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Published by Himanshu Shekhar Hindi Poet, 2020-09-18 03:18:45

didaar e dayaraa

didaar e dayaraa

द दार ए दायरा

डॉ िहमांशु शेखर

व र वै ािनक, िनदेशक ( शासन)

(र ा अनसु धं ान एवं िवकास संगठन)
ए सी ई महािनदशे क कायालय
पाषाण, पणु े – 411021
मोबाईल: 9422004678

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

1

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

2

तावना

‘दीदार ए दायरा’ मरे ी वरिचत किवता सं ह ह,ै िजसका आगाज धा मक अचना, आरती,
अननु य क कृ ितय से आ ह।ै इसम गणपित, नवराि , दवाली और छठ पूजा से संबिं धत
उ ार का समावशे ह।ै इसके बाद मरे े ज म दन पर मरे े माता िपता और मरे े िवचार ह। इसके
बाद एक सरकारी द तर के अिधकारी, याकलाप और थान प रवतन का िववरण ह।ै फर
कु छ िणकाएं दी गई ह। इसके बाद िवचार के दायर को सीिमत करने वाले सभी कारक
को हटा कर िविभ अनभु व को लयब कया गया ह।ै इसम आ म अिभ ि ह,ै दशे भि
ह,ै रा भाषा मे ह,ै यथाथ ह,ै क पना ह,ै दशन ह,ै लािन ह,ै ं य ह,ै ोध ह,ै और सभी
रचनाएं वांत: सखु ाय िलखी गई होने का दावा करत ह। पु तक वा तव म लखे क क सोच
के दायरे का िववण ह,ै िजसे प के प म पाठक के सामने परोसा गया ह।ै आशा है
सकारा मक आलोचना कर पाठक इसे अपना हे दगे ।े

ध यवाद

दनाकं : 19.11.2019
थान : पुणे

डॉ िहमाशं ु शखे र
मोबाईल: 9422004678
ई मेल : [email protected]

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

3

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

4

ब पा आए, ब पा आए

02.09.2019

ब पा आए, ब पा आए, जय जयकार ज री ह,ै
आज चतथु , गणपित आए, ये योहार ज री ह,ै
ाण ित ा का घर- मडं ल, म सं कार ज री ह,ै
ब पा आए, ब पा आए, जय जयकार ज री ह।ै

रथ म लाओ, पदै ल लाओ, पर स कार ज री ह,ै
आसन संग पडं ाल बना, ितमा ृगं ार ज री ह,ै
िव और बाधा से लड़न,े को ललकार ज री ह,ै
शुभ मगं ल का अलख जगाने, ये कं ार ज री ह,ै
ब पा आए, ब पा आए, जय जयकार ज री ह।ै

क और दखु पर ब पा, क फटकार ज री ह,ै
कलह और अपराध पे ब पा, का उपचार ज री ह,ै
भि भाव से शि क , खोले हर ार ज री ह,ै
घर, कु टुंब, मानव िहत म, अब ललकार ज री ह,ै

ब पा आए, ब पा आए, जय जयकार ज री ह।ै

गणपित ब पा मोरया क , पावन झकं ार ज री ह,ै
जय गणपित क हो पकु ार, ये बार बार ज री ह,ै
सखु -सपं ि और खुिशय क , होती दरकार ज री ह,ै

ब पा का आशीष िमल,े ऐसे फनकार ज री ह,ै

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

5

ब पा आए, ब पा आए, जय जयकार ज री ह।ै

ब पा जाने को तैयार

12.09.2019

ब पा जाने को तयै ार,
गणनायक क जयकार, रथ पर चढकर ह तयै ार,
ख म आ है ये योहार, ब पा जाने को तयै ार।
ब पा का ससं ग अपार, दस दन वो िमलते है यार,
क दखु पर करते वार, ब पा जाने को तैयार।
सुख समृि िमले अपार, इि छत फल क कर दरकार,
गणनायक करते बेरा पार, ब पा जाने को तयै ार।
िह मत दल को दया अपार, ब पा से िवनती हर बार,
ज दी फर आना मरे े ार, ब पा जाने को तयै ार।

मां दगु ा क याण करो

01.10.2019

मां दगु ा क याण करो, मां जन जन का उ ार करो,
मां शि का संचार करो, मां भि मय ससं ार करो।
मां दगु ा क याण करो, मां जन जन का उ ार करो।
मां दखु िव षे सहं ार करो, मां पाप न कर वार करो,
मां सुख समिृ सृजन करो, मां पावन हर घर बार करो।
मां दगु ा क याण करो, मां जन जन का उ ार करो।
मां शुभ मंगल चार करो, मां शुिचता का िव तार करो,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

6

संह को मां तयै ार करो, िन कं टक जग िवहार करो।
मां दगु ा क याण करो, मां जन जन का उ ार करो।
मां सभी दल म यार भरो, मां सं कार के सार भरो,
मां दशे ेम हर बार भरो, मां मनवता स कार भरो।
मां दगु ा क याण करो, मां जन जन का उ ार करो।

मां दगु ा का नूतन वंदन

01.10.2019

मां दगु ा का नूतन वंदन, ह िवलु सारे ही ं दन,
नवराि म ले नव चंदन, अपण मेरा है अिभनंदन।
जय देवी मिहषासरु भजं न, सब दखु का हो सम भजं न,
दल सबके होग सखु रंजन, अगं सुवािसत ह हर अ◌ं जं न।
हनन करो मां िजतने दजु न, र ा मागं े ह सब स न,
शि व पा आपका गजन, करे नवीन सुख का सजन।
जय ि शलू पािण है वदं न, संहवािहनी है अिभनदं न,
च ड मु ड का करती मदन, मां दगु ा मेरा िनत वदं न।

नवराि आयोजन

07.10.2019

नवराि का अनुपम आयोजन, मां जगद बे का हर दन पजू न,
असुर शि का होता मदन, जय जय मां दगु ा िनत वदं न।

सं या कौशल खले को अपण, हर दन ब का आ दशन,
अिभभावक गण का मनोरंजन, ह षत ह मां बाप और जन जन।
माता बहन ने कया ये अपण, भगवती का कर स वर वदं न,

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

7

दािं डया गरबा कया दशन, ब पर रखा था िनयं ण।
सावजिनक था ये आयोजन, सबका इसम लगा था तन मन,

िमलकर करते काय सनातन, जय दगु ा जय है गठबधं न।
आप सब से आज िनवेदन, साथ रह और रख समपण,
मां दगु ा का साथ हो वदं न, िवजयादशमी म अिभनदं न!

िवजयादशमी

08.10.2019

नवराि का हो आयोजन, मां दगु ा का हो िनत पजू न,
भ म शि का सजन, करती मां दखु का मोचन।
कृ पा बरसती रहती हरदम, जय माता, म दास अ कं चन,
आ बोध, सवे ा है अनुपम, शि दो मा,ं बनंू म स म।
िवजयादशमी पव सनातन, सबका हो क याण ये दशन,
लेकर म करता अिभनदं न, मिहषम दनी दवे ी समपण।

दीपावली िववरण

26.10.2019

दीप द ध हो, कर काश, तम का करने, को िवनाश,
दपावली देती ह,ै आभास, पूजन, योहार म ये खास।1।
ये पचं पव, कु छ करो खास, धनतेरस भरता है उ लास,
गोधन पूजन तक ये यास, खुिशयां आयगी ये कयास।2।
रौशन करना ह,ै ले लो आस, ना खले ो इस दन, जआु ताश,
हर ण म, मौके ह पचास, कर कम, धम म हो िव ास।3।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

8

ब े करते खलु कर िवलास, िमलकर बन जाते ह समास,
प ाख म िनकले भड़ास, आवाज़ रौशनी क ये रास।4।
ल डू परू ी क िलए आस, पकवान िमलगे ये िव ास,
खाने का ना करना उपहास, वरना ओटोगे तुम कपास।5।
छु ी हो गई, करने वास, िमलना जो ना ह इधर पास,
जाने का करना है यास, िजससे दल ना होता उदास।6।
करते खुश हो करके तलाश, धन है िजसपे होता यास,
ल मी क इ छा िलए दास, दपावली होती सबसे खास।7।
शखे र का ये संदशे खास, शुभकामना से भरी सासं ,
सफल ह गे सारे यास, तन मन धन का समिु चत िवकास।8।

छठ महापव

03.11.2019

छठ अतीत के प से उभरती दा तान ह,ै
छठ महा मय िम ी से जड़ु ने का प रणाम ह,ै
छठ एक स यता क कसौटी का सं ान ह,ै
छठ घर से दरू रहकर, याद का ही यान ह।ै

छठ सरू ज दवे ता के , ी प का ान ह,ै
छठ युषा और ऊषा, दोन का स मान ह,ै
छठ कृ ित क पूजा का, अ भतु िवधान ह,ै
छठ का महापव ही, अब हमारी पहचान ह।ै
छठ अपण, अ य, और अक, का सं ान ह,ै
छठ स यता, सं कृ ित, सवे ा का प रधान ह,ै
छठ आ या म और धम, से जुड़ी कमान ह,ै

