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Published by Himanshu Shekhar Hindi Poet, 2021-01-03 08:56:42

03.01.2021 नव वर्ष

03.01.2021 नव वर्ष

शब्द सत्ता शशल्पी सवं ाद
भाग 20: नव-वर्ष

दोस्तों!

“शब्द सत्ता के शशल्पी” नामक व्हाटसएप
समहू मंे होने वाली दैननक कववता ववननमय
वववरण आपके सामने प्रस्तुत है| आज नव-
वर्ष 2021 के स्वागत में साझा की गई
कववताओं की एक झलक देखिए|

डॉ हहमाशं ु शेिर

नव वर्ष 2021

इस अंक के शब्द शशल्पी गण

प्रेरणा पाररश
आशीर् दीक्षित

राके श वमाष
शरदकु मार सुमन )मंद्रपु कर( ज्ञानेश्वर वेदपाठक-

सुरेन्द्द्र प्रजापनत
मीनू वमाष

अरूण कु मार दबु े
डॉ पषु ्पा जमुआर

नववर्ष

नव आशाओं, नव उम्मीदों,
नव जीवन का हो जागतृ एहसास,

अबकी जो आना नववर्ष
सगं सगं लाना नया ववश्वास,

बीत रहा है जो वर्ष
रहा कहठनाई , दशु ्वाररयों भरा,
आदमी बचता रहा आदमी से
सांसों पर भी रहा पहरा कडा ,

असुरिा की बदशलयां छाईं
सगं अपने भय और भ्रम भी लाईं,

सहमा हठठका रहा मनषु ्य

अननश्श्चतता भरा रहा जीवन दृश्य,
अश्स्तत्व भी ख़तरे मंे पडा
आन पडी ऐसी ववपदा,
आना कु छ ऐसे नववर्ष
सारी मुश्श्कलें दरू भगाना

नव आशाओं, नव उम्मीदों,नवजीवन
की ज्योत जलाना ।

प्रेरणा पाररश

अपना अपना नया वर्ष

नव वर्ष में अंतर :-
इसाई नव वर्ष

ये नया वर्ष मै मनाऊं कै से
श्जसमें न प्रकनत के तत्व हदिें
श्जसमें न कशलयाँा खिलती हों

न पुष्प प्रफु श्ल्लत हों इसमें
घर से बाहर जब मै ननकलंू
हठठु रन के शसवा न कु छ शमलता

सबु ह कडक की सदी में
कोहरा डक लेता है सबको
आधा हदन जब बीत जाए
तब लगता है कु छ सुबह भई
न नई कोपनी हदिती हंै
न मौसम पररवतनष हदिता है

क्या पाश्चात बैज्ञाननक की
ये लाईलाज बीमारी है

ह दं ू नव वर्ष
प्रकृ नत का फू ल हदिता है
प्रकृ नत का मूल हदिता है

प्रकृ नत की वो अँाधेरी
रात में सूरज ननकलता है
प्रकृ नत भी इस समय का
कु छ तो सम्मान देती है

विृ बौराये जाते है
प्रफु श्ल्त पुष्प होते है

मौसम पररवतनष भी हदिता
कशलयााँ भी खिल उठती हंै
उसी समय मेरा नव वर्ष मनाया जाता है
उस हदन के शलए यहााँ पर

पहले से तयै ारी है
हर रोज बडा त्यौहार मने
आरती हो जगधध्मा की
श्जसके आने की आहट से
नौ नौ देवी तैयार िडी हों
उसी समय मेरा नव वर्ष मनाया जाता है
हर ककसान िुश रहता है तब

िेतों मंे अपने जाकर

लहराते िेतों को देि देि
मन्द्र मुग्ध सा हो जाता
ढंड छोड बच्चे भी तब
गमी का लुप्त उठाते है
और हमारे बुजगु ष भी सब

ढंड से राहत पाते है
लोग यहाँा पर मौज मौज से
ऋतु पररवतनष का लपु ्त उठाते है
उसी समय मेरा नव वर्ष मनाया जाता है

आशीर् दीक्षित

हदसबं र और जनवरी का ररश्ता?

ककतना अजीब है ना,
हदसंबर और जनवरी का ररश्ता?
जैसे परु ानी यादों और नए वादों का

ककस्सा...

