उसके िखसकने म ि गत, सोच टांग अड़ाता ह।ै
छत से सर पर वजन लके र कू दना याद आता ह,ै
िजसम कू द तक वजन, का भार शू य हो जाता ह।ै
जो भी पढ़ा था अब ब त यादा याद आता ह,ै
य क अपवाद से ही जीवन रौशन हो पाता ह।ै
जैसे को तैसा
06.11.2019
भलाई क , और जग स,े भलाई क आस अब, शरे छोड़े मझु को य क म न खाता शेर जब।
आदतन जो शेर बन, बठै ा ग़लत है आजकल, वो भी करता कम जसै ,े हो िशकारी आजकल।1।
पड़े दते ा फल हम या, बदले म फल मागं ता, भलाई क चाह म, बगल नह य झाकं ता।
पेड़ प थर मारने पर, फल ही दते ा है दखा, इसिलए करनी भलाई तो, न बदला है
दखा।2।
हम चढ़े घोड़े प,े घोड़ा, ना कभी हम पर चढ़,े हर कम म ितकम क , गीता कभी भी ना
पढ़े।
हो वापसी भलाई क , गहराई से दल पे गढ़,े पर ग़लत गढ़ने स,े स ाई नह कं िचत बढ़े।3।
भलाई करने का ज बा, ि गत संवाद ह,ै और बदला, वापसी स,े उ तर िननाद ह।ै
कर भला तो हो भला, इस जाप पे िववाद ह,ै युटन के िनयम तीसरे, के भी कु छ अपवाद
ह।ै 4।
आज के सं कार
31.10.2019
ब ब रौशन शाम स,े अब तो सवरे ा हो गया,
बुझाते ना कोई अब य,े काय मेरा हो गया।
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
51
जलाना था तो उं गिलय , को ना कोई क था,
सबु ह दखे ा पर बुझाने का, जो ज बा न था।
जल रहा है तो जल,े मरे ा भला या जाएगा,
कु छ नह पर ये जािहर, सोच तो कर जाएगा।
मतलबी इंसान ह, अपनी ज रत ही दख,े
समाज दखे े आपको, आप पर कु छ भी िलख।े
बझु ाना इक ब ब का, ब त छोटी बात ह,ै
सं कार से सही य,े आपक मलु ाकात ह।ै
आपने कायम कया ह,ै ग़लत है परंपरा,
आपक नाकामी का संदशे ब म भरा।
आदत अ छी बड़ी, मुि कल से आत ह यहां,
भीड़ म कु छ अलग करना, ही ज री है यहा।ं
बाराितय से ह पर त,ु बन गए ह दू हा,
खाय िलयो िखचड़ी, सलाम भैया चू हा।
जंदगी और मौत
29.10.2019
जंदगी तो वा तव म, मौत तक का सफर ह,ै
दो गज जमीन को शहर म, ढूंढता हर जफर ह।ै 1।
जंदगी इक सफ़र ह,ै और मौत ही अजं ाम ह,ै
सफर को सब द तव ो, खौफ सा अंजाम ह।ै 2।
जदं गी होगी ना होगी, मौत तो होनी ही ह,ै
इमारत पु ता भल,े अजं ाम तक िगरनी ही ह।ै 3।
आबाद करने को जतन, कर िलए ह ग हजार,
डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा
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पर ए बबाद जब, आया समय का इक हार।5।
संहार करना है सरल, ये सृजनकता के वचन,
ह या बड़ी आसान, करने िच क सा म है जतन।6।
जंदगी जािहर जहां म, मौत का इंतजार ह,ै
जदं गी जानी ही ह,ै फर भी इससे यार ह।ै 7।
जदं गी ल बी ब त ह,ै उसपे ऐतबार है
मौत आनी लािजमी, पर ये नागवार ह।ै 8।
जदं गी चलती ह,ै पर मौत म िवराम ह,ै जदं गी ज ोजहद पर, मौत म आराम ह,ै
खशु रहना और खशु करना ल य है शखे र, वरना मौत से ही तो, जंदगी क शाम ह।ै
अकड़ने वाले खुद को अमर मान लते े ह, जदं गी को शा वत अटल मान लेते ह,
मौत से जदं गी द न होती ह,ै पर शखे र, ये क गाह म मौत को द न मान लते े ह।
झठू ी शान और खोखले तबे से अकड़ आती ह,ै
परेशानी के सबब स,े सोच भी जकड़ जाती ह,ै
जदं गी को मौत के आगोश से मु ना मानो शखे र,
ऐसे अकड़ू प रंद को भी तो, मौत पकड़ जाती ह।ै
शमा और परवाना
28.10.2019
शमा के साथ बमे तलब नह , होता है परवाना,
शमा को दखे ती नजर म खुद आता है दीवाना।1।
िछटककर शमा से जो इनायत, का पाए नजराना,
