*New India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. जब घर जैसा नमककन हो खाना राजभोग नमककन ही लाना Order now - www.rajbhog.com Year 1, Volume 51 Washington DC, Monday 02 October, 2023 www.newindiaabroad.com GOPIO के एकता शिखर सम्मेलन में कई ज्वलंत मसलों पर हुई चर्चा गणपति बप्पा मोरया, ‘रडे मंड राजा’ के दर्शन कर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु ...Page 3 ...Page 16 सांसद श्री थानदार न े े बनाया नया ‘कॉकस’, यह है HBSJ का उद्शदे्य ...Page 7 A platform for the voice of next generation Indian Diaspora भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंध: दोस्ती स दुश े ्मनी में बदलत आठ साल! े ...Page 23 l सुनीता सोहराबजी रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के दावेदार विवेक रामास्वामी ने एलजीबीटीक्यू (समलैंगिक) समुदाय को नाराज कर दिया है। उम्मीदवारी के लिए दसूरी डिबेट के दौरान उन्होंने समलैंगिकता को मानसिक स्वास्थ्य डिसऑरर्ड करार दे दिया। इससे समुदाय में नाराजगी है। विवेक ने कहा कि हमें सच्चाई को स्वीकार करना होगा कि यह (समलगैंिकता) क्या है। किसी बच् के भ्र चे म की पुष्टि करना दयालुता नहीं है। यह करुणा नहीं है। यह क्रूरता है। उन्होंने लिगं परिवर्तन ऑपरेशन को जननांग विकृति बताते हुए कहा कि यदि कोई बच्चा स्कूल में अपनी लिगं पहचान बदलता है तो माता-पिता को सूचित किया जाना चाहिए। बहस के बाद न्यू इंडिया अब्रॉड ने कई भारतीय अमेरिकी एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ताओं ने बात की, जिन्होंने विवेक की टिप्पणी पर निराशा व्यक्त की। कैलिफोर्निया के सिमी वैली में रोनाल्ड रीगन लाइब्रेरी में इस डिबेट के दौरान सात उम्मीदवारों का आमना-सामना हुआ। ज्यादातर समय वे एक-दसूरे पर चिल्लाते रहे। मॉडरटरे उन्हें शांत करने की कोशिश करते नजर आए। इस दौरान उम्मीदवारों ने आव्रजन नीति, अमेरिका-चीन संबंध और लड़खड़ाती अरव्थ्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। पूर्वराष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस डिबेट में भी शामिल नहीं हुए। एनबीसी न्यूज के 24 सितंबर के सर्वेक्षण में ट्रंप 59 प्रतिशत अंकों के साथ रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी में सबसे आगे हैं। उनके निकटतम प्रतिद्द्वं वी फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसैंटिस हैं, जिन्हें 43 प्रतिशत अधिक मत मिले हैं। दक्षिण कैरोलिना की पूर्वगवर्नर निक्की हेली 5.6 प्रतिशत वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं जबकि रामास्वामी 5.2 प्रतिशत मत लेकर चौथे स्थान पर दिखाए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि रियल क्लियर पॉलिटिक्स पोल में राष्ट्रपति जो बाइडेन और हेली के बीच टकराव में हेली को 4 प्रतिशत अंकों से आगे दिखाया गया है। शेष पेज 15 पर l सुनीता सोहराबजी टेनिस की दुनिया के दिग्गज खिलाड़ी राजीव राम का जोश गजब का है। भारतीय अमेरिकी राजीव अब 2024 के ओलपिं क्स की तैयारी कर रहे हैं। 7 सितंबर को ही उन्होंने अपने पार्टनर जो सेलिसबरी के साथ मिलकर अमेरिकी ओपन में लगातार तीसरी बार पुरुष यगलु का खिताब जीता है। राजीव राम इससे पहले भी दो बार ओलपिं क्स खेल चुके हैं। पहली बार 2016 में, जब उन्होंने मिश्रित यगलु में वीनस विलियम्स के साथ जोड़ी बनाई थी। दसूरी बार सेमीफाइनल में रोहन बोपन्ना और सानिया मिर्जा को हराकर अमेरिका के लिए रजत पदक जीता था। उस मैच के बाद राम ने मीडिया से मजाक में कहा था- आज मैं ऐसा शख्स बन गया हूं, जिससे भारत में लोग सबसे ज्यादा नफरत कर रहे होंगे। शेष पेज 17 पर कैलिफोर्निया के सिमी वैली में रोनाल्ड रीगन लाइब्रेरी में इस डिबट के दौरा े न सात उम्मीदवारों का आमना-सामना हुआ। इस दौरान उम्मीदवारों ने आव्रजन नीति, अमरेिका-चीन संबंध और लड़खड़ाती अरव्थ्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर अपनी राय रखी। भारतवंशी टेनिस स्टार राजीव राम ने बताया, किससे लगा ज्यादा डर! विवेक ने समलैंगिकता को मानसिक स्वास्थ्य डिसऑर्डर करार दे दिया। रिपब्लिकन डिबेट में जमकर घमासान हुआ। फोटो साभार सोशल मीडिया LGBTQ पर विवेक के बयान से भड़का समुदाय स्पेशल इंटरव्यू राजीव राम अब ओलंपिक्स की तैयारी कर रहे हैं। (फोटो सौजन्य- राजीव राम) डिसऑर्डर करार दे दिया।
2 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 Indian Star LLC Published Weekly Copyright © 2023 Indian Star LLC Editor in Chief Dr. Sridhar Krishnaswami [email protected] Chief Executive Officer Rajeev Bhambri [email protected] Editor (Hindi) Dr. Rameshwar Dayal [email protected] Registered Address Indian Star LLC, 6215 Rockhurst Rd, Bethesda, MD 20817 USA Email [email protected] Ph. 908-472-0006 Website www.NewIndiaAbroad.Com Disclaimers: 1. New India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. 2. Indian Star LLC assumes no liability for claims / assumptions made in advertisements and advertorials. Views expressed by the writers are their own. A publication of Advisory Board Albert Jasani Entrepreneur and Philanthropist Dr Suresh Kumar President TIE-NJ Media Partner Bollywood Insider l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत में गरै-निवासियों के दावों में जन त ू िमाही में भारी बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के मुताबिक कुल दावे 12.1 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 379.7 बिलियन डॉलर हो गए हैं। इसकी वजह विदेशी स्वामित्व वाली वित्तीय संपत्तियों में तेजी से वृद्धि को माना जा रहा है। भारत की अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से जन की अव ू धि के दौरान आरक्षित संपत्ति में 16.6 अरब अमेरिकी डॉलर रही। इसका भारतीय निवासियों की विदेशी संपत्ति में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान रहा। इसके बाद प्रत्यक्ष निवेश, ऋण और व्यापार ऋण थे। रिजर्व बैंक ने बताया कि जन त ू िमाही के दौरान गरै- निवासियों के शुद्ध दावों में वृद्धि भारत में विदेशी स्वामित्व वाली वित्तीय संपत्तियों (36.2 अरब डॉलर) की तुलना में भारतीय निवासियों की विदेशी वित्तीय संपत्तियों (24.1 अरब अमेरिकी डॉलर) में उच्च वृद्धि के कारण हुई। आरबीआई ने कहा आवक पोर्टफोलियो निवेश (15 अरब डॉलर) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (8.9 अरब डॉलर) मिलकर भारतीय निवासियों की विदेशी देनदारियों में दो-तिहाई वृद्धि की वजह बने हैं। आंकड़ों के अनुसार, जन त ू िमाही के अंत में आरक्षित संपत्ति भारत की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संपत्ति का कुल 64.2 प्रतिशत थी। आरबीआई ने आगे बताया कि भारत की अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों और अंतरराष्ट्रीय देनदारियों का अनुपात जन ू में घटकर 70.9 प्रतिशत हो गया जो एक तिमाही पहले 71.1 प्रतिशत और एक साल पहले 71.5 प्रतिशत था। तिमाही के दौरान कुल बाह्य देनदारियों में ऋण और गरै-ऋण देनदारियों की हिस्सेदारी लगभग बराबर रही। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत में अमेरिकी मिशन ने गुरुवार को इस साल दस लाख गरै- आप्रवासी वीजा आवेदनों को संसाधित करने के अपने लक्ष्य को पार कर लिया। भारत में अमेरिकी राजदत एरिक ू गार्सेटी ने व्यक्तिगत रूप से एक जोड़े को वीजा सौंपा, जिसके बाद यह संख्या 10 लाख हो गई। यह जोड़ा MIT में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे अपने बेटे से मिलने के लिए अमेरिका आएगा। भारत में अमेरिकी राजदत एरिक ू गार्सेटी ने कहा कि भारत के साथ हमारी साझेदारी सबसे महत्वपूर्णद्विपक्षीय संबंधों में से एक होने के साथ-साथ दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। हमारे लोगों के बीच संबंध पहले से कहीं अधिक मजबत हैं औ ू र हम आने वाले महीनों में अधिक से अधिक भारतीय आवेदकों को संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने और अमेरिका-भारत मित्रता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर देने के लिए वीजा कार्य की रिकॉर्ड-सेटिंग मात्रा जारी रखेंगे। राजदत ने कहा ू कि मैं आज भारत, भारतीयों और अमेरिका के लिए बेहद खुश हूं। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि आइए वीजा और विदेश मंत्रालय पर तेजी से आगे बढ़ने में बेहतर काम करें। इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने हैदराबाद जैसे स्थानों में अधिक निकायों को मंजूरी दी ताकि अधिक लोग इन वीजा पर काम कर सके। हमने अपने सिस्टम को बदल दिया है, हमने कड़ी मेहनत और होशियारी से काम किया है और हमने इस वर्ष दस लाख वीजा आवेदन संसाधित किए हैं। दतावास ने बता ू या कि साल 2022 में संसाधित मामलों की कुल संख्या को मिशन द्वारा पहले ही पार किया जा चुका है। महामारी से पहले यानी 2019 की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक आवेदनों पर वरम्त ान में कार्रवाई की जा रही है। दतावास ने जानका ू री देते हुए बताया कि पिछले साल 12 लाख से अधिक भारतीयों ने संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया था। अब दुनिया भर में सभी वीजा आवेदकों में से 10 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं। वहीं छात्र वीजा में भारतीयों का हिस्सा 20 प्रतिशत हो चुका है। H & L श्रेणी के वीजा आवेदकों में यह 65 प्रतिशत है। भारतीयों की विदेशों में बढ़ी संपत्ति, एनआरआई दावों मे भारी उछाल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राजदत एर ू िक गार्सेटी। फोटो: NIA भारत में अमेरिकी मिशन ने वीजा को लेकर पार किया यह जादुई आंकड़ा पिछलेसाल 12 लाख से अधिक भारतीयों नेसंयुक्त राज्य अमरेिका का दौरा किया था। अब दुनिया भर में सभी वीजा आवदकों में े से 10 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं। वहीं छात्र वीजा में भारतीयों का हिस्सा 20 प्रतिशत हो चुका है। H & L श्रेणी के वीजा आवदकों में यह 65 प्र े तिशत है। भारत की अंतरराष्ट्रीय निवश स े ्थिति के आंकड़े बतात हैं े कि अप्रैल से जून की अवधि के दौरान आरक्षित संपत्ति में 16.6 अरब अमरेिकी डॉलर रही। इसका भारतीय निवासियों की विदशी े संपत्ति में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान रहा। Photo by Alexander Mils / Unsplash
न् यू इंडिया अब्रॉड 3 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय मूल के लोगों का वैश्विक संगठन (GOPIO ) एशियन-अमेरिकन एकता गठबंधन (AAUC) का सदस्य है। GOPIO का हाल ही में वाशिगटं न डीसी में यूएसए कैपिटल में एक सफल एकता शिखर सम्मेलन हुआ। शिखर सम्मेलन को कनेक्टिकट के वरिष्ठ सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल, प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति (इलिनोइस), प्रतिनिधि ग्स रे मेंग (न्यूयॉर्क), प्रतिनिधि जूडी च (कै ू लिफोनिया) और प्रतिनिधि श्री थानेदार (मिशिगन) ने संबोधित किया। शिखर सम्मेलन के दौरान एशियाई अमेरिकी शिक्षण, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीपसमूह इतिहास अधिनियम, कोरमेात्सु-ताकाई नागरिक स्वतंत्रता संरक्षण अधिनियम 2023, अफगान समायोजन अधिनियम, अचल संपत्ति भेदभाव निवारण अधिनियम और बैकलॉग उन्मूलन अधिनियम (2023) जैसे कई कई विधायी एजेंडे उठाए गए। एचआर 1535 बिल स्थायी वीजा के बैकलॉग को समाप्त कर देगा जो प्रतीक्षा सची ू में 16 लाख लोगों को प्रभावित करता है जिनमें से 11 लाख लोग भारतीय समुदाय से हैं। विधेयक में पिछले वर्षों में अप्रयुक्त वीजा नंबरों का उपयोग प्रतीक्षा सची ू में शामिल लोगों के लिए किया जाएगा। यह एक द्विदलीय विधेयक है जिसपर अभी तक केवल 10 प्रतिनिधि सभाओं ने ही हस्ताक्षर किये हैं। विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए AAUC अधिकारियों के साथ-साथ उपस्थित लोगों द्वारा कांग्स औरे र सीनेट कार्यालयों का दौरा किया गया। इस अवसर पर AAUC ने प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति को राजनीतिक नेतृत्व में दिलीप सिंह सौंद पुरस्कार, प्रतिनिधि ग्स रे मेंग को सार्वजनिक सेवा में नॉर्मन मिनेटा पुरस्कार, सिलिकॉन वैली भारतीय समुदाय के नेता और फेस्टिवल ऑफ ग्लोब के संस्थापक/अध्यक्ष डॉ. रोमेश जापरा को सामुदायिक सेवा पुरस्कार, एशियाई प्रशांत के संस्थापक अमेरिकन पब्लिक अफेयर्स (एपीएपीए) के संस्थापक सी.सी. यिन वर्ष के परोपकारी व्यक्ति और दो युवा तम्मालिविस सलानोआ और जेसिका व को AAUC ू राष्ट्रपति के विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 27 सितंबर को AAUC प्रतिनिधियों के एक छोटे दल को ब्रीफिंग के लिए व्हाइट हाउस में आमत्रिं त किया गया था। सम्मेलन के दौरान कई विधायी मसलों पर चर्चा की गई। Image : GOPIO एकता शिखर सम्मेलन में मेहमान और मेजबान। Image : GOPIO सम्मेलेन में कई भारतीय-अमेरिकी प्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया। Image : GOPIO l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय-अमेरिकियों के एक समूह ने कनाडा में हिंदुओं के खिलाफ घृणित टिप्पणियों और शत्ताप रु ूर्ण माहौल की निंदा की है। कनाडा सरकार से कहा है कि वह अभिव्यक्ति की आजादी को आतंक की स्वतंत्रता के साथ न मिलाएं। इस मुद् पदे र चुप रहकर हिंदुओं के खिलाफ घृणा से जुड़े अपराधों का समरन ने क ्थ रें। कनाडा में हिंदुओं को देश छोड़ने की धमकी देने वाले खालिस्तान समरक स ्थ मूह का एक आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के बाद अपनी चिंता का इजहार करते हुए भारतीय-अमेरिकियों की तरफ से यह मांग उठाई गई है। इनका कहना है कि यह चिंताजनक है कि खालिस्तानी आतंकवादी कनाडा की धरती पर हिंदुओं के पवित्र स्थलों को अपवित्र कर के बार-बार हिंदू कनाडाई लोगों को धमकी दे रहे हैं। अमेरिका के हिंदूविश्वविद्यालय में अंडरस्टैंडिंग हिंदफो ू बिया के सह-संस्थापक और सह-निदेशक प्रोफेसर इंदु विश्वनाथन ने कहा कि इस तरह के निर्लज्ज हिंदफो ू बिया के सामने चुप रहना या इसे राजनीतिक अभिव्यक्ति का एक स्वीकार्य रूप समझना, घृणा अपराधों के समरन के स ्थ मान है। उन्होंने कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को आतंकवाद की आजादी के साथ नहीं जोड़ना चाहिए। फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज (FIIDS ) के खांडेराव कांड ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि उन्हें कट्टरपंथ और मादक पदार्थगिरोहों को रोकना चाहिए और राजनयिक रूप से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों को संभालना चाहिए। यह आपत्तिजनक खालिस्तानी वीडियो ट्रूडो द्वारा 18 सितंबर को लगाए गए आरोपों के कुछ दिनों बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश कोलबियं ा में 18 जन ू को कनाडाई नागरिक खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कथिति तौर पर भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ भागीदारी का आरोप लगाया था। अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन के सरकारी मामलों के अध्यक्ष डॉ. संपत शिवांगी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी कांग्स से रे मामले में हस्तक्षेप करने और कनाडाई भारतीयों, हिंदुओं और हजारों भारतीय छात्रों के जीवन को खतरों से बचाने के लिए कनाडा को एक संदेश भेजने की अपील की है। इस नफरत को अमेरिका तक फैलाने की चिंताओं पर शिकागो स्थित प्रमुख भारतीय-अमेरिकी नेता भरत बरई ने कह कि मुझे संदेह है कि हमें शांत , लकिे न सतर्क रहना चाहिए। खालिस्तानी एक बहुत छोटे गमरु ाह लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये लोग पाकिस्तानी खुफिया एंजेसी आईएसआई द्वारा उकसाए जाते हैं और नशीली दवाओं की तस्करी, मानव तस्करी और अन्य हिंसक आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं। खालसा टुडे के मुख्य संपादक सुखी चहल ने नफरत फैलाने वाले कट्टरपंथियों को सिख धर्म से अलग करते हुए कहा कि एक सिख के रूप में मैं अपने गुरुओं की शिक्षाओं में दृढ़ता से विश्वास करता हूं, जो मानवता की एकता पर जोर देते हैं। कनाडा में हिंदुओं के खिलाफ शत्ताप रु र ू माहौल, ्ण अमेरिकी समह ने ू की निंदा अमरेिका के हिंदू विश्वविद्यालय में अंडरस्टैंडिंग हिंदूफोबिया के सह-संस्थापक और सह-निदशक े प्रोफेसर इंदु विश्वनाथन ने कहा कि इस तरह के निर्लज्ज हिंदूफोबिया के सामने चुप रहना या इसे राजनीतिक अभिव्यक्ति का एक स्वीकार्य रूप समझना, घृणा अपराधों के समर्थन के समान है। सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 शिखर सम्मेलन के दौरान एशियाई अमरेिकी शिक्षण, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीपसमूह इतिहास अधिनियम, कोरमात े ्सु-ताकाई नागरिक स्वतंत्रता संरक्षण अधिनियम 2023, अफगान समायोजन अधिनियम, अचल संपत्ति भदभाव े निवारण अधिनियम और बैकलॉग उन्मूलन अधिनियम (2023) जैसे कई कई विधायी एजेंडे उठाए गए। GOPIO के एकता शिखर सम्मेलन में कई ज्वलंत मसलों पर हुई चर्चा Photo by sebastiaan stam / Unsplash
