The words you are searching are inside this book. To get more targeted content, please make full-text search by clicking here.
Discover the best professional documents and content resources in AnyFlip Document Base.
Search
Published by NEW INDIA ABROAD, 2023-09-25 06:26:09

25September23_Hindi

25September23_Hindi

Keywords: Jo Biden, India Republic day parade, Eric Garcetti, Megha Desai, Diwali in New York, Indian American Seema Singh, GOPIO on Pannu video, MP Chandra Arya on Justin Trudeau, Hindu in Canada, Justin Trudeau on Khalistani, Shalu Jindal, Anushka Shankar, Hindu heritage youth camp, Meera Gandhi, Teej in New Jersey, Hindu American PAC, Taral Patel, Prem Bhandari on Modi’s Birthday, BAPS, Electronica public transport in India, Kamala Harris, Nikki Haley, New Parliament house in India, Amrita Shergil, FIIDS, Kohart Internship, India- China relationship, Raja Krishnamoorthi, Investment hub, Bengaluru, Nihar Maldives, Penguin random house, Medical college in Assam, Visa window, IACA, FIA Chicago, Rice issue in USA, NRI account in SBI, H1B Visa, Vivek Ramaswamy in H1B Visa, Australia University, Japan Ambassador, Shanti Niketan, South Africa tourism, Horoscope, Sundeep kochar, Astrologer

*New India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. जब घर जैसा नमककन हो खाना राजभोग नमककन ही लाना Order now - www.rajbhog.com Year 1, Volume 50 Washington DC, Monday 25 September, 2023 www.newindiaabroad.com ट्रूडो के पाखंड से कनाडा में बढ़ रहीं खालिस्तानी हरकतें, किसने कहा? ‘संविधान सदन’ के नाम से जानी जाएगी भारत की पुरानी संसद ...Page 3 ...Page 16 भारत का मान हैं मोदी... पीएम के जन्मदिन पर प्रवासी नेता ने दी हार्दिक बधाई ...Page 10 A platform for the voice of next generation Indian Diaspora NRI के लिए प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है बेंगलुरु ...Page 20 l संतोष भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गर्सेटी ने बुधवार को जानकारी दी कि भारत ने गणतंत्र दिवस की परेड के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। राजदूत ने कहा कि G20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह निमंत्रण दिया था। उन्होंने हालांकि यह जानकारी नहीं दी कि क्या बाइडेन ने इसको स्वीकार कर लिया है। अगर राष्ट्रपति बाइेडन गणतंत्र दिवस पर भारत आते हैं तो वह दूसरे ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हो जाएंगे, जो गणतंत्र दिवस पर भारत आएंगे। उनसे पहले वर्ष 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गणतंत्र दिवस में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लिया था। जनवरी में भारत में क्वाड की बैठक प्रस्तावित है। इसके सदस्य देशों में भारत के साथ ही जापान, आस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल है। यह माना जा रहा था कि इस बैठक को भारत गणतंत्र दिवस के दौरान आयोजित कर सकता है। जिससे इसके सदस्य देशों में से किसी एक के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में बुलाने में आसानी हो। यह माना जा रहा है कि भारत ने अगले साल होने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखकर भी यह निमंत्रण दिया है। सूत्र बताते हैं कि अगर बाइडेन गणतंत्र दिवस में शामिल होते हैं तो इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी सफलता दर्शाते हुए भारतीय जनता पार्टी (सत्तापक्ष की पार्टी) इसका चुनावी लाभ लेने का भी प्रयास कर पाएगी। वह मतदाताओं को यह बताएगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिनके कार्यकाल में दो अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आए। अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत आने को लेकर केंद्र सरकार लगभग आश्वस्त है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि जिस तरह से दोनों देश के बीच वाणिज्य, रक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, परिवहन से लेकर अन्य क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ रहा है। उसे ध्यान में रखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के निमंत्रण को जरूर स्वीकार करेंगे। l मानवी पंत वर्ष 2019 का एक अध्ययन बताता है कि भारत में हर साल 2.3 करोड़ लड़कियां मासिक धर्म संबंधी चुनौतियों की वजह से स्कूल छोड़ देती हैं। आने वाले चार वर्षों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। यह महज एक आंकड़ा नहीं है, यह सामाजिक बहिष्कार, मासिक धर्म को लेकर जागरूकता की कमी और कलंक जैसे मुद्दों के समाधान का एक स्पष्ट आह्वान है। भारत के कई ग्रामीण समुदायों में मासिक धर्म को एक जैविक प्रक्रिया से कहीं अधिक माना जाता है। यह एक गुप्त घटना है जो गहरी सांस्कृतिक चुप्पी के पर्दे के नीचे दफन है। आइए आपको मिलवाते हैं देसाई फाउंडेशन की अध्यक्ष मेघा देसाई से जो पिछले 15 वर्षों से मासिक धर्म को लेकर भारत के ग्रामीण इलाकों में फैली वर्जनाओं को तोड़ने, नया दृष्टिकोण देने, पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देने और युवा लड़कियों को बिना शर्म या डर के बिना अपने शरीर का मालिक बनने के लिए सशक्त बना रही हैं। शेष पेज 15 पर देसाई फाउंडेशन की अध्यक्ष मेघा देसाई पिछले 15 वर्षों से मासिक धर्म को लेकर भारत के ग्रामीण इलाकों में फैली वरनाओं ्ज को तोड़ने, नया दृष्टिकोण देने, पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देने और युवा लड़कियों को बिना शर्म या डर के बिना अपने शरीर का मालिक बनने के लिए सशक्त बना रही हैं। सूत्र बताते हैं कि अगर बाइडेन गणतंत्र दिवस में शामिल होते हैं तो इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी सफलता दर्शाते हुए भारतीय जनता पार्टी (सत्तापक्ष की पार्टी) इसका चुनावी लाभ लेने का भी प्रयास कर पाएगी। ‘कलंक’ को बनाया ताकतः भारत में ‘पीरियड’ क्रांति की अगुआ मेघा देसाई Photo: @POTUS मेघा देसाई अतिथि का कोना फोटो साभार सोशल मीडिया गणतंत्र दिवस पर बाइडेन बनेंगे मुख्य अतिथि!


2 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 Indian Star LLC Published Weekly Copyright © 2023 Indian Star LLC Editor in Chief Dr. Sridhar Krishnaswami [email protected] Chief Executive Officer Rajeev Bhambri [email protected] Editor (Hindi) Dr. Rameshwar Dayal [email protected] Registered Address Indian Star LLC, 6215 Rockhurst Rd, Bethesda, MD 20817 USA Email [email protected] Ph. 908-472-0006 Website www.NewIndiaAbroad.Com Disclaimers: 1. New India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. 2. Indian Star LLC assumes no liability for claims / assumptions made in advertisements and advertorials. Views expressed by the writers are their own. A publication of Advisory Board Albert Jasani Entrepreneur and Philanthropist Dr Suresh Kumar President TIE-NJ Media Partner Bollywood Insider l विशेष संवाददाता अमेरिका में दीपावली महोत्सव को मानाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है। इसी कड़ी में एसोसिएशन ऑफ इंडियसं इन अमेरिका (AIA-NY) ने दीपावली उत्सव के लिए धन जुटाने की खातिर डॉ. जगदीश गुप्ता की अध्यक्षता में एक समारोह का आयोजन किया। मैनहट्टन के साउथ स्ट्रीट सीपोर्ट में बड़े ही धूमधाम से दीपावली महोत्सव के आयोजन की तैयारी है। यह भव्य समारोह 17 सितंबर को न्यूयॉर्क के हिक्सविले स्थित पर्ल बैंक्वेट हॉल में आयोजित किया गया था। इसमें एआईए के पूर्व अध्यक्षों और सलाहकार बोर्ड के सदस्यों सहित 200 से अधिक प्रमुख लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर अस्मिता और अरुण भाटिया विकास संगठन के संस्थापक और सीईओ अरुण भाटिया को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया। हेल्थकेयर एडमिनिस्ट्रेशन में उत्कृष्टता अवार्ड नॉर्थवेल हेल्थ वेस्टर्न रीजन के लिए उप क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक डेविड सलेिगमैन को दिया गया। डॉ. वीके राजू को नेत्र विज्ञान सर्जरी और बचपन के अंधेपन की रोकथाम में उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया। उनकी ओर से उनकी बेटी प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. लीला वी राजू ने पुरस्कार स्वीकार किया। माउंट सिनाई (मॉर्निंगसाइड) के इकान स्लकू ऑफ मेडिसिन के सेंटर फॉर बेरिएट्रिक एंड मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के निदेशक डॉ. सुभाष किनी को बेरिएट्रिक एंड मिनिमली इनवेसिव/ रोबोटिक सर्जरी में उत्ष्टकृ ता अवार्डसे सम्मानित किया गया। डायमंड और कीमती पत्थर आभूषण व्यवसाय में उनके पारिवारिक व्यवसाय के लिए शारदा हरिदास कोटावाला को उद्यमी पुरस्कार दिया गया। कोलबियं ा विश्वविद्यालय के त्वचा विज्ञान विभाग के डॉ सौरभ लोढ़ा को त्वचा विज्ञान में विशेष युवा चिकित्सक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. जगदीश गुप्ता ने कहा कि सम्मानित होने वाले लोग हमारे समुदाय के प्रख्यात लोग हैं, जिनमें चिकित्सक, परोपकारी, शिक्षक और उद्यमी शामिल हैं। 2 जून को एआईए-एनवाई अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने वाले प्रख्यात गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ गुप्ता ने जोर देकर कहा कि एआईए-एनवाई पिछले 36 वर्षों से न्यूयॉर्क में दीपावली महोत्सव का आयोजन कर रहा है। आज यह एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम बन गया है, जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। इनमें भारतीय और गैर-भारतीय दोनों शामिल हैं। डॉ. जगदीश के मुताबिक 1 अक्टूबर को साउथ स्ट्रीट सीपोर्ट में दीपावली उत्सव के कई आकर्षण होंगे। बच्चों का कार्यक्रम (1.30-3 बजे), नच इन्फर्नो (4-5.30 बजे), वीआईपी ऑवर (3.30 - 5 बजे) और शाम 7 बजे ईस्ट रिवर पर आतिशबाजी शामिल हैं। कई सांसदों, गणमान्य व्यक्तियों के समारोह में भाग लेने की उम्मीद है। मेगा इवेंट को कवर करने के लिए प्रिंट और इलक्ट्रॉनि े क मीडिया को आमंत्रित किया गया है। समारोह में डॉ. गुप्ता ने समुदाय को बधाई दी कि दीपावली पर न्यूयॉर्क शहर के स्लकू ों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। वर्षों से यह सयं ुक्त राज्य अमेरिका में हमारी संस्कृति और विरासत का प्रतीक बन गया है। क्योंकि दीपावली भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति है। एआईए-एनवाई के न्यासी बोर्ड के सलाहकार और अध्यक्ष डॉ. समीन शर्मा ने अपने संबोधन में भारतीय अमेरिकियों की शानदार उपलब्धियों और योगदान पर प्रकाश डाला। भारतीय महावाणिज्य दूत रणधीर जायसवाल, नासाउ काउंटी के अध्यक्ष ब्रूस ब्लेकमैन और न्यूयॉर्क राज्य के सीनेटर केविन थॉमस को जगदीश गुप्ता ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। l विशेष संवाददाता अमेरिका में भारतीय मूल की सीमा सिंह टेनेसी के नॉक्सविले में नगर परिषद की सदस्य हैं। उन्होंने घोषणा की है कि बतौर डेमोक्रेट वह राज्य की प्रतिनिधि सभा का प्रतिनिधित्व करने के लिए टेनेसी के डिस्ट्रिक्ट 90 में चुनाव लड़ने जा रही हैं। डेमोक्रेट ग्लोरिया जॉनसन भी इस सीट से चुनाव लड़ रही हैं। फिलहाल यह सीट रिपब्लिकन सेन मार्शाब्लैकबर्न के पास हैं। सीमा सिंह 2017 में नगर परिषद के लिए चनी गई थीं। इस तरह वह पूर्वी टेनेसी में किसी भी सार्वजनिक कार्यालय के लिए चुनी जाने वाली पहली दक्षिण एशियाई अमेरिकी बन गई थीं। उन्हें 2021 में एक और चार साल के कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया था। सीमा सिंह की पहचान आम लोगों के मुद्दों को उठाने और उस पर काम करने की रही है। नगर परिषद में वह समुदाय आधारित पुलिसिंग और किफायती आवास कार्यक्रमों के माध्यम से कम आय वाले लोगों को अनुदान देने की एक बड़ी प्रस्तावक रही हैं। उनकी सबसे तात्कालिक सफलताओं में से एक नॉक्सविले यटिल ू िटीज बोर्ड (NUB) से शुल्क समाप्त करने के साथ-साथ केयूबी के लिए एक सामुदायिक सलाहकार बोर्ड के निर्माण के रूप में आया। वह वर्तमान में नॉक्सविले फैमिली जस्टिस सेंटर की कॉरडिनेटेड रेस्पॉन्स टीम, नॉक्स काउंटी घरेलू हमले की मौत की समीक्षा टीम, मेट्रोपॉलिटन ड्रग सेंटर गेटवे एडवाइजरी बोर्ड और ईस्ट टेनेसी बोर्ड के वाईएमसीए में काम कर रही हैं। वह नगर परिषद प्रतिनिधि और नगरपालिका गोल्फ समिति की अध्यक्ष भी हैं। सीमा सिंह का कहना है कि अगर वह राज्य सीनेट के लिए चुनी जाती हैं, तो उन दृष्टिकोणों को लाने की कोशिश करेंगी जो मुझे लगता है कि आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। वह उन बहुत से लोगों के लिए आगे बढ़कर काम करेंगी, जिनका प्रतिनिधित्व नहीं किया जा रहा है या जिनकी बात नहीं सुनी जा रही है। एक सामाजिक कार्यकर्ता और सामुदायिक वकील सीमा सिंह हीलिंग द होम के कार्यकारी निदेशक हैं, जो एक गैर-लाभकारी एजेंसी है। वह पिछले छह वर्षों से बैटरर्स इंटरवेंशन प्रोग्राम - नॉक्सविले के लिए एक कॉरर्डिनेटर के रूप में काम किया है। यह घरेलू हिसं ा को कम करने और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक राज्य-प्रमाणित कार्यक्रम है। सीमा सिंह मूल रूप से भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध काशी (वाराणसी) से हैं। यहीं उनका जन्म हुआ था। 2 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका आ गई थीं। उनके पिता राम नरेश सिंह न्यूयॉर्क के कोलबियं ा विश्वविद्यालय में फुलब्राइट छात्रवृत्ति पर आए थे। बाद में वह टेनेसी विश्वविद्यालय में सामाजिक कार्य सिखाने के लिए नॉक्सविले में बस गए। सीमा का कहना है कि जब मैंने सामाजिक कार्य शुरू किया तो मैं बस पिता के नक्शेकदम पर चली। 15 साल पहले उनका निधन हो गया था। सीमा बेर्डन हाई स्कूल से स्नातक हैं। इसके बाद उन्होंने 1996 में टेनेसी विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में बीए की डिग्री हासिल की। उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक एक सामुदायिक वकील के रूप में काम किया है। चिकित्सा सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में कई वर्षों तक उन्होंने खुद को समर्पित किया है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच के साथ समुदाय की महिलाओं की सहायता की। इसके अलावा उन्होंने नॉक्स काउंटी स्वास्थ्य विभाग के साथ काम किया, जो एचआईवी / एड्स के साथ नॉक्सविले की बेघर आबादी के लिए चिकित्सा देखभाल तक पहुंच पर ध्यान केंद्रित करता है। US में इस बार और भी धूमधाम से मनाई जाएगी दीपावली 17 सितंबर को आयोजित कारक्र्य म में प्रतिष्ठित लोगों को सम्मानित किया गया। सीमा सिंह अमेरिका में टेनेसी के नॉक्सविले में नगर परिषद की सदस्य हैं। फोटो: @louise_seamster धन संग्रह के लिए आयोजित कारक्र्य म में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। काशी में जन्म, US में शिक्षा, पार्षद सीमा सिंह अब नई राह पर सीमा सिंह मूल रूप से भारत की आध्यात्मिक राजधानी के रूप में प्रसिद्ध काशी (वाराणसी) से हैं। यहीं उनका जन्म हुआ था। 2 साल की उम्र में वह अपने परिवार के साथ अमेरिका आ गई थीं। सीमा सिंह का कहना है कि अगर वह राज्य सीनेट के लिए चुनी जाती हैं, तो उनकी आवाज उठाएंगी जिनकी बात नहीं सुनी जा रही है।


न् यू इंडिया अब्रॉड 3 l विशेष संवाददाता खालिस्तानी आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्न के ब नू यान की अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों के एक संगठन GOPIO ने निंदा की है। इसके साथ ही संगठन ने गुरपतवंत सिंह पन्न को म नू र्यादा में बयान जारी करने की भी सलाह दी है। ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ऑरिजन (GOPIO) ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि हमने अमेरिका स्थित सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) के एक खालिस्तानी नेता का बयान पढ़ा है जिसने ‘हिंदुओं’ को कनाडा छोड़ने के लिए कहा है। GOPIO इस तरह के बयान की निंदा करता है और दृढ़ता से मानता है कि हमें मौजूदा माहौल में एक दूसरे के खिलाफ भड़काऊ बयान देने से बचना चाहिए। GOPIO ने आगे कहा कि भारतीय मूल के सभी लोग दुनिया भर के कई देशों सयं ुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, लटिै न अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में शांति से रह रहे हैं। हम हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी और यहूदी धर्म के हैं। हममें से बहुत से लोग अपनी अनुकूलित भूमि में दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवीं या यहां तक कि छठी पीढ़ी के हैं। हमें मिलकर ही रहना चाहिए। आपको बता दें कि ग्लोबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पीपल ऑफ इंडियन ऑरिजन (GOPIO) भारत के बाहर रहने वाले सभी प्रवासी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करता है। GOPIO की स्थापना 1989 में न्यूयॉर्क में भारतीय मूल के लोगों के पहले वैश्विक सम्मेलन में की गई थी। गौरतलब है कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन् ने एक वी नू डियो जारी कर हिंदुओं को कनाडा छोड़कर जाने की धमकी दी है। उसने कहा है कि कनाडा में वही सिख रहेंगे, जो खालिस्तान समर्थक हैं। हिंदुओं का देश भारत है और ऐसे लोग कनाडा छोड़कर भारत वापस चले जाएं। प्रवासी भारतीय संगठन GOPIO ने पन्न को नू दी मर्दया ा में रहने की सलाह संगठन ने कहा कि हम हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी और यहूदी धर्म के हैं। हममें से बहुत से लोग अपनी अनुकूलित भूमि में दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवीं या यहां तक कि छठी पीढ़ी के हैं। हमें मिलकर ही रहना चाहिए। GOPIO भारत के बाहर रहने वाले सभी प्रवासी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करता है। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क कनाडा में खालिस्तानियों की बढ़ती हरकतों के खिलाफ अब ऑस्ट्रेलिया से भी आवाज उठी है। ओंटारियो के नेपियन से भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने कनाडा में हिंदुओं को धमकी दे रहे खालिस्तानियों को लेकर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पाखंड और चुप्पी को जिम्मेदार ठहराया है। गौरतलब है कि सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के अध्यक्ष गुरपतवंत सिंह पन् ने एक वी नू डियो जारी कर हिंदुओं को कनाडा छोड़कर जाने की धमकी दी है। उसने कहा है कि कनाडा में वही सिख रहेंगे, जो खालिस्तान समर्थक हैं। हिंदुओं का देश भारत है और ऐसे लोग कनाडा छोड़कर भारत वापस चले जाएं। सांसद चंद्र आर्य ने वीडियो मेसेज में कहा कि कनाडा में मैंने कई हिंदुओं से बात की है जो इन धमकियों के बाद भयभीत हैं। खालिस्तानी नेता कनाडा में हिंदू और सिख समुदायों को विभाजित करने के लिए उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। आर्य ने कहा कि कनाडा में अधिकतर सिख खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते। हालांकि वे देश के नियमों की वजह से खालिस्तान आंदोलन की सार्वजनिक निंदा नहीं कर सकते। कनाडाई हिंदू और सिखों के बीच पारिवारिक रिश्ते, साझा सामाजिक एवं सांस्कृतिक संबंध हैं। आर्य ने आगे कहा कि इस तरह के दुर्भावनापूर्ण वीडियो संदेश कनाडा में खालिस्तानी नेता द्वारा हिंदुओं पर सीधा हमला हैं। कनाडा सरकार केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद के महिमामंडन या किसी धार्मिक समूह को टारगेट करने वाले घृणा अपराध की अनुमति कैसे दे सकती है? कनाडा में पिछले कुछ महीनों में बढ़ी खालिस्तानी हरकतों पर सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि हिंदू विरोधी तत्व हिंदुओं की सफलता को पचा नहीं पा रहे हैं। यहां तक कि मेरे ऊपर भी हमले किए जा रहे हैं। पार्लियामेंट हिल पर हिंदू धार्मिक प्रतीक ओम के साथ झंडा फहराने के लिए मुझ पर पिछले दस महीने से निशाना साधा जा रहा है। चंद्र आर्य के बारे में बताएं तो वह मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं। वह 2006 में कनाडा चले गए थे। राजनीति में आने से पहले वह इंडो- कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष थे। 2022 में आर्य कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में कन्नड़ बोलने वाले पहले ससं द सदस्य बने थे। सांसद चंद्र आर्य ट्रूडो के पाखंड से कनाडा में बढ़ रहीं खालिस्तानी हरकतें, किसने कहा? चंद्र आर्य ने आगे कहा कि कनाडा सरकार केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद के महिमामंडन या किसी धार्मिक समूह को टारगेट करने वाले घृणा अपराध की अनुमति कैसे दे सकती है? आर्य ने कहा कि हिंदू विरोधी तत्व हिंदुओं की सफलता को पचा नहीं पा रहे हैं। सोमवार, 25 सितंबर, 2023


