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हीराकु द बाधां के समीप स्थित गाधां ी मीनार
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इस अकं मंे........... सरंा क्षक
श्री बी एल मीना
अंचल प्रमखु का सदं शे महाप्रबधंा क एवां अचंा ल प्रमखु
क्षेत्रीय प्रमखु का सदं ेश अचंा ल कार्ाालर्, भुवनेश्वर
मडं ल प्रबधं कों का सदं ेश प्रधान सपां ादक
सपं ादकीय
भारतमाला—एक कदम विकास की ओर श्री अजीत कु मार
वहदं ी प्रिाह सहा.महाप्रबधंा क एवां क्षते ्रीर् प्रमखु
हुमा का झकु ा मवं दर
क्षेत्रीय कायाालय मंे सवं िधान वदिस क्षते ्रीर् कार्ाालर्, सबंा लपरु
क्षेत्रीय कायाालय मंे ससं ्थापक वदिस मागादर्ान
शाखाओं की समीक्षा बठै क
बोईरगािं शाखा का उद्घाटन श्री एस के नाएक
आजादी का अमतृ महोत्सि के तहत नकु ्कड़ नाटक श्री स्वकास कु मार राव
राजभाषा सकं ल्प 1968
प्रधान कायाालय मंे राजभाषाई वनरीक्षण मडंा ल प्रबधंा क
क्षेत्रीय कायाालय, सबं लपरु मंे राजभाषाई वनरीक्षण सपां ादक
राजभाषा सबं धं ी िावषाक कायाक्रम 2022-23
वहदं ी पाठ्यक्रम उत्तीणा करने पर प्रोत्साहन योजना श्री स्वश्वनाि प्रसाद साहू
पररचचाा एिं सगं ोष्ठी कायाक्रम का आयोजन प्रबधंा क (राजभाषा)
कवि पररचय— ( जयशकं र प्रसाद ) सपां ादन सहर्ोग
काव्य रचना
प्रेरक कहानी— वजदं गी के पत्थर, कं कड़ और रते क्षेत्रीर् कार्ाालर् एवां क्षते ्राधीन समथत
क्षेत्रीय कायाालय को प्राप्त प्रशसं ा पत्र थटाफ सदथर्
क्षेत्रीय कायाालय द्वारा शाखाओं को जारी प्रशसं ा पत्र
अचं ल कायाालय, भिु नशे ्वर को ततृ ीय परु स्कार
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महाप्रबधं क एवं अचं ल प्रमखु का सदं ेश
वप्रय के नराइट्स,
“पश्चिमाचं ल श्चवभा” के तीसरे अकंा का प्रकार्न क्षेत्रीर् कार्ाालर्
सबंा लपरु मंे राजभाषा कार्ाान्वर्न की प्रगस्त का द्योतक है। हमारा बैंक राजभाषा के प्रभािी
वक्रयान्ियन के वलए सदैि प्रयासरत है, यह पवत्रका इस तथ्य को प्रमावणत करती है। मझु े ज्ञात हुआ है
वक क्षेत्रीय कायाालय, सबं लपरु को नगर राजभाषा कायाान्ियन सवमवत, संबलपरु की ओर से िषा 2020
-21 मंे राजभाषा के प्रगामी प्रयोग में उत्कृ ष्ट कायावनष्पादन के वलए प्रोत्साहन परु स्कार प्रदान वकया
गया है। इस उपलवधध के वलए मैं क्षेत्रीय प्रमखु एिं सभी कावमाकों को अनन्य शभु कामनाएं ज्ञावपत
करता ह।ूँ वहदं ी भाषा के सबं धं में महात्मा गांधी ने कहा था:
“राष्ट्रीय व्यवहार मंे श्चहदं ी को काम मंे लाना देश की एकता एवं उन्नश्चत के श्चलए आवश्यक है।”
हमारा बंैक वहदं ी को आतं ररक कायों की भाषा बनाने के वलए वनत निीन उपायों को कायाावन्ित कर
रहा ह।ै
हमारे अंचल ने माचा 2022 की वस्थवत में रू...2...7...4...3...7......7...6...... करोड़ के
समग्र कारोबार का जादईु आंकड़ा प्राप्त वकया है, वजसके वलए मैं आप सभी के काया वनष्पादन की
सराहना करता हँू और आशा करता हँू वक आप सभी भविष्य मंे भी इसी तरह हमारे बंैक के कारोबार
के विकास मंे अपना योगदान दते े रहंेगे।
अशेष शभु कामनाओं के साथ,
(बी एल मीना)
महाप्रबधंा क एवां अचंा ल प्रमखु , भुवनशे ्वर अचंा ल
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सहा महाप्रबधंा क एवंा क्षते ्रीर् प्रमखु का सदां रे ्
स्प्रर् के नराइट्स,
“पस्िमाचां ल स्वभा” के तृतीर् अकंा का प्रकार्न अनके अिों मंे महत्वपूणा है। सवाप्रिम
र्ह क्षते ्र मंे राजभाषा की अनवरत प्रगस्त को दर्ााती है, स्ितीर् क्षेत्र के कारोबार एवंा अन्र्
गस्तस्वस्धर्ों को कास्माकों, उच्च कार्ाालर्ों एवंा पदास्धकाररर्ों के समक्ष प्रथतुत करती है। ज्ञातव्र्
