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Published by esuvidhanoida, 2017-09-07 08:24:01

FE-Loni August_2017

FE-Loni August

LONI DARPAN

ई-पत्रिका

01-08-2017 To 31-08-2017

Volume-22

नगर पालिका पररषद् िोनी

अधिशाषी अधिकारी
डॉ.िीरेन्द्र कु मार राय
मोबाइि नबं र –9858970821

नगर पालिका पररषद, िोनी, अगस्त 2017 के ई-पत्रिका िोनी दपणप मंे स्वागत है | अगस्त माह मंे
हुये ववकास कायो को ई-पत्रिका िोनी दपणप के माध्यम से आपसब तक पहुँचाना चाहते हंै | िोनी
नगर पालिका प्रत्येक माह ई-पत्रिका िोनी दपणप के द्वारा नगर पालिका मंे हुये ववकास कायो को
आपसब के सामने िाने का प्रयास करता है | जिससे िोनी नगर पालिका पररषद के ववकास और नई
योिनाओं से िाभाजववत हो सके | नगर पालिका पररषद िोनी का एक माि उद्देश्य नगर पालिका का
ववकास है | जिसमे त्रबना ककसी भेद-भाव, सभी समदु ायों के िोगो को एकसाथ िेकर आगे बढने का
उद्देश्य है | जिसके लिए नगर पालिका पररषद िोनी के ननवालसयों को इसमंे सहयोग महत्वपणू प है |
और नगर पालिका इसका उम्मीद करता है | नगरवालसयों से अपीि है की नगर को स्वच्छ और
सवु दर बनाने मंे नगर पालिका की मदद करे | अपने आस-पास साफ-सथु रा रखे | कू ड़ा-कचरा डस्टत्रबन
में रखे , गवदगी न फै िाये | आने वािे कि अच्छा हो इसके लिये आि बहे तर बनायंे |

Dr. Dhirendra Kumar Rai
( Executive Officer )

I am happy to present the August 2017 issue to all of you. A number of projects
have been commissioned in the month of August. The former will help
smoothen the flow of traffic, reduce the travel time of citizens, ease the
congestion and reduce pollution on nagar road. There have been a lot of lessons
to learned and these insights will certainly stand in good stead with us in our
endeavors in future. The one thing that stands out is the most active
participation of citizens. We, the residence of the Nagar Palika Parishad Loni
respective of ages, castes, creeds, religions, localities have untidily participated
in creation of Loni’s Swachh Nagar Palika Parishad proposal. As I look into the
future with great expectation, it is this one aspect of the municipality which
gives me the greatest hope. We in the Nagar Palika Parishad Loni, would be
very happy to receive your feedbacks on all matters that you feel are important.

( Chairman )

I am delighted to present the tasks and issue of Loni Nagar Palika by E-Patrika
Loni in August 2017. Nagar Palika Parishad Loni is grateful to the citizens who
displayed tremendous enthusiasm and whole heartedly participated in
numerous activities throughout this period. All of us should bear in mind that
this is not end but a beginning of the exercise pertaining to development and
Swachh Mission program. The coming years will surely be very hectic and
eventful. Loni promises to leave no room for complacency and will work even
harder to achieve the targets. We solicit active participation from the citizens in
our endeavor. We sincerely believe that decisions taken by Nagar Palika
Parishad Loni should benefit Nagar Palika Parishad Loni and the citizens in the
ultimate analysis. Many projects process in work in Nagar Palika Parishad Loni
for development our Nagar Palika and citizens. Thanks to all citizens of Nagar
Palika Parishad Loni for supporting to develop Loni.