दोनों काफ़ी नाज़ुक है
दोनो मे गहराई है,

दोनों वक़्त के राही है,
दोनों ने ठोकर िायी है...

यूँा तो दोनों का है

वही चेहरा-वही रंग,
उतनी ही तारीिें और

उतनी ही ठं ड...
पर पहचान अलग है दोनों की

अलग है अदं ाज़ और
अलग हैं ढंग...

एक अन्द्त है,
एक शुरुआत
जैसे रात से सबु ह,
और सबु ह से रात...

एक मे याद है
दसू रे मे आस,
एक को है तजबु ाष,
दसू रे को ववश्वास...

दोनों जडु े हुए है ऐसे
धागे के दो छोर के जसै े,
पर देिो दरू रहकर भी

साथ ननभाते है कै से...

जो हदसबं र छोड के जाता है
उसे जनवरी अपनाता है,

और जो जनवरी के वादे है
उन्द्हंे हदसम्बर ननभाता है...

कै से जनवरी से
हदसम्बर के सफर मे
११ महीने लग जाते है...
लेककन हदसम्बर से जनवरी बस
१ पल मे पहुंच जाते है!!

जब ये दरू जाते है
तो हाल बदल देते है,
और जब पास आते है

तो साल बदल देते है...

देिने मे ये साल के महज़
दो महीने ही तो लगते है,

लेककन...
सब कु छ बबिेरने और समेटने
का वो कायदा भी रिते है...

दोनों ने शमलकर ही तो
बाकी महीनों को बाधं रिा है,

अपनी जुदाई को
दनु नया के शलए

एक त्यौहार बना रिा है..!!

राके श वमाष

वर्ष

वर्ष जो बीत चकु ा
कु छ हमें शसिा गया
सकं ट समय जरूर है
एक होना बता गया

वर्ष जो बीत चुका
बात महत्वपणू ष कह गया
पैसा नही प्यार सहकार से
होता ऊद्धार कह गया

वर्ष जो बीत गया
िट्टी शमठी यादंे दे ग्या
ककसी को दुु ःि दे गया
कोई मालामाल हो गया

और

चलो ईस नव वर्पष र
संकल्प हम सब करंे
प्यारसे श्जयगंे े हरदम
कोई भूिा प्यासा नही मरे

आनेवाला वर्ष हमे जरूर
सुि आनदं देनेवाला हो
प्रेम प्यार और भाई चारा
सब मे वधृ ्दी करनेवाला हो

चलो शमले नव वर्ष पर
हम प्रभू से करे प्राथनष ा
बीत गया जो बीत गया
अब िशु हालीका हो जीना

शरदकु मार सुमन -ज्ञानेश्वर वेदपाठक )मंद्रपु कर(

अलववदा 2020

मंै प्रस्थान कर रहा हूाँ
अश्रपु ूररत आिँा ों से नहीं
आने वाले स्वश्प्नल हदनों की
उम्मीदभरी सौगातों से

ववदा करना मझु े

अतीत के कडवे तीिे घटूँा को
यादकर ववचशलत मत होना
न पीडा के जख्मों को सहलाना

स्मरण रहे कक तुम
सवगष णु सम्पन्द्न इंसान हो

अतीत के पन्द्नो पर अंककत
एक अशमट ननशान हो

एक दआु देता हूाँ तझु े
ववदा करना मझु े

ये दरू रयां ये फाँासले
बदं पजू ा और प्राथनष ाएं
िबू तडपाया, जार जार रुलाया
लेककन अपनों के साथ रहकर
िुशहाली के ढेर सारा पल बबताया
दरू रयों के साननध्य में

पहचाना
मनषु ्य होने की संभावनाएं

प्रकृ नत की ववर्मताएं

लो कल की प्रभा
सौंपता हूाँ तुझे
ववदा करना मुझे

देिना यह स्वच्छ जल में
ववर् कोई धुले नहीं

यह सजं ीवनी मागष पर
कोई पथथक राह भलू े नहीं

न डालना अवरोध
गगं ा की ननमलष लहरों में
न करना कहठन प्रहार,
वन में ,सागर की गहरों मंे

