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Published by kidori2471, 2022-05-02 01:31:24

Mastram ki kahani

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AUGUST 2018

MASTRAM
KI

KAHANI

सासु माँ ने किया खुश
Mastram Ki Kahani मधु की शादी हुए अभी महिना भी नहीं बिता था कि
मधु चौथी बार माइके आकर बैठी हुई थी । आस-पड़ोस वालों ने काना-फू सी करनी
शुरू कर दी थी कि मधु की अपने ससुराल में नहीं बनती, कोई-कोई तो कह रहा
था कि मधु के पति ने उसे घर से निकाल दिया है और कोई कह रहा थी कि मधु

का किसी दूसरे मर्द के साथ चक्कर है ।
Mastram Ki Kahani सवाल दिनभर दिन मधु के सामने आकर खड़े हो रहे थे




लेकिन मधु अब ससुराल जाने से डर रही थी और वजह थी उसके पति की हर रात
उसके साथ की जाने वाली हरकत । मधु आज चौथी बार ससुराल आई तो घरवाले

चिंता में थे लेकिन मधु ने कहा कि वो सिर्फ अपनी माँ से बात करेगी ।
माँ ने पूछा – क्या हुआ, सब ठीक तो है न ?
मधु – नहीं माँ, वहाँ कु छ भी ठीक नही है
माँ – क्यों, क्या हुआ
मधु – माँ सुनील मुझे हर रात को परेशान करते हैं

माँ – अरे, अभी शुरू के कु छ दिन तो ऐसे ही रहते हैं, नया-नया है न, बाद में
सब ठीक हो जाएगा, इसमें यहाँ आने की ज़रूरत नहीं है ।

मधु – नहीं माँ, सुनील मेरे लिए रोज़ नए-नए अधनंगे कपड़े लेकर आते हैं
और मुझे पहनने को कहते हैं । मैं जब पहनती हूं तो उसके बाद मेरे साथ

खेलते हैं और मुझे अलग-अलग तरीकों से दर्द देते हैं ।
माँ – हाय, ये क्या हो गया सुनील को, ऐसा क्यों कर रहा है ?
मधु – माँ, उनके अंदर न जाने कितनी दबी इच्छाएं हैं जो सालों से अधूरी थी
वो सब मेरे साथ पूरी करना चाहते हैं और इसलिए वो मुझे रोज़ अलग-अलग
कपड़ों में देखकर मेरे साथ वो सब करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए ।

उन्हें मेरा चिल्लाना, चीखना और मुझे दर्द देना अच्छा लगता है ।
माँ – ये तो बहुत परेशान होने वाली बात है, उसे मानसिक रोग है ।

मधु – हाँ और वो इस बीमारी के चलते मुझे दर्द देना चाहते हैं, मैं परेशान हो गई हूं, वो ऊपर, नीचे और पीछे से बहुत गलत
तरीकों का इस्तेमाल करते हैं जो मुझे बहुत दर्द देता है, ये तरीके ठीक नहीं है, अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं ।

माँ – तू चिंता मत कर, मैं आज ही सुनील को बुलाती हूं ।
माँ ने सुनील को बुलाया ।

सुनील बहुत ही सुलझा, समझदार और इज्ज़त करने वाला लड़का था लेकिन वो अपनी अधूरी इच्छाओं के चलते मजबूर था और
सुनील वो सब ट्राई करना चाहता था जो उसने पिक्चरों, वीडियो और अपने ख्वाबों में सोच रखा था ।
माँ ने पूछा – सुनील, कै से हो ?
सुनील – मैं ठीक हूं मम्मी ।
माँ – ये मधु क्यों आई है, कु छ पता है
सुनील – थोड़ा घबराकर, नहीं मम्मी, आप ही पूछ लो, मुझे तो कु छ बताती ही नहीं ।
माँ – पूछा मैंने
सुनील – थोडा घबराकर, तो क्या कु छ बोली
माँ – हाँ, सब कु छ, जो तुम उसके साथ हर रात करते हो और आगे करना चाहते हो ।
सुनील के माथे पर पसीने निकल आए और उसका चेहरा फीका पड़ गया ।
सुनील ने कहा – मतलब ?
माँ – मतलब तुम अच्छी तरह समझते हो और मैं भी ।
Mastram Ki Kahani अब मुझे एक बताओ, तुम ये सब कब बंद करोगे,