उसी को भा य कहता फर रहा है आज, परवाना।2।
शमा के साथ रौशन हो गया, बशे क वो परवाना,
मगर अंजाम ऐसा शमा का क, जल के बझु जाना।3।
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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क मत म िलखा जलना, अगर कोई है परवाना,
अगर ना जल गया तो, शमा के सगं उसका बझु जाना।4।
ब त ह ग शमा प,े लटु ाय बनके परवाना,
हां म कं जूस ं मरे े िलए, बेजां ये हजाना।5।
मगर ना है शमा अपनी, न ं म कोई परवाना,
िज ह हो शमा क आदत, मुझे उनसे है कतराना।6।
समझ ना पायेगा कोिशश, क होती हार बचकाना,
शमा का राज ना चा ,ं अगर मुि कल समझ पाना।7।
तख लसु म शमा के िज स,े मेरा िबदक जाना,
अगर बगे ानी शादी है तो, ना म अ दु ला दीवाना।8।
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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सालिगरह आयोजन
भाग 1: सू पात
18.10.2019
वषगांठ के आयोजन को, आज ठान कर बठै े ह,
फु गा, के क, िमठाई और, बैलून तान कर बठै ह,
और ब े के बाप से कु छ, उ मीद लगाए बठै ह,
घर वाल से साथ िमले ये, वाब सजाए बठै ह।
पसै े क तंगी है पर हम, आस लगाए बैठ ह,
मनोरंजन के काय म को, बंद कराकर बैठ ह,
और यहां पंडाल कु स , को मदं आज कर बठै ह,
वापसी वाले उपहार को, स ता कर के बैठ ह।
स ते वाले हसरत लके र, पव मनाने बठै ह,
कै से भी ये हो जाए, ये सोच िलए ही बैठ ह,
भोज भात फाका जसै ी, करनी है तो बठै ह,
वषगांठ के घोड़े को, परतं कए ही बठै ह।
भाग 2: ज बा
21.10.2019
िमले शोहरत कर महे नत, बने कािबल तो अ छा ह,ै
तस वुर म कभी तकदीर, से हािसल तो अ छा ह,ै
इनायत इ ज़त ओ ईमान, उनको हो तो अ छा ह,ै
जो कु स , उ , पद से कम, मगर इंसान अ छा ह।ै
डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा
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हरेक बढ़ू े म ब े का, झलकता अ स अ छा ह,ै
सफर म आगाज का, बयान ए अदं ाज अ छा ह,ै
ल य हािसल होने पर िमल,े तारीफ तो अ छा ह,ै
मगर ल य क ओर बढ़ा, पहला कदम अ छा ह।ै
संकट म हौसले फौलाद, अ छा ह,ै
क जझू ज बे का सलै ाब, अ छा ह।ै
अगर हो हार िनयित म, तो अ छा ह,ै
िनयित बदलने का वाब, अ छा ह।ै
जीत क मत म िलखी तो, अ छा ह,ै
हार करके जीत का अंदाज, अ छा ह।ै
भाग 3: योजना िनमाण
22.10.2019
आयोजन करने को खाका, एक नया िनमाण आ,
सोच सोच कर काय म का, नूतन अनसु ंधान आ।1।
ईश वदं ना से यादा, वागत भाषण का मान आ,
इसीिलए तो दीप वलन, लु आ िन ाण आ।2।
आयोजन म मंच बने नव, या दजू ा कोई गान आ,
इसपर चचा करनी ऐसा, लगता सबको भान आ।3।
भाषण, राशन, के मु े पर, ल बा इक अिभयान आ,
िभ मत के ितपादन म, सबका फर स मान आ।4।
या करना है मौिलक, कतना मिु कल है ये बखान आ,
पर िनणय करने म दिु वधा, है इसका तब ान आ।5।
आयोजन थल ह कईकई-, मु य अितिथ ह भान आ,
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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बदल बदल दस तरह के , आमं ण का तब िनमाण आ।6।
आमंि त जन कब पायग,े सचू ना ये बिलदान आ,
और मंच, कु स टेबल-, खाने, का गौण िवधान आ।7।
मु य काय म या ह,ै इसका, जािहर तब माण आ,
उलझन म सब काय कर, ऐसा जारी फरमान आ।8।
भाग 4: ख़याली पलु ाव
23.10.2019
काम करने को कवायद, का सहारा चािहए,