हो स्क हमारे क्षते ्र ने आवसां ्टत स्कए गए स्वस्भन्न मानदडां ों के सापके ्ष अभूतपूवा प्रगस्त दजा की है,
स्जस कारण उच्च कार्ाालर्ों से हमंे प्रर्सां ापत्र भी प्राप्त हुए ह।ैं बकैं के कारोबार मंे उत्तरोत्तर
स्वकास के स्लए भस्वष्र् मंे भी हमंे इसी प्रकार की प्रगस्त बरकरार रखना अस्नवार्ा है। भाषा ने
सदैव लोगों को जोडा है और र्ह अस्भव्र्स्ि का सवोत्तम माध्र्म भी है। बसैं्कां ग के पररदृश्र् में भी
भाषा स्वर्षे कर स्हदां ी का महत्वपूणा थिान है। हमारे बकैं में सीबीएस में स्हदंा ी का कार्ाान्वर्न,
ग्राहकों के स्लए उपर्ोग में आने वाले फॉमों को स्िभाषी/स्त्रभाषी रूप में तैर्ार करना, प्रचार-प्रसार
की सामस्ग्रर्ों को स्िभाषी/स्त्रभाषी रूप मंे तैर्ार करना आस्द कार्ों पर स्वर्षे ध्र्ान स्दर्ा जा रहा
है। मेरा आग्रह है स्क आप सभी आम बसंै्कां ग में स्हदंा ी का प्रर्ोग प्रमखु ता से करते हुए ग्राहक
आधार बढाए।ंा हमारे क्षते ्र प्रगस्तर्ील है जहांा कारोबार की अपार सभां ावनाएंा स्वद्यमान ह,ंै हमंे उन
सभां ावनाओां की तलार् करते हुए उन्हंे कारोबार मंे पररस्णत करना होगा।
सफलता की अनतां र्ुभकानाओंा के साि,
(अजीत कु मार जग्गा)
सहा महाप्रबधंा क एवां क्षेत्रीर् प्रमखु
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मडां ल प्रबधां क का सदंा रे ्
वप्रय के नेराइट्स,
हमारे कायाालय की पवत्रका “पश्चिमाांचल श्चिभा” का ततृ ीय अकं आपके समक्ष प्रस्ततु ह।ै क्षेत्र मंे
राजभाषा का प्रसार समवु चत रूप से हो रहा है, वजसकी झलक आपको इस पवत्रका में दखे ने को
वमलेगी। इस अंक मंे राजभाषा से जडु ़ी गवतविवधयों के साथ-साथ सामान्य बंैवकग से जडु ़े कायाकलापों
को भी प्रकावशत वकया गया है। हमारे क्षेत्र ने कारोबार के सभी मानदडं ों मंे प्रगवत दजा की है वजसमंे
आप सभी का योगदान अिश्य ही रहा है। बंैक ने समग्र रूप से सभी क्षेत्रों मंे अपने कारोबार में िवृ ि
प्राप्त की है, वजसका प्रवतफल आगमी माह में वित्तीय िषा के कारोबार के पररणामों के रूप मंे पररलवक्षत
होगा।
मेरा अनरु ोध है वक आप कारोबार मंे अपनी भूवमकाओं के साथ राजभाषा के विकास के वलए भी
प्रयत्नरत रहंे।
शभु कामनाओं सवहत,
(सशु ांत कु मार नाएक)
मंडल प्रबंधक, क्षेत्रीय कायाालय सबं लपरु
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मडां ल प्रबधां क का सदां रे ्,
वप्रय के नेराइट्स,
क्षेत्र की गहृ पवत्रका “पश्चिमाांचल श्चिभा” के ततृ ीय अकं के माध्यम से
आपसे वफर से सिं ाद करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। वहंदी हमारे काया का एक भाग है, हमें अपने
आंतररक कायों में अवधक से अवधक वहंदी का प्रयोग करना होगा। इस प्रकार एक साथ दो लक्ष्यों को
साधाजा सकता है, पहला स्ियं का व्यवित्ि विकास एिं दसू रा कु शल ग्राहक सेिा। वहदं ी भाषा प्रायः
देश के बड़े वहस्से में बोली ि समझी जाती है, इस प्रकार वहंदी भाषा पर अवधकार से संभावित
ग्राहकों तक पहुंचने के रास्ते खोल दते े हैं। इस प्रकार स्ियं के साथ-साथ हमारी बंैक के वलए भी
वहंदी का प्रयोग लाभप्रद है।
इस वित्तीय िषा में आपने अपना पूणा योगदान देते हुए क्षेत्र के कारोबार में िवृ ि की है, जो वनश्चय ही
सपं ूणा बंैक के विकास के वलए कारगर वसि होगी। हमने आप सभी के सहयोग से आबवं टत विवभन्न
मानदडं ों के लक्ष्यों के सापेक्ष उत्तम प्रगवत दजा की है। बैवं कं ग उद्योग के इस प्रवतस्पधाात्मक माहौल
में हमारे बंैक को वशखर पर ले जाने का के िल एक और एक ही जररया है और िो कवठन पररश्रम है।
मझु े आशा आप कवठन पररश्रम से हमारी ससं ्था को विकास के पथ पर अग्रसर करगें े।
शभु कामनाओं सहित,