धरा हो और उवरष
इसका ज्ञान देता हूँा तुझे

ववदा करना मझु े

आगत मौन है उसे स्वीकार करो
नए सरू ज नई ककरण का
अंगीकार करो,

आगमन को उत्सुक
कफर से एक पणू ष जीवन
स्वप्न, उत्साह, जीत उमंग
नवीन प्रभा के संग संग
उदाशसयों का कोहरा चीरकर
एक हदप थमाता हूँा तझु े

ववदा करना मझु े

सरु ेन्द्द्र प्रजापनत

स्वागत 2021

आगमन! नव वर्ष हदवस
स्वागत है अशभनन्द्दन है,

स्वागत जीवन के ककरण
नवननमाणष के महा स्वप्न।

नई उम्मीद, नई उमंग में
नव ननमाणष का नींव रिो,
नवीन सजनष ा के स्वर मंे
स्मनृ त को सजीव करो ।

अकं कत करना है कमपष थ में
उनके पावों के हदव्य ननशान,
श्जसने जीवन के उत्सगष मंे
दे हदए हों कोहटश प्रमाण ।

बंदनीय है धरती, िमामयी
पीडा को धारण करने वाली,
सभु कामना ओ गगन, निर
दीपों को पालन करने वाली।

स्वागत नवीन ववचार कल्पना
नतु न जागरण के सरू धार,
सजकष वीणा के नव अग्रदतू

मगं ल चेतना के तोरण द्वार।

सुरेन्द्द्र प्रजापनत

नए साल का नया सवेरा

नए साल का नया सवेरा,

हमसब से शमलने आया है,
साथ मंे अपने ढेरों िशु शयों की,

सौगात वो लाया है।
भूल जाओ सब वपछले वर्ष को

यह समझाने आया है।
िशु ी से हम सब के चेहरों को,

सजाने वो आया है।
बीती हुई कडवी याद को,

दरू करने वो आया है।
साथ अपने नयी आशाओं को,

सजं ोकर वो लाया है।
नए साल का नया सवेरा

नयी उम्मीदों को लेकर आया है।
मायूसी और लाचारी के

अधं ेरों को हटाने आया है।
बीते साल की द:ु िद स्मनृ त को

दरू करने वो आया है
अपनेपन और प्यार की ज्योनत

हदल में जगाने आया है।
सब की िोई हुई हंसी को,

वह लौटाने आया है।
नए साल का नया सवेरा
हम सब से शमलने आया है।

मीनू वमाष

नव वर्ष की हवर्तष बेला पर,

िुशशयां शमले अपार ।

यश,कीनत,ष सम्मान शमले,

और बढे सत्कार ।।

सफलतायंे ननत नयी शमले,

बधाई बारम्बार ।

मगं लमय हो काज आपके ,

सुिी रहे पररवार ।।

आगं ्ल नव वर्ष 2021 की ाहदषक
शुभकामनाएं

अरूण कु मार दबु े

स्वागत है नूतन वर्ष

बीत गया है कोरोना काल का काला
हदवस,

जहरीला, ननगोडा फै लाकर आतकं ,
दो-हज़ार-बीस का पल-पल हर-पल ।

सयू ष ककरण की लाली फू टी
नया सवेरा लेकर आया

इक्कीसवीं सदी का नतू न वर्ष
स्वागत में िडी हूँा मैं

दो-हज़ार-इक्कीस का नया साल
आ गया है बेला कफर से आज

हर्ष और उल्लास का

हर हदल के आस-ववश्वास का।
नये साल की नई उमगं
नया गीत और नई तरंग
नया होगा जीवन सगं ीत
नया सवेरा लेकर आया
जीवन के जीवन पथ पर

हर समस्याओं का समाधान का।
कोई प्राणी उदास न हो
नाकामी उसके पास न हो

कामयाबी की परचम लहराएं
प्रकृ नत और प्राणी िशु हाल रहे।

कतवष ्य पथ से डडगे नहीं

भ्रम पाल कर श्जये नहीं
बेगानंे भी अपना सा लगे
ऐसा हो मेरा नतू न वर्ष ।
दिु द पलों को भूल कर
िुशशयों का भंडार लेकर

पधारो ओ नतू न वर्ष
न कोई हो शशकवा न कोई थगला हो

स्वागत करती हूँा नूतन वर्ष ।
स्वागत है नूतन वर्ष ।।

डॉ पषु ्पा जमुआर


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