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

9

छठ से ही ा ह,ै इसी से जन क याण ह।ै

छठ क याद

03.11.2019

छठ माता क पूजा, म शािमल आ,
दरू घर से सही, इसपे आिमल आ,
पहले था ये िनयम, जो क़ािमल आ,
याद घर क है आई, जो शािमल आ।1।
दवाली ख म अब, छठ क है बारी,

त घर होता था, करने तयै ारी,
सवे ा ती क करत,े बारीबारी-,
ब े थे हम, नासमझे अनाड़ी।2।
सभी औरत का, घर भलू जाना,
दन भर वो लकड़ी के चू हे जलाना,
कासार, टकड़ी और ठेकु आ बनाना,
और सपू म रखके , इनको सजाना।3।
बाहर से आते थ,े फल इतने यादा,
मद इसम िसरकत, करते थे यादा,
के ले का घऊड़, डाभ न बू भी यादा,
ईख संग मौसमी फल, लाते थे यादा।4।
बागमती नदी का, वो तट था सहु ाना,
िजसके कनारे था, जटु ता जमाना,
घाट िनमाण और रौशनी भी लगाना,
जवान के िह से था, कै सेट बजाना।5।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

10

खरना तक चलता था, सब कु छ जटु ाना,
जो ना जुट सका, माफ़ उनका बताना,
सं या अक दने े को, घाट जाने क ठाना,
युषा क पजू ा म, सयू ा त तक जाना।6।

अक सारे समटे े और, घर जाना,
कु छ दरे सोना, न द परू ी ना आना,
सबक होती तयै ारी, सबका नहाना,
घाट जाना ह,ै ठंडी ह,ै ना ऐसा माना।7।
घाट पे जाकर, सपू साम ी सजाना-,
सूय उगने को फर, टकटक लगाना,
ब का कु छ फर, पटाखे चलाना,
ऊषा काल म, अ य अपण कराना।8।
वो पूजा, वो अपण, वो भलू ा जमाना,
वो सं कार से अपना, िमलना िमलाना,
ब त याद आया वो, गुजरा जमाना,
छठ का वो ठेकु आ, जब देता जमाना।9।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

11

पु ज म दन शभु कामना

20.07.2019

हो मबु ारक पु तमु को, जयंती ये ज म क ,
शत शरद जीवते , है य,े कामना मां बाप क ।
हो दिलत सब दःु ख सकं ट, िज दगी खशु हाल हो,
हर कदम पर यश,सफलता, िवजय का आवास हो।
तुम हमारी आशा और, िव ास का आधार हो,
िहम अंशु बनकर त जीवन का सफल उपचार हो।
शाम के बढते ितिमर म,े तमु खर काश हो,
म मी पापा के िलए, अरमान के आकाश हो।

पु के ज म दन उदगार

20.07.2019

माता-िपता मेरी सभी, उपलि धय का सार ह,
ज म से अब तक मेरी, हर सासं उनपे िनसार ह।ै

िड ीय क खोज म सब, भटकते बके ार ह,ै
नके कर द रया म डालो, उनके ऐसे िवचार ह।

पढ़ाई जीवन है समझो, उनके ये उदगार ह,
साथ म पजू ा से मन, म शािं त क बौछार ह।ै
खेलने का व उनक , सोच म हर बार ह,ै
समय क पाबंदी स,े िमलता सदा स कार ह।ै
तयै ा रय म जीत का, ज बा िलए हर बार ह,ै
पर सदा वीकार करना ह,ै अगर कोई हार ह।ै
धम, जाित, ातं क , समता कताबी झाड़ ह,ै

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

12

कट म इन सब से ही, बनती रही सरकार ह।ै
और सारे लाभ िमलत,े गर करे दरबार ह,ै
यो यता पे राजनीित क , चले तलवार ह।ै
ो ित, पद, काय, म, होता यही कई बार ह,ै
उ ह ने झेला है सब, मुझको कया तयै ार ह।ै
जी जूरी ना करो, अ खड़ रहो ये यार ह,ै
वरना दिु नया सर प,े चढ़ने को सदा तयै ार ह।ै
साथ दो सबका यही, उनके सदा उदगार ह,ै
दआु ना िमलती मगर, बददआु दर कनार ह।ै
उ मीद ना रखो क, बदले म िमलेगा यार ह,ै
खाया िखचड़ी, चू हे को, सब कह बेकार ह।
चरैवेित चलो आग,े कना नह वीकार ह,ै
माग खुद बन जाएगा, दल म अगर झकं ार ह।ै
वा तिवकता से मझु ,े अवगत कया हर बार ह,ै
मेरे मन और सोच प,े उनका ही एकािधकार ह।ै
भिव य म जो आयेगा, वो, बताते हर बार ह,ै
उनके जीवन म घटा जो, मेरे वही सं कार ह।ै
िनकटता और दू रया,ं ये दल क सोच का सार ह,ै
म सखु ी ं य क उनका, आशीष, हे अपार ह।ै

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

13

सरकारी िवदाई के रा ते

25.06.2019

वाब म भी िजस हसीना, से नह था वा ता, कह रहे िलखवा के लाओ, क ना काटा रा ता,
कह रही है वो हसीना, म न इसको जानती, कै से िलख कर दे दंू क, इसने न काटा रा ता।1।

सरकारी फारम पे िलखा, तो भरना मजबरू ी ह,ै सब कहते क बेमतलब ह,ै पर वो बड़ा
ज री ह,ै

हर पिं म 'काम िवलि बत', िलखोगे तो चलता ह,ै या िलखा ये कोई न पढ़ता, ये सब
खानापरू ी ह।ै 2।

िवदाई के जनाजे प,े हम भी अब नाज ह,ै य क, तारीफ म अब, आ रहे अ फ़ाज़ ह,ै
कह रहे क आपके , सर पे ही रखा ताज ह,ै मरे ा सर तो है खाली, ना दखे कोई ताज ह।ै 3।

बोझ प रचय

01.08.2019

मह फ़ल म उ ह एक दाग, जो नजर आया, दाग को बोझ कहा, और बाहर फकवाया,
जब वो दाग आ बाहर, खसत को राजी, दाग अ छा है कहा, और वापस बलु वाया।
ऐसे पलटे िवचार और, इतनी ज दी स,े समय िगरिगट के बदलन,े से भी जब कम पाया।

ऐसे ही लोग िमलग,े कहते दाग तमु को, बरु े अ छे म िज ह, भेद ना नजर आया।
दाग दिु वधा म जुदाई, तो ना चाहे शेखर, दाग सोचे क रखना था तो य फकवाया।

कु स भंजन कम

04.08.2019

नया सा हर बार, कोई काम देते रह गए,
अजं ाम आता दखे कर वो, आजमाते रह गए।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

14

कर रहा था परी ण कल, फर कहे प रयोजना,
आज से उनको लग,े बहे तर है कु स तोड़ना।
तोड़कर दखालया कु स , अब ये मरे ा कम ह,ै

चलो दखलाओ वो कु स , जो ना थोड़ी नम ह।ै
आज तक िव वंस करना ही, हमारा धम था,
अब क ं िनज व भंजन, कसी और का जो कम था।
मने सुिनि त कर िलया था, नरकगामी पथ मगर,
िनज व भंजन म नरक ना, जा सकूं गा म मगर।
चलो अ छा है अभी, घातक न कु छ बन पाएगा,
नरक वाली सचू ी स,े मेरा, नाम हटता जाएगा।
इस नए धधं े के कारण, ले हथौड़ा म खड़ा,
जो दख लकड़ी का सबको, तोड़ता म ं खड़ा।

पछू ते ह कब से कु स , तोड़ना आरंभ ह,ै
म खड़ा तयै ार, आ ा म जरा िवल ब ह।ै
मालमू मझु को है नह , ये बरु ा है या है भला,
पर हथौड़ा ले के मझु को, भीम अजुन सा लगा।
कलयगु ी कौरव का अब, सहं ार होना चािहए,
और कु स तोड़ नव, गंृ ार होना चािहए।

बोझ के िवदाई उदगार

07.08.2019

आप कहते ह चलो अ छा आ, जो ये गया, लग रहा है जसै े सर प,े बोझ भारी था, गया।
मेरे बोझ से दबकर कचूमर, बन रहा था आपका, बोझ सा मझु को जो फका, कृ त , म ं है

आपका।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

15

और कतने बोझ भारी, ले िजए ह आजकल, आपसे अब भागता, हर बोझ दखता आजकल।
आप पे भी बोझ थोड़ा, कम अभी हो जाएगा, और िगरकर बोझ भी, आराम पाता जाएगा।

आप अब आराम से बोझा िगराना सीख ल, और बोझा िगरके भी, दआु क भीख द।
बोझ गर फका कए तो, वजन ना रह जाएगा, आपको आकाश म उड़ते ही, पाया जाएगा।