[email protected] 4 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 l त्रिभुवन शर्मा कनाडा स्थित ‘हिंदू फोरम कनाडा’ संगठन के सदस्यों ने कनाडाई सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री डोमिनिक लेब्लांक को पत्र लिखकर हिंदू समुदाय के लिए सुरक्षा मांगी है। संगठन ने खालिस्तानी समर्थकों व समूहों द्वारा मिल रही लगातार धमकियों के बाद ऐसा किया है। कनाडा के ओंटारियो प्रांत के गैर- लाभकारी संगठन हिंदू फोरम कनाडा ने लेब्लांक को लिखे अपने पत्र में सिख फॉर जस्टिस संगठन के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नु द्वारा की गई हालिया टिप्पणियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि हम अधिकारियों से इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेने का आग्रह करते हैं। यह सीधे-सीधे कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा को प्रभावित करता है। संगठन ने कहा कि सोशल मीडिया पर पन्नू की एक घृणित वीडियो के प्रसार से हमारी चिंता और बढ़ गई हैं। आपको बता दें कि सिख फॉर जस्टिस नाम का यह संगठन भारत में प्रतिबंधित है और गुरपतवंत सिंह पन्नु एक घोषित आतंकवादी है। भारत में नामित आतंकवादी गुरपतवंत पन्नू ने हाल ही में वायरल वीडियो जारी किया था जिसमें उसने भारतीय-कनाडाई हिंदुओं को धमकाते हुए उन्हें कनाडा छोड़ने की धमकी दी थी। पन्नू ने वीडियो में कहा था कि कनाडा में रहने वाले हिंदू जितना जल्दी हो सके कनाडा छोड़ दें। कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री डोमिनिक लेब्लांक को लिखे पत्र में हिंदू फोरम कनाडा ने यह भी कहा कि विदेशी साझेदारी की आधारशिला पारस्परिक लाभ की दीर्घकालिक रणनीति पर आधारित है और यह महत्वपूर्ण है कि स्थानीय कारण बुद्धिमानीपूर्ण निर्णय पर हावी न हों। फोरम ने यह भी कहा कि पन्नू ने अपनी और अपने खालिस्तानी साथियों की ओर से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे उन लोगों पर हमला करना चाहते हैं जो उनका समर्थन नहीं करते हैं। ये खतरा अब कनाडा के भीतर प्रकट हो गया है और कनाडाई सरकार को इसे कम नहीं आंकना चाहिए। फोरम के लिखे पत्र में यह भी कहा गया है कि दस लाख से अधिक कनाडाई हिंदुओं के समर्थन के साथ हम प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और NDP नेता जगमीत सिंह से पन्नू की धमकी को घृणा अपराध के रूप में मान्यता देने का आग्रह करते हैं। हम आशा करते हैं कि कनाडाई अधिकारी इस मामले को सुलझाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करेंगे। कनाडा में हिद ं ू नहीं हैं सुरक्षित? इस संगठन ने सरकार से मांगी सुरक्षा कनाडा में खालिस्तानियों पर नकेल क्यों नहीं कस रहे पीएम ट्रूडो? l डॉ. रामेश्वर दयाल भारत और कनाडा के राजनयिक रिश्तेसबसे निचले स्तर तक पहुंच गए हैं। कनाडा में खालिस्तानियों के हौंसले इतने बढ़ गए हैं कि अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन् ने नू खुलेआम हिंदुओं को देश छोड़कर चले जाने की धमकी दे दी है। जानकारों का मानना है कि खालिस्तानी नेताओं की बढ़ती हरकतों की असल वजह पीएम जस्टिन ट्रूडो के साथ उनकी राजनीतिक निकटता है। इनकी वजह से राजनीति में उन्हें भले ही फायदा हुआ हो, लेकिन उनकी देश में उनकी लोकप्रियता दांव पर लग गई है। खालिस्तानी नेताओं को ट्रूडो परिवार का पुराना समर्थन रहा है। मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो 1982 में जब कनाडा के पीएम थे, तब उन्होंने खालिस्तानी आतंकी तलविंदर सिंह परमार के प्रत्यर्पण का भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अनुरोध ठुकरा दिया था। इसका खामियाजा कनाडा को भी भुगतना पड़ा। तीन साल बाद एयर इंडिया के कनिष्क विमान को बम से उड़ा दिया गया। इसमें 329 लोगों की मौत हुई, जिसमें 268 कनाडाई नागरिक थे। इस हमले के पीछे तलविंदर का ही नाम आया था। कनाडा की आबादी में सिखों की हिस्सेदारी करीब 2.1 प्रतिशत है। पिछले 20 वर्षों में यह दोगुनी हो चुकी है। दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा सिख कनाडा में रहते हैं। इनमें ज्यादातर पंजाब के प्रवासी हैं जो अच्छी शिक्षा, नौकरी और रोजगार की वजह से वहां जाकर बस गए हैं। जानकार बताते हैं कि कनाडा में सिख समुदाय का अच्छा दबदबा है। पूरे देश में फैले गुरुद्वारे सिखों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाते हैं। धन बल के मामले में भी यह मजबूत हैं। राजनेताओं के लिए अपनी सियासत करने के लिए इनका समर्थन लेना जरूरी हो जाता है। ऐसे में कुछ कट्टरपंथी गुट इसका फायदा उठाते हैं। ट्रूडो से विपक्षी कंजर्वेटिव तो नाराज हैं ही, आम जनता भी उन्हें पसंद नहीं कर रही है। देश में बढ़ती रहने की लागत, महंगाई आदि की वजह से ट्रूडो की अस्वीकृति दर अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। जानकारों का मानना है कि पीएम ट्रूडो को अपनी अल्पमत सरकार चलाने के लिए एनडीपी पार्टी की जरूरत है जिसके नेता जगमीत सिंह धालीवाल हैं। यही वजह हैं कि ट्रूडो सिख कट्टरपंथियों के खिलाफ कड़ी कारवाई नहीं कर पा रहे हैं। ्र कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो। फोटो फेसबुक ओंटरियो के इस संगठन ने यह भी कहा कि पन् ने नू अपनी और अपने खालिस्तानी साथियों की ओर से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे उन लोगों पर हमला करना चाहते हैं जो उनका समर्थन नहीं करते हैं। ये खतरा अब कनाडा के भीतर प्रकट हो गया है और कनाडाई सरकार को इसे कम नहीं आंकना चाहिए। Photo by Hermes Rivera / Unsplash


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 5


6 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क जेएसपी फाउंडेशन की अध्यक्ष शालू जिंदल को इंटरनेशनल वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड से नवाजा गया है। डी ट्राइबल्स फाउंडेशन ने शिकागो में भारतीय दूतावास के सहयोग से स्वदेशी मेला भारतीय-अमेरिकी व्यापार मेले का आजोजन किया था। इसी में जिंदल को यह सम्मान दिया गया। सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए शालू को यह सम्मान दिया गया है। शालू के सामाजिक कार्यों ने उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड और भारत के अन्य हिस्सों में रहने वाले लाखों ग्रामीणों और आदिवासियों को प्रभावित किया है। भारत के महावाणिज्यदूत, शिकागो सोमनाथ घोष कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। प्रतिष्ठित सम्मान को प्राप्त करते हुए शालू जिंदल ने आभार व्यक्त किया और भारत में लोगों के जीवन की गुणवत्ता को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने ने कहा कि यह सम्मान पाकर मैं बेहद सम्मानित महससू कर रही हूं। यह सम्मान टीम जेएसपी फाउंडेशन के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है। हम अपने देश और दुनिया भर में वंचित और सामाजिक रूप से कमजोर लोगों के लिए एक उज्ज्वल और अधिक समावेशी भविष्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह मान्यता वंचितों और हाशिये पर धकेल दिये गये लोगों के लिए अथक प्रयास जारी रखने के हमारे संकल्प को मजबूत करेगी। जेएसपी फाउंडेशन की अध्यक्ष के रूप में शालू जिंदल ने मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड और भारत के अन्य हिस्सों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण तथा सामाजिक समावेश सहित विभिन्न सामाजिक कारणों से संबंधित विविध पहलों और कार्यक्रमों का लगातार समर्थन किया है। उनके सामाजिक प्रयासों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और कई लोगों के लिए उनके काम प्रेरणा का सबब हैं। अपने मानवीय प्रयासों के अलावा शालू ने दुनिया भर में भारतीय नृत्य और संस्कृति को लेकर वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाने में मदद करते हुए एक विश्व स्तरीय कुचिपुड़ी नृत्यांगना के रूप में भी अपने नाम का परचम लहराया है। उन्होंने राष्ट्रीय बाल भवन की अध्यक्ष और यंग फिक्की की संस्थापक अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। वर्तमान में वह छत्तीसगढ़ में ओपी जिंदल विश्वविद्यालय की चांसलर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं। इनमें सीएसआर टाइम्स लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, लंदन में गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड, महात्मा गांधी अवॉर्ड और सिंगापुर में सीएमओ एशिया से एकलव्य अवॉर्ड शामिल हैं। सामाजिक बदलाव में अहम भागीदारी के लिए शालू को मिला यह विशेष अवार्ड शालू जिंदल ने मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड और भारत के अन्य हिस्सों में गुणवत्तापर्ण ू शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण तथा सामाजिक समावेश सहित विभिन्न सामाजिक कारणों से संबधिं त विविध पहलों और कार्यक्रमों का लगातार समर्थन किया है। l सुनीता सोहराबजी सितार वादक अनुष्का शंकर 3 अक्टूबर को कनेक्टिकट के स्टोर्ससे उत्तरी अमेरिका के 15 शहरों का दौरा शुरू कर रही हैं। इसके साथ ही वह अपनी पहला मिनी एल्बम ‘फॉरएवर, फॉर नाउ’ भी रिलीज कर रही हैं। ऐसे में न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ एक साक्षात्कार में शंकर ने अपने दिवंगत पिता की यादों के साथ-साथ अपनी म्यूजिक ट्रीलॉजी की प्रेरणा पर भी चर्चा की जिसकी कल्पना उन्होंने कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद की थी। नए एल्बम का पहला गाना ‘डेड्रीमिंग’ 6 अक्टूबर को रिलीज किया जाएगा। साक्षात्कार के कुछ अंश: न्यू इंडिया अब्रॉड: मैंने आपको और आपके दिवंगत पिता को साल 2009 में सैन फ्रांसिस्को में डेविस सिम्फनी हॉल में एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला प्रदर्शन करते देखा था। क्या आप अब भी अपने पिता से प्रेरणा लेती हैं? उन्होंने आपके संगीत कैरियर की गति को कैसे प्रभावित किया है? अनुष्का शंकर: वह मुझे आज भी प्रभावित करते हैं। मैं कभी-कभी किसी चीज को दोबारा सीखने या उस पर पुनर्विचार करने के लिए उनके काम पर गौर करती हूं। उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के जरिए मैं उनके जैसा अपना वर्जन बनाने की कोशिश करती हूं। वह शुरू से ही मेरे शिक्षक थे। संगीत बनाने की उनकी शैली, जिस तरह से उन्होंने मुझे सिखाया, वह सब मेरे अपने संगीत निर्माण में अंतर्निहित है। मेरा बनाया गया संगीत उनकी ही सीख है। न्यू इंडिया अब्रॉड: अगले महीने अपने उत्तरी अमेरिकी दौरे से पहले आपने ‘फॉरएवर, फॉर नाउ’ रिलीज किया है जिसे आप ट्रीलॉजी में से पहली मिनी एल्बम के रूप में वर्णित करती हैं। क्या आप इसके पीछे की वजह को बताना चाहेंगी? अनुष्का शंकर: मैं पिछले कुछ समय से संगीत बना रही हूं और मैं पारंपरिक एल्बम बनाने की आदी हूं जो कम से कम एक घंटे की हो। और मैं ऐसी एल्बमों के बारे में हमेशा बहुत विषयगत ढंग से सोचती हूं। ऐसी एल्बम के लिए मेरे पास कोई व्यापक विषय होता है या फिर कोई कहानी जिसे एक साथ पिरोया जा सकता है। मेरे ऐसे गाने कभी भी रेंडम नहीं होते। मैं महामारी और महामारी के बाद की अवधि के दौरान यह जानने के लिए संघर्ष कर रही थी कि मैं अपनी अगली एल्बम के लिए क्या बनाऊं। कोई ऐसी चीज जो किसी स्पशॉट की नै तरह हो और जिसे मैं जल्द से जल्द लोगों के साथ साझा कर सकूं। संगीत की दृष्टि से कहूं तो क्रिएटिविटी के लिए मुझे न ज्यादा विश्लेषण करना चाहिए था, न ज्यादा सोचना चाहिए था। बस कलाकारों के साथ एक कैमरे में रहकर म्यूजिक बनाना चाहिए था। ऐसे में मैंने खुद को उत्साहित पाया जब मैंने उभरती हुई कहानियों पर म्यूजिक बनाने का फैसला किया। हालांकि ये भी अपने आप में अजीब स्थिति है क्योंकि मुझे अभी तक पता नहीं है कि चैप्टर 3 में क्या होगा। न्यू इंडिया अब्रॉड: नए एल्बम का पहला गाना ‘डेड्रीमिंग’ एक कर्नाटक लोरी (बच्चों को सलुाने के लिए) से लिया गया है। क्या आप हमें इसके बारे में और ज्यादा बता सकती हैं? अनुष्का शंकर: जब मैं छोटी थी उस वक्त मेरी मां, मेरी दादी यह गाना गाती थी। यह दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रिय है। मुझे यह गाना उस वक्त याद आया जब मैं एक बच्चे के साथ थी। हां ये हो सकता है कि मैं इस गाने को बचपन से जानती हूं इस वजह से मुझे याद आया। लेकिन मैंने इसे कभी सितार पर नहीं बजाया है। इस संगीत को सितार पर आजमाना मेरे लिए बहुत दिलचस्प था। इस लोरी को वास्तविक रूप देने के साथसाथ इसे धीमी गति में बनाने से लेकर, इसे पियानो के साथ पुनर्व्यवस्थित करने और इसमें नया एहसास देने का विचार मुझे काफी पसंद आया था। हालांकि एल्बम के चैप्टर वन के अन्य सभी गाने पूरी तरह से मौलिक हैं। वे किसी और चीज से प्रेरित नहीं हैं। लेकिन हां ये गर्मियों की आलसी दोपहर के साथ फिट रहेंगे। न्यू इंडिया अब्रॉड: आपका उत्तरी अमेरिकी दौरा, इस बार आप अपने दर्शकों के लिए क्या लाने की उम्मीद करते हैं? अनुष्का शंकर: इस वर्ष मैं संगीतकारों के एक अविश्वसनीय रूप से बहुमुखी और गतिशील समूह के साथ दौरा कर रही हूं जो मेरी तरह लय और गतिशीलता के साथ यात्रा कर सकते हैं। हम एक दूसरे को फॉलो करते हैं, म्यूजिक बनाते हैं और यह काम वास्तव में रोमांचक होता है। वे सभी दिलचस्प संगीतकार हैं। दिवंगत दिग्गज रविशंकर की बटे ी अनुष्का शंकर के अपने नए प्रोजेक्ट ‘मिनी एल्बमों की एक ट्रीलॉजी’ (a trilogy of mini albums) और उनके आगामी उत्तरी अमेरिकी दौरे पर न्यू इंडिया अब्रॉड ने की खास बातचीत। शाल के के प्रयासों ने लाखों लोगों के ू जीवन को प्रभावित किया है। demo Photo by Shruti Parthasarathy / Unsplash सामाजिक परिवर्तन के लिए शाल को यह ू सम्मान दिया गया है। Image: NIA एक सुबह अनुष्का के साथ


