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Published by esuvidhanoida, 2017-11-04 02:56:15

FE-Azamgarh Oct_2017

FE-Azamgarh Oct

आजमगढ़ दर्णप

ई-र्त्रिका Volume-17

01-10-2017 To 31-10-2017

1

श्री ददनेश कु मार विश्िकमाप

(अधिशाषी अधिकारी)

नगर पालिका पररषद, आजमगढ़ अक्टू बर 2017 के ई-पत्रिका आजमगढ़ दपणप मंे स्वागत है |
अक्टू बर माह में हुये ववकास कायो को ई-पत्रिका आजमगढ़ दपणप के माध्यम से आपसब तक
पहुँचाना चाहते हंै | आजमगढ़ नगर पालिका प्रत्येक माह ई-पत्रिका आजमगढ़ दपणप के द्वारा
नगर पालिका में हुये ववकास कायो को आपसब के सामने िाने का प्रयास करता है | जजससे
आजमगढ़ नगर पालिका पररषद के ववकास और नई योजनाओं से िाभाजववत हो सके | नगर
पालिका पररषद आजमगढ़ का एक माि उद्देश्य नगर पालिका का ववकास है | जजसमे त्रबना
ककसी भेद-भाव, सभी समदु ायों के िोगो को एकसाथ िके र आगे बढने का उद्दशे ्य है | जजसके
लिए नगर पालिका पररषद के ननवालसयों को इसमंे सहयोग महत्वपणू प है | और नगर पालिका
इसका उम्मीद करता है | नगरवालसयों से अपीि है की नगर को स्वच्छ और सवु दर बनाने मंे
नगर पालिका की मदद करे | अपने आस-पास साफ-सथु रा रखे | कू ड़ा-कचरा डस्टत्रबन मंे
रखे , गवदगी न फै िाये | आने वािे कि अच्छा हो इसके लिये आज बेहतर बनायंे |

2

Mr. Dinesh Kumar Vishwakarma

(Executive Officer)

I am happy to present the October 2017 issue to all of you. A number of projects
have been commissioned in the month of October. The former will help smoothen
the flow of traffic, reduce the travel time of citizens, ease the congestion and re-
duce pollution on nagar road. There have been a lot of lessons to learned and
these insights will certainly stand in good stead with us in our endeavors in future.
The one thing that stands out is the most active participation of citizens. We, the
residence of the Nagar Palika Parishad Azamgarh respective of ages, castes,
creeds, religions, localities have untidily participated in creation of Azamgarh
Swachh Nagar Palika Parishad proposal. As I look into the future with great expec-
tation, it is this one aspect of the municipality which gives me the greatest hope.
We in the Nagar Palika Parishad Azamgarh, would be very happy to receive your
feedbacks on all matters that you feel are important.

3

I am delighted to present the tasks and issue of Azamgarh Nagar Palika by E-
Patrika Azamgarh in October 2017. Nagar Palika Parishad Azamgarh is grateful to
the citizens who displayed tremendous enthusiasm and whole heartedly partici-
pated in numerous activities throughout this period. All of us should bear in mind
that this is not end but a beginning of the exercise pertaining to development and
Swachh Bharat Mission program. The coming years will surely be very hectic and
eventful. Azamgarh promises to leave no room for complacency and will work
even harder to achieve the targets. We solicit active participation from the citi-
zens in our endeavor. We sincerely believe that decisions taken by Nagar Palika
Parishad Azamgarh should benefit Nagar Palika Parishad Azamgarh and the citi-
zens in the ultimate analysis. Many projects process in work in Nagar Palika Pari-
shad Azamgarh for development our Nagar Palika and citizens. Thanks to all citi-
zens of Nagar Palika Parishad Azamgarh for supporting to develop Azamgarh.

4

2 अक्टू बर महात्मा गााँधी जयंती !