[email protected] 4 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क अमेरिका में कैलिफोर्निया के नागरिक अधिकार विभाग के खिलाफ हिंदू संगठनों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन और अन्य का आरोप है कि विभाग ने राज्य में रहने वाले हिंदुओं के कई संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कैलिफोर्निया के नागरिक अधिकार विभाग का यह दावा कि जाति व्यवस्था और जाति आधारित भेदभाव हिंदूशिक्षाओं और प्रथाओं का अभिन्न अंग हैं, गलत है। ये दावा करके उसने हिंदुओं के अधिकारों का उल्लंघन किया है। ये याचिका हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के कैलिफोर्निया स्थित कई सदस्यों द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता में दाखिल की गई है। इनमें लंबे समय से कैलीफोर्निया में रह रहे इंटरफेथ नेता दिलीप अमीन भी शामिल हैं। मीडिया में जारी बयान के अनुसार, तीनों याचिकाकर्ता भारतीय मूल के हिंदू हैं। वे तकनीकी क्षेत्र में काम करते हैं। उनका दावा है कि हिंदुओं और भारतीयों को लेकर विभाग के असंवैधानिक और गलत बयानों से उन्हें सीधे चोट लगी है। इसी वजह से उन्होंने ये याचिका दायर करने का फैसला लिया है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक समीर कालरा ने कहा कि अदालत ने कहा है कि प्रारंभिक शिकायत में विशिष्टता का स्तर होना चाहिए जो आमतौर पर जरूरी नहीं होता है। कैलिफोर्निया के इस विभाग ने दिया हिंदू विरोधी बयान, संगठन पहुंचे कोर्ट तेजी से ब ूढ़ा हो रहा है युवा भारत, यूएन की रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत को दुनिया में सबसे युवा लोगों के देशों में से एक माना जाता है। लकिे न संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की नई रिपोर्टमें कहा गया है कि भारत में बुजुर्गों की आबादी अभतपू ूर्व दर से बढ़ रही है और सदी के मध्य तक देश में बच्चों की आबादी से भी ज्यादा हो सकती है। यूएनएफपीए की ‘इंडिया एजिगं रिपोर्ट 2023’ में दावा किया गया है कि युवा भारत आने वाले दशकों में तेजी से बढू़े होते समाज में बदल जाएगा। रिपोर्टमें कहा गया है कि साल 2021 में राष्ट्रीय स्तर पर 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों का आबादी में हिस्सा 10.1 प्रतिशत था जो 2036 में बढ़कर 15 प्रतिशत और 2050 में 20.8 प्रतिशत तक होने का अनुमान है। रिपोर्टमें कहा गया है कि सदी के अंत तक भारत की कुल आबादी में बुजुर्गों की संख्या 36 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। 2010 के बाद बुजुर्गों की आबादी में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। एक तरफ जहां बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है, वहीं 15 वर्ष से कम आयु के लोगों में गिरावट आई है। 2021 के जनसंख्या अनुमान के अनुसार, भारत में हर 100 बच्चों पर 39 बुर्जुग हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2046 में भारत में बुजुर्गों की जनसंख्या 0-14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों की आबादी से अधिक हो जाएगा। उस समय तक 15-59 वर्ष की उम्र वालों की हिस्सेदारी में भी गिरावट आएगी। इस तरह आज का अपेक्षाकृत युवा भारत आने वाले दशकों में तेजी से बढू़े होते समाज में बदल जाएगा रिपोर्ट के अनुसार भारत में दक्षिण के अधिकांश राज्यों और हिमाचल प्रदेश व पंजाब जैसे कुछ उत्तरी राज्यों में 2021 में राष्ट्रीय औसत की तुलना में बुजुर्ग आबादी अधिक थी। 2036 तक यह अंतर और बढ़ने की संभावना है। उच्च प्रजनन दर और जनसांख्यिकीय संक्रमण में पिछड़ने वाले बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में 2021 और 2036 के बीच बुजुर्ग आबादी की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, हालांकि यह स्तर राष्ट्रीय औसत से कम रहेगी। सांकेतिक फोटो by Abhas Mishra / Unsplash हिंद संगठन ू के कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए। फोटो एक्स @HinduAmerican शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कैलिफोर्निया के नागरिक अधिकार विभाग का यह दावा कि जाति व्यवस्था और जाति आधारित भदभाव े हिंदू शिक्षाओं और प्रथाओं का अभिन्न अंग हैं, गलत है। य दावा करके उ े सनेहिंदुओं के अधिकारों का उल्लंघन किया है।
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6 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्री थानेदार ने हिंद, बौ ू द्ध, सिख और जैन ((HBSJ) अमेरिकियों के हितों की रक्षा के लिए एक नए कॉकस का गठन किया है। उन्होंने वाशिगटं न में नये कॉकस की घोषणा करते हुए इसकी आवश्यकता और उद्देश्यों का खुलासा किया । कॉकस का उद्देश्य धार्क भेदभाव का मि मुकाबला करने के साथ ही विभिन्न धर्मों के बीच सौहार्द कायम करना है। कॉकस का ऐलान करते हुए सबसे पहले अमेरिकी सांसद ने हिंद, बौ ू द्ध, सिख और जैन धर्मों के विविध प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कहा कि यहां हम सिर्फ एक और कॉकस शुरू करने के लिए एकत्र नहीं हुए हैं। हमारा उद्देश्य एक ऐसे आंदोलन को आगे बढ़ाना है जो समावेश और सकारात्मक नीतिगत कार्यों के लिए प्रयासरत हो। एक ऐसा आंदोलन जिसमें हरेक धर्म, जाति, समुदाय और संस्कृति के लिए स्थान हो। अमेरिका भी हर किसी की आस्था, संस्कृति और समुदाय का घर है। मरेा नाम श्री थानेदार है। मैं कांग्स रे में अमेरिका की विविधता का प्रमाण हूं। अमेरिकी सांसद ने कहा कि आज का दिन कई कारणों से महत्वपूर्ण है। आपमें से कई लोगों को ऐसा लग सकता है कि HBSJ महज एक औपचारिकता है। लकिे न आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह उससे कहीं ज्यादा है। यह मंच धार्क भेदभाव के मि खिलाफ खड़े होने और एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करने की प्रतिबद्धता है जहां विविधता की न केवल जगह हो बल्कि उसे सब मिल-जुलकर स्वीकार करें और उसका उत्सव मनाएं। श्री थानेदार ने बताया कि यह कॉकस विचारविमर्श करने, गतिविधियों में शामिल होने, हमारी संस्कृति और समाज के बारे में गलत सचना ू और दुष्प्रचार को दूर करने, धार्क स मि ्वतंत्रता को व्यक्त करने, हमारे अस्तित्व की रक्षा करने और नफरत और कट्टरता को पीछे धकेल कर हम कौन हैं इसके बारे में सच बोलने का एक मंच तैयार करगेा। उन्होंने साफ किया कि हम अमूर्त समुदायों या वैचारिक समस्याओं के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। ये वास्तविक मुद् हैं जो अस दे ल में लोगों, हमारे मित्रों, हमारे पड़ोस और हमारे घटकों को प्रभावित कर रहे हैं। इस देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जीवन को करीब 30 लाख हिंद, ू 12 लाख बौद्ध, 5 लाख सिख और लगभग 2 लाख जैन समुदाय के लोग समद्धृ कर रहे हैं। लगभग 1000 हिंदूमदिर ं , 1000 बौद्ध मदिर ं , 800 सिख गुरुद्वारे और 100 जैन मदिर ं पूरे अमेरिका में फैले हुए हैं जो सामुदायिक विकास, परोपकार और आध्यात्मिक कल्याण के केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। इसलिए जब हम इन समुदायों के बारे में बात करते हैं तो हम अपने देश की आबादी के एक बड़ेहिस्से के बारे में बात कर रहे हैं। एक ऐसा हिस्सा जो अमेरिकी संरचना में महत्वपूर्णयोगदान देता है पर फिर भी अक्सर उसका पूरी तरह से प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता या उसे गलत समझा जाता है। इसके बाद श्री थानेदार ने विभिन्न धर्म और समुदायों से जुड़े कुछ आंकड़े साझा किये जिनसे साफ हो जाता है कि समुदाय विशेष के लोगों को अनेक अवसरों पर भेदभाव, पक्षपात और यहां तक कि हिंसा का भी सामना करना पड़ता है। श्रीथानेदार ने यह आंकड़े इसलिए साझा किये ताकि नये कॉकस की प्रासंगिकता साबित हो सके। सांसद श्री थानेदार ने बनाया नया ‘कॉकस’, यह है HBSJ का उद्शदे्य श्री थानेदार ने नये कॉकस की घोषणा वाशिंगटन में की। Image : twitter@ Shri Thanedar अमरेिकी सांसद श्री थानेदार ने कहा कि आज का दिन कई कारणों से महत्वपूर्ण है। आपमें से कई लोगों को ऐसा लग सकता है कि HBSJ महज एक औपचारिकता है। लेकिन आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह उससे कहीं ज्यादा है। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क इन दिनों भारत और कनाडा के संबंधों में बेहद खटास है। लगभग टकराव के हालात हैं। नरमी कहीं दिखाई नहीं पड़ रही। ऐसे में भारत के वे छात्र जो कनाडाई विश्वविद्यालयों में अपना शिक्षा-सत्र शुरू करने वाले हैं अत्यधिक दुविधा में हैं। यक्षप्रश्न यही है कि क्या कनाडा जाना सुरक्षित है? भारतीय छात्रों और अभिभावकों के मन में उठे इसी डर को कम करने के लिए कनाडा के सबसे बड़ेविश्वविद्यालय, टोरटं ो विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय में नामांकित सभी भारतीय छात्रों को राहत का अहसास कराया है। विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी किया है। विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष जोसेफ वोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा-यूनिवर्सिटी ऑफ टोरटं ो को अपने तीन परिसरों में भारत से इतने सारे छात्रों का स्वागत करने पर गर्व है। इस कठिन समय के दौरान उनका और हमारे व्यापक समुदाय का समरन ्थ करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए संसाधन भी साझा किए हैं जिनमें मानसिक स्वास्थ्य पोर्टल के साथ-साथ आप्रवासन और वीजा सहायता, शैक्षणिक सहायता सेवाएं और व्यक्तिगत सहायता सेवाएं शामिल हैं। संदेश में आगे कहा गया गया है कि हम अपने समुदाय के सभी प्रभावित लोगों और खास तौर से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं आप सबका यहां स्वागत है और हम आपकी भलाई और सहायता के लिए तहेदिल से प्रतिबद्ध हैं। यदि आप हमारे सहायता संसाधनों की मदद से कोई जानकारी या अन्य सहायता हासिल करना चाहते हैं को आपका स्वागत है। टोरटं ो विश्वविद्यालय में भारत के 2,400 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। आव्रजन, शरणार्थी और नागरिकता कनाडा (IRCC) के आंकड़ों के अनुसार 2022 में भारतीय छात्रों के लिए कुल 226,450 वीजा स्वीकृत किए गए थे। इस साल भी हजारों छात्र पढ़ाई के लिए कनाडा का रुख करने वाले हैं और उनका वीजा भी आ गया है लकिे न इस बीच दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ जाने से भारतीय छात्र स्वाभाविक रूप से चिंतित थे। ऐसे में टोरटं ो विश्वविद्यालय का यह पैगाम उन्हे अवश्य राहत पहुंचाएगा। टोरंटो विश्वविद्यालय ने भारतीय छात्रों को क्या दिया पैगाम? टोरंटो विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष जोसेफ वोंग नेसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा-यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो को अपने तीन परिसरों में भारत से इतनेसार छा े त्रों का स्वागत करने पर गर्व है। टोरंटो विश्वविद्यालय में भारत के 2,400 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। Image : twitter@University of Toronto
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 7 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क पृथ्वी पर मां दुर्गा के आगमन और महिला शक्ति का प्रतीक पर्व भारत और दुनिया के अन्य देशों में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी क्रम में न्यू जर्सी स्थित महिलाओं का गरै लाभकारी संगठन ‘अग्रणी’ इस बार दुर्गा पजा का ू उत्सव पारंपरिक उल्लास और महिला शक्ति को समर्पण भाव से मनाने जा रहा है। अग्रणी की आधारशिला कुछ उत्साही महिलाओं ने 3 जनवरी 2022 को रखी थी। कुछ ही समय में यह संगठन अमेरिका के भारतीय समुदाय में अपने कार्यों और उद्देश्यों के कारण ख्याति अर्जित कर चुका है। अग्रणी का मिशन महिलाओं को सशक्त बनाने, समुदायों का उत्थान करने और आधी आबादी तथा बच्चों पर केंद्रित धर्मार्थ कार्यों का समर्थन है। संगठन का नेतृत्व पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है और 18 महीने की अपनी छोटी सी यात्रा में इसने कामयाबी की कई गाथाएं लिखते हुए अब 14 और 15 अक्तूबर को प्लेनफील्ड हाई स्कूल, न्यी जर्सी में दुर्गा पूजा का ऐसिताहिक पर्व मनाने की तैयारी की है। अग्रणी की यात्रा सकारात्मक सामाजिक प्रभाव पैदा करने के लिए महिलाओं को एकजुट करने के विचार के साथ शुरू हुई। तब से यह संगठन विविध पृष्ठभूमि की समर्पित महिलाओं के नेतृत्व में फला-फूला है। यहां महिलाएं सामुदायिक नेताओं के रूप में काम करती हैं और अग्रानी के मिशन को सफलता की ओर ले जाते हुए आगे बढ़ती हैं। अग्रणी के काम की एक विशिष्टता विभिन्न आयोजनों के माध्यम से समुदाय को वापस लौटाने की प्रतिबद्धता है जिससे प्राप्त आय से अमेरिका में महिलाओं और बच्चों को समर्पित संगठनों को लाभ मिलता है। बंगाली समुदाय के अलावा महिलाओं के एक विविध समूह के रूप में अग्रणी की अब अन्य भारतीय भाषा संस्कृतियों में भी उपस्थिति है क्योंकि वे अग्रणी हैं। मिसाल के तौर पर पिछले वर्ष का अनुष्ठान एक महिला पुजारी द्वारा संपन्न कराया गया। इस वर्ष भी अग्रणी की दुर्गा पूजा भव्य होने जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि इसमें दो दिनों में 2000 लोग शामिल होंगे। सभी के लिए दोपहर का भोजन मुफ्त रहेगा। यह आयोजन पू्र्ण रूप से महिलाओं द्वारा संचालित होगा जो अमेरिका में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आयोजन में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा धन-संचय भी किया जाएगा ताकि महिलाओं के सशक्तीकरण में लगे समूहों को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान की जा सके। संगठन का दावा है कि अमेरिका में महिलाओं के नेतृत्व वाला यह सबसे बड़ा दुर्गा पजा उत ू ्सव है। Image : NIA अंतरराष्ट्रीय एमी अवॉर्ड्स 2023 के लिए नॉमिनेट हुए भारत के तीन सितारे। फोटो : @shorts_91 l विशेष संवाददाता अंतरराष्ट्रीय एमी अवॉर्ड्स 2023 के लिए नॉमिनेट हुए सदस्यों की लिस्ट जारी कर दी गई है। इनमें भारत के तीन सितारों शेफाली शाह, जिम सर्भ और वीर दास को जगह मिली है। शेफाली को ‘दिल्ली क्राइम 2’, जिम को रॉकेट ब्वॉयज’ और वीर को ‘वीर दास: लैंडिंग’ के लिए नामांकन मिला है। इन नामांकन के अलावा प्रोड्यूसर एकता कपूर को 51वें इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्समें इंटरनेशनल एमी डायरेक्टोरटे अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। ये आयोजन 20 नवंबर 2023 को न्यूयॉर्क में होगा। जिम को ‘द रॉकेट बॉयज’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में नामांकित किया गया है। जिम अर्जेंटीना के गुस्तावो बासानी, यूके के मार्टिन फ्रीमैन और स्वीडन के जोनास कार्लसन के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। शेफाली शाह को श्रृंखला ‘दिल्ली क्राइम 2’ में उनकी भूमिका के लिए एक अभिनेत्री श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में नामांकित किया गया है। इस श्रेणी में उनका मुकाबला डेनमार्क की ‘ड्रोमरेेनकरेन ब्लिक्सन ब्लिवर टिल (द ड्रीमर-बीइंग करेन ब्लिक्सर)’ में कोनी नीलसन, ब्रिटेन की ‘आई हेट सजी ू टू’ के लिए ‘बिली पाइपर’ और मक्सिै को की ‘ला कैडा’/’डाइव’ में कार्ला सजा से है। ू अभिनेता-कॉमडेियन वीर दास को उनके शो ‘वीर दास: लैंडिंग’ के लिए कॉमडेी श्रेणी में एमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है, जहां उनकी प्रतियोगिता में यूके से ‘डेरी गर्ल्स - सीजन 3’, अर्जेंटीना से ‘एल एनकारगाडो’ (द बॉस) और फ्रांस के ‘ले फ्लैमब्यू - सीजन 2’ शामिल हैं। इंटरनेशनल एकेडमी के सीईओ ब्स पैसन रू र ने आधिकारिक एमी वेबसाइट पर एक बयान में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय एमी प्रतियोगिता दुनिया भर में टेलीविजन में उत्कृष्टता को पहचानने के लिए सर्वोच्च सम्मान है। हम अपने वैश्विक मंच पर इन उत्कृष्ट कार्यक्रमों और प्रदर्शनों को पहचानने के लिए नवंबर में न्यूयॉर्क शहर में अंतरराष्ट्री टेलीविजन समुदाय को एक मंच पर लाने के लिए तत्पर हैं। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इजरायल, जापान, मक्सिै को, पुरग्त ाल, कतर, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, तुर्की और ब्रिटेन से कलाकारों को नामांकन मिला है। पुरस्कार समारोह से पहले 17- 19 नवंबर तक विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विजेताओं की घोषणा 20 नवंबर, 2023 को न्यूयॉर्क शहर में 51 वें अंतरराष्ट्रीय एमी अवार्ड्स समारोह में की जाएगी। भारत के इन सितारों का अंतरराष्ट्रीय एमी अवॉर्ड्स 2023 के लिए नामांकन अंतरराष्ट्रीय एमी अवॉर्ड्स 2023 के लिए भारतीय सितार शे फा े ली को ‘दिल्ली क्राइम 2’, जिम को रॉकेट ब्वॉयज’ और वीर को ‘वीर दास: लडिैं ंग’ के लिए नामांकन मिला है। विजताओं की घोषणा े 20 नवंबर, 2023 को न्यूयॉर्क शहर में 51 वें अंतरराष्ट्रीय एमी अवार्ड्ससमारोह में की जाएगी। संगठन का नेतृत्व पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है और 18 महीने की अपनी छोटी सी यात्रा में इसने कामयाबी की कई गाथाएं लिखते हुए अब 14 और 15 अक्तूबर को प्लेनफील्ड हाई स्कूल, न्यी जर्सी में दुर्गा पूजा का ऐसिताहिक पर्व मनाने की तैयारी की है। दुर्गा पूजा: महिलाओं के नेतृत्व में नारी शक्ति का उत्सव मनाएगा ‘अग्रणी’ demo Photo by Sonika Agarwal / Unsplash
8 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क दक्षिण एशियाई मानसिक स्वास्थ्य पहल और नेटवर्क (SAMHIN) ने बीते महीने अपने स्वयंसेवकों के उत्साहवर्धन के लिए एक पिकनिक का आयोजन किया। कोविड महामारी के बाद कई लोगों के लिए मिलने का यह पहला अवसर था, लिहाजा माहौल उत्साहजनक था। पिकनिक में शामिल लोगों ने स्वादिष्ट भारतीय भोजन का आनंद लिया, मजेदार खेल खेले और आपसी मले जोल को बढ़ाने के लिए रजामंदी जाहिर की। पिकनिक के ही दौरान 2014 में लॉन्च होने के बाद से SAMHIN की प्रगति के बारे में जानकारी साझा की गई। यह एक छोटी प्रस्तुति थी। हेल्पलाइन, सहायता समूह, कार्यशालाएं और सामुदायिक पहुंच से जुड़े अभियानों पर चर्चा की गई और उनका जश्न मनाया गया। SAMHIN के अनेक कार्यक्रमों में मानसिक स्वास्थ्य जांच भी शामिल है। खेलकद औू र मनोरंजन के इस माहौल में जो लोग SAMHIN के काम से सकारात्मक रूप से प्रभावित हुए उन्होंने भी अपने विचार और अनुभव साझा किए। गौरतलब है कि SAMHIN को अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन फाउंडेशन की ओर से एडवांसिगं माइनॉरिटी मेंटल हेल्थ अवार्ड इसी साल मिला है। यह पुरस्कार उन संगठनों को दिया जाता है जो उपचार में रूढ़ियों समेत अन्य बाधाओं को दूर करके वंचित समुदायों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करते हैं। वंचित समुदायों के बीच SAMHIN के प्रेरक कार्यों को देखते हुए ही साइकियाट्रिक एसोसिएशन की ओर से संगठन का सम्मान किया गया था। संगठन उन सामाजिक रूढ़ियों को ध्वस्त करने का लगातार प्रयास करता है जो मानसिक उपचार के दौरान रोगियों और सामाजिक स्तर पर व्यावहारिक स्तर पर देखने को मिलती हैं। संगठन का मानना है कि मानसिक रोगियों के उपचार के लिए सामाजिक सोच को भी बदलना बेहद जरूरी है। संगठन का मानना है कि मानसिक रोगियों के उपचार के लिए सामाजिक सोच भी बदलना जरूरी है। Image : NIA कोविड महामारी के बाद कई लोगों के लिए मिलने का यह पहला अवसर था। Image : NIA पिकनिक में शामिल लोगों ने स्वादिष्ट भारतीय भोजन का आनंद लिया। Image : NIA भारतीय मल ू की सैली को इस कंपनी ने बनाया CEO, 25 वर्षों का है अनुभव SAMHIN को अमरेिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन फाउंडेशन की ओर से एडवांसिंग माइनॉरिटी मेंटल हले ्थ अवार्ड इसी साल मिला है। SAMHIN ने मनाई पिकनिक, आनंद बांटा, स्वयंसेवक हुए उत्साहित l विशेष संवाददाता जॉनी वॉकर जैसी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाने वाली शराब कंपनी डियाजियो (Diageo) ने भारतीय मूल की अमेरिकी सैली ग्रिम्स को उत्तरी अमेरिका का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नियुक्त किया है। डियाजियो ने 21 सितंबर की घोषणा में कहा कि भारतीय मूल की सैली के पास खाद्य और पेय क्षेत्र में 25 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उपभोक्ता वस्तुओं के कारोबार में उन्हें महारत हासिल है। सैली की पहचान एक विश्व स्तरीय इनोवेटर और ब्रांड बिल्डर के रूप में है। वह मुख्य कार्यकारी डेबरा क्रू को रिपोर्ट करगेंी और डियाजियो कार्यकारी समिति में शामिल होंगी। सैली हाल ही में उत्तरी अमेरिका में क्लिफ बार एंड कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी थीं। इस भूमिका में उन्होंने 10 साल तक रणनीतिक कौशल के साथ सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। सैलीअमेरिका के शिकागो में बोरबोनिस में पली-बढ़ी हैं। उनके माता-पिता 1960 के दशक में अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए भारत से आए थे। बताया गया है कि है कि ग्रिम्स का पहला नाम शोबाना है और उसका मध्य नाम सैली है, जिसे उनकी मां की पहली अमेरिकी दोस्त के अमेरिका पहुंचने के बाद उनके सम्मान में चुना था। उनकी मां एक आहार विशेषज्ञ थीं, जबकि उनके पिता एक अस्पताल में अनुभवी प्रशासक थे। शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि बचपन में मुझे याद है कि हर बार भोजन में हमेशा इस बारे में बात की जाती थी कि हम अगले भोजन के लिए क्या करने जा रहे हैं। हमारी आकांक्षाएं पाक कला की तुलना में रचनात्मकता पर अधिक केंद्रित थीं। उन्होंने बताया कि उनकी पहली नौकरी घर के बने ग्रीटिंग कार्ड को घर-घर बेचना था। सैली का कहना है कि हालांकि मरेे पिता ने हमेशा मरेा सहयोग किया। लकिे न वे बहुत पारंपरिक और रूढ़िवादी थे। जैसे-जैसे मैं बड़ी हो रही थी तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे यकीन नहीं है कि कला तुम्हारी पसंद का कैरियर का रास्ता होना चाहिए। क्लिफ में शामिल होने से पहले सैली टायसन फूड्स के तैयार फूड्स सेगमटें की समूह अध्यक्ष थीं। जहां उन्होंने ग्लोबल सीईओ को रिपोर्ट करते हुए 25,000 लोगों पर आधारित संगठन चलाया। उनका शुरुआती करियर बैंकिंग में शुरू हुआ। इसके बाद वह बड़ी उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों के भीतर कई पदों पर रहीं। वालपराइसो विश्वविद्यालय, इंडियाना से उन्होंने फाइनैंस में स्नातक की डिग्री हासिल की है। एमबीए के लिए शिकागो विश्वविद्यालय जाने से पहले उन्होंने फर्स्टसिटीजन बैंक में कुछ साल बिताए। बिजनेस स्कूल के बाद उनकी पहली नौकरी क्राफ्ट में थी, जहां उन्होंने प्रतिष्ठित ‘ब्लू बॉक्स’ क्राफ्ट मैकरोनी एंड पनीर व्यवसाय पर एक सहयोगी ब्रांड मैनेजर के रूप में शुरुआत की। इसके बाद सैली ने अपने पोर्टफोलियो को आकार देने पर काम करना शुरू कर दिया। उनका पहला उत्पाद लॉन्च स्पंजबॉब स्क्वायरपैंट्स, मैकरोनी और पनीर था। बाद के असाइनमटें में क्राफ्ट सलाद ड्रेसिगं , डिजियोर्नो पिज्जा और जेल-ओ शामिल थे। उन्होंने 2007 में क्राफ्ट को अलविदा कह दिया। फिर उन्होंने न्यूवेल में मार्केटिंग का नेतृत्व किया। उनके पति स्टीव ग्रिम्स अमेरिका के रिटेल प्रॉपर्टीज के सीईओ हैं। वह अपने पति, बेटी इसाबेल और बेटे नह के सा ू थ शिकागो में रहती हैं। सलै ी अमरेिका के शिकागो में बोरबोनिस में पली-बढ़ी हैं। उनके माता-पिता 1960 के दशक में अपनी शिक्षा को आग बढ े ़ाने के लिए भारत से आए थे। सलै ी की पहचान एक विश्व स्तरीय इनोवटर और े ब्रांड बिल्डर के रूप में है। उपभोक्ता वस्तुओं के कारोबार में उन्हें महारत हासिल है। सैली को उपभोक्ता वस्तुओं के कारोबार में महारत हासिल है।