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 7 l भावना पी कैंप यंग जूडिया पर जैसे ही सूरज धीरे-धीरे अपनी किरणों की आभा बिखेरता है और हरे-भरे परिवेश में एक गर्म व सुनहरी चमक का विस्तार होने लगता है, हवाओं में उत्साह और प्रत्याशा की भावनाएं प्रवाहित होने लगती हैं। आप देखते हैं कि भोर के समय बास्केटबॉल कोर्ट में सर्य ू नमस्कार करने के लिए 60 परामर्शदाता और 240 शिविरार्थी उत्सुक खड़े हैं। यह हिंदू विरासत युवा शिविर में एक और दिन की शुरुआत है। यानी एक ऐसा गहन अनुभव, जिसने शिविरार्थियों और परामर्शदाताओं दोनों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इसमें मैं भी शामिल हूं। हिंदू हेरिटेज यथू कैंप (HHYC) गर्मियों की छुट्टी मनाने का महज एक ठिकाना नहीं है। यह आज के युवाओं को हिंदू विरासत के शाश्वत ज्ञान और सांस्कृतिक खजाने से जोड़ने वाला एक सेतु है। कई शिविरार्थियों के लिए यह हिंदू दर्शन, परंपराओं और प्रथाओं के समृद्ध सागर में पहला गहरा गोता लगाने जैसा हो सकता है। जब वे प्राचीन किंवदंतियों को सुनते हैं, भजन जैसे पारंपरिक समारोहों में भाग लेते हैं और हिंदू धर्म के दर्शन और शिक्षाओं के बारे में सार्थक चर्चा में शामिल होते हैं तो उनकी आंखों में विस्मय देखना एक विनम्रता भरा अनुभव होता है। यह कुछ ऐसा होता है मानो वे अपने किसी खोए हुए हिस्से को फिर से खोज रहे हैं और एक सुरक्षित ठिकाने में अपनी जड़ों से जुड़ रहे हैं। देवी-देवताओं की कहानियां, रीति-रिवाजों की पेचीदगियां और त्योहारों का महत्व जीवंत हो उठता है। यह जीवंतता पाठ्यपुस्तकें नहीं दे सकतीं। इस वर्ष शिविर में मेरा व्यक्तिगत पसंदीदा शिल्प लालटेन बनाना था! जैसे-जैसे शिविरार्थी अपनी लालटेनों को सावधानीपूर्वक डिजाइन और तैयार करते हैं वे खुद को हिंदू धर्म के समृद्ध प्रतीकवाद और उससे जुड़ी कहानियों में डूबता हुआ पाते हैं। सांस्कृतिक अन्वेषण से परे हिंदू विरासत युवा शिविर चरित्र विकास और नेतृत्व के निर्माण की एक शाला है। यह सब तब होता है जब लोग अपने साथियों के साथ अधिक समय बिताते हैं और एक-दूसरे को अपनी हिंदू पहचान का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस वर्ष की थीम मसालों पर केन्द्रित थी! प्रत्येक समूह ने एक समुदाय बनाने के लिए ‘हींग इज किंग’ या ‘बीलीफ इन योरसेल्फ’ (करी पत्ता) जैसे नारों का उपयोग करते हुए एक साथ काम किया। टीम वर्क, सहयोगी परियोजनाओं और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से शिविरार्थी सम्मान, सहानुभूति और दृढ़ता जैसे मूल्यों को विकसित करते हैं। शिविर के बारे में सबसे अच्छी चीजों में से एक जो मुझे पसंद आई वह यह है कि इसने मुझे अपने कुछ करीबी दोस्तों से मिलने का मौका दिया। मिले-जुले स्थान में चुटकुले साझा करने और अपने साथियों के साथ हर दिन गुज़ारने में इन अमूल्य और बहुमूल्य मित्रों को बनाना मुश्किल नहीं है। जिन लोगों से आप मिलते हैं और जिनसे मित्रता विकसित होती है वे वास्तव में शिविर को ‘वर्ष के सर्वोत्तम 5 दिन’ बनाते हैं। शिक्षा, भजन और टेक्सास की तेज़ धूप से परे शिविरार्थियों का दिन आसमान में टिमटिमाते सितारों की शीतलता के साथ समाप्त होता है। लेकिन शिविर की सफलता और इसका प्रभाव ग्टर ह् रे सयू्टन (HGH) के हिंदुओं के महती समर्थन से जटिलता के साथ जुड़ा हुआ है। इस समर्थन के बिना यह समृद्ध अनुभव संभव नहीं होगा। अगले वर्ष की प्रत्याशा उत्साह से भरी हुई है क्योंकि हम उत्सुकता से अपने स्वयं के कैंपसाइट के उद्घाटन का इंतजार कर रहे हैं। अपने कैंपस्थल के साथ हम 40वें वर्ष में प्रवेश कर जाएंगे। हिद ं ू हेरिटेज यथू कैंप: सुबह से शाम तक विरासत और संस्कृति की पाठशाला शिविर के बारे में सबसे अच्छी चीजों में से एक जो मुझे पसंद आई वह यह है कि इसने मुझे अपने कुछ करीबी दोस्तों से मिलने का मौका दिया। मिले-जुले स्थान में चुटकुले साझा करने और अपने साथियों के साथ हर दिन गुज़ारने में इन अमूल्य और बहुमूल्य मित्रों को बनाना मुश्किल नहीं है। एक शाम मानवाधिकार वकील चेरी ब्लेयर के नाम, मीरा गांधी ने की मेजबानी l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क NYC में सयं ुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के दौरान 3 टिप्स: द एसशिय ें ल्स फॉर पीस, जॉय एंड सक्सेस की लखिे का और द गिविंग बैक फाउंडेशन की संस्थापक मीरा गांधी ने एक भव्य कॉकटेल कार्यक्रम की मेजबानी की। इस शानदार शाम को आनंद लेने के लिए दुनियाभर से दिग्गज जमा हुए। मीरा गांधी की मेजबानी में यह शाम टेरी ब्लेयर फाउंडेशन की संस्थापक, मानवाधिकार वकील और UK की पूर्व प्रथम महिला चेरी ब्लेयर के सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित रही। चेरी अपनी फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं के लिए महती काम कर रही हैं। मैनहट्टन के फिफ्थ एवेन्यू की चमचमाती रोशनी के बीच उपस्थित लोग एकता और परोपकार की वैश्विक भावना को दर्शाते हुए एक उत्ष्टकृ स्थान पर एकत्र हुए। हल्की और मधुर धुनों ने माहौल को मोहक बना दिया था। इस शाम की सबसे बड़ी खासियत और आकर्षण रहा चेरी ब्लेयर का मार्मिक भाषण। चेरी ने एक सशक्त बैरिस्टर, व्याख्याता, लखिे का और महिलाओं के अधिकारों और वैश्विक न्याय के लिए एक अडिग वकील के रूप में अपनी व्यापक यात्रा के माध्यम से लोगों का दिल जीत लिया। गहराई से गूंजते उनके शब्दों से उपस्थित लोग प्रेरित हुए। शाम की भव्यता और महत्व पर मीरा गांधी ने कहा कि चेरी ब्लेयर हमारी दुनिया में आशा और परिवर्तन की किरण के रूप में खड़ी हैं। उनका समर्पण और सामाजिक विरासत बहुत कुछ कहती है। इसीलिए मुझे उनका सम्मान करना लाजमी लगा। विशेष रूप से उस सप्ताह के दौरान जो वैश्विक एकता और मानवीय प्रयासों का जश्न मनाता है। चिंतन और उत्सव के क्षणों के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में विविध क्षेत्रों की हस्तियों ने हिस्सेदारी की। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के गणमान्य व्यक्ति, विचारक नेता, प्रभावशाली व्यक्ति और परिवर्तनकारी लोग एक साथ आए, एक सामान्य सूत्र के माध्य्म से एकजुट हुए और सार्थक वैश्विक परिवर्तन लाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई। मीरा गांधी की मेजबानी में यह शाम टेरी ब्लेयर फाउंडेशन की संस्थापक, मानवाधिकार वकील और पर्व ू प्रथम महिला चेरी ब्लेयर के सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित रही। चिंतन और उत्सव के क्षणों के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में विविध क्षेत्रों की हस्तियों ने हिस्सेदारी की। शिविर में हिस्सा लेकर उत्साहित हैं युवा। Image : HHYC शिविर के दौरान आयोजित एक कार्यशाला। Image : HHYC शिविर चरित्र विकास और नेतृत्व के निर्माण की एक शाला है। Image: HHYC चेरी ने दिया एक मार्मिक भाषण। Image: Mohammed Jaffer-SnapsIndia मीरा संग चेरी ने काटा जन्म दिन का केक। Image : Mohammed Jaffer-SnapsIndia


l विशेष संवाददाता आज के दौर में भारतीय उत्सव किसी देश की बॉर्डर से बंधे हुए नहीं हैं। तीज हो या करवा चौथ, इन पारंपरिक उत्सवों का दुनिया के देशों में तेजी से विस्तार हो रहा है। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) ने न्यू जर्सी में ओम श्री साईं बालाजी मंदिर, मोनरो में पारंपरिक उल्लास के साथ तीज का त्योहार मनाया। यह पर्व महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। इसे बहुत उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। तीज त्योहार भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को न्यू जर्सी के दिल के करीब लाता है। यह पारंपरिक त्योहार कार्यक्रम सांस्कृतिक विविधता और समझ को बढ़ावा देने के उद्श्य दे से समुदाय के सदस्यों द्वारा मनाया गया। त्योहार पारंपरिक तीज पूजा के साथ शुरू हुआ, जहां बीजेएएनए से जुड़ीं महिलाओं ने परिवारों, प्रियजनों की मंगलकामना के लिए पूजा अर्चना की। बीजेएएनए के अध्यक्ष अनुराग कुमार और उपाध्यक्ष संजीव सिंह ने इस आयोजन के बारे में अपनी उत्सुकता व्यक्त करते हुए कहा कि तीज सिर्फ एक त्योहार नहीं है। यह भारत की संस्कृति, परंपरा और एकजुटता का उत्सव है। हमें इस त्योहार को अपने समुदाय में लाने और हमारी विरासत की खुशी और समृद्धि को साझा करने पर गर्व है। उन्होंने कहा कि इस साल का तीज त्योहार परिवारों के लिए एक अविस्मरणीय अवसर होने का वादा करता है, जो भारत की जीवंत परंपराओं में खुद को विसर्जित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। बीजेएएनए समुदाय के उन सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया जो इस सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बने। मंदिर के राजीव अखौरी ने समुदाय के सदस्यों के बीच महान भावना और संस्कृति जुड़ाव के लिए आयोजन स्थल की व्यवस्था की। 8 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 न्यू जर्सी में तीज पर दिखा उत्साह, सबने मिलकर उत्सव मनाया बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (BJANA) ने न्यू जर्सी में तीज का त्योहार मनाया। यह पारंपरिक त्योहार कार्यक्रम सांस्कृतिक विविधता और समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समुदाय के सदस्यों द्वारा मनाया गया। महिलाओं ने परिवारों, प्रियजनों की मंगलकामना के लिए पजू ा अर्चना की। भारत की सांस्कृतिक विरासत को साझा करने के मकसद से सामूहिक उत्सव का आयोजन किया गया था। बिहार झारखंड एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका ने तीज महोत्सव का आयोजन किया। अमेरिका में भी रही तीज की धम। ू महिलाओं ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। सभी फोटो: BJANA हिंद अमेर ू िकन पीएसी ने पटेल के खिलाफ नस्लवादी हमलों की निंदा की l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय-अमेरिकी नीति विशेषज्ञ तरल वी पटेल ने कहा है कि जब से उन्होंने फोर्ट बेंड काउंटी कमिश्नर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है, तब से उनके अभियान को नस्लवादी हमलों का सामना करना पड़ रहा है। तरल बाइडेन प्रशासन के साथ काम करते हैं और उन्होंने बीते मई माह में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। तरल ने X पर यह बात कही है। इसके बाद गैर- लाभकारी एडवोकेसी संगठन हिंदू अमेरिकन पीएसी ने पटेल पर वर्चुअल हमलों की निंदा की है। तरल के आरोपों के बाद हिंदू अमेरिकन पीएसी ने X (पहले ट्विटर) पर लिखा है- हम फोर्ट बेंड काउंटी कमिश्नर पद के उम्मीदवार तरल वी पटेल के खिलाफ हिंदूफोबिक, नस्लवादी हमलों की कड़ी निंदा करते हैं। ये हमले उसी स्क्रिप्ट का अनुसरण करते हैं जैसा हमने विवेक रामास्वामी के खिलाफ किया था। वर्ष 2023 में जिस तरह की नफरत का सामना हिंदू-अमेरिकी उम्मीदवारो को करना पड़ रहा है वह चौंकाने वाला है। संगठन की इस पोस्ट में नफरत भरी टिप्पणियां भी नत्थी की गई हैं। वहीं, पटेल ने लिखा- कमिश्नरी के लिए उम्मीदवारी की घोषणा करने के बाद मैंने उन विविध समुदायों से जुड़ने के लिए अथक प्रयास किया है जो हमारे काउंटी को अपना घर कहते हैं। हमारा अभियान करुणा, कड़ी मेहनत और सभी के प्रति सम्मान के मूल्यों पर आधारित है। मगर दुर्भाग्य से हम नस्लवादी हमलों का सामना कर रहे हैं। पटेल की पोस्ट से जुड़े कुछ संदेशों में प्रतिबंधित नस्लीय टिप्पणियां और अप्रवासी विरोधी पूर्वाग्रह शामिल हैं। पटेल ने एक के बाद की गई अपनी पोस्ट में कहा कि उनके रिपब्लिकन विरोधियों के समर्थकों ने उन पर, उनके परिवार, विश्वास, समुदाय और सहकर्मियों पर हिंदूफोबिक अपमान करके हद पार कर दी है। पटेल के अनुसार ये संदेश पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प और आज की रिपब्लिकन पार्टी जैसे लोगों द्वारा भड़काए गए गहरे और गुमराह डर से उपजे हैं कि अप्रवासी ‘उनकी नौकरियां ले रहे हैं।’ पटेल ने जोर देकर कहा कि उनका जन्म अमेरिका में हुआ और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा फोर्ट बेंड काउंटी, टेक्सास में पूरी की। पटेल ने सभी से अप्रवासी विरोधी या नस्लवादी टिप्पणियां करने वाले लोगों के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया और कहा कि ऐसा करने पर वे देश के भविष्य की बेहतरी के लिए खड़े होंगे। पटेल ने लिखा- कमिश्नरी के लिए उम्मीदवारी की घोषणा करने के बाद मैंने उन विविध समुदायों से जुड़ने के लिए अथक प्रयास किया है जो हमारे काउंटी को अपना घर कहते हैं। पटेल की पोस्ट से जड़ेु कुछ संदेशों में प्रतिबधिं त नस्लीय टिप्पणियां और अप्रवासी विरोधी पर्वाग्रू ह शामिल हैं। फोर्ट बेंड काउंटी कमिश्नर पद के उम्मीदवार तरल वी पटेल। Image: social media


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 9


10 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के प्रमुख नेता और जयपुर फुट यूएसए के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। न्यूयॉर्क में राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (राना) के अध्यक्ष भंडारी ने पीएम मोदी के 73वें जन्मदिन के अवसर पर गर्मजोशी भरा हार्दिक संदेश प्रेषित किया है। भंडारी ने इस दौरान पीएम मोदी दो महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जिन्होंने वैश्विक मान्यता प्राप्त की है। सबसे पहले उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम के नेतृत्व की सराहना करते हुए इसे अतुलनीय, अविस्मरणीय और प्रशंसनीय बताया। एआईए-एसोसिएशन ऑफ इंडियसं इन अमेरिका के राष्ट्रीय ट्रस्टी भंडारी ने अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उल्लेखनीय सफलता के लिए भी पीएम मोदी की सराहना की। ​​इस उपलब्धि ने न केवल भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा को प्रदर्शित किया बल्कि वैश्विक मान्यता व प्रशंसा भी अर्जित की। भंडारी ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के तहत भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (बीएमवीएसएस) के सकारात्मक प्रभाव को भी साझा किया जिसने जयपुर में कृत्रिम अंग लगाने और अन्य सहायक उपकरणों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय शिविर आयोजित किए हैं। बीएमवीएसएस ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सहयोग से अब तक कुल 25 अंतर्राष्ट्रीय शिविरों का सफलतापूर्वक आयोजन कर चुका है। तीन कृत्रिम अंग फिटमेंट शिविर भी लगाए हैं। संगठन निकट भविष्य में 17 और शिविरों की तैयारी कर रहा है। भारत का मान हैं मोदी... पीएम के जन्मदिन पर प्रवासी नेता ने दी हार्दिक बधाई पीएम मोदी और प्रेम भंडारी। फोटो सोशल मीडिया अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के प्रमुख नेता और जयपुर फुट यूएसए के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए दो महत्वपर्ण ू उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जिन्होंने वैश्विक मान्यता प्राप्त की है।


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 11


तुष्टीकरण राजनीति का कैंसर है श्रीमान ट्रूडो... जस्टिन ट्रूडो और राजनीतिक हताशा की गहराई l डॉ. श्रीधर कृष्णस्वामी कनाडा के साथ भारत के संबंधों में लगातार गिरावट आ रही है। आशंका है कि बेहतर होने से पहले दोनों देशों के संबंध और खराब होंगे। ऐसे में किसी को कनाडा के प्रधानमंत्री को यह समझाने की जरूरत नहीं है कि लोकतांत्रिक समाजों की राजनीति में जीवित रहने का एकमात्र तरीका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दीर्घकालिक उद्श्यों की कीमत पर अल दे ्पकालिक लाभ के जाल में फंसना नहीं है। यह दुर्भाग्य है और ऐसा लगता भी है कि गलतियों का पाठ जस्टिन ट्रूडो अपने पिता पियरे ट्रूडो की किताब से पढ़ रहे हैं। पियरे 1968 और 1984 के बीच 15 साल के लिए प्रधानमंत्री रहे। बस 1979 और 1980 के बीच एक छोटा ब्क रे था। उस दौर में शांतिपूर्ण तरीके से कनाडा में बसे और एक सभ्य आजीविका के लिए काम कर रहे सिखों के विशाल बहुमत में से पापा ट्रूडो ने भी खालिस्तानियों के एक छोटे समूह को भी गले लगा लिया था। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय ट्रूडो सीनियर ने भारत विरोधी तत्वों के विरोध में खड होने ़े से भी इनकार कर दिया था। इसकी कीमत 1985 में कनिष्क विमान हादसे के रूप में चुकानी पड़ी जिसमें 329 यात्रियों और चालक दल की आसमानी धमाके में मौत हो गई थी। करीब 268 कनाडाई भी समुद्र की गहराइयों में समा गये थे। और मोस्ट वांटेड की उस सूची में एक व्यक्ति ऐसा भी था जिसके बारे मे भारत ने ओटावा को चेताया था कि उसने भारतीय विमान को मार गिराने का गर्व भरा दावा किया है। हिंदू-कनाडाइयों को देश छोड़ने की थमकी देने वाले और भारतीय राजनयिकों को निशाने पर लेने वाले बैनर-पोस्टर क्या कहते हैं? इस पर प्रधानमंत्री ट्रूडो का यह कहना कि यह सब बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत आता है। यह क्या दर्शाता है? यह तो कनाडा के लोगों के साथ ही दुनियाभर के सभ्य समाज का सरासर अपमान है। उग्रवाद, स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति के बारे में एक ही पैमाना रखना बेतुका और अपमानजनक दोनों है। वैसे दिल्ली में G20 के दौरान ट्रूडो की अच्छी-खासी किरकिरी हुई थी। रही-सही कसर उनके विमान की खराबी और दो दिन तक भारत में जमे रहने की विवशता ने पूरी कर दी। ऐसे में दिल्ली से अपने देश जाते वक्त उनके पास पर्याप्त वक्त था कि वह सोच लें कि जब ससं द में उनके सहयोगी और देश के पत्रकार इस पूरे प्रकरण पर सवाल करेंगे तो वह क्या कहेंगे। यही नहीं, G20 के दौरान पूरी दुनिया ने देखा कि दिल्ली में विभिन्न मौकों पर जब-जब भारत के प्रधानमंत्री कनाडा के पीएम से मिले तो उस मुलाकात (आमना-सामना) में गर्मजोशी का सर्वथा अभाव था। भारत के राष्ट्रपति की ओर से आयोजित रात्रिभोज से भी ट्रूडो नदारद थे। दूसरी ओर आयोजन को लेकर पीएम मोदी इतने व्यस्थ थे कि शिखर सम्मेलन के एजेंडे से इतर 15 द्विपक्षीय वार्ताओं के बीच वह दो दिन के दौरान ट्रूडो से व्यक्तिगत संवाद का समय नहीं निकाल सके। उपेक्षा और उपहास की हवाओं के बीच ट्रूडो को लगा कि खालिस्तानी समर्थकों की नजर में हीरो बनने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है कि निज्जर की हत्या का राग शुरू कर दिया जाए। आखिर खालिस्तानियों के समर्थन पर ही तो ट्रूडो की सियासी किस्मत टिकी हुई है। निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका पर हो रहे हंगामे के बीच प्रधानमंत्री ट्रूडो को यह महससू करना चाहिए था कि ‘आरोपों’ में ‘सबूत’ जितना दम नहीं है। तभी तो कनाडाई राजनेताओं ने अपने प्रधानमंत्री से ही आरोपों के सबूत मांगना शुरू कर दिया है। ट्रूडो को यह अहसास भी होना चाहिए था कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में दिखावटी सहानुभूति के अलावा बहुत कुछ नहीं हो सकता। अपने खुद के भू-राजनीतिक एजेंडे के अलावा इनमें से हर कोई नई दिल्ली के साथ खालिस्तानी मुद्देसे निपटने की कोशिश कर रहा है। लेकिन चुपचाप और जांच एजेंसियों के काम में दखल दिये बगैर। इस पूरे प्रकरण में श्रीमान ट्रूडो को अपने जेहन में दो बातें तो अच्छी तरह से बैठा लेनी होंगी। पहली यह कि उग्रवाद से गलबहियां करने से वह न तो कहीं के रहेंगे और न उन्हे कुछ हासिल होगा क्योंकि यह राजनीति का कैंसर है। और दूसरी बात यह है कि भारत अब 1980 के दशक का कोई देश नहीं है। भारत अब एक वैश्विक शक्ति है जो अपने बढ़ते बल के दम पर किसी को भी मुंहतोड़ जवाब दे सकता है। (लेखक न्यू इंडिया अब्रॉड के प्रधान संपादक हैं और वाशिंगटन डीसी में उत्तरी अमेरिका तथा संयुक्त राष्ट्र के विशेष संवाददाता रह चुके हैं) विश्व का संभ्रांत समाज यदि इन दिनों राजनीतिक कुटिलता की तस्वीर देखना चाहे तो उसमें निसंदेह रूप से एक ही अक्स उभरता है और वह हैं कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो। भारत पर लगाये महज एक आरोप ने पूरी दुनिया का रुख उनकी ओर कर दिया है। मगर ध्यान भटकाने की रणनीति के एक शानदार उदाहरण के रूप में ट्रूडो अपने राजनीतिक लाभ के लिए भारत-कनाडा संबंधों को अब तक के सबसे निचले स्तर पर गिरा चुके हैं, भले ही चरमपंथियों के करीब जाना दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में विनाश का कारण बन जाए। उनकी बला से। ट्रूडो का कहना है कि उनके पास इस आरोप के ‘पुख्ता सुबूत’ हैं कि कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत सरकार के एजेंट जिम्मेदार हैं। निज्जर वही था जिसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया था। इसी आरोप के विस्तार में ट्रूडो ने यह भी मांग कर दी कि भारत इस मामले की जांच में सहयोग करे। अपने इस नाटक में उन्हें जो इच्छुक सहयोगी मिला वह कोई और नहीं बल्कि अमेरिका था। लिहाजा बाइडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मसले पर तुरंत ‘जवाबदेही’ और बाहरी ‘अंतरराष्ट्रीय दमन’ के प्रति तिरस्कार की मांग कर डाली। मगर यहां ट्रूडो के साथ बाइडेन भी आसानी से भूल जाते हैं कि अपने ही नागरिकों को बाहर निकालने सहित न्यायेतर हत्या का ‘विधान’ अमेरिका ने ही लिखा था। हो सकता है कि कानूनी तौर पर ट्रूडो को यह न पता हो कि सबूतों के अभाव में आरोप को अदालत में खारिज कर दिया जाएगा लेकिन अंग्जी रे साहित्य के एक छात्र के रूप में आरोप और सबूत का अंतर उन्हे अवश्य पता होगा। लेकिन फिर भी कनाडा के प्रधानामंत्री यह भूल रहे हैं कि आरोपों को लेकर 100 बार कही जाने वाली बात भी सुबूत तो नहीं बन सकती। इस पूरे प्रकरण को लेकर वरिष्ठ कनाडाई राजनेता तो यही कह रहे हैं कि निज्जर की हत्या पर उन्हें अभी तक इंटरनेट पर जो कुछ भी मिला है, उसके अलावा कुछ भी ठोस नहीं दिख रहा। अलबत्ता बल्कि लिबरल पार्टी के भीतर लड़खड़ाते नेतृत्व को सहारा देने और जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अगर कल चुनाव होते हैं तो जनता ट्रूडो को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देगी। ऐसे में ट्रूडो ने बाइडन की ‘घंटी’ बजाई। जबकि सच यह है कि अपने मुल्क की सियासी पिच पर बाइडेन के पांव भी लड़खड़ा रहे हैं। सत्ता में बने रहने की बेताब कोशिश में ट्रूडो भले ही खालिस्तानियों का साथ दे सकते हैं लेकिन भारत के साथ बैर करके बाइडेन को अगले चार साल के लिए ओवल ऑफिस मिल जाएगा इसमें संदेह है। जहां तक ट्रूडो की बात है तो वह इस मसले पर जितना बोलेंगे अपने लिए उतना ही गहरा गड्ढा खोदेंगे। उनका यह कहना कि जांच पूरी हो चुकी है लेकिन भारतीय सहयोग नहीं कर रहे हैं इस बात का सबूत है कि भविष्य की राजनीतिक पराजय से आशंकित एक बड़बोला राजनेता अपने ही कुचक्रों से बाहर निकलने का रास्ता खोज रहा है। और इस झमेले में ट्रूडो ने फाइव आइज में अपने गठबंधन सहयोगियों के लिए भी हालात कठिन और जटिल बना दिये हैं। अमेरिका के अपवाद के साथ उनमें से सभी स्पष्ट कारणों से बाहर रहने की कोशिश कर रहे हैं। भारत करीब 40 साल से कनाडा को खालिस्तानियों की सच्चाई और उनके आतंकी गठजोड़ के बारे में लगातार आगाह कर रहा है लेकिन दुर्भाग्य यह है कि बतौर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे से लेकर अब तक वहां की सत्ता अराजक तत्वों के साथ ही गलबहियां कर रही है। 38 साल पहले का कनिष्क विमान हादसा सियासी उदासीनता का ही त्रासद नतीजा था। उस हादसे में 329 लोगों की जान गई थी और उनमें से अधिकांश कनाडा के ही थे। तब से लेकर अब तक भारत यह बात साधिकार कह सकता है कि आतंकवाद को लेकर कनाडा का रुख नर्म है। भले ही वोटों की खातिर खुलेआम संरक्षण न हो। इन हालात में जस्टिन ट्रूडो को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की वह बात याद कर लेनी चाहिए जो उन्होंने 9/11 के बाद कही थी : यदि आप किसी आतंकवादी को खड़ा करते हैं तो आप भी आतंकवादी हैं और यदि आप किसी आतंकवादी को पनाह देते हैं तब भी आप आतंकवादी हैं। संपादकीय कनाडा में मैंने कई हिंदुओं से बात की है जो इन धमकियों के बाद भयभीत हैं। खालिस्तानी नेता कनाडा में हिंदू और सिख समुदायों को विभाजित करने के लिए उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। कनाडा में अधिकतर सिख खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते। - कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य हाल की घटनाओं ने मेरी कड़ी मेहनत को प्रभावित किया है। मैं अपने देश में अपने लोगों के सामने परफॉर्म करने के लिए बहुत उत्साहित था। भारत मेरा भी देश है। यह मेरे गुरुओं और मेरे पर्वजू ों की भूमि है। - पजं ाबी-कनाडाई गायक शुभनीत सिंह 12 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 यह दुर्भाग्य है और ऐसा लगता भी है कि गलतियों का पाठ जस्टिन ट्रूडो अपने पिता पियरे ट्रूडो की किताब से पढ़ रहे हैं। पियरे 1968 और 1984 के बीच 15 साल के लिए प्रधानमंत्री रहे। बस 1979 और 1980 के बीच एक छोटा ब्क था। रे