इस तरह तो आपका थलचर से बड़े बन जाएगं े, और नभचर म मुख बन, िनशाचर
कहलायग।े

िवदाई का सैलाब

26.08.2019

आभार है ई र का िजसन,े भर दी मेरी झोली,
पूरी मुराद हर बार ई, मागं ू दल से या बोली,
मजबूत इरादे दए क मने, झेली कतनी गोली,
और को सकू ू न दया बन, साम यवान हमजोली।
दो त, िम और संगी साथी, मरे े सब हमजोली,
सबने मुझको दया सहारा, सखु जीवन म घोली,
ज रत हो िबन मांगे ही, दल ार सब ने खोली,
इन सब िम के कारण, हर दन है मेरी होली।
हमे रल म िम से मेरी, इतनी दर वा त है भोली,
मुझको आदत िम क , इसक िमलती ना गोली,
िबन सूरत िबन बात चीत, तबीयत फ क रंगोली,
याद रख, िमलना ही मेरे, योहार ईद और होली।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

16

काम नतू न शु करने क म सोचूं आजकल,
िजसम ह गे लाभ, फु सत भी िमलगे ी आजकल,
घास के धधं े म कई पशु को झले ा आजकल,
और घनु पीसे वो धधं ा, चल न पाया आजकल।
इसिलए तो नए स,े धंधे क क मत आजकल,

धम ंथ को ही दगंू ा, औषिध म आजकल,
औषधालय खोलकर, मानव से चचा आजकल,
और मरे ा धधं ा धम- थं औषधालय आजकल।

बाजेवाले क िवदाई

27.08.2019

शखे र ये आज का, दलच प फसाना ह,ै फरमान था, कल स,े कह ओर बजाना ह।ै
य क यहां, नए बजाने वाल को लाना ह,ै सरु ताल को, कह और भी आजमाना ह।ै
यहां लोग गा रह,े खसत का तराना ह,ै कह ओर वाले स,े वागत भी करवाना ह।ै
उपहार लेकर, खाना भी साथ खाना ह,ै लोग का यार, दखे कर दल भर आना ह।ै
हर ओर बरसते तारीफ, का नजराना ह,ै चलो, आगे भी जीवन म कु छ गीत गाना ह।ै
रामायण के बाद, महाभारत भी सनु ाना ह,ै इसिलए, मौिखक फरमान का जमाना ह।ै

खसत म भी, प रवतन का जमाना ह,ै कह और य कल से भी, यह बजाना ह।ै
शादी ई और लड़क को मायके रह जाना ह,ै ससरु ाल जाने का चलन, अब परु ाना ह।ै
दु हन कहती िजस मायके , से नह जाना ह,ै वा तव म ये उसके ससुराल का, ामा ह।ै
इस पूरे क से पे िह दी, फ म बनाना ह,ै िजसम, बार बार भगाना और वापस बलु ाना ह।ै

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

17

खसत िवमश

30.08.2019

एहसास था इ त, जनाजे पे चढ़ी है आजकल, और दसव तु य अपनी, यो यता है आजकल,
ना दया जो ना असंभव, लु दने ा आजकल, पद को अपने यागना, उ म कर ये आजकल।

उ िश ा ा कर, िमलती फजीहत आजकल, फकत दसव पास कर, नौकर बनाते
आजकल।

याग प पे जो चचा, ई अनुिचत आजकल, उसका ही सं ान लके र, जा रहा म आजकल।

सवे ा िनविृ बनाम थान प रवतन

14.08.2019

सरकार क सेवा िनवृि , िमली तो सौभा य ह,ै
उससे बड़ा थान प रवतन, का दखे ो भा य ह।ै
सेवािनवृि से भािवत, एक ही सा ा य ह,ै
थान प रवतन म दखे ो, भािवत दो रा य ह।ै
सवे ािनवृि के िलए तो, ात सब अंदाज ह,ै
थान प रवतन का तो, फरमान से आगाज ह।ै

सवे ािनवृि स य ह,ै इसपे िमलगे ा यार ह,ै
और हर फरमान प,े लानत भरा संसार ह।ै
फरमान िनकला था मगर, हो अमल ये दभु ा य ह,ै
अमल होना या ना होना, दोन अिन णत भा य ह।ै
सवे ािनविृ है सुिनि त, फरमान खिं डत भा य ह,ै
पहली सदा शा त ह,ै दजू ी तो सदा से या य ह।ै

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

18

कु स हिथयाने क दौड़

01.08.2019

सनु ा था क दौड़ म, बढ़कर फसल गए, कु स पड़ी थी खाली, आगे िनकल गए,
अफसोस उनके तीर, सारे िवफल गए, कु स ई कसी क , अरमां िपघल गए।

जो कु स आपक तो, आपका कद सबसे ऊं चा ह,ै
नह तो ान, िह मत, काय आ द सबम लोचा ह,ै
पढ़ िलखे ने भी तब, बाल अपने, सर से नोचा ह,ै
जो सुनते सारी घटना को, इसी कु स ने सोचा ह।ै
चाहत म नया करने का, ज बा आ ही जाता ह,ै
चाहत ना िमले तो दल नया, कु छ आजमाता ह,ै
जड़ु ,े टूटे ये दल, हर हाल पे य,े याल आता ह,ै

जशन करते दल का चहे रा, मातम मनाता ह।ै
नाकाम सही, पर इसम खुशी का अ स दखता ह,ै
थकन क ओढ़े ह चादर मगर, फर र स दखता ह,ै
बड़ी मेहनत से हािसल होती ह,ै वो चाहत क शमा,
क ठनाइय से िनखरकर, असली श स दखता ह।ै
दआु का दौड़ जारी ह,ै दवा क बाढ, थम जाने के बाद,
मज लाइलाज हो रहा ह,ै मरीज के गुजर जाने के बाद।
मज कु स थी या वो, जो कु स पाना चाहते, आज कु स गरै क , कहना नही कु छ चाहत,े
अगली खाली कु स तक, आराम करना चाहत,े िमली कु स तो भी वो आराम ही ह चाहत।े

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

19

बधं न संकट

14.08.2019

आज साहब कह रहे क, ब त उनको काज ह,ै पर वो शायद िनठ ले क , अ फु ट आवाज ह।ै
हर तरफ से आ रही, प सी आवाज ह,ै सर पे बदं र ले बधं न, उनका ये अंदाज ह।ै 1।
पद सभी पद लोलपु को, दे रहे वो आज ह, काम से यादा ज री, बात बनाना आज ह।

काम खदु हो जाएगा, ऐस,े तड़पते अदं ाज ह, अकम य से सुशोिभत, उनके सर पे ताज ह।ै 2।
काम पे इन थ बात स,े िगरे जब गाज ह,ै याद आया वो मलु ािजम, असल म जो बाज ह।ै
और िजसको हटाकर, उनको न आई लाज ह,ै आज उसका ले सहारा, कर रहे वो काज ह।ै 3।
श द महंु से एक ना आया, न कोई आवाज ह,ै कृ त ह मंुह से कभी, िनकले नह अ फ़ाज़ ह।ै
तेज ह, चालू ह या फर,वो कोई जाबं ाज ह,ै इस बात पे चच का दखे ो, हो गया आगाज ह।ै 4।
िबना पद, स मान का, करवा रहे वो काज ह,ै और इसम आ रही, उनको कभी ना लाज ह।ै
थूककर के चाटने म, मािहर जो ये अंदाज ह,ै त त-अफसर पर बरसती, लानत ही आज ह।5।
ताज के अिभमान म, आधार पे आघात कर, आधार तोड़ा आपने , बके ार उसको मानकर।

थाली के बगन ह बन,े आधार का बिलदान कर, आधार दजू ा खोजत,े दये क लौ को
तानकर।6।

अफसर और िगरिगट

20.08.2019

िगरिगट बदलता रंग ऐसा, सनु ा था हमने सही,
आज अफसर म दखी थी, कला द तर म वही।
काम था तो िमला करता, बात भी करता सही,
काम िनकला कह रहा क, िमलन संभव है नह ।

अफसरी क जोश म, कहता ज रत है नह ,

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

20

पर हक कत म ज रत ह,ै मगर कहता नह ।
जब सिमित बन रही, बठै क म भेजा था नह ,
आज िसरकत करो कहता, रंग बदले है वही।
िगरिगट सा भाव अफसर, जब दखाते ह सही,
शम आती है मझु े क, म भी अफसर ं कह ।
चहता ं आज स,े अफसर बनंू िब कु ल नह ,
सामा य मानव बन सकूं , तरक ब खोजंूगा यह ।
आप सब इस बात पर, फरमान दे ये अनकही,
व त हो सब अफसरी, चाहे वो हो मरे ी सही।

कु छ कर लूं तो चलंू

09.08.2019

दो ती क दकु ान सजा ल,ंू तो चल,ंू िमलना िमलाना दखा द,ंू तो चल,ंू
ब त खुश ह, मेरे जाने से आज, उनको थोड़ा सा जला ल,ंू तो चलू।ं 1।

