*New India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. अब अमेरिका आ रहे हैं राहुल गांधी, हमेशा चर्चित रहे हैं उनके विचार चुनौतियों और अवसरों का सामना करता भारतीय सामुदायिक मीडिया ...Page 5 ...Page 15 नील को मोंटगोमरी में मिली पहली कामयाबी, जीते तो रच देंगे इतिहास ...Page 6 A platform for the voice of next generation Indian Diaspora Year 1, Volume 31 Washington DC, Monday 22 May, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने जून में अमेरिका के दौरे पर आने वाले हैं। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी (मंत्री) का कहना है कि कि राष्ट्रपति बाइडन के निमंत्रण पर भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा दोनों नेताओं के लिए दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच गहरे संबंधों को जताने का एक बड़ा अवसर है। अमेरिका में पीएम मोदी के शानदार स्वागत की तैयारी की जा रही है। खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति और अमेरिका की प्रथम महिला जिल बाइडन 22 जून को राजकीय रात्रिभोज में पीएम मोदी की मेजबानी भी करेंगे। दक्षिण और मध्य एशिया की उप सहायक विदेश मंत्री नैंसी इजो जैक्सन का कहना है कि अमेरिका पीएम मोदी की मेजबानी करने के लिए उत्साहित है। यह दोनों नेताओं के लिए दोनों देशों और हमारे लोगों के बीच गहरे संबंधों को दिखाने करने का एक बड़ा अवसर होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों नेता बढ़ते व्यापार, निवेश और रक्षा साझेदारी की समीक्षा करेंगे। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि वे सहयोग के नए क्षेत्रों पर चर्चा करने जा रहे हैं, क्योंकि हम स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जाप्रौद्योगिकी और खाद्य सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। जैक्सन ने कहा कि चाहे वह शैक्षिक आदानप्रदान को बढ़ावा देने की बात हो या हमारे कार्यबल विकास में निवेश का मसला हो। हमारे लोगों के बीच संबंधों में हमारा साझा निवेश है। उन्होंने कहा कि तमाम मुद्दों के साथ निश्चित रूप से वीजा उस बातचीत का एक अहम हिस्सा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक संबंधों में से एक है। जैक्सन ने कहा कि हमारी द्विपक्षीय साझेदारी हमारी सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक रणनीतिक प्राथमिकताओं- रक्षा, आर्थिक और व्यापार सुरक्षा, स्वास्थ्य, उभरती प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच बढ़ते संबंधों को दिखाती है। पीएम मोदी के शानदार स्वागत के लिए तैयार है अमेरिका: जैक्सन पेट्रोल उत्पादों पर EU की आपत्ति, भारत ने कहा- पहले अपने नियम देखिए ...Page 23 जब घर जैसा नमककन हो खाना राजभोग नमककन ही लाना Order now - www.rajbhog.com अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के निमंत्रण पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका के दौरे पर अाने वाले हैं। अमेरिका इसे दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को दिखाने के अवसर के तौर पर देख रहा है। दुनिया की तमाम चुनौतियों को सुलझाने में अमेरिका भारत की मदद चाहता है। प्रवासी बच्चों के लिए फिर प्रस्तुत हआ ु यह विधेयक l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय-अमेरिकी कांग्सरे ी राजा कृष्णमूर्ति और अमी बेरा सहित सांसदों के एक समूह ने डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स की सुरक्षा के लिए द्विदलीय कानून को फिर से पेश किया है। डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स का अर्थ दीरका ्घ लिक वीजा धारकों के वे बच् हैं, चे जिनके सामने 21 वर का हो जाने ्ष पर आत्म-निर्वासन की मजबूरी होती है। इस विधेयक को अमेरिका के बच्चों का विधेयक कहा गया है। कांग्सरे ी महिला सांसद डबोरा रॉस और े सीनेटर एलेक्स पाडिला (दोनों डमोक्े रेट्स) के नेतृत्व में सांसदों ने हाल ही में कैपिटल हिल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 40 से अधिक डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स के समूह के साथ अमेरिका के चिल्ड्रन एक्ट को फिर से प्रस्तुत करने की घोषणा की। कांग्सरे ी अमी बेरा और डॉक्यूमेंटड ड्रीम े र्स के एक समूह ने अमेरिका की पुरानी अप्रवासन प्रणाली के साथ अपने अनुभव साझा किए और बिल के समर्थन में आवाज उठाई। 250,000 से अधिक बच् और युवा वयस चे ्क लंबी अवधि के गैर-आप्रवासी वीजा धारकों के आश्रितों के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहे हैं जिनमें H-1B, L-1, E-1 और E-2 कर्मचारी शामिल हैं। ये बच् अमेर चे िका में बड़े होते हैं, अमेरिकी स्कूलों में जाते हैं और अमेरिकी विश्वविद्यालयों से स्नातक होते हैं। चूंकि उन्होंने कानूनी स्थिति बनाए रखी है इसलिए ये डीएसीए या इसके साथ आने वाले कार्य प्राधिकरण के तहत सुरक्षा के लिए पात्र नहीं हैं। यह विधेयक महिला कांग्सरे ी डेबोरा रॉस के नेतृत्व में सदन में पेश किया गया। इस दौरान रॉस ने कहा कि डॉक्यूमेंटड ड्रीम े र्स हमारे समुदायों में बड़े होते हैं, हमारे स्कूलों में जाते हैं और हमारे बच्चों के साथ सीखते हैं। ये प्रेरक युवा अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ का प्रतिनिधित्व करते हैं। सांसद कृष्णमूर्ति ने कहा कि वीजा धारकों के कई बच् जो अमेर चे िका में पले-बढ़े हैं और अमेरिकी सपने जीते हैं वे हमारी आव्रजन प्रणाली की निरंतर विफलताओं से मजबूर हैं। इससे पहले कि वे अपना करियर शुरू कर सकें और अमेरिका में अपनी खुद की सफलता की कहानी लिख सकें, उनके सामने निर्वासन की तलवार लटक रही होती है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि कई बच् जो संयुक चे ्त राज्य अमेरिका में पले-बढ़े हैं और अमेरिकी सपने जीते हैं वे हमारी आव्रजन प्रणाली की निरतरं विफलताओं से मजबूर हैं। राष्ट्रपति बाइडन के निमंत्रण पर भारत के पीएम मोदी अगले महीने अमेरिका अा रहे हैं। (फोटो : @Dharma4X) डॉक्यूमेंटेड ड्रीमर्स समह ू के साथ अमी बेरा। Image : Twitter @Ami Bera
2 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 Indian Star LLC Published Weekly Copyright © 2022 Indian Star LLC Editor in Chief Dr. Sridhar Krishnaswami sridhar54k@newindiaabroad.com Chief Executive Officer Rajeev Bhambri rajeevb@newindiaabroad.com Editor (Hindi) Dr. Rameshwar Dayal rdayal@newindiaabroad.com Registered Address Indian Star LLC, 6215 Rockhurst Rd, Bethesda, MD 20817 USA A publication of Website www.NewIndiaAbroad.Com Disclaimers: 1. New India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. 2. Indian Star LLC assumes no liability for claims / assumptions made in advertisements and advertorials. Views expressed by the writers are their own. Email Info@newindiaabroad.com Ph. 7323476511 हिहिंदूफोबबिया पर जॉ िया पर जॉर्र्जिया के बबाद अबब इसस राज्य्य ने पेश ने पेश किकिया प्रस या ्ताव ्ताव l त्रिभवन श ु र्मा अमेरिकी राज्य जॉर्जिया के बाद अब ओहियो दूसरा ऐसा राज्य बन गया है, जिसने हिंदूफोबिया और हिंदू-विरोधी कट्टरता की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया है। विशेष रूप से इसी तरह का एक कदम जॉर्जिया में अप्रैल महीने में उठाया गया था, जहां विधानसभा ने हिंदूफोबिया की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था। ओहियो राज्य के सीनेटर भारतीय अमेरिकी और हिंदू नीरज अंतानी ने ही हिंदूफोबिया की निंदा करने के लिए यह प्रस्ताव पेश किया है। सीनेटर नीरज ने कहा कि ओहियो के इतिहास में पहले भारतीय अमेरिकी, हिंदू राज्य सीनेटर और देश में सबसे कम उम्र के हिंदू अमेरिकी निर्वाचित अधिकारी के रूप में मुझे आज इस प्रस्ताव को पेश करने पर गर्व है। कैलिफोर्निया में क्या हो रहा है, सिएटल में क्या हुआ है और इस तरह की हिंदूफोबिया की लहर को देखते हुए हमें कारवाई करन ्र ी चाहिए और हिंदूफोबिया के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए। मैं ओहियो और पूरे अमेरिका में हिंदुओं के लिए हमेशा मजबूत खड़ा रहूंगा। बता दें कि अमेरिका स्थित कई भारतीय अमेरिकी संगठनों ने सीनेटर नीरज अंतानी के इस कदम का स्वागत किया है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक समीर कालरा ने इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा कि ओहियो के अन्य विधायकों को भी इस कदम का समर्थन करने के लिए अंतानी के साथ शामिल होना चाहिए। ऐसे ही हिंदू अमेरिकन पीएसी, CoHNA और हिंदूएक्शन ने भी सीनेटर नीरत अतानी को इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए धन्यवाद कहा है। आपको मालूम हो कि जॉर्जिया ने अप्रैल महीने में हिंदफोबिया की निंदा करते हुए एक काउंटी प्रस्ताव पेश किया था। जॉर्जिया हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया था कि हिंदू धर्म दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने धर्मों में से एक है। इसके 1.2 अरब से अधिक अनुयायी हैं जो 100 से अधिक देशों में रहते हैं। हिंदूफोबिया यानी सनातन धर्म (हिंदू धर्म) और हिंदुओं के प्रति विरोधी और विनाशकारी सोच है। इस सोच की वजह से देश (अमेरिका) के कई हिस्सों में पिछले कुछ दशकों में हिंदू अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध देखने को मिले हैं। प्रस्ताव में रटगर्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट ‘एंटी-हिंदू 21 डिसइंफॉर्मेशन: ए केस स्टडी ऑफ हिंदूफोबिया ऑन सोशल मीडिया’ का भी जिक्र था जिसमें विस्तार से बताया गया था कि कैसे सोशल मीडिया पर नफरत भरे संदेश हिंदू धर्म के लोगों के लिए वास्तविक जीवन के खतरों में बदल जाते हैं। यह रिपोर्ट जुलाई 2022 में जारी की गई थी। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय मूल की पुलिस अधिकारी कैप्टन प्रतिमा भुल्लर माल्डोनाडो न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में सर्वोच्च रैंकिंग वाली दक्षिण एशियाई महिला बन गई हैं। प्रतिमा को इस पद पर हाल ही में प्रोन्नत किया गया है। उनका जन्म भारत के पंजाब राज्य में हुआ। वह 9 साल की उम्र तक पंजाब मे ही रहीं और फिर क्वींस, न्यूयॉर्क चली आईं। प्रतिमा दक्षिण रिचमंड हिल, क्वींस में 102वें पुलिस परिसर का संचालन करती हैं। एक न्यूज चैनल ने जानकारी दी कि उन्हें पिछले महीने कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया था। उनके चार बच् हैं। प्र चे तिमा ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे घर वापसी हुई है। जब बड़ी हो रही थी तब मैंने अपने जीवन के 25 से अधिक वर इस्ष ी परिसर में बिताए। साउथ रिचमंड हिल क्षेत्र में देश के सबसे बड़े सिख समुदाय का बसेरा है। जब प्रतिमा भुल्लर रिचमंड हिल के गुरुद्वारे में गईं तो उन्होने कहा कि मैं बचपन में भी यहीं आया करती थी। अब फर्क यह है कि मैं कैप्टन बन गई हूं। प्रतिमा भुल्लर ने CBS 2 को बताया कि उनकी नई भूमिका सामुदायिक पुलिसिंग में मदद करेगी। जो लोग अंग्जरे ी नहीं बोल पाते, उनके सामने भाषा की दिक्कतें है क्योंकि बाहरी लोगों के लिए अंग्जरे ी दूसरी भाषा है। उन दिक्कतों को मैंने यहां पलते-बढ़ते देखा है। न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में शिखर भूमिका तक पहुंचना भुल्लर के लिए आसान नहीं था। वह बताती हैं कि लोगों के बीच काम करना, अपनी हिफाजत करना और कभी-कभार लोगों के ताने सुनना। मगर इसके बावजूद आपको वह करते जाना है जो आप करना चाहते हैं। बेशक यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। मैं एक बेहतर और सकारात्मक उदाहरण पेश करना चाहती हूं। केवल अपने समुदाय के लिए नहीं, अन्य महिलाओं के लिए भी। उन बच्चों के सामने भी जो रोज हमे देखते हैं। इससे उनके दृष्टिकोण में बदलाव आएगा। न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में 33,787 सदस्य हैं और उनमें से 10.5 प्रतिशत एशियाई हैं। भुल्लर कहती हैं कि मुझे यहां पहुंचने पर बहुत गर्व है। इस तरह आप एशियाई और दक्षिण एशियाई महिलाओं को दिखा सकते हैं कि अगर वे भी कड़ी मेहनत करेंगी तो सफलता की सीढ़ियां चढ़ती जाएंगी। भुल्लर कहती हैं कि हालांकि मेरे पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अगर होते को उन्हे मुझपर नाज होता। न्यूयॉर्क पुलिस विभाग में शिखर भूमिका तक पहुंचना भुल्लर के लिए आसान नहीं था। वह बताती हैं कि लोगों के बीच काम करना, अपनी हिफाजत करना और कभी-कभार लोगों के ताने सुनना। मगर इसके बावजूद आपको वह करते जाना है जो आप करना चाहते हैं। भुलु्ल्लर बनीं न्यू र बनीं न्यूयॉ यॉर्क पुलुलिस में स िस में सर्र्वोच्चच्च रैंकिकिंग वालली दक्क्षिण एशिय शियाई महिलहिला प्रतिमा भलु्लर। Photo @twitter.com/SikhOfficers हिंदूफोबिया यानी सनातन धर्म (हिंदू धर्म) औरहिंदुओं के प्रति विरोधी औरविनाशकारी सोच है। इस सोच की वजह से देश (अमेरिका) के कई हिस्सों में पिछले कुछ दशकों में हिंदू अमेरिकियों के खिलाफ घृणा अपराध देखने को मिले हैं।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 3 बबजरंग बलबली की 25 फीट ऊंची प्र ी की 25 फीट ऊंची प्रतितिमा होगी स्थापित, भूमि पूजन का आयोजन l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका के न्यू जर्सी में 25 फीट ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ति की स्थापना के लिए भूमि पूजन किया गया। मंगलवार को इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन ओम श्री साईं बालाजी मंदिर और सांस्कृतिक कद्र कें ी ओर से किया गया। कार्यक्रम में भक्तों, समुदाय के सदस्यों और सम्मानित मेहमानों की भारी भीड़ देखी गई, जो समुदाय की एकता और भक्ति का प्रतीक है। इस कार्यक्रम को सीजीआई रणधीर जायसवाल भी मौजूद थे। आयोजक इस कार्यक्रम को अपने धर्म और संस्कृति के लिए एक मील का मान रहे हैं। करीब 12 एकड़ में फैले परिसर में एक भव्य मंदिर के साथ ही भगवान हनुमान की मूर्ति और विशाल सामुदायिक कद्र कें ी स्थापना की जाएगी। इसका उद्देश्य दिव्य वातावरण का निर्माण के साथ ही समुदाय की आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा करना है। सामूहिकता की भावना के साथ मंदिर विभिन्न देवी-देवताओं के भक्तों के लिए एक व्यापक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा। यह मंदिर संयुक्त राज्य अमेरिका में विशेष रूप से पहले ग्नाइट रे हिंदू मंदिरों में से एक होगा, जिसे कई पीढ़ियों तक चलने के लिए तैयार किया गया है। 65,000 वर्ग फुट से अधिक फैले निर्मित क्षेत्र में 20,000 से अधिक वर्ग फुट सांस्कृतिक/सामुदायिक कद्र शा ें मिल होगा। यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शिक्षा के लिए स्मार्ट कक्षाओं सहित आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। परियोजना को कई चरणों में तैयार किया जा रहा है। हाल ही में पूरे हुए चरण 1 में साईं ज्ञान मंदिर, एक खूबसूरती से डिजाइन किया गया प्रार्थना कक्ष, विशाल कक्षाएं और एक रसोईघर है। इस चरण को पहले ही प्राण प्रतिष्ठा प्राप्त हो चुकी है, जो दिव्य ऊर्जा और आशीर्वाद के साथ गर्भगृह का संचार करती है। परियोजना के दूसरे चरण 2ए में एक शानदार 25 फीट की हनुमान मूर्ति की स्थापना है। यह प्रतिष्ठित मूर्ति भक्ति के केंद्र बिंदु, शक्ति, साहस और भगवान हनुमान की भक्ति के प्रतीक के रूप में काम करेगी। परियोजना के चरण 2 बी में एक गर्भगृह, एक सांस्कृतिक केंद्र/कल्याण मंडपम (विवाह हॉल) और एक कैफेटेरिया का निर्माण शामिल होगा। यह सांस्कृतिक समारोहों, आध्यात्मिक समारोहों और सामुदायिक कार्यक्रमों के लिए एक स्थान प्रदान करेंगे। इस परियोजना को 10,000 से अधिक दानदाताओं और भक्तों का सहयोग मिला है। उनके अटूट समर्पण और प्रतिबद्धता ने इस दिव्य और आध्यात्मिक परियोजना को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ओम श्री साईं बालाजी मंदिर के अध्यक्ष सूर्यनारायण मद्दुला ने इस आयोजन में भाग लेने वाले 2000 से अधिक भक्तों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता का इजहार किया है। उन्होंने मंदिर और उसके भक्तों की सेवा करने के लिए अपनी आजीवन प्रतिबद्धता पर जोर दिया। अपनी अंतिम सांस तक अपनी सेवा जारी रखने का संकल्प लिया। ओम श्री साईं बालाजी मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र ने लोगों से आह्वान किया है कि वे इस महान उपक्रम का हिस्सा बनें। लोग अपना सहयोग देकर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दिव्य और आध्यात्मिक स्थल का निर्माण करने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए और परियोजना में योगदान करने के लिए https:// omsrisaibalajitemple.org पर जाएं या +1 (732) 392-6794 पर संपर्क कर सकते हैं। संस्था की तरफ से बताया गया है कि ओम श्री साईं बालाजी मंदिर और सांस्कृतिक कद्र ें का उद्देश्य हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता का संरक्षण और प्रचार करना है। मोनरो न्यू जर्सी में करीब 12 एकड़ में फैले परिसर में एक भव्य मंदिर के साथ ही भगवान हनुमान की मूर्ति औरविशाल सामुदायिक केंद्र की स्थापना की जाएगी। यह मंदिर संयुक्त राज्य अमेरिका में विशेष रूप से पहले ग्नाइट रे हिंदू मंदिरों में से एक होगा जिसे कई पीढ़ियों तक चलने के लिए तैयारकिया गया है। कार्यक्रम का एक दृश्य। ओम श्री साईं बालाजी मंदिर और सांस्कृतिक केंद्र की तरफ से अमेरिका के मोनरो, न्यू जर्सी में करीब 12 एकड़ में एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। (सभी फोटो : omsrisaibalajitemple) l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत स्थित पंजाब राज्य के चार और दिल्ली के एक अध्यापक को मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार, 2023 देने की घोषणा की गई है। विजेताओं का चयन भौतिकी, रसायन, गणित, अंग्जरे ी और सामाजिक अध्ययन विषयों से किया गया है। मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार वर 2013 से उन ्ष अध्यापकों को दिया जा रहा है जो नवाचार के साथ बेहतर अध्यापन सेवाएं दे रहे हैं। जानकारी के अनुसार 29 मई को दिल्ली में एक समारोह के दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और लोकसभा सांसद मेनका गांधी पुरस्कार वितरण करेंगे। चयन प्रक्रिया से पहले आवेदन आमंत्रित किये गये थे। पहले दौर में आए आवेदनों में से 23 शिक्षकों का चयन किया गया और फिर लिखित परीक्षा, विषय के विशेषज्ञों के साथ इंटरव्यू और अंत नें पीएचडी हाउस में अंतिम इंटरव्यू के बाद इस साल के लिए विजेताओं का चयन किया गया। इस साल के विजेताओँ में जीएसएस स्मार्ट स्कूल, लुधियाना की रोमानी आहुजा और हरप्रीत कौर, संगरूर जिले के जीएसएस स्कूल के राकेश कुमार, संगरूर के ही हाई स्कूल के मंजीत सिंह और जैन भारती मृगावती विद्यालय, दिल्ली के सोमदत्त भट्टाचार्य शामिल हैं। हरेक विजेता को पुरस्कार स्वरूप प्रशस्ति पत्र, सम्मान और एक लाख रुपये दिये जाएंगे। सम्मान समारोह 29 मई को दिल्ली में होगा। पुरस्कारों की घोषणा के बाद एमएमएम फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज सिघं ल ने कहा कि मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना प्रख्यात शिक्षाविद और महिला सशक्तीकरण की मुखर पैरोकार रहीं स्व. श्रीमती मालती मोहिंदर सिंह सिघं ले की स्मृति और उनके योगदान को याद करने के लिए वर 2013 में क ्ष ी गई थी। इसी क्रम में वर 2013 से अब तक 80 अध ्ष ्यापकों को सम्मानित किया जा चुका है। फाउंडेशन की योजना है कि अब इस पुरस्कार के दायरे में देश भर के सरकारी स्कूलों को लाया जाए। मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार एमएमएम फाउंडेशन की ओर से दिया जाता है। एमएमएम फाउंडेशन एक गैर सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना मनोज सिघं ल ने की। श्री सिघं ल एमएम ऑटो ग्प के स रु ीएमडी हैं जिन्होंने अपनी मां की स्मृति और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान की पहचान के लिए पुरस्कार की शुरुआत की है। मालती ज्ञानपीठ परसु ्कार से सम्मानित होंगे शिक्षक, समारोह नई दिल्ली में मालती ज्ञानपीठ पुरस्कार एमएमएम फाउंडशन की ओ े र से दिया जाता है। एमएमएम फाउंडेशन एक गैर सहायता प्राप्त गैर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना मनोज सिंघल ने की। Photo by Brands&People / Unsplash