l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क रॉबिन्सविले, न्यू जर्सी में BAPS ने परम पावन महंत स्वामीजी महाराज का 90वां जन्मदिन उत्साह और भक्ति-भाव के साथ मनाया। 13 सितंबर को सैकड़ों भक्तगण इस दिव्य आत्मा की दीर्घायु की कामना के साथ एकत्र हुए और मानवता के लिए किये गये उनके योगदान पर मुग्ध होकर प्रेरित हुए। महंत स्वामीजी महाराज के जन्मदिन का यह महत्वपूर्ण उत्सव प्रेरणा महोत्सव के साथ मेल खाता है। प्रेरणा उत्सव की शुरुआत रॉबिन्सविले में BAPS स्वामीनारायण अक्षरधाम के उद्घाटन के साथ हुई। महंत स्वामीजी महाराज के हार्दिक पत्रों ने न केवल लोगों को सांत्वना दी बल्कि उनमें आध्यात्मिक उन्नति और सामूहिकता की भावना भी जाग्रत की। पूज्य योगानंददास स्वामी ने महंत स्वामी के सशक्त शब्दों पर जोर दिया जो अनगिनत आत्माओं के आध्यात्मिक और व्यक्तिगत विकास में सहायक रहे हैं। स्वामीजी महाराज के जन्मदिन के अवसर पर कई लोग आगे आए और बताया कि कैसे परम पावन के व्यक्तिगत पत्रों ने उनके जीवन को आकार दिया तथा उतार-चढ़ाव के दौरान मार्गदर्शन किया। लोगों ने बताया कि किस तरह स्वामीजी द्वारा लिखे गये प्रत्येक पत्र ने उन्हे सहारा देकर संकट के समय खड़ा किया। दूसरों की देखभाल के इस अद्भुत तरीके ने अनगिनत लोगों को शारीरिक और मानसिक राहत पहुंचाई है। विश्व नेताओं और आध्यात्मिक दिग्गजों ने वीडियो के माध्यम से महंत स्वामी महाराज के साथ अपने अनूठे अनुभव साझा किए। साइरस सबावाला ने स्पष्टता से कहा कि बिना बोले भी महंत स्वामी महाराज की दिव्य आभा बहुत कुछ कहती है। उनकी केवल एक झलक किसी को भी प्यार और भक्ति की भावना से भर सकती है। पूज्य आनंदस्वरूपदास स्वामी ने महंत स्वामी महाराज की अटूट विनम्रता का वर्णन करते हुए जोर दिया कि एक दैवीय इकाई के रूप में प्रतिष्ठित होने पर भी दूसरों की सेवा करने की उनकी भूमिका का क्या मोल है। उनका दर्शन हर किसी में सर्वोत्तम देखने में निहित है और उन्होंने अपने ज्ञान और शब्दों के माध्यम से कई लोगों का उत्थान किया है। इस अवसर पर महंत स्वामीजी महाराज ने अन्य वरिष्ठ स्वामियों पर भी ध्यान केंद्रित किया और बताया कि उन्हें इतना प्यार क्यों किया जाता है। अपने समापन आशीर्वाद में महंत स्वामीजी महाराज ने अपना दृष्टिकोण और समर्पण भाव साझा किया। BAPS ने भक्ति-भाव से मनाया स्वामीजी महाराज का 90वां जन्मदिन साइरस सबावाला ने स्पष्टता से कहा कि बिना बोले भी महंत स्वामी महाराज की दिव्य आभा बहुत कुछ कहती है। उनकी केवल एक झलक किसी को भी प्यार और भक्ति की भावना से भर सकती है। स्वामीजी महाराज के जन्मदिन पर लोगों ने भेजे शुभकामना पत्र। Image: BAPS आरती के समय भक्ति में डूबे लोग। Image: BAPS BAPS ने स्वामीजी महाराज का 90वां जन्मदिन और प्रेरणा उत्सव एक साथ मनाया। Image: BAPS अमेरिका और भारत ने इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन की उपलब्धता के लिए मिलाया हाथ l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका और भारत ने मिलकर नई दिल्ली में एक ऐसा तंत्र लॉन्च किया है जो देश भर के शहरों में 10,000 भारत-निर्मित इलक्ट्रिे क बसों की सविु धा प्रदान करेगा। यह कदमताल भारत के प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के दौरान पहली बार घोषित सयं ुक्त दृष्टिकोण को जमीन पर लेकर आएगी। इस अवसर पर भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि हम हर दिन वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट का प्रभाव देखते हैं। हमें इसका अभी जवाब देना होगा अन्यथा हम अपने ग्रह और अपने लोगों के भविष्य को खतरे में डाल देंगे। हालिया साझेदारी पूरे भारत में 10,000 इलक्ट्रिे क बसों के बेड़े के लिए वित्तपोषण जुटाएगी, भारत में इलक्ट्रिे क सार्वजनिक परिवहन के विकल्पों का विस्तार करेगी और स्वच्छ शहरों और स्वस्थ समुदायों का निर्माण करेगी। हाल ही में नई दिल्ली में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन ने इस बात पर जोर दिया कि सयं ुक्त राज्य अमेरिका और भारत सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन सहित स्थायी निवेश के माध्यम से जलवायु संकट से निपटने के लिए साझेदारी कर रहे हैं। भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच यह नई पहल दिखाती है कि कैसे सार्वजनिक और निजी भागीदार उत्सर्जन कम करने और विद्त ग यु तिशीलता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। इस नई साझेदारी के माध्यम से अमेरिकी सरकार, जिसमें यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) और जलवायु के लिए अमेरिकी विशेष राष्ट्रपति दूत का कार्यालय शामिल है, इलक्ट्रिे क बस वित्तपोषण में तेजी लाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के साथ साझेदारी करेगी। इसमें भारत के भारी उद्योग मंत्रालय और भागीदार कन्वर्सजें एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड ग्लोबल एनर्जी एलायसं फॉर पीपल एंड प्लैनेट और सिकोइया फाउंडेशन जैसे निजी परोपकारी संगठनों के साथ सहयोग करेंगे। इस परियोजना का एक प्रमुख घटक एक नया भुगतान सुरक्षा तंत्र (PSM) होगा जो वित्तीय जोखिमों को कम करके नए और अधिक टिकाऊ निवेश को गति देगा। ऋणदाताओं के लिए जोखिम को कम करके PSM ऋण की शर्तों में सुधार करता है और वित्तपोषण लागत को कम करता है। इससे परियोजना के सुचारू कार्यान्वयन में सविु धा होती है। अंततः, यह साझेदारी विद्त ग यु तिशीलता के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक नया मॉडल स्थापित करेगी। इस अवसर पर भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि हम हर दिन वैश्विक स्तर पर जलवायु संकट का प्रभाव देखते हैं। हमें इसका अभी जवाब देना होगा अन्यथा हम अपने ग्रह और अपने लोगों के भविष्य को खतरे में डाल देंगे। बाइडेन-मोदी संयुक्त घोषणा पत्र पर काम शुरू। demo Photo by CHUTTERSNAP / Unsplash भारत में अमेरिका के राजदत एर ू िक गार्सेटी। Image: social media न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 13


14 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 Watch the LIVE webcast on usa.akshardham.org Sunday, October 8, 2023 4:45 pm – 8:00 pm ET NOTE: The Akshardham Campus will be closed to all visitors from Sept 30 to Oct 17. (please check website for updates) Open to visitors from October 18th onwards.


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 15 l विशेष संवाददाता अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार भारतीय मूल की निक्की हेली वर्ष 2024 के व्हाइट हाउस चुनाव को देसी अंदाज में पेश करने के लिए अपनी विरोधी भारतीय-अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को चुन रही हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हेली मतदाताओं को आगाह कर रही हैं कि 2024 का चुनाव यह सनिश्चि ु त करने के लिए है कि डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बाइडन की साथी कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के लिए पीछे के दरवाजे से न फिसल जाएं। स्थानीय मीडिया में छपी खबर के मुताबिक हेली सोशल मीडिया और टेलीविजन पर चेतावनी दे रही हैं कि बाइडेन (80) चार साल का दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। वह ऑफिस की चाबी हैरिस को सौंप देंगे। हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में निक्की ने कहा था कि मैं बाइडेन के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ रही हूं। मैं कमला हैरिस के खिलाफ चुनाव लड़ रही हूं। उन्होंने कहा कि हम कमला हैरिस को राष्ट्रपति बनाने जा रहे हैं, यह विचार अकल्पनीय है। हेली इस व्यापक तर्क पर जोर दे रही हैं कि वह आम चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तुलना में अधिक सशक्त हैं, जिन्हें उन्होंने अमेरिका में सबसे नापसंद राजनेता करार दिया था। उनके तर्क के अनुसार बाइडन या ट्रंप के लिए वोट हैरिस के लिए एक वोट है, जिन्होंने हाल के इतिहास में किसी भी उपराष्ट्रपति की सबसे कम रेटिंग हासिल की है। दरअसल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तमाम तरह की अटकलें और चर्चा का दौर जारी हैं। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या बाइडेन को अपने अभियान रोक देना चाहिए? क्या हैरिस उनकी जगह लेने के लिए तैयार हैं? हैरिस ने हाल ही में एक साक्षात्कार में तमाम आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। उन्हें हमला करने की जरूरत महससू होती है क्योंकि उन्हें डर है कि बाइडन, मैंने और हमारे प्रशासन ने जो काम किया है, उसकी योग्यता के आधार पर हम जीतेंगे। वहीं, विश्लेषकों का हैरिस के बारे में कहना है कि 2024 की दौड़ बनाने के प्रयासों से दाल नहीं गलेगी, क्योंकि मतदाता उम्मीदवार के साथी के आधार पर वोट नहीं डालते हैं। ट्रंप के कार्यकाल में सयं ुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत के तौर पर राष्ट्रपति के मंत्रिमंडल में काम करने वाली पहली भारतीय अमेरिकी हेली इस सिद्धांत का परीक्षण करने जा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हैरिस मतदाताओं को बता रही हैं कि 2024 के चुनाव में उपराष्ट्रपति पिछले वर्षों की तुलना में अधिक मायने रखता है। हैरिस के राष्ट्रपति पद संभालने का विचार एक वास्तविक खतरा है। जानकारों का कहना है कि अब राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन पार्टी के कुछ अन्य दावेदारों ने हैरिस को मुख्य निशाने पर लाने में हेली की अगुवाई का अनुसरण करना शुरू कर दिया है। अपने विज्ञापनों में उपराष्ट्रपति के चेहरे की तस्वीरें लगा रखी हैं और उम्मीदवार धन जुटाने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। वकालत समूह ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट’ के पूर्व अध्यक्ष नील मखीजा का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर मजबूती से झुकाव रखने वाले भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं के लिए अपनी जातीय विरासत के दो प्रभावशाली नेताओं को एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते देखना मनोरंजक है। उनका कहना है कि कुछ मायनों में यह आकर्षक है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवार भारतीय मल की ू निक्की हेली। फोटो: @NikkiHaley अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस। फोटो : @MadamVPOTUSVPOTUS निक्की हेली सोशल मीडिया और टेलीविजन पर चेतावनी दे रही हैं कि बाइडन (80) चार साल का दूसरा कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे। वह ऑफिस की चाबी हैरिस को सौंप देंगे। हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में निक्की ने कहा था कि मैं बाइडन के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ रही हूं। मैं कमला हैरिस के खिलाफ चुनाव लड़ रही हूं। निक्की निक्की के प्रचार का के प्रचार का ददेसी अंददाज, कमला हैर कमला हैरििस इसलिलिए हैं निनिशाने पर शाने पर पेज 1 का शेष मैसाचुसट्से के एक उपनगर में पली-बढ़ी देसाई का कहना है कि मासिक धर्म समानता के क्षेत्र में उनकी एंट्री अप्रत्याशित रूप से हुई। भारत में एक बार स्वास्थ्य एवं आजीविका अभियान के दौरान वह और उनकी टीम गांव में कुछ लोगों से बातचीत कर रही थीं। स्कूल जाने वाली लड़कियों को घर में देखकर उन्होंने लोगों से पूछा कि ये स्कूल क्यों नहीं जा रही हैं? जवाब मिला- ...क्योंकि वहां कोई वॉशरूम नहीं है। देसाई को पता था कि यह असामान्य बात नहीं है। उस समय उन्हें एहसास हुआ कि स्थिति कितनी गंभीर है। उसके बाद उन्होंने एक आंकड़ा पढ़ा जिसमें कहा गया था कि भारत में 71% लड़कियों को पीरियड आने से पहले यह पता ही नहीं होता कि ये क्या होता है। भारतीयअमेरिकी देसाई ने कहा कि शुरू में तो मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन कुछ लोगों से पुष्टि करने के बाद यह सच निकला। देसाई के लिए यह चौंकाने वाला था क्योंकि एक प्रगतिशील परिवार में परवरिश होने के बावजूद, वह भी मासिक धर्म के कलंक से जूझ रही थीं। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि जब मुझे पीरियड आते थे, तब मुझे मंदिर जाने या पूजा करने की अनुमति नहीं होती थी। मुझे यह समझने में मुश्किल हुई कि ऐसा क्यों है। इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि अगर मेरे जैसी सशक्त और आधुनिक लड़की को इस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है तो भारत के आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं व युवा लड़कियों के साथ कैसा होता होगा जो चुप्पी, शर्म, भेदभाव और जागरूकता की कमी की शिकार हैं? इस विचार ने देसाई को मासिक धर्मसे जुड़ी वर्जनाओं को दूर करने और इसका समाधान तैयार करने के लिए प्रेरित किया। वह समझ गईं कि इन चुनौतियों का हल करने से कई युवा लड़कियों का जीवन बदला जा सकता है। वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद देसाई फाउंडेशन आज भारत में सबसे व्यापक मासिक धर्म समानता कार्यक्रमों में से एक को चला रहा है। यह कार्यक्रम चार-आयामी स्तंभों पर आधारित है- पहला मासिक धर्म स्वास्थ्य पर शिक्षा, दूसरा कलंक से आजादी, तीसरा स्वीकार्यता व पहुंच और चौथा आसनी नाम के सनिै टरी नैपकिन पैड का उत्पादन। मेघा देसाई के नेतृत्व में संगठन ने 50 लाख से अधिक जिंदगियों को प्रभावित किया है। उनका अभियान गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और कर्नाटक तक फैला है। मासिक धर्मसमानता से परे देसाई फाउंडेशन स्वास्थ्य एवं आजीविका पर भी ध्यान केंद्रित करता है। वह नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करता है। सिलाई, ब्यूटीशियन, अंग्जी भा रे षा व कंप्यूटर कौशल में व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है। उद्यमिता सिखाता है। देसाई कहती हैं कि हम महिलाओं को आय बढ़ाने के लिए उनके कौशल का इस्तेमाल करने के लिए सशक्त बनाते हैं। देसाई फाउंडेशन के सफर का एक विशिष्ट पहलू इसकी तरक्की का तरीका है। वह पहले से तय पारंपरिक विस्तार नीति को नहीं अपनाता। देसाई फाउंडेशन को जब पहली बार स्थापित किया गया था तब इसका प्राथमिक उद्श्य स दे ्वास्थ्य, आजीविका व दक्षिण एशियाई संस्कृति को बढ़ावा देना था। 2010 में मेघा देसाई फाउंडेशन में शामिल हुईं। उनके नेतृत्व में फाउंडेशन के मिशन, दृष्टिकोण, संचालन और पहुंच में बदलाव आए। उसने स्वास्थ्य, आजीविका व मासिक धर्म समानता पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक गतिशील सार्वजनिक संगठन का रूप लिया। आज फाउंडेशन अपने मुख्य कार्यक्षेत्र को लेकर प्रतिबद्ध है, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य व पर्यावरणीय तैयारी जैसे क्षेत्रों में भी प्रयास कर रहा है। उल्लेखनीय बदलाव लाने के बावजूद देसाई खुद को एक पारंपरिक परोपकारी के रूप में नहीं देखती हैं। वह खुद को गैर-लाभकारी क्षेत्र में काम करने वाला इंसान मानती हैं। वह कार्यक्रमों को लागू करने के लिए अमेरिका और भारत में कई दानदाताओं और परोपकारियों से सहयोग लेना पसंद करती हैं। उद्यमिता और परोपकार को संतुलित करने के बारे में वह कहती हैं कि यह सच है कि मैंने एक बार एक कंपनी चलाई थी लेकिन देसाई फाउंडेशन पर अपनी सारी ऊर्जा केंद्रित करने के लिए मैंने उसे छोड़ दिया। मैं समस्या की पहचान करके उसके संभावित समाधान के जरिए परोपकार और उद्यमिता को संतुलित करती हूं। यही कारण है कि देसाई फाउंडेशन में हम बहुत से प्रयोग करते हैं और अलग अलग पृष्ठभूमि के लोगों को काम पर रखते हैं। देसाई ने विज्ञापन उद्योग में भी लगभग 13 साल बिताए हैं। उन्होंने कोलबियं ा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में बीए किया है। प्रतिष्ठित स्टैनफोर्डबिजनेस स्कूल से सामाजिक उद्यमिता में एक्जिक्यूटिव प्रोग्राम किया है। वह गायन भी करती हैं। उन्होंने संगीत उद्योग की कई चर्चित हस्तियों के साथ परफॉरमेंस दी है। बचपन से संगीत ने देसाई के जीवन में अहम भूमिका निभाई है। इसने उन्हें सांस्कृतिक अंतर को पाटने और अपनी पैतृक जड़ों से जुड रहने ़े में मदद की है। बड़े होने पर उन्होंने महससू किया कि दक्षिण एशियाई प्रवासी खासकर युवा पीढ़ी के लिए, सांस्कृतिक समझ और प्रशंसा के बीच दूरी लगातार बढ़ रही है। उससे उन्हें संगीत के प्रति अपने प्यार को गहराई तक ले जाने के लिए प्रेरित किया। देसाई फाउंडेशन हर साल ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करता है जो दक्षिण एशियाई समुदाय को उनकी संस्कृतियों से जोड़ता है। हडसन पर दिवाली न्यूयॉर्क शहर का सबसे लंबे समय तक चलने वाला भव्य दिवाली त्योहार है। संगीत, नृत्य और स्वादिष्ट भोजन के साथ से यह उत्सव दक्षिण एशियाई और अन्य समुदायों को भारतीय संस्कृति का अनुभव कराता है। देसाई गर्व से कहती हैं कि इसमें हिस्सा लेने वाले लगभग 40 प्रतिशत लोग गैर-दक्षिण एशियाई होते हैं जो न्यूयॉर्क में भारत को महससू करना चाहते हैं। मेघा के अभियान की हिलेरी क्लटन िं जैसी हस्तियां भी तारीफ कर चुकी हैं। ‘कलंक’ को बनाया ताकत...


