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Published by Himanshu Shekhar Hindi Poet, 2022-02-27 10:21:40

19 shekhar shrujan

19 shekhar shrujan

Keywords: Hindi,Poem,Poetry,War,Himanshu,Shekhar,Srijan,Kavita

शखे र सजृ न – 19

प्राक्कथन

“शखे र सजृ न” शीर्कष ई-पसु ्तिका की श्खृं ला का ननर्ाणष र्रे े कु छ काव्य-
उद्गारो का संृकलन है जो एक अल्प अवधि र्ें ककसी एक ववर्य पर
ललखे गए है| इन सभी कवविाओृं या छंृ दों या पद्यों या और जो भी नार्
पाठक गण देना चाहे, र्ंे र्ौललकिा है िथा ये तवरधचि है| सभी रचनाएँ
तवािंृ :सखु ाय ललखी गई है|
इस अकृं र्ंे रूस युक्रे न यदु ्ि की पषृ ्ठभूलर् र्ंे युद्ि शीर्कष से र्रे ी
तवरधचि कु छ पसृं ्क्िया,ँ कु छ कवविायेँ सृंकललि है|
ये र्रे ी कल्पना पर आिाररि है, िथा इनका ककसी भी व्यस्क्ि, तथान,
घटना, या वतिु से कोई संृबृंि नही है| अगर ये पाठको के ददल को छू
जािी है, िो र्रे ा सौभाग्य होगा| कृ पया इन रचनाओंृ पर अपनी राय
अवश्य दंे|

िन्यवाद|

डॉ दहर्ाृंशु शखे र
28.02.2022

शेखर सजृ न 1 © डॉ हिम ांशु शखे र

ववर्य सूची

प्राक्कथन ............................................................................................................. 1
युद्ि की ववभीवर्का .............................................................................................. 3
यदु ्ि की पहचान.................................................................................................. 4
यदु ्ि के कारण..................................................................................................... 6
यदु ्ि का कायदा................................................................................................... 8
युद्ि ................................................................................................................... 9
अिंृ र्नष ध्वनन..................................................................................................... 12

शेखर सजृ न 2 © डॉ हिम शंा ु शखे र

यदु ्ि की ववभीवर्का
(र्ानव छृं द : 14 र्ात्रा)

युद्ि जब आरम्भ होिा,
बािंे ही देिे न्योिा।

दंृभ बधगया बना सोिा,
सत्य पहले लर्ला रोिा।

आक्रार्किा र्ें खोिा,
लोभी से उपजा होिा।
रक्ि सागर लगा गोिा,
र्तृ ्यु िाण्डव यहाृं होिा।

शखे र सजृ न खदु हैं सही, यही होिा,

3 © डॉ हिम ांशु शेखर

सभी कहिे बने िोिा।
युद्ि बस ववध्वसंृ होिा,

हार जीि दोनों रोिा।

रूस हो, यकू ्रे न होिा,
देश दोनों साथ रोिा।
जीििा वो पाप िोिा,
हारे अंिृ कार न्योिा।

युद्ि की पहचान
(गीनिका: गालगागा गालगागा गालगागा गालगा)

यदु ्ि है यूरोप र्ंे, छाया चिुददषक देखखए।

रूस की यकू ्रे न पर, होिी चढ़ाई देखखए।

शखे र सजृ न 4 © डॉ हिम शंा ु शेखर

आज गोले और, बारूदें कहेंगी देखखए।
हो अगर दहम्र्ि चलें, ववध्वसंृ सारी देखखए।

हार होगी स्जृदं गी की, र्ौि जीिी देखखए।
भागिी है चोट खा, इंृसाननयि को देखखए।
जीि होिी है कहेगंे, रार्, पाण्डव देखखए।

हार पे रावण कहंे, कौरव कहेंगंे देखखए।

आज दहलिी है अभी, बुननयाद आला देखखए।
अतत्र शतत्रों की यहाृं, उपयोगशाला देखखए।
नष्टकारक हैं ववकल्पें, श्वेि काला देखखए।
ववश्व की पहचान पे, साकार िाला देखखए।

शखे र सजृ न 5 © डॉ हिम ाशं ु शखे र

यदु ्ि के कारण
(रूधचरा: 14+16, अंिृ दीघ)ष

छद्र् युद्ि से िरा भरी, पर युद्ि वातिववक छािा
है,

शतत्र हाथ र्ंे नहीृं ददखे, अब अतत्रवसृ ्ष्ट ले आिा है।
युद्िशीर्ष से अस्ग्नपृुंज, ननकला ये जीवन खािा है,

ववतफोटक ववध्वृंस करें, प्रकाश अंृिेरा लािा है।

वाययु ान बर्वर्कष का, गोला बारूद से नािा है,
टैंक चलेगें, िोप दाग, र्ानव को र्ानव खािा है।

बृदं कू ों की गोली आई, लगिा है कोई गािा है,
सुर, लय, िाल चरर् पर है, पर ये िाण्डव कहलािा है।