दए ज म को सजा ल,ूं तो चलूं, उसक फे ह र त बना ल,ूं तो चल,ंू
मेरी भलाई का झठू ा ढ ग रचा, आईना उनको दखा द,ंू तो चलं।ू 2।
चाहने वाल को बता द,ंू तो चलंू, उनको दल म बसा ल,ूं तो चलूं,
उनक चाहत का िसला दने े को, ऊं चा कोई मकु ाम बना ल,ूं तो चल।ंू 3।
खदु को कािबल बना ल,ूं तो चलूं, सबको अपना बना ल,ूं तो चलूं,
बड़ी मु त से यह पड़ा था शखे र, अपना नया मकान बना ल,ूं तो चलंू।4।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

21

ज टल ि

31.07.2019

म उनको नापसंद था, और वो कहते क अ छा ह,ै
ये आलम पसंद आकर के , बरु ा बनने से अ छा ह।ै

मह फ़ल म मरे ा वाब, मरे ा हलाल रह गया,
खसत ए तो उनको, कु छ मलाल रह गया।
जािहर कया क जा रहा, म अपने शौक स,े
इंतजाम उनका था, हर नु ड़, हर चौक से।
कहते रहे क मुझम, नह बात कोई खास,
उस आम से जन का बन, फर रहे ह दास।

जब उठना हो ममु कन, वो समय होता सवरे ा ह,ै
जमाना अपनी आंख बदं कर, कहता अधं ेरा ह।ै

षड़यं वाले दल सभी, शमशान हो गए,
खुद सा दखा जमाना, परेशान हो गए।
सईू चभु ोकर फर से व,े ख़ामोश हो गए,
इंतजाम ऐसा था क ोता बेहोश हो गए।

बवे फा या बावफा

31.08.2019

ज म इतने दे दए क, बवे फा हम हो गए,
त त से त खी िमली, तो खफा हम हो गए।
कु मत का नशा उनको, और शफा हम हो गए,
नकु सान वो अपना कर, खुद नफा हम हो गए।
उनके सारे अजब िनणय, एक तरफा हो गए,

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

22

ना सही लगता हम य,े तब दफा हम हो गए।
मौन रहकर दो त अब, फलसफा हम हो गए,

ि छोड़ो, संगठन स,े बावफा हम हो गए।

षडयं का िपटारा

01.09.2019

कोई अहमक समझता ह,ै महापि डत समझता ह,ै
क उनका ताज, पद उनके , सर चढ़ के गरजता ह,ै
ज़बान बदली सदा उनक , क ये मालूम होता ह,ै
क िगरिगट रंग बदले पर, परािजत आज होता ह।ै
क ककश बोलता नायक, उसे चपु चाप सनु ता ह,ै
सभी कु छ जानता है वो, मगर बकवास चुनता ह,ै
क गदहे क पहलवानी, महे रबानी है अ लाह क ,
नायक के तव ो के , िलए वो सर को धनु ता ह।ै

दखाने के िलए बनत,े िहतैषी आज ये दखे ो,
छु पा रखी बगल म, एक छू री आज ये दखे ो,
सदा अदं र खलु ी गर आखं हो तो राज ये दखे ो,
यहां हर श स म ह,ै आ तीन के सापं ये दखे ो।

नया द तर

15.08.2019

नई जगह, नए द तर म मेरा इ तकबाल कया,
फू ल के गलु द ते से दल मरे ा मालामाल कया।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

23

पर जब तक लचं का भरोसा ना दला पाया म, हा सएप ुप म शािमल करने पे सवाल
कया।

मरे े आने से पहले आजादी का सालाना ज आ, िजसम सां कृ ितक काय म का कमाल
कया।

मरे े पास दशन क कला नह , ये जानकर, ध यवाद ापन का काम दके र, मेरा याल
कया।

आभारी ं आप सबका म दल स,े नए द तर के मरे े पहले ह ते म ही अ छा धमाल कया।
बड़ी दरे से पछू रहा था, मरे े िलए कोई काम आया ह,ै

वो बोले हां साइन के िलए, कागज़ का एक ढरे आया ह।ै
कागज़ से या पूछू ं, क वो मेरे पास ही य आया ह?ै
सजीव को छोड़, अब िसफ कागज म सर खपाया ह।ै
सही बात है क िनज व म दल दमाग तो सफ़ाया ह,ै
पर उनका मौन, सबसे बड़ा िश क और सरमाया ह।ै
मुझपे सुनने सुनाने वाल,े बदनाम श स का साया ह,ै
िबन ोता कौन कहगे ा क, किहए या फ़रमाया ह?ै
नए द तर म मुझ,े एडिमन क सं ा िमल गई, और कु छ म िलख सकंू , इसक इजाजत िमल

गई,
असल मुि कल ये है क, हा सएप का या क ं , िजसम ह ते भर बाद पदवी, एडिमन क

िमल गई।

िनमं ण िवमश

10.09.2019

संगो ी नूतन िवषय पर, कर िज मा ले िलया,
मुझको बुलाने से तभी, उसने कनारा कर िलया।

अितिथय क सूची स,े प ऐसा हो गया,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

24

नाम मेरा ना है उसम, शोध इसपर कर िलया।1।
ज रत जब आ पड़ी तो, याद म आया मगर,

जहमत बुलाने क कर या, मौन धारण कर िलया।
मंच पर कु स भी उनको, बड़ी वाली चािहए,

म था स म तो मुझ,े मौिखक िनमं ण दे दया।2।
और सब पाएं िनमं ण, अलग ही अंदाज स,े

मरे ा िनमं ण कु स वाले का, ये िनणय कर िलया।
जमाने क रत ह,ै मतलब रहे तो पछू ते,

कु स दाता का िनमं ण, मुझे मौिखक िमल गया।3।
सगं ो ी म मरे ी िशरकत, यूं कहो अब हो रही,

कु स दया तो आज मुझको भी िनमं ण आ गया।
अगर कु स क ज रत, ना पड़ी तो जान ल,

ये िनमं ण जो िमला, मजबूर हो मुझको दया।4।
आप सबसे पूछता ,ं कु स का सं ान ल,े

िनमं ण िमलता हो गर, कु स जो हमने दे दया।
उिचत है जाना तो मुझको, मागदशन द अभी,
या बहाना तता का, उिचत मने कर िलया।5।

बदनाम श स

14.09.2019

सुबह दखा श स वो जो, सदा से नासरू था,
िजसक चचा अब जमान,े को नह मजं ूर था।
रंग दखने लग गए, स ा के मद म चरू था,
श स ऐसा खुद क नजर , म बड़ा मश र था।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

25

त त िमलते ही बंधन पर, करे योग वो,
अपमान बाटं े जा रहा, ये अलग ही फतूर था।
चाहता था जमाना भी, यार उसको ना करे,
इसिलए िमजाज से भी, वो थोड़ा, मग र था।
िम ता के नाम स,े नफरत िजसे थी ऐ खदु ा,
अितिथ के अपमान म वो, सखु ु भरपरू था।
कम क मत म ई गर, जंग तो ये ात हो,
कम को स मान िमलता ह,ै यही द तूर था।

इसिलए ई र उस,े स मान यादा दे रह,े
जतू से वागत हो यही, दा तान ए कसूर था।

प ाचार का ग रमा मदन

18.09.2019

प िलखा वयभं ू न,े खशु मरे ा दल हो गया,
कसी अपने ने िलखा, जो अब पराया हो गया।
था िलखा िवनती है ऐसा, पढा बोिझल हो गया,
ऊं ट य पहाड़ नीचे, गलत दािखल हो गया।1।
प म तारीख छह क , अब अ ारह हो गया,
पवू क तारीख डाली, जािहर धता ये हो गया।
ज टल उनके कम ह य,े फर से जािहर हो गया,
आदिमयत खो गई उनक , ये सािबत हो गया।2।
परु ानी तारीख वाला प , मझु तक आ गया,
आज उनका फोन आया, उ र नह उनको गया।
गलत ढगं से काम करना, सही ना ये हो गया,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

26

अपने घर सब ठीक था, बाहर तो चचा हो गया।3।
िवनती िलखा ये ठीक ह,ै धोखाधड़ी ये हो गया,
साफ दखना था मगर, क चड़ भरा अब हो गया।
जब मुलािजम को कहा, मह म तू अब हो गया,
आज िवनती कर मझु स,े कै से उनसे हो गया।4।
वाकया बतला के मरे ा, काम पूरा हो गया,
सखु िमला क कोई, अब कनखजरू ा हो गया,
आप सबसे नया अनभु व, ब अब हो गया,