रक्षा बिं न की शुभकामनाएँ

रक्षा बंिन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णमप ा को मनाया िाता है। उत्तरी भारत मंे यह त्यौहार भाई-बहन के अटू ट
प्रमे को समवपतप है और इस त्यौहार का प्रचिन सददयों परु ाना बताया गया है। इस ददन बहने अपने भाई की किाई
पर राखी बाँुधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प िेते हुए अपना स्नहे ाभाव दर्ातप े हंै। परु ाणों के अनुसार
रक्षा बधं न पवप िक्ष्मी िी का बिी को राखी बांधने से िडु ा हुआ है। इसके लिए परु ाणों में एक कथा है िो इस प्रकार
है – िब दानवो के रािा बलि ने अपने सौ यज्ञ पुरे कर लिए तो उवहोंने चाहा कक उसे स्वगप की प्राजतत हो, रािा बलि
कक इस मनोइच्छा का भान देव इवर को होने पर, देव राि इवर का लसहांसन डोिने िगा। िब देवराि इंर को कोई
उपाय नहीं सझु ा तो वो घबरा कर भगवान ववष्णु की र्रण मंे गय,ंे और बलि की मरं ्ा बताई तथा उवहें इस समस्या
का ननदान करने को कहा। देवराि इंर की बात सनु कर भगवान ववष्णु वामन अवतार िे, ब्राह्माण वरे ् धर कर, रािा
बलि के यहां लभक्षा मागं ने पहुंच गयें क्योंकक रािा बलि अपने ददए गए वचन को हर हाि मंे परू ा करते थे। िब राि
बलि ने ब्राह्माण बने श्री ववष्णु से कु छ माँुगने को कहां तो उवहोंने लभक्षा में तीन पग भूलम मागं िी। रािा बलि ने
उवहें तीन पग भलू म दान में देते हुए कहां की आप अपने तीन पग नाप िे। वामन रुप में भगवान ने एक पग मंे
स्वगप ओर दसु रे पग में पथृ् ्वी को नाप लिया। अभी तीसरा पैर रखना र्ेष था। बलि के सामने संकट उत्पवन हो
गया। आर्खरकार उसने अपना लसर भगवान के आगे कर ददया और कहां तीसरा पग आप मेरे लसर पर रख दीजिए।
वामन भगवान ने दिक वसै ा ही ककया, श्री ववष्णु के परै रखते ही, रािा बलि पाताि िोक पहुंच गए। बलि के द्वारा
वचन का पािन करने पर, भगवान ववष्णु अत्यवत खरु ् हुए, उवहोंने आग्रह ककया कक रािा बलि उनसे कु छ मागं िंे।
इसके बदिे में बलि ने रात ददन भगवान को अपने सामने रहने का वचन मांग लिया, श्री ववष्णु को अपना वचन का
पािन करते हुए, रािा बलि का द्वारपाि बनना पडा। िब यह बात िक्ष्मी िी को पता चिी तो उवहोंने नारद िी को
बुिाया और इस समस्या का समाधान पूछा। नारद िी ने उवहंे उपाय बताया की आप रािा बलि को राखी बाधँु कर
उवहंे अपना भाई बना िे और उपहार मंे अपने पनत भगवन ववष्णु को मांग िे। िक्ष्मी िी ने ऐसा ही ककया उवहोंने
रािा बलि को राखी बाधुँ कर अपना भाई बनाया
और िब रािा बलि ने उनसे उपहार मांगने को
कहाँु तो उवहोंने अपने पनत ववष्णु को उपहार मंे
मांग लिया। जिस ददन िक्ष्मी िी ने रािा बलि
को राखी बाधँु ी उस ददन श्रावण पूर्णमप ा
थी। कहते है की उस ददन से ही राखी का
तयौहार मनाया िाने िगा।

श्री कृ ष्णा जन्द्माष्टमी की हाददिक शभु कामनाएँ

यशोदा नंदन, देवकी पिु भारतीय समाज में कृ ष्ण के नाम से सददयों से पूजे जा रहे हंै। तार्कि कता के िराति पर
कृ ष्ण एक ऐसा एकांकी नायक हंै, जजसमंे जीवन के सभी पक्ष ववद्यमान है। कृ ष्ण वो र्कताब हंै जजससे हमंे ऐसी कई
लशक्षाएं लमिती हंै जो ववपरीत पररजथितत मंे भी सकारात्मक सोच को कायम रखने की सीख देती हैं। कृ ष्ण के जन्द्म
से पहिे ही उनकी मतृ ्यु का षड्यंि रचा जाना र कारावास जैसे नकारात्मक पररवशे मंे जन्द्म होना र्कसी िासदी से
कम नही िा । परन्द्तु ववपरीत वातावरण के बावजदू नदं िािा , वासुदेव के पिु ने जीवन की सभी वविाओं को बहुत ही
उत्साह से जजवंत र्कया है। श्री कृ ष्ण की सपं णूि जीवन किा कई रूपों में ददखाई पङती है। नटवरनागर श्री कृ ष्ण उस
संपूणि ता के पररचायक हैं जजसमंे मनषु ्य, देवता, योगीराज तिा सतं आदद सभी के गणु ं समादहत है। समथत शजततयों
के अधिपतत यवु ा कृ ष्ण महाभारत मंे कमि पर ही ववश्वास करते हैं। कृ ष्ण का मानवीय रूप महाभारत काि मंे थपष्ट
ददखाई देता है। गोकु ि का ग्वािा, त्रबरज का कान्द्हा िमि की रक्षा के लिए ररश्तों के मायाजाि से दरू मोह-माया के
बंिनों से अिग है। कं स हो या कौरव पांडव, दोनो ही तनकट के ररश्ते र्िर भी कृ ष्ण ने इस बात का उदाहरण प्रथततु
र्कया र्क िमि की रक्षा के लिए ररश्तों की बजाय कतवि ्य को महत्व देना आवश्यक है। ये कहना अततश्योजतत न होगी
र्क कमि प्रिान गीता के उपदेशों को यदद हम व्यवहार में अपना िंे तो हम सब की चते ना भी कृ ष्ण सम ववकलसत हो
सकती है। कृ ष्ण का जीवन दो छोरों मंे बंिा है। एक ओर बासं ुरी है, जजसमें सजृ न का संगीत है, आनदं है, अमतृ है