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10 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l मनोज शर्मा भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित आगरा शहर वैसे तो अपने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। लकिे न क्या आप जानते हैं कि यहां पर ‘दुनिया का सबसे ऊंचा दरवाजा’ भी है। ऐसा दरवाजा जिसकी ऊंचाई 53 मीटर और चौड़ाई 35 मीटर से भी ज्यादा है। इस दरवाजे को 400 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लकिे न यह आज भी बुलंदी से खड़ा है। चौंक गए न! आज इसी दरवाजे की कहानी और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य आपको बताते हैं। दुनिया का यह सबसे ऊंचा दरवाजा बुलंद दरवाजा के नाम से मशहूर है। इसका निर्माण 1602 ईसवी में हुआ था। भारत में मगलु सम्राट अकबर ने इसे बनवाया था। बताया जाता है कि गुजरात पर विजय हासिल करने के बाद सम्राट अकबर ने इस दरवाजे का निर्माण कराया था। दक्कन पर जीत के अभिलेख यहां पर अभी तक लगे हुए हैं। सन 1571 से लेकर 1585 तक आगरा के पास स्थित फतेहपुर सीकरी मगलु शासकों की राजधानी रही थी। यह बुलंद दरवाजा यहीं पर स्थित है। देश-विदेश से हजारों पर्यटक यहां पर घूमने के लिए और प्राचीन इतिहास के इस नायाब नमूने को निहारने के लिए आते हैं। बुलंद दरवाज से जुड़े कुछ रोचक तथ े ्य- m यह दरवाजा 53.63 मीटर ऊंचा है और इसकी चौड़ाई 35 मीटर है। m यह दरवाजा फारसी और हिंद सू ्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। m इसका निर्माण 1602 में लाल बलुआ पत्थर से किया गया था। m सफेद और काले संगमरमर से इसे खबसू ूरती से सजाया गया है। m इस दरवाजे के आगे और स्तंभों पर कुरान की आयतें लिखी हैं। m तोरण द्वार पर बाइबल की कुछ पंक्तियां भी लिखी हुई हैं। m बुलंद दरवाजे पर पारसी में शिलालेख भी लगा हुआ है। m 280 फुट ऊंचे इस दरवाजे को बनाने में 12 साल का वक्त लगा था। m इसमें लगे विशाल किवाड़ आज भी ज्यों के त्यों सुरक्षित हैं। m दरवाजे के आगे 42 सीढ़ियां बनी हैं, जिनसे चढ़कर लोग अंदर जाते हैं। m मगलु कालीन यह विरासत यूनेस्को से प्रमाणित विश्व संरक्षित स्थल है। कैस दे खने जाएं- े यह बुलंद दरवाजा आगरा से करीब 40 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी में स्थित है। वैसे तो आगरा में भी एयरपोर्ट है। लकिे न अधिकतर विदेशी पर्यटक दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से टैक्सी या पर्यटक वाहनों के जरिए आगरा घूमने जाते हैं। आगरा शहर ट्रेन, बस और निजी पर्यटक वाहनों से अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। क्या आपने देखा भारत में बना दुनिया का सबसे ऊंचा दरवाजा, जानें खासियत बुलंद दरवाजा। फोटो साभार सोशल मीडिया सन 1571 सेलेकर 1585 तक आगरा के पास स्थित फतहपुर े सीकरी मुगल शासकों की राजधानी रही थी। यह बुलंद दरवाजा यहीं पर स्थित है। दश- े विदश े से हजारों पर्यटक यहां पर घूमने आत हैं। े
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वहीदा: यूं ही कोई सबके ‘दिलों’ पर राज नहीं करता जस्टिन ट्रूडो पहले कुछ सवालों के जवाब तो दें... l डॉ. रामेश्वर दयाल कॉलेज के दिनों की बात है। तब भारत की राजधानी नई दिल्ली के प्रगति मैदान (वह क्षेत्र जहां G20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था) शाकुंतलम थियटरे , हंसध्वनि थियटरे , लाल चौक थियटरे में रोजाना शाम ढले हिंदी क्लासिक फिल्में चला करती थीं। यहीं पर ही मैंने अपने वक्त की टॉप नेत्री वहीदा रहमान की गाइड, चौहदवीं का चांद, रेशमा और शेरा, साहेब, बीबी और गलुाम जैसी क्लासिक फिल्में देखीं थी। भारत के बड़े बड़े हीरो के साथ आई इन फिल्मों ने यह दिखा दिया कि वहीदा रहमान इनसे कम नहीं है। उसके एक्टिंग का जो समां बांधा, उसने मुझे बार इन फिल्मों को देखने के लिए प्रेरित किया, क्यों? आगे बताते हैं। दिल्ली का कोई भी मौसम हो, सांझ ढले प्रगति मैदान की रगं त देखते ही बन जाती थी। पूरे ओपन एरिया में हलके साउंड में शास्त्रीय व फिल्मी संगीत सुनाई देता था। बीच में बना आर्टिफिशियल तालाब और अलग अलग तरीके की लगी लाइटें मुझ जैसे कॉलेज में पढ़ने वाले युवा को आकर्षित करती थीं। सोने पर सुहागा यह कि यहां शाकुंतलम थियटरे को छोड़कर बाकी थियटरे ों पर फ्री फिल्में देखी जा सकती थीं। ये फिल्में वे हुआ करती थीं जो दिल्ली के सिनेमाघरों में कम ही दिखाई जाती थी, उसका कारण यह था कि ये फिल्में एक खास वर्ग की फिल्में थीं और पढ़ाई और साहित्य में डूबा युवा इन फिल्मो को देखने के लिए लालायित करता था। मैं सरकार का शुक्रगुजार हूं कि अपने युवा दौर में मैंने प्रगति मैदान में भारत की एक से एक शानदार व क्लासिकल फिल्में देखीं। अब बात करते हैं नायिका वहीदा रहमान की। यूं तो वहीदा रहमान की कई फिल्मों ने मुझे बेहद भावुक और सोचने पर मजबूर किया और यह भी बताया कि उस दौर में जब तड़क-भड़क वाली फिल्मों का दौर चल रहा था, तब वहीदा रहमान अपनी फिल्मों से महिला सशक्तिकरण की बात कर रही थी, विवाहेतर संबंधों पर सोचने पर मजबूर कर रही थी, साथ ही अपनी ऐंद्रिक अदाकारी से युवाओं को लुभा रही थीं। गाइड फिल्म की बात करें तो इस पुरानी फिल्म में वहीदा ने विवाहेतर संबंधों को बारीकी से उकेंरा और बताया कि अगर उसे पति का प्रेम नहीं मिलगेा तो वह कैसे अन्य युवा की ओर आकर्षित हो सकती है। इस फिल्म के गानों ने पुराने वक्त में जो धूम मचाई थी, वह आज भी जारी है। वहीदा की साहेब, बीबी और गलुाम ऐसी फिल्म थी, जिसमें अंग्जों के शासनका रे ल के दौरान रियासत दौर का बारीकी से चित्रण किया गया था। वहींदा की की ऐसी फिल्में लगातार आती रहीं जो भारतीय सिनेमा के बने लीके से हटकर थीं। इनमें ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवी का चांद’, ‘खामोशी’ जैसी फिल्में शामिल हैं। उनकी एक फिल्म रेशमा और शेरा तो गजब फिल्म थी, जिसमें राजस्थानी राजपतों की ू आपसी लड़ाई को बारीकी दे प्रदर्शित किया गया था। वर्ष 1971 में आई इस फिल्म का गाना ‘तू चंदा मैं चांदनी, त तरुव ू र मैं शाख, त बाद ू ल में बिजली’ वहीदा व सुनील दत्त पर रगेिस्तान में फिल्माया गया था और आप हैरान होंगे कि उस वक्त इस एक गाने पर ही करीब 5 लाख रुपये खर्चकिए गए थे। इस फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला था। वहीदा ने फिल्मों से कभी नाता नहीं तोड़ा, छह दशक लंबे करियर में 90 से ज्यादा फिल्में कीं। उनके द्वारा अभिनीत आखिरी फिल्म स्पोर्ट्स ड्रामा स्केटर गर्ल थी। लकिे न कुछ साल पहले आई लम्हें फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवा दिया था। उन्हें पद्म श्री और पद्म भषण अवा ू र्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। अब उन्हें भारतीय फिल्मों का सर्वोच्च सरकारी सम्मान दादा साहब फाल्केलाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। अमेरिकी सत्ता से बस एक चीज नहीं हो पाती और वह यह कि मामला कहीं का भी और किसी का भी हो वह उसमें लिप्त हुए बगरै नहीं रह पाता। भले ही उससे उसका कोई लेना-देना न हो। इसी फितरत का शानदार उदाहरण है भारत-कनाडा विवाद। यह अलग बात है कि भारतीय अधिकारियों की शिकायत का रोना लेकर ट्रूडो ही बाइडेन के कंधे तक पहुंचे थे। मगर वह रोना या कहें कि आरोप अब तक तो निराधार ही पड़े हैं। दसूरी ओर बाइडेन ने वही किया जिसकी उम्मीद थी। वह खुद तो खामोश रहे मगर सुरक्षा और न्याय विभाग के अधिकारियों के कान में कुछ फूंक दिया। जो कुछ कान में कहा गया उसे सुनते ही अधिकारी जांच में सहयोग करने और अंतरराज्यीय संबंधों में अंतरराष्ट्रीय काननों की ू अहमियत का पाठ पढ़ाने लगे। मगर इन सभी व्याख्यानों के बीच यह जानकारी आती है कि ओटावा का शुरुआती गुस्सा अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा स्वतंत्र रूप से या फाइव आईज़ इंटलिे जेंस एलायंस के माध्यम से साझा की गई सचनाओं प ू र आधारित था। तथ्य यह है कि फाइव आईज़ में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड जैसे अन्य गठबंधन सदस्यों ने बहुत कम या कुछ भी नहीं कहा। यह बात भ-ूराजनीति की वास्तविकताओं के बारे में बहुत कुछ खोलकर रख देती है। अगर राष्ट्रपति बाइडेन वास्तव में भारत के सच्चेमित्र हैं तो उन्होंने प्रधानमंत्री ट्रूडो को दंगा अधिनियम पढ़ाया होता कि पिछले 40 वर्षों से भारत चुप है। उसने खालिस्तानियों को कनाडा में अनियत्रिं त रूप से चलने पर कुछ नहीं किया। हाल के महीनों में भारत की संपत्ति और उस देश में तैनात भारतीय राजनयिकों की जान को खतरा बने खालिस्तानियों पर कार्रवाई के नाम पर लंबे समय से तो भारत मौन ही रहा है। वास्तव में राष्ट्रपति बाइडेन को ट्रूडो को घेरना चाहिए था कि एक नामित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर के प्रत्यर्पण के बार-बार प्रयासों पर ओटावा क्यों कुंडली मारकर बैठा रहा। जब निज्जर की सच्चाई सबके सामने थी तो आखिर किस आधार पर उसे कनाडा की नागरिकता दी गई। निज्जर की ‘कनाडाई’ नागरिकता अब खुद ही सवालों के घेरे में है और पछा जा ू रहा है कि आखिर कैसे रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) या सेंट्रल इंटलिे जेंस एजेंसी (CIA) नई दिल्ली की ओर से इस मामले में दी गई चेतावनियों के बाद भी चक ू गई। खासकर 9/11 के बाद तो ओसामा बिन लादेन जैसों को पश्चिमी खुफिया विभाग बड़े उत्साह से खोज रहा था। इसकी गंभीरता से जांच करने की जरूरत है। अब भारत की इस बात में सच्चाई दिखने लगी है कि निज्जर को कनाडा की नागरिकता तमाम फर्जी आधारों पर दी गई। खालिस्तान टाइगर फोर्स को भारत ने आतंकी गिरोह घोषित किया है। ऐसे में निज्जर को कनाडा की नागरिकता देने के लिए ‘शरण’ और ‘शादी’ जैसे झठे आधा ू र बनाए गए। अब इस बात का खुलासा भी जरूरी हो गया है कि आखिरकार निज्जर को कनाडा की नागरिकता कैसे दी गई। जस्टिन ट्रूडो इस मामले में किस्मत वाले हैं कि इस समय ओवल कार्यालय में जॉर्ज बुश या बराक ओबामा नहीं हैं। अगर उनमें से कोई होता ऐसे शख्स का फोन ही नहीं उठाता और न ही उस तिरस्कृत व्यक्ति को किसी तरह का दिलासा देता। अच्छा तो यही है कि भारत को लेक्चर देने से पहले जस्टिन ट्रूडो उनको लेकर उठे तमाम सवालों के जवाब दें। यह बात बाइडेन और उनके अधिकारियों की फौज को ट्रूडो को समझानी चाहिए। अमेरिका के लिहाज से यह कितनी अजीब और बुरी बात है कि वह हजारों मील दूर जाकर आतंकियों को ठिकाने लगा रहा है और बगल में उसका मित्र देश चरमपंथियों की पनागगाह बना हुआ है। संपादकीय HBSJ एक ऐसा आंदोलन जिसमें हरक े धर्म, जाति, समुदाय और संस्कृति के लिए स्थान हो। अमरेिका भी हर किसी की आस्था, संस्कृति और समुदाय का घर है। मैं कांग्रेस में अमरेिका की विविधता का प्रमाण हूं। - भारतीय मूल के अमरेिकी सांसद श्री थानेदार हम आने वाले महीनों में अधिक से अधिक भारतीय आवदकों को े संयुक्त राज्य अमरेिका की यात्रा करने और अमरेिका-भारत मित्रता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर देने के लिए वीजा कार्य की रिकॉर्ड-सेटिंग मात्रा जारी रखेंग। े - भारत में अमरेिकी राजदूत एरिक गार्सेटी 12 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 अपने जमाने की दिग्गज अभिनेत्री वहीदा रहमान को भारत की हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी बहतरी े न एक्टिंग के लिए दादा साहब फाल े ्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। आइए जानत हैं े कि उनके बारे में किसी युवा के सोच गए े विचार। राष्ट्रपति बाइडेन को ट्रूडो को घरेना चाहिए था कि एक नामित आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर के प्रत्यर्पण के बार-बार प्रयासों पर ओटावा क्यों कुंडली मारकर बैठा रहा। फोटो साभार सोशल मीडिया साहब, बीबी और गुलाम फिल्म ने वहीदा को क्लासिकल नेत्री बना दिया था।
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 13 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारतीय अमेरिकी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक आबादी वाला एशियाई समूह बन गया है। जनगणना ब्यूरो की नई रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अमेरिकियों ने इस मामले में चीन मूल के अमेरिकियों को पीछे छोड़ दिया है। बहुजातीय लोगों के हिसाब से देखें तो चीनी अमेरिकी अभी भी अमेरिका की एशियाई आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा हैं। उनकी संख्या लगभग 52 लाख है। वर्ष 2020 की जनगणना में जिन लोगों की पहचान “पूर्ण भारतीय” के रूप में हुई थी यानी जो 100% भारतीय थे, उनकी संख्या लगभग 4,400,000 थी। एक दशक में इनकी संख्या में 55% की वृद्धि हुई थी। अमेरिका में भारतीयों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का सिलसिला 1990 के दशक में शुरू हुआ था जब उच्च तकनीकी कौशल वाले पेशेवरों के लिए एच1बी वीजा की शुरुआत हुई थी। H1B आवेदन करने वालों में भारतीयों की संख्या लगभग 75% हैं। अगला सबसे बड़ा समूह चीनी नागरिकों का है जो केवल 12% है। एच1बी दर्जा पाने के बाद बाद में लोग ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, भले ही इसमें काफी समय लगता हो। समाजशास्त्रियों का कहना है कि पूर्ण एशियाई वर्ग में यह बदलाव वर्षों से देखा जा रहा है। भारतीय अमेरिकियों की तरह ही अन्य दक्षिण एशियाई समूह भी तेजी से विकास देख रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाली आबादी में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है। 2010 से 2020 के बीच कुल 250% की वृद्धि हुई। बांग्लादेशी आबादी में भी 85.4% की वृद्धि हुई है। सांकेतिक तस्वीर Photo by Scott Evans / Unsplash अमेरिका को लेकर भारतीय दंपति की दुख भरी कहानी! अमरेिका में भारतीयों की संख्या में तजी े से बढ़ोतरी का सिलसिला 1990 के दशक में शुरू हुआ था जब उच्च तकनीकी कौशल वाले पशे वरों के लिए एच1बी वीजा की े शुरुआत हुई थी। वाह! अमेरिका में भारतीयों ने अब इस मामले में चीन को पछाड़ दिया l त्रिभुवन शर्मा मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे अमेरिका आकर यह रिटर्नमिलगेा। यह कहना है भारत से अमेरिका आए एक दंपति का, जिनका बेटा एक डेकेयर कर्मचारी के दुर्व्यवहार के चलते अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहा है। साल 2020 में भारत से अमेरिका के टेनेसी राज्य के मम्फिे स स्थित एक प्रयोगशाला में नौकरी करने आए सुमन कुंडू का इकलौता बेटा इस वक्त गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है। घटना मई की है लकिे न सुमन के बेटे सन्मय के हालात पूरी तरह सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। मामला यूं हैं कि फरवरी 2022 में सुमन कुंडू ने अपने बेटे को एक डेकेयर में भेजना शुरू किया था। एकेडमी ऑफ फ्यूचर लीडर्स नाम के इस डेकेयर में 18 मई 2022 के दिन सन्मय को एक कर्मचारी ने बुरी तरह पीटा। इस कारण सन्मय के दिमाग से लेकर शरीर पर गहरी चोट आई थीं। सन्मय की मां इंद्राणी कुंडू बताती हैं कि उनका 2 साल 9 महीने का बेटा सन्मय है जिसे उन्होंने ढाई साल की उम्र में एक डेकेयर में भेजना शुरू किया था। 18 मई 2023 के दिन डेकेयर में एक स्टाफ मेंबर ने सन्मय के साथ हिंसक व्यवहार किया। इससे सन्मय के दिमाग पर गहरी चोट आई हैं। सन्मय की पसिलयों, पेट आदि को भी गंभीर नुकसान हुआ है। सन्मय की जांच बचाने के लिए उन्हें कई सर्जरी करानी पड़ी। दिमाग पर आई सजन ू की वजह से उन्होंने क्रैनिएक्टोमी भी कराई। अग्नयाश्य के एक हिस्से को भी हटाना पड़ा। उनका बेटा अभी भी जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है। अभी वह थरैेपी और पुनर्वास से गुजर रहा है। दुख की बात ये है कि दिमाग पर लगी गहरी चोट के कारण सन्मय अब अपने शरीर के बाई ओर पैरालिसिस का अनुभव कर रहा है। उसकी बाईं आंख की रोशनी भी पूरी तरह चली गई है। इंद्राणी ने बताया कि डेकेयर में हुए दुर्व्यवहार ने उनके परिवार पर बुरा असर डाला है। उनका बेटा अब कभी पहले जैसा नहीं हो पाएगा। उन्होंने बताया कि टेनेसी में सन्मय को पूरी तरह ठीक करने के लिए सुविधाएं नहीं हैं। उन्हें आगे के उपचार के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने गो फंड मी वेबसाइट पर एक पेज बनाकर 10 लाख डॉलर की मांग की है। उन्हें अभी तक 1 लाख 15 हजार डॉलर की मदद हो पाई है। कुंडू परिवार की मदद के लिए आप इस लिंक https://www.gofundme. com/f/help-little-sanmay-walkagain पर जाकर मदद कर सकते हैं। साल 2020 में भारत से अमरेिका के टेनेसी राज्य के मेम्फिस स्थित एक प्रयोगशाला में नौकरी करने आए सुमन कुंडू का इकलौता बटा इ े स वक्त गंभीर परिस्थिति से गुजर रहा है। घटना मई की है लेकिन सुमन के बटे ेसन्मय के हालात पूरी तरह सुधरने का नाम नहीं ले रह हैं। े
14 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 Watch the LIVE webcast on usa.akshardham.org Sunday, October 8, 2023 4:45 pm – 8:00 pm ET NOTE: The Akshardham Campus will be closed to all visitors from Sept 30 to Oct 17. (please check website for updates) Open to visitors from October 18th onwards.
