिशाषी अधिकारी)

नगर पालिका पररषद, बलिया के नगरवालियों को अगस्त 2017 के ई-पत्रिका बलिया िदं ेश में
स्वागत है | अगस्त माह मंे हुये ववकाि कायो को ई-पत्रिका बलिया िदं ेश के द्वारा आपिब को
बताना चाहता हूँ | बलिया नगर पालिका प्रत्येक माह ई-पत्रिका बलिया िदं ेश के द्वारा नगर
पालिका मंे हुये ववकाि कायो को आपिब के िामने िाने का प्रयाि करता हूँ , जिििे बलिया
नगर पालिका पररषद के ववकाि और नई योिनाओं िे िाभाजववत हो िके | नगर पालिका
पररषद बलिया का एक माि उद्देश्य नगर पालिका का ववकाि है | जििमे त्रबना ककिी भेद-भाव,
िभी िमदु ायों के िोगो को एकिाथ िके र आगे बढने का उद्दशे ्य है | जििके लिए नगर पालिका
पररषद बलिया के ननवालियों को इिमें िहयोग महत्वपर्ण है, और नगर पालिका इिका उम्मीद
करता है | नगरवालियों िे अपीि है की नगर को स्वच्छ और िवु दर बनाने मंे नगर पालिका की
मदद करे | अपने आि-पाि िाफ-िथु रा रखे| कड़ा-कचरा डस्टत्रबन मंे रखे , गवदगी न फै िाये |
आने वािा कि अच्छा हो इिके लिये आि बहे तर बनायंे |

E-Newsletter August-2017 2

बमिया संदेश

श्री सतं ोष कु मार ममश्रा
(अधिशाषी अधिकारी)

I am happy to present the August 2017 issue to all of you. A number of pro-
jects have been commissioned in the month of August. The former will help
smoothen the flow of traffic, reduce the travel time of citizens, ease the con-
gestion and reduce pollution on Nagar Palika Parishad Ballia’s road. There
have been a lot of lessons to learned and these insights will certainly stand
in good stead with us in our endeavors in future. The one thing that stands
out is the most active participation of citizens. We, the residence of the Na-
gar Palika Parishad Ballia respective of ages, castes, creeds, religions, local-
ities have untidily participated in creation of Ballia’s Swachh Nagar Palika
Parishad proposal. As I look into the future with great expectation, it is this
one aspect of the municipality which gives me the greatest hope. We in the
Nagar Palika Parishad Ballia, would be very happy to receive your feed-
backs on all matters that you feel are important.

E-Newsletter August-2017 3

बमिया सदं ेश

( Chairman )

I am delighted to present the tasks and issue of Ballia Nagar Palika by e-
Patrika Ballia Sandesh in August 2017. Nagar Palika Parishad Ballia is
grateful to the citizens who displayed tremendous enthusiasm and whole
heartedly participated in numerous activities throughout this period. All of
us should bear in mind that this is not end but a beginning of the exercise
pertaining to development and Swachh Mission program. The coming times
will surely be very hectic and eventful. Ballia promises to leave no room for
complacency and will work even harder to achieve the targets. We solicit ac-
tive participation from the citizens in our endeavor. We sincerely believe
that decisions taken by Nagar Palika Parishad Ballia should benefit Nagar
Palika Parishad Ballia and the citizens in the ultimate analysis. Many pro-
jects process in work in Nagar Palika Parishad Ballia for development our
Nagar Palika and citizens. Thanks to all citizens of Nagar Palika Parishad
Ballia for supporting to develop Ballia.