aparnadave@immigration2us.com 4 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क विदेश में रह रहे हरियाणावासियों की बरसों पुरानी मांग को भारत के हरियाणा की सरकार जल्द पूरा कर सकती है। हरियाणवी प्रवासियों के हितों को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार के गृह मंत्री अनिल विज ने राज्य में NRI शिकायत निवारण प्रकोष्ठ को गठन करने के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। बीते दिन विज ने कहा कि विदेशों में रह रहे हरियाणावासी के लोगों को कई तरह की सामना करना पड़ता है और कभी-कभी उन्हें यह भी नहीं पता होता कि उनकी समस्याओं का समाधान कहां से होगा। यानी उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार के किस विभाग के किस अधिकारी से संपर्क करना होगा। विज ने कहा कि प्रवासी हरियाणा वासियों ने अगर भारत में आकर शिकायत भी दर्ज कराई है तो उन्हें निराश ही लौटना पड़ा है। उनकी राज्य में शिकायत करने की संख्या भी इसी वजह से कम है। बता दें कि हरियाणा के पड़ोसी राज्य पंजाब ने भी बीते कुछ दिनों में प्रवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए कई फैसले लिए हैं। NRI पंजाबी समुदाय के जमीन से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए न सिर्फ हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है बल्कि अन्य विवादों के समाधान के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की मांग को पूरा करने का भी वादा किया है। अब हरियाणवी प्रवासियों के लिए बनेगा NRI शिकायत निवारण सले ! हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि विदेशों में रह रहे हरियाणावासी के लोगों को कई तरह की सामना करना पड़ता है और कभी-कभी उन्हें यह भी नहीं पता होता कि उनकी समस्याओं का समाधान कहां से होगा। यानी उन्हें समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार के किस विभाग के किस अधिकारी से संपर्क करना होगा। गृह मंत्री अनिल विज राजदूत एरिक ने चरखा काता और कहा भारतीय छात्र हमारे लिए बहमुल ू ्य हैं l विशेष संवाददाता भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी का कहना है कि भारत में अमेरिकी दूतावास अगले कुछ हफ्तों में छात्र वीजा के अगले बैच को खोलने की योजना बना रहा है। उम्मीद जताई कि पहले की तुलना में इस साल अधिक वीजा जारी किए जा सकते हैं। राजदूत ने अमेरिका में पढ़ने के इच्छुक छात्रों के वीजा बैकलॉग पर भी बात की और आश्वस्त किया कि जल्द ही प्रतीक्षा अवधि को और घटाया जाएगा। उन्होंने भारतीय छात्रों को न सिर्फ भारत और अमेरिका, ब्लकि पूरी सभ्यता के लिए बहुमूल्य बताया। एरिक ने सोमवार को गुजरात में अहमदाबाद की अपनी पहली यात्रा के दौरान पत्रकारों से बात की।उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि न केवल छात्रों के लिए वीजा प्रतीक्षा अवधि घटाई जाए, बल्कि पहली बार आने वाले विजिटर और अन्य लोगों पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में प्रतीक्षा समय दिसंबर की तुलना में 60 प्रतिशत घटा है। आने वाले समय में यह और कम होगा। उन्होंने कहा कि दूतावास ने इस मुद् पर ध दे ्यान केंद्रित करने के लिए कर्मचारियों को नियुक्त किया है गया। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि इस साल हम पहले के आंकड़ों को पार करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति (बाइडन) का इस पर भी बहुत ध्यान है। उन्होंने मुझे न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पहली बार आने वाले आगंतुकों और अन्य लोगों के लिए भी वीजा जारी करने के समय को कम करने के लिए कहा है। गार्सेटी ने कहा कि भारतीय छात्र अमेरिका के लिए बहुत अच्छे हैं। वे हमारे विश्वविद्यालयों, कारोबार के लिए बहुत ही बहुमूल्य हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका स्थित दिग्गज कंपनियों के भारतीय मूल के सीईओ को देखकर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं। यह ने सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ही बहुत अच्छा है, बल्कि सभ्यता के लिए भी बहुमूल्य हैं। गार्सेटी ने कहा कि जब वह 14 साल की उम्र में पहली बार भारत आए थे तब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार सिर्फ दो अरब डॉलर का था। आज यह 100 अरब डॉलर से अधिक है। अमेरिका, भारत के साथ नंबर एक व्यापारिक साझेदार है। अब हम अपने लोगों को सुरक्षित रखने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की रक्षा करने के लिए एक पारस्परिक रणनीति का एक महत्वपूर्णहिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि हॉलीवुड, बॉलीवुड और टॉलीवुड के माध्यम से दोनों देशों के लोगों का एक-दूसरे पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान और दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को दर्शाता है। गार्सेटी ने अहमदाबाद स्थित महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का भी दौरा किया। वहां उन्होंने चरखा चलाया और संग्रहालय को भी देखा। गार्सेटी ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि इस जगह और एक आदमी (महात्मा गांधी) ने दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया। अहमदाबाद में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने चरखा चलाया। (फोटो : @USAmbIndia) भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने सोमवार को गुजरात के अहमदाबाद में कहा कि भारतीय छात्र अमेरिका के विश्वविद्यालयों, कारोबार के लिए बहुत ही बहुमूल्य हैं। अमेरिकी दूतावास अगले कुछ हफ्तों में छात्र वीजा के अगले बैच को खोलने की योजना बना रहा है।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 5 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत के मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्स के पू रे र्व सांसद और गांधी परिवार के सदस्य राहुल गांधी 31 मई को अमेरिका आने वाले हैं। वह 10 दिन तक अमेरिका में ही रहेंगे। इस यात्रा के दौरान उनका विशेष कार्यक्रम 4 जून को है, जिसमें वह न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में लगभग 5000 भारतीय प्रवासियों के साथ रैली करेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राहुल गांधी भाषण के लिए वाशिंगटन और कैलिफोर्निया भी जाएंगे और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पैनल चर्चा में भी शामिल होंगे। इसके अलावा राहुल राजनेताओं और उद्यमियों से भी मिलेंगे। राहुल की इस साल यह दूसरी बड़ी यात्रा है। इससे पहले वह मार्च में ब्रिटेन गए थे। बता दें कि मार्च 2023 में ब्रिटेन की कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दिए भाषण को लेकर राहुल गांधी की खूब आलोचना हुई थी। उन्होंने अपने भाषण में भारत सरकार की आलोचना की थी साथ ही भारत के लोकतंत्र पर खतरा बताया था। उन्होंने यूके की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में कहा था कि हर कोई जानता है और यह काफी खबरों में है कि भारतीय लोकतंत्र दबाव में है और उस पर लगातार हमला हो रहा है। उनके इस भाषण के बाद भारत की सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्स पर लगातार हमला रे बोला था और राहुल गांधी से मांफी मांगने की भी बात रखी थी। काफी समय तक भारत की संसद में उनके भाषण को लेकर हंगामा रहा था। अब अमेरिका आ रहे हैं राहुल गांधी, हमेशा चर्चित रहे हैं उनके विचार राहुल गांधी भाषण के लिए वाशिंगटन और कैलिफोर्निया भी जाएंगे और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पैनल चर्चा में भी शामिल होंगे। इसके अलावा राहुल राजनेताओं और उद्यमियों से भी मिलेंगे। राहुल की इस साल यह दूसरी बड़ी यात्रा है। इससे पहले वह मार्च में ब्रिटेन गए थे। लंदन में मंगलवार को ब्रिटेन के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जारी किया गया यह विश्लेषण ऐसे समय पर आया है जब ब्रिटेन सरकार के आव्रजन आंकड़ों में कटौती के प्रयासों के तहत अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा पर कार्रवाई की आशंका बढ़ रही है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संबल हैं भारतीय छात्र: रिपोर्ट l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क एक नई रिपोर्ट में पाया गया है कि भारतीय सहित अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक आर्थिक प्रभाव लाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय सहित अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में सबसे बड़े समूहों में से एक हैं और यूके की अर्थव्यवस्था के लिए शुद्ध सकारात्मक आर्थिक प्रभाव लाते हैं। लंदन में हाल में ब्रिटेन के प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जारी किया गया यह विश्लेषण ऐसे समय पर आया है जब ब्रिटेन सरकार के आव्रजन आंकड़ों में कटौती के प्रयासों के तहत अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा पर कारवाई क ्र ी आशंका बढ़ रही है। यह विश्लेषण 2020-21 के आंकड़ों पर केंद्रित है। इसकी रिपोर्ट में गैर-यूरोपीय संघ (EU) के प्रति छात्र GBP 96,000 का अर्थव्यवस्था को लाभ होने का दावा किया गया है। जाहिर तौर पर गैर यूरोपीय संघ वाले छात्र समूह में भारत के छात्र भी शामिल हैं। इस विश्लेषण की जिम्मेदारी लंदन इकोनॉमिक्स के पार्टनर डॉ. गवन कॉनलन को दी गई थी। डॉ. गवन ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय छात्र देश की अर्थव्यवस्था से जितना लेते हैं, उससे लगभग 10 गुना अधिक देते हैं। यह बढ़त स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर आर्थिक समृद्धि का सबब है। यही नहीं, अंतरराष्ट्रीय छात्र विश्वविद्यालयों को विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान करने का अवसर भी प्रदान करते हैं जो अन्यथा संभव नहीं होता। उन्होंने कहा कि यूके के सबसे महत्वपूर्ण निर्यात उद्योगों में से एक के रूप में अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने में विश्वविद्यालयों की सफलता की सराहना की जानी चाहिए। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा नीति संस्थान (HEPI), यूनिवर्सिटी यूके इंटरनेशनल (UUKi) और कापलान इंटरनेशनल पाथवेज ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के आश्रितों के लिए संभावित वीजा प्रतिबंधों और उनके अध्ययन के बाद के कार्य वीजा अधिकारों में संभावित कटौती से संबंधित चल रही राजनीतिक बहस के बीच विश्लेषण करने के लिए संगठन को नियुक्त किया था। यूके मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन आश्रितों को लाने वाले विदेशी छात्रों पर शिकंजा कसना चाह रही हैं क्योंकि इसे बढ़ते प्रवासन के आंकड़ों के रूप में देखा जा रहा है। Image : website @ Kaplan international college, london Image : website @ Kaplan international college, london फोटो साभार: Twitter @INCIndia
6 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 classified rajeevb@newindiaabroad.com Book Your l सनी ु ता सोहराबजी भारतीय मूल के अमेरिकी नील मखीजा ने मोंटगोमरी काउंटी से डमोक्े रेटिक उम्मीदवारी हासिल कर ली है। पेन्सिलवेनिया आयुक्त के पद की उम्मीदवारी के लिए 16 मई को यहां प्राइमरी चुनाव हुए थे। मखीजा अब 7 नवंबर को आम चुनाव में किस्मत आजमाएंगे। अगर वह कमिश्नर बने तो यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय अमेरिकी होंगे। इसके अलावा अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी काउंटी में पार्टी का प्रचार संभालेंगे। नील मखीजा की इस उपलब्धि पर मैरीलैंड की उपराज्यपाल अरुणा मिलर ने ट्वीट करके बधाई दी है। उन्होंने लिखा, ‘’मोंटगोमरी काउंटी आयुक्त के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने पर मेरे मित्र नील मखीजा को बधाई। वॉशिंगटन से डेमोक्रेट प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल ने भी मखीजा को बधाई दी है। मखीजा को पेंसिल्वेनियाका के डेमोक्रेट प्रतिनिधि सेनेटर जॉन े फेटरमैन का भी महत्वपूर्ण समर्थन मिला है। तीन सदस्यीय मोंटगोमरी काउंटी बोर्ड ऑफ कमिश्नर्स में दो पदों के लिए पांच डमोक्े रेट और तीन रिपब्लिकन उम्मीदवार मैदान में हैं। हर पार्टी की तरफ से प्राइमरी चुनाव में दो उम्मीदवार चुने गए हैं। मखीजा और जमीला विंडर ने डेमोक्रेटिक नामांकन जीता है वहीं रिपब्लिकन पार्टी का नामांकन टॉम डिबेलो और लिज़ फेरी को मिला है। अब ये सभी उम्मीदवार 7 नवंबर को होने वाले आम चुनाव में किस्मत आजमाएंगे। सबसे ज्यादा वोट पाने वाले दो उम्मीदवार कमिश्नर बनेंगे। इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट के कार्यकारी निदेशक मखीजा अगर यह चुनाव जीत जाते हैं तो वह मोंटगोमरी काउंटी में आयुक्त बनने वाले पहले एशियाई अमेरिकी और पहले भारतीय अमेरिकी होंगे। यही नहीं, वह 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में काउंटी में होने वाले मतदान की देखरेख भी करेंगे। मखीजा ने अपनी प्रचार वेबसाइट पर लिखा है कि 2024 के चुनाव में पूरी संभावना है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डिसेंटिस पेंसिलवेनिया वासियों के वोट के अधिकारों पर खूब हमला करेंगे। ऐसे में सिर्फ वही हैं जो इस हमले का जवाब दे सकते हैं और वोट के अधिकार की रक्षा कर सकते हैं। मखीजा ने 17 मई को अपने समर्थकों के नाम ओपन लेटर में लिखा था कि ऐसे समय में जब हमारे मौलिक अधिकार और लोकतंत्र निशाने पर हैं, मोंटगोमरी काउंटी के मतदाताओं ने एक ऐसे उम्मीदवार को चुना है जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ता है। मतदाताओं के इस विश्वास के लिए मैं आभारी हूं। 36 वर्षीय वकील इम्पैक्ट के जरिए कई उभरते हुए नेताओं के अभियानों को बढ़ावा दे चुके हैं। इसकी स्थापना समुदाय के नेता दीपक राज और कंसास के पूर्व राज्य प्रतिनिधि राज गोयले ने 2016 में की थी। इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट राजनीति में भारतीय अमेरिकियों की रुचि और भागीदारी बढ़ाने की दिशा में सक्रिय है। इस संगठन का दावा है कि 2020 के चुनाव में उसने हजारों मतदाताओं को अपने साथ जोड़ा, जिसकी बदौलत डोनाल्ड ट्रम्प को हराने में मदद मिली। यही नहीं सीनेट में बहुमत हासिल करने में भी योगदान दिया। नील को मोंटगोमरी में मिली पहली कामयाबी, जीते तो रच देंगे इतिहास l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय मूल के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी ने न्यूयॉर्क शहर में पेन अमेरिका के वार्षिक समारोह में शामिल होकर सबको चौंका दिया। करीब नौ महीने पहले हमले का शिकार होने के बाद यह पहला मौका है, जब सलमान पहली बार किसी सार्वजनिक समारोह में पहुंचे। भारत में जन्मे 75 वर्षीय लेखक को पेन अमेरिका ने पेन सेंटेनरी करेज अवार्ड से सम्मानित किया। पिछले साल अगस्त में रुश्दी जब न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम में भाषण देने वाले थे, उसी दौरान लेबनानी मूल के 24 वर्षीय अमेरिकी हादी मातर ने उन पर घातक हमला कर दिया था। न्यूजर्सी निवासी हादी मातर ने 20 सेकंड के अंदर चाकू से रुश्दी की गर्दन, हाथ और पेट पर कई वार किए थे। इस घटना में रुश्दी की एक आंख की रोशनी भी चली गई थी। इस हमले के बाद पहली बार रुश्दी गुरुवार को जब मैनहट्टन में अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के 2023 लिटरेरी गाला में पहुंचे तो हर कोई चौंक गया क्योंकि पहले से उनके आने की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। मुंबई में एक कश्मीरी परिवार में जन्मे रुश्दी ने समारोह में भावनात्मक संबोधन दिया। तालियों की गूंज के बीच रुश्दी ने दर्शकों का अभिवादन करते हुए कहा कि मेरे पास वापस नहीं आने का विकल्प था लेकिन मुझे खुशी है कि जिंदगी ने इस तरह मोड़ लिया है। मैं लेखकों के बीच वापस आकर बहुत खुश हूं। उन्होंने कहा कि आजादी की रक्षा करने का मिशन कभी भी उतना महत्वपूर्ण नहीं रहा, जितना उनकी किताब पर बैन और सेंसरशिप के दौर में रहा। उन्होंने कहा कि आतंकवाद हमें डरा नहीं सकता, हिंसा हमें रोक नहीं सकती। हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हमले के वक्त मंच पर मौजूद लोगों और डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करते हुए रुश्दी ने कहा कि अगर वो लोग नहीं होते तो मैं आज यहां खड़ा नहीं होता। मैं उनका एहसानमंद हूं। वहीं पेन अमेरिका ने बयान में कहा कि रुश्दी की वापसी हम सभी के लिए एक भावनात्मक पल रहा। हमले के 9 महीने बाद न्यूयॉर्क में दिखे सलमान रुश्दी, कहा- संघर्ष जारी रहेगा नील मखीजा अब पेन्सिलवेनिया के कमिश्नर पद के लिए 7 नवंबर को होने वाले आम चुनाव में किस्मत आजमाएंगे। अगर वह कमिश्नर बने तो यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय अमेरिकी होंगे। यही नहीं 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भी काउंटी में पार्टी की जिम्मेदारी संभालेंगे। पिछले साल अगस्त में जानलेवा हमले के बाद सलमान रुश्दी गुरुवार को पहली बार जब मैनहट्टन में अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के 2023 लिटररे ी गाला में पहुंचे तो हर कोई चौंक गया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद हमें डरा नहीं सकता, हिंसा हमें रोक नहीं सकती। हमारा संघर्ष जारी रहेगा। नील मखीजा अब 7 नवंबर को आम चनाव में ु किस्मत आजमाएंगे। सलमान रुश्दी (फोटो twitter @PENamerica) नील मखीजा ने मोंटगोमरी काउंटी से डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी हासिल कर ली है।
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8 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क दुनिया में भगवान शिव का सबसे ऊंचा तुंगनाथ मंदिर एक तरफ झुक रहा है। यह मंदिर भारत के उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले में करीब 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह पंच केदार में शामिल है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग की रिपोर्ट से इसमें झुकाव आने का खुलासा हुआ है। एएसआई की जांच से पता चला है कि मंदिर में करीब 5 से 6 डिग्री तक झुकाव आया है। मंदिर के अंदर बनी मूर्तियों और सभामंडप में 10 डिग्री तक झुकाव आ गया है। एएसआई ने इस बारे में भारत सरकार को अवगत कराते हुए मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित करने का आग्रह किया है। खबरों के अनुसार सरकार ने इस रिपोर्ट पर आगे कार्यवाही शुरू कर दी है। अभी तुंगनाथ मंदिर भी केदारनाथ धाम की तरह बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन है। मंदिर के मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी का कहना है कि वर 1991 में आए भूकंप और ्ष समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से मंदिर पर काफी असर पड़ा है। मंदिर की बाहरी दीवारों से कई जगह पत्थर छिटक गए हैं। सभामंडप की स्थिति भी खराब है। गर्भगृह का एक हिस्सा झुक गया है। एएसआई के अधिकारियों ने तुंगनाथ मंदिर के नीचे की जमीन खिसकने और धंसने की भी आशंका जताई है। अगर ऐसा हुआ तो मंदिर का अलाइनमेंट गड़बड़ा सकता है। फिलहाल मंदिर में झुकाव की वजह का पता लगाया जा रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो नींव के क्षतिग्रस्त पत्थरों को भी बदला जाएगा। फिलहाल झुकाव को मापने के लिए ग्लास स्केल लगा दिया गया है। देहरादून सर्किल के सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट मनोज सक्सेना ने कहा है कि मंदिर के झुकाव से आगे चलकर दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में पहले मंदिर में झुकाव और नुकसान की मूल वजह पता लगाई जाएगी। उसके बाद ट्रीटमेंट शुरू किया जाएगा। दुनिया में शिव का सबसे ऊंचा मंदिर हुआ टेढ़ा, खिसक रही है जमीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की जांच से पता चला है कि मंदिर में करीब 5 से 6 डिग्री तक झुकाव आया है। मंदिर के अंदर बनी मूर्तियों और सभामंडप में 10 डिग्री तक झुकाव आ गया है। विभाग ने इस बारे में भारत सरकार को अवगत कराते हुए मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित करने का आग्रह किया है। एएसआई की जांच से पता चला है कि मंदिर में करीब 5 से 6 डिग्री तक झुकाव आया है। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क उत्तरी कैलिफोर्निया में अपने परिवार को चट्टान से नीचे गिराने के आरोपी व्यक्ति की पत्नी का कहना है कि उसका पति उदास था और उसे मनोवैज्ञानिक पड़ताल की दरकार थी। पासाडेना के रहने वाले आरोपी की पत्नी का यह भी कहना है कि उसके पति का इरादा पूरे परिवार की जान लेने का था। यह जानकारी एक नए सर्च वारंट हलफनामे में सामने आई है। एक समाचार वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी धर्मेश पटेल की पत्नी नेहा ने बचावकर्ताओं से बार-बार कहा कि उसके पति ने दो बच्चों समेत हत्या के इरादे से जानबूझकर चट्टान से गिराया। दिलचस्प यह है कि इस हादसे में आरोपी धर्मेश, उसकी पत्नी नेहा और उनके दोनों बच्चे (4 और 7 वर्ष) सही सलामत बच गए। जांचकर्ता अधिकारी के मुताबिक चारों की जान बचना किसी चमत्कार से कम नहीं था। दूसरी तरफ रेडियोलॉजिस्ट धर्मेश ने कैलिफोर्निया हाईवे पेट्रोल को बताया कि वह टायर की जांच के लिए सड़क से उतर गया था जबकि नेहा पटेल का कहना है कि उसके पति ने उदासी में कहा था कि वह अब चट्टान पर गाड़ी गिराने वाला है और फिर उसने वही किया। हादसे में धर्मेश भी घायल हुआ था और उसे गहरी चोटें आई थीं। जब वह उन चोटों से उबर रहा था तब उसका इंटरव्यूलिया गया जो वारंट हलफनामे में शामिल है। वेबसाइट के अनुसार इंटरव्यू में धर्मेश ने बताया कि चट्टान से गिरने से कुछ समय पहले उसकी पत्नी चिढ़ गई थी क्योंकि वह सैन मेटो काउंटी में उसके भाई के घर लॉस एंजिलिस में ड्राइव करने से पहले रुकना नहीं चाहती थी। जब धर्मेश से यह पूछा गया कि क्या उसके दिमाग में आत्महत्या जैसा कुछ चल रहा था तो उसके कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। वह जगह जहां हआ था हादसा। Image @San Mateo County District Attorney Office ु Photo by Ashwini Chaudhary(Monty) / Unsplash Photo by Aayush(gop) Rawat / Unsplash California Crash : पत्नी के आरोप ने दुर्घटना को और भयावह बनाया रडिे योलॉजिस्ट धर्मेश ने कैलिफोर्निया हाईवे पेट्रोल को बताया कि वह टायर की जांच के लिए सड़क से उतर गया था जबकि नेहा पटेल का कहना है कि उसके पति ने उदासी में कहा था कि वह अब चट्टान पर गाड़ी गिराने वाला है औरफिर उसने वही किया।