16 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 l त्रिभुवन शर्मा भारत की राजनीति के इतिहास में 19 सितंबर 2023 का दिन विशेष हो गया है। भारत की पुरानी ससं द से ससं दीय कार्यवाही आज पूर्ण रूप से नई ससं द में स्थानांतरित हो गई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत आज सभी सांसद पुरानी ससं द से पैदल चलकर नई ससं द में पहुंचे और आज की कार्यवाही शुरू की गई। इस ऐतिहासिक दिन को यादगार बनाने के लिए पुरानी ससं द के सेंट्रल हॉल में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण दिया। मोदी अपने भाषण के खत्म होने के तुरंत बाद सभी सांसदों के साथ वह नई इमारत की ओर चल दिए। यहां नए ससं द भवन के उद्घाटन के दिन सभी सांसदों को एक उपहार बैग मिला, जिसमें सविं धान की एक प्रति, ससं द से संबंधित किताबें, एक स्मारक सिक्का और एक टिकट था। नए ससं द भवन में शिफ्ट होने से दोनों सदनों के ससं द कर्मचारियों की वर्दी भी बदल गई। इनमें चैंबर अटेंडेंट, अधिकारी, सुरक्षाकर्मी, ड्राइवर और मार्शल शामिल हैं जो विशेष सत्र के दौरान नई वर्दी पहने नजर आए। भारत की नई ससं द में लोकसभा और राज्यसभा भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने ससं द भवन का नाम सविं धान सदन रखने का सुझाव दिया। मोदी ने कहा कि जिस भवन में पिछले 75 वर्षों से ससं द सत्र आयोजित होते रहे हैं उसे केवल पुरानी इमारत कहकर इसकी गरिमा कम नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इमारत को ‘सविं धान सदन’ के रूप में संदर्भित करना उन नेताओं को श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने ससं द में इतिहास बनाया। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य की पीढ़ियों को यह उपहार देने का अवसर नहीं छोड़ना चाहिए। नई ससं द में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि यह भवन 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को दर्शाता है। मोदी ने कहा कि नई इमारत एक नई शुरुआत का प्रतीक है और यह भारतीय लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं में नई ऊर्जा और विश्वास पैदा करेगी। मोदी ने अपने भाषण में चंद्रयान-3 और भारत की अध्यक्षता में जी20 के असाधारण आयोजन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये उपलब्धियां हर भारतीय के लिए गर्व का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि नया ससं द भवन आधुनिक भारत और प्राचीन लोकतंत्र का प्रतीक है। मोदी अपने भाषण के खत्म होने के तुरंत बाद सभी सांसदों के साथ नई इमारत की ओर चल दिए। भारत की राजनीति के इतिहास में 19 सितंबर 2023 का दिन विशेष हो गया है। भारत की पुरानी संसद से संसदीय कार्यवाही आज पर्ण ू रूप से नई संसद में स्थानांतरित हो गई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत आज सभी सांसद पुरानी संसद से पैदल चलकर नई संसद में पहुंचे और आज की कार्यवाही शुरू की गई। अमृता शेरगिल की पेंटिंग ने बनाया विश्व कीर्तिमान, कीमत जान दंग रह जाएंगे l विशेष संवाददाता 20वीं सदी की शुरुआत की सबसे महान महिला कलाकारों में से एक और आधुनिक भारतीय कला में अग्रणी कही जाने वाली अमृता शेरगिल की 1937 की कृति द स्टोरी टेलर 16 सितंबर को 61.8 करोड़ रुपये (7.4 मिलियन डॉलर) में बिकी। यह किसी भारतीय कलाकार द्वारा हासिल की गई सबसे अधिक कीमत का विश्व रिकॉर्ड है। अमृता का 1941 में 28 महज 28 साल की आयु में निधन हो गया था। विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने वाली पेंटिंग का शीर्षक द स्टोरी टेलर (1937) है। यह पहाड़ी और पेरिस के प्रभावों को एक विशिष्ट कलात्मक भाषा में विलय करता है। यह उन कुछ कार्यों में से एक होने के लिए भी महत्वपूर्ण है जिन्हें उन्होंने चित्रित किया था। यह पेंटिंग गायों के साथ अपने घर के बाहर आराम कर रही महिलाओं के एक समूह को चित्रित करता है। पेंटिंग में एक महिला पान खा रही है, दूसरी हाथ का पंखा लहरा रही है, जबकि अन्य बातें कर रही हैं। आलोचक यशोधरा डालमिया ने कलाकार की जीवनी में लिखा है कि शेरगिल के काम में महिलाओं को कैनवास की परिधि में नहीं धकेला जाता है। उनकी चित्रकारी ऐसी थी जिनमें महिलाओं के सार को व्यक्त किया जा सकता था। बता दें कि 10 दिन पहले सयै द हैदर रजा की पेंटिंग ‘गर्भ’ पुंडोले नीलामी घर में 51.7 करोड़ रुपये में बिकी थी। इस तरह रजा कलाकृति अब दूसरी सबसे महंगी भारतीय कलाकृति बन गई है, जबकि अमूर्त वासुदेव एस गायतोंडे की कलाकृति 2020 में 32 करोड़ रुपये में बिकी थी। तमाम भारतीय कलाकारों के बीच अमृता शेरगिल शीर्ष पर हैं। लंबे समय तक वह भारत की सफल महिला कलाकार बनी रहीं। उनका काम पुरुष-प्रधान प्रगतिशील समूह के अधिकांश सदस्यों को कहीं बहुत पीछे छोड़ देता है। मार्च 2006 में शेरगिल की ‘विलेज ग्प’ रु (1938) 6.9 करोड़ रुपये में बेचा गया था, जो उस समय एक रिकॉर्ड था। यह महिलाओं के एक समूह का एक उदास चित्र था। 1913 में बुडापेस्ट में एक सिख पिता और एक हंगेरियन मां के घर जन्मी अमृता यूरोप और भारत के बीच की सेतु थीं। उन्होंने कुलीन इकोले डेस बीक्स आर्ट्स में अध्ययन किया, जहां वह पेंटिंग के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली एशियाई बनीं। अपने पेरिस के छात्र दिनों में उन्होंने कुछ नग्न चित्रकारी की थी। यह उनकी सहजतता और आत्मविश्वास को दर्शाता था। वह 25 साल की उम्र में भारत आ गईं। उस वक्त उन्होंने कहा था कि यूरोप पिकासो, मैटिस, ब्क और कई अन्य रै लोगों का है। भारत केवल मेरा है। 1934 में अपने माता-पिता को लिखे एक पत्र में वह लिखती हैं कि यूरोप में हमारे लंबे प्रवास ने मुझे भारत की खोज करने में मदद की है। अजंता का एक भित्तिचित्र या मूसी गुइमेट में मूर्तिकला का एक छोटा सा टुकड़ा पुनर्जागरण से अधिक मूल्यवान है। यह नीलामी सैफ्रोनआर्ट की इवनिंग सले : मॉडर्न आर्ट का हिस्सा था, जिसमें एस.एच. रज़ा, अकबर पदमसी, एम.एफ. हुसैन, एफ.एन. सूजा और वी.एस. गायतोंडे सहित प्रमुख कलाकारों की 70 महत्वपूर्ण कलाकृतियां शामिल थीं। सैफ्रोनआर्ट के सीईओ और सह-संस्थापक दिनेश वजीरानी ने कहा कि रिकॉर्ड कीमत कलाकार के अपार कौशल और स्थायी विरासत का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि इस नीलामी के साथ वह शेरगिल के लिए एक नया बेंचमार्क बनाने में भूमिका निभाने के लिए सम्मानित महससू कर रहे हैं। अमृता शेरगिल की 1937 की कृति द स्टोरी टेलर 16 सितंबर को 61.8 करोड़ रुपये (7.4 मिलियन डॉलर) में बिकी। यह किसी भारतीय कलाकार द्वारा हासिल की गई सबसे अधिक कीमत का विश्व रिकॉर्ड है। पेंटिंग में एक महिला पान खा रही है, दूसरी हाथ का पंखा लहरा रही है, जबकि अन्य बातें कर रही हैं। ‘संविधान सदन’ के नाम से जानी जाएगी भारत की पुरानी संसद विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने वाली इस पेंटिंग का शीर्षक द स्टोरी टेलर (1937) है। फोटो : @Saffronart


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 17 l भावना पी अमेरिका में फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS) ने भारतीय अमेरिकी हाई स्लकू ी छात्रों के लिए समर कोहोर्ट इंटर्नशिप कार्यक्रम के सफल समापन की घोषणा की है। मध्य जून से लेकर अगस्त के अंत तक 12 सप्ताह तक चले इस कार्यक्रम के दौरान स्कूली छात्रों को नागरिक एवं सामुदायिक जुड़ाव के क्षेत्र में नेतृत्व कौशल को समृद्ध करने का असाधारण अवसर मिला। समापन समारोह के मुख्य अतिथि मिशिगन से चंद्रू आचार्य ने कहा कि भारतीय अमेरिकियों का समाज में बदलाव लाने के लिए पैरोकारी, नागरिक जुड़ाव और सार्वजनिक नीति में भागीदारी देना महत्वपूर्ण है। आचार्य अंतरधार्मिक संवादों को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने और आप्रवासी समुदायों व शरणार्थियों की समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय रहते हैं। इस अवसर पर एफआईआईडीएस के अध्यक्ष खांडेराव कांड ने समाजिक मामलों में भारतीय अमेरिकियों पर नीतियों के प्रभाव के बारे में चर्चा करते हुए नीतिगत जागरूकता और नागरिक जुड़ाव का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि एफआईआईडीएस अगली पीढ़ी को ज्ञान, कौशल और जिम्मेदारी की भावना के साथ सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। इस इंटर्नशिप कार्यक्रम को एक दर्जन से अधिक सलाहकारों के सहयोग से प्रांजलि दानी और प्रसाद कोरान ने कुशलतापूर्वक समन्वित किया। वक्ताओं में मिशिगन से पूर्व विधायक पद्मा कुप्पा, फ्मोंट रे सिटी के उप महापौर राज सालवान, राजनीतिक विश्लेषक योगी चुग, लैरी क्लेन आदि शामिल थे। संरक्षक समीर रावल ने कार्यक्रम को एक शानदार अनुभव बताते हुए प्रतिभागियों पर इसके रचनात्मक और सकारात्मक प्रभाव के लिए एफआईआईडीएस की तारीफ की। मिशिगन से पहली बार मेंटर बनीं दीपा बैंड ने अमेरिका- भारत संबंधों के महत्व की सराहना की। कोहार्ट इंटर्नशिप के जरिए FIIDS ने प्रवासी छात्रों को दी नई दिशा मध्य जून से लेकर अगस्त के अंत तक 12 सप्ताह तक चले इस कार्यक्रम के दौरान स्कूली छात्रों को नागरिक एवं सामुदायिक जड़ाु व के क्षेत्र में नेतृत्व कौशल को समृद्ध करने का असाधारण अवसर मिला। भारत-चीन संबंध निचले स्तर पर, एक साल से दतावास में रा ू जदत नहीं ू l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत में पिछले करीब एक साल से चीन का कोई राजदूत नहीं है। वर्ष 1976 में राजदूत की नियक्तिु के बाद यह पहला मौका है, जब इतने लंबे समय तक भारत स्थित चीनी दूतावास राजदूत के बिना चल रहा है। सीमा विवाद के बीच यह स्थिति दोनों देशों के संबंधों में गिरावट को दर्शाती है। मीडिया रिपोर्ट्स में मामले के परिचित लोगों के हवाले से कहा गया है कि चीनी पक्ष ने अभी तक दिल्ली दूतावास में नए राजदूत की नियक्तिु के लिए औपचारिक समझौते का अनुरोध नहीं किया है। हाल में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जापान और अमेरिका में नए दूत नियुक्त किए हैं लेकिन भारत को लेकर चुप्पी साध रखी है। चीन की तरफ से भारत में पिछले आखिरी राजदूत सन वेइदॉन्ग थे जिनका कार्यकाल पिछले साल 26 अक्टूबर को पूरा हो गया था। उन्हें उप विदेश मंत्री बनाया जा चुका है। आखिरी बार भारत में चीनी राजदूत की नियक्तिु में एक वर्ष या उससे अधिक का अंतराल 1976 में हुआ था। 1962 के सीमा युद्ध और 1976 में संबंधों के सामान्य होने के बीच दूतावास का नेतृत्व या तो चार्ज डी’एफ़ेयर के जिम्मे था या फिर प्रथम सचिव कामकाज देखते थे। वर्ष 2020 में लद्दाख सीमा पर टकराव के बाद से भारत और चीन के रिश्तों में कड़वाहट है। द्विपक्षीय संबंध 1962 के युद्ध के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं। दोनों पक्षों की तरफ से लद्दाख सेक्टर में लगभग 60,000 सनिै क तैनात हैं। भारत का स्पष्ट रुख है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल नहीं होती, संबंध सामान्य नहीं हो सकते। चीन की तरफ से भारत में पिछले आखिरी राजदूत सन वेइदॉन्ग थे जिनका कार्यकाल पिछले साल 26 अक्टूबर को पूरा हो गया था। उन्हें उप विदेश मंत्री बनाया जा चुका है। सांकेतिक तस्वीर Photo by Jaime Lopes / Unsplash लद्दाख में टकराव के बाद से भारत चीन संबंधों में तल्खी बनी हुई है।


18 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023


न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 19 प्रिय पाठकगण कुछ कहना चाहते है? न्यू इंडिया अब्रॉड आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रेरणादायी है। वेबसाइट/ई-पेपर में प्रकाशित होने वाले समाचार, कॉलम और विचार या भारतीय प्रवासियों से संबंधित किसी भी मुद् पर आपकी राय या आ दे लोचना। हम सभी का स्वागत करते हैं। अपने विचार भेजें, हम उसे अवश्य प्रकाशित करेंगे। संपादक के नाम पत्र लिखें l विशेष संवाददाता अमेरिका में इलिनोइस के डेमोक्रेट सांसद राजा कृष्णमूर्ति को 2023 रूजवेल्ट लीडरशिप अवॉर्डसे सम्मानित किया गया है। इस कार्यक्रम का आयोजन फ्करैं लिन सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी एक्सचेंज और रिपन सोसाइटी ने शनिवार को आयोजित किया था। रूजवेल्ट लीडरशिप अवार्ड, राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट की विरासत से प्रेरित उन नेताओं को दिया जाता है जो अमेरिका के 26 वें राष्ट्रपति की याद दिलाने वाले गुणों और विशेषताओं का उदाहरण देते हैं। कृष्णमूर्ति का कहना है कि मैं इस सम्मान के लिए फ्करैं लिन सेंटर और रिपन सोसाइटी का आभारी हूं। साथ ही हमारे राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों दलों के सदस्यों को एक साथ लाने के लिए काम करने की उनकी निरंतर प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में हमेशा विभाजन रहा है, लेकिन हम सभी अमेरिकियों के रूप में अपने साझा मूल्यों से एकजुट हैं। यह आज भी उतना ही सच है जितना कि हमारे पूरे इतिहास में रहा है कि स्थायी प्रगति प्राप्त करने का एकमात्र तरीका एक साथ काम करना है। भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के साथ कांग्रेस के उनके तीन सहयोगियों अमेरिकी प्रतिनिधि जॉयस बीट्टी (डी-ओएच), एड्रियन स्मिथ (आर-एनई) और केली आर्मस्ट्रांग (आर-एनडी) को भी सार्वजनिक सेवा के प्रति उनके असाधारण समर्पण के लिए रूजवेल्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को मान्यता देता है जो देश के लिए कर्तव्य, प्यार और सेवा की एक मजबूत भावना प्रदर्शित करते हैं। जो पार्टी लाइन और व्यक्तिगत क्रेडिट से परे अमेरिकी लोगों के सर्वोत्तम हितों में काम करने की प्रतिबद्धता पर जोर देते हैं। फ्रैंकलिन सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी एक्सचेंज अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों, अंतरराष्ट्रीय सांसदों, राजनयिक कोर, विदेशी अधिकारियों, निजी क्षेत्र के प्रतिनिधियों, विद्वानों और अन्य सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों के बीच सहयोग के लिए एक मंच के रूप में काम करता है। सम्मेलनों और कार्यक्रमों की मेजबानी करके प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय दृष्टि रखने वाले के नेताओं के विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। फ्रैंकलिन सेंटर प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर सचिू त और निष्पक्ष चर्चा की सविु धा प्रदान करता है। इसके अलावा 1962 में स्थापित रिपन सोसाइटी एक सार्वजनिक नीति संगठन है जिसका नाम उस शहर के नाम पर रखा गया है जहां रिपब्लिकन पार्टी की स्थापना 1854 में हुई थी, रिपन, विस्कॉन्सिन। फ्करैं लिन सेंटर फॉर ग्लोबल पॉलिसी एक्सचेंज एक गैर-पक्षपातपूर्ण, गैर-लाभकारी संगठन है जो वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मामलों की गहरी समझ को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। रूजवेल्ट की विरासत के सम्मान में भारतीय मूल के सांसद भी सम्मानित इन चार अमेरिकी सांसदों को 2023 रूजवेल्ट लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। फोटो: @ITVGold सांसद राजा कृष्णमूर्ति रूजवेल्ट लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित। फोटो : @CongressmanRaja भारतीय मूल के डेमोक्रेट सांसद राजा कृष्णमूर्ति को शनिवार को 2023 रूजवेल्ट लीडरशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को मान्यता देता है जो देश के लिए कर्तव्य, प्यार और सेवा की एक मजबूत भावना प्रदर्शित करते हैं। जो जनता के हित में हर पर्वाग्रू ह से परे होकर काम करते हैं।