E-Newsletter August-2017 4

रक्षा बंिन की शभु कामनाएँ

रक्षा बिं न का त्यौहार श्रावर् माि की पर्र्मण ा को मनाया िाता है। उत्तरी भारत मंे यह त्यौहार भाई-बहन के अटट प्रमे
को िमवपतण है और इि त्यौहार का प्रचिन िददयों पुराना बताया गया है। इि ददन बहने अपने भाई की किाई पर राखी
बाँूधती हंै और भाई अपनी बहनों की रक्षा का िकं ल्प िेते हुए अपना स्नहे ाभाव दशातण े हैं। पुरार्ों के अनुिार रक्षा बंधन
पवण िक्ष्मी िी का बिी को राखी बांधने िे िुडा हुआ है। इिके लिए पुरार्ों में एक कथा है िो इि प्रकार है – िब
दानवो के रािा बलि ने अपने िौ यज्ञ परु े कर लिए तो उवहोंने चाहा कक उिे स्वगण की प्राजतत हो, रािा बलि कक इि
मनोइच्छा का भान देव इवर को होने पर, देव राि इवर का लिहािं न डोिने िगा। िब देवराि इंर को कोई उपाय नही
िझु ा तो वो घबरा कर भगवान ववष्र्ु की शरर् मंे गय,ंे और बलि की मशं ा बताई तथा उवहंे इि िमस्या का ननदान
करने को कहा। देवराि इंर की बात िुनकर भगवान ववष्र्ु वामन अवतार िे, ब्राह्मार् वशे धर कर, रािा बलि के यहा
लभक्षा मागं ने पहुंच गयें क्योंकक रािा बलि अपने ददए गए वचन को हर हाि मंे परा करते थे। िब राि बलि ने ब्राह्मार्
बने श्री ववष्र्ु िे कु छ माूँगने को कहां तो उवहोंने लभक्षा में तीन पग भलम मागं िी। रािा बलि ने उवहंे तीन पग भलम
दान में देते हुए कहां की आप अपने तीन पग नाप िे। वामन रुप मंे भगवान ने एक पग में स्वगण ओर दिु रे पग में
पथ्ृ ्वी को नाप लिया। अभी तीिरा परै रखना शषे था। बलि के िामने िंकट उत्पवन हो गया। आर्खरकार उिने अपना
लिर भगवान के आगे कर ददया और कहां तीिरा पग आप मेरे लिर पर रख दीजिए। वामन भगवान ने दिक वैिा ही
ककया, श्री ववष्र्ु के परै रखते ही, रािा बलि पाताि िोक पहुंच गए। बलि के द्वारा वचन का पािन करने पर, भगवान
ववष्र्ु अत्यवत खशु हुए, उवहोंने आग्रह ककया कक रािा बलि उनिे कु छ मागं िें। इिके बदिे में बलि ने रात ददन
भगवान को अपने िामने रहने का वचन मांग लिया, श्री ववष्र्ु को अपना वचन का पािन करते हुए, रािा बलि का
द्वारपाि बनना पडा। िब यह बात िक्ष्मी िी को पता चिी तो उवहोंने नारद िी को बिु ाया और इि िमस्या का
िमाधान पछा। नारद िी ने उवहें उपाय बताया की आप रािा बलि को राखी बाूँध कर उवहंे अपना भाई बना िे और
उपहार में अपने पनत भगवन ववष्र्ु को मांग िे। िक्ष्मी िी ने ऐिा ही ककया उवहोंने रािा बलि को राखी बाधूँ कर अपना
भाई बनाया और िब रािा बलि ने उनिे उपहार मागं ने को कहाूँ तो उवहोंने अपने पनत ववष्र्ु को उपहार में मागं लिया।
जिि ददन िक्ष्मी िी ने रािा बलि को राखी बाँूधी उि ददन श्रावर् पर्र्मण ा थी। कहते है की उि ददन िे ही राखी का
तयौहार मनाया िाने िगा।

