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Published by Himanshu Shekhar Hindi Poet, 2020-10-15 16:07:50

15.10.2020

15.10.2020

शब्द सत्ता शशल्पी संवाद
भाग 05

दोस्तों!

“शब्द सत्ता” के शशल्पी नामक व्हाटसएप
समूह मंे होने वाली दैननक कववता ववननमय
वववरण आपके सामने प्रस्तुत है| आज
ददनांका 15.10.2020 की एक झलक देखिए|

डॉ दहमााशं ु शेिर

नाचत श्याम, नचावनत राधा,

नाचत श्याम, नचावनत राधा,
नाचत श्याम नचावनत राधा ।
नाचत नाचत एक भये दोऊ,

कबहुँ श्याम, कबहुँ राधा ।

गुजाररश है कक मेरी प्रथम शलिी इस
भजन की अगली पाकं ्ततयांा जोड़ें जो गाने

लायक हों ।

प्राणेन्द्र नाथ शमश्र

मेरी अगली कोशशश

नाचैं िग, ववहांग,बन उपबन
नाचे ताल तलैया

झमू नत हवा, बहे सनसनसन
ताल पे था था थयै ा

जमुना की लहरंे नाचंे, करर
धधक धधक धधक धधक धा धा
नाचनत श्याम नचावनत राधा ।

प्राणेन्द्र नाथ शमश्र

एक तचु ्छ प्रयास मेरा भी

प्रेम सुधा अातं मनम है छलकत
पग पायल िन िन है िनकत,
जगु ल जोड़ी लागत मनमोहक
नतृ ्य ददिावत अनत सम्मोहक,

नाचत नाचत एक भए दोउ
अनत दषु ्कर ककम पहचाने कोउ।

प्रेरणा।

छोटा सा प्रयास ककया हूां

नाचत श्याम नचावत राधा नाचत श्याम
नचावत राधा।

राधा बबना है श्याम अधूरे श्याम बबना नहींा
राधा।

बंासी अधर धर घुघँ रू बाजे
मोर मुकु ट माथे पर साजे
पद पकंा ज दोउ के धथरकत है
शशश ककरणों मंे नतृ ्य करत है
नाचत नाचत एक भए दोउ
अब ना बचा कु छ आधा,

नाचत श्याम नचावत राधा नाचत श्याम
नचावत राधा।

पुलककत ब्रह्मा नाचे महेश
सकल देव देववषम सरु ेश
तरु सररता धरती गगन

ददव्य युगल छवव से मगन
हवषतम है जग जीव अचर चर

पावत सिु हंै अगाधा,
नाचत श्याम नचावत राधा नाचत श्याम

नचावत राधा।

श्याम बदन सोहे पीताम्बर
राधा पर शोशभत नीलाांबर
कां ठ मंे है वजै न्द्ती माला
तुम ही हो जग के प्रनतपाला
मंै हूंा भगत मन का अनत भोला,

हर लो प्रभु भव बाधा।
नाचत श्याम नचावत राधा नाचत श्याम

नचावत राधा,
राधा बबना है श्याम अधरू े श्याम बबना नहीां

राधा।

दीपक चौरशसया

एक छोटी सी कोशशश

पछंा ी झमू े, नभ मुस्काता,
बसां ी वाला जो धनु बरसाता।
जन जन नाचे, नर हो या मादा ।
नाचत श्याम , नचावती राधा ।।

नयनों मंे दोनों के प्रेम की भाषा,
प्रेम ही पूजा, प्रेम प्रसादा ।

श्याम की धुन पे, पायल िनके ,
धथरके गोपी , धथरके राधा ।

नाचत श्याम , नचावती राधा ।।

तझु सागं पूरा मै, तुझ बबन आधा,
बोले मोहन सनु मेरी राधा ।
नाचत नाचत एक भये दोऊ,
कबहुँ श्याम, कबहुँ राधा ।

नाचत श्याम , नचावती राधा ।।

शुभम जोशी

नाचत श्याम, नचावनत राधा,

नाचत श्याम नचावनत राधा,
नाचत श्याम नचावनत राधा ।
नाचत नाचत एक भये दोऊ,

कबहुँ श्याम, कबहुँ राधा ।

मन मक्न्द्दर मंे दीप जलाओ,
कष्ट शमटे, काटे भव बाधा,
नतृ ्य करो और करो समपणम ,
पणू म करो ना करना आधा।
नाचत श्याम, नचावनत राधा,

नाचत श्याम नचावनत राधा ।

द्वैत और अद्वतै का सगां म,
क्जस पर चचाम करते पाधा,
पर जब दोनों साथ रहें तो,
कौन है श्याम कहाां है राधा।
नाचत श्याम, नचावनत राधा,
नाचत श्याम नचावनत राधा ।

प्रकृ नत परु ूष की लीला ऐसी,
शमलकर पूणम बने है आधा,
एक ददिे और अलग भी हंै वे,

ये ना समझे ज्ञानी पाधा।
नाचत श्याम, नचावनत राधा,
नाचत श्याम नचावनत राधा ।

डॉ दहमांशा ु शेिर


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