(हिकास कु मार राि)
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सपंा ादकीर्
श्चप्रय साश्चियों,
हमारे क्षेत्रीय कायाालय, सबं लपरु की गहृ -पवत्रका “पश्चिमाचं ल श्चवभा”
का यह ततृ ीय अकं (अक्टूबर - माचा 2022) आपको सौंपते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। इस
अकं को आकषाक बनाने के वलए हमने भसाक प्रयास वकया है तथा विवभन्न गवतविवधयों,
कायाक्रमों, राजभाषा मंे वकए गए कायों, हमारे क्षेत्र की सफलताओ/ं उपलवधधयों को समावहत
वकया है। भाषा सदिै सचं ार का सबसे उत्तम माध्यम है। वहंदी को राजभाषा का दजाा दने े का मखु ्य
कारण यह है वक वहदं ी सहज एिं सरल है, साथ ही कोई भी वहंदीतर भाषा-भाषी बड़ी ही आसानी
से कम समय मंे वहंदी सीख सकता ह।ै हमारे देश मंे प्रचवलत रूप से कहा जाता है वक
“कोस-कोस में पानी बदले और चार कोस मंे बानी”
राजभाषा वहंदी इन अनन्य भाषाओ/ं बोवलयों को एक धागे मंे बांधने का काम करती है। मेरा
विश्वास है वक आप वहदं ी का प्रयोग अपने दैवनक काया-कलापों में करगें े और क्षेत्र में राजभाषा
कायाान्ियन को नई ऊं चाईयों तक ले जाएगं े।
राजभाषा के कायाान्ियन में आपके सहयोग की अपेक्षा के साथ,
(विश्वनाथ प्रसाद साह)
राजभाषा अवधकारी
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स्दनाकंा – 15.03.2022 को र्ाखाओंा की व्र्वसास्र्क समीक्षा बैठक का आर्ोजन
वदनांक 15.03.2022 को वदसंबर वतमाही के वलए संबलपरु क्षेत्रीय कायाालय के अंतगात आने िाली शाखाओं की
व्यिसावयक समीक्षा बैठक का आयोजन वकया गया। इस समीक्षा बैठक में अचं ल कायाालय भिु नेश्वर से पधारे
महाप्रबंधक एिं अचं ल प्रमखु , श्री बी एल मीना जी द्वारा शाखाओं के व्यिसाय की समीक्षा की गई। इस समीक्षा बैठक
में क्षेत्रीय कायाालय, संबलपरु के क्षेत्रीय प्रमखु श्री अजीत कु मार जी, मडं ल प्रबधं क श्री एस के नायक जी, श्री विकास
कु मार राि जी तथा सभी शाखाओ/ं कायाालयों के प्रभारी उपवस्थत रह।े समीक्षा बठै क का आरभं हमारे वप्रय
ससं ्थापक को पषु ्पापाण से वकया गया। श्री दीपक कु मार जनु ेजा, िररष्ठ प्रबधं क ने स्िागत भाषण प्रस्ततु वकया।
महाप्रबधं क ने शाखा प्रमखु ों को संबोवधत करते हुए कहा वक हमारे अंचल का प्रदशान समग्र रूप से अच्छा ह।ै अचं ल
ने ितामान में रू. 29000 करोड़ के कारोबार का आकं ड़ा पार कर वलया है तथा आप सबके सहयोग से रू. 30000
करोड़ के कारोबार का लक्ष्य प्रावप्त की ओर बढ़ रहा ह।ै शाखाओं की समीक्षा के बाद शाखा प्रमखु ों से संिाद वकया
एिं अपेवक्षत मागादशान प्रदान वकया।
क्षेत्रीय प्रमखु ने क्षेत्र की विवभन्न मानदडं ों में प्रगवत को महाप्रबधं क के समक्ष प्रस्तुत वकया। इसके अवतररि, सभी
शाखा प्रमखु ों से इस वित्त िषा के लक्ष्य प्राप्त करने हेतु सभी स्टाफ सदस्यों को शावमल करना सवु नवश्चत करते हुए
बकंै के कारोबार का विकास करने का आह्वान वकया तथा वकसी भी प्रकार के समस्या के वलए हर संभि सहयोग
प्रदान करने का आश्वासन वदया। श्री मनमोहन मआु वखआ, मडं ल प्रबधं क, आरएआच, संबलपरु के धन्यिाद ज्ञापन
के साथ समीक्षा बैठक का समापन हुआ।
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स्दनाकां 29.04.2022 क्षते ्रीर् कार्ाालर्, सबां लपरु के तहत बोईरगावां र्ाखा का उद्घाटन
के नरा बंैक दशे के सभी िगों को बैंवकं ग सवु िधाएं प्रदान करने के
वलए प्रवतबि ह।ै इसी क्रम में अपने कायाक्षेत्र का विस्तार करते
हुए संबलपरु क्षेत्र के तहत नआु पड़ा वजले के बोईरगांि शाखा का
उद्घाटन मखु ्य अवतवथ श्री राजेर् मेहरे , तहसीलदार, बोडेन िारा
वकया गया। नई शाखा के उद्घाटन समारोह में श्रीमती मीना कु .
