हमारेवैदिक ग्रंथ ंमेंअनेक ंऐसेपाठ और स्त्र त ंका वर्णन हैज हमेंचमत्काररक पररर्ाम प्रिान करतेहैं। ऐसा ही एक स्त्र त है- दसद्ध क ं दजका स्त्र त। अनेक धादमणक अन ष्ठान ंमेंज दवशेष रूप सेमााँि र्ाणसेसम्बंदधत है, उनमेंसिद्ध क ुं सिका स्त्रोत के पाठ का दवधान है। यह एक अत्यंत श भ फल प्रिायी स्त्र त हैऔर प्रम ख ि र्ाण माता के अन ष्ठान ंसेपहलेइसेपढ़ा जाता है। इस स्त्र त क भर्वान दशव नेिेवी पावणती क दसखाया था और इसे एक र् प्त स्त्र त के नाम सेभी जाना जाता है। शास्त्र ंके अन सार दसद्ध क ं दजका स्त त्र का एक पाठ हमें संपूर्ण चंदिका पाठ क पढ़नेके बराबर श भ पररर्ाम िेती है। ऐसा भी माना जाता हैदक दसद्ध क ं दजका स्त्र त के पाठ के दबना यदि चंदिका पाठ दकया जाए त यह पूर्णपररर्ाम नही ंिेता है। दसद्ध क ं दजका स्त त्र का पाठ करनेसेआशीवाणि और समृद्धद्ध दमलती है, ज दकसी भी संघषणमेंसाहस और उत्तेजना िेता है। यह स्त त्र मां ि र्ाणकी कृ पा क आकदषणत करता हैऔर व्यद्धि क संघषों और अड़चन ंसे म द्धि दिलाता है। र्ौरीतंत्र मेंवदर्णत दसद्ध क ं दजका स्त त्र व्यद्धि के जीवन मेंद्धथथदतय ंक स धारता हैऔर उसे मां की कृ पा सेआशीवाणि प्राप्त ह ता है। सिद्धक ुं सिका स्त्रोत व वैवासिक िीवन मेंिमृद्धद्ध दसद्धक ं दजका स्त्र त का पठन करनेसेवैवासिक िेवण मेंिमृद्धद्ध आती है। इस स्त्र त का सम्बन्ध भर्वान्दशव और िेवी पावणती जी सेहै, इसके पठन सेदववाह मेंयदि दवलम्ब आ रहा ह त िू र ह ता हैऔर साथ ही साथ वैवादहक ररश् ंमेंमध रता आती है। दसद्धक ं दजका स्त्र तम का पाठ करनेसेदववाह मेंस ख और समृद्धद्ध प्राप्त ह ती है। दसद्धक ं दजका स्त्र तम के महत्व क समझनेके दलए हमेंदेवी द र्ााकी मदहमा क समझना आवश्यक है। िेवी ि र्ाणदहंिूधमणकी मां शद्धि का प्रतीक हैं, ज सभी समस्याओं क िू र करनेवाली हैं। दसद्धक ं दजका स्त्र तम उनकी कृ पा क प्राप्त करनेका एक उपाय है। इसके माध्यम सेध्यान और पूजा करनेसेि र्ाणमाता दववाह में समृद्धद्ध के दलए आशीवाणि प्रिान करती हैं। सिद्ध क ुं सिका स्तोत्रम्- परम कल्याणकारी व िौभाग्यवर्ाक स्त्रोत्र
इस प्रकार, सिद्धक ुं सिका स्त्रोतम सववाि संस्कार मेंसमृद्धद्ध के दलए महत्वपूर्णहैऔर इसेदनयदमत रूप से पाठ करनेसेदववादहत ज ड़ेके बीच ख शहाली और स ख का संचार ह ता है। सिद्ध क ुं सिका स्तोत्रम्केशब्द सनम्नसिद्धित िैं: ॐ ऐ ुंह्ी ुंक्ी ुंचाम ण्डायैसवच्चे। ह्ी ुंक्ी ुंऐ ुंॐ । नमः श्ी ुंऐ ुंसविय सवभवायैनमः। ॐ ऐ ुंह्ी ुंक्ी ुंचाम ण्डायैसवच्चे। ऐ ुंक्ी ुंह्ी ुंिौ: । नमः श्ी ुंऐ ुंिद्य बिायैनमः। ॐ ऐ ुंह्ी ुंक्ी ुंचाम ण्डायैसवच्चे। ह्ी ुंक्ी ुंऐ ुंिवािन सियायैनमः। नमः श्ी ुंह्ी ुंऐ ुंसवश्व िनन्यैनमः। ॐ ऐ ुंह्ी ुंक्ी ुंचाम ण्डायैसवच्चे। ऐ ुंक्ी ुंह्ी ुंहुंफट्स्वािा । नमः श्ी ुंह्ी ुंक्ी ुंऐ ुंमिारौद्र्यैनमः। यह स्त त्र समस्त संकट ंकेदनवारर् और अच्छेभाग्य की प्राद्धप्त केदलए जाना जाता है। Read more about: Free क ुं डिी | Free क ुं डिी समिान | Health Prediction Source: https://kundlihindi.com/blog/kunjika-stotram/