शखे र सजृ न 6 © डॉ हिम शंा ु शेखर

जनसृंख्या विनष सारा, ना दनु नया र्ें थर् पािा है,
कर् करना इसको ऐसी, िब सोच सभी ले आिा है।
र्ान ललया सबने ये ही, युद्ि से ये रूक जािा है,
इसीललए आरम्भ हुआ, अब यही ननयृतं ्रण दािा है।

आयुि के भडृं ार भरे, हर देश उफनिा जािा है,
आयु उनकी सर्ाप्ि हुई, िो नष्ट करंे ना भािा है।
नष्ट करंे उससे अच्छा, प्रयोग र्ंे लािा जािा है।
देश हुए शालर्ल ऐसे, अब युद्ि यही कहलािा है।

नाश हो रही र्ानविा, िब ववजय नहीृं हो पािा है,

ववज्ञान, अतत्र ही जीि,े बस प्रलय रूप ददख जािा है।

प्रगनिशीलिा को रोके , सकृं ट ये ववकट बिािा है,

सर्ािान है यदु ्ि नहीृं, ये सर्झ बाद र्ें लािा है।

शखे र सजृ न 7 © डॉ हिम शां ु शखे र

यदु ्ि का कायदा
(वातत्रगववणी छंृ द: गालगा*4, रगण*4)

यदु ्ि होिा नछपा, ये बिा दो सही,
द्वंदृ रहिा सदा, है ददखा दो वही,
लड़ रही संपृ दा, िो बचा लो यही,
हो ककसे फायदा, ये बिा दो सही?

र्ौि की है खिा, है बिाओ यही,
स्जृंदगी की अदा, िो ददखाओ सही,
र्सृं ्जलंे है जुदा, ना सजाओ वही,
पथ हुए अलहदा, िो लर्लाओ नहीृं।

शखे र सजृ न 8 © डॉ हिम ंशा ु शखे र

सैननकों को सजा, ना लड़ाओ सही,
आक्रर्ण का र्जा, ना लटु ाओ सही,

कौन होिा फना, ये बिाओ सही,
शास्न्ि है र्यकदा, ना उजाड़ो वही।

रुस की अस्तर्िा, ना बिाओ सही,
गाज यूक्रे न पर, है ददखाओ सही,
र्ान ववध्वंृस का, यूंृ बढ़ाओ नहींृ,
आज र्ानव र्रे, सैकड़ों र्ें सही।

युद्ि

शखे र सजृ न अस्ग्नपाि कर रहा गगन
ज्वालार्ुखी िरिी पर फू टे ।

9 © डॉ हिम शां ु शेखर

आरृंभ अिृं का आज हुआ
ना कोई भी कोना छू टे ।।

जो ददष भरा अंृिर्नष र्ें
ससृ ्ष्ट ही ववकट बनकर फू टे ।

सृबं ंृि राजननयक िार-िार
र्ानव र्ानव ररश्िा टू टे ।।

ना रार् यहांृ ना रावण है,
कौरव पाडंृ वों दोनों लूटे ।
ननणयष यदु ्ि उपरांृि होगा
जब रक्ि बना लेगा बूटे ।।

शखे र सजृ न भयाक्राृंि करने आए हैं © डॉ हिम ाशं ु शेखर

10

लड़ने वाले ना छू टे ।
र्ान आन और शान ककसी की

जान ककसी की पर लूटे ।।

यही युद्ि है, र्हायदु ्ि है
आशा प्रगनि को कू टे ।
ववज्ञान और ववज्ञान लड़े
र्ानव का िन र्न िन लटू े ।।

शेखर कहिा है देव लुप्ि
दानव है र्ानव पर छू टे ।
दानव बनिे जािे र्ानव
हे देव! अविरण कर कू टे।

शखे र सजृ न 11 © डॉ हिम ांशु शखे र

अिंृ र्नष ध्वनन

ध्वनन झृंकृ ि करिी बार-बार
अंृिर्नष र्ंे भरिी पुकार ।
बाहर रहिी है र्ौन िार
दावानल अृंदर की बहार ।

धचिृं न से धचिंृ ा की फु हार
ददल को छलनी करिी बयार ।

अनजान कारणों पर ववचार
करके होिी जीवन र्ंे हार ।

कर र्नन ज्ञान बुद्धि का सार
नहींृ भिू भववष्य का करार ।

शखे र सजृ न 12 © डॉ हिम शंा ु शखे र

नहींृ हो यह जीवन आिार
विरष ्ान र्ें रह कु र्ार ।

करंे धचिंृ न भस्क्ि, कर्,ष प्यार
स्जससे सुख लर्लिा है अपार ।

अृंिर्नष जब ले र्ौन िार
िब ही ध्वनन जीिे कर ववहार ।

शखे र सजृ न 13 © डॉ हिम ाशं ु शखे र


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