दो त इसपर अब के वल, लाइक पाना हो गया।5।

ान रोबोट का बटं ाढार

21.09.2019

सात वष म बनाया, ान रोबोट दो त ,
और इसक तुित ल,े ो ित को दो त ,
बोड तक प चं ा दया, तारीफ इसक दो त ,
बोड वाले यं कु ा, कह िचढाते दो त ।1।
कहा मन,े दौड़ने म, है ये मािहर दो त ,
भकंू ने और काटने म भी, कु शल है दो त ,
बन सके अधं े क लाठी, है ये मता दो त ,
पर सभी िव त जन का, मत अलग था दो त ।2।
एक बोल,े यं ह,ै कु ा कहा य दो त ,

दजू ा बोला दधू दने े म, अस म दो त ,
और ये लथाड़ से ना, यु है तो दो त ,
ये अधूरा जानवर, बके ार सािबत दो त ।3।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

27

बाहर िनकल म सोचता ,ं क र मा है दो त ,
सात वष पे है भारी, दस िमनट ही दो त ,

गाय गदहे के गुण प,े फे ल कु ा दो त ,
और इसक पछूं ना, टेढी ना िहलती दो त ।4।

यं कु ा और म, असफल रहा ं दो त ,
गाय गदहे का सि म ण, कर रहा ं दो त ,
शोध भारत म सफल, होती तभी है दो त ,
जब क गदहे के बराबर, हो गई हो दो त ।5।
इसिलए अब म भी, गदहा बन गया ं दो त ,
और अपने साथ रोबोट भी, है गदहा दो त ,
सफल अगली बार होना, है सुिनि त दो त ,
जल म रहना है मगर स,े बरै ना अब दो त ।6।

ि थरता से गित

26.09.2019

मेरी कहे हर बात प,े उनका तक लुफ छा गया,
ना कया परू ा कभी, उनको सुकू न भी आ गया।
फायदा सबका है ले कन, कम नतू न ना आ,
य क िनगत कु स स,े आदशे ना कोई आ गया।
कु स के आदशे से जब, गित पथ अव हो,
गित से िवहीन हो, सड़ना ही सबको भा गया।
बहते ए को भूल ठहरा, सा थमा पानी िमल,े
तब नए अरमान को, तोड़ा मरोड़ा खा गया।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

28

मुदई सु त गवाह चु त

07.11.2019

मदु ई सु त गवाह चु त, का म जीता जागता माण ,ं
चै ै जाने को लगता ह,ै म सबसे हरफन मौला जवान ।ं
एक जसै ी मसु ीबत म, व र और किन दोन ने मना कर दया,
म चै ै जाने वाला, िबना कारण एकमा बचा पहलवान ।ं
व र क सीट पर बैठकर, िवमान से अभी अभी उतरा ,ं
सब कु छ को त पर ,ं इसिलए सुलभ कराए का मकान ।ं
मरे े घर को मेरी भी ज रत ह,ै िजसम थोड़ी परेशानी ह,ै
पर या ा क व था के िलए, शु या अदा करता इंसान ।ं
सबने मेरी सहायता क ह,ै इसिलए तो बाहर जा पा रहा ,ं
गाड़ी, टकट, कागजात के िलए, म आभार मानता सं ान ।ं
चै ै म हदै राबादी िबरयानी क खोज, मरे ा उ े य खास ह,ै
इसिलए ल बी योजना िनमाण करने को उ त नादान ।ं
मरे े आने से ऐसा भी दन आ सकता ह,ै चै ै म ताजमहल, नजर आ सकता ह।ै
चै ै का शिनवार वाडा भी तैयार ह, आ जाओ, अगर या ा से यार ह।ै
रसगु ला, पेठा और जलेबी क खोज जारी ह,ै चै ै क इडली म इनके िम ण क तैयारी ह।ै
चै ै म बाधं नी का िमलना भी ज री ह,ै आिखर खरीददारी क अपनी मजबूरी ह।ै
काथं ा, तातं , जरी और िचकन क साड़ी ह,ै ये सब अब चै ै स,े खरीदने क तयै ारी ह।ै
मेरे िलए दमागी कसरत ब त ज री ह,ै य क दमाग पुणे म छोड़ना मजबूरी ह।ै
िबना दमाग चे ै म, कसरत जारी ह,ै यही तो मरे े गमु नाम धधं े क बीमारी ह।ै

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

29

िगरिगट को ग ी िमली

05.11.2019

िगरिगट को ग ी िमली, ज तु सब घबराय,
कब कै सा कर जाएगा, कौन हम समझाय।
कौन हम समझाय, वो बदले रंग धराधर,
समझ नह ये पाय, क कै सा रोग सरासर।
कह शखे र ग ी पर अ सर, िगरिगट दखे ा,
िजसके कारण िनणय, म मुि कल क रेखा।1।
िगरिगट को ग ी िमली, सबको सनु ा के खाय,
आज सुना उससे नह , कभी भी खाया जाय।
कभी भी खाया जाय, नह उपवास वो करता,
जो िमलता सब खाकर भी, डकार न करता।
कह शखे र िगरिगट होकर, सब खाते जाए,
ग ी पर कािबज आिखर म, सतं कहलाए।2।
िगरिगट को ग ी िमली, आज कहे ले आओ,
पूछे अब कसने कहा, लाने को बतलाओ।
लाने को बतलाओ, ना वो वापस कर सकत,े
आ ही गया तो ग ी को, इसको दे सकत।े
कह शखे र ये मजबूरी, िगरिगट राजा क ,
कहना है फर मकु र गए, ये राज है बाक ।3।
िगरिगट को ग ी िमली, काम सब से लेता,
पर कृ त इतना सुनो, नाम कभी ना लते ा।4।
िगरिगट को ग ी िमली, आदश बना वो फरता,
ऐसे ऊं चे आदश स,े रा य गत म िगरता।5।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

30

िगरिगट को ग ी िमली, सु दरता का अ स,
पर कम म दख गया, कई रंग के र स।6।
िगरिगट को ग ी िमली, मिु कल म इंसान,
ग ी िमलती है तभी, बदले तरु त ज़बान।7।
िगरिगट को ग ी िमली, मिु कल म इंसान,
इंसान का वचन य,े दल बदलू वो महान।8।
िगरिगट को ग ी िमली, ग़लत कहे इंसान,
रंग बदलने म सुनो, मािहर सबसे इंसान।9।
िगरिगट को ग ी िमली, दखे ो सीना तान,
कहता वो तो यो य ह,ै पर दिु नया अनजान।10।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

31

िणकाएं

12.08.2019

ऐ िज दगी! हसं ने का सलीका दे द,े दल को खशु रखने का तरीका दे द,े
हां! म हसं ता ,ं ज रत से यादा, नु खा कोई और, गम भगाने का दे द।े

पढ़ने िलखने से हमन,े आज तौबा कर ली, पु तक कलम प,े फू ल क शोभा कर ली,
दल म उठती है क, कु छ कर लंू शखे र, नए ज बात से सूरत, कै सानोवा कर ली।

पूछ बठै े, बठै े-बठै े, अपने सवाल के जवाब, इसतरह पूछा क, मन माकू ल िमलते ह जवाब,
और फर कर दी मनु ादी, िमले ऐसे ह जवाब, सवाल को गौण कर, मु य मेरे ह जवाब।

अफसर क कु स के तो, अलग ही अंदाज ह,ै त त के संग मु त उनको, िमला जसै े ताज ह,ै
बठै ना तशरीफ़ ह,ै सच तो यही अ फ़ाज़ ह,ै पर समझते ह क उनके , सर पे रखा ताज ह।ै

खशु आ है दल मरे ा, पा कग को दखे कर, अफसर के नाम थे िलख,े पद नाम दखे कर,
सबसे बड़े साहब क कार, ना थी दखे कर, गोबर को पाक कर दया, गाय ने दखे कर।

भला करना चाहत,े पर श द उनको ना िमला, काली जबु ां से उ ह, भला होना ना िमला,
अ य सारे कह रह,े उनको सही जो ना िमला, जसै ा जो अदं र से ह,ै बाहर उसे वसै ा िमला।
दखु ी होकर बठै े थे क, वे कह मुझको खराब, पर नह खदु दखे त,े खदु पे आया है शबाब,
सनु ा हो जसै े क िब ली, ले गई उनका जरु ाब, पैर अपना भलू िब ली, खोजते जैसे जनाब।

अितिथ आए और मुझको ान दने े लग गए, घर मेरा ि थर था उसको, चलाने म लग गए।
िमल गया ोता तो, ानी ान दने े लग गए, बोलना जब ना ज री, बोलने म लग गए।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

32

अितिथ दवे ो भव को माना, और जीने लग गए, दवे वाणी अनसुनी करने म, फर हम लग
गए।

अितिथ को हम दवे जैसा, मानने म लग गए, मकू होता दवे ता हम, बिधर बनने लग गए।
हक़ क़त म क पना क , उड़ान भरने लग गए, बात म हां हां कया, हम काम पे तब लग

गए।

दीदार करने के िलए, शत अमनू न चािहए, खबू सरू त ब , चहे रा चमन म चािहए,
और नजर को तजुबा, इबादत सा चािहए, इं धनुष फ का है य,े कहके काम चलाइए।