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 15 l विशेष संवाददाता भा भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख नेता अजय भुटोरिया और रमेश कपूर ने कैलिफोर्निया के गवर्नर गविे न न्यूसम से SB-403 विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की है। इनका कहना है कि इस विधेयक में जाति को संरक्षित श्रेणी के रूप में शामिल करने की बात कही गई है। लकिे न इसकी अस्पष्ट परिभाषा के कारण महत्वपूर्णचिंताएं पैदा हुई हैं, जो संभावित रूप से भेदभाव के मुद्दों को जन्म दे सकती हैं। हाल ही में शिकागो में आयोजित डेमोक्रेटिक पार्टी के महत्वपूर्ण फंडरेजर्स की सभा में भूटोरिया और कपूर ने गवर्नर न्यूसम से एसबी -403 के खिलाफ मतदान करने का आग्रह किया। यह विधेयक सीनेटर आयशा वहाब द्वारा पेश किया गया था। यह राज्य के काननी ढांचे के भीत ू र एक संरक्षित श्रेणी के रूप में जाति को शामिल करना चाहता है। हालांकि, इसकी अस्पष्ट परिभाषा के साथ-साथ अनावश्यक मुकदमों के माध्यम से दुरुपयोग की संभावना भी जताई जा रही है। यही वजह है कि कुछ वर्गों के बीच इसे लेकर गंभीर आशंकाएं हैं। भुटोरिया का कहना है कि हालांकि विधेयक से आपत्तिजनक भाषा को हटा दिया गया है, लकिे न एक अस्पष्ट परिभाषा के आधार पर एक संरक्षित श्रेणी के रूप में जाति को शामिल करना दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए समस्याग्रस्त बना हुआ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह अनजाने में रोजगार के अवसरों, कार्य पदोन्नति और कॉलेज प्रवेश से संबंधित मसलों में भेदभाव का रास्ता खोल सकता है। इसलिए उन्होंने ऐसे किसी भी कानन को ू लागू करने से पहले कैलिफोर्निया के भीतर प्रचलित जातिगत भेदभाव पर एक व्यापक अध्ययन करने पर जोर दिया, जो समाज को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल, इस विधेयक को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम अपनी जाति की स्थिति के आधार पर भेदभाव का सामना करने वाले व्यक्तियों की रक्षा करने में मदद करगेा। हालांकि कई लोग स्पष्ट परिभाषाओं और दिशानिर्देशों की कमी के कारण इसके संभावित दुरुपयोग के बारे में चिंता करते हैं। विवादास्पद विधेयक को कानन बनने से पह ू ले गवर्नर के पास उनके हस्ताक्षर के लिए भेजा जा चुका है। जानकारों का कहना है कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय के नेताओं द्वारा व्यक्त की गई चिंताएं कैलिफोर्निया में दक्षिण एशियाई प्रवासियों के भीतर जाति-आधारित भेदभाव की अधिक व्यापक समझ की आवश्यकता को उजागर करती हैं। यह एक ऐसा कानन सा ू बित हो सकता है जिसे लागू करने से अनपेक्षित परिणाम सामने आ सकते हैं। अधिकारों के संरक्षण और दुरुपयोग की रोकथाम के बीच संतुलन बनाना अनिवार्य है। सियासत: इंडियाना में दो भारतीय कांग्स सीट रे के लिए आमने-सामने भारतीय-अमरेिकी समुदाय के प्रमुख नेता अजय भुटोरिया और रमश कपूर े ने जाति आधारित विधयक SB-403 े को लेकर समुदाय की चिंता को व्यक्त किया है। उन्होंने कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम से इस पर हस्ताक्षर न करने की अपील की है। जाति आधारित विधेयक पर जताई चिंता, गवर्नर से हस्ताक्षर न करने की अपील l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क इंडियाना के दो भारतीय-अमेरिकी अमेरिकी कांग्स रे में पहले देसी रिपब्लिकन बनने के लिए आमने-सामने हैं। उन्होंने मई 2024 के रिपब्लिकन प्राइमरी में राज्य के 5वें जिले से अमेरिकी कांग्स रे में एक सीट के लिए अपनी दावेदारी का ऐलान कर दिया है। व्यवसायी राजूचिंताला हैमिल्टन काउंटी रिपब्लिकन पार्टी के कोषाध्यक्ष और उद्यमी सिड महंत उन चार लोगों में शामिल हैं, जो मई 2024 प्राइमरी में प्रतिनिधि विक्टोरिया स्पार्टज़ की जगह लेने की दौड़ में शामिल हैं। विक्टोरिया ने फरवरी में घोषणा कर दी थी कि वह दोबारा चुनाव नहीं लड़ेंगी। नोबल्सविले राज्य प्रतिनिधि चक गडुरिच और गरै-लाभकारी अध्यक्ष मथै्यू पीफ़र ने भी सीट के लिए अभियान की घोषणा की है। चिंताला इंडियाना इंडिया बिजनेस काउंसिल के संस्थापक और अध्यक्ष तथा इंडियाना इकोनॉमिक डेवलपमेंट कॉर्पमें भारत के वरिष्ठ सलाहकार हैं। चिंताला ने अपनी दावेदारी की घोषणा करते हुए एक फेसबुक पोस्ट में कहा- उनका मिशन हमारे समुदाय और देश को वापस लौटाना है, भविष्य की पीढ़ियों पर बोझ डालने वाले कार्यों को समाप्त करना है। उनका कहना है कि एक साथ मिलकर ही हम बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। ऐसा भविष्य जिसमें अधिक आजादी और अधिक उन्कमु्तता हो। हमे मिलकर सारी चुनौतियों का सामना करना है। भारत में जन्मेचिंताला 1994 में अमेरिका आ गये थे। वहीं, महंत महज 850 डॉलर के साथ 23 साल की उम्र में इस सपने के साथ अमेरिका पहुंचे थे कि इस धरती पर कड़ी मेहनत के दम कोई भी, कहीं से भी आकर कामयाब हो सकता है। उनकी वेबसाइट के अनुसार जब वह अमेरिका आए थे तो उनके पास कपड़ों का एक ही जोड़ा था, जो उन्होंने पहना हुआ था। अमेरिका में अपने पांव जमाने के लिए सिड ने उन्होंने चौकीदार, सुविधा स्टोर मैनेजर, नर्सगिं सहायक, सेल्समैन और छोटे रेस्तरां के मालिक से लेकर ट्रक ड्राइवर तक की नौकरी की। व्यवसायी राजू चिंताला हैमिल्टन काउंटी रिपब्लिकन पार्टी के कोषाध्यक्ष और उद्यमी सिड महंत उन चार लोगों में शामिल हैं जो मई 2024 प्राइमरी में प्रतिनिधि विक्टोरिया स्पार्टज़ की जगह लेने की दौड़ में शामिल हैं। Photo by David Todd McCarty / Unsplash व्यवसायी राजूचिंथला और सिड महंत। Image : social media डिबेट में विवेक रामास्वामी का LGBTQ पर विवादित बयान, भड़का समुदाय पेज1 का शेष डिबेट से पहले राजनीतिक पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि निक्की हेली इस बहस के दौरान में मजबत नज ू र आएंगी। हुआ भी ऐसा ही। सेन टिम स्कॉट की आलोचना करते हुए, चीन से व्यापार और सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर दिखाई देने के लिए रामास्वामी पर हमला करते वक्त निक्की हेली का जोरदार अंदाज दिखा। टिकटॉक पर हेली ने कहा कि यह सबसे खतरनाक ऐप में से एक है और आप चाहते हैं कि बच् इसका इस चे ्तेमाल करें। आपने चीन में उन कंपनियों के साथ कारोबार किया है, जिन्होंने हंटर बाइडेन को पैसा दिया। हम आप पर भरोसा नहीं कर सकते। हेली ने रामास्वामी से यहां तक कहा किहर बार जब मैं आपको सुनती हूं तो मुझे थोड़ा डर लगता है। ट्रांसजेंडर युवाओं पररामास्वामी की विवादित टिप्पणी के बाद ट्विटर पर प्रतिक्रियाओ की बाढ़ सी आ गई। जेपी मॉर्गन चेस के प्रबंध निदेशक और नीति केंद्र के अध्यक्ष पराग मेहता ने न्यू इंडिया एब्रॉड से कहा कि अमेरिका के लोगों ने एलजीबीटीक्यू समुदायों को समझने में अविश्वसनीय प्रगति की है। हमें कोई ऐसा व्यक्ति फिर से अंधकार भरे यगु में वापस नहीं खींच सकता जो समाज के सबसे कमजोर सदस्यों- ट्रांसजेंडर बच्चों के बहाने सत्ता में अपनी धमक बढ़ाना चाहता है। पराग मेहता ने अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति का हवाला देते हुए कहा कि ट्रांसजेंडर होना कोई बीमारी नहीं है जिसके इलाज की जरूरत हो। महता के पत े ि और एएपीआई विक्ट्री फंड के चीफ ऑफ स्टाफ वैभव जैन ने न्यू इंडिया अब्रॉड से कहा कि विवेक रामास्वामी की टिप्पणी शर्मनाक है। यह हमारे ट्रांसजेंडर भाई-बहनों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देगी। विवाह और पारिवारिक चिकित्सक एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ता स्हनेल शास्त्री ने न्यू इंडिया अब्रॉड को मानसिक विकारों के इलाज और सांख्यिकीय मैनुअल – मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की बाइबल – को अब “लिगं पहचान विकार” शब्द का उपयोग नहीं किया है। इसे “लिगं डिस्फोरिया” कहा है ताकि मानसिक बीमारी से इसका संबंध न हो। शास्त्री ने कहा कि रामास्वामी का दावा है कि उन्होंने डीएसएम से अपनी टिप्पणी ली है लकिे न वह गलत हैं। मैं निराश हूं कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार राष्ट्रीय मंच से कुछ ऐसा कहेगा जो पहले से ही हाशिए पर पड़े समुदाय को और नुकसान पहुंचा सकता है। शास्त्री ने रामास्वामी के इस बयान की भी निंदा की कि माता-पिता को यह जानने का अधिकार है कि क्या उनके बच् ने स चे ्कूल में अपना लिगं बदल लिया है। अगर किसी बच् को चे लगता है कि वे अपने माता-पिता को बताना चाहते हैं तो यह बहुत अच्छा है, लकिे न यदि नहीं तो बच्चों को शरीर की स्वायत्तता का भी अधिकार है।
16 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l विशेष संवाददाता अमेरिका में वाशिगटं न का रडमे डं शहर हाल ही में भक्ति के जीवंत दृश्य में बदल गया, जो पारंपरिक ढोल-ताशा ड्रमों के लयबद्ध ताल के साथ धड़क रहा था। 20,000 से अधिक उत्साही भक्त सालाना ‘रडमे डं गणेश महोत्सव’ मनाने के लिए जमा हुए थे। इस साल के उत्सव में सबसे अहम 15 फुट की गणेश प्रतिमा थी, जिसे भक्तों द्वारा प्यार से ‘रडमे डं राजा’ नाम दिया गया था। 22 सितंबर से 24 सितंबर तक ग्रेटर सिएटल क्षेत्र और उसके आसपास में गणेशोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। स्थानीय मडलं ी ‘बीट्स ऑफ रडमे डं ’ के 150 से अधिक कलाकारों द्वारा मत्रमं ुग्ध कर देने वाला ढोल-ताशा प्रदर्शन किया गया, जिसने दर्शकों को पूरी तरह से सम्मोहित कर दिया। गणेश महोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। भारत सहित दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों के बीच सबसे महत्वपूर्ण और सार्वभौमिक रूप से मनाए जाने वाले हिंद त्ू योहारों में से एक है। यह भगवान गणेश की आराधना का उत्सव है, जो समस्त बाधाओं को दूर करने वाले, ‘विघ्नहर्ता’, ज्ञान और नई शुरुआत के देवता के रूप में प्रसिद्ध हैं। दीपाली साने और आनंद यशवंत साने द्वारा स्थापित बीट्स ऑफ रडमे डं ने 2019 में सामुदायिक गणेश उत्सव की शुरुआत की। हालांकि, इस साल का उत्सव अभतपू ूर्व था। इसके मूल में भगवान गणेश की शानदार 15 फुट ऊंची मूर्तिथी।। मुंबई में कुशल कारीगर सुशांत द्वारा बनाई गई उत्तम गहनों से सजी इस प्रतिमा ने भारत के मुंबई से सिएटल, वाशिगटं न तक की एक उल्लेखनीय यात्रा की है। यह प्रतिमा रडमे डं के डाउनटाउन पार्क के केंद्र में खड़ी थी। यह एक भव्य मंच पर एक भव्य भारतीय महल की याद दिलाता है। स्वयंसेवकों ने हफ्तों तक अथक परिश्रम किया। 40 फुट के भव्य मंच को तैयार किया और प्रशांत नॉरवेस्थ ्ट की बारिश और ठंड को सहन करते हुए पूरे पार्क को सजाया। और जब यह पूरी तरह से तैयार हो गया तो भक्त मूर्ति की भव्यता से आश्चर्यचकित रह गए, जिसमें एक स्पष्ट दिव्य उपस्थिति थी। सैन फ्रांसिस्को वाणिज्य दतावास से भा ू रत के महावाणिज्य दत के. ू श्रीकर रेड्डी ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। अपने भाषण में रेड्डी ने भारतीय संस्कृति के प्रचार और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देने में त्योहार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस तरह के एक ऐतिहासिक आयोजन के लिए ‘बीट्स ऑफ रडमे डं ’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल भारतीय प्रवासियों के लिए, बल्कि सभी अमेरिकियों के लिए एक यादगार अनुभव रहेगा। उन्होंने सिएटल महानगरीय क्षेत्र में एक नया भारतीय वाणिज्य दतावास खो ू लने की भी घोषणा की। इस आयोजन में कई स्थानीय महत्वपूर्णलोगों ने भी भागीदारी की। इनमें जेरडे निउवेनहुइस (बेलेव्यू डिप्टी मयरे ), रामी अलकाबरा (बोथले डिप्टी मयरे ), टोनी एयू (सामुदायिक नेता), माइकल पैडिला (किंग काउंटी कार्यकारी कार्यालय), वामशी रेड्डी (सामुदायिक नेता) और उस्मान सलाहुद्दीन (सामुदायिक नेता) शामिल हैं। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ‘बीट्स ऑफ रडमे डं ’ द्वारा मनमोहक ढोल-ताशा प्रदर्शन था। रडमे डं में स्थित संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे बड़े ढोल-ताशा पाठक के रूप में, इसमें 51 ढोल और 15 ताशा शामिल थे। इसमें 6 से 65 वर्ष की आयु के प्रतिभागी थे। पाठक की प्रस्तुतियां तीनों दिनों तक चलीं, जिसमें कर्टन-रेजर के रूप में एक जुलूस और तीसरे दिन गणेश विसर्जन शामिल था। इसके अलावा दसूरे दिन अंडर -10 बच्चों, युवाओं, महिलाओं और सह-शिक्षा समूहों द्वारा शानदार ढंग से नृत्य सहित अन्य विशेष प्रदर्शनों ने दर्शकों को मत्रमं ुग्ध कर दिया। ढोल और ताशा की लयबद्ध थाप वातावरण में व्याप्त हो गई, जिससे एक रोमांचक माहौल बन गया। पारंपरिक पोशाक में सजी, मडलिय ं ों ने अपने उल्लेखनीय कौशल का प्रदर्शन किया और दर्शकों को लुभाया। क्षेत्र में लंबे समय से रहने वाले प्रवासी भारतीयों ने अमेरिकी धरती पर इस तरह के भव्य गणेश उत्सव के आयोजन पर अपनी खुशी का इजहार किया। ‘रडमे डं राजा’ उत्सव ने उन्हें अपनी मातृभूमि में वापस पहुंचा दिया, जिससे उनकी गहरी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। त्योहार ने न केवल एक सामुदायिक सभा के रूप में बल्कि स्थानीय वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में भी काम किया। कार्यक्रम में 50 से अधिक स्थानीय प्रदर्शन कला समूहों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। तीन दिवसीय ‘रडमे डं गणेश महोत्सव’ ने सभी उपस्थित लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया। 15 फुट ऊंची ‘रडमे डं राजा’ गणेश प्रतिमा और मनमोहक ढोल-ताशा प्रस्तुतियों में भारतीय समुदाय की आस्था और सांस्कृतिक समद्ृधि दिखी। रडमे डं गणेश महोत्सव 2023 भक्ति, संगीत, परंपरा और बीट्स ऑफ रडमे डं स्वयंसेवकों के अटूट समर्पण का प्रतीक बन गया है, जो भगवान गणेश को नमन करने आए सभी लोगों के दिलों में गूंज रही थी। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ‘बीट्स ऑफ रेडमंड’ द्वारा मनमोहक ढोल-ताशा प्रदर्शन था। ढोल-ताशा ड्रमों के लयबद्ध ताल पर थिरके भक्त। लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस साल का उत्सव अभतपू ूर्व था। लोगों का उत्साह देखते बन रहा था। भव्य गणेश उत्सव के आयोजन पर प्रवासी भारतीयों ने अपनी खुशी का इजहार किया। सभी फोटो: Beats Of Redmond अमरेिका में वाशिंगटन का रेडमंड शहर में ‘रेडमंड गणश े महोत्सव’ का आयोजन किया गया। इस साल के उत्सव में सबसे अहम 15 फुट की गणश प्र े तिमा थी, जिसे भक्तों द्वारा प्यार से ‘रेडमंड राजा’ नाम दिया गया था। ‘बीट्स ऑफ रेडमंड’ के 150 से अधिक कलाकारों द्वारा ढोलताशा प्रदर्शन किया गया। ‘रेडमंड राजा’ के दर्शन कर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु गणपति बप्पा मोरया,
न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 17 l विशेष संवाददाता अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केन्द्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेशजी शांति सद्भावना यात्रा के तहत भारत से अमेरिका के लिए सोमवार को रवाना हुए। वे अमेरिका में आयोजित हो रहे ‘विश्व मैत्री वर्ष’ के शुभारंभ समारोह में हिस्सा लेंगे। भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण समारोह ‘विश्व मैत्री वर्ष’ के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा। अहिंसा विश्व भारती ने जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका-कनाडा की शांति सद्भावना यात्रा पर रवाना होने से पहले उन्होंने पूर्वमगलं भावना समारोह को संबोधित करते हुए घोषणा की और कहा कि भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण महोत्सव ‘विश्व मैत्री वर्ष’ के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा। अहिंसा विश्व भारती इस समारोह का आयोजन विश्व के विभिन्न देशों में करगेा। इसकी शुरुआत अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूएई की संसद असेंबली में होगा। समारोह में लोकेशजी ने कहा कि भगवान महावीर अहिंसा व शांति के अग्रदत ू थे उनकी शिक्षाएं तात्कालिक समय में जितनी उपयोगी थी उसकी प्रासंगिकता आज भी है इसलिए उनके निर्वाणोत्सव को ‘विश्व मैत्री वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। ‘विश्व मैत्री वर्ष’ समारोह की शुरुआत अमेरिका के वाशिगटं न स्थित कैपिटल हिल में सिंतबर के आखिरी सप्ताह में लोकेशजी की उपस्थिति में होगी। संगठन से जुड़े प्रकाश नागर ने बताया कि इसके बाद कनाडा के टोरोंटो और ग्रेटर ब्रिटिश कोलबियं ा में अक्टूबर के पहले हफ्तेमें विश्व मैत्री वर्ष समारोह आयोजित किया जाएगा। इन समारोह में भी आचार्य लोकेशजी मौजद ू रहेंगे। इसके बाद यही कार्यक्रम ब्रिटेन के लंदन पार्लियामेंट और यूएई के इंडिया सेंटर में नवंबर में आयोजित किया जाएगा। वाशिंगटन से ‘विश्व मैत्री वर’ की ्ष शुरुआत करेगा अहिंसा विश्व भारती भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण महोत्सव ‘विश्व मैत्री वर्ष’ के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा। अहिसं ा विश्व भारती इस समारोह का आयोजन विश्व के विभिन्न दशों में कर े गा। े इसकी शुरुआत अमरेिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूएई की ससं द असेंबली में होगा। अहिंसा विश्व भारती एवं विश्व शांति केन्द्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश। ‘विश्व मैत्री वर्ष’ समारोह की शुरुआत अमेरिका के वाशिंगटन स्थित कैपिटल हिल से होगी। Photo : Ahimsa Vishwa Bharti पेज1 का शेष न्यू इंडिया अब्रॉड के साथ इंटरव्यू में राजीव राम ने कई विषयों पर खुलकर बातचीत की। इनमें तीसरा यूएस ओपन खिताब जीतने, उस मैच में उनके प्रतियोगी रहे रोहन बोपन्ना के बारे में और टेनिस खेलने के इच्छुक कम आय वर्ग के बच्चों की मदद के लिए स्थापित फाउंडेशन पर चर्चा की। पेश है बातचीत के कुछ अंशएनआईए: तीन हफ्ते पहले आपने अपना लगातार तीसरा यूएस ओपन पुरुष डबल खिताब जीता। बधाइयां! कुछ बताइए उस वक्त आप कैसा महसस कू र रहे थे? राजीव राम: मैं नहीं जानता कि उस पल को ईमानदारी के साथ बयां करने के लिए मरेे पास शब्द हैं या नहीं। यह मरेा घरलू े ग्रैंड स्लैम है। यह एक ऐसा टूर्नामेंट है जहां मैं 14 साल की उम्र से जा रहा हूं। आर्थर ऐश स्टेडियम जब खुला था, तब पहले साल से मैं वहां हूं। लगातार तीन बार खिताब जीतना और यूएस ओपन में ऐसा करने वाली पहली टीम बनना, यह अविश्वसनीय है। मुझे गर्व है कि मैंने यह किया है। एनआईए: उस मैच के शुरुआती कुछ मिनटों के दौरान ऐसा लग रहा था कि मैच ज्यादा लंबा नहीं चलने वाला रोहन बोपन्ना और मथै्यू एबडेन ने खेल पर पकड़ बना ली थी। आपको कब जाकर लगा कि आप अपना तीसरा खिताब जीतने जा रहे हैं? राजीव राम: दो साल पहले हम अपने पहले यूएस ओपन में भी ऐसी ही स्थिति में थे। हम एक सेट नीचे थे। पहले सेट में 6-2 से हार गए थे। मुझे लगता है कि वह अनुभव वास्तव में मदद करता है। मुझे ज्यादा घबराहट नहीं थी। हम दोनों को ऐसा लग रहा था कि अगर हम इसे ऐसे ही खेलते रहे तो हमें अपना मौका मिल सकता है। हमारा ध्यान सिर्फ खेल में सुधार पर था। एनआईए: आप रोहन बोपन्ना के करियर को किस तरफ जाते हुए देखते हैं? राजीव राम: रोहन ऐसा शख्स है जिसे मैं 20-25 वर्षों से जानता हूं। वह मरेे करीबी दोस्तों में से एक है। देखिए, अगर आप दो साल पहले मुझसे कहते कि वह ग्रैंड स्लैम फाइनल में पहुंचने जा रहा है और दुनिया के शीर्ष 10 में शामिल होने जा रहा है तो मैं कहता कि यह मशु्किल है। आप जानते ही हैं, वह उम्र में थोड़ा बड़ा है, फिर भी मुझे लगता है कि वह इतने उच्च स्तर पर खेलने में सक्षम है। वह इस वक्त अपने सर्वश्रेष्ठ सीजन में से एक में खेल रहा है। यह दिखाता है कि वह किस तरह का है। उसके पास किस तरह की मजबती है औ ू र उसके पास किस तरह का लचीलापन है। यह वास्तव में प्रेरणादायक है। मुझे उम्मीद है कि वह आगे बढ़ता रहेगा। एनआईए: आप कई कड़ी चुनौतियों का सामना करके आए हैं। अभी आप अपने सामने किन चुनौतियों को देखते हैं? राजीव राम: आप जानती हैं, एक चुनौती है लकिे न अब वह सामने नहीं आने वाली। मैं टूर पर रोजर फेडरर के साथ खेला, जब तक कि वह रिटायर नहीं हो गए। लकिे न मुझे कभी एकल या यगलु में वास्तविक मैच में उनके सामने खेलने का मौका नहीं मिला। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं उनकी पीढ़ी में खेला लकिे न कभी भी उनका किरदार नहीं निभा पाया, यह मरेे लिए थोड़ी पछतावे वाली बात थी। एनआईए: आपके लिए सबसे डराने वाला खिलाड़ी कौन है जिसके खिलाफ आप कुछ हद तक डर के साथ खेले हैं? राजीव राम: मुझे सिगं ल्स में राफेल नडाल के खिलाफ खेलने का मौका मिला। यह कठिन था। कई बार बॉब और माइक ब्रायन सबसे ज्यादा डराने वाले लगे, गलत तरीके से नहीं लकिे न मुझे लगा कि जब आप उनके खिलाफ खेलते थे तो उनके पास इतनी ऊर्जा होती थी और उनके पास इस तरह का स्वैग और करिश्मा होता था कि आपको लगता था कि अगर आप उससे मले नहीं खाते हैं तो सब 20 मिनट में खत्म हो जाएगा। एनआईए: आपने टेनिस खेलने के इच्छुक गरीब बच्चों की मदद के लिए राजीव राम फाउंडेशन की स्थापना की है। वहां आपके उद्देश्य क्या हैं? राजीव राम: टेनिस बच्चों को स्वस्थ रखने का शानदार विकल्प देता है। आप बाहर खेलते हैं, आप सीखते हैं, आप साथियों के साथ खेलते हैं। टेनिस एक महंगा गमे है। इसके उपकरण महंगे हैं। कोर्ट पर काफी खर्च करना पड़ता है। इसलिए हम ऐसे खिलाड़ियों की मदद करते हैं जो इन चीजों का खर्च नहीं उठा पाते। खेल मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने का एक शानदार तरीका है और मुझे लगता है कि अगर आप ज्यादा से ज्यादा बच्चों को खेलने का अवसर प्रदा करते हैं तो वे कामयाबी की मजिलं जरूर हासिल करेंगे। राजीव राम (दाएं) और जो सेलिसबरी की जोड़ी, जिसने यएस ओपन-2023 में ट्रॉफी ू जीती। (फोटो सौजन्य - राजीव राम) भारतवंशी टेनिस स्टार राजीव राम ने बताया, किससे लगा ज्यादा डर! भारतीय अमरेिकी राजीव अब 2024 के ओलपिं क्स की तैयारी कर रह हैं। े वह पहले भी दो बार ओलपिं क्स खेल चुके हैं। पहली बार 2016 में उन्होंने मिश्रित युगल में वीनस विलियम्स के साथ जोड़ी बनाई थी। दूसरी बार सेमीफाइनल में रोहन बोपन्ना और सानिया मिर्जा को हराकर अमरेिका के लिए रजत पदक जीता था।
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न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 19 प्रिय पाठकगण कुछ कहना चाहते है? न्यू इंडिया अब्रॉड आपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए प्रेरणादायी है। वेबसाइट/ई-पेपर में प्रकाशित होने वाले समाचार, कॉलम और विचार या भारतीय प्रवासियों से संबंधित किसी भी मुद् पर आपकी राय या आ दे लोचना। हम सभी का स्वागत करते हैं। अपने विचार भेजें, हम उसे अवश्य प्रकाशित करेंगे। संपादक के नाम पत्र लिखें l विशेष संवाददाता भारतीय मूल के जय पटेल के 30 साल के बेटे बलराम की लंदन के एक अस्पताल में ‘खराब’ उपचार और उचित देखभाल के अ भाव में मौत हो गई थी। इस वाकये ने जय पटेल को अंदर से झकझोर दिया। भविष्य में उनके बेटे की तरह किसी और का बेटा इस तरह की लापरवाही का शिकार न हो, इसे ही उन्होंने अपने जीवन का मकसद बना लिया। जय पटले ने मरीजों के अधिकारों की वकालत के लिए एक चैरिटी संस्था की शुरुआत की है। जय पटेल ने इस माह ‘पेशेंट्स लाइव्स मटरै ’ का पंजीकरण कराया है। बलराम पटले को उनके पिता ‘खुशी का व्यक्तित्व’ कहते थे। 9 अगस्त को सेंट थॉमस अस्पताल में बलराम का निधन हो गया। जय पटेल का दावा है कि जब उनका बेटा बीमार पड़ गया, तो उसे अस्पताल की तरफ से सही उपचार नहीं दिया गया। जो इलाज उसका चल रहा था उस पर काम नहीं कर रहा था, और उसे दसूरी राय देने से इनकार कर दिया गया था। पटेल का कहना है कि बलराम की जब मौत हुई वह काफी पीड़ा में था और बहुत परेशान था। गंभीर खामियों और चिकित्सकों, चिकित्साकर्मियों की ओर से उचित उपचार एवं देखभाल न मिलने के कारण समय से पहले उनके बेटे की मौत हो गई। पटेल का कहना है कि हम महसस क ू रते हैं कि सरकार ‘घटना के बाद’ कदम उठा रही है। इस बात की जांच हो रही हे कि रोगी की देखभाल या उपचार में क्या गलत हुआ। हालांकि घटना के समय कमियों को सुधारने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि रोगी को कम या कोई नुकसान न हो, कोई खास उपाय नहीं थे। पटेल का कहना है कि वह चाहते हैं कि मामला संसद तक पहुंचे और बदलाव आए। वह हमारा बच्चा था। वह खुशमिजाज था, जीवन से पूरा प्यार करता था और अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों को खुश रखता था। साथ ही उन लोगों को भी खुश रखते थे जो उनसे नहीं मिलते थे। उन्होंने कहा कि पेशेंट्स लाइव्स मटरै के माध्यम से वह चल रहे उपचार को लेकर दसूरे चिकित्सक की राय तत्काल जानने के वास्ते आसान कदमों की वकालत कर रहे हैं। यह तब आता है जब 2021 में अस्पताल में मरने वाली 13 साल की मार्था की मां द्वारा दसूरी चिकित्सा राय हासिल करने के लिए एक व्यापक अभियान चल रही है। ब्रिटेन सरकार ने इस आह्वान का समरन ्थ किया है और ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री स्टीव बारल्क े ने कहा है कि वह इसके लिए प्रतिबद्ध हैं। बेटे की मौत ने बदल दी जय पटेल की जिंदगी, यह बनाया मकसद गंभीर खामियों और उचित उपचार एवं दखभा े ल न मिलने के कारण समय से पहले जय पटेल के बटे े की मौत हो गई। पटेल ने मरीजों के अधिकारों की वकालत के लिए एक चैरिटी संस्था की शुरुआत की है। जय पटेल ने इस माह ‘पशेंट े ्स लाइव्स मैटर’ का पंजीकरण कराया है। Photo by Piron Guillaume / Unsplash
20 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क दुनियाभर में जल पुरुष और भारत में ‘पानी बाबा’ के नाम से विख्यात मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह अब ब्राजील को पानी के प्रबंधन का पाठ पढाएंगे। विश्व जल शांति अभियान के तहत ब्राजील के साओ पाउलो शहर पहुंचे पानी बाबा से मिलकर वहां की पर्यावरण मंत्री मरीना सिल्वा ने जल प्रबंधन के गरु सीखने की इच्छा जताई है। विश्व नदी दिवस के अवसर पर 24 सितंबर को जल यात्रा साओ पाउलो में थी। इस दौरान शहर में जलप्रबंधन और जल आपूर्ति से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किये गये। एक कार्यक्रम के दौरान ब्राजील की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मत्री मरीना सिल्वा ने कहा कि जल से ही शांति आएगी यह बात राजेंद्र सिंह के अनुभवों से स्पष्ट होती है। पानी का प्रबंधन न केवल मजबूरी है बल्कि जरूरी भी है। ऐसे में हम भी श्री सिंह से प्रबंधन की विधियां सीखना- समझना चाहेंगे। वाटर इंस्टीट्यूट की निदेशक मरूसिया ने कहा कि हम चाहते हैं कि साओ पाउलो में गरीब और अमीर सभी को बराबरी से पानी का अधिकार मिले। यहां पानी तो बहुत है लकिे न जल का प्रबंधन ठीक से न होने के कारण बर्बाद हो रहा है। हमे इसके प्रबंधन की कारगर विधियां जानकर उनपर काम करने की जरूरत है। पिछले दिनों ब्राजील से ही विश्व जल शांति अभियान आरंभ हुआ है। अभियान के तहत कई देशों की यात्रा पर निकले राजेंद्र सिंह ने कहा कि मानवता पर आए संकट का समाधान अब प्राकृतिक सुरक्षा में ही है। आज का हमारा आर्थिक ढांचा बहुत विस्तार पा गया है। इससे जलवायु परिवर्तन के संकट ने चारों ओर असुरक्षा पैदा कर दी है। इस प्राकृतिक सुरक्षा कवच की रक्षा करने की आज सबसे ज्यादा जरूरत है। प्राकृतिक सुरक्षा कवच केवल ओजोन गैस से नहीं होगी, इसकी सुरक्षा जल से होगी। जल ही जलवायु है। ब्रह्मांड का निर्माण करने वाला जल ही प्राकृतिक कवच है। अब जय-जगत और वसुधैव कुटुंबकम् की घोषणाएं जल शांति के बिना संभव नही हैं। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि हमारा देश ब्राजील सस्टेनेबिलिटी का नायक रहा है। यह शब्द ब्राजील के रियो डि जेनेरो में आयोजित दुनिया के दसूरे पृथ्वी शिखर सम्मेलन से निकला था। सस्टेनेबिलिटी के लिए भारत में शांति का काम और चीन का तकनीक का काम सबसे आगे है। अब ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका और भारत मिलकर दुनिया को सस्टेनेबिलिटी का रास्ता दिखा सकते हैं। l विशेष संवाददाता भारत की राजधानी नई दिल्ली में एनआरआई और अंतरराष्ट्रीय मरीजों को भारत में चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए एक विशेष पहल की गई है। सामाजिक संगठन ग्लोबल मिडास फाउंडेशन (GMF) ने एक ‘हेल्थकेयर लगरं सेवा’ शुरू की है, जहां प्रवासी मरीजों को विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल, जरूरी सुविधाए, समन्वय और पूर्ति के लिए एक चिकित्सा सहायता डेस्क बनाई गई है। जीएमएफ के संस्थापक सरदार इंद्रप्रीत सिंह के अनुसार यदि एनआरआई और अंतरराष्ट्रीय मरीज चाहते हैं कि भारत में उनके चिकित्सा मसलों को देखा जाए और किसी विशेष उपचार के लिए किसी स्पेशल अस्पताल को रैफर किया जाए तो इसके लिए जीएमएफ उनके साथ समन्वय बना सकता है। यहां तक कि स्थानीय स्तर पर वीजा, रहना, यात्रा, इलाज के बाद की देखभाल जैसी सभी सहायता एक धर्मार सं ्थ गठन होने के नाते उन लोगों के लिए भी प्रदान की जाती है जो अपने देश में सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाना चाहते हैं लेकिन ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल उपचार के लिए समन्वित समरन औ्थ र देखभाल की तलाश में हैं। उनके दस्तावेज वगरैह को सहेजने में भी संगठन मदद करगेा। उन्होंने बताया कि अभी यह सेवा फिलहाल पंजाब और उत्तराखंड में उपलब्ध है, इसे शीघ्र ही दिल्ली व अन्य राज्यों में शुरू किया जाएगा। जीएमएफ अपनी इस पहल की सचना कई द ू तावासों को स ू ूचित कर चुका है। इस मसले पर और जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.gmnri.orgऔर www. gmf.org.in के अलावा His.gmf@ gmail.com पर मले भी कर सकते हैं। इंद्रप्रीत सिंह के अनुसार यदि कोई एनआरआई भारत में अपने परिवार के सदस्यों को चिकित्सा या स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करना चाहता है तो इसे जीएमएफ द्वारा स्थानीय अस्पतालों, नर्सगिं होम और अन्य स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और संगठनों के साथ समन्वयित किया जा सकता है। जीएमएफ के पास विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के माध्यम से या भारत के भीतर स्थानीय स्तर पर उपचार को प्रायोजित करने के लिए अपने समूह के भीतर सभी आवश्यक अनुपालन और रजिस्ट्रेशन है। इससे इलाज में वित्तीय छूट मिल सकती है। उन्होंने बताया कि सभी स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता पहल, चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित सामग्री निर्माण, शिविर, उपचार, सर्जरी, स्वास्थ्य देखभाल सुविधा विकास आदि को भारत के भीतर प्रायोजन के माध्यम से समरन ्थ दिया जा सकता है और 80G और 12AA लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह पहल दुनिया भर में गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक सहयोगात्मक प्रयास है। इसके लिए प्रायोजित उपचार लेने में सहायता करता है, चाहे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एफसीआरए के माध्यम से या भारत के भीतर स्थानीय प्रायोजन दान कार्यक्रमों के माध्यम से और 80जी और 12एए लाभ प्राप्त करें। ग्लोबल मिडडास फाउंडेशन (जीएमएफ) अरिहंत अस्पताल देहरादन के सह ू योग से एनआरआई के लिए हेल्थकेयर लगरं सेवा के हिस्से के रूप में कैंसर, किडनी प्रत्यारोपण और डायलिसिस हृदय देखभाल, नशीली दवाओं के दुरुपयोग और पुनर्वास और आईवीएफ आदि जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज पर 20 प्रतिशतकी रियायती छूट प्रदान कर रहा है। अब ब्राजील को पानी के प्रबंधन का पाठ पढ़ाएंगे भारत के पानी बाबा! एक कार्यक्रम के दौरान ब्राजील की पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मत्री मरीना सिल्वा ने कहा कि हम भी श्री सिंह से पानी के प्रबंधन की विधियां सीखना-समझना चाहेंग। वाटर इंस े ्टीट्यूट की निदशक मरू े सिया ने कहा कि हम चाहत हैं े कि साओ पाउलो में गरीब और अमीर सभी को बराबरी से पानी का अधिकार मिले। एक कार्यक्रम के दौरान ब्राजील की पर्यावरण मंत्री मरीना सिल्वा और पानी बाबा राजेंद्र सिंह। Image: NIA पानी के प्रबंधन पर बात करते राजेंद्र सिंह। Image : NIA एनआरआई को सुविधा के लिए सेवा का नाम ‘हेल्थकेयर लंगर सेवा’ रखा गया है। सभी फोटो: GMF भारत में एनआरआई के लिए अनोखा ‘हेल्थकेयर सहायता लंगर’ शुरू इंद्रप्रीत सिंह के अनसुार यदि कोई एनआरआई भारत में अपने परिवार के सदस्यों को चिकित्सा या स्वास्थ्य दखभा े ल सविु धाएं प्रदान करना चाहता है तो इसे जीएमएफ द्वारा स्थानीय अस्पतालों, नर्सिंग होम और अन्य स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और संगठनों के साथ समन्वयित किया जा सकता है।
classified [email protected] Book Your न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 21 l विशेष संवाददाता भारत की राजधानी दिल्ली विशेषकर पुरानी दिल्ली की रामलीलाएं इस बार विशेष होने जा रही हैं। इनके आयोजक रामलीलाओं का मंचन भारतीय प्रवासियों को दिखाना चाहते हैं। इन प्रवासियों को बुलाने के लिए आयोजकों की कवायद जारी है। आयोजक चाहते हैं कि ये प्रवासी इन लीलाओ को देखकर भारतीय (हिंद) ध ू र्म व संस्कृति का लाइव अवलोकन करें और कुछ यादें भी सहेजकर ले जाएं। विशेष बात यह है कि नवरात्र के दौरान जो प्रवासी दिल्ली में होंगे, उन्हें भी अपने माध्यम से बुलाने का प्रयास कर उनका स्वागत किया जाएगा। पुरानी दिल्ली में सैंकड़ों वर्षों से शारदीय नवरात्र के दौरान दस दिनों तक रामलीलाओं का मंचन हो रहा है। इन लीलाओं में भगवान राम से जुड़े प्रमुख प्रसंगों का मंचन किया जाता है, जिन्हें बेहद भक्तिभाव से देखा व सराहा जाता है। इन लीलाओं में हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, गणमान्य लोग व विभिन्न विदेशी दतावासों के आ ू ला अधिकारी भी शिरकत करते हैं। ये लोग घंटों तक इन लीलाओं का अवलोकन करते हैं और उसकी सराहना भी। रामलीला आलोचक भी मंचन के दौरान इन विशिष्ट अतिथियों का सम्मान भी करते हैं और धार्क प्रतीक भें मि ट कर उन्हें आह्लादित करते हैं। इस बार भारत में रामलीलाओं का मंचन 15 अक्टूबर से शुरू होगा, जो 24 अक्टूबर तक चलगेा। शारदीय नवरात्र के दौरान दिल्ली में यूं तो सैंकड़ों स्थानों पर छोटी-बड़ी रामलीलाओं का मंचन किया जाता है, लकिे न पुरानी दिल्ली की लीलाओं का विशेष आकर्षण है। उसका कारण यह है कि यहां लीलाओं का मंचन लंबे समय तक हो रहा है, मंचन के दौरान गरिमा व भक्तिभाव का ध्यान रखा जाता है और लोगों को पुरानी दिल्ली की लीलाओं में अलग ही मजा आता है। इसी के चलते दिल्ली-एनसीआर के लोग के लोग भी इन इन लीलाओं को देखने आते हैं। इन लीलाओं में रामलीला कमटेी, रामलीला मैदान के अलावा नवश्री धार्क मि लीला कमटेी, श्री धार्क मि लीला कमटेी, लव कुश रामलीला कमटेी आदि प्रमुख हैं। यहां पर हर साल रामलीला का भव्य मंचन किया जाता है, जिसके चलते 10 दिनों तक यहां हर रोज हजारों श्रद्धालु लीलाओं को देखने आते हैं। अब इन लीलाओं के आयोजक मंचन दिखाने के लिए प्रवासी भारतीयों से संपर्क कर रहे हैं ताकि वे यहां आएं और भारतीय संस्कृति व धर्म का अवलोकन करें। इस मसले पर न्यू इंडिया अब्रॉड ने इन लीला आयोजकों से बात की। उनका कहना है कि हम इस मसले पर लगातार प्रयास कर रहे हैं और विदेशों में मौजद अपने संप ू र्कों से बात कर प्रवासियों को बुलाने के लिए ‘मेहनत’ कर रहे हैं। श्री धार्क मि लीला समिति के प्रबंधक रवि जैन ने बताया कि विश्व में भारत की अब एक अलग ही पहचान बन रही है और प्रवासी भारतीय भी भारत आने-जाने में सुकून महसस ू कर रहे हैं। हमने बहुत पहले ही अमेरिका में अपने लोगों से संपर्क साधना शुरू दिया था और उन्हें यह आश्वासन दिया था कि अगर वे लोग नवरात्र के दौरान लीलाओं का मंचन देखने के लिए आते हैं तो उनका विशेष अतिथि सत्कार किया जाएगा। नवश्री धार्क मि लीला कमटेी के प्रचार मंत्री राहुल शर्मा ने बताया कि हमने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलडैं में अपने लोगों से बात की है और कहा है कि अगर वे मंचन देखने आते हैं तो उन्हें यहां रुकने, खानपान को लेकर पूरी मदद की जाएगी। कुछ लोगों ने उत्सुकता दिखाई है। अगर प्रवासी आएंगे तो उनको पूरा सम्मान मिलगेा। अन्य लीलाओं के आयोजकों का कहना है कि वैसे तो नवरात्र के दौरान सैकड़ों प्रवासी भारत आते हैं, क्योंकि त्योहारों के चलते उन्हें अपना वतन याद आता है। अगर ये प्रवासी उत्तर भारत में अपने घरों में आते हैं तो हम अपने विभिन्न संपर्कों के जरिए इन्हें दिल्ली बुलाने का प्रयास करगेंे और मंचन तक ले जाएंगे। अगर यह लोग आते हैं तो मंचन स्थल पर इनके बैठने की भी अलग से व्यवस्था की जाएगी। हम इन लोगों को पुरानी दिल्ली के भोजन का आनंद भी दिलाएंगे, जिनमें पुरानी दिल्ली की चाट-पकौड़ी, कुल्फी, जलेबी व अन्य व्जन शा यं मिल हैं। ये प्रवासी लीला देखने आएंगे तो इन्हें मंच पर बुलाकर सम्मानित भी किया जाएगा, ताकि दिल्ली के लोग देख सकें कि प्रवासी लोग अभी भी रामलीलाओं में रुचि दिखाते हैं। इस मसले पर न्यू इंडिया अब्रॉड ने इन लीला आयोजकों से बात की। उनका कहना है कि हम इस मसले पर लगातार प्रयास कर रह हैं और े विदशों में मौजूद े अपनेसंपर्कों से बात कर प्रवासियों को बुलाने के लिए ‘महे नत’ कर रह हैं। े विदेश में रहने वाले भारत विरोधी तत्वों की कमर तोड़ेगी सरकार, ये है प्लान l विशेष संवाददाता राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल ही में कनाडा में रहने वाले खालितस्तान समरक ्थ आतंकवादी गरुपतवंत सिंह पन् की भा नू रत में संपत्तियों को जब्त कर लिया है। यह एक तरह से विदेश में रहकर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले खालिस्तान समरक तत ्थ ्वों के लिए एक संदेश है कि भारत अब किसी को छोड़ने के मूड में नहीं है। भारत सरकार ने इन तत्वों के खिलाफ दो तरफा योजना तैयार की है। सबसे पहले, केंद्र सरकार ने जांच एजेंसियों से कहा है कि वे विदेश में रह रहे देश विरोधी वांछित आतंकवादियों की भारत में संपत्तियों की पहचान करें। दसूरा सरकार ने इन भारत विरोधी आतंकवादियों की प्रवासी भारतीय नागरिकता (OCI) कार्ड रद्द करने के संकेत दिए हैं। उसने जांच एजेंसियों को उन सभी व्यक्तियों की संपत्तियों की पहचान करने के लिए कहा है जो भारत में वांछित हैं, लकिे न विदेश में रह रहे हैं। दसूरा, प्रवासी भारतीय नागरिकता (ओसीआई) कार्ड, जो वीजा मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है, वांछित व्यक्तियों और उनके समरकों के ्थ मामले में रद्द कर दिया जाएगा। सत्ूरों ने कहा कि भारत सरकार ने एजेंसियों से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में बसे खालिस्तान समरकों की ्थ पहचान करने और उनके ओसीआई कार्ड रद्द करने को कहा था जिससे वे भारत में वीजा मुक्त प्रवेश हासिल नहीं कर सकें। बीते कुछ महीनों में कनाडा सहित कई देशों में भारत विरोधी की गतिविधियां सामने आने के बाद इस तरह के कदम उठाने की तैयारी हो रही है। एनआईए द्वारा पन् की चं नू डीगढ़ और अमृतसर स्थित संपत्तियों को जब्त करने के एक दिन बाद सरकार की यह योजना सामने आई। अब तक अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान और अन्य देशों में रहने वाले ऐसे करीब दो दर्जन लोगों की पहचान की गई है। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक इनका नाम परमजीत सिंह पम्मा बताया है, जो ब्रिटेन में रहता है। वाधवा सिंह बब्बर उर्फ चाचा पाकिस्तान में, कुलवंत सिंह मथडु ा ब्रिटेन में, जेएस धालीवाल अमेरिका, सुखपक सिंह यूके में रहता है। हेरियट सिंह उर्फराणा सिंह अमेरिका, सरबजीत सिंह बेनूर ब्रिटेन, कुलवंत सिंह उर्फ कांता यूके में रहता है। वहीं, हरजाप सिंह उर्फ जप्पी सिंह अमेरिका, रणजीत सिंह नीता पाकिस्तान, गरमु ीत सिंह उर्फ बग्गा जर्मनी में रहता है। इसके अलावा गरप्री ु त सिंह उर्फ बागी यूके में है। जैस्मीन सिंह हकीमजादा संयुक्त अरब अमीरात में, गरुजंत सिंह ढिल्लों ऑस्ट्रेलिया में, जसबीर सिंह रोडे कनाडा, अमरदीप सिंह पुरेवाल अमेरिका, जतिंदर सिंह ग्वा रे ल कनाडा में रहता है। इसके अलावा ब्रिटेन में दुपिंदर जीत और अमेरिका में एस हिम्मत सिंह का नाम सामने आया है। इससे पहले सुरक्षा एजेंसियों ने 11 व्यक्तियों के एक समूह की पहचान की थी, जिनके बारे में माना जाता है कि वे गैंगस्टर और आतंकवादी दोनों हैं, जो वरम्त ान में कनाडा, अमेरिका और पाकिस्तान में रह रहे हैं। दिल्ली में रामलीला मंचन के लिए भूमि पजन शुरू हो चु ू का है। फोटो: नवश्री धार्मिक लीला कमेटी एनआईए ने गुरपतवंत सिंह पन्नूकी चंडीगढ़ स्थित संपत्ति जब्त कर ली। फोटो : @AstroCounselKK प्रवासी भारतीयों को दिल्ली की रामलीला का मंचन दिखाने की तैयारी
22 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 For sponsorship or other queries, please contact: Manisha Singh, [email protected] +91 932 422 8823 www.punjabichamber.com Media Partner Styling Partner Scan & Buy Ticket Co-branding Partner
Stay Ahead With Us! Email [email protected] Website www.NewIndiaAbroad.Com न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 23 भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंध: दोस्ती से दुश्मनी में बदलते आठ साल! l प्रभजोत पॉल सिंह आठ साल पहले अपने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक रिश्ते तक ‘उन्नत’ करने का वादा करने वाले दो ‘मित्रवत’ राष्ट्र अब एक अभतपू ूर्व कटुतापूर्ण और ‘जैसे को तैसा’ वाले ‘रणनीतिक’ यद्धु में फंस गए हैं। आखिर इस बड़ी दरार का कारण क्या है? दोस्त दुश्मन बन गए हैं और दुनिया के साथ ही विशेष तौर पर उपमहाद्वीप के आप्रवासी इस महीने की शुरुआत से सामने आने वाले घटनाक्रम से भयभीत और स्तब्ध हैं। G20 शिखर सम्मेलन के एक हिस्से के रूप में कनाडा ने वर्ष 2010 और भारत ने इस वर्ष विश्व नेतृत्व की मेजबानी की है। कहने को दोनों देशों की इन भूमिकाओं में कई समानताएं हैं लकिे न दोनों आयोजनों के नतीजे उम्मीदों के विपरीत रहे हैं। यह सही है कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से संबंध सौहार्दपूर्ण तो नहीं रहे अलबत्ता बीच-बीच की घटनाओं ने रिश्तों में कड़वाहट लगातार पैदा की। इस बार भी भारत की मेजबानी में नई दिल्ली में हुआ G20 शिखर सम्मेलन आयोजन से लेकर तमाम मोर्चों पर शानदार रहा लकिे न भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को लेकर पहले ही दिन से किरकिरी भरा रहा। अगर दोनों देशों के ही लिहाज से बात करें तो इस बार भी G20 का एजेंडा एक तरफ चला गया और खटास के अनेक पहलू उभर आए। सम्मेलन से इतर भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 15 द्विपक्षीय वार्ताएं कीं मगर कनाडा इनमें कहीं नहीं था। मेजबान की ओर से उपेक्षा का यह बड़ा पहलूथा। दिल्ली में टकराव के कुछ बिंदु कम हो सकते थे पर मौका चला गया। नई दिल्ली G20 शिखर सम्मेलन 1999 में अपनी शुरुआत के बाद से सबसे अच्छी तरह से आयोजित भव्य सभा के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सकता है लकिे न यह भारतकनाडाई गतिरोध पर एक कड़वा स्वाद भी छोड़ गया है। यदि कोई नई दिल्ली शिखर सम्मेलन का आकलन करे तो कह सकता है कि इसने भारत को शक्ति के एक नए गटनिर ु पेक्ष केंद्र या ग्लोबल साउथ नेता के रूप में उभरते हुए देखा हो लकिे न इसने दो देशों को भी टूटते हुए देखा है जो अपनी द्विपक्षीयता को एक नई रणनीतिक साझेदारी की ओर ले जाना चाहते थे। भारत और कनाडा के रिश्ते असीम कड़वाहट और लगभग दुश्मनी में क्यों बदले इसके कई दृश्यमान तो कई अतीतगत कारण हैं। भारत-कनाडा के संबंध आमतौर पर मध्यम व्यापार, विशाल भारतीय निवेश और कनाडा में एक बड़े भारतीय प्रवासी समूह की उपस्थिति से प्रेरित रहे हैं। हालांकि इन पहलुओं को भारत की ओर से कड़ी आलोचना के कारण दबा दिया गया। आलोचना इस बिंद पू र होती रही कि कनाडा सिख अलगाववादी आंदोलन के प्रति अत्यधिक सहानुभतूि रखता है। दसूरी तरफ कनाडा का आरोप यह रहा है कि भारतीय अधिकारी उसके आंतरिक सियासी मामलों में दखल दे रहे हैं। पहले से चली आ रही इस तल्खी पर इस बार कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने रिश्तों के लिहाज से ‘विध्वंसक’ तीर चला दिया। हुआ यह है कि 18 जन को कना ू डा की धरती पर हरदीप सिंह निज्जर नाम का एक नागरिक मारा गया। यह वही निज्जर था जिसे भारत ने आतंकवादी घोषित किया हुआ था। इसी बीच प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कह दिया कि कनाडाई नागरिक निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों के संलिप्त होने के उनके पास ‘पुख्ता’ सुबत हैं। ू बस यहीं से दबे हुए शोले भड़क उठे। भारत ने जहां कनाडा के आरोपों को नकारते हुए बकवास करार दिया तो विश्व जमात ने सुबत सा ू र्वजनिक करने की बात कही। कनाडा और खास तौर से सरकार का मखिय ु ा होने के नाते ट्रूडो अपने आरोप से पक्ष में अब तक कोई साक्ष्य नहीं रख सके हैं। इस पर उनकी घर और बाहर निंदा हो रही है। इस घटनाक्रम में दोनों देश एक-दसूरे के एक-एक आला अधिकारियों को निकाल चुके हैं। यानी जैसे को तैसा। इस पर भी भारत ने कनाडा को भारत में अपने राजनयिक कर्मचारियों को कम करने के अलावा अपने कनाडाई मिशनों से वीजा सेवाओं को निलबिं त करने की भी घोषणा कर दी है। जरा कल्पना कीजिए भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कनाडा यात्रा के ठीक 23 साल बाद किसी कनाडाई प्रधानमंत्री की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा 1996 में हुई। भारत के प्रधानमंत्री की कनाडा यात्रा के लगभग 42 साल बाद बतौर प्रधानमंत्री नरन्ेद्र मोदी 2015 में कनाडा गये। कनाडा की यात्रा के एक साल बाद इंदिरा गांधी पोखरण में परमाणु विस्फोट करके दुनिया को बताना चाहती थीं कि भारत परमाणु शक्ति बनने की दहलीज पर है जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया हुई। तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो (वरम्त ान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता) ने इसकी ‘विश्वासघात’ के रूप में आलोचना की क्योंकि विस्फोट में इस्तेमाल किया गया प्लूटोनियम कनाडाई सहायता प्राप्त परमाणु रिएक्टर साइरस द्वारा उत्पादित किया गया था। आठ साल बाद 1982 में भारत सरकार ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के माध्यम से कनाडा की धरती का इस्तेमाल सिख चरमपंथियों द्वारा एक अलग सिख मातृभूमि (खालिस्तान) की मांग के लिए किए जाने का मुद्दा उठाया। हालांकि पियरे ट्रूडो, जो पोखरण में भारतीय कार्रवाई से आहत महसस कू र रहे थे, चुप रहे। 1996 में जीन चेरेतिएन भारत का दौरा करने वाले पहले कनाडाई प्रधानमंत्री बने। उनकी यात्रा को तत्काल अतीत में द्विपक्षीय संबंधों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए एक राजनयिक प्रयास के रूप में देखा गया था। चेरेतिएन अमृतसर (भारत) में स्वर्णमदिर ं जाने वाले पहले प्रधानमंत्री भी थे। उन्होंने चंडीगढ़ में कनाडा के वाणिज्य दतावास का भी उद् ू घाटन किया जो नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई के चार शहरों के बाहर पहला विदेशी मिशन है। उनकी यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबत ू करने की उम्मीदें जगाईं क्योंकि कनाडा में भारतीय प्रवासियों के पहले तीन सदस्यों हर्ब धालीवाल, गरुबख्श सिंह मल्ही और जग भदुरिया को हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के टिकट पर चुना गया था। कनाडा भारत में वापस आ गया है और हम यहां रहने के लिए हैं... ऐसा कुछ चेरेतिएन ने अपनी यात्रा के दौरान अक्सर कहा। लकिे न इस यात्रा के दौरान जो भी लाभ हुआ वह दो साल बाद तब ख़त्म हो गया जब भारत ने 1998 में अपना दसूरा परमाणु विस्फोट किया तो कनाडा नई दिल्ली पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले कुछ मित्र देशों में से एक था। तब कनाडा ने भारत से अपना उच्चायुक्त वापस बुला लिया। द्विपक्षीय संबंधों में इस नरमी के दौरान ही प्रेस्टन मनिै गं (रिफॉर्म पार्टी, वरम्त ान कंजर्वेटिव के अग्रदत) के नेतृत ू ्व में विपक्ष के एक प्रतिनिधिमडलं ने भारत का दौरा किया और भारत सरकार के साथ बैठकें कीं। ब्रिटिश कोलबियं ा ऑन रिफॉर्म्स (प्रगतिशील गठबंधन) से हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए गरमु ंत ग्वा रे ल प्रतिनिधिमडलं का हिस्सा थे। भारतीय मूल के पहले तीन सांसदों के बाद गरमु ंत ग्वा रे ल, दीपक ओबराय और रहीम जाफर कनाडाई संसद में पहुंचने वाले भारतीय मूल के सांसदों के अगले प्रतिनिधि थे। इस तरह से लगातार उतार-चढ़ाव के कारण भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों को अक्सर ‘चेकर्ड’ या ‘विचित्र’ के रूप में वर्णित किया गया। 2015 में जब ‘परमाणु आग’ ठंडी हुई तो सिख अलगाववादियों द्वारा कनाडाई धरती का उपयोग द्विपक्षीय संबंधों को कड़वा करने लगा। निज्जर की कनाडा में हत्या के बाद लड़खड़ाते रिश्तों में विध्वंस का विस्फोट हो गया। इस धारणा में बहुत कम या कुछ हद तक विश्वसनीयता हो सकती है कि जस्टिन ट्रूडो द्वारा हाउस ऑफ कॉमन्स में दिया गया बयान सिखों को खुश करने के लिए था जो देश की आबादी का केवल दो प्रतिशत हैं। वैसे, कुछ महीने पहले यह आंकड़ा 40 मिलियन यानी 4 करोड़ की रेखा को पार कर गया है। (प्रभजोत पॉल सिंह, 5WH.Com पर टोरंटो स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं) फसाद की जड़ हैं सिख अलगाववादी। Image : social media 2015 में जब ‘परमाणु आग’ ठंडी हुई तो सिख अलगाववादियों द्वारा कनाडाई धरती का उपयोग द्विपक्षीय संबंधों को कड़वा करनेलगा। निज्जर की कनाडा में हत्या के बाद लड़खड़ाते रिश्तों में विध्वंस का विस्फोट हो गया। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो।
24 न् यू इंडिया अब्रॉड सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l विशेष संवाददाता ध्यान (MEDITATION) क्या है। इसके बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा। इसके फायदे के बारे में आपने बहुत कुछ जाना होगा। लकिे न क्या आप ध्यान के बारे में वास्तव में जानते हैं, अगर ये सवाल आपसे पछा जाए तो आप ू निश्चित तौर पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाएंगे। तो वास्तव में ध्यान होता क्या है। और सबसे अहम सवाल इसे करते कैसे हैं? आइए इन सवालों का समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं। सबसे पहले यहां एक बात साफ कर दूं कि ध्यान कोई क्रिया नहीं है, यह एक अवस्था है। कहने का मतलब है कि ध्यान कुछ करना नहीं है। जैसे आप कह सकते हैं कि मैं योगासन कर रहा हूं, प्राणायाम कर रहा हूं। लकिे न आप ये नहीं कह सकते कि मैं ध्यान कर रहा हूं। क्यों जहां कुछ भी करना या क्रिया है, वह ध्यान नहीं है। दरअसल, लोग एकाग्रता को ही ध्यान समझ लेते हैं। लकिे न एकाग्रता ध्यान नहीं है। अगर आप सोच रहे हैं कि किसी मत्रं का जाप, किसी प्रतीक को बंद आंखों से निहारना ध्यान है तो वास्तव में आप ध्यान की अवस्था में नहीं हैं। ये तमाम चीजें एकाग्रता हैं, ध्यान नहीं। जब आप समस्त चेष्टाओं को छोड़ देते हैं तो ध्यान वहां से शुरू होता है। इसके लिए जागरूकता, होश, साक्षी भाव और दृष्टा भाव ये जरूरी है। इसे शिवसूत्र से समझने का प्रयास करते हैं। शिवसूत्र में भगवान शिव कहते हैं कि चैतन्य ही आत्मा है। इसका मतलब है कि चेतना की जागी हुई या होशपूर्वक अवस्था ही अपना है। आप ऐसे समझें कि चेतना की जागी हुई अवस्था के प्रति अगर आप होशपूर्वक हैं तो आप ध्यान में हैं। मतलब कोई भी काम बेहोशी में न हो। इसे ऐसे समझें, अगर आप ऑफिस का काम कर रहे हैं, या मैदान में टहल रहे हैं, या खेल रहे हैं तो कोई भी काम बेहोशी में नहीं करते हैं, इस दौरान आप पूरी तरह से जागे हुए हैं, होशपूर्वक हैं तो इसका मतलब आप ध्यान में हैं। होश की ये सतत अवस्था जब आपका स्वभाव बन जाती है। मतलब आप हर चीज के प्रति होशपूर्वक हैं तो हर पल, हर क्षण ध्यान में ही हैं। तो ध्यान का मतलब पालथी मारकर कुछ करना नहीं होता है। इसका अर है ्थ जागरूकता के साथ, होश के साथ जीना। अब आप कहेंगे कि इसकी शुरुआत कैसे करें। आप किसी भी सखप ू ूर्वक स्थिति में बैठ या लटे सकते हैं। इसके बाद होशपूर्वक चेतना के प्रति जागरूक हो जाएं। अपनी सांसों को अनुभव करें, अपने शरीर में होने वाली सक्ूष्म से सक्ूष्म हलचल को अनुभव करें, अपने मन और विचारों के प्रति जागरूक रहें। धीरे-धीरे ये जागरूकता गहरी होने लगगेी। ध्यान की इस अवस्था में आप ही सबसे बड़ी बाधा हैं। आप खुद को पीछे कर दें, बस जागरूकता बनी रहे, होश बना रहे। आपके हटने से ही उस विराट का आगमन होगा जो परम चैतन्य है। जिसे परमात्मा कहते हैं। कबीर के दोहे से इसे समझ सकते हैं। कबीर कहते हैं, ‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाही’। l विशेष संवाददाता वह दुखद घटना आपको याद होगी जब जिम में एक्सरसाइज करते हुए दक्षिण भारत के सुपरस्टार पुनित राजकुमार की अचानक मौत हो गई थी। उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। ऐसे कई घटनाएं सामने आई हैं जहां जिम में एक्सरसाइज करते हुए अचानक हार्ट फेल हो जाने से किसी की मौत हो गई है। मशहूर टीवी अभिनेता वीर सूर्यवंशी, मशहूर हास्य कलाकार राजूश्रीवास्तव भी ऐसे ही जिम में कसरत करते हुए मौत की गोद में समा गए थे। वैसे, दिल का दौरा पड़ने के कई कारण हो सकते हैं। और इसका शिकार कोई भी हो सकता है। ऐसे में क्या हम एक्सरसाइज को ही छोड़ दें? सवाल उठता है कि कसरत, जो शरीर को तंदरुस्त और चुस्त दुरुस्त रखने का माध्यम है, वह इस तरह से जानलेवा कैसे हो गया है। इसका क्या समाधान है? दरअसल इस सवाल का जवाब हमें योग से मिल सकता है। अगर जिम में भी हम अगर योग के इन नियमों का पालन करगेंे तो किसी प्रकार के खतरे से बच सकते हैं। योग की शुरुआत ही फोकस्ड माइंड के साथ होता है। जिम में इसकी कोई जरूरत नहीं होती है। जिम में अक्सर फास्ट म्यूजिक के साथ लोग कसरत करते हुए नजर आ जाएंगे। लकिे न योगासन ऐसे नहीं किया जा सकता है। योगासन के लिए जरूरी है कि आपका ध्यान पूरी तरह से आपकी सांसों और योगासन के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन पर हो। इसके बिना योगासन भी एक आम तरह का कसरत ही है। योगासन करने के दौरान जब आप सांसों पर ध्यान देते हैं तो आपको इसकी गति का हमेशा पता चलता रहता है। जब आपका फोकस सांसों पर रहता है तो इसकी गति नियत्रिं त रहती है। अगर मान लीजिए, सांसों की गति तेज हो जाए तो योग प्रशिक्षक आपको थोड़ी देर विश्राम करने की सलाह देते हैं। या अगर आप इस नियम से खुद वाकिफ हैं तो सांसों के तेज होने पर आप थोड़ी देर विश्राम करते हुए लंबी गहरी सांस लेंगे। लंबी गहरी सांस के साथ शरीर और मन पूरी तरह से शांत हो जाता है। वहीं, जिम में आमतौर पर सांसों पर कोई फोकस नहीं रहता है। तेज संगीत के साथ लगातार एक्सरसाइज करने से इसका असर दिल पर पड़ सकता है। जिम में अक्सर हमार ध्यान शरीर को सिक्स पैक, मसल्स को घुमावदार बनाने पर रहता है। इस टागगटे को ध्यान में रखते हुए हम बिना सोचे समझे तेज गति से अपने शरीर की सीमा से बाहर जाकर एक्सरसाइज करते हैं। और यही सबसे बड़ा खतरा है। आप जिम जाएं या घर पर योगासन करें, मर्यादा की सीमा रेखा का कभी उल्लंघन नहीं करें। सबसे पहले शरीर की क्षमता को पहचानें। आपका शरीर खुद आपको बताएगा कि कौन सा आसन या एक्सरसाइज कितनी देर तक करना है। जिम हो या योगासन हमेशा योग्य प्रशिक्षक की सलाह पर ही करें। बिना डॉक्टर की सलाह के जिमवालों के कहने पर बाजार में मिलने वाले प्रोटीन सप्लीमेंट न लें, यह भी नुकसानदायक हो सकता है। इन बातों का अगर ध्यान रखेंगे तो वास्तव में हम एक्सरसाइज का फायदा उठा सकते हैं। ध्यान में आप खुद ही सबसे बड़ी बाधा हैं, आपके हटते ही परम का जन्म होता है दरअसल, लोग एकाग्रता को ही ध्यान समझ लेत हैं। े लेकिन एकाग्रता ध्यान नहीं है। जब आप समस्त चेष्टाओं को छोड़ दते हैं े तो ध्यान वहां से शुरू होता है। आपके हटनेसे ही उस विराट का आगमन होगा जो परम चैतन्य है। जिसे परमात्मा कहत हैं। े चेतना के प्रति अगर आप होशपूर्वक हैं तो आप ध्यान में हैं Photo by Jared Rice / Unsplash जिम में आमतौर पर सांसों पर फोकस नहीं रहता है। Photo by GRAHAM MANSFIELD / Unsplash इन बातों पर ध्यान देंगे तो ही मिल सकता है एक्सरसाइज का लाभ योगासन करने के दौरान जब आप सांसों पर ध्यान दते हैं े तो आपको इसकी गति का हमशा पता च े लता रहता है। जब आपका फोकस सांसों पर रहता है तो इसकी गति नियंत्रित रहती है। जिम में आमतौर पर सांसों पर कोई फोकस नहीं रहता है। तज े संगीत के साथ लगातार एक्सरसाइज करनेसे इसका असर दिल पर पड़ सकता है। योग-व्यायाम और जीवन
