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Published by esuvidhanoida, 2017-11-04 03:00:46

FE-Ballia Oct_2017

FE-Ballia Oct

BALLIA SANDESH

ई-पत्रिका

01-10-2017 To 31-10-2017

Volume-22

E-Newsletter October-2017 1

बमिया सदं ेश

श्री सतं ोष कु मार ममश्रा
(अधिशाषी अधिकारी)

नगर पालिका पररषद, बलिया के नगरवालियों को अक्टू बर 2017 के ई-पत्रिका बलिया िंदेश मंे
स्वागत है | अक्टू बर माह मंे हुये ववकाि कायो को ई-पत्रिका बलिया िंदेश के द्वारा आपिब को
बताना चाहता हूँ | बलिया नगर पालिका प्रत्येक माह ई-पत्रिका बलिया िंदेश के द्वारा नगर
पालिका में हुये ववकाि कायो को आपिब के िामने िाने का प्रयाि करता हूँ , जिििे बलिया
नगर पालिका पररषद के ववकाि और नई योिनाओं िे िाभाजववत हो िके | नगर पालिका
पररषद बलिया का एक माि उद्देश्य नगर पालिका का ववकाि है | जििमे त्रबना ककिी भदे -भाव,
िभी िमदु ायों के िोगो को एकिाथ िके र आगे बढने का उद्दशे ्य है | जििके लिए नगर पालिका
पररषद बलिया के ननवालियों को इिमें िहयोग महत्वपरू ्ण है, और नगर पालिका इिका उम्मीद
करता है | नगरवालियों िे अपीि है की नगर को स्वच्छ और िवु दर बनाने मंे नगर पालिका की
मदद करे | अपने आि-पाि िाफ-िथु रा रखे| कू ड़ा-कचरा डस्टत्रबन मंे रखे , गवदगी न फै िाये |
आने वािा कि अच्छा हो इिके लिये आि बहे तर बनायंे |

E-Newsletter October-2017 2

बमिया संदेश

श्री सतं ोष कु मार ममश्रा
(अधिशाषी अधिकारी)

I am happy to present the October 2017 issue to all of you. A number of pro-
jects have been commissioned in the month of October. The former will
help smoothen the flow of traffic, reduce the travel time of citizens, ease the
congestion and reduce pollution on Nagar Palika Parishad Ballia’s road.
There have been a lot of lessons to learned and these insights will certainly
stand in good stead with us in our endeavors in future. The one thing that
stands out is the most active participation of citizens. We, the residence of
the Nagar Palika Parishad Ballia respective of ages, castes, creeds, religions,
localities have untidily participated in creation of Ballia’s Swachh Nagar
Palika Parishad proposal. As I look into the future with great expectation, it
is this one aspect of the municipality which gives me the greatest hope. We
in the Nagar Palika Parishad Ballia, would be very happy to receive your
feedbacks on all matters that you feel are important..

E-Newsletter October-2017 3

Nagar Palika Parishad Ballia

I am delighted to present the tasks and issue of Ballia Nagar Palika by e-
Patrika Ballia Sandesh in October 2017. Nagar Palika Parishad Ballia is
grateful to the citizens who displayed tremendous enthusiasm and whole
heartedly participated in numerous activities throughout this period. All of
us should bear in mind that this is not end but a beginning of the exercise
pertaining to development and Swachh Bharat Mission program. The com-
ing times will surely be very hectic and eventful. Ballia promises to leave no
room for complacency and will work even harder to achieve the targets. We
solicit active participation from the citizens in our endeavor. We sincerely
believe that decisions taken by Nagar Palika Parishad Ballia should benefit
Nagar Palika Parishad Ballia and the citizens in the ultimate analysis. Many
projects process in work in Nagar Palika Parishad Ballia for development
our Nagar Palika and citizens. Thanks to all citizens of Nagar Palika Pari-
shad Ballia for supporting to develop Ballia.

E-Newsletter October-2017 4

2 अक्टू बर महात्मा गाँािी जयतं ी !