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10 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 l विशेष संवाददाता भारतीय-अमेरिकी संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ. नाहिद भदेलिया सेंटर फॉर इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज पॉलिसी एंड रिसर्च का नेतृत्व करने के लिए बोस्टन यूनिवर्सिटी (BU) लौट आई हैं। वह पहले व्हाइट हाउस की COVID-19 रेस्पॉन्स टीम की वरिष्ठ नीति सलाहकार थीं। व्हाइट हाउस की COVID-19 रेस्पॉन्स टीम का गठन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस महामारी की चुनौती का सामना करने के लिए किया था। इस टीम को 11 मई को भंग कर दिया गया था। भदेलिया का जन्म भारत में हुआ और वह स्वीडन व सऊदी अरब में पली-बढ़ी हैं। वह तरुण अवस्था में ही अमेरिका आ गई थीं। संक्रामक रोगों की BU स्कूल ऑफ मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर भदेलिया BU के सेंटर फॉर इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज पॉलिसी एंड रिसर्च (CEID) की संस्थापक हैं। BU के द ब्रिंक ने बताया कि वह पूर्णकालिक स्थिति की अवधि के लिए विश्राम ले रही हैं। वर्ष 2021 में CEID की स्थापना के बाद से भदेलिया ने इसे अनुसंधान और कार्रवाई योग्य नीतियों के केंद्र के रूप में विकसित किया है। इस केंद्र ने कांग्रेस की सुनवाई में योगदान दिया है, विधायी कार्यालयों को सलाह दी है, पॉलिसी ब्रीफ तैयार किये हैं और महामारी संबंधी बिलों पर इनपुट प्रदान किया है। CEID में अपनी भूमिका के अलावा भदेलिया नेशनल इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज लेबोरेटरीज (NEIDL) की सहयोगी निदेशक हैं जो BU में अत्याधुनिक अधिकतम रोकथाम अनुसंधान सुविधा है। डॉ. भदेलिया ने इबोला वायरस के प्रकोप के दौरान पश्चिम और पूर्वी अफ्रीका में काम किया।लाइबेरिया और युगांडा में महामारी से निपटने की तैयारियों में योगदान दिया और BU तथा यूनिवर्सिटी ऑफ लाइबेरिया इमर्जिंग एंड एपिडेमिक वायरस रिसर्च प्रोग्राम का सह-निर्देशन किया, जो फोगार्टी इंटरनेशनल सेंटर द्वारा वित्त पोषित है। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूनिवर्सल हेल्थ एंड प्रिपेयर्डरनेस रिव्यू के तकनीकी सलाहकार समूह की सदस्य भी हैं जो महामारी से निपटने की तैयारी को मापने के लिए उपयोग किए जाने वाले मेट्रिक्स के उन्नयन के लिए कार्यरत है। नाहिद लौटीं यूनिवर्सिटी, व्हाइट हाउस में संभाल रखी थी विशेष जिम्मेदारी नाहिद भदेलिया का जन्म भारत में हुआ और वह स्वीडन व सऊदी अरब में पली-बढ़ी हैं। वह तरुण अवस्था में ही अमेरिका आ गई थीं। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के यूनिवर्सल हेल्थ एंड प्रिपेयरर्ड नेस रिव्यू के तकनीकी सलाहकार समूह की सदस्य भी हैं। Image @ Twitter/Dr. Nahid Bhadelia
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अमेरिका की घरेलू राजनीति की कीमत चुकाता हिंद-प्रशांत अगर चीजें तयशुदा तरीके से चलती रहतीं तो क्वाड नेताओं की तीसरी व्यक्तिगत बैठक 24 मई को ऑस्ट्रेलिया में होती। मगर अब ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ बाइडन के साथ े हिरोशिमा में G7 शिखर सम्मेलन में रूबरू हैं। प्रथम दृष्टया यह जताया गया कि यह कोई बड़ी बात नहीं थी, सिडनी में जिन मसलों पर चर्चा की जानी चाहिए थी वह हिरोशिमा में होगी। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में होने वाली क्वाड बैठक जापान में एक अनिर्धारित बैठक के समान नहीं है। वाशिंगटन में प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया था कि कर्ज सीमा को बढ़ाने पर महत्वपूर्ण बातचीत के चलते राष्ट्रपति बाइडेन उस समय ऑस्ट्रेलिया में नहीं हो सकते। साथ ही यह भी जता दिया गया था कि बातचीत महत्वपूर्ण है जिसका प्रभाव अमेरिका ही नहीं शेष दुनिया पर भी होगा। लेकिन ऋण पर बाइडेन, व्हाइट हाउस और रिपब्लिकन नेतृत्व के बीच का गतिरोध एक बार फिर अमेरिका की घरेलू राजनीति की स्थिति को सामने लेकर आता है। लेकिन शायद यह केवल ऋण सीमा वार्ता ही नहीं है जिसने राष्ट्रपति बाइडन को क े ्वाड शिखर सम्मेलन से दूर किया। लगता है कि उनके सलाहकारों ने कान में फुसफुसा दिया है कि ‘स्वामी इस समय अमेरिका से दूर रहना ठीक नहीं’ है। खासतौर से तब जबकि दूसरी पारी को लेकर सियासी बखेड़े खड़े हों और घरेलू स्तर पर आर्थिक मुद् अनसुलझे हों। दे अब क्वाड यात्रा का स्थगन अमेरिका की घरेलू राजनीति पर क्या रंग छोड़ेगा यह देखना होगा। बाइडेन की यात्रा स्थगन का शिकार क्वाड और ऑस्ट्रेलिया ही नहीं हुए बल्कि एक तरह से खुद राष्ट्रपति जो भी हुए हैं क्योंकि वह पापुआ न्यूगिनी जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भी चूक गए हैं। वैसे वर्तमान संदर्भ में यह छोटा सा देश हिंद प्रशांत और क्वाड खिलाड़ियों के रणनीतिक युद्धाभ्यास के लिहाज से एक महत्वपूर्ण रुचि का स्थान है। नियमित क्वाड शिखर सम्मेलन राष्ट्रपति बाइडन के ी घरेलू मजबूरियों के कारण विफल हो गया इस पर चीन में खुशी की लहर होगी ऐसा भी नहीं है। लेकिन क्वाड को एशियाई नाटो के रूप में देखने वाले देश के रूप में चीन शायद चुपचाप इस बात का जश्न मना रहा है कि ऑस्ट्रेलिया की बैठक से वाशिंगटन की अनुपस्थिति अप्रत्यक्ष रूप से हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठा रही है। बहरहाल, बाइडन प्रशासन के पास इस धारणा े को दुरुस्त करने का एक तरीका यह है कि नेताओं के क्वाड शिखर सम्मेलन को जल्दी से फिर से निर्धारित किया जाए और राष्ट्रपति की पोर्ट मोरेस्बी की ऐतिहासिक यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी जाएं। जो कुछ दांव पर है वह केवल बीजिंग के साथ समझौता करने की रणनीति नहीं है बल्कि आर्थिक और रणनीतिक चुनौतियों से भरे विश्व के एक हिस्से में अमेरिकी नेतृत्व को रेखांकित करना अधिक है। खबू! शक्तिशाली एशियाईअमेरिकी सूची में कई भारतीय, बढ़ रहा है रुतबा l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क कई भारतीय अमेरिकी जो पेन्सिलवेनिया (PA) राज्य विधानसभा, सरकार, शैक्षणिक संस्थानों, व्यावसायिक उपक्रमों, वकालत समूहों और स्वास्थ्य क्षेत्र में शानदार काम कर रहे हैं, उन्हें 2023 के लिए ‘सिटी एंड स्टेट पावर ऑफ डाइवर्सिटी: एशियन 100’ की सूची में शामिल किया गया है। 100 नेताओं की सूची में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्या राज्य और अमेरिका के विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान को दिखाता है। पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका के विकास में भारतीयों का योगदान बढ़ा है। पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष नीली बेंदापुडी, राज्य विधायक निकिल सावल और अरविंद वेंकट, टेंपल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के अध्यक्ष और सीईओ अभिनव रस्तोगी, आर्केडिया विश्वविद्यालय के अध्यक्ष अजय नायर, भारतीय अमेरिकी प्रभाव के कार्यकारी निदेशक नील मखीजा, सरकार और विदेश मामलों और सामुदायिक प्रभाव की उपाध्यक्ष अलका पटेल पेंसिल्वेनिया के लिए 2023 के लिए सिटी एंड स्टेट की शक्तिशाली एशियाई-अमेरिकी सूची में शामिल भारतीय अमेरिकियों में प्रमुख हैं। भारत में जन्मीं प्रसिद्ध शिक्षाविद, पेन स्टेट प्रेसिडेंट बेंडापुडी ने 2022 में राष्ट्रमंडल के प्रमुख सार्वजनिक विश्वविद्यालय का नेतृत्व करने वाली पहली एशियाई अमेरिकी बनने के बाद से चुनौतियों से निपटने के अपने दृष्टिकोण के कारण प्रतिष्ठा हासिल की है। उन्हें हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच उच्च शिक्षा साझेदारी का विस्तार करने के लिए अनिवार्य अमेरिकी विश्वविद्यालयों के संघ टास्क फोर्स की सह-अध्यक्षता के लिए नियुक्त किया गया है। विधायक सावल फिलाडेल्फिया के पहले एशियाई अमेरिकी वॉर्ड नेता थे और उन्होंने एक प्रगतिशील समूह रिक्लेम फिलाडेल्फिया की सह-स्थापना की है। एक सीनेटर के रूप में सावल ने ‘घर की मरम्मत’ कार्यक्रम अभियान के लिए 125 मिलियन डॉलर जुटाए। एक चिकित्सक के रूप में वेंकट पहले भारतीय अमेरिकी बने जो पेंसिल्वेनिया हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के लिए चुने गए पहले चिकित्सक हैं। भारतीय अमेरिकी स्थानीय शासन से लेकर अमेरिकी कांग्स तक पूरे अमेर रे िका में राजनीति में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। समय के साथ उनका प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। एशियन 100 की सूची में स्वास्थ्य विज्ञान के वरिष्ठ कुलपति अनंत शेखर और पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय के जॉन और गर्टड प ्रू ीटरसन डीन, विभास मदान, डीन, ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी लेबो कॉलेज ऑफ बिजनेस, वक्ष शल्य। चिकित्सा अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक सुनील सिघं ल, पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन के निश वर्तनियन, दवे गोस्वामी, अरुण एस प्रभाकरन, नील एच शाह और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को समाज और अर्थव्यवस्था में उनके मूल्यवान योगदान के लिए नामित किया गया है। संपादकीय अब क्वाड यात्रा का स्थगन अमेरिका की घरेलू राजनीति पर क्यारंग छोड़ेगा यह देखना होगा। बाइडेन की यात्रा स्थगन का शिकार क्वाड और ऑस्ट्रेलिया ही नहीं हुए बल्कि एक तरह से खुद राष्ट्रपति जो भी हुए हैं क्योंकि वह पापुआ न्यूगिनी जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भी चूक गए हैं। ब्रिटेन के लिए अब यह समय आ गया है कि वह विदेशी श्रमिकों परनिर्भरता को कम करने के लिए देश के भीतर अधिक श्रमिकों को प्रशिक्षित करे। इंग्लिश चैनल के सहारे ब्रिटेन में हो रहा अवैध प्रवासन हमारे सामने तीव्र चुनौतियों में से एक है। - ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन अमेरिका पीएम मोदी की मेजबानी करने के लिए उत्साहित है। यह दोनों नेताओं के लिए दोनों देशों और हमारे लोगों के बीच गहरे संबंधों को दिखाने करने का एक बड़ा अवसर होने जा रहा है।- दक्षिण और मध्य एशिया की उप सहायक विदेश मंत्री नैंसी इजो जैक्सन पेंसिल्वेनिया के लिए 2023 के लिए सिटी एंड स्टेट की शक्तिशाली एशियाईअमेरिकी सूची में कई भारतीयों को शामिल किया गया है। लिस्ट में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी संख्याराज्य और अमेरिका के विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान को दिखाता है। 12 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष नीली बेंदापुडी, विधायक निकिल सावल, अरविंद वेंकट, अजय नायर, नील मखीजा और अलका पटेल। (बाएं से दाएं) फोटो : newindiaabroad.com अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन। Image : Twitter@ Joe Biden
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14 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क दुबई की एक अदालत ने टकै्स धोखाधड़ी के मामले में भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक संजय शाह की अंतिम अपील को खारिज कर दिया है। अब उन्हें डेनमार्क के कर प्राधिकरण को 4.6 अरब दिरहम (1.25 अरब डॉलर) का भुगतान करना होगा। दुबई की एक अदालत ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया। अदालत के आदेश के मुताबिक संजय शाह को डेनमार्क को अगस्त 2018 में मामला दर्जकिए जाने के समय से अर्जित 5 प्रतिशत ब्याज का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। आरोप के मुताबिक हेज फंड ट्रेडर संजय शाह ने साल 2012 से 2015 के दौरान विदेशी निवेशकों के साथ टैक्स को लेकर धोखाधड़ी की थी। डेनमार्क टैक्स प्राधिकरण ने दुबई की स्थानीय कानूनी फर्म के माध्यम से वर 2018 में संजय के ्ष खिलाफ मामला दायर कर आरोप लगाया था कि उसने इस अवधि के दौरान विदेशी कारोबारियों को सलाह दी कि वह खुद को डेनिश कंपनियों का शेयरधारक बताएं और गलत तरीके से टैक्स रिफंड लें। डनमा े र्क ने इसे देश का सबसे बड़ा टैक्स घोटाला करार दिया था। यह मामला उजागर होने पर वह वर 2018 में दुबई ्ष चला गया और तब से यहीं रह रहा है। उसने सुनवाई के दौरान खुद को निर्दोष बताया था। हेज फंड ट्रेडिंग एक प्रकार की निजी साझेदारी होती है। उनकी गिरफ्तारी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय वारंट 7 जनवरी, 2022 को दुबई पुलिस को मिला था और उन्हें संयुक्त अरब अमीरात के अल राफा जिले में गिरफ्तार किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार शाह ने अपनी बेगुनाही का दावा किया और कहा कि उन्होंने डेनिश कानून का उल्लंघन नहीं किया है। दरअसल जब संजय शाह ने एक दशक पहले आर्थिक संकट के चलते अपनी नौकरी गंवा दी थी तो उनकी गिनती सिर्फ एक छोटे स्तर के व्यापारियों में होती थी। इसके बाद उन्होंने डिविडेंड टैक्स लॉ को लेकर जल्द ही अपना एक सेटअप स्थापित कर और लिया। कुछ ही सालों के अंदर संजय शाह ने एक साधारण सी ट्रेडिंग कंपनी शुरू की। इसके जरिए वह कम से कम 70 करोड़ डॉलर का मालिक बन गया। उनके बिजनेस का फैलाव लंदन के उनके घर से लेकर दुबई तक था। ब्रिटिश नागरिक संजय शाह की अपील को दुबई की अदालत ने खारिज करदिया है। उन्हें डेनमार्क को 1.25 अरब डॉलर के भुगतान का आदेश दिया गया है। आरोप के मुताबिक संजय शाह ने साल 2012 से 2015 के दौरान विदेशी निवेशकों के साथ टैक्स को लेकर धोखाधड़ी की थी। धोखाधड़ी करने वाले संजय शाह को 1.25 अरब डालर चुकाने का आदेश दबई ु कोर्ट टैक्स धोखाधड़ी के मामले में संजय शाह की अपील खारिज कर दी है। (फोटो : @Deccan_Cable)
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 15 चुनौतियों और अवसरों का सामना करता भारतीय ससामुदायियिक मीडिडिया l प्रवीण चोपड़ा अमेरिका में खास भारतीय समुदाय के बीच 50 वर्षों तक प्रचलन में रहा इंडिया अब्रॉड का 2020 में परिचालन बंद कर दिया गया। इसके बाद 2022 में न्यू इंडिया अब्रॉड की शुरुआत एक अलग टीम ने की। यह आपको अमेरिका में बसे भारतीयों से जुड़ी खबरें देता है। न केवल भारतीय समुदाय से जुड़ी मीडिया बल्कि पत्रकारिता की दुनिया में बढ़ती डिजिटल क्रांति के चलते मंदी लगातार बढ़ रही है। वर 2008 क ्ष ी आर्थिक मंदी भी मीडिया के लिए बेहद बुरी थी। लेकिन कोविड ने इसे बदतर बना दिया। इसके बाद अब सोशल मीडिया पत्रकारिता की दुनिया में नया खलनायक बनकर आया है। अमेरिका में कई बड़े अखबारों ने अपना परिचालन बंद कर दिया है या कम कर दिया है। वहीं विशेषकर भारतीय समुदाय की मीडिया इस वक्त अधिक असुरक्षित है क्योंकि संचालन को बनाए रखने के लिए बड़ी जेब वाले प्रमोटरों की कमी है और पाठकों को व्यस्त रखने के लिए गुणवत्तापूर्ण काम करने वाले प्रतिबद्ध पत्रकारों की भी संख्या कम है। हैरानी की बात है कि भारत के बड़े मीडिया घरानों ने यहां अभी अपनी शुरुआत नहीं की है। अमेरिका में भारतीय समुदाय की सेवा के लिए गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। जहां वर 2010 में भारत ्ष ीय अमेरिकियों की संख्या 30 लाख थी वह 2020 की जनगणना के अनुसार 45 लाख से अधिक हो गई है। यह सामुदायिक मीडिया का काम है कि वह अपने पाठकों के ध्यान में उन मुद्दों को लाए जिन्हें सामूहिक कारवाई क ्र ी आवश्यकता है और उनकी आवाज बनकर, उनके मुद्दों को संबंधित अधिकारियों और सांसदों तक ले जाएं। उदाहरण के लिए सामुदायिक मीडिया को ग्रीन कार्ड बैकलॉग के मुद् को हल करने के दे लिए अमेरिकी कांग्स पर लगातार हमला जार रे ी रखने की आवश्यकता है। हाल ही में वाशिंगटन राज्य द्वारा जाति के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक कानून (अब कैलिफोर्निया में विचाराधीन) पारित किया गया है। यह एक प्रथा है जो कथित तौर पर भारत से यहां फैली है। कुछ हिंदू समूहों ने इस कदम को भारत विरोधी बताते हुए इसकी निंदा की है। सामुदायिक दस्तावेजों में विधेयक के निहितार्थों की व्याख्या की जानी चाहिए और इसके पक्ष या विपक्ष में आम सहमति बनानी चाहिए। निश्चित रूप से बड़ी भारतीय आबादी वाले अमेरिका के सभी क्षेत्रों में सामुदायिक समाचार पत्र हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर मुख्य रूप से स्वतंत्र रूप से उपलब्ध समाचार और सुविधाओं को संकलित करने वाले एग्रीगेटर के रूप में समाप्त हो गए हैं। इसके विपरित न्यूयॉर्क स्थित इंडिया अब्रॉड था जिसने प्रकाशक गोपाल राजू के नेतृत्व में प्रेस की आजादी का इतिहास भी रचा। उन्होंने मेगास्टार अमिताभ बच्चन के भाई अजिताभ बच्चन को एक रक्षा सौदे में रिश्वत से जोड़ते हुए एक कहानी प्रकाशित की थी। इस लेख में प्रकाशकों और संपादकों ने अपने अनुभवों को साझा किया कि वे कैसे मुकाबला कर रहे हैं और उन्होंने क्या व्यावसायिक रणनीतियों को अपनाया है। अजिताभ ने लंदन में मुकदमा दायर किया और वह 1990 में 40,000 पाउंड का हर्जाना जीत गए। हालांकि राजू ने अमेरिका में प्रवर्तन का मुकाबला किया। द न्यूयॉर्क टाइम्स सहित अमेरिकी विरासत मीडिया ने राजू के समर्थन में ब्रीफ दायर किया और अंत में राजू जीत गए। दुर्भाग्य से विज्ञापन राजस्व में गिरावट के चलते पेपर को बंद करना पड़ा। इंडिया अब्रॉड वो अखबार था, जिसे पेड ग्राहकों की सेवा के लिए 20,000+ प्रतियां प्रिंट करने के लिए सम्मानित किया गया था। इसी तरह इंडिया अब्रॉड का एक समकालीन इंडिया वेस्ट था जो वेस्ट कोस्ट पर बड़े प्रचलन वाला अखबार था। इसके पुराने मालिक बीना और रमेश मुरारका ने कोविड आने पर इसे बंद कर दिया। आज भारतीय मीडिया के लिए एक नया अवसर पैदा हुआ है। अमेरिकी जीवन के कई क्षेत्रों में दक्षिण एशियाई लोगों की अधिक दृश्यता के साथ उनकी कहानी को मुख्यधारा में बताने का समय है। लेकिन इसे प्राप्त करने के लिए आपको कुछ उत्साह और व्यापक दृष्टि की आवश्यकता है। भारतीय अमेरिकी अच्छी तरह से शिक्षित और उच्च कमाई करने वाले हैं। अगर उन्हें सही जानकारी मिलती है तो वह एक जीवंत मीडिया का समर्थन कर सकते हैं। तो ऐसा होने से कौन रोक रहा है और आगे बढ़ने का क्या रास्ता है? इस पर प्रकाशकों और संपादकों ने अपने अनुभवों को साझा किया कि वे कैसे मुकाबला कर रहे हैं और उन्होंने क्या व्यावसायिक रणनीतियों को अपनाया है। बिजनेस मॉडल पेशे से इंजीनियर सुनील हाली ने वर 2000 में म ्ष ीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा था। उन्होंने कहा कि यह वाई2के डर का साल था और भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों ने अमेरिका में अच्छी प्रतिष्ठा अर्जित की थी। यह महसूस करते हुए कि एक विकासशील भारत की कहानी को इंडिया अब्रॉड द्वारा अनदेखा कर दिया गया था। ऐसे में मैंने द इंडियन एक्सप्रेस का उत्तर अमेरिकी संस्करण शुरू किया था। इंडिया अब्रॉड के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए सुनील हाली ने मंदिरों, गुरुद्वारों और खुदरा दुकानों में अपने अखबार को मुफ्त में वितरित किया और एक प्रवृत्ति स्थापित की। जिसे वह गुणक प्रभाव कहते हैं। वह अब विभिन्न माध्यमों से समुदाय तक पहुंचने का लक्ष्य रख रहे हैं। इसमें द इंडियन आई प्रिंट पेपर और गुजराती में दिव्य भास्कर और रेडियो जिंदगी हैं। गिरते विज्ञापन राजस्व से निपटना विज्ञापन राजस्व में तेज गिरावट के साथ-साथ कागज और छपाई की लागत में वृद्धि ने प्रिंट प्रकाशनों के अस्तित्व को संकटपूर्ण बना दिया है। हालांकि साल 2008 में स्थापित द साउथ एशियन टाइम्स ने अखबार प्रिंट करने के अलावा अपना ई-पेपर भी जारी रखा हुआ है। प्रकाशक और अध्यक्ष कमलेश मेहता के अनुसार स्वच्छ सामग्री पेश करने की नीति पाठकों और विज्ञापनदाताओं के एक प्रतिबद्ध वर्ग को व्यवसाय में बनाए रखती है। द एशियन एरा मेहता का एकमात्र भारतीय पत्र था, जिसका महामारी के दौरान भी प्रकाशन निलंबित नहीं हुआ था। वह कहते हैं कि हमने अपनी बेल्ट को कस कर कोविड-19 तूफान का सामना किया और हमारी वफादार टीम के सहयोग के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं। हमने लोगों की तत्काल जरूरतों के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित करके समुदाय की सेवा भी की थी। पिछले साल तक द साउथ एशियन टाइम्स के संपादक के रूप में मैंने अन्य पत्रों की तुलना में थोड़ा अधिक पेश करने के लिए इसके संपादकीय मिश्रण का विस्तार किया। भारत और सामुदायिक मामलों की खबरों में मैंने अमेरिकी मामलों पर कुछ पन्ने जोड़े। मेरा लक्ष्य तटस्थता भी था भले ही अन्य अखबार भारतीय मामलों में दक्षिणपंथी और अमेरिकी मामलों में बाएं झुकाव रखते हैं। कोविड के दौरान संघीय, राज्य और NYC विज्ञापन का भी भरपूर साथ मिला। सनी