गुराभ डवे
कवव, कराकाय औय कु म्हाय
रेखक : रेफेन हहर गुराभ डवे
चित्रण : ब्रामन कोलरमय
हहदंि ी : दीऩक थानवी कवव, कराकाय औय कु म्हाय
हभाये लरए
मह लसपफ लभट्टी है,
जिस ऩय हभ िरते हंै।
इसे भटु ्ठी बय हाथ भंे रो।
उसके कण आऩकी अगिं ुलरमों
के फीि से सयक िाएगंि े।
फयसाती हदनों भें,
फारयश का ऩानी लभर िाने से मह
बायी, ठिंडी औय नयभ हो िाती है।
रेककन डवे के लरए
मह तो चिकनी लभट्टी थी,
एक उऩमोगी औय आवश्मक वस्तु।
इसके गणु ों से प्रबाववत होकय
डवे ने कयीफ दो सौ सार ऩहरे,
अऩनी गुराभी बयी जिदिं गी को
आकाय देना सीखा था।
हभाये लरए रेककन डवे के लरए,
मह लसपफ घड़ा है, मह एक फड़ा घड़ा था
फड़ा औय गोराकाय, जिसभंे रोग अनाि का
जिसभें कंि िे मा ताज़े सगंि ्रह कय सकते थे,
खुशफदू ाय पू र भासिं के टु कड़ों को
सहेि यख सकते थे,
अच्छे से
यखे िा सकते हैं। औय स्भतृ तमों को
कै द कय सकते थे।
काभ शरु ू हुआ
चिकनी लभट्टी के ढेरे से।
हय एक आदभी इन ढेरों को
िक्की भंे डारता,
तनकारता औय इन्हंे एक ठे रे भंे बय देता।
कपय एक के फाद एक,
वह ठे रे को डवे के ऩास रे िाता।
डवे के ऩास एक रंफि ी औय सऩाट रकड़ी थी।
वह रकड़ी इतनी फड़ी थी कक
नाव को बी अटरांहि टक ऩाय कया सकती थी।
डवे उसकी सहामता से,
चिकनी लभट्टी भें बफग हॉसफ खाड़ी से
रामा गमा ऩानी लभराता यहा।
तफ तक लभराता यहा िफ तक कक वह
गीरी, सख़्त औय बायी नहीिं फन गमी।
डवे चिकनी लभट्टी के फड़े ढेरे को ऊऩय पें कता,
कबी-कबी तीस ककरो एक फाय भंे,
औय उसके अरावा कोई नहींि िानता था
कक मह कै से औय कहांि चगयेगा।
डवे ने अऩनी रात से
िाक के ऩहहमे को तफ तक घुभामा,
िफ तक कक वह
भेरे के गोर झरू े की तयह तेज़ नहींि घभू ने रगा।
िसै े
कोई िादगू य
अऩनी टोऩी से
ककसी खयगोश को
तनकारता है,
वसै े ही िफ डवे ने
गीरी लभट्टी भें दफे अऩने हाथों को तनकारा,
तफ घड़े के आकाय का फतनफ बी लभट्टी से तनकरा।
उसके पटे अगिं ठू े ,
घड़े के अदंि रूनी हहस्से को दफात।े
साथ-साथ उसकी अगिं ुलरमांि घड़े के
फाहयी हहस्से को आकाय देती।
िसै े-िसै े िाक का ऩहहमा
गोर-गोर घभू ता गमा,
वैसे-वैसे घड़े का फाहयी आकाय
यॉबफन ऩऺी की पू री हुई छाती की तयह फढ़ता गमा।
िाक का ऩहहमा तफ तक घूभता यहा
िफ तक कक घड़ा फहुत फड़ा नहीिं फन गमा।
घड़ा इतना ववशार फन गमा था कक
अफ डवे अऩनी भिफूत बिु ाओंि से
बी उसे ऩूयी तयह ऩकड़ नहीिं सकता था ;
उसे अऩनी फाहों भें रेकय दरु ाय बी नहींि सकता था।
अगय वह घड़े के अदिं य िरा िाता
औय गेंद की तयह अऩने शयीय को गोर कय देता,
तो तनश्िम ही घड़ा उसे
अऩनी भभताभमी गोद भें बफठा रेता।
इसके फाद उसने अऩने िाक के ऩहहमे को योका।
औय अऩनी सूखी व भिफतू हथेलरमों से
चिकनी लभट्टी के ढेरों की
रिंफी-रिंफी यजस्समांि फनाने रगा।
डवे इन यजस्समों को
एक-एक कयके ,
आधे फने हुए घड़े के शीषफ ऩय िढ़ाता गमा।
वह अऩनी गीरी अगंि ुलरमों से
यजस्समों का आकाय फयाफय कयता गमा।
वह साथ ही अऩने ऩयै की ऐड़ी से
िाक के ऩहहमे को बी घूभाता गमा।
िफ घड़ा अऩने अतंि तभ रूऩ भंे आ यहा था,
तफ डवे के कंि धे बी धीये-धीये ऊऩय उठते गए।
उसे ऩता था कक घड़ा ककतनी ऊंि िाई तक फढ़ेगा।
वह मह सफ कु छ तफ से िानता था
िफ लभट्टी का ढेरा िाक ऩय घूभ यहा था।
िफ घड़े की लभट्टी सूख यही थी,
तफ डवे ने येत औय रकड़ी के िूये को ऩीसा।
औय उनके लभश्रण को
घड़े की सतह ऩय रगा हदमा।
घड़े की सतह बूये यंिग की हो गमी थी।
शीशे की तयह वह ऐसे िभक यही थी
िसै े वह आने वारे सभम का साभना कय यही हो।
रेककन इससे ऩहरे कक
घड़ा ऩयू ी तयह सख़्त फनता,
डवे ने एक ततनका लरमा औय
घड़े ऩय कु छ लरखा,
मह फताने के लरए कक — वह महांि था।
भझु े आश्िमफ होता है
कक भेया सफंि ंिध —
ककन रोगों औय देशों से है...