...Page II *India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. ...Page V Year 1, Volume 51 Washington DC, Monday 02 October, 2023 कौन बनेगा पंजाब की NRI सभा का प्रधान, चुनाव की तारीख आई सामने इन गर्मियों में USA ने भारतीय छात्रों को जारी किए रिकॉर्ड 90,000 वीजा शांतिनिकेतन अब विश्व धरोहर, मोदी ने बताया- भारतीयों के लिए गर्व का क्षण ...Page VIII Photo by Naveed Ahmed / Unsplash भारत की स्थायी सदस्यता के लिए उठ रहीं आवाजें, कब तक अनसुना करेंगे? l विशेष संवाददाता समकालीन वैश्विक परिदृश्य को प्रतिबिबिं त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। वैश्विक व्यवस्थाओं में सुधार भारत द्वारा लगातार वैश्विक मंच पर उठाया जाने वाला मुद्दा रहा है। पिछले दिनों नई दिल्ली में आयोजित G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भी पीएम मोदी ने वैश्विक प्रणालियों को मौजदा वास ू ्तविकताओं के अनुसार बनाने के अपने रुख को दोहराया था। भारत के इस रुख का समरन आज ्थ दुनिया के कई देश करते हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का खुले रूप से समरन ्थ किया है। ऑस्ट्रेलिया का यह समरन अंत ्थ रराष्ट्रीय संस्था को अधिक प्रतिनिधित्व और प्रभावी बनाने के लिए व्यापक सुरक्षा परिषद सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए उसकी प्रतिबद्धता का हिस्सा है। अपने संबोधन के दौरान पेनी वोंग ने उन क्षेत्रों के लिए अधिक स्थायी और गरै-स्थायी प्रतिनिधित्व के महत्व पर जोर दिया, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से यूएनएससी में कम प्रतिनिधित्व दिया गया है। उन्होंने विशेष रूप से दो एशियाई पावरहाउस भारत और जापान को स्थायी सीटें देने की वकालत की। इसके साथ ही विश्व व्यवस्था को आकार देने में दोनों देशों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। पेनी वोंग का कहना है हमें अफ्रीका, लटिै न अमेरिका, एशिया के लिए अधिक स्थायी और अस्थायी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए, जिसमें भारत और जापान के लिए स्थायी सीटें भी शामिल हैं। हमें वीटो के उपयोग पर बाधाओं सहित स्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि की मांग करनी चाहिए। भारत की दावेदारी को ऑस्ट्रेलिया का समरन स ्थ मकालीन भ-ूराजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिबिं त करने के लिए यूएनएससी में सुधार की आवश्यकता पर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आम सहमति के अनुरूप है। बता दें कि पुरग्त ाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी ससा ने इस हफ ू ्ते की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में अपने संबोधन के दौरान सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए ब्राजील के साथ भारत का समरन ्थ किया था। ससा का कहना ू था कि सुरक्षा परिषद की अवधारणा एक ऐसी दुनिया से मले खाती है जो अब मौजद नहीं है। पु ू रग्त ाल ने इस बात का पूरजोर समरन क्थ रते हुए कहा कि यह निर्णय लिया जाना चाहिए कि ब्राजील और भारत जैसे देश स्थायी सदस्य बनें। इन देशों की अनदेखी नहीं की जा सकती। दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो भारत के लिए स्थायी सदस्यता का समरन क्थ रते रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी को और मजबत क ू रते हुए तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने भी इसकी वकालत की थी। पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा था कि हमें गर्व होगा अगर भारत जैसा देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया यूएनएससी के पांच वरम्त ान स्थायी सदस्यों (अमेरिका, यूके, फ्रांस, चीन और रूस) से बहुत आगे तक फैली हुई है। l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क उत्तर भारतीय राज्य पंजाब में क्रिकेट की कमान संभालने वाले अधिकारियों ने गरुदासपुर के जिस खिलाड़ी को बार-बार खारिज किया, उसका चयन कनाडा की राष्ट्रीय टीम में हो गया है। कनाडाई क्रिकेट टीम 30 सितंबर से बरमूडा में होने वाले T20 विश्व कप क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में हिस्सा लगेी। राज्य की क्रिकेट जमात के कई लोगों को यह खबर जबर्दस्त झटका दे रही है। उन लोगों के लिए यह विश्वास करना मशु्किल हो रहा है कि ऑलराउंडर दिलप्रीत सिंह बाजवा (22) ने दसूरे देश की टीम में जगह बनाई है क्योंकि उसके दावों को उनके अपने राज्य और देश ने गलत तरीके से खारिज कर दिया था। कई पूर्वक्रिकेटरों का कहना है कि इससे क्रिकेट और पंजाब में क्रिकेट खिलाड़ियों की पूरी कहानी साफ हो जाती है कि छोटे जिलों के खिलाड़ियों को अपवादस्वरूप ही आगे बढ़ाया जाता है, भले ही वे अपने हुनर में कितने ही माहिर हों। बाजवा से बेहतर इसकी पुष्टि कोई नहीं कर सकता। पंजाब में जिलों को मुख्य यानी बड़े और छोटे जिलों में वर्गीकृत किया गया है। और गरुदासपुर छोटे जिलों की श्रेणी में है। बाजवा के कोच राकेश मार्शल हैं। बाजवा सरकारी कॉलेज के मैदान में अभ्यास करते थे, जहां मार्शल एक अकादमी चलाते हैं। बाजवा ने अपनी स्कूली शिक्षा गुरु अर्जुन देव सीनियर सेकेंडरी स्कूल, धारीवाल से की। उनके पिता हरप्रीत सिंह कृषि विभाग में काम करते थे जबकि उनकी मां हरलीन कौर एक सरकारी शिक्षिका थीं। इस बात को ध्यान में रखते हुए कि उनके होनहार बेटे को चयनकर्ता लगातार खारिज कर रहे हैं दिलप्रीत के माता-पिता ने 2020 में कनाडा प्रावस का फैसला किया। केवल तीन वर्षों में बल्लेबाज ऑलराउंडर बाजवा ने कनाडा के घरलू े ग्लोबल T20 टूर्नामेंट में सभी को प्रभावित किया। बाजवा ने मॉन्ट्रियल टाइगर्स के लिए खेलते हुए कई बार शानदार स्कोर बनाया। यही देख चयनकर्ताओं ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में शामिल करने का फैसला किया। क्रिस गले , टिम साउथी, कार्लोस ब्रैथवेट और जेम्स नीशम जैसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर नियमित रूप से टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं और गले बाजवा को खब पसंद क ू रते हैं। पंजाब क्रिकेट की ओर से जब दिलप्रीत बारबार खारिज किये गये और लगभग निराश हो चले थे तो कोच मार्शल और माता-पिता ने ही उत्साहित किया और यकीन दिलाया कि उनमें प्रतिभा है लिहाजा हार नहीं माननी है। ऑस्ट्रेलिया की विदश मं े त्री पेनी वोंग नेसंयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावदारी का खु े ले रूप से समर्थन किया है। पुर्तगाल के राष्ट्रपति मार्सेलो रबे ेलो डी ससू ा ने इस हफ्ते की शुरुआत में भारत का समर्थन किया था। केवल तीन वर्षों में बल्लेबाज ऑलराउंडर बाजवा ने कनाडा के घरेलू ग्लोबल T20 टूर्नामेंट में सभी को प्रभावित किया। बाजवा ने मॉन्ट्रियल टाइगर्स के लिए खेलत हुए े कई बार शानदार स्कोर बनाया। वाह! पंजाब में बार-बार खारिज क्रिकेटर का कनाडा की टीम में चयन अब भारत के खिलाफ मैदान में उतर सकता है बाजवा।
II सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 l न्यू इंडिया अब्रॉड नेटवर्क भारत और कनाडा के बीच लगातार बढ़ती तनातनी के बीच विदेश मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय प्रवासियों के बीच कनाडा कितना लोकप्रिय है। जनवरी 2018 से लेकर जन 2023 के बीच 1.6 ू लाख या तकरीबन 20 प्रतिशत भारतीयों ने अपनी नागकिता छोड़कर कनाडा का रुख किया। यह आंकड़ा इस तथ्य को भी उजागर करता है कि इस समयावधि में भारत छोड़ने वालों की दसूरी पसंद कनाडा है जबकि पहले स्थान पर अमेरिका है। भारतीय नागरिकता छोड़कर विदेश जा बसने के मामले में तीसरे और चौथे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन हैं। 2018 से 2023 के दरम्यान 8.4 लाख लोगों ने भारत छोड़ा और इनमें से 59.4 फीसदी लोग अमेरिका में बस गये और 20 प्रतिशत ने कनाडा को अपना ठिकाना बना लिया। आंकड़े इस बात की भी गवाही दे रहे हैं कि नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में साल-दर-साल बढ़ोतरी हो रही है। सिवाय 2020 के क्योंकि तब कोविड चरम पर था और दुनिया के तमाम देशों के दरवाजे बंद थे। 2018 में 1.3 लाख भारतीयों ने देश छोड़ा तो 2022 में 2.2 लाख लोग विदेशों में जा बसे। 2023 की पहली छमाही में 87,026 भारतीय दसूरे देशों का रुख कर चुके हैं। गंतव्य देशों के विभाजन का विश्लेषण करते समय एक समान ऊपर की ओर रुझान स्पष्ट होता है जिसमें मुख्य रूप से एक वर्ष के लिए अमेरिका की संख्या में मामूली उतारचढ़ाव हुआ। इस समयावधि में जिन 8.4 लाख भारतीयों ने अपना देश छोड़ा वे 114 दसूरे मुल्कें में जाकर बस गये। यह आंकड़ा विदेश में नए क्षितिज और अवसरों की तलाश कर रहे भारतीय नागरिकों द्वारा चुने गए गतिशील विकल्पों को दर्शाता है और साथ ही कनाडा को एक तेजी से लोकप्रिय होते गंतव्य के रूप में पेश करता है। इन गर्मियों में USA ने भारतीय छात्रों को जारी किए रिकॉर्ड 90,000 वीजा इस मामले में तीसरे और चौथे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन हैं। Demo Photo by John McArthur / Unsplash नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की दसरी पसंद है ू कनाडा, पहले पर अमेरिका जनवरी 2018 सेलेकर जून 2023 के बीच 1.6 लाख या तकरीबन 20 प्रतिशत भारतीयों ने अपनी नागकिता छोड़कर कनाडा का रुख किया। आंकड़े इस बात की भी गवाही द रह े हैं े कि नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में सालदर-साल बढ़ोतरी हो रही है। सिवाय 2020 के क्योंकि तब कोविड चरम पर था। l त्रिभुवन शर्मा अमेरिका में दुनिया भर से इस वर्ष की गर्मी में उच्च शिक्षा के लिए आ रहे 4 छात्रों में से एक भारतीय है। यह जानकारी भारत में अमेरिकी दतावास ने दी है। द ू तावास ने बता ू या कि इस गर्मी में यानी जन, जु ू लाई और अगस्त में जारी किए गए स्टूडेंट वीजा पाने वालों में हर चार में से एक भारतीय छात्र है। भारत में अमेरिकी दतावास ने बता ू या कि इन गर्मियों के महीनों में रिकॉर्ड स्तर पर 90,000 छात्र वीजा जारी किए गए हैं। यह अमेरिकी छात्र वीजा पाने वाले अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है। भारत में अमेरिकी दतावास ने एक ू ्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि यह घोषणा करते हुए हमें खुशी हो रही है कि हमने इस गर्मी में जन, जु ू लाई और अगस्त में रिकॉर्ड संख्या में 90,000 से अधिक छात्र वीजा जारी किए हैं। इस गर्मी में दुनिया भर में लगभग चार में से एक छात्र वीजा यहीं भारत में जारी किया गया था। हम उन सभी छात्रों को बधाई और शुभकामनाएं देना चाहते हैं जिन्होंने अपनी उच्च शिक्षा लक्ष्यों को साकार करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को चुना है। एक्स पर दतावास ने आ ू गे कहा कि टीम वर्क और नवाचार के साथ हमने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी योग्य आवेदक समय पर अपनी पढ़ाई के लिए अमेरिका पहुंच सकें। आपको बता दें कि बीते दिनों भारत में संयुक्त राज्य अमेरिका के राजदत एरिक ू गार्सेटी ने जानकारी देते हुए बताया था कि पहली बार अमेरिका के पर्यटक वीजा साक्षात्कार के लिए प्रतीक्षा समय लगभग आधा हुआ है। साल 2023 में दतावास का ू लक्ष्य 10 लाख वीजा संसाधित करना है। मालूम हो कि जन ू में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीजा की आसान प्रक्रिया को लेकर एक घोषणा की थी और कहा था कि अमेरिका में बसे भारतीय पेशेवरों को अब H-1B वीजा नवीनीकरण के लिए देश छोड़ने की आवश्यकता नहीं होगी। वहीं अमेरिका भारत के बेंगलुरु और अहमदाबाद में नए वाणिज्य दतावास स ू ्थापित करगेा जबकि भारत इस साल सिएटल में एक नया वाणिज्य दतावास शुरू क ू रगेा। अमरेिकी दूतावास ने कहा कि यह घोषणा करत हुए हमें खुशी हो रही है े कि हमने इस गर्मी में जून, जुलाई और अगस्त में रिकॉर्ड संख्या में 90,000 से अधिक छात्र वीजा जारी किए हैं। इस गर्मी में दुनिया भर में लगभग चार में से एक छात्र वीजा यहीं भारत में जारी किया गया था।
III सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023
IV सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023
सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 V l विशेष संवाददाता अगले वर्ष 12 जनवरी से 14 जनवरी के बीच PanIIT USA के मंच पर दुनियाभर के तकनीकी दिग्गज और आईआईटी के विश्व भर में व्याप्त पूर्व छात्र वाशिगटं न में मिलने वाले हैं। इस मंच पर भविष्य के तकनीकी और सामाजिक परिदृश्य पर सारक संवाद होने वा ्थ ला है। ग्लोबल कॉन्फ्स की रें टैग लाइन है- द फ्यूचर इज हेयर नाओ। सम्मेलन के दौरान नवाचार पर फोकस रहने वाला है। तीन दिनों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से लेकर सतत विकास और अत्याधुनिक चिकित्सा सफलताओं के साथ ही उद्यमिता तथा भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव पर चर्चा होगी। ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में विनोद खोसला (संस्थापक और प्रबंध भागीदार, खोसला वेंचर्स), विटं सेर्फ (गूगल के उपाध्यक्ष और मुख्य इंटरनेट प्रचारक), अरविंद कृष्णा (अध्यक्ष और सीईओ, आईबीएम), सल खान (संस्थापक और सीईओ, खान अकादमी), डेविड रूबेनस्टीन (सह-संस्थापक और सहअध्यक्ष, द कार्लाइल ग्प), रु निरुपमा मेनन राव (पूर्व भारतीय विदेश सचिव और अमेरिका में राजदत) त ू था स्टीवन च (नोबे ू ल पुरस्कार विजेता, भौतिकी और पूर्व ऊर्जा सचिव) मुख्य वक्ताओं के रूप में उपस्थित रहेंगे। वक्ताओं के संवाद, परिचर्चा और इंटरक्टिै व कार्यशालाएं उपस्थित लोगों के लिए परस्पर जुड़ने के अहम अवसर खोलने वाली हैं। यहां आकर नये पेशेवर अपनी योजनाओं को और मजबती देने की अवस ू र हासिल करने वाले हैं और साथ ही पूर्व छात्रों के लिए पुराने दोस्तों के साथ फिर से जुड़ने, नई साझेदारियां कायम करने और वैश्विक आईआईटी को मजबत कू रने के विकल्प भी खुलने वाले हैं। ग्लोबल कॉन्फ्स को रें लेकर PanIIT USA के अध्यक्ष रॉन (रणबीर) गप्ता ु (आईआईटी 1970 आर्किटेक्चर) ने कहा कि आईआईटियंस के बीच नेटवर्कगिं की गर्माहट को फिर से जगाने का यह सिलसिला 2003 में शुरू हुआ। अब एक बार फिर मैं सभी आईआईटियंस के साथ ही इस पूरे परिवार, मित्रों और समरकों को ्थ भविष्य की महान उपलब्धियों को साझा करने के लिए नेशनल हार्बर गलॉर े ्ड रिजॉर्टमें आमत्रिं त करता हूं। सम्मेलन के दौरान इस क्षेत्र में भारतअमेरिका की साझेदारी के महत्व पर भी प्रकाश डाला जाएगा। l विशेष संवाददाता पंजाब की अनिवासी भारतीय (NRI) सभा राज्य के प्रवासी भारतीयों के कल्याण के लिए राज्य सरकार की एक एजेंसी के रूप में काम करती है। सभा के प्रधान की कुर्सी खाली है। अब राज्य सरकार का कहना है कि अगले साल पांच जनवरी को सभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने रविवार को यह जानकारी दी। धालीवाल का कहना है कि सभा के अध्यक्ष का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो गया। ज्यादातर प्रवासी पंजाबी आमतौर पर दिसंबर के महीने में भारत आते हैं और वे मार्च तक यहां रहते हैं। इसलिए जनवारी में चुनाव कराने की योजना बनाई गई है। पिछली बार वर्ष 2015 से 2019 तक सभा प्रधान के चुनाव न होने की वजह से कुर्सी खाली पड़ी हुई थी। आठ मार्च 2020 को सभा प्रधान के चुनाव हुए थे। वर्ष 2020- 21 में कोरोना महामारी ने सभा के काम को चौपट कर दिया था। एनआरआई भी विदेश से पंजाब में नहीं आए थे। सभा के कुल 22,923 सदस्य हैं। सदस्य ही सभा प्रधान का चुनाव करती है। एनआरआई सभा पंजाब सरकार के संरक्षण में काम करती है और इसका मुख्य उद्देश्य पंजाब के एनआरआई के कल्याण और हितों के लिए काम करना है। एनआरआई सभा का मुख्य मकसद प्रवासी पंजाबियों की शिकायतों का निवारण करना, उनके अधिकारों और संपत्तियों की रक्षा करना है। एनआरआई सभा पंजाब पंजाब सरकार के अनुमोदन से सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी है। मुख्यमंत्री इस सभा के मुख्य संरक्षक हैं। जालंधर डिवीजन के आयुक्त सभा के अध्यक्ष हैं, जबकि उपायुक्त इसकी जिला इकाइयों के अध्यक्ष हैं। IIT ग्लोबल कॉन्फ्रेंस: वाशिंगटन में जुटेंगे दुनियाभर के तकनीकी दिग्गज ग्लोबल कॉन्फ्रेंस को लेकर PanIIT USA के अध्यक्ष रॉन (रणबीर) गुप्ता (आईआईटी 1970 आर्किटेक्चर) ने बताया कि आईआईटियंस के बीच नेटवर्किंग की गर्माहट को फिर से जगाने का यह सिलसिला 2003 में शुरू हुआ। सम्मेलन के दौरान नवाचार पर रहेगा फोकस। Image : NIA इस मंच पर भविष्य के तकनीकी और सामाजिक परिदृश्य पर सार्थक संवाद होने वाला है। Image: NIA कौन बनेगा पंजाब की NRI सभा का प्रधान, चुनाव की तारीख आई सामने पंजाब की राज्य सरकार का कहना है कि अगलेसाल पांच जनवरी को सभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा। एनआरआई सभा पंजाब सरकार के संरक्षण में काम करती है और इसका मुख्य उद्शदे ्य पंजाब के एनआरआई के कल्याण और हितों के लिए काम करना है। Photo by Laurentiu Morariu / Unsplash
VI सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 ARSHA VIDYA PITHAM 651, Route 115, SAYLORSBURG, PA 570-992-2339 The Gift For a Day Program Arsha Vidya Gurukulam was founded in 1986 by Pujya Sri Swami Dayananda Saraswati. The Gurukulam is situated on 99 acres of partially wooded land in the Pocono Mountains, graced by a Lord Dakṣ iņ ā mū rti temple. The facility houses a 400-seat state of the art auditorium and dining complex, library, reading room, bookstore, modern accommodations suited to contemplative study, The traditional study of Vedanta & Yoga, Sanskrit, Jyotisha, and Ayurveda camps are organized at the Gurukulam . The ashram is run on the donations of the members. The Members value the teachings at AVG and support the gurukulam by donating $500 for a day’s expense of running the gurukulam under Gift For a Day Program. When $2000 is donated for four Gift-For-A-Day programs per family of 2 adults & children and they become Patron Members for that year. The features of Patron Membership are as given below: 1. The new patron members (who opt for 4 GFDs per year) can avail one week camp for free in place of free books for the first year. 2.All the existing patron members can avail themselves of any one of the long weekend camps if they do not get a chance to attend the patron camps. 3. There is no need to pay donation for using homa building once a year for all the patron members depending on the availability of the priest’s slot for that day. 4.The donation is tax exempt.