ु ल हाली कमलेश मेहता प्रवीण चोपड़ा 14 May 13-19, 2023 TheSouthAsianTimes.info tion founded by Ginsmon Zacharia. Mehta’s was the only Indian paper that did not suspend publication even during the pandemic. “We weathered the Covid-19 storm by tightening our belt and thanks to cooperation from our loyal team,” he says. “We served the community further by establishing a helpline to respond to the urgent needs of people.” As The South Asian Times editor until last year, I expanded its editorial mix to offer a little more than other papers. To news from India and community affairs, I added a couple of pages on US affairs. I also aimed at neutrality, even as other papers tend to tilt right in Indian affairs and left in US affairs. During Covid, federal, state, and NYC ads came as a godsend for papers on their radar. Now, some publishers grumble that Mayor Eric Adams has not delivered on his promised support to ethnic media. Prof Indrajit Singh Saluja, Editor-Publisher of The Indian Panorama, blames it on a lack of vision by the bureaucracy. He praises, however, CUNY’s Center for Community Media (CCM) for their sustained push for government support for ethnic media. (Disclosure: This article was written under a fellowship from CCM) When asked, José Bayona, Executive Director of NYC Mayor’s Office of Ethnic & Community Media, stated: “The South Asian community is the second largest community represented in the Citywide Marketing Directory. Many South Asian publications continue to receive advertisements from the City.” He explained the decreasing ad support to the end of pandemic federal funds flowing to the City and contingencies like the migrant crisis. Should the Indian government support the community media here as it used to once release Air India and tourism ads? Prof Saluja says yes, but “I would prefer to do without it, so as to not be beholden to anybody.” Sunil Hali wants Indian businesses and organizations in the US to support quality media through advertising which will help them in turn. That support is coming only in a trickle. Big organizations like AAPI (American Association of Physicians of Indian Origin), and GOPIO (Global Organization of People of Indian Origin) send out a steady stream of press releases but balk when asked for paid ads. The e-paper way Printing alone can rack up as much as half the cost of a small operation. Sharanjit Singh Thind was the first to make the shift to an e-paper of his South Asian Insider over a decade ago. He believes investigative stories can break new ground today. Thind also foresaw video becoming the medium of the future. So, he started Josh India Web TV. With YouTube around, who needs a TV channel? Sunil Hali, an engineer by profession, entered the media industry in 2000. “It was the year of the Y2K scare, and Indian techies earned a good reputation in the USA. Feeling the story of a developing India was left untold by India Abroad, I started the North American edition of The Indian Express, a trusted name with high integrity,” he recalls. To compete with India Abroad, Hali distributed his paper free at temples, gurdwaras, and retail stores, setting a trend. In what he calls a “multiplier effect”, he is now aiming to reach the community through different mediums: The Indian Eye print paper and TV, Divya Bhaskar in Gujarati, and Radio Zindagi. Coping with falling ad revenue The sharp decline in ad revenue coupled with a rise in paper and printing costs has made the survival of print publications perilous. Founded in 2008, The South Asian Times continues to print besides mailing an electronic replica (e-paper) to a large list. Under Publisher and Chairman Kamlesh Mehta, its policy to present clean content is a factor in holding a committed class of readers and advertisers to keep it in business. The Asian Era is a sister publicaI n 2020, India Abroad, known as the gold standard in ethnic newspapers in America, closed operations after 50 years in circulation. In 2022 New India Abroad was started by a different team. That tells you the story of Indian media in America. Down and up. Resilience and renewal. Learning and adapting. The downturn for all journalism - not just Indian ethnic media – has been caused by the ever-growing digital revolution. The 2008 economic meltdown was bad for the media too. Covid years were worse. Now, social media is the new villain in the journalism story. Many storied newspapers in the US have closed or curtailed operations. Indian ethnic media has been more vulnerable because of a lack of promoters with deep pockets for sustaining operations and a dearth of committed journalists doing quality work to keep readers engaged. Surprisingly, the big media houses from India have not ventured here. The need for quality journalism to serve the Indian community is greater than ever. For one, the community is growing – their numbers increased from about 3 million in 2010 to more than 4.5 million as per the 2020 census. Indian Americans make headlines as achievers in the US media and are referred to as a model minority. But being new immigrants, the community cannot let its guard down. Knowledge is power. It is the job of community media to bring to the notice of their readers issues that need collective action. And, becoming their voice, take their issues to officials and lawmakers concerned. For example, they need to keep hammering the US Congress to resolve the green card backlog issue for Indians. A new, combustible case is Washington state passing a law (now under consideration in California) banning discrimination based on caste, a practice allegedly extended here from India. Some Hindu groups condemned the move as anti-Indian. The community papers should be explaining the implications of the bill and build a consensus - for or against the bill. Surely, all regions of the US with large Indian populations have community newspapers. But most of them have ended up as aggregators compiling news and features available freely. In contrast, New York-based India Abroad once spawned editions in other diaspora countries and a news agency. India Abroad, under publisher Gopal Raju, even made press freedom history. They published a story linking megastar Amitabh Bachchan’s brother, Ajitabh Bachchan, to kickbacks in a defense deal. Ajitabh sued in London and won 40,000-pound damages in 1990. Raju fought the enforcement at home. US legacy media including The New York Times filed briefs in Raju’s support. Raju won. Unfortunately, declining ad revenue while honor-bound to keep printing copies to serve its 20,000+ paid subscribers made the paper a hot potato eventually. One contemporary of India Abroad was India West, a paper with big circulation on the West Coast. Its aging owners, Bina Publishers and editors reveal how they have been coping and the business strategies they have adopted Special RepoRt Indian community media faces challenges and opportunities By Parveen Chopra Founder, ALotusInThe Mud.com Founding Editor, The South Asian Times Prof Indrajit Singh Saluja, editor-publisher of The Indian Panorama Today, a new opportunity has arisen for the Indian media. With the greater visibility of South Asians in many spheres of American life, it is time to tell their story to the mainstream. But to achieve that you need some chutzpah and broader vision Sunil Hali, Promoter of Radio Zindagi, Publisher, The Indian Eye Kamlesh Mehta is Publisher of The South Asian Times and The Asian Era and Ramesh Murarka, shut it down when Covid struck. Today, a new opportunity has arisen for the Indian media. With the greater visibility of South Asians in many spheres of American life, it is time to tell their story to the mainstream. But to achieve that you need some chutzpah and broader vision. Indian Americans are well-educated and high earners. Rightly leveraged, this market can support a vibrant media. So, what is blocking that from happening, and what is the way forward? Publishers and editors responded to reveal how they have been coping and the business strategies they have adopted. Business models in the mix Multiple mediums Prof Saluja too saw the light and turned his paper digital in 2018. His single survival strategy: “To stay focused on the local community and generate revenue from community businesses and organizations.” Website only Asif Ismail had the foresight to start The American Bazaar 11 years ago as a news portal from Washington DC, with business as a special focus. He claims in 2016-17 they were
16 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 अब कुछ प्रकाशक शिकायत करते हैं कि मेयर एरिक एडम्स ने सामुदायिक मीडिया को अपना वादा पूरा नहीं किया है। द इंडियन पैनोरमा के संपादक-प्रकाशक प्रोफेसर इंद्रजीत सिंह सलूजा इसके लिए नौकरशाही की दृष्टि की कमी को जिम्मेदार ठहराते हैं। हालांकि उन्होंने मीडिया के सरकारी समर्थन के लिए CUNY के सेंटर फॉर कम्युनिटी मीडिया (CCM) की प्रशंसा की ताकि निरंतर दबाव बना रहे। (खुलासा: यह लेख सीसीएम की फैलोशिप के तहत लिखा गया था) न्यूयॉर्क सिटी के मेयर के एथनिक एंड कम्युनिटी मीडिया के कार्यकारी निदेशक जोस बायोना ने कहा कि दक्षिण एशियाई समुदाय सिटीवाइड मार्केटिंग डायरेक्टरी में प्रतिनिधित्व करने वाला दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। कई दक्षिण एशियाई प्रकाशनों को शहर से विज्ञापन मिलना जारी है। क्या भारत सरकार को यहां सामुदायिक मीडिया का समर्थन करना चाहिए, जैसे कभी एयर इंडिया और पर्यटन विज्ञापनों को सरकार द्वारा जारी किया जाता है? इस पर प्रो. सलूजा कहते हैं- हां लेकिन मैं इसके बिना काम करना पसंद करूंगा ताकि हम किसी के लिए बाध्य न हो। सुनील हाली चाहते हैं कि अमेरिका में भारतीय व्यवसाय और संगठन विज्ञापन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण मीडिया का समर्थन करें, जिससे उन्हें बदले में मदद मिलेगी। हालांकि दूसरी तरफ ये भी सच है कि AAPI (अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन) और GOPIO (ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ओरिजिन) जैसे बड़े संगठन बिना देरी किए धाराप्रवाह प्रेस विज्ञप्ति भेजते रहते हैं लेकिन पेड ऐड के लिए कहने पर वे अड़ जाते हैं। ई-पेपर है तरीका अखबार की छपाई किसी छोटे से व्यवसाय का आधा खर्च खींच सकती है। शरणजीत सिंह थिंड पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने एक दशक पहले अपने साउथ एशियन इनसाइडर को ई-पेपर में तब्दील किया था। उनका मानना है कि खोजी पत्रकारिता आज नई जमीन तोड़ सकती हैं। उन्होंने वीडियो को भविष्य का माध्यम बनते देखा इसलिए उन्होंने जोश इंडिया वेब टीवी की शुरुआत की। केवल वेबसाइट है तरीका आसिफ इस्माइल ने 11 साल पहले वाशिंगटन डीसी से एक समाचार पोर्टल के रूप में द अमेरिकन बाजार शुरू किया था जिसमें व्यापार पर विशेष ध्यान दिया गया था। उनका दावा है कि 2016-17 में वे एक महीने में एक मिलियन पेज व्यूप्राप्त कर रहे थे। फिर भी एक संपादक सहित समाचार कर्मचारियों के भुगतान के लिए उनके पास अनुकल ू विज्ञापन राजस्व नहीं बढ़ा। अतिरिक्त धन जुटाने के लिए वे कार्यक्रम करते रहे। आसिफ बताते हैं कि यहां ज्यादातर भारतीय अंग्जरे ी के साथ सहज हैं और द टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे अखबार से समाचार की अपनी दैनिक खुराक प्राप्त कर लेते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया यहां की संयुक्त सभी भारतीय साइटों की तुलना में अमेरिका से अधिक ट्रैफिक प्राप्त करता है। इसके विपरीत वे कहते हैं कि अमेरिका में चीनी और कोरियाई जैसे समुदाय अपनी भाषा के अखबारों को संरक्षण देते हैं। तत्काल न्यूजलेटर्स भी है एक तरीका सभी भारतीय समाचार पत्र साप्ताहिक टबलॉयड रहे हैं। ले ै किन आज अगर आप अपने पाठकों को जल्दी-जल्दी समाचार नहीं बता सकते हैं तो वे कहीं और चले जाएंगे। हालांकि लोगों को अपनी वेबसाइट पर लाने में कुछ मेहनत लगती है। उनके इनबॉक्स में समाचार भेजना एक किफायती विकल्प है। न्यू इंडिया अब्रॉड हजारों की सूची में एक दैनिक समाचार पत्र भेजकर ऐसा करता है। लेकिन YouTube के साथ, टीवी चैनल की आवश्यकता किसे है? प्रोफेसर सलूजा ने इस बदलाव को महसूस किया और वर 2018 में अपने अखबार को ्ष डिजिटल कर दिया। उनकी एकमात्र जीवित रणनीति थी, स्थानीय समुदाय पर ध्यान केंद्रित करना और सामुदायिक व्यवसायों और संगठनों से राजस्व उत्पन्न करना रही। राजीव भांबरी लंबे समय तक इंडिया अब्रॉड के ऑपरेशंस हेड रहे हैं और अब वह इस नए वेंचर में सीईओ की भूमिका में हैं। वहीं एडिटर-इन-चीफ के रूप में एक अनुभवी पत्रकार श्रीधर कृष्णास्वामी हैं। दोनों के पास समय के अनुरूप रणनीति भी है। वह कहते हैं कि हम उस भाषा और माध्यम में काम करना चाहते हैं जो हमारे पाठक चाहते हैं। माध्यम से उनका मतलब ई-पेपर, वेबसाइट के साथ-साथ प्रिंट और पॉडकास्ट से है। साथ ही व्हाट्सएप और फेसबुक कम्युनिटी ग्परु्स पर ई-पेपर पोस्ट करना भी है जिस पर कभी-कभी हजारों की संख्या में मेंबर शामिल हो जाते हैं। उनके पास न्यू इंडिया अब्रॉड का हिंदी संस्करण भी है। हिंदी भारत की राजभाषा है लेकिन किसी तरह हिंदी के अखबार यहां अच्छा नहीं करते। लगभग एक दशक पहले जसबीर जय सिंह द्वारा शुरू किया गया हम हिंदुस्तानी अब केवल डिजिटल है। यूनिवर्सल न्यूज नेटवर्क (TheUNN.com) की शुरुआत पत्रकार अजय घोष ने एक बिजनेस पार्टनर के साथ की थी। अब वे एक बड़ी सूची में एक साप्ताहिक समाचार पत्र भेजते हैं। फिर भी विज्ञापन बहुत कम हैं और ताजा फंडिंग ही रोशनी को चालू रख सकती है। तो फिर पेवॉल ? इंडिया अब्रॉड के पूर्व संपादक सुनील एडम ने अपनी वेबसाइट अमेरिकन कहानी को जेनएक्स और मिलेनियल्स पर लक्षित किया। वह कहते हैं कि उन्होंने पेवॉल लगाने की शुरुआत इसलिए नहीं की क्योंकि जब तक आपके पास ऐसी सामग्री बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन न हों, जिसके लिए लोग यह सोचें कि यह भुगतान करने योग्य है। तब तक पेवॉल लगाना अर्थहीन है। वहीं आसिफ इस्माइल का तर्क है कि लोग केवल नेटफ्लिक्स या अमेजॅन प्राइम के लिए पैसे खर्च करेंगे। जगरनॉट दोनों को गलत साबित करना चाहता है। वर्ष 2018 में हार्वर्डबिजनेस स्कूल के स्नातक स्निग्धा सुर द्वारा इसे शुरू किया गया था। इसने क्रंचबेस द्वारा रिपोर्ट के अनुसार 2.2 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। इसकी सब्सक्रिप्शन फीस 9.99 डॉलर मासिक और 72 डॉलर वार्षिक है। उनकी यूएसपी है दक्षिण एशियाई लोगों की गहरी कहानियां बताना जैसे हालिया हॉट योग गुरु बिक्रम चौधरी के उत्थान और पतन की इनसाइट स्टोरी। सामाजिक होना है जरूरी कहते हैं कि यदि आप उन्हें हरा नहीं सकते हैं तो उनके साथ जुड़ जाना चाहिए। प्रीतपाल कौर अगली पीढ़ी की मीडिया उद्यमी हैं। वह पंजाबी और अंग्जरे ी में एक समाचार पत्र प्रीतनामा चलाती हैं। वह सोशल मीडिया पर वीडियो साक्षात्कार और टॉक शो भी करती हैं। लोग अपने स्मारफ्ट ोन पर सब कुछ एक्सेस करते हैं। वह यह कहकर मुस्कुराती हैं कि किसके पास ‘डब्बा’ (टीवी बॉक्स) के सामने बैठने का समय है। अंतिम विश्लेषण मीडिया कंपनी चलाने के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। सुनील हाली टिप्पणी करते हैं कि प्रमोटरों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए, न कि सोशल कॉलिंग कार्ड के तौर पर। जहां तक विज्ञापन राजस्व की बात है तो सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। ASB कम्युनिकेशंस की अध्यक्ष नीता भसीन कहती हैं कि वह अपने ग्राहकों से कहती हैं कि प्रिंट अब प्रभावी नहीं हो सकता है लेकिन डिजिटल और सोशल मीडिया पर मौजूद समुदाय के हजारों डेटाबेस तक पहुंच बनाने के लिए सामुदायिक अखबार को विज्ञापन देना जरूरी है। वह वर 2016 में ए ्ष शियन अमेरिकन एडवरटाइजिंग फेडरेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला देती हैं जिसमें पाया गया कि एशियाई अमेरिकियों का एक बड़ा हिस्सा विशेष रूप से भारतीय अमेरिकी भारी फेसबुक और यूट्यूब उपयोगकर्ता हैं। पीटीआई (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया) समाचार एजेंसी के मुख्य अमेरिकी संवाददाता ललित के झा ने वर्तमान परिदृश्य का सारांश दिया और कहा कि अमेरिका में भारतीय मीडिया एक विकासवादी चरण से गुजर रहा है। इसमें चुनौतियां हैं लेकिन यहां अवसर भी अनेक हैं। क्या है टीवी का हाल लगातार दर्शकों और विज्ञापन राजस्व को खो रहे दक्षिण एशियाई टीवी चैनल भी संघर कर रहे हैं। साल ्ष 1993 में अमेरिका में दूर-दूर तक भारतीय समुदाय के लिए सबसे पहला चैनल टीवी एशिया था। 