20 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 l विशेष संवाददाता भारत की IT राजधानी बेंगलुरु आवासीय रियल एस्टेट में NRI निवेशकों के लिए प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभरी है। रियल एस्टेट उद्योग के पंडितों का दावा है कि वर्ष 2023 NRI निवेश के लिहाज से उल्लेखनीय साबित होने जा रहा है। जानकारों का कहना है कि कई ढांचागत बुनियादी परियोजनाएं, शहर में उभरते नए IT गलियारे और शांति के साथ ही कानून-व्यवस्था अनुकूल स्थितियां इस चलन का प्रमुख कारण हैं। शहर को लेकर महानगरीय दृष्टिकोण भी इस प्रवृत्ति का एक आधार बन रहा है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका के अलावा सिंगापुर जैसे एशियाई क्षेत्रों से साथ ही मध्य पूर्व के NRI भी बेंगलुरु के आवासीय रियल एस्टेट में भारी निवेश कर रहे हैं। यह चलन इसलिए भी जोर पकड़ रहा है क्योंकि मध्य पूर्व और सिंगापुर के NRI भारत वापस आकर यहीं बसना चाहते हैं। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश के लिए पसंदीदा स्थान हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक BCD समूह के MD अंगद बेदी कहते हैं कि जिस तरह से हम भारत और विशेष रूप से बेंगलुरु में NRI निवेश में वृद्धि देख रहे हैं उसके चलते यह साल अच्छी- खासी निवेश वृद्धि दर्ज करने वाला है। उम्मीद है कि इस वर्ष यह निवेश आश्चर्यजनक रूप से 80 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा जबकि पिछले साल यह 65 बिलियन डॉलर था। यह वृद्धि शानदार है। बकौल अंगद इसका पहला कारण तो यही है कि भारत की अर्थव्यवस्था सतत गति से आगे बढ़ रही है। इस वजह से NRI यहां पर निवेश के उर्वर अवसर देख रहे हैँ। दूसरे, भारत सरकार ने अनिवासियों के निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई अनुकूल कदम उठाये हैं। प्रोत्साहनों की आकर्षक श्रृंखला के साथ ही निवेश-अनुकूल वातावरण इस चलन को बढ़ावा दे रहा है। र्नरस्टोन ग्प के CEO कैप रु ्टन के. श्रीनिवास ने बताया कि देश की वास्तविक GDP वृद्धि में मार्च 2023 तक 6.1 प्रतिशत की सालाना वृद्धि देखी गई और वित्त वर्ष 2024 तक यह दर 6.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। यह आर्थिक लचीलापन अनिवासी भारतीयों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य की आशा के लिए अनुकूल स्थिति बना रहा है जहां वे न केवल अपने निवेश को कई गुना बढ़ा सकते हैं बल्कि दीर्घकालिक मूल्य प्रशंसा भी हासिल कर सकते हैं। NRI के लिए प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है बेंगलुरु जानकारों का कहना है कि कई ढांचागत बनियु ादी परियोजनाएं, शहर में उभरते नए IT गलियारे और शांति के साथ ही कानून-व्यवस्था अनुकूल स्थितियां इस चलन का प्रमुख कारण हैं। भारतवंशी निहार मालवीय बने पैंगुइन रेंडम हाउस के स्थायी सीईओ l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय मूल के निहार मालवीय को पेंगुइन रेंडम हाउस का स्थायी सीईओ नामित किया गया है। करीब नौ महीने पहले उन्हें अंतरिम सीईओ बनाकर जिम्मेदारी दी गई थी। निहार मालवीय ने मार्कस डोहले के पद छोड़ने के बाद यह जिम्मेदारी संभाली थी। मार्कस ने फेडरल कोर्ट के उस फैसले के बाद सीईओ पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था, जिसके तहत अदालत ने साइमन एंड शूस्टर के साथ पेंगुइन रैंडम हाउस के विलय के प्रयासों को खारिज कर दिया था। मार्कस इस डील की काफी पैरवी कर रहे थे। इससे पहले मालवीय 2014 से अमेरिका में आपूर्ति श्रृंखला से लेकर प्रौद्योगिकी, डेटा और ग्राहक सेवाओं तक सभी प्रकाशन कार्यों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह पेंगुइन रैंडम हाउस की वैश्विक कार्यकारी समिति के सदस्य भी रहे हैं। निहार मालवीय ने 2001 में बर्टेल्समैन एंटरप्रेन्योर्स प्रोग्राम में एक प्रतिभागी के रूप में अपना करियर शुरू किया था। 2003 में वह रैंडम हाउस में चले गए और सफलतापूर्वक कई नेतृत्वकारी पदों पर काम किया। निहार मालवीय को उल्लेखनीय रणनीति बनाने और उसे लागू करने के लिए बर्टेल्समैन एंटरप्रेन्योर अवार्डसे दो बार सम्मानित किया जा चुका है। निहार ने एनवाईयू स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस से फाइनेंस और मार्केटिंग में एमबीए किया है। इसके अलावा कंप्यूटर साइंस में बैचलर डिग्री ली है। निहार मालवीय ने 2001 में बर्टेल्समैन एंटरप्रेन्योर्सप्रोग्राम में एक प्रतिभागी के रूप में अपना करियर शुरू किया था। 2003 में वह रैंडम हाउस में चले गए और सफलतापर्व ूक कई नेतृत्वकारी पदों पर काम किया। भारत की IT राजधानी के रूप में विख्यात है यह शहर। Demo Photo by satyaprakash kumawat / Unsplash लद्दाख में टकराव के बाद से भारत चीन संबंधों में तल्खी बनी हुई है।


classified [email protected] Book Your न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 21 खुशखबरीः अमेरिका ने भारतीयों यों के लिलिए इस ददेश में खोली स्पेशल वीजा विंडो l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत में अमेरिकी बी1 (बिजनेस) और बी2 (पर्यटक) वीजा साक्षात्कार के लिए लंबे इंतजार की समस्या को देखते हुए फ्रैंकफर्ट में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने विशेष कदम उठाया है। फ्रैंकफर्ट कॉन्सुलेट ने भारतीय आवेदकों के लिए अपने यहां विशिष्ट साक्षात्कार अपॉइटमेंट निर्धारित किए हैं। अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट के अनुसार भारत में बी1/बी2 वीज़ा साक्षात्कार नियक्तिय ु ों के लिए प्रतीक्षा समय चौंका देने वाली अवधि तक पहुंच गया है। हैदराबाद में यह 441 दिन, चेन्नई में 486 दिन, दिल्ली में 526 दिन है जबकि मुंबई में 571 दिन और कोलकाता में 607 दिन हो चुका है। इसके विपरीत फ्कफरैं र्ट में प्रतीक्षा समय मात्र तीन दिन का है। भारतीयों में वीजा की बढ़ती मांग को पूरा करने और बैकलॉग कम करने के लिए भारत के बाहर बैंकॉक जैसे अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों में वीजा आवेदन करने का विकल्प दिया गया था। पिछले वर्ष के दौरान भारत में प्रतीक्षा अवधि कम करने के लिए विभिन्न उपाय लागू किए गए। इनके बावजूद आवेदकों को कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। अमेरिकी दूतावास और भारतीय अधिकारियों के बीच हाल की बातचीत के दौरान तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया गया- वीज़ा प्रतीक्षा समय, शेड्यूलिंग पोरल्ट में तकनीकी समस्याएं और छात्र वीज़ा से संबंधित चिंताएं। वीज़ा प्रतीक्षा समय के बारे में दूतावास के अधिकारी ने कहा कि भारत में पहली बार आने वाले आगंतुक वीज़ा आवेदकों को छोड़कर अन्य सभी गैर-आप्रवासी वीज़ा श्रेणियों में साक्षात्कार प्रतीक्षा समय महामारी-पूर्व के स्तर तक पहुंच चुका है या उसके करीब है। हमने वीज़ा की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है। जिन यात्रियों को साक्षात्कार की आवश्यकता नहीं है, उनके लिए तो प्रतीक्षा समय बहुत कम है। यूएस मिशन इंडिया ने वित्तीय वर्ष की शुरुआत से 3.3 लाख से अधिक याचिका आधारित अस्थायी रोजगार वीजा जारी किए हैं जो 2019 की इसी अवधि की तुलना में 71% ज्यादा हैं। इसके अलावा छात्र वीजा (एफ और एम) अब कार्यक्रम शुरू होने की तारीख से 365 दिन पहले तक जारी किए जा सकते हैं। भारतीयों में वीजा की बढ़ती मांग को पूरा करने और बैकलॉग कम करने के लिए भारत के बाहर बैंकॉक जैसे अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों में वीजा आवेदन करने का विकल्प दिया गया था। असम के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अगले साल से NRI कोटा खत्म l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अगले साल से विवादास्पद NRI कोटा खत्म कर दिया गया है। ऐसा सप्री ु म कोर्ट के एक आदेश के तहत किया गया है। हालांकि 23 NRI प्रायोजित छात्र इस साल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पा चुके हैं। राज्य मेडिकल एजूकेशन महानिदेशालय (DME) के सत्रों ू का कहना है कि पिछले महीने दियेे गये सप्री ु म कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगले साल से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा खत्म हो जाएगा। भारत की शिखर अदालत ने पिछले महीने आदेश पारित किया था कि अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटे के तहत कोई दाखिला नहीं दिया जाएगा। दरअसल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन बाद में ये सीटें NRI कोटा के तहत दी जाने लगीं। सत्रों ू का यह भी कहना है कि दाखिला प्रक्रिया काफी आगे तक जा चुकी थी इसलिए निर्देश से पहले ही 23 NRI प्रायोजित छात्रों को दाखिला दे दिया गया था इसलिए इसमें सप्री ु म कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं हुई है। जो 7 NRI प्रायोजित छात्र अनुपस्थित रहे वे सीटें राज्य कोटा में तब्दील कर दी गई हैं। DME सत्रों ू ने बताया कि गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज और असम मेडिकल कॉलेज, डिब्गढ़ की रू सात-सात सीटें NRI प्रायोजित छात्रों से भरी गई हैं। जोरहाट मेडिकल कॉलेज, फखरुद्दीन अली अहमद मेडिकल कॉलेज, बरपेटा और नलबाड़ी मेडिकल कॉलेज तथा सिलचर व तेजपुर मेडिकल कॉलेजों में भी NRI कोटे के तहत दाखिले दिये गये हैं। इन कॉलेजों में जिन छात्रों को दाखिला दिया गया है उनके प्रायोजक उम्मीदवारों के परिजन हैं और असम मूल के NRI हैं। कुल मिलाकर 30 छात्रों का चयन NRI और NRI प्रायोजित कोटा के तहत किया गया था लेकिन सात छात्र दाखिले के अंतिम चरण में अनुपस्थित रहे। पता चला है कि अत्यधिक फीस के कारण सात छात्र दाखिले के अंतिम चरण में उपस्थित नहीं हुए थे। राज्य मेडिकल एजूकेशन महानिदेशालय (DME) के सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने दिये े गये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अगले साल से राज्य के मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटा खत्म हो जाएगा। Image : twitter@Assam Medical College भारत का सर्वोच्च न्यायालय। Image : social media Photo by mana5280 / Unsplash


22 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023


Stay Ahead With Us! Email [email protected] Website www.NewIndiaAbroad.Com न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 23 IACA ने अपने नायकों की निष्ठा और समर्पण का किया शानदार सम्मान l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय-अमेरिकी सांस्कृतिक संघ (IACA) ने रविवार 10 सितंबर को डाउनर्स ग्रोव, आईएल के आशियाना बैंक्वेट्स में भव्य आयोजन कर अपने नायकों का सम्मान किया। विविधता में एकता और सांस्कृतिक गौरव का सभी सांस्कृतिक दलों ने मंच पर उत्साह के साथ जश्न मनाया। IACA के युवाओं ने संगठन के मिशन और कार्यों को मंच से साझा किया। इसी दौरान IACA ने अपने नायकों को उनकी बहादुरी, समर्पण और समुदाय के प्रति सेवा के लिए सम्मानित किया। मुंबई से उड़ान एंटरटेनमेंट ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी। उड़ान की संगीत प्रस्तुति ने हर किसी का दिल छूलिया। इस अवसर पर कौंसलु विनोद गौतम और गोपाल लालमणि के अलावा FIA के संस्थापक-अध्यक्ष सुनील शाह और वंदना झिंगन, मेघना बंसल, अजित पंत, राकेश मल्होत्रा, मधु उप्पल, हरिभाई पटेलजी, उमंग पटेलजी, नील पटेल, सोहन जोशी, डॉ. जयश्री राजू और अन्य गणमान्य अतिथियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम में सम्मानित किए गए दिग्गजों और कानून तथा प्रवर्तन अधिकारियों में राज पिल्लई, यूएस नेवी वेटरन, जेम्स मेंड्रिक ड्यूपेज काउंटी शेरिफ, केविन कॉइन- सेफ सबर्ब्स यूएसए के संस्थापक और सीईओ, माइक गीगर- नेपरविले पुलिस अधिकारी, जेम्स ‘कास्टा’ कास्टानेडा- यूएस मरीन वेटरन, माइकल टेलरिनो- वेटरन्स के लिए K9 के संस्थापक और सीईओ, जेरोम ‘सन्नी’ जडांसविक्ज- यूएस आर्मी वेटरन (7वीं कैवलरी रेजिमेंट) शामिल थे। इस अवसर पर IACA के कार्यकारी बोर्ड सदस्य विनीता गुलाबानी (अध्यक्ष), सोहन जोशी (चेयरमैन), उपाध्यक्ष राज नारायण, सचिव शानू सिन्हा और कार्यकारी निदेशक कमलेश कपूर, अनीता सूद-बेरी, प्रतिभा जैरथ, मनिका कुमारी, निशा सिन्हा, राहुल वाघ, पल्लवी मंत्री वाघ और सुधा जयसवाल मौजूद रहे। संध्या की शुरुआत नीपा शाह और समायरा बोंगले द्वारा गाए गए भारतीय और अमेरिकी राष्ट्रगान से हुई और बाद शुरू हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला। बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं और दोनों देशों और संस्कृतियों का सम्मान करते हुए उपस्थित लोगों का मनोरंजन किया। कार्यक्रम का समापन कोषाध्यक्ष ऋचा पाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। IACA के युवाओं ने संगठन के मिशन और कार्यों को मंच से साझा किया। इसी दौरान IACA ने अपने नायकों को उनकी बहादुरी, समर्पण और समुदाय के प्रति सेवा के लिए सम्मानित किया। l विशेष संवाददाता फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन, शिकागो (FIA) ने 15 सितंबर को देशभक्ति के उत्साह के साथ भारत के 77वें स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाया। भारत की आजादी के अमृत महोत्सव पर नेपरविले, आईएल के द मैट्रिक्स क्लब की फिजाओं में ऐ मेरे वतन के लोगो... की गूंज थी। FIA के संस्थापक अध्यक्ष और चेयरमैन सुनील शाह, वर्तमान अध्यक्ष विनीता गुलाबानी, पूर्व अध्यक्ष नील खोत, संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष ओंकार सिंह संघा और पूरे निदेशक मंडल के नेतृत्व में कार्यक्रम के पहले सत्र में देशभक्ति के माहौल से उपस्थित अतिथि मंत्रमुग्ध थे। इसके बाद दूसरे सत्र में मिलिंद ओक द्वारा निर्देशित और मदन कुलकर्णी द्वारा संचालित सांगीतिक प्रस्तुति- साहिर लधिय ु ानवी शो ने सबका मन मोह लिया। इस शो का निर्माण निशे एंटरटेनमैंट ने किया था। संगीत प्रस्तुति के बाद शानदार और स्वादिष्ट रात्रि भोज दिया गया। कार्यक्रम की शुरुआत बोर्ड सदस्य और कोरियोग्राफर पीका मुंशी के भरतनाट्यम से हुई। इसके बाद सुनील शाह और विनीता गुलाबानी को स्वागत भाषण के लिए आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में ओकब्क रु के मेयर लैरी हरमन ने FIA टीम को पुरस्कार वितरित किये। दीप प्रज्ज्वलन के समय अमेरिकी और भारतीय राष्ट्रगान हुआ। शिकागो की मशहूर गायिका नीपा शाह ने ...ऐ मेरे प्यारे वतन गाना गाया। FIA अध्यक्ष एवं संस्थापक अध्यक्ष सुनील शाह ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि अप्रत्याशित परिस्थितियों के कारण हमें सितंबर में स्वतंत्रता दिवस मनाना पड़ा लेकिन मातृभूमि के प्रति उत्साह, प्रेम और शहीदों को श्रद्धांजलि एक दिन अथवा एक महीने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह तो हर दिन होना चाहिए। शाह ने टीम के सदस्यों, सलाहकार बोर्ड के सदस्यों और प्रायोजकों को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और साथ ही वर्तमान अध्यक्ष विनीता की निष्ठा और प्रतिबद्धता को भी सराहा। मंच पर स्कॉट वेहरली, मेयर नेपरविले का सत्कार किया गया। उसके बाद FIA सलाहकार बोर्ड के सदस्यों ऐश्वर्या शर्मा, अजित सिंह, अनिल लूम्बा, आशा ओरस्कर, भूपेन्द्र बेरी, ब्रिज शर्मा, हितेश भट्ट, जसबीर सुगा, कीर्ति रिवोरी, मनीष गांधी, नाग जयसवाल, पिंकी ठक्कर, प्रदीप शुक्ला, सुरेश बोदीवाला, सयै द हुसैनी, विनोज़ चनामोलू और योगी भारद्वाज का स्वागत किया गया। FIA के पूर्व अध्यक्षों सुनील शाह, ओंकार सांगा, रीता सिंह, धितु भागवाकर, मुकेश शाह, नील खोत, निनाद दफ्तरी, गुरुमीत सिंह और हितेश गांधी को भी मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। FIA शिकागो ने मनाया भारत की आजादी का उत्सव दीप प्रज्ज्वलन करते सुनील शाह, विनीता गुलाबानी व अन्य गणमान्य। Image: Asian Media USA देशभक्ति के उत्साह से लबरेज FIA की टीम। Image: Asian Media इस अवसर पर युवा टीम का भी सम्मान के साथ उत्साहवर्धन किया गया। Image: Asian Media USA


24 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 25 सितंबर, 2023 रोमांच की तलाश है और पास में बाइक है तो ये रोड ट्रिप आपके लिए ही हैं l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अकेले घूमने फिरने का अलग ही मजा है। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो भारत में आपके लिए कई ऐसे ठिकाने मौजूद हैं। मोटरसाइकिल से अकेले यात्रा न सिर्फ रोमांचक बल्कि नए नए अनुभव देने वाली होती है। आज हम आपको राजधानी दिल्ली से ऐसी रोड ट्रिप के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप मोटरसाइकल के जरिए कर सकते हैं। दिल्ली से लेह (2,000 किलोमीटर) अगर आपके अंदर चुनौतियों का सामना करने और रोमांच के मजे लेने का जज्बा है तो ये रोड ट्रिप आपके लिए ही है। इस दौरान आप दुनिया की कुछ सबसे ऊंची मोटरेबल रोड से होकर गुजरेंगे। लेह से, पैंगोंग त्सो, खारदुंग-ला और उमलिंग-ला दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड हैं। लेह से पहले तांगलांग-ला की समुद्र तल से ऊंचाई 5,328 मीटर है। पहले इस ट्रिप में काफी समय लगा करता था। लेकिन मनाली के पास रोहतांग दर्रे के नीचे अटल सुरंग बनने से यात्रा का समय काफी कम हो गया है। फिर भी इस यात्रा को पूरा करने में आपको कम से कम तीन दिन लगेंगे। दिल्ली से स्पीति (1,500 किलोमीटर) इसे भारत की सबसे कठिन सड़क यात्रा माना जाता है। हिमाचल प्रदेश के स्पीति क्षेत्र को दुनिया के सबसे ऊंचे स्थलों में से एक माना जाता है। इस यात्रा में आप कोमिक से होकर गुजरेंगे जिसे दुनिया का सबसे ऊंचा गांव माना जाता है जो मोटरेबल रोड से जुड़ा है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 4587 मीटर है। 4,440 मीटर पर बसे हिक्किम में दुनिया का सबसे ऊंचा डाकघर है। 3,740 मीटर ऊंचे काजा में दुनिया का सबसे ऊंचा पेट्रोल रिटेल आउटलेट है। इस ट्रिप का सबसे मुश्किल सेक्शन स्पीति से मनाली रोड तक का है। 70 किमी के इस सफर को पूरा करने में 7-8 घंटे लग जाते हैं। मोटरसाइकिल से अकेले यात्रा न सिर्फ रोमांचक बल्कि नए नए अनुभव देने वाली होती है। हम आपको राजधानी दिल्ली से ऐसी रोड ट्रिप के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें आप मोटरसाइकल के जरिए कर सकते हैं। दिल्ली से गंगोत्री (1,100 किलोमीटर) अगर आप रोमांच के साथ साथ अध्यात्म का आनंद भी लेना चाहते हैं तो आपको इस सफर पर निकलना चाहिए। आप राष्ट्रीय राजमार्ग 34 से जाएंगे तो यह आपको उत्तराखंड में हरसिल नामक स्थान पर ले जाएगा। यह गंगोत्री के पास कस्बा है। यहां आप उत्तराखंड के सबसे सुंदर नजारे देख सकते हैं। यह तीन बर्फसे ढकी चोटियों से घिरा हुआ है। गंगोत्री मंदिर 22 अप्रैल को खुल गया है, इसलिए आप मंदिर के दर्शन भी कर सकेंगे। लखनऊ का नबाबी अंदाज और शानदार जायका बहुत प्रसिद्ध है। अगर आपको खाने-पीने का शौक है तो आपको इस ट्रिप पर जरूर जाना चाहिए। यह रास्ता यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा- लखनऊ एक्सप्रेसवे से जुड़ा है। इससे आप 7-8 घंटे में सफर पूरा कर सकते हैं। लखनऊ शहर अपने अवधी व्यंजनों के लिए खासा मशहूर है। यहां के कबाब, बिरयानी, निहारी या कोरमा जैसे मांसाहारी व्यंजन ऐसे हैं कि आप उंगली चाटते रह जाएंगे। लखनऊ की चाट, स्ट्रीट फूड, कुल्फी, पान और मिठाई भी बहुत लोकप्रिय है। दिल्ली से मुनस्यारी (1,300 किलोमीटर) दिल्ली से मुनस्यारी उत्तराखंड का सबसे दूरदराज वाला का शहर है। दिल्ली से यह 650 किमी दूर है। इसमें लगभग दो दिन का समय लगता है। रास्ते में कौसानी, बिनसर और मुक्तेश्वर जैसी जगहें पड़ेंगी जहां आप बर्फसे ढके हिमालय के शानदार दृश्य देख सकते हैं। मुनस्यारी में आप जब होटल की खिड़की पर खड़े होंगे, तो लगेगा कि आप बस हिमालय को छू रहे हैं। दिल्ली से लखनऊ (1,200 किलोमीटर) Photo by Mayur Joshi / Unsplash Photo by Nomad Bikers / Unsplash Photo by Kabir van Wegen / Unsplash Photo by Kabir van Wegen / Unsplash