मेष आप एक ऐसे समय की ओर बढ़ रहे हैं जहां आपके पास ढेर सारे काम होंगे। यानी आर्थिक अवसर आएंगे। अपने लक्ष्यों के बारे में सोचिए और आंखें खोलकर उनकी पहचान करके कुछ करने को लेकर विचार करें। हालात के हिसाब से खुद को बदलने में सितारे आपकी मदद करेंगे। कुछ भी करने से पहले अपने मन की आवाज सुनें। फैसलों में भी मन की ही मानें न कि किसी और का सुझाव। आपके पास संकटों से निपटने की क्षमता और नजर है। अगर कोई किसी कारोबार के लिए कहे तो आगे न बढ़ें क्योंकि वह प्रलोभन हो सकता है। वह जोखिम भरा भी हो सकता है। जो लोग आपसे जलते हैं उनकी गपशप पर भी तवज्जो न दें। ध्यान दिया तो आपकी ही हानि हो सकती है। वृषभ आप आने वाले दिनों में कुछ ज्यादा ही संवेदनशील रहेंगे। अपनी अवधारणाओं पर आगे बढ़ने के बजाय पूरी कोशिश करके वास्तविकता को जानने की कोशिश कीजिए। आपको लग सकता है कि पूरी दुनिया आपके खिलाफ है या आप बेकार की बातों पर गुस्सा हो सकते हैं। अगर कोई कुछ कहता और करता है तो उसे दोष न दें क्योंकि हरेक को अपनी बात कहने का हक है। कुछ भी करने से पहले दो बार जरूर सोचें। आप कई बार अपनी वाणी से बहुत कठोर हो जाते हैं लकिे न सच यह है कि जब आपको उस कठोरता का अहसास होता है तो आपको पछतावा भी होता है। आर्थिक मामलों में आपका समय अच्छा चल रहा है। लकिे न फिर भी गलत फैसले लेने से बचें। प्यार के मामले में आपका मन आपको परेशान करता है। इस बारे में सोचें। मिथुन मिथुन राशि वालों के लिए यह समय नए अवसरों की तलाश का है। आप जहां काम करते हैं वहां आपने खब ू मेहनत कर ली लकिे न आपका संघर्षकिसी काम नहीं आया। हो सकता है कि सत्ताधारी लोगों से आपके संबंध सौहार्दपूर्ण न रहे हों। इस सप्ताह आप महसस कू रेंगे कि आपको और अधिक फ्री होना चाहिए और स्वतंत्र भी। अगर आप दसूरे साझीदारों के साथ कोई रिश्ता कायम करते हैं तो आपको यह अहसास कुछ अहसज कर देता है। इसलिए कि आप अपनी ही चलाना चाहते हैं। किसी से सलाह नहीं करना चाहते। लकिे न उसे लेकर कठोर होने की जरूरत नहीं है। इस बारे में शांति के साथ बात करें। प्यार के मामले में अपने साथी पर संदेह न करें। खुद को दसूरे की जगह रखकर देखें। कर्क कामकाजी समस्याओ को लेकर अब आप किसी तरह की दुविधा में नहीं हैं। आप अपने किसी आला अधिकारी के साथ मतभेदों की वजह से परेशानी में चल रहे थे लकिे न अब वह समय समाप्त हो गया है। अगर अब आपने यह तय कर लिया है कि परेशानियों को दरकिनार कर कड़ी मेहनत करेंगे तो उस श्रम का फल मिलने का समय आ रहा है। अब आपके प्रयास बेकार नहीं जाएंगे। अब आप अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकेंगे। इस सप्ताह आप वह पहचान भी पाएंगे जिसके आप हकदार हैं। इससे आपको कई तरह के लाभ हासिल होंगे और आप मानसिक शांति महसस क ू रेंगे। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आप अधिकांश समय कामकाज में बिताते हैं। प्यार-मोहब्बत के मामले में चीजें ठीक रहेंगी। सिंह अब आपके लिए इस बात का आकलन करने का समय आ गया है कि आखिर कामकाज के मामले में चल क्या रहा है। आपकी अपने बॉस या सहकर्मी के साथ कुछ अनबन हुई है और इसलिए आप भी असहज महसूस कर रहे हैं। लेकिन इस सप्ताह माहौल अधिक राहत भरा रहने वाला है। आप सोच पाएंगे कि मतभेदों की वजह क्या थी। हो सकता है कि अनजाने में आपने ही उन्हे भड़का दिया हो। अगर आप निवेश करेंगे तो उससे होने वाले रिटर्न पर अपना ध्यान लगाएं। पैसों को लेकर थोड़ा सावधान रहें क्योंकि वह आपके हाथ में टिकता नहीं है। उसके प्रबंधन के विषय में सोचिए। प्यार के लिहाज से अच्छा समय आने को है। कन्या कामकाजी स्थल पर गतिविधियों की अधिकता आपके मूड पर प्रतिकूल असर डालेगी। इससे बचने की कोशिश करें क्योंकि ये हालात सहकर्मियों के साथ रिश्तों को प्रभावित करेंगे। आपको यह सोचकर खुश होना चाहिए कि बहुत कुछ चल रहा है इसका मतलब सब ठीक है। आप असहज हो सकते हैं क्योंकि आपको कुछ ऐसे काम करने पड़गे जिनके आप अभ्यस्त नहीं हैं और आप असुरक्षित भी महसूस कर सकते हैं। ऐसे में शांत रहिये और ध्यान रखिये कि आप वह सब पाने में सक्षम हैं जो आप चाहते हैं। आपके पास संसाधन और क्षमताओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन कामयाबी के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि आप अपनी बेचैनी पर काबूरखें। खर्च कम करें और कोई भी फैसला लेने से पहले धैर्य से विचार अवश्य कर लें। तुला कामकाज के लिहाज से गहमागहमी रहने वाली है जिसकी वजह से आप यह दिखाने में कामयाब रहेंगे कि आप दबाव के हालात में भी अपनी पूरी क्षमता और कौशल के साथ काम कर सकते हैं। यह आपके लिए बेहद सकारात्मक है लेकिन चौंकिये मत। दूसरी तरफ, कारोबार के मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम करने के दौरान आप मुसीबतें झेल चुके हैं और आपको यह भी लगता है कि आप उन परेशानियों को सुलझा नहीं पाएंगे क्योंकि आप सही रास्ता बताने वालों की बात सुनना ही नहीं चाहते। लिहाजा थोड़ा विनम्र बनने की जरूरत है और अपने व्यवहार को भी तब्दील करने की दरकार है। प्रेम के लिए स्थितियां अच्छी हैं। साथी से खुशी मिलेगी। वृश्चिक सितारों की चाल सकारात्मक है इसलिए कामकाज के लिहाज से यह सप्ताह शानदार रहने वाला है। अब आप वह सब पा सकते हैं जो चाहते हैं। सप्ताह के अंत में आपको वह अवसर मिलने वाला है जिसके आप सपने देख रहे थे। इससे आपकी कामकाजी प्रतिष्ठा में भी बड़ा इजाफा होने वाला है। लेकिन आर्थिक राहें जोखिम भरी हैं। यह किसी नई परियोजना को शुरू करने का सही समय नहीं है। हो सकता है कि आपका कोई जानकार आपसे उधार मांगे। ऐसे में जो आपको लगता है वह कीजिए लेकिन उधार दिया हुआ पैसा वापस आने की संभावनाएं कम ही हैं। भावनात्मक स्तर पर खुले दिल वाले जातक इस सप्ताह सरप्राइज पा सकते हैं। कोई पुराना दोस्त प्यार का इजहार कर सकता है। उसके प्रस्ताव पर हामी भर दीजिए। अच्छा रहेगा। धनु धनु राशि के जातक इन दिनों निराश हो सकते हैं। ऐसा कई कारणों से हो सकता है। हो सकता है कि कामकाज के मामले में आप किसी प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़ना चाहते होंलेकिन उसे ठंडे बस्तेमें डाल दिया गया हो। लेकिन निराश न हों। वह अवसर बाद में आएगा। इस सप्ताह चीजों पर शांति से विचार करें। आर्थिक मामलों में भी बेहद सावधानी के साथ कुछ करने की जरूरत है। माहौल उथल-पुथल भरा है लिहाजा कोई बड़ा फैसला लेने का यह सही समय नहीं है। अगर आप कोई कार या घर लेने का प्लान बना रहे हैं तो तब तक रुके रहिये जब तक कि सितारों की चाल आपके अनुकूल नहीं हो जाती। भावनात्मक स्तर पर आप अपने साथी की ओर से परेशान हो सकते हैं। दफ्तर में लोग आपको मूर्ख बना सकते हैं इसलिए सावधान रहें। मकर कामकाज के लिहाज से आप एक अच्छे चरण में प्रवेश करने जा रहे हैं। आपके काम की कीमत समझी जाने लगी है यह बात अब आपको राहत देगी। लेकिन इस सबके बाद भी खुद पर काबूरखने की कोशिश करें। खासकर कामकाजी परिवेश में। यह सलाह इसलिए है क्योंकि कई बार आप अजीब व्यवहार कर बैठते हैं। कारोबार के मामले में भी ऐसा ही कुछ होता है। अगर कोई चीज आपकी योजना के हिसाब से नहीं होती तो आप खुद को ऐसी स्थिति में डाल लेते हैं जिससे संकट खड़ा हो जाता है। इस सप्ताह सितारे आपके विचारों को भड़का सकते हैं लिहाजा हालात का अपने हित में लाभ लेने की कोशिश करें। थोड़ा सहनशील बनिये। अपने साथी को लेकर आत्मविश्वास बनाए रखें। अन्यथा परेशानी खड़ी हो सकती है। विचार करके ही आगे बढ़ें। कुंभ कामकाज की दृष्टि से यह सप्ताह बेहद सकारात्मक रहेगा। आपको एक अच्छा सा सरप्राइज भी मिल सकता है। हर बार कंपनी में आंतरिक स्तर पर पदोन्नति होती है। आप भी वह हासिल करना चाहते हैं लेकिन आप उस तरफ कोई कदम नहीं बढ़ाते क्योंकि आपको लगता है कि इससे कुछ होने वाला नहीं है और कोई ध्यान भी नहीं देगा। लेकिन अब आपको पता है कि आपके वरिष्ठ साथियों ने आपके काम को देख लिया है और समर्थन भी मिल रहा है। इससे आपका हौसला बढ़ेगा। जैसे कि आपको लगता है आप हमेशा सही हैं। आप अनुभवी लोगों की भी नहीं सुनते। यह ठीक नहीं है। अनुभवी लोगों की बात सुनें। प्यार के मामले में भी आप साथी की नहीं सुनते। अब आप ही तय करें कि क्या यह सब ठीक है। मीन मीन राशि वालों के लिए ये दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये आपकी पेशेवर योजनाओं पर असर डाल सकते हैं। आपके पास आपके कार्यालय में सबसे सकारात्मक चीज उस ताकततवर व्यक्ति की ओर से आएगी जिसे कंपनी ने हाल ही में रखा है। वही व्यक्ति आपकी क्षमताओं की पहचान करेगा। ऐसे में आप अपने काम के दम पर खुद को दूसरों से अलग दिखा सकते हैं। खाली समय में विचार करें कि आखिर चल क्या रहा है। सितारों की चाल से जीवन के सभी पहलुओं पर विचार-मंथन के हालात बनेंगे। आपको आगे की राह साफ नजर आएगी और आप तय करेंगे कि कोई गलती नहीं करनी है। अगर भावनात्मक स्तर पर आप अकेले हैं तो आपको कोई ऐसा मिलने वाला है जो आपकी पूरी दुनिया बदल कर रखा देगा और आपको प्यार भी खूब करेगा। साप्ताहिक भविष्यफल (02 अक्तूबर-08 अक्तूबर) Sundeep Kochar Astrologer https://www.sundeepkochar.com विश्वप्रसिद्ध ज्योतिषी संदीप कोचर से जानिए साप्ताहिक भविष्यफल। कोचर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रम्प की जीत की भविष्यवाणी करके नाम कमा चुके हैं। यके के ू विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। विश्व के कई रेडियो और टीवी चैनलों को वह साक्षात्कार दे चुके हैं। VII सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023
सोमवार, 02 अक्टूबर, 2023 Published Weekly Copyright © 2022 Indian Star LLC Editor in Chief Dr. Sridhar Krishnaswami [email protected] Chief Executive Officer Rajeev Bhambri [email protected] Registered Address Indian Star LLC, 6215 Rockhurst Rd, Bethesda, MD 20817 USA Disclaimers: 1. India Abroad is a Registered trademark and not affiliated with the newspaper named India Abroad marketed in the US from 1972 to 2021. 2. Indian Star LLC assumes no liability for claims / assumptions made in advertisements and advertorials. Views expressed by the writers are their own. Indian Star LLC A publication of Editor (Hindi) Dr. Rameshwar Dayal [email protected] US में पढ़ाई करना चाहते हैं, इन स्कॉलशिप के बारे में जरूर जान लें अमरेिका में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए कई स्कॉलरशिप उपलब्ध हैं। ये स्कॉलरशिप भारतीय छात्रों को विदश में प े ढ़ने के अपने सपनों को पूरा करने में मदद कर सकती हैं। व छा े त्रों को विभिन्न संस्कृतियों के बार में जा े नने और नए कनेक्शन बनाने में भी मदद कर सकती हैं। l विशेष संवाददाता अमेरिका में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों के लिए कई स्कॉलरशिप उपलब्ध हैं। हालांकि इनमें से कुछ दसूरों की तरह प्रसिद्ध नहीं हैं, लकिे न ये आपकी पढ़ाई में सहायता करने के लिहाज से बेहतर हो सकती हैं। ये स्कॉलरशिप भारतीय छात्रों को विदेश में पढ़ने के अपने सपनों को पूरा करने में मदद कर सकती हैं। वे छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानने और नए कनेक्शन बनाने में भी मदद कर सकती हैं। अमेरिका में ग्जुएशन क रे रने के इच्छुक छात्र इन स्कॉलरशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पाथवेज स्कॉलरशिप: अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पाथवेज स्कॉलरशिप फ्लोरिडा, यूएसए में full sail विश्वविद्यालय द्वारा पेश किए गए स्नातक कार्यक्रमों के एक व्यापक फलक पर लागू होती है। ये कार्यक्रम फिल्म और टेलीविजन, संगीत, खेल, कला, मीडिया और संचार, प्रौद्योगिकी, व्यवसाय जैसे विषयों की एक विविध श्रृंखला को कवर करते हैं। यह स्कॉलरशिप दुनिया भर के इच्छुक छात्रों को उन क्षेत्रों में अपने शैक्षिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करने के लिए तैयार की गई हैं जो जुनन के सा ू थ इसे हासिल करना चाहते हैं। योग्यता: उम्मीदवारों को यह स्कॉलरशिप फुल सेल विश्वविद्यालय के प्रवेश प्रतिनिधि द्वारा आयोजित साक्षात्कार के आधार पर मिलगेी। राशि: स्कॉलरशिप छात्रों के पूरे ट्यूशन शुल्क को कवर करगेी आवेदन की अंतिम तिथि: अभी तक घोषित नहीं आवेदन कैसे करें: https://www.fullsail.edu/scholarships/pathwayscholarship केंट स्टेट यूनिवर्सिटी ग्लोबल स्कॉलरशिप: केंट स्टेट यूनिवर्सिटी ग्लोबल स्कॉलरशिप ऐसे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए है जो यूनिवर्सिटी द्वारा पेश किए गए स्नातक कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला को अपनाना चाहते हैं। ये कार्यक्रम व्यापार, इंजीनियरिंग, कला और विज्ञान, संचार, शिक्षा, नर्सगिं , वास्तुकला सहित अध्ययन के विभिन्न क्षेत्रों में फैले हुए हैं। इस स्कॉलरशिप का उद्देश्य उच्च शिक्षा की खोज में विविध पृष्ठभूमि के छात्रों की सहायता करना और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक समुदाय के भीतर वैश्विक विविधता को बढ़ावा देना है। योग्यता: उम्मीदवार जो केंट स्टेट यूनिवर्सिटी में पूर्णकालिक नामांकन करने के इच्छुक हैं। राशि: 4,300 डॉलर प्रति वर्ष आवेदन की अंतिम तारीख: हर साल नवंबर आवेदन कैसे करें: https://www.kent.edu/admissions/internationalstudents-scholarship-resources फुलब्राइट-नेहरू मास्टर फैलोशिप: फुलब्राइट-नेहरू मास्टर फैलोशिप भारतीय छात्रों को चुनिंदा अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न मास्टर डिग्री कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। ये फैलोशिप इंजीनियरिंग, सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान, मानविकी, कला सहित कई विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ उपलब्ध है। फैलोशिप का उद्देश्य भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अकादमिक आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देना है। फैलोशिप में ट्यूशन फीस, रहने का खर्च, हवाई किराया और अन्य भत् शा ते मिल हैं। योग्यता: आवेदकों के पास स्नातक की डिग्री के साथ ही मजबत ू लीडरशीप क्वॉलिटी होनी चाहिए। राशि: कार्यक्रम और संस्थान के आधार पर भिन्न होता है। आवेदन की समय सीमा: आमतौर पर प्रत्क व ये र्ष जन-जु ू लाई के आसपास। आवेदन कैसे करें: https://www.usief.org.in/Fellowships/ Fulbright-Nehru-Masters-Fellowships.aspx कॉर्नेलविश्वविद्यालय में टाटा स्कॉलरशिप: कॉर्नेल विश्वविद्यालय में टाटा स्कॉलरशिप विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले स्नातक पाठ्यक्रमों की एक विविध श्रृंखला पर लागू होती है। यह स्कॉलरशिप इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान, व्यवसाय, सामाजिक विज्ञान, मानविकी सहित विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करती है। स्कॉलरशिप का उद्देश्य असाधारण भारतीय छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। योग्यता: उम्मीदवारों को कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए चयन होना चाहिए और वित्तीय जरूरतों के बारे में बताना होगा। राशि: स्कॉलरशिप पूरी ट्यूशन फीस और रहने के खर्चों को कवर करती है। आवेदन की तारीख: कॉर्नेल विश्वविद्यालय के लिए नियमित प्रवेश की समय सीमा। आवेदन कैसे करें: https://admissions.cornell.edu/apply/ first-year-applicants/international-students/tatascholarship स्टैनफोर्ड रिलायंस धीरूभाई फैलोशिप: फैलोशिप मुख्य रूप से जीएसबी में एमबीए या एमएसएक्स कार्यक्रम के लिए आवेदन करने वाले भारतीय छात्रों के लिए है। इसमें बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, मैनेजमेंट, लीडरशिप, एंटरप्रेन्योरशिप सहित विभिन्न क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। यह फैलोशिप कार्यक्रम असाधारण शैक्षणिक पृष्ठभूमि और नेतृत्व क्षमता वाले उत्कृष्ट भारतीय छात्रों का समरन क ्थ रने के लिए तैयार किया गया है। फैलोशिप हर साल पांच भारतीय छात्रों के लिए ट्यूशन फीस और संबंधित लागत को कवर करती है। योग्यता: आवेदकों को एक असाधारण शैक्षणिक रिकॉर्ड, नेतृत्व कौशल और समुदाय के प्रति प्रतिबद्धता के साथ भारतीय नागरिक होना चाहिए। राशि: कार्यक्रम और वित्तीय आवश्यकता के आधार पर अलग-अलग होता है। आवेदन की समय सीमा: आमतौर पर एमबीए आवेदन की समय सीमा के भीतर आता है। आवेदन कैसे करें: https://www.gsb.stanford.edu/ programmes/mba/financial-aid/internationalstudents/reliance-fellowship डेटन इंटरनशनल े मेरिट स्कॉलरशिप: डेटन इंटरनेशनल मेरिट स्कॉलरशिप डेटन विश्वविद्यालय द्वारा पेश किए गए स्नातक कार्यक्रमों में उपलब्ध हैं। ये कार्यक्रम विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला का विस्तार करते हैं, जिसमें इंजीनियरिंग, व्यवसाय, कला और विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, शिक्षा आदि शामिल हैं। ये स्कॉलरशिप भारत सहित उन अंतरराष्ट्रीय के लिए तैयार की गई हैं, जो असाधारण शैक्षणिक उपलब्धियों और नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन करते हैं। ये स्कॉलरशिप पाने वाले छात्रों को अपने शैक्षणिक हितों को आगे बढ़ाने के साथ ही विश्वविद्यालय के शैक्षणिक समुदाय में योगदान करने का अवसर मिलता है। योग्यता: आवेदकों को मजबत शैक्ष ू णिक प्रदर्शन करना होगा। राशि: आमतौर पर 10,000 से 20,000 डॉलर प्रति वर्ष तक होती है। आवेदन की समय सीमा: प्रवेश की समय सीमा के आधार पर भिन्न होती है। आवेदन कैसे करें: https://www.udayton.edu/ international/admission/international-meritscholarships.php