अग्रवाल, सीडीपीओ, बोडेन, श्रीमती थमसृ ्त स्सहंा माझी,
स्जला पररषद अध्र्क्ष, श्रीमती हमे ाद्री जगत, सरपांच
बोईरगावंा तिा सबंा लपुर क्षते ्रीर् कार्ाालर् के क्षते ्रीर् प्रमखु एवां
सहार्क महाप्रबांधक श्री अजीत कु मार जग्गा, मंडा ल प्रबाधं क
श्री सुर्ातां कु मार नार्क तिा बोईरगावां र्ाखा के र्ाखा
प्रमखु श्री सतीर् कु मार होता, नुआपडा र्ाखा के र्ाखा
प्रमखु श्री आस्दत्र् कु मार साहू एिं स्थानीय गणमान्य
अवतवथ शावमल रहे। कायाक्रम मंे मखु ्य अवतवथ ने सभा को
सबं ोवधत करते हुए कहा वक इस शाखा के शभु ारभं से स्थानीय
जनता को भी आसानी से बैंवकं ग सवु िधाएं उपलधध हो पाएगं ी।
क्षेत्रीय प्रमखु ने ग्रामीणों से के नरा बैंक से जडु ़ने का आह्वान
वकया।
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राजभाषा सकंा ल्प 1968
“जबवक सवं िधान के अनचु ्छेद 343 के अनसु ार सघं की राजभाषा वहदं ी रहगे ी और उसके अनचु ्छेद 351 के
अनसु ार वहदं ी भाषा का प्रसार, िवृ ि करना और उसका विकास करना तावक िह भारत की सामावसक संस्कृ वत
के सब तत्िों की अवभव्यवि का माध्यम हो सके , सघं का कताव्य ह:ै
यह सभा सकं ल्प करती है वक वहदं ी के प्रसार एिं विकास की गवत बढ़ाने के हेतु तथा सघं के विवभन्न राजकीय
प्रयोजनों के वलए उत्तरोत्तर इसके प्रयोग हेतु भारत सरकार द्वारा एक अवधक गहन एिं व्यापक कायाक्रम तैयार
वकया जाएगा और उसे कायाावन्ित वकया जाएगा और वकए जाने िाले उपायों एिं की जाने िाली प्रगवत की
विस्ततृ िावषाक मूल्याकं न ररपोटा ससं द की दोनों सभाओं के पटल पर रखी जाएगी और सब राज्य सरकारों को
भजे ी जाएगी ।
जबवक सवं िधान की आठिीं अनसु ूची में वहदं ी के अवतररि भारत की 21 मखु ्य भाषाओं का उल्लेख वकया गया
है , और दशे की शैक्षवणक एिं सासं ्कृ वतक उन्नवत के वलए यह आिश्यक है वक इन भाषाओं के पूणा विकास हेतु
सामूवहक उपाए वकए जाने चावहए :
यह सभा सकं ल्प करती है वक वहदं ी के साथ-साथ इन सब भाषाओं के समवन्ित विकास हते ु भारत सरकार द्वारा
राज्य सरकारों के सहयोग से एक कायाक्रम तैयार वकया जाएगा और उसे कायाावन्ित वकया जाएगा तावक िे शीघ्र
समिृ हो और आधवु नक ज्ञान के सचं ार का प्रभािी माध्यम बनें ।
जबवक एकता की भािना के सिं धान तथा देश के विवभन्न भागों मंे जनता मंे सचं ार की सवु िधा हते ु यह आिश्यक
है वक भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों के परामशा से तैयार वकए गए वत्र-भाषा सूत्र को सभी राज्यों में पूणात
कायाावन्ित करने के वलए प्रभािी वकया जाना चावहए :
यह सभा सकं ल्प करती है वक वहदं ी भाषी क्षेत्रों मंे वहदं ी तथा अंग्रजे ी के अवतररि एक आधवु नक भारतीय भाषा
के , दवक्षण भारत की भाषाओं मंे से वकसी एक को तरजीह देते हुए, और अवहदं ी भाषी क्षेत्रों में प्रादेवशक भाषाओं
एिं अंग्रजे ी के साथ साथ वहदं ी के अध्ययन के वलए उस सूत्र के अनसु ार प्रबन्ध वकया जाना चावहए ।
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और जबवक यह सवु नवश्चत करना आिश्यक है वक सघं की लोक सिे ाओं के विषय मंे दशे के विवभन्न भागों के
लोगों के न्यायोवचत दािों और वहतों का पूणा पररत्राण वकया जाए
यह सभा सकं ल्प करती है वक-
ए. वक उन विशषे सेिाओं अथिा पदों को छोड़कर वजनके वलए ऐसी वकसी सिे ा अथिा पद के कत्ताव्यों के
सतं ोषजनक वनष्पादन हते ु के िल अंग्रेजी अथिा के िल वहदं ी अथिा दोनों जसै ी वक वस्थवत हो, का उच्च
स्तर का ज्ञान आिश्यक समझा जाए, सघं सेिाओं अथिा पदों के वलए भती करने हते ु उम्मीदिारों के