र रास है। तो दसू री ओर शखं है, जजसमंे युद्ध की वदे ना है, गरि है तिा तनरसता है। ये ववरोिाभास ये समझाते हंै
र्क सखु है तो दुु ःख भी है। यशोदा नंदन की किा
र्कसी द्वापर की किा नही है, र्कसी ईश्वर का
आख्यान नही है र ना ही र्कसी अवतार की िीिा।
वो तो यमनु ा के मदै ान मंे बसने वािी भावात्मक रुह
की पहचान है। यशोदा का नटखट िाि है तो कहीं
रोपदी का रक्षक, गोवपयों का मनमोहन तो कहीं
सुदामा का लमि। हर ररश्ते मंे रंगे कृ ष्ण का जीवन
नवरस में समाया हुआ है। माखन चोर, नंदर्कशोर के
जन्द्म ददवस पर मटकी िोङ प्रततयोधगता का
आयोजन, खिे -खेि में समझा जाता है र्क र्कस तरह
थवयं को सतं ुलित रखते हुए िक्ष्य को हालसि र्कया
जा सकता है; तयोंर्क सतं ुलित र एकाग्रता का
अभ्यास ही सखु मय जीवन का आिार है। सजृ न के
अधिपतत, चक्रिारी मिसु ूदन का जन्द्मददवस उत्सव के
रूप मंे मनाकर हम सभी में उत्साह का संचार होता है

र जीवन के प्रतत सजृ न का नजररया जीवन को
खशु नमु ा बना देता है।

थवतंिा ददवस के उपिक्ष्य मंे समथत नगर वालसयों को हाददिक बिाई

आजादी कहंे या थवतंिता ये ऐसा शब्द है जजसमें पूरा आसमान समाया है। आजादी एक थवाभाववक भाव है या यू कहे
र्क आजादी की चाहत मनषु ्य को ही नहीं जीव-जन्द्तु र वनथपततयों मंे भी होती है। सददयों से भारत अगं ्रेजों की
दासता में िा, उनके अत्याचार से जन-जन िथत िा। खिु ी र्िजा मंे सासं िेने को बचे नै भारत में आजादी का पहिा
त्रबगुि 1857 मंे बजा र्कन्द्तु कु छ कारणों से हम गिु ामी के बंिन से मतु त नही हो सके । वाथतव में आजादी का सघं षि
तब अधिक हो गया जब बाि गंगािर ततिक ने कहा र्क “थवतिं ता हमारा जन्द्मलसद्ध अधिकार है”। अनके क्रांततकाररयों