गर सर पे चढ के नाचने, अफसर पड़े गल,े तो सर मड़ु ा के तेल क , फसलन िलए चल।े

गर आप कु छ कह वो, उ टा कर रहा हो तो, दन को किहए रात, दन ही मान लेगा वो।

न ज पकड़ी उसक आदत, पे कया था गौर ह,ै वो समझता वो चलाता, पर असल कोई और
ह।ै

क म गा फल पड़,े हलचल कोई ना दख रही, चल रहे थे दल, दमागी कसरत ना दख
रही,

वो समझते चैन स,े सोता रहा है श स पर, ज बात के फौलाद क वो हसरत ना दख रही।

घर के बुजगु का यार, कु दरती क र मा ह,ै िबन कारण कोई, कम उ ह लगता अपना ह,ै
अब द तर म भी घर सा, अंदाज होता ह, द तर म अफसर भी, दखाते वही सपना ह।ै

चमन म आज भी, मेरे इ क म िगर तार बैठे ह,
यहां सरेआम, मेरी मुह बत के खरीददार बैठे ह,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

33

अलग होकर खशु ी हािसल करने क कोिशश ह,ै
चमन म मेरे चाहनवे ाल,े बगावत को तैयार बैठे ह।ै

राही बटोही को घर नह होता, िनि त कोई डगर नह होता,
नदी के जल म जीवन ह,ै तालाब का कोई सफ़र नह होता।

जमाने को जबरद त, जनू ून आ, मखू म भी पैदा, अफलातून आ,
दिु नया क र म, अजब ह शखे र, म िस दे म था, तभी मरे ा खनू आ।

दु हन को पहले दन ही, पछू ा यही सवाल, कतने फोन, कतने लाइक, इसपे है बवाल,
मायका नह ह,ै ये नई जगह ह,ै मरे ी ससुराल, र ते नह , बस रसखू का होता यहां याल।

खशु दखने क मरे ी इि तजा ह,ै जदं ा रहने क यही सजा ह,ै
चहे रे पे िशकन िलए शखे र, दखु ी दखने का अलग मज़ा ह।ै

खुश दख रहे हो, माजरा या ह,ै जदं गी म बहार, वजह या ह,ै
एक से सुकू न खसत शखे र, यान म दो ह, मसला या ह।ै

ज़ंदगी म खुशी म दरू ी ह,ै खशु दखना बड़ा ज री ह,ै
दखु के न साथ चल शेखर, इसका दामन जरा बने ूरी ह।ै

महु बत मुझको हो जाती, तर मु गा रहा होता,
कोई होती जो महबूबा, उसे समझा रहा होता,
नह कोई भी ऐसा है क, जािहर राज कर जाऊं ,
समय वरना म जायर िज कर, करवा रहा होता।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

34

मेरे जेहन म बैठाया, मुह बत ना कभी करना, क पहरा मरे ी नज़र प,े मेरा िव ास ना
करना,

शक का कह इलाज हो, ऐसा नह शखे र, मुह बत है मझु े ऐसा यक न, उनको अभी करना।

सरहद मजबूत थी, सने ा को भीतर मसाला न था,
गाय पाल रखी थी ले कन, उनको गौशाला न था।
बजु गु के अनभु व स,े कोई नौजवान िखला न था,
पके फल के नसीहत, से यंू तो कोई िगला न था।

सरहद सैयाद क होती ह, प रंद क नह , द तक बाहर क सौगात ह, अदं र क नह ,
िह मत िजगर क मरु ीद ह, िज म क नह , स ा प चं क गलु ाम ह,ै कािबल क नह ,
बगावत बलवान से होती ह,ै नादान क नह , क मत बटे े क होती ह,ै कसी बाप क नह ,
तकदीर नते ा क होती ह,ै दशे क नह , पढ़ाई िश ा का ज रया ह,ै बुि का नह ।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

35

िह दी पखवाड़ा महो सव

03.09.2019

सु भात क बाढ आ गई,मॉ नग को सब भलू गए, अं जे ी के झझं ट को, कु छ दन तक सब
भूल गए।

िह दी का सालाना जलसा, आया, अं ेजी भूल गए, पखवाड़े के बाद पनु ः, सारी िह दी सब
भूल गए।

िह दी के पखवाड़े का, काय म है ठान िलया,
पं ह दन िह दी को दगंू ा, ऐसा हमने ठान िलया।
महािनदशे क ने उदघाटन, का इसके सं ान िलया,
एकजुट होकर िह दी को, उ म हमने मान िलया।
िह दी के चार क खाितर, शु एक अिभयान कया,
ितयोिगता म ितभागी का, हमने फर आ वान कया,
मु य अितिथ से कर समापन, ऐसा ही कु छ ठान िलया,
इसी तरह पखवाड़े को इस वष, हमने अंजाम दया।

मु य अितिथ स बोधन

14.09.2019

िह दी दवस पर मु य अितिथ, बन गया म दो त ,
िह दी पे कु छ भी कह सकूं , मौका िमला ऐ दो त ।

कह दया क काय मेरा, नरक भेजगे ा मझु ,े
इसिलए िह दी क सेवा, कर रहा म दो त ।
कह दया क काय म, ह आप सब मरे े गु ,
पर कभी िह दी म भी, कु छ यान द ऐ दो त ।
आपक वेबसाइट अं जे ी, म दखती अ तन,
दो वष पहले वाली, िह दी म झलकती दो त ।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

36

आप का है काम िश ण, आप इसपर यान द,
मातृभाषा म िलख, सखु कर लगगे ा दो त ।
तीन तर म बंटी, भाषा का भी सं ान ल,
रा भाषा आपके अ फाज दल है दो त ।-ए-

कोिशश कर ये है गजु ा रश, आपसे करनी मझु ,े
िह दी म हर रोज कु छ, िलख ये ण कर दो त ।

िह दी दवस पे जतू ा

15.09.2019

िह दी दवस पर कु छ िलखा, पर कोई ना पढ रहा,
एक बंदे पे िलखा और, अतं म जूता कहा।

िह दी दवस से यादा, जतू ा रे णादायक लगा,
आज सुबह से िमला, जो भी वो जतू े म लगा।1।
कह रहे ह लोग क वो कौन ह,ै िजसपर िलखा,

जूते का मा यापण, ये कम अ भतु है दखा।
पछू ते ह लोग अब, ता ख जरा करवाइए,
जूते ले हम भी खड़,े हमको भी अब आजमाइए।2।
िजनको जतू ा चािहए, उनक जरा सुन ल सभी,
जूते दोन संग ह , और अलग ना कर द कभी।
और बहे तर हो अगर, िपटना ज री है अभी,
चांदी के जतू े से पीट, ये सुना उनसे तभी।3।
कु ल िमलाकर जूते स,े वागत का ये अदं ाज ह,ै
दाता याचक, दोन के य,े सर फरे अ फाज ह।ै
जूता पहनना आम ह,ै जतू े का ये संसार ह,ै

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

37

इसिलए हरेक जूता ल,े दखे तैयार ह।ै 4।

किवता कोई सनु लो यार

17.09.2019

िह दी पखवाड़ा इस बार, किवता से सज, है तयै ार,
किवय से आती िच कार, हम भी सुन लो, कोई यार।1।

किव िह दी के ह आधार, िह दी सेवा अपर पार,
होगा सबका ही उ ार, किवता कोई सुन लो यार।2।

किवता करने सब तयै ार, सनु ना कहते अ याचार,
फर भी मरे ी यही पकु ार, किवता कोई सुन लो यार।3।

किवय को सुनने को यार, बलु वाया है दके र तार,
ोता से इतनी है गहु ार, किवता कोई सुन लो यार।4।

ोता से आई ललकार, कागज पर कर लो योहार,
किवता को दो गोली मार, किवता ना सुननी है यार।5।
किव फर भी ना माने हार, जबरन किवता के अबं ार,
रखता हर ोता के ार, किवता कोई सुन लो यार।6।

किव स मले न अबक बार, दं म इसके है आसार,
क बड़ा, ोता दो चार, फर भी किवता सनु लो यार।7।

आप सब का है आभार, समय िनकाला है इस बार,
माइक ना छोड़गू ा म यार, किवता मेरी सनु लो यार।8।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

38

इलाज पे ं य

12.08.2019

िच क सक कहता रहा क, मज लाइलाज ह,ै दवा क दकु ान वाला, उनका ही हमराज ह।ै
कह रहा फक र को, वो बचे कर हर लाज ह,ै आ थक आधार प,े तबीयत नह नासाज ह।ै
पर अमीरी का जहा,ं दखता कह आगाज ह,ै मज फर पनपेगा ऐसा, करते हम अदं ाज ह।ै

दवा के खरीद क , ताकत ज री साज ह,ै मज का करते नह , धन का करे इलाज ह।ै
िच क सा के े म, धन पे िगराना गाज ह,ै मज ना रहता पर त,ु दवा और इलाज ह।ै