एक ही ददवस पर दो ववभतू तयों ने भारत माता को गौरवान्ववत ककया । गाँािी जी एवं िाि बहादरू
शास्त्िी जसै ी अदभुत प्रततभाओ का 2 अक्टू बर को अवतरण हम सभी के मिये हषष का ववषय है। सत्य और अदहसं ा
के बि पर अगं ्रेजों से भारत को स्त्वतंि करा करके हम सभी को स्त्वतिं भारत का अनमोि उपहार देने वािे
महापरु ूष गाािँ ी जी को राष्ट्र ने राष्ट्रवपता के रूप मंे समान्वनत ककया। वहीं जय जवान, जय ककसान का नारा देकर
भारत के दो आिार स्त्तभं को महान कहने वािे महापरु ूष िाि बहादरु शास्त्िी जी ने स्त्वतंि भारत के दसू रे प्रिान
मंिी के रूप मंे राष्ट्र को ववश्वपटि पर उच्चकोटी की पहचान ददिाई। आज इस िेख में मैं आपके साथ राष्ट्र वपता
महात्मा गािाँ ी से सम्बधं ित कु छ रोचक बातें साझा करने का प्रयास कराँ गी| राष्ट्रवपता महात्मा ग़ािं ी अथातष मोहन
दास करमचदं ग़ांिी का जवम 2 अक्टू बर, 1869 को गुजरात के कादियावाड़ प्रावत में पोरबंदर नमक स्त्थान पर हुआ
था | महात्मा ग़ांिी के इस जवम-ददवस को समचू ा राष्ट्र एक एक राष्ट्रीय पवष के तौर पर मनाता है | गांिीजी के
वपता करमचदं गािं ी राजकोट के दीवान थ।े इनकी माता का नाम पतु िीबाई था। वह िाममकष ववचारों वािी थी।
उवहोंने हमेशा सत्य और अदहसं ा के मिए आदं ोिन चिाए। गांिीजी वकाित की मश्ा प्रा्‍त करने के मिए इं्‍िडंै
भी गए थे। वहां से िौटने के बाद उवहोंने बंबई मंे वकाित शुरू की। महात्मा गािं ी सत्य और अदहसं ा के पजु ारी
थे। एक बार गािं ीजी मकु दमे की पैरवी के मिए दक्ष्ण अरीका भी गए थ।े वह अगं ्रेजों रावारा भारतीयों पर
अत्याचार देख बहुत दखु ी हुए। उवहोंने डांडी यािा भी की। वह कई बार जिे गए। अब सारा देश उनके साथ था।
िोग उवहें राष्ट्रवपता कहने िगे। अतं मंे भारत को 1947 मंे स्त्वतंिता प्रा्‍त हुई। गािं ीजी सादा जीवन त्रबताते थे।
उवहोंने हमको अदहसं ा का पाि पढाया। वह एक समाजसुिारक थे। उवहोंने छु आ-छू त को दरू करने का प्रत्यन ककया।
30 जनवरी, 1948 को गोिी मारकर उनकी हत्या कर दी गयी। महात्मा गािँा ी के पूवष भी शान्वत और अदहसं ा की
अविारणा फमित थी, परवतु उवहोंने न्जस प्रकार सत्याग्रह, शान्वत व अदहसं ा के रास्त्तों पर चिते हुये अगं ्रेजों को
भारत छोड़ने पर मजबरू ककया, उसका कोई दसू रा उदाहरण ववश्व इततहास में देखने को नहीं ममिता। तभी तो
प्रख्यात वजै ्ञातनक आइंस्त्टीन ने कहा था कक -‘‘हजार साि बाद आने वािी नस्त्िें इस बात पर मनु ्श्कि से ववश्वास
करेंगी कक हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इवसान िरती पर कभी आया था।’’ 2 अक्टू बर को अतं रराष्ट्रीय स्त्तर पर
अतं रराष्ट्रीय अदहसं ा ददवस के रप मंे भी मनाया जाता है क्योंकक अपने परू े जीवन भर वह अदहसं ा के उपदेशक रहे।
15 जून 2007 को सयं ुक्त राष्ट्र सामावय सभा रावारा 2 अक्टू बर को अतं रराष्ट्ररीय अदहसं ा ददवस के रप में घोवषत
ककया गया है।

E-Newsletter October-2017 5

दीवािी की हाददषक शभु कामनायंे !