मूल ह,ै बकवास स,े करना कनारा चािहए।
कु स पे बठै ा नह , कोई गु बारा चािहए,
बहाकर जो ले चल,े ना फ वारा चािहए।
बोलने वाले को हािजर, ये इशारा चािहए,
जलज है ना इतर, पाएं वो संघाड़ा चािहए।
ग़लत बात को न बोल, वो नगाड़ा चािहए,
कामना के िलए, टूटा िसतारा चािहए।
काम को हर व ही, कहना हमारा चािहए,
ग़लत है क कम को, कहना तु हारा चािहए।
योजना फलीभतू हो, ऐसा नजारा चािहए,
िज मदे ारी ले कोई, ऐसा दलु ारा चािहए।
इ ज़ाम लने े के िलए, कोई बेचारा चािहए।
शादीशुदा क भीड़ म, कोई कंु वारा चािहए।
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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भाग 5: खोज गोले के कोने क
31.10.2019
अच भा ऐसा आ, क मशवरा खा रज आ,
हक कत म मशवरा ही, मूत हो फा रग आ।
जो थे कािबज त त पर, और जो भावी आ,
कु शलता अनभु व पे सबके , त त ही हावी आ।
हमारा वो पूव मुख का ार, जब जािहर आ,
ान आया पि मी मखु , ार ही तािहर आ।
उ र दशा को सर कर, नकारना सोना आ,
पर िमला फरमान, ऐसे ही चलो सोना आ।
वदं ना और दीप क , ज रत नह चचा आ,
आज सारे गौण थ,े इनपे समय खचा आ।
फ म भी दखलायग,े तब नजर बेपदा आ,
धन नह , ना है उप कर, जोश भी सदा आ।
अतं तक ना समझ पाया, हो रहा जो ना आ,
जादू क तब इक छड़ी ल,े गोल हर कोना आ।
भाग 6: सा ा कार सच का
11.10.2019
बड़ा अजीब इ ेफाक, अ भुत नजारा ह,ै
मु त गाड़ी लते ा, वो बाबा भी बचे ारा ह।ै
स ा कसक ह,ै ना कसी ने ललकारा ह,ै
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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बकवास करते ऐस,े बंद का जयकारा ह।ै
मु तखोरी पे उपदशे दते ा, वही बंजारा ह,ै
खुद अमल ना करना ही, उसका नारा ह।ै
ऐसे लोग से नफ़रत ह,ै पर वही सहारा ह,ै
य क समाज ऐस,े बाबा ने िबगाड़ा ह।ै
ि गत तौर पर य,े ािं तकारी िवचारधारा ह,ै
पर कोई साथ नह ह,ै ये िनजी मत हमारा ह।ै
भाग 7: ज म दन समारोह
30.10.2019
ब ा आ छह साल का, पहला ज म दन हो रहा, द दार-ए-दायरा
और उसके िखलौने का, चयन मिु कल हो रहा।
इक साल वाले ब का, कु नबा िनमिं त हो रहा,
झनु झनु ा ल,े गोद म चढ़ गए, क र मा हो रहा।
िनमं ण ना बंट सका, बटं ना िवलंिबत हो रहा,
और आमं ण म ु टय , का शगूफा हो रहा।
छह बरस जो सु थ,े िजनसे नह कु छ हो रहा,
उनक िबना मागं ी नसीहत, से उजाला हो रहा।
पहला ज म दन है गिणत, मित सारा हो रहा,
एक मोमब ी या छह, इसपर फ़साना हो रहा।
मनोरंजन के िलए तय, कु छ तराना हो रहा,
और अधकचरा बनाने, का बहाना हो रहा।
अपने मुतािबक सही करने, का नजारा हो रहा,
जसै े टुकड़े सब सही, प रणाम उ टा हो रहा।
डॉ हमाशं ु शखे र क
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ल गी िलए सब घास टाल, तय ये गाना हो रहा,
अगले बरस से ठीक होगा, कह जमाना सो रहा।
भाग 8: आ म क य
खाय िलयो िखचड़ी, सलाम भैया चू हा ह,ै
नाच ना जाने पर सब, मटका लेते कू हा ह।ै
न बारात ह,ै न कोई दु हन ह,ै न ही दू हा ह,ै
यहां तो द तखत के िलए, भी खड़े लू हा ह।
न ये शादी का मजं र ह,ै पर बदनाम दू हा ह,ै
रहे टेढ़ा ये आगं न पर, यहां टेढ़ा तो कू हा ह।ै
पूरे वाकये को दखे कर, खोजूं वो चू हा ह,ै
झ क दंू सबको, और गाना है जो आ हा ह।ै
भाग 9: उपसहं ार
अगर ना ता डव होगा, तो ना मसला आ होगा,