...Page II *India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. ...Page V Year 1, Volume 50 Washington DC, Monday 25 September, 2023 ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने इन भारतीय राज्यों के छात्रों पर लगा ‘बैन’ हटाया इस कंपनी ने कहा, भारत में निवेश और कर्मचारियों की संख्या को दोगुनी करेंगे शांतिनिकेतन अब विश्व धरोहर, मोदी ने बताया- भारतीयों के लिए गर्व का क्षण ...Page VIII l विशेष संवाददाता विश्व के सबसे बड़े चावल निर्यातक देश भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबंध से कई देशों में रहने वाले चावल के शौकीन प्रवासी भारतीयों का जायका बिगड़ गया है। वे इस प्रतिबंध को हटाने की मांग कर रहे हैं। खासकर अनिवासी तमिलों ने भारत से चावल पर प्रतिबंध पर गहरी चिंता व्यक्त की है। विशेष रूप से, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में चावल एक मुख्य आहार है। चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के साथ, चावल की उपलब्धता कम हो गई है, जिससे तमिल प्रवासी चावल की कमी से जूझ रहे हैं। दुनिया भर में फैले तमिल प्रवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन अनिवासी तमिल कल्याण बोर्ड ने कहा कि प्रतिबंध के कारण आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई है और विदेशों में रहने वाले तमिलों को चावल की विशिष्ट किस्मों की अपनी पसंद प्राप्त करने में मुश्किल हो रही है। अनिवासी तमिल कल्याण बोर्ड के कार्तिकेय शिवसेनापति का कहना है कि उबले हुए चावल (उसना) पर प्रतिबंध के बाद आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने से अनिवासी तमिलों के बीच खानपान की परंपराओं के संरक्षण में गहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अनिवासी तमिल कल्याण बोर्ड ने केंद्र सरकार से तमिल प्रवासियों की भोजन की सांस्कृतिक परंपराओं को ध्यान में रखते हुए चावल पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया है। पदाधिकारी का कहना कि दुनिया भर में तमिल समुदायों को चावल की निरंतर आपूर्तिसनिश्चि ु त करने के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि पारंपरिक तमिल व्यंजनों के लिए आवश्यक चावल की किस्मों की आवश्यकता है और सरकार को इसमें सक्रिय रुख अपनाना चाहिए। अनिवासी तमिल कल्याण बोर्ड ने यह भी कहा कि चावल पर निर्यात प्रतिबंधों का महत्व घरेलू खाद्य सुरक्षा सनिश्चि ु त करना है, इस संबंध में एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है और सरकार से विदेशों में रहने वाली तमिल आबादी के हितों की रक्षा करने का आह्वान किया। चावल पर बैन ने इन NRI प्रवासियों का जायका बिगाड़ा, बैन हटाने की मांग केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में चावल एक मुख्य आहार है। केंद्र सरकार के चावल पर प्रतिबंध के चलते प्रवासी तमिलों के पारंपरिक खानापान में दिक्कत पेश आ रही है। लोग बैन हटाने की मांग कर रहे हैँ। Photo by Pille R. Priske / Unsplash NRI के लिए SBI खाता खोलना बेहद आसान l विशेष संवाददाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने एक नई डिजिटल सेवा शुरू की है। यह अनिवासी भारतीयों (NRI) को एसबीआई के YONO बैंकिंग ऐप का उपयोग करके आसानी से अनिवासी बाहरी (NRE) और अनिवासी साधारण (NRO) खाते खोलने की अनुमति देती है। भारत के सबसे बड़े बैंक ने बचत और चालू खातों दोनों के लिए एक डिजिटल विकल्प पेश किया है। यह सेवा NTB या ‘बैंक के लिए न्यू’ उपयोगकर्ताओं के लिए है। खाता खोलने की प्रक्रिया को आसान और अधिक कुशल बनाया गया है। NRI ग्राहक लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। वे भारत में खाते खोलने और इसे ऑपरेट करने के लिए एक आसान प्रक्रिया चाहते हैं। बैंक ने एक सुव्यवस्थित, डिजिटाइज्ड खाता खोलने की प्रक्रिया स्थापित करने के लिए तकनीक का उपयोग किया है जो बिल्कुल सरल है। यह एनआरआई बैंकिंग आवश्यकताओं के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में काम कर सकता है। इसके अलावा इसके माध्यम से NRI ग्राहक वास्तविक समय में अपने खातों की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं, उन्हें हर समय अपडेट रख सकते हैं। बैंक के डीएमडी और प्रमुख (डिजिटल बैंकिंग और परिवर्तन) नितिन चुघ ने ऐप के लॉन्च पर बोलते हुए कहा कि एसबीआई हमेशा नए प्रयोग और ग्राहक-केंद्रित समाधानों में सबसे आगे रहा है। यह नवीनतम पेशकश कोई अपवाद नहीं है। इस डिजिटल सेवा के लॉन्च के साथ NRI अपने घरों में आराम से अपने NRE/NRO खाते खोल सकते हैं। सिर्फ इस काम के लिए उन्हें भारत की यात्रा करने की कोई आवश्यकता नहीं रह जाएगी। चुघ ने कहा कि यह तरीका NRI ग्राहकों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाएगा और एसबीआई शाखाओं को तेजी से और कुशल ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए आवश्यक ससं ाधन प्रदान करेगा। आइए जानते हैं कि NRI कैसे इस सविु धा का उपयोग कर सकते हैं। स्टेप 1: सबसे पहले YONO एसबीआई बैंकिंग ऐप डाउनलोड करें। स्टेप 2: होमपेज पर NRE/ NRO खाता खोलने के विकल्प को देखें और चुनें। स्टेप 3: जैसे ही नया पेज खुलेगा ग्राहकों के पास अपने KYC विवरण जमा करने के लिए दो विकल्प होंगे। विकल्प 1 : भारत में पसंद की एसबीआई शाखा में आवश्यक दस्तावेज जमा करें। विकल्प 2 : नोटरी, उच्चायोग, एसबीआई विदेश कार्यालय, भारतीय दूतावास, प्रतिनिधि कार्यालय, अदालत मैजिस्ट्रेट या न्यायाधीश के साथ KYC दस्तावेजों को वैरिफाई करें और उन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए एक केंद्रीय रूप से नामित शाखा में मेल करें। Photo by JESHOOTS.COM / Unsplash भारत के सबसे बड़ेबैंक SBI ने बचत और चालू खातों दोनों के लिए एक डिजिटल विकल्प पेश किया है। यह सेवा NTB या ‘बैंक के लिए न्यू’ उपयोगकर्ताओं के लिए है। खाता खोलने की प्रक्रिया को आसान और अधिक कुशल बनाया गया है। एसबीआई के YONO बैंकिंग ऐप का उपयोग करके आसानी से खाता खुलवा सकते हैं।


II सोमवार, 25 सितंबर, 2023 इस कंपनी ने कहा, भारत में निवेश और कर्मचारियों की संख्या को दोगुनी करेंगे l विशेष संवाददाता फॉक्सकॉन का लक्ष्य अगले साल तक भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या और निवेश को दोगुना करना है। कंपनी के एक अधिकारी ने रविवार को एक लिंक्डिन पोस्ट में यह जानकारी साझा की। भारत के तमिलनाडु में इस कंपनी की फैक्ट्री है। कंपनी ने भारत के दक्षिण में विनिर्माण सविु धाओं में निवेश करके भारत में अपनी उपस्थिति का तेजी से विस्तार किया है। कंपनी चीन से दूर जाना चाहती है। बता दें कि फॉक्सकॉन न केवल आईफोन की सबसे बड़ी निर्माता है बल्कि कॉन्ट्रेक्ट पर इलक्ट्रॉनि े क उपकरण वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। इसका मुख्यालय ताइवान में है। भारत में फॉक्सकॉन के प्रतिनिधि वी ली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन के मौके पर लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा कि कंपनी अगले साल तक भारत में रोजगार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और कारोबार के आकार को दोगुना करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। हालांकि इससे ज्यादा जानकारी उन्होंने नहीं दी। गौरतलब है कि फॉक्सकॉन के पास पहले से ही तमिलनाडु राज्य में एक आईफोन कारखाना है, जिसमें 40,000 लोग काम करते हैं। पिछले महीने कर्नाटक राज्य ने कहा था कि फॉक्सकॉन आईफोन और चिप बनाने वाले उपकरणों के लिए राज्य में दो परियोजनाओं के लिए 600 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। कंपनी के चेयरमैन लियू यंग-वे ने पिछले महीने कहा था कि वह भारत में बहुत संभावनाएं देखते हैं।कई अरब डॉलर का निवेश केवल एक शुरुआत है। फॉक्सकॉन कंपनी की योजना अगले साल तक भारत में अपने कर्मचारियों की संख्या और निवेश को दोगुना करने की है। कंपनी के प्रतिनिधि वी ली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन के मौके पर यह घोषणा की। फॉक्सकॉन आईफोन की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी है। Photo by Christopher Burns / Unsplash Image : social media l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवारी की उम्मीद करने वाले और बायोटेक उद्यमी विवेक रामास्वामी ने H1-B वीजा कार्यक्रम को लेकर अपने पिछले रुख का बचाव किया है। पहले, उन्होंने इस वीजा कार्यक्रम प्रणाली को ख़त्म करने का आह्वान किया था। रामास्वामी ने H1-B वीजा कार्यक्रम प्रणाली को ‘गिरमिटिया दासता’ का एक रूप कहा था। H1-B वीजा कार्यक्रम के तहत विशिष्ट उद्योगों में उच्च-कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए अस्थायी वीजा जारी किया जाता है। अब रामास्वामी ने इस कार्यक्रम का यह कहकर बचाव किया है कि 2018 से 2023 तक अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं ने रोइवंत साइंसेज (रामास्वामी की पूर्व बायोटेक फर्म) के लिए 29 H1-B आवेदनों को मंजूरी दी है। एक इंटरव्यू में रामास्वामी ने कहा कि उन्होंने सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के तहत ही काम किया है और अगर वह राष्ट्रपति चुने गये तो इस कार्यक्रम (H1-B) में सुधार करेंगे। उन्होंने कहा मेरा मानना ​​है कि इस देश में ऊर्जा प्रणाली और ऊर्जा विनियमन में भी व्यापक सुधार की आवश्यकता है। लेकिन मैं अभी भी पानी और बिजली का उपयोग करता हूं। कुल मिलाकर बात यह है कि मुझे नियामक तंत्र की समझ है क्योंकि मैंने इसे एक CEO और एक उद्यमी के रूप में समझा है और कई कंपनियां बनाई हैं। रामास्वामी ने H1-B वीजा कार्यक्रम प्रक्रिया की रैंडम (यादृच्छिक) चयन प्रक्रिया की आलोचना की है। स्थिति यह है कि H1-B वीजा के लिए आवेदन उपलब्ध स्लॉट से कहीं अधिक, सैकड़ों-हजारों हैं। लिहाजा अब रामास्वामी ने कहा कि वह इस कार्यक्रम को ‘योग्यता वाले प्रवेश’ से बदल देंगे। रामास्वामी ने कहा कि आखिर आप लॉटरी का उपयोग क्यों करेंगे जब आप इसके बजाय केवल मेरिट आधारित प्रवेश प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं? मैरिट की बहाली होनी चाहिए। हमें उस प्रणाली को खत्म करना होगा और योग्यता आधारित आप्रवासन को बहाल करना होगा। हमे एक ऐसी व्यवस्था चाहिए जो न केवल तकनीकी कौशल बल्कि इस देश में हमें जो चाहिए उससे मेल खाने वाले हर तरह के कौशल की आपूर्ति करती हो। H1-B: अब इस कारक्र्य म को खत्म नहीं करेंगे रामास्वामी, सुधार लाएंगे अब रामास्वामी ने इस कार्यक्रम का यह कहकर बचाव किया है कि 2018 से 2023 तक अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं ने रोइवंत साइंसेज (रामास्वामी की पर्व ू बायोटेक फर्म) के लिए 29 H1-B आवेदनों को मंजूरी दी है। रामास्वामी के रुख में बदलाव। Image : twitter@Vivek Ramaswamy


III सोमवार, 25 सितंबर, 2023


IV सोमवार, 25 सितंबर, 2023


सोमवार, 25 सितंबर, 2023 V ऑस्ट्रेलिय स्ट्रेलियाई विविश्ववि ्वविद्यायालयों यों ने इन भारती ने इन भारतीयय राज्योंों के छात्त्रों पर लगा ‘बैन’ हटा रों पर लगा ‘बैन’ हटायया l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क ऑस्ट्रेलिया के कई विश्वविद्यालयों ने कुछ खास इलाकों के भारतीय छात्रों के दाखिलों पर लगाया गया कथित प्रतिबंध हटा लिया है। इन यनिू वर्सिटी का अब कहना है कि उनके संस्थानों में भारतीय छात्रों पर कोई बैन नहीं है। दरअसल ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों ने भारतीय छात्रों के वीजा फ्रॉड की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए भारत के कुछ खास राज्यों के छात्रों के दाखिले लेने बंद कर दिए हैं। इन राज्यों में पंजाब, हरियाणा और गुजरात के छात्र प्रमुख रूप से शामिल थे। मीडिया में ऐसा करने वाले विश्वविद्यालयों के नाम भी आए थे जिनमें वेस्टर्न सिडनी यनिू वर्सिटी, विक्टोरिया यनिू वर्सिटी, फेडरेशन यनिू वर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, एडिथ कोवान यनिू वर्सिटी, टोरेंस यनिू वर्सिटी, वोलोंगोंग यनिू वर्सिटी और सदर्न क्रॉस यनिू वर्सिटी बताए गए थे। मीडिया रिपोर्ट में अब दावा किया किया गया है कि इन सात में से ज्यादातर ने कहा है कि उनके यहां भारत के सभी राज्यों से छात्रों के आवेदन लिए जा रहे हैं। किसी राज्य या क्षेत्र विशेष के विद्यार्थियों पर रोक नहीं लगाई गई है। कुछ यनिू वर्सिटी ने कहा कि साल की शुरुआत में कुछ क्षेत्रों से उनके यहां पर कम आवेदन आए थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारत हर साल लगभग एक लाख छात्र ऑस्ट्रेलिया में दाखिला लेते हैं। 2019 में ये संख्या सबसे ज्यादा 115106 तक पहुंच गई थी। पिछले साल 99697 भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए गए थे। भारत हर साल लगभग एक लाख छात्र ऑस्ट्रेलिया में दाखिला लेते हैं। 2019 में ये संख्या सबसे ज्यादा 115106 तक पहुंच गई थी। पिछले साल 99697 भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए गए थे। l विशेष संवाददाता भारत में जापान के राजदूत हिरोशी सुजुकी पिछले साल भारत आए थे। तब से वह भारतीय भोजन के दीवाने हो गए हैं। कई मौकों पर 61 साल के राजदूत के भारतीय व्यंजनों का आनंद लेते हुए वीडियो वायरल हुए हैं, जो देश के विविध और स्वादिष्ट खानपान के लिए उनके लगाव को दिखाते हैं। हाल ही में जापानी राजदूत नई दिल्ली के प्रसिद्ध स्थलों में से एक सरोजिनी नगर गए थे। सुजुकी अपनी पत्नी ईको सुजुकी और हिंदी भाषी जापानी यट्यूबर मायो के साथ यहां पहुंचे थे। बता दें कि दिल्ली का यह इलाका अपने सड़क किनारे लगने वाले बाजार और स्ट्रीट फूड के लिए प्रसिद्ध है। इससे जुड वी ़े डियो को सुजकी ने एक ़ु ्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर साझा किया। जापानी राजदूत ने लिखा कि हिंदी भाषी जापानी यट्यूबर मायो के साथ देसी खानों का लुत्फ उठाना बेहद अद्भुत रहा। उन्होंने आगे लिखा आलू टिक्की दिजिए। वीडियो में राजदूत सुजुकी स्ट्रीट फूड का भरपूर आनंद लेते दिख रहे हैं। खाने के लिए विभिन्न दुकानों की खोज करते हुए और स्थानीय लोगों और दुकानदारों के साथ उन्हें बातचीत करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो वायरल है और लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सभी जापानी राजदूत की भारतीय संस्कृति में रुचि रखने के लिए तारीफ कर रहे हैं। बता दें कि पहले भी खाने-पीने को लेकर के राजदूत के वीडियो वायरल हुए हैं। इस साल जून में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राजदूत सुजुकी के एक वीडियो को साझा किया और लिखा था कि यह एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसे हारने पर आपको कोई आपत्ति नहीं होगी, श्रीमान राजदूत। आपको भारत की पाक विविधता का आनंद लेते हुए और इसे इतने अभिनव रूप में पेश करते हुए देखकर अच्छा लगा। इससे पहले जापान के राजदूत ने प्रधानमंत्री मोदी के ससं दीय क्षेत्र वाराणसी में गोलगप्पे का स्वाद लेते हुए एक वीडियो शेयर किया था। भारतीय भोजन को लेकर ऐसी दीवानगी देखी है कहीं? जापान के राजदत से ू जानें कई मौकों पर 61 साल के जापानी राजदूत हिरोशी सुजुकी के भारतीय व्यंजनों का आनंद लेते हुए वीडियो वायरल हुए हैं, जो देश के विविध और स्वादिष्ट खानपान के लिए उनके लगाव को दिखाते हैं। सभी जापानी राजदूत की भारतीय संस्कृति में रुचि रखने के लिए तारीफ कर रहे हैं। भारत में जापान के राजदत ू हिरोशी सुजुकी भारतीय भोजन के दीवाने हैं। फोटो : @HiroSuzukiAmbJP


VI सोमवार, 25 सितंबर, 2023 ARSHA VIDYA PITHAM 651, Route 115, SAYLORSBURG, PA 570-992-2339 The Gift For a Day Program Arsha Vidya Gurukulam was founded in 1986 by Pujya Sri Swami Dayananda Saraswati. The Gurukulam is situated on 99 acres of partially wooded land in the Pocono Mountains, graced by a Lord Dakṣ iņ ā mū rti temple. The facility houses a 400-seat state of the art auditorium and dining complex, library, reading room, bookstore, modern accommodations suited to contemplative study, The traditional study of Vedanta & Yoga, Sanskrit, Jyotisha, and Ayurveda camps are organized at the Gurukulam . The ashram is run on the donations of the members. The Members value the teachings at AVG and support the gurukulam by donating $500 for a day’s expense of running the gurukulam under Gift For a Day Program. When $2000 is donated for four Gift-For-A-Day programs per family of 2 adults & children and they become Patron Members for that year. The features of Patron Membership are as given below: 1. The new patron members (who opt for 4 GFDs per year) can avail one week camp for free in place of free books for the first year. 2.All the existing patron members can avail themselves of any one of the long weekend camps if they do not get a chance to attend the patron camps. 3. There is no need to pay donation for using homa building once a year for all the patron members depending on the availability of the priest’s slot for that day. 4.The donation is tax exempt.