कु छ बड़ा सा होने वाला है

31.08.2019

मजबूत इरादे वाल को, कमजोर बताने वाला ह,ै
खुद िगर जाने वाल स,े ये दशे संभलने वाला ह।ै
शा त रहे और काम करे, पर शोर मचाने वाला ह,ै
चचा म है आज यहा,ं कु छ बड़ा सा होने वाला ह।ै
बाढ म धरती डूब गई कोई, यान न दने े वाला ह,ै
और जमु क कथा को कोई, मान न दने े वाला ह।ै
भूगोल नये लके र दखे ो, इितहास बदलने वाला ह,ै
समाचार नतू न लेकर, कु छ बड़ा सा होने वाला ह।ै
राजनीित पे कू टनीित का, बम अब फटने वाला ह,ै
सरकारी सेवा के कारण, जुबां पे अपने ताला ह।ै
िबन बोले ही आप समझते, यही तो होने वाला ह,ै
इंतजार है ख म सनु ो, कु छ बड़ा सा होने वाला ह।ै
प रवतन ने परंपरा को, पकड़ आज ललकारा ह,ै

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

39

आलोचक ह कह -कह पर गजूं रहा जयकारा ह।ै
बदलाव ज री समय सदा, चलते ही रहने वाला ह,ै

वीकारा है आज यहा,ं कु छ बड़ा सा होने वाला ह।ै

आधुिनक नारी

10.09.2019

म एक आधिु नक नारी ।ं
बोलने म तो नई फरारी ,ं रानी नह , िसफ दरबारी ,ं
इसपर करती चोट करारी ,ं िह दी क सताई बचे ारी ,ं

म एक आधुिनक नारी ।ं
बहस म कतन पे भारी ,ं झूठे योिगय क बीमारी ,ं

लंगडे घोडे क सवारी ,ं कसी क मनसबदारी ,ं
म एक आधुिनक नारी ।ं

म मलु ािजम सरकारी ,ं धनदायक अिधकारी ,ं
ठंढ म जलती ई बखु ारी ,ं िबना आलू क तरकारी ,ं

म एक आधुिनक नारी ।ं
डूबाने को बनी खाड़ी ,ं सबु ह क मीठी ताड़ी ,ं
टूटी फू टी एक लाड़ी ,ं काटं से भरी एक झाड़ी ,ं

म एक आधुिनक नारी ।ं

मरे ा बचपन

21.07.2019

िम ी क िब ली से खले ा, बचपन, मेरा बीत गया,
हर मले े से एक खरीदा, िम ी का था सो टूट गया,
ना घमडं था िम ी म, ना िब ली का गणु धम गया,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

40

जीिवत से िनज व का, ान आज तो जीत गया।

दो त के नाम का अफसाना, ब त अजीब था,
इसका अ स मरे े जहे न म, आज भी सजीव था।
याद आते ह ल ह,े और उनसे िमलन नसीब था,
तब ब े थ,े पर स े थ,े अब शेखर गरीब था।

मरे े पहले िम वर का नाम, फु डू था,
िजसके िलए म, िसफ एक गु डू था।
हम तलाश म तीसरे क जो लु डू था,
ना अब दोन ह, के वल बचा गु डू था।

तीसरी क ा तक के याद क लेट कोरी ह,ै
पर काश झा के साथ मरे ी पहली जोड़ी ह।ै
पढा, अनुशासन ही दशे को महान बनाता ह,ै
पर अनशु ासन का अथ नह कोई समझाता ह।ै
हम दोन ने इस पर, दो दन तक शोध कया,
अनथ कर, इं दरा गाधं ी का इससे बोध कया।
जब चनु ाव म हारकर, उनका त त खो गया,
हमारी सोच, दशे से अनशु ासन बाहर हो गया।

फर िहमाशं ु नाम से सबं ोधन का इंतजाम आ,
क ा के पहले पांच म शमु ार, अपना नाम आ।
लिलत, सजं ीव, संजय आ द उनम शािमल थ,े
सब तजे थे और पाडं व ित पधा म गा फल थ।े
याद है राजीव से अमर िच कथा लेकर आना,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

41

और लिलत का उस,े ले जाकर वापस न लाना।
सजं य का मरे े कू ल क कापी मांगकर ले जाना,
और परी ा तक उसे अपनी संपि सा दशाना।
कू ल के िम से मेरी मलु ाकात, िवरले होती ह,ै
सब म त रह यही मरे े, दल क आवाज होती ह।ै

कू ल म खले , िबना सामान वाले होते थ,े
जजं ीर, पकड़म पकड़ाई, म साथ होते थे।
ये हमारे आधे घंटे क , ट फन म होते थ,े
कू ल शु हो और, पहले भी खले होते थ।े
लंगड़ी कब ी के खले , सबु ह म ही होते थ,े
हम घटं ी से एक घटं े पहले कू ल म होते थ।े
बा रश म कम दो त ही, कू ल म होते थ,े
हम अदं र डे क पर, छु आ छु ई रत होते थ।े

कू ल म लड़ कय को मझु से खासी परेशानी थी,
माफ़ कर दने ा य क मरे ी ही गलती-शतै ानी थी।
सजु ाता के कपड़ पर लाल याही डल जानी थी,
सं या और नीलम के परै पर डे क िगरानी थी।
अनीता मरे ी राजदार थी, और जो मनमानी थी,
अफसोस तो ह,ै पर सब बचपन क नादानी थी।
मझु े माया क याद म, अब न कोई परेशानी थी,
सुजाता बगल म बैठ, समझाने वाली नानी थी।
सबसे िमली सीख न,े सवं ारी मेरी जदं गानी थी,
उनको आज मेरी याद क , िहचक ही लानी थी।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

42

बीता समय बते रतीब था, ले कन सही कहानी ह,ै
याद कर आज भी, आखं म भर आता पानी ह।ै
कोरे कागज के हरेक रंग, म दो त ही सलै ानी ह,ै
याद के झरोख का, हर दो त चेहरा नूरानी ह।ै
आज मरे े हर िम प,े अ शतक क हरै ानी ह,ै
प रवार सबका है पर दो ती से ही तो जवानी ह।ै

शखे र क ना सुन रहे

03.09.2019

शखे र क ना सुन रह,े खुद अपनी क चलाय, छलके गा जब स तो, बहरा भी सुनता जाय।
शेखर क ना सनु रह,े िनयम वे समझाय, करने क गर ठान ल, िनयम बदला जाय।
शखे र क ना सुन रह,े उसको रहे िसखाय, शरे को गरु िशकार के , दखे ो रहे बताय।
शेखर क ना सनु रह,े काम न उसका होय, टूटेगा जब स तो, ता डव दखे सब कोय।

शखे र क ना सुन रह,े आओ सब सुने बहाना, कान को अपने साफकर, सनु ल है ये ताना।
शखे र क ना सनु रह,े धीमा काम कराना, गाय को कहते आज स,े चुगना तमु अब दाना।

यार ना करते

28.09.2019

फसान को तर मु म, अगर इरशाद ना करते,
तो कोयल स,े कोई यंू ही कभी भी यार ना करत।े 1।

ब त सु दर दखे है मोर, पर जबान तीखी ह,ै
क आखं चार कर आंख , से फर इंकार ना करते।2।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

43

अ फाज म जािहर कर, ऐसा ज री है अगर,
तो परवाने शमा से यंू कभी भी, यार ना करते।3।

अदा से ल ज़ के आगाज को, नमे त नह समझो
मुह बत म हरेक अज को, बआे वाज़ ना करते।4।
शमा खामोश रहकर भी, बयान ज बात करती ह,ै
मगर समझे िबना इसरार प,े ऐतबार ना करत।े 5।

गलत समझे इशारा और, यूं ही यार कर बठै े,
क ऐसे ले तजबु श स, फर से यार ना करत।े 6।

यार म िमलती सफलता, कोिशश के बाद,
नाकािमय का खौफ हो तो, यार ना करते।7।
अगर नसीब से हरेक, अपना यार पा जाए,
तस वर म सभी बस, र से यूं यार ना करत।े 8।

यार करना शौक ह,ै मंहगा ब त शेखर,
क यारी मफु िलसी िजनको कभी वो, यार ना करत।े 9।

िहमालय िवजय

01.10.2019

सुना ऊं चा ब त ह,ै वो िहमालय का िशखर शेखर,
पर तु चढ गए कतने, बना बौना उसे शखे र।
ऊं चाई गर नह बढती, समय के साथ तो शखे र,

थमी िमल जाए होती ह,ै िहमालय पे फतह शेखर।
ऊं चाई से िहमालय क , बड़ाई नाप मत शेखर,
यक नन वा तव म, वो है प थर का बना शखे र।
को ना जीत ली हो गर, ऊं चाई एक तो शखे र,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