चयन के समय वहदं ी अथिा अंग्रजे ी मंे से वकसी एक का ज्ञान अवनिायात होगा; और
बी. वक परीक्षाओं की भािी योजना, प्रवक्रया सबं धं ी पहलओु ं एिं समय के विषय में सघं लोक सिे ा आयोग के
विचार जानने के पश्चात अवखल भारतीय एिं उच्चतर के न्रीय सेिाओं सबं धं ी परीक्षाओं के वलए सवं िधान की
आठिीं अनसु ूची में सवम्मवलत सभी भाषाओं तथा अंग्रजे ी को िैकवल्पक माध्यम के रूप में रखने की अनमु वत
होगी ।”
O
स्दनाकां 07.10.2022 को ऋण जन सपां का कार्ाक्रम के तहत में के नरा बकंै ,
क्षते ्रीर् कार्ाालर्,सबां लपरु िारा थिास्पत थटॉल
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स्दनाकंा 25.01.2022 को आर्ोस्जत स्हन्दी प्रस्तस्नस्ध बैठक का आर्ोजन
क्षेत्रीय कायाालय, संबलपरु में वदनांक 25.01.2021 को वहन्दी प्रवतवनवध बैठक का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से वकया
गया। इस बठै क मंे क्षेत्रीय कायाालय संबलपरु एिं ब्रह्मपरु के स्टाफ सदस्यों को शावमल वकया गया। बैठक में कु ल 29 स्टाफ
सदस्यों ने भाग वलया वजसमंे 19 क्षेत्रीय कायाालय संबलपरु एिं 10 क्षेत्रीय कायाालय ब्रह्मपरु के कावमाक शावमल हुए। यह बठै क
अध्ययन एिं विकास कंे र, भिु नेश्वर के सहयोग से ऑनलाइन माध्यम से की गई।
इस बठै क को श्री अभय नाथ वमश्र, िररष्ठ प्रबधं क (राजभाषा), अचं ल कायाालय, भिु नेश्वर और श्री विश्वनाथ प्रसाद साह,
अवधकारी (राजभाषा), क्षेत्रीय कायाालय, संबलपरु द्वारा संबोवधत वकया गया। सदस्यों को सघं की राजभाषा नीवत, प्रोत्साहन
योजनाओं एिं राजभाषा सबं धं ी अन्य पहलओु ं से अिगत कराने के साथ-साथ वहदं ी प्रवतवनवधयों की वजम्मेदाररयों से अिगत
कराया गया। इसके अवतररि, स्टाफ सदस्यों को शाखा के दैवनक कायों में वहदं ी के अवधकावधक प्रयोग करने एिं बैंक की गहृ
पवत्रका “के नरा ज्र्ोस्त” एवंा श्रेर्स में स्िवलवखत आलेख भेजने, वहदं ी प्रवतयोवगताओ ं में भाग लने े हते ु प्रोत्सावहत भी
वकया गया।
वहदं ी प्रवतवनवधयों के बैठक के माध्यम से श्री रूराचारी, सहायक महाप्रबधं क, अचं ल कायाालय भिु नेश्वर से जडु ़े एिं
प्रवतभावगयों को आबवं टत वकए गए 12 अवनिाया CanDLE पाठ्यक्रम पूरा करने एिं शाखा सभी पात्र अवधकाररयों को भी इन
पाठ्यक्रमों को पूरा करने की सलाह दी।
अंत में राजभाषा अवधकारी के धन्यिाद ज्ञापन के साथ वहदं ी प्रवतवनवध बैठक का समापन हुआ।
O
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क्षते ्राधीन नगर राजभाषा कार्ाान्वर्न सस्मस्त की बैठकों मंे सहभास्गता
क्षेत्रीय कायाालय संबलपरु के तहत 4 कायाालय/शाखाएं क्रमशः क्षेत्रीय कायाालय, संबलपरु , राउरके ला
मखु ्य शाखा, कंे दझु र एिं अनगु लु नराकास की सदस्य ह,ंै वजनमें से अक्टूबर से माचा 2022 के दौरान वदनांक
25.11.2022 को नराकास, संबलपरु , वदनांक 08.02.2022 को नराकास, कें दझु र एिं वदनांक 23.02.2022 को
नराकास, राउरके ला में छमाही बैठक का आयोजन वकया गया। इन बठै कों मंे सबं वं धत शाखा/कायाालय के प्रभाररयों के
साथ राजभाषा अवधकारी द्वारा भाग वलया गया। वदनांक 25.11.2021 को नगर राजभाषा कायाान्ियन सवमवत,
सबं लपरु की छमाही बैठक में हमारे क्षेत्रीय कायाालय, सबं लपरु को वित्त िषा 2020-21 मंे राजभाषा के उत्कृ ष्ट
कायाान्ियन के वलए “प्रोत्साहन परु स्कार” प्रदान वकया।
वदनांक 08.02.2022 को नराकास, कें दझु र की छमाही बठै क में हमारे बकंै की प्रवतभावगता
वदनांक 23.02.2022 को नराकास, राउरके ला की छमाही बैठक में हमारे बैंक की प्रवतभावगता