भारत मंे दहवदओु ं रावारा मनाया जाने वािा सबसे बड़ा त्योहार है। दीपों का खास पवष होने के कारण इसे
दीपाविी या ददवािी नाम ददया गया। दीपाविी का मतिब होता है, दीपों की अविी यातन पंन्क्त। इस
प्रकार दीपों की पनं ्क्तयों से ससु न््जत इस त्योहार को दीपाविी कहा जाता है। इस ददन ि्मी के पजू न का
ववशषे वविान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर मंे िनिावय की अधिष्ट्िािी देवी महाि्मीजी,ववघ्न-ववनाशक
गणेश जी और ववराया एवं किा की देवी मातशे ्वरी सरस्त्वती देवी की पजू ा-आरािना की जाती है।
ब्रह्मपुराण के अनुसार काततकष अमावस्त्या की इस अिं रे ी रात्रि अथाषत अिरष ात्रि मंे महाि्मी स्त्वयं भिू ोक में
आती हैं और प्रत्येक सरागहृ स्त्थ के घर में ववचरण करती हंै। जो घर हर प्रकार से स्त्वच्छ, शदु ्ध और सदंु र
तरीके से ससु न््जत और प्रकाशयकु ्त होता है वहां अशं रूप में िहर जाती हंै और गदं े स्त्थानों की तरफ
देखती भी नहीं। इसमिए इस ददन घर-बाहर को खबू साफ-सथु रा करके सजाया-सवं ारा जाता है। कहा जाता
है कक दीपाविी मनाने से ि्मीजी प्रसवन होकर स्त्थायी रूप से सदगहृ स्त्थों के घर तनवास करती हैं।
त्योहारों का जो वातावरण िनतेरस से प्रारम्भ होता है,वह इस ददन पूरे चरम पर आता है। यह पवष अिग-
अिग नाम और वविानों से पूरी दतु नया मंे मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कक इसी ददन अनेक
ववजयश्री युक्त कायष हुए हंै। बहुत से शुभ कायों का प्रारम्भ भी इसी ददन से माना गया है। इसी ददन
उ्जैन के सम्राट ववक्रमाददत्य का राजततिक हुआ था। ववक्रम संवत का आरंभ भी इसी ददन से माना जाता
है। यानी यह नए वषष का प्रथम ददन भी है। इसी ददन व्यापारी अपने बही-खाते बदिते हैं तथा िाभ-हातन
का ब्यौरा तयै ार करते हैं। हर प्रातं या ्िे मंे दीवािी मनाने के कारण एवं तरीके अिग हैं पर सभी जगह
कई पीद़ियों से यह त्योहार चिा आ रहा है। िोगों में दीवािी की बहुत उमगं होती है। िोग अपने घरों का
कोना-कोना साफ करते हंै, नये कपड़े पहनते हंै। ममिाइयों के उपहार एक दसू रे को बाटं ते हंै,एक दसू रे से
ममिते हंै। घर-घर मंे सवु दर रंगोिी बनाई जाती है, ददये जिाए जाते हैं और आततशबाजी की जाती है। बड़े
छोटे सभी इस त्योहार मंे भाग िेते हंै। यह पवष सामूदहक व व्यन्क्तगत दोनों तरह से मनाए जाने वािा
ऐसा ववमशष्ट्ट पवष है जो िाममकष ,सासं ्त्कृ ततक व सामान्जक ववमशष्ट्टता रखता है। अिं कार पर प्रकाश की ववजय
का यह पवष समाज में उल्िास, भाईचारे व प्रेम का सदं ेश फै िाता है।