मेष आपका स्वाभाव गुस्से वाला है। कभी-कभी बहुत आता है। लेकिन कामकाज के मामले में इस समय गुस्सा करना ठीक नहीं है क्योंकि इससे आपकी अपने वरिष्ठ से अनबन हो सकती है और आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। आपके आसपास कुछ लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि आला अधिकारी से आपका टकराव हो। वे इसी फिराक में है और ऐसा माहौल बना सकते हैं कि अनबन हो जाए। लिहाजा इन दिनों अपनी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण रखें। कुछ भी बोलने से पहले विचार कर लेंगे तो यह कठिन समय बगैर किसी संकट से निकल जाएगा। स्पर्धा को खत्म करने और पिछड़ने से बचने के लिए पहल करने की हिम्मत जुटाइये। आपकी आर्थिक स्थिरता सनिश्चि ु त है।भावनात्मक स्तर पर आप अपने साथी के बर्ताव से कुछ निराश हो सकते हैं। वृषभ आपके वर्तमान हालात को देखते हुए सबसे अच्छी सलाह तो यही है कि हार नहीं मानना। वैसे तो आप जुटे रहते हैं और आखिरी समय तक लड़ते हैं लेकिन कई बार आप नकारात्मकता की आंधी में बह जाते हैं जिसके कारण संघर्ष जारी रखने का हौसला टूट जाता है। आप इन दिनों यह भी महससू कर सकते हैं कि आपकी सारी कोशिशें बेकार जा रही हैं और आपसे कम काबिल लोग अधिक पहचान पा रहे हैं। लेकिन सच यह है कि आपकी काबिलियत, अनुभव, निष्ठा और चरित्र की कद्र होगी। आप जिसे सही मानते हैं उसे लेकर बातचीत करने की कोशिश करें। आपको सुना जाएगा। आपके साथ कुछ ऐसा ही प्रेम के मामले में है। आप कभी किसी के प्रति पूरी तरह समर्पित होते हैं। आप उन्हे अपना सब कुछ देने की कोशिश भी करते हैं। मिथुन मिथुन राशि के जातक इन दिनों ऊर्जासे भरे हैं। अब आप यह भी जान गए हैं कि इस ऊर्जा को किस दिशा में और कैसे लगाना है ताकि आप इसका अधिकाधिक लाभ ले सकें और अपने लक्ष्य हासिल कर सकें। ऐसी कोई भी स्थिति जो आपको नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है उसे लेकर बेहतर यही होगा कि आप पेशेवर हालात का सामना करें। यही आपके लिए अच्छा होगा। इस परिदृश्य में कोई आपसे लड़ना चाहेगा या आपको भड़काने की कोशिश करेगा ताकि आपकी प्रतिष्ठा पर बट्टा लग जाए। आपका सम्मान किया जाना चाहिए। जहां तक भावनात्मक पहलू का सवाल है तो बने हुए रिश्तों के लिहाज से अच्छा समय आने वाला है। इस असीम ऊर्जा ने आपके जुनून को पंख दिए और यह जोड़ों के लिए हमेशा अच्छा होता है। कर्क चीजों को हल्के में न लें। इस सप्ताह आपको सावधानी बरतनी होगी और अपने शब्दों पर नियंत्रण भी रखना होगा। इसलिए कि अगर आपने ताव में आकर कुछ किया और बोलने से पहले विचार नहीं किया तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं। कामकाज के मामले में यह सलाह आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके आसपास के वे लोग जो आपसे जलते हैं और आपकी कामयाबी उन्हे चुभती है वे मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। वे चाहते हैं कि आपका नुकसान हो। आप सजग और सावधान रहकर इस समय से पार पा सकते हैं। ध्यान रहे कि गलतियां न होने पाएं। उन लोगों की मदद लें जिन पर आप भरोसा करते हैं। आप अपने आसपास किसी के प्रति आकर्षित हो सकते हैं, वह भी आपके प्रति हो सकता है। लेकिन इस नए रिश्ते को लेकर सावधान रहें। फिलहाल इसे सार्वजनिक न करें। पहले चीजें पक जाने दें। सिंह आपका करिश्मा बढ़ रहा है। इसी के साथ आपका कारोबारी हौसला भी बढ़ रहा है। आपको अपनी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए इन दोनों की ही दरकार थी। यह एक बेहतरीन तालमेल है। लेकिन चीजें जब तक फल देंगी तब तक आपको इंतजार करना पड़ेगा। भावनात्मक स्तर पर एक शांत सप्ताह आपका इंतजार कर रहा है। लेकिन इस बात को लेकर सावधन रहें कि आपके साथी के नजदीक रहने वाला कोई व्यक्ति नकारात्मक संकेत दे रहा है। इसके चलते आप दोनों में टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। सच यह है कि आपके इस रिश्ते का भविष्य अच्छा है। आपको उन नकारात्मक संदेशों को खत्म करना होगा या फिर उस व्यक्ति को अपने परिवेश से हटाना होगा। अगर इसके बाद भी कोई मनमुटाव होता है तो आप जानते हैं कि ऐसा कहां से हो रहा है। आपका समय अच्छा है। अपने साथी को भी पर्याप्त समय दीजिये। कन्या एक गहन सप्ताह आपके इंतजार में है। इसमें बहुत कुछ करना है और आराम करने का समय न के बराबर है। लेकिन फिर भी सप्ताह अच्छा बीतेगा क्योंकि आपकी कुछ समस्याएं हैं जिनका निदान करना है और कुछ काम हैं जो निपटाने हैं। कुल मिलाकर चीजें गुजर जाएंगी। कामकाज के लिहाज से आपको अपने आसपास के लोगों पर विशेष ध्यान देना होगा। उनमें से कुछ लोग वैसे नहीं हैं जैसा कि आप उन्हेसमझते हैं। वे पीठ पीछे आपका मजाक उड़ाते हैं। दरअसल वे चाहते हैं कि आप उन्हें सुनें और आपको इस बात का अहसास हो जाए कि आपकी सुरक्षा को खतरा है। लेकिन पीछे नहीं हटना है। एक पल के लिए भी यह प्रदर्शित न होने दें कि आप कमजोर पड़ गए हैं। वे लोग तो यही चाहते हैं भावनात्मक स्तर पर इस राशि के लोग कुछ उतार-चढ़ाव का सामना कर सकते हैं। इस मामले में पुरुषों के साथ ही महिलाएं भी शामिल हैं। तुला तुला राशि के लोग इस सप्ताह अपना हौसला बनाए रखें। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कामकाज के लिहाज से चीजें सहज रहने वाली नहीं हैं। आपके पास करने के लिए काम तो बहुत होंगे लेकिन आप ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे। हो सकता है कि आपके दिमाग में कोई शख्स हो। या यह भी हो सकता है कि आप किसी विषय के बारे में सोचना बंद न कर पा रहे हों। आप विचलित हैं और हर कोई इसे नोटिस करता है। खासकर आपके वरिष्ठ अधिकारी। गलतियां करना आपके लिए आम बात नहीं है। अगर आप किसी रूमानी पहलू की तरफ से विचलन का शिकार हैं तो आपको ऐसा इसलिए लगता है कि आप प्रेम के मामले में खुद को खुशकिस्मत नहीं मानते। लेकिन यह सही नहीं है। वृश्चिक आप ऊर्जासे भरे सप्ताह के साथ शुरुआत करेंगे और दुनिया को जीतना चाहेंगे लेकिन आपको बाहरी परिस्थितियों के कारण खुद को सयं त करना पडगा। आपके पा ़े स काम बहुत होंगे और आप उन्हे खत्म भी करना चाहेंगे और कुछ ऐसे काम भी होंगे जो बाद के लिए छोड़े नहीं जा सकते। नई नौकरी तलाशने के लिहाज से यह अच्छा समय है। अब आप आलस भी नहीं करेंगे। आपके पास एक अच्छा सा सीवी बनाने का भी समय रहेगा। लेकिन समय का प्रबंधन ठीक से करें। अपने कारोबारी संपर्कों का आह्वान करें। अगर आप इस दिशा में कुछ कदम बढ़ा चुके हैं तो इस सप्ताह आपको कोई अच्छा समाचार मिलने वाला है। लेकिन प्यार-मोहब्बत के मामले में यह सप्ताह अच्छा रहने वाला नहीं है। साथी के कारण आप कुछ असहज स्थितियों का सामना कर सकते हैं। लेकिन कुछ भी बोलने से पहले विचार कर लें। ताकि बाद में पछताना न पड़े। धनु इस सप्ताह आप सामाजिक रूप से कई लोगों से जुड़ने वाले हैं। इसका माध्यम इंटरनेट भी हो सकता है। पिछले दिनों आप कुछ तनावग्रस्त थे क्योंकि आप खुद को अकेला और अलग-थलग महससू कर रहे थे। हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में आपके पास इतने प्रस्ताव आएं कि आप संभाल भी न पाएं। लेकिन जितना हो सके स्वीकार कीजिए क्योंकि यह आपकी मानसिक सेहत को बेहतर करने के हिसाब से ठीक रहेगा। कामकाजी स्थितियां भी इस सप्ताह ठीक रहने वाली हैं। हो सकता है आपकी तरक्की हो जाए, पैसे बढ़ जाएं। हो सकता है कि अधिक जिम्मेदारी लेने के अहसास से आप थोड़ा भयभीत हों, लेकिन आगे बढ़ने और खुद की बेहतरी के लिए यही श्रेष्ठ रास्ता होगा। भावनात्मक स्तरपर थोड़ी निराशा हाथ लग सकती है। लगेगा कि साथी तवज्जो नहीं दे रहा। अधिक आकांक्षी न हों। मकर इस सप्ताह आपके पास हर तरह की कई योजनाएं हैं, लेकिन आपको उन्हें कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ सकता है। उन्हे पकने दीजिए। अभी उन पर कोई काम शुरू न कीजिए। हो सकता है कि आप और बेहतर करें। एक योजना नई नौकरी की तलाश भी हो सकती है क्योंकि आपको लगता है कि आप बीते लंबे समय से काम तो बहुत मेहनत के साथ कर रहे हैं लेकिन पेशेवर तरीके से आगे नहीं बढ़ पा रहे। अगले कुछ सप्ताह में आपकी उम्मीदों के मुताबिक पाने का समय आ सकता है। प्यारमोहब्बत के मामले में अगर आप बीते कुछ संमय से संकट में चल रहे हैं तो इन दिनों आपके जीवन में एक नया भ्रम प्रवेश करने वाला है। लेकिन इन हालात में अपने गुस्से और टटन को खुद पर हावी न होने ू दें। यानी आवेग में बहने से खुद को बचाकर रखें। जो भी करें सोच-समझ कर। कुंभ आर्थिक और कारोबारी मोर्चे पर आने वाले दिनों में आपको कोई अच्छी सूचना मिल सकती है जो नए और बेहतर अवसर भी लेकर आने वाली है। इस समय आप अपने बजट को प्रबंधित करें और कुछ पैसा बचत के लिहाज से एक तरफ रख दें ताकि अगर कोई अप्रिय घटना हो जाए तो हालात संभल जाएं। कामकाज के लिहाज से आपके पास कोई ऐसी पेशकश आ सकती है जिससे आप उत्साहित हो जाएंगे। जैसे कि कहीं बाहर जाना। लेकिन किन्हीं कारणों से उसे स्थगित करना पड़ सकता है। शुरुआत में तो आपको वह बुरा लगेगा लेकिन जैसे-जैसे समय बीतेगा आपको अहसास होगा कि वह स्थगन आपके लिए ठीक था और हर चीज किसी न किसी कारण होती है। जहां तक भावनाओं का सवाल है तो अपने साथी से वादविवाद वाली स्थितियों से बचें। मीन अपने कामकाजी परिवेश में आप अब भी सहज नहीं हैं। आपको लगता है कि आपसे कम जानकारी वाले लोगों को अधिक तवज्जो और बेहतर जगह मिल रही है। आपको सबसे बुरा यह लगता है कि आपके वरिष्ठ आपकी योग्यता और कौशल को पहचानते ही नहीं हैं। लेकिन इस स्थिति और परेशानी का सबसे बड़ा कारण है आपकी विनम्रता। इसकी वजह से आप उस चीज की मांग ही नहीं करते जिसके कि आप हकदार हैं। लेकिन अभी तो लड़ते रहना होगा। हार नहीं माननी क्योंकि अगर आप पीछे हटे तो दूसरे लोगों को फायदा होगा। भावनात्मक स्तर पर सितारे आपके लिए नया चक्र बना रहे हैं। यह प्रेम से मिलाप का समय है। अगर आपने कोई रिश्ता हाल ही में शुरू किया है तो सारे डर-भय एक तरफ करके खुलकर जीयें। साप्ताहिक भविष्यफल (25 सितंबर - 01 अक्तूबर) Sundeep Kochar Astrologer https://www.sundeepkochar.com विश्वप्रसिद्ध ज्योतिषी संदीप कोचर से जानिए साप्ताहिक भविष्यफल। कोचर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की भविष्यवाणी करके नाम कमा चुके हैं। यके के ू विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। विश्व के कई रेडियो और टीवी चैनलों को वह साक्षात्कार दे चुके हैं। VII सोमवार, 25 सितंबर, 2023


सोमवार, 25 सितंबर, 2023 Published Weekly Copyright © 2022 Indian Star LLC Editor in Chief Dr. Sridhar Krishnaswami [email protected] Chief Executive Officer Rajeev Bhambri [email protected] Registered Address Indian Star LLC, 6215 Rockhurst Rd, Bethesda, MD 20817 USA Disclaimers: 1. India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. 2. Indian Star LLC assumes no liability for claims / assumptions made in advertisements and advertorials. Views expressed by the writers are their own. Indian Star LLC A publication of Editor (Hindi) Dr. Rameshwar Dayal [email protected] l विशेष संवाददाता पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित रवींद्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने रविवार को सऊदी अरब के रियाद में इसकी घोषणा की। रियाद में विश्व धरोहर समिति का 45वां सत्र 25 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है। सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान और दार्जिलिंग माउंटेन रेलवे के बाद शांतिनिकेतन भारत में 41 वां और पश्चिम बंगाल में तीसरा विश्व धरोहर स्थल है। पिछले साल राज्य की दुर्गा पूजा को यूनेस्को के तहत ‘मानवता की अमूर्तसांस्कृतिक विरासत’ में स्थान मिला था। बता दें कि शांतिनिकेतन के यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का दर्जा हासिल करने के लिए अतीत में बार-बार प्रयास किए गए थे, खासकर 2010 में टैगोर की 150 वीं जयंती के दौरान। लेकिन अब इसे विश्व धरोहर का दर्जामिला है। विरासत स्थलों की सूची में इसे शामिल किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अवतार शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। पश्चिम बंगाल के लोगों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर लिखा कि खुशी और गर्व है कि शांतिनिकेतन को आखिरकार यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले 12 वर्षों में इसके बुनियादी ढांचे में काफी वृद्धि की है। बंगाल, टैगोर और भाईचारे के उनके संदेशों से प्यार करने वाले सभी लोगों को बधाई। बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1901 में स्थापित शांतिनिकेतन प्राचीन भारतीय परंपराओं पर आधारित कला के लिए एक आवासीय विद्यालय का केंद्र है। 1921 में शांतिनिकेतन में एक ‘विश्व विश्वविद्यालय’ विश्व भारती की स्थापना की गई थी। धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे मानवता की एकता की दृष्टि इसका दर्शन रहा है। भारत की ओर से पेश किए गए नामांकन डोजियर के अनुसार शांतिनिकेतन सीधे और स्पष्ट रूप से रवींद्रनाथ टैगोर और बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के अग्रदूतों के जीवन, कार्यों और दृष्टि से जुड़ा हुआ है। यह अंतरराष्ट्रीयता, मानवतावाद, समावेशिता, पर्यावरणवाद और एक अखिल एशियाई आधुनिकता वाद के उनके विचारों को प्रदर्शित करता है। डोजियर में कहा गया है कि यह बुद्धिजीवियों, शिक्षकों, कलाकारों, शिल्पकारों और श्रमिकों की सामूहिक प्रतिभा का एक उत्ष्टकृ उदाहरण है, जिन्होंने स्थापित यूरोपीय औपनिवेशिक प्रतिमानों से मुक्त होकर एक अनूठी वास्तुकला से दुनिया को परिचित कराया। शांतिनिकेतन ने सार्वभौमिक मूल्य के अन्य कला आंदोलनों के साथ समानताएं भी खींचीं। शांतिनिकेतन के कला विद्यालय ने एक रोमांटिक मानवतावाद का समर्थन किया जो उदार है। डोजियर को कोलकाता के सिस्टर निवेदिता विश्वविद्यालय के स्लकू ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग के प्रमुख प्रोफेसर मनीष चक्रवर्ती ने प्रसिद्ध वास्तुकार आभा नारायण लांबा के साथ मिलकर तैयार किया था। मनीष चक्रवर्ती का कहना है कि यह भारत, शांतिनिकेतन और बंगाल के लिए अच्छी खबर है। यह वर्तमान और साथ ही भविष्य के लिए बहुत मूल्य रखता है। बात सिर्फ शिक्षा की ही नहीं है। यह कला, पेंटिंग और प्रकृति आदि जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। शांतिनिकेतन में इनका प्रयोग बहुत महत्व के साथ किया गया है। चक्रवर्ती का कहना है कि अब हमें शांतिनिकेतन के आसपास और मुख्य क्षेत्र के प्रबंधन के प्रति अधिक जिम्मेदार होना होगा, जो मुख्य रूप से विश्व भारती विश्वविद्यालय का परिसर है। चक्रवर्ती का कहना है कि डोजियर तैयार करने में लगभग दो साल लग गए। इसका एक बड़ा हिस्सा 2010 में पेश किए गए पिछले डोजियर से लिया गया था। नवीनतम डोजियर 2021 में पेश किया गया था। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क दक्षिण अफ्रीका को भारतीय पर्यटकों की आमद में अच्छी खासी बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसकी वजह भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एयर इंडिया की सीधी उड़ान सेवा की शुरुआत और ई-वीजा की प्रोससिे ंग में तेजी बताई जा रही है। दक्षिण अफ्रीका की पर्यटन मार्केटिंग प्रमोशन काउंसिल ने कहा है कि कोरोना काल से पहले भारत से देश में लगभग एक लाख पर्यटक हर साल आते थे। लेकिन महामारी की वजह से इसमें काफी कमी आ गई। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। दक्षिण अफ्रीकी पर्यटन विभाग की MEISA हब प्रमुख नेलिस्वा कानी ने बताया कि 2023 में जनवरी से जून के बीच करीब 41 हजार पर्यटक आए। हमें उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक हम कोरोना काल से पहले जैसी स्थिति हासिल कर लेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे यहां वीजा को लेकर कुछ दिक्कतें थीं। कोरोना की वजह से स्टाफ भी कम था। हमने ई-वीजा प्रक्रिया भी पूरी तरह शुरू नहीं की है। हालांकि आवेदन लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर भारतीय समूह में स्टांप वीजा के साथ यात्रा करने पसंद करते हैं। हम ट्रैवल ऑपरेटरों को बता रहे हैं कि यात्रियों के पास ई-वीजा का भी विकल्प है। इससे पांच से सात दिन में वीजा मिल जाता है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में भारत से कारोबारी मकसद से यात्रा करने वालों की संख्या 16 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है। करीब 29 प्रतिशत यात्री बैठकों, कॉन्फ्रेंस और प्रदर्शनियों में हिस्सा लेने के लिए आए थे। शांतिनिकेतन अब विश्व धरोहर, मोदी ने बताया- भारतीयों के लिए गर्व का क्षण शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। इसे विश्व धरोहर स्थल का दर्जा हासिल करने के लिए अतीत में बार-बार प्रयास किए गए थे, खासकर 2010 में टैगोर की 150 वीं जयंती के दौरान। लेकिन अब इसे विश्व धरोहर का दर्जामिला है। भारतीय परंपराओं पर आधारित कला के लिए एक आवासीय विद्यालय का केंद्र है। @ayusshsanghi क्रिस मंजापरा और नंदिनी दास। फोटो साभार सोशल मीडिया भारतीयों के लिए दक्षिण अफ्रीका घमना अब और ू भी आसान हुआ दक्षिण अफ्रीका की पर्यटन मार्केटिंग प्रमोशन काउंसिल ने कहा है कि कोरोना काल से पहले भारत से देश में लगभग एक लाख पर्यटक हर साल आते थे। लेकिन महामारी की वजह से इसमें काफी कमी आ गई। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।


Click to View FlipBook Version