एक ही ददिस र्र दो विभतू तयों ने भारत माता को गौरिान्वित ककया । गाधँा ी जी एिं लाल बहादरू शास्त्िी जसै ी अदभतु प्रततभाओ
का 2 अक्टू बर को अितरण हम सभी के ललये हर्प का विर्य है। सत्य और अदहसं ा के बल र्र अगं ्रजे ों से भारत को स्त्ितिं करा
करके हम सभी को स्त्ितिं भारत का अनमोल उर्हार देने िाले महार्रु ूर् गाधँा ी जी को राष्ट्र ने राष्ट्रवर्ता के रूर् में समान्वनत
ककया। िहीं जय जिान, जय ककसान का नारा देकर भारत के दो आधार स्त्तभं को महान कहने िाले महार्रु ूर् लाल बहादरु शास्त्िी
जी ने स्त्ितिं भारत के दसू रे प्रधान मिं ी के रूर् मंे राष्ट्र को विश्िर्टल र्र उच्चकोटी की र्हचान ददलाई। आज इस लखे मंे मैं
आर्के साथ राष्ट्र वर्ता महात्मा गााधँ ी से सम्बधं धत कु छ रोचक बातंे साझा करने का प्रयास करँा गी| राष्ट्रवर्ता महात्मा ग़ांधी अथातप
मोहन दास करमचदं ग़ाधं ी का जवम 2 अक्टू बर, 1869 को गजु रात के कादियािाड़ प्रावत में र्ोरबदं र नमक स्त्थान र्र हुआ था |
महात्मा ग़ाधं ी के इस जवम-ददिस को समचू ा राष्ट्र एक एक राष्ट्रीय र्िप के तौर र्र मनाता है | गांधीजी के वर्ता करमचदं गांधी
राजकोट के दीिान थे। इनकी माता का नाम र्तु लीबाई था। िह धालमकप विचारों िाली थी। उवहोंने हमेशा सत्य और अदहसं ा के ललए
आदं ोलन चलाए। गांधीजी िकालत की लशक्षा प्राप्त करने के ललए इ्ं ‍लडंै भी भी गए थ।े िहां से लौटने के बाद उवहोंने बबं ई में िकालत
शरु ू की। महात्मा गाधं ी सत्य और अदहसं ा के र्जु ारी थे। एक बार गांधीजी मकु दमे की र्रै िी के ललए द्क्षण अरीका भी गए थे।
िह अगं ्रेजों द्िारा भारतीयों र्र अत्याचार देख बहुत दखु ी हुए। उवहोंने ड भीांड भीी यािा भी की। िह कई बार जेल गए। अब सारा देश
उनके साथ था। लोग उवहें राष्ट्रवर्ता कहने लग।े अतं में भारत को 1947 मंे स्त्ितिं ता प्राप्त हुई। गाधं ीजी सादा जीिन त्रबताते थ।े
उवहोंने हमको अदहसं ा का र्ाि र्ढाया। िह एक समाजसधु ारक थे। उवहोंने छु आ-छू त को दरू करने का प्रत्यन ककया। 30 जनिरी,
1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गयी। महात्मा गााँधी के र्िू प भी शान्वत और अदहसं ा की अिधारणा फललत थी, र्रवतु
उवहोंने न्जस प्रकार सत्याग्रह, शान्वत ि अदहसं ा के रास्त्तों र्र चलते हुये अगं ्रेजों को भारत छोड़ने र्र मजबरू ककया, उसका कोई
दसू रा उदाहरण विश्ि इततहास मंे देखने को नहीं लमलता। तभी तो प्रख्यात िजै ्ञातनक आइंस्त्टीन ने कहा था कक -‘‘हजार साल बाद
आने िाली नस्त्लंे इस बात र्र मनु ्श्कल से विश्िास करंेगी कक हाड़-मासं से बना ऐसा कोई इवसान धरती र्र कभी आया था।’’ 2
अक्टू बर को अतं रराष्ट्रीय स्त्तर र्र अतं रराष्ट्रीय अदहसं ा ददिस के रर् मंे भी मनाया जाता है क्योंकक अर्ने र्रू े जीिन भर िह
अदहसं ा के उर्देशक रहे। 15 जून 2007 को सयं कु ्त राष्ट्र सामावय सभा द्िारा 2 अक्टू बर को अतं रराष्ट्ररीय अदहसं ा ददिस के रर्
मंे घोवर्त ककया गया है।

5

दीिाली की हाददपक शभु कामनायंे !