1997 में व्यवसायी एचआर शाह द्वारा न्यूजर्सी के एडिसन में मुख्यालय वाला शुरू किया गया सूचना और मनोरंजन नेटवर्क हिंदी, अंग्जरे ी और गुजराती में प्रोग्रामिंग शरणजीत सिंह थिडं एचआर शाह राजीव भांबरी वंदना कुमार 14 May 13-19, 2023 TheSouthAsianTimes.info tion founded by Ginsmon Zacharia. Mehta’s was the only Indian paper that did not suspend publication even during the pandemic. “We weathered the Covid-19 storm by tightening our belt and thanks to cooperation from our loyal team,” he says. “We served the community further by establishing a helpline to respond to the urgent needs of people.” As The South Asian Times editor until last year, I expanded its editorial mix to offer a little more than other papers. To news from India and community affairs, I added a couple of pages on US affairs. I also aimed at neutrality, even as other papers tend to tilt right in Indian affairs and left in US affairs. During Covid, federal, state, and NYC ads came as a godsend for papers on their radar. Now, some publishers grumble that Mayor Eric Adams has not delivered on his promised support to ethnic media. Prof Indrajit Singh Saluja, Editor-Publisher of The Indian Panorama, blames it on a lack of vision by the bureaucracy. He praises, however, CUNY’s Center for Community Media (CCM) for their sustained push for government support for ethnic media. (Disclosure: This article was written under a fellowship from CCM) When asked, José Bayona, Executive Director of NYC Mayor’s Office of Ethnic & Community Media, stated: “The South Asian community is the second largest community represented in the Citywide Marketing Directory. Many South Asian publications continue to receive advertisements from the City.” He explained the decreasing ad support to the end of pandemic federal funds flowing to the City and contingencies like the migrant crisis. Should the Indian government support the community media here as it used to once release Air India and tourism ads? Prof Saluja says yes, but “I would prefer to do without it, so as to not be beholden to anybody.” Sunil Hali wants Indian businesses and organizations in the US to support quality media through advertising which will help them in turn. That support is coming only in a trickle. Big organizations like AAPI (American Association of Physicians of Indian Origin), and GOPIO (Global Organization of People of Indian Origin) send out a steady stream of press releases but balk when asked for paid ads. The e-paper way Printing alone can rack up as much as half the cost of a small operation. Sharanjit Singh Thind was the first to make the shift to an e-paper of his South Asian Insider over a decade ago. He believes investigative stories can break new ground today. Thind also foresaw video becoming the medium of the future. So, he started Josh India Web TV. With YouTube around, who needs a TV channel? Sunil Hali, an engineer by profession, entered the media industry in 2000. “It was the year of the Y2K scare, and Indian techies earned a good reputation in the USA. Feeling the story of a developing India was left untold by India Abroad, I started the North American edition of The Indian Express, a trusted name with high integrity,” he recalls. To compete with India Abroad, Hali distributed his paper free at temples, gurdwaras, and retail stores, setting a trend. In what he calls a “multiplier effect”, he is now aiming to reach the community through different mediums: The Indian Eye print paper and TV, Divya Bhaskar in Gujarati, and Radio Zindagi. Coping with falling ad revenue The sharp decline in ad revenue coupled with a rise in paper and printing costs has made the survival of print publications perilous. Founded in 2008, The South Asian Times continues to print besides mailing an electronic replica (e-paper) to a large list. Under Publisher and Chairman Kamlesh Mehta, its policy to present clean content is a factor in holding a committed class of readers and advertisers to keep it in business. The Asian Era is a sister publicaI n 2020, India Abroad, known as the gold standard in ethnic newspapers in America, closed operations after 50 years in circulation. In 2022 New India Abroad was started by a different team. That tells you the story of Indian media in America. Down and up. Resilience and renewal. Learning and adapting. The downturn for all journalism - not just Indian ethnic media – has been caused by the ever-growing digital revolution. The 2008 economic meltdown was bad for the media too. Covid years were worse. Now, social media is the new villain in the journalism story. Many storied newspapers in the US have closed or curtailed operations. Indian ethnic media has been more vulnerable because of a lack of promoters with deep pockets for sustaining operations and a dearth of committed journalists doing quality work to keep readers engaged. Surprisingly, the big media houses from India have not ventured here. The need for quality journalism to serve the Indian community is greater than ever. For one, the community is growing – their numbers increased from about 3 million in 2010 to more than 4.5 million as per the 2020 census. Indian Americans make headlines as achievers in the US media and are referred to as a model minority. But being new immigrants, the community cannot let its guard down. Knowledge is power. It is the job of community media to bring to the notice of their readers issues that need collective action. And, becoming their voice, take their issues to officials and lawmakers concerned. For example, they need to keep hammering the US Congress to resolve the green card backlog issue for Indians. A new, combustible case is Washington state passing a law (now under consideration in California) banning discrimination based on caste, a practice allegedly extended here from India. Some Hindu groups condemned the move as anti-Indian. The community papers should be explaining the implications of the bill and build a consensus - for or against the bill. Surely, all regions of the US with large Indian populations have community newspapers. But most of them have ended up as aggregators compiling news and features available freely. In contrast, New York-based India Abroad once spawned editions in other diaspora countries and a news agency. India Abroad, under publisher Gopal Raju, even made press freedom history. They published a story linking megastar Amitabh Bachchan’s brother, Ajitabh Bachchan, to kickbacks in a defense deal. Ajitabh sued in London and won 40,000-pound damages in 1990. Raju fought the enforcement at home. US legacy media including The New York Times filed briefs in Raju’s support. Raju won. Unfortunately, declining ad revenue while honor-bound to keep printing copies to serve its 20,000+ paid subscribers made the paper a hot potato eventually. One contemporary of India Abroad was India West, a paper with big circulation on the West Coast. Its aging owners, Bina Publishers and editors reveal how they have been coping and the business strategies they have adopted Special RepoRt Indian community media faces challenges and opportunities By Parveen Chopra Founder, ALotusInThe Mud.com Founding Editor, The South Asian Times Prof Indrajit Singh Saluja, editor-publisher of The Indian Panorama Today, a new opportunity has arisen for the Indian media. With the greater visibility of South Asians in many spheres of American life, it is time to tell their story to the mainstream. But to achieve that you need some chutzpah and broader vision Sunil Hali, Promoter of Radio Zindagi, Publisher, The Indian Eye Kamlesh Mehta is Publisher of The South Asian Times and The Asian Era and Ramesh Murarka, shut it down when Covid struck. Today, a new opportunity has arisen for the Indian media. With the greater visibility of South Asians in many spheres of American life, it is time to tell their story to the mainstream. But to achieve that you need some chutzpah and broader vision. Indian Americans are well-educated and high earners. Rightly leveraged, this market can support a vibrant media. So, what is blocking that from happening, and what is the way forward? Publishers and editors responded to reveal how they have been coping and the business strategies they have adopted. Business models in the mix Multiple mediums Prof Saluja too saw the light and turned his paper digital in 2018. His single survival strategy: “To stay focused on the local community and generate revenue from community businesses and organizations.” Website only Asif Ismail had the foresight to start The American Bazaar 11 years ago as a news portal from Washington DC, with business as a special focus. He claims in 2016-17 they were गैर-लाभकारी मॉडल मीडिया के परिदृश्य में बदलाव को देखते हुए प्रकाशक वंदना कुमार ने 2019 में 32 साल पुरानी मासिक पत्रिका इंडिया करंट्स को पूरी तरह से डिजिटल करते हुए एक गैर-लाभकारी संस्था में बदल दिया था। उनका मिशन सिलिकॉन वैली में डायस्पोरा के लिए और उसके बारे में महत्वपूर्ण और खोजी कहानियां बताना है। वंदना का तर्क है कि गैर-लाभकारी पत्रकारिता की सफलता आपके द्वारा समुदाय में अपनी कहानियों के साथ बनाए गए प्रभाव से मापी जाती है न कि आपके द्वारा पोस्ट की जाने वाली कहानियों की संख्या से। इंडिया करंट्स ने 2022 में वृद्धि देखी। इसे कैलिफोर्निया राज्य से $100,000 का अनुदान प्राप्त हुआ। वंदन कहती हैं कि जब मैंने इस साल की शुरुआत में वेलनेस और आध्यात्मिकता वेब पत्रिका के रूप में ALotusInTheMud. com की शुरुआत की तो मैंने गैर-लाभकारी मार्ग भी अपनाया। केवल भारतीय ही नहीं सभी समुदायों के उद्देश्य से लोटस साइट अमेरिकन सेंटर फॉर वेलनेस एंड स्पिरिचुअलिटी द्वारा संचालित है जो न्यूयॉर्क में 501-सी-3 कॉरपोरेशन रजिस्टर्ड है।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 17 प्रदान करता है। उनकी वेबसाइट का दावा है कि वे पूरे उत्तरी अमेरिका में हर महीने आधा मिलियन घरों तक पहुंचते हैं। वे इसे स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन ये सच है कि उन्हें नुकसान हो रहा है। भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित शाह ने एक अधिक महत्वाकांक्षी परियोजना वर्ल्ड ऑन ऐप शुरू की है। वे समाचारों, फिल्मों, खेल और धार्मिक सामग्री के साथ-साथ घटनाओं के VOD (वीडियो ऑन डिमांड) की पेशकश करने वाली विभिन्न भाषाओं में कई भारतीय चैनलों को पैकेज करने की योजना बना रहे हैं। वर्तमान में उत्तरी अमेरिका में उपलब्ध प्रीमियम पैकेज में टीवी एशिया शामिल है और इसकी कीमत $3.50 प्रति माह है। आईटीवी गोल्ड अमेरिका में पहला 24x7 भारतीय केबल टीवी चैनल होने का दावा करता है। इसकी शुरुआत न्यूयॉर्क से 1985 में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बनाड एन विश्वनाथ ने की थी। न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क में अस्थमा और एलर्जी क्लीनिक का नेटवर्क रखने वाले डॉ. सुधीर पारिख ने वर 2018 में आईट ्ष ीवी गोल्ड का अधिग्रहण किया था। उनका पारिख वर्ल्डवाइड मीडिया देसीटॉक, न्यूज इंडिया टाइम्स और गुजरात टाइम्स का भी मालिक है। डॉ पारिख का कहना है कि वह हमेशा अपना पैसा लगाने के लिए तैयार रहते हैं और उन्होंने हाल ही में एडिसन में 1 मिलियन डॉलर की लागत से एक टीवी स्टूडियो बनाया है। आईटीवी गोल्ड अब भारत सरकार के तहत सार्वजनिक प्रसारण नेटवर्क दूरदर्शन से प्रोग्रामिंग दिखाता है। वे स्लग पर भ िं ी उपलब्ध हैं। पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. पारिख कहते हैं कि मेरे लिए मीडिया परोपकार है, व्यापार नहीं। इसका समर्थन करना होगा ताकि हमारे बच्चों और पोते-पोतियों का भारत माता के साथ संबंध बना रहे। उनका तर्क है कि मीडिया विशेष रूप से सामुदायिक मीडिया तब तक आसान व्यवसाय नहीं है जब तक कि आपके पास गहरी जेब न हो। वर 2007 में पेन ्ष ी संधू द्वारा शुरू किया गया एक अन्य चैनल जूस पंजाबी है। यह दक्षिण एशियाई पैकेज के हिस्से के रूप में कई केबल टीवी प्लेटफॉर्म और डीटीएच (डायरेक्ट-टू-होम) पर है। भारतीय टीवी चैनलों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत सैटलाइट प े ्लेटफॉर्म रहा है, जो ग्राहकों से शुल्क लेता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से केबल नेटवर्क नुकसान में हैं।आपने पिछली बार कब किसी को अपनी छत पर डिश लगाते देखा था? डिश की जगह अब स्लग ऑनलाइन है। िं ऐड सेल्स के पुराने खिलाड़ी शोमिक चौधरी मनोरंजन की कमी के लिए सामुदायिक चैनलों को दोष देते हैं। वह कहते हैं कि भारत के मनोरंजन चैनलों की पर दर्शकों की संख्या कई गुना अधिक है। जी और सोनी जैसे चैनल भारत में बनाए गए शानदार पारिवारिक नाटक और रियलिटी टीवी शो पेश करते हैं और विज्ञापनों से ठसाठस भरे रहते हैं। यह स्टोरी सेंटर फॉर कम्युनिटी मीडिया द्वारा आयोजित और न्यूयॉर्क मेयर के मीडिया और मनोरंजन कार्यालय द्वारा वित्त पोषित लघु व्यवसाय रिपोर्टिंग फैलोशिप के हिस्से के रूप में तैयार की गई थी। प्रवीण चोपड़ा, संस्थापक, ALotusInTheMud.com द साउथ एशियन टाइम्स के संस्थापक संपादक डॉ पारिख l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत, चीन, मेक्सिको तथा फिलीपींस के लोगों के लिए ग्रीन कार्ड के लंबे और कष्टदायक इंतजार की वजह इसके आवंटन में हर देश के लिए निर्धारित कोटा व्यवस्था है, जिसे अमेरिकी संसद ही बदल सकती है। ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर एक स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है। यह अमेरिका के अप्रवासियों को सबूत के रूप में जारी किया गया एक दस्तावेज है कि वाहक को स्थायी रूप से निवास करने का विशेषाधिकार दिया गया है। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं के निदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डगलस रैंड ने कहा कि अमेरिका में स्थायी रूप से रह रहे किसी व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को दिए जाने वाले ग्रीन कार्ड पर पूरी दुनिया के लिए वार्षिक सीमा 2,26,000 है जबकि रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड की वार्षिक सीमा 1,40,000 है। रैंड ने वीजा तथा दूतावास संबंधी मुद्दों पर आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकियों से कहा कि परिवार के सदस्यों को दिए जाने वाले और रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड पर हर देश के लिए सालाना 7 प्रतिशत का कोटा है। इसीलिए भारत, चीन, मेक्सिको और फिलीपींस के लोगों को अन्य देशों के लोगों के मुकाबले लंबा इंतजार करना पड़ता है। रैंड ने कहा कि दुर्भाग्य यह है कि केवल अमेरिकी संसद ही इस वार्षिक सीमा में बदलाव कर सकती है। हमारा काम यह है कि जब ये ग्रीन कार्ड उपलब्ध हों तो हम यह सुनिश्चित करे कि हर साल इनका इस्तेमाल किया जाए। H-1B वीजा एक गैर आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को ऐसे पेशों में विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की मंजूरी देता है, जिनमें सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों की भर्तियों के लिए H-1B वीजा पर निर्भर रहती हैं। गौरतलब है कि भारत के हजारों पेशेवर एक दशक से अधिक समय से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं और फिलहाल कामकाजी वीजा का इंतजार भी महीनों लंबा खिंच रहा है। सांकेतिक चित्र। ग्रीन कार्डके इंतजार को और बढ़ा रहा ‘कोटा सिस्टम’, कैसे मिले निजात? ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर एक स्थायी निवासी कार्ड के रूप में जाना जाता है। यह अमेरिका के अप्रवासियों को सबूत के रूप में जारी किया गया एक दस्तावेज है कि वाहक को स्थायी रूप से निवास करने का विशेषाधिकारदिया गया है।
18 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 छोटी उम्र-बड़े काम: नाम उमाश्री पूज्यम, उम्र 15 वर्ष, मिशन-गोदावरी को स्वच्छबनाना l विशेष संवाददाता इरादे अटल हों तो उम्र आड़े नहीं आती। अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की उमाश्री पूज्यम के मामले में भी यह बात बिल्कुल खरी उतरती है। उमाश्री की उम्र 15 साल है लेकिन उन्होंने जिस काम का बीड़ा उठाया है, उसे बड़े-बड़े लोग नहीं कर पाते। उमाश्री भारत में आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिले के राजोल में गोदावरी नदी को प्रदूषण मुक्त करने का मिशन चला रही हैं। उनकी अगुआई में अब तक 100 से ज्यादा दिनों का सफाई अभियान चलाया जा चुका है। भारत सरकार भी उनकी तारीफ कर चुकी है। आंबेडकर कोनासीमा का पोन्नामांडा गांव उमाश्री के परिवार का पुश्तैनी गांव है। वह जब 4 साल की थीं, तब उनके माता पिता अमेरिका आकर बस गए थे। उमाश्री अपने पिता विजय कुमार, मां सुगना देवी, भाई उमा महेश्वरा शास्त्री के साथ अमेरिका के मेम्फिस में रहती हैं। 10वीं क्लास में पढ़ने वाली उमाश्री जब अपने गांव गई, तब उन्होंने गोदावरी में प्रदूषण की हालत देखी तो द्रवित हो गईं। उन्होंने उसे साफ करने का मन बना लिया। अकेले शुरुआत की। साल 2021 में कोरोना काल में जब उनके स्कूल की छुट्टियां थीं, तब उन्होंने खुद गांव में रहकर सफाई अभियान चलाया। वह पिछले दो साल से इस अभियान के नेतृत्व कर रही हैं। इस दौरान स्थानीय समुदाय को स्वयंसेवकों के जरिए नदी को स्वच्छ बनाने का काम कर रही हैं। नदी प्रदूषण को दूर करने के पुण्य काम को अंजाम देने के लिए उन्होंने यूथ अगेंस्ट वॉटर पॉल्यूशन नाम से संगठन भी बनाया है। इसके जरिए वह लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैला रही हैं। वह खुद और अपनी टीम के जरिए लोगों को बताती हैं कि प्रदूषण कितना खतरनाक है, प्रदूषण फैलाने वाली प्लास्टिक और अन्य चीजों का सही से निपटारा कैसे किया जाए। उमाश्री वैसे तो इस मिशन को खुद अपने बलबूते ही चला रही हैं, लेकिन उन्होंने स्थानीय लोगों को बतौर स्वयंसेवक अपने साथ जोड़ रखा है। वह पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में अमलापुरम की सांसद चिंता अनुराधा और राजोल के विधायक रापाका से भी सहयोग लेती हैं। स्थानीय अधिकारियों से भी उन्होंने संपर्क किया है। गोदावरी इस इलाके की जीवनरेखा है। बहुत से परिवार इस पर निर्भर है। लेकिन इसके बावजूद इसमें प्रदूषण इतना है कि लोग पीने के लिए इसके पानी का इस्तेमाल नहीं कर पाते। नदी में कीटनाशक और केमिकल जाने से उसका पानी प्रदूषित हो गया है। इन्हीं सब बातों को देखकर उमाश्री ने नदी की सफाई का बीड़ा उठाया है। उमा की उम्र 15 साल है लेकिन उन्होंने जिस काम का बीड़ा उठाया है, वह बड़े-बड़े लोग नहीं कर पाते। उमाश्री भारत में आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिले के राजोल में गोदावरी नदी को प्रदूषण मुक्त करने का मिशन चला रही हैं। उनकी अगुआई में अब तक 100 से ज्यादा दिनों का सफाई अभियान चलाया जा चुका है। उमाश्री पजू्यम (फोटो साभार सोशल मीडिया) एकता कपर ू को कौन सा सम्मान मिला है, जिसकी हर तरफ हो रही चर्चा? l विशेष संवाददाता ‘बाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड’ की संयुक्त प्रबंध निदेशक और क्रिएटिव हेड एकता कपूर को हॉलीवुड रिपोर्टर की ‘अंतरराष्ट्रीय फिल्म में 40 सबसे प्रभावशाली महिलाओं’ की सूची में शामिल किया गया है। एकता एकमात्र भारतीय हैं जिन्हें यह सम्मान मिला है। एंटरटेनमेंट पोर्टल का कहना है कि ये प्रतिभाशाली महिलाएं नई-नई कहानियों को वैश्विक मंच पर ला रही हैं। तमाम परेशानियों से जूझ रहे फिल्मी बाजार के बावजूद ये नई आवाजों का स्वर दे रही हैं। हॉलीवुड रिपोर्टर का कहना है कि कोविड-19 ने सिनेमा बाजार को एक तरह से तबाह कर दिया। ऐसे समय में इन महिलाओं ने सिनेमा बाजार के लिए रक्षक की भूमिका निभाई। इन्होंने पैसे को बचाते हुए उन कहानियों को बनाने का एक तरीका खोज लिया जिनकी वे परवाह करते हैं। टेलीविजन निर्माता, फिल्म निर्माता और निर्देशक एकता कपूर ने 1994 में अपने माता-पिता जीतेंद्र और शोभा के साथ बालाजी टेलीफिल्म्स की स्थापना की। ‘द हॉलीवुड रिपोर्टर’ का कहना है कि तब से लेकर आज एकता कपूर दक्षिण एशिया के सबसे चचिर्त टीवी निर्माताओं में से एक बन गई हैं। उन्हें भारत के टेलीविजन परिदृश्य को फिर से जिंदा करने और टेलीविजन सामग्री की एक पूरी शैली का नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने भारत में टेलीविजन को एक नई ऊचाइयां प्रदान कीं। एकता कपूर और उनके परिवार ने 2001 में एक फिल्म निर्माण सहायक कंपनी, बालाजी मोशन पिक्चर्स लॉन्च की। इस नाम के साथ आम तौर पर हर साल कई हाई-प्रोफाइल शीर्षकों के साथ कोई कहानी सामने आती है। जैसे कि आगामी सामाजिक कॉमेडी ड्रामा ‘कटहल’, नेटफ्लिक्स पर 19 मई को रिलीज होने वाली है। एकता कपूर को हॉलीवुड रिपोर्टर की ‘अंतरराष्ट्रीय फिल्म में 40 सबसे प्रभावशाली महिलाओं’ की सूची में शामिल किया गया है। हॉलीवुड रिपोर्टर का कहना है कि एकता ने भारत में टेलीविजन को एक नई ऊचाइयां प्रदान की हैं। एकता कपूर दक्षिण एशिया के सबसे चचिर्त टीवी निर्माताओं में से एक हैं।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 19 प्रिय पाठकगण कुछ कहना चाहते है? न्यू इंडिया अब्रॉड आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रेरणादायी है। वेबसाइट/ई-पेपर में प्रकाशित होने वाले समाचार, कॉलम और विचार या भारतीय प्रवासियों से संबंधित किसी भी मुद् पर आपकी राय या आलोचना। हम सभी का दे स्वागत करते हैं। अपने विचार भेजें, हम उसे अवश्य प्रकाशित करेंगे। संपादक के नाम पत्र लिखें KTR लंदन में: आंबेडकर की प्रतिमा भेंट की, FABO ने इसलिए की सराहना l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत के राज्य तेलंगाना के सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामाराव (KTR) ने अपनी यूके यात्रा के दौरान लंदन में अंबेडकर संग्रहालय को बाबा साहेब आंबेडकर की एक प्रतिमा की प्रतिकृति भेंट की। यह प्रतिकृति उस 125 फुट की प्रतिमा की है जो हैदराबाद में लगाई गई है। प्रतिमा के साथ KTR ने ब्रिटेन में भारत के उच्चायोग के पहले सचिव श्रीरंजनी कनगवेल के माध्यम से भारतीय उच्चायोग को आंबेडकर का एक चित्र भेंट किया। KTR उद्योग जगत के लोगों से मिलने और कारोबारी संभावनाओं का पता लगाने के लिए 11 मई से तीन दिन की यूके यात्रा पर थे। इस दौरान निवेश के अवसरों पर भी मंथन हुआ। तेलंगाना सरकार की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार लंदन में अंबेडकर संग्रहालय में मंत्री की यात्रा तेलंगाना सरकार द्वारा डॉ बीआर अंबेडकर के मूल्यों और कार्यों पर जोर देने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा थी। फेडरेशन ऑफ अम्बेडकराइट एंड बुद्धिस्ट ऑर्गेनाइजेशन (FABO), UK यूके ने तेलंगाना सरकार की ओर से बाबा साहेब के योगदान पर जोर देने के प्रयासों की सराहना करते हुए KTR को सम्मानित किया। FABO के अध्यक्ष संतोष दास और संयुक्त सचिव सी गौतम ने एक ट्वीट के माध्यम से सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण और वंचित समुदायों के उत्थान के लिए बाबा साहेब के योगदान को स्वीकार करने और तेलंगाना में उत्कृष्ट पहल के लिए आपको बधाई। दास ने पुस्तक ‘अम्बेडकर इन लंदन’ की एक हस्ताक्षरित प्रति KTR को भेंट की। संगठन ने अपने पत्र में लिखा कि बाबा साहेब की 132वीं जयंती पर हैदराबाद की हुसैन सागर झील में डॉ अंबेडकर की दुनिया की सबसे ऊंची 125 फुट की प्रतिमा की स्थापना न केवल तेलंगाना बल्कि पूरे भारत के लिए बहुत गर्व की बात है। तेलंगाना के आकरक नए सरकार ्ष ी सचिवालय परिसर का नाम बाबा साहेब के नाम पर रखना महान आत्मा और समाज के उत्थान में उनके योगदान के प्रति आपका (सरकार का) सम्मान दर्शाता है। लंदन में अंबेडकर संग्रहालय में मंत्री की यात्रा तेलंगाना सरकार द्वारा डॉ बीआर अंबेडकर के मूल्यों और कार्यों पर जोर देने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा थी। KTR (बाएं से दसरे) ू लंदन के आंबेडकर संग्रहालय में। Image: Twitter/@MinisterKTR