िबना कोई आग के ही य,ूं धुआं फै ला आ होगा।
हरेक मसले पे चच का, जूनून छाया आ होगा,
सभी ह साथ ऐसा, आज ना ममु कन आ होगा।
चलो सीख नया कु छ आज, िनणय ये आ होगा,
मगर उसपे अदावत का, शगूफा ना आ होगा।
ये आगाज जब अंजाम तक, प चं ा आ होगा,
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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तो मसला भलू ने का दो त को मन आ होगा।
भाग 10: याद
10.11.2019
कोई गाने सुनाता ह,ै कोई भाषण सनु ाता ह,ै
तजुबा ना िमले उसके , नए साधन सुनाता ह।ै
घना बाजे चना थोथा, यही गायन सुनाता ह,ै
मायसु ी म गुमनामी, का वो दामन सुनाता ह।ै
जबु ां से जो मलु ायम ह,ै वही पाहन सुनाता ह,ै
सनु ी जो बात और स,े वही झारन सनु ाता ह।ै
पहले राम क सुन ली, अभी रावण सुनाता ह,ै
क से आजकल अपने सभी खदु ही सुनाता ह।ै
मह फल को वो, अभी वामन बताता ह,ै
े खदु को, गैर को, चारण बताता ह।ै
जुबां को वो आय का, साधन बताता ह,ै
मु त म जो भी िमला, राशन बताता ह।ै
जुबां से ताश के प सा वो तोरण बनाता ह,ै
सजाना है तो बात का वहां रोगन बनाता ह।ै
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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ल टर गान
01.11.2019
ए सी ई से एस बन हम, डी आर डी ओ के इ ा ह,
और सैिनक क मता, िनमाण वदशे ी प ा ह।ै ।
ल टर एस ह हम, ल टर एस ह हम,
आयधु का िनमाण कर, राके ट पर अनसु ंधान कर,
युज नया िनमाण कर, सरु ंग भिू मगत गान करे,
इस समहू के उ पाद स,े कतने ह ा ब ा ह।ै 1।
नए तोप का यान कर, गोले का भी संधान कर,
अपनी बदं कू बखान कर, इंसास नाम से मान कर,
इस ल टर से थल सेना का, दखे ो चलता च ा ह।ै 2।
यु शीष म जान भर, अि िश प का मान कर,
ऊज वी अरमान कर, यौिगक नतू न का यान कर,
आयुध म जब शोध ए तो, ये ल टर ही म ा ह।ै 3।
सते ु कतने िनमाण कर, गाड़ी पे अनुसंधान कर,
पिहया वाहन यान धर, ैक गाड़ी का ान कर,
वाहन के िनमाण म इस, ल टर का दखे ो ध ा ह।ै 4।
िहमपात का भान कर, इस धरा का भी सं ान कर,
सीमा सुर ा फरमान कर, सने ा को इसका ान भर,
संसूचन मखु िबरी म अपना, चलता दखे ो िस ा ह।ै 5।
आयुध और समाघात, अिभयांि क म ाण भर,
एक नव बर थापन दन, इसका है सं ान कर,
डी आर डी ओ के इस ल टर ने मारा कतना छ ा ह।ै 6।
डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा
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एच ई एम आर एल गान
01.03.2019
हर णाली म ऊजा शि , डाले िजससे आए जान,
एच ई एम आर एल के ऊज वी, िमलकर करते शोध महान।।
र ा े म खदु मु तारी, दिृ कोण और ल य ये ठान,
डी आर डी ओ क एक इकाई, िजसका सब लेते सं ान।1।
ठोस धन क कई क म, राके ट हते ु कर दान,
राके ट नोदक शोध करे, िमसाइल वदशे ी अनुसंधान।2।
तोप नोदक म ब आधा रत-, धन का िनमाण,
सवं ेदनशीलता के संग, ऊजा पर रखा अपना यान।3।
िव फोटक क पड़ी ज रत, बम, गोला, सुरंग बखान,
पणू वदशे ी ह सारे, िजससे बढ़ती इसक हो शान।4।
अि िश प के े म, इसका लोहा माने हर इंसान,
लघु यिु या,ं धू , लये र, इनक ये इकलौता जान।5।
उ ऊजा पदाथ नए, लघु संयं से बढ़ प रमाण,
अिभल ण, योग, दशन, सब पर रखा परू ा यान।6।
डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा
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