भारत मंे दहवदओु ं द्िारा मनाया जाने िाला सबसे बड़ा त्योहार है। दीर्ों का खास र्िप होने के कारण इसे दीर्ािली या
ददिाली नाम ददया गया। दीर्ािली का मतलब होता है, दीर्ों की अिली यातन र्ंन्क्त। इस प्रकार दीर्ों की र्नं ्क्तयों से
ससु न््जत इस त्योहार को दीर्ािली कहा जाता है। इस ददन ल्मी के र्ूजन का विशरे ् विधान है। रात्रि के समय
प्रत्येक घर में धनधावय की अधधष्ट्िािी देिी महाल्मीजी,विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एिं कला की देिी
मातेश्िरी सरस्त्िती देिी की र्ूजा-आराधना की जाती है। ब्रह्मर्ुराण के अनुसार काततकप अमािस्त्या की इस अधं रे ी रात्रि
अथापत अधरप ात्रि मंे महाल्मी स्त्ियं भूलोक मंे आती हंै और प्रत्येक सद्गहृ स्त्थ के घर में विचरण करती हैं। जो घर हर
प्रकार से स्त्िच्छ, शदु ्ध और सुंदर तरीके से सुसन््जत और प्रकाशयुक्त होता है िहां अशं रूर् मंे िहर जाती हैं और गदं े
स्त्थानों की तरफ देखती भी नहीं। इसललए इस ददन घर-बाहर को खबू साफ-सथु रा करके सजाया-संिारा जाता है। कहा
जाता है कक दीर्ािली मनाने से ल्मीजी प्रसवन होकर स्त्थायी रूर् से सदगहृ स्त्थों के घर तनिास करती हैं। त्योहारों का
जो िातािरण धनतेरस से प्रारम्भ होता है,िह इस ददन र्रू े चरम र्र आता है। यह र्िप अलग-अलग नाम और विधानों
से र्रू ी दतु नया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कक इसी ददन अनेक विजयश्री युक्त कायप हुए हंै। बहुत से
शुभ कायों का प्रारम्भ भी इसी ददन से माना गया है। इसी ददन उ्जनै के सम्राट विक्रमाददत्य का राजततलक हुआ था।
विक्रम संित का आरंभ भी इसी ददन से माना जाता है। यानी यह नए िर्प का प्रथम ददन भी है। इसी ददन व्यार्ारी
अर्ने बही-खाते बदलते हैं तथा लाभ-हातन का ब्यौरा तयै ार करते हैं। हर प्रांत या क्षेि मंे दीिाली मनाने के कारण एिं
तरीके अलग हैं र्र सभी जगह कई र्ीदढ़यों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीिाली की बहुत उमंग होती है।
लोग अर्ने घरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कर्ड़े र्हनते हैं। लमिाइयों के उर्हार एक दसू रे को बांटते हंै,एक
दसू रे से लमलते हैं। घर-घर में सवु दर रंगोली बनाई जाती है, ददये जलाए जाते हैं और आततशबाजी की जाती है। बड़े
छोटे सभी इस त्योहार मंे भाग लेते हैं। यह र्िप सामूदहक ि व्यन्क्तगत दोनों तरह से मनाए जाने िाला ऐसा विलशष्ट्ट
र्िप है जो धालमकप ,सांस्त्कृ ततक ि सामान्जक विलशष्ट्टता रखता है। अंधकार र्र प्रकाश की विजय का यह र्िप समाज मंे
उल्लास, भाईचारे ि प्रेम का सदं ेश फै लाता है।

6

गोिधनप र्ूजा !

गोिधनप र्जू ा को दीिाली के अगले ददन बाद मनाया जाता है। गोिधनप र्जू ा र्जं ाब, हररयाना, उत्तर
प्रदेश और त्रबहार में काफी प्रलसद्ध है। र्रंर्रा के अनसु ार इस ददन खास तौर र्र गाय के गोबर से
गोिधनप र्हाड़ बनाया जाता है, न्जसे गोिधनप र्हाड़ के नाम से जाना जाता है। गोिधनप र्जू ा को
अवनकू ट र्जू ा के नाम से भी जाना जाता है। इस ददन घरों मंे गाय के गोबर से गोिधनप नाथ जी
की छवि बनाकर उनका र्जू न ककया जाता है तथा अवनकू ट का भोग लगाया जाता है। यह र्रंर्रा
द्िार्र यगु से चली आ रही है। श्रीमद्भागित में इस बारे मंे कई स्त्थानों र्र उल्लेख प्राप्त होते हंै।
उसके अनसु ार भगिान कृ ष्ट्ण ने ब्रज में इंद्र की र्जू ा के स्त्थान र्र काततकप शकु ्ल प्रततर्दा के ददन
गोिधनप र्ितप की र्जू ा आरंभ करिाई थी। इस सबं ंध मंे एक लोकवप्रय कथा है। कथानसु ार भगिान
श्री कृ ष्ट्ण ने इंद्र का अलभमान चरू करने के ललए गोिधनप र्ितप को अर्नी छोटी उं गली र्र उिाकर
सरं ्णू प गोकू ल िालसयों की इंद्र के कोर् से रक्षा की थी। जब इवद्र का अलभमान चरू हो गया तब
उवहोने श्री कृ ष्ट्ण से क्षमा मागं ी। सात ददन बाद श्री कृ ष्ट्ण ने गोिधनप र्ितप नीचे रखा और
ब्रजबालसयों को प्रततिर्प गोिधनप र्जू ा और अवनकू ट र्िप मनाने को कहा। तभी से यह र्िप मनाया
जाता है।