20 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 न्यू जर्सी के विकास में योगदान देंगे बसंत गुप्ता, योजना बोर्ड में मिला अहम पद l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय मूल के बसंत गुप्ता को न्यू जर्सी की एग हार्बर टाउनशिप में योजना बोर्ड का सदस्य नामित किया गया है। इलाके के विकास के लिए साइट प्लान, सबडिवीजन और वेरिएंस आदि के मूल्यांकन और मंजूरी में बोर्ड के सदस्यों की अहम भूमिका रहती है। बोर्ड के सॉलिसिटर जॉन रिजवे ने बसंत गुप्ता को योजना बोर्ड के सदस्य के रूप में शपथ दिलाई। इस अवसर पर बसंत गुप्ता ने न्यू जर्सी शहर के विकास के लिए पुरानी और नई परियोजनाओं के प्रस्तावों पर विचार करने का वादा किया। इस मौके पर बसंत गुप्ता की पत्नी चित्रा गुप्ता भी मौजूद थीं। बसंत गुप्ता एक सफल उद्यमी और परोपकारी हैं। वह अमेरिका में साउथ जर्सी इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। अहिंसा विश्व भारती फाउंडेशन, हिंदू जैन मंदिर पोमोना न्यूजर्सी के संस्थापक सदस्य हैं। इसके अलावा अटलांटिक काउंटी सलाहकार बोर्ड की सांस्कृतिक एवं विरासत समिति के सदस्य भी हैं। वह कानपुर के लायंस क्लब इंटरनेशनल के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। अहिंसा विश्व भारती फाउंडेशन के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेश मुनि ने बोर्ड में गुप्ता के नामांकन पर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि बसंत गुप्ता हमेशा समाज कल्याण और विकास कार्यों में लगे रहते हैं। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि हमारे समुदाय के लोग अमेरिका जैसे विशाल देश में भी अभूतपूर्व कार्यों से अपना परचम लहरा रहे हैं। बसंत गुप्ता ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत और अमेरिका दोनों दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देश हैं। इसकी बेहतरी के लिए हम सबको मिलकर काम करना चाहिए। भारत और अमेरिका पक्के दोस्त हैं। हम मिलकर एक बेहतर दुनिया बना सकते हैं। बसंत गुप्ता एक सफल उद्यमी और परोपकारी हैं। वह अमेरिका में साउथ जर्सी इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। अहिंसा विश्व भारती फाउंडेशन, हिंदू जैन मंदिर पोमोना न्यूजर्सी के संस्थापक सदस्य हैं। इसके अलावा अटलांटिक काउंटी सलाहकार बोर्ड की सांस्कृतिक एवं विरासत समिति के सदस्य भी हैं। आचार्यलोकेश मुनि व अन्य आचार्यों व योगगरु ने भी बसं ु त गप्ु ता को शभु कामनाएं दीं। प्लानिंग बोर्डके सदस्य पद की शपथ लते े बसंत गप्ु ता, साथ में हैं उनकी पत्नी। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऑस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले भारतीय प्रवासियों के दो संगठनों ने सिडनी में एक व्यापक जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए भारत सरकार के साथ साझेदारी की है। यह अभियान छोटी बीज वाली घासों के पोषण मूल्य और दैनिक आहार में उन्हें शामिल करने को लेकर है। यह मिलेट्स (मोटा अनाज) पर प्रधानमंत्री मोदी के विजन को समर्थन करेगा। राजस्थानी कुटुम्ब ऑफ विक्टोरिया (RAJKOV) और राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RANA) इस अभियान को सिडनी में 23 मई को शुरू करेंगे। दरअसल अत्याधिक पौष्टिक अनाज बाजारा लंबे समय से दुनिया के कई क्षेत्रों में पारंपरिक आहार का एक अभिन्न अंग रहा है। लेकिन यह अभी भी काफी बढ़ी आबादी से दूर है। ऐसे में संगठनों का लक्ष्य इस अभियान के माध्यम से इसकी पहुंच को बढ़ाना है। भारत के विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान इस अभियान का पोस्टर लॉन्च किया। इस मौके पर RANA के अध्यक्ष प्रेम भंडारी और RAJKOV के अध्यक्ष रवि शर्मा सहित दोनों देशों के राजस्थानी समुदाय के सदस्य भी उपस्थित थे। संगठनों द्वारा संयुक्त पहल की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि जागरूकता अभियान बाजरा के पोषण संबंधी लाभों के बारे में ज्ञान बढ़ाने, उनकी खेती और खपत को बढ़ावा देने के साथ-साथ इन फसलों को उगाने वाले स्थानीय किसानों का भी समर्थन करेगा। बाजरा जागरूकता अभियान के वैश्वीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भंडारी ने कार्यक्रम के दौरान अपनी उपलब्धियों को साझा किया। उनमें बताया कि संगठन द्वारा न्यूयॉर्क स्थित रेस्तरां SAAR के प्रमुख शेफ के सहयोग से बाजरा से बनीं विभिनन वैरायटी को शुरू करने से लेकर भारत के G20 प्रेसीडेंसी के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ भी मिलेट्स का प्रचार-प्रसार भी किया गया। इसके अलावा संगठन ने जोधपुर बाजरा महोत्सव का भी आयोजन किया था। वर्चुअल कार्यक्रम में अभियान की पहुंच के बारे में बात करते हुए शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से विशेषज्ञों, संसाधनों और नेटवर्क की मदद से अभियान व्यापक रूप लेगा। इसका उद्देश्य दुनिया भर में सरकारों, अनुसंधान संस्थानों, गैर-लाभकारी संगठनों और उपभोक्ताओं को बाजरा के स्थायी उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के इस अभियान का पोस्टर लॉन्च करते हए भार ु त के विदेश राज्य मंत्री वी. मरुलीधरन। लिए प्रोत्साहित करना भी है। Photo: RANA इन राजस्थानी प्रवासी संगठनों ने उठाया बाजरा के प्रचार-प्रसार का बीड़ा अत्याधिक पौष्टिक अनाज बाजारा लंबे समय से दुनिया के कई क्षेत्रों में पारंपरिक आहार का एक अभिन्न अंग रहा है। लेकिन यह अभी भी काफी बढ़ी आबादी से दूर है। ऐसे में संगठनों का लक्ष्य इस अभियान के माध्यम से इसकी पहुंच को बढ़ाना है।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 21
22 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 शेंगेन वीजा पाने में पिछड़ क्यों रहा भारत, किन देशों ने ठुकराएं हैं आवेदन? दुनिया भर के वाणिज्य दूतावासों ने 2022 में 75,72,755 अल्पकालिक शेंगेन वीजा आवेदन दर्जकिए। सबसे अधिक अनुरोधों (7,78,409) के साथ तर्की ु पहले स्थान पर तो रूस (6,87,239) दूसरे स्थान पररहा। इसके बाद 6,71,928 के साथ भारतीयों का स्थान तीसरे नंबर पर सबसे अधिक रहा। l त्रिभवन श ु र्मा साल 2022 के शेंगेन वीजा के आंकड़ें सामने आए हैं। 2022 में जहां भारतीयों ने तीसरे स्थान पर सबसे अधिक 6,71,928 शेंगेन वीजा आवेदन दायर किए थे, वहीं सबसे अधिक 18 प्रतिशत वीजा भी भारतीयों के ही खारिज किए गए थे। शेंगेन क्षेत्र के एस्टोनिया, माल्टा और स्लोवेनिया ने सबसे अधिक आवेदनों को खारिज किया जबकि जर्मनी, इटली और हंगरी ने वीजा देने में कोई कोताही नहीं बरती। शेंगेन वीजा इंफो के आंकड़ों के अनुसार एस्टोनिया के लिए भारतीयों की ओर से 2022 में 1,986 आवेदन किए गए थे, जिसमें से 56 प्रतिशत को रद्द कर दिया गया। वहीं माल्टा ने 45 प्रतिशत आवेदनों को अस्वीकृति दी। माल्टा के लिए कुल 1,220 वीजा आवेदन किए गए थे जिनमें से 506 को नामंजूर कर दिया गया था। स्लोवेनिया ने भारतीयों के 2,732 वीजा में से 44.5 को खारिज कर दिया। साल 2022 में स्विट्जरलैंड ने 1,06,025 वीजा में से 13,984 को खारिज किया। इसके बाद फ्रांस ने 1,38,643 वीजा में से 19.9 प्रतिशत यानी 27,681 वीजा को खारिज कर दिया था। ऐसे ही स्पेन ने 80,098 में से 18.5 प्रतिशत को अस्वीकार कर दिया था। इसके अलावा ऑस्ट्रिया ने भारतीयों के 24,791 वीजा में से 24 प्रतिशत, ग्रीस ने 27,457 में से 34.7 प्रतिशत, पुर्तगाल ने 29.9 प्रतिशत और स्वीडन ने 27,775 आवेदन में से 18.7 प्रतिशत आवेदनों को खारिज कर दिया था। भारतीयों के लिए शेंगेन वीजा पाने के लिए सबसे अनुकूल देश अब बात की जाए भारतीयों के लिए अनुकूल देशों की तो जर्मनी में सबसे कम अस्वीकृति दर थी। बेंगलुरु स्थित जर्मनी के वाणिज्य दूतावास में 6,345 शेंगेन वीजा में से केवल आठ को खारिज किया गया। इसके बाद कोलकाता में एक आवेदन और चेन्नई में दो आवेदनों को ही खारिज किया गया था। आपको बता दें कि दुनिया भर के वाणिज्य दूतावासों ने पिछले साल 75,72,755 अल्पकालिक शेंगेन वीजा आवेदन दर्जकिए। सबसे अधिक अनुरोधों (7,78,409) के साथ तुर्की पहले स्थान पर तो रूस (6,87,239) दूसरे स्थान पर रहा। इसके बाद 6,71,928 के साथ भारतीयों का स्थान तीसरे नंबर पर सबसे अधिक रहा। इनमें से 1,21,188 यानी 18 प्रतिशत की अस्वीकार कर दिया गया। यह दुनिया भर में औसत अस्वीकृति दर से अधिक है जो 17.9 प्रतिशत है। कुल शेंगेन वीजा आवेदनों में से भारत के अलावा केवल अल्जीरिया का ही खराब प्रदर्शन रहा। अल्जीरिया के 1,79,409 खारिज किए गए थे। क्या है शैंगेन वीजा: इसे यूरोप वीज़ा के रूप में भी जाना जाता है। पात्र व्यक्तियों को शेंगेन क्षेत्र में भाग लेने वाले 26 देशों के भीतर स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति मिलती है। इसका अर्थ है कि यूरोप के यात्री आंतरिक शेंगेन सीमाओं पर सीमा जांच के अधीन नहीं होंगे। हालांकि बाहरी सीमाओं को पार करने वाले यात्रियों भारततीयों यों कके ललिए अनुकुकूलल देशोंों ककी ततो के लिए सीमा जांच जारी रहेगी। जर्म र्मनी में सबसे नी में सबसे ककम अस्वीकृति ्वीकृति दर थी। भारतत कके पूर्व ूर्व राजदूतूत टीपी श् टीपी रीनिरीनिवासन Photos: GOPIO l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका स्थित ग्लोबल ऑर्गनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ऑरिजन (GOPIO), GOPIO के न्यूयॉर्क, मैनहट्टन और कनेक्टिकट चैप्टर और भारतीय विद्या भवन USA व टीवी एशिया ने बीते दिन भारत के पूर्व राजदूत टीपी श्रीनिवासन के सम्मान में कार्यक्रम का आयोजन किया था। गत 18 मई को हुए इस कार्यक्रम का मुख्य आधार उभरती विश्व व्यवस्था पर चर्चा करना और वर्तमान स्थिति को जानना व समझना था। GOPIO के अध्यक्ष डॉ. थॉमस अब्राहम की अध्यक्षता और संचालन में दर्शकों की एक बड़ी भागीदारी थी। आयोजकों ने बताया कि कार्यक्रम में अमेरिका पर 9/11 के आतंकवादी हमले से लेकर उभरती विश्व व्यवस्था के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई थी। राजदूत श्रीनिवासन के साथ प्रश्नकाल का भी कार्यक्रम रखा गया था। कार्यक्रम में GOPIO इंटरनेशनल के अध्यक्ष लाल मोटवानी ने पूर्व राजदूत टीपी श्रीनिवासन को साल 1989 में GOPIO के वैश्विक सम्मेलन में अमेरिकी डाक सेवा द्वारा लाए गए फर्स्ट डे कवर के कलेक्टर आइटम का स्मृति चिन्ह भी भेंट किया। बता दें कि न्यूयॉर्क शहर स्थित भारतीय विद्या भवन में हुआ यह कार्यक्रम हाउसफुल रहा। कार्यक्रम के अंत में मौजूद मेहमानों के लिए डिनर का भी प्रबंध किया गया था। मालूम हो कि श्रीनिवासन संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व राजदूत रह चुके हैं। वह सेवानिवृत्त होने से पहले साल 2000-2004 के बीच ऑस्ट्रिया और स्लोवेनिया के राजदूत भी रहे। इसके अलावा उन्होंने वाशिंगटन में मिशन के उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला है। GOPIO ने किया पूर्व राजदूत का सम्मान, उभरती विश्व व्यवस्था पर भी हई चु र्चा इस कार्यक्रम का मुख्य आधार उभरती विश्व व्यवस्था पर चर्चा करना और वर्तमान स्थिति को जानना व समझना था। GOPIO के अध्यक्ष डॉ. थॉमस अब्राहम की अध्यक्षता और संचालन में दर्शकों की एक बड़ी भागीदारी थी। GOPIO के अध्यक्ष डॉ. थॉमस अब्राहम की अध्यक्षता में दर्शकों की एक बड़ी भागीदारी थी।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 22 मई, 2023 23 Stay Ahead With Us! Email info@NewIndiaAbroad.Com Website www.NewIndiaAbroad.Com ब्रिटेन: ड्राइवरों, कामगारों को प्रशिक्षित करने की क्यों हो रही है बात? l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क ब्रिटेन में भारतीय मूल की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने लगातार और बिना रुकावट के ब्रिटेन में हो रहे प्रवासन को लेकर चिंता जताई है। सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कड़ी चेतावनी जारी करते हुए उन्होंने अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या में कटौती के लिए कदम उठाने का आह्वान किया। लंदन में राष्ट्रीय कंजरवेटिव सम्मेलन में अपने भाषण में 43 वर्षीय सांसद ने अपनी सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी से आव्रजन को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने का आह्वान किया। सुएला ने कहा कि ब्रिटेन के लिए अब यह समय आ गया है कि वह विदेशी श्रमिकों पर निर्भरता को कम करने के लिए देश के भीतर अधिक श्रमिकों को प्रशिक्षित करे। उन्होंने प्रवासी श्रमिकों पर निर्भरता को कम करने के लिए देश के भीतर पर्याप्त ट्रक ड्राइवरों, कसाई, बिल्डरों और फल बीनने वालों को प्रशिक्षित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इंग्लिश चैनल के सहारे ब्रिटेन में हो रहे अवैध प्रवासन हमारे सामने तीव्र चुनौतियों में से एक है। हमें कानूनी तौर पर इसे नियंत्रित करने के महत्व को नहीं खोना चाहिए। भारतीय मूल की ब्रेवरमैन ने अपने माता-पिता के कानूनी और वैद्ध तरीके से ब्रिटेन आने का उदाहरण पेश किया। उन्होंने कहा कि वे अलग भाषा बोलते थे। लेकिन उन्होंने खुद को ब्रिटेन के समुदाय के साथ आत्मसात किया। उन्होंने ब्रिटिश मूल्यों को गले लगाया। जब वे ब्रिटेन पहुंचे तो वे यहां की साझा परियोजना का हिस्सा बने। उनका यह एकीकरण एक दूसरे को फायदा पहुंचाने का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि हम एकीकरण के बिना आव्रजन को स्वीकार नहीं कर सकते। ब्रेवरमैन ने कहा कि उन्होंने ब्रेक्सिट के लिए मतदान और अभियान किया था, क्योंकि वह चाहती थीं कि ब्रिटेन प्रवासन को नियंत्रित करे। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए उच्च कुशल श्रमिक के आने का समर्थन करते हैं। जहां श्रम बाजार में संरचनात्मक कमी है वहां हमारे पास पर्याप्त मजबूत आव्रजन प्रणाली होनी चाहिए। लेकिन हमें आव्रजन संख्या को कम करने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि ब्रिटिश सरकार की तरफ से अवैध प्रवासन विधेयक वर्तमान में संसद में है। कुछ विवादास्पद प्रावधानों के लिए इस विधेयक की कई लोग आलोचना भी कर रहे हैं। l विशेष संवाददाता यूरोपीय संघ (EU) के विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल ने भारत के परिष्कृत उत्पादों पर कारवाई क ्र ी मांग की थी क्योंकि ये उत्पाद उस तेल से तैयार किये जा रहे हैं जिन्हे भारत ने रूस से खरीदा है। इस पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने EU को कड़ा जवाब देते हुए संघ को अपने नियम देखने की सलाह दी है। विदेश मंत्री ने बोरेल को सलाह दी कि वह EU परिषद के नियमों को देखें। रूसी कच्चे तेल को तीसरे देश में काफी हद तक बदल दिया गया है और अब वह रूसी उत्पाद के रूप में नहीं देखा जाता। जयशंकर ने आग्रह किया कि आप परिषद के नियमन 833/2014 को देख सकते हैं। बोरेल ने कहा था कि भारत रूसी तेल को रिफाइंड फ्यूल यानी पेट्रोल-डीजल में बदलकर यूरोप में बेच रहा है। इसलिए यूरोपीय संघ को भारत पर कारवाई करन ्र ी चाहिए। बोरेल का कहना था कि एक तरफ जहां पश्चिम मुल्क रूस के ऊर्जाक्षेत्र पर कारवाई तेज कर उसके ्र ऊपर दबाव बना रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारत रूसी तेल खरीद रहा है। फाइनेंशियल टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल ने कहा था भारत रूस से तेल खरीदता है, यहां तक तो ठीक है मगर यूरोपीय संघ को रूसी तेल से भारत में बने उत्पादों को लेकर उस पर कारवाई करन ्र ी चाहिए। ब्रसेल्स में व्यापार प्रौद्योगिकी वार्ता में बोरेल ने भारत के विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की थी मगर उसके बाद होने वाली इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित नहीं थे जिसमें प्रतिबंध को लेकर भारतीय प्रतिनिधि से जवाब मांगा गया था। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोरेल की जगह यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने मोर्चा संभाला और मामले को रफा-दफा करने की मुद्रा में कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि भारत पर प्रतिबंध का कोई वैधानिक आधार नहीं बनता। भारत और यूरोप दोस्त हैं और उन्हें एक दूसरे से रिश्ते सामान्य रखने चाहिए, न कि उंगलियां उठानी चाहिए। ब्रिटेन में भारतीय मूल की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने अवैध आव्रजन को लेकर चितं ा जताई है। उन्होंने विदेशी श्रमिकों पर निर्भरता को कम करने के लिए देश के भीतर पर्याप्त ट्रक ड्राइवरों, कसाई, बिल्डरों और फल बीनने वालों को प्रशिक्षित करने का आह्वान किया। बोरेल की जगह यूरोपीय संघ के कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने मोर्चा संभाला और मामले को रफा-दफा करने की मुद्रा में कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि भारत पर प्रतिबंध का कोई वैधानिक आधार नहीं बनता। ब्रिटेन में भारतीय मूल की गृह मंत्री सएुला ब्वरमैन। ( रे फोटो : ट्विटर @NatConTalk) भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर Image : Twitter@DrSJaishankar पेट्रोल उत्पादों पर EU की आपत्ति, भारत ने कहा- पहले अपने नियम देखिए