E-Newsletter August-2017 5

श्री कृ ष्णा जन्माष्टमी की हाददिक शुभकामनाएँ

यशोदा नंदन, देवकी पुि भारतीय समाज में कृ ष्ण के नाम से सददयों से पजू े जा रहे हंै। तार्कि कता के िराति पर कृ ष्ण
एक ऐसा एकाकं ी नायक हंै, जजसमंे जीवन के सभी पक्ष ववद्यमान है। कृ ष्ण वो र्कताब हैं जजससे हमें ऐसी कई मशक्षाएं
ममिती हंै जो ववपरीत पररजथितत मंे भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती हंै। कृ ष्ण के जन्म से पहिे ही
उनकी मतृ ्यु का षड्यंि रचा जाना र कारावास जसै े नकारात्मक पररवशे में जन्म होना र्कसी िासदी से कम नही िा ।
परन्तु ववपरीत वातावरण के बावजदू नंदिािा , वासुदेव के पिु ने जीवन की सभी वविाओं को बहुत ही उत्साह से जजवंत
र्कया है। श्री कृ ष्ण की संपूणि जीवन किा कई रूपों मंे ददखाई पङती है। नटवरनागर श्री कृ ष्ण उस सपं णूि ता के पररचायक
हंै जजसमंे मनषु ्य, देवता, योगीराज तिा संत आदद सभी के गुणं समादहत है। समथत शजततयों के अधिपतत युवा कृ ष्ण
महाभारत में कमि पर ही ववश्वास करते हंै। कृ ष्ण का मानवीय रूप महाभारत काि में थपष्ट ददखाई देता है। गोकु ि का
ग्वािा, त्रबरज का कान्हा िमि की रक्षा के मिए ररश्तों के मायाजाि से दरू मोह-माया के बिं नों से अिग है। कं स हो या
कौरव पाडं व, दोनो ही तनकट के ररश्ते र्िर भी कृ ष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रथतुत र्कया र्क िमि की रक्षा के मिए
ररश्तों की बजाय कतवि ्य को महत्व देना आवश्यक है। ये कहना अततश्योजतत न होगी र्क कमि प्रिान गीता के उपदेशों को
यदद हम व्यवहार मंे अपना िंे तो हम सब की चते ना भी कृ ष्ण सम ववकमसत हो सकती है। कृ ष्ण का जीवन दो छोरों मंे
बिं ा है। एक ओर बांसुरी है, जजसमें सजृ न का संगीत है, आनंद है, अमतृ है र रास है। तो दसू री ओर शंख है, जजसमें
यदु ्ध की वदे ना है, गरि है तिा तनरसता है। ये ववरोिाभास ये समझाते हैं र्क सुख है तो दुु ःख भी है। यशोदा नंदन की
किा र्कसी द्वापर की किा नही है, र्कसी ईश्वर का आख्यान नही है र ना ही र्कसी अवतार की िीिा। वो तो यमुना
के मदै ान मंे बसने वािी भावात्मक रुह की पहचान है। यशोदा का नटखट िाि है तो कहीं द्रोपदी का रक्षक, गोवपयों का
मनमोहन तो कहीं सुदामा का ममि। हर ररश्ते में रंगे कृ ष्ण का जीवन नवरस मंे समाया हुआ है। माखन चोर, नदं र्कशोर
के जन्म ददवस पर मटकी िोङ प्रततयोधगता का
आयोजन, खिे -खिे मंे समझा जाता है र्क र्कस
तरह थवयं को सतं ुमित रखते हुए िक्ष्य को हामसि
र्कया जा सकता है; तयोंर्क सतं ुमित र एकाग्रता
का अभ्यास ही सखु मय जीवन का आिार है।
सजृ न के अधिपतत, चक्रिारी मिसु दू न का
जन्मददवस उत्सव के रूप मंे मनाकर हम सभी मंे
उत्साह का सचं ार होता है र जीवन के प्रतत
सजृ न का नजररया जीवन को खशु नुमा बना देता
है।

E-Newsletter August-2017 6

थवतंिा ददवस के उपिक्ष्य में समथत नगर वामसयों को हाददिक बिाई

आजादी कहंे या थवतंिता ये ऐसा शब्द है जजसमें पूरा आसमान समाया है। आजादी एक थवाभाववक भाव है या यू कहे
र्क आजादी की चाहत मनषु ्य को ही नहीं जीव-जन्तु र वनथपततयों मंे भी होती है। सददयों से भारत अगं ्रेजों की
दासता मंे िा, उनके अत्याचार से जन-जन िथत िा। खिु ी र्िजा में सांस िेने को बेचनै भारत में आजादी का पहिा
त्रबगिु 1857 मंे बजा र्कन्तु कु छ कारणों से हम गुिामी के बिं न से मुतत नही हो सके । वाथतव मंे आजादी का संघषि
तब अधिक हो गया जब बाि गंगािर ततिक ने कहा र्क “थवतिं ता हमारा जन्ममसद्ध अधिकार है”। अनेक क्रांततकाररयों