र देशभततों के प्रयास तिा बलिदान से आजादी की गौरव गािा लिखी गई है। यदद बीज को भी िरती मंे दबा दें तो
वो िपू तिा हवा की चाहत मंे िरती से बाहर आ जाता है तयोंर्क थवतंिता जीवन का वरदान है। व्यजतत को
परािीनता में चाहे र्कतना भी सखु प्राप्त हो र्कन्द्तु उसे वो आन्द्नद नही लमिता जो थवतिं ता में कष्ट उठाने पर भी
लमि जाता है। तभी तो कहा गया है र्क परािीन सपनेहुँ सखु नाहीं। जजस देश मंे चरं शखे र, भगत
लसहं , राजगुरू, सुभाष चन्द्र, खदु दराम बोस, रामप्रसाद त्रबजथमि जैसे क्राजन्द्तकारी तिा गािँ ी, ततिक, पटेि, नेहरु, जसै े
देशभकत मौजदू हों उस देश को गिु ाम कौन रख सकता िा। आखखर देशभततों के महत्वपणू ि योगदान से 14 अगथत
की अिरि ािी को अगं ्रेजों की दासता एवं अत्याचार से हमंे आजादी प्राप्त हुई िी। ये आजादी अमूल्य है तयोंर्क इस
आजादी में हमारे असखं ्य भाई-बन्द्िओु ं का सघं ष,ि त्याग तिा बलिदान समादहत है। ये आजादी हमें उपहार मंे नही
लमिी है। वदं े मातरम ् र इंकिाब जजदं ाबाद की गजनि ा करते हुए अनके वीर देशभतत िासं ी के िं दे पर झिू गए। 13
अप्रिै 1919 को जलियावँ ािा हत्याकाडं , वो रतत रंजजत भूलम आज भी देश-भतत नर-नाररयों के बलिदान की गवाही दे
रही है। आजादी अपने साि कई जजम्मदे ाररयां भी िाती है, हम सभी को जजसका ईमानदारी से तनवािह करना चादहए
र्कन्द्तु तया आज हम 70 वषों बाद भी आजादी
की वाजथतवकता को समझकर उसका सम्मान कर
रहे है | आज हम जजस खिु ी र्िजा मंे सांस िे
रहे हैं वो हमारे पूवजि ों के बलिदान र त्याग का
पररणाम है। हमारी नैततक जजम्मेदारी बनती है र्क
मजु श्किों से लमिी आजादी की रुह को समझंे।
आजादी के ददन ततरंगे के रंगो का अनोखा
अनुभव महसूस करें इस पवि को भी आजद भारत
के जन्द्मददवस के रूप में परू े ददि से उत्साह के
साि मनाए।ं थवतंिता का मतिब के वि
सामाजजक र आधिकि थवतिं ता न होकर एक
वादे का भी तनवाहि करना है र्क हम अपने देश
को ववकास की ऊँ चाइयों तक िे जायंगे ंे। भारत की
गररमा र सम्मान को सदैव अपने से बढकर
समझगे ंे।

गणेश चतदु िशी र्क हाददिक शुभकामनायें

गणेश चतुिी मनाने के दौरान िोग भगवान गणेश र्क पूजा करते है | गणेश दहन्द्दू िमि मंे सबसे
प्रलसद्ध देवता है जो पररवार के सभी सदथयों द्वारा पूजे जाते है | र्कसी भी क्षिे में कोई भी नये कायि
र्क शुरुआत से पहिे गणेश जी िोगों द्वारा हमेशा पूजे जाते है | ये उत्सव खासतौर से महाराष्रा मंे
मनाया जाता है हािारं ्क अब ये भारत के िगभग सभी राज्यों मंे मनाया जाता है | ये दहन्द्दओु ं का
महत्वपूणि त्यौहार है | िोग गणेश चतुिी पर पूरी भजतत र श्रद्धा से ज्ञान र समवृ द्ध के भगवान
र्क पूजा करते है | िोग ऐसा भरोसा करते है र्क गणेश जी हर साि ढेर सारी खुलसया र समवृ द्ध के
साि आते है र जाते वक़्त सभी दखु ों को हर जाते है | इस उत्सव पर गणेश जी खुश करने के
लिए ववलभन्द्न तयै ाररयां करते है | उनके सम्मान र थवागत के लिए गणेश जी के जन्द्मददवस के
रूप मंे मनाया जाता है | ये उत्सव भारपद ( अगथत र लसतम्बर ) के महीने में शुति पक्ष मंे
चतुिी पर शुरू होता है र 11 वें ददन अनन्द्त चतुदिशी को ख़त्म होता है | दहन्द्दू िमि में गणेश जी
र्क पूजा बहु त मायने रखती है | ऐसा माना जाता है र्क जो कोई पूरी भजतत र ववश्वास के साि
उनकी पूजा करेगा उसे वो ख़ुशी, ज्ञान, िन तिा िम्बी आयु प्रदान करंेगे | गणेश चतुिी के ददन
सुबह जल्दी उठ क्र थनान क्र िते े है, साि कपड़े पहनकर भगवान र्क पूजा करते है | वो
मिं ोउच्चारण आरती गाकर, दहन्द्दू िमि के दसू रे ररतत-ररवाज तनभाकर, भजतत गीत गाकर भगवान को
बहु त कु छ चढ़ाते है र प्रािनि ा करते है | इसके पहिे ये उत्सव कु छ पररवारों में ही मनाया जाता िा
| बाद मंे ये बड़े उत्सव मंे मनाया जाने िगा हािारँ ्क बाद इसको बड़ा बनाने के लिए इसमें मूतति
थिापना र ववसजनि शालमि र्कया गया साि ही इसे दखु ों से मुजतत लमिने िगी | 1883 में इसे
िोकमान्द्य ततिक के द्वारा इस उत्सव र्क शुरुआत हु ई | उस समय अगं ्रेजी शासन से भारतीयों
बचाने के लिए एक गणेश पूजा र्क प्रिा बनाई | अब के ददनों में गरै ब्राह्मण र ब्राह्मण के बीच
र्क असमानता को हटाने के लिए एक राष्रीय उत्सव के रूप मंे गणेश चतुिी मनाया जाता है |
गणेश चतुिी को कई नामों से जाना जाता है इसमें से कु छ है- एकदन्द्ता, असीम, शजततयों के
भगवान, हेरांबा, िम्बोदर, ववनायक, भगवानो के भगवान, बुवद्ध, समवृ द्ध, तिा सम्पतत के भगवान
आदद |