7

मुहरपम र्िप की शरु आत

यह समय सन 60 दहजरी का था | कबलप ा न्जसे सीररया के नाम से जाना जाता था | िहााँ यजीद
शहंशाह बनाना चाहता था, न्जसके ललए उसने आिाम में खौफ फै लाना शरु ू कर ददया | सभी को
अर्ने सामने गलु ाम बनाने के ललए यातनायें दी | यजीद र्रु े अरब र्र अर्ना रतबा चाहता था |
लेककन उसके तानाशाह के आगे हजरत महु म्मद का िाररस इमाम हुसनै और उनके भाइयों ने घटु ने
नही टेके और जमकर मकु ाबला ककया | बीिी बच्चों की दहफाजत देने के ललए इमाम हुसनै मदीना
से इराक की तरफ जा रहे थे | ब ही यजीद ने उनर्र हमला कर ददया | िो जगह एक रेधगस्त्तान
थी, न्जसमे र्ानी के ललए एक नदी थी न्जस र्र यजीद ने अर्ने सतै नकों को तैनात कर ददया था |
कफर भी इमाम और उनके भाइयों ने ड भीटकर मकु ाबला ककया | िे लगभग 72 थ,े न्जवहोंने 8000
सतै नकों की फ़ौज को दाते तले चने चबिा ददए थे | ऐसा मकु ाबला ददया की दशु ्मन भी तारीफ
करने लगे | लके कन िो जीत नही सकते थे | िे सभी तो कु बानप होने आये थे | ददप, तकलीफ
सहकर भखू े प्यासे रहकर भी लड़ना स्त्िीकार ककया और यह लड़ाई महु रपम 2 से 6 तक चली
आखखरी ददन इमाम ने अर्ने सभी साधथयों को कब्र मे सलु ाया | लेककन खदु अके ले अंत तक लड़ते
रहे | यजीद के र्ास कोई तरकीब नही बची और उनके ललए इमाम को मरना ना ममु ककन सा हो
गया | महु रपम के दसिे ददन जब इमाम नमाज अदा कर रहे थ,े तब दशु ्मनों ने उवहंे धोखा से मारा
| इस तरह से यजीद इमाम को मार र्ाया, लके कन हौसलों के साथ मरकर भी इमाम जीत का
हक़दार हुए और शहीद कहलाया | तख्तो ताज जीत कर भी ये लड़ाई यजीद के ललए हार एक बड़ी
हार थी |

8

स्त्िच्छ भारत लमशन के अवतगतप खुले मे शौच से मुन्क्त

के सम्बवध मंे जागरूकता हेतु एक मालमकप अर्ील

जागो युिा जागो स्त्िच्छ भारत है तुम्हारा अधधकार लेककन र्हले उिाओं र्हले कतवप ्य का भार
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जब होगी हर ड भीगर, हर गली साफ |
तो ही र्ूरी होगी स्त्िच्छ भारत की आस |
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हर गाािँ हर शहर होगा जब साफ |
तभी हो र्ाएगा देश का सही विकास ||
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स्त्िच्छ भारत अलभयान है एक आस | ताकक हो भारत देश का सम्र्ूणप विकास ||
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स्त्िच्छता ही है एक माि उर्ाए |
जो सभी को हमशे ा स्त्िस्त््य बनाए ||
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स्वच्छता है महा अलभयान |
स्त्िछता मे दीन्जए अर्ना योगदान ||
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हाथ से हाथ लमलाना है, गदं गी नहीं फै लाना है, स्त्िच्छता को अर्नाना है
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स्त्िच्छ भारत लमशन आजमगढ़

श्री ददनेश कु मार विश्िकमाप

(अधधशार्ी अधधकारी)

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: www.fageosystems.in
: [email protected]
Tel/Fax : 01204349756

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