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भारत-अमेरिका के मजबूत होते संबंधों में पहली खास व्यापार वार्ता 4-5 जून को ...Page 2 *India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. ...Page 5 ...Page 6 Year 1, Volume 31 Washington DC, Monday 22 May, 2023 कैलीफोर्निया में मरीजों को दीं नशे की गोलियां, डॉक्टर चोपड़ा ने कबूला जुर्म HindiUSA सेंट लुइस की 5वीं वर्षगांठ में बच्चों ने सबका मन मोह लिया l त्रिभवन श ु र्मा व्हाइट हाउस द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए न्यौते का यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) ने स्वागत किया है। यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष और दक्षिण एशिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अतुल कश्यप ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में अत्याधिक अवसर के समय पर प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा बेहद महत्वपूर्ण है। यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल (USIBC) द्वारा जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 22 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाशिंगटन डीसी के दौरे को लेकर यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल को बेहद खुशी है। USIBC 12-13 जून को होने वाली 48वीं वार्षिक आम बैठक और इंडिया आइडियाज समिट के माध्यम से यात्रा के उद्देश्यों के साथ अपना समर्थन देगा। इंडिया आइडियाज समिट में व्यापार क्षेत्र के शीर नेताओं के अलावा सरकार ्ष ी अधिकारी और विचारकों को USIBC द्वारा बुलाया जाता है ताकि आर्थिक संबंधों से जुड़े मुद्दों और दोनों देशों के बीच मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी को आगे बढ़ाने पर चर्चा की जा सके। USIBC ने कहा कि हम व्हाइट हाउस और भारत सरकार को प्रोत्साहित करते हैं कि इस यात्रा का लाभ उठाते हुए द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए। यह दोनों ही देशों का साझा लक्ष्य है। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भ े ी इसका जिक्र किया था। USIBC ने आगे कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र में रहने वाले 1.7 बिलियन नागरिकों के विकास के लिए हम दोनों सरकारों के साथ इस यात्रा के दौरान सहयोग करने के लिए तत्पर हैं। बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका की यात्रा पर आने वाले हैं। अमेरिका ने उम्मीद जताई है कि इस दौरान भारत से संबंधों में और मजबूती आएगी। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने दोनों देशों के बीच साझेदारी की महत्वपूर्ण अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी को लेकर काफी उत्सुक हैं। l विशेष संवाददाता भारतीयों के लिए इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशी मुद्रा में खर्च करना अब महंगा होने वाला है। भारतीय रिजर्व बैंक ने नए नोटिफिकेशन में बताया है कि विदेश में ऐसे खर्च पर अब 20 प्रतिशत का टीसीएस यानी टकै्स कलेक्टेड एट सोर्स लगेगा। इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगर भारतीय छुट्टियों में या अन्य वजहों से विदेश जाएंगे और वहां पर क्रेडिट कार्ड से खर्च करेंगे तो उस पर 20 फीसदी टकै्स कटेगा। नया नियम 1 जुलाई से लागू होगा। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने लिबरालाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) का दायरा बढ़ाते हुए इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड को भी उसके दायरे में ला दिया है। इस साल के आम बजट में विदेशी टूर पैकेज और LRS के TCS रेट में बढ़ोतरी की गई थी। इसके तहत TCS दरों को 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया था। हालांकि पढ़ाई और मेडिकल खर्चों को इससे अलग रखा गया था। एलआरएस के तहत भारतीय एक साल के अंदर ढाई लाख अमेरिकी डॉलर तक की रकम आरबीआई को बिना बताए विदेश भेज सकते हैं। उससे ज्यादा की राशि के लिए मंजूरी लेनी होती है। अब तक विदेश यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया गया खर्च एलआरएस के दायरे में नहीं आता था। अब वित्त मंत्रालय ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियम (FEMA), 2000 की धारा सात को हटा दिया है। क्रेडिट कार्ड का पेमेंट भी एलआरएस के दायरे में आ गया है। इसका मतलब ये है कि भारतीयों को विदेश में क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करने, होटल बुकिंग करने जैसी चीजों पर 20 प्रतिशत का टीसीएस देना होगा। अभी इसकी दर 5 प्रतिशत है। जुलाई से इसकी दर बढ़ जाएगी। विदेश में क्रेडिट कार्ड से कोई सामान खरीदने या सेवाएं लेने पर पेमेंट के समय ही क्रेडिट कार्ड वाला बैंक या मर्चेंट इस टैक्स को काट लेगा और सरकार के खाते में जमा कराएगा। अगर कोई टैक्स के दायरे में नहीं आता तो 20 प्रतिशत टीसीएस को क्लेम भी कर सकता है। यह क्लेम टकै्स स्लैब के हिसाब से करना होगा। ऐसे लोग अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते समय टकै्स क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। भुगतान की गई टीसीएस की रकम को उसके अंतिम टकै्स देनदारी में एडजस्ट किया जा सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अमेरिका की यात्रा पर आने वाले हैं। USIBC ने कहा है कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र में रहने वाले 1.7 बिलियन नागरिकों के विकास के लिए हम दोनों सरकारों के साथ इस यात्रा के दौरान सहयोग करने के लिए तत्पर हैं। नए नियम का सीधा सा मतलब ये है कि अगर भारतीय छुट्टियों में या अन्य वजहों से विदेश जाएंगे और वहां पर क्रेडिट कार्ड से खर्च करेंगे तो उस पर 20 फीसदी टैक्स कटेगा। नया नियम 1 जुलाई 2023 से लागू होगा। मोदी की US यात्रा पर USIBC को आस, द्विपक्षीय व्यापार हो जाएगा शानदार नया नियम 1 जुलाई से लाग होगा। ू क्रेडिट कार्ड से खर्चकिया तो कटेगा 20% टैक्स, भारत में बदले नियम Photo by Mark OFlynn / Unsplash Photo by Blake Wisz / Unsplash
l न्यू इंडि्ा अब्रॉि नेटवर्क भारती्य-अमेररकी दंपती और उनके शकिोर बेटे को िबशलन, ओहा्यो शसथत उनके घर पर मृत पा्या ग्या है। तीनों की मौत गोली लगने से हुई है। पुशलस मृत्यु का कारण पता लगाने में र्ुटी है। दंपती और उनके बेटे की हत्या हुई ्या ्यह सामूशहक आतमहत्या का मामला है, इसकी पडताल की र्ा रही है। मीशि्या ररपोटस्र में बता्या ग्या है शक भारती्य मूल के रार्न रार्ाराम (54), िांशतलता रार्न (51) और उनके बेटे अनीर रार्ाराम (19) के िव 18 र्नवरी को उनके घर में शमले। पररवार के एक र्ानने वाले ने उनकी खैरर्यत र्ानने के शलए फोन शक्या था लेशकन शकसी ने उठा्या नहीं। इसके बाद उसने पुशलस को इत्ला दी। पुशलस मौके पर पहुंची तो घर में िव शमले। पुशलस के खुशफ्या सूत्ों ने अपनी प्ारंशभक र्ांच में कहा है शक तीनों की मौत गोली लगने से हुई है। ्यह हत्या ्या सामूशहक आतमहत्या का मामला हो सकता है। अशधकारर्यों का कहना है शक उनहें इस बात के सुबूत नहीं शमले हैं शक घर में कोई र्बद्रसती घुसा हो। ्यह भी लग रहा है शक घर के अंदर िव कई शदनों से पडे हुए थे। रिेंकशलन काउंटी का्या्रल्य के ररकॉडस्र के आधार पर बता्या ग्या है शक रार्न पररवार उस घर में 1998 से रह रहा था। रार्न शसनशसनाटी शसथत टेक्ोसॉफट कॉपटोरेिन में इंर्ीशन्यर थे। उनकी पत्ी र्ेपी मॉग्रन चेस में काम करती थीं। बेटा अनीर ऑकसफोि्ट, ओशह्यो शम्यामी शवशवशवद्ाल्य के फाम्रर सकूल ऑफ शबर्नेस में अकाउंशटंग प्मुख था। शवशवशवद्ाल्य ने एक ब्यान में कहा है शक छात् अनीर की मृत्यु की खबर से संसथान के कम्रचारी और बेहद दुखी हैं। पररवार के पररशचत और दोसत भी घटना को लेकर व्यशथत हैं। िबशलन कॉफमैन हाई सकूल के एक शिक्षक एली शर्मरमैन ने मीशि्या से कहा शक वह अनीि को तब से र्ानती हैं र्ब वह कॉफमैन में पहले साल आ्या था। वह सामुदाश्यक सेवा संगठन से भी र्ुडा हुआ था। एक समझदार, िांत और मेहनती बच्ा था। वह पढाई में तो अचछा था ही, उसमें नेतृतव के भी गुण थे। अनीर के बचपन के एक दोसत गाबे शफनटा ने मीशि्या से कहा शक उनकी मुलाकात तब हुई थी, र्ब वे आठवीं कलास में थे। हाल ही में वह दुबई की ्यात्ा पर गए थे र्हां अनीर ने अपने एक िर पर र्ीत हाशसल की थी, वह िर था सकाईिाइशवंग का। अनीि ऐसा लडका था र्ो शर्ंदगी को पूरी तरह र्ीना चाहता था। उसकी और पररवार की मौत से हमें बहुत दुख है। 16 न् यू इंडि्ा अब्रॉि सोमवार, 30 जनवरी, 2023 ओहायो में भाितीय मूल िे दंपकत औि बेटे िे िव कमले, हतया या सामूकहि आतमहतया? खबरों में बताया गया है लक भारतीय मूल के राजन राजाराम (54), िांलतलता राजन (51) और उनके बेटे अनीष राजाराम (19) के िव उनके घर में लमले। तीनों की मौत गनोली लगने से हुई बताई गई है। 2 सोमवार, 22 मई, 2023 l त्रिभवन श ु र्मा मिसौरी के सेंट लुइस स्थित महात्मा गांधी केंद्र में हाल ही में HindiUSA सेंट लुइस ने अपनी 5वीं वरगां ्ष ठ मनाई और भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया। कार्यक्रम में HindiUSA के 90 छात्रों ने भारत पर आधारित हिंदी भाषा में नृत्य और संगीत प्रदर्शन समेत कई तरह के प्रस्तुति दी।इस मौके पर 300 से अधिक दर्शक मौजूद रहे। HindiUSA ने बताया कि 2.5 घंटे तक चले इस कार्यक्रम की शुरुआत भगवान गणेश को समर्पित एक नृत्य से हुई। इसके बाद स्कूल समन्वयक डॉ. अंशु जैन और मयंक जैन ने सभी का अभिवादन किया। इसके बाद छात्रों ने करीब 18 तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए और आयोजन के अंत में HindiUSA इंटर स्कूल हिंदी कविता प्रतियोगिता के शीर 10 व ्ष िजेताओं को ट्रॉफी और प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की प्रमुख मेघना लुंकड़ और नंदिनी राय ने दर्शकों को बांधे रखा। यहां तक कि कार्यक्रम में लोकप्रिय गीत ‘होलिया में उड़े रे गुलाल’ के जरिए उन्होंने मेहमानों को नचाया भी। कार्यक्रम में कई देशभक्ति और सदाबहार बॉलीवुड गीतों का चयन किया गया था जिसमें ऐ मेरे वतन के लोगो, आओ बच्चो तुम्हें दिखाये, ऐ वतन मेरे आबाद रहे तू और मेरा जूता है जापानी! जैसे गीत शामिल किए गए थे। संगीत प्रदर्शनों के अलावा कार्यक्रम में हिंदी की कहानी नाम से एक प्रस्तुति भी पेश की गई जिसमें हिंदी भाषा के हजारों वर्षाें के विकास को दिखाया गया। एक अन्य विशेष और मार्मिक प्रदर्शन भी शामिल किया गया था जिसमें भारत माता की भावनात्मक कहानी को दर्शाया गया था। इसमें दिखाया गया था कि कैसे महात्मा गांधी ने भारतीयों को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने में उनकी मदद की। बता दें कि HindiUSA सेंट लुइस पूरे मिडवेस्ट क्षेत्र में सबसे बड़ा गैर-लाभकारी संगठन है। इसमें 130 पंजीकृत छात्र हैं और 26 स्वयंसेवक पूरी निष्ठा के साथ संगठन में अपनी सेवाएं देते हैं। HindiUSA HindiUSA ससेंट ललुइसस की 5ववीं वर्ष वर्षगांठ में गांठ में बबच्चोंचों ने सबसबका मन मोह लिया का मन मोह लिया छात्रों ने करीब 18 तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत किए। फोटो: HindiUSA संगीत प्रदर्शनों के अलावा कार्यक्रम में हिंदी की कहानी नाम से एक प्रस्तुति भी पेश की गई जिसमें हिंदी भाषा के हजारों वर्षाें के विकास को दिखाया गया। एक अन्य विशेष और मार्मिक प्रदर्शन भी शामिल किया गया था जिसमें भारत माता की भावनात्मक कहानी को दर्शाया गया था। मन को भाव-विभोर करने वाला था कार्यक्रम। फोटो: HindiUSA
सोमवार, 22 मई, 2023 3 ववशशै्विविक अर्थ र्थव्यव्यवस्थाथा में भारत चमकता में भारत चमकता सिसितारा, अ तारा, अबब UN ने भी UN ने भी ललगाई मुहर गाई मुहर l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक चमकता सितारा बना हुआ है। यह बात संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट से भी पुष्ट हो गई है। इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कैलेंडर वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद है। इसकी प्रमुख वजह घरेलू स्तर पर मांग मजबूत रहने को बताया गया है। भारत दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ‘2023 के मध्य तक वैश्विक आर्थिक स्थिति और संभावनाएं’ शीरक से जार ्ष ी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि कैलेंडर वर 2023 ्ष में भारत के 5.8 फीसदी की दर से बढ़ने के आसार हैं। अगले साल 2024 में आर्थिक वृद्धि दर 6.7 फीसदी तक हो सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत घरेलू मांग से काफी सहयोग मिलेगा। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऊंची ब्याज दरों और कमजोर बाहरी मांग की वजह से 2023 में भारत के निवेश और निर्यात पर दबाव बना रहेगा। रिपोर्ट के अनुसार 2023 में भारत में महंगाई दर घटकर 5.5 फीसदी पर आ जाएगी। वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों में नरमी और मुद्रा के मूल्य में गिरावट कम होने से आयातित मुद्रास्फीति भी घटने की संभावना है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर संयुक्त राष्ट्र का यह आकलन इस साल जनवरी में जारी विश्व आर्थिक स्थिति एवं संभावनाएं-2023 रिपोर्ट में लगाए गए अनुमानों के अनुरूप ही है। जनवरी में जारी रिपोर्ट में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 2023 में घटकर 5.8 फीसदी तक आने का अनुमान जताया गया था। कहा गया था कि ऊंची ब्याज दरों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती का भारत के निवेश और निर्यात पर भी असर पड़ेगा। संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कैलेंडर वर्ष 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.7 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने की उम्मीद है। इसकी प्रमुख वजह घरेलू स्तर पर मांग मजबूत रहने को बताया गया है। ओलपिकं में जाने वाली ‘विशेष टीम’ का हौसला बढ़ाएंगे आयुष्मान खराना ु l विशेष संवाददाता बॉलीवुड (भारतीय) अभिनेता आयुष्मान खुराना को 16 जून से 25 जून तक बर्लिन में आयोजित होने वाले बौद्धिक दिव्यांग लोगों के अगले विशेष ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने वाली भारतीय टीम के प्रोत्साहन और समर्थन करने के लिए राजदूत बनाया गया है। भारत इस प्रतियोगिता में 198 एथलीटों और भागीदारों, 57 कोचों और 16 विभिन्न खेल विषयों के प्रतियोगियों से लैस 280 लोगों का दल भेजेगा। विशेष सम्मान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आयुष्मान ने कहा कि मेरे जीवन में और मेरे काम के माध्यम से मुझे कई उत्कृष्ट लोगों से मिलने का सौभाग्य मिला है, जिन्होंने अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ दुनिया को दिखाया है कि इंसानों में महानता हासिल करने की असीम क्षमता है। आयुष्मान ने अपनी इंस्टा पोस्ट में हिंदी में लिखा कि मैं बर्लिन, जर्मनी में होने वाले आगामी विश्व ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए भारत की विशेष ओलंपिक टीम के सभी प्रतिभागियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मुझे भरोसा है कि हमारे सभी खिलाड़ी देश का नाम रोशन करेंगे। मैं लगातार उनका हौसला बढ़ाऊंगा। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम मैगजीन ने सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए अपनी फिल्मों का उपयोग करने वाले अभिनेता के रूप में आयुष्मान की भूमिका के लिए उनकी प्रशंसा की है और उन्हें दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक माना है। इसके अतिरिक्त आयुष्मान भारत में यूनिसेफ के राष्ट्रीय राजदूत के रूप में भी सेवारत हैं। आयुष्मान ने कहा कि मेरे जीवन में और मेरे काम के माध्यम से मुझे कई उत्कृष्ट लोगों से मिलने का सौभाग्य मिला है, जिन्होंने अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ दुनिया को दिखाया है कि इंसानों में महानता हासिल करने की असीम क्षमता है। आयुष्मान खराना Image - Ayushmann Khurrana/Instagram ु रििपोरर्ट में अन ्ट में अनमान है ुु किकि अगलले सालल 2024 में भार 2024 में भारतत ककी आर्थिकर्थिक वृद्द्धि दर 6.7 धि दर 6.7 फीसदी तक रहेगी। Photo by Towfiqu barbhuiya / Unsplash Photo by rupixen.com / Unsplash
4 सोमवार, 22 मई, 2023 Photo by Rachit Tank / Unsplash विशाल की मर्डर मिस्ट्री का मामला 42 साल बाद फिर खोलेगी यूके पुलिस l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क ससेक्स पुलिस आठ वर्षीय भारतीय मूल के बालक की मौत का रहस्यमयी मामला फिर से खोलने की तैयारी में हैं। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि विशाल मेहरोत्रा 1981 में लंदन में रहस्यमयी तरीके से गायब हो गया था और कई महीनों बाद मृत पाया गया था। गार्जियन की खबर के मुताबिक बालक विशाल मेहरोत्राऔर उसका परिवार पुटनी के घर जा रहा था लेकिन मध्य लंदन में प्रिंस चार्ल्स और राजकुमारी डायना की शादी की परेड देखने के बाद वह लापता हो गया था। सात महीने बाद फरवरी 1982 में वेस्ट ससेक्स के रोगेट में बच्चे के अवशेष मिले थे। हैरानी की बात यह है कि जांचकर्ताओं द्वारा 14,000 से अधिक लोगों से पूछताछ करने के बावजूद हत्या के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया। कई साल बीत गए। जब विशाल के पिता विशंभर मेहरोत्राने मामले की फिर से जांच करने में विफल रहने के लिए ससेक्स पुलिस की आलोचना की तो पुलिस अधिकारियों ने 10 मई को उनसे मुलाकात की और उन्हें बताया कि जासूसों को मामले को ‘आगे बढ़ाने’ के लिए ‘स्पष्ट निर्देश’ दिए गए थे। गार्जियन के अनुसार पुलिस ने विशाल की हत्या और उनके पास ज्ञात एक दस्तावेज के बीच संभावित कड़ी को खोजने में विफल रहने के लिए भी माफी मांगी थी। वह दस्तावेज एक सजायाफ्ता पीडोफाइल (ऐसा यक्ति जो बच्चों के प्रति कामुकता भाव से आकर्षित रहता है) के कब्जे से बरामद हुआ था। दरअसल, बीबीसी के एक पॉडकास्ट के बाद मामले को लेकर फिर से हलचल हुई थी। इस पॉडकास्ट में हत्या के मामले को लेकर एक ताजा विवरण सामने आया जिसमें हत्या और ‘विशाल’ शीर्षक वाले दस्तावेज़ के बीच एक संभावित लिंक शामिल है। यह दस्तावेज़ 1983 में निकोलस डगलस द्वारा लिखा गया था जिसे एक लड़के के खिलाफ बाल यौन अपराधों का दोषी ठहराया गया था क्योंकि वह उसका ‘शोषण’ कर रहा था। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा में सड़क पार करते वक्त 32 वर्षीय भारतीय की कार की चपेट में आने से मौत हो गई। मरियप्पन सुब्रमण्यन HCL टेक्नोलॉजीज के साथ टेस्ट लीड के रूप में काम कर रहे थे। यह घटना सोमवार 15 मई की बताई जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार फ्लोरिडा राज्य के हिल्सबोरो काउंटी के टाम्पा शहर में सोमवार को सुब्रमण्यन पैदल यात्री क्रॉसिंग के जरिए सड़क पार कर रहे थे कि तभी कार ने उन्हें टक्कर मार दी। कार चालक ने लाल बत्ती पार कर दी थी और अनदेखा करते हुए सुब्रमण्यन को बुरी तरह टक्कर मार दी। सुब्रमण्यन की पत्नी और चार साल का बेटा है जो भारत में रह रहे हैं। वह हाल ही में जैक्सनविले से टाम्पा में शिफ्ट हुए थे। मदद के लिए धन जुटाने वाली वेबसाइट गोफंडमी पर बनाए गए पेज पर लिखा गया है कि हम मरियप्पन सुब्रमण्यन की पत्नी की ओर से इस अनुदान संचय की शुरुआत कर रहे हैं और आपके उदार समर्थन की मांग कर रहे हैं। आपका योगदान पूरी तरह से जीवित परिवार के लिए जाएगा। हमें उम्मीद है कि इससे उनके भविष्य में सकारात्मक बदलाव आएगा। बता दें कि टाम्पा और जैक्सनविले में रहने वाला भारतीय समुदाय भारत में मरियप्पन के परिवार को पार्थिव शरीर भेजने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि जांचकर्ताओं द्वारा 14,000 से अधिक लोगों से पूछताछ करने के बावजूद हत्या के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराया। फ्लोरिडा राज्य के हिल्सबोरो काउंटी के टाम्पा शहर में सोमवार को सुब्रमण्यन पैदल यात्री क्रॉसिंग के जरिए सड़क पार कररहे थे कि तभी कार ने उन्हें टक्कर मार दी। वह हाल ही में जैक्सनविले से टाम्पा में शिफ्ट हुए थे। सांककेतिकतिक पिपिक्च्चर। Photo by Ethan र। Photo by Ethan Wilkinson / Unsplash सांककेतिकतिक चिचित्र। Photo by sebas त्र। Photo by sebastiaan stam / Unsplash सड़क दुर्घटना में सुब्रमण्यन की मौत, मदद के लिए आगे आए भारतीय कार चालक ने लाल बत्ती पार कर दी थी और अनदेखा करते हए सु ुब्रमण्यन को बरी ु तरह टक्कर मार दी। File photo
सोमवार, 22 मई, 2023 5 कैलीफोर्निया में मरीजों को दीं नशे की गोलियां, डॉक गोलियां, डॉक्ट्टर चोपड़ा़ा ने कबबललूा जुर्म र्म स्वतंत्र चोपड़ा ने इलाज के तौर तरीके से हटकर और पेशेवर डॉक्टरी से परे जाकर अपने मरीजों को अवैध दवाएं लिखी थीं। इन दवाओं में अत्यधिक नशा होता है। अक्सर इनका दुरुपयोग किया जाता है। ये दवाएं केंद्रीय तत्रिं का तंत्र तक को प्रभावित कर देती हैं। l त्रिभवन श ु र्मा कैलिफोर्निया में भारतीय मूल के एक डॉक्टर ने मरीजों को नशीले पदार्थ वाली दवाएं देना का जुर्म कबूल कर लिया है। 76 वर्षीय स्वतंत्र चोपड़ा को 5 सितंबर को सजा सुनाई जाएगी। चोपड़ा मोडसे्टो के रहने वाले हैं। यूएस अटॉर्नी फिलिप ए. टॉलबर्ट ने बताया है कि स्वतंत्र चोपड़ा ने इलाज के तौर तरीके से हटकर और पेशेवर डॉक्टरी से परे जाकर अपने मरीजों को अवैध दवाएं लिखी थीं। इन दवाओं में अत्यधिक नशा होता है। अक्सर इनका दुरुपयोग किया जाता है। ये दवाएं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक को प्रभावित कर देती हैं। बहुत जरूरी होने पर ही इन्हें मरीजों को देने का सुझाव दिया जाता है। चोपड़ा को 2018 में गिरफ्तार किया गया था। उन पर हाइड्रोकोडोन, अल्प्राजोलम और कोडीन सिरप के साथ प्रोमेथाजि़न को गैरकानूनी तरीके से मरीजों को देने का आरोप था। वर्ष 2020 में उन्होंने अपना मेडिकल लाइसेंस सरेंडर कर दिया था। कैलिफोर्निया के पूर्वी जिले के यूएस अटॉर्नी कार्यालय ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि डिस्ट्रिक्ट जज जेनिफर एल. थर्सटन 5 सितंबर को इस मामले में चोपड़ा को फैसला सुना सकती हैं। दोषी पाए जाने पर चोपड़ा को अधिकतम 20 वर्ष की जेल हो सकती है। 10 लाख अमेरिकी डॉलर का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। Photo by Sasun Bughdaryan / Unsplash स्वत्वतंत्र चोप ंड़ा ड़ा कको अधिकत धिकतम 20 वर्ष र्ष ककी जेलल हो सकतकती है। Photo by Saad Chaudhry / Unsplash l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क कान्स फिल्म महोत्सव (Cannes Film Festival) सिने-संसार का एक बड़ा आयोजन है। बेशक, यहां पहुंचना बड़ी बात है। लेकिन भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी फिल्म निर्माता अनंत सिंह के लिए इस कान्स महोत्सव का एक अलग महत्व है। इसलिए कि उनकी फिल्म ‘सराफीना’ तीन दशक बाद फिर से कान्स के लिए चुनी गई है। इस बार यह फिल्म प्रतिष्ठित सिनेमा कार्यक्रम के कान्स क्लासिक सेक्शन के लिए चुनी गई है। महोत्सव का यह खंड उन फिल्मों को स्वीकार करता है जिन्हें गुणवत्ता के साथ-साथ दुनिया भर में फिल्म उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। यह भी पहली बार है कि किसी दक्षिण अफ्रीकी फिल्म को कान्स में दूसरी बार प्रदर्शित किया जा रहा है। इस बार कुछ ऐसे फुटेज दिखाए जाएंगे जो पहले कभी नहीं देखे गए। ये दृश्य IMAX के साथ साझेदारी में प्रदर्शित किये जाएंगे। फिल्म में अकादमी पुरस्कार विजेता व्हूपी गोल्डबर्ग प्रसिद्ध दक्षिण अफ्रीकी अभिनेता लेलेटी खुमालो, मिरियम मेकबा, म्बोंगेनी नगेमा, जॉन कानी और सोमिजी म्हलंगो के साथ दिखाई देती हैं। दिवंगत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने जब अपनी आत्मकथा ‘लॉन्ग वाक टू फ्रीडम’ के लिए फिल्म के अधिकारदिए थे तब उन्होंने कहा था कि अनंत एक जबर्दस्त क्षमताओं वाला व्यक्ति है जिसका मैं बहुत सम्मान करता हूं...। शानदार: अनंत सिंह की ‘सराफीना’ तीन दशक बाद फिर Cannes Film Festival में लले ेटी खमा ु लो, व्हूपी और अनंत सिंह Photo: TWitter @Anant Singh