क्योंकि ये मधु के लिए ठीक नहीं है, अगर कु छ गलत हो गया तो मधु का बचना मुश्किल हो जाएगा और तुम्हारा भी ।

सुनील – नहीं मम्मी, आप यकीन मानिए मैं जानबुझकर ऐसा नहीं करना चाहता लेकिन रात आते-आते बिस्तर पर न जाने मुझे
क्या हो जाता है, मैं तड़प उठता हूं, मेरी धड़कनें तेज़ हो जाती हैं और मैं बेचैन हो उठता हूं । फिर मैं मधु के साथ वो सब करना
चाहता हूं जो मैंने अपने अंदर छिपा रखा है और अगर वो इच्छा पूरी नहीं होती तो मेरा दिमाग काम करना बंद कर देता है ।

मैं क्या करूं मम्मी ।
मधु की मां – कु छ भी हो लेकिन मधु की उम्र 22 साल है, वो न तो ये सब पसंद करती है और न ही वो ये सब झेल पाएगी ।
मधु की माँ की आंखों में शरारत उतर आई थी और उनके रंग ढंग बदल चुके थे । मधु की माँ ने कहा – जो तुम मधु के साथ

करना चाहते हो, उसे पूरा करने में मैं तुम्हारी मदद करूं गी और मधु भी परेशान नहीं होगी ।
सुनील – वो कै से मम्मी

मधु की माँ – आओ अभी बताती हूं ।
सासु माँ सुनील को कमरे में ले गई ओर कुं डी लगा दी ।
अगले आधे घंटे में जो होने वाला था वो न सुनील ने कभी सोचा था और न ही मधु ने । लेकिन ये हो रहा था । सासु माँ के अंदर
जवानी की आग भड़क चुकी थी और वो अब सुनील को उसकी ख्वाहिश और ख्वाबों की दुनिया में ले जाकर संतुष्ट करने वाली
थी । सासु माँ ने सुनील से कहा – तुम यहीं ठहरो, और मेरा इंतज़ार करो ।

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सुनील ने सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया और सासु माँ बाथरूम की ओर चली गई ।
दो मिनट के बाद अचानक बाथरूम का दरवाज़ा खुला और सासु माँ ने उंगली से सुनील को अंदर आने का इशारा दिया । सुनील
इतना भी नासमझ नहीं था कि उसे ये पता न चले कि हो क्या रहा है । लेकिन वो अपनी ख्वाहिशों के आगे इतना बेबस था कि
उन्हें किसी भी तरह से पूरा करना चाहता था, यूं मानिए कि वो इन्हीं ख्वाहिशों के सहारे ज़िंदगी जी रहा था ।

Mastram Ki Kahani सासु माँ ने सुनील को
अपनी आगोश में ले लिया और दोनों एक दूसरे से

गोंद की तरह चिपक गए ।
दोनों की सांसे हपम आहों में बदल गई और
हल्की-हल्की आवाजों से बाथरूम गूंजने लगा ।
सुनील नीचे था और सास ऊपर । सुनील पूरी
तैयारी से झूला रहा था और ऊपर बैठी सास अपने
अंदर की आंधी को शांत करने के लिए झूल रही
थी । बाल बिखर चुके थे, जवानी पूरे जोश में थी,
ज़ज्बात अपनी सीमाएं लांघ चुके थे और रिश्ते का
बोझ अब उतर चुका था । अब सिर्फ मिलन और
अधूरी ख्वाहिश पूरा होने का आनंद ही इस रिश्ते

की मज़बूती थी ।


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