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बरगढ र्ाखा-II मंे पररचचाा कार्ाक्रम का आर्ोजन – स्दनाकां 05.03.2022
माचा 2022 वतमाही के वलए बरगढ़ शाखा-II में वदनांक 05.03.2022 को “पमे ेंट बैंक और प्रस्तावित वडवजटल बैंकों की सवक्रयता
से राष्रीय बकैं ों के वलए संभावित चनु ौवतयां और बचने के उपाय” विषय पर वहन्दी में पररचचाा कायाक्रम का आयोजन वकया गया।
सबंा लपरु र्ाखा- II में आर्ोस्जत पररचचाा कार्ाक्रम की ररपोटा – स्दनाकां 10.12.2021
स्दसबां र 2021 स्तमाही के स्लए सबां लपुर र्ाखा- II मंे स्दनांका 10.12.2021 को “बकंै सा के स्लए सॉफ्ट स्थकल्स
का महत्व और आवश्र्कता” स्वषर् पर स्हन्दी में पररचचाा कार्ाक्रम का आर्ोजन स्कर्ा गर्ा।
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स्दनाकंा 08.03.2022 को “एक सर्ि समाज के स्नमााण के स्लए
बसंै्कंा ग उद्योग में मस्हलाओां की भूस्मका” स्वषर् पर स्हन्दी में सगां ोष्ठी का आर्ोजन”
हमारे कायाालय में अतं रराष्रीय मवहला वदिस वदनाकं 08.03.2022 के अिसर पर “एक सर्ि समाज
के स्नमााण के स्लए बसैं्कंा ग उद्योग मंे मस्हलाओंा की भूस्मका” स्वषर् पर स्हन्दी मंे सगां ोष्ठी का आयोजन वकया
गया। इस सगं ोष्ठी की अध्यक्षता श्री अजीत कु मार जग्गा, क्षेत्रीय प्रमखु एिं सहायक महाप्रबधं क द्वारा की गई।
सगं ोष्ठी मंे कायाालय के मडं ल प्रबधं क श्री सशु ातं कु मार नाएक एिं श्री विकास कु मार राि तथा अन्य स्टाफ
सदस्य शावमल रह।े इस कायाक्रम मंे हमारी सबं लपरु वस्थत शाखाओं की मवहला स्टाफ सदस्यों को आमंवत्रत
वकया गया। अध्यक्ष महोदय ने सभागार को सबं ोवधत करते हुए कहा बवैं कं ग उद्योग मंे मवहला कावमाकों की
भूवमका अत्यंत महत्िपूणा है। मवहलाएं हमारे समाज का आधारस्तंभ हैं, उन्हंे अपने जीिन में दोहरी भूवमका का
वनिाहन करना होता एक ओर िे अपना घर की वजम्मेदाररयों को बखूबी वनभाती हैं तथा दूसरी ओर बंैक मंे अपने
कताव्यों का पालन वनष्ठापूिाक करती हं।ै मवहला कावमाकों ने अपने कायावनष्पादन एिं काया के सापके ्ष अपनी
प्रवतबिता सावबत की है एिं उच्च प्रबधं न मंे विवभन्न पदों को सशु ोवभत वकया ह।ै मवहला कावमाकों ने अपने
विचार प्रकट वकए और अपने-अपने अनभु ि साझा वकए। कायाक्रम के दौरान सभी मवहला कावमाकों को
सम्मावनत वकया गया।
मडं ल प्रबधं क श्री सशु ातं कु मार नाएक ने सभी प्रवतभावगयों को इस कायाक्रम मंे भाग लेकर सफल बनाने के वलए
आभार व्यि वकया और इस प्रकार कायाक्रम का समापन हुआ।
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कहि पररचय - जयशकं र प्रसाद
जीवन पररचर्:-
जयशकं र प्रसाद बहुमखु ी प्रवतभा के धनी सावहत्यकार थे। उनका जन्म माघ शकु ्ल 10, संित् 1946 वि. (तदनसु ार 30 जनिरी
1889 ई. वदन- गरु ूिार ) को कार्ी के 'सघंाु नी साहू' नामक प्रवसि िैश्य पररिार मंे हुआ था। उनके यहां तंबाकू का व्यापार होता
था। उनके स्पता दवे ी प्रसाद और स्पतामह स्र्वरत्न साहू थे। इनके वपतामह परम वशिभि और दयालु थे। उनके वपता भी
अत्यवधक उदार और सावहत्य प्रमे ी थे। प्रसाद जी का बचपन सखु मय था। बाल्यकाल में ही उन्होंने अपनी माता के साथ धारा
क्षेत्र, ओकं ारशे ्वर, पषु ्कर, उज्जैन और ब्रज आवद तीथों की यात्राएं की। यात्रा से लौटने के बाद पहले उनके वपता का और वफर 4
िषा पश्चात उनकी माता का वनधन हो गया।
प्रसाद जी की वशक्षा, दीक्षा और पालन-पोषण का प्रबधं उनके बड़े भाई संभू रत्न ने वकया और क्िींस कॉलेज में उनका नाम