6 सोमवार, 22 मई, 2023 भारत-अमेरिका के मजबूत होते ससबब ं ंधों में पह ंधों में पहलली खखासस व्या ्यापार ववार्ता र्ता 4-5 जून को 4-5 जून को दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच पहली iCET वार्ता 31 जनवरी को हुई थी और सामरिक व्यापार बैठक आयोजित करने का निर्णय तब लिया गया जब अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो 10 मार्च को द्विपक्षीय वाणिज्यिक वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए भारत आईं। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत और अमेरिका अनेक स्तरों पर अपने संबंधों में मजबूती ला रहे हैं। नए-नए क्षेत्रों में मजबूत संबंधों का विस्तार हो रहा है। इसी क्रम में दोनों देश 4 और 5 जून को रणनीतिक व्यापार वार्ता की पहली बैठक आयोजित करेंगे जिसमें निर्यात नियंत्रण को सुव्यवस्थित करके और उच्च-तकनीकी वाणिज्य को बढ़ाकर महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकी (iCET) पर पहल के परिणामों को लागू किया जाएगा। दोनों देशों के बीच तकनीकी हस्तांतरण की सुविधा भी इसी का हिस्सा है। दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच पहली iCET वार्ता 31 जनवरी को हुई थी और सामरिक व्यापार बैठक आयोजित करने का निर्णय तब लिया गया जब अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो 10 मार्च को द्विपक्षीय वाणिज्यिक वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए भारत आईं। भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा उद्योग और सुरक्षा के लिए वाणिज्य के अवर सचिव एलन एस्टेवेज से मिलकर रणनीतिक व्यापार संवाद करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22 जून की यात्रा की अंतिम तैयारियों जा जायजा लेने के लिए अगले महीने की शुरुआत में अमेरिका की यात्रा करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ बाइडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात व्हाइट हाउस में प्रस्तावित है। वैसे दोनों नेताओं के बीच इससे पहले भी भेंट होने वाली है। प्रधानमंत्री मोदी जापान में 19 से 21 मई के बीच होने वाली G-7 बैठक के लिए जाने वाले हैं जहां उनकी बाइडन े से मुलाकात होगी। फिर 24 मई को QUAD शिखर सम्मेलन के सिलसिले में दोनों नेता 22 मई को पापुआ न्यूगिनी में पोर्ट मोरेस्बी में सुदूर प्रशांत देशों के महत्वपूर्ण जुड़ाव के हिस्से के रूप में एक-दूसरे से रूबरू होंगे। इन यात्राओं के दौरान भारत और अमेरिका के बीच सैन्य समझौतों और आपूर्ति से जुड़े कुछ मामलों पर भी कदमताल होगी। कहा जा रहा है कि अमेरिका भारत को हथियारो से लैस ड्रोन की आपूर्ति के लिए राजी हो गया है ताकि वह नियंत्रण रेखा के आसापास चीन के दुस्साहसों का जवाब दे सके। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत के लोगों को यह खबर सुनकर खुशी हुई होगी कि भारत कोहिनूर हीरे समेत ब्रिटेन के संग्रहालयों में रखीं मूर्तियों और औपनिवेशिक युग की अन्य कलाकृतियों को वापस लाएगा। शनिवार को एक ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी। लेकिन सूत्रों के हवाले से ब्रिटिश मीडिया में आई इन खबरों का खंडन किया गया है। अब कोहिनूर हीरे की वापसी पर संदेह के बादल फिर मंडराने लगे हैं। मीडिया में सूत्रों के हवाले से अब ये खबर चल रही है कि यह सच नहीं है कि ब्रिटेन से हजारों कलाकृतियों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए मंत्रिस्तरीय और राजनयिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। भारत के सरकारी सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट में उद्धृत अधिकारी ने कोहिनूर का कभी उल्लेख नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्थाओं के अनुरूप द्विपक्षीय सहयोग और साझेदारी के माध्यम से पुरावशेषों को वापस लाने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यह प्रक्रिया पहले भी और कई देशों के साथ हो रही है, जिनके पास भारतीय कलाकृतियां हैं। मालूम हो कि कोहिनूर पिछले हफ्तेब्रिटेन में राज्याभिषेक समारोह के समय सुर्खियों में था। लेकिन रानी कैमिला ने अपने मुकुट के लिए वैकल्पिक हीरे को चुनकर एक राजनयिक विवाद को टाल दिया। दरअसल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) जहां स्वतंत्रता के बाद से देश के बाहर तस्करी की गई वस्तुओं को फिर से हासिल करने के लिए प्रयास में जुटा है। इसी कड़ी में भारत के अधिकारी लंदन में राजनयिकों के साथ समन्वय कर रहे हैं जिससे औपनिवेशिक शासन के दौरान युद्ध की लूट के रूप में जब्त की गईं या उत्साही लोगों द्वारा जुटाई गईं कलाकृतियों को रखने वाले संस्थानों से इन्हें वापस करने का औपचारिक अनुरोध किया जा सके। बता दें कि पिछले साल स्कॉटलैंड के संग्रहालयों का संचालन करने वाले धर्मार्थ संगठन ग्लासगो लाइफ ने सात कलाकृतियों को भारत वापस भेजने के लिए भारत सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इनमें से अधिकांश वस्तुओं को 19वीं शताब्दी के दौरान उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों में मंदिरों और धार्मिक स्थलों से निकाला गया था। कोहिनूर हीरा हर भारतीय के लिए सम्मान और प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। महाराजा रणजीत सिंह के खजाने से ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में आने से पहले 105 कैरेट का हीरा भारत में शासकों के पास था और फिर पंजाब के विलय के बाद ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया को इसे दे दिया गया था। भारत के लोगों की इच्छा है कि उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ब्रिटेन कोहिनूर हीरे को वापस लौटा दे। लंदन से ‘कोहिनर’ ू की कब होगी वापसी, लाख टके का सवाल अभी भी अटका है! सूत्रों के हवाले से ब्रिटिश मीडिया में आई इन खबरों का खंडन किया गया है कि ब्रिटेन कोहिनूर हीरे को वापस भारत को लोटा रहा है। कोहिनूर हर भारतीय के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान से जुड़ा हुआ है। ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में आने से पहले 105 कैरेट का हीरा भारत में शासकों के पास था।
मेष इस सप्ताह अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहें क्योंकि कुछ चीजें आपको हैरान करने वाली होंगी। यदि आप बुरे निर्णय लेने से बचना चाहते हैं तो अपने आप को अपने तर्क, सामान्य ज्ञान और अंतर्ज्ञान से निर्देशित करें। इस तरह आप बुरे फैसले लेने से बचेंगे। काम के मामले में कुछ चीजें बदलावकारी होंगी जो आप पर प्रभाव डाल सकती हैं। लेकिन हतोत्साहित नहीं होना है। अच्छा होगा कि आप चीजों को होने दें। किसी से कोई शिकायत करने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि उससे कुछ होने वाला नहीं है। हालांकि शुरुआत में थोड़ी कठिनाई होगी लेकिन फिर आपको अहसास होगा कि जो हुआ वह आपके हित में ही था इसलिए हौसला बनाए रखें। अगर सौभाग्य से आप किसी रिश्ते में हैं तो प्रेम का प्राकृतिक प्रवाह रहेगा। यदि अकेले हैं तो कोई आने वाला है। वृषभ आप हमेशा से इस बात को लेकर आश्वस्त रहे हैं कि आप एक अच्छे टीम लीडर हैं लेकिन इस सप्ताह आप पाएंगे कि आपकी टीम के सदस्य आपको नायक के तौर पर नहीं देखना चाहते। इससे दुख तो होता है मगर आप चीजों को अपनी इच्छाशक्ति और करुणा के चलते ठीक कर पाएंगे। बस अपना व्यवहार ठीक कीजिए और लोगों से बातचीत के तौर तरीकों में भी सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएं। आखिर में आप नायक बनकर ही उभरेंगे, जैसा कि आप मानते रहे हैं। इन दिनों का अपने हित में इस्तेमाल कीजिए क्योंकि सितारे मेलमिलाप और टकरावों को खत्म करने की क्षमता पैदा करेंगे। आपका आर्थिक पक्ष अब सुरक्षित है इसलिए आप खुश हो सकते हैं। अगर आपने आर्थिक प्रबंधन कर लिया तो उसका फल मिलना शुरू हो सकता है। इस सप्ताह रिश्तों में चुनैतियां आएंगी। मिथुन इन दिनों आप अपने काम और कुछ दैनिक चीजों से बोरियत के चलते दुविधा में हैं। जिस तरह से आपका काम चल रहा है उससे आप पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाएंगे। कुछ कमी लगेगी। लिहाजा आपको गंभीरता के साथ बदलाव की दिशा में सोचना चाहिए ताकि जीवन के दूसरे पहलुओं पर इस सबका असर न पड़े। एकदम से कोई फैसला न करें। पहले विचार कर लें। जिस क्षेत्र में आप हैं पहले वहां उपलब्ध संभावनाओं का पता लगा लें। इस बारे में सोचें और खुद को शिक्षित करने का प्रयास करेंगे तो हौसला बना रहेगा। अगर आप विचार करके अपने लिए कोई नया लक्ष्य निर्धारित करेंगे तो निश्चित रूप से आपको सफलता मिलेगी और आप खुद को संतोषजनक स्थिति में पाएंगें। रिश्तों के मामले में आप अपने किसी पुराने प्रेमी से मिलने वाले हैं। भावनाओं का पुनर्जागरण होगा। कर्क कामकाज के मामले में एक भाग्यशाली सप्ताह आपके इंतजार में है। सितारे आपके पक्ष में कदमताल कर रहे हैं। आप एक ऐसे चक्र में प्रवेश करने वाले हैं जहां पेशेवर संसार में आप अपनी प्रगति और तरक्की पा सकते हैं। मन में विचार कीजिए कि आप क्या पाना चाहते हैं और किस जगह पर पहुंचना चाहते हैं। अपनी सारी ऊर्जा इन विचारों के पीछे लगा दें। ऐसा बारबार करते रहें। लक्ष्यों को पाने में सितारे मददगार साबित होंगे। अगर आप कारोबारी हैं तो अपने साजोसामान को बदलने के लिए निवेश का यह अच्छा समय है। आपको यह इसलिए भी करने की जरूरत है क्योंकि कुछ तो ऐसा है जो ठीक नहीं चल रहा और जिससे आपको नुकसान हो सकता है। प्यार के मामले में आप इन दिनों अपने साथी के व्यवहार को लेकर परेशान हैं। लेकिन फैसला करने से पहले देख लीजिए कि आखिर चल क्या रहा है। सिंह इस सप्ताह सितारे आपके लिए वह सारी ऊर्जा लेकर आए हैं जिसकी आपको अपने विचारों को स्पष्ट करने और अपनी चिंता के मामलों पर सही निर्णय लेने के लिए आवश्यकता है। अपनी निर्णायक क्षमता पर भरोसा करें और यह भी यकीन करें कि आप किसी भी स्थिति से निपट सकते हैं। अपने आसपास के जलने वाले लोगों की उपेक्षा करें। अगर आप कोई व्यापार करते हैं और चीजें ठीक नहीं चल रहीं तो उन्हेठंडे बस्ते में मत डालिये, संकट से उबरने की कोशिश कीजिये। अगले सप्ताह आपका जीवन अधिक सामाजिक और पारिवारिक होगा। तब आपको कुछ सलाह और ऑफर मिल सकते हैं जिनसे आपको लाभ होगा। प्यार के मामले में अतीत के सागर में गोता न लगाएं क्योंकि इससे आपको ही कष्ट होगा और आप असहज महसूस करेंगे। अगर आप कोई फैसला कर लेते हैं तो फिर सारी नकारात्मकता से पल्ला झाड़ लीजिए। कन्या पेशेवर रूप से यह आपके लिए एक सफलतादायी सप्ताह होगा। हो सकता है कि कुछ दिनों पहले आपके अपने आला अधिकारियों से मतभेद हुए हों। हालांकि आपको लगेगा कि सब ठीक हो गया है लेकिन मन से आवाज आएगी कि कहीं कुछ गड़बड़ रह गई है। अगर दिमाग में ऐसा कुछ चल रहा है तो आप गलत नहीं हैं। जिस व्यक्ति से आपके मतभेद हुए हैं उसके अहम को ठेस पहुंची है। हो सकता है वह व्यक्ति या कुछ और लोग आपको परेशान करने की फिराक में हों। इन हालात में आपको अपनी दिशा बदलने की दरकार है क्योंकि कामकाज के मोर्चे पर बदलाव के लिए सितारे इशारा कर रहे हैं। महत्वपूर्ण यह भी है कि आप अपनी सारी नकारात्मकता से तौबा कर लें। अगर अपने साथी के कारण कुठ ठीक नहीं चल रहा तो चीजों को समझ कर माफी भी मांग लेंगे तो बुराई नहीं है। तुला हालांकि आप अत्यधिक ऊर्जावान हैं और खुद को आशावाद से भरा हुआ महसूस करते हैं लेकिन फिर भी नकारात्मक को नियंत्रित करना अनिवार्य है क्योंकि इन दिनों आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो अपने निराशावाद से आपको प्रभावित कर सकते हैं। उन्हें ऐसा न करने दें। हर चीज के बारे में शिकायती होना ठीक नहीं है। बेहतर यही है कि आप अपनी स्थितियों को ठीक करने के लिए संघर करें। अपने ्ष अंतर्ज्ञान का प्रयोग करें। अगर आप कोई व्यापार करते हैं तो उसमें आगे बढ़ने की स्थिति इस सप्ताह आ सकती है। लेकिन हो सकता है कि आपके आसपास, संभवतः आपका पार्टनर इस अवसर को स्पष्ट रूप से न देख पाए। ऐसे में आपको इस बाधा से शांतिपूर्वक पार पाना होगा ताकि आप अपना लक्ष्य हासिल कर सकें। जहां तक समझौतों का सवाल है तो सितारे इस सप्ताह आपके पक्ष में हैं। वृश्चिक इस सप्ताह आपके आला अधिकारी आपका शुक्रिया अदा करने वाले हैं। आपके इर्द-गिर्द कुछ ऐसा लोग हैं जो आपकी तारीफ करते हैं लेकिन सब पर भरोसा मत कीजिए। कुछ लोग जो नैतिक और पेशेवर रूप से आपकी बराबरी के नहीं हैं वे आपकी अपलब्धियों से जलते हैं। आपकी सफलता से जल-भुनकर वे कटाक्ष करेंगे। ऐसी स्थिति ने निकलने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप यह दर्शायें कि आपको कुछ पता ही नहीं है। उनकी उपेक्षा करें। इस समय अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कीजिये। जो चीज आपकी प्रगति के लिए जरूरी है बस उस पर ध्यान लगा लीजिये। बाकी सब भूल जाइये। जहां तक भावनात्मक पहलू का सवाल है तो कुछ समय से आपकी अपने साथी से अनबन चल रही है। यह कोई नई बात नहीं है लेकिन आप हमेशा खुद को सही मानते हैं। यह रुख बदलना होगा। धनु इस राशि के जातक अपने कौशल और रचनात्मक क्षमताओं को भली-भांति जानते हैं लेकिन साथ ही आप यह भी मानते हैं कि जो काम आप करते हैं लोग उसे पूरी तरह से समझ नहीं पाते। इस बात को आप बेहतर तरीके से समझ और समझा सकते हैं। लेकिन ईर्र्या का एक तत्व है जो आपको वैसा नहीं बनने देता जैसा कि आप चाहते हैं। लेकिन कोई बात नहीं। कड़ी मेहनत के साथ काम करते रहिये। भाग्य आपके पाले में आएगा और जैसा आप सोचते हैं उससे पहले। इसके साथ ही अधिक आशावादी बनने की कोशिश कीजिये। आप कुछ चीजों को बदल तो नहीं सकते अलबत्ता उन्हे देखने का अपना दृष्टिकोण तो बदल ही सकते हैं। आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर है। इस मामले में संतुलन कायम होने के साथ ही कुछ ऐसा मिलने वाला है जिसके बारे में आप ने सोचा नहीं था। जिसे प्यार करते हैं उस पर भरोसा करें। अच्छा होगा। मकर इस सप्ताह आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आप शांत रहें और समस्याओं को सुलझाने को लेकर उतावलापन न दिखाएं। अपने हर कदम को उठाने से पहले ठीक से सोच लें ताकि गलती न होने पाए। कामकाज के मामले में यह समय कोई फैसला करने का नहीं है। आपके काम में कुछ बदलाव होने वाला है कुछ नया होने वाला है। जो बदलाव हो रहे हैं उन्हे स्वीकार करने का प्रयास करेंगे तो अगले सप्ताह आपको अपनी समस्याओं का हल भी मिल जाएगा। यह भी संभव है कि आपके सामने किसी नए विकल्प की पेशकश हो। लेकिन आपके उत्तर में कुछ देरी होगी। अपने पैसों को संभाल कर रखिये क्योंकि नुकसान हो सकता है। अगर कोई दोस्त किसी बैठक के लिए बाहर जाने को कहे तो उसका प्रस्ताव स्वीकार न करें। प्यार की बगिया में रिश्तों की बहार आने वाली है। कुंभ अब आप अपने कार्यक्षेत्र में बदलाव के लिए अनुकल अव ू धि में प्रवेश कर रहे हैं लेकिन आपके कार्यक्षेत्र में पदोन्नति की संभावना भी है। थोड़ा इंतजार कीजिये ताकि आप अपना मन बना सकें और आपके विचार भी क्रम में आ जाएं। अपने मन की बात सुनें ताकि आपको सही राह मिल सके। इस सप्ताह आपके परिवार में उतार-चढ़ाव और संकट के पल आने वाले हैं और आपको उन टकरावों को खत्म करना होगा। आने वाले दिनों में आप अपने साथी के अलावा किसी पर फिदा हो सकते हैं। लेकिन नया रंग देखकर आगे बढ़ने से पहले यह सोच लें कि नये रिश्ते का भविष्य क्या है। आपका साथी संकट के समय आपके काम आया है और इस मामले में आप कोई शिकायत भी नहीं कर सकते लिहाजा नई डगर पर बढ़ना वास्तविकताओं को नजरअंदाज करना ही होगा। मीन कामकाज के मोर्चे पर कुछ बदलाव की संभावनाएं बन रही हैं। इन दिनों आप इस बात से परेशान हैं कि दफ्तर में जो बदलाव हो रहे हैं उसके नतीजे आपके लिए बुरे होने वाले हैं। लेकिन यह सच नहीं है। बल्कि जो भी बदलाव होगा वह आपके लिए फायदेमंद होगा। अब आपके पास अपनी क्षमताएं दिखाने का अवसर भी होगा। इस बारे में अपनी सोच को ज्यादा दूर तक न जाने दें। अगर आप नौकरी छोड़ने की सोच रहे हैं और चाहते हैं कि व्यापार में किस्मत आजमाई जाए तो यह ठीक नहीं होगा। यह सही है कि जिस क्षेत्र में आप हैं वह आपके लिए सही है लेकिन इस बारे में अवसरों को आप अत्यधिक आशावाद के साथ देखते हैं। इस मोर्चे पर चीजों को गहराई से देखें। जल्दबाजी में फैसला न करें। प्यार-मोहब्बत के मामले में आप हमेशा खुद को ही सही मानते हैं। इस रुख को बदल लेना चाहिए। साप्ताहिक भविष्यफल (22-28 मई) Sundeep Kochar Astrologer https://www.sundeepkochar.com विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषी संदीप कोचर से जानिए साप्ताहिक भविष्यफल। कोचर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की भविष्यवाणी करके नाम कमा चुके हैं। यके के ू विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। विश्व के कई रेडियो और टीवी चैनलों को वह साक्षात्कार दे चुके हैं। सोमवार, 22 मई, 2023 7
8 सोमवार, 22 मई, 2023 Published Weekly Copyright © 2022 Indian Star LLC Editor in Chief Dr. Sridhar Krishnaswami sridhar54k@newindiaabroad.com Chief Executive Officer Rajeev Bhambri rajeevb@newindiaabroad.com Registered Address Indian Star LLC, 6215 Rockhurst Rd, Bethesda, MD 20817 USA Disclaimers: 1. India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. 2. Indian Star LLC assumes no liability for claims / assumptions made in advertisements and advertorials. Views expressed by the writers are their own. Indian Star LLC A publication of Editor (Hindi) Dr. Rameshwar Dayal rdayal@newindiaabroad.com जम्मू्मू-कश्मी श्मीर में फिफिर ससे थिथिरकेंगे सिसितारे, ललौटेंगे 70-80 के दशक के ौटेंगे 70-80 के दशक के ववो दिदिन l त्रिभवन श ु र्मा 60 और 70 के दशक की अधिकतर बॉलीवुड फिल्मों में जम्मू-कश्मीर को बखूबी दिखाया जाता था। राजेश खन्ना, शर्मिला टैगोर, मुमताज और शम्मी कपूर जैसे कलाकारों के बहुचर्चित गाने कश्मीर की ही वादियों में शूट किए गए थे। भारत सरकार ने अब उन्हीं दिनों को ध्यान में रखते हुए राज्य में खास फिल्म शूटिंग के लिए 300 अज्ञात स्थलों की पहचान की है। भारत सरकार का उद्देश्य राज्य की सुंदरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में फिल्म पर्यटन के पुनरुद्धार के लिए फिल्म निर्माताओं और प्रोडक्शन हाउस को फिल्म, वेब सीरिज और धारावाहिकों की शूटिंग के लिए आकर्षित करना है। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के प्रशासनिक सचिव सैयद आबिद रशीद शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि फिल्म शूटिंग के लिए 300 गंतव्यों को प्रोजेक्ट किया जा रहा है ताकि प्रोडक्शन हाउस अपनी शूटिंग के लिए कोई भी गंतव्य चुन सकें। सरकार उन्हें हर संभव तरीके से सुविधा देगी। पिछले वर में 200 से अ ्ष धिक फिल्मों, वेब श्रृंखलाओं और धारावाहिकों की शूटिंग जम्मू- कश्मीर में की गई जो कश्मीर में फिल्म पर्यटन के पुनरुद्धार का एक बड़ा संकेत है। शाह ने बताया कि सरकार ने वन-स्टॉप सेंटर के माध्यम से अनुमति और नियामक आवश्यकताओं के साथ फिल्मों की शूटिंग की सुविधा के लिए एक उचित व्यवस्था सुनिश्चित की है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में उनकी शूटिंग के लिए प्रोडक्शन हाउस की सुविधा के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी विकसित किया है। शाह ने कहा कि प्रमुख फिल्मी सितारे हाल ही में एक सप्ताह के लिए कश्मीर में थे और घाटी में शूटिंग की। आगामी फिल्म ‘वेलकम टू कश्मीर’ के ट्रेलर में मादक द्रव्यों के सेवन के बढ़ते मुद्दे को भी उजागर किया गया है। इस पर बोलते हुए शाह ने कहा कि मादक द्रव्यों का सेवन एक सामाजिक मुद्दा है जो वैश्विक स्तर पर और जम्मू-कश्मीर में भी प्रचलित है। फिल्म ‘वेलकम टू कश्मीर’ का उद्देश्य कश्मीरी संस्कृति को बढ़ावा देना है और दुनिया को इसकी सुंदरता और सकारात्मकता दिखाना है। फिल्म के निर्देशक तारिक भट अपनी पहली फिल्म के साथ दर्शकों को कश्मीर के माध्यम से एक यात्रा पर ले जाना चाहते हैं। यह फिल्म कश्मीर को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा, मादक पदार्थों की लत और जम्मू-कश्मीर पुलिस की भूमिका को उजागर करती है। भट ने कहा कि यह फिल्म कश्मीर के लोगों के लिए आशा, सकारात्मकता और सशक्तिकरण का संदेश है। इसका उद्देश्य रूढ़िवादिता को तोड़ना है और कश्मीर के लोगों और इसकी संस्कृति की सच्ची और सकारात्मक छवि पेश करना है। श्रीनगर में आयोजित होने वाले पर्यटन पर आगामी जी20 शिखर सम्मेलन के साथ शाह ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा देने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। Photo by Praneet Kumar / Unsplash जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के प्रशासनिक सचिव सैयद आबिद रशीद शाह ने जानकारी देते हुए बताया कि फिल्म शूटिंग के लिए 300 गंतव्यों को प्रोजेक्ट किया जा रहा है ताकि प्रोडक्शन हाउस अपनी शूटिंग के लिए कोई भी गंतव्य चुन सकें। सरकार उन्हें हर संभव तरीके से सुविधा देगी।