नगर पालिका पररषद् िोनी के द्वारा चिाया जा रहा थवच्छता
अलभयान में अधिकारी द्वारा सिाई र्क जा रही है \

नगर पालिका पररषद् िोनी के द्वारा चिाया जा रहा थवच्छता
अलभयान में अधिकारी द्वारा सिाई र्क जा रही है \





नगर पालिका पररषद् िोनी के कमचि ाररयों द्वारा शहर के नािो र्क
सिाई र्कया जा रहा है \

नगर पालिका पररषद् िोनी मंे चिाया
जा रहा थवच्छता अलभयान की
तनगरानी करते िोनी नगर पालिका के
अधिकारी \





नगर पालिका पररषद् िोनी के कमचि ाररयों द्वारा शहर के नािो र्क
सिाई र्कया जा रहा है \

नगर पालिका िोनी के कमचि ाररयों द्वारा सड़क पर झाड़ू िगाते हु ए \



नगर पालिका पररषद् िोनी के अधिशासी अधिकारी द्वारा झाड़ू िगा
कर थवच्छता का सदं ेश देते हु ए \

नगर पालिका पररषद् िोनी के
अधिकाररयों द्वारा झाड़ू िगा
कर थवच्छता का संदेश देते
हु ए \



नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा जिस िगह पर पानी िगा
हु आ था वहाुँ पर लमट्टी डािा गया और नािों को ढकने का भी
काम ककया िा रहा है \





नगर पालिका पररषद् िोनी के अधिकाररयों द्वारा वकृ ्षारोपण अलभयान चिाया जा रहा है जजससे शहर
के नागररक जागरूक हो र अपने आस-पास
पेड़ पौिे िगाए \



नगर पालिका पररषद् िोनी के अधिकाररयों
द्वारा वकृ ्षारोपण अलभयान चिाया जा रहा है

जजससे शहर के नागररक जागरूक हो र
अपने आस-पास पेड़ पौिे िगाए \



नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा सड़क का ननमापण कराया िा रहा है और
दसू री तस्वीर में सफाई कर के नगर पालिका की ट्रेक्टर में इकिा ककया िा
रहा है \

नगर पालिका पररषद् िोनी के िे.सी .भी द्वारा कू ड़ा को इकिा ककया िा रहा
है और नगर पालिका के कमचप ाररयों
द्वारा पौधा िगाते हु ए \



नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा सड़क पर इकिा पानी को बहार ननकिते हु ए

नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा सड़क पर इकिा पानी को बहार ननकिते हु ए



नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा सड़क पर गड्डो को भरने का कायप करते हु ए

नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा सड़क पर गड्डो को भरने का कायप करते हु ए

नगर पालिका पररषद् िोनी द्वारा सड़क पर गड्डो को भरने का कायप करते हु ए






















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