र देशभततों के प्रयास तिा बमिदान से आजादी की गौरव गािा मिखी गई है। यदद बीज को भी िरती मंे दबा दें तो
वो िपू तिा हवा की चाहत मंे िरती से बाहर आ जाता है तयोंर्क थवतिं ता जीवन का वरदान है। व्यजतत को परािीनता
मंे चाहे र्कतना भी सखु प्राप्त हो र्कन्तु उसे वो आन्नद नही ममिता जो थवतंिता मंे कष्ट उठाने पर भी ममि जाता है।
तभी तो कहा गया है र्क परािीन सपनहे ुँ सुख नाही।ं जजस देश मंे चदं ्रशखे र, भगत मसहं , राजगरु ू, सभु ाष चन्द्र,
खदु दराम बोस, रामप्रसाद त्रबजथमि जसै े क्राजन्तकारी तिा गाँिी, ततिक, पटेि, नहे रु, जसै े देशभकत मौजदू हों उस देश
को गुिाम कौन रख सकता िा। आखखर देशभततों के महत्वपणू ि योगदान से 14 अगथत की अिरि ािी को अगं ्रेजों की
दासता एवं अत्याचार से हमंे आजादी प्राप्त हुई िी। ये आजादी अमूल्य है तयोंर्क इस आजादी मंे हमारे असखं ्य भाई-
बन्िओु ं का सघं ष,ि त्याग तिा बमिदान समादहत है। ये आजादी हमंे उपहार मंे नही ममिी है। वंदे मातरम ् र इंकिाब
जजदं ाबाद की गजनि ा करते हुए अनेक वीर देशभतत िांसी के िं दे पर झूि गए। 13 अप्रैि 1919 को जमियाँवािा
हत्याकांड, वो रतत रंजजत भूमम आज भी देश-भतत नर-नाररयों के बमिदान की गवाही दे रही है। आजादी अपने साि कई
जजम्मदे ाररयां भी िाती है, हम सभी को जजसका ईमानदारी से तनवािह करना चादहए र्कन्तु तया आज हम 70 वषों बाद
भी आजादी की वाजथतवकता को समझकर उसका सम्मान कर रहे है | आज हम जजस खिु ी र्िजा में सांस िे रहे हैं वो
हमारे पूवजि ों के बमिदान र त्याग का पररणाम है। हमारी नैततक जजम्मेदारी बनती है र्क मजु श्किों से ममिी आजादी
की रुह को समझंे। आजादी के ददन ततरंगे के रंगो का अनोखा अनभु व महसूस करंे इस पवि को भी आजद भारत के
जन्मददवस के रूप में पूरे ददि से उत्साह के साि मनाए।ं थवतिं ता का मतिब के वि सामाजजक र आधिकि थवतिं ता
न होकर एक वादे का भी तनवाहि करना है र्क हम अपने देश को ववकास की ऊँ चाइयों तक िे जायगंे ंे। भारत की गररमा