44

िहमालय से बढो आग,े चलो अब चांद पर शेखर।
ऊं चाई क नह सीमा, ना उसका अतं है शखे र,
क मंिजल चादं के आग,े िमलग चादं से बेहतर।
िहमालय क कई न दय , से संिचत े है शेखर,
इसी उपकार के कारण, िहमालय पू य है शखे र।
िहमालय ना बढ,े ना वो है अंितम ल य ऐ शखे र,
य द सभं व हो, जीतो तुम दल को यार से शखे र।

प रचय पूछा जब गया

01.10.2019

प रचय पूछा जब गया, तब आया ये ान,
कम ही करता रह गया, बनी नह पहचान।1।

प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
खदु को िबन जाने फरे, सारे सीना तान।2।
प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
ना कोई जाने आपको, ना क जे अिभमान।3।
प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
फु रसत म ना कोई जो, आपका ले सं ान।4।
प रचय पूछा जब गया, तब आया ये ान,
खुद को खुद ही जान ल,े और को ना भान।5।
प रचय पूछा जब गया, तब आया ये ान,
माता और िपता जान,े बा क ह अनजान।6।
प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
पु बने रह गए तो, चलती नह दकु ान।7।

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

45

प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
आिजिवका भी गौण ह,ै ऐसे कई िव ान।8।
प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
बनना है फर बाद म, खदु करना गुण गान।9।
प रचय पूछा जब गया, तब आया ये ान,
प रचय बननी चािहए, िजसक कर बखान।10।
प रचय पूछा जब गया, तब आया ये ान,
आमखास के बीच का अतं र है अवदान।-11।
प रचय पछू ा जब गया, तब आया ये ान,
य नह परो म, जब गाए कोई गान।12।

मरे ा हदं ु तान

15.08.2019

करे जो बात िमलकर साथ, तो वरदान कहते ह,
उ ह ना जानवर कहना, अगर गमु नाम रहते ह।
नर हर श स म कतने, िजरह के बाण रहते ह,
क चाण य से ानी क , यहां अब खान रहते ह।ै
ज री ना अगर तो मौन, के प रधान रहते ह,
िबना मतलब के हो संवाद तो, अ ान कहते ह।
इशार का िखला परचम, वचन कु बान रहते ह,ै
इसको ही िववाद के सफल, िनपटान कहते ह।
ना बात से, ना लात स,े ना जी हलकान रहते ह,ै
यहां हर मामले सलु झ,े सरल अिभयान रहते ह।
जो हर औिच य को समझ,े वही िव ान रहते ह,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

46

क यारा दशे अपना, उसको िह दु तान कहते ह।

बापू गाथा

02.10.2019

बापू ने खदु ही पालन कर, जनता को राह दखाई ह,ै
ऐसे महा मा िवरले ह, िजनक शा त अगवु ाई ह।ै
स य अ हसं ा पर टक कर, नतू न सी धार बनाई ह,ै
गोली बदं कू के बदल,े सिवनय अव ा करवाई ह।ै
दा डी पदया ा और नील क खते ी पर सुनवाई ह,ै
भारत छोड़ो, इस नारे क अलख गजंू ती आई ह।ै

उनक वाणी से कण तृ , जैसे कोई शहनाई ह.ै
उनके क र मे को नमन करे, यही दशे म छाई ह।ै
आज ज म दन उनका ह,ै उस पर मेरी अंगराई ह,ै

ा के अ पत पु प कर सकूं , गौरव गाथा गाई ह।ै

प ी तिु त

05.10.2019

िसफ जलने से माहताब नह होते, श द समय के महु ताज नह होते,
पद, नाम, कम, आयु कम ह,ै िबना प ी के कह सरफराज नह होते।1।

दोन हाथ से णाम होता ह,ै एक से िसफ सलाम होता ह,ै
थ पड़ से ताली बहे तर है बदं ,े प ी से पित का नाम होता ह।ै 2।
इ क का बखु ार तो आम होता ह,ै मौन हो इशार म पैगाम होता ह,ै
इजहार कए िबना ही, प ी स,े मे का आगाज और अंजाम होता ह।ै 3।

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

47

बुढापे म आगाज नह अजं ाम होता ह,ै हर श स को ये एहतराम होता ह,ै
अब कोई नह पूछेगा शखे र, बुढापे म ही तो प ी का नाम होता ह।ै 4।

प ी का हमेशा इ जाम होता ह,ै क उसका पित ब त का याम होता ह,ै
बुढापा इससे नह आता वो, बटे े क गाली खाने का प रणाम होता ह।ै 5।

दो फलक वाली कची से कतन और सईू धागे से िमलान होता ह,ै
िनमाण के ज बे से पित प ी का प रवार म स मान होता ह।ै 6।

आज यंू ही कु छ याल आया, छु ी थी तो सवाल आया,
और पर ब त िलखा शखे र, प ी पर भी थोड़ा गुलाल आया।7।
अ फाज़ बेिहसाब पढ गया, तजुबा तालीम का भडं ार बढ गया,
मदु ा प ी को समझने का याल, म अगले ज म पर मढ गया।8।
मु कु रा कर म गलु ाम बन गया, प ी य , हर राधा का याम बन गया,
प ी के भ काली व प स,े म िबना राधावाला याम बन गया।9।

चेहरे म ान

06.10.2019

ई र ने चेहर क संक पना पर दया यान,
हर अंग को ऐसे सजाया, जसै े म से होती शान।
सामने रखा है मुहं और, बगल म रखा है कान,
इसिलए ही बोलने पे वण से यादा है यान।
आखं दखे ी का बड़ा, कान सुनी से होता मान,

ये खदु ा क क र माई, चहे रे से आता है ान।
आंख पे ढ न लगाया, कान क खलु ती दकु ान,
इसिलए तो कान स,े हर व त िमलता रहा ान।
नाक गर हो बदं तो, याज और सेब एक समान,

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

48

नाक से मंहु नीचे है तो, गधं वाद से े मान।
मगज सबसे ऊपर ह,ै तो मगजमारी है महान,
पर अगर हो हाथ ऊपर, कम ही सबसे महान।
ान, बिु े ह,ै पर कम करना सबक शान,
ान से खुद बढ रहे पर कम से जन का क याण।
कु ल िमला कर ई र का, बन गया है ये बयान,
कमयोगी परोपकारी, बनने से जीवन उ थान।

कु क िवनती

10.10.2019

शहर के कु ने िवनती क , ए जब परेशान,
व छता पे यान द,े य शु है ये अिभयान?
अब तलक तो गदं गी को, पजू ता था हर इंसान,
कौन है ये गांधी बाप,ू य नया आया ये ान?
गाधं ी जी के ज म दन पर, छु ी है ऐसा था गान,
अब सभी झाड़ू िलए कचरे, क य लेते ह जान?
कचरे क पटे ी वह , िजससे िमले था अ दान,
आज खाली है पड़ी, य व छता क वजा तान?
घर सभी एक कर, कचरे का करते ह िनपटान,
और भखू ा रह रहा ह,ै वो िजसे कहते ह ान।
कु म अब आ गया, ये नया जारी है फरमान,
शहर से अब भागना, इस व छता से हो हरै ान।
इसिलए जो भी शहर स,े कर रहे ह अब यान,

डॉ हमाशं ु शखे र क द दार-ए-दायरा

49

आज तो उन सब क सं ा, हो गई खदु से ान।

ऐसा कहा

08.11.2019

मेरे दखु , मेरी िच ता, को साझा कर, सखु होके उसने था, ऐसा कहा,
िजनसे साड़ी का आचं ल सभं लता नह , वो भी मझु को संभालगी, ऐसा कहा।।

दखे ो आचं ल को छोड़ा दपु ा िलए, ई क मुझ से है उनको, था ऐसा कहा,
ल बे आचं ल के बदले दपु ा कए, साड़ी मुझको जचं े मने ऐसा कहा।।
आजकल तो ये चुनरी, दपु ा नह , शट, टाप म है ललै ा, ये मने कहा,

कपड़ के सारे झंझट सरल कर िलए, सीधा मुझको करगी, था ऐसा कहा।
गसे ू पे कशीदे के पोथे भरे, उनसे करते कनारा, तो ऐसा कहा,

ना अब ये घनी, ना ये चोटी बने , जु फ लट बन के िसमटी, है ऐसा कहा।
जो समय मागं ती, ऐसी हर चीज को, छोड़ देत है वो, मने ऐसा कहा,

मझु को ना हो भरोसा क दगी समय, ई क शौ कया वो करगी, था ऐसा कहा।

जीवन क पढ़ाई

06.11.2019

मरे ा प थर भी धरती पर, नीचे से ऊपर जाता ह,ै
य क गु वाकषण मझु े दखे ते ही सो जाता ह।ै
यटु न का बताया हर िस ांत, ग़लत हो जाता ह,ै

मरे ी हर या पर ित या, गायब हो जाता ह।ै
बल के ल बवत गित म, शू य काय हो जाता ह,ै
पर फाईल पर ल बवत, सोच का वजन आता ह।ै
गितमान फाईल िबना बाहरी बल के क जाता ह,ै

डॉ हमांशु शखे र क द दार-ए-दायरा

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