E-Newsletter October-2017 6

गोविनष पजू ा

गोविनष पूजा को दीवािी के अगिे ददन बाद मनाया जाता है। गोविनष पूजा
पंजाब, हररयाना, उत्तर प्रदेश और त्रबहार मंे काफी प्रमसद्ध है। परंपरा के अनसु ार
इस ददन खास तौर पर गाय के गोबर से गोविनष पहाड़ बनाया जाता है, न्जसे
गोविनष पहाड़ के नाम से जाना जाता है। गोविनष पूजा को अवनकू ट पूजा के
नाम से भी जाना जाता है। इस ददन घरों मंे गाय के गोबर से गोविनष नाथ जी
की छवव बनाकर उनका पजू न ककया जाता है तथा अवनकू ट का भोग िगाया
जाता है। यह परंपरा रावापर युग से चिी आ रही है। श्रीमद्भागवत में इस बारे मंे
कई स्त्थानों पर उल्िेख प्रा्‍त होते हंै। उसके अनुसार भगवान कृ ष्ट्ण ने ब्रज में
इंद्र की पजू ा के स्त्थान पर काततकष शकु ्ि प्रततपदा के ददन गोविनष पवतष की
पजू ा आरंभ करवाई थी। इस सबं ंि मंे एक िोकवप्रय कथा है। कथानसु ार भगवान
श्री कृ ष्ट्ण ने इंद्र का अमभमान चूर करने के मिए गोविनष पवतष को अपनी छोटी
उं गिी पर उिाकर सपं णू ष गोकू ि वामसयों की इंद्र के कोप से र्ा की थी। जब
इवद्र का अमभमान चूर हो गया तब उवहोने श्री कृ ष्ट्ण से ्मा मांगी। सात ददन
बाद श्री कृ ष्ट्ण ने गोविनष पवतष नीचे रखा और ब्रजबामसयों को प्रततवषष गोविनष
पजू ा और अवनकू ट पवष मनाने को कहा। तभी से यह पवष मनाया जाता है।

E-Newsletter October-2017 7

भाई दजू

भाई दजू का त्योहार भाई बहन के स्त्नहे को सदृ ृढ करता है । यह त्योहार ददवािी के दो ददन बाद मनाया
जाता है। दहवदू िमष मंे भाई-बहन के स्त्नहे -प्रततक त्योहार मनाये जाते है-एक र्ाबिं न जो श्रावण मास की
परू ्णमष ा को मनाया जाता है । इसमंे भाई बहन र्ा की प्रततज्ञा करता है । दसू रा त्योहार ' भाई दजू ' का
होता है इसमें बहन भाई की िम्बी आयु की प्राथनष ा करती है । भाई दजू का त्योहार काततकष मास की
दवु ्तीय को मनाया जाता है ।

भाई दजू व्रत कथा :-

छाया भगवान सयू दष ेव की पत्नी हंै न्जनकी दो संतान हुई यमराज तथा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज
से बहुत स्त्नहे करती थी. वह उनसे सदा यह तनवेदन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें. िेककन
यमराज अपने काम मंे व्यस्त्त रहने के कारण यमुना की बात को टाि जाते थ।े एक बार काततकष शुक्ि
राववतीया को यमनु ा ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के मिए बुिाया तो यमराज मना न कर सके
और बहन के घर चि पड़।े रास्त्ते मंे यमराज ने नरक में रहनेवािे जीवों को मकु ्त कर ददया। भाई को
देखते ही यमुना ने बहुत हवषतष हुई और भाई का स्त्वागत सत्कार ककया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण
करने के बाद प्रसवन होकर यमराज ने बहन से कु छ मागं ने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कक- आप
प्रततवषष इस ददन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस ददन जो भाई अपनी बहन से ममिेगा और बहन
अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे। यमराज ने यमनु ा की बात मानते हुए
तथास्त्तु कहा और यमिोक चिे गए। तभी से यह यह मावयता चिी आ रही है कक काततकष शुक्ि राववतीय
को जो भाई अपनी बहन का आततथ्य स्त्वीकार करते हैं उवहंे यमराज का भय नहीं रहता ।