वलखिाया, वकं तु उनका मन िहां न लगा। उन्होंने अगं ्रेजी और संस्कृ त का अध्ययन स्िाध्याय से घर पर ही प्राप्त वकया। उनमें
बचपन से ही सास्हत्र्ानरु ाग था। िे सावहवत्यक पसु ्तकंे पढ़ते और काव्य रचना करते रहे। पहले तो उनके भाई उनकी काव्य
रचना मंे बाधा डालते रहे, परतं ु जब उन्होंने दखे ा वक प्रसाद जी का मन काव्य रचना मंे अवधक लगता है, तब उन्होंने इसकी पूरी
स्िततं ्रता उन्हंे दे दी।
प्रसाद जी स्िततं ्र रूप से काव्य रचना के मागा पर बढ़ने लगे। इसी बीच उनके बड़े भाई शंभूरत्न जी का वनधन हो जाने से घर की
वस्थवत खराब हो गई। व्यापार मंे भी भारी नकु सान हुआ। पैतकृ संपवत्त बेचने से कजा से मवु ि तो वमली, पर िे क्षय रोग का
वशकार होकर मात्र 47 िषा की आयु मंे 15 निबं र, 1937 को इस संसार से विदा हो गए।
जर्र्कंा र प्रसाद का सास्हस्त्र्क पररचर्:
स्हदंा ी सास्हत्र् मंे थिान- यगु प्रिताक सावहत्यकार जयशंकर प्रसाद ने गद्य और काव्य दोनों ही विधाओं मंे रचना करके वहदं ी
सावहत्य को अत्यंत समिृ वकया है। 'कामार्नी' महाकाव्र् उनकी कालजयी कृ वत है, जो आधवु नक काल की सिाश्रेष्ठ रचना कही
जा सकती ह।ै अपनी अनभु ूवत और गहन वचंतन को उन्होंने सावहत्य की विवभन्न विधाओं के माध्यम से प्रस्ततु वकया है। वहदं ी
सावहत्य में जयशंकर प्रसाद का स्थान सिोपरर ह।ै इनकी र्ैली के स्वस्वध रूप इस प्रकार हंै -
भाषा र्ैली- प्रसाद जी की भाषा मंे ससं ्कृ त के तत्सम शधदों की बहुलता ह।ै भािमयता उनकी भाषा की प्रमखु विशेषता ह।ै
इनकी भाषा में महु ािरों, लोकोवियों तथा विदशे ी शधदों का प्रयोग ना के बराबर हुआ है। प्रसाद जी ने विचारात्मक,
वचत्रात्मक, भािात्मक, अनसु ंधानात्मक तथा इवतितृ ्तात्मक शैली का प्रयोग वकया ह।ै
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वणानात्मक र्ैली - प्रसाद जी ने अपने नाटकों उपन्यासों एिं कहावनयों में घटनाओं का िणान करते समय इस
शैली को अपनाया है।
आलकंा ाररक र्ैली - प्रसाद जी स्िाभाित: कवि थे, अतः इनके गद्य में भी विविध अलंकारों का प्रयोग वमलता ह।ै
भावात्मक र्ैली - भािों के वचत्रण मंे प्रसाद जी का गद्य काव्यमयी ह।ै इनकी सभी रचनाओं मंे इस शैली के दशान होते हंै।
स्चत्रात्मक र्ैली - प्रकृ वत िणान और रखे ा वचत्रों मंे यह शैली वमलती है।
इसके अवतररि सूवि शैली, सिं ाद शैली, विचारात्मक शैली एिं अनसु न्धात्मक शैली का प्रयोग भी प्रसाद जी ने वकया है।
रचनाए:ां - जयशंकर प्रसाद वहदं ी सावहत्य के स्िनाम धन्य रत्न हं।ै उन्होंने काव्य, कहानी, उपन्यास, नाटक आवद सभी
विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई ह।ै
काव्र्- आसां ,ू कामार्नी, स्चत्राधार, लहर और झरना।
कहानी- आधंा ी, इांद्रजाल, छार्ा, प्रस्तध्वस्न आस्द।
उपन्र्ास- स्ततली, कंा काल और इरावती।
नाटक- सज्जन, कल्र्ाणी-पररणर्, चदंा ्रगपु ्त, थकंा दगपु ्त, अजातर्त्र,ु प्रार्स्ित, जन्मजे र् का नाग र्ज्ञ, स्वर्ाखा और
ध्रवु थवास्मनी आस्द।
स्नबाधं - काव्र् कला एवंा अन्र् स्नबधां ।
काव्र् रचनाएंा - जयशंकर प्रसाद की काव्य रचनाएं हंै - कानन कु समु , महाराणा का महत्ि, झरना (1918), आसं ू, लहर,
कामायानी (1935), और प्रेम पवथक। प्रसाद की काव्य रचनाएं दो िगों मंे विभि है। काव्य पथ अनसु ंधान की रचनाएं और
रसवसि रचनाएं । आसं ू, लहर तथा कामायानी दूसरे िगा की रचनाएं ह।ैं इन्होंने काम रचना ब्रज भाषा में आरभं की और धीरे-
धीरे खड़ी बोली को अपनाते हुए इस भावं त अग्रसर हुए की खड़ी बोली के मूधान्य कवियों में उनकी गणना की जाने लगी और िे
यगु प्रिताक कवि के रूप में प्रवतवष्ठत हुए।