र सम्मान को सदैव अपने से बढकर समझगे ंे।

E-Newsletter August-2017 7

गणेश चतदु िशी र्क हाददिक शुभकामनायें

गणेश चतुिी मनाने के दौरान िोग भगवान गणेश र्क पूजा करते है | गणेश दहन्दू िमि में सबसे
प्रमसद्ध देवता है जो पररवार के सभी सदथयों द्वारा पूजे जाते है | र्कसी भी क्षिे में कोई भी नये कायि
र्क शुरुआत से पहिे गणेश जी िोगों द्वारा हमशे ा पूजे जाते है | ये उत्सव खासतौर से महाराष्रा में
मनाया जाता है हािारं ्क अब ये भारत के िगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है | ये दहन्दओु ं का
महत्वपूणि त्यौहार है | िोग गणेश चतुिी पर पूरी भजतत र श्रद्धा से ज्ञान र समवृ द्ध के भगवान र्क
पूजा करते है | िोग ऐसा भरोसा करते है र्क गणेश जी हर साि ढेर सारी खुमसया र समवृ द्ध के साि
आते है र जाते वक़्त सभी दखु ों को हर जाते है | इस उत्सव पर गणेश जी खुश करने के मिए
ववमभन्न तैयाररयां करते है | उनके सम्मान र थवागत के मिए गणेश जी के जन्मददवस के रूप में
मनाया जाता है | ये उत्सव भाद्रपद ( अगथत र मसतम्बर ) के महीने मंे शुति पक्ष में चतुिी पर
शुरू होता है र 11 वंे ददन अनन्त चतुदिशी को ख़त्म होता है | दहन्दू िमि मंे गणेश जी र्क पूजा
बहु त मायने रखती है | ऐसा माना जाता है र्क जो कोई पूरी भजतत र ववश्वास के साि उनकी पूजा
करेगा उसे वो ख़ुशी, ज्ञान, िन तिा िम्बी आयु प्रदान करेंगे | गणेश चतुिी के ददन सुबह जल्दी उठ
क्र थनान क्र िेते है, साि कपड़े पहनकर भगवान र्क पूजा करते है | वो मंिोउच्चारण आरती गाकर,
दहन्दू िमि के दसू रे ररतत-ररवाज तनभाकर, भजतत गीत गाकर भगवान को बहु त कु छ चढ़ाते है र
प्रािनि ा करते है | इसके पहिे ये उत्सव कु छ पररवारों में ही मनाया जाता िा | बाद मंे ये बड़े उत्सव में
मनाया जाने िगा हािाँर्क बाद इसको बड़ा बनाने के मिए इसमंे मूतति थिापना र ववसजनि शाममि
र्कया गया साि ही इसे दखु ों से मुजतत ममिने िगी | 1883 मंे इसे िोकमान्य ततिक के द्वारा इस
उत्सव र्क शुरुआत हु ई | उस समय अंग्रजे ी शासन से भारतीयों बचाने के मिए एक गणेश पूजा र्क प्रिा
बनाई | अब के ददनों में गरै ब्राह्मण र ब्राह्मण के बीच र्क असमानता को हटाने के मिए एक
राष्रीय उत्सव के रूप में गणेश चतुिी मनाया जाता है | गणेश चतुिी को कई नामों से जाना जाता है
इसमंे से कु छ है- एकदन्ता, असीम, शजततयों के भगवान, हेराबं ा, िम्बोदर, ववनायक, भगवानो के
भगवान, बुवद्ध, समवृ द्ध, तिा सम्पतत के भगवान आदद |

E-Newsletter August-2017 8

थवच्छ भारत ममशन के अन्तगति खुिे मे शौच से मुजतत

के सम्बन्ि में जागरूकता हेतु एक माममकि अपीि

जागो युवा जागो थवच्छ भारत है तुम्हारा अधिकार िरे ्कन पहिे उठाओं पहिे कतवि ्य का भार
मैं नहीं तू , तू नहीं मैं
सदा करते है तू तू मैं मंै

करो कोई भी अच्छा काम
बढ़ाये जो भारत देश का नाम
देश की िरोहर पर है सबका अधिकार
र्िर तयूँ है इसकी सिाई से इनकार
नहीं है कोई बहु त बड़ा उपकार
बस करना है जीवन मंे बदिाव
शहर को मानकर घर अपना
तनमिि थवच्छ है उसे भी रखना

कू ड़े दान में िें को कू ड़ा
हर जगह न िें को पुड़ा
िूकने को नहीं है िरती मयै ा
बदिो अपनी आदत भयै ा
न करो र्कसी पड़ोसी का इंतजार
देश है सबका बढ़ाओ थवच्छता अमभयान

थवच्छ भारत ममशन ( अध्यक्ष )

श्री सतं ोष कु मार ममश्र
( अधिशाषी अधिकारी )

E-Newsletter August-2017 9

Ballia Sandesh

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Tel/Fax : 01204349756

E-Newsletter August-2017 10


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