E-Newsletter October-2017 8

मुहरषम पवष की शरु आत

यह समय सन 60 दहजरी का था | कबिष ा न्जसे सीररया के नाम से जाना जाता था | वहााँ यजीद शहंशाह
बनाना चाहता था, न्जसके मिए उसने आवाम मंे खौफ फै िाना शरु ू कर ददया | सभी को अपने सामने
गुिाम बनाने के मिए यातनायंे दी | यजीद पुरे अरब पर अपना रतबा चाहता था | िेककन उसके
तानाशाह के आगे हजरत महु म्मद का वाररस इमाम हुसनै और उनके भाइयों ने घटु ने नही टेके और
जमकर मकु ाबिा ककया | बीवी बच्चों की दहफाजत देने के मिए इमाम हुसनै मदीना से इराक की तरफ जा
रहे थे | ब ही यजीद ने उनपर हमिा कर ददया | वो जगह एक रेधगस्त्तान थी, न्जसमे पानी के मिए एक
नदी थी न्जस पर यजीद ने अपने सैतनकों को तनै ात कर ददया था | कफर भी इमाम और उनके भाइयों ने
डटकर मकु ाबिा ककया | वे िगभग 72 थ,े न्जवहोंने 8000 सैतनकों की फ़ौज को दाते तिे चने चबवा ददए
थे | ऐसा मुकाबिा ददया की दशु ्मन भी तारीफ करने िगे | िेककन वो जीत नही सकते थे | वे सभी तो
कु बानष होने आये थे | ददष, तकिीफ सहकर भूखे ्‍यासे रहकर भी िड़ना स्त्वीकार ककया और यह िड़ाई
मुहरषम 2 से 6 तक चिी आर्खरी ददन इमाम ने अपने सभी साधथयों को कब्र मे सिु ाया | िेककन खदु
अके िे अतं तक िड़ते रहे | यजीद के पास कोई तरकीब नही बची और उनके मिए इमाम को मरना ना
ममु ककन सा हो गया | महु रषम के दसवे ददन जब इमाम नमाज अदा कर रहे थ,े तब दशु ्मनों ने उवहें िोखा
से मारा | इस तरह से यजीद इमाम को मार पाया, िेककन हौसिों के साथ मरकर भी इमाम जीत का
हक़दार हुए और शहीद कहिाया | तख्तो ताज जीत कर भी ये िड़ाई यजीद के मिए हार एक बड़ी हार थी
|
उस ददन से आज तक मुहरषम के महीने को शहीद की शहादत के रूप में याद करते है |

E-Newsletter October-2017 9

स्त्वच्छ भारत ममशन के अवतगतष खुिे मे शौच से मुन्क्त

के सम्बवि में जागरूकता हेतु एक माममकष अपीि

जागो युवा जागो स्त्वच्छ भारत है तुम्हारा अधिकार िके कन पहिे उिाओं पहिे कतवष ्य का भार
मैं नहीं तू , तू नहीं मैं
सदा करते है तू तू मैं मैं

करो कोई भी अच्छा काम
ब़िाये जो भारत देश का नाम
देश की िरोहर पर है सबका अधिकार
कफर क्यूाँ है इसकी सफाई से इनकार
नहीं है कोई बहु त बड़ा उपकार
बस करना है जीवन में बदिाव
शहर को मानकर घर अपना
तनमिष स्त्वच्छ है उसे भी रखना

कू ड़े दान में फंे को कू ड़ा
हर जगह न फें को पुड़ा
थूकने को नहीं है िरती मयै ा
बदिो अपनी आदत भयै ा
न करो ककसी पड़ोसी का इंतजार
देश है सबका ब़िाओ स्त्वच्छता अमभयान

स्त्वच्छ भारत ममशन ( अध्य् )

श्री सतं ोष कु मार ममश्र
( अधिशाषी अधिकारी )

E-Newsletter October-2017 10

Ballia Sandesh

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Tel/Fax : 01204349756

E-Newsletter October-2017 11


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