कहानी सगां ्रह -
कथा के क्षेत्र में प्रसाद जी अपने ढंग की कहावनयों के आरभं वयता माने जाते ह।ैं सन 1912 ईथवी मंे इादं ु में उनकी पहली कहानी
ग्राम प्रकावशत हुई। उन्होंने कु ल 72 कहावनयां वलवख है। उनके कहानी सगं ्रह ह,ैं छाया ,प्रवतध्िवन आकाशदीप, आधं ी और
इरं जाल।
इनकी अवधकतर कहावनयों में भािना की प्रधानता है वकं तु उन्होंने यथाथा की दृवष्ट से भी कु छ श्रेष्ठ कहावनयां वलवख है। उनकी
िातािरण प्रदान कहावनयां अत्यतं सफल रही है। उन्होंने ऐवतहावसक एिं पौरावणक कथानको पर मौवलक एिं कलात्मक
कहावनयां वलखी है।ं भािना प्रधान प्रेम कथाएं समस्या मूलक कहावनयां वलखी हंै। उन्होंने उत्तम कहावनयां भी वलखी है यह
कहावनयां भािनाओं की वमष्ठान तथा कविता से पूणा है।
पुरथकार - जयशंकर प्रसाद को कामार्ानी पर मंागला प्रसाद पाररतोस्षक प्राप्त हुआ था।
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काव्र् रचना
“कुंा ज-कुंा ज कोर्ल बोली है”
कुंा ज-कुंा ज कोर्ल बोली है,
थवर की मादकता घोली है।
कापंा ा है घन पल्लव-कानन,
गूजँ ी गुहा श्रवण-उन्मादन,
तने सहज छादन-आच्छादन,
नस ने रस-वर्ता तोली है।
गहृ -वन जरा-मरण से जीकर
प्राणों का आसव पी-पीकर
झरे पराग-गन्ध-मध-ु र्ीकर,
सरु स्भत पल्लव की चोली है।
तारक-तनु रस्व के कर स्ससंा्चत,
स्नर्स्मत अस्भसारक जीस्वत स्सत,
आमद-पद-भर मजां -ु गजुां ररत
अस्लका की कस्लका डोली है।
...... सरू ्ाकातंा स्त्रपाठी “स्नराला”
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प्रेरक- कहानी
स़्िन्दगी के पत्िर, कां कड और रेत
दशान-शास्त्र के एक प्रोफे सर ने कु छ चीजों के साथ एक कक्षा में प्रिेश वकया। जब कक्षा शरु ू हुई तो उन्होंने एक
बड़ा सा खाली शीशे का जार वलया और उसमे पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े भरने लगे. वफर उन्होंने छात्रों से पूछा वक
क्या जार भर गया है ? और
सभी ने उत्तर वदया “हा”ाँ
तब, प्रोफे सर ने छोटे-छोटे उसी जार मंे कं कड़ों को भरा। जार को थोड़ा वहलाने पर ये कं कड़ पत्थरों के बीच
व्यवस्थत हो गए। एक बार वफर उन्होंने छात्रों से पूछा वक क्या जार भर गया है? और
सभी ने “हा”ँा मंे उत्तर वदया।
तभी, प्रोफे सर ने जार में रते डालने लगे। रते ने बची-खचु ी जगह भी भर दी। उन्होंने एक बार वफर पूछा वक क्या
जार भर गया है? और
सभी ने एक साथ उत्तर वदया, “हा”ँा
वफर प्रोफे सर ने समझाना शरु ू वकया, “मंै चाहता हूँ वक आप इस बात को समझें वक ये जार आपकी जीिन को
दशााती है। बड़े-बड़े पत्थर आपके जीिन की ज़रूरी चीजंे हंै - आपका पररिार, आपका जीिनसाथी, आपका,
स्िास्थ्य, आपके बच्चे – ऐसी चीजंे वक अगर आपकी बाकी सारी चीजें खो भी जाएूँ और वसफा ये रहे तो भी
आपकी वजन्दगी पूणा रहगे ी।
ये कं कड़ कु छ अन्य चीजें हैं जो जीिन मंे मायने रखतीं रखती हंै- जैसे वक आपकी नौकरी, आपका घर, इत्यावद।
और ये रते बाकी सभी छोटी-मोटी चीजों को दशााती है।
अगर आप जार को पहले रते से भर दंगे े तो कं कड़ों और पत्थरों के वलए कोई जगह नहीं बचेगी। यही आपके
जीिन के साथ होता है। अगर आप अपना सारा समय और उजाा छोटी-छोटी चीजों पर लगा देंगे तो आपके पास
कभी उन चीजों के वलए समय नहीं होगा जो आपके वलए अवधक महत्िपूणा ह।ंै उन चीजों पर ध्यान दीवजये जो
आपकी खशु ी के वलए ज़रूरी हं।ै
पहले पत्थरों पर ध्यान दीवजये – ऐसी चीजें जो सचमचु जीिन के वलए मायने रखती ह।ंै अपनी प्राथवमकताएं
वनधााररत कीवजये। बाकी चीजंे बस रते ह।ैं ”
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